Update 03
मैं नीचे जाकर पंखुरी को बोला उसे रात की सारी बातें याद हैं।
पंखुरी बोली ठीक है, कोई नहीं, मैं हैंडल कर लूँगी। मैं नहा कर आया, तैयार हुआ और ऑफिस चला गया।
इसके आगे की दास्ताँ मेरी बीवी लिख रही है।
जब ये ऑफिस जा रहे थे तो मैं बालकनी से इन्हें बाय कर रही थी, भैया भी मेरे पीछे आकर खड़े हो गए, वो भी रोहित को बाय का इशारा कर रहे थे और एक हाथ से बाय करते हुए दूसरे हाथ से उन्होंने मेरा कूल्हा दबा दिया। मैंने पीछे मुड़ कर घूर कर उन्हें देखा जैसे मुझे अच्छा न लगा हो। मैं अंदर आ गई, मैंने उनसे उस बारे में कुछ नहीं कहा, शायद वो भी डर से गए थे मेरे आँखों की ज्वाला से। मैंने थोड़ा गुस्से में बोला आप नहाकर आएंगे या मैं खाना लगा दूँ?
विनीत भैया बोले भाभी, आप गुस्सा हो क्या मुझसे? सॉरी प्लीज पर आप मुझसे ऐसे बात मत करो। मैंने अगर गलती की है तो आप मेरी पिटाई कर दो, पर ऐसे मत करो मेरे साथ। मैंने कहा आपने जो बाहर मेरे साथ किया वो, क्या वो सही था? यहाँ लोगों की आँखें हमेशा दूसरों के घर में ही झाँक रही होती हैं। आपका ऐसा व्यवहार मुझे पसंद नहीं आया। विनीत भैया थोड़े से चिंतित होते हुए, बोले सॉरी भाभी, आगे से गलती हो तो उल्टा लटका के मारना पर अभी तो मुझे माफ़ कर दो। यह मेरी पहली और आखरी गलती थी। मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने अपनी गलती भी मानी और सॉरी भी बोला तो मैंने मुस्कुरा कर बोला अब आप नाश्ता नहा कर करेंगे या अभी लेकर आ जाऊँ? भैया बोले मैं ज़रा फ्रेश हो आऊँ, फिर नाश्ता करता हूँ।
जब भैया बाथरूम में गए तो मेरे पास कोई काम नहीं था, कल रात की सारी बातें और हरकतें मेरी आँखों के सामने चल रही थी। बस फिर क्या था, मैं बेधड़क बैडरूम से होती हुई बाथरूम में घुसने लगी। हमारे बाथरूममें कुण्डीतो है पर वो लगाओ न लगाओ एक बराबर है, कुण्डी लगाने से दरवाज़ा अपने आप नहीं खुलता पर अगर कोई बाहर से धक्का मारे तो खुल जाता है। मैंने देखा कि भैया कमोड पर बैठ कर मोबाइल पर कुछ करते हुए अपने लंड को भी सहला रहे थे, एकदम से मुझे बाथरूम में देखकर थोड़े शॉक होगए और बोले भाभी, मैंने कुन कुण्डी लगाई थी, सॉरी, मैंने कहा सॉरी भैया, आप जो कर रहे हो, कर लो, मैं बस अपनी ब्रा पैंटी लेने आई थी, लेकर जारही हूँ।मैंने अपने अंडरगार्मेंट्स उठाये और बाहर आ गई, आकर मैंने अपने पति रोहित को मैसेज किया डार्लिंग, तुम वापस आ जाओ, मुझे चुदना है। 'हा हा... हा... हा... हा...' पति का मैसेज आया मैं तुझे रात को चोद दूँगा, अभी तेरे पास एक लंड है, उससे काम चला ले। मैंने जवाब में लिखा थैंक यू, बस यही पूछना था।
जैसे ही विनीत भैया बाहर आये, मैंने कहा भैया सॉरी, वो अकेले रहने की ऐसी आदत है कि याद ही नहीं रहा कि आप वहाँ हो सकते हो।भैया बोले कोई नहीं भाभी, अब जो हो गया सो हो गया। आप नाश्ता दे दो, बहुत भूख लगी है। मैं बोली ओके भैया, अभी लेकर आती हूँ। भैया ने तब तक टीवी पर अच्छे से गाने लगा दिए। उन्होंने नाश्ता किया, मैं बर्तन वगैरह लेकर किचन में चली गई और बर्तन साफ़ करने लगी। भैया भी किचन में आ गये, बोले भाभी पानी, मैंने कहा भैया हाथ गंदे हैं, मैं अभी देती हूँ। भैया बोले नहीं, मैं ले लूंगा। पानी पीकर बोले मैं यहीं बैठ जाऊँ आपके पास? बातें करते हैं। मैं तो चाहती ही यही थी, मैंने कहा हाँ भैया। वो प्लेटफार्म पर बैठ गए और सुबह के तेवर देखकर उनकी कुछ करने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी इसलिए इधर उधर की बातें कर रहे थे। मैंने सोचा मुझे ही कुछ करना पड़ेगा, पर तुरंत ही मन पलट गया, मैंने सोचा मैं नहीं करूँगी, इन्ही से करवाऊँगी ,तभी तो ज्यादा मज़ा आएगा। जब आदमी पहल करता है तो बहुत अच्छे से चुदाई करता है। मैं सोच ही रही थी, तब तक भैया बोले भाभी, आप बहुत अच्छी हो। मैंने कहा कैसे भैया? तो भैया बोले आप इतना स्वादिष्ट खाना बनाती हो, रोहित की कितना ध्यान रखती हो। हर मर्द अपने सपनेमें आप जैसी ही बीवी मांगता होगा। मैंने कहा थैंक यू भैया । फिर मैंने सोचा कि आदमी साला तारीफ़ सिर्फ इसलिए करता है जिससे उसे चूत मिल सके। अब मुझे भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। कल रात की घमासान चुदाई के बावजूद कितनी हिचक है अभी भी।
मैंने कहा भैया, पैरोंमें बड़ा दर्द हो रहा है पर अगर बैठ गई तो काम कैसे होगा। विनीत भैया बोले भाभी, आप बताओ, मैं कर देता हूँ। मैंने कहा नहीं भैया, ऐसा थोड़े ही होता है... लेकिन थैंक्स, आपने इतना सोचा।
विनीत भैया फिर बोले भाभी बताओ न, आपकी किस तरह मदद कर सकता हूँ। जो भी आपके किसी काम आजाऊँ तो लगेगा कि जीवन सफल हो गया। सेंटी डायलाग सुन कर मुझे हंसी आ गई, मैंने कहा भैया आप मेरी कुर्सी बन जाओगे, मैं काम भी कर लूँगी और बैठ भी जाऊँगी। भैया बोले शौक से, भैया घोड़ी बन गए, मैंने अपने फ्रॉक को थोड़ा उठाया और उनकी नंगी पीठ पर अपने नंगे चूतड़ रख दिए। भैया की आँखें बंद होते हुए देखी थी मैंने, मुझे महसूस हो गया था कि इनकी टांगों के बीच का राकेट अब गुलाटियां खाने ही वाला होगा। मैंने कहा भैया, बैठक बहुत नीची हो गई है, मेरा हाथ सिंक तक नहीं जा रहा, रहने दीजिये, ऐसे काम नहीं हो पाएगा। तो भैया बोले रुकिए, मैं सीधा बैठ जाता हूँ आप मेरे कंधे पर बैठ जाइये। मुझे आईडिया पसंद आ गया, मैंने कहा ठीक है, मैं उठी और भैया सीधे बैठ गए। पर वो मेरे से उलटी दिशा में मुंह किये हुए थे। मैंने सोचा 'यह भी ठीक ही है, सीधे मेरी चूत इनके मुंह के पास ही पहुंचेगी। मैंने अपनी टांग उठाई और जान करके अपनी चूत के आगे फ्रॉक कर दी थोड़ा नाटक तो ज़रूरी था न।
अब मैं आराम से उनके कंधे पर बैठी हुई थी और वो मेरी टांगों को घुटने से नीचे सहला रहे थे। मैंने पैंटी तो पहनी ही नहीं थी इसलिए उनकी गर्म साँसें तो मेरी चूत तक जा रही थी। उन्होंने अपने हाथ को धीरे धीरे मेरी जांघों तक लेकर आना शुरू किया और अपने मुंह के पास से फ्रॉक को हटाने की कोशिश करने लगे। धीरे धीरे अपने हाथों और होंठों से वो कामयाब हुए और मेरी फ्रॉक के अंदर घुस गए और मेरी चूत सामने आते ही जीभ गहराई तक डाल दी। मैंने घायल शेर को खून तो लगा ही दिया था इसलिए मैं उनके ऊपर से उठ गई और बोली थैंक यू भैया, हो गया मेरा काम खत्म, सारे बर्तन धुल गए। जैसे मुझे उनकी जीभ अपनी चूत पर महसूस ही नहीं हुई हो।
भैया थोड़े परेशान से होकर बोले अरे भाभी थैंक्स कैसा? मुझे तो अच्छा लगा कि मैं आपके किसी काम तो आया। मैं ज़रा नहा कर आता हूँ। वो अपने कपड़े टॉवल लेकर बाथरूम में चले गए लेकिन इस बार उन्होंने दरवाज़ा लगाया ही नहीं। मैं बैडरूम में आई तो देखा कि वो नंगे नहा रहे हैं। मैंने कहा भैया, डोर तो बंद कर लेते? तो भैया बोले भाभी, क्या फायदा... वो वैसे भी खुल ही जाता है। मैंने कहा ठीक है। उनका लंड अभी आधा खड़ा हुआ था और वो जान बूझ कर मेरी तरफ मुंह करके ही नहा रहे थे जिससे मैं उन्हें देखूँ। उनका गीला नंगा बदन देखकर मेरी चुदने की तमन्ना और भी ज्यादा बढ़ गई, मैं बेधड़क बाथरूम में गई और बाथरूम में रोहित के कपड़े उठाने लगी। अब विनीत भैया की हिम्मत और बढ़ गई, उन्होंने कहा क्या आप मेरी पीठ पर साबुन लगा देंगी? मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा अगर आप जांघिया पहन कर नहाते तो ज़रूर लगा देती। तो भैया के सब्र का बांध टूट गया, बोले अब रात को मैंने आपका क्या और आपने मेरा कौन सा अंग नहीं देखा। अब काहे की शर्म... मैं तो आपसे कहने वाला था कि क्या आप मेरे लौड़े को साबुन लगा देंगी? और हंस दिए। उनकी बेबाकी मुझे बुरी नहीं लगी, मैंने कहा पीठ की जगह वही बोला होता तो मैं थोड़े ही न मना करती। और मैं भी हंस दी। मैंने हाथमें साबुन लेकर उनकी पीठ पर मलना शुरू कर दिया। भैया बोले थोड़ा सा लंड पे भी लगा दो। मैंने उनके लंड को नाजुकता के साथ पकड़ कर उनकी गांड, लंड और टांगों के बीच पूरी जगह अच्छे से साबुन लगा दिया। वो बोले अरे आप भी कपड़े पहन कर साबुन लगा रही हैं, आइये आपको अभी अच्छे से नहला दूँ। इस पर मैंने कहा मैं सुबह एक बार नहा चुकी हूँ। खैर साबुन लगा कर पानी से अच्छे से धोकर मतलब पूरी तरह गर्म करके मैं उन्हें उसी हालत में छोड़ आई। वो बाथरूम से अच्छे से पौंछ कर बिना कपड़ों के ही बाहर आ गये। मैंने कहा भैया, आप नंगे ही बाहर आ गये? तो वो बोले हाँ पंखुरी भाभी, अब आपसे शर्म नहीं आ रही। मैंने कहा आप नाश्ता तो कर लो। वो बोले हाँ, भाभी ज़रूर... ले आइये।
