Update 21
पत्नी की अदला-बदली - 08
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पता नहीं कितना समय बीत चुका था। रोहित को गहरी नींद में अजीब सा सपना देख रहे थे। सपने में उन्होंने देखा की जिस कमरे में उन्हें बंद किया गया था, उसमें उनके और जीतूजी के हाथ पाँव बंधे हुए थे और रोहित और जीतूजी दोनों को एक रस्सी से कस कर पलंग के साथ बाँध दिया गया था। उन्होंने देखा की कालिये ने अपर्णा के भी हाथ बाँध दिए थे और उसके मुंह पर पट्टी बांध दी थी। कालिया के हाथ में वही बंदूक थी और वह बन्दुक को रोहित और जीतूजी की और तान कर अपर्णा से बोल रहा था, "अब मैं तुम्हें चोदुँगा। तुमने ज़रा भी आवाज निकाली या मेरा विरोध किया तो मैं तुम्हारे पति और इस आशिक को गोली मारकर यहीं ख़त्म कर दूंगा। तुम नहीं जानती मैं कितना खतरनाक हूँ। मैंने कई लोगों को मार दिया है और इन सब को मारने में मुझे मारने में मुझे कोई तकलीफ या दुःख नहीं होगा। कालिया ने अपने सारे कपडे एक के बाद निकाल दिए और अपर्णा के सामने नंगा खड़ा था। उसका बड़ा मोटा लण्ड कड़क खड़ा था और कालिया उसे अपर्णा के मुंह के सामने हिला रहा था। वह चाहता था की अपर्णा उसके लण्ड को चूसे। अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया। जैसे ही अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया तो कालिये ने कस के एक थप्पड़ अपर्णा के कोमल गाल पर जड़ दिया। अपर्णा दर्द के मारे कराहने लगी। अपर्णा ने जब मुँह फेर लिया तो कालिया चिल्लाया, "साली रण्डी! नखरे करती है? जानती नहीं मैं कौन हूँ? मैं यहाँ का खूंखार छुरेबाज और हत्यारा हूँ। मुझे यहां के लोग कसाई कहते हैं। मैंने आजतक कमसे कम दस को जरूर मार दिया होगा। अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो तुम ग्यारविंह होगी। तुम्हारे दो साथीदार मिलकर तेरह होंगे। तुम्हारे रिश्तेदारों को तुम्हारी लाश भी नहीं मिलेगी।"
कालिया ने एक के बाद एक अपर्णा के कपडे निकाल दिए और उसकी जाँघों को चौड़ा किया। अपना मोटा तगड़ा हाथ कालिया ने अपर्णा की दो जाँघों के बिच में डाल दिया और अपर्णा की चूत में उंगली डाल कर उसका रस निकाल कर उस उंगली को कालिये ने अपने मुंह में डाली और उसे चाटने लगा। कालिये की यह हरकत देख कर जीतूजी पलंग पर ही तड़फड़ा रहे थे। उनके देखने की परवाह ना करते हुए कालिये ने अपर्णा का ब्लाउज एक ही झटके में फाड़ डाला। अपर्णा की ब्रा को भी एक झटका लगा कर खोल दिया और अपर्णा की चूँचियों को अपने दोनों हाथों से कालिया मसलने लगा। वह बार बार अपर्णा की निप्पलोँ पर अपना मुंह लगा कर उन्हें काटता था। अपर्णा बेहाल हालात में पलंग पर लेटी हुई थी। अपर्णा का फटा हुआ स्कर्ट उसकी जाँघोंसे काफी ऊपर था। उसकी पैंटी गायब थी। कालियेने पहले ही अपर्णा का ब्लाउज और ब्रा फाड़ के फेंक दी होगी, क्यों की अपर्णा के उन्मादक बूब्स अपर्णा की छाती पर छोटे टीले के सामान फूली निप्पलोँ से सुशोभित दिख रहे थे। जल्द ही कालिया अपने लण्ड को उसकी चूत में डालेगा इस डर से अपर्णा बिस्तर पर मचल कर जोर से हिल रही थी और डर से काँप रही थी। वह इसी फिराक में थी की कैसे ना कैसे उस भैंसे जैसे राक्षस के भयानक लम्बे और मोटे लण्ड से चुदवाना ना पड़े।
अपर्णा को पता था की यदि कालिये ने अपने उस खम्भे जैसे लण्डसे उसे चोदातो उसके लम्बे लण्ड से और दूसरे उसके हिंसक एवं जोरदार धक्कों से अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें पेलते हुए कालिया अपर्णा की चूत फाड़ कर रख देगा और क्या पता अपर्णा उसकी चुदाई झेल ना सके और कहीं ज्यादा खून बहनेसे मर ना जाए? अपर्णा की आँखों में उस भय के कारण आतंक छाया हुआ दिख रहा था। अपर्णा की चूत साफ दिख रही थी। पर आश्चर्य की बात यह थी की रोहित ने देखा की उनकी बीबी अपर्णा की चूत में से पानी रिस रहा था जो चुगली खा रहा था की अपर्णा का मन उस डर के बावजूद कालिये से चुदाई के लिए उत्तेजित हो रहा था। रोहित समझ नहीं पाए की ऐसी हालत में भी उनकी पत्नी कालिये से चुदवाने के लिए भला कैसे उत्तेजित हो सकती है? पर खैर, इनको तो मज़बूरी में चुपचाप कालिया क्या करता है वह देखना ही था। अपनी नंगी बीबी को देख कर रोहित का लण्ड भी तो खड़ा हो गया था। वह भी तो अपनी दो टाँगों के बिच में गजब की हलचल महसूस कर रहे थे।
रोहित ने अपने साथीदार जीतूजी की और देखा। जीतूजी का लण्ड जरूर खड़ा हो गया था, क्यूंकि वह इधर उधर खिसक कर अपना खड़ा लण्ड एडजस्ट करनेकी कोशिशकर रहेथे। रोहित जी ने देखा की कालिया ने जब अपर्णा के गाल पर करारा थप्पड़ मार दिया तो अपर्णा कराह उठी। उसे लगा की कहीं उसके एकाध दांत कालिया की थप्पड़ से टूट ना गया हो। कालिया की आज्ञा पालन करने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था। अपना लहराता हुआ लण्ड जब कालिया अपर्णा की मुँह के पास लाया और अपेक्षा के साथ अपर्णा की और देखने लगा तो ना चाहते हुए भी अपर्णा ने कालिया के लण्ड की और देखा। इस बार उसकी हिम्मत नहीं थी की वह अपना मुंह फेर ले।
कालिया फिर चिल्लाया, "चलो चुसो मेरा लण्ड।" कालिये की चिल्लाहट सुनते ही अपर्णा ने अपने मुंह से बोलने की कोशिश की और अपने बंधे हुए हाथोँ को उठाकर कालिया को दिखाए। कालिया समझ गया की उसका लण्ड चूसनेके लिए अपर्णा का मुंह खोलना जरुरी था। और अगर उसने मुंह खोला और चिल्लाई तो जरूर सब जाग जाएंगे। कुछ सोचने के बाद कालिया ने तय किया की अपर्णा के हाथ छोड़ने में कम जोखिम था। उसने आगे बढ़कर अपर्णा के हाथ खोल दिए। हाथ खुलते ही कालिये ने अपर्णा के हाथों में अपना लण्ड पकड़ा दिया। अपर्णा ने अपने हाथ में कालिये का लण्ड पकड़ा और उसे डर के मारे हिलाने लगी। उसके हाथों में कालिया लण्ड ऐसा लग रहा था जैसे अपर्णा ने हाथ में कोई अजगर पकड़ रखा हो। रोहित बार बार अपर्णा के चेहरे की और देख रहे थे पर वह अपर्णा के भावों को समझ नहीं पा रहे थे। कुछ ही देर में कालिया से रहा नहीं गया और उसने अपने दोनों हाथोँ से अपर्णा की टाँगें चौड़ी कीं। कालिया झुक कर अपर्णा की चूत देखने लगा।
उसकी चूत का छोटा सा छिद्र देख कर उसने एक भयानक तरीके से ठहाका मार कर हंसा और बोला, "अरे रानी तेरी चूत का होल तो बड़ा छोटा है। मेरा लण्ड इतना मोटा। कैसे डलवायेगी उसको अपने अंदर? मैं तो तुंझे छोडूंगा नहीं।" यह कह कर कालिया अपर्णा के ऊपर चढ़ गया। उसके ऊपर सवार होकर उसने अपना लण्ड अपर्णा की चूत के छिद्र पर रखा और अपर्णा से कहा, "अब मैं तुझे यह मौक़ा देता हूँ की तू मरे लण्ड को सहला कर उसकी चिकनाहट से अपनी चूत गीली करले ताकि तुझे ज्यादा परेशानी ना हो।" जैसे ही अपर्णा ने कालिये का लण्ड पकड़ कर उसे सहलाया और अपनी चूत के होंठों को चिकना किया, कालिये ने एक ही झटके में अपना लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा दिया। रोहित की समझ में यह नहीं आया की कैसे कालिया अपना इतना मोटा लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा पाया। उसके बाद कालिया अपने पेंडू से धक्के मारकर अपर्णाकी चूतमें अपना लण्ड पेलने लगा। अपर्णा की काराहट बढ़ती जा रही थी। पर अपर्णा मुंह पर लगी पट्टी के कारण चिल्ला नहीं पा रही थी। कालिया एक के बाद एक धक्के मार कर अपना लण्ड थोड़ा थोड़ा ज्यादा अंदर घुसेड़ रहा था वैसे वैसे अपर्णा की हलचल बढ़ रही थी।
रोहित ने देखा की अपर्णा भी कालिये के साथ साथ चुदाई का मजा ले रही थी। रोहित की झल्लाहट का ठिकाना ना रहा? वह मन ही मन सोच रहे थे, "यह कैसी औरत है जो ऐसे भयानक आदमी से चुदवा कर मजे ले रही है?" अपर्णा को काफी देर तक कालिये ने चोदा। अपर्णा की चूत में से खून निकल रहा था। रोहित से देखा नहीं गया। उन्होंने अपनी आँखें मूँद लीं। अचानक उन्हें महसूस हुआ की कमरे में श्रेया जी दाखिल हुई। वह अचम्भे से देखते रहे की देखते ही देखते वहाँ से अपर्णा, कालिया, जीतूजी सब पता नहीं कहाँ चले गए। उन्होंने यह भी महसूस किया की उनके हाथ और पाँव खुले थे। श्रेया जी के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। बापरे! रोहित ने महसूस किया की श्रेया वैसी ही नग्नावस्था में उनके पास आकर सो गयीं और एक हाथ से उनके खड़े हुए लण्ड को सहलाने लगीं। उन्होंने यह भी महसूस किया की उनके बदन पर भी कोई कपड़ा नहीं था। श्रेया का नंगा बदन अब उनके नंगे बदन से सटकर लेटा था। श्रेया उनके ऊपर अपने स्तनोँ को रगड़ती हुई बोली, "परदेसी, मैं जानती हूँ तुम जल्दी ही चले जाओगे। तुम मेरे नहीं होने वाले, पर मैं कुछ देर के लिए ही सही तुम्हारी बनना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ की इस बिरावान जंगल में तुम आज मुझे अपनी बनालो।"
रोहित का माथा ठनक गया, उन्हें समझ नहीं आया की श्रेया उन्हें "परदेसी" क्यों कह रही थी।
वह चौंक कर अपनी नींद में से जग गए तो उन्होंने पाया की आयेशा नंगा रेशमी बदन उनसे सट कर लेटा हुआ था और आयेशा उनका लण्ड हलके से सहला रही थी। गुफा में पूरा अन्धेरा छाया हुआ था। लगता था शाम ढल चुकी थी। आयेशा के घने बाल रोहित के चेहरे पर बिखरे हुए थे। रोहित ने आयेशा के नंगे बदन पर हाथ फेरा। उनके हाथ में आयेशा के पके हुए आम से आयेशा के भरे हुए स्तन महसूस हुए। आयेशा ने रोहित के कानों में कहा, "परदेसी, अब सारे दुश्मन सिपाही भाग गए हैं। एक सिपाही भागते हुए चिल्ला रहा था। "भागो और जान बचाओ। हिंदुस्तानी फौजवाले आ पहुंचे हैं। लगता है, तुम्हारे सिपाहियों ने उनको खदेड़ दिया है। यहां उसके बाद पुरे दिन कोई नजर नहीं आया। अब सारी रात हमारी है।"
रोहित का सर चकरा रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था की क्या सच था और क्या सपना। कालिया तो मर गया था फिर वह कैसे अपर्णा को चोदने आया और अचानक श्रेया की जगह आयेशा कहाँसे आगयी, उनकी समझ में नहीं आ रहा था। कई दिनों की थकान और तनाव के कारण उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था। हालांकि दिन भर की नींद और आराम के बाद वह काफी राहत महसूस कर रहे थे। आयेशा का रेशमी बदन उनके नंगे बदन से रगड़ रहा था। आयेशा के घने मुलायम बाल उनके चेहरे और छाती पर बिखरे हुए थे। उनके हाथों में आयेशा के मस्त स्तनोँ और उनकी फूली हुई निप्पलेँ थीं। आयेशा के स्तन पके हुए फल की तरग पूरी तरह परिपक्व थे पर ज़रा से भी ढीले नहीं थे।
रोहित जी ने खुद महसूस किया की उन्हें शायद आयेशा से प्यार सा हो गया था। आयेशा भी बिना बोले रोहित के पुरे बदन को सहला रही थी, प्यार कर रहीथी। काफी समय वह चुप रहकर रोहित जी के सारे अंगों को प्यार से सहलाती तो कभी कभी वह रोहित के पुरे बदन को बार बार चुम कर "ओह! परदेसी, तुम कितने प्यारे हो। आज मैं पूरी तरहसे तुम्हारी बनना चाहती हूँ। आज तुम मुझे जैसे चाहो जी भरके प्यार करो। तुम मुझसे जो चाहे करो। मुझे एक रात में ही जनम जनम तक याद रहे ऐसा प्यार करो।" कभी यह बोलती तो कभी बस प्यार से रोहित के पुरे बदन को चुपचाप बिना बोले चूमती रहती। रोहित आयेशा का प्यार देख कर दंग रह गए। एक दुश्मन देश की लड़की उन्हें कितना प्यार करती थी। वह दोनों जानते थे की उनका प्यार थोड़ी ही देर के लिए था। कुछ ही देर में रोहित अपने रास्ते और आयेशा अपने रास्ते जुदा हो जाने वाले थे। आयेशा का पूरा बदन रोमांच से काँप रहा था। आयेशा के रोंगटे खड़े होगये थे जो उसकी मानसिक उत्तेजना दर्शाता था।
