Update 05

विनीत बड़ी खुली आवाज़ में रितिका से बोला आ जा तेरी चुदाई करूँ, रितिका भी अब तक बेबाक हो चुकी थी, बोली इतना खुल कर तो हम जब होटल में होते हैं, तब भी नहीं बोलते हैं न जानू? बोलते बोलते सीधी लेट गई और अपनी टाँगें फैला कर हवा में उठा ली। पंखुरी मेरे सीने पर लेटी हुई थी और मेरे सीने के बालोंसे खेल रही थी और अपनी टांगों से मेरे लंड को दबा रखा था। हम दोनों एकटक उनकी चुदाई देख रहे थे। विनीत रितिका की टांगों के बीच अपने लंड को सेट कर रहा था, बोला यार रोहित, मेरी बीवी रितिकाकी चूत तो पहले से ही गीली पड़ी है। मैंने कहा तो फिर क्या देरी है? लगा और पेल दे अपना लंड । रितिका बोली भैया आप भी अपनी बीवी को चोदिये न... हम भी देखेंगे आपकी चुदाई। पंखुरी बोली हम अभी थोड़ी देर एक दूसरे के बदन से खेलेंगे, फिर चुदाई शुरू करेंगे।

रितिका की चूत में अब तक लंड अंदर जा चुका था इसलिए उसकी आँखें बंद हो गई और वो चुदाई का आनन्द लेने लगी, आह उह आाह ओह्ह की आवाज़ें आने लगी। फिर रितिका विनीत से बोली आपका लंड लिए हुए महीना बीत गया... कितना मज़ा आ रहा है, और ख़ास तौर पे जब कोई हमें चुदाई करते हुए देख रहा है और हमें कोई शर्म नहीं है तो मज़ा दस गुना बढ़ गया है। पंखुरी बोली भैया, रितिका तो अच्छे से चोदो। इसके बोबे भी दबाओ, देखो कितनी गर्म हो रही है आपकी रितिका। कब से आपके लंड का इंतज़ार कर रही थी। पंखुरी की बातों से दोनों और उत्तेजित हो गए और तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगे।

पंखुरी भी बहुत गर्म थी, वो बोली दूसरी औरत को चुदाई देखकर आपको भी चोदने का मन कर रहा होगा न? आ जाओ, डाल दो अपना लंड मेरी चूत में। विनीत बोला भाभी, आपकी चूत चाट कर इतना अच्छा लगा, यार रोहित भाभी की चूत इतनी अच्छी है, उसमें लंड डालने का मन हो रहा है। रितिका, अगर तुम्हे बुरा न लगे तो क्या मैं भाभी की चूत मार लूँ। रितिका ने मेरी तरफ देखाम मैंने आँखों में इशारा किया कि हाँ बोल दो। मैंने थोड़ा दिखावे के लिए पंखुरी से पूछा पंखुरी, तुम विनीत से चुदना चाहोगी? पंखुरी बोली मुझे तो लंड और प्यार चाहिए, कोई भी दे दे। रितिका ने विनीत से बोला अगर भाभी को कोई दिक्कत नहीं तो मुझे क्या दिक्कत हो सकती है।

विनीत ने अपना लंड रितिका की चूत से बाहर निकाल दिया और पंखुरी को बोला आप यहाँ लेट जाओ भाभी, आपकी चूत में मेरा लंड जाने को तरस रहा है। रितिका को थोड़ा बुरा लगा था शायद ... बोली मेरी प्यास तो बुझा देते, मैं भी तो मरी जा रही हूँ आपके लौड़े से चुदने को । पंखुरी उठ ही रही थी दूसरी तरफ जाकर अपनी टाँगें फैलाने को, पर फिर बोली भैया, पहले बीवी फिर भाभी, चलिए डालिए उसकी चूत में अपना लंड! विनीत बोला भाभी, इसको मेरा भाई रोहित चोद लेगा न! क्यू यार रोहित भाई, मेरी बीवी की मस्त चुदाई कर देगा न? फिर रितिका की तरफ देखकर बोला तू रोहित के लौड़े से चुद ले, मैं तो तुझे हमेशा ही चोदूँगा। बस यही तो हम चाहते थे। पंखुरी रितिका की जगह जाकर लेट गई और अपनी टाँगें उठा ली। इधर रितिका मेरे ऊपर लेट गई और मेरे गले और जगह जगह चूमने लगी। उधर विनीत को पंखुरी की चूत का पानी बहुत अच्छा लगता था इसलिए सीधा उसकी चूत चाटने के लिए उसकी चूत पर मुंह रख दिया। रितिका उनको भी देख रही थी, बोली भैया मैं आपका लंड चूसती हूँ, आप मेरी चूत चाट लो। मैंने कहा नहीं, तुम्हें अभी तुम्हारी चूत में लंड की ज्यादा ज़रूरत है। मैंने रितिका को नीचे लिटाया और उसकी चूत जो की अभी विनीत के लंड डालने की वजह से काफी गीली और खुली हुई थी, पर अपना लंड सेट किया और एक ही बार में पूरा अंदर डाल दिया। रितिका को मीठा मीठा दर्द हुआ और वो कराह उठी, बोली भैया आप तो सेक्सपर्ट हो... क्या शॉट मारा है। मैंने रितिका के बूब्स दबा दबा कर लाल कर दिए और धीरे धीरे धक्के लगाता रहा।

इधर पंखुरी बोली भैया, बस बहुत हुआ अब लंड दे दो, प्लीज फ़क मी, अब दोनों लड़कियाँ हमारे नीचे थी, हम उनकी चूतों में ताबड़तोड़ चुदाई कर रहे थे।

इसी बीच मैंने विनीत को हाय फाइव दिया। इसका मतलब था कि हमारा मकसद कामयाब हुआ। फिर रितिका के ऊपर पूरा लेट के उसके कान के पास जाकर बोला तुम्हें चुदना था मेरे लंड से, देखो मैंने तुम्हारी इच्छा पूरी कर दी। उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया और पागलों की तरह उछल उछल कर मेरे धक्कों का साथ देने लगी। इधर पंखुरी और विनीत भी अपने चरम पर एक दूसरे से चूदने का आनन्द प्राप्त कर रहे थे। पंखुरी बोली रोहित, दूसरे आदमी का लंड लेने में तो बड़ा मज़ा आता है। विनीत भैया मेरी अच्छी चुदाई कर रहे हैं। आप भी मेरी बहन रितिका की अच्छे से चुदाई करो। मेरे कुछ भी बोलने से पहले रितिका बोली भाभी, आप बिल्कुल सही कह रही हो, अपने पति के अलावा किसी और का लंड अपने पति के सामने बिना डर के लेने का मज़ा ही कुछ और है। भाभी मैं सातवें आसमान पे हूँ, भैया मेरी अच्छी चुदाई कर रहे हैं। बोलते बोलते रितिका लगभग चीखने लगी, बोली मैं आ रही हूँ भैया, मुझे अपनी बाँहों में भर लो। मैंने रितिका को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और बोला आ जाओ, निकाल दो अपना पूरा पानी। खूब एन्जॉय करो, जितना चीखना चाहो चीखो, चिल्लाओ, खूब चुदो।

रितिका बोली हाँ भैया, आपका लौड़ा अगर नहीं ले पाती तो ज़िन्दगी से कुछ शिकायत होती। अब ज़िन्दगी से कोई शिकायत नहीं है... आह उह आह ओह्ह आह उह आह ओह्ह । रितिका ने पूरी ताकत से मुझे अपने वक्ष में घुसा लिया था, वो इतनी बुरी तरह झड़ रही थी कि उसका पूरा बदन बुरी तरह कांप रहा था। मैं उसका सर और बाल सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी जांघें सहला रहा था जिससे वो पूरी तरह झड़ जाए। हम कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे, मैं ज़रा भी नहीं हिला, 4-5 मिनट बाद रितिका बोली भैया, आपका लगता है अभी पानी छूटा नहीं है। मैंने कहा हाँ, अभी तो नहीं छूटा पर कोई चिंता नहीं, मेरी बीवी भी तो है वो कर देगी। रितिका बोली नहीं भैया, मैं अभी पानी निकालने में आपकी मदद करती हूँ। मैंने कहा हाँ कर देना पर अभी थोड़ी देर तुम्हारी चूत में ऐसे ही पड़ा रहने दो मेरे लंड को, रितिका बोली ओके भैया। इधर पंखुरी और विनीत भी घमासान चुदाई में भिड़े हुए थे। विनीत की चुदाई में से पच पच की आवाज़ें आ रही थी। विनीत बोला भाभी, मैं आ रहा हूँ। पंखुरी बोली हाँ भैया, आप जहाँ मर्जी आये आ जाओ। विनीत बोला भाभी मैं आपकी चूत में ही आना चाहता हूँ। पंखुरी बोली भर दो आप मेरी चूत को भर दो अपनी मलाई से। वो विनीत के चूतड़ भी सहला रही थी जिससे विनीत अपनी पूरी ताकत से पंखुरी की चूत में फव्वारा चला दे। रितिका भी एकटक अपने पति और भाभी की चुदाई देख रही थी। विनीत की स्पीड कम हो गई उसी से अंदाज़ा लग गया था कि उसने अपना पूरा पानी पंखुरी की चूत में डाल दिया है। विनीत थक के चूर होकर पंखुरी के नंगे बदन पर यूँ ही गिर गया।

कुछ देर बाद विनीत ने अपना सर उठाया और पंखुरी मम्मों को सहला और दबाते हुए उठा, उसका लंड अभी भी पंखुरी की चूत में ही पड़ा था, दोनों एक दूसरे को जगह जगह किस और सहला रहे थे, जैसे दो बिछड़े हुए प्रेमी काफी महीनों बाद मिले हों। मैंने भी अब रितिका की चूत में धीरे धीरे हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए। रितिका की नज़र मेरे ऊपर ही थी, बोली रोहित भैया, आप कितने अच्छे हो, चुदाई के वक़्त आप और भी अच्छे लगने लगते हो। मैंने कहा रितिका, तुमने कभी गांड मरवाई है? रितिका बोली नहीं भैया, आज तक नहीं लिया अपनी गांड में कोई भी लंड। वीनू भी एक दो बार कोशिश कर चुका है पर मैं उसे कभी गांड नहीं मारने देती, मुझे कुल मिला के गांड मरवाना अच्छा नहीं लगता। मैंने कहा पर मुझे तुम्हारी गांड मारने का मन है, बोलो क्या कहती हो? रितिका थोड़ा डरते हुए बोली मैंने सुना है, बहुत दर्द होता है... क्या बहुत दर्द होगा भैया? एक्चुअली मैं आपको मना करना नहीं चाहती पर दर्द भी सहन नहीं करना है। मैंने कहा अच्छा एक काम करो, अपनी टाँगें चौड़ी करके तकिए पर बैठ जाओ। थोड़ी देर बाद तुम खुद मेरा लंड लेकर अपनी गांड में डलवा लोगी। और मैंने धीरे से अपना लंड रितिका की चूत से बाहर निकाल लिया।

