Update 05

पत्नी की अदला-बदली - 03

उस दिन रोहित अपने ऑफिस के काम के सन्दर्भ में कहीं दो दिन के टूर गया हुआ था।

कर्नल साहब और रोहित की पत्नी अपर्णा परीक्षा की तैयारियों में लगे हुए थे। कर्नल साहब गणित के कुछ कठिन दाखिले सुलझाने के लिए और उसे अपनी शिष्या अपर्णा को कैसे वह आसानी समझा पाएं उस के लिए पूरी रात जाग कर तैयारी कर रहे थे। कर्नल साहब जानते थे कई बार परीक्षा में कोई कठिन दाखिला विद्यार्थी को विचलित कर सकता है और वह अपर्णा के साथ ऐसा कुछ ना हो यह पक्का करना चाहते थे। इसी लिए कर्नल साहब ने दो दिन छुट्टी भी ले रक्खी थी। अपर्णा ने अपने बैडरूममें से देखा की कर्नल साहब के स्टडी रूम की बत्ती पूरी रात जल रही थी। कई बार अपर्णा ने अपने बैडरूम से कर्नल साहब को हाथ में किताब लिए कमरे में इधर उधर चहल कदमी करते हुए भी देखा। अपर्णा जानती थी की कर्नल साहब उसे दूसरे दिन पढ़ाने के लिए और वह परीक्षा में अव्वल दर्जे में सफल हो उसकी पूरी तैयारी में जुटे हुए थे। यह देख कर अपर्णा समझ नहीं पायी की ऐसे इंसान के लिए क्या किया जाए। जो इंसान किसी दूसरे की सफलता के लिए ऐसे जी जान से लग जाए उसे क्या कहा जाए?

फिर अपर्णा ने भी तय किया की वह भी अपना पूरा मन लगा कर पढ़ेगी और जो अपने गुरु की इच्छा है उसे पूरा करेगी। वह कोहिश करेगी की वह अव्वल दर्जे से पास हो। कर्नल साहब का जोश देख कर अपर्णा को भी जोश आ गया। वह भी पूरी रात पढ़ाई करने लगी।

जाहिर है जब दूसरे दिन कर्नल साहब ने अपर्णा के सामने कुछ बड़े ही कठिन और जटिल प्रश्न रखे तो अपर्णा ने कर्नल साहब से थोड़ा मार्गदर्शन लेने के बाद उन्हें बड़ी जल्दी आसानी से सुलझा दिए। वह ऐसे प्रश्न थे जिन्हे कर्नल साहब भी सावधानी से हल करने की कोशिश करते थे। यह देख कर कर्नल साहब के रोमांच और उन्माद का ठिकाना ना रहा। वह अपर्णा ने लिखे हुए जवाबों को पढ़कर पागल से हो रहे थे। अपर्णा ने जब अपने जवाब पत्र कर्नल साहब के हाथ में दिए और उनको पढ़ते हुए देखा तो हैरान रह गयी। कर्नल साहब की आँखों में से आँसूं बहने लगे जब वह एक के बाद एक जवाब पढ़ने लगे। एकदम वह अपर्णा के सामने उठ खड़े हुए और अपर्णा को कस के अपनी बाँहों में भर लिया। अपर्णा अपना सर उठा कर कर्नल साहब को देखती ही रही।

कर्नल साहब अपर्णा का सर, आँखें, उसके बाल, उसका कंधा और अपर्णा के गाल तक चूमते हुए बोलने लगे, "मैंने अपनी जिंदगी में पहले किसी विद्यार्थी को इतना परफेक्ट जवाब देते हुए नहीं पाया।" कर्नल साहब का ऐसा भावावेश अपर्णा ने पहले कभी नहीं देखा था। कर्नल साहब का ऐसा हाल देख अपर्णा की आँखों में भी आँसूं आ गए।

वह कर्नल साहब से लिपट गयी और बोली, "जीतूजी, यह मेरा नहीं आपका कमाल है। आपने मुझे जीरो से हीरो बना दिया। सच कहते हैं, गुरु भगवान् होता है। वह कुछ भी कर सकता है।"