वो बाहर ड्राइंग रूम में कालीन पर जाकर बैठ गए, परदे लगा दिए, AC ऑन कर दिया, टीवी पर ब्लू फिल्म लगा दी और आवाज़ न के बराबर ही रखी। मैं जब खाना लेकर पहुँची तो मैंने जान बूझ कर उनके लंड को छूते हुए ही खाना रखा, वो आराम से मूवी देखते हुए खाते रहे और मुझसे बातें भी करते रहे, बोले- देखो भाभी, क्या मस्त पोजीशन है ना? वो बिल्कुल ऐसे बात कर रहे थे जैसे कि कुछ गलत नहीं हो। मैं भी अपने सामने एक पराये मर्द को नंगा खाना खाते देख और सामने ब्लू फिल्म के चलते अपने हाथ को चूत पर ले गई और रगड़ने लगी। अब तो भैया और भी दबंग होते जा रहे थे, बोले चूत बाद में रगड़ना पहले पानी ले के आ जा। मैं उठी, पानी लाकर दिया, बैडरूम में गई और पूरी नंगी हो गई। मैंने वहीं से आवाज़ लगा कर बोला भैया, आप बर्तन उठा के सिंक में रख देना। भैया बोले ओके । जब मुझे बर्तन रखने की आवाज़ आई, उसके 2 मिनट के बाद मैं उठी और जाकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गई। मैं बोली भैया, कुछ डेजर्ट? भैया तो समझदार थे ही, बोले हाँ भाभी, डेजर्ट की बहुत ज़रूरत है। और आकर सीधा मेरी चूत पर अपना मुंह टिका दिया।
5-7 मिनट चाटने के बाद बोले आपकी चूत का टेस्ट तो वाकई लाजवाब है। मेरा बस चले तो में दिन भर बस इसे ही चाटता रहूँ। मैंने कहा भैया, आप बहुत अच्छी चूत की चटाई करते हैं। मेरा भी मन करता है कि आपकी जीभ दिन भर मेरी चूत को अंदर तक सहलाती रहे।भैया बोले आपका तो हर अंग इतना खूबसूरत है कि अगर ज़िन्दगी भर बैठ कर तारीफ़ की जाए तो भी कम है। आपकी गर्दन एक सुराही की तरह चमकदार और लम्बी है, आपके बूब्स परफेक्ट साइज और शेप में हैं, आपकी कमर माशाल्लाह कयामत है, आपकी चिकनी चूत और उसका पानी ऐसा लगता है जैसे सोने के प्याले में अमृत परस दिया हो। और फिर बोलते बोलते वो मेरे बूब्स चूसने लगे, मैं भी मज़े लेने के लिए आँखें बंद करके पराये मर्द से चुदने की अनुभूति का मजा लेने लगी और उनकी पीठ सहलाने लगी।
अब उनका हथियार मेरी जांघों में चुभ रहा था, मुझे उसे अपनी चूत में लेने की ललक बढ़ रही थी, मैंने कहा भैया, लाइए आपके हथियार की सेवा कर दूँ, लाइए उसकी थोड़ी मलाई निकाल दूँ। भैया बोले हाँ भाभी, वो आपके मुंह में जाने को बेताब है। मैं आपकी चूत चाटता हूँ, आप मेरे लंड को चूस डालिए, चलिए 69 में दोनों अपने अपने गुप्तांगों को परम सुख दें, हथियारों को थोड़ी धार देते हैं। फिर हम काफी देर तक एक दूसरे को चूसते और चाटते रहे, वो कभी मेरी गांड चाटते, कभी मेरी चूत और कभी अपनी उंगली मेरी गांड में डाल देते, कभी मेरी चूत में। मैं भी कभी उनके गोलियों को मुंह में ले लेती कभी उनके लंड को तो कभी उनकी गांड में उंगली फेर देती थी। हम दोनों जब अपने चरम पर थे तो मैंने कहा भैया, आपके लंड का पानी आप मेरी चूत में डाल दीजिये। भैया क्या बोलते, उनके मन में यही चल रहा था कि कब इस चूत में लंड डालें, अब वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूत पर अपना लंड रख दिया। चाटने और चुसाई के कारण लंड और चूत बहुत गीले थे और थोड़ा थोड़ा रस हम दोनों छोड़ चुके थे इसलिए चूत पर लंड टिकाते ही वो सुरंग में अंदर तक फिसल गया। भैया बोले भाभी, कल रात भी बड़ा मन था आप में उतरने का। पर कल रात तो कयामत ही थी वो कभी भी नहीं भूल सकता मैं। आप दोनों बहुत ही मस्त और दिलदार हो, इतने खुले विचार होने के बावजूद आपकी भाषा कितनी सरल और अच्छी है। क्यूँ भाभी, आप कभी चुदाई के टाइम गाली गलौच नहीं करती? मैंने कहा मैं सेक्स का सहारा लेकर गाली नहीं देती, मुझे देना होता है तो मैं वैसे ही दे लेती हूँ पर मुझे गाली गलौच पसंद नहीं है। वो तो रोहित को चुदाई के टाइम गाली देना अच्छा लगता है इसलिए सुन लेती हूँ। आप भी जब अपना पानी छोड़ने वाले होते हो तो गन्दी गन्दी और भद्दी गालियां देते हो। कल रात को आपने मुझे पता नहीं क्या क्या बोला।
भैया बोले सॉरी भाभी, शायद मैं और रोहित एक से ही हैं, हम दोनों को पानी निकालते समय पता नहीं क्या हो जाता है, कितना भी कंट्रोल करें गाली निकल ही जाती है। मैंने कहा भैया, आप कंट्रोल मत करो, जैसे अच्छा लगता है वैसे आप चुदाई करो, मैं गाली देना पसंद नहीं करती पर सुनने में मुझे कोई कष्ट नहीं है। जब चूत में लंड होता है तो वैसे भी गालियाँ मीठी ही लगती हैं। आप कंट्रोल में सेक्स करोगे तो आप एन्जॉय नहीं कर पाओगे। मैं चाहती हूँ कि आप एन्जॉय करो। विनीत भाई बोले नहीं भाभी, आपकी ये अच्छी अच्छी बातें सुन कर सेक्स करने में और भी मज़ा आता है। इसलिए ऐसे ही करेंगे, मैं एन्जॉय कर रहा हूँ, आप भी मेरे लंड को अपनी चूतमें एन्जॉय करो। मैंने कहा हाँ, बस रोहित ने बहुत बार बोल बोल कर मुझे लंड और चूत बोलना सीखा दिया है तो अब वो तो जुबान पर चढ़ गया है। आप ऐसे ही धीरे धीरे धक्के मारते रहो, स्पीड मत बढ़ाओ। ये सब बातें करते हुए हमने धक्के मारने बंद कभी भी नहीं किये थे। विनीत भैया बोले भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ, मुझे स्पीड बढ़ानी है। मैंने कहा तो फाड़ दो मेरी चूत । अब भैया की स्पीड 200% बढ़ गई, उनके माथे पर पसीने की बड़ी बड़ी बूंदें थी, मैं उन्हें पौंछ रही थी और बोली- भैया आँखें बंद करके नहीं, खोल कर मेरे जिस्म को देखकर चोदिये।
भैया ने मेरे चूचे ज़ोरसे दबाए और बोले हाँ भाभी, तेरा जिस्म तो क़यामत है। कितनी अच्छी और प्यारी चुदक्कड़ है तू भाभी। लंड लेने में माहिर है तू मेरी जान। मैं तेरी चूत को अपनी मलाई से भर दूंगा माँ की लौड़ी। अब उनकी स्पीड के साथ मैंने भी अपनी कमर को झटके देना शुरू किये जिससे मैं भी उनके साथ परम आनन्द तक आ सकूँ, पर भैया बहुत उत्तेजित थे तो वो मेरे अंदर बहुत देर तक और बहुत ज्यादा मात्रा में झड़ गए। मैं भी अपने चरम पर थी, मैं उनके झड़ने के बाद तक हिलती रही कि उनका लौड़ा मेरी आग बुझा दे... पर भइया पूरी तरह लस्त होकर मेरे बदन पर गिर गए।
अभी मेरी तो इच्छा पूरी हुई नहीं थी इसलिए मैं उन्हें सहला कर चाहती थी कि वो मेरे अंदर 4-5 जोर के धक्के और मार दें, पर वो नहीं उठे। मुझे थोड़ा बुरा लगा, मैंने उन्हें अपने ऊपर से उठाया वो बगल में चारों खाने चित्त वाले स्टाइल में पड़ गए। मैंने पूरा चाट के उन्हें साफ़ किया, चाटने के साथ साथ मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेकर चूस रही थी जिससे वो दुबारा खड़ा हो जाये। भैया थोड़े होश में आने पर बोले- भाभी आप सीधी लेट जाओ। मैं अपनी चूत की आग में झुलस रही थी और अभी कुछ भी करने को तैयार थी लेकिन वो तो बस लेटने को बोल रहे थे। वो मेरी टांगों के बीच जाकर मेरी चूत जो उनकी खुद की मलाई से भरी थी, उसको चाटने लगे। मुझे पहले तो थोड़ी घिन सी आई पर फिर मज़ा आने लगा। अब चूत का पानी छूटने ही वाला था, मैंने कहा भैया उंगली डाल दीजिये अंदर, मेरा पानी छूटने वाला है। भैया बोले आप सिर्फ एन्जॉय करना। उन्होंने एक उंगली दाने पर घुमानी शुरू कर दी, दो उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर डाल दी और अंगूठे का सिरा मेरी गांड के छेद पर रख दिया और चूत के निचले हिस्से पर अपनी जीभ से चाटने लगे।
