Update 03

"कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - 02

इसके काफी दिनों तक कर्नल साहब कहीं बाहर दौरे पर चले गए। उनकी और रोहित की मुलाकात नहीं हो पायी। इस बिच अपर्णा ने बी.एड. का फॉर्म भरा। अपर्णा की सारे विषयों में बड़ी अच्छी तैयारी थी पर उसे गणित में बहुत दिक्कत हो रही थी। अपर्णा गणित में पहले से ही कमजोर थी। अपर्णा ने अपने पति रोहित से कहा, "रोहित, मैं गणित में कुछ कोचिंग लेना चाहती हूँ। मेरे लिए नजदीक में कहीं गणित का एक अच्छा शिक्षक ढूंढ दो ना प्लीज?" रोहित ने इधर उधर सब जगह पता किया पर कोई शिक्षक ना मिला। रोहित और अपर्णा से काफी परेशान थे क्यूंकि परीक्षा का वक्त नजदीक आ रहा था। उस दरम्यान अपर्णा की मुलाक़ात कर्नल साहब की पत्नी श्रेया से सब्जी मार्किट में हुई। दोनों मार्किट से वापस आते हुए बात करने लगीं तब सुनिता ने श्रेया को बताया की उसे गणित के शिक्षक की तलाश थी। तब श्रेया ने अपर्णा की और आश्चर्य से देखते हुए पूछा ",अपर्णा, क्या सच में तुम्हें नहीं मालुम की कर्नल साहब गणित के विषय में निष्णात माने जाते हैं? उन्हें गणित विषय में कई उपाधियाँ मिली हैं। पर यह मैं नहीं कह सकती की वह तुंम्हें सिखाने के लिए तैयार होंगें या नहीं। वह इतने व्यस्त हैं की गणित में किसीको ट्यूशन नहीं देते।" जब अपर्णा ने यह सूना तो वह ख़ुशी से झूम उठी। वह श्रेया के गले लग गयी और बोली, "श्रेया, आप मेहरबानी कर कर्नल साहब को मनाओ की वह मुझे गणित सिखाने के लिए राजी हो जाएं।" श्रेया अपर्णा के गाल पर चूँटी भरते हुए बोली, "यार कर्नल साहब तो तुम पर वैसे ही फ़िदा हैं। मुझे नहीं लगता की वह मना करेंगे। पर फिर भी मैं उनसे बात करुँगी।"

उस हफ्ते अपर्णा ने श्रेया और कर्नल साहब को डिनर पर आने के लिए दावत दी। तब कर्नल साहब ने रोहित के सामने एक शर्त रखी। पिछली बार रोहित की पत्नी अपर्णा ने कुछ भी सख्त पेय पिने से मना कर दिया था। कर्नल साहब ने कहा की आर्मी के हिसाब से यह एक तरह का अपमान तो नहीं पर अवमान गिना जाता है। कर्नल साहब का आग्रह था की अगर वह रोहित के घर आएंगे तो अपर्णा जी एक घूंट तो जरूर पियेंगी। अपनी पत्नी अपर्णा को रोहित ने कर्नल साहब के यह आग्रह के बारे में बताया तो अपर्णा ने मान लिया की वह कर्नल साहब का मन रखने के लिए एकाध बियर पी लेगी। रोहित ने कर्नल साहब का आग्रह स्वीकार कर लिया। उसे किसी आर्मी वाले से ही पता लग गया था की ऐसा आग्रह होने पर महिलाएं ना भी पीती हों तो दिखाने के लिए ही सही पर एक छोटा सा पेग ले लेती हैं और थोड़ा बहुत पीती हैं या फिर पिने के बजाय उसको हाथों में लिए हुए घूमती रहती हैं। मौक़ा मिलने पर वह उसे अपने पति को दे देती है या फिर उसे कहीं ना कहीं (पेड़ पैधो में) निकास कर देती हैं। ऐसा भी नहीं की आर्मी में हर कोई महिला शराब नहीं पीती। कुछ महिलाएं अपने पति या मित्रों के साथ शराब पीती भी हैं और उनमें से कुछ कुछ तो टुन्न भी हो जाती हैं। पर ऐसा कोई कोई बार ही होता है। कर्नल साहब ने आते ही पहले रोहित को और बादमें अपर्णा को अपनी बाँहों में भर लिया। अपर्णा भी कर्नल साहब से गले मिलकर बड़ी प्रसन्न लग रही थी। कर्नल साहब की पत्नी श्रेया और रोहित ने भी यह देखा। रोहित और अपर्णा ने भी कर्नल साहब और श्रेया की आवभगत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कर्नल साहब की तरह ही उन्होंने भी टेबल पर अलग अलग किस्म के सख्त पेय रखे थे और साथ में भांतिभांति के खाद्य नमकीन इत्यादि भी रख दिए गए थे।

कर्नल साहब के आते ही रोहित ने सब के लिए अपनी अपनी पसंदीदा सख्त पेय पेश किये। अपर्णा गुजरात की थी सो उसने कुछ ख़ास गुजराती खाद्य पदार्थ कर्नल साहब और श्रेया के लये तैयार किये थे। कर्नल साहब के आग्रह पर अपर्णा ने भी श्रेया के साथ अपने गिलास में बियर डाली और सब ने चियर्स कर के छोटी चुस्की ली। कर्नल साहब किछ ख़ास ही मूड में लग रहे थे। आते ही जब रोहित की पत्नी अपर्णा और कर्नल की पत्नी श्रेया अकेले में मिले तो श्रेया ने बताया की जब कर्नल साहब थोड़े अच्छे मूड़ में हों तब रोहित की पत्नी अपर्णा कर्नल साहब को मौक़ा देख कर गणित सिखाने के बारे में पूछेगी।

एक पेग जब कर्नल साहब लगा चुके थे और कुछ रोमांटिक मूड़ में अपनी बीबी श्रेया के साथ छेड़ छाड़ कर रहे थे तब मौक़ा पाकर अपर्णा ने कर्नल साहब को गणित सिखाने के बारे में पूछा। श्रेया ने भी कर्नल साहब को हाँ करने के लिए रिक्वेस्ट की। जब कर्नल ने देखा की अपर्णा और श्रेया दोनों तैयार थे तब कर्नल अपर्णा को गणित पढ़ाने के लिए तैयार हो गए। कर्नल बोले, "भाई मैं गणित में मेरी कॉलेज और कॉलेज में टॉप रहा हूँ। मैंने शुरू में कॉलेज में गणित पढ़ाई है। (अपर्णा की और मुड़कर बोले) मैं तुम्हें ऐसे सिखाऊंगा की तुम भी गणित की मास्टर बन जाओगी। (फिर वह रुक कर बोले) पर हाँ, उसकी फीस देनी पड़ेगी।" उनकी बात सुनकर अपर्णा उछल पड़ी और बोली, "हमें मंजूर है, क्या फीस होगी?"

कर्नल साहब बोले, "वक्त आने पर मांग लूंगा।"

अपर्णा थोड़ी निराश सी लगी और बोली, "अरे! मुझे सस्पेंस में मत रखो। बोलो, क्या फीस चाहिए?"

कर्नल साहब ने कहा, "कुछ नहीं, कहना पर मांग लूंगा। चाय पिलानी पड़ेगी, अब तो यही चाहिए।"

अपर्णा ने कहा, "जैसा आप ठीक समझें।"

यह तय हुआ की अपर्णा को कर्नल साहब हर इतवार को दुपहर बारह बजे से हमारे घर में दो घंटे तक पढ़ाया करेंगे।

कर्नल साहब के जाने के बाद तो अपर्णा जैसे हवा में उड़ने लगी। उसे एक ऐसा शिक्षक मिला था जो ना सिर्फ उसे से पढ़ायेगा, बल्कि जो उसका आदर्श था और कोई फीस की भी उन्हें अपेक्षा नहीं थी। उस रात बिस्तर में रोहितने अपनी पत्नी अपर्णा से कहा, "तुम्हें क्या लगता है? कर्नल साहब हमसे तुम्हारी पढ़ाई के बदले में क्या मांगेंगे?" अपर्णा ने रोहित की और अजीब तरीके से देखते हुए कहा, "पर उन्होंने तो फीस के लिए कुछ कहा ही नहीं। वह मुफ्त में ही पढ़ाएंगे। उन्होंने तो सिर्फ चाय ही मांगी है।" रोहित ने कहा, "जानेमन एक बात समझो। मुफ्त हमेशा महँगा पड़ता है। जिंदगी में कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता। इंसान को हर चीज़ की कीमत चुकानी पड़ती है।"

तब अपर्णा ने रोहित की और बड़े ही भोलेपन से देखा और बोली, "तो फिर? तुम्हें क्या लगता है? कर्नल साहब क्या मांगेंगे?" रोहित ने अपने कंधे हिलाते हुए कहा, "क्या पता? देखते हैं। अगर वह कुछ भी नहीं मांगते हैं फिर भी हम को समझ कर कुछ ना कुछ तो देना ही पडेगा ना?"