रोहित का लण्ड भी एकम फौलादकी छड़ की तरह खड़ा हो गया था। आयेशा कभी उसे अपने हाथों में लेकर हलके से प्यार से हिलाती थी तो कई बार झुक कर उनके लण्ड की नोंक को चुम कर छोड़ देती। रोहित आयेशा की पीठ सहलाते तो आयेशा की गाँड़ पर हाथ फिराते। कई बार आयेशा की सपाट कमर पर हाथ फिराते तो कई बार आयेशा की जाँघों के बिच में हाथ डालकर उसकी चूत के उभार को सहलाते। धीरे धीरे रोहित की उत्तेजना बढ़ने लगी। आयेशा भी अपनी धीरज की सीमा पर पहुँच रही थी। वह परदेसी के लण्ड को अपनी चूत में महसूस करना चाहती थी। उसे कोई क्या कहेगा इस की रत्ती भर की भी कोई चिंता नहीं थी। रोहित अब नींद की असर से पूरी तरह से बाहर आचुके थे। उनके सामने आयेशा थी जो उन्हें अपना नग्न, सुकोमल और कमसिन बदन पेश कर रही थी। रोहित ने आएशा के नग्न बदन को देखा तो था पर गौर से महसूस नहीं किया था। अब उनके पास मौक़ा था की वह आयेशा के नग्न बदन को प्यार से सहलाये और उसकी प्यार भरी जांच पड़ताल कर सके। वह बदन पूरी रात उनका था। रोहित का एक हाथ आयेशा की छाती पर उसके स्तनोँ को सहला रहाथा तो दुसरा हाथ आयेशाके पिछवाड़े आयेशा की सुकोमल और सुगठित गाँड़ को सहलाने में लग गया। रोहित ने जब से पहली बार आयेशा को देखा था तबसे उनको आयेशा की गाँड़ का आकार भली भाँति भाया था और उनके मन की इच्छा थी की उनको मौक़ा मिलेगा तो वह आयेशा की गाँड़ को अच्छी तरह से सहलायेंगे और उसे चूमेंगे।
अक्सर मर्दों को औरतों की गांड का घुमाव बड़ा ही आकर्षित करता है। अक्सर कईलोग युवतियां, एक्ट्रेस एवं सीरियल में काम करने वाली अभिनेत्रियों की गाँड़ का आकार देख कर पागल हो जाते हैं। रोहित ने भी आयेशा की गाँड़ के गालों की कोमलता और उस का करारापन अपने हाथों से महसूस किया। वह बार बार आयेशा की गाँड़, उसके गालों, बिच की दरार में अपनी उंगलियां डाल कर आयेशा की युवा त्वचा का मुआइना कर रहे थे। रोहित बार बार आयेशा के बालों में अपना मुंह लगा कर उन्हें चुम रहे थे। आयेशा भी बार बार रोहित से चिपक कर "मेरे परदेसी, मेरी जान। मेरे आका। कह कर उनके हर एक अंग को चूमती रहती थी। आयेशा के बदन में कामुकता की आग लगी थी। इतने सालों के बाद उसे अपनी जवानी और जवानी भरा बदन किसी मर्द को सौपने का सपना साकार करने का मौक़ा मिला था। आयेशा को पूरी जवानी जिल्लत, अपमान और मशक्कत में गुजारनी पड़ी थी। उसे अपने माँ बाप की हिफाज़त और महेनत करनी पड़ती थी। उसे अपना ख्याल भी नहीं आता था।
रोहित ने आयेशा के सर से शुरू कर आयेशा के बाल, उसका कपाल, उसकी भौंहें, आँखें, नाक और होंठों को चूमने लगे। हाँठों पर पहुँच कर रोहित ने आयेशा को अपनी बाँहों में कस के जकड़ा और अपना लण्ड आयेशा की जाँघों के बिच में घुसाते हुए वह आयेशा के होँठ जोश से चूमने लगे। आयेशा के ऊपर के तो कभी निचे के होँठ चूमते तो कभी आयेशाके मुंह में अपनी जुबाँ घुसा कर उसे चूसने का मौक़ा देते। आयेशा भी रोहित की जुबान को चूसती और उसकी लार निगल जाती थी। उसे परदेसी के मुंहकी लार और उसके बदन की खुशबू भा गयी थी। आयेशा के मस्त बूब्स रोहित की छाती में चिपक गए थे। रोहित का हाथ बार बार आयेशा की पसलियों की खाई से फिसलता हुआ उसकी गाँड़ के पास रुक जाता और धीरे से उन नाजुक मरमरी त्वचा को मसलनेके लिए लालायित रहता था। होँठों का काफी रस पिनेके बाद रोहित आयेशाकी गर्दन चूमने लगे। आयेशा की लम्बी गर्दन पर उसकी घनी जुल्फें बिखरी हुई थीं। उसके बाद आयेशा के कंधे और बाजुओं से होकर बिच की और बढ़ कर रोहितका सबसे अजीज़ स्थान आयेशाके बूब्स पर आकर रोहित की गाडी रुक गयी। दो बड़े बड़े गुम्बज और उसके उप्पर गोल चॉकलेट रंग के एरोला जो उत्तेजना के कारण कई उभरी हुई फुंसियों से भरे हुए थे। उन एरोला के बोचोबीच तनेहुए दो शिखर सामान फूली हुई निप्पलेँ रोहित जी के होँठों के दबाने से और उन्मादित हो जाती थीं। रोहित कभी निप्पलोँ को चूसते तो कभी स्तनोँ के पुरे उभार को अपने मुंह में लेकर ऐसे चूसते जैसे बच्चा माँ के स्तनोँ को उसका दूध पिने के लिए चूसता है। रोहित के स्तनोँ को चूसते ही आयेशाका उन्माद बेकाबू होजाता था। अक्सर औरतों से सम्भोग करते समय मर्द को चाहिए की उसके स्तनोँ का ख़ास ख्याल रखें। औरत के स्तन से उनकी कामुकताका सीधा सम्बन्ध है। कई बार चुदाई करते हुए जब मर्द औरतके स्तनोँ का ध्यान नहीं रखतातो औरत बेचारी अपने स्तनोँ को खुद ही सहलाती दबाती रहती हैं ताकि उसके उन्माद में कोई कमी ना आये और उस सम्भोग को वह पूरी तरह एन्जॉय कर सके।
आयेशा के स्तनोँ को चूसते हुए और उसकी निप्पलोँ को काटते हुए रोहित का उन्माद बढ़ता जा रहा था। आयेशा के स्तनोँ को रोहित जी ने इतनी उत्कटता से चूसा था की उसके बूब्स पर लाल चकामे पड़ गए थे। पर आयेशा को इसका कोई गम नहींथा। आज उसे अपनेआशिक़ को पूरी ख़ुशी और उन्माद देना था और उससे अपनी जिंदगीकी सबसे खूबसूरत रातको यादगार बनाना था। रोहित जब आयेशा के स्तनोँ को जी भर के पी चुके तब वह आयेशा के सपाट पेट और पतली कमर के बिच स्थित ढूंटी याने नाभि पर पहुँच कर फिर रुक गए। आयेशा की नाभि के इर्द गिर्द चूमते हुए उनके होँठ निचे की और जाने लगे तब आयेशा ने शर्म के मारे अपने दोनों हाथों से अपनी चूत छुपानी चाही। रोहित ने प्यार से आयेशा के दोनों हाथों को हटा दिया और झुक कर प्यार से आयेशा की चूत के उभार को चूमने लगे। रोहित के होँठों के स्पर्श अपनी चूत के करीब होते हुए ही आयेशा मचल उठी। उसके होँठोंसे एक हलकीसी टीस निकल गयी। अना-यास ही आयेशा की टांगें चौड़ी हो गयीं। रोहित जी ने अपना सर आयेशा की जाँघों के बीच में रख दिया और आयेशा की चूतके होँठों को चुम्बन करने लगे। अपनी जीभ से रोहित ने आयेशा की चूत के सवेंदनशील होँठ के बिच वाली त्वचा की कुरेदना शुरू किया। आयेशा के उन्माद का ठिकाना नहीं रहा। वह उन्माद से कराह उठी और बोली, "अरे परदेसी, क्या कर रहे हो? मुझे पागल कर दोगे क्या?"
पर रोहित यह सुनकर और जोश खरोश से आयेशा की चूत को चाटने में लग गए। आयेशा की चूत में से जैसे उसका उन्माद फव्वारे के रूप में फुट पड़ा। आयेशा की चूत में से उसका रस रिसने लगा। रोहित की जबान उस रस को चाटने लगी। आयेशा ने रोहित के लण्ड को आवेश में जोर से हिलाना शुरू किया। अब वह रोहित से चुदवाना चाहती थी। वह चाहती थी की रोहित उस रात उसे खूब सख्ती और जोश से चोदे। वह चाहती तह की रोहित के मिलन की याद वह पूरी जिंदगी भूल ना पाए। लेटी हुई आयेशा बैठ खड़ी हुई और उसने रोहित को खड़ा किया और खुद रोहित के क़दमों में आ बैठी। नंगे रोहित के खड़े होते ही उनका लण्ड भी हवा में लहराने लगा। आयेशा ने रोहित का लण्ड अपने एक हाथ में लिया और उसे चूमा और ऊपर रोहित की ओर देखा। रोहित ने आयेशा के सर पर हाथ रक्खा और आयेशा के बाल अपनी उँगलियों से संवारने लगे और आयेशा आगे क्या करेगी उसका बेसब्री से इंतजार करने लगे। आयेशा ने रोहित के लण्ड पर फैली हुई चिकनाहट को अपने हाथ की उँगलियों से उनके लण्ड की सतह पर फैलाते हुए उसे खासा स्निग्ध बना दिया। रोहित के लण्ड की अग्र त्वचा को मुट्ठी में दबाकर आयेशा ने उसे हिलाना शुरू किया। कुछ देर तक हिलाने के बाद आयेशा ने रोहित के लण्ड का अग्रभाग मुंह में लिया और उसे चूसा। धीरे धीरे आयेशा ने रोहित का लण्ड अपने मुंह में लेकर अपना मुंह आगे पीछे करने लगी जिससे रोहित का लण्ड आयेशा के मुंह को धीरे धीरे से चोद सके। रोहित ने भी आयेशा की इच्छा के मुताबिक़ आयेशा के मुंह को अपने लण्ड से चोदना शुरू किया। आयेशा के मुंह को चोदते हुए रोहित ने आयेशा की चूत में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ दीं। आयेशा के मुंह के साथ वह अपनी उँगलियों से आयेशा की चूत को भी चोदने लगे। आयेशा मुंह में परदेसी का लण्ड और चूत में उनकी उंगलयों से चुदवा ने का मजा ले रही थी। कुछ देर तक चुदवाने के बाद आयेशा को अब परदेसी से असली चुदाई करवानी थी।
आयेशा ने कहा, "परदेसी, अब मेरा और इम्तेहान मत लो। अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है। तुम जानते हो की मैं तुमसे चुदवाने के लिए कितनी तड़प रही हूँ। अब मुझे अपने इस मोटे और लम्बे लण्ड से खूब चोदो। इतना चोदो, इतना चोदो की मजा आ जाये।"
रोहित ने अपनी माशूका आयेशा की बात सुनी तो उनमें और भी जोश आगया। वह फुर्तीसे आयेशा को लिटा कर उसको अपनी दो जांघों के बिच में जकड कर अपने घुटनों को जमीन पर टिका कर आयेशा की चूत पर अपना तगड़ा और लंबा लण्ड लहराने लगे। आयेशा ने रोहित का लण्ड अपने हाथों में लिया और रोहितको शर्मातेहुए कहा, "परदेसी, यह चूत तुम्हारी है। उसे शुरू शुरू में सम्हाल कर चोदना। तुम्हारे मोटे लंड को एकदम अंदर मत घुसेड़ देना, मेरी चूत छोटी है और उसे एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगेगा। पर हाँ, एक बार सेट हो जाए फिर तुम मुझे खूब चोदना। आज मैं पूरी रात तुमसे चुदवाना चाहती हूँ।" रोहित ने आयेशा के होँठों को चूमते हुए उसके कानों में कहा, "भला मैं मेरी माशूका को हानि क्यों पहुँचाऊँगा? तुम निश्चिन्त रहो। ऐसा कह कर रोहित ने अपना लण्ड आयेशा की चूत में थोड़ा सा घुसाया। आयेशा को बहुत अच्छा लगा और दर्द भी नहीं हुआ। रोहित का लण्ड तना हुआ, खड़ा और कड़क लण्ड की धमनियों में गरम खून के तेज बहाव के कारण आयेशा को उसकी चूत में गरम महसूस हो रहा था।
आयेशा की सालों की मंशा पूरी होने जा रही थी। वह प्यार भरी उत्तेजक चुदाई का अनुभव जीवन में पहेली बारकर रही थी। उससे पहले उसके पति ने उसे चोदा जरूर था। पर उसमें ना तो ताकत थी और ना ही दम ख़म। काफी शराब पिने के कारण उसका लण्ड चूत में जाने लायक कड़क भी नहीं हो पाता था। शायद एकाध बार आयेशा के पति ने आयेशा को ठीक ठाक चोदा था पर ना तो उस चुदाई में प्यार का कोई एहसास था और ना ही उत्तेजना का। रोहित की चुदाई एकदम अलग थी। रोहित जैसे ही आयेशा की चूत में अपना लण्ड थोड़ा सा घुसाते तो झुक कर आयेशा के होँठ तो कभी कपाल तो कभी स्तन चुम लेते। साथ में वह आयेशा की चूँचिया मसलना और निप्पलोँको प्यारसे पिचकना भूलते न थे। रोहित जी के लण्ड घुसाने की प्रक्रिया भी बड़ी ही प्यार भरी थी। उन्हें यह ख्याल रखना था की माशूका को कम से कम दर्द हो और ज्यादा से ज्यादा आनंद मिले। इसलिए वह हर बार थोड़ा सा लंड घुसाते फिर उसे निकालते फिर दूसरी बार और थोड़ा ज्यादा घुसाते और फिर निकालते। ऐसा करते करते धीरे धीरे आयेशा को पता भी नहीं चला की कब उन्होंने अपना पूरा लण्ड आयेशा की चूत में घुसेड़ दिया।
आयेशा दर्द के कारण कम और उत्तेजना के कारण कराह रही थी। जीतूजी चोदना बंद ना करदें इस लिए आयेशा "ओह..... आह..... माशा अल्लाह... वाकई परदेसी... तुम्हारा जवाब नहीं... " कराहते कराहते अपनी उत्तेजना जता रही थी। उस कराहट दर्द का एहसास जरूर होगा पर उत्तेजना काफी ज्यादा थी। रोहित जानते थे की आयेशा प्यार के लिए तरस रही थी। उसकी चूत में फड़फड़ाहट तो महीनों या या सालों से हो रही होगी पर उस माहौल में कौन उसे प्यार जताये। लड़ाई में तो जबरदस्ती का ही माहौल होता है। चुदाई और बलात्कार में भारी अंतर होता है। रोहित ने जब अपना लण्ड आयेशा की चूत में डाल दिया तो उन्हें ज़रा सा भी दोष या गुनाह का भाव महसूस नहीं हुआ, क्यूंकि वह चुदाई जबरदस्ती की नहीं प्यार की थी। उन्हें ऐसा बिलकुल नहीं लगा जैसे उन्होंने कोई अपराध किया हो। आयेशा की महीनों या सालों की भड़क रही चूत की भूख अगर वह मिटा सके तो उनको ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने एक बड़ा नेक काम किया हो। अपना लण्ड जब पूरी तरह आयेशा की चूत में डाल पाए तब रोहित आयेशा के बदन पर झुके और अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें जमा रखते हुए धीरे से उन्होंने अपना वजन आयेशा के बदन पर रखा और आयेशा के धनुष्य सामान होँठों पर अपने होँठ रख कर आयेशा के कान में फुसफुसाते हुए पूछा, "जानेमन कैसा महसूस हो रहा है?"