मैंने महसूस किया कि मेरी टांगें अपने आप थोड़ी ज्यादा खुल गई हैं और मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। मैंने अपने पेट से लेकर चूत तक एक बहुत बड़ा लोड बाहर की ओर आता महसूस किया, ऐसा लगा जैसे बाढ़ आने वाली है। मैं अपनी चूत की मालिश की मस्ती में इतनी मस्त थी कि मैंने भैया को कुछ नहीं बोला। बहुत सारा पानी वो भी प्रेशर से, उतने प्रेशर से तो मूत भी नहीं सकती, उतने प्रेशर से पानी निकलने लगा। भैया भी एक्सपर्ट थे, उन्होंने न उँगलियाँ हटाई न मुंह बस वैसे ही मेरी चूत की सेवा करते रहे, मैं 2-3 मिनट तक झड़ती रही। इतने प्रेशर से तो मैं कभी भी नहीं झड़ी थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी जान निकाल दी हो। मेरी इतनी जोर से चीख निकल गई थी कि उसकी इको मुझे अभी भी सुनाई दे रही थी। मैं इतनी बुरी तरह झड़ी थी कि मैं पूरी सिकुड़ गई और मुझे ठण्ड लगने लगी। भैया ने अंदर के कमरे से रजाई लाकर उढ़ाई और खुद भी रजाई के अंदर आकर मुझे जकड़ लिया और बोले भाभी, आप ठीक हैं न? मैंने कांपते और मस्ती में कहा हाँ । भैया ने मेरे चूतड़ों को हाथ में लिया, बोले भाभी आप अभी भी थोड़ा थोड़ा डिस्चार्ज हो रही हो। आप कहो तो कोई टॉवल आपके नीचे लगा दूँ जिससे रजाई ख़राब न हो। मैंने सिर्फ गर्दन हाँ में हिला दी। भैया एक तौलिया लाये, मेरी टांगों के बीच रख दिया जहाँ से रिसता हुआ पानी देख हंसते हुए बोले भाभी, आपने तो बाल्टी भर पानी फैला दिया। मैंने मुस्कुरा कर थके हुए थिरकते हुए होंठों से भैया, आपने तो जान ही निकाल दी थी, बहुत मज़ा आया। जैसे आप कल रात नहीं भूलोगे वैसे ही मैं आज का दिन नहीं भूलूंगी। थैंक यू भैया, थैंक यू । भैया बोले क्या भाभी, आप जैसी हसीना ने मेरा लंड चूसा और चूत में लिया, थैंक्सतो मुझे बोलना चाहिए। अब आप थोड़ी देर आराम कर लो जिससे आप रिलैक्स हो जाओगी। मैंने कहा भैया, आपकी बाँहों में सोना है मुझे, प्लीज अपनी बाँहों में सुला लो।
मैंने उन्हें अपने आलिंगन में लिया और कब आँख लगी पता नहीं।
अब तक आपने कहानी मेरी बीवी के जुबानी सुनी, अब मैं वापिस हाज़िर हूँ आगे की दास्ताँ सुनाने को ।
मैंने सोचा 'आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी चलता हूँ' जिससे विनीत और पंखुरी के साथ ज्यादा टाइम गुज़ार पाऊँ। मुझे ऑफिस से लौटते लौटते कम से कम 8 तो बज ही जाते हैं पर आज में 4 बजे ही ऑफिस से निकल गया। मैंने सोचा जल्दी जाकर दोनों को सरप्राइज देता हूँ। मैं बिल्कुल धीरे से बाहर का दरवाज़ा खोल फिर बिना आहट किये घर का प्रवेश द्वार खोलने लगा। पर वो बंद था, तो मैंने अपनी चाबी निकाली और ताला खोल कर अंदर आया, दरवाज़ा जैसे ही खुला, दोनों सकपका गए। अगले ही पल दोनों नार्मल होकर बोले अच्छा तो तुम हो।
मैंने देखा मेरी बीवी पंखुरी विनीत की बाँहों में नंगी पड़ी थी, विनीत के हाथ मेरी बीवी के बोबे सहला रहे थे और मेरी बीवी की टांगें विनीत के लंड पे रखी थी।रजाई साइड में पड़ी हुई थी और पंखुरी की टांगों के बीच एक तौलिया लगा हुआ था। मैंने कहा तुम दोनों मस्त रहो, मैं चेंज करके आता हूँ। पंखुरी बोली मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ, आप जब तक हाथ मुंह धो कर आओ। मैंने कहा तुम दोनों बैठो, मैं चाय लेकर आता हूँ। विनीत बोला यार, सुबह से भाभी की सेवा कर रहा हूँ, एक सिगरेट तो पिला दे। मैंने कहा माँ के लवडे, सिगरेट तेरे पास ही पड़ी है, पी ले और एक मेरे लिए भी जला । पंखुरी बोली रोहित, पता है आज भैया ने इतना अच्छा अनुभव दिया है कि आप ख़ुशी से इनको चूम लोगे। देखो मेरे नीचे जो पानी से गीलापन दिख रहा है वो सब इन्होंने मेरी चूत में से ही निकाला है।
मेरे कुछ बोलने से पहले विनीत बोला भाभी, आप उसे क्या बता रही हो। यही तो मेरे गुरू हैं, जबभी ज्ञान चाहिए होता है, इन्ही से ज्ञान लेता हूँ। यह हुनर मैंने रोहित से ही सीखा है। पंखुरी की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गई, बोली अच्छा तो ये बात है? मतलब मेरे पतिदेव सेक्स गुरु है। मैं बातें करते करते कपड़े उतार रहा था, मैंने कहा चलो दोनों एक जिस्म दो जान, ज़रा दोनों कुछ पहन लो, शाम होने वाली है तेरी बीवी को लेनेभी जाना है। विनीत ने सर पकड़ा और बोला यार क्यूँ आ गई कवाब में हड्डी, अब मैं अपनी भाभी को कैसे प्यार करूँगा? पंखुरी हंसती हुई बोली छुप छुप के । मैं भी हंसने लगा, मैंने कहा चल अभी तेरी बीवी के आने में टाइम है, तू तब तक पंखुरी को एक बार चोद ले... फिर पता नहीं कब मौका मिले तुझे मेरी बीवी को प्यार करने का, विनीत बोला मेरा तो बहुत मन है भाभी की चूत मारने का... पर साला अब मेरा लंड खड़ा नहीं होने वाला। इसे पिछले आधे घंटे से भाभी मसल रही है और यह साला कुम्भकरण की तरह सोया पड़ा है।
पंखुरी हंसने लगी। मैंने कहा तो फिर चल तूही खड़ा हो जा भेनचोद... तेरा तो खड़ा होने से रहा। रात को तेरी बीवी आ जायेगी थोड़ा मलाई उसके लिए भी बचा ले, वो भी तो काफी दिनोंसे मायके में है । विनीत खड़ा हो गया, बीवी चाय बनाने चली गई, मैं अपने जांघिए में सोफेपे बैठा गया। विनीत ने सिगरेट जला ली और मुझे दी। मैंने कहा क्यूँ भाई, मानता है अब तुझे अपनी बीवी को रेडी करना है। विनीत बोला भाई, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि वो हम लोगों के गैंग में शामिल हो जाए... बाकी खुद की मर्जी । मैंने कहा कोई चिंता नहीं है, तू बस कोशिश करना बाकी फल की इच्छा तो हम करते ही नहीं हैं। विनीत बोला यार, मैं तेरा कैसे शुक्रिया अदा करूँ, तूने मेरी ज़िन्दगी में चार चाँद लगा दिए हैं। मैंने कहा मुंह में ले ले। यह हमारे यहाँ का तकिया कलाम है, जब किसी से कहना होता है 'Mention not' तो उससे कह देते है मुंह में ले ले।
वो अभी तक नंगा ही खड़ा था, वो घुटनों पर बैठा और मेरा लंड जो आधा जगा हुआ था, चड्डी से बाहर निकाला और मुंह में ले लिया। मैं सिगरेट का कश लेने लगा। इतने में बीवी अंदर से चाय लेकर आ गई, उसने भी अब तक कोई कपड़ा नहीं पहना था, बोली आप अपना लंड इनसे क्यूँ चुसवा रहे हो? मैंने कहा मैंने सिर्फ इतना कहा था कि 'मुंह में ले ले' इसने सही में ले लिया। और मैं हंसने लगा। विनीत ने अपने मुंह से लंड निकाला और बोला भाभी, मुझे लंड मुंह में लेना भी उतना ही अच्छा लगता है जितना चूतको। इसलिए इसने कहा तो मैंने ले लिया। मैंने थोड़ा हिल ढुल कर अपनी चड्डी पूरी उतार दी।
पंखुरी बोली फिर तो भैया आप अपनी गांड में लंड भी ले लेते होंगे। विनीत ने फिर से मुंह से लंड निकाला और बोला नहीं भाभी, इसका अनुभव नहीं है। पर देखूंगा किसी दिन शायद रोहित मेरी गांड मारने को बोलेगा और मैं मरवाने की कोशिश करूँगा। अभी तो यह नहीं पता कि गांड मरवाने में कितना दर्द होगा। और फिर से लौड़ा चूसने लगा। मैंने कहा तू छोड़ न उसे, मुझे चाय दे। मैं आराम से चाय पिता रहा विनीत लंड चूसता रहा और पंखुरी चाय पीते पीते उसे मेरा लंड चूसते हुए देखती रही। मैंने कहा विनीत, तेरी चाय ठंडी हो रही है, चल चाय पी और लेकर आ तेरी बीवी को क्योंकि मेरे लिए तो सरप्राइज है न, विनीत बोला यार, घंटा सरप्राइज है, मैं उसे फ़ोन कर देता हूँ कि मैं रोहित के साथ ही तुझे लेने आ रहा हूँ।
उसने फ़ोन उठाया पंखुरी मेरी गोद में आकर खड़े लौड़े पर बैठ गई, मुझसे बोली आप मेरी चूत मार लो, फिर चलते हैं। भैया को बोलो वो पूछ लें कि गाड़ी कितनी लेट चल रही है और फिर वो बाहर जाकर थोड़ा घूम आयें, तब तक हम एक बाज़ी निबटा लेंगे। मैंने जोर से कहा विनीत, पूछ कहाँ तक पहुँची हैं उसकी ट्रेन। फिर थोड़ा धीरे से बोला उसको बाहर क्यूँ भेजेंगे? उसके सामने अपने पति से चुदने में शर्म आएगी क्या? पंखुरी थोड़ा शर्मा गई और बोली आप भी न? आपसे तो मैं सड़क पे चुदवा सकती हूँ... उनके सामने काहे की शर्म जब उनके साथ तो कल से नंगी ही पड़ी हूँ। वो बोला भाई गाड़ी ऑन टाइम है और पलवल क्रॉस कर गई है, चलो जल्दी से । मैंने पंखुरी को बोला चल कोई नी, तुझे आकर चोदता हूँ। पंखुरी बोली मैं घर में पड़ी पड़ी क्या करुँगी, मुझे भी ले चलो। मैंने कहा तो ठीक है, चल तैयार हो जा।
