Update 06
खेल अदला-बदली का... नए कारनामे, नए चेहरे...
हमने सामान एक ही कम्पार्टमेंट की बर्थ के नीचे रख दिया और मैं और विनीत चले गए खाने पीने का सामान लेने।हमने कुछ पानी, पेप्सी, जूस, कुछ केक्स और चिप्स ले लिए थे। क्योंकि मैंने फर्स्ट क्लास में रिजर्वेशन कराया था तो अपने सामान में एक व्हिस्की की बोतल तो घर से ही ले के चला था। विनीत बोला यार, तूने तो रंग जमा दिया। तूने बताया ही नहीं कि तूने फर्स्ट क्लास में बुकिंग की है। मैंने कहा बस यार, कहीं नहीं मिल रही थी तो इसमें ही करा दी। चल ट्रेन में चलते हैं, वैसे तो फर्स्ट क्लास है इसलिए टीटी जल्दी ही अपनी बात मान जायेगा पर फिर भी दूसरे यात्रियों को परेशानी न हो इसलिए पहले से व्यवस्था कर देनी चाहिए। अभी अभी गाड़ी लगी ही थी, टीटी दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा था। हमने जाकर अपने कम्पार्टमेंट में खाने पीने का सामान रख दिया और पूछा कोई और चीज़ की ज़रूरत तो नहीं है। तभी टीटी भी आ गया, मैंने उसे पूरा किस्सा बताया तो उसने बोला सर, मैं कोशिश करूँगा कि आपको तकलीफ न दूँ और आने वाले यात्रियों को समझा कर दूसरे कम्पार्टमेंट में शिफ्ट कर दूँ पर अगर कोई नहीं माना तो मुझे आप लोगों परेशान करना पड़ेगा। वैसे चिंता की कोई बात नहीं है, आम तौर पर फर्स्ट क्लास में सफर करने वाले थोड़े एडजस्टेबल होते हैं। गाड़ी चल चुकी थी।
हम लोग ट्रेन के गेट पर सिगरेट पीते हुए ही बातें कर रहे थे। जब हम लौटे तो कम्पार्टमेंट का दरवाज़ा बंद था। हमने खटखटाया तो अंदर से आवाज़ आई कौन है? हमने कहा हम ही होंगे और कौन आएगा? खोलो । अंदर देखा तो दोनों ने कपड़े चेंज कर लिए थे। घर से दोनों साड़ी पहन कर आई थी, पर ट्रेन में आकर दोनों ने छोटे टॉप और केपरी टाइप के कपड़े पहन लिए। विनीत बोला ये क्या है? पंखुरी बोली हमें थोड़े ही पता था कि हम फर्स्ट क्लास से जा रहे हैं, अब 12 घंटे कौन साड़ी पहन कर बैठेगा... आराम से जब भोपाल आने वाला होगा तब चेंज कर लेंगे। मैंने भी अपने बैग से व्हिस्की की बोतल और गिलास निकाले और पूछा हाँ भई, कौन कौन मेरा साथ देने में रुचि रखता है? रितिका और पंखुरी बोली हम लोग तो नहीं पी सकते क्योंकि हम तो ससुराल जा रहे हैं। विनीत बोला इतना लम्बा रास्ता है, चलो धीरे धीरे पीते हुए रास्ता मस्त कटेगा। हमने एक एक छोटा छोटा पैग बनाया और रितिका और पंखुरी को सॉफ्ट ड्रिंक्स दे दिए और चियर्स करके पीने लगे।
रितिका बोली अब तो हम भोपाल चले जायेंगे और आप लोग दिल्ली में रहोगे पर यह समय बहुत अच्छा बीता। आप लोग भी जल्दी जल्दी मिलने की कोशिश करना, हम लोग भी कोशिश करेंगे कि हमारे दिल्ली के चक्कर ज्यादा लगा करें। पंखुरी बोल हाँ, तुम दोनों के साथ तो बहुत अच्छे वाले सम्बन्ध हो गए हैं अब तो जल्दी जल्दी मिलना ही पड़ेगा। मैंने कहा सम्बन्ध नहीं, अवैध सम्बन्ध! कम्पार्टमेंट में कुछ पल के लिए ख़ामोशी छा गई, फिर सब हंस पड़े। मैं भी हंसी में हंसने लगा। रितिका बोली भैया, हमारे पास अभी भी 12 घंटे हैं, कोई गेम खेलते हैं न, कुछ सोचिये न? मैंने कहा आईडिया तो बुरा नहीं है। मैं उठा और दरवाज़ा अच्छे से चटकनी लगा कर बंद कर दियाम मैं बोला रितिका तुम यहाँ आ जाओ मेरे पास, विनीत तू पंखुरी के बगल में बैठ, ट्रेन में कुछ धमाल करते हैं। विनीत बोला वाह यार, मैंने तो ये सोचा ही नहीं, कम्पार्टमेंट का फायदा उठाया जा सकता है। बोलते बोलते वो पंखुरी के बगल में जाकर बैठ गया। पंखुरी आधी लेटी हुई थी, विनीत पंखुरी के बूब्स मसल कर बोला क्यूँ भाभी है न? पंखुरी बोली हाँ भैया, अब जो कुछ पल रह गए हैं उसमें कुछ मस्ती तो बनती है। रितिका बोली हाँ मस्ती तो निश्चित रूप से करेंगे ही, पर हम लोग कोई फैंटम थोड़े ही हैं जो 12 घंटे तक चुदाई कर सकें। इसलिए जैसा भैया गेम बताएँगे, खेल खेल में कोई न कोई मस्ती तो ढूंढ ही लेंगे। क्यूँ भैया? और मेरी तरफ आँख मार दी।
पंखुरी बोली बात तो तूने सही बोली है रितिका, गेम खेलने में ज्यादा मज़ा आएगा। विनीत बोला यार, कोई अच्छा सा गेम सोच जो यहाँ खेल सकें।
मैंने कह चलो फिर आज मैं एक नया खेल बताता हूँ, कोई बोतल नहीं घूमेगी। सबकी एक एक करके बारी आएगी। बाकी के तीन लोग मिलकर सामने वाले के लिए टास्क बताएँगे। अगर तीनों लोगों की सहमति होगी तो टास्क पूरा करना ही पड़ेगा, कोई बहाना नहीं चलेगा। तीनों ने हाँ तो कर दी पर वो यही सोच रहे थे कि यह तो लगभग वही गेम है जो घर पर पहले दिन खेला था। मैंने कहा बताओ सबसे पहले टास्क लेने को कौन तैयार है? रितिका ने सबसे पहले हाथ खड़ा कर दिया। मैंने कहा तुम्हारे लिए बहुत ही आसान सा टास्क है, तुम्हें मेरे 3 सवालों का सच सच जबाब देना होगा। रितिका बोली ओ के... पूछिए। मैंने कहा पहला सवाल: यह है कि तुम्हें पिछले 2 दिनों में सबसे अच्छा पल कौन सा लगा और क्यूं? रितिका बोली यह आसान सवाल नहीं है पर मैं जवाब ज़रूर दूंगी। पिछले 2 दिनों में सबसे अच्छा पल था, जब मेरी इच्छा का काम अपने आप हुआ था। जब मुझे विनीत ने खुद आपसे पहली बार चुदने के लिए गर्म करके भेज दिया था।
दूसरा सवाल: कल शाम को कालू से चुदाई का अनुभव कैसा रहा? क्या तुम इसे बार बार करना चाहोगी?विनीत की आँखों में देखती हुई रितिका बोली अगर मेरे पति को अच्छा लगता है कि मुझे कोई और चोदे तो मैं ऐसा करती रहूंगी... पर सच पूछिए तो मुझे बड़े काले मूसल से ज्यादा आनन्द आप दोनों के प्यारे से लंड में आता है। यह बात सही है कि यह मेरा पहला अनुभव था जब मुझे एक काला आदमी चोद रहा था, वो भी जिसको पैसे दिए गए थे कि वो मुझे खुश करे। उसने मुझे बहुत अच्छे से उत्तेजित किया पर सबसे ज्यादा उत्तेजित करने वाली बात यह थी कि ये सब मैं अकेली नहीं, आप लोगों के सामने कर रही थी। शायद अकेले में मैं इतनी प्रसन्न नहीं हो पाती।
तीसरा सवाल: तुमने शादी के पहले और शादी के बाद अब तक कितने लण्डों को देखा है? कितने लण्डों को छुआ है? और कितने लण्डोंसे चुदवाया है? रितिका अपनी जगह से उठी और विनीत को बाहों में लेकर बोली मैं चाहूँ तो इसका जो भी जवाब दूंगी, आप लोगों को मानना ही पड़ेगा पर मैं सच बोलना चाहती हूँ। शादी से पहले से ही मैं थोड़ी जिज्ञासु किस्म की लड़की रही हूँ। मैंने शादी से पहले अनगिनत लण्डोंको देखा है। उसमें मेरे भाई, पापा, चाचा और भी कई लोग आते हैं। मैंने बाथरूम के रोशनदान में एक छेद ढूंढ लिया था जिसमें से मैं इन सभी को देख लेती थी। जैसा कि मैंने बताया कि मैं जिज्ञासु थी तो मैं बस, ट्रेन में चलते समय लण्डों को छू भी लेती थी और कई बार तो मैंने उनकी चलती ट्रेन में खड़े खड़े अपने हाथों से मुठ भी मारी है।
