Update 09

पंखुरी बोली यार मेरे तो सर में दर्द हो रहा है,

शाम को घूमने चलेंगे अब तो सोते हैं, बहुत तेज़ नींद आ रही है। रितिका बोली हाँ, मुझे भी पता नहीं क्यूँ बहुत तेज़ नींद आ रही है। विनीत बोला अरे कुछ नहीं है, आज सुबह जल्दी उठ गए थे न इसलिए नींद आ रही हैम चलो सोते हैं। पंखुरी बोली स्नेहा दी, आपसे कभी बात नहीं हो पाती, आओ आप मेरे साथ, अपन दोनों बातें करेंगे। रितिका बोली हाँ भाभी, जब तक नींद नहीं आती, बातें करते हैं, आ जाओ स्निग्धा दी आप भी हमारे साथ आ जाओ। स्निग्धा मौके पर चौका मार बोली मुझे भी नींद आ रही है, मैं अपने कमरे में सोने जा रही हूँ। जब नींद खुलेगी तो आ जाऊँगी।

पंखुरी, रितिका और स्नेहा, रितिका वाले कमरे में चले गए, विनीत उठकर पंखुरी वाले कमरे में चला गया।

स्निग्धा का शील भंग

अब बचे मैं और स्निग्धा, मैंने स्निग्धा को उठाया और गोद में उठा लिया, मैंने उसे सीढ़ियों पर ही चूमना शुरू कर दिया। स्निग्धा बोली कोई देख लेगा? मैंने कहा मुझे कोई डर पड़ा है किसी का? आज तुम भी खुल कर प्यार करो और मैं भी खुल कर मोहब्बत करूँगा। स्निग्धा बोली कोई सुन लेगा, अभी कोई सोया नहीं है। मैंने कहा सुन लेने दो, तू कहे तो यहीं सीढ़ियों पर तुझे चोद कर दिखाऊँ कि कितनी आग लगी है।

स्निग्धा कुछ नहीं बोली, सिर्फ मेरी आँखों में देखती रही। मैं उसके कमरे को पार कर चुका था, स्निग्धा बोली मेरा कमरा वो निकल गया। मैंने कहा वो तुम्हारा कमरा हो सकता है, पर मोहब्बत करने के लिए एक और कमरा तैयार करवाया है मैंने। स्निग्धा की आँखों में अपना सरप्राइज देखने की ललक देखी मैंने। मैंने कहा आँखें बंद करो।

एक कमरे का दरवाज़ा खुला और मैंने कहा अब आँखें खोल सकती हो। स्निग्धा पूरी तरह मंत्रमुग्ध थी। एक बहुत ही बड़े कमरेमें चारों तरफ शानदार विनाइल वर्क हुआ हुआ था, कमरे में हर जगह छोटी छोटी लाइट्स लगी थी जिससे कमरे में उजाला भी हो और माहौल को मादक बनाने के लिए प्रयाप्त हो। कमरे के अंदर ही एक छोटा सा पूल था, उस पूल से लगी दीवार पानी की थी जिस पर पूरे समय पानी बह रहा था।

कमरेमें एक बड़ा सा 70″ का ।ED स्क्रीन भी लगा हुआ था जो बिस्तर के बिल्कुल सामने की दीवार पर फिट था। बेड पर फूलों से हार्ट शेप बनाया हुआ था। कमरे के हर ऊपरी कोने पर छोटे छोटे स्पीकर लगे थे जिन पर मैंने आते ही धीमी आवाज़ में रोमांटिक वाद्य संगीत लगा दिया था। स्निग्धा की आँखों से पानी बहने लगा, बोली इतना तो न ही मेरे सुहागरात पर कोई करता, न ही हनीमून पर... जो आपने कर दिया। वो मेरे गले लग गई, इस बार उसके गले लगने में वासना नहीं प्यार भी था।मैंने स्निग्धा को गर्दन पर काट लिया, स्निग्धा की चीख निकल गई, मैंने उसको कहा सॉरी यार, मेरा खुद के ऊपर थोड़ा कंट्रोल ख़त्म होता जा रहा है। स्निग्धा बोली आप चिंता मत करो, आपको जैसे अच्छा लगे वैसा करो। आज अगर आप मुझे मार भी डालोगे तो कोई गम नहीं। आपने मुझे ये दिखा कर ही इतनी ख़ुशी दे दी कि अब ज़िन्दगी से और कोई ख्वाहिश नहीं है।

