Update 46

अपर्णा जीतूजी से पूरी तरह चुदवाना चाहती थी। जैसे जीतूजी चाहते थे की वह अपर्णा की ऐसी चुदाई करें की अपर्णा को बार बार जीतूजी से चुदवाने का मन करे वैसे ही अपर्णा चाहती थीकी वह जीतूजीको ऐसा आनंद दे की जीतूजी का अपर्णा को बारबार चोदने का मन करे। आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी। अब ऐसा नहीं होगा की अपर्णा जीतूजी से चुदवाना नहीं चाहेगी। रोहित भी यह भली भाँती जान गए थे की अब अपर्णा जीतूजी के मोटे लण्ड से बार बार चुदवाना चाहेगी। वह भी उसके लिए तैयार थे। बदले में उन्हें पता था की उनके लिए श्रेया को चोदने का रास्ता भी खुल जाएगा। जीतूजी हालांकि अपर्णा को पहले भी चोद चुके थे पर अपर्णा के लिए हर बार जब भी जीतूजी का लण्ड उसकी चूत में दाखिल होता था तो पता नहीं क्यों, अपर्णा के पुरे बदन में जैसे एक अजीब सी तीखी मीठी सिहरन फ़ैल जाती थी। अपने पति से चुदवाना भी अपर्णा को काफी आनंद देता था पर जीतूजी के लण्ड की बात ही कुछ और थी। शायद यह जीतूजी के प्यार करने के तरीके से या फिर जीतूजी के गठीले बदन के अनुभव से या फिर उनके भारी मोटे और लम्बे लण्ड से हो, पर जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में कुछ और ही उन्माद की लहर फैला देता था जैसे अपर्णा के जहन मन उन्माद को कोई सैलाब आया हो।

जीतूजी ने जैसे धीरे धीरे अपना लण्ड अपर्णा की चूत की सुरंग में पेलना शुरू किया की अपर्णा बार बार उन्मादित रोमांच से सिहरने लगी। रोमांच के मारे उसके बदनके सारे बाल जैसे खड़े हो गए। उसकी चूत में अजीब सी सिहरन और फड़कन शुरू हो गयी। जैसे ही चूत की सुरंग की त्वचा फड़कती थी की वह जीतूजी के लण्ड को एक वाइस की तरह जकड लेती थी। जिसके कारण जीतूजी को एक अजीब अनूठा अहसास का अनुभव होता था। जीतूजी ने महसूस किया की दूसरी बार अपर्णा जीतूजी के लण्ड को अंदर लेते हुए पहले की तरह हिचकिचा नहीं रही थी। वह एक अनुभवी प्रेमिका साथी की तरह चुदाई करवाने के लिए बड़े आत्म विश्वास से साथ दे रही थी। जैसे जैसे जीतूजी ने अपनी फुर्ती बढ़ाई, अपर्णा ने भी पूरा साथ देते हुए अपने कूल्हे उठा कर जीतूजी का पूरा साथ दिया। एक चोदने वाले पुरुष के लिए इससे अधिक और आनंद की बात क्या हो सकती थी? अपर्णा को और आनंद देने के लिए जीतूजी थोड़ा टेढ़ा होकर अपने लण्ड को अलग अलग एंगल से अपर्णा की सुरंग में चोदते जा रहे थे।

अब पीछे से अपर्णा की गाँड़ पर अपना खड़ा लण्ड रगड़ने की बारी अपर्णा के पति रोहित की थी। रोहित ने पीछे से अपनी बीबी की नंगी कमर पर अपने दोनों हाथ टिकाये हुए थे और वह अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ की दरार में रगड़ते जा रहे थे। अपर्णा अपनी गाँड़ पर अपने पति का फिर से खड़ा हुए लण्ड को महसूस कर रही थी। अपर्णा को उस दिन जीतूजी को पूरी ऊंचाई अपने चरम तक ले जाने की इच्छा थी। अपर्णा जीतूजी से अलग अलग पोजीशन में चुदवाना चाहती थी और वह भी अपने पति के सामने। रोहित बार बार अपर्णाको जीतूजी से चुदवाने के बारे में इशारा करते रहते थे। अब तक अपर्णा पति की बात टालती रही थी। पर आज उसे सुनहरा मौक़ा मिला था पति की इच्छा पूरी करने का और सच बात तो यह भी थी की उसकी अपनी भी इच्छा पूरी करने का। अपर्णा ने जीतू जी को रुक जाने का इशारा किया। जीतूजी ने अपर्णा की और प्रश्नात्मक भाव से देखा। अपर्णा ने जीतूजी के होँठों पर हलकी सी चुम्मी कर थोड़ा सा पीछे हट कर उनका लण्ड अपनी चूत से निकाल दिया और उस झूलते हुए मोटे रस्से जैसा जीतूजी का लण्ड अपने हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाते हुए अपने पति, जो की बिस्तर में लेटे हुए थे के पाँव के पास पहुंची।