क्या करती वो अपना लंड मेरी गांड में चुभाये जा रहा था, मैंने हाथ पीछे किया तो उसका लंड मेरी हथेली को छू गया। मैंने उसे पकड़ लिया और हिलाती रही जब तक कि उसकी मलाई मेरे हाथ में नहीं गिर गई। उसके बाद तो मुझे मज़ा आने लगा, चलती बस ट्रेन में बैठने की जगह भी होती तो भी नहीं बैठती बल्कि खड़े आदमियों के खड़े लण्डों को सहला आती थी। हाँ चुदवाने के मामले में मैंने अपनी मर्जी से कोई लंड अपनी चूत में नहीं लिया।
मुझे सबसे पहले मेरे चाचा ने गांड मारी थी, उसके बाद मैंने एक बॉयफ्रेंड बनाया था उससे भी मैं गांड ही मरवाती थी और चूत में सिर्फ उंगली करवाती थी। मेरी चूत में अब तक केवल तीन ही लंड गए हैं, एक वीनू, दूसरे आप और तीसरा वो कालू।
विनीत ने रितिका को बाँहों में भर के जकड़ लिया और एक बेहतरीन स्मूच में होंठों से होंठ जोड़ कर विनीत शायद सिर्फ यही कहने की कोशिश कर रहा था कि क्या आज तक तुम्हें मुझ पर इतना भरोसा नहीं था कि ये सब बातें कह पाती। और शायद रितिका कह रही थी कि बताना तो कब से चाहती थी पर हिम्मत नहीं पड़ती थी, सोचती थी कि तुम क्या सोचोगे। आज के इस स्मूच में केवल और केवल एक प्रेम का भाव था एक पति का अपनी पत्नी के लिए और एक पत्नी का अपने पति के लिए। सम्मान और प्रेम का ऐसा भाव मैंने उन दोनों में एक दूजे के लिए अब तक नहीं देखा था। उनके इस चुम्बन से बाहर निकालने का एक ही तरीका था, मैंने कहा हाँ तो अब अगला नंबर किसका है? विनीत अपने होंठों को होंठोंसे अलग करके बोला तू जिसका भी बोले?
मैंने कहा तो फिर तेरा ही नंबर है। रितिका के चेहरे पर असीम शांति का भाव था पर खेल को पूरे भाव के साथ खेलने के लिए बोली हाँ भैया, इनको भी कोई अच्छा सा टास्क देना। मैंने कहा तुम्हीं दे दो कोई टास्क वीनू को? रितिका बोली अगर ऐसी बात है तो चलो वीनू, तुम यहाँ से बाहर निकल कर जाओ और सामने आने वाली पहली लड़की या औरत को तुम्हें छेड़ना है। छेड़ने का मतलब है कि तुम्हें उसके बूब्स दबाने हैं। विनीत बोला यह कैसा टास्क है? मेरी पिटाई हो गई तो? रितिका बोली पिटाई न हो, इसका ध्यान रखना और हंसने लगी।
विनीत कम्पार्टमेंट से बाहर निकला, हम लोग भी उसे देखने के लिए बाहर आये। वहाँ बीच में जो अटेंडेंट बैठा होता है, वो खड़ा हो गया और बड़े अदब से पूछा सर, मैं आपकी किस तरह सहायता कर सकता हूँ? विनीत बोला मेरी मदद कोई नहीं कर सकता, आप बैठ जाओ, मुझे जैसे ही आपकी ज़रूरत होगी, मैं आपको बता दूंगा । विनीत वहाँ से सेकंड AC के डब्बे में घुसा। वहाँ तीसरी बर्थ पर ही एक सुन्दर सी 35-38 साल की महिला बैठी थी। विनीत ने पीछे मुड़ कर देखा, हमने इशारा किया 'हाँ यही है जिसके विनीत को बूब्स दबाने हैं।