वह बात यूँ ही खत्म हुई। कर्नल साहब नियमित ठीक बारह बजे आने लगे। अपर्णा एक अच्छे विद्यार्थी की तरह तैयार रहती और वह दोनों रोहित के स्टडी रूम में अलग से बैठ कर पढ़ाई करते। अपर्णा ने रोहित को बताया की कर्नल साहब गज़ब के शिक्षक थे, और कुछ ही दिनों में अपर्णा को गणित में काफी रस पड़ने लगा। वह गणित की कठिन समस्याओं को सुलझाने लगी। अपर्णा के चेहरे पर यह एक नयी उपलब्धि प्राप्त करने का संतोष साफ़ नजर आ रहा था। कई बार रोहित ने महसूस किया की कर्नल साहब और उसकी बीबी की नजदीकियाँ कुछ बढ़ सी गयी थी। रात को उनके शयन कक्ष में जब रोहित अपर्णा के साथ अठखेलियां करने लगता तो महसूस करता था की अपर्णा कुछ खोयी खोयी सी लगती थी। जब रोहित पूछता तो अपर्णा टाल देती। पर एक दिन जब रोहित ने अपर्णा को कुछ ज्यादा ही जोर देकर पूछा तो वह थोड़ी मायूस होकर बोली, "रोहित, मुझे समझ नहीं आता की मैं क्या बताऊँ।" रोहित ने कहा, "अगर तुम बताओगी नहीं तो मैं कैसे समझूंगा?" तो अपर्णा बोली, "कर्नल साहब मुझसे बड़ी ही निजी, अजीब सी लगने वाली हरकतें जाने अनजाने में करते हैं।"

रोहित ने पूछा, "क्या मतलब?"

तो बोली, "कर्नल साहब मुझे बहुत अच्छी तरह पढ़ाते हैं। मेरे लिए वह घर में देर रात तक खुद भी पढ़ाई करते हैं। पर कई बार वह ऐसा कुछ कर बैठते हैं की मैं उलझन में फँस जाती हूँ। समझ में नहीं आता की क्या करूँ और क्या कहूं। जब मैं पढ़ाई में अच्छा करती हूँ तो वह मुझ से लिपट जाते हैं, मतलब आलिंगन करते हैं और कई बार ख़ुशी के मारे मेरे बदन को सहलाते हैं, कई बार वह बूब्स को हलके से पकड़ कर सहला देते हैं या दबा देते हैं। कई बार गलती करती हूँ तो वह मेरे कान मरोड़ते हैं और मेरी साडी या ड्रेस में हाथ डाल कर मेरे पेट पर चूँटी भरते हैं; और अगर मैं खड़ी होती हूँ तो मेरे पिछवाड़े को भी दबाकर चूँटी भरते हैं। मैं उन्हें रोक नहीं पाती। मैं तुम्हें बताने की कोशिश कर रही थी, पर बोल नहीं पायी। कई बार मैं सोचती हूँ को उनको रोकूं और ऐसा ना करने के लिए टोकूं। मेरी समझ में यह नहीं आता की उनकी मंशा क्या है। जब वह पढ़ाते हैं तो उनका ध्यान कभी भी मुझे पढ़ाने के अलावा कहीं नहीं जाता। मैं उनसे सट कर भी बैठती हूँ तो भी उनपर कोई असर नहीं होता। पर अचानक वह मुझसे ऐसी शरारत कर बैठते हैं। मेरी समझ में नहीं आता बताओ मैं क्या करूँ?" रोहित की सीधी सादी बीबी अपर्णा की बातें सुनकर का हँसना थम नहीं रहा था।

रोहित ने कहा, "हे मेरी प्यारी भोली बीबी। अरे कर्नल साहब एक जाँबाज जवाँ मर्द हैं और वह कुछ रोमांटिक टाइप के भी हैं। अगर वह तुम्हारे लिए इतना श्रम कर रहे हैं, रात रात भर जाग कर तुम्हारे लिए वह खुद पढ़ रहे हैं तो फिर वह तुम्हारी सफलता और निष्फलता पर उत्तेजित तो होंगे ही। अगर तुम सफल होती हो तो वह तुम्हें आलिंगन भी करेंगे और तुम्हारे शरीर को प्यार से सेहलायेंगे भी। और अगर तुम असफल होती हो तो वह निराशा और गुस्से में तुम्हें चूँटी भरेंगे या कोई ना कोई सजा भी देंगे। यह स्वाभाविक है। इस में कुछ भी अजीब नहीं है। अगर तुम्हारी जगह कोई लड़का होता तो शायद वह ऐसा ही कुछ करते। पर चूँकि तुम औरत हो और खूबसूरत हो तो कर्नल साहब थोड़ा ज्यादा ही उत्साहित और रोमांचित होते होंगे। यह स्वाभाविक है। अगर तुम उसको नेगटिवली लेती हो तो यह गलत होगा। वह कर्नल साहब के ऊपर शक करने वाली बात होगी। मेरा तुमसे यह कहना है की तुम अपना ध्यान पूरी तरह से पढ़ाई में लगाओ।"

अपर्णा ने अपने पति रोहित की और देखा। उसे अपने पति पर गर्व हुआ। रोहित उसका कितना ख्याल रखता है, यह सोचकर उसे अपने पति पर अनायास ही प्यार उमड़ा। उसने रोहित का हाथ थाम कर कहा, "आप की बात सही है। मुझे गणित से सख्त नफ़रत थी। पर अब कर्नल साहब की महेनत के कारण मुझे गणित अच्छा लगने लगा है, बल्कि मुझे गणित से प्यार होने लगा है। मैं कितनी भाग्य शाली हूँ की मुझे जीतूजी जैसे गुरु मिले और आप जैसे पति मिले।" रोहित ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "देखो वह तुम्हारे गुरु हैं। गुरु भगवान् के समान होता है। वह तुम्हारी तरक्की से खुश होते हैं और तुम्हारी कमियों से नाराज होते हैं। यह स्वाभाविक है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। बल्की यह अच्छा है की वह यह सब करते हैं, क्यूंकि यह दर्शाता है की वह तुम्हारी पढ़ाई में पूरा ध्यान लगाते हैं। अगर तुमने उनको रोकने या टोकने की कोशिश की तो हो सकता है वह थोड़े से निराश या हताश हों। उस कारण उनका मन तुम्हें पढ़ाने में से हट जाए और उसका प्रभाव तुम्हारी पढ़ाई पर पडेगा। तुम्हें तो चाहिए की तुम उनका उत्साह बढ़ाओ। उनका और भी साथ दो और एक अच्छे विद्यार्थी की तरह उनकी आलोचना और सजा को स्वीकारो और उनकी शाबाशी भरे उल्लास का सम्मान करो। उनमें कोई दोष ना देखो। वह एक गुरु या शिक्षक का अपने विद्यार्थी के प्रति प्यार और सम्मान का प्रतिक है। इसका तुम्हें गर्व होना चाहिए।"