जीतूजी को अपनी बगलमें खड़ा रख कर अपर्णा ने रोहित के दोनों पाँव चौड़े किये और खुद बिच में आ गयी। बदन को घुटनों पर टिकाकर अपनी गाँड़ ऊपर की और उठाकर अपर्णाने आगे झुक कर अपने पति का लण्ड के अग्र भाग (टोपे) को बड़े प्यार से चूमा और जीतूजी को अपने पीछे आने का इशारा किया। जीतूजी अपर्णा की इच्छा समझ गए। अपर्णा अपने पति का लण्ड चूसते हुए खुद घोड़ी बनकर जीतूजी से पीछे से चुदवाना चाहती थी। जीतू जी ने आगे बढ़कर अपर्णा की गाँड़से अपना लण्ड सटा दिया। अपर्णा ने उसे अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए अपनी चूत पर रगड़ा और धीरे से अपनी चूत की पंखुड़ियों को खोल कर उसके बिच अपने प्रेम छिद्र में हल्का सा घुसाया। बाकी काम जीतूजी ने आगे से धक्का मार कर पूरा किया। जीतूजी का लण्ड पीछे से चूत में घुसते ही अपर्णा की चीख निकल गयी। थोड़ा सा धक्का ज्यादा लगने से और चूत चिकनी होने के कारण जीतूजी का लण्ड काफी अंदर घुस गया था। जैसे तैसे अपर्णा ने अपने आप को सम्हाला। आगे अपर्णा अपने पति का लंड चूस रही थी तो पीछे से जीतूजी अपर्णा को घोड़ी बनाकर अपर्णाकी चूत में अपना लण्ड पेलने लगे और उसे हलके धक्के मार कर चोदने लगे। अपर्णा की भरी हुई चूँचियाँ हवा में मस्ती से झूल रही थीं। जीतूजी ने अपने हाथ आगे कर उनको अपने दोनों हाथों की हथेलियों में पकड़ा और उन्हें प्यारसे दबाने और मसलने लगे।

अपर्णा जीतूजी के पीछे से लगते हुए धक्कों से पूरी तरह हिल रही थी और उसे अपने पति का लण्ड चूसने में भी कुछ कठिनाई हो रही थी। यह देखते हुए जीतूजी ने अपर्णा की नंगी कमर दोनों हाथों से पकड़ कर अपर्णाको थोड़ा संतुलित और स्थिर करने की कोशिश करते हुए अपने पीछे धक्के मारने की रफ़्तार कम की। पर ऐसा करने से जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में ज्यादा गहराई तक चला गया। अपर्णा की चूत में अब उसे आगे जाने देने के लिए जगह ही नहीं थी। वह अपर्णा की बच्चे दानी को धक्के मारने लगा। अपर्णा फिर से चीख उठी। जीतूजी अपर्णा की सहमी हुई चीख सुनकर थोड़े चिंतित हो गए और थम गए। पर अपर्णा वैसेही खड़ी रही तो जीतूजी अपने धक्के के पीछे जोश कम कर हलके हलके से ही अपर्णा की चूत में अपना लण्ड पेलने लगे। अपर्णा को अब मजा आ रहा था। रोहित अपनी बीबी के बालों में अपनी उंगलियां डाल कर अपर्णा का माथा पकड़ कर अपने लण्ड को चुसवाने का मजा लेरहे थे। ऐसेही कुछ देर चलता रहा तब रोहितने थोड़ासा ऊपर उठकर अपनी बीबी अपर्णा के कानों के पास अपना मुंह लाकर (जिससे की पीछे से अपर्णा को चोद रहे जीतूजी सुन ना सके) पूछा, "डार्लिंग, इतना तो तुम कर ही चुकी हो। तो क्यों ना आज तुम हम दोनों से एक साथ चुदवालो? बोलो, कर सकती हो?"

अपर्णा ने अपनी आँखें खोल कर अपने पति की और देखा। उसकी आँखोंमें सवाल था की आखिर उसके पति क्या चाहते थे? रोहित ने कहा, "क्या तुम मेरे और जीतूजी से एक साथ चूत और गाँड़ मरवाना चाहोगी? अगर तुम हिम्मत करो तो?" कह कर रोहित जैसे अपनी बीबी की मिन्नत करते हुए अपर्णा के बालों को चूमने लगे। अपर्णा ने धीमी आवाज में कहा, "क्या तुम मुझे मरवाना चाहते हो? रोहित ने उतनी ही धीमी आवाज में अपनी बीबी की मिन्नत करते हुए कहा, "देखो, मेरा तो अब ढीला पड़ चुका है। वह क्या परेशान करेगा? और फिर मैं हर्बल तेल से उसे पूरी तरह सराबोर करकेही घुसाउँगा। प्लीज? करने दो ना? बस एक बार? थोड़ेसे समय के लिए ही?" अपने पतिकी बचकाना बातें सुनकर अपर्णा की हंसी फुट पड़ी। इतने बड़े पत्रकार, जिनका हर तीसरे दिन टीवी पर साक्षात्कार होता है और आम जनता जिन के शब्दों का इतना विश्वास करती है, वह अपनी बीबी के सामने उसे दो मर्दों से एक साथ चुदवाने के लिए कैसे गिड़गिड़ा रहे थे? अपर्णा यह देख कर हैरान थी।