विनीत उससे बात करना शुरू किया एक्सक्यूज़ मी, यहाँ नीचे आपका ही सामान रखा है? महिला बोली हाँ जी, क्यूँ क्या हुआ? विनीत बोला मेरे पास थोड़ा सामान ज्यादा है, मैं थोड़ा सामान यहाँ रख दूँ? तब तक मैंने विनीत की मदद करने के लिए उसके पास पहुँचा और उसे उस औरत पर धक्का सा दे दिया। विनीत ने गिरते ही उसके दोनों बूब्स कस के दबा दिए। मैंने उसे क्रॉस करते हुए कहा साले अंधे, दीखता नहीं है, रास्ते में खड़े हो जाते हैं। विनीत औरत के ऊपर से खड़ा होता हुआ बोला अँधा मैं हूँ या तू है? और इधर औरत की तरफ मुंह करके बोला मैं बहुत माफ़ी चाहता हूँ। औरत के बूब्स विनीत ने इतनी जोर से दबाए थे कि वो औरत बोली आप जाइये यहाँ से... मैं आपका कोई सामान नहीं रख सकती। और धीरे धीरे कुछ बड़बड़ाने लगी।
विनीत वहाँ से सीधा कम्पार्टमेंट में आ गया, मैं थोड़ी देर बाद वापस पहुँचा। जब मैं पहुँचा तो सभी लोग इसी घटना पर हंस रहे थे, पंखुरी और रितिका ताली पीट पीट कर विनीत का मजाक उड़ा रहे थे, रितिका बोली अगर भैया नहीं होते तो तुम कभी भी उस औरत को छू नहीं पाते। मैंने अंदर आकर कहा विनीत, तूने इतनी जोर से उसके मम्मे दबाए कि बेचारी अभी तक अपने बूब्स सहला रही है।
विनीत बोला साली थी ही एकदम क़यामत, उम्र कुछ भी हो पर थी साली गजबकी बला! इसीलिए जोश जोश में थोड़ा जोर से दब गए होंगे। पंखुरी बोली अब आपकी बारी! मैंने कहा ओके, मैं तैयार हूँ, बताओ क्या करना है? पंखुरी बोली आप अपने आप को बहुत अफलातून समझते हो न, आज मैं आपको ऐसा टास्क दूंगी जो आप पूरा नहीं कर पाओगे। अगर आप टास्क पूरा नहीं कर सके तो आपकी सजा होगी कि आप पूरे 15 दिन-रात तक आप किसी भी तरह का सेक्स नहीं कर सकेंगे। यहाँ तक की बाथरूम में जाकर मुठ भी नहीं मार सकते।
मैंने कहा यह हुई न बात, अब आएगा मज़ा... बताओ ऐसा कौन सा काम है जिसके लिए तुमने इतनी बड़ी शर्त रख दी। और साथ ही यह भी बता देना कि जीत गया तो क्या मिलेगा? पंखुरी बोली आपको उसी औरत को किस करना है जिसके अभी विनीत भैया ने मम्मे दबाये हैं। और हाँ अगर आप जीत गए तो आपकी मर्जी, जो आप चाहोगे, करूँगी। 'मैं तुम्हारी चुनौती स्वीकार करता हूँ। जीत कर ही बताऊँगा कि मैं क्या करवाऊँगा तुमसे!' अब मैं मन मन सोच रहा था आखिर मैं यह करूँगा कैसे? बीवी के सामने अफलातून वाली इमेज को बनाए रखने के लिए ज़रूरी था की इस टास्क तो पूरा करूँ... पर कुछ नहीं सूझ रहा था।
इतना सोचते हुए में बाहर तो आ गया और ट्रेन के गेट पर खड़ा होकर सिगरेट पीने लगा। सभी लोग मेरे पीछे आ ही गए थे देखने के लिए कि मैं ऐसा क्या करूँगा जिससे वो बंदी मुझे चूम ले। पर कहावत है न अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान ... ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ! सभी लोग मेरे बगल मैं आकर खड़े हो गए थे और बातें कर रहे थे। विनीत ने मेरे हाथ से सिगरेट ली और कश लगाने लगा।
तभी मैंने देखा की वही खूबसूरत औरत हमारी तरफ ही देख रही थी, वो हमें गुस्से में देख रही थी। विनीत ने मुझे सिगरेट दिया और अपने कम्पार्टमेंट की तरफ हो लिया। रितिका और पंखुरी भी विनीत के पीछे हो लिए। मैंने उस महिला को देखकर कहा देखिये, आप जो सोच रही हैं वो बिलकुल सही है। उसके थोड़ा और करीब गया और कहा हम सभी लोग एक गेम खेल रहे हैं, उसमे आप बिना बात के मोहरा बन गई हैं। पर सबको तो मैंने जिता दिया और अब यह चाल मेरे ऊपर है और मैं ये बाज़ी हारने वाला हूँ। महिला थोड़ी नाखुश सी बोली आप समझते क्या हैं अपने आप को? मैं कोई चीज़ हूँ जिसके ऊपर आपने शर्त लगा ली?
