Update 01
खेल अदला-बदली का...
मैं रोहित दिल्ली में अपनी बीवी पंखुरी के साथ रहता हूँ। मेरे बारे में तो आप खुद ही अंदाज़ा लगा लेंगे। मैं पहली बार अपनी कहानी पेश कर रहा हूँ। आप मेरे किरदार और उनकी परिस्थिति को समझ सकें, उसके लिए बीच-बीच में आस पास की चीज़ों का अंदाज़ा लगवाने की कोशिश मैं करूँगा।
यह वो शाम थी, जब मेरा बुआ का लड़का विनीत जो मेरा हमउम्र ही है, मेरे घर आया । वो भोपाल में रहता है। शाम की ट्रेन से जब वो घर आया तो काफी अँधेरा हो चुका था। मैं तो बालकनी में खड़ा-खड़ा काफी देर से उसी का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही वो आया, मेरी ख़ुशी दुगनी हो गई।.बचपन में हम दोनों बहुत समय साथ गुज़ारते थे, अब हम दोनों को ज्यादा समय नहीं मिलता। पहली सिगरेट, पहली बियर यह सब हमने साथ साथ ही शुरू किया था।
घर आते ही उसने मेरी बीवी के पैर छुए और मुझसे गले मिला, मैंने कहा- कमीने, मेरे भी पांव छू, तो वो बोला- क्यों भाभी के सामने गाली खाने के काम करता है? तेरे थोड़े ही न पाँव छूऊँगा।
हंस कर हम लोग सोफे पर बैठ गए। घर में घुसते ही पहला कमरा हमारा ड्राइंग रूम है, उसमें 56 इंच का टीवी से लैपटॉप कनेक्ट किया हुआ है, जिससे मूवी लैपटॉप पर न देखकर बड़ी स्क्रीन पर देख सके। सोफे केवल 2 सीटर ही हैं। एक छोटा सा कालीन एक कांच की सेंटर टेबल! घर देखकर विनीत बोला- भाई, तूने घर तो बड़ा सही बना रखा है। बोलते बोलते वो अपनी सामान भी खोलता जा रहा था।
मैंने कहा- भाई, सब ऊपर वाले का करम है। उसने बैग से एक सूट निकला जो बुआ ने भोपाल से मेरी बीवी के लिए भेजा था। मेरी पत्नी भी वहीं बैठी थी, उसने सूट मेरी पत्नी पंखुरी को दिया। पंखुरी सूट देखकर खुश हो गई। विनीत कुछ मिठाई वगैरह भी लाया था। मैंने विनीत से पूछा- भाई चाय पियेगा या खाना खाकर चाय पियेगा। वो बोला- यार, सफर में थक गया हूँ, पहले चाय पीते हैं, फिर आगे का बाद में देखेंगे।
जब तक पंखुरी चाय बना रही थी, हमने घर परिवार सबको लेकर बात करते रहे। जैसे ही चाय आई, मैंने पंखुरी को बोला- हम अपनी चाय लेकर ऊपर छत पे जा रहे हैं। हम चाय के साथ सुट्टा मरना चाहते थे इसलिए छत पे आ गये थे। चाय पीते सुट्टा मारते हुए बातें शुरू हुई। विनीत बोला- यार तू तो बहुत कमीना है, ये तो नहीं कि बियर वियर पिलाए... ऊपर से पूछ रहा है कि खाना खायेगा?
मैं क्या करता... हंस कर रह गया। मैंने कहा- चल भाई बियर ले आते है। मैंने नीचे पहुंच कर अपनी पत्नी पंखुरी को सलाद, फल और कुछ नमकीन मेवे का इंतज़ाम करने को बोल दिया। मैं और विनीत दोनों बियर लेने चले गए, रास्ते से एक तंदूरी मुर्गा भी पैक करा लाये। घर आकर मैंने बियर बोतल फ्रिज में रख दी और नहाने चला गया तब तक विनीत ने youtube पर कुछ अच्छी गज़ल्स का कलेक्शन ढूंढ के रख लिया। यह हमारा बहुत पुराना स्टाइल है बियर या व्हिस्की पीने का।
जब तक मैं नहा कर आया पूरा इंतज़ाम हमारी सेंटर टेबल पर हो चुका था। मैं तौलिये में ही सोफे पर जाकर बैठ गया, ग़ज़ल चालू हो गई और चियर्स हुआ। पंखुरी सारा सामान रखकर खाने की तैयारी के लिए किचन में चली गई जो ड्राइंग रूम से ही लगी हुई है, वहाँ से दिखता कुछ नहीं है पर सुनाई सब देता है। पहली बोतल खत्म होने के बाद विनीत बोला- रोहित भाई, मज़ा आ गया, बहुत दिनों बाद आत्मा शांत हुई है। और बोलते बोलते सिगरेट जलाने लगा। मैंने उसे रोका, मैंने कहा- मैं घर के अंदर सिगरेट नहीं पीता हूँ, या तो छत पे चल या बालकनी में। तो उसने बोतल उठाई और बालकनी में आ गया। मैंने सिर्फ तौलिया ही पहना हुआ था पर क्योंकि बालकनी में कपड़े सूखने के लिए डाले हुए थे इसीलिए कोई ख़ास प्रॉब्लम नहीं थी। रात के लगभग 9 बज रहे थे। हम एक ही में से शेयर करके सिगरेट पीते थे तो आज भी हम वैसे ही पी रहे थे।
मैंने उसकी तरफ सिगरेट बढ़ाया ही था और एक हाथ में बोतल थी, तब तक मेरा तौलिया गिरने लगा। मैंने कोहनी से जैसे तैसे सम्भाला पर जो दिखना था वो तो दिख गया। उसने बड़े आराम से मेरे लण्ड को देखकर सिगरेट अपने हाथ में ली और बड़ा सा काश मुंह में भरा। तब तक मैं बोतल साइड में रखकर तौलिया सही करने लगा। विनीत बोला- भाई, तेरा लण्ड तो पहले से काफी बड़ा हो गया है। विनीत और मैं शादी से पहले एक दूसरे की मुट्ठ मार दिया करते थे और मुखमैथुन भी करते थे। मैंने कहा- तुझे सोते लण्ड में भी साइज दिख गया गांडू? साइज अच्छा लग रहा है तो अपनी गांड में ले ले। उसने धीरे से पूछा- भाभी को तूने हम दोनों के पास्ट के बारे में बताया है?
