Update 07
जिसे हम दोनों आँखें बंद करके अनुभव कर रहे थे। ये अपने आप में बेहतरीन अनुभव था... जब न ही आप और न ही आपका सेक्स पार्टनर हिले फिर भी छोटे छोटे धक्के आपकी चुदाई के आनन्द को बढ़ाते रहें। अटेंडेंट दरवाज़ा खुलते ही अंदर आया और टेबल पर व्हिस्की और कोक देखकर बोला इसे हटा दूँ या? विनीत बोला उसे रखा रहने दो और चाय रख दो, थोड़ी देर बाद हम बना लेंगे। अटेंडेंट चाय रखकर जा ही रहा था कि उसने हमारी तरफ ध्यान से देखा। पता नहीं क्या समझा क्या नहीं समझा, पर बाहर चला गया।
उसके जाते ही मैंने कहा अरे कोई चादर हटाओ हमारे ऊपर से... विनीत जब तक आगे बढ़ पाता, तब तक आंटी ने फटाक से चादर हम दोनों पर से हटा दी। पंखुरी ने दरवाज़ा बंद किया, दोनों बर्थ के बीच बैठ गई और रितिका की गांड सहलाने लगी, गांड से हाथ नीचे लेकर वो मेरे अंडकोष तक सहलाने लगी। रितिका बोली भाभी, आपके हाथों में तो जादू है।
इधर आंटी पर इतनी देर में किसी ने ध्यान नहीं दिया था तो वो अपनी ओर आकर्षण खींचने के लिए अपनी पैंटी उतार कर साड़ी ऊपर करके अपनी चूत सहलाने लगी।
मैंने देखा कि अब लोहा गर्म है, अब चोट करेंगे तो वार खाली नहीं जायेगा। मैंने कहा अरे दो दो मर्दों के होते हुए तुम अपने हाथ से अपनी चूत सहला रही हो। लानत है हम दोनों पर, विनीत मेरे लंड से तो तेरी बीवी चुद रही है, तू इनकी मदद कर थोड़ी इनकी चूत को चाट ले और उनकी कामाग्नि को शांत कर। विनीत मेरा इशारा समझ गया, उसने आंटी के कंधे पकड़े और उन्हें 2 तकियों के सहारे लिटा दिया। विनीत ने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर फिराई वो तो रो पड़ी, विनीत के मुंह को अपनी चूत में घुसाने लगी इतनी ताकत से अपने हाथों से विनीत के मुंह को अपनी चूत में धकेलने लगी। विनीत भी कच्चा खिलाड़ी नहीं था, अपना मुंह उसकी चूत से दूर करके बोला जहाँ इतने साल बिना लंड के काम चलाया है थोड़ा सा और इंतज़ार करो।
मुझे भी मज़ा लेने दो और खुद भी मज़ा लो। ताकत लगाओगी तो कोई फायदा नहीं होगा, मैं उठकर अपनी भाभी की चूत के साथ मजे ले लूंगा। आंटी थोड़ा सुबकते हुए बोली मैंने आज तक केवल नंगी पिक्चर में ही चूत चाटते हुए देखा है। मेरे पति ने मुझे कभी ओरल दिया ही नहीं था। आज जब पहली बार मेरी चूत से जीभ छू गई तो मैं कंट्रोल नहीं कर सकी, प्लीज मुझे और मत तड़पाओ, प्लीज मेरी चुत को वो परम सुख वो परम आनन्द दे दो। इधर रितिका और मैं बिना हिले ट्रेन के हिलने से पैदा होने वाले आनन्द का मज़ा ले रहे थे। पंखुरी चुपचाप यह नज़ारा देख रही थी। मैं बोला पंखुरी, आज बहुत दिनों से पराये लंड से चुद रही है, आज अपने पति से अपनी चूत चटवा ले। पंखुरी बोली मैं अगर आपके मुंह पर बैठ गई तो आप इस पराई नंगी औरत की चूत के दर्शन नहीं कर पाएंगे इसलिए दूर बैठी हूँ।आप कौन से भागे जा रहे हो, आप तो मेरे ही हो चाहे जब चुद लूंगी आपसे तो!
आंटी के तो जैसे आँख कान सब बंद हो चुके थे, उन्हें कुछ सुनाई या दिखाई नहीं पड़ रहा था। अगर कुछ सुनाई दे भी रहा था तो वो उसके कान में अमृत की तरह घुल रहा था। विनीत चूत चाटने में तो एक्सपर्ट था ही साथ ही वो अब अपने हाथ उस औरत के मम्मों को भी सहलाता जा रहा था जिससे आंटी की कामुकता और बढ़ती जा रही थी। पंखुरी ने जाकर विनीत की मदद करने के लिए आंटी के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। विनीत अपना हाथ कई बार वहाँ लेजा चुका था पर चाटते हुए नाड़ा खोलना थोड़ा मुश्किल पड़ रहा था। विनीत ने खड़े होकर आंटी को पूरी तरह नंगी कर दिया, वो अपने हाथों से अपने मम्मों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसकी शक्ल ऐसी हो गई थी जैसे हम उसकी इज़्ज़त लूट रहे हो।
मैंने कहा विनीत छोड़ उसको, तू तो पंखुरी को चोद!
विनीत ने मेरी तरफ देखा, आंटी बेचारी कुछ न बोलने की न करने की... विनीत पंखुरी की तरफ बढ़ा, आंटी बोली क्या हुआ, मुझसे कोई गलती हो गई क्या? प्लीज बता दो पर मुझे ऐसे मत छोड़ो। मैंने कहा तुम तो अपना बदन ऐसे छुपा रही हो जैसे c ग्रेड मूवी में हीरोइन अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपने सीने को ढकती है। आंटी तुरंत अपने घुटनों पर आ गई और बोली तुम जैसे चाहो जो चाहो करो पर मुझे छोड़ो मत। चुदने के लिए गिड़गिड़ाती औरत देख कर लंड उछाल मारने लगा, पता नहीं कब से मन में दबा हुआ यह एक ख्याल था जो कभी मुंह पर आया ही नहीं था कि मुझे चुदने के लिए गिड़गिड़ाती औरत देखने का मन है।
विनीत बोला तो चल फिर शुरू हो जा और चूस मेरा लंड और अपने बूब्स दबा, अपनी चूत में उंगली कर और हमें गर्म कर! अगर तू हमें उकसा पाई तो यकीन मान तुझे इतनी अच्छी चुदाई देंगे कि तू ज़िन्दगी भर हमसे से चुदने के लिए प्राथना करेगी। आंटी के चेहरे पर आत्मविश्वास के भाव आ गये जैसे अब उसने विनीत की इस चुनौती को स्वीकार कर लिया हो। वो अब दोनों बर्थ के बीच खड़ी होकर अपने बूब्स को पकड़ कर नाचने लगी। गंदे और भद्दे इशारे करती तो कभी अपने होंठ काटते हुए अपनी चूत में उंगली दे देती।
मैंने रितिका को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और धीमे से कहा विनीत ने बहुत बड़ा वादा कर दिया है, उसकी बात रखने के लिए तुम मुझे ऐसे चोदो कि मैं थोड़ा प्यासा रह जाऊँ और मेरा लंड दुबारा जल्दी खड़ा हो जाये। रितिका बोली भैया, आप चिंता मत करो, आप 2-3 बार तो आरामसे चुदाई कर ही लेते हो। और मैं आपको प्यासा भी छोड़ दूंगी जिससे इस आंटी की मस्त चुदाई कर सको आप! वैसे साली आंटी लगी कितनी कंटीली रही है न? देखो भैया इसके बूब्स भी बिल्कुल नई नवेली लौंडिया की तरह कड़क और उभरे हुए हैं। आप तो आज लगभग नई ताज़ा और बहुत दिनों से प्यासी चूत मारने वाले हो। रितिका की बातों का ऐसा जादू हुआ कि मैंने विनीत से बोला विनीत पटक ले इसको, यह तो साली चुदने के लिए मरी जा रही है। देख तो सही कैसे गांड मटका मटका के दिखा रही है। पेशेवर पोल डांसर भी इसके आगे पानी भर जाये ऐसी अदाओं से रिझा रही है यह माँ की लौड़ी। लौड़ी बोलते बोलते में रितिका की चूत में अपना फव्वारा चलाने लगा। रितिका ने जैसे ही महसूस किया कि मैं उसकी चूत में अपनी मलाई भर रहा हूँ, उसने अपनी चूत से मेरा लंड बाहर निकाल दिया जिससे मेरा पूरा मलाई न निकले और मैं दूसरी चूत अच्छे से बजा सकूँ। मेरे लंड को अपने मुट्ठी में टाइट पकड़ लिया, मेरे लंड से निकलती हुई मलाई को रितिका ने अपनी जीभ से साफ़ दिया और अपने हाथ में आये मेरी मलाई को उसने आंटी को चाटने के लिए उसके मुंह के पास कर दिया। कामाग्नि में लीन आंटी ने रितिका के हाथ को चाट के साफ़ कर दिया। पंखुरी ने अपना पर्स खोला और मेरे लंड को चूम कर बोली जाओ इसकी चूत की खुजली को शांत कर दो! और मुझे कंडोम पकड़ा दिया।
विनीत बोला भाभी, मेरे शहजादे के लिए भी एक बढ़िया सा रेन कोट दे दो। पंखुरी विनीत की तरफ बढ़ी और उसके लंड को चूम कर बोली तुम भी इनकी प्यास बुझा देना।
विनीत का लंड पूरी तरह खड़ा था तो उसके लंड पर पंखुरी ने अपने हाथ से कंडोम चढ़ा दिया। विनीत बोला बता, पहले किसका लंड लेगी? आंटी मेरी तरफ बढ़ी और मेरे लंड को चाटने लगी, बोली मैंने अभी अभी इसका वीर्य चखा है, इसका लंड पहले लूंगी। मैंने कnहा तो चढ़ जा लंड पे... सोच क्या रही है? आंटी बोली मुझे नीचे आने दो और तुम मुझे चोदो। मैं अपनी सीट से खड़ा हुआ तो आंटी अपनी टाँगें फैला कर लेट गई। मैंने कहा विनीत, तू इसके मुंह में अपना लंड पेल दे, मैं इसकी चूत में भरता हूँ। विनीत अपना लंड सहलाता हुआ आंटी के मुंह पर खड़ा हो गया। आंटी सच में कई सालों से नहीं चुदी थी, उसकी चूत बहुत टाइट थी। ऊपर से मेरा लंड भी अभी तक पूरी औकात में नहीं आया था। मैं थोड़ी देर आंटी की चूत पर अपने लंड को रगड़ता रहा जिससे मेरा लंड भी औकात में आ जाये और दूसरा आंटी की चूत भी थोड़ी चौड़ी हो जाये।
मैं विनीत से बोला इसके दोनों हाथ पकड़ के रखना! और मैंने एक झटका लगाया जो मेरे लंड के टोपे को थोड़ा सा अंदर ले गया, आंटी के मुंह से चीख निकल गई। पंखुरी ने आंटी को उनका ब्लाउज दिया और कहा इसे अपने मुंह में ठूंस लो जिससे चीख न निकले। विनीत ने हाथ छोड़े, आंटी अपने मुंह में ब्लाउज रखते हुए बोली पूरा घुस गया है न! मैंने कहा अभी तो टोपा भी अंदर नहीं गया है। अभी तो पूरा लंड बाकी है जाने को! आंटी ने मुंहमें ब्लाउज ठूंस कर अपने हाथ विनीत को पकड़ा दिए। शायद आंटी समझ गयी थी कि अगर उसे अपनी चूत की अच्छी सेवा करानी है तो इनकी पसंद के अनुसार काम करना ही उचित होगा। अब मैंने थोड़ा सा और धक्का लगाया पर मुझे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि मेरा लंड अंदर गया होगा। इसीलिए मैंने लंड को दुबारा बाहर निकाला और फिर से ठेल दिया अबकी बार थोड़ा और ताकत से!
