Update 04

परदे पर पिक्चर शुरू हो चुकी थी। कहानी कुछ ऐसी थी। एक युवा और युवती समंदर में "सी सर्फिंग" (समंदर की सतह पर समंदर की ऊँची ऊँची मौजों पर सपाट लकड़ी के फट्टे पर खड़े होकर या लेट कर फिसलना) कर रहे थे। उस समय वह दोनों के अलावा वहां और कोई नहीं था। Bhaiदोनों ही अपनी धुन में मस्त सर्फिंग कर रहे थे की अचानक लड़की लकड़ी के फट्टे से गिर पड़ी और एक पत्थर से उसकी टक्कर होने के कारण बेहोश हो गयी। वह युवक ने लड़की को पानी से निकाल कर समंदर के किनारे लिटाया और लड़की के भरे हुए उभरे स्तनोँ पर अपने दोनों हाथों की हथेलियां रख कर उन्हें जोर से दबाकर लड़की के पेट में से पानी निकालने के लिए और उसकी साँस फिर से चालु हो इस लिए बार बार धक्के मार कर लड़की को होश में लाने की कोशिश करने लगा। जब लड़की के मुंह से काफी पानी निकल गया और वह होशमें आयी और उसकी आँख खुली तो उसने लड़के को देखा। वह समझ गयी की लड़के ने उसकी जान बचाई थी। वह बैठ गयी और लड़के को अपनी बाहों में लेकर उससे लिपट गयी और लड़के के मुंह से अपना मुंह चिपका कर उसने लड़के को एक गहरा चुम्बन दे डाला।

धीरे धीरे दोनों एक दूसरे की और आकर्षित हुए। उस दिन के बाद दोनों फिर साथ में ही सर्फिंग करने लगे। एक बार वह लड़की जब समंदर से निकल कर अपना ड्रेस बदल रही थी तब उसने थोड़ी दूर खड़े हुए उस लड़के की और टेढ़ी नजर से देखा। निगाहों से निगाहें मिलीं और प्यार का इशारा हुआ। लड़के ने तौलिये में लिपटी हुई लड़की को अपनी बाहों में ले लिया। तौलिया गिर गया और नंगी लड़की निक्कर पहने हुए लड़के से लिपट गयी। लड़की ने अपने हाथ से लड़के की निकर निचे खिसका दी। दो नंगे बदन समंदर के किनारे एक दूसरे से लिपटे हुए प्रगाढ़ चुम्बन में लिप्त एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे। परदे पर जब यह दृश्य चल रहाथा तो अपर्णाने महसूस किया की कर्नल साहब ने अपर्णा का हाथ जो की शुरू से ही कर्नल साहब के हाथ में ही था, को उत्तेजना में दबाया। अपर्णा भी परदे के दृश्य इतने कामोत्तेजक थे की अपर्णा भी उनका हाथ हटा नहीं सकी। अपर्णा के मनमें कई उफान उठ रहे थे। कर्नल साहब ने फिल्म को देखते हुए अपर्णा का हाथ और दबाया।

हॉल में एक किनारे सिकुड़ कर बैठी हुई बेचारी अपर्णा के हालात अजीब से ही थे। वह हॉल में जहां देखती थी सब जगह युगल ही युगल थे जो इन उन्मादपूर्ण दृश्यों को देख कर चोरी छुपी एक दूसरे की गोद में टांगों के बिच हाथ डालकर एक दूसरे के लण्ड या चूत को सहला रहे थे। शर्म या औचित्य के कारण कुछ युगल अपने कपड़ों से ढके हुए उसके निचे यह सब कर रहे थे और कुछ खुल्लम खुल्ला हॉल के अँधेरे का लाभ लेकर यह सब कर रहे थे। इन दृश्यों का असर अपर्णा पर भी तो होना ही था।

वैसे भी अपर्णा पिछले कुछ दिनों से कुछ ज्यादा ही चंचलता अनुभव कर रही थी। उसके पतिने उसे पिछली कुछ रातों से कर्नल साहब का नाम लेकर उकसाना और छेड़ना शुरू किया था।