आयेशा ने अपनी आँखें खोलीं और अपनी खूबसूरत घनी और नजाकत भरी पलकें उठा कर रोहित के चेहरे की और देखा और शर्मीली नयी नवेली दुल्हन सा शर्मा कर बोली, "परदेसी, क्या बताऊँ? आज तुमने मुझे हमारे इस बदन के मिलन से अपना बना दिया है। तुम्हारे इस मोटे और लम्बे लण्ड ने मुझे सही मायने में एक औरत की इज्जत बक्शी है। आज मैं तुम्हारी मर्दानगी को अपने बदन के कोने कोने में महसूस कर रही हूँ। तुम्हारा लण्ड मेरी बच्चेदानी तक पहुँच चुकाहै, और इंशाअल्लाह मैं खुदा से इबादत करती हूँ की आज तुम मुझे अपने बच्चे की माँ बना सको तो मेरा जीवन कामयाब हो जाएगा।"
रोहित आयेशा की बात सुनकर पिघल से गए। उनसे चुदवाते समय उन्हें कभी किसी औरत ने इतने प्यार भरे शब्द नहीं कहे थे। उन्होंने कई औरतोंको चोदा था। कई औरतें उनपर फ़िदा थीं, पर आयेशा ने उन्हें ऐसी बात कह दी जो हर मर्द अपने साथ चुदाई करवाने के लिए लेटी हुई औरत से सुनना चाहता है। रोहित ने तय किया की वह उस रात आयेशा को इतना प्यार करेंगे जितना उन्होंने किसी को नहीं किया। रोहित ने अपने होँठ आयेशा के होँठों से चिपका दिए और उसे और कुछ ना बोलपाने पर मजबूर किया। आयेशा के रसीले होँठों का रस वह जिंदगी भर के लिए चूसना चाहते थे। आयेशा के मुंह से निकला रस भी इतना स्वादिष्ट था की वह बरबस ही आयेशा की मुंह की लार चूसते और निगलते रहे। आयेशा के मुँह में अपनी जीभ डाल उसे अंदर बाहर करते हुए रोहित आयेशा के मुँह को अपनी जुबान से पता नहीं कितने समय तक चोदते रहे। बिच बिच में वह अपना लण्ड ऊपर निचे कर आयेशा को यह दिलासादे रहेथे की अभी छूटनेमें वक्त लगेगा। रोहित का लण्ड अपनी चूत की सुरंग में पूरी तरह भर जाने के कारण आयेशा की चूत पूरी तरह से अपना पूरा तनाव में थी। पर आयेशा की उत्तेजना उसकी चूत की पूरी सुरंग के स्नायु की फड़कन से रोहित महसूस कर रहे थे। उनका लण्ड बार बार आयेशा की चूत की दीवारें एकदम दबा के पकड़ लेतीं तो कभी थोड़ा कम दबाव होता। आयेशा भी उसकी इतनी उत्तेजक चुदाई से उन्मादित हो कर परदेसी को कभी होँठों पर तो कभी उनकी गर्दन पर, कभी उनके कानों को तो कभी उनकी दाढ़ी को अपने होंठों से परदेसी के बदन के निचे दबी हुई आयेशा चूमती रहती थी। एक औरत प्यार भरी चुदाई कितना एन्जॉय कर सकती है यह आयेशा के चहरे के भाव बता देते थे।
कभी रोहित के भारी भरखम लण्ड के अंदर बाहर होने के कारण हो रहे दर्द के मारे आयेशा की भौंहें सिकुड़ जाती थीं, तो कभी परदेसी के लण्ड की गर्मी उसे ऐसी उन्मादित कर देती थी की वह "आह...." बोल पड़ती थी। कभी परदेसी के लण्ड के उसकी चूत की सुरंग में सरकने से हो रहा उन्मादक घर्षण उसे पागल कर देता था तो कभी परदेसी के लण्ड की उसकी बच्चेदानी पर लगी ठोकर से वह "ओह....." बोलकर रुक जाती थी। जैसे जैसे रोहित ने धीरे धीरे अपनी चुदाई की रफ़्तार बढई, आयेशा भी उनके साथ साथ परदेसी का लण्ड ज्यादा से ज्यादा वक्त उसकी चूत में रहे और घुसे उसकी फिराक में अपना पेंडू ऊपर उठाकर परदेसी के तगड़े लण्ड को और अंदर घुसने की जगह बनाने की कोशिश करती रहती थी। रोहित की "उँह ..." और आयेशा की "ओह... आह..." से गुफा गूंज रही थी। आयेशा ने अपनी सुआकार टांगें ऊपर उठाकर परदेसी के कन्धों पर रक्खी हुई थीं। रोहित का लण्ड इंजन के पिस्टन की तरह फुर्ती से अंदर बाहर हो रहा था। आयेशा भी परदेसी के अंदर बाहर होते हुए लण्ड को अपनी चूत की सुरंग में घिसवाने से हो रहे आनंद का अद्भुत अनुभव कर रही थी। रोहित का लण्ड अपनी चिकनाहट और आयेशा की चूत से झर रहे स्राव से पूरी तरह चिकनाहट से सराबोर हो चुका था। आयेशा को परदेसी के लण्ड के घुसने और निकलने से ज्यादा परेशानी नहीं हो रही थी। वह तो दर्द के भी मजे ले रही थी। रोहित के हाथ आयेशा की भरपूर चूँचियों को जकड़े हुए थे। परदेसी के धक्कों से आयेशा का पूरा बदन हिल रहा था।
यह सिलसिला करीब आधे घंटे तक बिना रुके चलता रहा। दोनों प्रेमियों में से कोई भी जल्दी से झड़ने के लिए तैयार न था। शायद वह तो पूरी रात ही चुदाई जारी रखना चाहते थे। पर आयेशा ने एक वाक्य कहा जिसे सुनकर उसके परदेसी के लण्ड में अद्भुत सी मचलन होने लगी। आयेशा ने कहा, "परदेसी, मैं तुम्हारी बीबी बनकर इस तुम्हारे मोटे और तगड़े लण्ड से तुमसे हररोज दिन हो या रात कई बार चुदवाना चाहती हूँ। पर यह कैसे होगा? क्या तुम मुझे चोद कर छोड़ दोगे? क्या तुम मुझे जिंदगी भर चोदना नहीं चाहते?" आयेशा की बात सुनकर रोहित काफी भावुक हो गए। उनके लण्ड में वीर्य की मौंजें तेज हो गयी। वीर्य की धमनियों में उनका वीर्य तेजी से दौड़ने लगा। रोहित को लगा की अब झड़ने का समय आ गया है। उन्होंने आनन् फानन में अपनी माशूक़ा आयेशा से कहा, "आयेशा, वह सब बाद में बात करेंगे, अभी तो मैं अपना माल छोड़ने वाला हूँ। बोलो अंदर छोडूं या बाहर? क्या तुम सचमुच में मेरे बच्चों की माँ बनना चाहती हो? क्या तुम मेरे बगैर मेरे बच्चों को पाल सकोगी? कहीं लोग तुम्हें बिनब्याही माँ कहके परेशान तो नहीं करेंगे?" आयेशा ने बेझिझक कहा, "मैं ऐसे छोटे मोटे अनाड़ियों से आसानी से निपट लुंगी, पर हाँ, अगर हो सके तो मुझे जरूर तुम्हारे बच्चों की माँ बनना है। तुम अपना सारा माल मेरी चूत में उंडेल दो। मैं भी तो देखूं की हिंदुस्तानी वीर्य में कितना दम है?" आयेशा की बेबाक बात सुन कर रोहित अचरज में पड़ गए। वह सोचने लगे "क्या कोई औरत सिर्फ एक दिन की मुलाक़ात में किसी मर्द के लिए इतना सहने के लिए तैयार हो सकती है?"
रोहित ने बड़े प्यारसे आयेशा को दुबारा चूमते हुए आयेशा को चोदने की गति तेज कर दी। आयेशा भी अब पूरी तरह अपनी चुदाई में अपना ध्यान लगा रही थी। परदेसी के अंदर बाहर होते हुए मोटे लण्ड से वह चुदवाने का अनोखा आनंद ले रही थी। उसके लिए उस रात का हर एक पल सालों जैसा था। उसका उन्माद भी अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच रहा था। आयेशा चाहती थी की उसका झड़ना भी अपने परदेसी आशिक़ के साथ ही हो। आयेशा ने भी अपनी उत्तेजना और उन्माद और बढ़ाने के लिए अपने पेंडू से अपनी कमर को ऊपर कर अपने आशिक़ का लण्ड और गहराई तक पहुंचे और उसमें और ज्यादा हवस का जोश पैदा हो ताकि दोनों का झड़ना एक साथ ही हो। चंद पलों में आयेशा कराह उठी, "ओह... परदेसी, तुम गज़ब की चुदाई कर रहे हो! आह..... बापरे... ओह.... मैं झड़ रही हूँ... मुझे पकड़ो यार...आह..... कमाल हो गया....." रोहित भी, "आयेशा, मेरा यकीन करो, मेरी इतनी लम्बी जिंदगी में मुझे इस कदर महसूस नहीं हुआ। पता नहीं मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ?" आयेशा ने पट से जवाब दिया, "प्यार में शुक्रिया नहीं कहते। यह तो हम अपने और अपनों के लिए करते हैं। फिर शुक्रिया कैसा? और रुकिए, मैं आज आपको यहां नहीं छोड़ने वाली। आज आपको पूरी रात भर मेरी चुदाई करनी है। मैं तैयार हूँ। कहीं आप ना मुकर जाना।"
आयेशा ने फ़टाफ़ट कपडे से पहले अपने आपको साफ़ किया। अपनी चूत और उसके इर्दगिर्द सफाई की और फिर रोहितके लण्ड को अच्छी तरह से पोंछा और उसे चुम्बन कर के उठ खड़ी हुई। रोहित आयेशा के कोमल और कमसिन नंगे बदन को देखते ही नहीं थकतेथे। रोहित ने कहा, "अभी तो रात जवान है। मैं मुकरने वालों में से नहीं। पर हम अब फिलहाल कपडे पहन लेते हैं। हम यह देखें कहीं कोई उंचनीच ना हो जाए।" आयेशा ने फ़ौरन उठकर परदेसी की नजर के लिए ख़ास नंगी चलती हुई, अपने कूल्हे मटकाती हुई सुखाये हुए कपडे ले आयी। कपडे तब तक सुख चुके थे। रोहित को उनके कपडे दिए। अपने कपडे फुर्ती से पहनते हुए रोहित बोले, "अब दो घंटे तुम आराम करोगी और मैं पहरा दूंगा। हमें प्यार करते हुए भी गाफिल नहीं रहना है।" यह कह कर रोहित गुफा के अंदर दरवाजे के पास बैठ गए और बाहर अँधेरे में कोई हलचल हो तो उसका ख्याल सावधानी से रखने में लग गए।
आयेशा पुरे दिन की उत्तेजना और रात के रोमाँच के कारण काफी थकी हुई थी। पुरे दिन भर चौकन्ना रह कर पहरा देने के बाद रातको परदेसी के तगड़े लण्ड से अच्छी तरह से और जोशो-खरोश से चुदाई करवाने के कारण आयेशा पूरी तरह थक चुकी थी। रोहित के कहने पर वह जैसे ही लेटी की निढाल हो कर बेहोश सी गहरी नींद की गोद में पहुँच गयी। जो कपडे आयेशा ने पहन रक्खे थे वह भी कई जगह से फ़टे हुए और छोटे से थे। अच्छी तरह से और बड़े प्यार से चुदने के बाद एक औरत के चेहरे पर जैसे संतुष्टि होती है वैसी संतुष्टि आयेशा के चेहरे पर दिखाई दे रही थी। नींदमें भी वह कभी कभार मुस्कुरा देती थी। शायद उसे अपने आशिक़ परदेसी के लण्ड का उसकी चूत में जो एहसास हुआ था वह उसे सपने में दुबारा अनुभव रहा था।
रोहित ने खड़े खड़े ही लंबा फ़ैल कर लेटी हुई आयेशाको देखा। जन्नतसे उतरीहूर जैसी आयेशा के कपडे इधर उधर बिखरे हुएथे। आयेशाके स्तन ब्लाउज और ब्रा की परवाह ना करते हुए सर उठा कर खड़े हों ऐसे दिख रहेथे। आयेशाकी सुआकार जाँघें खुली हुई थीं और बिच के प्रेम भरी चूत को मुश्किल से छुपा पा रहीं थीं। आयेशा को इतना नंगा देखने और अपने लण्ड से चोदने के बाद भी आयेशा का ढका हुआ बदन देख करही रोहित का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। वह चाहते थे की आयेशा कम से कम दोघंटे आरामकरे। रोहित जी ने देखा की बेफाम गद्दे पर लेटी हुई आयेशा गजब की सुंदर लग रही थी। उसकी टांगें उसके बाजू, उसके बिखरे बाल, उसकी पतली कमर सब रोहित को फिर से उत्तेजित कर रहेथे। विधाता का विधानभी कैसा होता है? वह आयेशा जिनको वह चंद घंटों पहले जानते तक नहीं थे वह उनकी सिर्फ हमसफ़र और हमराजही नहीं बल्कि उनकी शय्याभागिनी (हम बिस्तर) बन गयी थी। रोहित जी को गर्व हुआ की ऐसी महिला जो उनके धर्म और देश की नहीं थी वह भी उनपर आज अपनों से ज्यादा भरोसा कर रही थी। यहां तक की वह रोहित का नाजायज कहे जाने वाले बच्चे को जनम देने के लिए आमादा थी।
रोहित तीन घंटे तक बड़े ध्यान और बारीकी से गुफाके बाहर देख कर पहरेदारी कर रहेथे। उन्होंने कहींभी कोईभी तरह की हलचल नहीं देखि। चारों तरफ कदम शान्ति का माहौल था। उन्हें तसल्ली हुई की दुश्मनों की फ़ौज वापस अपने मुकाम पर चली गयी थी। आधी रात बित चुकी थी। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी। रोहित का मन खट्टा हो रहा था की एक वक्त आएगा जब उन्हें आयेशा को छोड़ कर जाना पड़ेगा। एक परायी औरत से कितनी आत्मीयता उतने कम समय में कैसे हो जाती है? उनके पास शायद आज रात का ही समय था जो शायद उनके जीवनका सबसे यादगार समय बन सकता था। वह धीरे धीरे आयेशा के पास पहुंचे और उसके पास जाकर गद्दे पर आयेशा के साथ लेट गए। गहरी नींदमें भी आयेशा के चेहरे पर हलकी मुस्कान दिखरही थी। शायद वह उस रात के पहले प्रहरके प्यार भरे घंटों को याद कर रहीथी। रोहित ने लेटतेही आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और उसके कपाल पर एक हल्का सा चुम्बन करके बोले, "उठो रानी, तुमने मुझे दो घंटे में ही जगाने के लिए कहा था, पर अब तीन घंटे के बाद मैं आप को जगाने के लिए आया हूँ। आयेशा "ऊँ..... सोने दो ना... ...." कह कर पलट कर रोहित को बाँहों में आगयी और उनसे लिपट कर सो गयी। रोहित की बाँहों में आयेशा के मरमरा बदन का एहसास होते ही रोहित का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा की चूत बिलकुल रोहित की लण्ड को सट कर लगी हुई थी। आयेशाके चुचुक रोहितकी छाती पर दबे हुए थे। रोहित ने कहा, "मेरी जानू, सुबह हो जायेगी तो फिर तुम्हारा पूरी रात भर प्यार करने का सपना अधूरा का अधूरा ही रह जाएगा। बाकी तुम्हारी मर्जी।"
