Update 04
शाम को रंगीन बनाने का इंतज़ार अपने चरम पर था, बोतल, चिकन, चिप्स और बाकी चखना देख कर पंखुरी दरवाज़े पर ही समझ गई की आज की शाम भी यादगार शाम होने वाली है, उसके चेहरे पर उत्सुकता का भाव साफ़ दिखाई पड़ रहा था, वो भी बेताब थी ये देखने के लिए की आखिर मैं ऐसा क्या करूँगा जिससे रितिकाभी हमारी सामूहिक चुदाई का हिस्सा बन जाये। खैर जब तक हम लौट कर आये, पंखुरी ने पूरा घर दिवाली की तरह सजा दिया था, हर जगह खुशबू वाली मोमबत्तियाँ लगा कर घर के वातावरण को खुशनुमा और मादक बनाया हुआ था। हर चीज़ सलीके से तरतीब के साथ रखी हुई थी। मैंने घर में घुसते ही ऐसे सुसज्जित घर को देखकर पंखुरी से कहा वाह यार, बीवी तुमने तो दिल खुश कर दिया। घर कितना अच्छा लग रहा है बस बेचारा कभी भी तुम्हारी बराबरी नहीं कर पता। घर की सबसे सुन्दर चीज़ तो तुम हो। पंखुरी थोड़ा मुस्कुराई और शर्मा कर खाने का सामान हाथ से लेकर किचन में चली गई । रितिका सोफे पर बैठ कर सब सुन रही थी, बोली सुनो, देखो भैया कितने अच्छे हैं, अपनी बीवी की कितनी अच्छे से तारीफ़ करते हैं, कुछ सीख लो उनसे । विनीत तुनक कर बोला तू कुछ ऐसा काम भी तो किया कर कि तारीफ़ कर सकूँ। रितिका आश्चर्य के भाव से सिर्फ विनीत को देखती रही और फिर सर झुका लिया। मैंने कहा वाह भाई वाह, इतने दिनों बाद मिल रहे हो और फिर भी लड़ रहे हो? कितना प्यार है तुम दोनों के बीच। रितिका की तरफ देखकर बोला रितिका, तुम थक गई होगी, चाहो तो थोड़ी देर कमर सीधी कर लो, अंदर जाकर लेट जाओ। रितिका बोली नहीं भैया, मैं ठीक हूँ, गाड़ी में भी में सोती हुई आई हूँ रितिकाने मजाकिया अंदाज़ में विनीत की तरफ देखकर बोला भाई देख ले, ये तो अपनी नींद पूरी करके आई है जिससे...और मैं चुप होकर बोतल टेबल पर रख कर गिलास लेने किचन में चला गया, गिलास बर्फ सोडा और ज़रूरी सामान के साथ बाहर आया तो विनीत और रितिका दोनों सोफे पर बैठ कर कुछ कानाफूसी कर रहे थे, दोनों हाथों में हाथ डाल के नए युगल प्रेमी की तरह दिख रहे थे।
मुझे देखते ही दोनों थोड़ा ठिठक गए और हाथ दूर कर लिए। मैं सामान टेबल पर रख के दोनों के करीब आया और विनीत का हाथ उठाया और रितिका के कंधे पर रख दिया और रितिका का हाथ उठाया और विनीत की कमर पर रख दिया और कहा- देखो, इसे दोस्त का घर समझो और दोनों आराम से रहो, अब इतने दिनों बाद मिले हो तो बहुत कुछ होगा एक दूसरे से बतियाने और पूछने को । रितिका को शायद बहुत अच्छा लगा। विनीत बोला हाँ यार, मैं तो जानता हूँ फिर भी ये घबराई तो मैं भी पीछे हट गया। अब हम लोग जॉइंट फैमिली में रहते हैं, इसलिए ऐसे ही हो गए हैं। मैं रितिका को आँख मार कर बोला ऐसा महसूस करो कि यहाँ कोई है ही नहीं... और हाँ, अगर पीने का मूड हो तो बता देना, मैं सर्व कर दूंगा। रितिका जैसा एकदम चौक गई और विनीत से बोली यार आप भी न... भाभी बेचारी अकेली लगी हुई है किचन में, पंखुरी वहीं से बोली अरे तुम थकी होगी, बैठो आराम से, मैं भी बस आती हूँ अभी। पर रितिका कहाँ सुनने वाली थी, वो तब तक तो उठ के किचन में चली ही गई।
रितिका के किचन में जाने के बाद हम दोनों अपने पैग और गाने लगाने में मस्त हो गए। विनीत ने मस्त रोमांटिक गानों का कलेक्शन लगा दिया और मैंने बढ़िया से पैग तैयार कर दिए, पैग उठाकर हम दोनोंभी किचनमें चले गए । मैं किचन में जाकर पंखुरी की तरफ पैग बढ़ाकर बोला चियर्स डार्लिंग, पंखुरी ने मेरे गिलास को किस किया और छोटा सा सिप लेकर बोली चियर्स जान, फिर मैंने गिलास विनीत की तरफ बढ़ाया और गिलास से टकरा के बोला चियर्स, और अपने पैग को सिप करने लगा।
हमारी इस हरकत को देखकर रितिका को भी लगा कि शराब पीने का यह रोमांटिक अंदाज़ अच्छा है, विनीत जो पैग पीने के लिए लगभग मुंह से लगा ही चुका था, उसके घूंट मारने से पहले रितिका ने विनीत के हाथ को रोका और अपने होंठों के पास लेकर पंखुरी की तरह किस करके एक छोटा सा सिप किया और बोली चियर्स वीनू, विनीत भी अपना पैग थोड़ा ऊँचा उठा कर बोला थैंक्स एंड चियर्स डार्लिंग! मेरी कोशिश कामयाब होती सी दिख रही थी, मुझे यही देखना था कि रितिका ऐसी परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देती है। मैंने विनीत को थोड़ा छेड़ते हुए कहा हाँ भाई वीनू? और हंसने लगा। विनीत बस सर नीचे करके मुस्कुराता रहा। हम लोग ऐसे ही किचन और ड्राइंग रूम में इधर उधर करते करते गानों का मज़ा लेते हुए दो पैग डाउन हो चुके थे। थोड़ा नशा होने लगा था और थोड़ा मुझे दिखाना था जिससे मेरी हरकत अगर किसी कारण से बुरी लग भी जाए तो नाम शराब का बदनाम हो।
मैंने पीछे से जाकर पंखुरी को पकड़ा और उसके गले पे धीरे से काट कर किस कर लिया। विनीत कमरे में था पर रितिका वही खड़ी थी, पंखुरी जान करके मुझे हटा कर बोली अरे आप भी कहीं भी शुरू हो जाते हो, देखो रितिका यही खड़ी है। मैंने रितिका की तरफ देखा और बोला तो खड़ी रहने दो उसे, हमने बता ही दिया था कि यहाँ एक ही नियम है कि कोई नियम नहीं है। रितिका बोली भाभी, भैया आपको बहुत प्यार करते हैं। पंखुरी बिना कुछ बोले सर झुक कर मुस्कुरा दी। मैं पंखुरी के चूतड़ों पर एक चटाक लगा कर किचन से बाहर आ गया। विनीत बोला यार रोहित, तू तो रोज़ नहा कर पैग पीता है, तो आज बिना नहाए कैसे पीने लगा? मैंने थोड़ा झूमते हुए कहा यार, वो रितिका है न... इसलिये... और अपन को शाम को नहाने के बाद कपड़े पहनना पसंद नहीं है। तो तेरी बीवी को असहज लगता, इसलिए ऐसे ही पी ली आज!विनीत बोला यह तो गलत बात है, मतलब हम लोगों की मौजूदगी की वजह से तुम लोग असहज हो रहे हो। और जोर से आवाज़ लगा कर बोला रितिका, चलो हम लोग किसी होटल में रात गुज़ार के आते हैं। पंखुरी रितिका से धीरे से बोली यार लगता है, दोनोंको चढ़ गई है। इन लोगों की बातों को ज्यादा दिल से मत लगाना। रितिका बोली भाभी, वो भैया को बोलिए न कि वो नहा लें, तो लड़ाई खत्म ही हो जाएगी। पंखुरी बोली तुम जाकर बोल दो, तुम्हारी बात नहीं टालेंगे। हम दोनों में से तो वो किसी की नहीं सुनने वाले । रितिका किचन के दरवाज़े से खड़े होकर बोली भइया, आप नहा के आ जाइये। मैं रितिका की तरफ देख कर बोला ओके । विनीत बोला जा अगला पैग तेरे आने के बाद ही बनाएंगे । मैं थोड़ा गुस्से में बोला तू नहीं बनाएगा पैग, पैग या तो मैं बनाऊंगा या या... या रितिका बनाएगी। रितिका की तो शक्ल देखने लायक थी।
खैर मैं नहाने गया और आ गया तौलिया लपेट कर, मैं आकर सोफे पर बैठ गया और बोला विनीत तू भी नहा आ, नहाने के बाद पीने का मज़ा ज्यादा आता है। जो चढ़ी थी, वो थोड़ी सी उतर गई है, और सुरूर बहुत अच्छा है। विनीत रितिका से बोला मेरा तौलिया दे देना ज़रा, और वो बाथरूम की तरफ चला गया । जब तक रितिका ने तौलिया निकाला, तब तक वो बाथरूम में जा चुका था। पंखुरी ने रितिका को कोहनी मार कर कहा जाओ तौलिया दे आओ भैया को। रितिका इशारे के साथ भावना को समझ गई थी, बोली अच्छा मैं अभी आई। विनीत बाथरूम से गीला और नग्न अवस्था में बाहर आ गया, रितिका बोली ये लो तौलिया और अंदर जाओ, कोई आ जाएगा। विनीत बोला यहाँ कोई बच्चा थोड़े ही है जो कोई आ जायेगा, तुम्हें तौलिया लेकर आने को बोला ही इसलिए था कि तुम्हें थोड़ा सा... बोलते बोलते गीले बदन ही रितिका को बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। रितिका के हाथ से तौलिया छूट गया और विनीत के खड़े लंड पर जाकर टंग गया। रितिका के कपड़े भी थोड़े से गीले हो गए पर बेचारी कुछ एक महीने से प्यासी थी इसलिए उसे उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो इस आज़ादी और अपने चुम्बन का रस ले रही थी। विनीत ने रितिका को कपड़ों के ऊपर से ही चूचियाँ और चूतड़ दबा दबा कर और होंठों और गले पर चूम चूम कर बहुत गर्म कर दिया था। रितिका विनीत के कान में बोली कमरा बंद कर लें? विनीत बोला हाँ, कर तो सकते हैं, पर यह उनका बैडरूम है और बाथरूम भी सिर्फ इसी कमरे के साथ लगा हुआ है। बीच में किसी को कोई ज़रूरत आई तो बड़ा बुरा लगेगा।
रितिका ने विनीत को धक्का देकर अपने आप से अलग किया और बोली हाँ, तुम सही बोल रहे हो, आज बीच में कोई नहीं आना चाहिए। महीने भर से प्यासी हूँ, आज तो तुम्हें खा जाऊँगी मैं, विनीत तौलिया लपेट कर बाहर आ गया। रितिका अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके बाहर आये, उससे पहले विनीत बाहर आकर सीधा पंखुरी जो की नीचे कालीन पर बैठी हुई थी, के करीब पहुँचा और अपने लंड को बाहर निकाल के पंखुरी के गाल पे मार दिया। पंखुरीने विनीत की तरफ देखकर मुस्कुरा कर लंड को हाथ में लेकर सहला दिया। जल्दी से विनीत मेरे बगल में आकर बैठ गया कि कहीं रितिका देख न ले। मैंने पंखुरी को अंदर आने का इशारा किया, पंखुरी उठी में भी उठ कर जाने लगी बैडरूम की तरफ तो रितिका कमरे से बाहर आ रही थी। रितिका के कपड़े थोड़े से गीले विशेष तौर पर बोबे और कंधे दिख रहे थे। मैंने पंखुरी का हाथ पकड़ा हुआ था जिसे देखकर रितिका थोड़ा सर झुक कर मुस्कुरा कर जल्दी से दौड़ती हुई ड्राइंग रूम की तरफ चली गई। मैंने पंखुरी को कमरे में अंदर बुला कर बोला यार, तुम अपने ब्रा पैंटी उतार के बाहर आओ। पंखुरी बोली वो तो आप इशारे से बताते तो भी मैं उतार के आ जाती पर अब केवल भैया नहीं है, उसकी बीवी भी है। मैं बोला इसलिए तो बोल रहा हूँ। तुम नंगी ही अच्छी लगती हो जानेमन । पंखुरी को बिस्तर पे बैठाया और उसके दूसरे गाल पे अपने लंड से थप्पड़ जैसे मारने लगा। उसने मेरे लंड को हाथ से पुचकारा और लंड की तरफ देखकर बोली आज तुझे नई चूत मिल सकती है, अच्छे से चुदाई मचाना मेरे शेर! और फिर मेरे लंड को चूमने और पुचकारने लगी। फिर मेरी तरफ देखकर बोली आप बाहर जाकर बैठो, मैं अभी आती हूँ नंगी होकर। पंखुरी मेरी नस नस जानती है, उसे पता है कब कौन से शब्द का उपयोग मुझे उत्तेजित कर सकता है।
मैं बाहर आकर सोफे पर विनीत के करीब बैठ गया, हम दोनों ही तौलिये में थे। रितिका कालीन पर दोनों पांव पीछे मोड़ कर बैठी थी, उसने जीन्स और टॉप पहना हुआ था। रितिका के बड़े बड़े बूब्स उसके पिछवाड़े से थोड़े बड़े थे, उसकी कमर ज्यादा से ज्यादा 30 रही होगी। उसका गोरा रंग बता रहा था कि उसका बदन संगमरमर सा चमकदार होगा। पंखुरी काले रंग की बड़े गले की मैक्सी पहन कर बाहर आ गई, ये मैक्सी बहुत मोटी थी, इसमें से कुछ भी अंदर तक नहीं दिखता था। मैं आदेश देते हुए बोला पंखुरी पैग बनाओ। पंखुरी आगे बढ़ी और झुक कर हमारे पैग बनाने लगी। पंखुरी के झुकने से उसके बोबे थोड़े ज्यादा दिखने लगे, मैंने कहा पंखुरी एक काम करो, तुम वो एयरहोस्टेस वाली ड्रेस पहन कर आओ और मुझे आकर्षित करने की कोशिश करो। यह बात सुन कर तो रितिका के कान खड़े हो गए। पंखुरी धीमे क़दमों से बैडरूम की तरफ जा रही थी, रितिका भी पंखुरी के पीछे चली गई। रितिका ने जाकर पंखुरी से बोला भाभी, लगता है भैया को ज्यादा चढ़ गई है, आप उन्हें अंदर बुला लो, मैं वीनू को बाहर ही रखूंगी। पंखुरी बोली थैंक्स यार, रितिका पर वो इस समय कुछ नहीं सुनने वाले। रितिका बोली तो आप वीनू के सामने भैया को कैसे आकर्षित करोगी? आपको अजीब नहीं लगेगा? पंखुरी बोली वो वैसे भी ये सब मेरे या अपने लिए नहीं, तुम्हारे लिए कर रहे हैं जिससे तुम अपने पति के साथ आराम से चिपक कर या जैसे चाहो वैसे बैठ सको। रितिका बोली भैया कितने अच्छे हैं न, मेरा कितना ध्यान रखने की कोशिश कर रहे हैं। भाभी मुझे भी कुछ ऐसे कपड़े दो न कि वीनू आपको न देखकर मुझे देखे। पंखुरी हंस के बोली अच्छा तो ये बात है? मेरे पास 2 जोड़ी कपड़े हैं क्योंकि तुम्हारे भैया को भूमिका निभाने (Ro।e P।aying) वाले खेल पसंद हैं। एक तो एयर होस्टेस वाले कपड़े हैं और दूसरी नर्स की ड्रेस है। तुम चाहो तो नर्स बन जाओ।