अपने पति की ऐसी सिख सुनकर अपर्णा खुश तो हुई पर उसे थोड़ा आश्चर्य भी हुआ। उसने पूछा, "पर रोहित, यह तो गलत है ना? अगर बात छेड़छाड़ से आगे बढ़ गयी तो? कहीं कर्नल साहब ने कुछ ऐसी वैसी हरकत की तो? फिर क्या होगा?" रोहित ने कहा, "अरे डार्लिंग तुम बहुत ज्यादा सोचती हो। वह कभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो आपको पसंद नहीं होगा। मैं नहीं मानता की वह कोई जबरदस्ती करने वालों में से हैं। और फिर ऐसी वैसी हरकत वह क्या कर सकते हैं? क्या तुम्हें लगता है वह तुम्हें चोदना चाहेंगे?" अपर्णा ने कहा, "यह आप क्या बकवास करते हो? भला ऐसा आप कैसे कह सकते हो?" रोहित ने कहा, "देखो डार्लिंग, वह एक मर्द है। हर मर्द की नजर दूसरे की बीबी पर रहती ही है। ख़ास कर जब वह बला की खूबसूरत हो, जैसे की तुम हो। सच कहूं तो हर मर्द दूसरे की खूबसूरत बीबी को चोदने के सपने देखता ही रहता है।" अपने पति रोहित के मुंह से ऐसे शब्द निकल ते ही अपर्णा एकदम सकपका गयी और स्तब्ध हो गयी। वह अपने पति के चेहरे को देखने लगी। कहीं उसके पति कर्नल साहब से जल तो नहीं रहे? कहीं उनको उसके और कर्नल साहब के रिश्ते पर कोई शक तो नहीं हो रहा? अनजाने में ही रोहित की पत्नी के चेहरे पर लज्जा और शर्म की लालिमा छा गयी। अपने पति के मुह से कर्नल साहब और खुद के सम्बन्ध की एक बात सुन कर ही अपर्णा के झनझना सा उठा l कहीं उसके पति कर्नल साहब से जल तो नहीं रहे? कहीं उनको उसके और कर्नल साहब के रिश्ते पर कोई शक तो नहीं हो रहा? अनजाने में ही रोहित की पत्नी के चेहरे पर लज्जा और शर्म की लालिमा छा गयी। उसने झिझकते घबराते हुए पूछा, "डार्लिंग तुम मेरे और कर्नल साहब के रिश्ते के बारे में कहीं गलत तो नहीं सोच रहे?"

रोहित जोरदार ठहाका लगा कर हंसने लगा। उसने कहा, "नहीं डार्लिंग नहीं। ऐसा बिलकुल नहीं है। तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो? क्या मेरे कहने का यह मतलब था? मैं तो जो मर्दों के मन के भाव होते हैं वह तुम्हें बता रहा था, ताकि तुम कुछ गलत ना सोचो। तुम पर मुझे अपने से भी ज्यादा भरोसा है। और उससे भी कहीं ज्यादा मुझे कर्नल साहब पर भरोसा है। और हाँ डार्लिंग, एक बात और बताऊँ? मैं तुम्हें और कर्नल साहब को इतना चाहता हूँ की अगर ऐसा वैसा कुछ हो भी जाए तो यह ज़रा भी मत सोचना की मैं तुम पर कभी कोई तरह की आंच आने दूंगा।"

यह सुनकर अपर्णा की आँखें झलझला उठीं। वह अपने पति के इतने विश्वास से गदगद हो गयी। अपर्णा का गला रुंध गया। वह कुछ बोल ना पा रही थी। अपर्णा ने अपने पति रोहित को गले लगाया और बोली, "आप मुझे कितना प्यार करते हैं। मैं ही आप को समझ नहीं पायी।" फिर धीरे से अपर्णा ने अपने पति के पाजामें में हाथ डाल कर कहा, "डार्लिंग, आज मेरा बहुत मन कर रहा है।" अपर्णा की बात सुनकर रोहित की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। काफी अरसे के बाद उस रात अपर्णा ने अपने पति को सामने चलकर उसे चोदने के लिए आमंत्रित किया। रोहित के लिए यह एक चमत्कारिक घटना थी। रोहित सोचने लगा कहीं ना कहीं कर्नल साहब के बारे में हुई बात का यह असर है। इस का मतलब यह हुआ की अपर्णा को कर्नल के बारे में सेक्स सम्बन्धी बात करने से और उसे प्रोत्साहित करने से अपर्णा के मन में भी सेक्सुअल उत्तेजना की चिंगारी काफी समय के बाद फिर भड़क उठी थी। इसके पहले रोहित की कई कोशिशों के बावजूद भी अपर्णा का सेक्स करने का मूड नहीं बन पाता था। रोहित ने जल्द ही अपने पाजामे के बटन खोल दिए और अपना लण्ड अपनी बीबी अपर्णा के हाथों में दे दिया। अपर्णा ने अपने पति का लण्ड सहलाते हुए उनसे पूछा, "रोहित डार्लिंग, क्या आप शिक्षक की इतनी ज्यादा एहमियत मानते है?"

अपर्णा के हाथ में अपने लण्ड को सहलाते अनुभव कर रोहित ने मचलते हुए कहा, "हाँ, बिलकुल। मैं मानता हूँ की माँ के बाद शिक्षक की अहमियत सबसे ज्यादा है। माँ बच्चे को इस दुनिया में लाती है। तो शिक्षक उसको अज्ञान के अन्धकार से ज्ञान के प्रकाश मे ले जाता है। शिक्षक अपने शिष्य को ज्ञान की आँखें प्रदान करता है। जहां तक आपका सवाल है तो जो विषय (मतलब गणित) आप का सर दर्द था और आप जिससे नफरत करते थे, अब आप उस विषय को प्यार करने लगे हो। जो अड़चन आपकी तरक्की में राह का अड़ंगा बना हुआ था, वह विषय अब आपकी तरक्की को आसान बना देगा। यह गुरु की उपलब्धि है।" अपर्णा ने यह सूना तो रोहित पर और भी प्यार उमड़ पड़ा। उसने बड़े चाव से अपने पति के लण्ड की त्वचा को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए बड़ी ही कोमलता और स्त्री सुलभ कामुकता से प्यार से हिलाना शुरू किया। रोहित की उत्तेजना बढ़ती गयी। वह अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहा था। रोहित का उन्माद और उत्तेजना देख कर अपर्णा और भी प्रोत्साहित हुई। अपर्णाने झुक कर रोहित के लण्ड के चारों और की त्वचा को अपने दूसरे हाथ से सहलाया और झुक कर अपने पति के लण्ड को चूमा। यह महसूस कर रोहित और उन्मादित होने लगा। अपर्णा ने अपने पति के लण्ड के अग्रभाग को जब अपने होँठों के बिच लिया तो रोहित उन्माद के चरम पर पहुँच रहा था। उसकी रूढ़िग्रस्त पत्नी उसे वह प्यार दे रही थी जो शायद उसने पहले उसे कभी नहीं दिया।

रोहित भी अपनी कमर को ऊपर उठाकर अपने पुरे लण्ड को अपनी बीबी के होँठों की कोमलता को अनुभव करा ने के लिए व्याकुल हो रहा था। अपर्णा ने और झुक कर अपने पति के लण्ड का काफी हिस्सा अपने होँठों के बिच लेकर वह उस लण्ड की कोमल त्वचा को अपने होँठों से ऐसे सहलाने लगी जैसे वह अपने होँठों से ही अपने पति के लण्ड को मुठ मार रही हो। अपर्णा ने धीरे धीरे रोहित के लण्ड को मुंह से अंदर बाहर करने की गति तेज कर दी। अपर्णा के घने बाल रोहित की कमर और जाँघों पर हर तरफ बिखर रहे थे और एक गज़ब का उन्माद भरा दृश्य पेश कर रहे थे। रोहित अपना नियत्रण खो चुका था। अब उससे रहा नहीं जा रहा था। रोहित ने अत्योन्माद में अपनी पत्नी के सर पर अपना हाथ रखा। अपर्णा के सर के साथ साथ रोहित का हाथ भी ऊपर निचे होने लगा। अचानक ही रोहित के दिमाग में जैसे एक बम सा फटा और एक जोशीले उन्माद से भरा उसके लण्ड के महिम छिद्र से उसके पौरुष का फव्वारा फुट पड़ा। अपनी पत्नी के चेहरे, होँठ, गाल और गर्दन पर फैले हुए अपने वीर्य को देख रोहित गदगद हो उठा।

कई बार अपनी पत्नी को कितनी मिन्नतें करने के बाद भी रोहित अपनी पत्नी को मौखिक चुदाई करने के लिए तैयार नहीं कर पाता था। पर उस रात अपर्णा ने स्वतः ही रोहित के लण्ड को चूस कर उसका वीर्य निकाल कर उसे मंत्रमुग्ध कर दिया था। रोहित समझ ने कोशिश कर रहा था की इसका क्या ख़ास कारण था। रोहित को लगा की कहीं ना कहीं कर्नल साहब का भी कुछ ना कुछ योगदान इसमें था जरूर। दोनों पति पत्नी इतनी मशक्कत करने के बाद आराम के लिए बिस्तर पर कुछ देर तक चुपचाप पड़े रहे।