जैसे ही आयेशा ने यह सुना तो एकदम बाँहें खोल कर परदेसी को अपनी बाँहों में सिमट कर बोली, "परदेसी, मैं जाग रही हूँ और तुम्हारे प्यार के लिए तड़प रही हूँ।" आयेशा ने अपनी बाँहें फैला कर अपनी जाँघों में रोहित की टांगों को दबोच लिया और रोहित से चिपक कर उनके होँठों से अपने होँठ चिपका कर बोली, "अब ना तो मैं सोऊंगी, ना आप। हम पूरी रात भर प्यार करेंगे। तुम तैयार रहो।" रोहित ने कहा, "मैं तो कभी से तैयार हूँ।" आयेशा ने प्यार भरे हांथों से रोहित जी की पीठ सहलाना शुरू किया और जब रोहित जी ने अपने लण्ड को आयेशा की टांगों के बिच में धक्का मार कर घुसेड़ ने की कोशिश की तो आयेशा हँस कर बोली, "परदेसी, तुम तो बिलकुल तैयार लग रहे हो। तुम्हारा लण्ड तो फौलादी छड़ की तरह तैयार है?" रोहित ने आयेशा के सलवार का नाडा खोलते हुए कहा, "मैं देखता हूँ की क्या तुम तैयार हो की नहीं?" नाडा खुलते ही रोहित ने आयेशा की जाँघों के बिच में अपना हाथ डाला और पाया की आयेशा की चूत में से उसका पानी रिसना चालू हो गया था। रोहित ने एक उंगली आयेशा की चूत में डाली और उसे प्यार से उसकी चूत की त्वचा पर रगड़ने लगे। आयेशा की चूत में रोहित की उंगली का स्पर्श होते ही आयेशा के बदन में कम्पन फ़ैल गया। आयेशा गद्दे पर रोहित की बाँहों में मचलने लगी।
आयेशा ने रोहित की आँखों में आँखें डालकर पूछा, "मेरे प्यारे परदेसी, क्या मौक़ा मिला तो तुम तुम्हारी इस नाजायज बेगम और उसके नाजायाज बच्चे को कभी मिलने आओगे?" रोहित जी ने पूछा, "आयेशा क्या तुम वाकई में मेरे बच्चे को जनम देने पर आमादा हो? मैं तो तुम्हें यही कहूंगा की अगर तुम्हारा पीरियड मिस हो तो तुम फ़ौरन बच्चेको गिरा देना। मैं तुम्हारे सरपर कोई बदनामी का दाग देखना नहीं चाहता।" आयेशा ने बड़ी ही नजाकत और प्यार भरी नज़रों से अपने आशिक़ की और देखते हुए कहा, "अरे परदेसी, यह मुल्क हैवानीयत का अड्डा बन चुका है। यहाँ प्यार नहीं, पैसा, ताकत और हवस चलता है। यहां बात बात पर लोग एक दूसरे को गोली से उड़ा देते हैं। यहां औरतोंकी कोई इज्जत नहीं। इस मुल्क में इज्जत क्या और जिल्लत क्या? तुमने मुझे चंद घंटों के लिए ही सही, पर जो प्यार और इज्जत दी है वह अगर मेरे पेट में बच्चे के रूप में पैदा होगी तो मैं उसे जिंदगी भर पालूंगी और उसे इस जाहिल दुनिया में एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करुँगी।"
आयेशा की बात सुनकर रोहित की आँखोंमें आँसू आगये। आयेशा ने अपने आशिक़ के आँसूं पोंछते हुए कहा, "परदेसी, यह वक्त आँसूं बहाने का नहीं है। यह वक्त प्यार करने का है। आँसूं बहाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है। प्यार करने के लिए तो बस यही वक्त है।" आयेशा ने रोहित जी को गद्दे पर लेटने को कहा और खुद उठकर अपने घुटनोँ पर रोहित की कमर को अपनी टाँगों के बिचमें फँसा कर खड़ी हुई और रोहित जी का लण्ड अपनी उँगलियों में लेकर उसे प्यार से हिलाने लगी। रोहित के लण्ड की धमनियों में पहले से ही उनके वीर्य का दबाव बढ़ा हुआ था। रोहित का लण्ड अपनी माशूका से दुबारा मिलकर उसको प्यार करने के लिए बेचैन था। थोड़ी देर परदेसी का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ कर अपनी चूत के होँठों से रगड़ कर उसे स्निग्ध कर आयेशा ने अपनी चूत को नीचा किया ताकि अपने आशिक़ का लण्ड वह अपनी चूत में घुसा सके। रोहित का चिकनाहट भरा वीर्य तभी भी आयेशा की चूत में भरा हुआ था। लण्ड को चूत में घुसनेमें पहलेसे ज्यादा दिक्कत अथवा दर्द नहीं हुआ। रोहित ने भी अपना पेंडू ऊपर कर आयेशाकी चूतमें धीरेसे अपना लण्ड घुसाया। आयेशा की चूत अच्छा खासा पानी छोड़ रही थी। आयेशाने अपने आशिक़ के हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिए। वह चाहती थी की चुदाई करवाते हुए उसका आशिक़ उसकी चूँचियों को खूब मसलदे और दबा दबा कर उसका दूध निकालदे। खैर दूध भले ही ना निकले पर उसके बूब्स पर निशान तो पड़े! रोहित ने फ़ौरन आयेशा के मदमस्त स्तनोँ को दबा कर मसलना शुरू किया और अपने लण्ड को धीरे धीरे से आयेशा की चूत में घुसते हुए महसूस किया। आयेशा ने धीरे धीरे अपनी टाँगों के बल पर उठकर और फिर बैठ कर अपने आशिक़ को चोदना शुरू किया। कुछ ही देर में अपने आशिक़ का लण्ड आयेशा की चूत में पूरा घुस गया।
आयेशा की रोहित को चोदने की गति धीरे धीरे बढ़ने लगी। रोहित ने पहली बार किसी विदेशी औरतसे इतने प्यारसे चुदवाया था। उन्होंने कई विदेशी औरतों को चोदा तो था पर उस रात की बात कुछ अलग ही थी। आयेशा के चेहरे पर जैसे पागलपन सवार था। वह तेजी से अपने आशिक़ को चोदने में मशगूल थी। तब रोहित ने उसे रोका और थोड़ा सा बैठ कर उन्होंने अपनी माशूका के स्तनोँ को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगे। आयेशा अपने स्तनों को परदेसी के मुंह में पाकर काफी उत्तेजित लग रही थी। रोहित जी ने अपने दांतों से आयेशा के बूब्स की निप्पलोँ को प्यार से काटना शुरू किया। आयेशा ने रोहित जी के मुंह में अपने स्तनोँ को चुसवाते हुए ही धीरे धीरे उनके लण्ड को चोदना जारी रखा। आयेशा कीप्यारी सुआकार गाँड़ अपने आशिक़ को चोदने के लिए बार बार ऊपर निचे हो रही थी। रोहित का लण्ड "फचाक.... फचाक.... " आयेशाकी चूत में घुस रहा था और बाहर निकल रहा था।
रोहित ने अपनी हाथ आयेशाके थिरकते स्तनों से हटा कर आयेशा की गाँड़ पर टिका दिए और दोनों हाँथों से वह आयेशा की करारी गाँड़के गालों को दबाने और खींचने लगे। उनका लण्ड उनकी उँगलियोंके नजदीकमें उस रातकी उनकी माशूका की चूत में कहर ढा रहा था। आयेशा रोहित के लण्ड से और ज्यादा आनंद लेना चाहती थी और उस लिए वह रोहित के लण्ड को अपनी गाँड़ और पूरा बदन इधर उधर हिलाकर रोहित के लण्ड को अपनी चूत की सुरंग में घुमा रही थी। लण्ड के इधरउधर घूमने से आयेशा की चूत में अद्भुत घर्षण और उत्तेजना पैदा हो रही थी। उसे अपने आशिक़ का लण्ड अपनी चूत की सुरंग के हर कोने में महसूस हो रहा था। आयेशा के इस तरह अपने बदन को घुमाने से रोहित के बदन और ख़ास करके उनके लण्ड पर गजब का असर हो रहा था। इस बार जल्दी झड़ने वाले नहीं थे। उन्हें आयेशा को हर तरहसे चोदना था। सुनिलजी कुछ थम कर धीरे धीरे पर आयेशा की चूत की पूरी गहराई तक अपना लण्ड घुसाने में मशगूल थे। कुछ देर बाद रोहित ने आयेशा को रोका और उसे उठ खड़ी होने को कहा। फिर उन्होंने आयेशा को आगे की और झुका कर खुद उसक पीछे आ गए। आयेशा समझ गयी की उसका आशिक़ उसे पिछेसे डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था। आयेशा ने भी अपने आपको ठीक से एडजूट किया ताकि परदेसी उसकी चूत में अपना लण्ड गहराई तक डालसके। रोहित ने आयेशा के पिछेसे खड़े हो कर काफी देर तक अच्छी खासी चुदाई की। आखिर में जब वह अपने चरम पर पहुँचने लगे तब आयेशा ने उन्हें कहा की वह अपना वीर्य आयेशाकी चूतमें ही निकालदे। फ़ौरन आयेशा की चूत में जैसे गरम गरम मलाई की फौहार छूट पड़ी। रोहित के लंडसे गाढ़ी मलाई का फव्वारा छूट पड़ा। आयेशा उसे अपनी चूत में फैलतेहुए महसूसकिया। वह मनसे अपने अल्लाह को इबादत कर रही थी की आज रात की उसके आशिक़ की यह सौगात उसके साथ जिंदगी भर रहे। कुछ ही देर में आयेशा और उसका परदेसी आशिक़ निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर और फिर बाजू में गिर पड़े। काफी देर तक पड़े रहने के बाद जब उनकी सॉँस ठीक हुई तो एकदूसरे से लिपट गए। आयशा बड़ी ही भावुक हो उठी थी। उसकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं। बार बार वह अपने परदेसी से लिपट कर बोल रही थी, "मैं कैसे जी पाउंगी, तुम्हारे बिना। मेरा अब यहां कोई भी नहीं बचा है। एक तुम पहली बार मेरी जिंदगी में आये और मुझे वह प्यार दिया जो मुझे पहले किसीसे नहीं मिला। मैं तुम्हारे प्यार के बगैर कैसे जी पाउंगी?"
रोहित की आँखों में भी पानी आ गया। कैसे एक परदेसी औरत ने एक रात मेंही एक अजनबी को अपना बना दिया था! रोहित कुछ भी ना बोलकर चुप रहे। कुछ देर बाद आयेशा शांत हो गयी। उसे तो वहीँ जीना था।
वह रोहित से कहने लगी, "चलो, अभी अन्धेरा है और कोई हलचल भी नहीं है। अगर हम अभी निकल पड़े तो सुबह के पहले ही मैं तुम्हें सरहद पार करा दूँगी। फिर तुम्हें आगे अपने आप आगे जाना पड़ेगा। मैं वहाँ से वापस चली आउंगी। अगर देर हो गयी तो कहीं हम पकडे नाजाएँ।" रोहित ने फिर अपनी बाँहें फैला कर आयेशा को अपने आगोश में ले लिया। आयेशाका नंग्न बदन रोहित जी के नंग बदन के साथ जैसे एक हो गया। दो पड़ेसी अनजाने जीव एक दिन के लिए मिले और एक रात के बाद फिर अलग होने को तैयार हो गए। रोहित ने आयेशा के होँठों पर अपने होँठ रख दिए और उतना लमबा और प्यार भरा चुम्बन किया की शायद पहले उन्होंने किसी औरत को इतना लंबा चुम्बन नहीं किया होगा।
आयेशा कूद कर रोहित की कमर में अपनी टाँगे लपेट कर उनसे चुम्बन में मस्त हो गयी। उनके आलिंगन से एक बार फिर रोहित का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा हंस कर जल्दी गद्दे पर लेट गयी और बोली, "परदेसी एक आखरी बार मुझे चोदो। जल्दी करो समय ज्यादा नहीं है।" आखरी बार रोहित ने आयेशाकी चूतमें अपना लण्ड डाला और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद वह दोनों झड़ गए। जल्दी से उठ कर खड़े होकर दोनों ने अपने आप को सम्हाला और गुफा के बाहर निकल कर चल दिए।
ईधर...
जीतूजी और अपर्णा नदी के किनारे गीली मिटटी में पड़े पड़े ही एक दूसरे की आँखों में झाँक कर देख रहे थे। अपर्णा ने अपने बाजू ऊपर किये और जीतूजी का सर अपने हाथोंमें लेलिया और उनके होँठ अपने होँठोंसे चिपका दिए। अपर्णाने जीतू जी के पुरे बदनको अपने बदनसे सटानेपर मजबूर किया। अपर्णा के साथ ऐसे लेटने से जीतूजी का इन मुश्किल परिस्थितियों में भी लण्ड खड़ा हो गया। उन्होंने अपर्णा से कहा, "यह क्या कर रही हो?" और कह कर अपर्णासे दूर हटनेकी कोशिश की तो अपर्णा ने कहा, "अब आप देखते जाओ, मैं क्या क्या कर सकती हूँ?" जीतूजी हैरानी से अपर्णा को देखते रहे। अपर्णा ने फिर से जीतूजी का सर पकड़ा और दोनों गहरे चुम्बन लेने लें एक दूसरे से चिपक गए। अपर्णा की जान जीतूजी ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बचाई थी। यह बात अपर्णा के लिए बहुत बड़ा मायना रखती थी। उसकी नज़रों में जीतूजी ने वह कर दिखाया जो उसके पति भी नहीं कर सके। थकान और दर्द के मारे अपर्णा की जान निकली जारही थी।जीतूजी से अपना आधा नंगा बदन चिपका कर अपर्णा को जरूर जोश आया था। अपर्णा सोच रही थी की जीतूजी में पता नहीं कितनी छिपी हुई ताकत थी की इतने झंझट, परिश्रम और नींद नहींहो पाने पर भी वह काफी फुर्तीले लग रहे थे। अपर्णा को मन में गर्व हुआ की जीतूजी ने अपर्णाके प्रियतम जैसा काम कर दिखाया था। आज जीतूजी ने एक राजपूत जैसा काम कर दिखाया था। अब वह अपर्णा के पुरे प्यार के लायक थे।
अपर्णा के रसीले होँठोंका रस चूसते हुएभी जीतू जी के दिमाग में बचाव की रणनीति पुरे समय घूम रही थी। उन्होंने अपर्णा को कहा, "अपर्णा, अब हमें यहाँ से जल्दी भाग निकलना है। पता नहीं दुश्मनो के सिपाही यहां कहीं गश्त ना लगा रहे हों। हमें यह भी पता नहीं की इस वक्त हम कहाँ हैं?" अपर्णा ने उठते हुए अपने कपड़ों के ऊपर से लगी मिटटी साफ़ करतेहुए कहा, "आपतो खगोल शाश्त्र के निष्णात हो। सितारों को देख कर भी बता सकते हो ना की हम कहाँ हैं?"