किसीने सच ही कहा है की आखिर मर्द लोग कितने ही बड़े क्यों ना हों? जब उनका पाला कोई सेक्सी खूब सूरत औरत से पड़ता है तो वह अपने लण्ड के आगे कितने लाचार हो जाते हैं? यह उसने देखा। रोहित जी जैसा बड़ा पत्रकार भी अपनी विलक्षण तृष्णा (फंतासी) के सामने अपनी बीबी को दो मर्दों से एक साथ चुदवाने के लिए कितना बेताब था? अपर्णा सोचने लगी की क्या किया जाए? उसका मन किया की पति की इस ख्वाहिश को हर बार की तरह इस बार भी ठुकरा कर प्यार से जीतूजी से चुदवा कर अपनी जान छुड़ाए। पर उस दिन अपर्णा के दिमाग में भी एक तरह का चुदाई नशा छाया हुआ था। अपर्णा ने उस दिन ऐसा काम किया था जो कोई भी स्त्री के लिए और ख़ास कर भारतीय नारी के लिए सपने के सामान अकल्पनीय था। अपर्णा ने अपने पति के देखते हुए अपने पड़ौसी और प्रियतम जीतूजी से चुदाई करवाई थी। जब बात यहां तक ही पहुँच गयी है तो फिर अपर्णा ने सोचा चलो एक कदम आगे भी चल लेते हैं। वह अपने पति पर उस दिन बड़ी ही कायल थी। जब उसके पति रोहित ने एकही बिस्तरमें उसे जीतूजीके साथ नग्न हालात में सोते हुए देखा तो जाहिर थाकी जीतूजी ने उस रात उनकी बीबी अपर्णा को चोदा ही होगा। पर फिर भी वह ना सिर्फ कुछ भी ना बोले, बल्कि उन्होंने यह सब जानते और समझते हुए भी जीतू जी को बड़ा प्यार और दुलार किया और अपने आप को अपर्णा को ना बचाने की लिए कोसा भी। अपर्णा के मन में अपने पति के लिए बड़े ही गर्व और प्यार का भाव उमड़ पड़ा। उसके मन के कोने में भी कहीं ना कहीं ऐसी विलक्षण तृष्णा रही होगी की कभी ना कभी वह दो मर्दों से एक साथ चुदवाएगी। आज उसे उसके पति ने बड़े ही मिन्नतें करते हुए जब आग्रह किया तो अपर्णा उन्हें मना नहीं कर पायी।

अपर्णा ने हाँ तो नहीं कहा पर अपने पति के कान में धीमे से बोली, "जानू, यह देखनाकी मुझे ज्यादा दर्द ना हो।" अपर्णा की बात सुनकर रोहित उछल पड़े। उनके मन की सबसे बड़ी विचित्र कामना शायद उनकी बीबी आज पूरी करेगी यह जान कर रोहित फ़ौरन उठे और वैसे ही नंगे चलकर कमरे में कुछ ढूंढने लगे। जीतूजी अपर्णा की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए देख रहे थे की पति पत्नी में कुछ प्राइवेट वार्तालाप चल रहा था। शायद वह उनको नहीं सुनना चाहिए था इसी लिए अपर्णा और रोहित ने दोनों आपस में गुपचुप कुछ घुसपुस कर रहे थे। जब रोहित को पलंग पर से उठ कर एक तरफ हट कर कमरे में कुछ ढूंढते हुए देखा तो सोचमें पड़ गए की क्या बात थी? कुछ ना कुछ खिचड़ी तो जरूर पक रही थी।

खैर वह अपर्णा की चूत को पीछे से चोदने में ही मशगूल रहे। अपर्णा की गाँड़ जिस तरह चुदाई होते हुए छक्पका रही थी और अपर्णा उनके धक्के से जैसे हिल रही थी, यह दृश्य उनके लिए अतिशय ही रोमांचकारी और उन्मादक था। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा अपनी गाँड़ के गालों को कभी कभी चांटा मारती रहती थी तो कभी कभी अपनी चूत की पंखुड़ियों को अपनी उँगलियों में पकड़ कर रगड़ रही थी। अपनी चूत की पंखुड़ियों को रगड़ते हुए उसकी उंगलिया बरबस जीतूजी के बड़े घंटे को छू जाती थी। जीतूजी का तगड़ा लण्ड इंजनके पिस्टन की तरह अपर्णाकी चूतमें से "फच्च फच्च" आवाज करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था। उसको छू कर भी अपर्णाके पुरे बदनमें कुछ हलचलसी हो जाती थी। शायद अपर्णा की उन्मादकता और भी तेज हो जाती थी। कभी कभी जीतूजी का लण्ड अपनी चूत में झेलते हुए वह जीतूजी के हाथों के ऊपर अपने हाथ रख कर अपने खुद की चूँचियों को दबा कर अपनी उत्तेजना व्यक्त करती रहती थी। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा को एक अजीब सा ही भाव हो रहा था। उसे घोड़ी बनकर चुदवाना बहुत पसंद था और कई बार अपने पति से वह उस पोजीशन में चुदवा चुकी थी। पर उसे जीतूजी के तगड़े लण्ड से पीछे से चुदवाने में कुछ अजीब सा ही भाव हो रहा था।