मैंने जहाँ काटा था, वहीं पर चूम कर उसे चूस भी लिया। मैंने कहा स्निग्धा, ये सब मैंने तुम्हारे लिए किया है जिससे तुम खुल के एन्जॉय कर सको... इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी पसंद के काम करो न की मेरी पसंद के, मुझे तुम्हारी हर हरकत मंजूर है।

स्निग्धा तुरंत मेरे से दूर हटी और धीमे म्यूजिक के थाप पर अपने बदन से कपड़ों को दूर करने लगी और मेरे हाथ को पकड़ पर मुझे बिस्तर पर बैठा दिया। उसके कपड़े उतारने की अदा वाकई कातिलाना थी, वो अपने बदन को छुपा भी रही थी और दिखा भी रही थी। धीरे धीरे उसने अपने बदन से पूरे कपड़े अलग कर दिए और मेरे सामने नंगी ही डांस करने लगी।

उसने मेरे करीब आकर अपनी एक टांग मेरे कंधे पर रख दी जिससे मुझे उसकी चूत का नजारा साफ़ दिखने लगा। मैं उसके पैरों को हाथ लगाते हुए उसकी जांघों तक पहुँचा ही था, तब तक उसने अपना पैर मेरे ऊपर से हटा लिया और मुझे जोश दिलाने लगी जिससे मैं भी कुछ करूँ। मैं अपनी जगह से उठा और अपने टी शर्ट उतार फेंकी।

स्निग्धा मेरे करीब आई और बोली रोहित, मैं तुम्हारे कपड़े उतार दूंगी, तुम बस मुझे देखो। जब वो मेरे करीब आई तो मैंने उसके उरोजों को अपने हाथों में थाम लिया और सहलाने लगा। वो मेरी बनियान उतारने में लगी थी। बनियान उतारते ही उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरी टांगों के बीच लेट गई। मेरी जीन्स के बटन को खोल कर मेरी ज़िप खोलने लगी और ऊपर से ही मेरे पूरी तरह कड़क लंड को हाथ लगाकर महसूस करने लगी। स्निग्धा बोली उस दिन आपने अपने शहजादे को मुझे दर्शन नहीं कराये थे। आज तो मैं उसे जी भर के प्यार करूँगी। मैंने कहा तुम जो चाहे करो, आज तुम्हें किसी चीज़ के लिए नहीं रोकूंगा। स्निग्धा ने जल्दी ही मेरी जीन्स और कच्छा मेरे बदन से अलग कर दिया, मेरे लंड को देखकर बोली रोहित, मेरी उंगली तो इतनी पतली है, वो तो आराम से मेरी चूत में चली जाती है, पर यह तो बहुत मोटा है। मुझे नहीं लगता कि यह मेरी चूत में जा सकेगा। मैंने कहा अभी तुम्हें इतना गर्म कर दूंगा कि ये छोड़ो, इसका दुगना मोटा और बड़ा लंड भी तुम्हारी चूत में समा जायेगा। वो मेरे लंड के सुपारे को स्ट्रॉबेरी की तरह चाटते हुए चूसने लगी और धीरे धीरे मेरी लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी। स्निग्धा बोली उस दिन आपने मेरा पानी पिया था, आज मुझे अपना पानी पिला दो। मैंने कहा स्निग्धा, तुम जैसा चाहोगी, वैसा होगा पर क्योंकि यह तुम्हारी पहली चुदाई है इसलिए मुझे लगता है पहले मुझे तुम्हारे कौमार्य को छू लेने दो। क्योंकि सील तोड़ने के लिए हथौड़ा भी पूरी तरह कड़क और मजबूत होना चाहिए।

स्निग्धा बोली आप अनुभवी हैं, इसलिए आपकी बात मानती हूँ। पर मुझे आपके लंड से निकलने वाले रस का पान करना ही है। मैंने स्निग्धा को पलटा और अब मैं उसके ऊपर था और वो मेरे नीचे। मैंने उसे थोड़ा ऊपर सरका कर उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख दिया, मैं बोला स्निग्धा, कोई जल्दी नहीं है, आराम से आनन्द लेना... बहुत अच्छा लगेगा। अब मैंने अपन मुँह स्निग्धा की चूत पर रखा और उसे चाटने लगा, धीरे धीरे अपनी जीभ से अपना थूक उसकी चूत के अंदर डाल के आ रहा था। धीरे धीरे स्निग्धा की चूत पूरी तरह भीगने लगी। उसकी चूत से बहता हुआ आनन्द का रस अब उसकी जांघों पर नीर की तरह दिख रहा था।

मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा तेल लगाया और चूत के ऊपर जाकर अपने लोहे जैसे मजबूत लंड को सेट कर दिया। स्निग्धा की आँखें बंद थी। मैंने बिना कुछ कहे अपनी उँगलियों से उसकी आँखें खोल दी और आँखों ही आँखों में कहा तुम मुझे देखो और मैं तुम्हें... तब आएगा चुदाई का असली आनन्द। स्निग्धा मेरी बात अब आँखों से समझने लगी थी। मैंने धीरे से एक झटका लगाया और सिर्फ सुपारे के अगले हिस्से को चूत के अंदर डाल दिया। स्निग्धा की आँखें फिर से बंद हुई और उसके बड़े बड़े नाख़ून मेरे कंधे पर चुभ गए, उसने अपने दोनों होंठों को दांतों के बीच भींच लिया था। जैसे वो कोई ताकत लगा रही हो।

असल में उसे दर्द हुआ था जिसे वो सेहन करने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसके बालों पर हाथ फेरते हुए उसे नार्मल करने की कोशिश की, स्निग्धा की आँखों के दोनों कोनों पर आँसुओं की दो छोटी छोटी बूंदें दिखाई देने लगी थी। मैंने फिर थोड़ा दमदार सा पर छोटा सा झटका मारा जिससे लंड थोड़ा सा और अंदर जाये। अबकी बार के झटके से पूरे सुपारे को स्निग्धा की चूत खा गई थी, उसके दबे हुए मुंह से एक तेज़ चीख की आवाज़ आने लगी। मैंने कहा स्निग्धा, तुम्हें अपनी चीखे रोकने की कोई ज़रूरत नहीं, आराम से चिल्ला सकती हो, यह कमरा साउंड प्रूफ है। तुम्हें किसी भी चीज़ पर कोई कंट्रोल करने की ज़रूरत नहीं है। स्निग्धा बोली-ऊँगली से ही अच्छा था... इसने तो मेरी चूत फाड़ दी रोहित! मैं बोला थोड़ी देर बाद ऊँगली भूल जाओगी और कहोगी कि अब तक उंगली करके अपने आप को धोखा ही दिया है, असल सुख तो मूसल से ही मिलता है।

मैंने बातों का फायदा उठाते हुए थोड़ा सा लंड को बाहर निकाल कर फिर से एक झटका मारा तो स्निग्धा बुरी तरह चीख पड़ी। मैंने अपने आप को एक भी सेंटीमीटर पीछे नहीं खींचा, स्निग्धा अभी बिलखने ही वाली थी, मेरे भी सब्र का बाँध टूटने वाला था पर अपने आप को कंट्रोल करते हुए मैंने स्निग्धा की गर्दन और बालों पर हाथ फेर कर उसे शांत करने की कोशिश की। फिर मैं स्निग्धा के ऊपर लेट कर उसके मम्मों को दबाने और चूसने लगा। मेरा आधा लंड तो स्निग्धा के अंदर जा ही चुका था तो मैं अभी अपने आधे की लंड पर धीरे धीरे और छोटे छोटे झटके मारता रहा। अब स्निग्धा का दर्द शायद कम हो रहा था। स्निग्धा की सिसकारियों की आवाज़ से अब कमरा गूंज रहा था। स्निग्धा बोली रोहित मुझे आँखें खोलने का मन तो है पर मेरी आँखें बार बार बंद हो रही हैं। प्लीज मुझे आँखें बंद करके आनन्द लेने दो।

मैंने कहा हाँ स्निग्धा, तुम आराम से आँखें बंद करो और जो चाहो वो करो। स्निग्धा की चूत अब पहले से थोड़ी और गर्म महसूस होने लगी थी। मैंने उसकी गर्माहट का पूरा फायदा उठाया और एक पूरी ताकत से झटका मार दिया। इस बार तो स्निग्धा बोल पड़ी रोहित तुमने मेरी चूत फाड़ दी है। अभी और कितना लंड बचा है मेरी चूत में जाने को। तुम्हारा लंड है कि क्या है, खत्म ही नहीं हो रहा? मैं बस इतना ही बोला बस हो गया जान हो गया! स्निग्धा ने अपने हाथ को अपनी चूत के पास ले जाकर शायद यही चेक किया होगा कि अभी अंदर जाने को कितना लंड बाकी है। पर अब तक मेरा पूरा लंड स्निग्धा की चूत में समा चुका था।