पता नहीं कितना समय बीत चुका था। रोहित को गहरी नींद में अजीब सा सपना देख रहे थे। सपने में उन्होंने देखा की जिस कमरे में उन्हें बंद किया गया था, उसमें उनके और जीतूजी के हाथ पाँव बंधे हुए थे और रोहित और जीतूजी दोनों को एक रस्सी से कस कर पलंग के साथ बाँध दिया गया था। उन्होंने देखा की कालिये ने अपर्णा के भी हाथ बाँध दिए थे और उसके मुंह पर पट्टी बांध दी थी। कालिया के हाथ में वही बंदूक थी और वह बन्दुक को रोहित और जीतूजी की और तान कर अपर्णा से बोल रहा था, "अब मैं तुम्हें चोदुँगा। तुमने ज़रा भी आवाज निकाली या मेरा विरोध किया तो मैं तुम्हारे पति और इस आशिक को गोली मारकर यहीं ख़त्म कर दूंगा। तुम नहीं जानती मैं कितना खतरनाक हूँ। मैंने कई लोगों को मार दिया है और इन सब को मारने में मुझे मारने में मुझे कोई तकलीफ या दुःख नहीं होगा। कालिया ने अपने सारे कपडे एक के बाद निकाल दिए और अपर्णा के सामने नंगा खड़ा था। उसका बड़ा मोटा लण्ड कड़क खड़ा था और कालिया उसे अपर्णा के मुंह के सामने हिला रहा था। वह चाहता था की अपर्णा उसके लण्ड को चूसे। अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया। जैसे ही अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया तो कालिये ने कस के एक थप्पड़ अपर्णा के कोमल गाल पर जड़ दिया। अपर्णा दर्द के मारे कराहने लगी। अपर्णा ने जब मुँह फेर लिया तो कालिया चिल्लाया, "साली रण्डी! नखरे करती है? जानती नहीं मैं कौन हूँ? मैं यहाँ का खूंखार छुरेबाज और हत्यारा हूँ। मुझे यहां के लोग कसाई कहते हैं। मैंने आजतक कमसे कम दस को जरूर मार दिया होगा। अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो तुम ग्यारविंह होगी। तुम्हारे दो साथीदार मिलकर तेरह होंगे। तुम्हारे रिश्तेदारों को तुम्हारी लाश भी नहीं मिलेगी।"
कालिया ने एक के बाद एक अपर्णा के कपडे निकाल दिए और उसकी जाँघों को चौड़ा किया। अपना मोटा तगड़ा हाथ कालिया ने अपर्णा की दो जाँघों के बिच में डाल दिया और अपर्णा की चूत में उंगली डाल कर उसका रस निकाल कर उस उंगली को कालिये ने अपने मुंह में डाली और उसे चाटने लगा। कालिये की यह हरकत देख कर जीतूजी पलंग पर ही तड़फड़ा रहे थे। उनके देखने की परवाह ना करते हुए कालिये ने अपर्णा का ब्लाउज एक ही झटके में फाड़ डाला। अपर्णा की ब्रा को भी एक झटका लगा कर खोल दिया और अपर्णा की चूँचियों को अपने दोनों हाथों से कालिया मसलने लगा। वह बार बार अपर्णा की निप्पलोँ पर अपना मुंह लगा कर उन्हें काटता था। अपर्णा बेहाल हालात में पलंग पर लेटी हुई थी। अपर्णा का फटा हुआ स्कर्ट उसकी जाँघोंसे काफी ऊपर था। उसकी पैंटी गायब थी। कालियेने पहले ही अपर्णा का ब्लाउज और ब्रा फाड़ के फेंक दी होगी, क्यों की अपर्णा के उन्मादक बूब्स अपर्णा की छाती पर छोटे टीले के सामान फूली निप्पलोँ से सुशोभित दिख रहे थे। जल्द ही कालिया अपने लण्ड को उसकी चूत में डालेगा इस डर से अपर्णा बिस्तर पर मचल कर जोर से हिल रही थी और डर से काँप रही थी। वह इसी फिराक में थी की कैसे ना कैसे उस भैंसे जैसे राक्षस के भयानक लम्बे और मोटे लण्ड से चुदवाना ना पड़े।
अपर्णा को पता था की यदि कालिये ने अपने उस खम्भे जैसे लण्डसे उसे चोदातो उसके लम्बे लण्ड से और दूसरे उसके हिंसक एवं जोरदार धक्कों से अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें पेलते हुए कालिया अपर्णा की चूत फाड़ कर रख देगा और क्या पता अपर्णा उसकी चुदाई झेल ना सके और कहीं ज्यादा खून बहनेसे मर ना जाए? अपर्णा की आँखों में उस भय के कारण आतंक छाया हुआ दिख रहा था। अपर्णा की चूत साफ दिख रही थी। पर आश्चर्य की बात यह थी की रोहित ने देखा की उनकी बीबी अपर्णा की चूत में से पानी रिस रहा था जो चुगली खा रहा था की अपर्णा का मन उस डर के बावजूद कालिये से चुदाई के लिए उत्तेजित हो रहा था। रोहित समझ नहीं पाए की ऐसी हालत में भी उनकी पत्नी कालिये से चुदवाने के लिए भला कैसे उत्तेजित हो सकती है? पर खैर, इनको तो मज़बूरी में चुपचाप कालिया क्या करता है वह देखना ही था। अपनी नंगी बीबी को देख कर रोहित का लण्ड भी तो खड़ा हो गया था। वह भी तो अपनी दो टाँगों के बिच में गजब की हलचल महसूस कर रहे थे।
रोहित ने अपने साथीदार जीतूजी की और देखा। जीतूजी का लण्ड जरूर खड़ा हो गया था, क्यूंकि वह इधर उधर खिसक कर अपना खड़ा लण्ड एडजस्ट करनेकी कोशिशकर रहेथे। रोहित जी ने देखा की कालिया ने जब अपर्णा के गाल पर करारा थप्पड़ मार दिया तो अपर्णा कराह उठी। उसे लगा की कहीं उसके एकाध दांत कालिया की थप्पड़ से टूट ना गया हो। कालिया की आज्ञा पालन करने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था। अपना लहराता हुआ लण्ड जब कालिया अपर्णा की मुँह के पास लाया और अपेक्षा के साथ अपर्णा की और देखने लगा तो ना चाहते हुए भी अपर्णा ने कालिया के लण्ड की और देखा। इस बार उसकी हिम्मत नहीं थी की वह अपना मुंह फेर ले।
कालिया फिर चिल्लाया, "चलो चुसो मेरा लण्ड।" कालिये की चिल्लाहट सुनते ही अपर्णा ने अपने मुंह से बोलने की कोशिश की और अपने बंधे हुए हाथोँ को उठाकर कालिया को दिखाए। कालिया समझ गया की उसका लण्ड चूसनेके लिए अपर्णा का मुंह खोलना जरुरी था। और अगर उसने मुंह खोला और चिल्लाई तो जरूर सब जाग जाएंगे। कुछ सोचने के बाद कालिया ने तय किया की अपर्णा के हाथ छोड़ने में कम जोखिम था। उसने आगे बढ़कर अपर्णा के हाथ खोल दिए। हाथ खुलते ही कालिये ने अपर्णा के हाथों में अपना लण्ड पकड़ा दिया। अपर्णा ने अपने हाथ में कालिये का लण्ड पकड़ा और उसे डर के मारे हिलाने लगी। उसके हाथों में कालिया लण्ड ऐसा लग रहा था जैसे अपर्णा ने हाथ में कोई अजगर पकड़ रखा हो। रोहित बार बार अपर्णा के चेहरे की और देख रहे थे पर वह अपर्णा के भावों को समझ नहीं पा रहे थे। कुछ ही देर में कालिया से रहा नहीं गया और उसने अपने दोनों हाथोँ से अपर्णा की टाँगें चौड़ी कीं। कालिया झुक कर अपर्णा की चूत देखने लगा।
उसकी चूत का छोटा सा छिद्र देख कर उसने एक भयानक तरीके से ठहाका मार कर हंसा और बोला, "अरे रानी तेरी चूत का होल तो बड़ा छोटा है। मेरा लण्ड इतना मोटा। कैसे डलवायेगी उसको अपने अंदर? मैं तो तुंझे छोडूंगा नहीं।" यह कह कर कालिया अपर्णा के ऊपर चढ़ गया। उसके ऊपर सवार होकर उसने अपना लण्ड अपर्णा की चूत के छिद्र पर रखा और अपर्णा से कहा, "अब मैं तुझे यह मौक़ा देता हूँ की तू मरे लण्ड को सहला कर उसकी चिकनाहट से अपनी चूत गीली करले ताकि तुझे ज्यादा परेशानी ना हो।" जैसे ही अपर्णा ने कालिये का लण्ड पकड़ कर उसे सहलाया और अपनी चूत के होंठों को चिकना किया, कालिये ने एक ही झटके में अपना लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा दिया। रोहित की समझ में यह नहीं आया की कैसे कालिया अपना इतना मोटा लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा पाया। उसके बाद कालिया अपने पेंडू से धक्के मारकर अपर्णाकी चूतमें अपना लण्ड पेलने लगा। अपर्णा की काराहट बढ़ती जा रही थी। पर अपर्णा मुंह पर लगी पट्टी के कारण चिल्ला नहीं पा रही थी। कालिया एक के बाद एक धक्के मार कर अपना लण्ड थोड़ा थोड़ा ज्यादा अंदर घुसेड़ रहा था वैसे वैसे अपर्णा की हलचल बढ़ रही थी।
रोहित ने देखा की अपर्णा भी कालिये के साथ साथ चुदाई का मजा ले रही थी। रोहित की झल्लाहट का ठिकाना ना रहा? वह मन ही मन सोच रहे थे, "यह कैसी औरत है जो ऐसे भयानक आदमी से चुदवा कर मजे ले रही है?" अपर्णा को काफी देर तक कालिये ने चोदा। अपर्णा की चूत में से खून निकल रहा था। रोहित से देखा नहीं गया। उन्होंने अपनी आँखें मूँद लीं। अचानक उन्हें महसूस हुआ की कमरे में श्रेया जी दाखिल हुई। वह अचम्भे से देखते रहे की देखते ही देखते वहाँ से अपर्णा, कालिया, जीतूजी सब पता नहीं कहाँ चले गए। उन्होंने यह भी महसूस किया की उनके हाथ और पाँव खुले थे। श्रेया जी के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। बापरे! रोहित ने महसूस किया की श्रेया वैसी ही नग्नावस्था में उनके पास आकर सो गयीं और एक हाथ से उनके खड़े हुए लण्ड को सहलाने लगीं। उन्होंने यह भी महसूस किया की उनके बदन पर भी कोई कपड़ा नहीं था। श्रेया का नंगा बदन अब उनके नंगे बदन से सटकर लेटा था। श्रेया उनके ऊपर अपने स्तनोँ को रगड़ती हुई बोली, "परदेसी, मैं जानती हूँ तुम जल्दी ही चले जाओगे। तुम मेरे नहीं होने वाले, पर मैं कुछ देर के लिए ही सही तुम्हारी बनना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ की इस बिरावान जंगल में तुम आज मुझे अपनी बनालो।"
रोहित का माथा ठनक गया, उन्हें समझ नहीं आया की श्रेया उन्हें "परदेसी" क्यों कह रही थी।
वह चौंक कर अपनी नींद में से जग गए तो उन्होंने पाया की आयेशा नंगा रेशमी बदन उनसे सट कर लेटा हुआ था और आयेशा उनका लण्ड हलके से सहला रही थी। गुफा में पूरा अन्धेरा छाया हुआ था। लगता था शाम ढल चुकी थी। आयेशा के घने बाल रोहित के चेहरे पर बिखरे हुए थे। रोहित ने आयेशा के नंगे बदन पर हाथ फेरा। उनके हाथ में आयेशा के पके हुए आम से आयेशा के भरे हुए स्तन महसूस हुए। आयेशा ने रोहित के कानों में कहा, "परदेसी, अब सारे दुश्मन सिपाही भाग गए हैं। एक सिपाही भागते हुए चिल्ला रहा था। "भागो और जान बचाओ। हिंदुस्तानी फौजवाले आ पहुंचे हैं। लगता है, तुम्हारे सिपाहियों ने उनको खदेड़ दिया है। यहां उसके बाद पुरे दिन कोई नजर नहीं आया। अब सारी रात हमारी है।"
रोहित का सर चकरा रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था की क्या सच था और क्या सपना। कालिया तो मर गया था फिर वह कैसे अपर्णा को चोदने आया और अचानक श्रेया की जगह आयेशा कहाँसे आगयी, उनकी समझ में नहीं आ रहा था। कई दिनों की थकान और तनाव के कारण उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था। हालांकि दिन भर की नींद और आराम के बाद वह काफी राहत महसूस कर रहे थे। आयेशा का रेशमी बदन उनके नंगे बदन से रगड़ रहा था। आयेशा के घने मुलायम बाल उनके चेहरे और छाती पर बिखरे हुए थे। उनके हाथों में आयेशा के मस्त स्तनोँ और उनकी फूली हुई निप्पलेँ थीं। आयेशा के स्तन पके हुए फल की तरग पूरी तरह परिपक्व थे पर ज़रा से भी ढीले नहीं थे।
रोहित जी ने खुद महसूस किया की उन्हें शायद आयेशा से प्यार सा हो गया था। आयेशा भी बिना बोले रोहित के पुरे बदन को सहला रही थी, प्यार कर रहीथी। काफी समय वह चुप रहकर रोहित जी के सारे अंगों को प्यार से सहलाती तो कभी कभी वह रोहित के पुरे बदन को बार बार चुम कर "ओह! परदेसी, तुम कितने प्यारे हो। आज मैं पूरी तरहसे तुम्हारी बनना चाहती हूँ। आज तुम मुझे जैसे चाहो जी भरके प्यार करो। तुम मुझसे जो चाहे करो। मुझे एक रात में ही जनम जनम तक याद रहे ऐसा प्यार करो।" कभी यह बोलती तो कभी बस प्यार से रोहित के पुरे बदन को चुपचाप बिना बोले चूमती रहती। रोहित आयेशा का प्यार देख कर दंग रह गए। एक दुश्मन देश की लड़की उन्हें कितना प्यार करती थी। वह दोनों जानते थे की उनका प्यार थोड़ी ही देर के लिए था। कुछ ही देर में रोहित अपने रास्ते और आयेशा अपने रास्ते जुदा हो जाने वाले थे। आयेशा का पूरा बदन रोमांच से काँप रहा था। आयेशा के रोंगटे खड़े होगये थे जो उसकी मानसिक उत्तेजना दर्शाता था।