अपर्णा ने अपना गाउन अपनी जाँघों के भी ऊपर किया और अपने पति की दोनों टांगों को अपनी टांगों में लेकर बोली, "पति देव, कैसा लगा?" रोहित की आँखें तो अपनी बीबी की नंगी चूत देख कर वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। अपर्णा ने जानबूझ कर अपनी खूबसूरत हलके बालों को सावधानी से छँटाई कर सजी हुई चूत अपने पति के दर्शन के लिए खोल दी थी। अपर्णा बड़े ही रूमानी मूड़ में थी। उसकी चूत अपने पति से अच्छी खासी चुदाई करवाने की इच्छा से मचल रही थी। उसकी चूत की फड़कन रुकने का नाम नहीं ले रही थी। अब उसे अपने पति को दोबारा तैयार करना था। पति का हाल में स्खलन हुआ था और अब उसके लिए तैयार होना शायद मुश्किल ही था। पर अपर्णा को चुदाई की जबरदस्त ललक लगी थी। वह अपने पति का लंबा और मोटा लण्ड से अपनी चूत की प्यास को शांत करने की फ़िराक में थी। काफी समयके बाद अपनी पत्नी की ऐसी ललक रोहित को काफी रोमांचित कर उठी। रोहित को याद नहीं था की पिछली बार कब उनकी पत्नी इतनी उत्तेजित हुई थी। उन्होंने जहां तक याद था उसे कभी भी इस तरह चुदाई के लिए बेबाक नहीं पाया था। क्या कर्नल साहब की बात सुनकर वह ऐसी उत्तेजित हो गयी थी? या फिर अपने पति पर ज्यादा ही प्यार आ गया, अचानक? खैर जो भी हो। रोहित को भी अपनी पत्नी को इतना गरम देख कर उत्तेजना हुई। उपरसे अपर्णा उनका लण्ड जो इतने प्यार से सेहला रही थी उसका असर तो होना ही था। रोहित का लण्ड कड़क होने लगा। जैसे रोहित का लण्ड कड़क होने लगा वैसे वैसे अपर्णा ने भी रोहित के लण्ड को हिलाने की फुर्ती बढ़ा दी। देखते ही देखते रोहित का लण्ड एक बार फिर एकदम सख्त और ठोस हो गया। अब उसमें टिकने की क्षमता भी तो ज्यादा होने वाली थी, क्यूंकि एक बार झड़ने के बार वीर्य स्खलन होने में भी थोड़ा समय तो लगता ही है। जैसे ही अपर्णा ने देखा की उसके पति एक बार फिर तैयार हो गए हैं, तो वह धीरे से खिसक कर पलंग पर लेट गयी और अपने पति को उपर चढ़ ने के लिए इशारा किया।

रोहित अपना लंबा फैला हुआ लौड़ा लेकर खड़ा हुआ। उसने अपनी खूबसूरत पत्नी को ऐसे नंगा लेटे हुए देखा तो वह देखता ही रह गया। शादी के इतने सालों के बाद भी अपर्णा के पुरे बदन पर कही भी चरबी का नामो निशान नहीं था। उसकी कमर वैसी ही थी जैसी उनकी शादी के समय थी। उसके पेट का निचे का हिस्सा थोड़ा सा उभरा हुआ जरूर था। पर वह तो हर स्त्री को होता ही है। अपर्णा की चूत साफ़ की हुई दोनों जाँघों के बिच ऐसी छुपी हुई थी जैसे अपने पति का लण्ड देख कर शर्मा रही हो। रोहित ने झुक कर अपनी बीबी की गीली चूत पर अपना लण्ड कुछ पल रगड़ा। इससे वह स्निग्ध हो गया। अब उस लण्ड को चूत के प्रवेशद्वार में घुसनेमें कोई दिक्कत नहीं होगी। रोहित ने अपर्णा के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ा और उन्हें दबा कर प्यारसे मसलने लगा। अपनी पत्नी की फूली निप्पलोंको उँगलियों में ऐसे दबाने लगा जैसे उनमें दूध भरा हो और उनमें से दूध की पिचकारी की धार फुट निकलने वाली हो। दूसरे हाथ से वह अपनी बीबी के कूल्हों को अपनी उँगलियों से दबा रहा था।

एक हल्का सा धक्का लगा कर रोहित ने अपना लण्ड अपनी बीबी की चूतमें धकेल दिया। अपने पति का जाना पहचाना लण्ड पाकर भी अपर्णा उस रात मचल उठी। अपनी चूत में ऐसी गजब की फड़कन अपर्णा ने पहले कभी नहीं महसूस की थी। आज अपने पति के लण्ड में ऐसा क्या था? अपर्णा यह समझ नहीं पा रही थी। अचानक उसे ख्याल आया की सारी बात तो कर्नल साहब की शरारत और चोदने की बात से ही शुरू हुई थी। कहीं ऐसा तो नहीं की अपर्णा के अपने मन में ही खोट हो? अपर्णा खुद भी ना सोचते हुए भी खुद कर्नल साहब से चुदवाने के सपने देख रही हो? यह सोच कर अपर्णा सिहर उठी। उसका रोम रोम काँप उठा। अपर्णा के रोंगटे खड़े हो गए। अपने शरीर में हो रहे रोमांच से अपर्णा को एक अद्भुत आनंद की अनुभूति हुई तो दूसरी और वह यह सोचने लगी की उसको यह क्या हो रहा था? काफी अरसे से सेक्स के बारेमें वह पहले तो कभी इतनी उत्तेजित नहीं हुई थी।

अपर्णा अपने मनमें अपने ही विचारों से डर गयी। जरूर कहीं ना कहीं उसके मन में चोर था। वह चाहती थी की कर्नल साहब उसके बदन को छुएं, सहलाएं, उसकी संवेदनशील इन्द्रियों को स्पर्श करें और उसे उत्तेजित करें। अचानक अपने विचारों में ऐसा धरमूल परिवर्तन अनुभव कर अपर्णा अपने आप से ही डर गयी। उसे चाहिए था की अपनी यह सोच को काबूमें रखे। कहीं यह वासना की आग उनके दाम्पत्य जीवन को झुलस ना दे। खैर, उस समय तो उसे अपने प्यारे पति को वह आनंद देना था जो वह कई महीनों से या शायद बरसोंसे दे नहीं पायी थी। बार बार कोशिश करने पर भी अपर्णा जीतूजी को अपने मन से दूर नहीं कर पायी। अपर्णा के लिए यह बड़ी उलझन थी। एक तरफ वह अपने पति को उस रात सम्भोग का सुख देना चाहती थी और दूसरी और वह किसी और से ही सम्भोग के बारे में सोच रही थी। खैर मन और शरीर का भी अजीब सम्बन्ध है। मन उत्तेजित होता है तो अंग अंग में भी उत्तेजना फ़ैल जाती है। जब अपर्णा बार बार कोशिश करने पर भी अपने जहन से जीतूजी के बारे में सोचना बंद ना कर पायी तो फिर उसने सोचा, यही उत्तेजना से अपने पति को क्यों ना खुश करे, चाहे वह भाव जीतूजी के लिए ही क्यों ना हो? यह सोच कर अपर्णा ने अपनी गाँड़ को ऊपर उठाकर अपने पति को अपना लण्ड चूत में घुसाने के लिए प्रेरित किया। रोहित ने एक हलके धक्के के साथ अपना पूरा लण्ड अपनी बीबी अपर्णा की टाइट चूत में घुसेड़ दिया। अपर्णा के दिमाग में उस रात गजब का उन्माद सवार था। अपर्णा के बदन में उस रात खूब चुदाई करवाने की एक गजब की उत्कंठा थी। अपर्णा का पूरा बदन वासना से जल रहा था। जैसे जैसे रोहित ने अपना लण्ड अपनी पत्नी की चूत में पेलना शुरू किया वैसे वैसे ही अपर्णा की वासना की आग बढ़ती ही गयी। जैसे ही उसका पति अपना लण्ड अपर्णा की चूत में घुसेड़ता ऐसे ही अपना पेडू और गाँड़ ऊपर उठाकर अपने पति के लण्ड को और गहराईयों तक पहुंचाने के लिए अपर्णा अपने बदन से ऊपर धक्का दे रही थी। दोनों ही पति पत्नी अपनी चुदाई की क्रिया में इतने मशगूल थे की उन्हें आसपास की कोई भी सुध ही नहीं थी।