मैंने कहा एक बात सुनिए, आपको किसी ने चीज़ नहीं बनाया। खुद खुदा ने आपको हमारे बीच इस खेल के लिए चुना है। हमने सिर्फ इतना ही कहा था कि यहाँ से जाते समय जो पहली लड़की दिखे उसके साथ अपना टास्क पूरा करना है। अब बताइए हमने कहाँ, खुद ईश्वर ने आपको हमारे खेल का हिस्सा बनाया है। महिला बोली अब आपका क्या टास्क है? मैंने कहा मुझे आपको किस करना है बस! महिला बोली और तुम ये कैसे करने वाले हो? मैंने कहा शायद मैं ये टास्क पूरा न कर सकूं पर मैंने सोचा अगर मैं आपको सब कुछ साफ़ साफ़ बताऊँगा तो आप मेरा साथ देंगी। महिला एक पल को सोच में पड़ गई फिर हल्की मुस्कान से बोली और वो लोग जिन्होंने आपको टास्क दिया है वो कैसे मानेंगे कि आपने टास्क पूरा कर लिया? मैंने पीछे देखा तो सब कम्पार्टमेंट में घुस गए थे ।
मैं बोला आप आइये न हमारे कम्पार्टमेंट में। कम्पार्टमेंट में घुसते ही देखा, सभी लोग चुप और एकदम डरे हुए से थे। मैंने कहा ये देखिये, मैं अपना टास्क पूरा करता हूँ तुम सबके सामने। मैंने उस औरत के होंठों पर होंठ रख दिए। मेरे होंठसे होंठ मिलते ही उसे करंट सा लगा और वो बुरी तरह मुझसे चिपक गई और मुझे स्मूच करने लगी। मैंने भी अपना हाथ उसके ऊपर घुमाना शुरू कर दिया, उसकी पीठ सहलाते हुए मेरा हाथ उसके मस्त बूब्स पर चला गया। मैंने उसके बूब्स भी सहलाना शुरू कर दिया और वो मुझे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं कर रही थी जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ती जा रही थी। अब मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके कूल्हे भी सम्भाल लिए, अभी तक हमारा चुम्बन चल ही रहा था कभी वो मेरे ऊपर के होंठ को चूसती तो कभी में उसके निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच रखकर चूसता। पंखुरी बोली मान गई आपको यार, आप सच में अफलातून ही हो। उस औरत को थोड़ा होश आया, फिर थोड़ी शर्म भी आ गई, बोली मैं थोड़ी ज्यादा ही बह गई थी, सॉरी।
मैंने उसे कहा कोई बात नहीं, आप थोड़ी देर हमारे साथ बैठ जाइये, कुछ पानी या कोल्ड ड्रिंक्स वगैरह लेंगी। वो बोली हाँ थोड़ा पानी मिल जाता तो अच्छा होता। उसको पानी देने के बाद मैंने और विनीत ने पैग उठाया और बोले चियर्स... एक और टास्क पूरा कर लिया। 'हाँ तो पंखुरी डार्लिंग, अब कहो, अब है तुम्हारी बारी और शर्त वाली बात तो में बाद में ही बताऊँगा।'
पानी पीने के बाद वो औरत बोली अब मैं अपनी सीट पर जाती हूँ। मैंने कहा आप चाहो तो आप भी हमारे साथ खेल सकती हो। पर वो नहीं रुकी और बोली नहीं आप लोग खेलिए, मैं अपनी सीट पर ही जा रही हूँ। और वो अपनी सीट पर चली गई।
पंखुरी बोली तो बताओ अब क्या आदेश है मेरे आका? 'तुमने मुझे बहुत टेढ़ा काम दिया था करने को, अब तुम्हें भी कुछ ऐसा ही काम बताऊंगा जिससे तेरी गांड में बम्बू हो जाये।' पंखुरी इठलाते हुए बोली आय हाय... मजा आ जायेगा जब गांड में बम्बू जायेगा। बताओ न क्या करना है मुझे?
मैंने कहा तुम्हें सबसे पहले स्ट्रिप टीज करना है, उसके बाद जब पूरी नंगी हो जाओगी तब ट्रेन के गेट पर 2 मिनट तक खड़े रहना है। ट्रेन के बाहर के लोग अगर कमेंट्स या गालियाँ दे तो उन्हें अपने बूब्स पकड़ के हिला हिला के दिखाना है। पंखुरी के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी, वो बोली यह तो नाइंसाफी है। ट्रेन के बाहर के ही नहीं, ट्रेन के अंदर के लोग भी तो देखेंगे न मुझे? मेरा टास्क चेंज करो।
रितिका बोली हाँ भैया, यह टास्क तो बहुत कठिन है, थोड़ा रियायत तो बरत ही सकते हैं न? विनीत बोला तेरे बोलते बोलते मैंने तो अपनी प्यारी सी नंगी भाभी को कल्पना में देख भी लिया था। पर ठीक है अपन खेल खेल रहे हैं, कुछ थोड़ा आसान सा टास्क दे दे जिससे इनके बदन का दीदार हो सके बहुत देर से भाभी को नंगा नहीं देखा। मैंने कहा चलो टास्क को थोड़ा सा आसान कर देते हैं। तुम्हें नंगे होने के बाद कम्पार्टमेंट से बाहर जाना है और एक बाथरूम से लेकर दूसरे बाथरूम तक दौड़ लगा कर आ जाना है। विनीत बोला हाँ, अब तो ठीक ही है। रितिका बोली ये भी है तो मुश्किल लेकिन हमारी भाभी भी एक्सपर्ट हैं, कर ही लेंगी। चिंता मत करो भाभी में आपके साथ हूँ। इनके टास्क में यह कहीं भी नहीं है कि मैं आपकी मदद नहीं कर सकती। मैं करुँगी आपकी मदद टास्क पूरा करने में। पंखुरी बोली ठीक है। मैं कोशिश करती हूँ। पंखुरी दोनों बर्थ के बीच खड़ी होकर धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने लगी, चेहरे पर थोड़ी शिकन साफ़ दिखाई पड़ रही थी जो इस बात का आभास करा रही थी कि वो कपड़े तो उतार लेगी पर बाहर कैसे जाएगी।