रोहित का लण्ड भी एकम फौलादकी छड़ की तरह खड़ा हो गया था। आयेशा कभी उसे अपने हाथों में लेकर हलके से प्यार से हिलाती थी तो कई बार झुक कर उनके लण्ड की नोंक को चुम कर छोड़ देती। रोहित आयेशा की पीठ सहलाते तो आयेशा की गाँड़ पर हाथ फिराते। कई बार आयेशा की सपाट कमर पर हाथ फिराते तो कई बार आयेशा की जाँघों के बिच में हाथ डालकर उसकी चूत के उभार को सहलाते। धीरे धीरे रोहित की उत्तेजना बढ़ने लगी। आयेशा भी अपनी धीरज की सीमा पर पहुँच रही थी। वह परदेसी के लण्ड को अपनी चूत में महसूस करना चाहती थी। उसे कोई क्या कहेगा इस की रत्ती भर की भी कोई चिंता नहीं थी। रोहित अब नींद की असर से पूरी तरह से बाहर आचुके थे। उनके सामने आयेशा थी जो उन्हें अपना नग्न, सुकोमल और कमसिन बदन पेश कर रही थी। रोहित ने आएशा के नग्न बदन को देखा तो था पर गौर से महसूस नहीं किया था। अब उनके पास मौक़ा था की वह आयेशा के नग्न बदन को प्यार से सहलाये और उसकी प्यार भरी जांच पड़ताल कर सके। वह बदन पूरी रात उनका था। रोहित का एक हाथ आयेशा की छाती पर उसके स्तनोँ को सहला रहाथा तो दुसरा हाथ आयेशाके पिछवाड़े आयेशा की सुकोमल और सुगठित गाँड़ को सहलाने में लग गया। रोहित ने जब से पहली बार आयेशा को देखा था तबसे उनको आयेशा की गाँड़ का आकार भली भाँति भाया था और उनके मन की इच्छा थी की उनको मौक़ा मिलेगा तो वह आयेशा की गाँड़ को अच्छी तरह से सहलायेंगे और उसे चूमेंगे।
अक्सर मर्दों को औरतों की गांड का घुमाव बड़ा ही आकर्षित करता है। अक्सर कईलोग युवतियां, एक्ट्रेस एवं सीरियल में काम करने वाली अभिनेत्रियों की गाँड़ का आकार देख कर पागल हो जाते हैं। रोहित ने भी आयेशा की गाँड़ के गालों की कोमलता और उस का करारापन अपने हाथों से महसूस किया। वह बार बार आयेशा की गाँड़, उसके गालों, बिच की दरार में अपनी उंगलियां डाल कर आयेशा की युवा त्वचा का मुआइना कर रहे थे। रोहित बार बार आयेशा के बालों में अपना मुंह लगा कर उन्हें चुम रहे थे। आयेशा भी बार बार रोहित से चिपक कर "मेरे परदेसी, मेरी जान। मेरे आका। कह कर उनके हर एक अंग को चूमती रहती थी। आयेशा के बदन में कामुकता की आग लगी थी। इतने सालों के बाद उसे अपनी जवानी और जवानी भरा बदन किसी मर्द को सौपने का सपना साकार करने का मौक़ा मिला था। आयेशा को पूरी जवानी जिल्लत, अपमान और मशक्कत में गुजारनी पड़ी थी। उसे अपने माँ बाप की हिफाज़त और महेनत करनी पड़ती थी। उसे अपना ख्याल भी नहीं आता था।
रोहित ने आयेशा के सर से शुरू कर आयेशा के बाल, उसका कपाल, उसकी भौंहें, आँखें, नाक और होंठों को चूमने लगे। हाँठों पर पहुँच कर रोहित ने आयेशा को अपनी बाँहों में कस के जकड़ा और अपना लण्ड आयेशा की जाँघों के बिच में घुसाते हुए वह आयेशा के होँठ जोश से चूमने लगे। आयेशा के ऊपर के तो कभी निचे के होँठ चूमते तो कभी आयेशाके मुंह में अपनी जुबाँ घुसा कर उसे चूसने का मौक़ा देते। आयेशा भी रोहित की जुबान को चूसती और उसकी लार निगल जाती थी। उसे परदेसी के मुंहकी लार और उसके बदन की खुशबू भा गयी थी। आयेशा के मस्त बूब्स रोहित की छाती में चिपक गए थे। रोहित का हाथ बार बार आयेशा की पसलियों की खाई से फिसलता हुआ उसकी गाँड़ के पास रुक जाता और धीरे से उन नाजुक मरमरी त्वचा को मसलनेके लिए लालायित रहता था। होँठों का काफी रस पिनेके बाद रोहित आयेशाकी गर्दन चूमने लगे। आयेशा की लम्बी गर्दन पर उसकी घनी जुल्फें बिखरी हुई थीं। उसके बाद आयेशा के कंधे और बाजुओं से होकर बिच की और बढ़ कर रोहितका सबसे अजीज़ स्थान आयेशाके बूब्स पर आकर रोहित की गाडी रुक गयी। दो बड़े बड़े गुम्बज और उसके उप्पर गोल चॉकलेट रंग के एरोला जो उत्तेजना के कारण कई उभरी हुई फुंसियों से भरे हुए थे। उन एरोला के बोचोबीच तनेहुए दो शिखर सामान फूली हुई निप्पलेँ रोहित जी के होँठों के दबाने से और उन्मादित हो जाती थीं। रोहित कभी निप्पलोँ को चूसते तो कभी स्तनोँ के पुरे उभार को अपने मुंह में लेकर ऐसे चूसते जैसे बच्चा माँ के स्तनोँ को उसका दूध पिने के लिए चूसता है। रोहित के स्तनोँ को चूसते ही आयेशाका उन्माद बेकाबू होजाता था। अक्सर औरतों से सम्भोग करते समय मर्द को चाहिए की उसके स्तनोँ का ख़ास ख्याल रखें। औरत के स्तन से उनकी कामुकताका सीधा सम्बन्ध है। कई बार चुदाई करते हुए जब मर्द औरतके स्तनोँ का ध्यान नहीं रखतातो औरत बेचारी अपने स्तनोँ को खुद ही सहलाती दबाती रहती हैं ताकि उसके उन्माद में कोई कमी ना आये और उस सम्भोग को वह पूरी तरह एन्जॉय कर सके।
आयेशा के स्तनोँ को चूसते हुए और उसकी निप्पलोँ को काटते हुए रोहित का उन्माद बढ़ता जा रहा था। आयेशा के स्तनोँ को रोहित जी ने इतनी उत्कटता से चूसा था की उसके बूब्स पर लाल चकामे पड़ गए थे। पर आयेशा को इसका कोई गम नहींथा। आज उसे अपनेआशिक़ को पूरी ख़ुशी और उन्माद देना था और उससे अपनी जिंदगीकी सबसे खूबसूरत रातको यादगार बनाना था। रोहित जब आयेशा के स्तनोँ को जी भर के पी चुके तब वह आयेशा के सपाट पेट और पतली कमर के बिच स्थित ढूंटी याने नाभि पर पहुँच कर फिर रुक गए। आयेशा की नाभि के इर्द गिर्द चूमते हुए उनके होँठ निचे की और जाने लगे तब आयेशा ने शर्म के मारे अपने दोनों हाथों से अपनी चूत छुपानी चाही। रोहित ने प्यार से आयेशा के दोनों हाथों को हटा दिया और झुक कर प्यार से आयेशा की चूत के उभार को चूमने लगे। रोहित के होँठों के स्पर्श अपनी चूत के करीब होते हुए ही आयेशा मचल उठी। उसके होँठोंसे एक हलकीसी टीस निकल गयी। अना-यास ही आयेशा की टांगें चौड़ी हो गयीं। रोहित जी ने अपना सर आयेशा की जाँघों के बीच में रख दिया और आयेशा की चूतके होँठों को चुम्बन करने लगे। अपनी जीभ से रोहित ने आयेशा की चूत के सवेंदनशील होँठ के बिच वाली त्वचा की कुरेदना शुरू किया। आयेशा के उन्माद का ठिकाना नहीं रहा। वह उन्माद से कराह उठी और बोली, "अरे परदेसी, क्या कर रहे हो? मुझे पागल कर दोगे क्या?"
पर रोहित यह सुनकर और जोश खरोश से आयेशा की चूत को चाटने में लग गए। आयेशा की चूत में से जैसे उसका उन्माद फव्वारे के रूप में फुट पड़ा। आयेशा की चूत में से उसका रस रिसने लगा। रोहित की जबान उस रस को चाटने लगी। आयेशा ने रोहित के लण्ड को आवेश में जोर से हिलाना शुरू किया। अब वह रोहित से चुदवाना चाहती थी। वह चाहती थी की रोहित उस रात उसे खूब सख्ती और जोश से चोदे। वह चाहती तह की रोहित के मिलन की याद वह पूरी जिंदगी भूल ना पाए। लेटी हुई आयेशा बैठ खड़ी हुई और उसने रोहित को खड़ा किया और खुद रोहित के क़दमों में आ बैठी। नंगे रोहित के खड़े होते ही उनका लण्ड भी हवा में लहराने लगा। आयेशा ने रोहित का लण्ड अपने एक हाथ में लिया और उसे चूमा और ऊपर रोहित की ओर देखा। रोहित ने आयेशा के सर पर हाथ रक्खा और आयेशा के बाल अपनी उँगलियों से संवारने लगे और आयेशा आगे क्या करेगी उसका बेसब्री से इंतजार करने लगे। आयेशा ने रोहित के लण्ड पर फैली हुई चिकनाहट को अपने हाथ की उँगलियों से उनके लण्ड की सतह पर फैलाते हुए उसे खासा स्निग्ध बना दिया। रोहित के लण्ड की अग्र त्वचा को मुट्ठी में दबाकर आयेशा ने उसे हिलाना शुरू किया। कुछ देर तक हिलाने के बाद आयेशा ने रोहित के लण्ड का अग्रभाग मुंह में लिया और उसे चूसा। धीरे धीरे आयेशा ने रोहित का लण्ड अपने मुंह में लेकर अपना मुंह आगे पीछे करने लगी जिससे रोहित का लण्ड आयेशा के मुंह को धीरे धीरे से चोद सके। रोहित ने भी आयेशा की इच्छा के मुताबिक़ आयेशा के मुंह को अपने लण्ड से चोदना शुरू किया। आयेशा के मुंह को चोदते हुए रोहित ने आयेशा की चूत में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ दीं। आयेशा के मुंह के साथ वह अपनी उँगलियों से आयेशा की चूत को भी चोदने लगे। आयेशा मुंह में परदेसी का लण्ड और चूत में उनकी उंगलयों से चुदवा ने का मजा ले रही थी। कुछ देर तक चुदवाने के बाद आयेशा को अब परदेसी से असली चुदाई करवानी थी।
आयेशा ने कहा, "परदेसी, अब मेरा और इम्तेहान मत लो। अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है। तुम जानते हो की मैं तुमसे चुदवाने के लिए कितनी तड़प रही हूँ। अब मुझे अपने इस मोटे और लम्बे लण्ड से खूब चोदो। इतना चोदो, इतना चोदो की मजा आ जाये।"
रोहित ने अपनी माशूका आयेशा की बात सुनी तो उनमें और भी जोश आगया। वह फुर्तीसे आयेशा को लिटा कर उसको अपनी दो जांघों के बिच में जकड कर अपने घुटनों को जमीन पर टिका कर आयेशा की चूत पर अपना तगड़ा और लंबा लण्ड लहराने लगे। आयेशा ने रोहित का लण्ड अपने हाथों में लिया और रोहितको शर्मातेहुए कहा, "परदेसी, यह चूत तुम्हारी है। उसे शुरू शुरू में सम्हाल कर चोदना। तुम्हारे मोटे लंड को एकदम अंदर मत घुसेड़ देना, मेरी चूत छोटी है और उसे एडजस्ट होने में थोड़ा समय लगेगा। पर हाँ, एक बार सेट हो जाए फिर तुम मुझे खूब चोदना। आज मैं पूरी रात तुमसे चुदवाना चाहती हूँ।" रोहित ने आयेशा के होँठों को चूमते हुए उसके कानों में कहा, "भला मैं मेरी माशूका को हानि क्यों पहुँचाऊँगा? तुम निश्चिन्त रहो। ऐसा कह कर रोहित ने अपना लण्ड आयेशा की चूत में थोड़ा सा घुसाया। आयेशा को बहुत अच्छा लगा और दर्द भी नहीं हुआ। रोहित का लण्ड तना हुआ, खड़ा और कड़क लण्ड की धमनियों में गरम खून के तेज बहाव के कारण आयेशा को उसकी चूत में गरम महसूस हो रहा था।
आयेशा की सालों की मंशा पूरी होने जा रही थी। वह प्यार भरी उत्तेजक चुदाई का अनुभव जीवन में पहेली बारकर रही थी। उससे पहले उसके पति ने उसे चोदा जरूर था। पर उसमें ना तो ताकत थी और ना ही दम ख़म। काफी शराब पिने के कारण उसका लण्ड चूत में जाने लायक कड़क भी नहीं हो पाता था। शायद एकाध बार आयेशा के पति ने आयेशा को ठीक ठाक चोदा था पर ना तो उस चुदाई में प्यार का कोई एहसास था और ना ही उत्तेजना का। रोहित की चुदाई एकदम अलग थी। रोहित जैसे ही आयेशा की चूत में अपना लण्ड थोड़ा सा घुसाते तो झुक कर आयेशा के होँठ तो कभी कपाल तो कभी स्तन चुम लेते। साथ में वह आयेशा की चूँचिया मसलना और निप्पलोँको प्यारसे पिचकना भूलते न थे। रोहित जी के लण्ड घुसाने की प्रक्रिया भी बड़ी ही प्यार भरी थी। उन्हें यह ख्याल रखना था की माशूका को कम से कम दर्द हो और ज्यादा से ज्यादा आनंद मिले। इसलिए वह हर बार थोड़ा सा लंड घुसाते फिर उसे निकालते फिर दूसरी बार और थोड़ा ज्यादा घुसाते और फिर निकालते। ऐसा करते करते धीरे धीरे आयेशा को पता भी नहीं चला की कब उन्होंने अपना पूरा लण्ड आयेशा की चूत में घुसेड़ दिया।
आयेशा दर्द के कारण कम और उत्तेजना के कारण कराह रही थी। जीतूजी चोदना बंद ना करदें इस लिए आयेशा "ओह..... आह..... माशा अल्लाह... वाकई परदेसी... तुम्हारा जवाब नहीं... " कराहते कराहते अपनी उत्तेजना जता रही थी। उस कराहट दर्द का एहसास जरूर होगा पर उत्तेजना काफी ज्यादा थी। रोहित जानते थे की आयेशा प्यार के लिए तरस रही थी। उसकी चूत में फड़फड़ाहट तो महीनों या या सालों से हो रही होगी पर उस माहौल में कौन उसे प्यार जताये। लड़ाई में तो जबरदस्ती का ही माहौल होता है। चुदाई और बलात्कार में भारी अंतर होता है। रोहित ने जब अपना लण्ड आयेशा की चूत में डाल दिया तो उन्हें ज़रा सा भी दोष या गुनाह का भाव महसूस नहीं हुआ, क्यूंकि वह चुदाई जबरदस्ती की नहीं प्यार की थी। उन्हें ऐसा बिलकुल नहीं लगा जैसे उन्होंने कोई अपराध किया हो। आयेशा की महीनों या सालों की भड़क रही चूत की भूख अगर वह मिटा सके तो उनको ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने एक बड़ा नेक काम किया हो। अपना लण्ड जब पूरी तरह आयेशा की चूत में डाल पाए तब रोहित आयेशा के बदन पर झुके और अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें जमा रखते हुए धीरे से उन्होंने अपना वजन आयेशा के बदन पर रखा और आयेशा के धनुष्य सामान होँठों पर अपने होँठ रख कर आयेशा के कान में फुसफुसाते हुए पूछा, "जानेमन कैसा महसूस हो रहा है?"