काफी रात जा चुकी थी। कॉलोनी में चारों तरफ सन्नाटा था। उसमें रोहित और अपर्णा, पति पत्नी की चुदाई की "फच्च फच्च" आवाज और उच्च ध्वनि पूर्ण कराहटों से ना सिर्फ रोहित का बैडरूम गूँज रहा था, बल्कि उनके बैडरूमकी खुली खिड़कियों से बाहर निकल कर सामने कर्नल साहब के बैडरूम में भी उसकी गूँज सुनाई दे रही थी।

कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने जब रोहित और अपर्णा के बैडरूम से कराहट की आवाज सुनी तो अपने पति को कोहनी मार कर उठाया और बोली, "सुन रहे हो? तुम्हारी प्यारी शिष्या अपने पति से चुदाई के कुछ पाठ पढ़ रही है। आप उसे गणित पढ़ाते हो और आपका दोस्त अपनी बीबी को चुदाई के पाठ पढ़ाता है। यह ठीकभी है। ऐसा मत करना की कहीं यह किस्सा उलटा ना हो जाए। मैं जानती हूँ की आप गणित के अलावा कई और विषयों में भी निष्णात हो। पर आप उसे गणित के अलावा कोई और पाठ मत पढ़ाना।" गहरी नींद में सो रहे कर्नल साहब ने करवट ली और बोले, "सो जाओ, डार्लिंग। तुम रोहित क्या पाठ पढ़ा सकता है उसके बारे में ज्यादा मत सोचो। कहीं तुम्हारा मन वह पाठ पढ़ने के लिए तो नहीं मचल रहा?"

उस रात रोहित और उसकी पत्नी अपर्णा में बड़ी घमासान चुदाई हुई। बड़ी कोशिश करने पर भी उस रात शायद अपर्णा को वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाया ऐसा रोहित को महसूस हुआ। हालांकि उसकी पत्नी ने रोहित को उस रात ऐसा प्यार का तोहफा दिया था जिसके लिए महींनों सो रोहित तड़प रहा था।

अपर्णा की पढ़ाई जोरो शोरों से चल रही थी। कर्नल साहब भी रात रात भर खुद पढ़ाई करते और दूसरे दिन आकर रोहित की पत्नी अपर्णा को पढ़ाते। वक्त कहाँ जा रहा था पता ही नहीं चला। देखते ही देखते परीक्षा का समय आ गया। परीक्षा तीन दिन के बाद होने वाली थी की अचानक खबर आयी की परीक्षा का पेपर लिक हो गया और परीक्षा कुछ दिनों के लिए पीछे धकेल दी गयी। इतनी महेनत करने के बाद जब ऐसा हुआ तो रोहित की पत्नी अपर्णा एकदम निराश हो गयी। वह थक चुकी थी। उसे थोड़ा तनाव मुक्त समय चाहिए था। उधर कर्नल साहब भी बड़े दुखी थे। उन्हें लगा की जैसे सारी मेहनत पर पानी फिर गया।

रोहित की पत्नी अपर्णा ने एक दिन तंग आकर रोहित से कहा, "अब यह सस्पेंस जान लेवा हो रहा है। लगता है कुछ देर ही सही, हमें इस झंझट से हटकर हमारा दिमाग कहीं ऐसी प्रक्रिया में लगाना चाहिए जिससे हमारा ध्यान परीक्षा और परिणाम से हट जाए। कई बार तो मेरा मन करता है की मैं शराब पीकर ही थोड़ी देर टुन्न हो जाऊं और वर्तमान भूल जाऊं।" रोहितकी पत्नी अपर्णा शराब नहीं पीती थी। जब उसने यह कह दिया तो रोहित समझ गए की वह कितनी थक गयी है और उसे कुछ मनोरंजन या कुछ क्रीड़ा की आवश्यकता है जिससे उसका मन कुछ देर के लिए ही सही पर यह तनाव और दबाव से हट जाए। रोहित ने सोचा क्यों ना वह अपनी पत्नी अपर्णा को कहीं बाहर घुमाने के लिए ले जाए? पर वह असंभव था। रोहित को भी बहुत काम था और अपर्णा की परीक्षा का दिन कभी भी आ सकता था। तो फिर वह कैसे अपर्णा का मन बहलाये? फिर रोहित ने मन में आया की अपर्णा को कोई चुदाई की ब्लू फिल्म दिखानी चाहिए। पर रोहित जानता था की अपर्णा को ब्लू फिल्म में कोई दिलचश्पी नहीं थी। वह कहती थी, "अरे इसमें क्या है? यह तो स्त्रियाँ पैसे कमाने के लिए करती हैं। और फिर ऐसा तो हम हर रोज करते ही हैं।" तो वह क्या करे? तब फिर अचानक उसे कर्नल साहब की याद आयी।

रोहित ने कर्नल साहब को फ़ोन कर अपर्णा के मन की उलझन बतायी। कर्नल साहब ने हंसकर कहा, "अपर्णा की बात एकदम सही है। मैं खुद भी थक चुका हूँ। मैं खुद भी सोचता हूँ की कहीं कुछ ऐसा करूँ की उस में ही उलझ जाऊं और यह गणित, परीक्षा और तनाव से दूर हो जाऊं। रोहित मेरी बात मानो तो मेरे पास एक ऐसा इलाज है की हम सब थोड़ी देर के लिए यह सब भूल जाएंगे।"

रोहित ने पूछा, "क्या बात है?'

कर्नल साहब ने कहा, "एक फॉरेन फिल्म फेस्टिवल चल रहा है। उसमें एक अनसेंसर्ड फिल्म "पति पत्नी और पडोसी" काफी चर्चे में है। पिक्चर एकदम इमोशनल है पर उसमें काफी धमाकेदार सेक्स के सीन हैं। मैं चाहता हूँ की तुम दोनों और हम दोनों एक साथ यह पिक्चर देखें। पर पता नहीं अपर्णा तैयार होगी क्या?"

रोहित ने कहा, "मैं अपर्णा से बात करता हूँ। आप श्रेया से बात करो।"

कर्नल साहब ने कहा, "मुझे श्रेया से बात करने की जरुरत नहीं है, क्यूंकि यह पिक्चर की बात श्रेया ने ही मुझे कही थी। उसकी एक सहेली यह पिक्चर देख कर आयी थी और उसे ही श्रेया ने कहा था। श्रेया को इस पिक्चर के बारेमें सब पता है।"

रोहित ने कहा, "ठीक है मैं अपर्णा से बात करता हूँ। पता नहीं पर अगर मैं कहूंगा की आपने कहा है तो शायद वह मान जाए।"

जब रोहित ने अपनी पत्नी अपर्णासे इस के बारेमें कुछ ऐसे बताया। रोहित ने कहा, "डार्लिंग तुम कहती थी ना की तुम कुछ देर के लिए ही सही, कुछ एकदम धमाकेदार और उत्तेजना भरा कुछ अनुभव करना चाहती हो?" अपर्णा ने अपने पति की और देख कर अपना सर हाँ में हिलाया तो रोहित ने कहा, "डार्लिंग एक फिल्म फेस्टिवल चल रहा है उसमें गजब की अवॉर्ड प्राप्त फिल्मों को दिखाया जा रहा है। कर्नल साहब ने हमारे चारों के लिए एक बहुत अच्छी फिल्म के चार टिकट बुक कराएं हैं। फिल्म थोड़ी ज्यादा सेक्सी और धमाके दार है। तीन घंटे के लिए हम सब का दिमाग कुछ उत्तेजित हो जायेगा जिससे हम यह सब भूल जाएंगे। तुम क्या कहती हो?"

अपर्णा ने कहा, " अच्छा? कर्नल साहब ने हम चारों के लिए टिकट बुक कराये हैं? सेक्सी पिक्चर है? चलो ठीक है सेक्सी पिक्चर है तो कोई बात नहीं। देखिये मुझे जाने में कोई एतराज नहीं है, पर मैं अंग्रेजी भाषा नहीं अच्छी तरह नहीं समझती। मैं कुछ समझूंगी नहीं। मैं भी बोर होउंगी और आपको भी पूछ पूछ कर बोर करुँगी। आप मुझे ना ही ले जाओ तो अच्छा है। दुसरा जीतूजी के साथ ऐसी पिक्चर देखना क्या सही है? वह और श्रेया जी साथ जाएं तो ठीक है। पर हम चारों का एक साथ जाना?