आंटी की आँखों से निकलता पानी और ब्लाउज के होते हुए उनकी दबी हुई चीख की आवाज़ बता रही थी कि हाँ अब आधा लंड तो अंदर जा चुका है। मैंने फिर से थोड़ा लंड पीछे लिया और फिर पूरा लंड अंदर तक पेल दिया, फिर धीरे धीरे छोटे छोटे धक्के लगाने लगा जब तक कि आंटी के चेहरे का नक्शा नहीं बदल गया। अब आंटी के चेहरे पर संतुष्टि दिख रही थी। मैंने अपने हाथ से आंटी के मुंह में फंसा ब्लाउज हटाया और विनीत के लंड को पकड़ के आंटीके मुंह में डलवा दिया। अब में विनीत के बॉल्स को भी सहला रहा था और इधर आंटी की चूत की चुदाई भी कर रहा था। आंटी इतनी कामोत्तेजित थी कि सपड़ सपड़ करके विनीत के लौड़े को चूस रही थी। मैंने कहा आज तो तुमने बहुत सारे नए काम किये हैं। अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ! बोल कर मैं खड़ा हो गया। आंटी की इतना मज़ा आ रहा था कि उन्होंने कुछ नहीं कहा, जैसा कहा जा रहा था, वैसा वो करे जा रही थी।
जब आंटी मेरे ऊपर आ गई तो, मैं विनीत से बोला आ जा इसकी गांड में अपना लंड पेल दे। आंटी बोली पर मैंने कभी... मैंने इतना सुनते ही आंटी के मुंह पर हाथ रख दिया विनीत, प्यार से करियो ओके!
विनीत बोला तू चिंता मत कर, इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी। और साथ साथ आंटी की गांड पर हाथ भी फेरता जा रहा था। विनीत भी अब चढ़ गया था। आंटी की गांड में लंड जैसे ही गया आंटी तिलमिला गई और गधे की तरह उछलने लगी।
मैंने कहा रितिका पंखुरी, तुम दोनों इसके बूब्स और पूरे बदन की अच्छी मसाज करो जिससे यह घोड़ी बिदके नहीं। पंखुरी आंटी के बूब्स चूसने लगी और रितिका आंटी के बदन पर पोले हाथों से मसाज देने लगी। विनीत ने फिर धीरे से आंटी की गांड में अपना लंड पेला, धीरे धीरे जब विनीत का लंड पूरा अंदर चला गया तो विनीत बोला हाँ रोहित, गया पूरा लंड अंदर, अब जैसे ही में थ्री बोलूँ तू इसको चोदना शुरू कर ना! मैंने कहा ओके।
विनीत बोला वन, टू एंड थ्री...मैंने थ्री सुनते ही धक्के लगाने शुरू कर दिए। विनीत ने कुछ ऐसा प्रोग्राम बनाया था जिसमें जब मेरा पूरा लंड अंदर होता तो उसका आधा बाहर और जब उसका पूरा अंदर होता तो मेरा आधा बाहर। अब आंटी के दोनों छेदों पर लगातार एक के बाद एक प्रहार हो रहे थे, आंटी अब तक कई बार झड़ चुकी थी। मैंने कहा अब मैं तुम्हारी गांड मरूंगा और विनीत तुम्हारी चूत चोदेगा। आंटी बोली मैं इतनी बार झड़ चुकी हूँ कि अब गिन नहीं पा रही। मुझे पर थोड़ा रहम करो!
हमें कहाँ कुछ सुनाई दे रहा था, विनीत हटा, मैंने आंटी को हटाया और विनीत नीचे लेट गया, उसके ऊपर आंटी ने विनीत का लंड अपनी चूत में डलवाया फिर मैंने ऊपर चढ़ के उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया। मुझे ट्रेन के धक्कों के साथ ताल से ताल मिलाना पसंद आ रहा था। मैं बहुत देर से अपने लंड के पानी को रोक कर धक्कमपेल में लगा हुआ था पर अब मेरे लिए अपना स्खलन रोकना नामुमकिन था। मैं विनीत से बोला विनीत, आगे का तू ही सम्भाल, मैं तो इसकी गांड में अपनी मलाई छोड़ रहा हूँ। विनीत बोला चिंता मत कर, मैं भी आने ही वाला हूँ। बारी बारी से हम दोनों ने अपनी अपनी मलाई साथ साथ ही छोड़ दी और थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे अपने अपने लंड गांड और चूत में डाले हुए। ट्रेन के हिलने से हल्के हल्के धक्के तो लग ही रहे थे। थोड़ी देर बाद हम तीनों उठे, आंटी ने अपने कपड़े पहने और बाहर जाने लगी। मैं बोला सुनो, तुमने हमें अपनी चूत गांड तक दे दी, अब यह तो बता दो कि तुम्हारा नाम क्या है? आंटी बोली मेरा नाम आरती है। मैंने कहा बाए आरती,वो लंगड़ाती हुई अपनी सीट पर जा रही थी।
लंड के खड़े होने की कोई उम्मीद नहीं थी पर दो जवान जिस्म मेरे सामने नंगे पड़े थे। तो सोचा चुदाई न सही जिस्म के साथ खेला तो जा ही सकता है, मैं रितिका को बोला आजा मेरे ऊपर लेट जा! वो बोली हाँ भैया! विनीत ने पंखुरी से कहा भाभी, आप मेरे ऊपर लेट जाओ। पंखुरी मुस्कुरा कर विनीत के ऊपर लेट गई। दोनों ही औरतें हमारे बदन से खिलवाड़ कर रही थी। हम लोग भी थक कर चूर हो चुके थे और हम दोनों जल्दी ही सो गए। लड़कियाँ पता नहीं सोई या नहीं।
जब मेरे कान में गूंजा कि 'उठ जाओ... भोपाल आने वाला है।' तब कहीं जाकर मेरी नींद खुली, आँखें खोली तो देखा जो लड़कियाँ रंडियों की तरह नंगे बदन अभी तक हमारे लण्डों से खेल रही थी, वो एकदम सलीके से साड़ी पहन कर देवियों की भांति प्रतीत हो रही थी।
भोपाल स्टेशन आ गया। आरती को भी हमने ट्रेन से उतरते हुए देखा, मैं सामान उतरवाने के बहाने उसके करीब गया और अपना नंबर देकर बोल आया कि जब दिल करे फ़ोन करना, एक ही शहर में हुए तो मिलेंगे। खैर फूफाजी हमें लेने स्टेशन आये हुए थे तो हम जल्दी ही घर भी पहुँच गए।
बुआ का घर बहुत बड़ा नहीं था पर छोटा भी नहीं था। बुआ के घर में 10 कमरे थे, उनमें से एक बुआ फूफाजी का कमरा, एक में विनीत और रितिका और तीसरे कमरे में स्नेहा जिसके लिए हम लड़का देखने आये थे, वो रहती थी। स्नेहा का रूम छोटा भी था और उसे स्टोर रूम की तरह भी उपयोग में लाया जाता था। बाकी सभी कमरे में विनीत के चाचा-चाची, दादा-दादी, ताऊजी-ताईजी और उन लोगों के बच्चे रहते थे। काफी बड़ा परिवार था, परिवार क्या, एक दो लोग और होते तो जिला ही घोषित हो जाता। घर में हमेशा ही एक मेले जैसा माहौल रहता है।
खैर हमारे जाते ही हमारा उचित खाने पीने की व्यवस्था थी, हम लोग खाना खाकर अब सोने की तैयारी में थे पर यह समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहाँ सोने वाला है। मैंने विनीत को बोला भाई ये सामान वगैरह कहाँ रख कर खोलें... और सोना कहाँ है?