अपर्णा चाहती थी की उसदिन वह जीतूजीसे पूरा मन भरनेतक चुदाई करवातीही रहे। अपर्णा आँखें बंद कर जीतूजी के लण्ड को अपनी चूतके अंदर बाहर करने का आनंद लेर ही थी की अचानक जीतू जी थम गए और उन्होंने धीरेसे अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें से निकाल लिया। अपर्णाने पीछे मूड कर देखा तो समझ गयी की अब उसके दोनों छिद्रों में चुदाई होने वाली थी, क्यूंकि रोहित जी जीतूजी के पीछे खड़े अपने लण्ड पर कोई तेल जैसा चिकना ऑइंटमेंट लगा रहे थे। अपर्णा को थोड़ा खिसका कर जीतूजी पलंग पर लेट गए और अपर्णा को अपने बाजुओं को लम्बा कर अपने ऊपर चढ़ने का आवाहन किया। अपर्णा ने जीतूजी की भुजाओं को पकड़ कर अपने बदन को थोड़ा सा टेढ़ा हो कर जीतूजी के खड़े लण्ड को, जो की छत की और दिशा सुचना करते हुए पहले की ही तरह अडिग और कड़क खड़ा था उसे अपनी चूत के केंद्र में टिका दिया। फिर हर बार की तरह उस लण्ड को उँगलियों में पकड़ कर उसे अपनी चूतकी पंखुड़ियों में रगड़ते हुए अपनी चूतके केंद्रबिंदु छिद्रपर टिका दिया। थोड़ासा नीचे झुककर अपना नंगा बदन नीचाकर जीतूजी के लण्ड के चिकनाहट से लथपथ लण्ड को धीरे से अपनी चूत में घुसाया। कुछ देर तक गाँड़ सहित अपने निचे वाले बदनको ऊपर निचेकर वह जीतू जी को अपनी चूत से चोदने लगी। उस बार उसे कोई खास दर्द का अनुभव नहीं हुआ। धीरे धीरे जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में काफी घुस गया। अपर्णा ने फिर झुक कर जीतूजी के ऊपर अपने पुरे बदन को लिटा दिया और जीतूजी के होंठों से अपने होँठ मिलाकर उसे चूमने और चूसने लगी। ऐसा करते हुए अपर्णा ने अपनीं गाँड़ थोड़ी सी और ऊपर की। रोहित अपर्णा को जीतूजी के ऊपर लेटने का ही इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही अपर्णा जीतूजी के ऊपर लेट गयी और अपनी गाँड़ थोड़ी सी ऊपर की की रोहित को अपर्णा की गाँड़ का छोटा सा छिद्र दिख पड़ा। हालांकि अपर्णा के ऐसा करने से जीतूजी का लण्ड चूत में से काफी बाहर निकला हुआ था पर चूँकि वह इतना लंबा था की फिर भी वह अपर्णा की चूत में काफी अंदर तक घुसा हुआथा। अपर्णा को जीतूजीको चोदते हुए देखते देखते वह अपने लण्ड पर कोई चिकनाहट भरा प्रवाही जो तेल जैसा चिकना और स्निग्ध था उसे भरपूर लगा रहे थे। अपर्णा की गाँड़ का छिद्र देखते ही रोहित ने वह ऑइंटमेंट अपनी उँगलियों में अच्छी तरह लगाया और फिर वह उंगली अपर्णा की गाँड़ के छेद में डाली। रोहित बार बार अपर्णा की गाँड़ के छेद में ऑइंटमेंट से भरी हुई उंगली डाल कर अपर्णा की गाँड़ उस चिकने तेलसे भर देना चाहते थे जिससे की वह जब अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ में डालें तो वह आसानी से उस छिद्र में घुस जाए।

जीतूजी बिस्तर पर लेटे हुए थे। अपर्णा जीतूजी के ऊपर उनका लण्ड अपनी चूत में लिए हुए जीतूजी को प्यार भरा चुंबन कर रही थी। अपनी गाँड़ थोड़ी ऊपर की और उठा कर वह रोहित यानी अपने पतिसे अपनी गाँड़ के छिद्र में चिकना तेल या ऑइंटमेंट डलवा कर उसे स्निग्ध करवा रही थी। रोहित का लण्ड पहले जितना कडा तो रहा नहीं था फिर भी रोहित का मन पहली बार अपनी बीबी अपर्णा की गाँड़ मारने के लिए मचल रहा था। अपनी बीबी की गाँड़ में अच्छी तरह चिकनाहट भरा तेल डालनेके बाद रोहित ने अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और उसे अपनी बीबी की गाँड़ के छिद्र के द्वार पर टिका दिया और एक हल्का धक्का मारा। एकतो रोहित जी का लण्ड ढीला पड़ गया था। दूसरे वह तेल से लबालब लिपटा हुआ था सो एकदम सरसराता हुआ वह अपर्णा की गाँड़ में घुस गया। इतनी आसानी से अपना लण्ड घुस गया यह देख रोहित जी ने अपने पेंडू से एक धक्का मारा और अपना पूरा लण्ड अपर्णा की गाँड़ में घुसा दिया। अपर्णा की गाँड़ की सुरंग उतनी फैली हुई तो थी नहीं। अपर्णा को अचानक एक टीस उठी और दर्द हुआ। वह कुछ लम्हों के लिए सहम गयी। अपर्णा चीखी तो नहीं पर वह उस दर्द को बर्दाश्त करने के लिए अपनी आँखें भींच कर कुछ देर जीतूजी के ऊपर लेटी हुई पड़ी रही। उस समय अपर्णा की चूत में जीतूजी का लण्ड और उसकी गाँड़ में अपने पति का। अपर्णा ने अपनी जिंदगी में पहली बार दो मर्दों का लण्ड एक साथ लिया था। यह अनुभव किसी भी महिला के लिए बड़ा ही अजीब या अनूठा होता है और शायद कम ही महिलायें ऐसा अनुभव करना चाहेंगी। अपर्णा के उस दिन दो पति हो गए। वह दो पति की पत्नी हो गयी। और दोनों ही पति अपर्णा को एक साथ चोद रहे थे।

रोहित ने पीछेसे धीरे धीरे अपनी बीबीकी गाँड़ चोदनी शुरू की। अपर्णा भी दर्द कुछ कम होने के बाद बेहतर महसूस कर रहीथी। पहली बार किसी लण्ड का अपनी गांड में अनुभव कर अपर्णा कुछ अजीब सा महसूस कर रही थी। उसे महसूस हो रहा था की उसके बदन में दो लण्ड एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे। बिच में मात्र त्वचा की पतली सतह ही थी। रोहित ने धीरे धीरे अपनी बीबी की गाँड़ में अपना लण्ड हलके हलके ठोकना शुरू किया। जीतूजी निचे से और रोहित ऊपर से और बेचारी अपर्णा दो हट्टे कट्टे मर्दों के बिच में पिचकी हुईथी। पर उसे बेतहाशा उन्मादक उत्तेजना और रोमांच महसूस हो रहा था। सिर्फ इस लिए नहीं की वह दो लण्डसे एक साथ चुदवा रही थी, पर इस लिएभी की उसे आज अपने दोनों मर्दों की एक छिपीसी विचित्रसी इच्छा या लालसा पूरी करने का मौक़ा मिल रहा था और साथ साथ में उसे अपने दो प्रेमी जो उस पर जान छिड़कते थे उन्हें एक साथ प्यार करने का मौक़ा मिल रहा था।

अपने पति का लण्ड पहली बार गाँड़ में ले ने से उसे काफी दर्द तो हुआ, पर वह आज वह दर्द सहने के लिए तैयार थी। अपर्णा को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके पेट के निचले वाला हिस्सा पूरी तरह से कोई ठोस सामान से भर गया हो। उसे ऐसे लगा जैसे वह गर्भवती हो। उसके पेट में एक साथ दो कड़े मोटे लण्ड घुस रहे थे निकल रहे थे। दर्दनाक होने के बावजूद अपर्णा को अपनी चूत और गाँड़ एक साथ दो लण्ड से चुदवाना अच्छा लगा, चूँकि वह उसके प्रेमियों के थे। रोहित अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे जब की जीतूजी ने अपनी चोदने की रफ़्तार अच्छी खासी बढ़ा दी थी। अपर्णा को दोनों मर्दों के एक एक धक्के से उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती थी।

अपर्णा अपने ऊपर काबू नहीं रख पा रही थी। उसका बदन जैसे एक नयी ऊंचाई को छू रहा था। उसके हॉर्मोन्स और उसका स्त्री रस उसकी चूत में से रस की धारा समान रिस रहा था। उसके दिमाग में एक अजीब सा नशा छाया हुआ था। अपर्णा की सांस फूल रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से रोमांच के मारे चीत्कारियाँ निकल जाती थीं। अपर्णा की चूत में अचानक मचलन बहुत ज्यादा बढ़ गयी। वह अपने बदन पर नियत्रण नहीं कर पा रही थी। जीतूजी की फुर्तीली चुदाई और रोहित की गाँड़ में लण्ड से चुदाई के कारण अपर्णा अपना आपा खो रही थी। उसका दिमाग घूम रहा था। अपर्णा ने जीतूजी को अपनी बाँहों में कस के पकड़ा और बोली, "जीतूजी मुझे खूब चोदो। आज मैं आप दोनोंसे खूब चुदवाना चाहती हूँ। पता नहीं आगे यह मौक़ा मिले या ना मिले "कल हो ना हो..."

यह कहते ही अपर्णा के दिमाग और मन में एक गजब का धमाका सा हुआ और "हाय राम... " कह कर अपर्णा झड़ पड़ी।

जीतूजी को भी रोहित का लण्ड उनके लण्ड से रगड़ खाता हुआ महसूस हो रहा था। दोनों मर्दों के लिए भी यह अनुभव कोई चमत्कार से कम नहीं था। कहाँ एक सेना का विशिष्ट सम्मान्नित पदाधिकारी और एक अति विशिष्ट पत्रकार और कहाँ एक सम्मानित गृहिणी महिला। पर तीनों प्यार के एक अजीब से फितूर में मग्न उस दिन अपर्णा से चिपके हुए थे और ऐसी प्यार भरी हरकत कर रहे थे जिसके बारे में शायद उन्होंने सोचा तक नहीं था। तीनों के मन में कुछ अजीब से तरंग लहरा रहे थे। जीतूजी ने अपना धैर्य सम्हाले रक्खा था पर अब इस नए अनुभव की उत्तेजना से वह जवाब देने लगा। अब वह अपने वीर्य पर काबू नहीं रख पा रहे थे। अपर्णा का जैसे छूट गया की जीतूजीका वीर्यका फव्वारा भी अपर्णा की चूत में गरम गरम लावा जैसे चारों तरफ फ़ैल रहा हो और अपनी गर्मी से पूरी गुफा की सुरंग को गर्माता हुआ चूत की गुफा में जगह ना होने के कारण अपर्णा चूत के बाहर निकल रहा था। यह दृश्य देखते ही अपर्णाके पति रोहित जी भी अपने आप पर कण्ट्रोल ना रख पाए और पिछेसे अपर्णा को चिपकते हुए, "अपर्णा, मैं तेरे अंदर ही अपना माल निकाल रहा हूँ। " कह कर उन्होंने भी अपना सारा माल अपर्णा की गाँड़ की सुरंग में निकाल दिया।

पहली बार अपर्णा ना सिर्फ दो मर्दों से एक साथ चुदी बल्कि दो मर्दों का माल भी उसकी चूत और गाँड़ में डाला गया। अपर्णा की चूत और गाँड़ दोनों में से ही उसके पति और प्रियतम के वीर्य की मलाई बाहर निकल रही थी। अपर्णा की बच्चे दानी में जीतूजी का वीर्य जा चुका था। पर क्या वह अपर्णा के अण्ड से मिलकर फलीभूत हो पायेगा? क्या अपर्णा जीतूजी का बच्चा अपने गर्भ में ले पायेगी? कोई भी सावधानी के बिना जीतूजी से काफी अच्छी तरह से चुदवाने के कारण उसके मन में यह प्रश्न उठ रहा था। यह सवाल अपर्णा के मन में अजीब सी मचलन पैदा कर रहा था। अपर्णा की मन की ख्वाहिश थी की उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण हो क्यूंकि वह चाहती थी की उसका बच्चा एक दिन देशकी सेवा में ऐसे ही लग जाए जैसे जीतूजी लगे हुए थे।

दुसरा आज नहीं तो कल उसे अपने घर में शिफ्ट होना था। तब वह जीतूजी से दूर हो सकती थी। तो वह अपने बच्चे को देख कर ही जीतूजी को याद कर लिया करेगी।

साथ साथ में अपर्णा को एक भरोसा भी था। अगर उस दिन उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण नहीं पायी तो भी बाद में भी मौक़ा तो मिलना ही था। अपर्णा ने अपने पति को स्पष्ट कह दिया था की अगर वह जीतूजी से एक बार चुदवायेगी तो वह आखरी बार नहीं होगा। फिर वह जीतूजी से बार बार चुदवाना चाहेगी। तो रोहित को उसे वह आझादी देनी पड़ेगी। अपर्णाके पति रोहित जी को उसमें कोई आपत्ति नहीं थी। अपर्णा के पति रोहित भी तो श्रेया को बार बार चोदने के सपने देख रहे थे। श्रेया को एक बार चोदने से उनका मन नहीं भरा था। जिस जोश के साथ रोहित से श्रेया ने चुदवाया था वह देखने लायक था। रोहित से उनकी अपनी पत्नी अपर्णा ने ऐसे कभी नहीं चुदवाया था। इसी लिए तो कहते हैं की "घरकी मुर्गी दाल बराबर।"

रोहित, जीतूजी और साथ साथ में अपर्णा के झड़ने से अब तीनों थकान महसूस कर रहे थे। अपर्णा की चूत इतनी जबरदस्त चुदाई से सूज गयी थी और उसे दर्द भी महसूस हो रहा था। चुदवाते समय उन्माद में दर्द महसूस नहीं हो रहा था। पर जब चुदाई ख़तम करके सब एक दूसरे से थोड़ा हट के लेटे तो अपर्णा को दर्द महसूस हुआ। अपर्णा उठकर अपने कपडे लेकर बाथरूम में गयी। उसने अपनी चूत और आसपास के सारे दाग और वीर्य के धब्बों को साफ़ किया। अपने बदन पर ठीक तरहसे साबुन लगाकर वह नहायी। फिर अपने कपडे लेकर तौलिया लपेट कर वह बाहर निकली तो रोहित नंगधडंग खड़े बाथरूम के बाहर उसका इंतजार कर रहे थे। अपर्णा को उन्होंने अपनी बाँहों में लपेट लिया और उसे चुम्बन करते हुए वह अपर्णा के कानों में बोले, "बीबी, मैं आपका बहुत आभारी हूँ की आपने मेरे मन की ख्वाहिश आज पूरी की।" अपर्णा ने अपने पति के होँठों अपने होँठ चुसवाते हुए उसी धीमे आवाज में कहा, "अब आप भी श्रेया को चोदने के लिए आझाद हो। अब हम दो कपल नहीं। अब हम एक जोड़ी हैं। क्या अब हम जो जब जिससे चाहे सम्भोग कर सकते है ना?"