अब हम कार में बैठे, मैंने पंखुरी को आगे बैठाया और विनीत को पीछे, मैंने कहा पंखुरी साथ में चुदाई में बहुत आनन्द आता है न? पंखुरी बोली हाँ, बहुत मज़ा आता है। दिन भर कोई न कोई आपके आसपास रहता ही है लंड और चूत के मिलन चाहे जब हो जाता है। और पति के अलावा कोई और जब देख या छू रहा हो तो चुदाई का मज़ा और बढ़ जाता है। पीछे बैठे विनीत ने पंखुरी की तरफ हाथ बढ़ाये और उसके बूब्स दबा दिए। पंखुरी बोली भैया, ऐसे मत करो, कोई देख लेगा। विनीत बोला सॉरी भाभी, पर बीवी के आने के बाद आपको पता नहीं कब छू पाऊँगा? उसी टेंशन के मारे सोच रहा हूँ कि वो ना आती तो ही अच्छा होता। हम तीनों कैसे दिन भर एक दूसरे की बाहों में पड़े रहते पर अब रितिका के आने के बाद सबको कपड़े पहनने पड़ेंगे। मेरी और पंखुरी की बहुत बुरी तरह हंसी छूट गई, मैंने पंखुरी से कहा जब हम तीनों को मज़ा आया तो रितिका को भी आएगा मज़ा । विनीत तू उसे पटाने की कोशिश करना, पंखुरी तुम भी कुछ ऐसा करो कि वो हमारी गैंग में शामिल हो जाए। मैं तो खैर कोशिश करूँगा ही। क्यूँ पंखुरी, करोगी न? पंखुरी थोड़ी सोच में पड़ गई, फिर बोली मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ। आपको रितिका अच्छी लगती है क्या? मैंने कहा मैंने उसे कभी देखा ही नहीं। शादीमें स्टेज पर देखा था पर उस समय तो इतना मेकअप लहंगा और ज्वेलरी होती है कि लड़की कहाँ दिखती है। इसलिए ऐसा कुछ नहीं है। पर हाँ, ग्रुप सेक्स में मज़ा तो आएगा ही। तुम्हे भी तो तुम्हारे भैया का लंड और अदाएँ मिलता रहेगा। पंखुरी बोली चलो, मैं देखती हूँ कि मैं क्या कर सकती हूँ, जो बन पड़ेगा वो करुँगी। वैसे रोहित तुम प्लान करो और हम दोनोंbको गाइड करो तो शायद सक्सेस जल्दी मिल जाये। विनीत बोला क्या बात है भाभी, मैं भी यही कहने वाला था। और उसने पंखुरी की जांघ दबा दी भाभी, अब ये मत बोलना की कोई देख लेगा, अब कार के बाहर से आपकी जाघें थोड़े ही दिख रही हैं। मैंने कहा तू सीधा बैठ जा चूतिये, तेरी बीवी के चक्कर में हम दोनों बिना चुदाई के आ गये हैं। दोनों में भयानक आग लगी है और ऊपर से तू बकचोदी में लगा है। मैंने ड्राइव करते करते अपना लंड बाहर निकाला और बोला तुम दोनों मुझे सोचने दो। पंखुरी बोली ये सड़क पे लंड बाहर निकाल के क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा तू अभी बोली थी न, सड़कपे चुद सकती है। चल अभी रास्ता खाली है मैं गाड़ी चला रहा हूँ, तू मेरा लौड़ा चूस। वो फटाक से बिना कुछ कहे मेरे लंड पे झुक गई, उसके बूब्स गियर के ऊपर थे तो विनीत ने नीचे से हाथ डाल के उन्हें सहलाना शुरू कर दिया। पंखुरी ने भी एक हाथ ले जाकर विनीत के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगी। थोड़ी ही देर में मैंने पंखुरी को बोला चल उठ जा, मुझे आईडिया आ गया है। बस तुम जब भी में कुछ पूछूँ या करने को कहूँ तो सवाल किये बिना करना शुरू कर देना। पंखुरी, मेरे लंड को मेरे जीन्स में डाल के चैन बंद कर दे, सामने सिक्युरिटी की गाडी खड़ी है।
हम लोग स्टेशन पहुंचे, गाड़ी से बाहर निकल के अंगड़ाई ली और मैंने एक सिगरेट जला ली । विनीत फ़ोन पर रितिका को हमारी लोकेशन बता रहा था। 5-7 मिनट में ही रितिका एक बेहद खूबसूरत जवान मदमस्त हसीना हमारी आँखों के सामने आ गई। उसे देखते ही मैंने उसे अपने ख्यालों न जितने पोजीशन में चोद दिया। विनीत रितिका के हाथों से बैग लेने आगे बढ़ा, मेरे हाथ का सिगरेट फेंकते हुए मैं आगे बढ़ा, वो पाव छूने झुकी, मैंने उसको उठाया और बोला इतना बड़ा मत बनाओ, बुड्ढों वाली फीलिंग आ जाती है, और गले लगा लिया। गले लगातेही उसके सीनेका नाप तोल और झाँक का कूल्हों का माप ले लिया था मैंने। रितिका को मैंने अलग किया तो वो जाकर पंखुरी के पाँव छूने लगी, पंखुरी ने भी उससे पाँव नहीं छुआए, बोलीbजब मेरे पति ने पाँव नहीं छुआए तो में कैसे? आओ गले लगो। मैंने और विनीत ने सामान गाड़ी में रखा और मैंने कहा पंखुरी तुम आगे बैठो, और विनीत तुम पीछे। पंखुरी मुझे देख रही थी, मैंने कहा अब वो दोनों इतने दिनों बाद मिले हैं, बैठने दो साथ में, और मैं हंस दिय, पंखुरी भी मुस्कुरा कर आगे बैठ गई।
गाड़ीमें काफी देर ख़ामोशी रही फिर मैंनेही आइस ब्रेक करते हुए कहा रितिका, तुम्हारा सफर कैसा रहा? बोली भैया अच्छा था सफर, मैंने कहा सैयां के इंतज़ार में सफर लम्बा लगा या जल्दी कट गया?
वो थोड़ा मुस्कुराई और विनीत की आँखों में देख कर बोली जब इंतज़ार करो तो सफर लम्बा ही लगता है। मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा ये बात तो सही है। पर अब तुम यहाँ बिल्कुल पर्दा वरदा मत करना, हम दोनों भाई बाद में पहले दोस्त हैं। और दोस्ती में ये सब औपचारिकता ठीक नहीं है। सही कहा न मैंने पंखुरी? पंखुरी बोली हाँ रितिका, तुम आराम से रहो जैसे किसी दोस्त के यहाँ आई हो, और हमारे यहाँ का एक नियम है कि कोई नियम नहीं है। सब लोग थोड़ा चुप हुए फिर एक सेकंड बाद सब लोग जोर जोर से हंसने लगे। मैंने कहा मेरे साथ रहकर तुम तो बहुत अच्छे डॉयलॉग देने लगी हो। हम मस्ती मज़ाक और हंसते मुस्कुराते हुए घर पहुंचे।
विनीत बीवी को छोड़ के और सामान रखकर वापस आकर गाड़ी में बैठ गया। पंखुरी और रितिका घर पर एक दूसरे से गप्पें लड़ाने वाली थी तो मैंने और विनीत ने सोचा थोड़ा घूम के आयें। हमने गाड़ी घर पे ही खड़ी करके पैदल चल के जाने के बारे में सोचा। विनीत ने पूछा क्यूँ, कैसी लगी रितिका? मैंने कहा भाई चलती फिरती एटम बम है वो तो, और तू जिस हिसाब से बता रहा था उससे तो मिलने का मन ही नहीं था मेरा। विनीत बोला चल यार, इतनी भी खूबसूरत नहीं है... तू तो ऐसे ही तारीफों के पुल बाँध रहा है। तो मैंने हंसते हुए कहा तो फिर तू जितने भी दिन यहाँ है, उतने दिन और रात तेरी बीवी को मैं चोदता हूँ और तू तेरी भाभी की ले, तू भी खुश में भी। विनीत बोला तुझे सच में इतनी अच्छी लगी रितिका? मैंने कहा कोई शक? विनीत बोला यार, तू कैसेभी बस ग्रुप सेक्स का इंतज़ाम कर, ज़िन्दगी का मज़ा आ जायेगा जब अपनी बीवी रितिका के सामने पंखुरी भाभी को चोदूँगा... और तू मेरे सामने मेरी बीवी की चूत बजाएगा।
मैंने कहा हाँ यार, कुछ चल तो रहा है दिमाग में... पर ढंग से कोई सटीक आईडिया नहीं आ रहा, खैर तू चिंता मत कर, रितिका की चुदाई के लिए मैं कुछ भी करूँगा। विनीत बोला यार, अब तो तू हद कर रहा है, इतनी भी सुन्दर नहीं है रितिका और पंखुरी भाभी के सामने तो कुछ भी नहीं है। मैं बोला वो तेरी बीवी है इसलिए तुझे छोड़ के सबको अच्छी लगेगी, और हम दोनों हंसने लगे। टहलते टहलते हम दोनों ठेके के करीब आ गये थे, मैंने कहा तेरी बीवी को ड्रिंकिंग से कोई परहेज़ तो नहीं है न विनीत बोला वो नहीं पीती पर कोई और पिए तो शायद उसे कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। चल लेकर चलते हैं, अपन तो पिएंगे ही। मैंने फटाफट एक बोतल, कुछ खाने पीने के सामान वगैरह लिए और घर की ओर चल दिए।
पंखुरी बोली ठीक है, कोई नहीं, मैं हैंडल कर लूँगी। मैं नहा कर आया, तैयार हुआ और ऑफिस चला गया।
इसके आगे की दास्ताँ मेरी बीवी लिख रही है।
जब ये ऑफिस जा रहे थे तो मैं बालकनी से इन्हें बाय कर रही थी, भैया भी मेरे पीछे आकर खड़े हो गए, वो भी रोहित को बाय का इशारा कर रहे थे और एक हाथ से बाय करते हुए दूसरे हाथ से उन्होंने मेरा कूल्हा दबा दिया। मैंने पीछे मुड़ कर घूर कर उन्हें देखा जैसे मुझे अच्छा न लगा हो। मैं अंदर आ गई, मैंने उनसे उस बारे में कुछ नहीं कहा, शायद वो भी डर से गए थे मेरे आँखों की ज्वाला से। मैंने थोड़ा गुस्से में बोला आप नहाकर आएंगे या मैं खाना लगा दूँ?