रितिका के लिए तो जैसे ये सब कुछ सपने जैसा था, वो बोली हाँ भाभी, मैंने कुछ गन्दी मूवी में देखा है ऐसा भूमिका वाले खेल को खेलते हुए, आप लोग तो सच में बहुत दिलचस्प जोड़े हो। मुझे दिखाइए न वो नर्स वाले कपड़े में भी आज वीनू को सातवें आसमान की सैर कराती हूँ। पंखुरी बोली ये हुई न बात, अब तुम खुल के बात कर रही हो। पंखुरी ने रितिका को नर्स वाली वेशभूषा दिखाई तो रितिका बोली भाभी, यह तो बहुत छोटी है। पंखुरी बोली हाँ, तभी तो आदमी को आकर्षित कर पाएंगे हम। रितिका अपनी टॉप और जीन्स उतारने लगी तो पंखुरी बोली तुम कहो तो मैं बाहर जाऊँ? रितिका बोली भाभी, दोस्त भी बोल रही हो और ऐसी बात भी कर रही हो? पंखुरी बोली नहीं, मुझे लगा कि तुम बोलने में संकोच करोगी इसलिए मैंने पूछ लिया, रितिका तुम बहुत खूबसूरत इंसान हो। तुमने मुझे दोस्त सिर्फ समझा ही नहीं, मान भी लिया है, तुम्हारे व्यवहार से में बहुत खुश हो गई। रितिका बोली आप भी ड्रेस पहन लो । थोड़ा हंसते हुए बोली या मैं बाहर जाऊँ? पंखुरी भी हंसने लगी और अपनी मैक्सी उतार दी। रितिका पंखुरी को देखकर हैरान हो गई, बोली भाभी, आपने अंदर कुछ पहना ही नहीं था। पंखुरी बोली हाँ तुम्हारे भैया को मैं ऐसे ही पसंद हूँ। इसलिए ऐसे ही जाती हूँ उनके सामने... ख़ास तौर पर जब वो ड्रिंक कर रहे हों। रितिका बोली भाभी, आपका बदन तो बहुत खूबसूरत है। पंखुरी बातें सुनते सुनते ड्रेस पहनने लगी। रितिका बोली भाभी आप इसके अंदर भी कुछ नहीं पहनने वाली क्या? पंखुरी बोली यार जब उकसाना है तो पहनने का क्या फायदा? फिर दोनों हंसने लगी। पंखुरी की ड्रेस किंगफ़िशर एयरलाइन्ज़ जैसे लाल और सफ़ेद रंग की थी। उसमे एक छोटा सा टॉप था और एक बहुत छोटी सी माइक्रो स्कर्ट... और पूरी टांगों के लिए सफ़ेद मौजे जो जांघ के थोड़े ऊपर तक आते हैं और लाल रंग की जूतियाँ।
रितिका ने भी अपनी ब्रा और पैंटी उतार फेंकी और नर्स वाले कपड़े पहन लिए। रितिका बोली भाभी, इससे तो मेरा पिछवाड़ा ढंग से ढक भी नहीं पा रहा? रितिका ने घूम कर दिखाया। पंखुरी बोली हाँ, सही कह रही हो... पर यहाँ है ही कौन तुम्हें देखने वाला? पंखुरी बोली मेरी स्कर्ट का भी यही हाल है, देखो! रितिका बोली भाभी, इसमें तो ऐसा लग रहा है जैसे उनके सामने हम लोग बिना कपड़ों के ही हैं। पंखुरी बोली यही तो रिझाने की कला है, थोड़ा दिखाओ थोड़ा छुपाओ, थोड़ा दिखा के छुपाओ थोड़ा छुपा के दिखाओ। रितिका को इस बात पर बहुत तेज़ हंसी आ गई, बोली आपकी यह बात ज़िन्दगी में कभी नहीं भूल पाऊँगी। पंखुरी ने पहले रितिका को कमरे में जाने के लिए कहा, बोली मुझे तो मेरे पति इन कपड़ों में पचासों बार देख चुके हैं। तुम्हारे पति ने तुम्हें ऐसे कभी नहीं देखा होगा इसलिए पहले तुम जाकर अपना जलवा बिखेरो, मैं तुम्हार पीछे पीछे आती हूँ। रितिका थोड़ी शर्माती हुई थोड़ी घबराई हुई बैडरूम से बाहर निकली।
इधर में और विनीत धीरे धीरे अपने लौड़ों को मसाज दे रहे थे। हाँ आप सही समझे एक दूसरे के लौड़ों को... खुद हिलाने में वो मज़ा कहाँ? नज़रों से पूरी तरह सतर्क और आँखें और कान बैडरूम के दरवाज़े पर जिससे दोनों में से कोई भी औरत आती दिखे तो लंड को तौलिये में छुपा सके। जैसे ही आहट आई कि कोई इस तरफ आ रहा है, हमने अपने लंड तौलिया के अंदर कर लिए पर तम्बू बनने से रोक पाना मुश्किल था इसलिए सोफे पर पड़े छोटे तकिए अपनी गोदी में रख लिए। रितिका को नर्स की वेश भूषा में देखकर लंड तो हुंकार मारने लगा। वो बिल्कुल रंडियों की तरह किचन के दरवाज़े से टिक कर खड़ी हो गई थी। पीछे से पंखुरी भी आ गई और सीधे कालीन पर आकर बैठ गई और बोली आपकी किस तरह सहायता कर सकती हूँ सर? मैंने कहा आज तो फ्लाइट में नर्स भी आई हुई है। विनीत रितिका को देखते ही बोला वाह यार रितिका, तुम तो बहुत खूबसूरत लग रही हो। और उसे अपने बगल में सोफे के हैंड रेस्ट पर बैठा लिया।
अब मैं पंखुरी को चूमने लगा, उसके होंठों से होंठ मिला कर उसके मुंह के अंदर अपनी जीभ डाल के उसके जीभ से जीभ के पेंच लड़ाने लगा, वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी। मैंने तिरछी नज़र से देखा तो विनीत भी रितिका को चूम रहा था। हम दोनों अपनी अपनी बीवी को मसल रहे थे। मैं नीचे से हाथ डाल के पंखुरी के नंगे चूतड़ सहलाने लगा और धीरे धीरे उसकी गांड के और नीचे आकर उसकी चूत को भी पीछे से ही पुचकारने लगा। दोनों औरतें गर्म हो चुकी थी। मैंने पंखुरी को अपने से दूर हटाया और बोला मुझे अंगूर खिलाओ, पंखुरी ने अंगूर का गुच्छा उठाया और गुच्छे से ही खिलाने लगी और एक अंगूर तोड़ कर अपने दोनों उरोजों के बीच रख लिया। रितिका और विनीत हमें बड़े ध्यान से देख रहे थे। विनीत का हाथ रितिका के कूल्हों पर ही था। मैंने पंखुरी की वक्षरेखा में जीभ घुसा कर अंगूर उठा लिया। पंखुरी को तो ज्यादा शर्म थी नहीं क्योंकि वो तो विनीत के सामने कई बार नंगी हो चुकी थी। पर रितिका ने भी कोशिश की वो अपने स्तनों में अंगूर फंसा कर विनीत को खिलाए।
अबकी बार हमारी नज़र उन दोनों पर थी। विनीत जब उसके बूब्स में झाँक रहा था तो मैं उसके चूचों को निहार रहा था। रितिका बेचारी देखा देखी सब कर तो रही थी पर उसे बहुत शर्म भी आ रही थी। पर शायद कहीं न कहीं वो इस आज़ादी से बहुत खुश थी और इसका आनन्द भी ले रही थी। पंखुरी मेरे बगल से उठकर हम दोनों के पैग बनाने के लिए जमीन पर बैठ गई। मैंने कहा क्यूँ रितिका, मज़ा आ रहा है न दोस्त के यहाँ पर पूरी आज़ादी के साथ जीने का? रितिका थोड़ी बेसुध से सुध में आते हुए बोली हाँ भैया, हम लोग ऐसा मज़ा सिर्फ अकेले में जब होटल में होते हैं तो ही कर पाते हैं। मैंने कहा रितिका तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हारा बदन का हर अंग एकदम तराशे हुए हीरे की तरह नुकीला और सुन्दर है। रितिका तो जैसे जमीन में गड़ी जा रही थी, वो थोड़ी शरमाई और अपने छोटे छोटे कपड़ों से अपने आपको ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी।
विनीत बोला हाँ यार रोहित, यह बात तो तू सही बोल रहा है... मेरी बीवी है तो बहुत खूबसूरत पर भाभी का भी जवाब नहीं। मैंने कहा अब जब हम लोग इतने अच्छे दोस्त बन गए हैं तो आओ एक खेल खेलें? पंखुरी और विनीत तो जानते ही थे कि यह मेरी कोई चाल होगी रितिका को फ़ंसाने की... इसलिए उसके कुछ भी बोलने से पहले ही बोले हाँ हाँ बताओ क्या गेम है? मैंने कहा कोई बहुत अलग नहीं, truth and dare जैसा ही है, बस जोखिम जो है वो थोड़े शरारती हो सकते हैं। मैंने कहा तो चलो सोफे थोड़ा पीछे करो, सभी लोग कालीन पर बैठ जाओ । बीच में मैंने पर्चियों का टोकरा रख दिया एक खाली बोतल को घुमाना है, जिस पर रुकेगा, उसके लिए जोखिम (dare) बोतल घुमाने वाला बताएगा। बस तो रितिका बोली और अगर कोई truth लेगा तो? मैंने कहा यहाँ सिर्फ जोखिम ही ले सकते हैं, सच कोई नहीं ले सकता।
अब मैंने बोतल घुमाई और वो जाकर पंखुरी पर रुकी, मैंने कहा पंखुरी तुम्हारे लिए जोखिम यह है कि तुम अपने बदन से कोई भी एक कपड़ा पूरे गेम के लिए अलग कर दो। पंखुरी ने थोड़ी ऐसी शक्ल बनाई जैसे उसे यह अच्छा न लगा हो। फिर थोड़ा दिमाग लगा कर चतुराई का परिचय दिया और अपने गले में बढ़ा स्कार्फ़ उतार फेंका। सभी ने ताली बजाई। अबकी बार बोतल घुमाने की बारी पंखुरी की थी। पंखुरी ने बोतल घुमाई अबकी बार विनीत पर जाकर बोतल रुकी। पंखुरी बोली भैया, आप तौलिया में तो हो ही... सांवरिया वाले गाने पे डांस करके दिखाओ। मैंने तुरंत सांवरिया वाला गाना लगा दिया, विनीत खड़ा होकर गाने पर डांस करने लगा। विनीत ने रणबीर को अच्छा कॉपी करके डांस किया और दोनों लड़कियों को आकर्षित करने में कामयाब रहा। अबकी बार बोतल विनीत ने घुमाई और वो जाकर फिर से रुकी पंखुरी पर, पंखुरी बोली ओह नो... विनीत बोला यार मुझे तो कोई आईडिया नहीं आ रहा कि क्या शरारती करवाऊँ? यार रोहित तू ही कुछ बोल, मैंने कहा नहीं, तेरी चाल है, तू चाहे तो पास कर सकता है। विनीत बोला ऐसे कैसे पास? भाभी ने कहा मुझे छोड़ा था? भाभी आप अपने ड्रेस के टॉप के एक बटन को खोल दो पूरे गेम के लिए। पंखुरी ने फाटक से एक बटन खोल दिया।
अबकी बार बोतल पंखुरी ने घुमाई और वो जाकर रुकी मेरे ऊपर... पंखुरी बोली अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे। आप अगले 3 मिनट तक के लिए खड़े हो जाओ और आप हिल नहीं सकते अगर आप हिले तो टाइम फिर से शुरू होगा। मैं खड़ा हो गया। पंखुरी, विनीत और रितिका की तरफ देखकर बोली- तुम लोग क्या कर रहे हो? हेल्प मी, इन्हें अपन हाथ लगा सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं 3 मिनट तक और ये हिल नहीं सकते। पंखुरी अपनी जगह से उठी और मेरे करीब आकर मेरी छाती पर निप्पल पर अपने हाथ और उंगलियों से सनसनी करने लगी। उधर विनीत ने मेरा तौलिया ऐसे पकड़ रखा था कि कभी भी खोल देगा। मैंने कहा विनीत बेटा, बोतल सिर्फ मेरे ऊपर ही नहीं रुकी है। वो तेरे पे भी रुकेगी, इज़्ज़त बचा ले भाई की। विनीत मुझे झटके देता रहा जिससे मैं हिल जाऊँ तौलिया पकड़ने को। पंखुरी के टच के कारण मेरा लौड़ा आधा तो खड़ा हो ही गया था। रितिका भी मेरे करीब आई और पंखुरी से बोली भाभी, मैं क्या करूँ? पंखुरी ने कहा जो तुम करना चाहो, ये तो एक मूर्ति हैं 3 मिनट तक... इस मूर्ति से जैसे चाहो खेलो, बस मूर्ति अपने आप हिल जानी चाहिए। रितिका विनीत को देखकर बोली सुनो मेरे पास एक आईडिया है पर तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा? विनीत बोला यार दोस्त यारों के साथ खेल खेलते हैं तो बुरा क्या लगना है, करो जो तुम्हें करना है। रितिका ने आकर मेरे कमर में हाथ डाला और बोली इनको गुदगुदी करते हैं। पंखुरी बोली इनको गुदगुदी नहीं होती यार... चल तू कोशिश कर । पंखुरी बोली तुम्हें ऐसे तो नहीं छोडूंगी। इतने में विनीत बोला भाभी, आपको ऐसे आईडिया आते कहाँ से हैं। पंखुरी जमीन में बैठकर मेरी जांघों और पैरों पर चुम्बन करने लगी, अपने हाथ फेरने लगी जो कि मेरे चूतड़ों तक जा रहे थे।
उसके कारण मेरा लंड और अकड़ गया। मैंने यहाँ तक सब सम्भाल लिया पर रितिका भी कमर में हाथ डाले हुए थी और वो पंखुरीकी हरकत को बड़े ध्यान से देख रही थी। तो उसके मुंह से एकदम निकल गया भैया आपका तो बहुत बड़ा है?