अपर्णा ने अनुभव किया की उसकी चूत गीली हो चुकी थी और फिर भी उसकी चूत में से पानी रिसना कम नहीं हो रहा था। उसको अपनी चूत में अजीब सी चंचलता और फड़कन महसूस हो रही थी। अपर्णा ने अपने पति को मन ही मन कोसना शुरू किया की क्यों नहीं वह इस वक्त उनके पास बैठे? उसका मन कर रहा था की कोई उसकी दो टाँगों के बिच में और युगल की तरह ही हाथ डालकर उसकी चूत को सहलाये। अपर्णा ने एक और बैठे कर्नल साहबकी और देखा तो वह बेचारे अपना फुला हुआ लण्ड जो उनके पतलून में फनफना रहा होगा उसको सम्हाल ने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। उनकी पत्नी उनसे दूर दूसरे छोर पर अपर्णा के पति रोहित के पास बैठी हुई थी। अपर्णा सोचने लगी की कर्नल साहब का भी मन कर रहा होगा की उनके लण्ड को कोई सहलाये। यह साफ़ था की कर्नल साहब परदे के दृश्य से इतने प्रभावित थे की अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे। कर्नल साहब के हाथ के हाथ से अपनी कलाई दबाते ही अपर्णा के पुरे बदन में सिहरन फ़ैल गयी। उसके रोंगटे खड़े हो गए। वह एक अजीब उधेड़बुन में फँसी थी। क्या वह कर्नल साहब का हाथ वहीँ रहने दे या उसे हटा दे। अपर्णा कुछ तय नहीं कर पा रही थी। शायद कर्नल साहब ने उसे अपर्णा की रजामंदी समझकर उसका हाथ पकड़ा और धीरे से सरका कर अपनी दो टाँगों के बिच रख दिया और फिर अपना हाथ हटा लिया।

उधर परदे पर लड़की ने लड़के का मोटा और लंबा लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। लड़का भी लड़की की पीठ, गाँड़ और जाँघों को सहलाने और टटोलने लगा। कैमरा मेन ने समंदर के किनारे छिछरे पानी में प्रेम क्रीड़ा करते हुए दोनों नंगे बदन और इर्दगिर्द के वातावरण को इतनी बखूबी फिल्माया था की हॉल में बैठे हुए सारे पुरुष दर्शकों का लण्ड खड़ा हो गया और महिला दर्शकों की चूत गीली हो गयी । परदे पर लड़के और लड़की चुदाई करने लगे थे। कैमरा मेन इतनी खूबसूरती से पुरे दृश्य को पेश कर रहा था की हॉल में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसको उसका असर ना हुआ हो। अपर्णा की उधेङबुन जारी थी। तब अपर्णा का दुसरा हाथ कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने पकड़ा। अपर्णा ने मुड़कर श्रेया की और देखा तो अपर्णा को अंदेशा हुआ की हालांकि श्रेया शॉल से ढकी हुई तो थी, पर उनकी शॉल के निचे उनकी छाती पर कुछ हलचल हो रही थी।

श्रेया का एक हाथ अपर्णा के हाथ पर था। श्रेया का दुसरा हाथ दूसरी और था। तो जाहिर था की वह श्रेया की छाती पर हो रही हलचल अपर्णा के पति रोहित के हाथ से ही हो रही होगी।

श्रेया ने अपने पति को रोहित जी की पत्नी और खींचते हुए महसूस किया। चाहते हुए भी वह कुछ कर नहीं सकती थी। पर दूसरी और अपर्णा के पति रोहित के आकर्षक व्यक्तित्व ने उसका मन जित लिया था। रोहित जी के विचारों और उनकी लेखनीकी वह दीवानीथी। जब रोहित जी का हाथ कर्नल साहब की पत्नी श्रेया ने अपनी छाती पर सरकते हुए महसूस किया तो वह रोमांच से काँप उठी। शादी के बाद पहली बार किसी गैर मर्द ने श्रेया के स्तनों को छुआ था। श्रेया रोहित जी के हाथों से अपने स्तनों को सहलवाने से रोक ना पायी। रोहित को श्रेया की और से कोई रोकटोक नहीं हुई तो रोहित को समझने में देर नहीं लगी श्रेया चाहती थी की रोहित उनके स्तनों को सहलाये। रोहित बेबाकी से श्रेया के स्तनों को पहले हलके से सहलाने और फिर उन्हें अपनी उँगलियों से दबाने और मसलने लगा। उसे लगा की कर्नल साहब की पत्नी ने उन्हें पूरी छूट देदी थी। रोहित ने अपने दोस्त की पत्नी श्रेया का हाथ भी अपनी जाँघों के बिच में धीरे से रख दिया। एक तो पिक्चर के उन्माद भरे दृश्य, ऊपर से श्रेया की उँगलियों का रोहित के लंड के साथ उसकी पतलून के ऊपर से खेलना, रोहित के लिए भी उत्तेजना और उन्माद का विषय था।