विनीत भैया बोले भाभी, आप गुस्सा हो क्या मुझसे? सॉरी प्लीज पर आप मुझसे ऐसे बात मत करो। मैंने अगर गलती की है तो आप मेरी पिटाई कर दो, पर ऐसे मत करो मेरे साथ। मैंने कहा आपने जो बाहर मेरे साथ किया वो, क्या वो सही था? यहाँ लोगों की आँखें हमेशा दूसरों के घर में ही झाँक रही होती हैं। आपका ऐसा व्यवहार मुझे पसंद नहीं आया। विनीत भैया थोड़े से चिंतित होते हुए, बोले सॉरी भाभी, आगे से गलती हो तो उल्टा लटका के मारना पर अभी तो मुझे माफ़ कर दो। यह मेरी पहली और आखरी गलती थी। मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने अपनी गलती भी मानी और सॉरी भी बोला तो मैंने मुस्कुरा कर बोला अब आप नाश्ता नहा कर करेंगे या अभी लेकर आ जाऊँ? भैया बोले मैं ज़रा फ्रेश हो आऊँ, फिर नाश्ता करता हूँ।
जब भैया बाथरूम में गए तो मेरे पास कोई काम नहीं था, कल रात की सारी बातें और हरकतें मेरी आँखों के सामने चल रही थी। बस फिर क्या था, मैं बेधड़क बैडरूम से होती हुई बाथरूम में घुसने लगी। हमारे बाथरूममें कुण्डीतो है पर वो लगाओ न लगाओ एक बराबर है, कुण्डी लगाने से दरवाज़ा अपने आप नहीं खुलता पर अगर कोई बाहर से धक्का मारे तो खुल जाता है। मैंने देखा कि भैया कमोड पर बैठ कर मोबाइल पर कुछ करते हुए अपने लंड को भी सहला रहे थे, एकदम से मुझे बाथरूम में देखकर थोड़े शॉक होगए और बोले भाभी, मैंने कुन कुण्डी लगाई थी, सॉरी, मैंने कहा सॉरी भैया, आप जो कर रहे हो, कर लो, मैं बस अपनी ब्रा पैंटी लेने आई थी, लेकर जारही हूँ।मैंने अपने अंडरगार्मेंट्स उठाये और बाहर आ गई, आकर मैंने अपने पति रोहित को मैसेज किया डार्लिंग, तुम वापस आ जाओ, मुझे चुदना है। 'हा हा... हा... हा... हा...' पति का मैसेज आया मैं तुझे रात को चोद दूँगा, अभी तेरे पास एक लंड है, उससे काम चला ले। मैंने जवाब में लिखा थैंक यू, बस यही पूछना था।
जैसे ही विनीत भैया बाहर आये, मैंने कहा भैया सॉरी, वो अकेले रहने की ऐसी आदत है कि याद ही नहीं रहा कि आप वहाँ हो सकते हो।भैया बोले कोई नहीं भाभी, अब जो हो गया सो हो गया। आप नाश्ता दे दो, बहुत भूख लगी है। मैं बोली ओके भैया, अभी लेकर आती हूँ। भैया ने तब तक टीवी पर अच्छे से गाने लगा दिए। उन्होंने नाश्ता किया, मैं बर्तन वगैरह लेकर किचन में चली गई और बर्तन साफ़ करने लगी। भैया भी किचन में आ गये, बोले भाभी पानी, मैंने कहा भैया हाथ गंदे हैं, मैं अभी देती हूँ। भैया बोले नहीं, मैं ले लूंगा। पानी पीकर बोले मैं यहीं बैठ जाऊँ आपके पास? बातें करते हैं। मैं तो चाहती ही यही थी, मैंने कहा हाँ भैया। वो प्लेटफार्म पर बैठ गए और सुबह के तेवर देखकर उनकी कुछ करने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी इसलिए इधर उधर की बातें कर रहे थे। मैंने सोचा मुझे ही कुछ करना पड़ेगा, पर तुरंत ही मन पलट गया, मैंने सोचा मैं नहीं करूँगी, इन्ही से करवाऊँगी ,तभी तो ज्यादा मज़ा आएगा। जब आदमी पहल करता है तो बहुत अच्छे से चुदाई करता है। मैं सोच ही रही थी, तब तक भैया बोले भाभी, आप बहुत अच्छी हो। मैंने कहा कैसे भैया? तो भैया बोले आप इतना स्वादिष्ट खाना बनाती हो, रोहित की कितना ध्यान रखती हो। हर मर्द अपने सपनेमें आप जैसी ही बीवी मांगता होगा। मैंने कहा थैंक यू भैया । फिर मैंने सोचा कि आदमी साला तारीफ़ सिर्फ इसलिए करता है जिससे उसे चूत मिल सके। अब मुझे भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। कल रात की घमासान चुदाई के बावजूद कितनी हिचक है अभी भी।
मैंने कहा भैया, पैरोंमें बड़ा दर्द हो रहा है पर अगर बैठ गई तो काम कैसे होगा। विनीत भैया बोले भाभी, आप बताओ, मैं कर देता हूँ। मैंने कहा नहीं भैया, ऐसा थोड़े ही होता है... लेकिन थैंक्स, आपने इतना सोचा।
विनीत भैया फिर बोले भाभी बताओ न, आपकी किस तरह मदद कर सकता हूँ। जो भी आपके किसी काम आजाऊँ तो लगेगा कि जीवन सफल हो गया। सेंटी डायलाग सुन कर मुझे हंसी आ गई, मैंने कहा भैया आप मेरी कुर्सी बन जाओगे, मैं काम भी कर लूँगी और बैठ भी जाऊँगी। भैया बोले शौक से, भैया घोड़ी बन गए, मैंने अपने फ्रॉक को थोड़ा उठाया और उनकी नंगी पीठ पर अपने नंगे चूतड़ रख दिए। भैया की आँखें बंद होते हुए देखी थी मैंने, मुझे महसूस हो गया था कि इनकी टांगों के बीच का राकेट अब गुलाटियां खाने ही वाला होगा। मैंने कहा भैया, बैठक बहुत नीची हो गई है, मेरा हाथ सिंक तक नहीं जा रहा, रहने दीजिये, ऐसे काम नहीं हो पाएगा। तो भैया बोले रुकिए, मैं सीधा बैठ जाता हूँ आप मेरे कंधे पर बैठ जाइये। मुझे आईडिया पसंद आ गया, मैंने कहा ठीक है, मैं उठी और भैया सीधे बैठ गए। पर वो मेरे से उलटी दिशा में मुंह किये हुए थे। मैंने सोचा 'यह भी ठीक ही है, सीधे मेरी चूत इनके मुंह के पास ही पहुंचेगी। मैंने अपनी टांग उठाई और जान करके अपनी चूत के आगे फ्रॉक कर दी थोड़ा नाटक तो ज़रूरी था न।
अब मैं आराम से उनके कंधे पर बैठी हुई थी और वो मेरी टांगों को घुटने से नीचे सहला रहे थे। मैंने पैंटी तो पहनी ही नहीं थी इसलिए उनकी गर्म साँसें तो मेरी चूत तक जा रही थी। उन्होंने अपने हाथ को धीरे धीरे मेरी जांघों तक लेकर आना शुरू किया और अपने मुंह के पास से फ्रॉक को हटाने की कोशिश करने लगे। धीरे धीरे अपने हाथों और होंठों से वो कामयाब हुए और मेरी फ्रॉक के अंदर घुस गए और मेरी चूत सामने आते ही जीभ गहराई तक डाल दी। मैंने घायल शेर को खून तो लगा ही दिया था इसलिए मैं उनके ऊपर से उठ गई और बोली थैंक यू भैया, हो गया मेरा काम खत्म, सारे बर्तन धुल गए। जैसे मुझे उनकी जीभ अपनी चूत पर महसूस ही नहीं हुई हो।
भैया थोड़े परेशान से होकर बोले अरे भाभी थैंक्स कैसा? मुझे तो अच्छा लगा कि मैं आपके किसी काम तो आया। मैं ज़रा नहा कर आता हूँ। वो अपने कपड़े टॉवल लेकर बाथरूम में चले गए लेकिन इस बार उन्होंने दरवाज़ा लगाया ही नहीं। मैं बैडरूम में आई तो देखा कि वो नंगे नहा रहे हैं। मैंने कहा भैया, डोर तो बंद कर लेते? तो भैया बोले भाभी, क्या फायदा... वो वैसे भी खुल ही जाता है। मैंने कहा ठीक है। उनका लंड अभी आधा खड़ा हुआ था और वो जान बूझ कर मेरी तरफ मुंह करके ही नहा रहे थे जिससे मैं उन्हें देखूँ। उनका गीला नंगा बदन देखकर मेरी चुदने की तमन्ना और भी ज्यादा बढ़ गई, मैं बेधड़क बाथरूम में गई और बाथरूम में रोहित के कपड़े उठाने लगी। अब विनीत भैया की हिम्मत और बढ़ गई, उन्होंने कहा क्या आप मेरी पीठ पर साबुन लगा देंगी? मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा अगर आप जांघिया पहन कर नहाते तो ज़रूर लगा देती। तो भैया के सब्र का बांध टूट गया, बोले अब रात को मैंने आपका क्या और आपने मेरा कौन सा अंग नहीं देखा। अब काहे की शर्म... मैं तो आपसे कहने वाला था कि क्या आप मेरे लौड़े को साबुन लगा देंगी? और हंस दिए। उनकी बेबाकी मुझे बुरी नहीं लगी, मैंने कहा पीठ की जगह वही बोला होता तो मैं थोड़े ही न मना करती। और मैं भी हंस दी। मैंने हाथमें साबुन लेकर उनकी पीठ पर मलना शुरू कर दिया। भैया बोले थोड़ा सा लंड पे भी लगा दो। मैंने उनके लंड को नाजुकता के साथ पकड़ कर उनकी गांड, लंड और टांगों के बीच पूरी जगह अच्छे से साबुन लगा दिया। वो बोले अरे आप भी कपड़े पहन कर साबुन लगा रही हैं, आइये आपको अभी अच्छे से नहला दूँ। इस पर मैंने कहा मैं सुबह एक बार नहा चुकी हूँ। खैर साबुन लगा कर पानी से अच्छे से धोकर मतलब पूरी तरह गर्म करके मैं उन्हें उसी हालत में छोड़ आई। वो बाथरूम से अच्छे से पौंछ कर बिना कपड़ों के ही बाहर आ गये। मैंने कहा भैया, आप नंगे ही बाहर आ गये? तो वो बोले हाँ पंखुरी भाभी, अब आपसे शर्म नहीं आ रही। मैंने कहा आप नाश्ता तो कर लो। वो बोले हाँ, भाभी ज़रूर... ले आइये।
