Episode 94

" इनके कोई कजिन या पता नहीं,. मैरिड हैं,. बस वो आये थे,. तो इन्होने मुझसे बोला था की तू कॉलेज के बाद आजाना कुछ काम है , और रात को तेरे बड़े भैया नहीं है तो यहीं रुक जाना, मैं तेरे घर बात कर लूंगी,. मुझे क्या मालूम था की वो , जो इनके कजिन,. अब भाभी के भाई है थोड़ा बहुत मजाक तो होता ही है , मैं भी उसी तरह , . लेकिन ये एकदम ,. क्या कहूं जाने दीजिये,. "

बोल न क्या किया उस कमीने ने ,. मुझे बहुत गुस्सा लग रहा था।

आपके जेठानी ने क्या किया ये सुनियेगा तो आग लग जायेगी,. मैं कॉलेज के ड्रेस में थी, और वो जो उनके कजिन या, सीधे मेरे , वहीँ पे,. और आपकी जेठानी ने सीधे उससे बोला,

" अरे ऊपर ऊपर से क्या देख रहे हो, पकड़ वकड़ के देखना हो देख लो,. " और मुझे से बोलीं,

" वैसे तो मेरे ये भाई लगते हैं लेकिन आज से ननदोई हो जाएंगे देख ले पसंद हैं न "

अब मजाक तो चलता ही है , मैं मुस्करा के टाल गयी. लेकिन बड़ी भाभी ने नाश्ते में मुझे उसके पास पकौड़ी लेके भेजा तो उसने खींच के मुझे गोद में बिठा और हाथ सीधे वहीँ , भाभी के आने पर पर भी और ऐसे गंदे गंदे खुले मजाक,. .

मुझे बहुत खराब लग रहा था , मैं किसी तरह छुडाके किचेन में गयी तो वो उलटे मेरे ऊपर चढ़ गयीं,

अरे थोड़ा सा दबा मसल दिया ऊपर से तो क्यों इत्ता मुंह बना रही थी , चल मना उसको,. थोड़ा सा गोरा रंग क्या हो गया जोबन क्या आगये, तेरे ऐसी सैकड़ों लड़कियां उसके पीछे पीछे लगी रहती हैं,. . . और और,. "

एक बार वो फिर से उदास हो गयी थी,.

बोल न , मैंने फिर उसे दिलासा दिलाया,

" अरे भैया को लेकर , एक से एक गन्दी बातें,. वो बेचारे तो, आप उन को बढ़ावा नहीं देती तो उन के बस का, . लेकिन दस बात सुनाई होंगी उस दिन, मुहे पता नहीं है क्या अपने भैया से नैन मटक्का करती है , चिपका चिपकी और मेरे भाई ने ज़रा सा, . कौन सी तेरी ले ली , और ले भी लेगा तो क्या,. अब तो बिना दिए तुझे मैं ,. "

तो हुआ क्या, मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,

" अरे उस स्साले की हिम्मत थी कालेज में टाइकांडो और कराते दोनों , . बिना मेरी मर्जी के,. दुबारा उसने पकड़ा तो,. जाने दीजिये,. बस ये समझ लीजिये तब से आपकी जेठानी कुछ ज्यादा ही,. .

और कल रात जब एक घंटे की क्लास उन्होंने मेरी ली तो वो बात भी,. जाने दो भैया भाभी को ,. तेरे ऐसे पर काटूंगी न ,. जिसको झटका दे के भागी थी न उसी से , . अपने सामने , खुद नाड़ा खोलेगी अपना तू खुद उससे हाथ जोड़ के माफ़ी मांगेगी, उस दिन के बाद वो बेचारा मेरा सीधा साधा ,. इतना गुस्सा है , बोल दिया है उसने जब तक तू माफ़ी नहीं मांगेगी,. बहुत उछल रही थी जिनके दम पे , मैं बड़ी हूँ ,. मेरी ही चलेगी। . . "

रुक के वो बोली, तब से, . और आज भी देखिये दिया छन्दा के साथ इतनी लहक लहक के बात कर रही हैं पर मुझे कितना इग्नोर कर रही हैं ,. "

" अरे यार करने दे न इग्नोर , आज रात को इनका तस्सली बख्श इलाज करुँगी ,मेरी प्यारी सी ननद को इतना उदास कर दिया , तू ग्यारह सवा ग्यारह बजे फोन करना , फिर जेठानी जी की बदली हुयी बोली सुनना।

इंटरवल ख़तम हो गया था , और तबतक दरवाके से दिया ,छन्दा और मेरी जेठानी दाखिल हुयी , हाथ में चाको बार , पाप कार्न। वहीँ से दिया चीखी

" भाभी आप जग गयीं "

" अरे भाभी ,आप सो रही थीं तो आप की पहरेदारी के लिए देखिये इसे छोड़ के गयी थी की कहीं आप के सोने का फायदा उठा के ,. " छन्दा ने मुझे चिढ़ाया।

" अरे साफ़ साफ़ काहें नहीं बोलती , की कोई मेरी भाभी का गदराया जोबन लूट लेता। " दिया अब तक मेरे पास पहुँच गयी थी ,गर्दन में मेरे हाथ डाल के प्यार से बोलीं।

पर तबतक गुड्डी दोनों पर चढ़ गयी ,

" कमीनियों , ये क्यों नहीं कहती की मुझे यहाँ छोड़के , तुम सब बाहर खा पी रही थी , क्या खाया "