तो दूसरे छौर पर रोहित की पत्नी अपर्णा परेशान हो गयी की वह करे तो क्या करे? अपर्णा के हाथ की उंगलियां कर्नल साहब के फुले हुए लण्ड की फनफनाहट को महसूस कर रहीं थीं। परदे पर अब कुछ गंभीर दृश्य आने लगे। लड़के और लड़की ने शादी कर ली थी। और दोनों बड़ी ही उछृंखलतासे अपने बैडरूम में चुदाई कर रहे थे। लड़की इतने जोर से कराह रही थी की उनका एक पडोशी युवक बेचारा लेटा हुआ उस युगल की चुदाई की कराहट सुनकर अपने हाथों से मुठ मार रहा था। ऐसे कामोत्तेजक दृश्य देखकर अपर्णा को समझ नहीं आ रही थी की वह दिल की बात सुने या दिमाग की। अपर्णा की एक और कर्नल साहब थे और दूसरी और श्रेया जी। कर्नल साहब का लण्ड ऊके पतलून में एक बड़ा सा तम्बू बना रहा था। अपर्णा की उँगलियों से वह लगभग सटा हुआ था। तम्बू देख कर ही अपर्णा को अंदाज हो गया था की कर्नल साहसब का लण्ड छोटा नहीं होगा। जिस तरह कर्नल साहब परदे के दृश्य देख कर मचल रहे थे साफ था की उनके लण्ड में काफी हलचल हो रही थी।

दूसरी और श्रेया जी अपर्णा का हाथ दबा रही थी। अपर्णा समझ गयी की श्रेया जी भी काफी गरम हो रही थी। उन्होंने अपर्णा का हाथ इतनी ताकत से दबाया था की अपर्णा को ऐसा लगा जैसे परदे के दृश्य के अलावा भी श्रेया को कुछ कुछ हो रहा था। अपर्णा ने अपने पति रोहित की और देखना चाहा पर वह साफ़ दिखाई नहीं दे रहे थे। परदे पर दोनों पति पत्नी कार में कहीं जा रहे थे की उनकी कार का भयानक एक्सीडेंट हुआ और उस एक्सीडेंट में लड़के को सर पर काफी चोट लगी जिसके कारण उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। लड़की कार में से उछल कर बाहर गिर गयी पर उसे भी चोट आयी पर वह हॉस्पिटल में ठीक होने लगी।

उनके पडोसी युवक ने दोनों पति पत्नी की हॉस्पिटल में काफी देखभाल की। वह उनके लिए खाना लाता था और लड़की के ठीक होने पर वह उसके पति की देख भाल में पूरी रात बैठा रहता था। डॉक्टरों ने लड़की से कहा की उसके पति का मानसिक संतुलन ठीक हो सकता है अगर उसकी प्यार से परवरिश की जाए और उसे प्यार दिया जाए। मानसिक असन्तुलन के कारण लड़की के पति की सेक्स की भूख एकदम बढ़ गयी थी। उसे सेक्स करने की इच्छा दिन ब दिन प्रबल होती जा रही थी। वह सुबह हो या दुपहर, शाम हो या रात लड़की का पति लड़की को बड़ी ही असंवेदन-शीलता से यूँ कहिये की असभ्यता से चोदता था। उसके चोदने में कोमलता, प्यार और संवेदन-शीलता नहीं होती थी। लड़की भी अपने पति के जुर्म इस उम्मीद में सहन कर लेती थी की कभी ना कभी वह ठीक हो जाएगा। हॉस्पिटल से घर आने के बाद पति का व्यवहार अपनी पत्नी के साथ बड़ा ही असभ्य था। वह उसे चुदाई करते हुए मारता रहता था या फिर गालियां देता रहता था। पडोसी युवक सुनता पर क्या करता? फिल्म में लड़की और उसके पति के चुदाई के द्रश्य भी अति उत्तेजक शैली से फिल्माए गए थे जिसके कारण देखने वालों की हालत पतली हो रही थी। रोहित ने भी कर्नल साहब की पत्नी का हाथ पकड़ा हुआ था और उसे खिंच कर अपने लण्ड पर रख दिया था। श्रेया ने रोहित का लण्ड का फुला हुआ हिस्सा पतलून के ऊपर से महसूस किया तो वह भी अपने आपको रोक ना सकी और उसने रोहित के लण्ड को पतलून के ऊपर से पकड़ कर हिलाना शुरू किया। रोहित का हाथ कर्नल साहब की बीबी श्रेया की गोद में खेल रहा था।