मैंने उसको बोला- नहीं बे... तू मुझे मरवाएगा विनीत मजे लेते हुए बोला- आज मेरे ही पास सो जा, रात भर अच्छी सा ओरल सेक्स करेंगे। मैंने कहा- आईडिया बुरा नहीं है, ।et me try.
फिर मैंने उसे बोला- साले तेरी भी शादी हो गई, क्या हम अभी भी इसे एन्जॉय करेंगे। विनीत ने कहा- तो मैं कौन सा अपनी बीवी के साथ आया हूँ। अच्छा लगे तो ठीक नहींतो भाभी के पास चले जाना। मैंने अंदर आकर 2 और बोतल निकाली और दोनों भाई बैठकर पीते रहे। बीच बीच में पंखुरी का ध्यान रखते हुए हम एक दूसरे को टच भी कर रहे थे। मैं तो तौलिये में था इसलिए वो सीधा मेरा लण्ड ही सहला देता था पर मैं उसकी जीन्स के ऊपर से ही सहला रहा था। मैंने उसको धीरे से बोला- जल्दी से खाना खा लेते हैं जिससे पंखुरी के काम खत्म हो जायेंगे, वो सो जाएगी और हम मस्ती मार लेंगे। तो उसने थोड़ी बुलंद आवाज़ में मुझसे कहा- भाई खाना खाते हैं। अब और पीना होगी तो खाने के बाद थोड़ी जगह बचा लेना।
पंखुरी ने अंदर से आवाज़ लगाकर बोला- अभी लगाती हूँ आपके लिए खाना। हम दोनों ने फटाफट खाना खत्म किया। जब तक पंखुरी खाना खा रही थी, हम दोनों बालकनी में सिगरेट पीने चले गए। अब सालों बाद मिले थे, शादी के बाद बदल गए होंगे, सोच कर अभी तक कोई हरकत नहीं कर रहे थे। पर अब तो वो मेरे तौलिये में नीचे से हाथ डालके मेरी जांघें और टट्टे सहला रहा था। तौलिये में तम्बू बन हुआ था, मैंने उसको मना किया भाई थोड़ा सब्र कर अभी, उसको तम्बू दिख गया तो पता नहीं क्या सोचेगी। मैं अपने आपको कंट्रोल करके कैसे तो भी अंदर आया, थोड़ी देर बैठे रहे, फिर पंखुरी ने पूछा- भैया कहाँ सोएँगे? इनके लिए बिस्तर लगा देती हूँ। मैंने कहा- यहीं कालीन पर गद्दा और चादर बिछा देते हैं। विनीत बोला- जहाँ आप लोग ठीक समझें।
मैं जब बैडरूम में बिस्तर लेने गया तो पंखुरी बोली- आपको बिलकुल शर्म नहीं आती? 3 घंटे से ऐसे ही टॉवल में बैठे हो, भैया क्या सोच रहे होंगे। जाओ आप पहले कपड़े पहनो और में बिस्तर लगा देती हूँ। मैंने पंखुरी को बोला- लड़के इतना नहीं सोचते और अब वैसे ही रात हो गई है। थोड़ा सा रोमांटिक अंदाज़ में बोला- अब तो वैसे भी रात हो गई है, अब तो कपड़े उतारने का समय है न कि पहनने का। और पंखुरी के होंठों पे ज़बरदस्त सा किस कर दिया। उसने मुझे हटाते हुए धीरे से कहा- भैया देख लेंगे, आपको तो शर्म नहीं आती।
खैर, मैंने बाहर आकर बिस्तर लगा दिया और पंखुरी को बोला- तुम सो जाओ, हम तो इतने दिनों बाद मिले हैं, काफी बातें है करने को। इतने में विनीत हंसते हुए बोला- भाभी, आप भी बैठो, थोड़ी गप्पें लड़ाते हैं। मैं सोफे पर बैठा था, विनीत नीचे बिस्तर पे और बीवी सोफे के साइड में जो हाथ रखनेके लिए होता है उस पर बैठ गई। थोड़ी बहुत देर इधर उधर की बातों के बाद पंखुरी ने विनीत से इजाज़त ली और कहा- आप लोग बात करिये, मैं थोड़ा थक गई हूँ, आराम कर लेती हूँ। मैंने विनीत को धीरे से कहा- मैं अभी आया ज़रा गुड नाईट बोल कर और आँख मार दी। मैंने कमरे में आते ही बीवी को पीछे से बूब्स से पकड़ लिया और गले पर काटने और किस करने लगा। बीवी ने भी मुझे प्यार से किस किया और अपनी गांड मेरे खड़े लण्ड को टॉवल के ऊपर से ही रगड़ने लगी।
मैंने पीछे से ही उसकी शॉर्ट्स में हाथ डाला और पैंटी के ऊपर से ही पंखुरी को सहलाने लगा। हम दोनों ही काफी गर्म हो चुके थे, मैंने धीरे से पंखुरी से पूछा- एक क्विकी हो जाए? उसने जबाब न देते हुए सिर्फ मेरे होंठों से होंठों को लगा दिए। मैंने भी अपना हाथ थोड़ा गहराई में ले जाकर अब उसकी चिकनी चूत पर सहलाना शुरू कर दिया। हम अभी तक बेड के पास ही खड़े हुए थे, बाहर से थोड़ी रोशनी अंदर आ रही थी। हम अपनी आवाज़ पूरे कंट्रोल में करे हुए थे। मैंने पंखुरी को बेड पर धक्का देकर उसे उल्टा लेटा दिया और उसके शॉर्ट्स और पैंटी उतार के सीधा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। वो कामाग्नि में पूरी तरह जल रही थी और मेरे लण्ड पे तो काफी देर से दुलार हो ही रहा था। हमने थोड़ी देर ऐसे ही चुदाई का आनन्द लिया, बिना आवाज़ किये। पर अब इच्छा और भी ज्यादा तीव्र हो चुकी थी, हम दोनों का ही क्विकी से कोई काम नहीं चलना था, मैं उसके ऊपर से उठ कर खड़ा हो गया। उसने मेरी तरफ देखा, मैंने दरवाज़ा बंद किया और कुण्डी लगा दी और नाईट लैंप ऑन कर दिया।