मैं पंखुरी से बोला आज तुझे एक साथ 2 लंड का मज़ा देता हूँ। विनीत ने भी धीरे से अपना लंड पंखुरी की चूत से बाहर निकाल लिया और पंखुरी के ऊपर से हट गया।

मैं बोला विनीत तू सीधा लेट जा और अपना सर रितिका की टांगों की बीच रख, पंखुरी तुम विनीत के लंड पर बैठ जाओ और अपना मुंह विनीत के पैरों की तरफ रखो। विनीत के ऊपर लेटी हुई पंखुरी की पोजीशन डॉगी जैसी ही थी, मैं पंखुरी के पीछे से टांगों के बीच उसके दूसरे छेद में लंड सटा के खड़ा था। पंखुरी बोली रोहित मेरी जान तुमने तो जन्नत के दर्शन करा दिए, एक साथ 2-2 लौंड़ों का मज़ा! मैं पंखुरी से बोला देखो बिल्कुल तुम्हारे सामने रितिका की चूत होगी, अब उसे भी चाटती जाओ। पंखुरी रितिका की चूत को जीभ से टेस्ट करके बोली आपने तो रितिका की चूत को चौड़ा कर दिया है। मुझे अभी रितिका की चूत में आपके लंड का टेस्ट भी आ रहा है। और फिर वो अपनी मुंह से रितिका की चूत चाटने में लग गई। इधर विनीत नीचे से पंखुरी की चूत में धीरे धीरे धक्के मार रहा था, मैं भी पंखुरी की गांड मारने का मज़ा ले रहा था। रितिका बोली एक रात में इतनी सेवा मेरी चूत की कभी नहीं हुई। विनीत बोला रितिका तू अपनी दोनों टाँगें फैला के घुटनों के बल बैठ जा, भाभी तेरी चूत चाट ही रही है, मैं तेरी गांड भी चाट दूंगा। रितिका ने तुरंत अपना आसन बदला, उसके कारण अब रितिका के होंठ भी मेरे काफी करीब थे। इधर रितिका की चूत और गांड दोनों पर जीभ फेरी जा रही थी। दूसरी तरफ पंखुरी की चूत और गांड में लंड डले हुए थे। मैं और विनीत एक साथ एक लड़की के दो छेदों को भरे होने का मज़ा ले रहे थे। पंखुरी बहुत तेज़ तेज़ साँसों के साथ मचलने लगी और तड़पते हुए बोली सुनो आप मेरी चूत में लंड डालो और भैया आप मेरी गांड मारो। मैंने रितिका के कान में कहा अब तुम थोड़ी देर बैठ के तमाशा देखो और अपनी चूत में ऊँगली करो... हम दोनों भाई ज़रा तुम्हारी भाभी चोद लें। रितिका हट कर बिस्तर के एक कोने में जाकर बैठ गई। विनीत वही वैसा ही लेटा रहा, पंखुरी ने अपनी गांड में विनीत का लंड लिया और विनीत की छाती पर अपनी पीठ के बल लेट गई, विनीत ने अपने हाथ पंखुरी के दोनों बूब्स पकड़ लिए और अपनी ऊँगली से पंखुरी के निपल्स गुदगुदा रहा था। मैंने भी पंखुरी की चूत में अपना लंड पेल दिया और बोला विनीत लग जा पूरी ताकत से... इस कुतिया की गांड फाड़ डाल, मैं इसकी चूत का भोसड़ा बनाता हूँ। विनीत बोला भाभी, आज आपकी गांड फाड़ दूंगा । पंखुरी बोली भैया फाड़ दो, भैया मेरी गांड फाड़ दो। दो लंड लेने में बहुत मज़ा आ रहा है। रोहित प्लीज फ़क मी हार्ड। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी।

रितिका ने इतनी गर्मी देखी तो वो हमारी तरफ आई और एक हाथ से पंखुरी के सर पे हाथ फेरने लगी और दूसरे हाथ उसने पंखुरी की चूत की तरफ बढ़ाया और पंखुरी के दाने से थोड़ा ऊपर हाथ घुमाने लगी और बोली भाभी, आराम से चुदो... भाभी आप कितना मस्त आनन्द लेती हो चुदाई का, आपको देखकर तो मेरी चूत फिर से गीली हो गई। भाभी खूब चीखो, चिल्लाओ और मज़ा आएगा चुदने में । मैंने रितिका का हाथ चूत के पास से हटाया और पूरा लेट कर फुल स्पीड में चुदाई करने लगा। रितिका का हाथ हटा के मैंने अपनी गांड पे लगा दिया, रितिका समझदार थी उसे इशारा मिल गया था रितिका ने तुरंत अपने हाथ से मेरी गांड सहलाने लगी और बीच बीच में जीभ से चाट भी देती थी । मैं उसकी जीभ का स्पर्श अपनी गांड पे पाकर और ज्यादा उत्तेजित हो जाता। मैं भी पानी छोड़ने के काफी करीब था। पंखुरी बोली भैया, आप मेरी गांड में ही मलाई निकाल दो, आप मुझे आपकी मलाई जहाँ देना चाहो दे दो। हम तीनों बारी बारी से झड़ने लगे, सबसे पहली पंखुरी झड़ी फिर मैं और फिर विनीत... हम तीनों लस्त होकर एक दूसरे पर पड़े थे और रितिका सभी का सर पे हाथ फेर रही थी।

थोड़ी देर बाद रितिका बोली हाँ भैयाम ये लो मेरी गांड मार दो प्लीज। आपने कहा था न कि मैं खुद बोलूंगी कि मेरी गांड मार दो, लो मैं कह रही हूँ मार दो मेरी गांड। मुझे भी भाभी की तरह दो लंड चाहिए एक साथ । विनीत थका हुआ सा बोला सो जा माँ की लौड़ी सो जा, कितनी देर से लौड़ा लिए बैठी है, अब सुबह मिलेगा। हमारा लंड है लंड कोई मशीन थोड़े ही है? पंखुरी करवट लेकर लेट गई, वो काफी थकी हुई दिख रही थी।

मैं बाहर के कमरे की लाइट्स ऑफ करके अंदर आया अभी कुछ भी साफ़ दिखाई नहीं पड़ रहा था। मैं बिस्तर के कोने में लेट गया। थोड़ी देर में जब आँखें अँधेरे के हिसाब से अनुकूल हुई तो देखा विनीत भी उल्टा करवट लेकर पंखुरी के बूब्स में लंड फसा के पंखुरी की चूत में मुंह डाल के पड़ा हुआ था। मैंने भी रितिका, जो मेरी तरफ पीठ करी लेटी थी, के बूब्स पकड़ के अपना लंड धीरे धीरे उसकी गांड में डाल दिया। मैंने रितिका के मुंह पर हाथ रख लिया था और धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और गांड मरवाने का मज़ा लेने लगी। हम थोड़ी ही देर में नींद की आगोश में आ गये और सो गए।

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सुबह जब नींद खुली तो बिस्तर पर सिर्फ मैं और विनीत ही थे। मैंने विनीत को जगाया और उससे इशारे में पूछा क्या तुझे पता है कि दोनों लड़कियाँ कहाँ हैं? उसने भी इशारे से बताया कि उसे नहीं पता। मैंने अलसाते हुए आवाज़ लगाई पंखुरी ओ पंखुरी, डार्लिंग कहाँ हो? पंखुरी की आवाज़ आई साढ़े आठ बज गए हैं, आपको ऑफिस नहीं जाना? उठ जाओ, तैयार हो जाओ, मैं नाश्ता बनाती हूँ।मैंने अपना मोबाइल देखा तो आठ पच्चीस हो रहे थे, मैं बोला इधर तो आओ, चाय दे दो। इधर मैनेजर को मैसेज कर दिया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं आज ऑफिस नहीं आ सकूंगा। पंखुरी चाय लेकर मेरे सामने खड़ी थी, मैंने कहा गुड मॉर्निंग डार्लिंग! पंखुरीने सूट का केवल कुरता पहना हुआ था और नीचे लेगगिंग नहीं पहना था, पंखुरी ने मेरी तरफ चाय बढ़ा कर कहा गुड मॉर्निंग! अब जल्दी से उठ जाओ, आप ऑफिस के लिए लेट हो जाओगे। मैंने कहा आज ऑफिस नहीं जा रहा... और पंखुरी को बाँहों में पकड़ने लगा। पंखुरी बोली छोड़िए मुझे, मुझे अभी बहुत काम करने है। मैंने पूछा रितिका कहाँ है? पंखुरी ने बताया कि उसका कोई फ़ोन आया हुआ है, वो बालकनी में है।

पंखुरी ने देखा कि विनीत भी उठा हुआ है तो बोली गुड मॉर्निंग भैया, लीजिए आपकी भी चाय! विनीत बोला गुड मॉर्निंग भाभी, वो रितिका को बता देना कि मैं उठ गया हूँ। पंखुरी ने वही से आवाज़ लगाई ए रितिका, ये विनीत भैया बुला रहे हैं। रितिका कमरे में आई, रितिका ने एक गाउन पहन रखा था, रितिका मुझसे बोली गुड मॉर्निंग भैया! फिर विनीत के पास गई और बोली गुड मॉर्निंग जान! मैंने कहा तुम दोनों भी चाय ले आओ, और यहीं बैठो। मैंने और विनीत दोनों ने अभी तक कुछ नहीं पहना था, बस चादर ओढ़ के रखी थी। रितिका पंखुरी और खुद के लिए चाय ले आई, विनीत बोला यार कल रात तो मज़ा आ गया। मैंने कहा हाँ, तुम दोनों जब सो गए थे तब मैंने रितिका की एक बार गांड मारी थी। पंखुरी बोली आपको क्या लगता है? हम लोग सोये नहीं थे, सब सुनाई दे रहा था, बस थके हुए थे इसलिए चुपचाप पड़े थे। रितिका बोली मेरी फर्स्ट गांड चुदाई पर मैं चीख भी नहीं सकी क्योंकि मुझे लगा कि वीनू और आप सो चुके हो और नींद न टूट जाये। मैं बोला देखो, हम लोग जितने भी दिन यहाँ साथ रहेंगे, तन पर कपड़ा नहीं होना चाहिए। मैंने कहते कहते अपने ऊपर से चादर हटा दी, मेरा लंड आधा खड़ा था, सुबह के टाइम तो अपने आप खड़ा ही मिलता है। रितिका बोली भैया, आप क्या खाते हो, रात भर इतनी चुदाई के बावजूद आपका अभी तक खड़ा है। विनीत ने भी अपनी चादर हटा दी, विनीत का लंड भी खड़ा था। पंखुरी बोली यार मुझे काम करना होता है । मैंने कहा तो नंगी ही काम करना। पंखुरी ने भी अपना शर्ट उतार फेंका, रितिका भी नंगी हो गई।

मैंने बताया कि मैंने आज छुट्टी ले ली है तो हम आज पूरे दिन कुछ न कुछ मस्ती कर सकते हैं। पंखुरी बोली मैं पोहे बनाने जा रही हूँ, आप लोग प्रोग्राम बना लो। मैंने कहा हाँ, हम सब लोग भी जल्दी से नहा धोकर तैयार होते हैं। पंखुरी किचन में चली गई, विनीत बाथरूम जाने लगा, मैंने सिगरेट जला ली, रितिका भी किचन की तरफ जाने लगी। मैंने रितिका को बीच में ही पकड़ा और चूतड़ मसल दिये और बोला सिगरेट पियोगी? वो बोली नहीं भैया, मैं सिगरेट नहीं पीती। मैंने कहा एक कध तो मार के देखो । उसने जैसे ही सिगरेट का कश लगाया उसे खांसी आ गई, वो बोली यक... इसका कितना गन्दा टेस्ट है, मेरा तो मुंह ख़राब हो गया। वो भी बाथरूम की तरफ भागी। दरवाज़े में ठोकर मारी, दरवाज़ा खुल गया, विनीत कोमोड पर बैठा था। रितिका ने कुल्ला किया और ब्रश करने लगी। मैं भी रितिका के पीछे पीछे पंहुचा, उससे चिपक कर खड़ा हो गया और पीछे से उसके चूतड़ों के बीच अपना लंड चुभाने लगा और हाथों से उसके मम्मे सहलाने लगा।

विनीत कोमोड पे बैठा सब देख रहा था। विनीत हाथ धोने वाश बेसिन के पास आया तो मैं जाकर कोमोड पर बैठ गया। रितिका अभी ब्रश कर ही रही थी, विनीत हाथ पौंछने बाहर चला गया। रितिका ब्रश करने के बाद मेरे कोमोड के पास आई और बोली भैया मैं आपकी गांड धुला दूँ जैसे बच्चों की धुलाते हैं? मैंने कहा ठीक है । मेरा जब काम खत्म हुआ तो रितिका ने मेरी गांड अच्छे से धोई और फिर हम दोनों ने एक दूसरे के हाथ से हाथ धोए। फिर हम बाहर आये तो विनीत पंखुरी को वैसे ही पीछे से पकड़ के रखा हुआ था जैसे मैंने रितिका को कुछ देर पहले बाथरूम में पकड़ा हुआ था। मैंने कहा चलो, चारों साथ में नहा आते हैं। पंखुरी बोली आप लोग नहा लो, मुझे तो काम पड़ा है। रितिका बोली भाभी मुझसे भी कुछ काम करा लो, ऐसे अकेले अकेले लगी रहोगी तो आप थक जाओगी। पंखुरी बोली तुम बस मेरे रोहित का ध्यान रखो, अब अगर हम दोनों ही खाने में बिजी हो जायेंगे तो ये लोग क्या एक दूसरे के साथ नहाएंगे? दोनों लड़कियाँ हसने लगी।

विनीत बोला रितिका तू जाकर रोहित के साथ नहा के आ, मैं भाभी के साथ नहाऊंगा। जब हम नहाने जायेंगे तब तुम किचन देखना, अभी हम किचन देख रहे है। मैंने कहा चल रितिका, अपन तो चले नहाने। मैं पहले ब्रश करने लगा, रितिका जाकर शावर चलाने लगी। मैंने कहा रुको, अभी में ब्रश तो कर लूँ। वो आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई और अपने बूब्स से मेरी पीठ घिसने लगी। मैंने जैसे तैसे ब्रश किया, मैं दरवाज़ा बंद करने लगा, तो मुझे रितिका ने रोका, बोली आप दरवाज़ा क्यू बंद कर रहे हो? मैंने कहा अरे वो आदत सी ही है न इसलिए । मैं बोला रितिका, तुम्हारी ऐसी कोई चाहत कोई फ़ंतासी है जो तुम्हें लगता है कि बहुत गन्दी है और तुम उसे किसी से नहीं बता सकती। रितिका बोली हाँ है तो... जैसे अभी मैंने आपकी गन्दी गांड धुलाई थी, वो भी मेरी एक फ़ंतासी ही थी। मैंने कहा और कौन सी ऐसी चाहत है जो तुम्हें पूरी करनी है? रितिका बोली नहीं भैया, मैं नहीं बोल सकती, पता नहीं आप क्या सोचोगे? पता नहीं आपको कैसा लगे? मैंने कहा बोल के देखो, शायद मैं तुम्हारे सपने पूरे कर सकूँ। रितिका बोली मैं चाहती हूँ कि कोई मेरे ऊपर मूते, मेरे मुंह पे, मेरे बूब्स पे, मेरी चूत पे, मैं थोड़ा मूत पी जाऊँ, थोड़ा सा उसका लौड़ा चूस के उसका बचा हुआ मूत भी चाट जाऊँ। मुझे खुद नहीं पता कि मैं ऐसा कर पाऊँगी या नहीं, मुझे खुद नहीं पता कि यह मुझे अच्छा लगेगा या नहीं पर मुझे करने का मन तो है ऐसा ही कुछ।

मैंने कहा यह तो छोटी सी चाहत है, ये लो, अभी पूरी किये देता हूँ। वो तुरंत जमीन में बैठ गई, मैं लौड़ा लेकर उसके मुँह के पास खड़ा हो गया और मूतने की कोशिश करने लगा। रितिका ने मेरे अंडे सहलाए, थोड़ा लंड सहलाया और बिल्कुल पोले मुँह से चूसने और चूमने लगी। मैंने अपना लंड उसी को पकड़ा दिया और बोला लेट मी पी ऑन यू । रितिका बोली हाँ भैया, प्लीज मेरे ऊपर मूत दीजिये। मेरे लंड में से मूत की धार शुरू हुई, फिर रुकी, रितिका के चेहरे पर मूत की एक धार जैसी ही पड़ी, उसे गर्म गर्म लगा, एक आध बूँद उसके होंठों से मुँह के अंदर भी चली गई। मैंने पूछा अच्छा लगा? रितिका बोली अभी तो ठीक लग रहा है भैया, आप मेरे ऊपर मूतते जाओ, मुझे अच्छा नहीं लगेगा तो मैं खड़ी हो जाऊँगी। अब तो मैंने रितिका के मुँह में लंड डाला और अपने मूत का फव्वारा शुरू कर दिया, उसका मुँह भरा तो लंड बाहर निकाला और उसके पूरे बदन को भिगोने लगा, उसके मुँह के अंदर जो मूता था, वो भी उसने अपने ऊपर ही थूक लिया और मेरे लंड की धार को अपने बदन के अलग अलग हिस्सों पर लेने लगी, कभी अपने बूब्स पर मेरे पेशाब को मलती तो कभी अपनी चूत पर बहते मेरे मूत को थप्पड़ मारती। मुझे उसकी ये अदाएँ बहुत पसन्द आ रही थी, मेरा मूत जब खत्म हुआ तो उसने बड़े प्यार से मेरे लौड़े को मुंह में लेकर चूसा और फिर बाहर निकाल के हिला कर और मूत निकालने लगी। और फिर मेरे लंड के सुपारे को अच्छे से चाट के साफ़ करने लगी।

मेरी नज़र दरवाज़े पर गई तो देखा कि विनीत और पंखुरी दरवाज़े से टिके हुए हमारे इस खेल को देख रहे थे।विनीत पंखुरी की चूत ऊँगली से सहला रहा था। मैं उन दोनों की तरफ देखकर बोला किसी और को मूतना है रितिका पे? विनीत बोला रितिका, तू इतनी वाइल्ड हो सकती है, मैंने कभी सोचा भी नहीं था, रुक मैं भी तेरे ऊपर मूतता हूँ। विनीत अपना लंड पकड़ के रितिका के करीब गया, रितिका ने विनीत के लौड़े को प्यार से पुचकारा और फिर चूसने लगी और साथ ही उसकी बॉल्स भी सहलाने लगी। मैंने पंखुरी को बोला तुम भी मूतो इसके ऊपर । पंखुरी बोली मैं कैसे मूत सकती हूँ? मैंने कहा रितिका, थोड़ा सा लेट जाओ जिससे पंखुरी तुम्हारे ऊपर मूतने वाली अवस्था में आ जाये। पंखुरी रितिका के मुंह की तरफ चली गई और उसके पैर की तरफ मुंह कर लिया और थोड़ा नीचे झुक कर वो भी मूतने लगी। विनीत बोला भाभी, आओ मूत के पेंच लड़ाते हैं। शायद पंखुरी इस सबको एन्जॉय नहीं कर रही थी, बोली मैं मूत रही हूँ, आप लड़ा लो पेंच। मैंने पंखुरी से कहा तुम चाहो तो रितिका के मुंह पर भी पेशाब कर सकती हो। पंखुरी थोड़ी सी खड़ी हुई तो पंखुरी के पाँव भी उसके खुद के मूत से गीले होने लगे, वो भी आदमी की तरह अपनी चूत से रितिका के पूरे बदन पर मूतने लगी। जब दोनों का मूतना बंद हुआ, तो रितिका बोली मज़ा आ गया तीन मूतों से नहा कर ।