रोहित ने अपनी पत्नी की बात को बिच में ही काटते हुए कहा, "पर कर्नल साहब की खास इच्छा है की तुम जरुर चलो। जहां तक भाषा का सवाल है तो कर्नल साहब और श्रेया तुम्हे सब बताते जाएंगे। मजा आएगा। चलो ना! मना करके सब का दिल मत दुखाओ यार।"

कुछ मिन्नतें करनेपर अपर्णा तैयारहो गयी। रोहित ने कर्नल साहब को समाचार सूना दिया। अपर्णा पहेली बार कोई विदेशी फिल्मोत्सव में जा रही थी। जब उसने रोहित से पूछा की कौन सा ड्रेस सही रहेगा तो रोहित ने मजेके लहजेमें कहा, "डार्लिंग हम विदेशी फिल्म देखने जा रहे हैं, जहां काफी विदेशी लोग भी आएंगे। तो क्यों नहीं तुम वो वाली छोटी स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहनो, जो मैंने तुम्हें हमारी शादी की साल गिराह पर दिए थे और जो तुमने कभी नहीं पहने? आज मस्ती का ही माहौल बनाना है तो फिर ड्रेस भी मस्ती वाला ही क्यों ना पहना जाए? क्यों ना आज पानी में आग लगा दी जाए?"

रोहित की पत्नी ने अपने पति की और देखा और हँस पड़ी, और बोली, "ठीक है, पतिदेव का हुक्म सर आँखों पर। पर मुझे जीतूजी के सामने वह ड्रेस पहन कर जाने में शर्म आएगी। वह बहुत ही छोटा ड्रेस है। फिर आप कह रहे हो की पिक्चर भी बड़ी सेक्सी है। तो कहीं आग ज्यादा ही ना लग जाए और हम भी कहीं उस आग में झुलस ना जाएं? जीतूजी मुझे ऐसे देखेंगे तो क्या सोचेंगे? यह सोचा है तुमने?" मज़ाक के लहजे में अपर्णा ने भी अपने पति से कह दिया।

रोहित ने आँख मटक कर कहा, "उन पर तो बिजली ही गिर जायेगी। पर बिजली भी तो गिरना जरुरी है। भाई आपके गुरूजी ने आपके लिए दिन रात एक कर दिए हैं। आज तक उन्होंने तुम्हारा विद्यार्थिनी वाला रूप ही देखा है। आज तुम अपना कामिनी और मोहिनी रूप दिखाओ उनको। देखो यह एक गहराई की बात है। यह हम भले ही एक दूसरे को ना बतायें पर हम सब जानते हैं की वह तुम्हारे दीवाने हैं, तुम पर फ़िदा हैं। तुम्हारा इस रूप देख कर उन पर क्या बीतेगी वह तो वह जानें, पर मैं आज इतना कह सकता हूँ की आज वह हॉल में मेरी बीबी के जैसी खूबसूरत बीबी किसीकी नहीं होगी।" एक पत्नी जब अपने पति के मुंह से ऐसी प्रशस्ति वचन या प्रसंशा सुनती है तो पत्नी के लिए उससे बड़ा कोई भी उपहार नहीं हो सकता। वह समझती है की उसका जीवन धन्य हो गया।

जब अपर्णा फिल्म फेस्टिवलमें जानेके लिए छोटी स्कर्ट और पतला सा छोटा ब्लाउज पहन के बाहर आयी तो उसे देख कर रोहित की हवा ही निकल गयी। वह स्कर्ट और ब्लाउज में रोहित ने अपनी बीबी को पहले नहीं देखा था। ऐसा लगता था जैसे रम्भा अप्सरा स्वर्ग से निचे उतर कर कोई ऋषि मुनि के तप का भंग कराने के लिए आयी हो। उस दिन कहीं कहीं कुछ बारिश हो रही थी। गर्मी थी इस लिए हवामें काफी उमस भी थी। पर ऐसा लगता था की उस शाम बारिश जरूर होगी। चूँकि अपर्णा को सिनेमा हॉल में तेज A.C. के कारण अक्सर ठण्ड लगती थी, अपर्णा ने अपने और अपने पति के लिए दो शॉल ली और निचे उतरी। कर्नल साहब और श्रेया उनका इंतजार ही कर रहे थे। जब कर्नल साहब ने अपनी शिष्या का मोहिनी रूप देखा तो उनकी आँखें फटी की फटी ही रह गयीं।

उन्होंने जो रूप सपने में देखा था (और शायद उसे कई बार अपने हाथों से निर्वस्त्र भी किया होगा) वह उनके सामने था। छोटी सी चोली में अपर्णा के मदमस्त स्तन उभर कर ऐसे दिख रहे थे जैसे दो छोटे पहाड़ किसी प्रेमी के हाथों को उन पर सैर करने का आमंत्रण दे रहे हों। चोली के ऊपर से अपर्णा के स्तनों का उदार उभार साफ़ दिख रहा था। वह उभार उन स्तनों की निप्पलोँ से थोड़ा सा ऊपर तक जा कर ब्रा के पीछे ओझल हो जाता था। कोई भी रसिक मर्द को इससे स्वाभाविक ही कुंठा या निराशा होगी। ऐसा महसूस होगा जैसे नाव किनारे तक आ कर डूब गयी। वह सोचने लगते, अरे चोली या ब्रा थोड़ी सी और निचे होती तो क्या हो जाता? होँठ की तेज लाली और उसके गले का निखार कर्नल साहब ने उस दिन तक कभी ध्यान से देखा ही नहीं था। अपर्णा के गाल कुदरती लालिमा से लाल थे। आँखों की तो बात ही क्या? काजल से अंकित आँखों की पलकें जैसे आतुरता से कोई प्रश्न पूछ रही हों और स्त्री सुलभ लज्जा से झुक कर आँखों से आँखें मिलाने से कतराती हों। आँखें ऐसी कामुक लग रही थी जैसे जीतूजी को अपने करीब बुला रही हों।

अपर्णा की नोकीली नाक ऐसे लगती थी जैसे उन्हें किसी उमदा चित्रकार ने बड़े प्यार और ध्यान से बनाया हो। शर्म से हँसने के लिए आतुर हों ऐसे आधे खुले हुए होँठ की पंखुड़ियां जैसे तीर छोड़ने के बाद के धनुष्य के सामान दिख रहे थे। छोटी सी चोली के तले से निचे अपर्णा की नंगी कमर के सारे उतार चढ़ाव और घुमाव इतने लुभावने एवं कामुक थे की कर्नल साहब की नजरें वहाँ से हटने का नाम नहीं ले रही थीं। स्कर्ट का छोर घुटनों से काफी ऊपर होने के कारण अपर्णा की मुलायम, सपाट, सुआकार और चिकनी जाँघें देखते ही बनती थी। किसी भी मर्द की नजरें जब उनपर पड़ेंगी तो जाहिर है, फिर वही समंदर के किनारे तक पहुंचकर पानी में डूब जाने वाली निराशा दिमाग पर हावी हो जाएगी।

जब अपर्णा ने कर्नल साहब को देखा तो अपने चमकते दाँत खोल कर सुन्दर मुस्कान दी और दोनों हाथ जोड़ कर नमस्ते करते हुए बोली, "आपको इंतजार कराने के लिए माफ़ करें जीतूजी।"फिर जीतूजी की पत्नी श्रेया की और मुड़कर उनके हाथ थाम कर बोली, "श्रेया जी आप बड़ी खूबसूरत लग रही हो।"

श्रेया ने पट से पलटवार किया और बोली, "कहर तो आप ढा रही हो अपर्णा। आज तो तुम्हें देख कर कई मर्द लोग घायल हो जाएंगे।" फिर अपने पति की अपर्णा के बदन पर गड़ी हुई निगाहें देख कर बोली, "तुम्हारे निचे उतरते ही घायलों की गिनती शुरू हो चुकी है।"