जेठानी जी के हाथ में अभी भी सॉफ्टी का बचा कोन था जिसे वो प्यार से चाट रही थीं।

" सॉफ्टी " छन्दा बोली।

लूज बाल पाके मैं छोड़ने वाली नहीं थी , वो भी ऐसी सेक्सी टीनेजर ननदों को।

" ये उमर और सॉफ्टी ,. . इस समय तो सिर्फ हार्ड लांग ,. " मैंने छन्दा को घूर के देखा।

" अरे भाभी आप ने एकदम सही कहा , लेकिन इस उम्र में तो हमारे होंठ लगाने से कोई भी सॉफ्टी हार्ड हो जायेगी। " दिया ने हँसते हुए जवाब दिया।

पिक्चर इंटरवल और

सॉफ्टी

थोड़ा मूड उसका ठीक हुआ तो उसने आगे की बात बतायी ,

" और यही नहीं सुबह सुबह , मेरे घर वालों को भी उन्होंने आग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी , बस वही एक रट गुड्डी कहीं नहीं जाएगी , यही पढ़ेगी। मेडिकल में एडमिशन होना है तो अपने दम पे करे यही पे पढ़ के ,. ये तो तब तक मेरा रिजल्ट इतना अच्छा आ गया था और फिर कल भइया ने घर पे आके सबको इतना समझाया था की उन लोगों के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा , बस हाँ हूँ कर के बात काट दी। आज भी देखिये दिया छन्दा के साथ इतनी लहक लहक के बात कर रही हैं पर मुझे कितना इग्नोर कर रही हैं ,. "

" अरे यार करने दे न इग्नोर , आज रात को इनका तस्सली बख्श इलाज करुँगी ,मेरी प्यारी सी ननद को इतना उदास कर दिया , तू ग्यारह सवा ग्यारह बजे फोन करना , फिर जेठानी जी की बदली हुयी बोली सुनना।"

मैंने अपनी ननद की हिम्मत बँधायी और उसके चिकने मक्खन जैसे गालों को सहला के दुलराया

इंटरवल ख़तम हो गया था , और तबतक दरवाजे से दिया ,छन्दा और मेरी जेठानी दाखिल हुयी , हाथ में चाको बार , पाप कार्न।

वहीँ से दिया चीखी

" भाभी आप जग गयीं "

" अरे भाभी ,आप सो रही थीं तो आप की पहरेदारी के लिए देखिये इसे छोड़ के गयी थी की कहीं आप के सोने का फायदा उठा के ,. " छन्दा ने मुझे चिढ़ाया।

" अरे साफ़ साफ़ काहें नहीं बोलती , की कोई मेरी भाभी का गदराया जोबन लूट लेता। "

दिया अब तक मेरे पास पहुँच गयी थी ,गर्दन में मेरे हाथ डाल के प्यार से बोलीं।

पर तबतक गुड्डी दोनों पर चढ़ गयी ,

" कमीनियों , ये क्यों नहीं कहती की मुझे यहाँ छोड़के , तुम सब बाहर खा पी रही थी , क्या खाया "

जेठानी जी के हाथ में अभी भी सॉफ्टी का बचा कोन था जिसे वो प्यार से चाट रही थीं।

" सॉफ्टी " छन्दा बोली।

लूज बाल पाके मैं छोड़ने वाली नहीं थी , वो भी ऐसी सेक्सी टीनेजर ननदों को।

" ये उमर और सॉफ्टी ,. . इस समय तो सिर्फ हार्ड लांग ,. " मैंने छन्दा को घूर के देखा।

" अरे भाभी आप ने एकदम सही कहा , लेकिन इस उम्र में तो हमारे होंठ लगाने से कोई भी सॉफ्टी हार्ड हो जायेगी। " दिया ने हँसते हुए जवाब दिया।

" चिल्ला मत कमीनी तेरी तरह सेल्फिश नहीं हैं हम अकेले अकेले , तेरे लिए भी और भाभी के लिए भी कोर्नेटो कौन ले आयी हूँ , हाँ एक दो लिक करा देना। "

छन्दा बोली और मुझे और गुड्डी को करनेटो को पास कर दिया।

,मैंने छन्दा का ही साथ दिया ,

" गुड्डी यार ये तो गलत बात है , एक दो लिक क्यों बराबर का हक़ है तेरी सहेली है ,मिल बाँट के लेना चाहिए। " दिया को कारनेटो पकड़ाते मैं बोली।

दिया ने एक जबरदस्त लिक लिया और छन्दा का साथ दिया ,

" भाभी छन्दा ठीक कह रही है , कल इतना जबरदस्त मौक़ा था , गुड्डी ज़रा हम लोगों को भी लिक कर लेने देती तो क्या घट जाता। "

" अरे चल यार ,बीती ताहि बिसार दे , कल तुम सब की पार्टी है न कॉलेज में , बस वहां से लौट के आना घर पे ,मन भर लिक ,सक जो भी करना और गुड्डी कोमें बांध के रखूंगी ,बस ये देखती रहेगी ललचाती रहेगी ,तुम सब इसे छूने भी मत देना , ठीक है ये सजा। "

" एकदम भाभी , जहांगीर के बाद आप ही का इन्साफ है , भाभी हो तो ऐसी। "

हंसती हुयी दिया बोली और अपने कारनेटो लगे होंठों से मेरे होंठों पे सीधे लिप्पी ले ली।

" सुन ली भाभी की बात ये पकड़ अपना कारनेटो , मैं तो कल असली वाला ही लिक करुँगी। " कारनेटो गुड्डी को पास करती हुयी छन्दा बोली।

मैं समझ रही थी जेठानी जी सुलग रही होगी।

सुलगे।

" तो पक्का न कल आओगी तुम दोनों पार्टी के बाद , लास्ट ऑफर है कल। "