मेरी नज़र एकदम से नीचे चली गई। इतने में पंखुरी उछलती हुई बोली ये... ये... आउट आउट, अब टाइम फिर से शुरू होगा। मैंने रितिका से कहा क्या यार, हरवा दिया तुमने? रितिका भी हंसने लगी और वो थोड़ी और आज़ाद महसूस करने लगी क्योंकि किसी ने उसकी तरफ ऐसे देखा ही नहीं जैसे उसने कुछ गलत बोल दिया हो। खैर में अगले 3 मिनट तक एक जैसा खड़ा रहा जबकि पंखुरी से 2-4 बार मेरे लंड को तौलिया के अंदर हाथ डाल के भी पुचकार दिया। हम लोग वापिस खेलने के लिए बैठ गए। अब अभी अभी मेरे शरीर से दो लड़कियाँ खेल रही थी इसलिए लंड तो खड़ा था ही... तो मैंने कहा देखो भई, तुम लोगोंने उकसाया है अब, अभी उसे बैठने में टाइम लगेगा, तब तक दोनों लड़कियों तुम मेरे तम्बू को देखकर अपने आप को गर्म कर सकती हो। और हंसने लगा।
अबकी बार बोतल मुझे घुमानी थी, मैंने बोतल घुमाई और जैसा सोचा था रितिका पर जाकर रुकी।
रितिका बोली नो नो... मैं नहीं खेल रही, विनीत बोला वाह, जब तक हम लोगों पर आ रहा था तो मजे ले रही थी अब नहीं खेलना? पंखुरी बोली ये तो गलत बात है रितिका... ऐसे थोड़े ही होता है? मैंने कहा देख लो ज्यादा मुश्किल काम नहीं देंगे तुम्हें। रितिका बोली यार थोड़ा तो नाटक करना चाहिए न, बस वही कर रही थी, मैं तैयार हूँ, बताओ क्या करना है? मैंने कहा तुम्हें हम तीनों में से किसी को भी अगले 5 मिनट तक किस करना है। 5 मिनट तक होंठोंसे होंठ अलग हुए तो टाइम फिर से शुरू होगा। तुम जिसे भी किस करोगी उसके अलावा बाकी के दोनों लोग तुम्हारा चुम्बन तोड़ने की कोशिश करेंगे। बताओ तुम किसे चूमना चाहती हो? रितिका थोड़ी संकोच के साथ बोली किसी को भी? सबने एक सुर में कहा हाँ भई, किसी को भी! रितिका थोड़ा सोच कर बोली मैं वीनू को किस करुँगी। विनीत बोला मुझे तो हमेशा ही चूमती है और चूम सकती है, चाहे तो अभी भी अपना फैसला बदल सकती है। विनीत की नशे में चूर मदहोश आवाज़ ने रितिका को दोबारा सोचने पर मजबूर किया, रितिका विनीत.की तरफ देखकर बोली फिर तो मेरे पास भैया को चूमने के अलावा कोई और चारा ही नहीं है। मैंने कहा मजबूरी में नहीं, तुम चाहो तो पंखुरी को भी किस कर सकती हो। रितिका ने पंखुरी की तरफ देखा और बोली भाभी, आपके होंठ बहुत गुलाबी हैं, मैं आपको किस करू तो आपको...पंखुरी बात पूरी होने से पहले ही बोली यार, इतना मत सोच, तुम जिसको भी बोलोगी उसे तुम्हें किस करना ही पड़ेगा। वैसे मैं ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की को किस करने वाली हूँ। पता नहीं कैसा लगेगा।
रितिका बोली तो भाभी, आज चखते हैं कि लड़की को किस करना कैसा लगता है, मेरा भी यह पहला अनुभव होगा जब मैं किसी लड़की को चूमूँगी। रितिका अपने घुटनों पर बैठ गई और पंखुरी भी घुटनों पर आ गई जिससे दोनों की लम्बाई बराबर आ जाये। मैंने स्टॉप क्लॉक चालू करके कहा आपका समय अब शुरू होता है... अब, एक एयर होस्टेस की ड्रेस में एक नर्स की ड्रेस में छोटे छोटे कपड़ो में एक दूसरे को चूमने के लिए जैसे ही अपने होंठों को होंठों से मिलाया, मैंने विनीत को इशारा किया तू पंखुरी के पीछे से जा, मैं रितिका के पीछे से जाता हूँ। रितिका को बहुत देर से देख रहा था कि वो अपने छोटे कपड़ों में अपने बदन को ढकने की कोशिश कर रही थी पर अब वो कुछ ख़ास कर नहीं सकती थी। उसकी माइक्रो स्कर्ट से उसके कूल्हे न के बराबर ही ढक पा रहे थे। मैं रितिका के पीछे जाकर उसकी टांगों की तरफ मुंह करके लेट गया और थोड़ा खिसक कर उसकी टांगों के बीच अपना मुंह पहुँचा लिया। उसने अंदर कुछ पहना तो था ही नहीं, उसकी नंगी चूत अब बिल्कुल मेरी आँखों के सामने थी। इधर विनीत पंखुरी के पीछे गया और पंखुरी को बहुत देर से अधनंगी देख देख कर विनीत कामोत्तेजित हो चुका था। क्योंकि रितिका के होंठ से होंठ मिले हुए थे तो वो पंखुरी के पीछे क्या हो रहा है, नहीं देख सकती थी, रितिका को सिर्फ विनीत की शक्ल ही दिख रही थी। विनीत ने चतुराई से रितिका से बिना नजर चुराए अपना लंड तौलिया से थोड़ा बाहर निकाल के पंखुरी की आधी नंगी गांड पे रगड़ना शुरू कर दिया और अपने हाथों से पंखुरी के कूल्हे दबा रहा था। इधर मैं इनके चुम्बन को तोड़ने के लिए रितिका के नीचे लेटे लेटे बोला यार रितिका, तुम्हारी चूत पर तो एक भी बाल नहीं है। आज ही बनाए हैं क्या? वो किस करते करते उंह उंह करके कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी और अपनी चूत पर अपना एक हाथ रख लिया। मैंने कहा यार रितिका, तुम्हारे चूतड़ भी बहुत बढ़िया और गोल हैं एकदम मस्त चिकने। इस बार तो रितिका के सब्र का बाँध टूट ही गया, वह चुम्बन करना छोड़ बोली भैया, मैं आपकी बहू जैसी हूँ, आपको इस तरह करना शोभा देता है क्या? भाभी, आप भी कुछ नहीं कह रही? मैंने कहा कौन बहू? मैं तो यहाँ अपने दोस्तों के साथ खेल रहा हूँ।
पंखुरी बोली मैं क्या बोलूँ, विनीत भी तो मेरे पीछे से मेरे कूल्हे सहला रहा है। एक दो बार तो उसकी ऊँगली मेरे छेद को भी छू आई है। पर तुम्हारा ये जोखिम पूरा हो जाये उसके लिए मैंने अपना मुंह नहीं हटाया। यार दोस्तों-यारों में सब चलता है, और फिर हमारे पति कोई बेईमानी तो कर नहीं रहे, जो कुछ कर रहे हैं, हमारे सामने ही कर रहे हैं। अब जब तुम xxx मूवीज देखती हो तो तुम्हारा भी तो मन करता है न कि सम्भोग करें। ऐसे ही मेरे पति तुम्हें और तुम्हारे पति मुझे देख कर उत्तेजित हो रहे है। उन्हें होने दो उत्तेजित ... जब ज्यादा उत्तेजित होंगे तभी तो हमें अच्छे से प्यार करेंगे न। रितिका को कुछ कुछ समझ आ रहा था, बोली सॉरी एवरी वन! भैया टाइम दुबारा शुरू कर दो। मैंने स्टॉप क्लॉक फिर से शुरू कर दी।
अबकी बार मैं फिर से रितिका की टांगों की बीच पहुँचा और धीरे धीरे रितिका की चूत के पास अपनी उंगली घुमाने लगा, फिर उनकी गांड में उंगली फेरने लगा, थोड़ी सी गर्दन को उठा कर उसकी चूत पर चुम्मी कर दी। अब रितिका की साँसें तेज़ होने लगी, पर उसने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की। इधर विनीत को भी थोड़ी और आज़ादी मिल गई थी, उसने पंखुरी के कंधे पर अपना मुंह रखा हुआ था, उसके हाथ पंखुरी के वक्ष स्थल के आसपास घूम रहे थे और रितिका की नज़र इन सभी चीज़ों पर ही थी। जिस चीज़ पर रितिका की नज़र नहीं थी वो यह कि पंखुरी अपने हाथ से विनीत के लंड को पुचकार रही थी और अपनी गांड पे रगड़वा रही थी। विनीत बोला तूने मेरी बीवी की चूत देख ली, मैं भी तो अपनी भाभी की चूत देख कर आऊँ? वो भी मेरी तरह पंखुरी के नीचे लेट गया और पंखुरी तो विनीत से पहले ही चुदवा चुकी थी इसलिए वो सीधा पंखुरी की चूत को चाटने और चूमने लगा। पंखुरी बहुत गर्म होरही थी इसलिए उसने रितिका के हाथ अपने चूचोंपर रख दिए, रितिका को भी मज़ा आया वो भी पंखुरी के बूब्स रगड़ के दबाने लगी। मैंने भी इसी बीच एक दो बार अपनी ऊँगली और जीभ रितिका की चूत के अंदर तक डाल के निकाल ली। स्टॉप क्लॉक पर टाइम खत्म होने की आवाज़ आई 'बीप बीप...' पर उस आवाज़ के आने के 10 सेकंड तक कोई अपनी जगह से नहीं हिला, फिर सब अपनी अपनी जगह बैठ गए। अभी कमरे में सन्नाटा था। मैंने मसखरी करते हुए रितिका से कहा क्यूँ मज़ा आया न? रितिका नज़र नीचे करके बोतल उठाने लगी। मैं विनीत से बोला और पंखुरी की चूत के बारे में आपकी क्या राय है? विनीत बोला पंखुरी भाभी की चूत एकदम चिकनी है और बड़ी प्यारी है।