आयेशा ने अपनी आँखें खोलीं और अपनी खूबसूरत घनी और नजाकत भरी पलकें उठा कर रोहित के चेहरे की और देखा और शर्मीली नयी नवेली दुल्हन सा शर्मा कर बोली, "परदेसी, क्या बताऊँ? आज तुमने मुझे हमारे इस बदन के मिलन से अपना बना दिया है। तुम्हारे इस मोटे और लम्बे लण्ड ने मुझे सही मायने में एक औरत की इज्जत बक्शी है। आज मैं तुम्हारी मर्दानगी को अपने बदन के कोने कोने में महसूस कर रही हूँ। तुम्हारा लण्ड मेरी बच्चेदानी तक पहुँच चुकाहै, और इंशाअल्लाह मैं खुदा से इबादत करती हूँ की आज तुम मुझे अपने बच्चे की माँ बना सको तो मेरा जीवन कामयाब हो जाएगा।"
रोहित आयेशा की बात सुनकर पिघल से गए। उनसे चुदवाते समय उन्हें कभी किसी औरत ने इतने प्यार भरे शब्द नहीं कहे थे। उन्होंने कई औरतोंको चोदा था। कई औरतें उनपर फ़िदा थीं, पर आयेशा ने उन्हें ऐसी बात कह दी जो हर मर्द अपने साथ चुदाई करवाने के लिए लेटी हुई औरत से सुनना चाहता है। रोहित ने तय किया की वह उस रात आयेशा को इतना प्यार करेंगे जितना उन्होंने किसी को नहीं किया। रोहित ने अपने होँठ आयेशा के होँठों से चिपका दिए और उसे और कुछ ना बोलपाने पर मजबूर किया। आयेशा के रसीले होँठों का रस वह जिंदगी भर के लिए चूसना चाहते थे। आयेशा के मुंह से निकला रस भी इतना स्वादिष्ट था की वह बरबस ही आयेशा की मुंह की लार चूसते और निगलते रहे। आयेशा के मुँह में अपनी जीभ डाल उसे अंदर बाहर करते हुए रोहित आयेशा के मुँह को अपनी जुबान से पता नहीं कितने समय तक चोदते रहे। बिच बिच में वह अपना लण्ड ऊपर निचे कर आयेशा को यह दिलासादे रहेथे की अभी छूटनेमें वक्त लगेगा। रोहित का लण्ड अपनी चूत की सुरंग में पूरी तरह भर जाने के कारण आयेशा की चूत पूरी तरह से अपना पूरा तनाव में थी। पर आयेशा की उत्तेजना उसकी चूत की पूरी सुरंग के स्नायु की फड़कन से रोहित महसूस कर रहे थे। उनका लण्ड बार बार आयेशा की चूत की दीवारें एकदम दबा के पकड़ लेतीं तो कभी थोड़ा कम दबाव होता। आयेशा भी उसकी इतनी उत्तेजक चुदाई से उन्मादित हो कर परदेसी को कभी होँठों पर तो कभी उनकी गर्दन पर, कभी उनके कानों को तो कभी उनकी दाढ़ी को अपने होंठों से परदेसी के बदन के निचे दबी हुई आयेशा चूमती रहती थी। एक औरत प्यार भरी चुदाई कितना एन्जॉय कर सकती है यह आयेशा के चहरे के भाव बता देते थे।
कभी रोहित के भारी भरखम लण्ड के अंदर बाहर होने के कारण हो रहे दर्द के मारे आयेशा की भौंहें सिकुड़ जाती थीं, तो कभी परदेसी के लण्ड की गर्मी उसे ऐसी उन्मादित कर देती थी की वह "आह...." बोल पड़ती थी। कभी परदेसी के लण्ड के उसकी चूत की सुरंग में सरकने से हो रहा उन्मादक घर्षण उसे पागल कर देता था तो कभी परदेसी के लण्ड की उसकी बच्चेदानी पर लगी ठोकर से वह "ओह....." बोलकर रुक जाती थी। जैसे जैसे रोहित ने धीरे धीरे अपनी चुदाई की रफ़्तार बढई, आयेशा भी उनके साथ साथ परदेसी का लण्ड ज्यादा से ज्यादा वक्त उसकी चूत में रहे और घुसे उसकी फिराक में अपना पेंडू ऊपर उठाकर परदेसी के तगड़े लण्ड को और अंदर घुसने की जगह बनाने की कोशिश करती रहती थी। रोहित की "उँह ..." और आयेशा की "ओह... आह..." से गुफा गूंज रही थी। आयेशा ने अपनी सुआकार टांगें ऊपर उठाकर परदेसी के कन्धों पर रक्खी हुई थीं। रोहित का लण्ड इंजन के पिस्टन की तरह फुर्ती से अंदर बाहर हो रहा था। आयेशा भी परदेसी के अंदर बाहर होते हुए लण्ड को अपनी चूत की सुरंग में घिसवाने से हो रहे आनंद का अद्भुत अनुभव कर रही थी। रोहित का लण्ड अपनी चिकनाहट और आयेशा की चूत से झर रहे स्राव से पूरी तरह चिकनाहट से सराबोर हो चुका था। आयेशा को परदेसी के लण्ड के घुसने और निकलने से ज्यादा परेशानी नहीं हो रही थी। वह तो दर्द के भी मजे ले रही थी। रोहित के हाथ आयेशा की भरपूर चूँचियों को जकड़े हुए थे। परदेसी के धक्कों से आयेशा का पूरा बदन हिल रहा था।
यह सिलसिला करीब आधे घंटे तक बिना रुके चलता रहा। दोनों प्रेमियों में से कोई भी जल्दी से झड़ने के लिए तैयार न था। शायद वह तो पूरी रात ही चुदाई जारी रखना चाहते थे। पर आयेशा ने एक वाक्य कहा जिसे सुनकर उसके परदेसी के लण्ड में अद्भुत सी मचलन होने लगी। आयेशा ने कहा, "परदेसी, मैं तुम्हारी बीबी बनकर इस तुम्हारे मोटे और तगड़े लण्ड से तुमसे हररोज दिन हो या रात कई बार चुदवाना चाहती हूँ। पर यह कैसे होगा? क्या तुम मुझे चोद कर छोड़ दोगे? क्या तुम मुझे जिंदगी भर चोदना नहीं चाहते?" आयेशा की बात सुनकर रोहित काफी भावुक हो गए। उनके लण्ड में वीर्य की मौंजें तेज हो गयी। वीर्य की धमनियों में उनका वीर्य तेजी से दौड़ने लगा। रोहित को लगा की अब झड़ने का समय आ गया है। उन्होंने आनन् फानन में अपनी माशूक़ा आयेशा से कहा, "आयेशा, वह सब बाद में बात करेंगे, अभी तो मैं अपना माल छोड़ने वाला हूँ। बोलो अंदर छोडूं या बाहर? क्या तुम सचमुच में मेरे बच्चों की माँ बनना चाहती हो? क्या तुम मेरे बगैर मेरे बच्चों को पाल सकोगी? कहीं लोग तुम्हें बिनब्याही माँ कहके परेशान तो नहीं करेंगे?" आयेशा ने बेझिझक कहा, "मैं ऐसे छोटे मोटे अनाड़ियों से आसानी से निपट लुंगी, पर हाँ, अगर हो सके तो मुझे जरूर तुम्हारे बच्चों की माँ बनना है। तुम अपना सारा माल मेरी चूत में उंडेल दो। मैं भी तो देखूं की हिंदुस्तानी वीर्य में कितना दम है?" आयेशा की बेबाक बात सुन कर रोहित अचरज में पड़ गए। वह सोचने लगे "क्या कोई औरत सिर्फ एक दिन की मुलाक़ात में किसी मर्द के लिए इतना सहने के लिए तैयार हो सकती है?"
रोहित ने बड़े प्यारसे आयेशा को दुबारा चूमते हुए आयेशा को चोदने की गति तेज कर दी। आयेशा भी अब पूरी तरह अपनी चुदाई में अपना ध्यान लगा रही थी। परदेसी के अंदर बाहर होते हुए मोटे लण्ड से वह चुदवाने का अनोखा आनंद ले रही थी। उसके लिए उस रात का हर एक पल सालों जैसा था। उसका उन्माद भी अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच रहा था। आयेशा चाहती थी की उसका झड़ना भी अपने परदेसी आशिक़ के साथ ही हो। आयेशा ने भी अपनी उत्तेजना और उन्माद और बढ़ाने के लिए अपने पेंडू से अपनी कमर को ऊपर कर अपने आशिक़ का लण्ड और गहराई तक पहुंचे और उसमें और ज्यादा हवस का जोश पैदा हो ताकि दोनों का झड़ना एक साथ ही हो। चंद पलों में आयेशा कराह उठी, "ओह... परदेसी, तुम गज़ब की चुदाई कर रहे हो! आह..... बापरे... ओह.... मैं झड़ रही हूँ... मुझे पकड़ो यार...आह..... कमाल हो गया....." रोहित भी, "आयेशा, मेरा यकीन करो, मेरी इतनी लम्बी जिंदगी में मुझे इस कदर महसूस नहीं हुआ। पता नहीं मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ?" आयेशा ने पट से जवाब दिया, "प्यार में शुक्रिया नहीं कहते। यह तो हम अपने और अपनों के लिए करते हैं। फिर शुक्रिया कैसा? और रुकिए, मैं आज आपको यहां नहीं छोड़ने वाली। आज आपको पूरी रात भर मेरी चुदाई करनी है। मैं तैयार हूँ। कहीं आप ना मुकर जाना।"
आयेशा ने फ़टाफ़ट कपडे से पहले अपने आपको साफ़ किया। अपनी चूत और उसके इर्दगिर्द सफाई की और फिर रोहितके लण्ड को अच्छी तरह से पोंछा और उसे चुम्बन कर के उठ खड़ी हुई। रोहित आयेशा के कोमल और कमसिन नंगे बदन को देखते ही नहीं थकतेथे। रोहित ने कहा, "अभी तो रात जवान है। मैं मुकरने वालों में से नहीं। पर हम अब फिलहाल कपडे पहन लेते हैं। हम यह देखें कहीं कोई उंचनीच ना हो जाए।" आयेशा ने फ़ौरन उठकर परदेसी की नजर के लिए ख़ास नंगी चलती हुई, अपने कूल्हे मटकाती हुई सुखाये हुए कपडे ले आयी। कपडे तब तक सुख चुके थे। रोहित को उनके कपडे दिए। अपने कपडे फुर्ती से पहनते हुए रोहित बोले, "अब दो घंटे तुम आराम करोगी और मैं पहरा दूंगा। हमें प्यार करते हुए भी गाफिल नहीं रहना है।" यह कह कर रोहित गुफा के अंदर दरवाजे के पास बैठ गए और बाहर अँधेरे में कोई हलचल हो तो उसका ख्याल सावधानी से रखने में लग गए।
आयेशा पुरे दिन की उत्तेजना और रात के रोमाँच के कारण काफी थकी हुई थी। पुरे दिन भर चौकन्ना रह कर पहरा देने के बाद रातको परदेसी के तगड़े लण्ड से अच्छी तरह से और जोशो-खरोश से चुदाई करवाने के कारण आयेशा पूरी तरह थक चुकी थी। रोहित के कहने पर वह जैसे ही लेटी की निढाल हो कर बेहोश सी गहरी नींद की गोद में पहुँच गयी। जो कपडे आयेशा ने पहन रक्खे थे वह भी कई जगह से फ़टे हुए और छोटे से थे। अच्छी तरह से और बड़े प्यार से चुदने के बाद एक औरत के चेहरे पर जैसे संतुष्टि होती है वैसी संतुष्टि आयेशा के चेहरे पर दिखाई दे रही थी। नींदमें भी वह कभी कभार मुस्कुरा देती थी। शायद उसे अपने आशिक़ परदेसी के लण्ड का उसकी चूत में जो एहसास हुआ था वह उसे सपने में दुबारा अनुभव रहा था।
रोहित ने खड़े खड़े ही लंबा फ़ैल कर लेटी हुई आयेशाको देखा। जन्नतसे उतरीहूर जैसी आयेशा के कपडे इधर उधर बिखरे हुएथे। आयेशाके स्तन ब्लाउज और ब्रा की परवाह ना करते हुए सर उठा कर खड़े हों ऐसे दिख रहेथे। आयेशाकी सुआकार जाँघें खुली हुई थीं और बिच के प्रेम भरी चूत को मुश्किल से छुपा पा रहीं थीं। आयेशा को इतना नंगा देखने और अपने लण्ड से चोदने के बाद भी आयेशा का ढका हुआ बदन देख करही रोहित का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। वह चाहते थे की आयेशा कम से कम दोघंटे आरामकरे। रोहित जी ने देखा की बेफाम गद्दे पर लेटी हुई आयेशा गजब की सुंदर लग रही थी। उसकी टांगें उसके बाजू, उसके बिखरे बाल, उसकी पतली कमर सब रोहित को फिर से उत्तेजित कर रहेथे। विधाता का विधानभी कैसा होता है? वह आयेशा जिनको वह चंद घंटों पहले जानते तक नहीं थे वह उनकी सिर्फ हमसफ़र और हमराजही नहीं बल्कि उनकी शय्याभागिनी (हम बिस्तर) बन गयी थी। रोहित जी को गर्व हुआ की ऐसी महिला जो उनके धर्म और देश की नहीं थी वह भी उनपर आज अपनों से ज्यादा भरोसा कर रही थी। यहां तक की वह रोहित का नाजायज कहे जाने वाले बच्चे को जनम देने के लिए आमादा थी।
रोहित तीन घंटे तक बड़े ध्यान और बारीकी से गुफाके बाहर देख कर पहरेदारी कर रहेथे। उन्होंने कहींभी कोईभी तरह की हलचल नहीं देखि। चारों तरफ कदम शान्ति का माहौल था। उन्हें तसल्ली हुई की दुश्मनों की फ़ौज वापस अपने मुकाम पर चली गयी थी। आधी रात बित चुकी थी। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी। रोहित का मन खट्टा हो रहा था की एक वक्त आएगा जब उन्हें आयेशा को छोड़ कर जाना पड़ेगा। एक परायी औरत से कितनी आत्मीयता उतने कम समय में कैसे हो जाती है? उनके पास शायद आज रात का ही समय था जो शायद उनके जीवनका सबसे यादगार समय बन सकता था। वह धीरे धीरे आयेशा के पास पहुंचे और उसके पास जाकर गद्दे पर आयेशा के साथ लेट गए। गहरी नींदमें भी आयेशा के चेहरे पर हलकी मुस्कान दिखरही थी। शायद वह उस रात के पहले प्रहरके प्यार भरे घंटों को याद कर रहीथी। रोहित ने लेटतेही आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और उसके कपाल पर एक हल्का सा चुम्बन करके बोले, "उठो रानी, तुमने मुझे दो घंटे में ही जगाने के लिए कहा था, पर अब तीन घंटे के बाद मैं आप को जगाने के लिए आया हूँ। आयेशा "ऊँ..... सोने दो ना... ...." कह कर पलट कर रोहित को बाँहों में आगयी और उनसे लिपट कर सो गयी। रोहित की बाँहों में आयेशा के मरमरा बदन का एहसास होते ही रोहित का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा की चूत बिलकुल रोहित की लण्ड को सट कर लगी हुई थी। आयेशाके चुचुक रोहितकी छाती पर दबे हुए थे। रोहित ने कहा, "मेरी जानू, सुबह हो जायेगी तो फिर तुम्हारा पूरी रात भर प्यार करने का सपना अधूरा का अधूरा ही रह जाएगा। बाकी तुम्हारी मर्जी।"