" एकदम भाभी ऐसा ऑफर कौन छोड़ेगा , और ऊपर से इस नदीदी को आप बाँध के रखेंगी ,हम दोनों को देख के ललचायेगी ,. " छन्दा। दिया एक साथ बोलीं।

लेकिन दिया ने एक सवाल पेश कर दिया ,

" भाभी कल पार्टी में हम क्या पहनें सब एक तरह की ड्रेस पहन के जाना चाहती हैं। "

दिया अब मेरी पक्की ननद हो गयी थी हर बात में उसे मेरी सलाह ,और मेरी हर सलाह आँख मूँद के मानती थी।

कुछ मैंने सोचा और फिर बोली , यार रिट्रो का जमाना है। तुम्हे पार्टी देने वाली हाईकॉलेज वालियां है ,बस ,तुम सब के पास जो हाईकॉलेज की यूनिफार्म हो ,. .

" भाभी हाईकॉलेज की स्कर्ट तो भले खींच तान के हम पहन ले पर ब्लाउज ,एक भी बटन नहीं बंद होगा। " गुड्डी के बोल फूटे।

और जवाब मेरी ओर से दिया ने दिया ,

" तो मत बंद करना यार , कोई रूल है क्या। और फिर कल पार्टी का दिन , फुल टाइम झक्कास मस्ती का दिन ,. "

मैं फिर थोड़ी देर में सो गयी ,रात भर आज रतजगा होना था।

पिक्चर ख़तम होने के थोड़ा पहले मेरी नींद खुली।

" बिचारी भाभी को रात भर लगता है भैय्या सोने नहीं देते , . " छन्दा ने कमेंट मारा। पर दिया ,

" बिचारे मेरे भैय्या को काहें दोष देती हो ,हमारी भाभी हैं ही ऐसी। "
उसने अपने भैय्या का साथ दिया।

जेठानी -स्ट्रेंथ

पिक्चर ख़तम होने के थोड़ा पहले मेरी नींद खुली।

" बिचारी भाभी को रात भर लगता है भैय्या सोने नहीं देते , . " छन्दा ने कमेंट मारा। पर दिया ,
" बिचारे मेरे भैय्या को काहें दोष देती हो ,हमारी भाभी हैं ही ऐसी। "

उसने अपने भैय्या का साथ दिया।

लेकिन मैं सोई एक पल नहीं थी और ये बात सिर्फ मैं जानती थी और मेरी पार्टनर इन क्राइम , दिया,. मेरी तरह उसका दिमाग भी इन सब मामलों में डबल स्पीड से चलता था और कोई उसकी सहेली के खिलाफ कुछ प्लान करे तो वो एकदम शेरनी हो जाती थी,.

गुड्डी ने इंटरवल में जो बातें बताई थी, उसने मुझे एकदम परेशान कर दिया।

नहीं उसकी भाभी के भाई (सो काल्ड ) वाली, झटका जरूर दिया उस बात ने , ख़राब भी लगा मुझे, .

बट, लेकिन,. वो रात में एक बजे जो जेठानी जी ने उसे फोन करके हड़काया था, और जिस कॉन्फिडेंस के साथ,. कहीं से उनको इनपुट मिल रहा है, कोई विदेशी ताकत है तो, ये साढ़े बारह पौने एक के आसपास मेरे आये थे, दस पंद्रह मिनट आगे पीछे, . तब तक तो उसकी किसी से बातचीत हुयी नहीं होगी, और उसके बाद तो मेरी सासू माँ वो तो दस साढ़े दस तक सो हो जाती हैं हैं, लेकिन कुछ तो हुआ,. और आज सुबह से भी मैं उनके साथ थी,

नहीं नहीं जो कुछ भी हुआ होगा,. इनके गुड्डी के फोन के पहले यानी एक बजे के पहले हुआ होगा,. तो कौन और फिर जेठानी जी की क्या स्ट्रेंथ है, किस बल पे ये कूद रही हैं , अब इनके देवर तो इनका साथ देते नहीं , वो खुद मुझसे बढ़ के अपनी भाभी का पर कुतरने में , तो कौन,

और अचानक मेरा दिमाग तड़का,

मेरे दिमाग में ये बात पहले क्यों नहीं आयी

स्ट्रेंथ नहीं वीकनेस,

एक की वीकनेस दूसरे की स्ट्रेंथ होती है, और वो उसे ही लीवरेज करता है, और वीकनेस थी मेरी सास की,. . और मेरे जेठ जी की,

मेरी सास उन्हें रहना तो इसी घर में था, जेठ जेठानी के साथ, और ये बात बिना बोले वो भी जानती थीं और जेठानी भी,. बात सिर्फ पैसे की नहीं, बात बात में जवाब देना , नौकरों के सामने उनकी बात काट देना, आज सब्जी किस चीज की बनेगी से लेकर बड़े फैसले तक जो एक जमाने में सास करती थीं, . और अब जेठानी, भले ही सास के नाम पर,.

कहाँ जाएंगी वो,. हमारे साथ,. लेकिन उनकी सारी यादें, सहेलियां पड़ोसिनें नाते रिश्तेदार सब यहीं थे, दो चार दिन तो ठीक , लेकिन कम्फर्ट ज़ोन तो उनका यही घर था,.

और अगर उन्हें इस बात का अहसास करा दिया गया की पल पल उनके लिए मुश्किल होगा, तो उनके लिए सांप छछूंदर वाली ,. और बड़ी तो हैं ही, ख्याल भी रखती है , उनकी इज्जत भी घर मोहल्ले में हैं, तो उनकी बात के ऊपर कोई इनकी बात माने ये मुश्किल होगा,.