हम चारों बाथरूम में ही थे तो शावर ऑन किया और चारों साथ में नहाने लगे। हम सभी एक दूसरे को सहला और पुचकार रहे थे। नहाते हुए कभी विनीत पंखुरी की बूब्स दबता कभी रितिका की चूत में लंड डाल देता। मैं भी कभी पंखुरी के नंगे गीले बदन से खेलता तो कभी रितिका के बदन से। सभी लोगो ने एक दूसरे को साबुन लगाया और अच्छे से नहला दिया।

नहाने के बाद कपड़े तो पहनने नहीं थे इसलिए पंखुरी ने विनीत का बदन पोंछा, रितिका ने मेरा और बाद में दोनों ने एक दूसरे का बदन पौंछा। रितिका बोली भाभी इतना नहाने के बाद तो बड़ी तेज़ भूख लग आई है। मैंने और विनीत ने भी हाँ में हाँ मिला दी। पंखुरी बोली पोहा तकरीबन तैयार ही है, मैं अभी लेकर आती हूँ। रितिका ने बिस्तर पे ही अखबार बिछा दिया और हम लोग पोहा खाने लगे। मैंने कहा आज एक नया गेम खेलते हैं। सभी लोग एक सुर में बोले क्या? मैंने कहा आज सब अपनी अपनी एक एक फंतासी बताएँगे और बाकी के लोग मिलकर उसकी कल्पना को पूरा करने की कोशिश करेंगे। चाहे फंतासी कितनी भी गन्दी और मलिन क्यूँ न हो। जैसे अभी अभी रितिका की एक डर्टी फंतासी को पूरा किया गया, वैसे ही सबकी एक एक इच्छा पूरी की जाएगी। सभी लोग बहुत खुश दिखाई दिए। मैंने कहा तो पंखुरी बताओ तुम्हारी कोई ख्वाहिश? पंखुरी बोली मुझे पब्लिक प्लेस में चुदना है। मैंने कहा ओके डार्लिंग तुम्हारी यह इच्छा पूरी करेंगे।

फिर मैंने कहा हाँ भई विनीत तेरी कोई फंतासी? विनीत बोला हाँ है तो मेरी फंतासी पर थोड़ी अजीब है! मैंने कहा बातें मत बना सीधा बोल, क्या है तेरी डर्टी फंतासी। विनीत बोला मैं रितिका को काले लौड़े से अपने सामने चुदवाना चाहता हूँ। हम सभी लोग हक्के बक्के रह गए, मैंने कहा यार कुछ और कोई और फंतासी बता जो हो सके? मेरी बात काटते हुए रितिका बोली नहीं भैया, आपने ही कहा था कि चाहे कैसी भी चाहत हो, हम सबको साथ देना है। तो मैं दूंगी अपने पति को उनकी फंतासी पूरा करने का मौका। मैंने कहा जब मियाँ बीवी राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी, मुझे लगा था कि तुम इसके लिए तैयार नहीं होगी। रितिका कुछ नहीं बोली बस विनीत को देखती रही। विनीत और पंखुरी लगभग एक सुर में बोले तू अपनी भी तो कोई हसरत बता दे?

इतने में ही फ़ोन बजा, फ़ोन विनीत के फ़ोन पर आया था, स्क्रीन पर मम्मी लिखा था, मैं बोला ले बुआ का फ़ोन आ गया। उसने फ़ोन उठाया और बोला हाँ मम्मी, और इधर रितिका को इशारा किया, रितिका तुरंत विनीत का लंड चूसने लगी। बात करते करते ही विनीत ने पंखुरी को भी करीब आने का इशारा किया। पंखुरी भी विनीत के पास चली गई और विनीत की छाती पे निप्पल चूसने लगी। वो पंखुरी की गांड में उंगली करने लगा। मेरा ध्यान उसके फ़ोन पे चल रही बातों पर नहीं था बल्कि मेरा ध्यान उसके साथ चल रही गतिविधि पर था। इतने में विनीत बोला तो लो आप बोल दो रोहित से! और उसने फ़ोन मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैं जैसे एकदम नींद तोड़ के उठा हूँ, वैसे फ़ोन पर बोला हाँ हाँ बुआ? कैसी है आप? जब तक इधर उधर की बातें ही चल रही थी तब तक विनीत ने रितिका और पंखुरी के कान में कुछ कहा, दोनों लड़कियाँ मुस्कुराई और मेरी तरफ बढ़ी। पंखुरी मेरे निप्पल चूसने लगी और रितिका ने झट से पूरा लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मेरा ध्यान फ़ोन पे जो बुआ बोल रही थी उसमें लग ही नहीं रहा था, मुझे सुनाई सब पड़ रहा था पर समझ कुछ नहीं आ रहा था, मैंने हाँ हाँ... ओके... ओके... बोल कर फ़ोन रख दिया। फ़ोन रखने के बाद में अपने साथ चल रही रति क्रिया के मज़े लेने लगा। विनीत बोला तो मम्मी क्या बोली? मैंने बहुत ही गैरजिम्मेदारी से कहा मुझे नहीं पता वो क्या बोली, मुझे कुछ समझ ही नहीं आया। विनीत बोला यार तू भी न, वो तुझे भोपाल बुला रही है और तूने हाँ हाँ ओके ओके... बोल कर फ़ोन रख दिया। मैंने कहा अब एक ने सीने में आग लगा रखी है और दूसरी लंड मुंह में लिए पड़ी है तो घंटा समझ आ रहा था कि बुआ क्या बोल रही है। विनीत बोला यह भी मेरी एक फंतासी हुआ करती थी, जब भी होटल में होते थे, मैं किसी न किसी को फ़ोन लगा लेता और रितिका से लौड़ा चुसवाता था। इसलिए मैंने सोचा तुझे भी अनुभव कराऊँ कि कैसा लगता है। मैंने कहा हाँ मज़ा तो बहुत आया लेकिन फ़ोन पर मैंने किस बात पे क्या कह दिया इसका कोई अनुमान नहीं है। मैंने रितिका का मुंह हटाया और अपना लंड उसके मुंह से बाहर निकाला और पंखुरी को भी अपनी छाती से दूर कर दिया ।

विनीत बोला अब क्या करें? तब तक मैंने दोबारा फ़ोन लगाया और बोला बुआ, आपकी आवाज़ साफ़ नहीं आ रही थी इसलिए कुछ समझ नहीं आया था, क्या बोल रही थी आप? बुआ ने बताया कि परसों सुबह एक लड़के वाले आ रहे हैं और लगभग बात तय सी ही है, उसके कारण वो हम सबको वहाँ भोपाल बुला रही थी। मैंने भी ऐसी ख़ुशी की बात में कह दिया हाँ बुआ, मैं इन सबको लेकर आता हूँ।

फिर सबसे पहले ट्रेन में तत्काल में अगले दिन सुबह की टिकट बुक कर दी, मैनेजर को मैसेज कर दिया कि डॉक्टर ने कम्पलीट बेड रेस्ट के लिए बोला है इसलिए में सोमवार को ही वापस आ पाउँगा। पंखुरी बोली चलो में भी पैकिंग कर लेती हूँ वहां तो कपड़े पहनने पड़ेंगे न । सभी लोग जोर से हंस पड़े। रितिका बोली मेरे तो कपड़े निकले ही नहीं क्योंकि यहाँ तो कपड़े पहनने की अनुमति ही नहीं है न। मैंने कहा हाँ तुम पैकिंग करो, मैं काले भुजंग लम्बे और मोटे से लौड़े का इंतज़ाम करता हूँ रितिका के लिए... क्योंकि आज का दिन तो है ही न मस्ती मारने के लिए। और तदनुसार कोई मूवी की टिकट भी बुक करता हूँ। क्यूँ पंखुरी, सिनेमा हॉल पब्लिक प्लेस भी है और ठंडक में चुदाई का भी मज़ा आएगा।

पंखुरी मेरे गले लग गई और बोली हाँ जान तुमने बहुत अच्छी पब्लिक प्लेस चुना है मेरी फंतासी पूरी करने के लिए। मैंने तुरंत इंटरनेट पे सर्च किया जिससे पुरुष वेश्या मिल सके। जल्दी ही एक एजेंसी का नंबर मिला उससे मैंने बात की और एक 6 फुट लम्बे काले, मोटे और लम्बे लंड वाले हब्शी को बुक कर लिया। उसके बाद मैंने एक बकवास सी मूवी के टिकट बुक किये जिससे उसमें भीड़ कम हो, पंखुरी की इच्छा भी पूरी हो जाये और कोई ड्रामा भी न हो। मैंने कहा चलो सब लोग तैयार हो जाओ अपन लोग पहले मूवी देखने चल रहे हैं, हब्शी 4 बजे तक आएगा। पंखुरी पैकिंग करते करते तैयार भी हो गई।

सभी लोग गाड़ी में आकर बैठ गए, आगे रितिका पीछे विनीत और पंखुरी, पंखुरी बोली बहुत देर बाद कपड़े पहने हैं, अच्छा लग रहा है। इस मासूम से वाक्य से हम सभी लोग हंसने लगे। हम सभी मूवी हॉल में पहुंचे, बहुत ज्यादा लोग नहीं थे सिनेमा में कोई 18+ मूवी ही थी। ज्यादातर कपल्स ही थे मूवी हाल में, मैंने विनीत को बोला तू पंखुरी के एक तरफ बैठ और रितिका को अपनी तरफ बैठाया तो हम दोनों रितिका और विनीत के बीच में थे जिससे हमें साइड से कोई देख न सके। मूवी शुरू हुई, अँधेरा हुआ। मुझे मूवी में कोई इंट्रेस्ट तो था नहीं, बस मैंने पंखुरी के ऊपर हाथ फेरना शुरू कर दिया, पंखुरी भी अँधेरे की आड़ में मेरा लंड टटोल रही थी। मैंने पंखुरी के कपड़ों में हाथ डाला सोचा कि इसकी ब्रा का हुक खोल दूँ, पर जैसे ही मैंने अंदर हाथ डाला तो पाया कि उसने ब्रा पहनी ही नहीं थी। हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देखकर मुस्कुरा दिए। पंखुरी बोली कैसा रहा सरप्राइज? मैं हंसते हुए बोला बहुत अच्छा, तुम तो चुदने को बेताब नज़र आ रही हो?