कर्नल साहब ने कहा, "नहीं ऐसा नहीं है। गुरु तो सबको बराबर शिक्षा देता है। पर कभी कभी कोई शिष्य उसका पूरा फायदा उठा पाता है। सब नहीं उठा पाते।"

भावावेश में अपर्णा ने अपने होँठ उठाये और बरबस ही कर्नल साहब के होँठ के तले रख दिए। वह अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रही थी। आज उसने महसूस किया की मन का तन पर बड़ा ही अद्भुत नियंत्रण है। यदि मन ठीक नहीं होता तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता। और अगर मन होता है सब कुछ अच्छा लगता है। कर्नल साहब भी अपर्णा के होँठ से अपने होँठ भींचने वाले ही थे की अचानक रुक गए। उन्होंने अपर्णा के होँठ से अपने होँठ हटा लिए और अपर्णा के नाक पर कस के चुम्बन किया और बोले, "डार्लिंग, भावावेश में बहने का समय नहीं है। तुम्हें बड़ी फतह करनी है। बड़ा किला जितना है। मैं चाहता हूँ की तुम गणित में अव्वल दर्जे से पास हो। तभी मुझे मेरा पारितोषिक मिलेगा।" कर्नल साहब की बात सुनकर अपर्णा भी मचल गयी। उसे कर्नल साहब पर और प्यार आया। जो इंसान इतना रोमांटिक था और जो उस पर इतना फ़िदा था, वह अपने आपको कैसे रोक पाया यह अपर्णा की समझ से परे था। उसने तो एक भावावेश भरे क्षण में अपना नियंत्रण गँवा दिया था पर कर्नल साहब ने उसे सम्हाल लिया। वह मन ही मन कर्नल साहब की ऋणी हो गयी। उनके पौरुष की कायल हो गयी।

जब रोहित वापस आये तो अपर्णा ने उसे सारी दास्तान कही। अपर्णा ने यह नहीं छुपाया की वह खुद तो ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी पर कर्नल साहसब ने अपने आप पर नियत्रण रक्खा और अपर्णा को होँठों पर किस नहीं की। यह सुनकर रोहित बहुत खुश हुआ। रोहित ने अपनी बीबी अपर्णा को कहा, "देखा? यही सही शिक्षक की पहचान है। उनका मन तुम्हारी पढ़ाई में तुम्हारे परिणाम में इतना लग चुका है की तुम्हारे जैसी सेक्सी और खूबसूरत औरत को भी नज़र अंदाज कर दिया। हालांकि की वह तुम पर लाइन मारते रहते हैं। तुम भी तो उनको कुछ ढील देती हो।" अपर्णा ने कटाक्ष से हँस कर कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। अरे लाइन तो मारेंगे ही ना? मर्द जो हैं। कॉलेज में तुम मुझे लाइन नहीं मारते थे? अरे अब भी तो मैं जब सजधज के तैयार होती हूँ तो तुम भी तो सिटी बजाने लगते हो! लाइन तो कई लोग मारते थे मुझ पर, और अभी भी मारते हैंl पर असली माल तो तुम ही चुरा के ले गए ना? बाकी सारे तो हाथ मलते रह गए। पर हाँ। खैर मजाक छोडो। सीरियसली बात करें तो जिस तरह से वह हाथ धो कर मेरी पढ़ाई के पीछे पड़े हैं, मुझे लगता है जीतूजी मुझे वाकई टॉप करा कर के ही छोड़ेंगे।"

रोहित ने पूछा, "अगर तुमको उन्होंने टॉप करवा दिया तो तुम उन्हें क्या पारितोषिक दोगी?

अपर्णा ने अपनी चोटी का छोर अपने हाथों में लेकर गोल गोल घुमाते हुए कहा, "अगर वाकई में ऐसा हुआ तो वह जो मांगेंगे वह दे दूंगी।"

रोहित ने अपनी पत्नी की और गंभीरता से देखते हुए पूछा, "वह जो मांगेंगे वह दे दोगी?"