पंखुरी अब तक बिस्तर पर ही सीधी हो गई थी, मेरे सामने उसकी चूत थी और उससे काफी पानी बहता दिख रहा था। उसकी जांघें भी थोड़ी गीली होने की वजह से चमक रही थी।
मैं पंखुरी के ऊपर लेट गया और उसके कान पर काटते हुए बोला- ऐसे काम नहीं चलेगा डार्लिंग, थोड़ा जम के चुदाई हो जाए? पंखुरी थोड़ा मुस्कुराई और मुझे हटाते हुए बोली- पहले उनको सुला के आ जाओ, मैं तो पूरी रात आपको ही हूँ। आप जाओ, जब आप आओगे, मैं आपको चादर में नंगी ही सोती हुई मिलूंगी, आप आकर मुझे बहुत सारा प्यार कर लेना। मैंने कहा- पंखुरी, घर में एक ही बाथरूम है, जो इसी रूम के आगे है और बाथरूम तो वो भी उपयोग करेगा न... इसलिए कपड़े पहन लो, हम कल सुबह मस्ती मार लेंगे। वैसे भी अगर मैं तुम्हें भूखा छोड़ दूंगा तो तुम पूरे दिन मुझे अच्छे अच्छे पोज़ देती रहोगी, जो मुझे बहुत अच्छा लगता है।
पंखुरी ने कहा- आप भैया को कंपनी दो, और हाँ, यह दरवाज़ा बाहर से बंद कर देना जिससे रोशनी अंदर न आये, अगर मैंने बंद किया तो जब आप आओगे तो मेरी नींद ख़राब होगी। मैं तो आया ही इसी साजिश में था। मैंने पंखुरी के जोर बूब्स दबाए और चूतड़ों पे एक चटाक लगा कर बाहर आ गया, बाहर के कमरे का भी दरवाज़ा और पर्दा लगाया और आकर सोफे पे बैठ गया।
विनीत बोला- भाई, तूने बड़ी देर लगा दी? मैंने आँख मारते हुए कहा- तेरी भाभी को भी तो सुलाना था, इंजेक्शन दे दिया है, अब उसे अच्छी नींद आएगी। वो बिस्तर पे ही लगभग रेंगता हुआ मेरे पास आया और मेरे टॉवल के अंदर मेरे भीगे हुए आधे सोते हुए लण्ड को जांघों से सहलाते हुए पकड़ने पहुँचा। जैसे ही गीलापन विनीत के हाथों पे लगा उसने हाथ वापस खींच लिया और बोला- इसे धो तो लेता! मैंने विनीत को बोला- गीलेपन को टेस्ट तो कर और बता टेस्ट कैसा है? उसको मेरी बात जंच गई, उसने मेरा टॉवल हटाया। अब मैं शादी के बाद दूसरे इंसान के सामने पूरी तरह नंगा हुया हूँ, मुझे थोड़ा सा अजीब लग रहा था क्योंकि अभी विनीत पूरे कपड़े पहने मेरे बदन के साथ खेलने की कोशिश कर रहा था। शादी से कई साल पहले हम एक दूसरे को इस तरह देखा करते थे, तब हम इतने छोटे भी नहीं थे, एक दूसरे का लण्ड चूसना और मुट्ठ मारने में मदद करते थे।हमारी गर्ल फ्रेंड्स भी थी पर फिर भी मुखमैथुन का जो मज़ा हम एक दूसरे को दे पाते वो हमे किसी भी लड़की से नहीं मिलता था। वो अपने होंठ मेरे अंडकोष के पास ले गया, वो भी गीले थे। मेरे मुंह से सिसकारी निकाल गई जब उसने अपनी जीभ से मेरे अंडकोष और आसपास के इलाके को साफ़ करना शुरू किया। मेरी आँखें बंद थी, मैं उन पलों का मज़ा लेना चाहता था।
मेरे मुंह से अकस्मात ही निकल गया- क्यों, पंखुरी का टेस्ट कैसा लगा? उसने मेरा लण्ड अपने मुंह में डाला और जीभ से अंदर ही अंदर मेरे लण्ड के टोपे को सहला रहाथा, मेरा सवाल सुन कर उसने लण्ड मुंह से बाहर निकाला, बोला- यार, पंखुरी भाभी का पानी तो बहुत ही स्वादिष्ट है।और फिर से मेरे लण्ड को ऐसे चूसने लगा जैसे वो पागल हो गया हो। मैंने उसको बोला- विनीत, तू भी अपने कपड़े उतार ले, दोनों मजे लेते हैं। उसने फिर से मेरे लण्ड को बाहर निकाला और लगभग डांटते हुए बोला- यार तू डिस्टर्ब मत कर, मुझे पता है तेरा पानी निकल गया तो तू मुझे नहीं चूसेगा पर डोंट वरी, लेट मी एन्जॉय द टेस्ट... और तू पूरा पानी मेरे मुंह में ही निकाल देना, बहुत सालों से तेरा पानी नहीं पिया है मैंने! And now just enjoy and dont disturb me.