पंखुरी और रितिका दोनों अब तक चुप थी। पंखुरी बोली रितिका, तू चिंता मत कर... अबकी बार इन दोनों में से किसी की बारी आने दे, ऐसा काम कराएँगे कि इनकी सारी हंसी निकल जाएगी। रितिका ने बोतल घुमाई बोतल जाकर रुकी विनीत पर.. रितिका बोली मार दिया जाये या छोड़ दिया जाये? विनीत बोला हमें तो मरने में ज्यादा ख़ुशी मिलेगी। सब इस बातपे हंस पड़े। रितिका बोली तुमने मुझे एक लड़की को किस कराया था न? अब तुम्हारा टास्क है कि तुम हम सबके सामने भैया का लंड चुसोगे। इस पर मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा यार, हमने कब तुम्हें मजबूर किया? हमने तो कहा था कि तुम हम तीनों में से किसी को भी किस कर सकती हो, तुम खुद ही दो मर्दों को छोड़ कर लड़की को किस करने गई। इतनी बड़ी सजा मत दो हम दोनों को। रितिका के चेहरे पर जीत की मुस्कराहट साफ़ दिखाई पड़ रहीथी। विनीत बोला यार रोहित, इतना लंड चुसवाया है, हमेशा सोचता हूँ कि चूसने में कैसा लगता होगा। चल आज तेरा लंड चूस के देख ही लेता हूँ। मैंने कहा ठीक है, मैं सोफे पर बैठ जाता हूँ, तू घुटनों पर बैठ जाना। मैंने अपना तौलिया हटाया। रितिका की नजर मेरे ही लंड पर थी क्योंकि अपने पति का तो वो देखती ही रहती थी, और पंखुरी को कपड़े बदलते समय देख चुकी थी, बस मैं ही था जिसका जननांग अभी तक उसने नहीं देखा था। मैं रितिका से बोला क्यूँ रितिका, कैसा लगा मेरा लंड? रितिका कुछ नहीं बोली, सिर्फ मुस्कुरा दी। विनीत मेरे लंड पर आया, मेरे को आँख मार कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। रितिका बोली भाभी, ये तो सही में ही भैया का लंड चूसने लगे? मुझे लगा था कि वीनू मेरे सामने गिड़गिड़ाएंगे कि यार टास्क चेंज कर दो। पंखुरी बोली हाँ यार रितिका, यह तो हमारे साथ नहले पे दहला हो गया। चल कोई नहीं, और अनोखी हरकत सोचते हैं। वैसे तेरा आईडिया अच्छा था, कुछ ऐसा ही और सोच। इधर विनीत मेरे लंड को गले तक ले लेकर अच्छे से चूस रहा था, 2-3 मिनट तक अच्छे से चूस कर विनीत खड़ा हो गया। अब विनीत ने बोतल घुमाई जो पंखुरी पर जाकर रुकी। विनीत बोला भाभी, अब आप पूरी तरह नंगी हो जाओ, आपके बदन पर कपड़ा तो क्या, एक धागा भी नहीं दिखना चाहिए। आप आगे का पूरा गेम ऐसे ही खेलोगी। पंखुरी थोड़ा नाटक दिखा कर जिससे रितिका को शक न हो, पूरी नंगी होकर गेम खेलने लगी। इधर मैं और विनीत दोनों पंखुरी पर कमेंट्स कसने लगे। पंखुरी ने बोतल घुमाई और वो जाकर रुकी फिर से विनीत पे... पंखुरी ने कहा अब आप भी पूरे कपड़े उतार कर आगे का गेम खेलो। विनीत बोला भाभी, यह तो आपने दिल की बात कर दी। विनीत खड़ा हुआ और तौलिया उतार के सोफे पर फेंक दिया और बोतल घुमाने नीचे बैठ गया।
अबकी बार बोतल रितिका पर रुकी। विनीत के बोलने से पहले मैं बोला इसको भी नंगा कर, साली का बदन वैसे ही पूरा बाहर निकला जा रहा है। विनीत बोला चल तू भी नंगी हो जा । रितिका खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने लगी। जब वो बिना कपड़ो के पूरी नंगी सामने खड़ी थी तो एक पल को ख्याल आया 'माँ चुदाये ये सारा गेम वेम.. इसको यहीं पटक कर चोद दूँ।' पर सब्र का फल मीठा होता है, यही सोच कर रुक गया। अब चारों में से तीन लोग पूरी तरह नंगे होकर खेल रहे थे तो तीनों बोले रोहित, तू भी अपना तौलिया हटा ले, वैसे भी लंड का एक बार तो नज़राना हो ही चुका है। मैंने भी बात मानते हुए अपनी तौलिया हटा दिया, मैं, यार विनीत, खेलते खेलते साली पूरी बोतल खत्म हो गई। विनीत बोला पूरी व्हिस्की खत्म? पंखुरी बोली आपकी एक बोतल में से थोड़ी सी बची हुई है, अलमारीमें रखी है, लेकर आऊँ? मैं पंखुरी के करीब गया और उसे किस करके बोला वाह यार थैंक्स पंखुरी डार्लिंग, ले आ यार प्लीज, पंखुरी उठी और अपके कूल्हे मटकाती हुई जाकर लगभग क्वाटर बची हुई व्हिस्की उठा लाई। पंखुरी ने ही हम दोनोंके पैग बना दिए। अबकी बारी रितिका की थी बोतल घुमाने की, बोतल आकर रुकी मेरे ऊपर...रितिका बोली भैया अब आप सीधे लेट जाओ, अगले 3 मिनट तक हम तीनों आपको उकसाएंगे, छुएंगे पर आप न तो अपने आप को, न ही किसी और के किसीभी अंग को छुओगे, जैसा कहा गया, जमीन पर सीधा लेट गया मैं... स्टॉप क्लॉक चालू हुई। जैसे ही स्टॉप क्लॉक चालू हुई, रितिका मेरे मुंह के ऊपर ऐसे बैठ गई जैसे कमोड के ऊपर मूतने के लिए बैठते हैं, बोली भाभी आप अपनी चूत इनके लंड पे रगड़ो और वीनू तुम जो चाहो करो, तुम चाहोतो दो लड़कियों को एक आदमी को उकसाते हुए देखो। मैंने अपने हाथों को मुट्ठी बना लिया क्योंकि जब आप उत्तेजित होते हैं, वाकयी अपने हाथों को रोक पाना मुश्किल होता है। रितिका ने अपनी चूत मेरे होंठों और नाक के नोक पर रगड़नी शुरू कर दी। और इधर पंखुरी अपनी चूत से कभी अपने बूब्स से मेरे लंड को मसल रही थी। रितिका बोली क्यूँ भैया, अब आया न मजा? मेरी चूत में उंगली करो न भैया... मेरी गांड सहलाओ हा? अच्छा... अपनी बीवी के चूचे ही दबा लो... करो न कुछ... कैसे नामर्द की तरह पड़े हो? मैंने कहा वाह री रितिका, तुम तो खेल की माहिर खिलाड़ी बन गई हो। मैं हार जाऊँ, उसके लिए जो भी जतन कर रही हो, वाकयी काबिले तारीफ़ है। पर मैं भी कच्चा खिलाड़ी नहीं हूँ, अपनी बारी का इंतज़ार करूँगा, वैसे भी खीर ठंडी करके खाना मेरी फितरत है। रितिका सिसकारियाँ लेने लगी और विनीत से बोली हमारी शादी को इतना टाइम हो गया, तुम मुझे कभी इनके यहाँ नहीं लाये। इतना मज़ा तो हम दोनों होटल में भी नहीं करते जितना आज यहाँ कर रहे हैं। भैया और भाभी दोनों इतने कमाल के होंगे, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। जब मैं घर आई थी तो यही सोच रही थी कि हम लोग कहाँ सोएंगे जिससे कम से कम रात को 1-2 बार चुदाई तो हो जाये। पर इनके खेल में मैं दो बार गीली हो चुकी हूँ। हाय अल्लाह... यह मैं क्या बोले जा रही हूँ। विनीत प्लीज डोंट माइंड... मेरा मेरे ऊपर कोई कंट्रोल नहीं है। विनीत बोला तुम सिर्फ आनन्द लो रितिका और शुक्र मनाओ कि हमें ऐसे भैया और भाभी मिले हैं। इतने में स्टॉप क्लॉक की आवाज़ आई 'बीप बीप...' मैंने रितिका के चूतड़ों को दबोचा और पटक कर उसकी चूत में उँगली घुसा दी। रितिका बोली आप हार गए भैया... टाइम फिर से स्टार्ट होगा। विनीत बोला टाइम पूरा हो गया डियर, तब रोहित ने तुझे हाथ लगाया है। रितिका मुस्कुराई और बोली अच्छा बाबा, आप जीते पर उंगली तो निकाल लो मेरी चूत में से। फिर सब लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए।
रितिका ने उत्सुकता से पूछा भाभी, आप लोग ये गेम कितने लोगों के साथ खेल चुके हो? पंखुरी बोली रितिका, यह गेम सिर्फ तुम लोगों के साथ खेल रहे हैं। इससे पहले ये गेम सिर्फ हम दोनों अकेले में खेलते थे। पर अकेले में जैसे ही कपड़े उतर जाते, हम रति क्रिया में इतने डूब जाते कि अगली चाल का ख्याल सुबह ही आता था। आज तुम लोग हो इसलिए गेम इतना लम्बा चल रहा है। रितिका यह जवाब सुन कर खुश हुई। अब बारी मेरी थी, मैंने बोतल घुमाई और वो जाकर रुकी विनीत पर...विनीत बोला हुकुम करो मेरे आका? मैंने कहा तुझे मेरी बीवी पंखुरी की 4 मिनट तक चूत चाटनी है। विनीत बोला यह सजा है या मज़ा?