विनीत मजाक के स्वर में बोला पूरा घर तुम्हारा है, जहाँ मर्जी आये सामान रखो और जहाँ मर्जी आये सो जाओ। मुझे लग रहा था कि सभी के लिए कमरे निर्धारित हैं तो शायद हमें ड्राइंग रूम में ही सोना पड़ सकता है। पर बुआ बोली सारी औरतें एक कमरे में सो जाएँगी और सारे मर्द एक कमरे में। सारी औरतें मतलब रितिका, पंखुरी, स्नेहा, बुआ सभी विनीत के कमरे में सो गए और हम लोग यानि मैं, विनीत, फूफाजी बुआ के कमरे में सो गए।
रात तो बीत गई। वैसे भी ट्रेन और उससे पहले इतनी चुदाई मचा चुके थे कि अभी ज़रूरत नहीं थी। हाँ अगर चूत मिल जाती तो मना नहीं करते।
अगले दिन सुबह सभी लोगों से मिलना जुलना चलता रहा। पंखुरी शादी के बाद पहली बार गई थी तो विशेष रूप से उससे मिलने को सभी लोग आतुर दिखाई दिए। दिन का खाना भी हो गया, अब बारी थी लड़के वालों के आने की, घर को ठीकठाक किया गया, बाजार से कई पकवान मंगवा लिए गए। लड़के वाले स्नेहा को पसंद करके चले गए। उन लोगों के जाने के बाद हमने स्नेहा को खूब चिढ़ाया, बुआ तो रोने ही लगी। शादी आने वाले नवंबर में तय हुई। शाम होने लगी थी, दिन कैसे खत्म हो गया पता ही नहीं चला।शाम को मैं और विनीत निकल गए सैर सपाटे पर, सैर सपाटा तो बहाना है, हम दो दो ड्रिंक मारने के मूड से निकले थे। विनीत ने एक एक्टिवा की चाबी उठाई और चलने लगा। मैंने रास्ते में कहा यार दिल्ली में क्या मजे थे! जब से यहाँ आये है अपनी बीवी तक को ढंग से देखने की फुर्सत नहीं मिली है। विनीत बोला यही तो मैं तुझे बता रहा था कि हमारे यहाँ सब चाहते है कि एक बच्चा जल्दी से दे दें पर हमें कभी अकेले ही नहीं छोड़ते। अब बच्चा क्या पेड़ से टपकेगा। हम दोनों हंसने लगे, मैंने कहा यार कहीं बैठकर बढ़िया दो चार पेग मारते हैं फिर चलेंगे। विनीत बोला हाँ अपन बार में ही जा रहे हैं। बार में दो पेग के बाद विनीत बोला ज्यादा मत पीना, घर में काफी लोग है। अभी जाकर भी कई लोगों से बातें करनी पड़ेगी। मैंने कहा हाँ ठीक है पर एक और पेग मार के चलते हैं। दोनों ने एक एक और पेग मारा और आ गये घर।
जब हम घर लौट रहे थे, तब कॉलोनी की सड़क पर रितिका और पंखुरी घूम रही थी। मैंने कहा विनीत, तू मुझे यहीं छोड़ इनके पास और तू एक्टिवा रख के आ जा, विनीत मुझे उतार कर बिना रुके चला गया। रितिका बोली आप लोग ड्रिंक करके आये होंगे? मैंने कहा कोई शक? पंखुरी चिढ़ाते हुए बोली क्यूँ मजा आ रहा है न फूफाजी के साथ सोने में? मैंने कहा क्या यार जले पे नमक छिड़क रही हो? वैसे ठरक तो तुमको भी हो रही होगी? रितिका बोली हाँ भैया, जब से दिल्ली से लौट कर आये हैं, वाकयी ठरक होने लगी है। वर्ना तो पहले हम दोनों एक कमरे में भी सोने के बावजूद कभी कभी ऐसे ही सो जाया करते थे। मैं रितिका से बोला ज़रा थोड़ी आड़ लेना, मुझे पंखुरी के बूब्स दबाने है। रितिका ऐसे खड़ी हो गई कि किसी को दिखे न कि हो क्या रहा है। मैंने आराम से पंखुरी के बूब्स दबाये और बोला पंखुरी यार, एक काम कर, रातको किसी बहाने से बाथरूम में मिल। छुप छुप कर चुदाई करेंगे।
पंखुरी बोली आपको क्या लगता है मेरा मन नहीं कर रहा, पर ऐसे अच्छा नहीं लगेगा। तब तक विनीत भी गाड़ी रख कर वापस आ गया था। मैंने कहा विनीत, कुछ प्रोग्राम बना यार... ऐसे कैसे बिना चूत के रह सकेंगे। वो भी जब घर में दो दो चूत हमारे लिए गीली हो रही हों तब। विनीत बोला यार, मैं कुछ करने की कोशिश करता हूँ। पर तेरे से एक बात कहूँ, तू ज्यादा अच्छे से कुछ प्लान कर लेगा। प्लीज कुछ कर या आईडिया दे दे। मैंने कहा मादरचोद, सारे काम मुझे ही करने हैं, तुम्हें तो बस चूत चाहिए वो भी फ्री में । वो हंसता रहा, दोनों लड़कियाँ भी मुंह दबा कर हंस रही थी। गाली खाने की डेडिकेशन के कारण मैंने कहा चिंता मत करो ठरकियो, तुम्हारे लिए कुछ जुगाड़ करता हूँ। हम लोग सभी साथ साथ घर में घुसे, दोनों लड़कियों ने घर में घुसते ही घूँघट डाल लिया और नजर नीची करके अंदर की ओर चली गई।
ड्राइंग रूम पूरा भरा पड़ा था, कहीं बैठने की जगह नहीं थी। मैंने कहा कोई आया है क्या अपने घर, काफी नए चेहरे दिख रहे हैं। विनीत हसंते हुए बोला भाई, कोई बाहर के लोग नहीं है ये अपना ही कुनबा है। सुबह जब अपन लोग सोकर उठे थे तब तक कई लोग अपने अपने काम से कॉलेज, कॉलेज और ऑफिस जा चुके थे, इसीलिए तुम्हें कोई नहीं दिखा था। फिर धीरे से बोला मैंने तो कहा था कि घर जाकर कई और लोगों से बातें करनी है। घर में दाखिल होते ही सभी ने बड़ी गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया। सभी लोगों से हाय हेलो करते करते खाना भी लग गया। सभी लोग साथ में खाना खाने लगे, घर की लड़कियाँ खाना परोस रही थी। तभी मैंने नोटिस किया की स्नेहा भी अब खूबसूरत लगने लगी थी और उससे भी खूबसूरत एक और लड़की थी। नशे में जब चूत की आग लगती है तो हर लड़की खूबसूरत लगने लगती है लेकिन वो वाकयी क़यामत थी। और वो जब झुक कर खाना परोस रही थी तो जो नज़ारे देखने को मिल रहे थे उससे तो लंड में हरकत आना शुरू भी हो गई थी। खाना खाने के बाद मैं और विनीत सुट्टे की तलब में छत पर गए, तब मैंने पूछा उस लड़की के बारे में, तब पता चला कि वो विनीत के ताऊजी की लड़की है। अब विनीत से कैसा पर्दा, मैंने विनीत को बता दिया कि मेरे मन उस लड़की के लिए नेक ख्याल नहीं हैं। विनीत का थोड़ा मुंह बन गया, बोला यार बहन को तो छोड़ दे, ऐसी भी क्या ठरक?
मैंने कहा देख, जब देखा तब नहीं पता था कि वो तेरी बहन है, और अभी भी तू बोलेगा तो मैं अपने कदम पीछे ले लूंगा। तेरी दोस्ती के लिए ऐसी कई लड़कियाँ कुर्बान हैं मेरे दोस्त... पर देख, लड़की लड़की ही रहती है, सबमें चुदने की भूख होती है, उसने जिस तरह खाना खिलाया है, मुझे लग रहा है कि उसमें भी तड़प तो है। और उसे मैं अपना लंड नहीं दूंगातो किसी और का लेगी। पर लेगी ज़रूर, और हाँ इसमें अगर पकड़ी गई तो बदनामी भी बहुत है। मैंने किया तो घर की बात घर में और कोई शक भी नहीं करेगा। विनीत बोला तू चाहे जितनी बातें बना पर यह सही नहीं है।
मैंने कहा ठीक है भाई, कोई नहीं हम इस टॉपिक पे बात ही नहीं करेंगे। विनीत बोला उसका नाम स्निग्धा है, और वो वैसी नहीं है जैसी तू सोच रहा है। मैंने कहा यार टॉपिक खत्म कर, मैं क्या बोलूँ? विनीत बोला बोल बोल, क्या बोलना चाहता है बोल दे। मैंने कहाh देख, तू तो भाई है, तेरे सामने ऐसी हरकतें तो वो करेगी नहीं, पर मैंने उसकी आँखों में शरारत देखी है। न माने तो तू देख लेना कल वो कहीं नहीं जाने वाली और मेरे लिए कुछ न कुछ ऐसा ज़रूर करेगी जिससे मैं उसकी तरफ झुक जाऊँ! विनीत बोला हो ही नहीं सकता, वो जानती है कि तू शादीशुदा है। मैंने कहा यही तो वो चाहती है कि उसका काम भी हो जाए और गले की घंटी भी न बने। विनीत बोला अगर ऐसा है तो देखते हैं, अगर वो सच में चालू माल है तो, फिर कोई भी भाई कुछ नहीं कर सकता।
तूने चोदा तो मैं तुझे रंगे हाथों पकड़ के मैं भी चोद डालूंगा। अब जाकर मेरी जान में जान आई, मैंने कहा ठीक है। अब तू बस देखता जा। मैं और विनीत सिगरेट पीकर नीचे आ गये।
आज शादी तय हुई थी इसलिए घर में बहुत ख़ुशी का माहौल था और अभी तक कोई भी सोने नहीं गया था। सभी बड़े बुजुर्ग बाहर वाले ड्राइंग रूम में बैठकर सरकार को गलियां और PF और EPF की बातें कर रहे थे। सभी औरतें चाचा-चाची वाले कमरे में थी। रितिका-विनीत के कमरे पर बच्चों ने अधिकार जमा रखा था।
मैंने देखा की स्निग्धा भी बच्चों वाले कमरे में ही है।
मैंने कमरे में घुसते ही बोला स्नेहा अब तुम्हे यहाँ नहीं रहना चाहिए अब तुम जाकर औरतों वाले कमरे में जाओ ये तो बच्चों का कमरा है। स्नेहा बोली भइया आप मुझे कब तक चिड़ाते ही रहोगे, वैसे बच्चों वाले कमरे में आप क्या कर रहे हो। जाओ जाकर सरकार, पॉलिटिक्स, महंगाई भत्ते के बारे में बातें करो बाहर जाकर। मैंने कहा ओके चल कोई नहीं तू भी यही बैठ जा और मुझे भी बैठ जाने दे। स्निग्धा अब तक मुझे एक टक देखे ही जा रही थी, इस बात को विनीत ने भी नोटिस कर लिया था। हमने कमरे में आते ही बढ़िया बढ़िया गेम्स खेले, सभी बच्चे हमारे दोस्त बनगए। फिर दौर शुरू हुआ अंताक्षरी का, सभी लोग गाने में मशरूफ थे और स्निग्धा मुझे तकने में और मैं भी मौका देखकर उसे देखते हुए पकड़ कर शर्माने पर मजबूर कर देता था। बीच बीच में विनीत को कोनी मार के दिखा देता था कि स्निग्धा की हरकतें कैसी हैं। रात का एक बज रहा था पर किसी की आँखों में कोई नींद नहीं थी। तभी विनीतके दादाजी गरजे और बोले सोना नहीं है किसी को? सुबह सब लेट हो जाओगे। चलो सोने, कैसे गाने गव रहे हैं देखो तो, अभी जमीन में से निकले नहीं है और गाने गाये जा रहे हैं। एक शैतान बच्चा बोला गाना गाने के लिए जमीन से निकलने की ज़रूरत ही नहीं है। खैर सभी लोग अपने अपने कमरों में जाकर सोने लगे। मैंने सोचाकि विनीत थोड़ा बहन भक्ति दिखा रहा है इसलिए मैंने उसे अपने साथ नहीं लिया और यह देखने लगा कि स्निग्धा कौन से कमरे में सोती है।
जब मैंने उसे कमरे में जाते देख लिया तो आराम से आकर अपनी जगह सो गया। जब विनीत और फूफाजी खर्राटे भरने लगे तो उठा और जाकर उस कमरे के आस पास तफ़्तीश करने लगा। जब कहीं कोई जुगाड़ नहीं मिला तो छत पर सिगरेट पीने चला गया। छत पर सिगरेट पीते पीते उलटी तरफ देखा तो लगा कि एक छज्जा है जहाँ से शायद कुछ दिखे। बड़े आराम से मैं छज्जे पर उतरा और अंदर देखा। लाइट बंद थी कुछ नहीं दिखा। फिर मैंने थोड़ा दिमाग लगाया और समझने की कोशिश की कि स्निग्धा का कमरा कौन सा होना चाहिए क्योंकि उसके कमरे की लाइट तो जल रही थी जब मैं उसके कमरे के आस पास था। फिर थोड़ी ताक झांकी से समझ आया कि 3 ही कमरों की लाइट जल रही थी जो फर्स्ट फ्लोर पर थे। पहले कमरे में झाँका तो देखा कि विनीत के ताऊजी ताईजी को पलंग पर आधा लिटा के खड़े होकर चुदाई कर रहे हैं। थोड़ी देर उनकी चुदाई का आनन्द लिया फिर दूसरे छज्जे पर गया वहाँ से झाँका तो पाया कि यह स्निग्धा का ही कमरा था।
गाने गाते वक़्त मैंने स्नेहा के मोबाइल से स्निग्धा का नंबर चुरा लिया था। बस अपने मोबाइल से स्निग्धा को एक शायराना मैसेज भेज दिया और उसके चेहरे पर बस भाव चेक करने थे। उसने मोबाइल उठाया, मैसेज देखा तो उसने लिखा आप कौन? मैंने अपना नाम रोहित लिखकर भेज दिया। वैसे वो समझ तो गई थी पर फिर भी कन्फर्म कर रही थी। उसके कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था तो आराम से कूद कूद के 'ये ये ये...' करने लगी। फिर उसका मैसेज आया कि आप अभी तक सोये नहीं? मैंने लिखा खर्राटों के बीच नहीं नींद आ रही। उसने हंसने वाला स्माइली बनाकर लिखा तो आप क्या कर रहे हो? मैंने देखा कि वो अपने होंठ काटते हुए अपने आप को शीशे में देखकर अपने बूब्स को दबाकर थोड़ा ब्रा टाइट करते हुए मैसेज का इंतज़ार कर रही थी। मैंने सब्र का इम्तिहान लिया, मैंने लिखा तुमसे बातें! उसने अपना मोबाइल अपने सर पे मारा और कुछ बुदबुदाने लगी, फिर शरारती मुस्कान से मैसेज लिखने लगी।
मैसेज आया बीवी से अलग सोना पड़ रहा है? स्नेहा बता रही थी कि भैया भाभियों की वाट लगी पड़ी है। मैंने समझ तो लिया ही था कि ये चाहती क्या है इसलिए मैंने एक बढ़िया सा चुदाई का वीडियो फॉरवर्ड कर दिया। उसके तुरंत बाद लिखा- सॉरी सॉरी यार... गलती से तुम्हारे पास चला गया, वो तुम्हारी भाभी के साथ नहीं सो रहा तो सोचा कि कुछ तो एंटरटेनमेंट कर लूँ पर गलती से तुम्हारे पास मैसेज चला गया। उसका मैसेज आया कोई बात नहीं। अब वो उस वीडियो को बार बार देखकर धीरे धीरे अपने बदन से खेलने लगी। मैंने भी कुछ देर उसे कोई मैसेज नहीं किया और उसकी रतिक्रिया देखने लगा।
पहले तो वो ऊपर से ही अपने बदन को अपने हाथों से मसल रही थी, पर फिर धीरे से उसका हाथ अपनी पैंटी के अंदर चला गया, वो अब आँखें बंद करके शायद अपनी उंगली से बिल्कुल धीमे धीमे अपनी चूत के दाने को रगड़ रही होगी। मैंने एक और मैसेज किया और कहा अगर तुम विनीत की बहन नहीं होती तो शायद मैं ऐसी गलतियाँ और करता पर, आई एम रियली वेरी सॉरी उस वीडियो के लिए । स्निग्धा का मोबाइल जैसे ही वाइब्रेट हुआ उसने अपना हाथ अपनी पैंटी से बाहर निकाल लिया और जल्दी से मोबाइल उठाया, फिर मोबाइल पर बहुत देर तक कुछ टाइप करती रही। पर शायद उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या लिखे। वो बार बार अपने सर को खुजाती और कुछ टाइप करती, कभी मुस्कुराती तो कभी अपने पढ़े हुए मैसेज पर अपना मुंह टेढ़ा कर लेती। फिर उसका मैसेज आया मैं उनकी बहन हूँ आपकी नहीं, मैं हर किसी को अपना भाई बनाना भी नहीं चाहती। मैसेज के तुरंत बादसे ही वो कुछ तलाश कर रही थी, अलमारी में, ड्रावर में सब जगह कुछ ढूंढ रही थी।
मैंने मैसेज लिखा मुझे खूबसूरती की कदर है, और तुम बेहद खूबसूरत हो। अगर तुम विनीत की बहन नहीं होती तो मैं तुम्हें अभी छत पर बुला लेता। मैं तुम्हारे गुलाबी होंठों का कायल हूँ।
उसने मैसेज पढ़ा और मस्ती से झूम गई और शरारती मुस्कान के साथ लिखा आप सो जाइये, बहुत रात हो गई है। मैंने लिखा मैं तुम्हारा छत पर वेट करूँगा और अगर तुम 15 मिनट में नहीं आई तो मैं तुम्हारे कमरे में आ जाऊंगा। मैसेज पढ़ कर थोड़ी सकपकाई, फिर थोड़ी खुश हुई फिर थोड़ी घबराई, जल्दी से शीशे के सामने बैठकर अपने बाल बनाने लगी, फिर चेहरे पर कुछ कुछ लगाया। अभी तक स्निग्धा ने केवल एक पैंटी ही पहन रखी थी, अब उसने नीचे एक केप्री जैसा कुछ 3/4 पहन लिया। ऊपर तो उसने एक शार्ट कुर्ता पहना ही हुआ था। यह सब करने के बाद उसने लाइट बंद कर दी और मैसेज किया मैं छत पर नहीं आ सकती, हम कल मिलेंगे, कल मैं कहीं नहीं जाऊँगी।
मैंने लिखा तुम्हारे पास अब केवल 3 मिनट रह गए हैं, या तो तुम ऊपर आ जाओ, नहीं तो मैं तुम्हारे कमरे में तो आ ही सकता हूँ। स्निग्धा ने लिखा मैं अपने कमरे में अकेली नहीं हूँ, मेरी मम्मी भी मेरे ही साथ सो रही हैं, आप मेरे कमरे में मत आना। और इसीलिए में ऊपर भी नहीं आ सकती। मैंने लिखा तुम्हारे पास अब केवल 1 मिनट है, मुझे डर नहीं लगता, तुम बस दरवाज़ा खोलो, मैं तुम्हारी माँ के सामने तुम्हें चूम कर दिखा सकता हूँ। स्निग्धा बोली अच्छा प्लीज मुझे 10 मिनट दो, मैं ऊपर आती हूँ। मैंने लिखा ठीक है, मैं तुम्हारा 2 मिनट और वेट करूँगा, अगर तुम आ गई तो ठीक, नहीं तो अब मैं बिना मैसेज करे तुम्हारे कमरे में दाखिल हो जाऊंगा।
स्निग्धा उठी अपने कमरे की लाइट जलाई और अपने आप को शीशे में एक बार और देखा, अपने बाल उँगलियों से बनाए। और एक स्टॉल उठाया और चल दी बाहर। मैं भी तुरंत छज्जे से छत पर आ गया और छत पे उसके कमरे से दूसरी तरफ घूमने लगा। जैसे ही वो छत की आखिरी 3 सीढ़ी पर थी, मैं उसके करीब गया और जोर से उसे अपनी ओर खींचा और सीधा उसके होंठों पर होंठ रख दिए।स्निग्धा शायद इस हमलेके लिए तैयार नहीं थी, उसने सोचा होगा कि कुछ बातें होंगी और मैं उसे चूमने के लिए कहूँगा, वो मना करेगी। पर यहाँ तो सीधा होंठ से होंठ चिपक चुके थे। वो 15-20 सेकंड तक तो फटी आँखों से देख रही थी फिर उसने भी मेरा साथ देना शुरू किया। अब हम चूमते चूमते छत पर पूरी तरह आ गये थे, मैंने उसे दीवार से सहारे खड़ा किया, उसके हाथों को हाथों से पकड़ पर ऊपर कर दिया और होंठों को होंठों से चूमता रहा।
हाथों को ऊपर करने के बाद में अपने हाथों को उसके ऊपर सहलाते हुए नीचे लाया और लेकर उसके उरोजों पर रख दिया, फिर हाथों से उसके बूब्स का नाप लेकर अपना हाथ और नीचे लाया और उसके चूतड़ों का नाप लिया। अभी तक स्निग्धा ने मुझे नहीं रोका था। मैंने उसकी शॉर्ट्स में अपना हाथ डाला तो उसने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया, होंठों को होंठों से दूर करती हुई बोली आप दिल्ली वाले तो बहुत फ़ास्ट होते हो? न कोई बात न कोई चीत सीधा चुम्मा। और अब आपके हाथ है कि रुक ही नहीं रहे।
मैंने कहा कुड़िये... हम दिल्ली वाले न... बस ऐसे ही होते हैं, फालतू चीज़ों में टाइम वेस्ट नहीं करते। बातें करने का मज़ा ही तब आता है जब दिमाग में केवल बातें ही हों, खुल कर बातें हो सकती हों। अब सोचो मेरे दिमाग में तुम्हारे बूब्स का साइज हो और मैं कहूँ कि आज मौसम कितना अच्छा है। यह तो गलत है न? एक बार चुम्मी हो गई, अब मौसम अच्छा लगेगा तो मौसम के बारे में बात करूँगा और तुम अच्छी लगोगी तो तुम्हारे बारे में। बोलते बोलते अब की बार स्निग्धा ने मुझे चूम लिया, बोली आप बातें सीधा दिल से करते हो सीधा दिल को लग जाती हैं।
मैंने कहा दिल कहाँ कहाँ.... करते करते उसके बूब्स पकड़ कर मसल दिए। वो बोली धीरे से दबाओ, मेरा साइज बढ़ जायेगा। मैंने कहा दबाने से साइज नहीं बढ़ता डार्लिंग, उससे तो शेप अच्छी हो जाती है मम्मों की! स्निग्धा बोली मुझे नहीं करानी अपनी शेप अच्छी, आप तो बस धीरे से दबाओ, मुझे दर्द होता है। मैंने अब स्निग्धा के गले और गालों पर भी चूमना शुरू कर दिया था और उसके कुर्ते में अंदर भी हाथ डालने की कोशिश कर रहा था पर कुरता टाइट था इसलिए कुर्ते के पीछे के हुक खोलकर उसकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया। अपने एक हाथ को स्निग्धा के चूतड़ों पर फेर रहा था और हुक खोलते ही मैंने स्निग्धा की चूत को भी ऊँगली से छेड़ दिया, कपड़ो के ऊपर से ही हल्का गीलापन महसूस हो रहा था। मैंने अब फिर से उसके शॉर्ट्स में हाथ डालने की कोशिश की, इस बार स्निग्धा ने कोई आनाकानी नहीं की। मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से दूर किया और कहा स्निग्धा, तुम तो बहुत गीली हो गई हो। स्निग्धा बोली ओह्ह आई एम वेरी सॉरी रोहित वो मैं मैं वो....
मैंने कहा अरे इतना परेशान क्यों हो जाती हो? यह नार्मल है, जब लड़की को चुदवाने की इच्छा होती है तो वो अपनी चूत से ऐसे ही गीली हो जाती है जिससे उसमें लंड आसानी से अंदर जा सके। लगता है यह तुम्हारा फर्स्ट टाइम है? स्निग्धा बोली हाँ रोहित, यह मेरा फर्स्ट टाइम है। वो थोड़ी सी शरमाई हुई थी और मेरे मुंह से लंड चूत और चुदवाना जैसे शब्दों को सुनकर थोड़ी और उत्तेजित भी थी शायद! मैंने कहा स्निग्धा, अगर यह तुम्हारा फर्स्ट टाइम है, तुम इससे पहले किसी से नहीं चुदी, तो तुम अपने कमरे में वापस जाओ, हम तुम्हारी वर्जिनिटी लॉस शील भंग को पूरी तरह एन्जॉय करेंगे। पहली बार में छत पर, बिना बिस्तर के आधे डर से तुम एन्जॉय नहीं कर पाओगी और थोड़ा दर्द भी होगा तो चीख भी नहीं पाओगी! चुदाई के वक़्त चिल्लाने और चीखने से मज़ा दुगना हो जाता है। स्निग्धा उदास हो गई, बोली रोहित तुम बहुत अच्छे हो, कोई ऐसी लड़की को नहीं छोड़ता, पर तुम मुझे मना रहे हो कि मैं अपने V। के पलों को खुल कर जिऊँ। पर अभी यह मेरे लिए फन से ज्यादा ज़रूरत हो गया है। मैं अभी क्या करूँ? मैंने कहा तुम चिंता मत करो, उसका भी इलाज़ है मेरे पास... चलो तुम्हारे कमरे में चलते हैं, तुम्हारी मम्मी तो अब तक पापा के कमरे में चली गई होंगी। मैंने उसके झूठ तो बनाए रखा और आईडिया भी दे दिया। उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुरा कर अपने कमरे की ओर चल दी।
उसके जाते ही मैंने कहा अरे कोई चादर हटाओ हमारे ऊपर से... विनीत जब तक आगे बढ़ पाता, तब तक आंटी ने फटाक से चादर हम दोनों पर से हटा दी। पंखुरी ने दरवाज़ा बंद किया, दोनों बर्थ के बीच बैठ गई और रितिका की गांड सहलाने लगी, गांड से हाथ नीचे लेकर वो मेरे अंडकोष तक सहलाने लगी। रितिका बोली भाभी, आपके हाथों में तो जादू है।
इधर आंटी पर इतनी देर में किसी ने ध्यान नहीं दिया था तो वो अपनी ओर आकर्षण खींचने के लिए अपनी पैंटी उतार कर साड़ी ऊपर करके अपनी चूत सहलाने लगी।
मैंने देखा कि अब लोहा गर्म है, अब चोट करेंगे तो वार खाली नहीं जायेगा। मैंने कहा अरे दो दो मर्दों के होते हुए तुम अपने हाथ से अपनी चूत सहला रही हो। लानत है हम दोनों पर, विनीत मेरे लंड से तो तेरी बीवी चुद रही है, तू इनकी मदद कर थोड़ी इनकी चूत को चाट ले और उनकी कामाग्नि को शांत कर। विनीत मेरा इशारा समझ गया, उसने आंटी के कंधे पकड़े और उन्हें 2 तकियों के सहारे लिटा दिया। विनीत ने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर फिराई वो तो रो पड़ी, विनीत के मुंह को अपनी चूत में घुसाने लगी इतनी ताकत से अपने हाथों से विनीत के मुंह को अपनी चूत में धकेलने लगी। विनीत भी कच्चा खिलाड़ी नहीं था, अपना मुंह उसकी चूत से दूर करके बोला जहाँ इतने साल बिना लंड के काम चलाया है थोड़ा सा और इंतज़ार करो।
मुझे भी मज़ा लेने दो और खुद भी मज़ा लो। ताकत लगाओगी तो कोई फायदा नहीं होगा, मैं उठकर अपनी भाभी की चूत के साथ मजे ले लूंगा। आंटी थोड़ा सुबकते हुए बोली मैंने आज तक केवल नंगी पिक्चर में ही चूत चाटते हुए देखा है। मेरे पति ने मुझे कभी ओरल दिया ही नहीं था। आज जब पहली बार मेरी चूत से जीभ छू गई तो मैं कंट्रोल नहीं कर सकी, प्लीज मुझे और मत तड़पाओ, प्लीज मेरी चुत को वो परम सुख वो परम आनन्द दे दो। इधर रितिका और मैं बिना हिले ट्रेन के हिलने से पैदा होने वाले आनन्द का मज़ा ले रहे थे। पंखुरी चुपचाप यह नज़ारा देख रही थी। मैं बोला पंखुरी, आज बहुत दिनों से पराये लंड से चुद रही है, आज अपने पति से अपनी चूत चटवा ले। पंखुरी बोली मैं अगर आपके मुंह पर बैठ गई तो आप इस पराई नंगी औरत की चूत के दर्शन नहीं कर पाएंगे इसलिए दूर बैठी हूँ।आप कौन से भागे जा रहे हो, आप तो मेरे ही हो चाहे जब चुद लूंगी आपसे तो!
आंटी के तो जैसे आँख कान सब बंद हो चुके थे, उन्हें कुछ सुनाई या दिखाई नहीं पड़ रहा था। अगर कुछ सुनाई दे भी रहा था तो वो उसके कान में अमृत की तरह घुल रहा था। विनीत चूत चाटने में तो एक्सपर्ट था ही साथ ही वो अब अपने हाथ उस औरत के मम्मों को भी सहलाता जा रहा था जिससे आंटी की कामुकता और बढ़ती जा रही थी। पंखुरी ने जाकर विनीत की मदद करने के लिए आंटी के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। विनीत अपना हाथ कई बार वहाँ लेजा चुका था पर चाटते हुए नाड़ा खोलना थोड़ा मुश्किल पड़ रहा था। विनीत ने खड़े होकर आंटी को पूरी तरह नंगी कर दिया, वो अपने हाथों से अपने मम्मों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसकी शक्ल ऐसी हो गई थी जैसे हम उसकी इज़्ज़त लूट रहे हो।
मैंने कहा विनीत छोड़ उसको, तू तो पंखुरी को चोद!
विनीत ने मेरी तरफ देखा, आंटी बेचारी कुछ न बोलने की न करने की... विनीत पंखुरी की तरफ बढ़ा, आंटी बोली क्या हुआ, मुझसे कोई गलती हो गई क्या? प्लीज बता दो पर मुझे ऐसे मत छोड़ो। मैंने कहा तुम तो अपना बदन ऐसे छुपा रही हो जैसे c ग्रेड मूवी में हीरोइन अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपने सीने को ढकती है। आंटी तुरंत अपने घुटनों पर आ गई और बोली तुम जैसे चाहो जो चाहो करो पर मुझे छोड़ो मत। चुदने के लिए गिड़गिड़ाती औरत देख कर लंड उछाल मारने लगा, पता नहीं कब से मन में दबा हुआ यह एक ख्याल था जो कभी मुंह पर आया ही नहीं था कि मुझे चुदने के लिए गिड़गिड़ाती औरत देखने का मन है।
विनीत बोला तो चल फिर शुरू हो जा और चूस मेरा लंड और अपने बूब्स दबा, अपनी चूत में उंगली कर और हमें गर्म कर! अगर तू हमें उकसा पाई तो यकीन मान तुझे इतनी अच्छी चुदाई देंगे कि तू ज़िन्दगी भर हमसे से चुदने के लिए प्राथना करेगी। आंटी के चेहरे पर आत्मविश्वास के भाव आ गये जैसे अब उसने विनीत की इस चुनौती को स्वीकार कर लिया हो। वो अब दोनों बर्थ के बीच खड़ी होकर अपने बूब्स को पकड़ कर नाचने लगी। गंदे और भद्दे इशारे करती तो कभी अपने होंठ काटते हुए अपनी चूत में उंगली दे देती।
मैंने रितिका को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और धीमे से कहा विनीत ने बहुत बड़ा वादा कर दिया है, उसकी बात रखने के लिए तुम मुझे ऐसे चोदो कि मैं थोड़ा प्यासा रह जाऊँ और मेरा लंड दुबारा जल्दी खड़ा हो जाये। रितिका बोली भैया, आप चिंता मत करो, आप 2-3 बार तो आरामसे चुदाई कर ही लेते हो। और मैं आपको प्यासा भी छोड़ दूंगी जिससे इस आंटी की मस्त चुदाई कर सको आप! वैसे साली आंटी लगी कितनी कंटीली रही है न? देखो भैया इसके बूब्स भी बिल्कुल नई नवेली लौंडिया की तरह कड़क और उभरे हुए हैं। आप तो आज लगभग नई ताज़ा और बहुत दिनों से प्यासी चूत मारने वाले हो। रितिका की बातों का ऐसा जादू हुआ कि मैंने विनीत से बोला विनीत पटक ले इसको, यह तो साली चुदने के लिए मरी जा रही है। देख तो सही कैसे गांड मटका मटका के दिखा रही है। पेशेवर पोल डांसर भी इसके आगे पानी भर जाये ऐसी अदाओं से रिझा रही है यह माँ की लौड़ी। लौड़ी बोलते बोलते में रितिका की चूत में अपना फव्वारा चलाने लगा। रितिका ने जैसे ही महसूस किया कि मैं उसकी चूत में अपनी मलाई भर रहा हूँ, उसने अपनी चूत से मेरा लंड बाहर निकाल दिया जिससे मेरा पूरा मलाई न निकले और मैं दूसरी चूत अच्छे से बजा सकूँ। मेरे लंड को अपने मुट्ठी में टाइट पकड़ लिया, मेरे लंड से निकलती हुई मलाई को रितिका ने अपनी जीभ से साफ़ दिया और अपने हाथ में आये मेरी मलाई को उसने आंटी को चाटने के लिए उसके मुंह के पास कर दिया। कामाग्नि में लीन आंटी ने रितिका के हाथ को चाट के साफ़ कर दिया। पंखुरी ने अपना पर्स खोला और मेरे लंड को चूम कर बोली जाओ इसकी चूत की खुजली को शांत कर दो! और मुझे कंडोम पकड़ा दिया।
विनीत बोला भाभी, मेरे शहजादे के लिए भी एक बढ़िया सा रेन कोट दे दो। पंखुरी विनीत की तरफ बढ़ी और उसके लंड को चूम कर बोली तुम भी इनकी प्यास बुझा देना।
विनीत का लंड पूरी तरह खड़ा था तो उसके लंड पर पंखुरी ने अपने हाथ से कंडोम चढ़ा दिया। विनीत बोला बता, पहले किसका लंड लेगी? आंटी मेरी तरफ बढ़ी और मेरे लंड को चाटने लगी, बोली मैंने अभी अभी इसका वीर्य चखा है, इसका लंड पहले लूंगी। मैंने कnहा तो चढ़ जा लंड पे... सोच क्या रही है? आंटी बोली मुझे नीचे आने दो और तुम मुझे चोदो। मैं अपनी सीट से खड़ा हुआ तो आंटी अपनी टाँगें फैला कर लेट गई। मैंने कहा विनीत, तू इसके मुंह में अपना लंड पेल दे, मैं इसकी चूत में भरता हूँ। विनीत अपना लंड सहलाता हुआ आंटी के मुंह पर खड़ा हो गया। आंटी सच में कई सालों से नहीं चुदी थी, उसकी चूत बहुत टाइट थी। ऊपर से मेरा लंड भी अभी तक पूरी औकात में नहीं आया था। मैं थोड़ी देर आंटी की चूत पर अपने लंड को रगड़ता रहा जिससे मेरा लंड भी औकात में आ जाये और दूसरा आंटी की चूत भी थोड़ी चौड़ी हो जाये।
मैं विनीत से बोला इसके दोनों हाथ पकड़ के रखना! और मैंने एक झटका लगाया जो मेरे लंड के टोपे को थोड़ा सा अंदर ले गया, आंटी के मुंह से चीख निकल गई। पंखुरी ने आंटी को उनका ब्लाउज दिया और कहा इसे अपने मुंह में ठूंस लो जिससे चीख न निकले। विनीत ने हाथ छोड़े, आंटी अपने मुंह में ब्लाउज रखते हुए बोली पूरा घुस गया है न! मैंने कहा अभी तो टोपा भी अंदर नहीं गया है। अभी तो पूरा लंड बाकी है जाने को! आंटी ने मुंहमें ब्लाउज ठूंस कर अपने हाथ विनीत को पकड़ा दिए। शायद आंटी समझ गयी थी कि अगर उसे अपनी चूत की अच्छी सेवा करानी है तो इनकी पसंद के अनुसार काम करना ही उचित होगा। अब मैंने थोड़ा सा और धक्का लगाया पर मुझे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि मेरा लंड अंदर गया होगा। इसीलिए मैंने लंड को दुबारा बाहर निकाला और फिर से ठेल दिया अबकी बार थोड़ा और ताकत से!
आंटी की आँखों से निकलता पानी और ब्लाउज के होते हुए उनकी दबी हुई चीख की आवाज़ बता रही थी कि हाँ अब आधा लंड तो अंदर जा चुका है। मैंने फिर से थोड़ा लंड पीछे लिया और फिर पूरा लंड अंदर तक पेल दिया, फिर धीरे धीरे छोटे छोटे धक्के लगाने लगा जब तक कि आंटी के चेहरे का नक्शा नहीं बदल गया। अब आंटी के चेहरे पर संतुष्टि दिख रही थी। मैंने अपने हाथ से आंटी के मुंह में फंसा ब्लाउज हटाया और विनीत के लंड को पकड़ के आंटीके मुंह में डलवा दिया। अब में विनीत के बॉल्स को भी सहला रहा था और इधर आंटी की चूत की चुदाई भी कर रहा था। आंटी इतनी कामोत्तेजित थी कि सपड़ सपड़ करके विनीत के लौड़े को चूस रही थी। मैंने कहा आज तो तुमने बहुत सारे नए काम किये हैं। अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ! बोल कर मैं खड़ा हो गया। आंटी की इतना मज़ा आ रहा था कि उन्होंने कुछ नहीं कहा, जैसा कहा जा रहा था, वैसा वो करे जा रही थी।
जब आंटी मेरे ऊपर आ गई तो, मैं विनीत से बोला आ जा इसकी गांड में अपना लंड पेल दे। आंटी बोली पर मैंने कभी... मैंने इतना सुनते ही आंटी के मुंह पर हाथ रख दिया विनीत, प्यार से करियो ओके!
विनीत बोला तू चिंता मत कर, इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी। और साथ साथ आंटी की गांड पर हाथ भी फेरता जा रहा था। विनीत भी अब चढ़ गया था। आंटी की गांड में लंड जैसे ही गया आंटी तिलमिला गई और गधे की तरह उछलने लगी।
मैंने कहा रितिका पंखुरी, तुम दोनों इसके बूब्स और पूरे बदन की अच्छी मसाज करो जिससे यह घोड़ी बिदके नहीं। पंखुरी आंटी के बूब्स चूसने लगी और रितिका आंटी के बदन पर पोले हाथों से मसाज देने लगी। विनीत ने फिर धीरे से आंटी की गांड में अपना लंड पेला, धीरे धीरे जब विनीत का लंड पूरा अंदर चला गया तो विनीत बोला हाँ रोहित, गया पूरा लंड अंदर, अब जैसे ही में थ्री बोलूँ तू इसको चोदना शुरू कर ना! मैंने कहा ओके।
विनीत बोला वन, टू एंड थ्री...मैंने थ्री सुनते ही धक्के लगाने शुरू कर दिए। विनीत ने कुछ ऐसा प्रोग्राम बनाया था जिसमें जब मेरा पूरा लंड अंदर होता तो उसका आधा बाहर और जब उसका पूरा अंदर होता तो मेरा आधा बाहर। अब आंटी के दोनों छेदों पर लगातार एक के बाद एक प्रहार हो रहे थे, आंटी अब तक कई बार झड़ चुकी थी। मैंने कहा अब मैं तुम्हारी गांड मरूंगा और विनीत तुम्हारी चूत चोदेगा। आंटी बोली मैं इतनी बार झड़ चुकी हूँ कि अब गिन नहीं पा रही। मुझे पर थोड़ा रहम करो!
हमें कहाँ कुछ सुनाई दे रहा था, विनीत हटा, मैंने आंटी को हटाया और विनीत नीचे लेट गया, उसके ऊपर आंटी ने विनीत का लंड अपनी चूत में डलवाया फिर मैंने ऊपर चढ़ के उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया। मुझे ट्रेन के धक्कों के साथ ताल से ताल मिलाना पसंद आ रहा था। मैं बहुत देर से अपने लंड के पानी को रोक कर धक्कमपेल में लगा हुआ था पर अब मेरे लिए अपना स्खलन रोकना नामुमकिन था। मैं विनीत से बोला विनीत, आगे का तू ही सम्भाल, मैं तो इसकी गांड में अपनी मलाई छोड़ रहा हूँ। विनीत बोला चिंता मत कर, मैं भी आने ही वाला हूँ। बारी बारी से हम दोनों ने अपनी अपनी मलाई साथ साथ ही छोड़ दी और थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे अपने अपने लंड गांड और चूत में डाले हुए। ट्रेन के हिलने से हल्के हल्के धक्के तो लग ही रहे थे। थोड़ी देर बाद हम तीनों उठे, आंटी ने अपने कपड़े पहने और बाहर जाने लगी। मैं बोला सुनो, तुमने हमें अपनी चूत गांड तक दे दी, अब यह तो बता दो कि तुम्हारा नाम क्या है? आंटी बोली मेरा नाम आरती है। मैंने कहा बाए आरती,वो लंगड़ाती हुई अपनी सीट पर जा रही थी।
लंड के खड़े होने की कोई उम्मीद नहीं थी पर दो जवान जिस्म मेरे सामने नंगे पड़े थे। तो सोचा चुदाई न सही जिस्म के साथ खेला तो जा ही सकता है, मैं रितिका को बोला आजा मेरे ऊपर लेट जा! वो बोली हाँ भैया! विनीत ने पंखुरी से कहा भाभी, आप मेरे ऊपर लेट जाओ। पंखुरी मुस्कुरा कर विनीत के ऊपर लेट गई। दोनों ही औरतें हमारे बदन से खिलवाड़ कर रही थी। हम लोग भी थक कर चूर हो चुके थे और हम दोनों जल्दी ही सो गए। लड़कियाँ पता नहीं सोई या नहीं।
जब मेरे कान में गूंजा कि 'उठ जाओ... भोपाल आने वाला है।' तब कहीं जाकर मेरी नींद खुली, आँखें खोली तो देखा जो लड़कियाँ रंडियों की तरह नंगे बदन अभी तक हमारे लण्डों से खेल रही थी, वो एकदम सलीके से साड़ी पहन कर देवियों की भांति प्रतीत हो रही थी।
भोपाल स्टेशन आ गया। आरती को भी हमने ट्रेन से उतरते हुए देखा, मैं सामान उतरवाने के बहाने उसके करीब गया और अपना नंबर देकर बोल आया कि जब दिल करे फ़ोन करना, एक ही शहर में हुए तो मिलेंगे। खैर फूफाजी हमें लेने स्टेशन आये हुए थे तो हम जल्दी ही घर भी पहुँच गए।
बुआ का घर बहुत बड़ा नहीं था पर छोटा भी नहीं था। बुआ के घर में 10 कमरे थे, उनमें से एक बुआ फूफाजी का कमरा, एक में विनीत और रितिका और तीसरे कमरे में स्नेहा जिसके लिए हम लड़का देखने आये थे, वो रहती थी। स्नेहा का रूम छोटा भी था और उसे स्टोर रूम की तरह भी उपयोग में लाया जाता था। बाकी सभी कमरे में विनीत के चाचा-चाची, दादा-दादी, ताऊजी-ताईजी और उन लोगों के बच्चे रहते थे। काफी बड़ा परिवार था, परिवार क्या, एक दो लोग और होते तो जिला ही घोषित हो जाता। घर में हमेशा ही एक मेले जैसा माहौल रहता है।
खैर हमारे जाते ही हमारा उचित खाने पीने की व्यवस्था थी, हम लोग खाना खाकर अब सोने की तैयारी में थे पर यह समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहाँ सोने वाला है। मैंने विनीत को बोला भाई ये सामान वगैरह कहाँ रख कर खोलें... और सोना कहाँ है?
विनीत मजाक के स्वर में बोला पूरा घर तुम्हारा है, जहाँ मर्जी आये सामान रखो और जहाँ मर्जी आये सो जाओ। मुझे लग रहा था कि सभी के लिए कमरे निर्धारित हैं तो शायद हमें ड्राइंग रूम में ही सोना पड़ सकता है। पर बुआ बोली सारी औरतें एक कमरे में सो जाएँगी और सारे मर्द एक कमरे में। सारी औरतें मतलब रितिका, पंखुरी, स्नेहा, बुआ सभी विनीत के कमरे में सो गए और हम लोग यानि मैं, विनीत, फूफाजी बुआ के कमरे में सो गए।
रात तो बीत गई। वैसे भी ट्रेन और उससे पहले इतनी चुदाई मचा चुके थे कि अभी ज़रूरत नहीं थी। हाँ अगर चूत मिल जाती तो मना नहीं करते।
अगले दिन सुबह सभी लोगों से मिलना जुलना चलता रहा। पंखुरी शादी के बाद पहली बार गई थी तो विशेष रूप से उससे मिलने को सभी लोग आतुर दिखाई दिए। दिन का खाना भी हो गया, अब बारी थी लड़के वालों के आने की, घर को ठीकठाक किया गया, बाजार से कई पकवान मंगवा लिए गए। लड़के वाले स्नेहा को पसंद करके चले गए। उन लोगों के जाने के बाद हमने स्नेहा को खूब चिढ़ाया, बुआ तो रोने ही लगी। शादी आने वाले नवंबर में तय हुई। शाम होने लगी थी, दिन कैसे खत्म हो गया पता ही नहीं चला।शाम को मैं और विनीत निकल गए सैर सपाटे पर, सैर सपाटा तो बहाना है, हम दो दो ड्रिंक मारने के मूड से निकले थे। विनीत ने एक एक्टिवा की चाबी उठाई और चलने लगा। मैंने रास्ते में कहा यार दिल्ली में क्या मजे थे! जब से यहाँ आये है अपनी बीवी तक को ढंग से देखने की फुर्सत नहीं मिली है। विनीत बोला यही तो मैं तुझे बता रहा था कि हमारे यहाँ सब चाहते है कि एक बच्चा जल्दी से दे दें पर हमें कभी अकेले ही नहीं छोड़ते। अब बच्चा क्या पेड़ से टपकेगा। हम दोनों हंसने लगे, मैंने कहा यार कहीं बैठकर बढ़िया दो चार पेग मारते हैं फिर चलेंगे। विनीत बोला हाँ अपन बार में ही जा रहे हैं। बार में दो पेग के बाद विनीत बोला ज्यादा मत पीना, घर में काफी लोग है। अभी जाकर भी कई लोगों से बातें करनी पड़ेगी। मैंने कहा हाँ ठीक है पर एक और पेग मार के चलते हैं। दोनों ने एक एक और पेग मारा और आ गये घर।
जब हम घर लौट रहे थे, तब कॉलोनी की सड़क पर रितिका और पंखुरी घूम रही थी। मैंने कहा विनीत, तू मुझे यहीं छोड़ इनके पास और तू एक्टिवा रख के आ जा, विनीत मुझे उतार कर बिना रुके चला गया। रितिका बोली आप लोग ड्रिंक करके आये होंगे? मैंने कहा कोई शक? पंखुरी चिढ़ाते हुए बोली क्यूँ मजा आ रहा है न फूफाजी के साथ सोने में? मैंने कहा क्या यार जले पे नमक छिड़क रही हो? वैसे ठरक तो तुमको भी हो रही होगी? रितिका बोली हाँ भैया, जब से दिल्ली से लौट कर आये हैं, वाकयी ठरक होने लगी है। वर्ना तो पहले हम दोनों एक कमरे में भी सोने के बावजूद कभी कभी ऐसे ही सो जाया करते थे। मैं रितिका से बोला ज़रा थोड़ी आड़ लेना, मुझे पंखुरी के बूब्स दबाने है। रितिका ऐसे खड़ी हो गई कि किसी को दिखे न कि हो क्या रहा है। मैंने आराम से पंखुरी के बूब्स दबाये और बोला पंखुरी यार, एक काम कर, रातको किसी बहाने से बाथरूम में मिल। छुप छुप कर चुदाई करेंगे।
पंखुरी बोली आपको क्या लगता है मेरा मन नहीं कर रहा, पर ऐसे अच्छा नहीं लगेगा। तब तक विनीत भी गाड़ी रख कर वापस आ गया था। मैंने कहा विनीत, कुछ प्रोग्राम बना यार... ऐसे कैसे बिना चूत के रह सकेंगे। वो भी जब घर में दो दो चूत हमारे लिए गीली हो रही हों तब। विनीत बोला यार, मैं कुछ करने की कोशिश करता हूँ। पर तेरे से एक बात कहूँ, तू ज्यादा अच्छे से कुछ प्लान कर लेगा। प्लीज कुछ कर या आईडिया दे दे। मैंने कहा मादरचोद, सारे काम मुझे ही करने हैं, तुम्हें तो बस चूत चाहिए वो भी फ्री में । वो हंसता रहा, दोनों लड़कियाँ भी मुंह दबा कर हंस रही थी। गाली खाने की डेडिकेशन के कारण मैंने कहा चिंता मत करो ठरकियो, तुम्हारे लिए कुछ जुगाड़ करता हूँ। हम लोग सभी साथ साथ घर में घुसे, दोनों लड़कियों ने घर में घुसते ही घूँघट डाल लिया और नजर नीची करके अंदर की ओर चली गई।
ड्राइंग रूम पूरा भरा पड़ा था, कहीं बैठने की जगह नहीं थी। मैंने कहा कोई आया है क्या अपने घर, काफी नए चेहरे दिख रहे हैं। विनीत हसंते हुए बोला भाई, कोई बाहर के लोग नहीं है ये अपना ही कुनबा है। सुबह जब अपन लोग सोकर उठे थे तब तक कई लोग अपने अपने काम से कॉलेज, कॉलेज और ऑफिस जा चुके थे, इसीलिए तुम्हें कोई नहीं दिखा था। फिर धीरे से बोला मैंने तो कहा था कि घर जाकर कई और लोगों से बातें करनी है। घर में दाखिल होते ही सभी ने बड़ी गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया। सभी लोगों से हाय हेलो करते करते खाना भी लग गया। सभी लोग साथ में खाना खाने लगे, घर की लड़कियाँ खाना परोस रही थी। तभी मैंने नोटिस किया की स्नेहा भी अब खूबसूरत लगने लगी थी और उससे भी खूबसूरत एक और लड़की थी। नशे में जब चूत की आग लगती है तो हर लड़की खूबसूरत लगने लगती है लेकिन वो वाकयी क़यामत थी। और वो जब झुक कर खाना परोस रही थी तो जो नज़ारे देखने को मिल रहे थे उससे तो लंड में हरकत आना शुरू भी हो गई थी। खाना खाने के बाद मैं और विनीत सुट्टे की तलब में छत पर गए, तब मैंने पूछा उस लड़की के बारे में, तब पता चला कि वो विनीत के ताऊजी की लड़की है। अब विनीत से कैसा पर्दा, मैंने विनीत को बता दिया कि मेरे मन उस लड़की के लिए नेक ख्याल नहीं हैं। विनीत का थोड़ा मुंह बन गया, बोला यार बहन को तो छोड़ दे, ऐसी भी क्या ठरक?
मैंने कहा देख, जब देखा तब नहीं पता था कि वो तेरी बहन है, और अभी भी तू बोलेगा तो मैं अपने कदम पीछे ले लूंगा। तेरी दोस्ती के लिए ऐसी कई लड़कियाँ कुर्बान हैं मेरे दोस्त... पर देख, लड़की लड़की ही रहती है, सबमें चुदने की भूख होती है, उसने जिस तरह खाना खिलाया है, मुझे लग रहा है कि उसमें भी तड़प तो है। और उसे मैं अपना लंड नहीं दूंगातो किसी और का लेगी। पर लेगी ज़रूर, और हाँ इसमें अगर पकड़ी गई तो बदनामी भी बहुत है। मैंने किया तो घर की बात घर में और कोई शक भी नहीं करेगा। विनीत बोला तू चाहे जितनी बातें बना पर यह सही नहीं है।
मैंने कहा ठीक है भाई, कोई नहीं हम इस टॉपिक पे बात ही नहीं करेंगे। विनीत बोला उसका नाम स्निग्धा है, और वो वैसी नहीं है जैसी तू सोच रहा है। मैंने कहा यार टॉपिक खत्म कर, मैं क्या बोलूँ? विनीत बोला बोल बोल, क्या बोलना चाहता है बोल दे। मैंने कहाh देख, तू तो भाई है, तेरे सामने ऐसी हरकतें तो वो करेगी नहीं, पर मैंने उसकी आँखों में शरारत देखी है। न माने तो तू देख लेना कल वो कहीं नहीं जाने वाली और मेरे लिए कुछ न कुछ ऐसा ज़रूर करेगी जिससे मैं उसकी तरफ झुक जाऊँ! विनीत बोला हो ही नहीं सकता, वो जानती है कि तू शादीशुदा है। मैंने कहा यही तो वो चाहती है कि उसका काम भी हो जाए और गले की घंटी भी न बने। विनीत बोला अगर ऐसा है तो देखते हैं, अगर वो सच में चालू माल है तो, फिर कोई भी भाई कुछ नहीं कर सकता।
तूने चोदा तो मैं तुझे रंगे हाथों पकड़ के मैं भी चोद डालूंगा। अब जाकर मेरी जान में जान आई, मैंने कहा ठीक है। अब तू बस देखता जा। मैं और विनीत सिगरेट पीकर नीचे आ गये।
आज शादी तय हुई थी इसलिए घर में बहुत ख़ुशी का माहौल था और अभी तक कोई भी सोने नहीं गया था। सभी बड़े बुजुर्ग बाहर वाले ड्राइंग रूम में बैठकर सरकार को गलियां और PF और EPF की बातें कर रहे थे। सभी औरतें चाचा-चाची वाले कमरे में थी। रितिका-विनीत के कमरे पर बच्चों ने अधिकार जमा रखा था।
मैंने देखा की स्निग्धा भी बच्चों वाले कमरे में ही है।
मैंने कमरे में घुसते ही बोला स्नेहा अब तुम्हे यहाँ नहीं रहना चाहिए अब तुम जाकर औरतों वाले कमरे में जाओ ये तो बच्चों का कमरा है। स्नेहा बोली भइया आप मुझे कब तक चिड़ाते ही रहोगे, वैसे बच्चों वाले कमरे में आप क्या कर रहे हो। जाओ जाकर सरकार, पॉलिटिक्स, महंगाई भत्ते के बारे में बातें करो बाहर जाकर। मैंने कहा ओके चल कोई नहीं तू भी यही बैठ जा और मुझे भी बैठ जाने दे। स्निग्धा अब तक मुझे एक टक देखे ही जा रही थी, इस बात को विनीत ने भी नोटिस कर लिया था। हमने कमरे में आते ही बढ़िया बढ़िया गेम्स खेले, सभी बच्चे हमारे दोस्त बनगए। फिर दौर शुरू हुआ अंताक्षरी का, सभी लोग गाने में मशरूफ थे और स्निग्धा मुझे तकने में और मैं भी मौका देखकर उसे देखते हुए पकड़ कर शर्माने पर मजबूर कर देता था। बीच बीच में विनीत को कोनी मार के दिखा देता था कि स्निग्धा की हरकतें कैसी हैं। रात का एक बज रहा था पर किसी की आँखों में कोई नींद नहीं थी। तभी विनीतके दादाजी गरजे और बोले सोना नहीं है किसी को? सुबह सब लेट हो जाओगे। चलो सोने, कैसे गाने गव रहे हैं देखो तो, अभी जमीन में से निकले नहीं है और गाने गाये जा रहे हैं। एक शैतान बच्चा बोला गाना गाने के लिए जमीन से निकलने की ज़रूरत ही नहीं है। खैर सभी लोग अपने अपने कमरों में जाकर सोने लगे। मैंने सोचाकि विनीत थोड़ा बहन भक्ति दिखा रहा है इसलिए मैंने उसे अपने साथ नहीं लिया और यह देखने लगा कि स्निग्धा कौन से कमरे में सोती है।
जब मैंने उसे कमरे में जाते देख लिया तो आराम से आकर अपनी जगह सो गया। जब विनीत और फूफाजी खर्राटे भरने लगे तो उठा और जाकर उस कमरे के आस पास तफ़्तीश करने लगा। जब कहीं कोई जुगाड़ नहीं मिला तो छत पर सिगरेट पीने चला गया। छत पर सिगरेट पीते पीते उलटी तरफ देखा तो लगा कि एक छज्जा है जहाँ से शायद कुछ दिखे। बड़े आराम से मैं छज्जे पर उतरा और अंदर देखा। लाइट बंद थी कुछ नहीं दिखा। फिर मैंने थोड़ा दिमाग लगाया और समझने की कोशिश की कि स्निग्धा का कमरा कौन सा होना चाहिए क्योंकि उसके कमरे की लाइट तो जल रही थी जब मैं उसके कमरे के आस पास था। फिर थोड़ी ताक झांकी से समझ आया कि 3 ही कमरों की लाइट जल रही थी जो फर्स्ट फ्लोर पर थे। पहले कमरे में झाँका तो देखा कि विनीत के ताऊजी ताईजी को पलंग पर आधा लिटा के खड़े होकर चुदाई कर रहे हैं। थोड़ी देर उनकी चुदाई का आनन्द लिया फिर दूसरे छज्जे पर गया वहाँ से झाँका तो पाया कि यह स्निग्धा का ही कमरा था।
गाने गाते वक़्त मैंने स्नेहा के मोबाइल से स्निग्धा का नंबर चुरा लिया था। बस अपने मोबाइल से स्निग्धा को एक शायराना मैसेज भेज दिया और उसके चेहरे पर बस भाव चेक करने थे। उसने मोबाइल उठाया, मैसेज देखा तो उसने लिखा आप कौन? मैंने अपना नाम रोहित लिखकर भेज दिया। वैसे वो समझ तो गई थी पर फिर भी कन्फर्म कर रही थी। उसके कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था तो आराम से कूद कूद के 'ये ये ये...' करने लगी। फिर उसका मैसेज आया कि आप अभी तक सोये नहीं? मैंने लिखा खर्राटों के बीच नहीं नींद आ रही। उसने हंसने वाला स्माइली बनाकर लिखा तो आप क्या कर रहे हो? मैंने देखा कि वो अपने होंठ काटते हुए अपने आप को शीशे में देखकर अपने बूब्स को दबाकर थोड़ा ब्रा टाइट करते हुए मैसेज का इंतज़ार कर रही थी। मैंने सब्र का इम्तिहान लिया, मैंने लिखा तुमसे बातें! उसने अपना मोबाइल अपने सर पे मारा और कुछ बुदबुदाने लगी, फिर शरारती मुस्कान से मैसेज लिखने लगी।
मैसेज आया बीवी से अलग सोना पड़ रहा है? स्नेहा बता रही थी कि भैया भाभियों की वाट लगी पड़ी है। मैंने समझ तो लिया ही था कि ये चाहती क्या है इसलिए मैंने एक बढ़िया सा चुदाई का वीडियो फॉरवर्ड कर दिया। उसके तुरंत बाद लिखा- सॉरी सॉरी यार... गलती से तुम्हारे पास चला गया, वो तुम्हारी भाभी के साथ नहीं सो रहा तो सोचा कि कुछ तो एंटरटेनमेंट कर लूँ पर गलती से तुम्हारे पास मैसेज चला गया। उसका मैसेज आया कोई बात नहीं। अब वो उस वीडियो को बार बार देखकर धीरे धीरे अपने बदन से खेलने लगी। मैंने भी कुछ देर उसे कोई मैसेज नहीं किया और उसकी रतिक्रिया देखने लगा।
पहले तो वो ऊपर से ही अपने बदन को अपने हाथों से मसल रही थी, पर फिर धीरे से उसका हाथ अपनी पैंटी के अंदर चला गया, वो अब आँखें बंद करके शायद अपनी उंगली से बिल्कुल धीमे धीमे अपनी चूत के दाने को रगड़ रही होगी। मैंने एक और मैसेज किया और कहा अगर तुम विनीत की बहन नहीं होती तो शायद मैं ऐसी गलतियाँ और करता पर, आई एम रियली वेरी सॉरी उस वीडियो के लिए । स्निग्धा का मोबाइल जैसे ही वाइब्रेट हुआ उसने अपना हाथ अपनी पैंटी से बाहर निकाल लिया और जल्दी से मोबाइल उठाया, फिर मोबाइल पर बहुत देर तक कुछ टाइप करती रही। पर शायद उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या लिखे। वो बार बार अपने सर को खुजाती और कुछ टाइप करती, कभी मुस्कुराती तो कभी अपने पढ़े हुए मैसेज पर अपना मुंह टेढ़ा कर लेती। फिर उसका मैसेज आया मैं उनकी बहन हूँ आपकी नहीं, मैं हर किसी को अपना भाई बनाना भी नहीं चाहती। मैसेज के तुरंत बादसे ही वो कुछ तलाश कर रही थी, अलमारी में, ड्रावर में सब जगह कुछ ढूंढ रही थी।
मैंने मैसेज लिखा मुझे खूबसूरती की कदर है, और तुम बेहद खूबसूरत हो। अगर तुम विनीत की बहन नहीं होती तो मैं तुम्हें अभी छत पर बुला लेता। मैं तुम्हारे गुलाबी होंठों का कायल हूँ।
उसने मैसेज पढ़ा और मस्ती से झूम गई और शरारती मुस्कान के साथ लिखा आप सो जाइये, बहुत रात हो गई है। मैंने लिखा मैं तुम्हारा छत पर वेट करूँगा और अगर तुम 15 मिनट में नहीं आई तो मैं तुम्हारे कमरे में आ जाऊंगा। मैसेज पढ़ कर थोड़ी सकपकाई, फिर थोड़ी खुश हुई फिर थोड़ी घबराई, जल्दी से शीशे के सामने बैठकर अपने बाल बनाने लगी, फिर चेहरे पर कुछ कुछ लगाया। अभी तक स्निग्धा ने केवल एक पैंटी ही पहन रखी थी, अब उसने नीचे एक केप्री जैसा कुछ 3/4 पहन लिया। ऊपर तो उसने एक शार्ट कुर्ता पहना ही हुआ था। यह सब करने के बाद उसने लाइट बंद कर दी और मैसेज किया मैं छत पर नहीं आ सकती, हम कल मिलेंगे, कल मैं कहीं नहीं जाऊँगी।
मैंने लिखा तुम्हारे पास अब केवल 3 मिनट रह गए हैं, या तो तुम ऊपर आ जाओ, नहीं तो मैं तुम्हारे कमरे में तो आ ही सकता हूँ। स्निग्धा ने लिखा मैं अपने कमरे में अकेली नहीं हूँ, मेरी मम्मी भी मेरे ही साथ सो रही हैं, आप मेरे कमरे में मत आना। और इसीलिए में ऊपर भी नहीं आ सकती। मैंने लिखा तुम्हारे पास अब केवल 1 मिनट है, मुझे डर नहीं लगता, तुम बस दरवाज़ा खोलो, मैं तुम्हारी माँ के सामने तुम्हें चूम कर दिखा सकता हूँ। स्निग्धा बोली अच्छा प्लीज मुझे 10 मिनट दो, मैं ऊपर आती हूँ। मैंने लिखा ठीक है, मैं तुम्हारा 2 मिनट और वेट करूँगा, अगर तुम आ गई तो ठीक, नहीं तो अब मैं बिना मैसेज करे तुम्हारे कमरे में दाखिल हो जाऊंगा।
स्निग्धा उठी अपने कमरे की लाइट जलाई और अपने आप को शीशे में एक बार और देखा, अपने बाल उँगलियों से बनाए। और एक स्टॉल उठाया और चल दी बाहर। मैं भी तुरंत छज्जे से छत पर आ गया और छत पे उसके कमरे से दूसरी तरफ घूमने लगा। जैसे ही वो छत की आखिरी 3 सीढ़ी पर थी, मैं उसके करीब गया और जोर से उसे अपनी ओर खींचा और सीधा उसके होंठों पर होंठ रख दिए।स्निग्धा शायद इस हमलेके लिए तैयार नहीं थी, उसने सोचा होगा कि कुछ बातें होंगी और मैं उसे चूमने के लिए कहूँगा, वो मना करेगी। पर यहाँ तो सीधा होंठ से होंठ चिपक चुके थे। वो 15-20 सेकंड तक तो फटी आँखों से देख रही थी फिर उसने भी मेरा साथ देना शुरू किया। अब हम चूमते चूमते छत पर पूरी तरह आ गये थे, मैंने उसे दीवार से सहारे खड़ा किया, उसके हाथों को हाथों से पकड़ पर ऊपर कर दिया और होंठों को होंठों से चूमता रहा।
हाथों को ऊपर करने के बाद में अपने हाथों को उसके ऊपर सहलाते हुए नीचे लाया और लेकर उसके उरोजों पर रख दिया, फिर हाथों से उसके बूब्स का नाप लेकर अपना हाथ और नीचे लाया और उसके चूतड़ों का नाप लिया। अभी तक स्निग्धा ने मुझे नहीं रोका था। मैंने उसकी शॉर्ट्स में अपना हाथ डाला तो उसने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया, होंठों को होंठों से दूर करती हुई बोली आप दिल्ली वाले तो बहुत फ़ास्ट होते हो? न कोई बात न कोई चीत सीधा चुम्मा। और अब आपके हाथ है कि रुक ही नहीं रहे।
मैंने कहा कुड़िये... हम दिल्ली वाले न... बस ऐसे ही होते हैं, फालतू चीज़ों में टाइम वेस्ट नहीं करते। बातें करने का मज़ा ही तब आता है जब दिमाग में केवल बातें ही हों, खुल कर बातें हो सकती हों। अब सोचो मेरे दिमाग में तुम्हारे बूब्स का साइज हो और मैं कहूँ कि आज मौसम कितना अच्छा है। यह तो गलत है न? एक बार चुम्मी हो गई, अब मौसम अच्छा लगेगा तो मौसम के बारे में बात करूँगा और तुम अच्छी लगोगी तो तुम्हारे बारे में। बोलते बोलते अब की बार स्निग्धा ने मुझे चूम लिया, बोली आप बातें सीधा दिल से करते हो सीधा दिल को लग जाती हैं।
मैंने कहा दिल कहाँ कहाँ.... करते करते उसके बूब्स पकड़ कर मसल दिए। वो बोली धीरे से दबाओ, मेरा साइज बढ़ जायेगा। मैंने कहा दबाने से साइज नहीं बढ़ता डार्लिंग, उससे तो शेप अच्छी हो जाती है मम्मों की! स्निग्धा बोली मुझे नहीं करानी अपनी शेप अच्छी, आप तो बस धीरे से दबाओ, मुझे दर्द होता है। मैंने अब स्निग्धा के गले और गालों पर भी चूमना शुरू कर दिया था और उसके कुर्ते में अंदर भी हाथ डालने की कोशिश कर रहा था पर कुरता टाइट था इसलिए कुर्ते के पीछे के हुक खोलकर उसकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया। अपने एक हाथ को स्निग्धा के चूतड़ों पर फेर रहा था और हुक खोलते ही मैंने स्निग्धा की चूत को भी ऊँगली से छेड़ दिया, कपड़ो के ऊपर से ही हल्का गीलापन महसूस हो रहा था। मैंने अब फिर से उसके शॉर्ट्स में हाथ डालने की कोशिश की, इस बार स्निग्धा ने कोई आनाकानी नहीं की। मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से दूर किया और कहा स्निग्धा, तुम तो बहुत गीली हो गई हो। स्निग्धा बोली ओह्ह आई एम वेरी सॉरी रोहित वो मैं मैं वो....
मैंने कहा अरे इतना परेशान क्यों हो जाती हो? यह नार्मल है, जब लड़की को चुदवाने की इच्छा होती है तो वो अपनी चूत से ऐसे ही गीली हो जाती है जिससे उसमें लंड आसानी से अंदर जा सके। लगता है यह तुम्हारा फर्स्ट टाइम है? स्निग्धा बोली हाँ रोहित, यह मेरा फर्स्ट टाइम है। वो थोड़ी सी शरमाई हुई थी और मेरे मुंह से लंड चूत और चुदवाना जैसे शब्दों को सुनकर थोड़ी और उत्तेजित भी थी शायद! मैंने कहा स्निग्धा, अगर यह तुम्हारा फर्स्ट टाइम है, तुम इससे पहले किसी से नहीं चुदी, तो तुम अपने कमरे में वापस जाओ, हम तुम्हारी वर्जिनिटी लॉस शील भंग को पूरी तरह एन्जॉय करेंगे। पहली बार में छत पर, बिना बिस्तर के आधे डर से तुम एन्जॉय नहीं कर पाओगी और थोड़ा दर्द भी होगा तो चीख भी नहीं पाओगी! चुदाई के वक़्त चिल्लाने और चीखने से मज़ा दुगना हो जाता है। स्निग्धा उदास हो गई, बोली रोहित तुम बहुत अच्छे हो, कोई ऐसी लड़की को नहीं छोड़ता, पर तुम मुझे मना रहे हो कि मैं अपने V। के पलों को खुल कर जिऊँ। पर अभी यह मेरे लिए फन से ज्यादा ज़रूरत हो गया है। मैं अभी क्या करूँ? मैंने कहा तुम चिंता मत करो, उसका भी इलाज़ है मेरे पास... चलो तुम्हारे कमरे में चलते हैं, तुम्हारी मम्मी तो अब तक पापा के कमरे में चली गई होंगी। मैंने उसके झूठ तो बनाए रखा और आईडिया भी दे दिया। उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुरा कर अपने कमरे की ओर चल दी।