और आज कार में जो दिया ने श्रुति वाली बात की तो उसपर जेठानी ने जो जो कमेंट किये,.

वो मुझे लग रहा था जेठ जी के ऊपर भी लागू होते हैं,. . जिस तरह से वो बोलीं , अरे ज्यादातर के तो चार साढ़े चार इंच का भी बहुत मुश्किल से होता है और जिसके खूंटे में दम नहीं होता, उसकी बीबी उसको नचाती है

तो जेठानी जी जेठ को यूज करेंगी मेरी सास के खिलाफ, और सास को अंदाज तो है की जेठानी के खिलाफ जा के उनके लिए इस घर में सांस लेना भी मुश्किल होगा और अगर जेठ जी भी उनके खिलाफ खड़े हो गए तो अपने को बचाने के लिए, वो कुछ भी कह सकती हैं बोल सकती हैं,. फोन पर तो शायद उनकी बात का उतना असर न हो लेकिन अगर आमने सामने, .
मेरे लिए अब ये जानना जरूरी था की कौन है जो जेठानी जी को ज्ञान दे रहा है , क्या ज्ञान दे रहा है,

जेठानी जी की प्लानिंग क्या है, गुड्डी ने जो इंटरवल में बताया तो पहले जो मैं अपने साथ उसका ले चलना ८० % पक्का समझ रही थी , अब ५० -५० लग रहा है, सास की बात के ऊपर जाकर,. मैं जबरदस्ती तो उसे ले नहीं जा सकती ,.

और अगर मैंने जेठानी को सहयता देने वाले इस ' विदेशी हाथ ' का पता नहीं लगाया कुछ किया नहीं तो सुबह तक पक्का जेठानी जी का पलड़ा भारी हो जाएगा,.

जिस कान्फिडन्स के साथ मैंने गुड्डी को बोल दिया की कल पैकिंग कर के आ जाय, अब उसे कैसे बोलूं,.

दिया ने मेरी मुखमुद्रा देख ली थी, उसने मेरी ऊँगली दबाई और मोर्स कोड में हम दोनों की बात चीत हो गयी, . जेठानी स्ट्रैटजिक्ली दिया और छन्दा के बीच बैठी थी, एक कोने पर मैं और दूसरे कोने पर मेरी छुटकी ननदिया,. बीच में छन्दा, जेठानी और दिया।

और दिया ने बात बनाई बाथरूम जाने की और जेठानी जी से रिक्वेस्ट किया की वो साथ चलें,

मोबाइल का चक्कर और दिया

और दिया ने बात बनाई बाथरूम जाने की और जेठानी जी से रिक्वेस्ट किया की वो साथ चलें,

पहले तो जेठानी ने थोड़ा ना नुकुर किया,. लेकिन आज दिया ने सेल में जबरदस्त डिस्काउंट दिलवाया, किस इज्जत से दूकानदार ने खुद,. . और सबसे बढ़कर वो बॉबी टेलर वाला , महीने भर से पहले तो , यहाँ खुद अपने हाथ से नाप लिया और चार घंटे में और ऊपर से वहां भी डिस्काउंट,. तो जेठानी जी मान गयी हाँ उसके पहले मजाक जरूर किया,

" क्यों अकेले जायेगी तो क्या कोई छैला चढ़ जाएगा,"

" अरे भाभी, आज कहाँ ऐसी किस्मत,. आज तो इस मॉल की असली माल आप हैं , छैले हम लोगों की ओर लाइन ही नहीं मार रहे हैं है, ३६ के आगे ३२ को कौन पूछता है ,. चलिए न "

दिया कौन कम थी मजाक करने में और जेठानी को आलमोस्ट पकड़ के बाहर ले गयी.

और वहां अगला कदम उठाया जेठानी का मोबाइल हड़पने के लिए

पहले उस ने अपने झोला छाप पर्स से अपना मोबाइल,निकाला लेकिन एक दो बार देख कर वापस रख दिया, और मुंह बना के बोली,.

" भाभी सोच रही थी की उस बॉबी वाले से बात कर लूँ आपके ब्लाउज के लिए, लेकिन क्या करूँ,. मेरे फोन में सिग्नल नहीं आ रहा है यहाँ। ज़रा अपना फोन दे दीजिये उसी से हड़का लूँ, वरना किसी नए पंछी के साथ तो,. यहाँ से आप निकलें तो नयी साड़ी नए ब्लाउज के साथ तो अपनी ननद को याद रखेंगी,. "

जेठानी ने अपना मोबाइल निकाला, . लॉक था, और दिया की तेज निगाहों से सारे पासवर्ड याद कर लिए,

और फिर बॉबी टेलर्स का नंबर भी डाल दिया,. और उसे फोन भी लगा दिया,.