और कूद पड़ा पंखुरी के ऊपर...4 मिनट तक वो मेरी बीवी पंखुरी की चूत की अपनी जीभ से मसाज करता रहा। मेरी पंखुरी तड़पती और छटपटाती सिसकारियाँ मारती रही, उसके हाथ लगातार विनीत के बालों को सहला रहे थे।रितिका अपने पति को किसी और की चूत चाटते हुए देख रही थी और में अपनी बीवी को किसी और मर्द से मेरे सामने चूत चटवाते और आनन्द लेते हुए देख रहा था। मैं सोफे पर बैठकर सिगरेट के कश लगा कर यह सारा नज़ारा देख रहा था। रितिका आकर मेरी गोद में बैठ गई, बोली भैया आपकी बीवी मेरी पति से चूत चटवा रही है, आपको बुरा नहीं लग रहा? मैंने उसके बूब्स को चूमते हुए कहा यार रितिका, हम इंसानों की भी न कितना छोटी सोच है, आदमी के पास लंड है और औरत के पास चूत है। किसी और से सेक्स करने के बाद कोई लंड अशुद्ध या कोई चूत बेईमान थोड़े ही हो जाती है। यार हमें ये अंग मजे लेने के लिए दिए हैं तो इनसे मजे लो, इतना सोचना क्यूँ कि तू किसके साथ सोई या तू किसके साथ सोया। चार दिन की ज़िन्दगी है, उसमें भी सिर्फ एक दिन की जवानी हंस खेल कर मस्ती के साथ गुज़ार लो। ऐसा करने से किसी भी तरह के धोखे की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती। मुझे जिसे चोदना हो, मैं अपनी बीवी से बोल सकता हूँ और मेरी बीवी को किसी का लंड अच्छा लगे तो वो मुझसे बोल सकती है कि मुझे फलाने से चुदवाना है। रितिका शरारती मुस्कान के साथ बोली तो आपकी बीवी अब तक कितने लंड ले चुकी है आपके सामने? और आप कितनी चूत चोद चुके है अपनी बीवी के अलावा? मैंने कहा मेरी बीवी ने अभी तक मेरे अलावा किसी और का लंड नहीं लिया है। मैंने भी शादी के बाद अभी तक कोई चूत नहीं चोदी । रितिका बोली शादी से पहले कितनी चूतें मार ली होगी आपने? मैंने कहा कभी गिनती तो नहीं की पर यही कोई 10 के आस पास चूतें तो चोदी ही होंगी। रितिका बोली भैया, क्या आप ग्यारहवीं चूत मारना चाहोगे? मैंने कहा हाँ, बताओ किसकी मारनी है? रितिका बोली भैया, आप भी न... मेरी और किसकी? बस भैया पता नहीं विनीत इसके लिए तैयार होगा या नहीं? यह खेल तो खेल लिया पर शायद इसके आगे मुझे नहीं बढ़ने देंगे वो। मैंने कहा तुम चिंता मत करो, तुम्हारी इच्छा पूरी करने की कोशिश करूँगा मैं । इतने में स्टॉप क्लॉक बज गई पर वो दोनों कहाँ रुकने वाले थे। मैंने आवाज़ लगाई अरे विनीत, पंखुरी टाइम अप । विनीत उसकी टांगों के बीच से निकला, उसने देखा उसकी नंगी बीवी रितिका मेरी गोद में बैठी है और मेरे हाथ उसके स्तन को सहला रहे हैं, वो मेरे पास आया और हाथ बढ़ाया तो मैंने अपनी सिगरेट उसकी तरफ बढ़ा दी।
रितिका बोली तुम्हारातो पूरा मुंह सन गया है। विनीत बोला वो भाभी की चूत का पानी है। पंखुरी की तरफ देखकर बोला भाभी आप कम से कम 2 बार तो झड़ गई होगी। पंखुरी भी उतनी कामुकता के साथ बोली आपकी जीभ चूत के अंदर जाकर तो आग लगा देती है भैया । ऐसी ऐसी बातें सुनकर रितिका तो पागल सी हो रही थी। विनीत बोला एक छोटा सा ब्रेक लेते हैं, मैं अभी मुंह धोकर आता हूँ।
सभी लोग फ्रेश होकर आकर दोबारा बैठ गए। विनीत बोला यार, बहुत थक गए हैं और बहुत पी ली है। मैंने भी कहा चलो यारो, सोते हैं। मैंने फिर कहा देखा रितिका इस खेल का एक और फायदा... एक ही रूम में चारों एक ही बिस्तर पर सो सकते हैं। हमने बाहर के कमरे की लाइट बंद नहीं की और अंदर आकर लेट गए। इससे बाहर के कमरे से पर्याप्त रोशनी हमारे कमरे में आ रही थी जिससे हमें सब दिख रहा था और आँखों में चुभने वाली रोशनी भी नहीं थी।
मुझे देखते ही दोनों थोड़ा ठिठक गए और हाथ दूर कर लिए। मैं सामान टेबल पर रख के दोनों के करीब आया और विनीत का हाथ उठाया और रितिका के कंधे पर रख दिया और रितिका का हाथ उठाया और विनीत की कमर पर रख दिया और कहा- देखो, इसे दोस्त का घर समझो और दोनों आराम से रहो, अब इतने दिनों बाद मिले हो तो बहुत कुछ होगा एक दूसरे से बतियाने और पूछने को । रितिका को शायद बहुत अच्छा लगा। विनीत बोला हाँ यार, मैं तो जानता हूँ फिर भी ये घबराई तो मैं भी पीछे हट गया। अब हम लोग जॉइंट फैमिली में रहते हैं, इसलिए ऐसे ही हो गए हैं। मैं रितिका को आँख मार कर बोला ऐसा महसूस करो कि यहाँ कोई है ही नहीं... और हाँ, अगर पीने का मूड हो तो बता देना, मैं सर्व कर दूंगा। रितिका जैसा एकदम चौक गई और विनीत से बोली यार आप भी न... भाभी बेचारी अकेली लगी हुई है किचन में, पंखुरी वहीं से बोली अरे तुम थकी होगी, बैठो आराम से, मैं भी बस आती हूँ अभी। पर रितिका कहाँ सुनने वाली थी, वो तब तक तो उठ के किचन में चली ही गई।
रितिका के किचन में जाने के बाद हम दोनों अपने पैग और गाने लगाने में मस्त हो गए। विनीत ने मस्त रोमांटिक गानों का कलेक्शन लगा दिया और मैंने बढ़िया से पैग तैयार कर दिए, पैग उठाकर हम दोनोंभी किचनमें चले गए । मैं किचन में जाकर पंखुरी की तरफ पैग बढ़ाकर बोला चियर्स डार्लिंग, पंखुरी ने मेरे गिलास को किस किया और छोटा सा सिप लेकर बोली चियर्स जान, फिर मैंने गिलास विनीत की तरफ बढ़ाया और गिलास से टकरा के बोला चियर्स, और अपने पैग को सिप करने लगा।
हमारी इस हरकत को देखकर रितिका को भी लगा कि शराब पीने का यह रोमांटिक अंदाज़ अच्छा है, विनीत जो पैग पीने के लिए लगभग मुंह से लगा ही चुका था, उसके घूंट मारने से पहले रितिका ने विनीत के हाथ को रोका और अपने होंठों के पास लेकर पंखुरी की तरह किस करके एक छोटा सा सिप किया और बोली चियर्स वीनू, विनीत भी अपना पैग थोड़ा ऊँचा उठा कर बोला थैंक्स एंड चियर्स डार्लिंग! मेरी कोशिश कामयाब होती सी दिख रही थी, मुझे यही देखना था कि रितिका ऐसी परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देती है। मैंने विनीत को थोड़ा छेड़ते हुए कहा हाँ भाई वीनू? और हंसने लगा। विनीत बस सर नीचे करके मुस्कुराता रहा। हम लोग ऐसे ही किचन और ड्राइंग रूम में इधर उधर करते करते गानों का मज़ा लेते हुए दो पैग डाउन हो चुके थे। थोड़ा नशा होने लगा था और थोड़ा मुझे दिखाना था जिससे मेरी हरकत अगर किसी कारण से बुरी लग भी जाए तो नाम शराब का बदनाम हो।
मैंने पीछे से जाकर पंखुरी को पकड़ा और उसके गले पे धीरे से काट कर किस कर लिया। विनीत कमरे में था पर रितिका वही खड़ी थी, पंखुरी जान करके मुझे हटा कर बोली अरे आप भी कहीं भी शुरू हो जाते हो, देखो रितिका यही खड़ी है। मैंने रितिका की तरफ देखा और बोला तो खड़ी रहने दो उसे, हमने बता ही दिया था कि यहाँ एक ही नियम है कि कोई नियम नहीं है। रितिका बोली भाभी, भैया आपको बहुत प्यार करते हैं। पंखुरी बिना कुछ बोले सर झुक कर मुस्कुरा दी। मैं पंखुरी के चूतड़ों पर एक चटाक लगा कर किचन से बाहर आ गया। विनीत बोला यार रोहित, तू तो रोज़ नहा कर पैग पीता है, तो आज बिना नहाए कैसे पीने लगा? मैंने थोड़ा झूमते हुए कहा यार, वो रितिका है न... इसलिये... और अपन को शाम को नहाने के बाद कपड़े पहनना पसंद नहीं है। तो तेरी बीवी को असहज लगता, इसलिए ऐसे ही पी ली आज!विनीत बोला यह तो गलत बात है, मतलब हम लोगों की मौजूदगी की वजह से तुम लोग असहज हो रहे हो। और जोर से आवाज़ लगा कर बोला रितिका, चलो हम लोग किसी होटल में रात गुज़ार के आते हैं। पंखुरी रितिका से धीरे से बोली यार लगता है, दोनोंको चढ़ गई है। इन लोगों की बातों को ज्यादा दिल से मत लगाना। रितिका बोली भाभी, वो भैया को बोलिए न कि वो नहा लें, तो लड़ाई खत्म ही हो जाएगी। पंखुरी बोली तुम जाकर बोल दो, तुम्हारी बात नहीं टालेंगे। हम दोनों में से तो वो किसी की नहीं सुनने वाले । रितिका किचन के दरवाज़े से खड़े होकर बोली भइया, आप नहा के आ जाइये। मैं रितिका की तरफ देख कर बोला ओके । विनीत बोला जा अगला पैग तेरे आने के बाद ही बनाएंगे । मैं थोड़ा गुस्से में बोला तू नहीं बनाएगा पैग, पैग या तो मैं बनाऊंगा या या... या रितिका बनाएगी। रितिका की तो शक्ल देखने लायक थी।
खैर मैं नहाने गया और आ गया तौलिया लपेट कर, मैं आकर सोफे पर बैठ गया और बोला विनीत तू भी नहा आ, नहाने के बाद पीने का मज़ा ज्यादा आता है। जो चढ़ी थी, वो थोड़ी सी उतर गई है, और सुरूर बहुत अच्छा है। विनीत रितिका से बोला मेरा तौलिया दे देना ज़रा, और वो बाथरूम की तरफ चला गया । जब तक रितिका ने तौलिया निकाला, तब तक वो बाथरूम में जा चुका था। पंखुरी ने रितिका को कोहनी मार कर कहा जाओ तौलिया दे आओ भैया को। रितिका इशारे के साथ भावना को समझ गई थी, बोली अच्छा मैं अभी आई। विनीत बाथरूम से गीला और नग्न अवस्था में बाहर आ गया, रितिका बोली ये लो तौलिया और अंदर जाओ, कोई आ जाएगा। विनीत बोला यहाँ कोई बच्चा थोड़े ही है जो कोई आ जायेगा, तुम्हें तौलिया लेकर आने को बोला ही इसलिए था कि तुम्हें थोड़ा सा... बोलते बोलते गीले बदन ही रितिका को बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। रितिका के हाथ से तौलिया छूट गया और विनीत के खड़े लंड पर जाकर टंग गया। रितिका के कपड़े भी थोड़े से गीले हो गए पर बेचारी कुछ एक महीने से प्यासी थी इसलिए उसे उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो इस आज़ादी और अपने चुम्बन का रस ले रही थी। विनीत ने रितिका को कपड़ों के ऊपर से ही चूचियाँ और चूतड़ दबा दबा कर और होंठों और गले पर चूम चूम कर बहुत गर्म कर दिया था। रितिका विनीत के कान में बोली कमरा बंद कर लें? विनीत बोला हाँ, कर तो सकते हैं, पर यह उनका बैडरूम है और बाथरूम भी सिर्फ इसी कमरे के साथ लगा हुआ है। बीच में किसी को कोई ज़रूरत आई तो बड़ा बुरा लगेगा।
रितिका ने विनीत को धक्का देकर अपने आप से अलग किया और बोली हाँ, तुम सही बोल रहे हो, आज बीच में कोई नहीं आना चाहिए। महीने भर से प्यासी हूँ, आज तो तुम्हें खा जाऊँगी मैं, विनीत तौलिया लपेट कर बाहर आ गया। रितिका अपने कपड़ों को व्यवस्थित करके बाहर आये, उससे पहले विनीत बाहर आकर सीधा पंखुरी जो की नीचे कालीन पर बैठी हुई थी, के करीब पहुँचा और अपने लंड को बाहर निकाल के पंखुरी के गाल पे मार दिया। पंखुरीने विनीत की तरफ देखकर मुस्कुरा कर लंड को हाथ में लेकर सहला दिया। जल्दी से विनीत मेरे बगल में आकर बैठ गया कि कहीं रितिका देख न ले। मैंने पंखुरी को अंदर आने का इशारा किया, पंखुरी उठी में भी उठ कर जाने लगी बैडरूम की तरफ तो रितिका कमरे से बाहर आ रही थी। रितिका के कपड़े थोड़े से गीले विशेष तौर पर बोबे और कंधे दिख रहे थे। मैंने पंखुरी का हाथ पकड़ा हुआ था जिसे देखकर रितिका थोड़ा सर झुक कर मुस्कुरा कर जल्दी से दौड़ती हुई ड्राइंग रूम की तरफ चली गई। मैंने पंखुरी को कमरे में अंदर बुला कर बोला यार, तुम अपने ब्रा पैंटी उतार के बाहर आओ। पंखुरी बोली वो तो आप इशारे से बताते तो भी मैं उतार के आ जाती पर अब केवल भैया नहीं है, उसकी बीवी भी है। मैं बोला इसलिए तो बोल रहा हूँ। तुम नंगी ही अच्छी लगती हो जानेमन । पंखुरी को बिस्तर पे बैठाया और उसके दूसरे गाल पे अपने लंड से थप्पड़ जैसे मारने लगा। उसने मेरे लंड को हाथ से पुचकारा और लंड की तरफ देखकर बोली आज तुझे नई चूत मिल सकती है, अच्छे से चुदाई मचाना मेरे शेर! और फिर मेरे लंड को चूमने और पुचकारने लगी। फिर मेरी तरफ देखकर बोली आप बाहर जाकर बैठो, मैं अभी आती हूँ नंगी होकर। पंखुरी मेरी नस नस जानती है, उसे पता है कब कौन से शब्द का उपयोग मुझे उत्तेजित कर सकता है।