पंखुरी तुरंत अपनी सीट से उठी और सीट के नीचे घुटनों पर बैठ गई। विनीत थोड़ा टेढ़ा होकर बैठ गया जिससे आड़ थोड़ी ज्यादा हो जाये और उसकी भाभी को कोई उसके भाई का लंड चूसते हुए न देख सके। पंखुरी ने मेरे जीन्स के ऊपर से ही लंड सहलाना शुरू किया और ज़िप नीचे कर दी, और फिर ज़िप में से ही मेरा लौड़ा जो खड़ा ही था, उसे बाहर निकाल दिया। मैंने जीन्स का बटन भी खोल और कच्छे सहित घुटनों तक उतार दिया। जिससे मेरी जान मेरे लंड के साथ साथ मेरे अंटे से भी खेल सके। थोड़ी देर लंड की चुसाई के बाद पंखुरी बोली अब आप मेरी चूत में अपनी जीभ से तब तक चुदाई करो जब तक मेरी चूत कम से कम तीन बार पानी न छोड़ दे, मैं अगर तुम्हारे सामने गिड़गिड़ाने भी लगूँ तो भी मुझे मत छोड़ना। विनीत एक सीट छोड़ के बैठा हुआ था, उसको अभी अपनी सीट के पास वाली सीट पर आने को कहा और बोली जब तक तुम्हारा भाई मेरी चूत से पानी निकाल रहा है, मेरे बूब्स को एक भी पल के लिए मसलना और चूसना मत छोड़ना। रितिका को कहा रितिका, तू मेरा दूसरा बोबा अपने मुंह में लेकर रख। आज तुम तीनों मिलकर मुझे जन्नत में पहुँचा दो, मुझ पर कोई तरस मत खाना! हम तीनों ही पंखुरी के इस रूप को देखकर थोड़े से आश्चर्य में थे पर हमे कोई ख़ास ऐतराज़ नहीं था, क्योंकि पंखुरी भूखी थी और उसकी मनपसंद ख्वाहिश पूरी हो रही थी। हम सभी ने मन ही मन आज पंखुरी के ताबड़तोड़ चुदाई का प्रण कर लिया था।

पंखुरी थोड़ा सा नीचे सरक कर बैठी गई जिससे उसकी चूत बिल्कुल बाहर को आ जाये और चाटने चूमने में कोई दिक्कत न हो। विनीत ने भी पंखुरी के टॉप को ऊपर करके आदेशानुसार पंखुरी के उरोज को अपने मुंह में लेकर मसलना और सहलाना शुरू किया, ऐसे ही रितिका भी पंखुरी के दूसरे बोबे के साथ खेलने लगी। मैं पंखुरी की चूत में घुस गया, उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर रखी थी जिससे मैं आराम से अपनी जीभ जितना अंदर हो सके ले जा सकूँ। पंखुरी इतनी गर्म और कामोत्तेजित थी कि जीभ के अंदर जाते ही दो ही मिनट में उसकी फ़ुद्दी ने पानी छोड़ दिया। पर उसकी तमन्ना अभी भरी नहीं थी। उसकी भूख अपने चरम पर थी, मैं बिना रुके उसकी चूत में ड्रिल मशीन की तरह अपनी जीभ से सनसनी करता ही रहा। पंखुरी को और मज़ा आये उसके लिए अब मैंने उसकी गांड में अपनी एक उंगली और चूत के निचले हिस्से पर अपने अंगूठे से धीरे धीरे मसाज भी करने लगा। करीब 15 मिनट बाद पंखुरी झड़ी और इतना पानी निकला जैसे वो मूत रही हो। जब पंखुरी झड़ रही थी तो ऐसे झटके ले रही थी जैसे हार्ट अटैक आ गया हो। पंखुरी के चिपचिपे पानी से मेरे पूरे कपड़े गीले हो चुके थे, पंखुरी ने पूरी ताकत से अपनी दोनों टांगों के एक दूसरे से मिला रखा था, वो ऐसे ही टाँगे चिपकाये कांपती हुई झड़ती रही।

जब वो थोड़ी सी नार्मल होने लगी तो मैंने टाँगें फिर से चौड़ी करने का इशारा किया, तो पंखुरी बोली बस हो गया मेरा... अब कुछ नहीं चाहिए। मैंने कहा माँ की लौड़ी, अभी एक बार और तुझे और पानी बहाना पड़ेगा तभी छोड़ूँगा मैं तुझे। पंखुरी बोली अरे वो तो मैं वासना और कामोत्तेजना में बहकर बोल गई थी, आप बैठ जाओ थोड़ी देर में आपके लौड़े को अपनी चूत में डलवाऊँगी, मैंने कहा हाँ ठीक है, पर टाँगें चौड़ी तो कर मुझे थोड़ा सा पानी टेस्ट करना है। जैसे ही पंखुरी की टाँगें थोड़ी चौड़ी हुई, मैंने फिर से अपना सर उसकी चूत पर लगा दिया और फिर से जीभ से अपनी बीवी की चूत की चुदाई करने लगा। पंखुरी बोली प्लीज छोड़ दो, बात को समझो... मैंने ऐसे ही कह दिया था, मेरा यह मतलब नहीं था। पर मैंने भी सोचा हुआ था कि आज इसको इतना चोदूँगा की यह रो पड़े। मैं बोला तुमने बोला था न, तो अब मजे लो, टेंशन मत लो। ए विनीत... ज़रा अपनी भाभी का सर पे हाथ फेर और उसे नार्मल कर! विनीत ने बिना मुंह से पंखुरी का बोबा निकाले ही सर पे हाथ फेरना शुरू कर दिया। अब तक पंखुरी को समझ आ गया था कि मैंने बात को पुरुषत्व पे ले लिया है, तो उसने मुझसे बोलना बंद कर दिया और अपनी फंतासी को जीने लगी। मैंने फिर से पंखुरी की गांड में एक उंगली डाल कर और अबकी बार अंगूठा भी थोड़ा चूत के थोड़ा ज्यादा अन्दर डाल कर मसलने लगा और जीभ से पंखुरी की चूत का दाना छेड़ता रहा। थोड़ी ही देर में पंखुरी फिर से भड़भड़ा के पानी बहाने लगी, उसके चेहरे पर पसीना उसकी आँखें एकदम लाल और आँखों में आंसू भी थे। मैंने उसको सीट से उठाया और अपनी गोद में बैठा लिया और पूछा क्या हुआ तुम रो रही हो? पंखुरी बोली कोई नहीं, आप चिंता मत करो, औरतों के आंसू तो किसी भी बात पे निकल जाते हैं। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, मेरी दिल की तमन्ना पूरी हो रही है इसलिए ख़ुशी के आंसू हैं। विनीत बोला यार, शायद इंटरवल होने वाला है, अपन थोड़ा सीधे बैठ जाते हैं। हमने अपने अपने कपड़े सही किये और चारों अच्छे से अपनी अपनी जगह बैठ गए। रितिका विनीत के बगल में उसके कंधे पर सर रखकर बैठ गई और पंखुरी मेरे बगल में बैठ कर मेरे कंधे पर सर रखकर बैठी रही।

10 मिनट बाद ही इंटरवल हो गया, मैं और विनीत जाकर पॉपकॉर्न, ड्रिंक्स और पानी ले आये। मैंने वाशरूम जाकर अपने कपड़े थोड़े सही किये क्योंकि वो चिपचिपे थे। हमने अपने अपने कपड़े सही किये और चारों अच्छे से अपनी अपनी जगह बैठ गए। रितिका विनीत के बगल में उसके कंधे पर सर रखकर बैठ गई और पंखुरी मेरे बगल में बैठ कर मेरे कंधेपर सर रखकर बैठी रही, इंटरवल खत्म होते ही जैसी ही लाइट्स बंद हुई, मैंने पंखुरी को अपनी गोद में बैठाया और टी शर्ट ऊपर करके उसके स्तन दबाने लगा। रितिका ने मौके की नजाकत को देखते हुए मेरे और पंखुरी के जीन्स का बटन खोला, ज़िप खोली और जीन्स और घुटनों तक उतार दिया। पंखुरी अपने हाथ से मेरे लौड़े को अपनी चूत पर सेट करके उस पर बैठ गई, पूरा लंड जब चूत में चला गया मेरे से टिक के धीरे धीरे उछलने लगी। मेरी तरफ पंखुरी की पीठ थी, पंखुरी मूवी देखने आये लोगों को साफ़ दिख सकती थी।

सभी लोग मूवी देख रहे थे और वो अपने पति से मूवी हॉल में चुद रही थी, शायद ऐसा ही सोच कर पंखुरी की चूत में थोड़ा और गीलापन आ गया। पंखुरी अब चुदने के आनन्द के चरम पर थी, वो अपनी आवाज़ पर संयम नहीं बरत सकी और उसके मुंह से 'आह उह आह ओह्ह ऊंह्ह आह उह आह ओह्ह...' निकल गया जिसकी ध्वनि थोड़ी ज्यादा थी। जब तक मैं पंखुरी के मुंह पर हाथ रखता, तब तक लोग पीछे पलट कर देख चुके थे। सभी लोग दुबारा से मूवी देखने लगे पर मूवी में इतना मज़ा कहाँ जो लाइव सेक्स देखने में है इसलिए लोग अब बार बार मुड़ कर देखने लगे। पंखुरी अब आराम से चुदवा रही थी उसके मुंह से बीच बीच में सिसकारियाँ भी निकल रही थी।

विनीत और रितिका भौचक्के से हम दोनोंको सिनेमा हॉल में सबकी नज़रों के सामने चुदाई करते देख रहे थे। कुछ मनचले युवक को जी बिना किसी लड़की के आये थे, वो हमारी तरफ आने लगे। पंखुरी बोली जानु डोंट वरि तुम बस चुदाई करते रहना, रुकना मत। 4 लड़के आकर हमारे आगे वाली सीट पर घुटनों के बल हमारी तरफ मुंह करके बैठ गए। पंखुरी उनकी आँखों में आँखें डाले उन्हें देख रही थी। लड़के बोले देखो इस मादरचोद को कोई शर्म ही नहीं है। एक बोला चल अपन भी इसके बदन का मज़ा लेते हैं, इसके बूब्स दबा लेते हैं। एक बोला अबे चूतिये, तेरी लौडिया इतनी गर्म हो रही थी तो रूम पे ले जाता, यहीं चुदाई मचाने लगा?