मैं भी अब उसकी तगड़ी वाली चुसाई का मजा लेने लगा। उसने मेरे लण्ड को फिर बाहर निकाला , मेरी टाँगें ऊपर उठा दी और मेरे गांड के छेद में अपनी जीभ से सहलाने लगा। ऐसा मेरे साथ इससे पहले कभी नहीं हुआ था। मुझे अजीब ज़रूर लग रहा था पर मुझे अच्छा भी लग रहा था। अब उसने मेरी गांड के छेद को बिल्कुल चूत की तरह चाटना शुरू कर दिया। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगा मेरे मुंह से आवाज़ निकलने ही वाली थी कि मैंने अपना टॉवल अपने मुंह में डाल लिया जिससे आवाज़ न निकले। वो लगातार अपने हाथों से मेरी बॉल्स को सहला रहा था और मेरी गांड चाट रहा था। मैं बहुत कोशिश कर रहा था कि मेरा पानी न निकले पर पानी तो छूटने ही वाला था, मैंने अपने हाथ से उसका सर उठाया और अपने लण्ड को उसके मुंह में डाल दिया क्योंकि मुझे उसके मुंह में ही आना था। मैंने अपनी सारी मलाई उसके मुंह में डाल दी। उसने मलाई पूरी निगलने के बावजूद थोड़ी और देर मेरे लण्ड को अपने मुंह में ही रखा, फ़िर मुंह की सारी मलाई मेरे टॉवल पर थूक दी और फिर से मेरे लण्ड को मुंह में लेकर चूसा और फिर बची खुची मलाई भी टॉवल पर थूक दी। उसने कहा- अब एक एक सिगरेट हो जाये क्योंकि तू तो मुंह में लेगा नहीं, तेरा काम तो हो गया। वो फ्रिज से एक बोतल पानी की ले आया और बालकनी में जाने लगा, मैंने तब तक दूसरा टॉवल उठाया, सिगरेट उठाई और उसके पीछे चल दिया। उसने बाहर बालकनी में कुल्ला किया और थोड़ा पानी पी लिया। मैंने भी पानी पीया, थोड़ा साँसें नार्मल हुई।
रात के 1:30 बज चुके थे कॉलोनी की गली में काफी सन्नाटा था। मैंने सिगरेट जलाई और चुप्पी तोड़ते हुए चुटकी लेते हुए कहा- यार विनीत, तूने तो दिलखुश कर दिया, तुझे तो प्रोफेशनली यह काम शुरू कर देना चाहिए। वो सिर्फ मुस्कुरा रहा था, कुछ नहीं बोला और सिगरेट पीने लगा। मैंने उसके जीन्स का बटन खोलते हुए कहा तेरा लण्ड तो अब तक काफी गर्म हो चुका होगा। उसकी जीन्स की चैन भी खोल दी और उसकी अंडरवियर के अंदर हाथ डालने लगा। उसने बिना किसी रिएक्शन के ये सब होने दिया। मैंने जब हाथ में उसका लण्ड लिया तो वो पहले से काफी बड़ा था और हम दोनों का ही साइज लगभग एक सा था। मैंने उसकी जीन्स और अंडरवियर घुटने तक उतार दी, अँधेरा और सुनसान गली का फायदा उठाते हुए मुट्ठ मारने लगा। वो सिगरेट पीते हुए मुट्ठ मरने को शायद एन्जॉय कर रहा था।
मैंने उसके अंडकोष सहलाए और जड़ से उसके लण्ड को अच्छे से मुट्ठ मारने की कोशिश करने लगा। वो धीरे धीरे तेज़ साँसें लेने लगा, फिर बोला- यार मैं लेट जाता हूँ, तू अच्छे से मेरी मुट्ठ मार दे। इतनी देर से खड़ा लण्ड अब और सहन नहीं होता। हम कमरे में आ गये, मैंने सब दरवाज़े खिड़की बंद किये, दुबारा चेक किया कि पंखुरी का कमरा बंद है और जब मैं लौटकर आया तब तक विनीत अपने बिस्तर पे नंगा लेट चुका था और अपने हाथ से धीरे धीरे अपने लण्ड की मसाज कर रहा था। मैं उसके बगल में जाकर बैठा और उसके लण्ड को पकड़ कर धीरे धीरे अच्छी सी मसाज देने लगा।
अब वो धीरे धीरे और तेज़ साँसें लेने लगा, वो मुझसे बोला- भाई तेरे को एक बात बोलूं बुरा तो नहीं मानेगा? मैंने कहा- बोल यार बोल! मेरे हाथ नहीं रुके बिल्कुल, क्योंकि मुझे याद था की उसे मुट्ठ मारते वक़्त गन्दी गन्दी बातें करके और मज़ा आता है। विनीत बोला- यार, मैं जब तक यहाँ हूँ, तू मुझे भाभी का पानी चखा सकता है जैसा आज चखाया था, बहुत टेस्टी पानी है। मैंने कहा- क्यूँ नहीं, रोज़ उसकी चूत में अपना लण्ड डाल कर तुझे चुसाने आ जाऊंगा।
उसने मेरे हाथ पे अपना हाथ रखा और हिलाने को रोक दिया और बहुत गम्भीर होकर पूछा- यार मैं मज़ाक नहीं कर रहा, हवस के नशे में नहीं बोल रहा, मुझे पंखुरी भाभी का टेस्ट बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा। मैं थोड़ा सीरियस हुआ पर फिर मैंने उसका लण्ड हिलना शुरू कर दिया और कहा- तू चिंता मत कर...तेरा भाई तेरी यह इच्छा पूरी करने की पूरी कोशिश करेगा। अब तक मेरा लण्ड भी अपनी औकात में दुबारा आना शुरू कर चुका था। इतने में ही उसने मेरी गांड से लेकर जांघ और अंडकोष सब अपने हल्के हाथ से सहला दिए। मैंने उसको कहा- अब 69 में आ जाते हैं, अब मेरा तेरा लौड़ा चूस सकता हूँ।वो खुश हो गया।
हम दोनों 69 में एक दूसरे का लौड़ा और गांड का छेद दोनों चूस और चाट रहे थे। उसने कहा- रोहित गांड को अच्छे से चाट जैसे कोई चूत हो, तुझे भी मज़ा आएगा और मुझे भी। मैंने जैसे आदेश मिले, वैसा ही किया। थोड़ी ही देर में हम दोनों ने बहुत सारी मलाई छोड़ दी, फिर मेरे पुराने टॉवल से उसे साफ़ कर दिया। मैंने उसको बोला- अब तू सो जा... मैं भी सोने जा रहा हूँ। और मैं वापस अपने कमरे में आकर अपनी नंगी बीवीसे नंगाही चिपक कर सो गया। सुबह जब आँख खुली तो पंखुरी मेरे लिए चाय लिए मेरे सर पे ही खड़ी थी। मैंने चाय ली और उठ कर तकिए का टेका लगाया, पूछा- विनीत उठ गया?