मैं बाहर आकर सोफे पर विनीत के करीब बैठ गया, हम दोनों ही तौलिये में थे। रितिका कालीन पर दोनों पांव पीछे मोड़ कर बैठी थी, उसने जीन्स और टॉप पहना हुआ था। रितिका के बड़े बड़े बूब्स उसके पिछवाड़े से थोड़े बड़े थे, उसकी कमर ज्यादा से ज्यादा 30 रही होगी। उसका गोरा रंग बता रहा था कि उसका बदन संगमरमर सा चमकदार होगा। पंखुरी काले रंग की बड़े गले की मैक्सी पहन कर बाहर आ गई, ये मैक्सी बहुत मोटी थी, इसमें से कुछ भी अंदर तक नहीं दिखता था। मैं आदेश देते हुए बोला पंखुरी पैग बनाओ। पंखुरी आगे बढ़ी और झुक कर हमारे पैग बनाने लगी। पंखुरी के झुकने से उसके बोबे थोड़े ज्यादा दिखने लगे, मैंने कहा पंखुरी एक काम करो, तुम वो एयरहोस्टेस वाली ड्रेस पहन कर आओ और मुझे आकर्षित करने की कोशिश करो। यह बात सुन कर तो रितिका के कान खड़े हो गए। पंखुरी धीमे क़दमों से बैडरूम की तरफ जा रही थी, रितिका भी पंखुरी के पीछे चली गई। रितिका ने जाकर पंखुरी से बोला भाभी, लगता है भैया को ज्यादा चढ़ गई है, आप उन्हें अंदर बुला लो, मैं वीनू को बाहर ही रखूंगी। पंखुरी बोली थैंक्स यार, रितिका पर वो इस समय कुछ नहीं सुनने वाले। रितिका बोली तो आप वीनू के सामने भैया को कैसे आकर्षित करोगी? आपको अजीब नहीं लगेगा? पंखुरी बोली वो वैसे भी ये सब मेरे या अपने लिए नहीं, तुम्हारे लिए कर रहे हैं जिससे तुम अपने पति के साथ आराम से चिपक कर या जैसे चाहो वैसे बैठ सको। रितिका बोली भैया कितने अच्छे हैं न, मेरा कितना ध्यान रखने की कोशिश कर रहे हैं। भाभी मुझे भी कुछ ऐसे कपड़े दो न कि वीनू आपको न देखकर मुझे देखे। पंखुरी हंस के बोली अच्छा तो ये बात है? मेरे पास 2 जोड़ी कपड़े हैं क्योंकि तुम्हारे भैया को भूमिका निभाने (Ro।e P।aying) वाले खेल पसंद हैं। एक तो एयर होस्टेस वाले कपड़े हैं और दूसरी नर्स की ड्रेस है। तुम चाहो तो नर्स बन जाओ।
रितिका के लिए तो जैसे ये सब कुछ सपने जैसा था, वो बोली हाँ भाभी, मैंने कुछ गन्दी मूवी में देखा है ऐसा भूमिका वाले खेल को खेलते हुए, आप लोग तो सच में बहुत दिलचस्प जोड़े हो। मुझे दिखाइए न वो नर्स वाले कपड़े में भी आज वीनू को सातवें आसमान की सैर कराती हूँ। पंखुरी बोली ये हुई न बात, अब तुम खुल के बात कर रही हो। पंखुरी ने रितिका को नर्स वाली वेशभूषा दिखाई तो रितिका बोली भाभी, यह तो बहुत छोटी है। पंखुरी बोली हाँ, तभी तो आदमी को आकर्षित कर पाएंगे हम। रितिका अपनी टॉप और जीन्स उतारने लगी तो पंखुरी बोली तुम कहो तो मैं बाहर जाऊँ? रितिका बोली भाभी, दोस्त भी बोल रही हो और ऐसी बात भी कर रही हो? पंखुरी बोली नहीं, मुझे लगा कि तुम बोलने में संकोच करोगी इसलिए मैंने पूछ लिया, रितिका तुम बहुत खूबसूरत इंसान हो। तुमने मुझे दोस्त सिर्फ समझा ही नहीं, मान भी लिया है, तुम्हारे व्यवहार से में बहुत खुश हो गई। रितिका बोली आप भी ड्रेस पहन लो । थोड़ा हंसते हुए बोली या मैं बाहर जाऊँ? पंखुरी भी हंसने लगी और अपनी मैक्सी उतार दी। रितिका पंखुरी को देखकर हैरान हो गई, बोली भाभी, आपने अंदर कुछ पहना ही नहीं था। पंखुरी बोली हाँ तुम्हारे भैया को मैं ऐसे ही पसंद हूँ। इसलिए ऐसे ही जाती हूँ उनके सामने... ख़ास तौर पर जब वो ड्रिंक कर रहे हों। रितिका बोली भाभी, आपका बदन तो बहुत खूबसूरत है। पंखुरी बातें सुनते सुनते ड्रेस पहनने लगी। रितिका बोली भाभी आप इसके अंदर भी कुछ नहीं पहनने वाली क्या? पंखुरी बोली यार जब उकसाना है तो पहनने का क्या फायदा? फिर दोनों हंसने लगी। पंखुरी की ड्रेस किंगफ़िशर एयरलाइन्ज़ जैसे लाल और सफ़ेद रंग की थी। उसमे एक छोटा सा टॉप था और एक बहुत छोटी सी माइक्रो स्कर्ट... और पूरी टांगों के लिए सफ़ेद मौजे जो जांघ के थोड़े ऊपर तक आते हैं और लाल रंग की जूतियाँ।
रितिका ने भी अपनी ब्रा और पैंटी उतार फेंकी और नर्स वाले कपड़े पहन लिए। रितिका बोली भाभी, इससे तो मेरा पिछवाड़ा ढंग से ढक भी नहीं पा रहा? रितिका ने घूम कर दिखाया। पंखुरी बोली हाँ, सही कह रही हो... पर यहाँ है ही कौन तुम्हें देखने वाला? पंखुरी बोली मेरी स्कर्ट का भी यही हाल है, देखो! रितिका बोली भाभी, इसमें तो ऐसा लग रहा है जैसे उनके सामने हम लोग बिना कपड़ों के ही हैं। पंखुरी बोली यही तो रिझाने की कला है, थोड़ा दिखाओ थोड़ा छुपाओ, थोड़ा दिखा के छुपाओ थोड़ा छुपा के दिखाओ। रितिका को इस बात पर बहुत तेज़ हंसी आ गई, बोली आपकी यह बात ज़िन्दगी में कभी नहीं भूल पाऊँगी। पंखुरी ने पहले रितिका को कमरे में जाने के लिए कहा, बोली मुझे तो मेरे पति इन कपड़ों में पचासों बार देख चुके हैं। तुम्हारे पति ने तुम्हें ऐसे कभी नहीं देखा होगा इसलिए पहले तुम जाकर अपना जलवा बिखेरो, मैं तुम्हार पीछे पीछे आती हूँ। रितिका थोड़ी शर्माती हुई थोड़ी घबराई हुई बैडरूम से बाहर निकली।
इधर में और विनीत धीरे धीरे अपने लौड़ों को मसाज दे रहे थे। हाँ आप सही समझे एक दूसरे के लौड़ों को... खुद हिलाने में वो मज़ा कहाँ? नज़रों से पूरी तरह सतर्क और आँखें और कान बैडरूम के दरवाज़े पर जिससे दोनों में से कोई भी औरत आती दिखे तो लंड को तौलिये में छुपा सके। जैसे ही आहट आई कि कोई इस तरफ आ रहा है, हमने अपने लंड तौलिया के अंदर कर लिए पर तम्बू बनने से रोक पाना मुश्किल था इसलिए सोफे पर पड़े छोटे तकिए अपनी गोदी में रख लिए। रितिका को नर्स की वेश भूषा में देखकर लंड तो हुंकार मारने लगा। वो बिल्कुल रंडियों की तरह किचन के दरवाज़े से टिक कर खड़ी हो गई थी। पीछे से पंखुरी भी आ गई और सीधे कालीन पर आकर बैठ गई और बोली आपकी किस तरह सहायता कर सकती हूँ सर? मैंने कहा आज तो फ्लाइट में नर्स भी आई हुई है। विनीत रितिका को देखते ही बोला वाह यार रितिका, तुम तो बहुत खूबसूरत लग रही हो। और उसे अपने बगल में सोफे के हैंड रेस्ट पर बैठा लिया।
अब मैं पंखुरी को चूमने लगा, उसके होंठों से होंठ मिला कर उसके मुंह के अंदर अपनी जीभ डाल के उसके जीभ से जीभ के पेंच लड़ाने लगा, वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी। मैंने तिरछी नज़र से देखा तो विनीत भी रितिका को चूम रहा था। हम दोनों अपनी अपनी बीवी को मसल रहे थे। मैं नीचे से हाथ डाल के पंखुरी के नंगे चूतड़ सहलाने लगा और धीरे धीरे उसकी गांड के और नीचे आकर उसकी चूत को भी पीछे से ही पुचकारने लगा। दोनों औरतें गर्म हो चुकी थी। मैंने पंखुरी को अपने से दूर हटाया और बोला मुझे अंगूर खिलाओ, पंखुरी ने अंगूर का गुच्छा उठाया और गुच्छे से ही खिलाने लगी और एक अंगूर तोड़ कर अपने दोनों उरोजों के बीच रख लिया। रितिका और विनीत हमें बड़े ध्यान से देख रहे थे। विनीत का हाथ रितिका के कूल्हों पर ही था। मैंने पंखुरी की वक्षरेखा में जीभ घुसा कर अंगूर उठा लिया। पंखुरी को तो ज्यादा शर्म थी नहीं क्योंकि वो तो विनीत के सामने कई बार नंगी हो चुकी थी। पर रितिका ने भी कोशिश की वो अपने स्तनों में अंगूर फंसा कर विनीत को खिलाए।
अबकी बार हमारी नज़र उन दोनों पर थी। विनीत जब उसके बूब्स में झाँक रहा था तो मैं उसके चूचों को निहार रहा था। रितिका बेचारी देखा देखी सब कर तो रही थी पर उसे बहुत शर्म भी आ रही थी। पर शायद कहीं न कहीं वो इस आज़ादी से बहुत खुश थी और इसका आनन्द भी ले रही थी। पंखुरी मेरे बगल से उठकर हम दोनों के पैग बनाने के लिए जमीन पर बैठ गई। मैंने कहा क्यूँ रितिका, मज़ा आ रहा है न दोस्त के यहाँ पर पूरी आज़ादी के साथ जीने का? रितिका थोड़ी बेसुध से सुध में आते हुए बोली हाँ भैया, हम लोग ऐसा मज़ा सिर्फ अकेले में जब होटल में होते हैं तो ही कर पाते हैं। मैंने कहा रितिका तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हारा बदन का हर अंग एकदम तराशे हुए हीरे की तरह नुकीला और सुन्दर है। रितिका तो जैसे जमीन में गड़ी जा रही थी, वो थोड़ी शरमाई और अपने छोटे छोटे कपड़ों से अपने आपको ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी।
विनीत बोला हाँ यार रोहित, यह बात तो तू सही बोल रहा है... मेरी बीवी है तो बहुत खूबसूरत पर भाभी का भी जवाब नहीं। मैंने कहा अब जब हम लोग इतने अच्छे दोस्त बन गए हैं तो आओ एक खेल खेलें? पंखुरी और विनीत तो जानते ही थे कि यह मेरी कोई चाल होगी रितिका को फ़ंसाने की... इसलिए उसके कुछ भी बोलने से पहले ही बोले हाँ हाँ बताओ क्या गेम है? मैंने कहा कोई बहुत अलग नहीं, truth and dare जैसा ही है, बस जोखिम जो है वो थोड़े शरारती हो सकते हैं। मैंने कहा तो चलो सोफे थोड़ा पीछे करो, सभी लोग कालीन पर बैठ जाओ । बीच में मैंने पर्चियों का टोकरा रख दिया एक खाली बोतल को घुमाना है, जिस पर रुकेगा, उसके लिए जोखिम (dare) बोतल घुमाने वाला बताएगा। बस तो रितिका बोली और अगर कोई truth लेगा तो? मैंने कहा यहाँ सिर्फ जोखिम ही ले सकते हैं, सच कोई नहीं ले सकता।
अब मैंने बोतल घुमाई और वो जाकर पंखुरी पर रुकी, मैंने कहा पंखुरी तुम्हारे लिए जोखिम यह है कि तुम अपने बदन से कोई भी एक कपड़ा पूरे गेम के लिए अलग कर दो। पंखुरी ने थोड़ी ऐसी शक्ल बनाई जैसे उसे यह अच्छा न लगा हो। फिर थोड़ा दिमाग लगा कर चतुराई का परिचय दिया और अपने गले में बढ़ा स्कार्फ़ उतार फेंका। सभी ने ताली बजाई। अबकी बार बोतल घुमाने की बारी पंखुरी की थी। पंखुरी ने बोतल घुमाई अबकी बार विनीत पर जाकर बोतल रुकी। पंखुरी बोली भैया, आप तौलिया में तो हो ही... सांवरिया वाले गाने पे डांस करके दिखाओ। मैंने तुरंत सांवरिया वाला गाना लगा दिया, विनीत खड़ा होकर गाने पर डांस करने लगा। विनीत ने रणबीर को अच्छा कॉपी करके डांस किया और दोनों लड़कियों को आकर्षित करने में कामयाब रहा। अबकी बार बोतल विनीत ने घुमाई और वो जाकर फिर से रुकी पंखुरी पर, पंखुरी बोली ओह नो... विनीत बोला यार मुझे तो कोई आईडिया नहीं आ रहा कि क्या शरारती करवाऊँ? यार रोहित तू ही कुछ बोल, मैंने कहा नहीं, तेरी चाल है, तू चाहे तो पास कर सकता है। विनीत बोला ऐसे कैसे पास? भाभी ने कहा मुझे छोड़ा था? भाभी आप अपने ड्रेस के टॉप के एक बटन को खोल दो पूरे गेम के लिए। पंखुरी ने फाटक से एक बटन खोल दिया।
अबकी बार बोतल पंखुरी ने घुमाई और वो जाकर रुकी मेरे ऊपर... पंखुरी बोली अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे। आप अगले 3 मिनट तक के लिए खड़े हो जाओ और आप हिल नहीं सकते अगर आप हिले तो टाइम फिर से शुरू होगा। मैं खड़ा हो गया। पंखुरी, विनीत और रितिका की तरफ देखकर बोली- तुम लोग क्या कर रहे हो? हेल्प मी, इन्हें अपन हाथ लगा सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं 3 मिनट तक और ये हिल नहीं सकते। पंखुरी अपनी जगह से उठी और मेरे करीब आकर मेरी छाती पर निप्पल पर अपने हाथ और उंगलियों से सनसनी करने लगी। उधर विनीत ने मेरा तौलिया ऐसे पकड़ रखा था कि कभी भी खोल देगा। मैंने कहा विनीत बेटा, बोतल सिर्फ मेरे ऊपर ही नहीं रुकी है। वो तेरे पे भी रुकेगी, इज़्ज़त बचा ले भाई की। विनीत मुझे झटके देता रहा जिससे मैं हिल जाऊँ तौलिया पकड़ने को। पंखुरी के टच के कारण मेरा लौड़ा आधा तो खड़ा हो ही गया था। रितिका भी मेरे करीब आई और पंखुरी से बोली भाभी, मैं क्या करूँ? पंखुरी ने कहा जो तुम करना चाहो, ये तो एक मूर्ति हैं 3 मिनट तक... इस मूर्ति से जैसे चाहो खेलो, बस मूर्ति अपने आप हिल जानी चाहिए। रितिका विनीत को देखकर बोली सुनो मेरे पास एक आईडिया है पर तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा? विनीत बोला यार दोस्त यारों के साथ खेल खेलते हैं तो बुरा क्या लगना है, करो जो तुम्हें करना है। रितिका ने आकर मेरे कमर में हाथ डाला और बोली इनको गुदगुदी करते हैं। पंखुरी बोली इनको गुदगुदी नहीं होती यार... चल तू कोशिश कर । पंखुरी बोली तुम्हें ऐसे तो नहीं छोडूंगी। इतने में विनीत बोला भाभी, आपको ऐसे आईडिया आते कहाँ से हैं। पंखुरी जमीन में बैठकर मेरी जांघों और पैरों पर चुम्बन करने लगी, अपने हाथ फेरने लगी जो कि मेरे चूतड़ों तक जा रहे थे।
उसके कारण मेरा लंड और अकड़ गया। मैंने यहाँ तक सब सम्भाल लिया पर रितिका भी कमर में हाथ डाले हुए थी और वो पंखुरीकी हरकत को बड़े ध्यान से देख रही थी। तो उसके मुंह से एकदम निकल गया भैया आपका तो बहुत बड़ा है?