आगे बैठे 4-5 कपल्स भी हमारी चुदाई का लाइव नज़ारा देखने पीछे आ गये। पंखुरी बोली मेरा जहाँ मन करा, मैं चुदवा रही हूँ और ये कोई मेरा बॉय फ्रेंड नहीं मेरा पति है। मैंने तुम्हे किसी चीज़ के लिए नहीं रोका पर मेरे बदन को हाथ लगाने के लिए तुम्हे मेरे पति से परमिशन लेनी होगी। मैंने पंखुरी को गोद से उठाया, उसका मुंह अपनी तरफ करके दुबारा अपने लौड़े पे बैठा लिया और बोला तू बस चुद... इनको जवाब मैं दे दूंगा। मैं चुदाई करते करते ही बोला हाँ भाई, किसको क्या समस्या है। लड़के बोले हमें भी इसे चोदना है। मैंने कहा माँ के लौड़े, ऐसे कैसे चोदना है? लड़के बोले मादरचोद गाली दे रहा है। मारो इसको मारो...

विनीत खड़ा हुआ, मैंने पंखुरी के बैग से एक जर्मन मेड पिस्टल निकाली और बोला हाँ मारना है, कौन आ रहा है मारने? आओ मादरचोद! पिस्टल मैंने विनीत को दी और बोला जो हमारी तरफ बढ़े उसे बेधड़क गोली मार देना, मैं सब निबट लूंगा। विनीत पिस्टल ताने रहा, हम चुदाई करते रहे। सामने सेक्स हो रहा हो और वो कुछ न करें ऐसा तो हो नहीं सकता, इसलिए 7-8 लड़कों ने हमारे सामने अपने अपने लंड बाहर निकाल लिया, पंखुरी को चुदते देख मुठ मारने लगे। मैंने फिर से पंखुरी को उठाया और उसका मुंह स्क्रीन की तरफ कर दिया। मैंने कहा यह ठीक है कि तुम अपने पास जो है, उससे खेलो, मेरे पास जो है उससे मुझे खेलने दो। तुम लोग अच्छे से मुठ मारने का मज़ा ले सको इसलिए इसका मुंह तुम्हारी तरफ कर दिया है, अब इसके बूब्स पर अपनी अपनी मुठ गिरा सकते हो।

कुछ लोग तो हॉल छोड़ कर चले गए, कुछ कपल्स में उनकी लड़कियों ने अपने साथ आये लड़कों की मुठ मारी। पंखुरी जब मुझसे अच्छे से चुद गई तो वो जाकर सीढ़ियों पर लेट गई सभी ने उसके ऊपर अपना मुठ गिरा दिया, पंखुरी पूरी तरह मुठ से भीग गई थी।

सभी लोग मुझे थैंक्स बोले और सॉरी मांगी, बोले आप बहुत अच्छे हैं, हमने आपको गलत समझा। मैंने मन ही मन सोचा माँ के लौड़े, पिस्टल के सामने अच्छे घुटने तक देते हैं तुम तो अभी पैदा हुए हो। पंखुरी के बैग में एक तौलिया था, उससे उसके बदन पर पड़ा हुआ सारा वीर्य पौंछा और हम लोग वापिसी में खाना पैक करा कर आ गये।

घर पहुंचते पहुंचते हमें 2:30 बज गए थे। घर पर आने के बाद सभी लोग वापस से नंगे हो गए। मैंने पंखुरी से पूछा तुझे वहाँ किसी और लौड़े का लेने का मन तो नहीं था न? पंखुरी बोली नहीं, तुम लोगो ने मेरी जो हालत कर दी थी उसके बाद तो मेरी किसी और लौड़े को लेने की इच्छा नहीं बची थी। विनीत बोला लेकिन नज़ारा देखने लायक था, इतने मर्द एक साथ किसी लड़की को देखकर मुठ मार रहे थे, यह नज़ारा अब ज़िन्दगी भर के लिए दिमाग में छप गया है। रितिका बोली भाभी, आपकी डर्टी फंतासी वाकई लाजवाब थी। वीनू, मुझे भी कभी न कभी ऐसे ही किसी सिनेमा हाल या पार्क या मॉल में चोदना। विनीत बोला हाँ डार्लिंग, पहले रोहित की तरह एक पिस्टल ले लूँ, फिर चोदूँगा वर्ना मेरे अलावा कितने लौड़े तेरे मुंह, नाक, गांड, चूत और जहाँ जहाँ छेद हैं, वहाँ जायेंगे कि शायद तू बैंडिट क्वीन बन जाये। सभी लोग हंसने लगे। मैंने कहा वो कोई असली पिस्टल नहीं है, वो सिर्फ दिखने में पिस्टल जैसी है, वैसे वो लाइटर है पर डराने का काम अच्छा करती है। विनीत बोला ओह्ह तेरी की बेहनचो... मेरे हाथ में भी थी पर इतनी भार लगी कि लगा असली पिस्टल ही है। पंखुरी बोली मैंने इतना चुदवाया है आज कि मुझे थोड़ी थकान हो रही है, मुझे थोड़ी देर आराम करना है। और बोलते बोलते पंखुरी बिस्तर पर गिर गई, जल्दी ही वो सो गई।

हम सभी को 4 बजे का इंतज़ार था पर अभी एक घंटा था हब्शी के आने में, मैंने पंखुरी को चादर उढ़ा दी और हम तीनों बाहर के कमरेमें आ गये जिससे पंखुरी की नींद में कोई विघ्न न आये। बाहरके कमरे में आकर में सोफे पर बैठ गया और रितिका मेरे बगल में विनीत कालीन पर था और उसका सर मेरी जांघों से टिका हुआ था। विनीत बोला यार, ये ज़िन्दगी के सबसे हसीं पल हैं कितना अच्छा होता कि अपन लोग साथ में ही रहते। मैं भी दिल्ली में ही नौकरी ढूंढ लेता हूँ।

मैंने कहा हाँ, मेरी कंपनी में अप्लाई कर दे, वहाँ कुछ जुगाड़ भी लगा दूंगा मैं! विनीत बोला अपन इसी मकान में साथ साथ रहेंगे, जब मर्जी आये रितिका को चोदूँगा और जब मन करेगा भाभी को। रितिका भी बोली हाँ, बहुत मज़ा आएगा, इससे पहले हम लोग सिर्फ रात को 20 मिनट के लिए बिस्तर पर जाने के बाद सेक्स करते और सो जाते थे, पता ही नहीं था कि इस सेक्स की दुनिया में इससे ज्यादा आनन्द भी लिया जा सकता है। पहले मन में अगर ऐसे ख्याल आ भी जाते थे तो यही सोचती रहती थी कि शायद वीनू को अच्छा नहीं लगेगा पर अब खुल के अपनी ज़िन्दगी जी सकती हूँ। किसी का भी लंड किसी भी जगह बिना किसी डर के ले सकती हूँ। पहले ये सब पाप लगता था। विनीत बोला हाँ, मैं भी अब तुम्हारी मदद से किसी भी चूत को अपना बना सकता हूँ, तुम मेरे लिए किसी भी लड़की को मेरे बिस्तर तक लाने में मदद कर सकती हो। बातें करते करते चार भी बज गए तब तक पंखुरी भी एक नींद निकाल के बाहर के कमरे में आ गई और आते ही मेरी गोदी में बैठ गई और मुझे किस करने लगी। रितिका बोली भाभी, आप सच में बहुत बहादुर हो, सबके सामने चुदते समय यह डर नहीं लग रहा था कि कोई और भी आपको चोद सकता है? पंखुरी बोली जब तक रोहित मेरे साथ है, मेरी मर्जी के खिलाफ मुझे छूना तो दूर मेरी तरफ कोई आँख भी नहीं उठा सकता। और अगर इनके होते हुए भी मेरी मर्जी के खिलाफ मुझे हाथ लगा जाता तो धत्त है ऐसे मर्द पे! जब इन्होंने कहा, तभी लोग मुझे देखकर मुठ मार पाये। मुझे भी अच्छा लग रहा था कि मेरे बदन को देखकर जवान और बूढ़े सभी मुठ मार रहे थे।

मैंने कहा चल छोड़ डायलाग बाज़ी, और सब लोग कपड़े पहन लो, हब्शी आता ही होगा रितिका की चूत मारने के लिए। रितिका बोली भैया, अब वो तो मुझे चोदने ही आने वाला है तो कपड़े क्यूँ पहनने? मैंने कहा थोड़ी नजाकत से चुदवाओगी तो और आनन्द आएगा, भले ही वो तुम्हारे लिए रंडी ही है पर मजा तो तब है जब एक रंडी भी खुल के एन्जॉय करे और तुम्हें अपने चरम पर ले जाए, तुम्हें खुश करे। रितिका बोली हाँ भैया, यह बात तो सही है। सभी लोग कपड़े पहनने लगे, मैंने पंखुरी से पूछा डार्लिंग, तुम्हें भी चाहिए क्या उस हब्शी का लंड? पंखुरी बोली मैं देखने के बाद ही फैसला करुँगी... वैसे पिछले कुछ दिनों में इतना सेक्स कर लिया है कि अभी तो फिलहाल ऐसा कोई मन नहीं है।

सभी लोग घर के नार्मल कपड़ों में आ गये, मैंने और विनीत ने बनियान और बरमूडा पहन लिया, रितिका ने टॉप और जीन्स, पंखुरी ने सूट। तभी घंटी बजी, विनीत ने दरवाज़ा खोला, सामने भयानक काला और डरावना आदमी खड़ा था। उसने विनम्रता से पूछा Can I ta।k to रोहित? मैंने अंदर से ही आवाज़ लगाकर बोला हाँ मैं हूँ रोहित, तुम्हें हिंदी नहीं आती क्या?