अपर्णा ने कहा, "हाँ भाई। जो मांगेंगे मैं दे दूँगी। पहले तो वह बिचारे कुछ मांगेंगे ही नहीं। उन्होंने पहले ही कह दिया था की उन्हें कुछ नहीं चाहिए। फिर भी अगर मैं अव्वल आयी तो भला उससे कौनसी बात बड़ी हो सकती है? मुझे भी तो उनको गुरु दक्षिणा देनी पड़ेगी ना? वो आगे बोली, तो वह मैं उन्हें जरूर दूंगी। बशर्ते की मैं अव्वल आयी तो। और वैसे भी गुरुदक्षिणा तो देनी ही पड़ेगी। तो सोचेंगे क्या देना है। एक अच्छा सा गिफ्ट उनको देंगे। मानलो हर महीने अगर हम उन्हें ५ हजार रूपये भी दें तो उनको तीन महीने के पद्रह हजार देने होंगेl चलो मान लो बिस हजार भी देने पड़ जाएँ तो भी ज्यादा नहीं है। और वह भी अगर वह मांगेंगे तो। उन्होंने तो पैसे मांगे ही नहीं है। तो इस हालात में हम पैसे ना देते हुए उनको कोई इतनी ही रकम का गिफ्ट भी दे देंगे तो हमारा कोई खजाना नहीं लूट जाएगा।"

रोहित ने कहा, "अगर वह तुम्हें मांगेंगे तो?"

अपर्णा: "मुझे मांगेंगे? क्या मतलब? मैं कोई रुपिया पैसा हूँ की वह मुझे मांगेंगे?"

रोहित: "अरे बुद्धू राम। मेरा मतलब है अगर वह तुम्हारा बदन मांगेंगे तो?"

अपर्णा: "अरे तुम पागल हो गए हो? वह ऐसा कोई थोड़े ही मांगेंगे? तुम अपने मन से सोचते रहो। मुझे उनपर पूरा भरोसा है।"

रोहित: "पर समझो अगर उन्होंने मांग ही लिया तो, तुम क्या करोगी? तुमने तो वचन दे दिया है की जो वह मांगेंगे वह तुम दे दोगी।"

अपने पति की बात सुनकर अपर्णा कुछ धर्मसंकट में पड़ गयी और थम गयी। थोड़ी देर तक वह सोचती रही फिर बोली: "देखो, रोहित, तुम मुझे बातों में फांसने की कोशिश मत ही करो। माना की मैं रूढ़िवादी विचारों की नहीं एक आधुनिक स्त्री हूँ। मैं पार्टीयोँ में जाती हूँ और जाना पसंद भी करती हूँ। और मैं जानती हूँ की उन पार्टीयों में मर्द और औरत एक दूसरे की बीबी या पति के साथ आज कल के जमाने में थोड़ी छेड़ छाड़ करते रहते हैं वो बोलती रही, कभी कबार चुम्माचाटी भी होती है। थोड़ा संयम रखना चाहिए पर ठीक है, नशे में या उत्तेजना में कई बार हो जाता है। यह सब चलता है। मुझे भी उस पर कोई भयानक एतराज नहीं। यहां तक तो ठीक है। पर मैं राजपूतानी हूँ। मैं अपना बदन ऐसे ही किसी को नहीं सौपती l मैंने तुम्हें अपना बदन सौंपा है क्यूंकि तुमने अपनी जिंदगी मेरे नाम कर दी है। तुमने कसम खायी थी की तुम अपनी जान की बाजी लगा कर भी मेरी रक्षा करोगे। राजपूतानियाँ उनको ही अपना जिस्म सौंपतीं है जो अपनी जान की बाजी लगा कर भी उनकी रक्षा करने के लिए तैयार हों।"

रोहित अपनी बीबी की और आश्चर्य से देखने लगा। उसने कहा, "भाई यह तो सख्त नाइंसाफ़ी है। ऐसे तो कोई भी शादी शुदा मर्द या स्त्री किसी भी शादी शुदा स्त्री या मर्द से संग कर ही नहीं सकेगा। आजकल तो संसार में हर घर में यह चलता रहता है। कोई भी पत्नी या पति ऐसे नहीं होंगें, जिन्होने शादी के पहले या बाद में और किसीसे सेक्स ना किया हो? बल्कि शादी के बाद ही अपनी साली के साथ अपने देवर या जेठ के साथ कई लोगों का तिकड़म चलता ही रहता है।"