परदे पर हर पल बढ़ते जाते उत्तेजक दृश्य से रोहित और श्रेया की धड़कनों की रफ़्तार धीमा होने का नाम नहीं ले रही थी। रोहित जी का हाथ अपनी गोद में महसूस कर श्रेया के ह्रदय की धड़कनें इतने जोर से धड़क रहीं थीं की श्रेया डर रही थी की कहीं उसकी नसें इस उत्तेजना में फट ना जाएँ। उसी उत्तेजना में श्रेया रोहित के लण्ड को पतलून के ऊपर से ही धीरे से सहला रही थी। शायद उसे रोहित जी को अपने मन की बात का संकेत देना था।

रोहित समझ गए की श्रेया को रोहित के आगे बढ़ने में कोई एतराज नहीं था। शायद इस निष्क्रियता से वह अपनी मर्जी भी जाहिर कर रही थी। रोहित ने अपना हाथ कर्नल साहब की बीबी की दो टांगों के बिच सरका दिया। श्रेया ने सहज रूप से ही बरबस अपनी टांगें खोल दीं। रोहित का हाथ सरक कर श्रेया की जाँघों के बिच की वह जगह पर पड़ा जो श्रेया का सबसे बड़ा कमजोर बिंदु था। रोहित की पत्नी अपर्णा भी बड़े ही असमंजस में फँसी हुई थी। जीतूजी अपर्णा का हाथ अपनी टाँगों के बिच रख इशारा कर रहे थे की वह चाहते थे अपर्णा उनके लण्ड को अपने हाथ में सहलाये।

कहीं ना कहीं अपर्णा को क्या यह स्वीकार्य था? अपर्णा समझ नहीं पा रही थी। पर जीतूजी की यह ख्वाहिश उसको तिरस्कृत क्यों नहीं लग रही थी यह उसे समझ नहीं आ रहा था। क्या अपर्णा इस लिए जीतूजी की इस हरकत को नजर अंदाज कर रही थी क्यों की आखिर वह उसके गुरु थे और अपर्णा के लिए जीतूजी ने कितना बलिदान दिया था? या फिर अपर्णा खुद जीतूजी का मोटा और लम्बा लण्ड अपने हाथों में महसूस करना चाहती थी? शायद अपर्णा का मन ही उसका सबसे बड़ा दुश्मन था। क्यूंकि अपर्णा जीतूजी की हरकत का ज़रा भी प्रतिरोध नहीं कर रही थी।

परदे पर मानसिक असंतुलन वाला पति अपनी पत्नी को नंगी कर पलंग पर सुला कर चोद रहा था। मर्जी ना होने पर भी लड़की चुपचाप पड़ी चुदवा रही थी। उसे निष्क्रिय देख कर पति ने उसे एक करारा थप्पड़ मारा और बार बार उसे मारने लगा। लड़की के होँठों से खून निकलने लगा। सहन ना कर पाने पर लड़की अपने पति को धक्का मार कर खड़ी हुई। पत्नी के धक्के मारने पर पति लड़खड़ाया और एकदम गुस्से हो गया और रसोई में से एक चाक़ू लेकर पत्नी को मारने के लिए तैयार हुआ। यह देख कर पत्नी पूरी निर्वस्त्र घर से बाहर भागी और पडोसी लड़के का दरवाजा खटखटा ने लगी। लड़की को एकदम नंग्न अपने दरवाजे पर खड़ी देख कर पडोसी युवक हतप्रभ रह गया। उसने उसे अंदर बुला लिया और दरवाजा बंद कर पलंग पर पड़ी चद्दर ओढ़ाई। लड़की युवक के कंधे पर सर रख कर रोने लगी। लड़के ने अपना हाथ लड़की के बदन पर फिराते हुए उसे ढाढस देने की कोशिश की। अचानक लड़की के कंधे से चद्दर गिर गयी और लड़का उस पत्नी का नंगा बदन देख कर फिर स्तब्ध सा देखता ही रहा। लड़की उस लड़के की बाहों में चली गयी और अनायास ही दोनों बाहुपाश में बँध गए और एक के बाद एक हरकतें हुई और लड़की पलंग पर सो गयी और लड़का उसे चुम्बन कर प्यार करने लगा और धीरे धीरे अपने कपडे उतार कर चोदने लगा। हॉल में फिर वही उन्माद पूर्ण माहौल बन गया।