वो बाहर ड्राइंग रूम में कालीन पर जाकर बैठ गए, परदे लगा दिए, AC ऑन कर दिया, टीवी पर ब्लू फिल्म लगा दी और आवाज़ न के बराबर ही रखी। मैं जब खाना लेकर पहुँची तो मैंने जान बूझ कर उनके लंड को छूते हुए ही खाना रखा, वो आराम से मूवी देखते हुए खाते रहे और मुझसे बातें भी करते रहे, बोले- देखो भाभी, क्या मस्त पोजीशन है ना? वो बिल्कुल ऐसे बात कर रहे थे जैसे कि कुछ गलत नहीं हो। मैं भी अपने सामने एक पराये मर्द को नंगा खाना खाते देख और सामने ब्लू फिल्म के चलते अपने हाथ को चूत पर ले गई और रगड़ने लगी। अब तो भैया और भी दबंग होते जा रहे थे, बोले चूत बाद में रगड़ना पहले पानी ले के आ जा। मैं उठी, पानी लाकर दिया, बैडरूम में गई और पूरी नंगी हो गई। मैंने वहीं से आवाज़ लगा कर बोला भैया, आप बर्तन उठा के सिंक में रख देना। भैया बोले ओके । जब मुझे बर्तन रखने की आवाज़ आई, उसके 2 मिनट के बाद मैं उठी और जाकर ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गई। मैं बोली भैया, कुछ डेजर्ट? भैया तो समझदार थे ही, बोले हाँ भाभी, डेजर्ट की बहुत ज़रूरत है। और आकर सीधा मेरी चूत पर अपना मुंह टिका दिया।
5-7 मिनट चाटने के बाद बोले आपकी चूत का टेस्ट तो वाकई लाजवाब है। मेरा बस चले तो में दिन भर बस इसे ही चाटता रहूँ। मैंने कहा भैया, आप बहुत अच्छी चूत की चटाई करते हैं। मेरा भी मन करता है कि आपकी जीभ दिन भर मेरी चूत को अंदर तक सहलाती रहे।भैया बोले आपका तो हर अंग इतना खूबसूरत है कि अगर ज़िन्दगी भर बैठ कर तारीफ़ की जाए तो भी कम है। आपकी गर्दन एक सुराही की तरह चमकदार और लम्बी है, आपके बूब्स परफेक्ट साइज और शेप में हैं, आपकी कमर माशाल्लाह कयामत है, आपकी चिकनी चूत और उसका पानी ऐसा लगता है जैसे सोने के प्याले में अमृत परस दिया हो। और फिर बोलते बोलते वो मेरे बूब्स चूसने लगे, मैं भी मज़े लेने के लिए आँखें बंद करके पराये मर्द से चुदने की अनुभूति का मजा लेने लगी और उनकी पीठ सहलाने लगी।
अब उनका हथियार मेरी जांघों में चुभ रहा था, मुझे उसे अपनी चूत में लेने की ललक बढ़ रही थी, मैंने कहा भैया, लाइए आपके हथियार की सेवा कर दूँ, लाइए उसकी थोड़ी मलाई निकाल दूँ। भैया बोले हाँ भाभी, वो आपके मुंह में जाने को बेताब है। मैं आपकी चूत चाटता हूँ, आप मेरे लंड को चूस डालिए, चलिए 69 में दोनों अपने अपने गुप्तांगों को परम सुख दें, हथियारों को थोड़ी धार देते हैं। फिर हम काफी देर तक एक दूसरे को चूसते और चाटते रहे, वो कभी मेरी गांड चाटते, कभी मेरी चूत और कभी अपनी उंगली मेरी गांड में डाल देते, कभी मेरी चूत में। मैं भी कभी उनके गोलियों को मुंह में ले लेती कभी उनके लंड को तो कभी उनकी गांड में उंगली फेर देती थी। हम दोनों जब अपने चरम पर थे तो मैंने कहा भैया, आपके लंड का पानी आप मेरी चूत में डाल दीजिये। भैया क्या बोलते, उनके मन में यही चल रहा था कि कब इस चूत में लंड डालें, अब वो मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी चूत पर अपना लंड रख दिया। चाटने और चुसाई के कारण लंड और चूत बहुत गीले थे और थोड़ा थोड़ा रस हम दोनों छोड़ चुके थे इसलिए चूत पर लंड टिकाते ही वो सुरंग में अंदर तक फिसल गया। भैया बोले भाभी, कल रात भी बड़ा मन था आप में उतरने का। पर कल रात तो कयामत ही थी वो कभी भी नहीं भूल सकता मैं। आप दोनों बहुत ही मस्त और दिलदार हो, इतने खुले विचार होने के बावजूद आपकी भाषा कितनी सरल और अच्छी है। क्यूँ भाभी, आप कभी चुदाई के टाइम गाली गलौच नहीं करती? मैंने कहा मैं सेक्स का सहारा लेकर गाली नहीं देती, मुझे देना होता है तो मैं वैसे ही दे लेती हूँ पर मुझे गाली गलौच पसंद नहीं है। वो तो रोहित को चुदाई के टाइम गाली देना अच्छा लगता है इसलिए सुन लेती हूँ। आप भी जब अपना पानी छोड़ने वाले होते हो तो गन्दी गन्दी और भद्दी गालियां देते हो। कल रात को आपने मुझे पता नहीं क्या क्या बोला।
भैया बोले सॉरी भाभी, शायद मैं और रोहित एक से ही हैं, हम दोनों को पानी निकालते समय पता नहीं क्या हो जाता है, कितना भी कंट्रोल करें गाली निकल ही जाती है। मैंने कहा भैया, आप कंट्रोल मत करो, जैसे अच्छा लगता है वैसे आप चुदाई करो, मैं गाली देना पसंद नहीं करती पर सुनने में मुझे कोई कष्ट नहीं है। जब चूत में लंड होता है तो वैसे भी गालियाँ मीठी ही लगती हैं। आप कंट्रोल में सेक्स करोगे तो आप एन्जॉय नहीं कर पाओगे। मैं चाहती हूँ कि आप एन्जॉय करो। विनीत भाई बोले नहीं भाभी, आपकी ये अच्छी अच्छी बातें सुन कर सेक्स करने में और भी मज़ा आता है। इसलिए ऐसे ही करेंगे, मैं एन्जॉय कर रहा हूँ, आप भी मेरे लंड को अपनी चूतमें एन्जॉय करो। मैंने कहा हाँ, बस रोहित ने बहुत बार बोल बोल कर मुझे लंड और चूत बोलना सीखा दिया है तो अब वो तो जुबान पर चढ़ गया है। आप ऐसे ही धीरे धीरे धक्के मारते रहो, स्पीड मत बढ़ाओ। ये सब बातें करते हुए हमने धक्के मारने बंद कभी भी नहीं किये थे। विनीत भैया बोले भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ, मुझे स्पीड बढ़ानी है। मैंने कहा तो फाड़ दो मेरी चूत । अब भैया की स्पीड 200% बढ़ गई, उनके माथे पर पसीने की बड़ी बड़ी बूंदें थी, मैं उन्हें पौंछ रही थी और बोली- भैया आँखें बंद करके नहीं, खोल कर मेरे जिस्म को देखकर चोदिये।
भैया ने मेरे चूचे ज़ोरसे दबाए और बोले हाँ भाभी, तेरा जिस्म तो क़यामत है। कितनी अच्छी और प्यारी चुदक्कड़ है तू भाभी। लंड लेने में माहिर है तू मेरी जान। मैं तेरी चूत को अपनी मलाई से भर दूंगा माँ की लौड़ी। अब उनकी स्पीड के साथ मैंने भी अपनी कमर को झटके देना शुरू किये जिससे मैं भी उनके साथ परम आनन्द तक आ सकूँ, पर भैया बहुत उत्तेजित थे तो वो मेरे अंदर बहुत देर तक और बहुत ज्यादा मात्रा में झड़ गए। मैं भी अपने चरम पर थी, मैं उनके झड़ने के बाद तक हिलती रही कि उनका लौड़ा मेरी आग बुझा दे... पर भइया पूरी तरह लस्त होकर मेरे बदन पर गिर गए।
अभी मेरी तो इच्छा पूरी हुई नहीं थी इसलिए मैं उन्हें सहला कर चाहती थी कि वो मेरे अंदर 4-5 जोर के धक्के और मार दें, पर वो नहीं उठे। मुझे थोड़ा बुरा लगा, मैंने उन्हें अपने ऊपर से उठाया वो बगल में चारों खाने चित्त वाले स्टाइल में पड़ गए। मैंने पूरा चाट के उन्हें साफ़ किया, चाटने के साथ साथ मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेकर चूस रही थी जिससे वो दुबारा खड़ा हो जाये। भैया थोड़े होश में आने पर बोले- भाभी आप सीधी लेट जाओ। मैं अपनी चूत की आग में झुलस रही थी और अभी कुछ भी करने को तैयार थी लेकिन वो तो बस लेटने को बोल रहे थे। वो मेरी टांगों के बीच जाकर मेरी चूत जो उनकी खुद की मलाई से भरी थी, उसको चाटने लगे। मुझे पहले तो थोड़ी घिन सी आई पर फिर मज़ा आने लगा। अब चूत का पानी छूटने ही वाला था, मैंने कहा भैया उंगली डाल दीजिये अंदर, मेरा पानी छूटने वाला है। भैया बोले आप सिर्फ एन्जॉय करना। उन्होंने एक उंगली दाने पर घुमानी शुरू कर दी, दो उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर डाल दी और अंगूठे का सिरा मेरी गांड के छेद पर रख दिया और चूत के निचले हिस्से पर अपनी जीभ से चाटने लगे।