मेरी नज़र एकदम से नीचे चली गई। इतने में पंखुरी उछलती हुई बोली ये... ये... आउट आउट, अब टाइम फिर से शुरू होगा। मैंने रितिका से कहा क्या यार, हरवा दिया तुमने? रितिका भी हंसने लगी और वो थोड़ी और आज़ाद महसूस करने लगी क्योंकि किसी ने उसकी तरफ ऐसे देखा ही नहीं जैसे उसने कुछ गलत बोल दिया हो। खैर में अगले 3 मिनट तक एक जैसा खड़ा रहा जबकि पंखुरी से 2-4 बार मेरे लंड को तौलिया के अंदर हाथ डाल के भी पुचकार दिया। हम लोग वापिस खेलने के लिए बैठ गए। अब अभी अभी मेरे शरीर से दो लड़कियाँ खेल रही थी इसलिए लंड तो खड़ा था ही... तो मैंने कहा देखो भई, तुम लोगोंने उकसाया है अब, अभी उसे बैठने में टाइम लगेगा, तब तक दोनों लड़कियों तुम मेरे तम्बू को देखकर अपने आप को गर्म कर सकती हो। और हंसने लगा।
अबकी बार बोतल मुझे घुमानी थी, मैंने बोतल घुमाई और जैसा सोचा था रितिका पर जाकर रुकी।
रितिका बोली नो नो... मैं नहीं खेल रही, विनीत बोला वाह, जब तक हम लोगों पर आ रहा था तो मजे ले रही थी अब नहीं खेलना? पंखुरी बोली ये तो गलत बात है रितिका... ऐसे थोड़े ही होता है? मैंने कहा देख लो ज्यादा मुश्किल काम नहीं देंगे तुम्हें। रितिका बोली यार थोड़ा तो नाटक करना चाहिए न, बस वही कर रही थी, मैं तैयार हूँ, बताओ क्या करना है? मैंने कहा तुम्हें हम तीनों में से किसी को भी अगले 5 मिनट तक किस करना है। 5 मिनट तक होंठोंसे होंठ अलग हुए तो टाइम फिर से शुरू होगा। तुम जिसे भी किस करोगी उसके अलावा बाकी के दोनों लोग तुम्हारा चुम्बन तोड़ने की कोशिश करेंगे। बताओ तुम किसे चूमना चाहती हो? रितिका थोड़ी संकोच के साथ बोली किसी को भी? सबने एक सुर में कहा हाँ भई, किसी को भी! रितिका थोड़ा सोच कर बोली मैं वीनू को किस करुँगी। विनीत बोला मुझे तो हमेशा ही चूमती है और चूम सकती है, चाहे तो अभी भी अपना फैसला बदल सकती है। विनीत की नशे में चूर मदहोश आवाज़ ने रितिका को दोबारा सोचने पर मजबूर किया, रितिका विनीत.की तरफ देखकर बोली फिर तो मेरे पास भैया को चूमने के अलावा कोई और चारा ही नहीं है। मैंने कहा मजबूरी में नहीं, तुम चाहो तो पंखुरी को भी किस कर सकती हो। रितिका ने पंखुरी की तरफ देखा और बोली भाभी, आपके होंठ बहुत गुलाबी हैं, मैं आपको किस करू तो आपको...पंखुरी बात पूरी होने से पहले ही बोली यार, इतना मत सोच, तुम जिसको भी बोलोगी उसे तुम्हें किस करना ही पड़ेगा। वैसे मैं ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की को किस करने वाली हूँ। पता नहीं कैसा लगेगा।
रितिका बोली तो भाभी, आज चखते हैं कि लड़की को किस करना कैसा लगता है, मेरा भी यह पहला अनुभव होगा जब मैं किसी लड़की को चूमूँगी। रितिका अपने घुटनों पर बैठ गई और पंखुरी भी घुटनों पर आ गई जिससे दोनों की लम्बाई बराबर आ जाये। मैंने स्टॉप क्लॉक चालू करके कहा आपका समय अब शुरू होता है... अब, एक एयर होस्टेस की ड्रेस में एक नर्स की ड्रेस में छोटे छोटे कपड़ो में एक दूसरे को चूमने के लिए जैसे ही अपने होंठों को होंठों से मिलाया, मैंने विनीत को इशारा किया तू पंखुरी के पीछे से जा, मैं रितिका के पीछे से जाता हूँ। रितिका को बहुत देर से देख रहा था कि वो अपने छोटे कपड़ों में अपने बदन को ढकने की कोशिश कर रही थी पर अब वो कुछ ख़ास कर नहीं सकती थी। उसकी माइक्रो स्कर्ट से उसके कूल्हे न के बराबर ही ढक पा रहे थे। मैं रितिका के पीछे जाकर उसकी टांगों की तरफ मुंह करके लेट गया और थोड़ा खिसक कर उसकी टांगों के बीच अपना मुंह पहुँचा लिया। उसने अंदर कुछ पहना तो था ही नहीं, उसकी नंगी चूत अब बिल्कुल मेरी आँखों के सामने थी। इधर विनीत पंखुरी के पीछे गया और पंखुरी को बहुत देर से अधनंगी देख देख कर विनीत कामोत्तेजित हो चुका था। क्योंकि रितिका के होंठ से होंठ मिले हुए थे तो वो पंखुरी के पीछे क्या हो रहा है, नहीं देख सकती थी, रितिका को सिर्फ विनीत की शक्ल ही दिख रही थी। विनीत ने चतुराई से रितिका से बिना नजर चुराए अपना लंड तौलिया से थोड़ा बाहर निकाल के पंखुरी की आधी नंगी गांड पे रगड़ना शुरू कर दिया और अपने हाथों से पंखुरी के कूल्हे दबा रहा था। इधर मैं इनके चुम्बन को तोड़ने के लिए रितिका के नीचे लेटे लेटे बोला यार रितिका, तुम्हारी चूत पर तो एक भी बाल नहीं है। आज ही बनाए हैं क्या? वो किस करते करते उंह उंह करके कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी और अपनी चूत पर अपना एक हाथ रख लिया। मैंने कहा यार रितिका, तुम्हारे चूतड़ भी बहुत बढ़िया और गोल हैं एकदम मस्त चिकने। इस बार तो रितिका के सब्र का बाँध टूट ही गया, वह चुम्बन करना छोड़ बोली भैया, मैं आपकी बहू जैसी हूँ, आपको इस तरह करना शोभा देता है क्या? भाभी, आप भी कुछ नहीं कह रही? मैंने कहा कौन बहू? मैं तो यहाँ अपने दोस्तों के साथ खेल रहा हूँ।
पंखुरी बोली मैं क्या बोलूँ, विनीत भी तो मेरे पीछे से मेरे कूल्हे सहला रहा है। एक दो बार तो उसकी ऊँगली मेरे छेद को भी छू आई है। पर तुम्हारा ये जोखिम पूरा हो जाये उसके लिए मैंने अपना मुंह नहीं हटाया। यार दोस्तों-यारों में सब चलता है, और फिर हमारे पति कोई बेईमानी तो कर नहीं रहे, जो कुछ कर रहे हैं, हमारे सामने ही कर रहे हैं। अब जब तुम xxx मूवीज देखती हो तो तुम्हारा भी तो मन करता है न कि सम्भोग करें। ऐसे ही मेरे पति तुम्हें और तुम्हारे पति मुझे देख कर उत्तेजित हो रहे है। उन्हें होने दो उत्तेजित ... जब ज्यादा उत्तेजित होंगे तभी तो हमें अच्छे से प्यार करेंगे न। रितिका को कुछ कुछ समझ आ रहा था, बोली सॉरी एवरी वन! भैया टाइम दुबारा शुरू कर दो। मैंने स्टॉप क्लॉक फिर से शुरू कर दी।
अबकी बार मैं फिर से रितिका की टांगों की बीच पहुँचा और धीरे धीरे रितिका की चूत के पास अपनी उंगली घुमाने लगा, फिर उनकी गांड में उंगली फेरने लगा, थोड़ी सी गर्दन को उठा कर उसकी चूत पर चुम्मी कर दी। अब रितिका की साँसें तेज़ होने लगी, पर उसने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की। इधर विनीत को भी थोड़ी और आज़ादी मिल गई थी, उसने पंखुरी के कंधे पर अपना मुंह रखा हुआ था, उसके हाथ पंखुरी के वक्ष स्थल के आसपास घूम रहे थे और रितिका की नज़र इन सभी चीज़ों पर ही थी। जिस चीज़ पर रितिका की नज़र नहीं थी वो यह कि पंखुरी अपने हाथ से विनीत के लंड को पुचकार रही थी और अपनी गांड पे रगड़वा रही थी। विनीत बोला तूने मेरी बीवी की चूत देख ली, मैं भी तो अपनी भाभी की चूत देख कर आऊँ? वो भी मेरी तरह पंखुरी के नीचे लेट गया और पंखुरी तो विनीत से पहले ही चुदवा चुकी थी इसलिए वो सीधा पंखुरी की चूत को चाटने और चूमने लगा। पंखुरी बहुत गर्म होरही थी इसलिए उसने रितिका के हाथ अपने चूचोंपर रख दिए, रितिका को भी मज़ा आया वो भी पंखुरी के बूब्स रगड़ के दबाने लगी। मैंने भी इसी बीच एक दो बार अपनी ऊँगली और जीभ रितिका की चूत के अंदर तक डाल के निकाल ली। स्टॉप क्लॉक पर टाइम खत्म होने की आवाज़ आई 'बीप बीप...' पर उस आवाज़ के आने के 10 सेकंड तक कोई अपनी जगह से नहीं हिला, फिर सब अपनी अपनी जगह बैठ गए। अभी कमरे में सन्नाटा था। मैंने मसखरी करते हुए रितिका से कहा क्यूँ मज़ा आया न? रितिका नज़र नीचे करके बोतल उठाने लगी। मैं विनीत से बोला और पंखुरी की चूत के बारे में आपकी क्या राय है? विनीत बोला पंखुरी भाभी की चूत एकदम चिकनी है और बड़ी प्यारी है।
पंखुरी और रितिका दोनों अब तक चुप थी। पंखुरी बोली रितिका, तू चिंता मत कर... अबकी बार इन दोनों में से किसी की बारी आने दे, ऐसा काम कराएँगे कि इनकी सारी हंसी निकल जाएगी। रितिका ने बोतल घुमाई बोतल जाकर रुकी विनीत पर.. रितिका बोली मार दिया जाये या छोड़ दिया जाये? विनीत बोला हमें तो मरने में ज्यादा ख़ुशी मिलेगी। सब इस बातपे हंस पड़े। रितिका बोली तुमने मुझे एक लड़की को किस कराया था न? अब तुम्हारा टास्क है कि तुम हम सबके सामने भैया का लंड चुसोगे। इस पर मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा यार, हमने कब तुम्हें मजबूर किया? हमने तो कहा था कि तुम हम तीनों में से किसी को भी किस कर सकती हो, तुम खुद ही दो मर्दों को छोड़ कर लड़की को किस करने गई। इतनी बड़ी सजा मत दो हम दोनों को। रितिका के चेहरे पर जीत की मुस्कराहट साफ़ दिखाई पड़ रहीथी। विनीत बोला यार रोहित, इतना लंड चुसवाया है, हमेशा सोचता हूँ कि चूसने में कैसा लगता होगा। चल आज तेरा लंड चूस के देख ही लेता हूँ। मैंने कहा ठीक है, मैं सोफे पर बैठ जाता हूँ, तू घुटनों पर बैठ जाना। मैंने अपना तौलिया हटाया। रितिका की नजर मेरे ही लंड पर थी क्योंकि अपने पति का तो वो देखती ही रहती थी, और पंखुरी को कपड़े बदलते समय देख चुकी थी, बस मैं ही था जिसका जननांग अभी तक उसने नहीं देखा था। मैं रितिका से बोला क्यूँ रितिका, कैसा लगा मेरा लंड? रितिका कुछ नहीं बोली, सिर्फ मुस्कुरा दी। विनीत मेरे लंड पर आया, मेरे को आँख मार कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। रितिका बोली भाभी, ये तो सही में ही भैया का लंड चूसने लगे? मुझे लगा था कि वीनू मेरे सामने गिड़गिड़ाएंगे कि यार टास्क चेंज कर दो। पंखुरी बोली हाँ यार रितिका, यह तो हमारे साथ नहले पे दहला हो गया। चल कोई नहीं, और अनोखी हरकत सोचते हैं। वैसे तेरा आईडिया अच्छा था, कुछ ऐसा ही और सोच। इधर विनीत मेरे लंड को गले तक ले लेकर अच्छे से चूस रहा था, 2-3 मिनट तक अच्छे से चूस कर विनीत खड़ा हो गया। अब विनीत ने बोतल घुमाई जो पंखुरी पर जाकर रुकी। विनीत बोला भाभी, अब आप पूरी तरह नंगी हो जाओ, आपके बदन पर कपड़ा तो क्या, एक धागा भी नहीं दिखना चाहिए। आप आगे का पूरा गेम ऐसे ही खेलोगी। पंखुरी थोड़ा नाटक दिखा कर जिससे रितिका को शक न हो, पूरी नंगी होकर गेम खेलने लगी। इधर मैं और विनीत दोनों पंखुरी पर कमेंट्स कसने लगे। पंखुरी ने बोतल घुमाई और वो जाकर रुकी फिर से विनीत पे... पंखुरी ने कहा अब आप भी पूरे कपड़े उतार कर आगे का गेम खेलो। विनीत बोला भाभी, यह तो आपने दिल की बात कर दी। विनीत खड़ा हुआ और तौलिया उतार के सोफे पर फेंक दिया और बोतल घुमाने नीचे बैठ गया।