तो बोली- नहीं अभी नहीं उठे, आप उठा दो, मैंने उनके लिए भी चाय बनाई है। मैं बिस्तर से उठ कर जाने लगा तो बोली- रुको, कुछ पहन तो लो।
मैंने देखा कि मैंने रात भर से कुछ पहना ही नहीं था, मैंने जल्दी से कपड़े पहने और विनीत को उठाने चला गया। उसने केवल अंडरवियर ही पहना था। मैंने उसको उठाया और बोला- अंदर आ जा, चाय बन गई है। वह एक शॉर्ट्स और बनियान पहन कर बैडरूम में आ गया। बैडरूम में जाने का रास्ता किचन से होकर ही है, तो वह से निकलते हुए उसने पंखुरी को गुड मॉर्निंग बोला और मेरे कमरे में आ गया। पीछे पीछे ही पंखुरी भी चाय लेकर आ गई। बीवी ने पूछा- आप लोग कितने बजे सोये? मैंने कहा- पता नहीं टाइम ही नहीं देखा। सब चाय पीकर अपने अपने काम में लग गए, विनीत वाशरूम चला गया, बीवी किचन में और मैं न्यूज़पेपर लेकर बाहर वाले कमरे में! आज सुबह मैंने विनीत का पंखुरी के लिए व्यवहार में अंतर पाया, उसका देखने और बात करने के तरीके से मुझे अंतर महसूस हुआ। मैं अभी अखबार पढ़ ही रहा था और रात के ख्यालों में खोया हुआ था कि बीवी ने पीछे से आकर मुझे पकड़ा और मेरे मुंह को चूम लिया और बोली- रात को जब अंदर आये तो जगाया क्यू नहीं? और पता है, मैं भी ऐसे ही सो रही थी और आप भी... और आपने दरवाज़ा भी बंद नहीं किया था। कभी भैया ने रात को वाशरूम use किया होगा तो? मैंने अपने चेहरे पर आश्चर्य के भाव दिखाए और कहा- ओह्ह सॉरी सॉरी... मैं भूल गया होऊँगा। और थोड़ा मजाकिया अंदाज़ में बोला- अभी आने दो उसको... पूछता हूँ, रात को क्या क्या देखा कमीने ने पंखुरी बोली- धत्त!!! और मेरे छाती पर धीरे धीरे से वार कर दिया। मैंने उसे वहीं से पकड़ा और आधा सोफे पे लटका के उसके होंठों पे चुम्बन करने लगा। इतने में खराश की आवाज़ आई, हम दोनों फटाफट नार्मल हुए, विनीत ही था, वाशरूम से वापस आ गया था। पंखुरी थोड़ा सा शर्मा गई और किचन की तरफ चली गई।
विनीत ने कोई रिएक्शन नहीं दिया जैसे उसने कुछ देखा ही न हो। विनीत समझदार है उसे पता है कब और क्या करना चाहिए। मुझे इशारे से पूछा- सिगरेट? मैंने इशारे से बोला- छत पे। फिर मैं बोला- पंखुरी, मैं ऊपर जा रहा हूँ, थोड़ी देर में आता हूँ। अंदर से आवाज़ आई- आपका लाइटर तो यही पड़ा है। रुको मैं आती हूँ। हम गेट पर ही खड़े थे, लाइटर लेकर हम छत पर चले गए, सिगरेट जलाते ही मैंने पूछा- तू साले थोड़ी और देर नहीं बैठ सकता था वाशरूम में, इतनी जल्दी क्यूँ आ गया? और आ भी गया था तो खांकरा क्यूँ? विनीत बोला- मैं थोड़ी देर से देख रहा था पर मेरे वाशरूम में होने की वजह से तुम इससे आगे बढ़ते नहीं और भाभी की आँखें शायद खुलने ही वाली थी। मैंने कहा- अच्छा, किस करते समय आँखें बंद थी क्या उसकी? विनीत ने कहा- हाँ! विनीत फिर बोला- और बता आज का क्या प्रोग्राम है? मैंने कहा- तू बोल, वही करते हैं। उसने कहा- तेरी बड़ी स्क्रीन पे कोई मूवी देखते हैं, खाना खाते हैं और घर में पड़े रहते हैं। कहीं जाने का मन नहीं है, अभी थकान मिटी नहीं है। मैंने हाँ में सर हिला दिया। मैंने नीचे आकर बीवी को भी आज के प्रोग्राम से अवगत करा दिया।
हम दोनों की मूवीज देखने में एक्सपर्ट्स (मोटी खाल) है। चाहे कैसी भी सड़ी मूवी दिखा लो, हम अपना टाइम पास कर ही लेते थे। हम दोनों ही सोफे पर बैठकर मूवी देख रहे थे, हमने कमरे में परदे और दरवाज़े बंद करके अँधेरा कर लिया था, AC ऑन कर रखा था तो एक चादर भी ओढ़ ली थी। उस चादर की आड़ में उसने मेरी चड्डीमें हाथ डाला हुआ था और मैंने उसकी चड्डीमें। बीच बीच में पंखुरी हमे कभी चिप्स कभी कोल्ड ड्रिंक्स देने भी आई पर उसे कुछ पता नहीं चला।अब जब भी वो बीच में आती तो मुझे अच्छा लगता... डर और सामने चोरी करने का एक्साइटमेंट ही कुछ और है। अब मैं पंखुरी को जान कर के बार बार बीच बीच में किसी न किसी काम से बुलाता, आवाज़ लगाता। इस बार जब मैंने रिमोट के लिए पंखुरी को बुलाया और वो जब रिमोट के लिए हमारी तरफ पीठ करके झुकी तो उसके चूतड़ों की गोलाई बिल्कुल आँखों के सामने थी। मैं बिना विनीत की तरफ देखे हुए ही समझ गया कि उसे गोलाई बहुत अच्छी लगी है क्योंकि शायद आँखों से और शक्ल से वो छुपा भी लेता पर अभी तो उसका हथियार मेरे हाथ में ही था जो झूठ बोल ही नहीं पाता। जब रिमोट देने के लिए हमारी साइड झुकी तो उसके बूब्स भी आँखों की चमक बढ़ा गए विनीत की। जब वो वहसे चली गई तो मैंने विनीत से पूछा- यार, एक सुट्टा ब्रेक तो बनता है। विनीत बोला- हाँ यार! अंदर से पंखुरी बोली- इतनी बकवास मूवी देखते ही क्यूँ हो जो खुद से ही नहीं झिलती! और हंस पड़ी।