दरवाज़े के बाहर से ही उसने बोला आता है पर थोड़ा थोड़ा। मैंने कहा ठीक है, अंदर आ जाओ।

उसको सोफे पर बैठनेके लिए इशारा किया। सोफे पर बैठकर बेचारा इधर उधर बगलें झांकता सा दिख रहा था। मैंने कहा पैसे पहले लोगे या बाद में? वो बोला कैसा भी चलेगा। मैं थोड़ी दबंग आवाज़ में बोला रितिका, जब तक रितिका बाहर आये, मैंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है? वो कालू बोला मेरा नाम देंयल जॉन है। लोग मुझे डी जे बुलाते है। रितिका बाहर आई, बोली हाँ भैया? मैंने कहा देख लो, ये है वो! डी जे थोड़ा हक्का बक्का था पर चुप था। रितिका थोड़ा शर्माते हुए नज़रें झुका के बोली हाँ अच्छा है। मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोला अरे शादी के लिए थोड़े ही दिखा रहे है जो ऐसे शर्मा कर बोल रही है। उसके करीब जाओ उसके बदन को छू कर आजमा लो सब सामान चेक कर लो। रितिका ने नजरें उठाई और जाकर उसकी गोदी में बैठ गई, उसकी टी-शर्ट को ऊपर से गले के अंदर झाँक कर देखा, फिर बोली नाइस, तुम्हारी छाती पर बाल नहीं है। डी जे ने अपने हाथ हवा में ऐसे उठा रखे थे जैसे चेकिंग के लिए हाथ उठा लिए जाते है, वो रितिका को कहीं भी छू नहीं रहा था। रितिका ने डी जे के जीन्स पर हाथ फेरते हुए मेरी तरफ देखकर बोली हाँ, भैया चलेगा ये! रितिका उसकी गोदी से उठी, तब तक पंखुरी भी आ गई बाहर के कमरे में, मैंने कहा पंखुरी देख ये आया है रितिका को चोदने! पंखुरी आँखें बड़ी करके बोली अरे बाप रे... यह तो इंसान ही नहीं लग रहा। मैंने थोड़ा धीरे से कहा उसे हिंदी आती है। डी जे बोला सर कोई बात नहीं! मैंने कहा तो फिर क्या है, हो जा शुरू... जाओ रितिका इसे अंदर ले जाओ।

रितिका ने उसका हाथ पकड़ा और उसे सोफे से उठाने के लिए बड़ी अदा से अंदर ले जाने लगी। विनीत बिल्कुल चुपचाप यह सारा नज़ारा देख रहा था। मैं विनीत की ख़ामोशी तोड़ने के लिए बोला विनीत भाई, तुझे अगर तेरी बीवी रितिका के लिए वो कालू पसंद नहीं आया हो तो बता, अपन कोई और बुला लेंगे। विनीत थोड़ा गहरी मुस्कान के साथ बोला नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है। मैंने कहा फिर इतना शांत क्यूँ खड़ा है, तेरी फंतासी पूरी होने जा रही है, तुझे कोई ख़ुशी नहीं हो रही? तब तक डी जे और रितिका ने कमरा बंद कर लिया था, मैंने आवाज़ लगाई रितिका, जल्दी ही रितिका बाहर आई और बोली हाँ भैया? मैंने कहा मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारी फंतासी पूरी होने जा रही है। रितिका बोली नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है। तो मैंने कहा तो विनीत की फंतासी के हिसाब से तो तुम्हें विनीत के सामने उस कालू से शारीरिक सम्बन्ध बनाने हैं। रितिका बोली मुझे तो आप लोगों से कोई दिक्कत नहीं है पर वो आदमी कैसे ये सब करेगा इसलिए अंदर गई तो उसने दरवाज़ा बंद कर लिया। मैंने कहा उसकी चिंता मत करो, वो तो साला रंडी है, जो कहेंगे वो करना पड़ेगा।

मैंने आवाज़ लगाई डी जे, वो बाहर के कमरे में आ गया। मैंने उससे कहा तुम्हें जो भी कुछ करना है, यहीं करना है। मैं थोड़ा रूककर बोला चलो, अपनी टी-शर्ट उतारो। काले सांड ने अपनी टी-शर्ट उतारी, उसका शरीर देखने लायक था। उसके पूरा बदन गठीला, एक एक मांशपेशी और नस नस दिखाई पड़ रही थी। विनीत बोला अब क्या हर चीज़ बोलनी पड़ेगी, रितिका को खुश करो, तुम जैसे भी कर सकते हो।

डी जे कुछ नहीं बोला और रितिका को गोद में उठा लिया जैसे कोई दो साल की बच्ची को उठाता है और उसे सोफे पर बैठा दिया। फिर कालू खड़ा हुआ और जैसे स्ट्रिप टीज़र करते है वैसे अपने जीन्स का बटन खोलने लगा। मैंने जल्दी ही माहौल समझा और पिटबुल के गाने लगा कर आवाज़ बढ़ा दी। डी जे ने मुझे आँखों से ही थैंक्स बोला। मैंने बोला पंखुरी तुम भी रितिका के बगल में जाकर बैठ जाओ। विनीत बोला हाँ भाभी, जैसे लड़कियों की पार्टी में स्ट्रिप टीज़र डांस होता है वैसा ही लगेगा जाओ न! पंखुरी भी रितिका के बगल में जाकर बैठ गई। अब धीरे धीरे गाने की धुन पर डी जे अपने जीन्स की ज़िप खोलते हुए अपनी गांड मटकाता हुआ लड़कियों के लिए स्ट्रिप टीज़ करने लगा। दोनों लड़कियों को उसने इतना उकसा दिया कि पंखुरी ने उसके जीन्स के ऊपर से ही हथियार की धार देखने की कोशिश करने लगी और रितिका भी कालू की गांड पे चपेट लगा देती। जैसे ही जीन्स कालू के शरीर से अलग हुई, कालू ने एक स्टेप में अपनी चड्डी को थोड़ा उठा के अंदर का हथियार दिखाया और फिर बंद कर दिया जैसे उन्हें दिखा के चिढ़ा रहा हो। मैं और विनीत सिगरेट के धुएं के साथ खड़े खड़े ये तमाशा देख रहे थे। कालू ने दोनों लड़कियों को इशारा किया कि वो भी अपने कपड़े उतार लें। रितिका ने तुरंत अपना टॉप उतार फेंका, पंखुरी कपड़े बिना उतारे ही बस एक टक कालू को देख रही थी। डी जे ने रितिका के दोनों बूब्स अपने दोनों बड़े बड़े हाथों से पकड़े और हल्की हल्की मसाज देने लगा। इधर विनीत ने अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया।

डी जे ने रितिका को खड़ा किया और उसके जीन्स का बटन अपने मुंह से खोल दिया, ताकतवर दांतों से ज़िप भी नीचे करता जा रहा था और रितिका की गांड भी सहला रहा था। पंखुरी अपने पैर के अंगूठे के नाख़ून से कालू के सीने के निप्पल को छेड़ने लगी। डी जे भी दिखा रहा था कि हाँ उसे अच्छा लग रहा है। तभी मेरे बरमूडा नीचे सरका, मैंने पीछे देखा तो विनीत ने सरकाया था। मैं भी कपड़े उतार के विनीत की तरह नंगा हो चूका था। डी जे ने अब तक रितिका को पूरी तरह नंगी कर दिया था। पंखुरी ने अब तक अपना बदन ढक कर रखा था पर हाँ वो अपने पैर के अंगूठे के नाख़ून से डी जे के छाती ही नहीं अब उसके औजार पर भी वार कर रही थी। डी जे ने रितिका को सोफे पर बैठाया और अब धीरे धीरे अपनी बॉक्सर को उतारना शुरू किया। कभी दांई तरफ से बॉक्सर नीचे करता कभी बांई तरफ से और फिर रोक देता। कालू के बदन पर अब तक एक भी बाल नहीं दिखा था। इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त हुई और डी जे ने अपना लम्बा और काला लौड़ा दोनों औरतों के सामने कर दिया। विनीत बोला रितिका चूस इसका लंड! डी जे का लंड अभी पूरी तरह खड़ा ही नहीं था तब भी वो कम से कम 9 इंच तो होगा ही। पंखुरी बोली ये आदमी का है या गधे का? विनीत भैया, आदमी ही क्यूँ बोला, बोल देते गधे से चुदवाना है रितिका को। विनीत बोला भाभी मैंने सपने में कई बार इसको ऐसे ही काले लंड से चुदते हुए और मस्ती करते हुए इसी को चोदा है। जब हम चुदाई करते थे तो हम अपने मन में कोई कहानी से अपने आपको उकसा कर अपना लंड खड़ा करता था। यह ऐसी अचूक कहानी है जिसमें मेरा लंड हमेशा ही खड़ा हो जाता था और मैं रितिका को कभी कभी 40-45 मिनट तक चोदता रहता था। तब तक रितिका ने कालू के लौड़े को चूसना शुरू कर दिया था। इधर पंखुरी भी धीरे धीरे मूड में आरही थी, उसने भी एक एक करके अपने बदन से कपड़े अलग करना शुरू कर दिए थे। पंखुरी ने डी जे के बॉल्स सहलाना शुरू किये इधर विनीत भी मेरी जांघें और लंड को छूना शुरू कर चुका था। डी जे जमीन में लेट गया और रितिका को अपने मुंह पर बैठा लिया, पंखुरी सोफे पर बैठे बैठे अपने पैर के पंजों से डी जे के लंड की मुठ मारने लगी। रितिका भी अपनी चूत पर कालू की जीभ का पूरा मज़ा ले रही थी, अपने हाथों से अपने बूब्स दबा कर विनीत और मुझे दिखा रही थी, बता रही थी कि वो इस फंतासी को पूरी तरह जी रही है। विनीत बोला यार, यहाँ कब तक खड़े खड़े तमाशा देखेंगे, चलो अंदर चलते हैं, बिस्तर पर सभी लोग मस्ती करेंगे। रितिका बोली वीनू, थोड़ी देर रुको न, अभी इसकी जीभ सही जगह पर छू रही है, थोड़ा मज़ा ले लेने दो, फिर चलूंगी। विनीत बोला रंडी कैसी कालिये की जीभ के मजे ले रही है, ले मजे और मजे ले बेन की लोड़ी।