शायद बाकी तीनों ने श्रेया के उस कटाक्ष को सूना नहीं या फिर उसपर ध्यान नहीं दिया। पर रोहित का पूरा ध्यान श्रेया के बदन पर केंद्रित था। कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने टाइट स्लैक्स और ऊपर टाइट टॉप पहन रखी थी। इससे उनके स्तनों का उभार भी अच्छे खासे मर्दों का लण्ड खड़ा करने के काबिल था। सबसे खूबसूरत श्रेया के सुआकार कूल्हे (जो की बिलकुल ही ज्यादा बड़े नहीं थे) टाइट स्लैक्स में बड़े उन्नत बाहर निकले हुए लग रहे थे। दोनों जाँघों के बिच की दरार रोहित की आँखों को बेचैन करने में सक्षम थीं। दोनों जनाब एक दूसरे की बीबी को पूरी कामुकता से नजरें चुराकर देख रहे थे। पर भला बीबियों से यह कहाँ छुपता? जब कर्नल साहब की बीबी श्रेया के बार बार गला खुंखारने पर भी कर्नल साहब रोहित की बीबी अपर्णा के बदन पर से अपनी नजरें हटा नहीं पाए तो उस ने धीरे से अपने शौहर को अपनी कोहनी मारकर अवगत कराया की वह बाहर काफी लोग आसपास खड़े हैं और बेहतर है वह सज्जनता के दायरे में ही रहें। अपर्णा तो बेचारी श्रेया के पति जीतूजी की लोलुप नजरें जो उसके बदन का पूरा मुआइना कर रहीं थी, उसे देखकर सकुचा और सहमा कर शर्म के मारे इधर उधर नजरें घुमा कर यह जताने की कोशिश कर रही थी की जैसे उसने कर्नल साहब की नजरों को देखा ही नहीं। उसे समझ नहीं आ रहा था की ऐसे कपडे पहनने के बाद वह अपना बदन कैसे छुपाए? इतनी गर्मी और उमस होते हुए भी, रोहित की बीबी श्रेया ने अपने पास रखी हुई एक शाल शर्म के मारे अपने कंधे पर डाल दी और अपनी छाती को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।

उनके घर के पास ही मेट्रो स्टेशन था। जब चारों चलने लगे तो कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने अपर्णा के पास आकर धीरे से उसकी शाल अपने हाथ में ले ली और हँस कर बोली, "इतनी गर्मी में इसकी कोई जरुरत नहीं। तुम जैसी हो ठीक हो। तुम बला की खूबसूरत लग रही हो। आज तो मेरा भी मन कर रहा है की मैं तुमसे लिपट जाऊं और खूब प्यार करूँ। मैं भी मेरे पति की जगह होती तो तुम्हें मेरी आँखों से नोंच खाती।"

रोहित की पत्नी अपर्णा ने शर्माते हुए कहा, "श्रेया जी मेरी टांगें मत खींचिए। यह वेश मेरे पति ने मुझे जबरदस्ती पहनने के लिए बोला है। मैं तो आपके सामने कुछ भी नहीं। आप गझब की खूबसूरत लग रही हो।"

जब चारों साथ में चलने लगे तो कर्नल साहब की पत्नी श्रेया रोहित के साथ हो गयी और उनसे बातें करने लगीं। रोहित की पत्नी अपर्णा की चप्पल में कुछ कंकर जैसा उसे चुभने लगा तो वह रुक गयी और अपनी चप्पल निकाल कर उसने कंकर को निकाला। यह देख कर कर्नल साहब भी रुक गए। रोहित और श्रेया बात करते हुए आगे निकल गए। उन्होंने ध्यान नहीं दिया की अपर्णा और कर्नल साहब रुक गए थे। कर्नल साहब ने देखा की रोहित की पत्नी अपर्णा अपनी टाँगे उठा कर अपनी चप्पल साफ़ करने में लगी थीं तो उनसे रहा नहीं गया। वह अपर्णा को मदद करने के बहाने या फिर साथ देने के लिए रुक गए और जब सब कुछ ठीक हो गया तो कर्नल साहब और अपर्णा भी एक साथ धीरे धीरे साथमें चलने लगे। रास्ते में कर्नल साहब अपर्णा से इधर उधर की बातें करने लगे। मेट्रो स्टेशन पर काफी भीड़ थी। अपर्णा ने अपने पति और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया को खोजने के लिए इधर उधर देखा पर वह कहीं नजर नहीं आये। जब तक कर्नल साहब टिकट ले आये तब तक एक ट्रैन जा चुकी थी। स्टेशन पर फिर भी काफी यात्री थे। शायद रोहित और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया पिछली मेट्रो ट्रैन में निकल चुके थे।

कर्नल साहब ने रोहित को फ़ोन किया तो रोहित ने उन्हें अगली ट्रैन मैं आने को कहा। उतनी देर में स्टेशन पर फिर भीड़ हो गयी। दूसरी मेट्रो तीन मिनट में ही आ गयी और अपर्णा और कर्नल साहब ट्रैन में चढ़ने लगे। थोड़ी सी अफरातफरी के कारण किसी के धक्के से एक बार अपर्णा लड़खड़ाई तो कर्नल साहब ने उसे पकड़ कर अपनी बाँहों में घेर लिया और खड़ा किया। डिब्बा खचाखच भरा हुआ था। राहत की बात यह थी की दोनों को एक साथ बैठने की जगह मिली थी। काफी भीड़ के कारण वह एक दूसरे से भींच के बैठे हुए थे।

कर्नल साहब की जांघें अपर्णा की जाँघों से कस कर जकड़ी हुई थीं। कर्नल साहब की कोहनी बार बार अपर्णा के स्तनों को दबा रही थी। अपर्णा ने भी यह महसूस किया। अपर्णा कर्नल साहब को गौरसे देखने लगी। कर्नल साहब शर्ट और जीन्स पहने हुए बड़े ही आकर्षक लग रहे थे। उनके शर्ट की आस्तीन मुड़ी हुई उनकी कोहनी के ऊपर तक लपेटी हुई थी। उसके ऊपर उन्होंने आधी आस्तीन वाला जैकेट पहना हुआ था। कर्नल साहब के शशक्त मसल्स बाहु के स्नायु उभरे हुए मरदाना दिख रहे थे। अपर्णा का मन किया की वह उन बाजुओं के स्नायुओँ को सहलाकर महसूस करे। नियमित व्यायाम करने के कारण अपर्णा फिटनेस की हिमायती थी। उसे कड़े बदन वाले कर्नल साहब के मरदाना बाजु आकर्षक लगे। उसने अपना हाथ कर्नल साहब के डोले पर फिराते हुए पूछ ही लिया, "जीतूजी, आपके डोले तो वाकई बॉलीवुड हीरो की तरह हैं। क्या आप वजन उठाने की कसरत भी करते हैं?" कर्नल साहब अपर्णा की नजर देख कर थोड़े से खिसिया गए पर फिर अपने आपको सम्हालते हुए बोले, "मैं जिम में रोज एक घंटा वेट ट्रेनिंग करता हूँ।" करीब आधे घंटे के सफर के दौरान कर्नल साहब की बाजुएँ बार बार अपर्णा की छाती और स्तनों से टकराती रहीं। अपर्णा को नहीं समझ आ रहा था की वह सहज रूप से ही था या फिर जान बूझकर।

अपर्णा को भी अपने अंदर एक अजीब सी उत्तेजना महसूस हो रही थी। उसे जीतूजी की यह हरकत अगर जानी समझी हुई भी थी तो भी अच्छा लग रहा था। वह चुपचाप जैसे उसे पता ही नहीं था ऐसे उस हरकतों को महसूस करती हुई बैठी रही। ना चाहते हुए भी अपर्णा की नजर कर्नल साहब की टांगों के बिच बरबस ही जा पहुंची। उसके बदन में कंपकंपी फ़ैल गयी जब उसने देखा की कर्नल साहब के इतने मोटे जीन्स में से भी उनके लण्ड के खड़े हो जाने से उनके पॉंवों के बिच जैसे एक तम्बू सा फुला हुआ दिखाई पड़ रहा था। इससे अपर्णा के लिए यह अंदाज करना कठिन नहीं था की कर्नल साहब का लण्ड काफी मोटा, लंबा और कड़क होगा। कर्नल साहब की जाँघों से जाँघें टकराते हुए कहीं ना कहीं रोहित की पत्नी अपर्णा मन ही मन में यह सोचने लगी की जिनकी बाँहें इतनी करारी और और जांघें इतनी सख्त हैं, जिनका बदन इतना लम्बा, पतला और चुस्त है तो उनका लण्ड कैसा मोटा और कितना बड़ा होगा! जब वह अपनी बीबी को चोदते होंगे तब वह उनके लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर कैसा महसूस करती होगी! यह सोच कर अपर्णा के बदन में एक रोमांचक सिहरन फ़ैल गयी, फिर अपने आप पर तिरस्कार करती हुई सोचने लगी, "मेरे मन में ऐसे घटिया विचार क्यों आते हैं?" स्टेशन पर भी जब अपने पति रोहित को नहीं देखा तो अपर्णा के मन में अजीब से विचार आने लगे। इधर वह कर्नल साहब के बारे में उलटा पुल्टा सोच रही थी तो कहीं ऐसा तो नहीं की रोहित कर्नल साहब की बीबी श्रेया के साथ कुछ हरकत ना कर रहें हों? कर्नल साहब ने अपर्णा का हाथ थामा और स्टेशन से जब बाहर निकले तो पाया की बारिश की बूँदाबाँदी शुरू हो गयी थी और मौसम भी कुछ ठंडा हो गया था। अपर्णा बारिश से अपने आप को बचाने की कोशिश करने लगी। यह देख कर कर्नल साहब ने अपना आधी आस्तीन वाला जैकेट खोल दिया और अपर्णा के सर पर रख उसके कन्धों पर डाल दिया।

दोनों ही हाथ में हाथ थामे स्टेशन से बाहर निकल कर रास्ते पर आये तब अपर्णा ने अपने पति रोहित को श्रेया के साथ स्टेशन के सामने ही एक छोटी सी चाय की दूकान पर चाय पीते हुए बातें करते देखा। वह दोनों कर्नल साहब और अपर्णा का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही अपर्णा ने अपने पति रोहित और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया को देखा की तुरंत कर्नल साहब का हाथ छुड़ा कर अपर्णा फ़ौरन अपने पति रोहित के पास पहुँच कर उनसे थोड़ा सा चिपक कर खड़ी हुई। रोहित ने अपनी पत्नी की और देखा और पूछा, "क्या बात है, जानू तुम थोड़ी परेशान सी लग रही हो?" उसकी बात सुनकर फ़ौरन कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने शरारती ढंग से पूछा, "अपर्णा, तुम्हें कहीं मेरे पति ने रास्ते में परेशान तो नहीं किया?" सहमी हुई अपर्णा थोड़ा सा शर्म के मारे बोली, "नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं। पर ट्रैन में बड़ी भीड़ थी।" श्रेया और रोहित कोई बात पर कुछ बहस कर रहे थे। श्रेया ने रोहित को बिच में ही रोक कर अपने पति कर्नल साहब को पूछा, "आप दोनों चाय पिएंगे क्या?" कर्नल साहब ने दो टिकट रोहित के हाथ में थमाते हुए कहा, "हम चाय पी कर आते हैं। आप दोनों चलिए, अपनी बातें करते रहिये पर जल्दी हॉल पहुँच कर सीट ब्लॉक कर दीजिये। हम चाय पी कर आपको जल्दी ही हॉल में मिलते हैं।" रोहित और कर्नल साहब की पत्नी श्रेया बातें करते हुए चल दिए। हॉल में पहुँचते ही, आखिरी लाइन में कोने की चार सीट देख कर रोहित आखिरी कोने वाली सीट पर बैठ गए। उनके पास कर्नल साहब की पत्नी श्रेया बैठ गयी। उनके पीछे आने जाने की लिए पैसेज था। हॉल काफी भर चुकाथा। एक दो इधर उधर सीटों को छोड़ कार कहीं खाली सीटें नहीं दिख रही थीं।

थोड़ी ही देर में कर्नल साहब और रोहित की पत्नी अपर्णा भी पहुंच गए। अपर्णा ने देखा की उसे कर्नल साहब के साथ बैठना पडेगा। तो वह अपने पति की और देखने लगी। रोहित कर्नल साहब की पत्नी श्रेया से बातें करने में मशगूल थे। रोहित ने देखा की उनकी पत्नी अपर्णा उनसे कुछ इशारे कर रही थी। रोहितने अपर्णा को पीछे के पैसेज से उसको अपने पास आने को कहा। अपर्णा उठ कर रोहित की सीट के पीछे आयी, अपर्णा ने अपने पति रोहित से कानमें फुसफुसाते हुए कहा (जिससे श्रेया उनकी बातें ना सुन सके), "अरे मेरे साथ तो कर्नल साहब बैठेंगे। आप कहा इतनी दूर बैठ गए? आपको मेरे साथ बैठना चाहिए था ना? आप तो कह रहे थे पिक्चर सेक्सी है तो फिर मैं कर्नल साहब के पास कैसे बैठ सकती हूँ?"

रोहित ने अपनी पत्नी से बड़ी धीरज के साथ कहा, "जाने मन, तुम कह रही थी ना, तुम्हें अंग्रेजी भाषा समझ ने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। तो कर्नल साहब और उनकी पत्नी श्रेया तुम्हारी दोनों तरफ बैठे हैं। तुम जब चाहे उनसे जो समझ ना आये वह पूछ सकती हो l जहां कर्नल साहब से पूछने में झिझक होती हो तो श्रेया जी दुसरी और बैठे हैं, उनसे पूछ लेना। वह तुम्हें सब समझा देंगे। देखो मैं भी इतनी जीभ तोड़ मरोड़ कर बोलने वाली अंग्रेजी, जैसे यह लोग पिक्चर में बोलते हैं, नहीं समझ पाता हूँ। इसी लिए मैं भी श्रेया के पास बैठा हूँ।"

अपर्णा को मन में शक हुआ की कहीं ऐसा तो नहीं की अपने पति रोहित ही श्रेया जी के साथ बैठने के लिए यह तिकड़म कर रहें हों? पर उस समय ज्यादा सोचने का समय नहीं था

अपर्णा ने फिर अपने पति के कानों में कहा, "अँधेरे में कहीं कुछ गड़बड़ हो गयी तो? तुम भी जानते हो की कर्नल साहब ज़रा ज्यादा ही रोमांटिक हैं। वह कहीं उत्तेजित हो गए तो मैं क्या करुँगी?"

रोहित ने अपनी बीबी की बातों को रद्द करते हुए कहा, "तुम क्यों सोचती हो की ऐसा कुछ होगा? और क्या हो सकता है? ज्यादा से ज्यादा वह तुम्हें छू ही लेंगे ना? उन्होंने तुम्हें इधर उधर छुआ तो कई बार है। तो फिर इतना क्यों घबड़ा रही हो? देखो, वह तुम्हारे लिए इतनी महेनत करते हैं। तो तुम क्यों इतनी परेशान होती हो? अगर मान लो उन्होंने तुम्हें कहीं छू लिया तो क्या हो जाएगा? उसने आगे कहा, जहां तक मैं जानता हूँ वह पैसे तो लेंगे नहीं। तो फिर और हम उनके लिए क्या कर सकते हैं? तुम निश्चिन्त हो कर बैठो। अगर तुम अब यह सीट बदलोगी तो हो सकता है उनको बुरा लगे। अगर वह नाखुश हो तो वह अच्छी बात नहीं। मेरा ऐसा मानना है की एक अच्छी विद्यार्थीनी की तरह तुम्हें उन्हें खुश रखना चाहिए और उनके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। बाकी तुम खुद समझदार हो। जैसा तुम्हे ठीक लगे करो।"

रोहित की बात सुनकर अपर्णा ने थोड़ी देर अपने पति की और कुछ संकोच और कुछ हिचकिचाहट से देखा। रोहित ने अपनी पत्नी के हाथ दबा कर उसे विश्वास दिलाया की चिंता की कोई बात नहीं थी। तो रोहित की पत्नी अपर्णा को कुछ संतुष्टि हुई और वह वापस कर्नल साहब के बगल में अपनी कुर्सी पर आ कर बैठ गयी। कर्नल साहब ने देखा की अपर्णा के चेहरे पर कुछ उलझन थी तो उन्होंने पूछा, "क्या बात है, अपर्णा? आप कुछ परेशान लग रही हो? कहीं आप को मेरे साथ बैठने में कोई आपत्ति तो नहीं? अगर ऐसा है तो मैं अपनी सीट चेंज कर देता हूँ।"

अपर्णा ने कर्नल साहब का हाथ पकड़ कर बोला, "नहीं जीतूजी ऐसी कोई बात नहीं। बल्कि मैं आपके साथ ही बैठना चाहती हूँ।" फिर अपर्णा ने सोचा की कहीं कर्नल साहब उसकी बात का गलत मतलब ना निकाले इस लिए वह श्रेया सुन सके ऐसे बोली, "क्यूंकि, मैं पिक्चर की अंग्रेजी की बोली अच्छी तरह से नहीं समझ पाती इस लिए जब भी जरुरत होगी मैं आपसे पूछूँगी। आप दोनों मुझे समझाना।" कर्नल साहब ने अपर्णा का हाथ पकड़ कर उसे दिलासा दिलाया की वह जरूर अपर्णा को सारे डॉयलोग समझायगे​
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