जैसे ही आयेशा ने यह सुना तो एकदम बाँहें खोल कर परदेसी को अपनी बाँहों में सिमट कर बोली, "परदेसी, मैं जाग रही हूँ और तुम्हारे प्यार के लिए तड़प रही हूँ।" आयेशा ने अपनी बाँहें फैला कर अपनी जाँघों में रोहित की टांगों को दबोच लिया और रोहित से चिपक कर उनके होँठों से अपने होँठ चिपका कर बोली, "अब ना तो मैं सोऊंगी, ना आप। हम पूरी रात भर प्यार करेंगे। तुम तैयार रहो।" रोहित ने कहा, "मैं तो कभी से तैयार हूँ।" आयेशा ने प्यार भरे हांथों से रोहित जी की पीठ सहलाना शुरू किया और जब रोहित जी ने अपने लण्ड को आयेशा की टांगों के बिच में धक्का मार कर घुसेड़ ने की कोशिश की तो आयेशा हँस कर बोली, "परदेसी, तुम तो बिलकुल तैयार लग रहे हो। तुम्हारा लण्ड तो फौलादी छड़ की तरह तैयार है?" रोहित ने आयेशा के सलवार का नाडा खोलते हुए कहा, "मैं देखता हूँ की क्या तुम तैयार हो की नहीं?" नाडा खुलते ही रोहित ने आयेशा की जाँघों के बिच में अपना हाथ डाला और पाया की आयेशा की चूत में से उसका पानी रिसना चालू हो गया था। रोहित ने एक उंगली आयेशा की चूत में डाली और उसे प्यार से उसकी चूत की त्वचा पर रगड़ने लगे। आयेशा की चूत में रोहित की उंगली का स्पर्श होते ही आयेशा के बदन में कम्पन फ़ैल गया। आयेशा गद्दे पर रोहित की बाँहों में मचलने लगी।
आयेशा ने रोहित की आँखों में आँखें डालकर पूछा, "मेरे प्यारे परदेसी, क्या मौक़ा मिला तो तुम तुम्हारी इस नाजायज बेगम और उसके नाजायाज बच्चे को कभी मिलने आओगे?" रोहित जी ने पूछा, "आयेशा क्या तुम वाकई में मेरे बच्चे को जनम देने पर आमादा हो? मैं तो तुम्हें यही कहूंगा की अगर तुम्हारा पीरियड मिस हो तो तुम फ़ौरन बच्चेको गिरा देना। मैं तुम्हारे सरपर कोई बदनामी का दाग देखना नहीं चाहता।" आयेशा ने बड़ी ही नजाकत और प्यार भरी नज़रों से अपने आशिक़ की और देखते हुए कहा, "अरे परदेसी, यह मुल्क हैवानीयत का अड्डा बन चुका है। यहाँ प्यार नहीं, पैसा, ताकत और हवस चलता है। यहां बात बात पर लोग एक दूसरे को गोली से उड़ा देते हैं। यहां औरतोंकी कोई इज्जत नहीं। इस मुल्क में इज्जत क्या और जिल्लत क्या? तुमने मुझे चंद घंटों के लिए ही सही, पर जो प्यार और इज्जत दी है वह अगर मेरे पेट में बच्चे के रूप में पैदा होगी तो मैं उसे जिंदगी भर पालूंगी और उसे इस जाहिल दुनिया में एक अच्छा इंसान बनाने की कोशिश करुँगी।"
आयेशा की बात सुनकर रोहित की आँखोंमें आँसू आगये। आयेशा ने अपने आशिक़ के आँसूं पोंछते हुए कहा, "परदेसी, यह वक्त आँसूं बहाने का नहीं है। यह वक्त प्यार करने का है। आँसूं बहाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है। प्यार करने के लिए तो बस यही वक्त है।" आयेशा ने रोहित जी को गद्दे पर लेटने को कहा और खुद उठकर अपने घुटनोँ पर रोहित की कमर को अपनी टाँगों के बिचमें फँसा कर खड़ी हुई और रोहित जी का लण्ड अपनी उँगलियों में लेकर उसे प्यार से हिलाने लगी। रोहित के लण्ड की धमनियों में पहले से ही उनके वीर्य का दबाव बढ़ा हुआ था। रोहित का लण्ड अपनी माशूका से दुबारा मिलकर उसको प्यार करने के लिए बेचैन था। थोड़ी देर परदेसी का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ कर अपनी चूत के होँठों से रगड़ कर उसे स्निग्ध कर आयेशा ने अपनी चूत को नीचा किया ताकि अपने आशिक़ का लण्ड वह अपनी चूत में घुसा सके। रोहित का चिकनाहट भरा वीर्य तभी भी आयेशा की चूत में भरा हुआ था। लण्ड को चूत में घुसनेमें पहलेसे ज्यादा दिक्कत अथवा दर्द नहीं हुआ। रोहित ने भी अपना पेंडू ऊपर कर आयेशाकी चूतमें धीरेसे अपना लण्ड घुसाया। आयेशा की चूत अच्छा खासा पानी छोड़ रही थी। आयेशाने अपने आशिक़ के हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिए। वह चाहती थी की चुदाई करवाते हुए उसका आशिक़ उसकी चूँचियों को खूब मसलदे और दबा दबा कर उसका दूध निकालदे। खैर दूध भले ही ना निकले पर उसके बूब्स पर निशान तो पड़े! रोहित ने फ़ौरन आयेशा के मदमस्त स्तनोँ को दबा कर मसलना शुरू किया और अपने लण्ड को धीरे धीरे से आयेशा की चूत में घुसते हुए महसूस किया। आयेशा ने धीरे धीरे अपनी टाँगों के बल पर उठकर और फिर बैठ कर अपने आशिक़ को चोदना शुरू किया। कुछ ही देर में अपने आशिक़ का लण्ड आयेशा की चूत में पूरा घुस गया।
आयेशा की रोहित को चोदने की गति धीरे धीरे बढ़ने लगी। रोहित ने पहली बार किसी विदेशी औरतसे इतने प्यारसे चुदवाया था। उन्होंने कई विदेशी औरतों को चोदा तो था पर उस रात की बात कुछ अलग ही थी। आयेशा के चेहरे पर जैसे पागलपन सवार था। वह तेजी से अपने आशिक़ को चोदने में मशगूल थी। तब रोहित ने उसे रोका और थोड़ा सा बैठ कर उन्होंने अपनी माशूका के स्तनोँ को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगे। आयेशा अपने स्तनों को परदेसी के मुंह में पाकर काफी उत्तेजित लग रही थी। रोहित जी ने अपने दांतों से आयेशा के बूब्स की निप्पलोँ को प्यार से काटना शुरू किया। आयेशा ने रोहित जी के मुंह में अपने स्तनोँ को चुसवाते हुए ही धीरे धीरे उनके लण्ड को चोदना जारी रखा। आयेशा कीप्यारी सुआकार गाँड़ अपने आशिक़ को चोदने के लिए बार बार ऊपर निचे हो रही थी। रोहित का लण्ड "फचाक.... फचाक.... " आयेशाकी चूत में घुस रहा था और बाहर निकल रहा था।
रोहित ने अपनी हाथ आयेशाके थिरकते स्तनों से हटा कर आयेशा की गाँड़ पर टिका दिए और दोनों हाँथों से वह आयेशा की करारी गाँड़के गालों को दबाने और खींचने लगे। उनका लण्ड उनकी उँगलियोंके नजदीकमें उस रातकी उनकी माशूका की चूत में कहर ढा रहा था। आयेशा रोहित के लण्ड से और ज्यादा आनंद लेना चाहती थी और उस लिए वह रोहित के लण्ड को अपनी गाँड़ और पूरा बदन इधर उधर हिलाकर रोहित के लण्ड को अपनी चूत की सुरंग में घुमा रही थी। लण्ड के इधरउधर घूमने से आयेशा की चूत में अद्भुत घर्षण और उत्तेजना पैदा हो रही थी। उसे अपने आशिक़ का लण्ड अपनी चूत की सुरंग के हर कोने में महसूस हो रहा था। आयेशा के इस तरह अपने बदन को घुमाने से रोहित के बदन और ख़ास करके उनके लण्ड पर गजब का असर हो रहा था। इस बार जल्दी झड़ने वाले नहीं थे। उन्हें आयेशा को हर तरहसे चोदना था। सुनिलजी कुछ थम कर धीरे धीरे पर आयेशा की चूत की पूरी गहराई तक अपना लण्ड घुसाने में मशगूल थे। कुछ देर बाद रोहित ने आयेशा को रोका और उसे उठ खड़ी होने को कहा। फिर उन्होंने आयेशा को आगे की और झुका कर खुद उसक पीछे आ गए। आयेशा समझ गयी की उसका आशिक़ उसे पिछेसे डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था। आयेशा ने भी अपने आपको ठीक से एडजूट किया ताकि परदेसी उसकी चूत में अपना लण्ड गहराई तक डालसके। रोहित ने आयेशा के पिछेसे खड़े हो कर काफी देर तक अच्छी खासी चुदाई की। आखिर में जब वह अपने चरम पर पहुँचने लगे तब आयेशा ने उन्हें कहा की वह अपना वीर्य आयेशाकी चूतमें ही निकालदे। फ़ौरन आयेशा की चूत में जैसे गरम गरम मलाई की फौहार छूट पड़ी। रोहित के लंडसे गाढ़ी मलाई का फव्वारा छूट पड़ा। आयेशा उसे अपनी चूत में फैलतेहुए महसूसकिया। वह मनसे अपने अल्लाह को इबादत कर रही थी की आज रात की उसके आशिक़ की यह सौगात उसके साथ जिंदगी भर रहे। कुछ ही देर में आयेशा और उसका परदेसी आशिक़ निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर और फिर बाजू में गिर पड़े। काफी देर तक पड़े रहने के बाद जब उनकी सॉँस ठीक हुई तो एकदूसरे से लिपट गए। आयशा बड़ी ही भावुक हो उठी थी। उसकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं। बार बार वह अपने परदेसी से लिपट कर बोल रही थी, "मैं कैसे जी पाउंगी, तुम्हारे बिना। मेरा अब यहां कोई भी नहीं बचा है। एक तुम पहली बार मेरी जिंदगी में आये और मुझे वह प्यार दिया जो मुझे पहले किसीसे नहीं मिला। मैं तुम्हारे प्यार के बगैर कैसे जी पाउंगी?"
रोहित की आँखों में भी पानी आ गया। कैसे एक परदेसी औरत ने एक रात मेंही एक अजनबी को अपना बना दिया था! रोहित कुछ भी ना बोलकर चुप रहे। कुछ देर बाद आयेशा शांत हो गयी। उसे तो वहीँ जीना था।
वह रोहित से कहने लगी, "चलो, अभी अन्धेरा है और कोई हलचल भी नहीं है। अगर हम अभी निकल पड़े तो सुबह के पहले ही मैं तुम्हें सरहद पार करा दूँगी। फिर तुम्हें आगे अपने आप आगे जाना पड़ेगा। मैं वहाँ से वापस चली आउंगी। अगर देर हो गयी तो कहीं हम पकडे नाजाएँ।" रोहित ने फिर अपनी बाँहें फैला कर आयेशा को अपने आगोश में ले लिया। आयेशाका नंग्न बदन रोहित जी के नंग बदन के साथ जैसे एक हो गया। दो पड़ेसी अनजाने जीव एक दिन के लिए मिले और एक रात के बाद फिर अलग होने को तैयार हो गए। रोहित ने आयेशा के होँठों पर अपने होँठ रख दिए और उतना लमबा और प्यार भरा चुम्बन किया की शायद पहले उन्होंने किसी औरत को इतना लंबा चुम्बन नहीं किया होगा।
आयेशा कूद कर रोहित की कमर में अपनी टाँगे लपेट कर उनसे चुम्बन में मस्त हो गयी। उनके आलिंगन से एक बार फिर रोहित का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा हंस कर जल्दी गद्दे पर लेट गयी और बोली, "परदेसी एक आखरी बार मुझे चोदो। जल्दी करो समय ज्यादा नहीं है।" आखरी बार रोहित ने आयेशाकी चूतमें अपना लण्ड डाला और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद वह दोनों झड़ गए। जल्दी से उठ कर खड़े होकर दोनों ने अपने आप को सम्हाला और गुफा के बाहर निकल कर चल दिए।
ईधर...
जीतूजी और अपर्णा नदी के किनारे गीली मिटटी में पड़े पड़े ही एक दूसरे की आँखों में झाँक कर देख रहे थे। अपर्णा ने अपने बाजू ऊपर किये और जीतूजी का सर अपने हाथोंमें लेलिया और उनके होँठ अपने होँठोंसे चिपका दिए। अपर्णाने जीतू जी के पुरे बदनको अपने बदनसे सटानेपर मजबूर किया। अपर्णा के साथ ऐसे लेटने से जीतूजी का इन मुश्किल परिस्थितियों में भी लण्ड खड़ा हो गया। उन्होंने अपर्णा से कहा, "यह क्या कर रही हो?" और कह कर अपर्णासे दूर हटनेकी कोशिश की तो अपर्णा ने कहा, "अब आप देखते जाओ, मैं क्या क्या कर सकती हूँ?" जीतूजी हैरानी से अपर्णा को देखते रहे। अपर्णा ने फिर से जीतूजी का सर पकड़ा और दोनों गहरे चुम्बन लेने लें एक दूसरे से चिपक गए। अपर्णा की जान जीतूजी ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बचाई थी। यह बात अपर्णा के लिए बहुत बड़ा मायना रखती थी। उसकी नज़रों में जीतूजी ने वह कर दिखाया जो उसके पति भी नहीं कर सके। थकान और दर्द के मारे अपर्णा की जान निकली जारही थी।जीतूजी से अपना आधा नंगा बदन चिपका कर अपर्णा को जरूर जोश आया था। अपर्णा सोच रही थी की जीतूजी में पता नहीं कितनी छिपी हुई ताकत थी की इतने झंझट, परिश्रम और नींद नहींहो पाने पर भी वह काफी फुर्तीले लग रहे थे। अपर्णा को मन में गर्व हुआ की जीतूजी ने अपर्णाके प्रियतम जैसा काम कर दिखाया था। आज जीतूजी ने एक राजपूत जैसा काम कर दिखाया था। अब वह अपर्णा के पुरे प्यार के लायक थे।
अपर्णा के रसीले होँठोंका रस चूसते हुएभी जीतू जी के दिमाग में बचाव की रणनीति पुरे समय घूम रही थी। उन्होंने अपर्णा को कहा, "अपर्णा, अब हमें यहाँ से जल्दी भाग निकलना है। पता नहीं दुश्मनो के सिपाही यहां कहीं गश्त ना लगा रहे हों। हमें यह भी पता नहीं की इस वक्त हम कहाँ हैं?" अपर्णा ने उठते हुए अपने कपड़ों के ऊपर से लगी मिटटी साफ़ करतेहुए कहा, "आपतो खगोल शाश्त्र के निष्णात हो। सितारों को देख कर भी बता सकते हो ना की हम कहाँ हैं?"