मैंने महसूस किया कि मेरी टांगें अपने आप थोड़ी ज्यादा खुल गई हैं और मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। मैंने अपने पेट से लेकर चूत तक एक बहुत बड़ा लोड बाहर की ओर आता महसूस किया, ऐसा लगा जैसे बाढ़ आने वाली है। मैं अपनी चूत की मालिश की मस्ती में इतनी मस्त थी कि मैंने भैया को कुछ नहीं बोला। बहुत सारा पानी वो भी प्रेशर से, उतने प्रेशर से तो मूत भी नहीं सकती, उतने प्रेशर से पानी निकलने लगा। भैया भी एक्सपर्ट थे, उन्होंने न उँगलियाँ हटाई न मुंह बस वैसे ही मेरी चूत की सेवा करते रहे, मैं 2-3 मिनट तक झड़ती रही। इतने प्रेशर से तो मैं कभी भी नहीं झड़ी थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी जान निकाल दी हो। मेरी इतनी जोर से चीख निकल गई थी कि उसकी इको मुझे अभी भी सुनाई दे रही थी। मैं इतनी बुरी तरह झड़ी थी कि मैं पूरी सिकुड़ गई और मुझे ठण्ड लगने लगी। भैया ने अंदर के कमरे से रजाई लाकर उढ़ाई और खुद भी रजाई के अंदर आकर मुझे जकड़ लिया और बोले भाभी, आप ठीक हैं न? मैंने कांपते और मस्ती में कहा हाँ । भैया ने मेरे चूतड़ों को हाथ में लिया, बोले भाभी आप अभी भी थोड़ा थोड़ा डिस्चार्ज हो रही हो। आप कहो तो कोई टॉवल आपके नीचे लगा दूँ जिससे रजाई ख़राब न हो। मैंने सिर्फ गर्दन हाँ में हिला दी। भैया एक तौलिया लाये, मेरी टांगों के बीच रख दिया जहाँ से रिसता हुआ पानी देख हंसते हुए बोले भाभी, आपने तो बाल्टी भर पानी फैला दिया। मैंने मुस्कुरा कर थके हुए थिरकते हुए होंठों से भैया, आपने तो जान ही निकाल दी थी, बहुत मज़ा आया। जैसे आप कल रात नहीं भूलोगे वैसे ही मैं आज का दिन नहीं भूलूंगी। थैंक यू भैया, थैंक यू । भैया बोले क्या भाभी, आप जैसी हसीना ने मेरा लंड चूसा और चूत में लिया, थैंक्सतो मुझे बोलना चाहिए। अब आप थोड़ी देर आराम कर लो जिससे आप रिलैक्स हो जाओगी। मैंने कहा भैया, आपकी बाँहों में सोना है मुझे, प्लीज अपनी बाँहों में सुला लो।
मैंने उन्हें अपने आलिंगन में लिया और कब आँख लगी पता नहीं।
अब तक आपने कहानी मेरी बीवी के जुबानी सुनी, अब मैं वापिस हाज़िर हूँ आगे की दास्ताँ सुनाने को ।
मैंने सोचा 'आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी चलता हूँ' जिससे विनीत और पंखुरी के साथ ज्यादा टाइम गुज़ार पाऊँ। मुझे ऑफिस से लौटते लौटते कम से कम 8 तो बज ही जाते हैं पर आज में 4 बजे ही ऑफिस से निकल गया। मैंने सोचा जल्दी जाकर दोनों को सरप्राइज देता हूँ। मैं बिल्कुल धीरे से बाहर का दरवाज़ा खोल फिर बिना आहट किये घर का प्रवेश द्वार खोलने लगा। पर वो बंद था, तो मैंने अपनी चाबी निकाली और ताला खोल कर अंदर आया, दरवाज़ा जैसे ही खुला, दोनों सकपका गए। अगले ही पल दोनों नार्मल होकर बोले अच्छा तो तुम हो।
मैंने देखा मेरी बीवी पंखुरी विनीत की बाँहों में नंगी पड़ी थी, विनीत के हाथ मेरी बीवी के बोबे सहला रहे थे और मेरी बीवी की टांगें विनीत के लंड पे रखी थी।रजाई साइड में पड़ी हुई थी और पंखुरी की टांगों के बीच एक तौलिया लगा हुआ था। मैंने कहा तुम दोनों मस्त रहो, मैं चेंज करके आता हूँ। पंखुरी बोली मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ, आप जब तक हाथ मुंह धो कर आओ। मैंने कहा तुम दोनों बैठो, मैं चाय लेकर आता हूँ। विनीत बोला यार, सुबह से भाभी की सेवा कर रहा हूँ, एक सिगरेट तो पिला दे। मैंने कहा माँ के लवडे, सिगरेट तेरे पास ही पड़ी है, पी ले और एक मेरे लिए भी जला । पंखुरी बोली रोहित, पता है आज भैया ने इतना अच्छा अनुभव दिया है कि आप ख़ुशी से इनको चूम लोगे। देखो मेरे नीचे जो पानी से गीलापन दिख रहा है वो सब इन्होंने मेरी चूत में से ही निकाला है।
मेरे कुछ बोलने से पहले विनीत बोला भाभी, आप उसे क्या बता रही हो। यही तो मेरे गुरू हैं, जबभी ज्ञान चाहिए होता है, इन्ही से ज्ञान लेता हूँ। यह हुनर मैंने रोहित से ही सीखा है। पंखुरी की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गई, बोली अच्छा तो ये बात है? मतलब मेरे पतिदेव सेक्स गुरु है। मैं बातें करते करते कपड़े उतार रहा था, मैंने कहा चलो दोनों एक जिस्म दो जान, ज़रा दोनों कुछ पहन लो, शाम होने वाली है तेरी बीवी को लेनेभी जाना है। विनीत ने सर पकड़ा और बोला यार क्यूँ आ गई कवाब में हड्डी, अब मैं अपनी भाभी को कैसे प्यार करूँगा? पंखुरी हंसती हुई बोली छुप छुप के । मैं भी हंसने लगा, मैंने कहा चल अभी तेरी बीवी के आने में टाइम है, तू तब तक पंखुरी को एक बार चोद ले... फिर पता नहीं कब मौका मिले तुझे मेरी बीवी को प्यार करने का, विनीत बोला मेरा तो बहुत मन है भाभी की चूत मारने का... पर साला अब मेरा लंड खड़ा नहीं होने वाला। इसे पिछले आधे घंटे से भाभी मसल रही है और यह साला कुम्भकरण की तरह सोया पड़ा है।
पंखुरी हंसने लगी। मैंने कहा तो फिर चल तूही खड़ा हो जा भेनचोद... तेरा तो खड़ा होने से रहा। रात को तेरी बीवी आ जायेगी थोड़ा मलाई उसके लिए भी बचा ले, वो भी तो काफी दिनोंसे मायके में है । विनीत खड़ा हो गया, बीवी चाय बनाने चली गई, मैं अपने जांघिए में सोफेपे बैठा गया। विनीत ने सिगरेट जला ली और मुझे दी। मैंने कहा क्यूँ भाई, मानता है अब तुझे अपनी बीवी को रेडी करना है। विनीत बोला भाई, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि वो हम लोगों के गैंग में शामिल हो जाए... बाकी खुद की मर्जी । मैंने कहा कोई चिंता नहीं है, तू बस कोशिश करना बाकी फल की इच्छा तो हम करते ही नहीं हैं। विनीत बोला यार, मैं तेरा कैसे शुक्रिया अदा करूँ, तूने मेरी ज़िन्दगी में चार चाँद लगा दिए हैं। मैंने कहा मुंह में ले ले। यह हमारे यहाँ का तकिया कलाम है, जब किसी से कहना होता है 'Mention not' तो उससे कह देते है मुंह में ले ले।
वो अभी तक नंगा ही खड़ा था, वो घुटनों पर बैठा और मेरा लंड जो आधा जगा हुआ था, चड्डी से बाहर निकाला और मुंह में ले लिया। मैं सिगरेट का कश लेने लगा। इतने में बीवी अंदर से चाय लेकर आ गई, उसने भी अब तक कोई कपड़ा नहीं पहना था, बोली आप अपना लंड इनसे क्यूँ चुसवा रहे हो? मैंने कहा मैंने सिर्फ इतना कहा था कि 'मुंह में ले ले' इसने सही में ले लिया। और मैं हंसने लगा। विनीत ने अपने मुंह से लंड निकाला और बोला भाभी, मुझे लंड मुंह में लेना भी उतना ही अच्छा लगता है जितना चूतको। इसलिए इसने कहा तो मैंने ले लिया। मैंने थोड़ा हिल ढुल कर अपनी चड्डी पूरी उतार दी।
पंखुरी बोली फिर तो भैया आप अपनी गांड में लंड भी ले लेते होंगे। विनीत ने फिर से मुंह से लंड निकाला और बोला नहीं भाभी, इसका अनुभव नहीं है। पर देखूंगा किसी दिन शायद रोहित मेरी गांड मारने को बोलेगा और मैं मरवाने की कोशिश करूँगा। अभी तो यह नहीं पता कि गांड मरवाने में कितना दर्द होगा। और फिर से लौड़ा चूसने लगा। मैंने कहा तू छोड़ न उसे, मुझे चाय दे। मैं आराम से चाय पिता रहा विनीत लंड चूसता रहा और पंखुरी चाय पीते पीते उसे मेरा लंड चूसते हुए देखती रही। मैंने कहा विनीत, तेरी चाय ठंडी हो रही है, चल चाय पी और लेकर आ तेरी बीवी को क्योंकि मेरे लिए तो सरप्राइज है न, विनीत बोला यार, घंटा सरप्राइज है, मैं उसे फ़ोन कर देता हूँ कि मैं रोहित के साथ ही तुझे लेने आ रहा हूँ।