बालकनी में सिगरेट जलाते ही मैंने पूछा- क्यूँ बे, तेरी पंखुरी पे नियत ख़राब लगती है मुझे। साले उसे देखते ही तेरा लण्ड बेहद अकड़ जाता है। विनीत के चेहरे पर थोड़ा डर था, वो बोला- नहीं भाई, ऐसी तो कोई बात नहीं है। मैं थोड़ा मुस्कुराया जिससे वो डरे नहीं और जो मन में है, वो बोले विनीत बोला- देख भाभी है तो खूबसूरत... इसमें तो कोई दो राय नहीं है, और कल जब उनका पानी टेस्ट किया तो देखने का नजरियातो बदलता ही है। सॉरी भाई, प्लीज बुरा मत मान यार! मैंने अपनी मुस्कराहट और बड़ी कर दी, मैंने बोला- तू चूतिया है क्या? मैं बुरा नहीं मान रहा हूँ। पर मुझे अच्छा सा नहीं लगा पर जितना बुरा लगना चाहिए, उतना बुरा भी नहीं लगा। कुछ अजीब तो है पर सच यही है। अब हम सिगरेट खत्म करके अंदर आ गये, विनीत मूवी प्ले करके सोफेपर बैठ गया और मैं अंदर अपनी बीवी के पास आ गया।
मैं आकर बोला- पंखुरी, क्या तुम अपनी ब्रा उतार कर रह सकती हो? मुझे अच्छा लगेगा। पंखुरी लगभग गुस्से में बोली- आपके सामने तो ठीक है, पर भैया भी तो हैं, उनके सामने ऐसे कैसे काम करुँगी? मैंने कहा- अरे, उसे क्या पता चलेगा। तो पंखुरी बोली- नहीं, मैं नहीं करने वाली ऐसा कुछ! आप जाओ टीवी देखो, मुझे खाना बनाने में लेट हो रहा है। मैं मुंह बनाकर आकर सोफे पे बैठ गया, दुबारा से हमने चादर ओढ़ ली और एक दूसरे की चड्डियों में हाथ डाल लिए। पंखुरी अंदर से बोली- आप कालीन पर प्लास्टिक बिछा लो, मैं खाना ला रही हूँ।
हम दोनों हाथ धोकर कालीन पर प्लास्टिक बिछा के बैठ गए। खाना खाने का मजा तो जमीन पे ही आता है। डाइनिंग टेबल तो हम सामान रखने के लिए लाये हैं। जैसे ही पंखुरी खाना लेकर रखने लगी तो मैंने ध्यान दिया कि उसने ब्रा उतार दी है और बार बार झुक कर खाना रखने और परोसने के कारण उसके बूब्स बहुत अच्छे से हिल रहे हैं। मैंने पंखुरी को आँख मार के थैंक्स बोल दिया। खाना परसने में जब भी वो झुकती, पूरा अंदर तक का अच्छा सा नज़ारा दिख जाता। विनीत और में दोनों ही सुबह से लण्ड सहला ही रहे थे इसलिए वो खड़े तो थे ही और ऐसे नजारा देख कर वो और झटके खाने लगते थे। खाना खाकर हम दोनों साथ में वाशरूम में हाथ धोने चले गए।
उसने हाथ धोए और मूतने के लिए कमोड की तरफ मुड़ा, मैं भी हाथ धोकर उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया, मैं साइड से उसका लण्ड पकड़ के बोला- मूत! विनीत मुस्कुराने लगा और आँख बंद करके मूतने की कोशिश करने लगा। मैं धीरे धीरे उसका लौड़ा जो की आधे से ज्यादा खड़ा था हिलाया जिससे उसमें से मूत गिरने लगे। धीरे से 4 बूँद मूत निकला, फिर रुक कर फिर तेज़ धार निकलना शुरू हो गई। मैंने उसका लण्ड ऐसे पकड़ा हुआ था कि उसका मूत मेरे हाथ पर भी गिरे। वो कराह रहा था। उसके मूतने के बाद मैंने उसके लण्ड को झड़ाया जिससे बचा कुचा पानी भी गिर जाए। फिर नीचे झुक कर उसके लण्ड पे किस किया और टोपे से थोड़ी खाल ऊपर करके उसके लण्ड को थोड़ा सा चूस भी लिया।
इतने में कमरे में कोई आवाज़ हुई, मैं फटाफट से बेसिन पर हाथ धोने में लग गया और विनीत अपना मूतने के बाद का जो हिलाना होता है, वो करने लगा क्योंकि हम वाशरूम का दरवाज़ा बंद करना भूल गए थे। पंखुरी ने देखा तो बाहर चली गई । हम दोनों भी सरपट बाहर आ गये। मुझे शक था कि पंखुरीने कुछ देख न लिया हो। विनीत वापस सोफे पर बैठ गया, मैं बीवी के पास गया और बोला- खाना लाजवाब था। उसने मुझे इशारे से बैडरूम में आने को बोला, मैं उसके पीछे पीछे चला गया। पंखुरी ने पूछा- आप दोनों वाशरूम में एक साथ? मैं उसकी बात खत्म होने से पहले ही बोला- यार, तुम भी न... लड़कों के वाशरूम देखे है कभी? वहाँ ऐसा ही होता है हाथ से इशारा करते हुए कहा- उसका मुंह उस तरफ था मेरा मुंह इस तरफ। पंखुरी बोली- लेकिन यह घर है। यहाँ ऐसा करने की क्या ज़रूरत है। आप थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे क्या? कितना एम्ब्रेस्सिंग लगता है। अभी उनसे नज़र मिलाना भी मुश्किल होगा मेरे लिए j! कम से कम दरवाज़ा तो बंद किया होता। वो भी ऐसे बेशरम हैं और आप भी।मैं क्या कहता, चुपचाप सुनता रहा, दिल में दिलासा था कि कम से कम उसने वो नहीं देखा जो वाकयी मुश्किल में डाल देता। मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही चीज़ चल रही थी कि अगर ये ज्यादा गुस्सा हो गई तो आज विनीत को इसकी चूत का स्वाद कैसे चखाऊँगा। मैंने उसको कंधे से पकड़ा और कहा- देखो, इतना गुस्सा मत करो, यह इतनी बड़ी बात नहीं है। हम लोग तुम्हें यहाँ एक्सपेक्ट ही नहीं कर रहे थे। खैर जो हुआ वो छोडो, मुझे तो नींद आ रही है, कल रात भर नहीं सोये, अभी खाना खाकर नींद आ रही है। तुम भी थोड़ी देर लेट लो जिससे फ्रेश हो जाओगी और इतना गुस्सा नहीं आएगा।