रोहित ने अपर्णा से कहा, "हाँ, बिलकुल। अब तुम्हें जीतूजी से चुदवाने में कोई रोकटोक नहीं है।" यह कह कर रोहित फ़टाफ़ट बाथरूम में घुसे। अपर्णा तौलिया लपेटे हुए आगे बढ़ी और जीतूजी के पास पहुंची। जीतूजी अपर्णा को तौलिये में लिपटे हुए देख रहे थे। अपर्णा अर्धा बदन छिपाए हुए तौलिये में शर्माते हुए उनके सामने खड़ी थी। जब अपर्णा जीतूजी के सामने आ खड़ी हुई, तो अपर्णा ने देखा की अपर्णा को तौलिये में लिपटे हुए आधी नंगी देख कर जीतूजी ढीला लण्ड फिर खड़ा हो गया। अपर्णा हैरान रह गयी की उसकी इतनी भारी चुदाई करने के बाद और तीन बार झड़ने के बादभी जीतूजी का लण्ड वैसे का वैसा ही खड़ा हो गया था। अपर्णा घबरा गयी की कहीं जीतूजी का फिर उसे चोदने का मन ना हो जाए। वह फिर से जीतूजी से चुदवाना तो चाहती थी, पर उस समय उसकी चूत सूजी हुई थी। जीतूजी ने अपनी बाँहें लम्बी कर अपर्णा को अपने आगोश में ले लिया। अपर्णा ने भी अपने होँठों को आगे कर जीतूजीके होँठोंसे मिला दिए। दोनों प्रगाढ़ चुम्बन में जुट गए। अपर्णाका तौलिया वैसे ही खुल गया। जीतूजी सुनिता के दोनों गुम्बजों को अपनी हथेलियों में भर कर उन्हें दबाकर अपना उन्माद व्यक्त करने लगे। अपर्णा को लगा की जीतूजी एक बार फिर उसे चोदने के लिए तैयार हो रहे थे। तब अपर्णा ने अपने मन को सम्हालते हुए जीतूजी की बाँहें धीरे से और बड़े प्यार से हटा कर कहा, "मेरे प्रियतम, अभी नहीं। मुझे दर्द हो रहा है। पर अब तुम जब चाहोगे मैं तुम्हारे पास दौड़ी चली आउंगी। जितनी व्याकुलता आपको है उससे कहीं ज्यादा मुझे भी है। मैं अब तुम्हारी हो चुकी हूँ और तुम जब चाहो मुझे भोग सकते हो।" जीतूजी ने अपनी आँखें अपर्णा की आँखों में डालकर कहा, "प्यारी अपर्णा, आज मैं तुमसे वादा करता हूँ की आज के बाद मैं तुम्हें और श्रेया को छोड़कर किसी भी औरत की और बुरी नजर से नहीं देखूंगा। आज तुमने मेरी सारी इच्छाएं मेरी सारी मनोकामना पूरी कर दी हैं। मुझे इससे और कुछ ज्यादा नहीं चाहिए। और हाँ, अब हमें यहां से निकले के लिए तैयार होना है।"

यह कह कर जीतूजी धीरे से अपर्णा से थोड़ा हट कर खड़े हुए। उनके खड़े होते ही उनका खड़ा लण्ड हवा में झूलने लगा। अपर्णा ने झुक कर उसे बड़े प्यारसे चूमा और और उसका अग्रभाग अपने मुंह में लेकर उसे चाटने लगी। अपर्णा जीतूजी के लण्ड को चाटती हुई ऊपर नजरें उठाकर जीतूजी की और देखने लगी की अपना लण्ड चुसवा कर जीतूजी के चेहरे पर कैसे भाव दिख रहेथे। जीतू जी अपनी आँखें बंद कर अपर्णा से अपने लण्ड को चुसवाने का मजा ले रहे थे। अपर्णा के बड़े प्यार और दुलार से जीतूजी का लण्ड एक हाथ में पकड़ कर सहलाना और साथ साथ में मुंह में जीभ को हिलाते हुए लण्ड को अपने मुंह की लार से सराबोर करते हुए चूसवाने का अनुभव महसूस कर जीतूजी खड़े खड़े आँखें मूँद कर मजे ले रहे थे। कुछ ही पलों में जीतूजी का बदन जैसे ऐंठ सा गया। उनकी छाती की पसलियां सख्त हो गयीं और वह मचलने लगे। इतनी बार अपर्णा की चुदाई करते हुए झड़ ने के बाद भी जीतूजी एक बार फिर अपना वीर्य अपर्णा के मुंह या हाथ में छोड़ने के लिए तैयार हो रहे थे। अपर्णा ने यह महसूस किया और फुर्ती से जीतूजी का लण्ड हिलाने और बड़े प्यार से चूसने लगी। जीतूजी का सख्त बदन कुछ अजीब सा रोमांचित होते हुए हलके से झटके खाने लगा। अपर्णा ने जब लण्ड को हिलाने की रफ़्तार और तेज की तब जीतूजी से रहा नहीं गया और एक झटके से उनके लण्ड के छिद्र से फिर एक बार उनकी मर्दानगी भरा वीर्य उनके लण्ड से फुट पड़ा।