उसने फ़ोन उठाया पंखुरी मेरी गोद में आकर खड़े लौड़े पर बैठ गई, मुझसे बोली आप मेरी चूत मार लो, फिर चलते हैं। भैया को बोलो वो पूछ लें कि गाड़ी कितनी लेट चल रही है और फिर वो बाहर जाकर थोड़ा घूम आयें, तब तक हम एक बाज़ी निबटा लेंगे। मैंने जोर से कहा विनीत, पूछ कहाँ तक पहुँची हैं उसकी ट्रेन। फिर थोड़ा धीरे से बोला उसको बाहर क्यूँ भेजेंगे? उसके सामने अपने पति से चुदने में शर्म आएगी क्या? पंखुरी थोड़ा शर्मा गई और बोली आप भी न? आपसे तो मैं सड़क पे चुदवा सकती हूँ... उनके सामने काहे की शर्म जब उनके साथ तो कल से नंगी ही पड़ी हूँ। वो बोला भाई गाड़ी ऑन टाइम है और पलवल क्रॉस कर गई है, चलो जल्दी से । मैंने पंखुरी को बोला चल कोई नी, तुझे आकर चोदता हूँ। पंखुरी बोली मैं घर में पड़ी पड़ी क्या करुँगी, मुझे भी ले चलो। मैंने कहा तो ठीक है, चल तैयार हो जा।
अब हम कार में बैठे, मैंने पंखुरी को आगे बैठाया और विनीत को पीछे, मैंने कहा पंखुरी साथ में चुदाई में बहुत आनन्द आता है न? पंखुरी बोली हाँ, बहुत मज़ा आता है। दिन भर कोई न कोई आपके आसपास रहता ही है लंड और चूत के मिलन चाहे जब हो जाता है। और पति के अलावा कोई और जब देख या छू रहा हो तो चुदाई का मज़ा और बढ़ जाता है। पीछे बैठे विनीत ने पंखुरी की तरफ हाथ बढ़ाये और उसके बूब्स दबा दिए। पंखुरी बोली भैया, ऐसे मत करो, कोई देख लेगा। विनीत बोला सॉरी भाभी, पर बीवी के आने के बाद आपको पता नहीं कब छू पाऊँगा? उसी टेंशन के मारे सोच रहा हूँ कि वो ना आती तो ही अच्छा होता। हम तीनों कैसे दिन भर एक दूसरे की बाहों में पड़े रहते पर अब रितिका के आने के बाद सबको कपड़े पहनने पड़ेंगे। मेरी और पंखुरी की बहुत बुरी तरह हंसी छूट गई, मैंने पंखुरी से कहा जब हम तीनों को मज़ा आया तो रितिका को भी आएगा मज़ा । विनीत तू उसे पटाने की कोशिश करना, पंखुरी तुम भी कुछ ऐसा करो कि वो हमारी गैंग में शामिल हो जाए। मैं तो खैर कोशिश करूँगा ही। क्यूँ पंखुरी, करोगी न? पंखुरी थोड़ी सोच में पड़ गई, फिर बोली मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ। आपको रितिका अच्छी लगती है क्या? मैंने कहा मैंने उसे कभी देखा ही नहीं। शादीमें स्टेज पर देखा था पर उस समय तो इतना मेकअप लहंगा और ज्वेलरी होती है कि लड़की कहाँ दिखती है। इसलिए ऐसा कुछ नहीं है। पर हाँ, ग्रुप सेक्स में मज़ा तो आएगा ही। तुम्हे भी तो तुम्हारे भैया का लंड और अदाएँ मिलता रहेगा। पंखुरी बोली चलो, मैं देखती हूँ कि मैं क्या कर सकती हूँ, जो बन पड़ेगा वो करुँगी। वैसे रोहित तुम प्लान करो और हम दोनोंbको गाइड करो तो शायद सक्सेस जल्दी मिल जाये। विनीत बोला क्या बात है भाभी, मैं भी यही कहने वाला था। और उसने पंखुरी की जांघ दबा दी भाभी, अब ये मत बोलना की कोई देख लेगा, अब कार के बाहर से आपकी जाघें थोड़े ही दिख रही हैं। मैंने कहा तू सीधा बैठ जा चूतिये, तेरी बीवी के चक्कर में हम दोनों बिना चुदाई के आ गये हैं। दोनों में भयानक आग लगी है और ऊपर से तू बकचोदी में लगा है। मैंने ड्राइव करते करते अपना लंड बाहर निकाला और बोला तुम दोनों मुझे सोचने दो। पंखुरी बोली ये सड़क पे लंड बाहर निकाल के क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा तू अभी बोली थी न, सड़कपे चुद सकती है। चल अभी रास्ता खाली है मैं गाड़ी चला रहा हूँ, तू मेरा लौड़ा चूस। वो फटाक से बिना कुछ कहे मेरे लंड पे झुक गई, उसके बूब्स गियर के ऊपर थे तो विनीत ने नीचे से हाथ डाल के उन्हें सहलाना शुरू कर दिया। पंखुरी ने भी एक हाथ ले जाकर विनीत के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगी। थोड़ी ही देर में मैंने पंखुरी को बोला चल उठ जा, मुझे आईडिया आ गया है। बस तुम जब भी में कुछ पूछूँ या करने को कहूँ तो सवाल किये बिना करना शुरू कर देना। पंखुरी, मेरे लंड को मेरे जीन्स में डाल के चैन बंद कर दे, सामने सिक्युरिटी की गाडी खड़ी है।
हम लोग स्टेशन पहुंचे, गाड़ी से बाहर निकल के अंगड़ाई ली और मैंने एक सिगरेट जला ली । विनीत फ़ोन पर रितिका को हमारी लोकेशन बता रहा था। 5-7 मिनट में ही रितिका एक बेहद खूबसूरत जवान मदमस्त हसीना हमारी आँखों के सामने आ गई। उसे देखते ही मैंने उसे अपने ख्यालों न जितने पोजीशन में चोद दिया। विनीत रितिका के हाथों से बैग लेने आगे बढ़ा, मेरे हाथ का सिगरेट फेंकते हुए मैं आगे बढ़ा, वो पाव छूने झुकी, मैंने उसको उठाया और बोला इतना बड़ा मत बनाओ, बुड्ढों वाली फीलिंग आ जाती है, और गले लगा लिया। गले लगातेही उसके सीनेका नाप तोल और झाँक का कूल्हों का माप ले लिया था मैंने। रितिका को मैंने अलग किया तो वो जाकर पंखुरी के पाँव छूने लगी, पंखुरी ने भी उससे पाँव नहीं छुआए, बोलीbजब मेरे पति ने पाँव नहीं छुआए तो में कैसे? आओ गले लगो। मैंने और विनीत ने सामान गाड़ी में रखा और मैंने कहा पंखुरी तुम आगे बैठो, और विनीत तुम पीछे। पंखुरी मुझे देख रही थी, मैंने कहा अब वो दोनों इतने दिनों बाद मिले हैं, बैठने दो साथ में, और मैं हंस दिय, पंखुरी भी मुस्कुरा कर आगे बैठ गई।
गाड़ीमें काफी देर ख़ामोशी रही फिर मैंनेही आइस ब्रेक करते हुए कहा रितिका, तुम्हारा सफर कैसा रहा? बोली भैया अच्छा था सफर, मैंने कहा सैयां के इंतज़ार में सफर लम्बा लगा या जल्दी कट गया?
वो थोड़ा मुस्कुराई और विनीत की आँखों में देख कर बोली जब इंतज़ार करो तो सफर लम्बा ही लगता है। मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा ये बात तो सही है। पर अब तुम यहाँ बिल्कुल पर्दा वरदा मत करना, हम दोनों भाई बाद में पहले दोस्त हैं। और दोस्ती में ये सब औपचारिकता ठीक नहीं है। सही कहा न मैंने पंखुरी? पंखुरी बोली हाँ रितिका, तुम आराम से रहो जैसे किसी दोस्त के यहाँ आई हो, और हमारे यहाँ का एक नियम है कि कोई नियम नहीं है। सब लोग थोड़ा चुप हुए फिर एक सेकंड बाद सब लोग जोर जोर से हंसने लगे। मैंने कहा मेरे साथ रहकर तुम तो बहुत अच्छे डॉयलॉग देने लगी हो। हम मस्ती मज़ाक और हंसते मुस्कुराते हुए घर पहुंचे।
विनीत बीवी को छोड़ के और सामान रखकर वापस आकर गाड़ी में बैठ गया। पंखुरी और रितिका घर पर एक दूसरे से गप्पें लड़ाने वाली थी तो मैंने और विनीत ने सोचा थोड़ा घूम के आयें। हमने गाड़ी घर पे ही खड़ी करके पैदल चल के जाने के बारे में सोचा। विनीत ने पूछा क्यूँ, कैसी लगी रितिका? मैंने कहा भाई चलती फिरती एटम बम है वो तो, और तू जिस हिसाब से बता रहा था उससे तो मिलने का मन ही नहीं था मेरा। विनीत बोला चल यार, इतनी भी खूबसूरत नहीं है... तू तो ऐसे ही तारीफों के पुल बाँध रहा है। तो मैंने हंसते हुए कहा तो फिर तू जितने भी दिन यहाँ है, उतने दिन और रात तेरी बीवी को मैं चोदता हूँ और तू तेरी भाभी की ले, तू भी खुश में भी। विनीत बोला तुझे सच में इतनी अच्छी लगी रितिका? मैंने कहा कोई शक? विनीत बोला यार, तू कैसेभी बस ग्रुप सेक्स का इंतज़ाम कर, ज़िन्दगी का मज़ा आ जायेगा जब अपनी बीवी रितिका के सामने पंखुरी भाभी को चोदूँगा... और तू मेरे सामने मेरी बीवी की चूत बजाएगा।
मैंने कहा हाँ यार, कुछ चल तो रहा है दिमाग में... पर ढंग से कोई सटीक आईडिया नहीं आ रहा, खैर तू चिंता मत कर, रितिका की चुदाई के लिए मैं कुछ भी करूँगा। विनीत बोला यार, अब तो तू हद कर रहा है, इतनी भी सुन्दर नहीं है रितिका और पंखुरी भाभी के सामने तो कुछ भी नहीं है। मैं बोला वो तेरी बीवी है इसलिए तुझे छोड़ के सबको अच्छी लगेगी, और हम दोनों हंसने लगे। टहलते टहलते हम दोनों ठेके के करीब आ गये थे, मैंने कहा तेरी बीवी को ड्रिंकिंग से कोई परहेज़ तो नहीं है न विनीत बोला वो नहीं पीती पर कोई और पिए तो शायद उसे कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। चल लेकर चलते हैं, अपन तो पिएंगे ही। मैंने फटाफट एक बोतल, कुछ खाने पीने के सामान वगैरह लिए और घर की ओर चल दिए।