मैंने रितिका से कहा तुम वहाँ बैठी बैठी क्या कर रही हो, इधर आओ और मेरा लंड चूसो। विनीत मुझे फटी आँखों से देख रहा था। रितिका उठी और मेरी टांगों के बीच बैठ गई, मैं खिड़की से तकिया लगाकर टाँगें चौड़ी करके बैठा था। रितिका ने मेरे जीन्स का बटन खोला, ज़िप खोली और लंड को बाहर निकालने लगी। मैंने कहा थोड़ा प्यार से रितिका डार्लिंग, ज़रा नजाकत दिखाओ। वो देखो तेरी भाभी नंगी होने में बिजी है कैसे अपने जिस्म की नुमाइश कर रही है साली ... मस्त लगती है न अपनी जान? रितिका बोली हाँ भैया, भाभी का फिगर एकदम परफेक्ट है। रितिका मेरे लंड को मसल के प्यार करने लगी थी। पंखुरी अभी तक उधेड़ बन में ही लगी थी की आखिर वो टास्क पूरा कैसे करेगी। मैंने रितिका का मुंह अपने हाथ से अपने लौड़े के पास ले गया। रितिका को इशारा काफी था जिस से वो समझ जाए कि अब उसे लंड मुंह में ले लेना है। रितिका ने लंड मुंह में लेकर ऐसे चूसना शुरू किया जैसे कुल्फी आइस क्रीम हो।
पंखुरी नंगी हो चुकी थी और अपने चूतड़ मटका के मुझे और विनीत को उकसा रही थी। पंखुरी बोली छोड़ इनके लंड को और एक काम कर बाहर जाकर देख, कोई है तो नहीं? और अटेंडेंट को पानी की बोतल लेने भेज देना। मैं फटाफट दौड़ के अपना टास्क पूरा कर लूंगी। रितिका लंड बाहर निकाल कर बोली हाँ भाभी, यह मस्त जुगाड़ है। मैं अभी आई। रितिका एक चक्कर लगा के आई और बोली भाभी, वो अटेंडेंट ही था, उसे भेज दिया है आप जल्दी से अपना टास्क पूरा कर लो। रितिका बाहर गेट पे खड़ी हो गई पंखुरी पूरी नंगी दौड़ती हुई पहले बाथरूम की तरफ गई जो सेकंड AC के डिब्बे की तरफ था और भागकर दूसरी और आई जिस तरफ से बोगी बन्द होती है। वो उस बाथरूम के दरवाज़े को हाथ लगाकर लौट रही थी, थोड़ी रिलैक्स भी हो गयी थी क्योंकि वो लगभग अपना पूरा टास्क खत्म कर चुकी थी। तभी उस बाथरूम का दरवाज़ा खुला, हाँ आप बिल्कुल सही पहचाने... अंदर से वही औरत निकली जिसके कुछ देर पहले विनीत ने मम्मे दबाए थे और मैंने चुम्बन करके उसके बदन पर इधर उधर हाथ घुमाया ही था। पंखुरी उससे बिना आँखें मिलाये, तेज़ी से आकर कम्पार्टमेंट में आ गई। पंखुरी के अंदर आते ही, रितिकाने कम्पार्टमेंट के अंदर आकर दरवाज़ा बंद किया और जोर जोर से हंसने लगी और पंखुरी को हाय फाइव दिया। पंखुरी जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगी।
मैंने पंखुरी को पीछे से पकड़ा और जोर से बूब्स दबा दिए। पंखुरी बोली छोड़ो मुझे, बाहर तुम्हारी वही आंटी खड़ी है। पंखुरी ने कपड़े पहन लिए थे। इधर शायद आंटी अपनी सीट तक जाकर बेचैन होकर वापस आई और गेट खटखटाया। मैंने कड़क स्वर में पूछा कौन है? आंटी की आवाज़ आई- मैं... मैंने दरवाज़ा खोला, आंटी बोली क्या मुझे थोड़ी सी पेप्सी मिल सकती है? खैर मुझे समझ तो आ रहा था की आंटी को कौन सी पेप्सी चाहिए पर फिर भी औपचारिकता वश मैंने कहा हाँ क्यू नहीं। और में अंदर आकर पेप्सी उठा कर दे दी। आंटी अंदर तक आ चुकी थी और कोने की सीट पर अपने चूतड़ टिका लिए थे। पेप्सी के दो बड़े बड़े घूंट पीने के बाद आंटी बोली क्या मैं यहीं बैठ जाऊँ? आप लोग अपना गेम कंटिन्यू करो, मैं खेलूंगी नहीं, पर देख तो सकती हूँ।
सभी लोग चुप थे, आंटी बोली तुम लोग कौन हो? विनीत बोला हम दोनों भाई है और ये हमारी बीवियाँ है। आंटी ने पंखुरी की तरफ ऊँगली करके पूछा ये किसकी बीवी है? पंखुरी मेरी तरफ ऊँगली करके बोली मैं इनकी पत्नी हूँ। आंटी ने अपनी नज़र झुका ली। रितिका बोली आप इतने सवाल क्यूँ पूछ रही हैं? आंटी बोली मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी, सॉरी अगर आपको बुरा लगा हो तो। मैंने कहा देखिये, हम लोग थोड़े कामुक खेल खेल रहे हैं, आप यहाँ बैठेंगी तो शायद आपको सहज न लगे इसलिए अगर आप हम लोगो को अकेला छोड़ दें तो... मेरी बात खत्म होने से पहले ही आंटी बोली नहीं, मैं आप लोगोके गेम्स देखने ही आई हूँ। रितिका बोली आप शायद सहज होंगी, पर हम लोग आपके सामने खेलने में सहज नहीं हों तो! मैंने रितिका की तरफ आँख मार के इशारा किया कि रहने दे इसके होने से हम लोगों को खेलने में किक मिलेगी। मैं बोला तो हाँ भई, अब किसकी बारी है? विनीत और पंखुरी एक सुर में बोले रितिका!
मैंने कहा कोई है जो टास्क देना चाहता है, या मैं दूँ? विनीत बोला तू ही दे! पंखुरी बोली इसको टास्क कैसे दूँ, इसने तो मेरी मदद की थी। मैंने कहा यह तो खेल है, मदद की थी तो कोई अच्छा सा टास्क दे दो, जो उसको भी अच्छा लगे। पंखुरी बोली नहीं, अभी तो आप ही दो, मैं तो विनीत भैया को दूँगी। हमारी डबल मीनिंग बात और लहजे को देख आंटी की आँखें फटी पड़ी थी। पर कोई भी उन पर ध्यान नहीं दे रहा था, उन्हें ऐसा महसूस करा रहे थे जैसे वो यहाँ हो ही न। मैंने रितिका से कहा तुम्हें ट्रेन में जोभी आदमी पसंद आये, उसकी मलाई अपने हाथ में लानी है।
रितिका ने भवें तानी और बोली मैं ये कैसे करुँगी। पंखुरी ने रितिका के कान में कुछ कहा और रितिका के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई, रितिका आराम से मटक कर बाहर चली गई।
हम लोग भी जिज्ञासावश उसके पीछे पीछे गए पर एक दूरी बनकर रखी, जिससे देख सकें कि वो आखिर कर क्या रही है। वो बाथरूम के बगल में जाकर खड़ी हो गई, काफी देर खड़े रहने के बावजूद रितिका ने कुछ नहीं किया। हम लोग वापस कम्पार्टमेंट में आ गये। थोड़ी देर में रितिका आई और बोली आपसे एक गलती हो गयी भैया! मैंने कहा क्या गलती? रितिका आई और मेरी टांगों के बीच बैठ गई, फिर बोली पूरी ट्रेन में तो आप भी आते हो। वैसे सबसे पसन्द आदमी तो मुझे मेरा वीनू ही है पर उसकी मलाई तो मैं लेती ही रहूंगी, अभी आपकी मलाई अपने हाथ में ले लेती हूँ। आंटी मेरी वाली बर्थ पे ही बैठी थी, आंटी फुर्ती से सामने की सीट पर आ गई। रितिका ने दरवाज़ा बंद किया और बोली क्यूँ भैया, हो गई न गलती आपसे? मैंने कहा अगर यह गलती है तो ऐसे गलती तो मैं बार बार करना चाहूंगा। सभी लोग हंसने लगे, आंटी एक दबी मुस्कान हंस दी थी।
आंटी ने थोड़ी हिचक के साथ पूछा तुम दोनों मियां बीवी हो न? मैंने तपाक से जबाब दिया नहीं, ये मुझे भैया बोल रही है तो ये मेरे भाई की बीवी है। आंटी पंखुरी और विनीत की और देख कर बोली तो ये तुम्हारे सामने ये लोग... इससे पहले की आंटी कुछ और कह पाती, विनीत पंखुरी की चूचियों को रगड़ते हुए बोला आंटी देखो, मेरी भाभी की चूचियाँ इतनी मस्त हैं। अब इससे ज़िन्दगी भर सिर्फ एक ही आदमी खेलता तो ये नाइंसाफी नहीं होती? आंटी शर्म से लाल हो रही थी। इधर रितिका मेरी टांगों के बीच बैठकर मेरी जीन्स खोल चुकी थी और मेरे लंड को चूम और सहला कर बड़ा कर रही थी। आंटी की नज़र मेरे लंड पे जमी हुई थी। मैं थोड़ा उठकर बैठ गया और रितिका की पीठ सहलाते हुए उसे भी प्यार करने लगा। रितिका ने मेरे लंड से प्यार करते हुए मेरी जीन्स उतार फेंकी, मैंने भी रितिका की पीठ सहलाते हुए उसके संगमरमर बदन से टॉप को अलग कर दिया था। रितिका अब हमारे गैंग की उस्ताद खिलाड़िन थी, उसने मेरी पसंद के अनुसार अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। आंटी कभी रितिका के जिस्म को देखती और कभी मेरे लंड को। इधर विनीत पंखुरी को अपनी गोद में बैठा कर उसके बदन को निचोड़ रहा था। रितिका मेरे लंड को चूस कर मेरे ऊपर आई और मुझे स्मूच करने लगी। फिर अपने होंठों को हटा कर पोंछते हुए बोली आपके लंड का टेस्ट बहुत बढ़िया है। रितिका फिर से अपने बूब्स से मेरे शरीर को रगड़ती हुई नीचे सरक गई और वापस मेरे लंड को मुंह में भर लिया।
मैं थोड़ा उठ कर अपने बदन पर पड़े हुए बिना मतलब के बोझिल कपड़ों को निकाल फेंका। रितिका ने लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर अपने शॉर्ट्स और पैंटी को उतार के अपने पति विनीत की तरफ उछाल दिया और पंखुरी से बोली भाभी, वीनू ने आपको रगड़ रगड़ आपके निप्पल खड़े कर दिए हैं। कपड़ों के ऊपर से आपकी चूचियाँ एकदम कामुक लग रही हैं। आंटी सबसे नज़र बचा कर धीरे धीरे हमारे काम रस का मजा लेते हुए कभी कभी अपने बदन पर इधर उधर हाथ लगा कर अपने आपको सांत्वना दे रही थी। कल शाम से कामुकता के भूखे, अब मैं और रितिका दोनों ही नंगे थे। रितिका मेरे ऊपर लेट कर मुझे चूमने और प्यार करने लगी, मुझसे धीरे से कान में बोली क्या मैं आपको आपके नाम और एक दो गालियाँ दे सकती हूँ? मैंने अपनी कामुकता की खुमारी में रितिका की नंगी पीठ सहलाते गले पर काटते हुए कहा हाँ जानेमन, तू मुझे जो मर्ज़ी आये बोल सकती है। विनीत बोला खुसुर पुसुर मत करो, हमें भी सुनने दो कि क्या बातें हो रही हैं। पंखुरी बोली विनीत भैया, करने दो, अपन तो नयन सुख में ही खुश हैं।
आंटी बोली मैं भी कुछ बोल सकती हूँ? विनीत बोला अरे आप हो अभी तक यहीं पर, हाँ बोलो बोलो... जो मर्जी आये बोलो! आंटी बोली मेरी उम्र 38 साल है, मेरी बहुत जल्दी शादी हो गई थी। मेरे पति का देहांत हुए आज 12 साल हो गए। आज तक मुझे कभी दुबारा शारीरिक सम्बन्ध बनने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई है। पर आज... वो कुछ कहते कहते रुक गई... फ़िर बोली मैं अपना काम अपनी उँगलियों से ही चला लेती हूँ, वो भी मुझे महीने में 1 या हद से हद 2 बार करने की ज़रूरत पड़ती है। पंखुरी बोली आंटी, साफ़ साफ़ बोलो, कहना क्या चाहती हो? आंटी बोली कुछ नहीं, सिर्फ थैंक्स बोलना चाहती हूँ, अब मैं घर जाकर सबसे कह दूंगी कि मुझे दुबारा शादी करनी है। सॉरी आप लोग लगे रहो।
रितिका और मैं तो वैसे भी रुकने वाले नहीं थे, जब बुढ़िया ने भौंकना शुरू किया था, तभी रितिका ने मेरे लंड को चूत में डलवा लिया था। और धीरे धीरे अपने कूल्हे मटका के मजे दे रही थी। इधर विनीत भी पंखुरी के टॉप के अंदर हाथ डाल के पंखुरी के मम्मे सहला रहा था। रितिका बोली भइया आपका ... ओह्ह सॉरी... रोहित तेरा लंड बहुत अच्छा है, मेरी चूत में मस्त गुदगुदी कर रहा है। मैं आज अपना टास्क हार जाना चाहती हूँ, रोहित तेरे लंड से निकला हुआ अमृत अपने हाथों में नहीं अपनी चूत में भरवाना चाहती हूँ। सजा में जो कहोगे करुँगी, जान प्लीज, मुझे हरा दो, मुझे बुरी तरह चोदो जैसे आप भाभी को पटक कर चोदते हो।
आंटी के सब्र का बाँध भी टूट ही गया, आंटी अपनी साड़ी ऊपर करके अपने एक पैर को जमीन में लटका कर और एक पैर को सीट पर रख लिया था। अपनी पैंटी के साइड से उंगली डाल कर अपनी चूत को सहला रही थी। किसी ने दरवाज़ा पीटा, विनीत बोला कौन है? उसने पंखुरी के कपड़ों से हाथ बाहर निकाला, अपने खुद के कपडे सही किये, आंटी ने फुर्ती से अपनी साड़ी नीचे की, पंखुरी ने हम दोनों के ऊपर कम्बल और चादर उढ़ा दिया।
दरवाज़े के बाहर से आवाज़ आई अटेंडेंट, आपकी चाय लाया हूँ।.मैं और रितिका हिल तो नहीं रहे थे पर ट्रेन के हिलने की वजह से हमें धीमे धीमे धक्के तो लग ही रहे थे।