अबकी बार बोतल रितिका पर रुकी। विनीत के बोलने से पहले मैं बोला इसको भी नंगा कर, साली का बदन वैसे ही पूरा बाहर निकला जा रहा है। विनीत बोला चल तू भी नंगी हो जा । रितिका खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने लगी। जब वो बिना कपड़ो के पूरी नंगी सामने खड़ी थी तो एक पल को ख्याल आया 'माँ चुदाये ये सारा गेम वेम.. इसको यहीं पटक कर चोद दूँ।' पर सब्र का फल मीठा होता है, यही सोच कर रुक गया। अब चारों में से तीन लोग पूरी तरह नंगे होकर खेल रहे थे तो तीनों बोले रोहित, तू भी अपना तौलिया हटा ले, वैसे भी लंड का एक बार तो नज़राना हो ही चुका है। मैंने भी बात मानते हुए अपनी तौलिया हटा दिया, मैं, यार विनीत, खेलते खेलते साली पूरी बोतल खत्म हो गई। विनीत बोला पूरी व्हिस्की खत्म? पंखुरी बोली आपकी एक बोतल में से थोड़ी सी बची हुई है, अलमारीमें रखी है, लेकर आऊँ? मैं पंखुरी के करीब गया और उसे किस करके बोला वाह यार थैंक्स पंखुरी डार्लिंग, ले आ यार प्लीज, पंखुरी उठी और अपके कूल्हे मटकाती हुई जाकर लगभग क्वाटर बची हुई व्हिस्की उठा लाई। पंखुरी ने ही हम दोनोंके पैग बना दिए। अबकी बारी रितिका की थी बोतल घुमाने की, बोतल आकर रुकी मेरे ऊपर...रितिका बोली भैया अब आप सीधे लेट जाओ, अगले 3 मिनट तक हम तीनों आपको उकसाएंगे, छुएंगे पर आप न तो अपने आप को, न ही किसी और के किसीभी अंग को छुओगे, जैसा कहा गया, जमीन पर सीधा लेट गया मैं... स्टॉप क्लॉक चालू हुई। जैसे ही स्टॉप क्लॉक चालू हुई, रितिका मेरे मुंह के ऊपर ऐसे बैठ गई जैसे कमोड के ऊपर मूतने के लिए बैठते हैं, बोली भाभी आप अपनी चूत इनके लंड पे रगड़ो और वीनू तुम जो चाहो करो, तुम चाहोतो दो लड़कियों को एक आदमी को उकसाते हुए देखो। मैंने अपने हाथों को मुट्ठी बना लिया क्योंकि जब आप उत्तेजित होते हैं, वाकयी अपने हाथों को रोक पाना मुश्किल होता है। रितिका ने अपनी चूत मेरे होंठों और नाक के नोक पर रगड़नी शुरू कर दी। और इधर पंखुरी अपनी चूत से कभी अपने बूब्स से मेरे लंड को मसल रही थी। रितिका बोली क्यूँ भैया, अब आया न मजा? मेरी चूत में उंगली करो न भैया... मेरी गांड सहलाओ हा? अच्छा... अपनी बीवी के चूचे ही दबा लो... करो न कुछ... कैसे नामर्द की तरह पड़े हो? मैंने कहा वाह री रितिका, तुम तो खेल की माहिर खिलाड़ी बन गई हो। मैं हार जाऊँ, उसके लिए जो भी जतन कर रही हो, वाकयी काबिले तारीफ़ है। पर मैं भी कच्चा खिलाड़ी नहीं हूँ, अपनी बारी का इंतज़ार करूँगा, वैसे भी खीर ठंडी करके खाना मेरी फितरत है। रितिका सिसकारियाँ लेने लगी और विनीत से बोली हमारी शादी को इतना टाइम हो गया, तुम मुझे कभी इनके यहाँ नहीं लाये। इतना मज़ा तो हम दोनों होटल में भी नहीं करते जितना आज यहाँ कर रहे हैं। भैया और भाभी दोनों इतने कमाल के होंगे, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। जब मैं घर आई थी तो यही सोच रही थी कि हम लोग कहाँ सोएंगे जिससे कम से कम रात को 1-2 बार चुदाई तो हो जाये। पर इनके खेल में मैं दो बार गीली हो चुकी हूँ। हाय अल्लाह... यह मैं क्या बोले जा रही हूँ। विनीत प्लीज डोंट माइंड... मेरा मेरे ऊपर कोई कंट्रोल नहीं है। विनीत बोला तुम सिर्फ आनन्द लो रितिका और शुक्र मनाओ कि हमें ऐसे भैया और भाभी मिले हैं। इतने में स्टॉप क्लॉक की आवाज़ आई 'बीप बीप...' मैंने रितिका के चूतड़ों को दबोचा और पटक कर उसकी चूत में उँगली घुसा दी। रितिका बोली आप हार गए भैया... टाइम फिर से स्टार्ट होगा। विनीत बोला टाइम पूरा हो गया डियर, तब रोहित ने तुझे हाथ लगाया है। रितिका मुस्कुराई और बोली अच्छा बाबा, आप जीते पर उंगली तो निकाल लो मेरी चूत में से। फिर सब लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए।
रितिका ने उत्सुकता से पूछा भाभी, आप लोग ये गेम कितने लोगों के साथ खेल चुके हो? पंखुरी बोली रितिका, यह गेम सिर्फ तुम लोगों के साथ खेल रहे हैं। इससे पहले ये गेम सिर्फ हम दोनों अकेले में खेलते थे। पर अकेले में जैसे ही कपड़े उतर जाते, हम रति क्रिया में इतने डूब जाते कि अगली चाल का ख्याल सुबह ही आता था। आज तुम लोग हो इसलिए गेम इतना लम्बा चल रहा है। रितिका यह जवाब सुन कर खुश हुई। अब बारी मेरी थी, मैंने बोतल घुमाई और वो जाकर रुकी विनीत पर...विनीत बोला हुकुम करो मेरे आका? मैंने कहा तुझे मेरी बीवी पंखुरी की 4 मिनट तक चूत चाटनी है। विनीत बोला यह सजा है या मज़ा?
और कूद पड़ा पंखुरी के ऊपर...4 मिनट तक वो मेरी बीवी पंखुरी की चूत की अपनी जीभ से मसाज करता रहा। मेरी पंखुरी तड़पती और छटपटाती सिसकारियाँ मारती रही, उसके हाथ लगातार विनीत के बालों को सहला रहे थे।रितिका अपने पति को किसी और की चूत चाटते हुए देख रही थी और में अपनी बीवी को किसी और मर्द से मेरे सामने चूत चटवाते और आनन्द लेते हुए देख रहा था। मैं सोफे पर बैठकर सिगरेट के कश लगा कर यह सारा नज़ारा देख रहा था। रितिका आकर मेरी गोद में बैठ गई, बोली भैया आपकी बीवी मेरी पति से चूत चटवा रही है, आपको बुरा नहीं लग रहा? मैंने उसके बूब्स को चूमते हुए कहा यार रितिका, हम इंसानों की भी न कितना छोटी सोच है, आदमी के पास लंड है और औरत के पास चूत है। किसी और से सेक्स करने के बाद कोई लंड अशुद्ध या कोई चूत बेईमान थोड़े ही हो जाती है। यार हमें ये अंग मजे लेने के लिए दिए हैं तो इनसे मजे लो, इतना सोचना क्यूँ कि तू किसके साथ सोई या तू किसके साथ सोया। चार दिन की ज़िन्दगी है, उसमें भी सिर्फ एक दिन की जवानी हंस खेल कर मस्ती के साथ गुज़ार लो। ऐसा करने से किसी भी तरह के धोखे की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती। मुझे जिसे चोदना हो, मैं अपनी बीवी से बोल सकता हूँ और मेरी बीवी को किसी का लंड अच्छा लगे तो वो मुझसे बोल सकती है कि मुझे फलाने से चुदवाना है। रितिका शरारती मुस्कान के साथ बोली तो आपकी बीवी अब तक कितने लंड ले चुकी है आपके सामने? और आप कितनी चूत चोद चुके है अपनी बीवी के अलावा? मैंने कहा मेरी बीवी ने अभी तक मेरे अलावा किसी और का लंड नहीं लिया है। मैंने भी शादी के बाद अभी तक कोई चूत नहीं चोदी । रितिका बोली शादी से पहले कितनी चूतें मार ली होगी आपने? मैंने कहा कभी गिनती तो नहीं की पर यही कोई 10 के आस पास चूतें तो चोदी ही होंगी। रितिका बोली भैया, क्या आप ग्यारहवीं चूत मारना चाहोगे? मैंने कहा हाँ, बताओ किसकी मारनी है? रितिका बोली भैया, आप भी न... मेरी और किसकी? बस भैया पता नहीं विनीत इसके लिए तैयार होगा या नहीं? यह खेल तो खेल लिया पर शायद इसके आगे मुझे नहीं बढ़ने देंगे वो। मैंने कहा तुम चिंता मत करो, तुम्हारी इच्छा पूरी करने की कोशिश करूँगा मैं । इतने में स्टॉप क्लॉक बज गई पर वो दोनों कहाँ रुकने वाले थे। मैंने आवाज़ लगाई अरे विनीत, पंखुरी टाइम अप । विनीत उसकी टांगों के बीच से निकला, उसने देखा उसकी नंगी बीवी रितिका मेरी गोद में बैठी है और मेरे हाथ उसके स्तन को सहला रहे हैं, वो मेरे पास आया और हाथ बढ़ाया तो मैंने अपनी सिगरेट उसकी तरफ बढ़ा दी।
रितिका बोली तुम्हारातो पूरा मुंह सन गया है। विनीत बोला वो भाभी की चूत का पानी है। पंखुरी की तरफ देखकर बोला भाभी आप कम से कम 2 बार तो झड़ गई होगी। पंखुरी भी उतनी कामुकता के साथ बोली आपकी जीभ चूत के अंदर जाकर तो आग लगा देती है भैया । ऐसी ऐसी बातें सुनकर रितिका तो पागल सी हो रही थी। विनीत बोला एक छोटा सा ब्रेक लेते हैं, मैं अभी मुंह धोकर आता हूँ।
सभी लोग फ्रेश होकर आकर दोबारा बैठ गए। विनीत बोला यार, बहुत थक गए हैं और बहुत पी ली है। मैंने भी कहा चलो यारो, सोते हैं। मैंने फिर कहा देखा रितिका इस खेल का एक और फायदा... एक ही रूम में चारों एक ही बिस्तर पर सो सकते हैं। हमने बाहर के कमरे की लाइट बंद नहीं की और अंदर आकर लेट गए। इससे बाहर के कमरे से पर्याप्त रोशनी हमारे कमरे में आ रही थी जिससे हमें सब दिख रहा था और आँखों में चुभने वाली रोशनी भी नहीं थी।