वो थोड़ा मुस्कुराई, मैंने सोचा यही मौका है, मैंने कहा- तुमने मेरी बात मान के मुझे खुश कर दिया। खाना खाने में और भी बहुत मज़ा आया, खाने का ज़ायका और बढ़ गया था तुम्हारे मस्त मस्त बूब्स देखकर। और मैंने बोलते बोलते टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स दबा दिए। मैंने पंखुरी को बोला- मैं अभी उसको भी सोने के लिए बोल के आता हूँ जिससे बीचमें डिस्टर्ब करने नहीं आएगा। में विनीत के पास आया और उससे बोला- यार, अच्छे खाने के बाद एक एक सिगरेट हो जाये।
बालकनी में सिगरेट पीते हुए उससे बोला- तेरी भाभी का मूड सही नहीं है। ज़रा प्यार कर आऊँ, थोड़ी देर में आता हूँ, तुझे बेहतरीन पानी का टेस्ट कराने को। उसके चेहरे पर चमक आ गई, वो बोला- भाई जल्दी जा। मेरे लण्ड को शॉर्ट्स के ऊपर से ही टच करके बोला- ज्यादा से ज्यादा पानी निकालना। मैं कमरे में आया दरवाज़ा बंद किया, नाईट लैंप ऑन किया और आकर बिस्तर पे पंखुरी के बगल में लेट गया। उसने मुझे बिना कुछ बोले ही अपने और करीब आने के लिए अपनी बाँहों में भर लिया। मुझे समझ आ गया था कि कल रात से भूखी है इसलिए चूत कुलबुला रही होगी। हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने में एक दूसरे की मदद की, उसने मेरे लण्ड को चूस के थोड़ा गीला कर दिया। मैंने भी उसकी चूत को चाट कर गीला कर दिया। उसकी चूत पहले ही इतना पानी छोड़ रही थी कि चाटने की ज़रूरत नहीं थी। जब उसकी पैंटी उतारी थी तब ही वो काफी गीली थी। वो अपनी टाँगें चौड़ी करके लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने का न्योता दे रही थी। कामाग्नि में जलती हुई मेरी बीवी पंखुरी बहुत ही खूबसूरत लगती है। मैंने 3-4 धक्कों में ही पूरा लण्ड अंदर डाल दिया और फिर हम पागलों की तरह एक दूसरेको प्यार और चूमाचाटी करने लगे।चूत में अंदर बाहर होता हुआ लण्ड बिल्कुल चिकना हो चुका था, पंखुरी की साँसें बहुत तेज़ और सिसकारियाँ बहुत तीखी हो गई थी, मैंने उसके मुंह पर हाथ रखा जिससे उसकी आवाज़ें बाहर तक न जायें। पर उसे पता नहीं क्या हो गया था, उसने मेरा हाथ अपने मुंह से हटा दिया। मैंने भी सोचा की पंखुरी को पूरा एन्जॉय करने देना चाहिए।वो मेरे कूल्हों को पकड़ कर और ज़ोर से हिलाने लगी, शायद वो आने ही वाली थी, उसकी आवाज़ें अब और भी तेज़ हो गई थी। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। हम दोनों थोड़े ठिठक गए।
मैंने थोड़ा कड़क आवाज़ में पूछा- कौन है? तो विनीत की आवाज़ आई, बोला- रोहित, सब ठीक तो है न, तुम दोनों लड़ तो नहीं रहे? तू भाभी को मार रहा है क्या? मैंने कहा- गधे, भाभी को नहीं, तेरी भाभी की मार रहा हूँ। विनीत मेरी पूरी बात होने से पहले ही बोला- भाभी, आप ठीक तो है न? पंखुरी हांफती हुई बोली- हा भ भाई भैया.. म मैं ठ ठी ठीक हूँ। शायद विनीत को लगा होगा कि उसने बहुत गलत टाइम पे डिस्टर्ब किया है, वो बोला- यार सॉरी यार! आप लोग एन्जॉय करो, मैं टीवी वाले कमरे में जाता हूँ, वहाँ आवाज़ नहीं आ रही है, मैं टीवी की आवाज़ भी बढ़ा दूंगा। सॉरी यार रोहित, वेरी सॉरी! और उसके तेज़ क़दमों से जाने की आवाज़ आई।
हम दोनों को तो जैसे पागलपन सवार था, हम बिना रुके अच्छे बढ़िया धक्के पे धक्के लगा रहे थे। पंखुरी ने अपनी आवाज़ और तेज़ कर दी 'आ आह ओ ऊ उह आ आह ओ ऊ उह...' मैंने फिर से उसके मुंह पर हाथ रखा तो उसने हटा के बोला ज जब उनने स सुन ही लिया ह है, उन्हें प पता ही है तो जाने दो आवाज़... थिस इज ड्राइविंग मी क्रेजी। बीच बीच में थोड़ा बोलने में लड़खड़ाने लगी थी। वो यह कहना चाहती थी 'जब उसने सुन ही लिया है। उन्हें पता ही है तो जाने दो आवाज़। थिस इस ड्राइविंग में क्रेजी!'