अपर्णा को यह करुणा और उन्माद भरे दृश्य के देख कर पता नहीं क्या महसूस हो रहा था। भावावेश में बरबस ही अपर्णा जीतूजी का लण्ड पतलून के ऊपर से ही सहलाने लगी। उसे ऐसा करने में तब कुछ भी अयोग्य नहीं लग रहा था। जीतूजी अपर्णा को अपना लण्ड सहलाते पाकर ना जाने कैसा महसूस कर रहे थे। परदे पर अचानक एक नया मोड़ आया। जब वह पडोसी युवक उस लड़की को चोद रहा था की अचानक वह लड़की का पति अपनी पत्नी को ढूंढते हुए वहाँ आ पहुंचा और अपनी पत्नी को पडोसी युवक से चुदते हुए देख चक्कर खा कर गिर पड़ा। उसका सर एक मेज से जोर से टकराया और वह कुछ पल के लिए बेहोश हो गया। नंगा युवक और पडोसी की पत्नी दोनों एक दूसरे को देखने लगे की अब क्या करें? कुछ ही पलोँ में पति को जब होश आया तो उस सदमे से लड़की के पति का मानसिक संतुलन फिर से ठीक हो चुका था।

पति को अपनी पत्नी पर किये जुल्म पर पर काफी पछतावा हुआ और उसने नंगे युवक और अपनी पत्नी को अपनी खुली बाहों में ले लिया और तीनों साथ में पलंग पर लेट गए। पति ने वहीँ अपनी पत्नी को बड़े प्यार से पडोसी युवक के सामने ही चोदा और पड़ोसी युवक को भी अपनी बीबी को चोदने के लिए बाध्य किया। फिल्म का यह आखरी दृश्य ना सिर्फ उन्मादक था बल्कि अत्यंत भावुक भी था। जीतूजी ने अपर्णा की और वाला बाजू अपर्णा की सीट के पीछे से ऊपर से घुमा कर धीरे से चद्दर के निचे अपर्णा की छाती पर रख दिया और अपने हाथों से अपर्णा के ऊपर वाले बदन को अपने और करीब खींचा। बरबस ही अपर्णा को थोड़ा झुक कर अपना कंधा जीतूजी की छाती पर टिकाना पड़ा। जीतूजी का हाथ अब धीरे धीरे अपर्णा के टॉप के ऊपर वाले उन्मत्त उभार को छू रहा था। अपर्णा यह महसूस कर कुछ सहम गयी। वह रोमांच से काँप उठी। जीतूजी ने अपर्णा के दोनों स्तनों के बिच की खाई में अपनी उँगलियाँ डालीं। वह अपर्णा के स्तनों को सहलाने लगे ही थे की अचानक हॉल जगमगा उठा। पिक्चर खत्म हो चुकी थी। सारे दर्शकों के दिमाग में वही भावावेश और उन्मादक उत्तेजना एक सिक्के की तरह छप गयी थी। जीतूजी, श्रेया, रोहित और अपर्णा पिक्चर के अचानक ख़त्म होते ही भौंचक्के से खड़े हो कर अपने कपडे ठीक करने में लग गए।

जाहिर था की चारों अपने निकट बैठे हुए जोड़ीदार से कुछ ना कुछ हरकत कर रहे थे। कुछ भी बोलने का कोई अवसर ही नहीं था। सब एक दूसरे से नजरें बचा रहे थे या फिर दोषी की तरह खिसियाई नज़रों से देख रहे थे। वापसी में ट्रैन में कुछ भीड़ नहीं थी। सब ट्रैन में चुपचाप बैठे और बिना बोले वापस अपने घर पहुंचे। दोनों महिलाएं समय गँवाये बिना, फुर्ती से ऊपर सीढ़ियां चढ़कर अपने फ्लैट में पहुँच गयी।

निचे कर्नल साहब और रोहित बाई बाई करनेके लिए और हाथ मिलानेके लिए खड़े हुए और एक दूसरे की ओर खिसियानी नजर से देखने लगे तब कर्नल साहब ने रोहित से कहा, "देखिये रोहित, आज जाने अनजाने हमारी दोस्ती, दोस्ती से आगे बढ़कर दोस्ताना बन गयी है। हम दोनों परिवार कुछ अधिक करीब आ रहे हैं। हमें चाहिए की हमारे बिच कुछ ग़लत-फ़हमी या मनमुटाव ना हो। इस लिए अगर आप दोनों में से किसी के भी मन में ज़रा सी भी रंजिश हो या आपको कुछ भी गलत या अरुचिकर भी लगे तो तो प्लीज खुल कर बोलिये और मुझे अपना मान कर साफ़ साफ़ बताइयेगा। मेरे लिए और श्रेया के लिए आप दोनों की दोस्ती अमूल्य है। हम किसी भी कारणवश उसपर आँच नहीं आने देंगे।" रोहित ने अपना हाथ कर्नल साहब के हाथों में देते हुए कहा, "ऐसी कुछ भी बात नहीं है। हम भी आप दोनों को उतना ही अपना मानते हैं जितना आप हमको मानते हैं। हमारे बिच कभी कोई भी मनमुटाव या गलत फहमी हो ही नहीं सकती क्यूंकि हम चारों एक दूसरे की संवेदन-शीलता का पूरा ख्याल रखते हैं। आज या पहले ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो हम सब नहीं चाहते हों। जहां तक मुझे लगता है, आगे भी ऐसा नहीं होगा। पर अगर ऐसा कुछ हुआ भी तो हम जरूर आप से छुपायेंगे नहीं। हमारे लिए भी आप की दोस्ती अमूल्य है।" दोनों कुछ चैन की साँस लेते हुए अपने फ्लैट में अपनी पत्नियों के पास पहुंचे।

कर्नल साहब के घर पहुँचते ही श्रेया उनके गले लिपट गयी और कर्नल साहब के लण्ड को सहलाती हुई उनके लण्ड की और देख कर हँस कर शरारत भरी आवाज में बोली, "मेरे जीतूजी! आज मेरे इस दोस्त को कुछ नया एहसास हुआ की नहीं?" कर्नल साहब अपनी पत्नी की और खिसियानी नजर से देखने लगे तब श्रेया ने फिर हँस कर वही शरारती ढंग से कहा, "अरे मेरे प्यारे पति! इसमें खिसिया ने की क्या बात है?" श्रेया फिर अपने पति की बाँहों में चली गयी और बोली, "अरे मेरी प्यारी अपर्णा के जीतूजी! जो हुआ वह तो होना ही था! मैंने यह सब करने के लिए ही तो यह पिक्चर का प्लान किया था। क्या मैं अपने पति को नहीं जानती? और यह भी सुन लीजिये। तुम्हारे दोस्त रोहित भी तुमसे कुछ कम नहीं हैं। उन्होंने भी तुम्हारी तरह कोई कसर नहीं छोड़ी।"

घर पहुँच ने पर अपर्णा और रोहित के बिच में कोई बातचीत नहीं हुई। अपर्णा बेचारी झेंपी सी घर पहुँचते ही घरकाम (खाना बनाना, शाम की तैयारी इत्यादि) में जुट गयी। रोहित अपर्णा की मनोदशा समझ कर चुप रहे। उन्हें अपर्णा की झेंप के कारण का अच्छा खासा अंदाजा तो था ही। वह खुद भी तो जानते थे की जो उन्होंने श्रेया के साथ किया था शायद उससे कुछ ज्यादा कर्नल साहब ने अपर्णा के साथ करने की कोशिश की होगी।​
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