अपर्णा ने कहा, "अच्छा? मैंने तो मेरे किसी देवर या जेठ के साथ ऐसा सम्बन्ध नहीं रक्खा। इसका मतलब की तुमने मेरी बहन से कुछ ना कुछ गड़बड़ जरूर की है। वह बेचारी एकदिन मुझे कह रही थी, की जीजाजी को सम्हालो उसे प्यार दो, वह इधर उधार ताँक झाँक करते रहते हैं। अब मुझे समझ में आया। सच बोलो क्या बात है?" जब बात अपने पर आयी तो रोहित की तो बोलती ही बंद हो गयी।

उसने कहा, "जानू, मैं तो यूँही मजाक कर रहा था। तुमने तो उसे सीरियसली ले लिया। अरे भाई मैं तो सिर्फ छेड़ने की बात कर रहा हूँ।"

अपर्णा, "अरे मैंने कुछ सीरियसली नहीं लिया। मैं भी मजाक ही कर रही हूँ। इस बात पर तुम इतने हाइपर क्यों हो गए हो? बात मेरी और जीतूजी की है। हम इन्हें मिलके सुलझा लेंगे। कहीं तुम जीतूजी से जल तो नहीं रहे?"

रोहित खिसिआनि से शकल बनाकर अपनी पत्नी को देखता रहा। तब अपर्णा ने शर्माते हुए कहा, "अरे भाई, अब ज्यादा सयाने मत बनो। तुम मर्द लोग हम औरतों को कहाँ छोड़ते हो? होटल में, बस में, ट्रैन में, पिक्चर में, घर में सब जगह तुम लोग तो वैसे ही हम औरतो को हमेशा छेड़ते ही रहते हो।"

ऐसी ही बातें अक्सर अपर्णा और उसके पति रोहित के बिच में होती थी तो उधर श्रेया भी अपने पति कर्नल अभिजीत सिंहजी को उलाहना देती रहती थी।

एक बार जब कर्नल साहब काफी देर रात तक जाग कर गणित की किताबों में उलझे रहे तब उनकी पत्नी श्रेया ने कहा, "अजी कर्नल साहब, क्या बात है? अब सो भी जाओ। रात के दो बजे हैं। अपनी पड़ोसन के पीछे अपनी जान दे दोगे क्या? उसने आगे कहा, देखो उनके कमरे की बत्तियां बुझी हुई हैं। इस वक्त तुम्हारी पड़ोसन अपने पति की बाहों में गहरी नींद में सोई हुई होगी। और तुम हो की उसे पढ़ाने के चक्कर में रात रात भर सोते नहीं हो। अरे तुम्हारी भी तो बीबी है? वह भी तो तुम्हारी बाहों में सोने के लिए तड़पती है।"

खैर अक्सर औरतें अपने शौहर को किसी और की बीबी से ज्यादा करीब जाने से कतराती हैं। पर आखिर में सोचती हैं, अरे जाता है जाने दो। आखिर में थक हार कर आएगा तो मेरे पास ही ना?"

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समय को बीतते देर नहीं लगती। देखते ही देखते रोहित की पत्नी अपर्णा की परीक्षा का दिन आ ही गया। अपर्णा के सारे पेपर अच्छे हुए। गणित में अपर्णा ने सारे जवाब अच्छी तरह से दिए। उम्मीद थी की अपर्णा के अच्छे नंबर आएंगे।

करीब एक महीनेके बाद रिजल्ट था। सब बड़ी ही उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे। सब पर पूरा सस्पेंस छाया था। क्या होगा क्या होगा इसकी उत्सुकता रुके नहीं रूकती थी। करीब हर रोज क्या रिजल्ट आएगा इसकी चर्चा हो रही थी।

खैर रिजल्ट तो चाहे जो भी आये, पर उस रिजल्ट का असर इन दोनो जोड़ियों पर किस कदर पड़ेगा l​
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