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। वो भी बिस्तर पर अपने पांव पटक पटक कर उछल उछल के मेरा साथ देने लगी। इसके बाद न मुझे कुछ सुनाई दिया न दिखाई। मैं पूरी तरह कामरस में भरा हुआ अपनी बीवी को भरपूर प्यार और मोहब्बत से चुदाई करता रह गया। हम इतनी मस्ती में मग्न थे कि जब दोनों का पानी छूटा तो मानो ऐसा लगा कि जान ही निकल जाएगी। मैंने अपना पूरी मलाई उसकी चूतमें ही डाल दी और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल के ही थोड़ी देर उसके ऊपर पड़ा रहा। अभी भी हमारी खुमारी खत्म नहीं हुई थी, अब वो मेरे सर पे हाथ फेर रही थी और एक हाथ पीठ पर था, मेरा एक हाथ उसके नीचे से होकर कंधे को पकड़ा हुआ था और दूसरे से उसके बूब्स को। अभी भी हम दोनों की साँसे बहुत तेज़ थी। 5-7 मिनट बाद जब पंखुरी को होश आया तो वो बोली- अरे!! यह हमने क्या किया। भइया क्या सोच रहे होंगे। अब मैं उनसे कैसे नज़र मिलाऊँगी? मैंने कहा- तुम चिंता मत करो, वो एक तो हमउम्र है, दूसरा शादीशुदा है, वो समझ जायेगा! मैं अभी देखकर आता हूँ उस चूतिये को। बोलते हुए मैंने टॉवल पहना और दरवाज़ा खोल दिया। पंखुरी अभी बिस्तर पे नंगी ही पड़ी थी।
मैंने दरवाज़ा खोलते हुए बोला- क्यू बे गांडू सामने देखा तो दरवाज़े से सटा जमीन में कान लगाए हुए विनीत जमीन पे पड़ा हुआ था... मैंने फिर भी जोर से ही अपना सेंटेंस खत्म किया- क्या हो गया था तुझे जो बीच में आया था? उधर बिस्तर पे मेरी बीवी नंगी पड़ी थी, इधर जमीन पे विनीत पड़ा हुआ था जो अपने एक हाथ में अपना लौड़ा पकड़ के हिला रहा था। मैंने पंखुरी को बिल्कुल शो नहीं होने दिया कि विनीत जमीन पर पड़ा हुआ है। मैं पंखुरी की तरफ देख कर धीरे से बोला- मैं ज़रा उसकी खबर लेता हूँ, तुम तब तक फ्रेश हो लो। दरवाज़ा बाहर से बंद करके ही रहा हूँ। मैं फिर जोर से बोला- कहाँ मर गया कुत्ते? और दरवाज़ा बंद कर दिया। विनीत खड़ा हुआ और बाहर की तरफ जाकर बोला- मैं बालकनी में सिगरेट पी रहा था, हो गया तेरा काम? बोल कर हंस पड़ा। मैं आया, आकर सोफे के किनारे पे बैठ गया। उसने मेरा टॉवल अलग किया और मेरे मलाई और पंखुरी के चूत के पानी में सने हुए मेरे आधे सोये लण्ड को चाटने लगा। मैंने तेज़ आवाज़ में ही बोला- भाई, तू खुद शादीशुदा आदमी है। तुझे लड़ाई और प्यार की आवाज़ का अंतर समझ नहीं आया? जिससे मेरी बीवी सुन सके कि मैं विनीत की खबर ले रहा हूँ। इधर विनीत आधे सोये लण्ड को चाट चाट के पूरा साफ़ करने में भिड़ा हुआ था। मैं धीरे से बोला- यार, इसमें मेरी मलाई भी मिक्स है। उसने भी धीरे से बोला- इसी कारण और अच्छा लग रहा है टेस्ट। उसने फिर से मेरे लौड़े को इतना चूसा कि मैंने एक बार फिर से विनीत के मुंह में फव्वारा चला दिया। मैंने उसको बोला- भाई, आज भी मैंने अपना वादा निभा ही लिया। चल मैं ज़रा पंखुरी के साथ नहा लूँ, और कुत्ते अब मत आना बीच में!
मैंने दरवाज़ा खोला बाथरूम में चला गया, वो बाथरूम में ही थी, हमने एक दूसरे को बाँहों में भरा और शावर लिया, एक दूसरे के अंगों को अच्छे से साफ किया, चूमा।फिर हम दोनों ने तौलिये से एक दूसरे को पोंछा, बाथरूम से बाहर निकल कर हमने कपड़े पहने। पंखुरी जब कपड़े पहन रही थी तो मैंने उसको बोला- सुन... तू अंडर गारमेंट्स मत पहन! बोली- क्यूँ? जब भैया नहीं होते तो मैं आपकी सब बात मानती हूँ, पर अभी वो हैं तो प्लीज यार ऐसा कुछ मत बोलो न! मैंने कहा- वो कौन सा तुम्हें इतने बारीकी से देखेगा। देख तो मैं रहा हूँ। सिर्फ मैक्सी पहन लो, इसमें से वैसे भी कुछ नहीं दिखता इतनी मोटी है। तो वो मान गई।
मैं अब बाहर वाले कमरे में, जहाँ विनीत बैठा मूवी देख रहा था, आ गया। पंखुरी भी मेरे पीछे पीछे वहीं आ गई। विनीत कालीन पर बैठा हुआ था। मैं और पंखुरी दोनों सोफे पर बैठ गए और मूवी देखने लगे।
अब हम लोगों के बीच से धीरे धीरे शर्म के धागे टूटते जा रहे थे, अब पंखुरी मुझसे चिपक कर बैठी थी जबकि विनीत वहीं बैठा था। मैंने भी उसे बाँहों में जकड़ के रखा था और जब तब उसके बूब्स और पीठ सहला रहा था। विनीत अंजान बना बैठा था पर कभी कभी कनखियों से देख ही रहा था। मूवी के बीच में ब्रेक आया तो हमारी तरफ मुंह करके बोला- भाभी, I am sorry... मैं थोड़ा सा बेवकूफ हूँ। डिस्टर्बेंस के लिए माफ़ी चाहता हूँ। मुझे अंदर से बहुत बुरा लग रहा है। मेरा मन कर रहा है मैं आज ही यहाँ से चला जाऊँ क्योंकि इतनी बेवकूफाना हरकत के बाद आप लोगों से नज़र मिलाना मुश्किल हो रहा है।
इससे पहले की विनीत और कुछ बोल पाता पंखुरी बोली- विनीत भैया, आपकी इन्नोसेंस ही आपकी सबसे बड़ी स्पेशलिटी है। हम सभी लगभग एक ही उम्र के हैं। और उसमें गलती हमारी भी है, पर क्या करें, यहाँ अकेले रहते हैं तो ऐसी हरकतें करते रहते हैं पर आपके होते हुए हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप हमारे कारण अन-कम्फ़र्टेबल होकर यहाँ से जायेंगे तो हम लोगों को बहुत बुरा लगेगा। प्लीज आप जाने के बारे में मत सोचिये। कमरे में कुछ देर सन्नाटा रहा, फिर मैं बोला- चल छोड़ न, भूल जा... हम भी भूल गए।
फिर पंखुरी बोली- भैया, आज मैं बढ़िया पनीर टिक्का और अच्छी सी सब्जी बनाती हूँ। फिर मेरी तरफ देखकर बोली- आप कोई अच्छी सी व्हिस्की ले आइये! हम दोनों को चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई।