Update 08
सुबह उठकर नहा धोकर तैयार होकर नाश्ते के लिए जब हम इकट्ठे हुए तो देखा कि स्निग्धा वाकयी घर पर ही थी और नाश्ता परोसने में सहायता कर रही थी। स्निग्धा मुझे देखकर मुस्कुराती और जान- बूझ कर अपने अंग का प्रदर्शन करती। विनीत भी ये सब देख रहा था।
स्नेहा भी कम नहीं थी, कल रात की घटना के बाद उसका व्यवहार बहुत बदला हुआ था, वो मेरे सामने ऐसे बैठी थी कि मैं उसे ही देखता रहूँ। नाश्ते के बाद मैं विनीत को अपने साथ सिगरेट पिलाने बाहर ले गया।
जब हम एक गुमटी पर रुके तो मैंने विनीत से कहा यार विनीत, स्निग्धा का तूने देख ही लिया?
विनीत: हाँ मैं देख रहा हूँ, वो तुझसे ज्यादा ही चिपक रही है। रोहित: यार तुझे क्या बताऊँ, ये ले मेरे कल के सारे मैसेज पढ़, मैंने अपना मोबाइल उसे दिया और सारे मैसेज पढ़ाए। विनीत: तो इसका मतलब तूने उसे कल रात को ही चोद दिया? रोहित: नहीं यार... तेरे से वादा जो किया था। उसको संतुष्ट ज़रूर किया मैंने पर ओरल और ऊँगली से... चुदाई नहीं करी! विनीत: वाह यार वाह... तेरे जैसे दोस्त होने चाहिए। दोस्ती के लिए साली चूत जो खुद चलकर आई, उसे भी छोड़ दिया। रोहित: हाँ यार, चूतें तो मिलती रहेंगी, पर दोस्ती का कोई मोल नहीं है। अभी भी तू बोलेगा तो चोदूँगा, नहीं तो माँ चुदाये ।
विनीत: नहीं, जब तू अपने वादे पर टिका रहा तो मैं भी अपना वादा ज़रूर निभाऊंगा। तू चोद साली को, मैं भी तुझे रंगे हाथों पकड़ कर उसे चोदूँगा। रोहित: एक और समस्या है, प्लीज मेरी बात पूरी सुनना फिर कुछ कहना। विनीत: आश्चर्य से हाँ बोल? मैंने विनीत को स्नेहा वाली भी पूरी बात बता दी। विनीत लगभग रोने लगा। रोहित: देख यार, तुझे इसलिए बताया क्योंकि तू दोस्त है, तुझे दिल से दोस्त माना है। तू जो कहेगा वही होगा। विनीत: यार जो भी हो, वो मेरी सगी बहन है पर अगर कल रात तूने उसे नहीं छोड़ा होता तो आज शायद में यह बात कह भी नहीं पाता। तू कर जो तुझे ठीक लगे, इस बारे में तो मैं तुझे न ना बोल सकता हूँ न ही हाँ।
रोहित: तू अगर इतना उदास हो रहा है तो चिंता मत कर, कुछ नहीं होगा स्नेहा और मेरे बीच । विनीत: मुझे इस सदमे से बाहर निकलने दे, मैं तुझे आज रात की खाना खाने के बाद वाली सिगरेट पर बिल्कुल साफ़ साफ़ बता दूंगा कि मेरी राय क्या है। बस तब तक तुझसे गुजारिश है कि कुछ मत करना। और हाँ, मुझे तुझ पर भरोसा है कि दोस्ती निभाना जानता है। रोहित: तो ठीक है, आज शाम को स्निग्धा की चुदाई करते हैं। विनीत: तूने जो बताया, उसके बाद तो मुझे अपनी बीवी को भी चोदने का मन नहीं है। फ़िर थोड़ा गुस्से में, तू चोद साली रांड स्निग्धा को।
मैंने सोचा कि अभी साला गुस्से में है अभी कुछ ज्यादा फ़ोर्स नहीं करना चाहिए इसलिए वहाँ से घर की तरफ चल दिए। घर आकर मैं तो अपने मोबाइल पर गेम खेलने लगा और बीच बीच में स्निग्धा को मैसेज भी कर रहा था। विनीत पता नहीं किस उधेड़बुन में लगा हुआ था। विनीत मुझसे थोड़ा कटा कटा सा रहा दिन भर, शाम को मेरे साथ सिगरेट पीने भी नहीं आया। रात का खाना खाकर मैंने कहा: सिगरेट पीने चलेगा या ऐसे ही मुंह लटका के मुझे इग्नोर करता रहेगा? विनीत बोला चल बाहर चलते हैं, छत पर नहीं। हम दोनों गाड़ी पर बैठे और चले दिए दूर के किसी खोपचे में।
विनीत: मैं तुझसे जान करके दिनभर से कटा कटा रहा क्योंकि मुझे थोड़ा टाइम चाहिए था सोचने के लिए। फ़िर थोड़ा रूक कर बोला और उन दोनों को भी देखना था कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी है। रोहित: तो क्या रहा तेरा अवलोकन? विनीत: भाई तेरी सारी बातें सुनने के बाद उन लोगों पर निगरानी के बाद मुझे लगा है कि (थोड़ा हँसते हुए) इतना सेंटी होने की बात नहीं है। अब कल से वो किसी और का लौड़ा भी तो लेंगी ही। उनकी भी इच्छाएँ हैं, तमन्नायें हैं, एक लड़की की चाहत है! तू मेरे दोस्त रोहित, जा तू भी क्या याद करेगा जी ले अपनी ज़िन्दगी और दिखा दे दोनों को जन्नत!
रोहित: तूने तो यार दिल खुश कर दिया, अब सुन मैंने एक प्लान बनाया है। मैंने उसे अपना प्लान बताया। विनीत: इस मनसूबे की तामील भी तुम्ही को करनी है। रोहित: हाँ भाई तू चिंता मत कर बस मेरा साथ देना, मैं योजना के तहत सबको खुश कर दूंगा।
हम लोग वापस घर चले गए, घर जाते ही मैं बुआ से बोला बुआ, सुबह हम सब घूमने जायेंगे, आप चलोगी? बुआ बेचारी क्या कहती, वो बोली न भैया, तुम्हीं जाओ हम तो न जाये रहे। मैंने सबके सामने सबसे पूछा कौन कौन चलेगा घूमने? कल सुबह 5 बजे निकलेंगे हम लोग। मैंने स्निग्धा और स्नेहा को अलग अलग मैसेज कर दिया था कि तुम बोल देना कि तुम्हें चलना है। स्निग्धा और स्नेहा ने हाथ खड़े कर दिए। मैंने बुआ से कहा हम मतलब मैं, विनीत, पंखुरी, रितिका, स्निग्धा और स्नेहा कल घूमने जा रहे हैं और अगली शाम को लौटेंगे। सभी लोग अपनी अपनी तैयारी में भिड़ गए, मैं और विनीत पेट्रोल और हवा चेक करवा कर आ गये थे।
रात तो जैसे तैसे कट गई, सुबह 4 बजे मैं और विनीत उठकर तैयार होकर खड़ेहो गए। लड़कियों को भी चुदने का इतना भूत सवार था कि वो भी 5:30 बजे आकर गाड़ी के बगल में खड़ी हो गई थी। सफर की शुरुआत कुछ ऐसे हुई कि गाड़ी ड्राइव विनीत कर रहा था, आगे की सीट पर रितिका बैठी थी, बीच वाली सीट पर स्नेहा और स्निग्धा थे और आखिरी सीट पर मैं और पंखुरी । मैंने कहा विनीत, सबसे पहले गाड़ी किसी अच्छे से ढाबे पर रोक, वहाँ अच्छा सा नाश्ता करके चाय पीकर आगे चलेंगे। इतनी सुबह जल्दी में हम में से किसी ने भी चाय नाश्ता नहीं किया था।
अभी लगभग सभी लड़कियाँ गाड़ी में आधी नींद में ही थी। क्योंकि मुझे रात को तो किसी को कुछ समझाने का मौका नहीं मिला था इसलिए मैंने सुबह का टाइम ही चुना था। गाड़ी हाईवे पर आते ही विनीत ने 5 मिनट बाद ही गाड़ी रोकी, गाड़ी से उतरा और बोला भाई सुबह सुबह नींद आ रही है, ये पकड़ चाबी, तू ही चलाना गाड़ी। सभी की आँखों में कई सवाल थे, विनीत को यह नहीं पता था कि हम जा कहाँ रहे हैं। स्निग्धा यह सोच रही थी कि इतने सारे लोगों के बीच आखिर उसकी चुदाई कैसे होगी। स्नेहा सोच रही थी कि विनीत को लाये ही क्यूँ? पंखुरी को कोई आईडिया नहीं था कि आखिर ये सब हो क्या रहा है। रितिका सोच रही थी कि स्निग्धा और स्नेहा के आने से अब भी हम लोग चुदाई का कोई खेल नहीं खेल पाएंगे।
खैर सभी लोग नाश्ते के लिए अपनी अपनी जगह विराजमान हुए। मैंने सिगरेट जलाई तो सभी यही सोच रहे थे कि रोहित सिगरेट पीता है शायद इसको नहीं पता होगा। मैंने नाश्ता आर्डर किया, फिर विनीत को साइड में लेकर गया। विनीत कुछ पूछता उससे पहले मैंने कहा देख प्लान के अनुसार अपन लोग कहीं न कहीं तो जाना ही था। मैंने यहाँ से 70 km दूर एक फार्म हाउस बुक किया है, वहाँ अपन एक घंटे में पहुंच जायेंगे। विनीत बोला 70 km तो 40 मिनट में ही पहुंच जायेंगे। मैंने कहा वो फार्म हाउस ऑन रोड नहीं है, हाईवे से कच्चा रास्ता है वहाँ से 25 किलोमीटर अंदर है। विनीत बोला बहुत अच्छे। मैंने कहा अब तू जा और पंखुरी को भेज ।
पंखुरी बोली ये अपन कहाँ जा रहे हैं? मैंने कहा एक सेक्स ट्रिप पर... पंखुरी बोली कैसा सेक्स ट्रिप यार? दोनों बहनों को साथ लाये हो.. बोलते हुए उसके दिमाग में ख्याल आया तो बोली जो मैं सोच रही हूँ, वो सही है क्या? मैंने कहा हाँ... ये दोनों भी मुझसे चुदना चाहती हैं। पंखुरी बोली फिर तो मज़ा आएगा... पर विनीत भैया? मैंने कहा मेरी बात हो गई है।
पंखुरी मुस्कुराती हुई अपना नाश्ता करने जाने लगी। मैंने कहा देखो अभी ऐसे ही शो करना कि तुम्हें कुछ नहीं पता और जरा रितिका को भेजो। रितिका को भी मैंने पूरा ब्यौरा दे दिया और कहा कि स्निग्धा को भेजो।
स्निग्धा के आते ही मैं बोला स्निग्धा बस तुम मुझ पर भरोसा रखो, यह ट्रिप तुम्हारे लिए ज़िन्दगी भर यादगार रहेगी। कोई सवाल जवाब मत करना, बस मैं जैसा कहूँ, करती जाना। अब जाओ और स्नेहा को भेजो। स्निग्धा गर्दन नीचे करके चली गई।
स्नेहा के आते ही मैंने कहा देख तेरी इच्छा ज़रूर पूरी होगी, बस मुझसे कुछ मत पूछना, जो कहूँ, बस वो करती जाना।
अब गाड़ी मैंने चलाई, मेरे साथ पंखुरी बैठी। बीचमें विनीत और रितिका और आखिरी सीट पर स्निग्धा और स्नेहा। गाड़ी अपनी फुल स्पीड से हाईवे पर दौड़ रही थी, कोई किसी से कोई बात नहीं कर रहा था। गाड़ी कुछ ही पलों में कच्चे रास्ते पर उतर चुकी थी। गड्डों में धक्के खाते हुए हम लोग फार्म हाउस के सामने थे। फार्म हाउस दिखने में किसी पुराने बंगले जैसा था, आस पास काफी पेड़ और बागान थे, दीवारों पर बेलें चढ़ रही थी, कहीं कहीं दीवार में काई भी जमी हुई थी, दरवाज़े बिल्कुल पुराने से नील रंग से पुते हुए थे।
गाड़ी का हॉर्न मारा तो एक आदमी हमारी गाड़ी की तरफ भागता हुआ दिखाई पड़ा। कोई लोकल गांव वाला सा ही लग रहा था। उसने आते ही पूछा क्या आपका नाम रोहित है? मैंने कहा हाँ। तो बोला साब लेट हो रहे थे तो वो चाबी मुझे दे गए हैं। ये लीजिए चाबी और मैं भी चला... मेरी भैंसें चारे के लिए मेरा इंतज़ार कर रही होंगी। हमें भी कुछ ऐसा ही माहौल चाहिए था। मैंने उसे चाबी वापिस दी, सामानतो उसने अंदर रखवाया। विनीत ने उसे 10 रुपए दे दिए वो वहाँ से चला गया। अंदर से घर काफी सुन्दर और साफ़ सुथरा था।
मैंने अंदर आते ही सबसे कहा सब अपने लिए एक एक कमरा घेर लो। स्नेहा और स्निग्धा दोनों फर्स्ट फ्लोर की तरफ भागी, रितिका और पंखुरी आराम से नीचे ही एक एक कमरा देख लिया। सभी कमरों के साथ अटैच लेट बाथ था ही, साथ ही हर बाथरूम में एक एक बाथटब भी था। दोनों लड़कियों के ऊपर जाते ही मैंने रितिका को बाँहों में भरा और बोला यहाँ हर कमरे में बाथटब लगा है और तुझे हर बाथटब में चोदूँगा। रितिका के बूब्स दबाकर मैंने कहा ये तो पहले से ही बड़े सख्त हो चुके हैं। रितिका बोली आप तो मुझे बाद में चोदोगे, मैं तो रास्ते भर अपने सपनों में आपसे चुदती हुई आई हूँ। मैंने रितिका के टॉप के अंदर हाथ डाल के बूब्स को अच्छे से सहलाया, फिर मैंने कहा जरा कुंवारी चूत सहला आऊँ।
रितिका को छोड़कर मैं ऊपर आ गया। ऊपर दोनों अपने अपने रूम में जा चुकी थी। मैंने पहला रूम खोला, वो रूम स्निग्धा का था, अंदर जाते ही वो बोली देखो रोहित, मेरे कमरे से बाहर का नज़ारा और भी खूबसरत लग रहा है। मैंने कहा तुमसे ज्यादा नहीं लग रहा, तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो। मैंने कहते हुए स्निग्धा को बाँहों में भर लिया और उसके कूल्हे दबा दिए। स्निग्धा बोली आज तो आप सुबह से ही मूड में लग रहे हो। मैंने कहा मूड में तो उस रात भी था पर तुम्हें तुम्हारी पहली चुदाई छत के कंकड़ भरे फर्श पर देना नहीं चाहता था। कमरे में तुम चीख नहीं पाती। छुप छुप के करने में मज़ा इसके आगे की बारी में आएगा।.स्निग्धा बोली चीख तो मैं यहाँ भी नहीं पाऊँगी। और आप ये सब करोगे कैसे? रात को तो आपको भाभी के साथ भी सोना होगा न? मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो, मैं मैनेज कर लूंगा। बातें करते करते मैं स्निग्धा के बदन को सहलाता भी जा रहा था। वो बोली मैं तो एक ही रात में आपसे इतनी खुल गई हूँ कि आपको बताते हुए मुझे बिल्कुल शर्म नहीं आ रही कि मैं आपके छूने से गीली हो चुकी हूँ।
मैंने उसकी चूत की तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली मैं आपको रोकना नहीं चाहती पर इसके आगे मैं रुकना भी नहीं चाहती। मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया और कहा ठीक है, मुझे भी अपने आप को रोकना नहीं है। थोड़ा बूब्स को सहला पुचकार कर मैंने उससे कहा तुम यहीं कमरे में रहो, मैं जब आवाज़ लगाऊँ तो नीचे आ जाना।
उसके कमरे का दरवाज़ा बंद करके में दूसरे कमरे में गया जहाँ स्नेहा थी। स्नेहा के कमरे में जाकर उसको बाँहों में लेकर उसके बदन से खेलते हुए कहा तुम आज मुझे बहुत हॉट लग रही हो। मैंने पहले कभी तुम्हें इस तरह क्यूँ नहीं देखा, यही सोच रहा हूँ। स्नेहा बोली भैया, जब आप मुझे नंगी करेंगे तब और भी ज्यादा हॉट लगूंगी, आज तक मेरे बदन को कोई नहीं देख पाया है और आप इसे छूने जा रहे हैं। मुझे मेरे जिस्म पर नाज़ है, मैं चाहती हूँ कि आप मेरे जिस्म का एक भी कोना मत छोड़ना जिसे आपने न छुआ हो। मैंने कहा तुम थोड़ा जल्दी में हो, अभी कुछ नहीं हो सकता नीचे से अभी कोई भी आ सकता है। तुम थोड़ा सा और इंतज़ार करो, तुम्हारी हर तमन्ना पूरी हो जाएगी। स्नेहा बोली मैं तो बचपन से ही इन्तजार कर रही हूँ, थोड़ा और कर लूँगी। पर आप नीचे जाने से पहले मुझे एक चुम्मी तो कर सकते हैं न। बस मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। स्नेहा ने मेरे होंठों को इस तरह चूसना शुरू किया जैसे कोई बछड़ा दिन भर का भूखा गाय के थन से लगकर दूध पीता हो।
वो किसी डी ग्रेड मूवी के एक्ट्रेस की तरह मेरा हाथ पकड़ कर अपने उभारों पर रखवा रही थी। जब उसने मेरे होंठों को छोड़ा तो मैंने कहा स्नेहा तुम बहुत अच्छी और सुन्दर हो। तुम्हारा बदन बहुत ही कोमल और ताज़ा है। तुम मुझ से शारीरिक रूप से कितना प्यार करती हो, तुम्हारी आँखें बता रही हैं। पर एक बात कहूँ?
स्नेहा बोली हाँ हाँ कहिये न? मैंने कहा देखो, ये सब तुम्हारा व्यवहार और बदन और आँखें सब बता रही है तुम्हें किसी डी ग्रेड मूवी से कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं, तुम्हें मतलब तुमको जो भी अच्छा लगता है, वो करो, किसी को कॉपी करने की कोशिश में तुम खूखी रह जाओगी। स्नेहाने आँखें नीची कर ली और कुछ न बोली, बस अपने पैर के अंगूठे के नाख़ून से जमीन खुरचने लगी। मैंने अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा स्नेहा, मैं जानता हूँ कि तुम मेरी बात समझ गई हो पर यह मत समझना कि मैं तुम्हें कोई हिदायत दे रहा हूँ जिससे मैं एन्जॉय कर पाऊँ बल्कि मैं चाहता हूँ कि तुम अपने आने वाले पलोंको पूरी तरह जियो। स्नेहा नीचे देखते हुए ही गर्दन हिला दी। मैं कमरे से बाहर आ गया था। कमरे से बाहर आते ही दरवाज़ा जोर से बंद हुआ।
मैं जब नीचे पहुँचा तो रितिका अपने कमरे में थी और पंखुरी अपने में, मैंने दोनों कमरों के बीच खड़ा होकर पूछा विनीत कहाँ है? दोनों ने एक साथ इशारा करके बताया कि बाहर की तरफ। मैं बिना किसी कमरे में घुसे हुए बाहर की तरफ रुख कर गया। बाहर विनीत खड़ा खड़ा सिगरेट पी रहा था। मैं: क्यों बे भोसड़ी के, यहाँ क्या माँ चुदा रहा है? विनीत: सिगरेट पी रहा हूँ, ले तू भी पी ले। मैं: क्या हुआ, कुछ मूड अच्छा नहीं लग रहा? विनीत सिगरेट मेरी तरफ बढ़ाते हुए: नहीं ऐसा कुछ नहीं है। मैं कश लगाकर धुआँ फेंकते हुए: अबे चूतिये बोल, चूत जैसी शक्ल मत बना। विनीत थोड़ा बिफर कर: यार तू तो दो नई और कुंवारी चूत चोदेगा वो भी दोनों मेरी बहनें... मैं बाहर बैठकर मुठ मारूँगा क्या? मैं: मुझे पता था गांडू, मुझे पता था। तू आखिर में अपनी ऐसेही माँ चुदायेगा। बोल तेरी क्या इच्छा है?
विनीत: मुझे भी दोनों चूत मारनी है।
मैं: तू स्नेहा को भी.? मैं थोड़ा विराम लेकर बोला: स्नेहा के साथ भी करेगा क्या?
विनीत: हाँ जैसे तू भाई, ऐसे में भी भाई... बहनचोद ही बनना है मुझे भी।
मैं: मेरी एक बात मनेगा?
विनीतने हाँ में सर हिलाया।
मैंने कहा देख कुंवारी चूत तो सिर्फ हम दोनों में से एक को ही मिल सकती है। मेरे चोदने के बाद मैं उन्हें इतना खोल लूंगा कि तू भी आराम से दोनों को चोद पाएगा। विनीत: कुछ नहीं से कुछ तो बेहतर है। तुझे जो करना है कर, बस मुझे दोनों चूत दिलवा देना। मैं: हाँ माँ के लवडे, मुझे तो तूने दलाल समझ रखा है न? हम लोग थोड़ी देर चुप रहे और सिगरेट पीते रहे। फिर मैंने कहा एक काम कर, तू मेरी पहली चुदाई की वीडियो बनाएगा। विनीत बोला तू चिंता मत कर, तू नहीं भी बोलता तो भी बनाता, बाहर आया ही देखने ये था कि कहाँ से इन दोनों के कमरे के अंदर झाँका जा सकता है। मैंने पूछा मिल गया कोई रास्ता? विनीत ने हाथ के इशारे से जगह दिखाई, वो एक फर्स्ट फ्लोर पर बना हुआ बड़ी बालकनी थी। मैंने कहा वहाँ जायेगा कैसे? तो उसने मुझे सीढ़ी भी दिखा दी। मैंने कहा फिर तो पंखुरी और रितिका को भी यहाँ ले आना चुदाईके टाइम। हम दोनों सिगरेट पीते हुए बंगले के अंदर आ गये। मैंने कमरे के सामने आते ही कहा यार यह तूने सही किया कि कमरा आमने सामने का ही चुना। बोल तू कौन से कमरे में जायेगा?
पंखुरी और रितिका दोनों अपने अपने कमरे में टीवी पर कुछ देख रही थी। पंखुरी के कमरे में टेबल पर बोतल गिलास बर्फ चिप्स जैसे कई आइटम रखे हुए थे। दोनों ने ही नाइटी पहनी हुई थी। पंखुरी की हल्के गुलाबी रंग की आगे से खुलने वाली चिकने कपड़े की थी, वहीं रितिका की नाइटी मैरून रंग की थी, रितिका की नाइटी से सब कुछ आर पार दिखाई पड़ रहा था और उसने अंदर कुछ नहीं पहना था, पंखुरी की नाइटी झीनी नहीं थी पर में तो अच्छे से जानता ही था कि इसने भी अंदर कुछ नहीं पहना होगा। इससे पहले कि विनीत कुछ कह पाता, मैं रितिका के कमरे में घुसने लगा।
मुझे रितिका के कमरे में जाता देख विनीत भी पंखुरीके कमरे की तरफ चल दिया।
रितिका बोली भैया, आज तो आपके जलवे हैं, चार चार चूतें आपके लिए बेताब है। मैंने कहा यार! थोड़ी और कोशिश बाकी है अभी ...जब चारों की चार चूतें एक ही बिस्तर पर होंगी, तब आएगा मजा! क्योंकि तुम दोनों तो हो ही कमाल की... पर उन दोनों का पहली बार है, पता नहीं साली मानेंगी या नहीं। रितिका बोली अरे आप तो जादूगर हो, आप कैसे न कैसे उन दोनों को भी मना ही लोगे... बाकी हम सब आपकी बातें मानेंगे ही, जैसा आप कहोगे वैसा करेंगे! फिर बाकी किस्मत अपनी अपनी। हम दोनों अब एक दूजे की बाहों में आलिंगनबद्ध हो चुके थे। रितिका के भड़काऊ कपड़ों के कारण मेरा लंड पहले से ही अपनी औकात में आ चुका था।
इधर न हमने दरवाज़ा बंद किया था न ही विनीत ने। विनीत भी पंखुरी को पीछे से पकड़ कर उसके बूब्स दबा रहा था और पंखुरी की गर्दन पर धीरे धीरे चूम रहा था। पंखुरी हमारी तरफ देख कर अपने आपको उत्तेजित कर रही थी। मैं और रितिका भी अब पंखुरी और विनीत के कमरे में आ गये। विनीत पंखुरी के बड़े बड़े उभारों को चूमते हुए बोला क्या हुआ?
मैंने कहा चलो जल्दी से कुछ खा लेते हैं। विनीत पंखुरी की जांघ को नाइटी के ऊपरसे सहलाता हुआ बोला हाँ लगा लो खाना। मैंने कहा मैं इस बीच सभी लड़कियों के साथ बदमाशियाँ करूँगा, तुम सभी ऐसे इग्नोर करना जैसे कि कुछ हुआ ही न हो या तुमने कुछ देखा ही न हो। सभी लोगो ने हाँ में हाँ मिला दी।
मैंने रितिका के चूतड़ मसलते और चांटा मारते हुए कहा स्नेहा और स्निग्धा नीचे आ जाओ, तुम दोनों भी कुछ खा लो। किसी की कोई न आवाज़ आई, न ही कोई नीचे आया।
मैंने कहा तुम लोग बाहर डाइनिंग टेबल पर खाना लगाओ, मैं उन दोनों को लेकर आता हूँ। पहले मैं स्नेहा के कमरे में गया और बाहर से जोरसे बोला क्यूँ तेरे को सुनाई नहीं दे रहा? बोलते हुए मैंने दरवाज़ा खोला तो कमरे में कोई नहीं था। मैंने सब जगह देखा, मुझे कोई नहीं दिखा तो मैंने फिर से आवाज़ लगाई स्नेहा! ओ स्नेहा! मैं स्निग्धा के कमरे में जाकर चेक करने ही वाला था, तभी मैंने सोचा कि एक बार बाथरूम में भी चेक कर लूँ। बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया और प्यार से बोला स्नेहा क्या तुम अंदर हो? स्नेहा बोली हाँ भैया, अंदर आ जाओ। मैं दरवाज़ा खोलकर अंदर गया, स्नेहा बाथटब में पानी से किलकारी करती हुई नंगी पड़ी थी।
मेरी आँखें उसका बदन देखकर फटी की फटी रह गई, वो मुझे गलत नहीं कह रही थी, उसके बूब्स कुछ 36″ के रहे होंगे साथ की डार्क पिंक या हल्का ब्राउन रंग के उसके निप्पल, बिल्कुल सुराहीदार गर्दन, घने काले बाल जिनका जूड़ा बना हुआ था। बाकी पूरा बदन तो पानी में डूबा हुआ था इसलिए उसके बारे में अभी कुछ भी कहना गलत ही होगा। मैं स्नेहा को घूरे जा रहा था तो स्नेहा मेरी तरफ पानी फेंक कर बोली भैया ये आप ही के लिए है, आइये इसे छू लीजिए। मैंने कहा स्नेहा, तुम मेरा इम्तिहान ले रही हो। इतने खूबसूरत बदन को छूने के बाद कौन साला उसे छोड़ सकता है।
स्नेहा बोली तो जाना ही क्यूँ है? मैं बोला क्योंकि तेरे भैया भाभी भी हमारे साथ हैं, इसलिए। स्नेहा को जैसे एकदम याद आया कि वो हनीमून पर नहीं, अपने बाकी रिश्तेदारोंके साथ आई है, बोली ओह हाँ... मैं तो भूल गई थी, आप चलो नीचे, मैं आती हूँ। मैंने धीरे से कहा देखो, तुम जो भी पहनो पर अंदर के कपड़े मत पहनना। स्नेहा हल्की सी मुस्कुरा दी और हाँ में गर्दन हिला दी।
स्निग्धा के कमरे में गया तो स्निग्धा अपने बिस्तर पर पड़ी पड़ी अपनी चूत मसल रही थी। उसने एक फ्रॉक पहना हुआ था और अपनी पैंटी के अंदर हाथ डाल के ऊँगली करने में मशरूफ थी। मेरे कमरे में जाते ही उसने ऊपर चादर डाल ली, फिर मुझे देखकर बोली ओह मैं तो डर गई थी, मुझे लगा कोई और होगा। और फिर से अपनी चूत सहलाने लगी। मैं उसके करीब गया और बोला इसे मेरे लिए छोड़ दो, और आ जाओ कुछ खाते हैं। स्निग्धा बोली मुझे तो भूख ही नहीं लग रही, मुझे तो प्यास लगी है। तुम मेरी प्यास क्यूँ नहीं बुझा देते। मैंने कहा मैं तुम्हारी प्यास भूख सब मिटाऊँगा अभी सभी लोग खाने पर इंतज़ार कर रहे हैं। बस तुम रायता मत खाना, उसमें नींद की दवाई है। सभी लोग सो जाएंगे, फिर हम खुल के मस्ती करेंगे। यह मैंने ऐसे ही बोल दिया था। 'और हाँ तुम अपने कपड़ो के अंदर कुछ मत पहन कर आना।' स्निग्धा बोली आप कहो तो कुछभी न पहनूं?
मैंने कहा तेरी मर्जी... नीचे और भी लोग हैं। वर्ना क्या मैं तुम्हें कपड़े पहनने देता। स्निग्धा बोली आपकी ऐसी ही बातों पर तो मर मिटी हूँ, आप चलो, मैं आती हूँ।
मैं नीचे आया तो सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। पंखुरी तो वही नाइटी पहनी थी, पंखुरी की नाइटी पूरी पैर तक लम्बी थी। पर रितिका ने स्टॉल अपने ऊपर ओढ़ लिया था, रितिका की नाइटी थोड़ी छोटी भी थी, वो घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही आती थी। दोनों लड़कियाँ मटक मटक कर नीचे आ रही थी। विनीत की भी दोनों लड़कियों के लिए नजर बदल गई थी इसलिए उसका दिल भी हिचकोले ले रहा था। जब सभी लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए तो पंखुरी बोली यहाँ किचन में केवल 3 ही प्लेट्स थी। तो विनीत और रितिका एक प्लेटमें खा लेंगे, मैं और रोहित एक प्लेटमें, क्या आप दोनों एक प्लेटमें खा लेंगी? दोनों ने हाँ कर दी। मैं तब तक बोला मैं तो सबकी प्लेट में खाऊँगा।
हमने ढाबे से पूरियाँ और आलू की सब्जी पैक करा ली थी। बस प्लेट्समें खाना रखा तो सबसे पहले स्नेहा ने मुझे अपने हाथसे खिलाया। मैंने भी स्नेहा को खिलाया और जान करके थोड़ा सा गिरा दिया जो स्नेहा के बूब्स पर जाकर गिरा। मैंने सबके सामने उसके बूब्स के अंदर हाथ डाल के वो आलू उठाया और खा गया। बाकी सभी सामान्य रहे पर स्नेहा और स्निग्धा आशचर्य में मुंह खोले और आँखें फाड़े देख रही थी।
मैंने अगला कौर स्निग्धा को खिलाया। स्निग्धा आगे की ओर से खुलने वाला बाथरोब स्टाइल की नाइटी पहनी थी। उसका कौर कुछ ऐसे गिराया कि वो उसकी जांघों पर गिरा। मैंने जांघों में ऐसे हाथ डाला कि वो कौर थोड़ा और खिसक कर उसकी जांघों के नीचे कुर्सी पर जा गिरा। वहाँ अंदर हाथ डाल के मैंने उसके चूतड़ भी छुए और चूत को भी हाथ लगा दिया और कौर उठा कर खिला दिया। फ़िर मैंने पंखुरी से कहा अरे वो रायता तो निकालो। पंखुरी बोली अच्छा याद दिला दिया, मैंने वो फ्रिज में रख दिया था, मैं बस अभी लाई। मैंने रितिका की प्लेट में से एक कौर बनाया और अपने होंठों में पकड़ कर रितिका को खिलाया। रितिका ने बड़े आराम से मेरे होंठों से वो कौर ले लिया।
पंखुरी तब तक रायता ले आई थी और येसब उसकी आँखों के सामने ही हुआ। दोनों लड़कियाँ मतलब स्नेहा और स्निग्धा सिर्फ यही देख रही थी और सोच रही होंगी कि मैं ऐसे काम अपनी बीवी की मौजूदगी में कैसे कर सकता हूँ। खैर मैं वहाँ से अपनी बीवी को खिलाने गया तो बीवी को कौर खिला कर सबके सामने उसके बूब्स दबा दिए। पर किसी के चेहरे पर कोई रिएक्शन नहीं दिखा, बस स्निग्धा और स्नेहा का मुंह अब तक खुला था।
मैंने अपनी चम्मच को जान करके टेबल की नीचे फेंक दिया फिर उठाने गया तो जाकर स्नेहा की टांगों के बीच अपना मुंह रख दिया औ उसकी फ्रॉक ऊपर करके उसकी चूत को सहलाने लगा। स्नेहा के लिए ज़िन्दगी का पहला किसी पुरुष का स्पर्श था अपनी चूत पर, वो भी काफी लोगो के सामने...वैसे किसी को दिख नहीं रहा था पर सब जानते तो थे ही। पर बेचारी अपनी सिसकारी भी नहीं ले सकी और मैंने उसकी चूत पर एक किस करके अपनी चम्मच उठा ली।
सभी लोग रायता ले रहे थे पर स्निग्धा ने रायता नहीं लिया। मैं विनीत से बोला विनीत यार, बहुत पेट भर गया, अब तो नींद आ रही है।विनीत बोला हाँ यार, नींद आ रही है। मैंने कहा सिगरेट जला, विनीत मुझे डांटने वाली मुद्रा में देख रहा था, फिर बोला मैं इन दोनों के सामने नहीं पीता!
तो स्नेहा बोली लेकिन हमें पता तो है ही! स्निग्धा बोली पी लो, कोई नहीं! विनीत ने मुस्कुरा कर सिगरेट जला दी। मैंने तीनों मतलब विनीत, पंखुरी और रितिका को मैसेज किया कि मैंने स्निग्धा को बताया है कि तुम्हारे रायते में नींद की गोली थी इसलिए वो चाहे तो खुल के चुद सकती है पर स्नेहा को कैसे मैनेज करेंगे। इसलिए तुम लोग उसे अपने कमरे में रखो और उसके कान में कोई लीड लगा दो और अच्छे अच्छे गाने सुनने दो। थोड़ी देर में नींद की नौटंकी शुरू कर देना जब तक में स्निग्धा को ऊपर नहीं ले जाता।
स्नेहा भी कम नहीं थी, कल रात की घटना के बाद उसका व्यवहार बहुत बदला हुआ था, वो मेरे सामने ऐसे बैठी थी कि मैं उसे ही देखता रहूँ। नाश्ते के बाद मैं विनीत को अपने साथ सिगरेट पिलाने बाहर ले गया।
जब हम एक गुमटी पर रुके तो मैंने विनीत से कहा यार विनीत, स्निग्धा का तूने देख ही लिया?
विनीत: हाँ मैं देख रहा हूँ, वो तुझसे ज्यादा ही चिपक रही है। रोहित: यार तुझे क्या बताऊँ, ये ले मेरे कल के सारे मैसेज पढ़, मैंने अपना मोबाइल उसे दिया और सारे मैसेज पढ़ाए। विनीत: तो इसका मतलब तूने उसे कल रात को ही चोद दिया? रोहित: नहीं यार... तेरे से वादा जो किया था। उसको संतुष्ट ज़रूर किया मैंने पर ओरल और ऊँगली से... चुदाई नहीं करी! विनीत: वाह यार वाह... तेरे जैसे दोस्त होने चाहिए। दोस्ती के लिए साली चूत जो खुद चलकर आई, उसे भी छोड़ दिया। रोहित: हाँ यार, चूतें तो मिलती रहेंगी, पर दोस्ती का कोई मोल नहीं है। अभी भी तू बोलेगा तो चोदूँगा, नहीं तो माँ चुदाये ।
विनीत: नहीं, जब तू अपने वादे पर टिका रहा तो मैं भी अपना वादा ज़रूर निभाऊंगा। तू चोद साली को, मैं भी तुझे रंगे हाथों पकड़ कर उसे चोदूँगा। रोहित: एक और समस्या है, प्लीज मेरी बात पूरी सुनना फिर कुछ कहना। विनीत: आश्चर्य से हाँ बोल? मैंने विनीत को स्नेहा वाली भी पूरी बात बता दी। विनीत लगभग रोने लगा। रोहित: देख यार, तुझे इसलिए बताया क्योंकि तू दोस्त है, तुझे दिल से दोस्त माना है। तू जो कहेगा वही होगा। विनीत: यार जो भी हो, वो मेरी सगी बहन है पर अगर कल रात तूने उसे नहीं छोड़ा होता तो आज शायद में यह बात कह भी नहीं पाता। तू कर जो तुझे ठीक लगे, इस बारे में तो मैं तुझे न ना बोल सकता हूँ न ही हाँ।
रोहित: तू अगर इतना उदास हो रहा है तो चिंता मत कर, कुछ नहीं होगा स्नेहा और मेरे बीच । विनीत: मुझे इस सदमे से बाहर निकलने दे, मैं तुझे आज रात की खाना खाने के बाद वाली सिगरेट पर बिल्कुल साफ़ साफ़ बता दूंगा कि मेरी राय क्या है। बस तब तक तुझसे गुजारिश है कि कुछ मत करना। और हाँ, मुझे तुझ पर भरोसा है कि दोस्ती निभाना जानता है। रोहित: तो ठीक है, आज शाम को स्निग्धा की चुदाई करते हैं। विनीत: तूने जो बताया, उसके बाद तो मुझे अपनी बीवी को भी चोदने का मन नहीं है। फ़िर थोड़ा गुस्से में, तू चोद साली रांड स्निग्धा को।
मैंने सोचा कि अभी साला गुस्से में है अभी कुछ ज्यादा फ़ोर्स नहीं करना चाहिए इसलिए वहाँ से घर की तरफ चल दिए। घर आकर मैं तो अपने मोबाइल पर गेम खेलने लगा और बीच बीच में स्निग्धा को मैसेज भी कर रहा था। विनीत पता नहीं किस उधेड़बुन में लगा हुआ था। विनीत मुझसे थोड़ा कटा कटा सा रहा दिन भर, शाम को मेरे साथ सिगरेट पीने भी नहीं आया। रात का खाना खाकर मैंने कहा: सिगरेट पीने चलेगा या ऐसे ही मुंह लटका के मुझे इग्नोर करता रहेगा? विनीत बोला चल बाहर चलते हैं, छत पर नहीं। हम दोनों गाड़ी पर बैठे और चले दिए दूर के किसी खोपचे में।
विनीत: मैं तुझसे जान करके दिनभर से कटा कटा रहा क्योंकि मुझे थोड़ा टाइम चाहिए था सोचने के लिए। फ़िर थोड़ा रूक कर बोला और उन दोनों को भी देखना था कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी है। रोहित: तो क्या रहा तेरा अवलोकन? विनीत: भाई तेरी सारी बातें सुनने के बाद उन लोगों पर निगरानी के बाद मुझे लगा है कि (थोड़ा हँसते हुए) इतना सेंटी होने की बात नहीं है। अब कल से वो किसी और का लौड़ा भी तो लेंगी ही। उनकी भी इच्छाएँ हैं, तमन्नायें हैं, एक लड़की की चाहत है! तू मेरे दोस्त रोहित, जा तू भी क्या याद करेगा जी ले अपनी ज़िन्दगी और दिखा दे दोनों को जन्नत!
रोहित: तूने तो यार दिल खुश कर दिया, अब सुन मैंने एक प्लान बनाया है। मैंने उसे अपना प्लान बताया। विनीत: इस मनसूबे की तामील भी तुम्ही को करनी है। रोहित: हाँ भाई तू चिंता मत कर बस मेरा साथ देना, मैं योजना के तहत सबको खुश कर दूंगा।
हम लोग वापस घर चले गए, घर जाते ही मैं बुआ से बोला बुआ, सुबह हम सब घूमने जायेंगे, आप चलोगी? बुआ बेचारी क्या कहती, वो बोली न भैया, तुम्हीं जाओ हम तो न जाये रहे। मैंने सबके सामने सबसे पूछा कौन कौन चलेगा घूमने? कल सुबह 5 बजे निकलेंगे हम लोग। मैंने स्निग्धा और स्नेहा को अलग अलग मैसेज कर दिया था कि तुम बोल देना कि तुम्हें चलना है। स्निग्धा और स्नेहा ने हाथ खड़े कर दिए। मैंने बुआ से कहा हम मतलब मैं, विनीत, पंखुरी, रितिका, स्निग्धा और स्नेहा कल घूमने जा रहे हैं और अगली शाम को लौटेंगे। सभी लोग अपनी अपनी तैयारी में भिड़ गए, मैं और विनीत पेट्रोल और हवा चेक करवा कर आ गये थे।
रात तो जैसे तैसे कट गई, सुबह 4 बजे मैं और विनीत उठकर तैयार होकर खड़ेहो गए। लड़कियों को भी चुदने का इतना भूत सवार था कि वो भी 5:30 बजे आकर गाड़ी के बगल में खड़ी हो गई थी। सफर की शुरुआत कुछ ऐसे हुई कि गाड़ी ड्राइव विनीत कर रहा था, आगे की सीट पर रितिका बैठी थी, बीच वाली सीट पर स्नेहा और स्निग्धा थे और आखिरी सीट पर मैं और पंखुरी । मैंने कहा विनीत, सबसे पहले गाड़ी किसी अच्छे से ढाबे पर रोक, वहाँ अच्छा सा नाश्ता करके चाय पीकर आगे चलेंगे। इतनी सुबह जल्दी में हम में से किसी ने भी चाय नाश्ता नहीं किया था।
अभी लगभग सभी लड़कियाँ गाड़ी में आधी नींद में ही थी। क्योंकि मुझे रात को तो किसी को कुछ समझाने का मौका नहीं मिला था इसलिए मैंने सुबह का टाइम ही चुना था। गाड़ी हाईवे पर आते ही विनीत ने 5 मिनट बाद ही गाड़ी रोकी, गाड़ी से उतरा और बोला भाई सुबह सुबह नींद आ रही है, ये पकड़ चाबी, तू ही चलाना गाड़ी। सभी की आँखों में कई सवाल थे, विनीत को यह नहीं पता था कि हम जा कहाँ रहे हैं। स्निग्धा यह सोच रही थी कि इतने सारे लोगों के बीच आखिर उसकी चुदाई कैसे होगी। स्नेहा सोच रही थी कि विनीत को लाये ही क्यूँ? पंखुरी को कोई आईडिया नहीं था कि आखिर ये सब हो क्या रहा है। रितिका सोच रही थी कि स्निग्धा और स्नेहा के आने से अब भी हम लोग चुदाई का कोई खेल नहीं खेल पाएंगे।
खैर सभी लोग नाश्ते के लिए अपनी अपनी जगह विराजमान हुए। मैंने सिगरेट जलाई तो सभी यही सोच रहे थे कि रोहित सिगरेट पीता है शायद इसको नहीं पता होगा। मैंने नाश्ता आर्डर किया, फिर विनीत को साइड में लेकर गया। विनीत कुछ पूछता उससे पहले मैंने कहा देख प्लान के अनुसार अपन लोग कहीं न कहीं तो जाना ही था। मैंने यहाँ से 70 km दूर एक फार्म हाउस बुक किया है, वहाँ अपन एक घंटे में पहुंच जायेंगे। विनीत बोला 70 km तो 40 मिनट में ही पहुंच जायेंगे। मैंने कहा वो फार्म हाउस ऑन रोड नहीं है, हाईवे से कच्चा रास्ता है वहाँ से 25 किलोमीटर अंदर है। विनीत बोला बहुत अच्छे। मैंने कहा अब तू जा और पंखुरी को भेज ।
पंखुरी बोली ये अपन कहाँ जा रहे हैं? मैंने कहा एक सेक्स ट्रिप पर... पंखुरी बोली कैसा सेक्स ट्रिप यार? दोनों बहनों को साथ लाये हो.. बोलते हुए उसके दिमाग में ख्याल आया तो बोली जो मैं सोच रही हूँ, वो सही है क्या? मैंने कहा हाँ... ये दोनों भी मुझसे चुदना चाहती हैं। पंखुरी बोली फिर तो मज़ा आएगा... पर विनीत भैया? मैंने कहा मेरी बात हो गई है।
पंखुरी मुस्कुराती हुई अपना नाश्ता करने जाने लगी। मैंने कहा देखो अभी ऐसे ही शो करना कि तुम्हें कुछ नहीं पता और जरा रितिका को भेजो। रितिका को भी मैंने पूरा ब्यौरा दे दिया और कहा कि स्निग्धा को भेजो।
स्निग्धा के आते ही मैं बोला स्निग्धा बस तुम मुझ पर भरोसा रखो, यह ट्रिप तुम्हारे लिए ज़िन्दगी भर यादगार रहेगी। कोई सवाल जवाब मत करना, बस मैं जैसा कहूँ, करती जाना। अब जाओ और स्नेहा को भेजो। स्निग्धा गर्दन नीचे करके चली गई।
स्नेहा के आते ही मैंने कहा देख तेरी इच्छा ज़रूर पूरी होगी, बस मुझसे कुछ मत पूछना, जो कहूँ, बस वो करती जाना।
अब गाड़ी मैंने चलाई, मेरे साथ पंखुरी बैठी। बीचमें विनीत और रितिका और आखिरी सीट पर स्निग्धा और स्नेहा। गाड़ी अपनी फुल स्पीड से हाईवे पर दौड़ रही थी, कोई किसी से कोई बात नहीं कर रहा था। गाड़ी कुछ ही पलों में कच्चे रास्ते पर उतर चुकी थी। गड्डों में धक्के खाते हुए हम लोग फार्म हाउस के सामने थे। फार्म हाउस दिखने में किसी पुराने बंगले जैसा था, आस पास काफी पेड़ और बागान थे, दीवारों पर बेलें चढ़ रही थी, कहीं कहीं दीवार में काई भी जमी हुई थी, दरवाज़े बिल्कुल पुराने से नील रंग से पुते हुए थे।
गाड़ी का हॉर्न मारा तो एक आदमी हमारी गाड़ी की तरफ भागता हुआ दिखाई पड़ा। कोई लोकल गांव वाला सा ही लग रहा था। उसने आते ही पूछा क्या आपका नाम रोहित है? मैंने कहा हाँ। तो बोला साब लेट हो रहे थे तो वो चाबी मुझे दे गए हैं। ये लीजिए चाबी और मैं भी चला... मेरी भैंसें चारे के लिए मेरा इंतज़ार कर रही होंगी। हमें भी कुछ ऐसा ही माहौल चाहिए था। मैंने उसे चाबी वापिस दी, सामानतो उसने अंदर रखवाया। विनीत ने उसे 10 रुपए दे दिए वो वहाँ से चला गया। अंदर से घर काफी सुन्दर और साफ़ सुथरा था।
मैंने अंदर आते ही सबसे कहा सब अपने लिए एक एक कमरा घेर लो। स्नेहा और स्निग्धा दोनों फर्स्ट फ्लोर की तरफ भागी, रितिका और पंखुरी आराम से नीचे ही एक एक कमरा देख लिया। सभी कमरों के साथ अटैच लेट बाथ था ही, साथ ही हर बाथरूम में एक एक बाथटब भी था। दोनों लड़कियों के ऊपर जाते ही मैंने रितिका को बाँहों में भरा और बोला यहाँ हर कमरे में बाथटब लगा है और तुझे हर बाथटब में चोदूँगा। रितिका के बूब्स दबाकर मैंने कहा ये तो पहले से ही बड़े सख्त हो चुके हैं। रितिका बोली आप तो मुझे बाद में चोदोगे, मैं तो रास्ते भर अपने सपनों में आपसे चुदती हुई आई हूँ। मैंने रितिका के टॉप के अंदर हाथ डाल के बूब्स को अच्छे से सहलाया, फिर मैंने कहा जरा कुंवारी चूत सहला आऊँ।
रितिका को छोड़कर मैं ऊपर आ गया। ऊपर दोनों अपने अपने रूम में जा चुकी थी। मैंने पहला रूम खोला, वो रूम स्निग्धा का था, अंदर जाते ही वो बोली देखो रोहित, मेरे कमरे से बाहर का नज़ारा और भी खूबसरत लग रहा है। मैंने कहा तुमसे ज्यादा नहीं लग रहा, तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो। मैंने कहते हुए स्निग्धा को बाँहों में भर लिया और उसके कूल्हे दबा दिए। स्निग्धा बोली आज तो आप सुबह से ही मूड में लग रहे हो। मैंने कहा मूड में तो उस रात भी था पर तुम्हें तुम्हारी पहली चुदाई छत के कंकड़ भरे फर्श पर देना नहीं चाहता था। कमरे में तुम चीख नहीं पाती। छुप छुप के करने में मज़ा इसके आगे की बारी में आएगा।.स्निग्धा बोली चीख तो मैं यहाँ भी नहीं पाऊँगी। और आप ये सब करोगे कैसे? रात को तो आपको भाभी के साथ भी सोना होगा न? मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो, मैं मैनेज कर लूंगा। बातें करते करते मैं स्निग्धा के बदन को सहलाता भी जा रहा था। वो बोली मैं तो एक ही रात में आपसे इतनी खुल गई हूँ कि आपको बताते हुए मुझे बिल्कुल शर्म नहीं आ रही कि मैं आपके छूने से गीली हो चुकी हूँ।
मैंने उसकी चूत की तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली मैं आपको रोकना नहीं चाहती पर इसके आगे मैं रुकना भी नहीं चाहती। मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया और कहा ठीक है, मुझे भी अपने आप को रोकना नहीं है। थोड़ा बूब्स को सहला पुचकार कर मैंने उससे कहा तुम यहीं कमरे में रहो, मैं जब आवाज़ लगाऊँ तो नीचे आ जाना।
उसके कमरे का दरवाज़ा बंद करके में दूसरे कमरे में गया जहाँ स्नेहा थी। स्नेहा के कमरे में जाकर उसको बाँहों में लेकर उसके बदन से खेलते हुए कहा तुम आज मुझे बहुत हॉट लग रही हो। मैंने पहले कभी तुम्हें इस तरह क्यूँ नहीं देखा, यही सोच रहा हूँ। स्नेहा बोली भैया, जब आप मुझे नंगी करेंगे तब और भी ज्यादा हॉट लगूंगी, आज तक मेरे बदन को कोई नहीं देख पाया है और आप इसे छूने जा रहे हैं। मुझे मेरे जिस्म पर नाज़ है, मैं चाहती हूँ कि आप मेरे जिस्म का एक भी कोना मत छोड़ना जिसे आपने न छुआ हो। मैंने कहा तुम थोड़ा जल्दी में हो, अभी कुछ नहीं हो सकता नीचे से अभी कोई भी आ सकता है। तुम थोड़ा सा और इंतज़ार करो, तुम्हारी हर तमन्ना पूरी हो जाएगी। स्नेहा बोली मैं तो बचपन से ही इन्तजार कर रही हूँ, थोड़ा और कर लूँगी। पर आप नीचे जाने से पहले मुझे एक चुम्मी तो कर सकते हैं न। बस मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। स्नेहा ने मेरे होंठों को इस तरह चूसना शुरू किया जैसे कोई बछड़ा दिन भर का भूखा गाय के थन से लगकर दूध पीता हो।
वो किसी डी ग्रेड मूवी के एक्ट्रेस की तरह मेरा हाथ पकड़ कर अपने उभारों पर रखवा रही थी। जब उसने मेरे होंठों को छोड़ा तो मैंने कहा स्नेहा तुम बहुत अच्छी और सुन्दर हो। तुम्हारा बदन बहुत ही कोमल और ताज़ा है। तुम मुझ से शारीरिक रूप से कितना प्यार करती हो, तुम्हारी आँखें बता रही हैं। पर एक बात कहूँ?
स्नेहा बोली हाँ हाँ कहिये न? मैंने कहा देखो, ये सब तुम्हारा व्यवहार और बदन और आँखें सब बता रही है तुम्हें किसी डी ग्रेड मूवी से कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं, तुम्हें मतलब तुमको जो भी अच्छा लगता है, वो करो, किसी को कॉपी करने की कोशिश में तुम खूखी रह जाओगी। स्नेहाने आँखें नीची कर ली और कुछ न बोली, बस अपने पैर के अंगूठे के नाख़ून से जमीन खुरचने लगी। मैंने अपनी बात को बढ़ाते हुए कहा स्नेहा, मैं जानता हूँ कि तुम मेरी बात समझ गई हो पर यह मत समझना कि मैं तुम्हें कोई हिदायत दे रहा हूँ जिससे मैं एन्जॉय कर पाऊँ बल्कि मैं चाहता हूँ कि तुम अपने आने वाले पलोंको पूरी तरह जियो। स्नेहा नीचे देखते हुए ही गर्दन हिला दी। मैं कमरे से बाहर आ गया था। कमरे से बाहर आते ही दरवाज़ा जोर से बंद हुआ।
मैं जब नीचे पहुँचा तो रितिका अपने कमरे में थी और पंखुरी अपने में, मैंने दोनों कमरों के बीच खड़ा होकर पूछा विनीत कहाँ है? दोनों ने एक साथ इशारा करके बताया कि बाहर की तरफ। मैं बिना किसी कमरे में घुसे हुए बाहर की तरफ रुख कर गया। बाहर विनीत खड़ा खड़ा सिगरेट पी रहा था। मैं: क्यों बे भोसड़ी के, यहाँ क्या माँ चुदा रहा है? विनीत: सिगरेट पी रहा हूँ, ले तू भी पी ले। मैं: क्या हुआ, कुछ मूड अच्छा नहीं लग रहा? विनीत सिगरेट मेरी तरफ बढ़ाते हुए: नहीं ऐसा कुछ नहीं है। मैं कश लगाकर धुआँ फेंकते हुए: अबे चूतिये बोल, चूत जैसी शक्ल मत बना। विनीत थोड़ा बिफर कर: यार तू तो दो नई और कुंवारी चूत चोदेगा वो भी दोनों मेरी बहनें... मैं बाहर बैठकर मुठ मारूँगा क्या? मैं: मुझे पता था गांडू, मुझे पता था। तू आखिर में अपनी ऐसेही माँ चुदायेगा। बोल तेरी क्या इच्छा है?
विनीत: मुझे भी दोनों चूत मारनी है।
मैं: तू स्नेहा को भी.? मैं थोड़ा विराम लेकर बोला: स्नेहा के साथ भी करेगा क्या?
विनीत: हाँ जैसे तू भाई, ऐसे में भी भाई... बहनचोद ही बनना है मुझे भी।
मैं: मेरी एक बात मनेगा?
विनीतने हाँ में सर हिलाया।
मैंने कहा देख कुंवारी चूत तो सिर्फ हम दोनों में से एक को ही मिल सकती है। मेरे चोदने के बाद मैं उन्हें इतना खोल लूंगा कि तू भी आराम से दोनों को चोद पाएगा। विनीत: कुछ नहीं से कुछ तो बेहतर है। तुझे जो करना है कर, बस मुझे दोनों चूत दिलवा देना। मैं: हाँ माँ के लवडे, मुझे तो तूने दलाल समझ रखा है न? हम लोग थोड़ी देर चुप रहे और सिगरेट पीते रहे। फिर मैंने कहा एक काम कर, तू मेरी पहली चुदाई की वीडियो बनाएगा। विनीत बोला तू चिंता मत कर, तू नहीं भी बोलता तो भी बनाता, बाहर आया ही देखने ये था कि कहाँ से इन दोनों के कमरे के अंदर झाँका जा सकता है। मैंने पूछा मिल गया कोई रास्ता? विनीत ने हाथ के इशारे से जगह दिखाई, वो एक फर्स्ट फ्लोर पर बना हुआ बड़ी बालकनी थी। मैंने कहा वहाँ जायेगा कैसे? तो उसने मुझे सीढ़ी भी दिखा दी। मैंने कहा फिर तो पंखुरी और रितिका को भी यहाँ ले आना चुदाईके टाइम। हम दोनों सिगरेट पीते हुए बंगले के अंदर आ गये। मैंने कमरे के सामने आते ही कहा यार यह तूने सही किया कि कमरा आमने सामने का ही चुना। बोल तू कौन से कमरे में जायेगा?
पंखुरी और रितिका दोनों अपने अपने कमरे में टीवी पर कुछ देख रही थी। पंखुरी के कमरे में टेबल पर बोतल गिलास बर्फ चिप्स जैसे कई आइटम रखे हुए थे। दोनों ने ही नाइटी पहनी हुई थी। पंखुरी की हल्के गुलाबी रंग की आगे से खुलने वाली चिकने कपड़े की थी, वहीं रितिका की नाइटी मैरून रंग की थी, रितिका की नाइटी से सब कुछ आर पार दिखाई पड़ रहा था और उसने अंदर कुछ नहीं पहना था, पंखुरी की नाइटी झीनी नहीं थी पर में तो अच्छे से जानता ही था कि इसने भी अंदर कुछ नहीं पहना होगा। इससे पहले कि विनीत कुछ कह पाता, मैं रितिका के कमरे में घुसने लगा।
मुझे रितिका के कमरे में जाता देख विनीत भी पंखुरीके कमरे की तरफ चल दिया।
रितिका बोली भैया, आज तो आपके जलवे हैं, चार चार चूतें आपके लिए बेताब है। मैंने कहा यार! थोड़ी और कोशिश बाकी है अभी ...जब चारों की चार चूतें एक ही बिस्तर पर होंगी, तब आएगा मजा! क्योंकि तुम दोनों तो हो ही कमाल की... पर उन दोनों का पहली बार है, पता नहीं साली मानेंगी या नहीं। रितिका बोली अरे आप तो जादूगर हो, आप कैसे न कैसे उन दोनों को भी मना ही लोगे... बाकी हम सब आपकी बातें मानेंगे ही, जैसा आप कहोगे वैसा करेंगे! फिर बाकी किस्मत अपनी अपनी। हम दोनों अब एक दूजे की बाहों में आलिंगनबद्ध हो चुके थे। रितिका के भड़काऊ कपड़ों के कारण मेरा लंड पहले से ही अपनी औकात में आ चुका था।
इधर न हमने दरवाज़ा बंद किया था न ही विनीत ने। विनीत भी पंखुरी को पीछे से पकड़ कर उसके बूब्स दबा रहा था और पंखुरी की गर्दन पर धीरे धीरे चूम रहा था। पंखुरी हमारी तरफ देख कर अपने आपको उत्तेजित कर रही थी। मैं और रितिका भी अब पंखुरी और विनीत के कमरे में आ गये। विनीत पंखुरी के बड़े बड़े उभारों को चूमते हुए बोला क्या हुआ?
मैंने कहा चलो जल्दी से कुछ खा लेते हैं। विनीत पंखुरी की जांघ को नाइटी के ऊपरसे सहलाता हुआ बोला हाँ लगा लो खाना। मैंने कहा मैं इस बीच सभी लड़कियों के साथ बदमाशियाँ करूँगा, तुम सभी ऐसे इग्नोर करना जैसे कि कुछ हुआ ही न हो या तुमने कुछ देखा ही न हो। सभी लोगो ने हाँ में हाँ मिला दी।
मैंने रितिका के चूतड़ मसलते और चांटा मारते हुए कहा स्नेहा और स्निग्धा नीचे आ जाओ, तुम दोनों भी कुछ खा लो। किसी की कोई न आवाज़ आई, न ही कोई नीचे आया।
मैंने कहा तुम लोग बाहर डाइनिंग टेबल पर खाना लगाओ, मैं उन दोनों को लेकर आता हूँ। पहले मैं स्नेहा के कमरे में गया और बाहर से जोरसे बोला क्यूँ तेरे को सुनाई नहीं दे रहा? बोलते हुए मैंने दरवाज़ा खोला तो कमरे में कोई नहीं था। मैंने सब जगह देखा, मुझे कोई नहीं दिखा तो मैंने फिर से आवाज़ लगाई स्नेहा! ओ स्नेहा! मैं स्निग्धा के कमरे में जाकर चेक करने ही वाला था, तभी मैंने सोचा कि एक बार बाथरूम में भी चेक कर लूँ। बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया और प्यार से बोला स्नेहा क्या तुम अंदर हो? स्नेहा बोली हाँ भैया, अंदर आ जाओ। मैं दरवाज़ा खोलकर अंदर गया, स्नेहा बाथटब में पानी से किलकारी करती हुई नंगी पड़ी थी।
मेरी आँखें उसका बदन देखकर फटी की फटी रह गई, वो मुझे गलत नहीं कह रही थी, उसके बूब्स कुछ 36″ के रहे होंगे साथ की डार्क पिंक या हल्का ब्राउन रंग के उसके निप्पल, बिल्कुल सुराहीदार गर्दन, घने काले बाल जिनका जूड़ा बना हुआ था। बाकी पूरा बदन तो पानी में डूबा हुआ था इसलिए उसके बारे में अभी कुछ भी कहना गलत ही होगा। मैं स्नेहा को घूरे जा रहा था तो स्नेहा मेरी तरफ पानी फेंक कर बोली भैया ये आप ही के लिए है, आइये इसे छू लीजिए। मैंने कहा स्नेहा, तुम मेरा इम्तिहान ले रही हो। इतने खूबसूरत बदन को छूने के बाद कौन साला उसे छोड़ सकता है।
स्नेहा बोली तो जाना ही क्यूँ है? मैं बोला क्योंकि तेरे भैया भाभी भी हमारे साथ हैं, इसलिए। स्नेहा को जैसे एकदम याद आया कि वो हनीमून पर नहीं, अपने बाकी रिश्तेदारोंके साथ आई है, बोली ओह हाँ... मैं तो भूल गई थी, आप चलो नीचे, मैं आती हूँ। मैंने धीरे से कहा देखो, तुम जो भी पहनो पर अंदर के कपड़े मत पहनना। स्नेहा हल्की सी मुस्कुरा दी और हाँ में गर्दन हिला दी।
स्निग्धा के कमरे में गया तो स्निग्धा अपने बिस्तर पर पड़ी पड़ी अपनी चूत मसल रही थी। उसने एक फ्रॉक पहना हुआ था और अपनी पैंटी के अंदर हाथ डाल के ऊँगली करने में मशरूफ थी। मेरे कमरे में जाते ही उसने ऊपर चादर डाल ली, फिर मुझे देखकर बोली ओह मैं तो डर गई थी, मुझे लगा कोई और होगा। और फिर से अपनी चूत सहलाने लगी। मैं उसके करीब गया और बोला इसे मेरे लिए छोड़ दो, और आ जाओ कुछ खाते हैं। स्निग्धा बोली मुझे तो भूख ही नहीं लग रही, मुझे तो प्यास लगी है। तुम मेरी प्यास क्यूँ नहीं बुझा देते। मैंने कहा मैं तुम्हारी प्यास भूख सब मिटाऊँगा अभी सभी लोग खाने पर इंतज़ार कर रहे हैं। बस तुम रायता मत खाना, उसमें नींद की दवाई है। सभी लोग सो जाएंगे, फिर हम खुल के मस्ती करेंगे। यह मैंने ऐसे ही बोल दिया था। 'और हाँ तुम अपने कपड़ो के अंदर कुछ मत पहन कर आना।' स्निग्धा बोली आप कहो तो कुछभी न पहनूं?
मैंने कहा तेरी मर्जी... नीचे और भी लोग हैं। वर्ना क्या मैं तुम्हें कपड़े पहनने देता। स्निग्धा बोली आपकी ऐसी ही बातों पर तो मर मिटी हूँ, आप चलो, मैं आती हूँ।
मैं नीचे आया तो सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। पंखुरी तो वही नाइटी पहनी थी, पंखुरी की नाइटी पूरी पैर तक लम्बी थी। पर रितिका ने स्टॉल अपने ऊपर ओढ़ लिया था, रितिका की नाइटी थोड़ी छोटी भी थी, वो घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही आती थी। दोनों लड़कियाँ मटक मटक कर नीचे आ रही थी। विनीत की भी दोनों लड़कियों के लिए नजर बदल गई थी इसलिए उसका दिल भी हिचकोले ले रहा था। जब सभी लोग अपनी अपनी जगह बैठ गए तो पंखुरी बोली यहाँ किचन में केवल 3 ही प्लेट्स थी। तो विनीत और रितिका एक प्लेटमें खा लेंगे, मैं और रोहित एक प्लेटमें, क्या आप दोनों एक प्लेटमें खा लेंगी? दोनों ने हाँ कर दी। मैं तब तक बोला मैं तो सबकी प्लेट में खाऊँगा।
हमने ढाबे से पूरियाँ और आलू की सब्जी पैक करा ली थी। बस प्लेट्समें खाना रखा तो सबसे पहले स्नेहा ने मुझे अपने हाथसे खिलाया। मैंने भी स्नेहा को खिलाया और जान करके थोड़ा सा गिरा दिया जो स्नेहा के बूब्स पर जाकर गिरा। मैंने सबके सामने उसके बूब्स के अंदर हाथ डाल के वो आलू उठाया और खा गया। बाकी सभी सामान्य रहे पर स्नेहा और स्निग्धा आशचर्य में मुंह खोले और आँखें फाड़े देख रही थी।
मैंने अगला कौर स्निग्धा को खिलाया। स्निग्धा आगे की ओर से खुलने वाला बाथरोब स्टाइल की नाइटी पहनी थी। उसका कौर कुछ ऐसे गिराया कि वो उसकी जांघों पर गिरा। मैंने जांघों में ऐसे हाथ डाला कि वो कौर थोड़ा और खिसक कर उसकी जांघों के नीचे कुर्सी पर जा गिरा। वहाँ अंदर हाथ डाल के मैंने उसके चूतड़ भी छुए और चूत को भी हाथ लगा दिया और कौर उठा कर खिला दिया। फ़िर मैंने पंखुरी से कहा अरे वो रायता तो निकालो। पंखुरी बोली अच्छा याद दिला दिया, मैंने वो फ्रिज में रख दिया था, मैं बस अभी लाई। मैंने रितिका की प्लेट में से एक कौर बनाया और अपने होंठों में पकड़ कर रितिका को खिलाया। रितिका ने बड़े आराम से मेरे होंठों से वो कौर ले लिया।
पंखुरी तब तक रायता ले आई थी और येसब उसकी आँखों के सामने ही हुआ। दोनों लड़कियाँ मतलब स्नेहा और स्निग्धा सिर्फ यही देख रही थी और सोच रही होंगी कि मैं ऐसे काम अपनी बीवी की मौजूदगी में कैसे कर सकता हूँ। खैर मैं वहाँ से अपनी बीवी को खिलाने गया तो बीवी को कौर खिला कर सबके सामने उसके बूब्स दबा दिए। पर किसी के चेहरे पर कोई रिएक्शन नहीं दिखा, बस स्निग्धा और स्नेहा का मुंह अब तक खुला था।
मैंने अपनी चम्मच को जान करके टेबल की नीचे फेंक दिया फिर उठाने गया तो जाकर स्नेहा की टांगों के बीच अपना मुंह रख दिया औ उसकी फ्रॉक ऊपर करके उसकी चूत को सहलाने लगा। स्नेहा के लिए ज़िन्दगी का पहला किसी पुरुष का स्पर्श था अपनी चूत पर, वो भी काफी लोगो के सामने...वैसे किसी को दिख नहीं रहा था पर सब जानते तो थे ही। पर बेचारी अपनी सिसकारी भी नहीं ले सकी और मैंने उसकी चूत पर एक किस करके अपनी चम्मच उठा ली।
सभी लोग रायता ले रहे थे पर स्निग्धा ने रायता नहीं लिया। मैं विनीत से बोला विनीत यार, बहुत पेट भर गया, अब तो नींद आ रही है।विनीत बोला हाँ यार, नींद आ रही है। मैंने कहा सिगरेट जला, विनीत मुझे डांटने वाली मुद्रा में देख रहा था, फिर बोला मैं इन दोनों के सामने नहीं पीता!
तो स्नेहा बोली लेकिन हमें पता तो है ही! स्निग्धा बोली पी लो, कोई नहीं! विनीत ने मुस्कुरा कर सिगरेट जला दी। मैंने तीनों मतलब विनीत, पंखुरी और रितिका को मैसेज किया कि मैंने स्निग्धा को बताया है कि तुम्हारे रायते में नींद की गोली थी इसलिए वो चाहे तो खुल के चुद सकती है पर स्नेहा को कैसे मैनेज करेंगे। इसलिए तुम लोग उसे अपने कमरे में रखो और उसके कान में कोई लीड लगा दो और अच्छे अच्छे गाने सुनने दो। थोड़ी देर में नींद की नौटंकी शुरू कर देना जब तक में स्निग्धा को ऊपर नहीं ले जाता।