" हे तेरी किस्मत आज अच्छी है अपनी अच्छी वाली भाभी के फोन से बात कर रही हूँ, नंबर सेव कर ले, वो किसी को अपना नंबर देती नहीं है,. कित्ते बन गए,. अरे नहीं ट्रायल वायल क्या, गड़बड़ होगा तो जानता है तेरे साथ क्या होगा, जैसा बताया था, हाँ एकदम बस घंटे भर में,. "

और फोन काट के भाभी की ओर बढ़ाया, साथ में बता दिया,

" भाभी उस टेलर मास्टर का नंबर मैंने आपके फोन में भी सेव कर दिया है , अरे आसान है , आखिरी के ६ डिजिट हैं, ३६-२६ ३६ बड़ा कमीना है, लेकिन ये नंबर किसी को दीजियेगा नहीं, हाँ कोई ख़ास सहेली हो तो बात अलग है, लौटने के पहले मिल जायेंगे ब्लाउज। "

लेकिन इसी बीच दिया ने सब कुछ काम की चीज देख ली थी,. एक एन के नाम से नंबर सेव था उसका व्हाट्सऐप आया था कल साढ़े बारह बजे के बाद, . एक दो नहीं पूरे चार,. जेठानी जी ने जेठ जी को कुछ व्हाट्सऐप भेजे थे आधी रात के बाद और दो चार बार बात भी की थी. सुबह से भी उसी एन से कई बार बात हुयी थी, . . और कई व्हाट्सऐप भी , चलने के पहले उन्होंने जेठ जी को कुछ व्हाट्सऐप भेजे थे,. तो असली चीज वो स्साली एन थी.

दिया पहले बाथरूम गयी, ( एक ही लेडीज टॉयलेट था ) और जाने के पहले अपना झोला भाभी को पकड़ा दिया,

और लौट के जेठानी जी को बाथरूम भेज दिया,. और फिर उन्होंने भी अपना पर्स दिया के हवाले कर दिया।

बस दिया को मौका मिल गया, पहले तो उस एन के पिछले २४ घंटे के जितने व्हाट्सएप मेसेजस थे, वो मुझे फारवर्ड कर दिए, जेठजी को भी भेजे गए मेसेज , उस एन के काल डिटेल्स भी,.

लेकिन पर्स को खगालते हुए एक और खतरनाक चीज़ दिया के हाथ लगी , एक छोटा सा पुराने जमाने का फोन

और जब तक उसकी बड़ी भाभी बाथरूम से फारिग होकर लौटीं , दिया के हाथ में एक बड़ा सा पाप कॉर्न का टब, और उसे उन्हें पकड़ाती, बोली , आप का पर्स अभी मैं सम्हाल के रख लेती हूँ अपने झोले में,. जेठानी ने किटी पार्टी में अपनी सहेलियों से बहुत सुना था, फ़न मॉल के मल्टीप्लेक्स में पॉप कॉर्न खाते हुए फिल्म देखने का मज़ा, अब ये बॉक्स भी उनका टिक हो गया था।

और जब वो दोनों लौटीं तो मेरे खर्राटे पिक्चर की म्यूजिक में इजाफा कर रहे थे,. और जेठानी जी छन्दा को पॉप कार्न बाँट रही थी, आखिरी सीट पर बैठी गुड्डी से तो उनकी बातचीत बंद थी, दिया भी उन्ही की और झुकी थी और मुझे पूरा मौका था, दिया के कारनामे को देखने का,

मैं समझ गयी, एन कोई लड़की थी उन्ही की उमर की सहेली उनकी, कॉलेज कालेज के जमाने की,. लेकिन उसके हर मेसेज जहर से बुझे और सब में उस ने मेरी प्लानिंग की जड़ खोद दी थी,.

अब एक एक मेसेज अलग अलग कर के बताना तो पॉसिबिल नहीं होगा, मैं सब जोड़ के समेकित रूप से मोटी मोटी बातें बता देती हूँ,.

'एन' जेठानी की सहेली और जेठानी की जबरदस्त चालें

और जब वो दोनों लौटीं तो मेरे खर्राटे पिक्चर की म्यूजिक में इजाफा कर रहे थे,. और जेठानी जी छन्दा को पॉप कार्न बाँट रही थी, आखिरी सीट पर बैठी गुड्डी से तो उनकी बातचीत बंद थी, दिया भी उन्ही की और झुकी थी और मुझे पूरा मौका था, दिया के कारनामे को देखने का,

मैं समझ गयी, एन कोई लड़की थी उन्ही की उमर की सहेली उनकी, कॉलेज कालेज के जमाने की,.

लेकिन उसके हर मेसेज जहर से बुझे और सब में उस ने मेरी प्लानिंग की माँ बहन एक कर दी थी ,.

अब एक एक मेसेज अलग अलग कर के बताना तो पॉसिबिल नहीं होगा, मैं सब जोड़ के समेकित रूप से मोटी मोटी बातें बता देती हूँ,.

पहली बात,

सबसे ज्यादा जोर इस बात पर था की सासू जी के आने के पहले हम लोग न जा पाएं, . और उस के बुलेटेड प्वाइंट कर के सब बातें उसने न सिर्फ समझा दी थी बल्कि वो सब तीर जेठ जी पर जेठानी ने चला दिए थे,

एक बात उस एन ने गेस कर ली थी की हम लोग उन के आफिस से कोई मेल मंगाएंगे, जो जेठानी जी के देवर उन्हें दिखाएंगे,. जिसमें उन्हें तुरंत आने को कहा जाएगा।

और क्या क्या जवाब उस चतुर सुजान ने बना के भेजे थे जेठानी जी के लिए, और उस का कोई जवाब न मेरे इनके पास होता, न मेरे पास,

'एक दिन में क्या फरक पड़ जाएगा'

से लेकर अल्टीमेट हथियार इमोशनल ब्लैकमेल तक,

'माँ बड़ी है की नौकरी, अगर माँ की तबियत खराब हो जाए तो क्या एक दिन रुक नहीं सकते ,'और भी बहुत सब,. 'आज कल तो ऑनलाइन हो जाता है , कुछ अर्जेन्ट हो तो यहीं से ऑन लाइन,. '

फिर एक और लॉजिक, 'कौन ट्रेन का रिजर्वेशसन कराना है, अपनी कार से आये हो,. अरे देर रात तक, सुबह भी चले जाओगे,. तीन घंटा ज्यादा से ज्यादा,. ' एक और खतरनाक तीर था ,. 'आठ महीने बाद तो आये हो, और चार घंटे भी इन्तजार नहीं कर सकते, बच्चो को पाल के इतना बड़ा करते हैं और ,.

"अभी तो तुम दोनों ने कोई बच्चे भी नहीं पैदा किये की उनकी पढ़ाई इम्तहान की बात हो, अभी तो खाली तुम दो जने और माँ से मिलने के लिए दो चार घण्टे नहीं रुका जा रहा"

बहुत सी बातें लेकिन सब का एक ही जोर , सासू जी के आने के बाद ही हम जाएँ,.

और मैं समझ सकती थी,

एक बार सासु जी आ गयीं, जेठ जी तो फिर गुड्डी का हम सब के साथ मुश्किल नहीं असम्भव होगा, क्योंकि अभी जेठानी जी जिस मूड में हैं, वो साफ़ साफ़ समझा देंगी या तो उनकी चलेगी या मेरी और अगर सास जी चाहती हैं की गुड्डी हमारे साथ जाएँ तो फिर वो भी हमारे साथ चली जाएँ,,

सासू जी भी , कितना भी हम लोगों का साथ देना चाहेंगी , जेठानी जी की आंखें, जेठ जी के कंधे पर रख के चलाये गए तीर सब एक बात सासू जी को साफ़ साफ़ समझा देंगी, अगर उन्हें इस घर में रहना है, जेठ जेठानी के साथ तो जेठानी जी की बात माननी ही पड़ेगी, इस घर में चलेगी तो जेठानी की, देवरानी की नहीं, घर किसका है, कौन बड़ी है,. और बिना बोले सबसे कठिन बात,. किसके खर्चे पर चलता है,.

मर मर कर कमाएं जेठ जी और एक छोटी सी बात जेठानी की वो भी नहीं, तो औकात क्या है जेठानी की,.

बिना बोले उनके कहने की ताकत मैं अच्छी तरह जानती थी, मेरे ऊपर शादी के शुरू के दिनों में जितने तीर चलते थे कन्धा कभी गुड्डी का होता था तो कभी मेरी सासू जी का, और इस बार कन्धा मेरे जेठ जी का होगा,

और आज जिस तरह से वो बोल रही थीं, वो पूरी ताकत लगा देंगी, और फिर जब सासू जी के खुद के ऊपर बन आएगी, फिर उन्हें हम लोगों के खिलाफ थोड़े ही कुछ करना है , बस यही कहना है की अभी हम लोग खुद हाल में गए हैं, कहीं ट्रांसफर हो गया, नयी जगह है तो गुड्डी के लिए वहां जाना ठीक नहीं होगा , हाँ मेडिकल में बैठे, घर में रह के पढ़े , तैयारी करे, इसमें हम लोग हेल्प करें, किताब मंगा दें इत्यादि इत्यादि , तो सासू जी के लिए भी,.

अभी तो ये मेरी सब सुन रहे थे, गुड्डी को साथ ले चलने का इनका भी पूरा मन था, जो जो मैं कह रही थी कर रहे थे,पर अपनी माँ के सामने, उनका चेहरा देखकर,. मुझे साफ़ लग रहा था की ये कोई स्टैंड नहीं ले पाएंगे और उनसे बढ़ के गुड्डी के घर वाले,. आखिर मेरी सास जी का ही तो मायका था और वो बड़ी थीं, फिर,.

उस शैतान की आंत 'एन' ने ऑप्शन बी भी सजेस्ट किया था,

अभी तो उस स्साली छिनार का न पूरा नाम पता था न उम्र न जात , हाँ ये साफ़ साफ़ था की कोई लड़की थी, जेठानी जी के साथ पढ़ी, एकदम पक्की वाली सहेली, अगर एक बार हाथ में आ जाती न , तो चाहे जिसकी कसम , दोनों मुट्ठी एक साथ डाल के उसकी गाँड़ मारती,.

अगर ये बहुत नौकरी मीटिंग इंस्पेक्शन अर्जेन्ट काम की बात करें तो मुंह बना के जेठानी जी उन्हें तो जाने दें पर मुझे रोक लें,.

और हाँ जेठानी जी कभी भी अपने मुंह से गुड्डी के जाने के बारे में मना न करें , बल्कि गुड्डी के बारे में कोई बात ही न करें , कम्प्लीट इग्नोर,. एक बार जब उसका जाना कैंसिल हो जाएगा तो उसकी अच्छी तरह से क्लास ली जायेगी,

ऑप्शन सी और डी भी थे,.

जेठानी जी खुद भी मेरे और गुड्डी के साथ जाने की पेशकश कर दें , जरा मन बदल जाएगा, देवर की पोस्टिंग की जगह देख लेंगी,.

इन ऑप्शंस के साथ साथ गुड्डी को हम लोगों को ले जाने के ११ खतरे ( जिसमें कहीं भी उनके देवर की बुराई नहीं आती थी मेरा भी कोई जिक्र नहीं था )

उस को पता था की अगर जेठानी मेरा या इनका नाम लेकर गुड्डी को जाने से रोकेंगी,. ( जबकि असली बात यही थी , वरना गुड्डी किसके साथ क्या करेगी इसका उन्हें कोई फरक नहीं पड़ता था ) तो तुरंत सासू जी को जलने की बू आएगी, जेठानी देवरानी के झगड़े वाली बात समझ में आएगी और जेठानी जी लाख कोशिश करें वो न्यूट्रल बनी रहेंगी )

और एक मैंने वॉयस मेसेज भी जो जेठानी जी ने जेठ जी को भेजा था सुना,. जबरदस्त और अगर उसका असर इतना खतरनाक न होता तो मैं कहती मस्त।
और इस वॉयस मेसेज की भी प्रणेता वो इनकी जहर की पुड़िया सहेली ही रही होगी, ये अब पक्का था

" अरे आप तो महीने में बीस दिन बाहर रहते हैं आप को क्या मालूम मेरी ननद के लछन, अरे मेरा देवर बेचारा तो सीधा साधा जिंदगी भर पढ़ने लिखने से फुरसत नहीं मिली और अब काम काज से , वो क्या देखेगा, और उनकी वो भी पार्टी, खुद ही बोल रही थी , मार किस्से सुना रही थी कौन औरतों का क्लब उसका का कहते हैं सेक्रेटरी हो गयी, बस ये तो ,. .

ये लड़की, अरे कोचिंग वॉचिंग सब बहाना , खाली नैन मटक्का, लड़कों के साथ यहाँ तो उतना मौका मिलता नहीं अरे मैं तो कहती हूँ, . पक्का खट्टा खायेगी वो ,. और फिर वो लोग कुछ करेंगे थोड़ी, . . तीन महीने में जब पेट फुला लेगी तो ला के यहाँ पटक देंगे,. और वो डाक्टर बनेगी नहीं , हम लोग डाक्टर ढूंढते फिरेंगे, पेट गिरवाने,. "

और ऑप्शंस

उनकी सहेली एकदम एक्सपर्ट थी मॉर्फिंग, फोटॉशपिंग, मेरी छुटकी ननदिया की कुछ फोटुएं उसने मॉर्फ कर के भेजी थीं, किसी पॉर्न स्टार का सर काट के उसका सर लगा के, लेकिन ज्यादा खतरनाक थी उसकी बात,

"आपके देवर के साथ भी , लेकिन मेरी एक सहेली डीप फेक बनाने का कोर्स कर रही है ६ महीने का, पांचवां महीना लग गया है , उसके पास आपके देवर की और इस की फोटुएं भेज दी हैं कल दोपहर तक आ जाएंगी, . लेकिन इनको अभी शेयर मत करियेगा,. और डीप फेक वाली तो अपने मोबाइल में ऐसे रखियेगा और जैसे गलती से जीजा जी को दिखा दीजियेगा,. दोनों की किस करते हुए है, और भी बहुत कुछ, . अरे आपके देवर भी नहीं पहचान पाएंगे की कैसे बनी. "

मैंने छोटे फोन की ओर रुख किया, तो उसमें भी उसी के मेसेज थे,.

लेकिन वो दो मेसेज नहीं खुले थे,

उसके पहले का मेसेज पढ़ने से बात खुली , जेठानी जी ने गुड्डी का रोल नंबर भेजा था और ये भी लिखा था की उसके नंबर अच्छे नहीं आये हैं इसलिए अब उसके कोचिंग में जाने के चांसेज थोड़े कम हो गए हैं, .

उसी का जवाब था , एक बंद मेसेज जो घंटे भर पहले ही आया था , फिल्म के टाइम पे ,

उस में गुड्डी की पूरी मार्कशीट थी, फिजिक्स , केमेस्ट्री और बायो में १०० में १०० इंग्लिश में ९९ और कोचिंग की मेरिट चेक कर कर के उनकी उस सहेली ने ये पता कर लिया था की इतने नम्बरोंसे आराम से एडमिशन हो जाता है , डायरेक्ट बिना टेस्ट के बल्कि स्कॉलरशिप भी है,फ़ीस माफ़,. और उस चालाक लोमड़ी ने स्काई कोचिंग के रिशेपशनिस्ट से बात कर के पता भी कर लिया था की एडमिशन दस दिन पहले बंद हो चुका है।

जेठानी लगता है उस सहेली से कोई बात नहीं छिपाती थीं तो उस को हमारे और कोचिंग के मिस्टर और मिसेज मल्होत्रा से रिलेशन मालूम थे , उसने रिशेस्पशनिस्ट से ये भी पूछा की अगर मिसेज मल्होत्रा चाहें तो , तो रिसेप्सनिस्ट ने साफ़ बोल दिया देखिये क्वालिटी में वो एक इंच नहीं कम्प्रोमाइज करतीं , अगर नंबर बहुत अच्छे हैं तो वो बाद में भी एडमिशन करा सकती हैं, लेकिन ऐसा होता बहुत ही कम है।

तो उनकी सहेली ने जोड़ घटा के साफ़ साफ़ बता दिया की जो हम लोगों के रिश्ते हैं , और जो गुड्डी के नंबर है उसका एडमिशन कोचिंग में जरूर हो जाएगा,. और अगर मैं उनसे ये कह रही हूँ की नंबर अच्छे नहीं है तो बस उनका मन रखने के लिए और उन्हें अंदाज न लगे की हमारी प्लानिंग क्या है।

गनीमत है उन्होंने मेसेज पढ़ा नहीं था , मैंने तुरंत उसे डिलीट कर दिया ,

दूसरा मेसेज, वो और खतरनाक था उसमे एक कॉरस्पॉन्डेंस कोर्स, .

कुछ ऑनलाइन , कुछ बुक्स , और रेगुलर एग्जाम के बारे में था और ये भी की १९ लड़के लड़कियां उनके भी सेलेक्ट हुए हैं,. तो बस एक साल की पढ़ाई छोड़ के यहीं घर रह के,. जम के पढ़ाई करे हर दो तीन महीने में एग्जाम होंगे , फ़ीस भी कम , कहीं जाना भी नहीं,. बहुत से लड़के ड्राप करके घर पे बैठ के इसी तरह से तैयारी करते हैं , फिर कोचिंग में क्या पढ़ायेंगे वही फिजिक्स केमेस्ट्री बायोलॉजी और तीनो में उसके १०० में १०० आये हैं तो क्या जरूरत शहर छोड़ के जाने की ,

रही कोचिंग की तैयारी, तो उसी तरह के एक दो कोर्स , आब्जेक्टिव पेपर , गाइड सब देंगे वो,.

अब इसके बाद सासू जी कौन समझायेगा,

उसने बोला था की कल वो फ़ार्म भी भेज देगी,.

मैं बड़ी देर तक सोचती रही , सच में वो मेडिकल की कोचिंग करना चाहती है न तो करें घर पे रह के, और एक साल ड्राप तो उसका हम लोगों के साथ जाने पे भी होगा, . तो कौन जरूरत दूसरे शहर जाने की,. इस लॉजिक को हराना बहुत मुश्किल होगा,.

लेकिन एक और रास्ता बताया था,उस इनकी सहेली ने एकदम मेरे जेठ जी और बाकी सब लोग लुभा जाते,.

एक पास के गाँव के चौधरी जी हैं उन्हें वो अच्छी तरह जानती है , एक प्राइवेट मेडिकल कालेज खोल रहे हैं, ( ये बात मुझे बहुत चेक करने पर पता चली की आर्युवेदिक कालेज है और वो अनरिकग्नाइज्ड ) थोड़ा बहुत ले दे कर वो एडमिशन करवा देगी, जान पहचान है उसकी काफी कंसेशन करवा देगी, और अगर एडमिशन अभी ले ले तो एक साल बचेगा, नर्सिंग का है, उन्ही चौधरी जी का दो बार एम् ऐल ए का इलेक्शन लड़ चुके हैं,. .

और मेडिकल कालेज खुलते ही उसमें,

फिर नर्स भी आधी डॉक्टर होती हैं और कितनी परमोट हो के डाक्टर हो जाती हैं ,.

लड़कियों का हॉस्टल फ्री, . फिर कोचिंग में जहाँ वो जा रही है , कौन गारंटी की मेडिकल में एडमिशन होगा ही , यहाँ तो गारंटी है,.

अभी तक जेठानी जी कोई आलटर्नेटिव नहीं दे पा रही थीं , लेकिन इससे तो दोनों ही मामलों में ज्यादा सस्ता टिकाऊ और गारंटी वाला रास्ता था,

मेरी ननद का सपना था टॉप मेडिकल कालेज , मेडिकल में हायर एजुकेशन ,. मास्टर्स, फिर डी एम्, टॉप के कालेज से,

लेकिन बाकी लोगों के लिए लड़की डाक्टर बन जाए यही बड़ी बात और जब इतना ज्यादा रेजिस्टेस्टेस हो तो,.

मैंने उसे भी डिलीट कर दिया।

लेकिन सबसे खराब और खतरनाक थी जेठानी जी और उनकी सहेली के बीच हुयी वार्ता, देर रात तक, मेरी ननद के बारे में और क्या ज़ुबान, मेरे यहां की मंजू और गीता मात,

बस सिर्फ कल का दिन था, अगर कल हम दोनों की बिना गुड्डी के उन्होने डिस्पैच कर दिया,.

जेठानी ने शह तो मुझे दे ही दिया था , अगर मैं यह शह नहीं बचा पाती तो मेरी मात तय थी,

चारो ओर से मेरी क्वीन घिर गयी थी, . . कुछ समझ में नहीं आ रहा था, जो लोग होते हैं अगली आठ चाल तक सोच के चाल चलते हैं उनकी सहेली एकदम वैसे ही लग रही थी,

मुझे न सिर्फ इस शह की काट सोचनी थी बल्कि ऐसी चाल भी की बाजी पलट जाये, लेकिन अभी तो पहले ये शह बचूं,.
सच में इस मात के बाद तो मैं कहीं मुंह नहीं दिखाने लायक नहीं रहती लेकिन असली दुर्गत होती बेचारी गुड्डी की जो यही रह जाती जेठानी के चंगुल में,

पर अभी तो क्वीन चारों ओर से घिरी थी,. .

जो मैंने छोटे फोन वाले दोनों मेसेज डिलीट कर दिए , अगर वो,. फिर तो हम लोगो के गुड्डी के साथ ले जाने की संभावना घट कर २४ % रह जाती,. लेकिन ये तो टेम्पोरेरी गेन था मुझे जब तक पता न चल जाए उनकी सहेली के बारे में , मैं उसे कैसे न्यूट्रलाइज करूँ,. और फिर ये मेसज वो दुबारा भी तो भेज सकती थी , अगर ये कहती की नहीं मिला , पिक्चर के बाद तो वो बात भी करती ही उससे

क्या हालत होगी जब वो बेचारी, कोचिंग में नहीं , उसके सपने , . . सहेलियों के साथ बढ़ बढ़ कर की गयी बातें,. और

जेठानी जी और उनकी सहेली ने पूरी प्लानिंग की थी, कल रात की पूरे डेढ़ घंटे की बातचीत जो दिया ने मुझे फारवर्ड की थी , जेठानी जी का फोन गायब कर के

और ये जेठानी जी और उनकी सहेली की बातचीत उस टाइम के बारे में थी जब गुड्डी यही रह जाती,. .
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