हम तीनों मैं, पंखुरी और विनीत बैडरूम में चले गए।

8-10 मिनट के बाद रितिका हमारे कमरे में आई, तब तक हम तीनों एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे। रितिका आकर बोली मुझे इस कालू पर मूतना है, उस दिन आप सब मेरे ऊपर मूते थे। आज मैं इस पर मूतना चाहती हूँ बाथरूम में कालू को लिटा कर वैसे ही उसके मुंह पर रितिका बैठ गई और डी जे के मुंह पर मूतने लगी। डी जे भी एक्सपर्ट था, वो भी रितिका को पूरा आनन्द देने के लिए आराम से अपने ऊपर मुतवाता रहा। रितिका का मूत पीता, कभी उसके मूत को मुंह में भरकर रितिका के पेट तक उसी का कुल्ला कर देता। रितिका ने पूरा मूतने के बाद भी लगभग 5 मिनट और कालू के मुंह पर बैठकर अपने कूल्हे मटका मटका के अपनी चूत को चटवाया। फिर दोनों साथ में शावर लेने लगे, बाथरूम का दरवाज़ा एक मिनट के लिए भी बंद नहीं किया गया। रितिका नहा कर बदन पौंछ कर बिस्तर के बिल्कुल बीच में लेट गई, अपनी टांगें हवा में उछाल कर डी जे को अपनी चूत में अपना लंड डालने को निमंत्रण दे दिया। डी जे प्रोफेशनल तो था ही, तुरंत अपना लौड़ा हाथ में लेकर आगे बढ़ा और रितिका के चूत के द्वार पर रख दिया। उसने पहले अपने लंड के टोपे से रितिका की चूत इतनी रगड़ी कि रितिका लंड लेने के लिए लगभग पागल और भूखी शेरनी जैसी हो गई। रितिका खुद ही उछलने लगी जिससे उसका लंड थोड़ा अंदर चला जाए, वो डी जे को पकड़ कर हिलाने की कोशिश कर रही थी पर वो सांड कहा हिलने वाला था। जब डी जे पूरी तरह संतुष्ट हो गया कि अब रितिका को ज्यादा दर्द नहीं होगा उसने थोड़ा सा लंड रितिका की चूत में ठेल दिया। मेरे और विनीत के लंड के मुकाबले इस लंड का मोटापा काफी था। रितिका ने तकिए का कोन पूरी ताकत से अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपने मुंह को दबा लिया जिससे उसकी चीख न निकल जाए। विनीत तुरंत उठकर गया और अपनी बीवी रितिका का सर गोदी में रखकर बोला रितिका जान, अपने आप को रोको मत... चीखो, चिल्लाओ कोई बात नहीं। रितिका बोली इसने तो मेरी चूत फाड़ डाली, मैं मर जाऊँगी जान! विनीत बोला तू मेरा लंड चूस, ये तेरी चूत मारेगा तुझे दर्द नहीं होने देगा। पंखुरी ने ऐसी बातें सुनी तो सरसों का तेल उठा लाई, बिना किसी से कुछ बोले डी जे के पास गई उसके लंड को पकड़ा और बाहर निकाल दिया और उसके लंड पर ढेर सारा तेल मल दिया, थोड़ा सा तेल लेकर रितिका की चूत पर भी लगा दिया और थोड़ा ऊँगली रितिका की चूत के अंदर डाल के तेल अंदर तक लगा दिया। रितिका बोली थैंक यू भाभी! अब शायद इसका लौड़ा लेना आसान हो जायेगा। पंखुरी मुस्कुरा कर बोली एन्जॉय करो डियर, थैंक्स की क्या बात है। रितिका पलट गई और घोड़ी बन गई, कालू भी घुटने के बल बैठ गया, रितिका का मुंह अब विनीत के लंड पर था। कालू ने धीरे धीरे अपना लंड रितिका की चूत में पेलना शुरू कर दिया। विनीत इस तरह सीधा लेटा था जैसे वो रितिका का तकिया हो, रितिका के एक हाथ की तरफ विनीत के पैर थे और दूसरे हाथ की तरफ उसका मुंह। विनीत ने मुझे अपनी तरफ बुलाया और मेरा लंड चूसने लगा। मैंने भी पंखुरी को सीधा लिटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा और पंखुरी का मुंह रितिका और कालू के लंड के पास पहुंच चूका था तो वो भी कालू के बॉल्स और सहला और चाट रही थी। पूरा गोला बना लिया था हम लोगों ने जिसमें सभी एक दूसरे को पूरा आनन्द दे रहे थे। रितिका की चूत में अब जोरदार धक्का लगा जिससे डी जे का पूरा लंड अब रितिका की चूत में घुस गया था, रितिका चीख उठी, बोली ये माँ का लौड़ा चूत से डाल के मुंह से निकालेगा। रितिका के मुंह से गाली सुनकर बहुत अच्छा लगा, सभी लोग हंस दिए।

विनीत बोला तू बस ये बता... मज़ा आ रहा है या नहीं? रितिका कुछ नहीं बोल सकी, बस आह उन्हह ओह्ह्ह आंहह ओह्ह्ह्ह करती ही रह गई। मैंने पंखुरी से कहा बोल, अगर तुझे भी चाहिए ऐसा लंड तो ले ले। पंखुरी बोली मुझे चुदने का शौक है पर इतने बड़े लंड से अपनी चूत नहीं फड़वानी... मेरे लिए तो आप दोनों के ही लंड बहुत हैं कोई और पसंद आएगा तो मैं ज़रूर बताऊँगी। मैं बोला डी जे, मेरी बीवी को भी खुश कर यार, उसे भी ओरल का मज़ा दे दे। डी जे बोला यस सर, डी जे ने रितिका को लिटा दिया, पीछे से चोदता रहा और रितिका और डी जे के बीच जो जगह बनी उसमें पंखुरी को लिटा लिया और उसकी चूत को चाटने लगा । रितिका और पंखुरी की पीठ एक दूसरे से टकरा रही थी। विनीत पंखुरी के बूब्स मसलने और चूसने लगा वही में रितिका की तरफ जाकर रितिका के बूब्स के साथ खेलने लगा। रितिका और पंखुरी पूरी पसीने में तरबतर थी। रितिका बोली भैया, यह राक्षस अपना पानी छोड़ेगा या नहीं? मैंने कहा तू उसकी क्यूँ चिंता करती है, वो तो रंडी है न, जब तक तेरा मन है लिए रह लौड़ा अपनी चूत में... जब तेरा हो जाये तो निकलवा देना। घर जाकर हिलाता रहेगा या कोई दूसरी ग्राहक पे निबट लेगा। रितिका हँसते हुए बोली भैया, मैं तो 2 बार अपना पानी छोड़ चुकी हूँ। बस एक और बार निकाल लूँ, उसके बाद इस लंड को जाने दूंगी। भैया आपका लंड चूसती हूँ आप अपना पानी मेरे मुंह में निकाल देना। मुझे थोड़ा पानी पीना है। रितिका अब और ज्यादा मज़ा ले रही थी, वो अब कालू के लंड पर उछल रही थी, मेरे लंड को वो गले तक लेकर चूस रही थी। इससे पहले कि मैं अपना पानी उसके मुंह में छोड़ता, रितिका पानी छोड़ने लगी।

रितिका इतना मज़ा ले रही थी कि वो बोली फाड़ दे मेरी चूत, निकाल दे मेरा पानी, मादरचोद मुझे खा जा। चोद साले मुझे चोद, मसल डाल मुझे। मैं उसके बूब्स मसल रहा था और डी जे पूरी ताकत से रितिका को पेल रहा था। रितिका के झड़ने के बाद डी जे बोला मैं भी आ रहा हूँ। डी जे ने अपना लंड बाहर निकाला और जोरों से हिलाने लगा।

पंखुरी भी रितिका के बिल्कुल बगल में मुंह लगा कर बैठ गई। मैंने पहली बार अपनी बीवी को लंड से निकलने वाले पानी के लिए इतना उतावला देखा था। डी जे की मलाई निकलने लगी, उसने इतना मलाई निकाली कि दोनों औरतें पूरी तरह उसकी मलाई में भीग गई।

विनीत ने डी जे को पैसे दिए और थैंक्स बोल कर तौलिया लगा कर गेट तक छोड़ कर आया। तब तक रितिका और पंखुरी एक दूसरे को स्मूच करके एक साथ नहाने चली गई।

शाम के 7 बज चुके थे, सभी लोग थके हुए थे, भूख भी लग रही थी, पंखुरी और रितिका ने खाना बनाया, खाना खाकर सभी लोग एक साथ सो गए। सभी इतने थके हुए थे कि आज की रात किसी ने किसी को भी नहीं चोदा लेकिन अगले दिन हमारे पास समय नहीं था चुदाई का इसलिए मैं रितिका की बाँहों में और विनीत पंखुरी की बाँहों में ही सोते रहे! और अब यह तो स्पष्ट ही था कि हमने कपड़े नहीं पहने हुए थे।

अगली सुबह 10 बजे हमारी ट्रेन थी भोपाल जाने की... सभी लोग सुबह 7 बजे उठ कर नहा धोकर तैयार हो गए और हम 9:40 पर स्टेशन पहुंच गए थे।

अभी ट्रेन लग ही रही थी, विनीत ने पूछा- भाई, अपना सीट नंबर और बोगी कौन सा है? मैंने कहा यार कहीं जगह नहीं थी, मैंने फर्स्ट क्लास में बुकिंग कर ली है। बस प्रॉब्लम यह है कि 2 सीट एक कम्पार्टमेंट और बाकी 2 अलग अलग कम्पार्टमेंट में मिली है। अब अंदर ही कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा। ट्रेन आई मैंने TT से बात की तो उसने हमारी चारों सीट एक ही कम्पार्टमेंट में करवा दी। मुझे बुकिंग करते वक़्त से लेकर अभी तक कोई अंदाज़ा नहीं था कि यह सफर इतना सुहाना भी हो सकता है।​
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