अपर्णा ने इस बार जीतूजी के वीर्य के कुछ हिस्से को अपने मुंहमें पाया। शायद पहली बार अपर्णा उसे निगल गयी। हालांकि वीर्य निगलने में उसे कोई ख़ास स्वाद का अनुभव तो नहीं हुआ, पर अपर्णा अपने प्रियतम को शायद यह अहसास दिलाना चाहती थी की वह उन्हें कितना प्यार करती थी। एक औरत जब अपने प्रिय मर्द का लण्ड मुंह में डाल कर चुस्ती है तो वह अपने मर्द को यह अहसास दिलाना चाहती है की उसका प्यार कितना गहरा और घना है। मर्द होने के नाते मेरा यह मानना है की अपना लण्ड चुसवाने में मर्द को औरत को चोदने से ज्यादा मजा नहीं आता। पर हाँ लण्ड चुसवाने से उसका अहम् संतुष्ट होता है। इसमें औरत की मर्द के लण्ड को चूसने की कला में कितनी काबिलियत है यह भी एक जरुरी पहलु है। हालांकि औरत का उलटा है। अपनी चूत अपने मर्द से चुसवाने में औरत को कहीं ज्यादा रोमांच और आनंद की अनुभूति होती है ऐसा मुझे मेरी सारी सैया भागिनिओं ने कहा है। जब जब मैंने अपना मुंह उनकी टांगों के बिच में रखा है, तब तब वह इतनी मचल जातीं हैं की बस, उन्हें मचलती देख कर ही मजा आ जाता है।

अपर्णा हैरान रह गयी की काफी समय तक जीतूजी का गाढ़ा वीर्य उनके लण्ड के छिद्र से निकलता ही रहा। जीतूजी के वीर्य का घनापन देखते हुए अपर्णा के जेहन में एक सिहरन सी फ़ैल गयी। उसे लगभग यकीं हो गया की जब ऐसा गाढ़ा वीर्य जितनी मात्रा में उसकी चूत के सारे कोनों में फ़ैल गया था तो वह कहीं ना कहीं अपर्णा के स्त्री बीज से मिलकर जरूर फलीभूत होगा। क्या अपर्णा को जीतूजी गर्भवती बना पाएंगे? यह प्रश्न अपर्णाके मन में घूमने लगा। खैर कुछ देर वैसे ही खड़े रहने के बाद जीतूजी ने अपर्णा को पकड़ कर खड़ा किया और उसे कस कर अपनी बाँहों में लिया। अपर्णा और जीतूजी के नग्न बदन एक दूसरे से रगने लगे। अपर्णा के गोल गुम्बज जीतूजी के घने बालों से भरे सीने से पिचक कर दब गए थे।

रोहित यह दृश्य कुछ दूर हट कर खड़े रह कर देख रहे थे। अपर्णा अपना मुंह जीतूजी के मुंह के पास लायी और अपने होँठ जीतूजी के होँठों से मिला दिए। एक बार फिर दोनों प्रेमी प्रमिका घने आलिंगन में बंधे एक दूसरे के होँठों और जिह्वा को चूसने और एक दूसरी के लार चूसने और निगलने में जुट गए। जीतूजी अपनी प्रेमिका और अपने दोस्त रोहित की पत्नीको अपने आगोश में लेकर काफी देर तक उसे गहरा चुम्बन करते रहे। फीर थोड़ा सा हट कर अपर्णा के गालों पर एक हलकी सी पप्पी देकर हल्का सा मुस्करा कर बोले, "अपर्णा, आज तुमने मुझे जिंदगी की बहुत बड़ी चीज दी है। मुझे तुमने एक अमूल्य पारितोषिक दिया है। मैं तुम्हारा यह एहसान कभी भी नहीं पाउँगा।" अपर्णा ने फ़ौरन जीतूजी के होँठों पर अपनी पतली सी हथेली रखते हुए कहा, "जीतूजी, यह पारितोषिक मैंने नहीं, आपने मुझे दिया है और उसमें मेरे पति का बहुमूल्य योगदान रहा है। यदि वह मुझे बार बार प्रोत्साहित ना करते तो मुझमें यह हिम्मत नहीं थी की मैं थोडीसी भी आगे बढ़ पाती। और दूसरी बात प्यार में प्रेमी कभी भी एक दूसरे का धन्यवाद नहीं करते। मैं सदा आपकी हूँ और आप सदा मेरे रहेंगे।" यह कहकर अपर्णाने अपने पतिकी और देखा, रोहित जी ने अपना सर हिलाते हुए कहा, "बिलकुल। अब हम चारों एक दूसरे के हो चुके हैं। हम चारों में कोई भेद या अन्तर का भाव नहीं आना चाहिये । मैं श्रेया भी इसमें शामिल कर रहा हूँ।"

अपने पति रोहित की बात सुनकर अपर्णा भावविभोर हो गयी। उसे अपने पति पर गर्व हुआ। वह आगे बढ़कर अपने पति को लिपट गयी और उनके गले में बाँहें डाल कर बोली, "मुझे आप की पत्नी होने का गर्व है। शायद ही कोई पति अपनी पत्नी को इतना सम्मान देता होगा। अब तक मैं पुरानी रूढ़िवादी विचारों में खोई हुई थी। मैं अब भी मानती हूँ की पुराने विचारों में भी बुराई नहीं है। पर आज जो हमने अनुभव किया वह एक तरहसे कहें तो अलौकिक अनुभव है। आज हम दो जोड़ियाँ एक हो गयीं।"

तीनों प्रेमी शारीरिक थकान के मारे कुछ देर सो गए। कुछ देर सोने के पश्चात उन्हें बाहर कुछ हड़बड़ाहट महसूस हुई। सबसे पहले अपर्णा फुर्ती से उठी और भाग कर बाथरूम में जाकर अपने बदन को साफ़कर उसने अपने कपडे पहन लिए।​
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