स्निग्धा की साँसें अब तेज़ होती जा रही थी, तेज़ तेज़ साँसें लेते लेते स्निग्धा बोली रोहित आई लव यू... तुम्हारा लंड तो बहुत मजेदार है। थोड़ा फास्ट करो न! अब तो मेरे लिए भी कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था, मैं भी उत्तेजना से भरपूर पूरी ताकत से स्पीड से स्निग्धा के अंदर बाहर होने लगा। स्निग्धा ने अपने दोनों हाथ खोल कर बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ लिया था, स्निग्धा की पूरा शरीर अकड़ता हुआ महसूस हो रहा था। मैंने अपनी स्पीड और भी तेज़ कर दी जिससे स्निग्धा पूरी तरह संतुष्ट हो सके। मैं स्पीड बढ़ने के साथ साथ उसके बालों को भी सहलाता रहा जिससे उसे झड़ने में आसानी हो। स्निग्धा करीब एक डेढ़ मिनट तक झड़ती ही रही... उसके मुंहसे निकलने वाली सिसकारियाँ बहुत ही मादक और उत्तेजित करने वाली थी। उसने चादर को छोड़ कर मुझे अपनी बाँहों में पूरी ताकत से जकड़ लिया था शायद वो मुझे रुकने के लिए कहना चाहती थी। मैं उसकी चूत में अपना फौलादी लंड डाले ही पड़ा रहा। थोड़ी ही देर में स्निग्धा के चेहरे पर चमक और मुस्कान आ गई थी जैसे कि उसने कोई किला फ़तेह कर लिया हो। मैं अभी भी उसके गर्दन और बालों को पुचकार रहा था।

इससे पहले की में कुछ बोल पाता, स्निग्धा बोली रोहित तुमने सच कहा था कि उंगली में वो मजा नहीं जो तुम्हारे मोटे लंड में है। तुमने मुझे जन्नत के दर्शन करा दिए, मैं तुम्हारी तह ज़िन्दगी कर्जदार रहूंगी। मैंने कहा ज्यादा सेंटी होने की ज़रूरत नहीं है, अभी तो पिक्चर शुरू हुई है। स्निग्धा की आँखों में चमक दौड़ गई, बोली रोहित मुझे अभी तुम्हारा लंड अपनी चूत में बिलकुल कड़क महसूस हो रहा है। पर अब मुझे दर्द हो रहा है, थोड़ी देर में तुम्हारे लंड को मुंह में लेकर चूस लेती हूँ। मैंने एक अच्छे और जेंटलमैनशिप शो की और उसके ऊपर से हट गया, उसके बगल में ही लेट गया। स्निग्धा उठने लगी पर उसकी कमर के नीचे का तकिया और उसके हालात उसे आराम से उठने नहीं दे रहे थे। थोड़ी कोशिश के बाद जब वो उठी तो डर गई और बोली रोहित, देखो मुझे क्या हो गया है। मेरी चूत से इतना सारा खून बह रहा है। मैंने कहा यार फर्स्ट टाइम में आता ही है चिंता मत करो। स्निग्धा बोली हाँ वो तो मुझे भी पता है कि पहली बार में खून आता है पर यह बहुत ज्यादा है। मैंने कहा कुछ नहीं हुआ है, जाओ जाकर अपनी चूत को अच्छे से धो आओ!

उसके पीछे पीछे मैं भी बाथरूम गया उसने मेरे लंड को भी अच्छे से साफ़ किया और अपनी चूत को भी... और हम वापस बिस्तर पर आ गये।

मैंने बिस्तर पर पड़े खून के ऊपर तौलिया डाल दिया। लंड पर थोड़ा ठंडा पानी पड़ने की वजह से वो अब उतना कड़क नहीं था। स्निग्धा बोली रोहित, मैंने तो बहुत एन्जॉय किया पर शायद तुम बहुत आनन्द नहीं उठा सके मेरे बदन से मेरी चुदाई से? मैंने कहा पहला राउंड तो तुम्हें खुश करने के लिए था, अब हम दोनों एक साथ खुश होंगे। स्निग्धा बोली मैं तुम्हारे लंड को चूस कर दुबारा से मस्त बना देती हूँ।

स्निग्धा मेरे लंड को चूमने लगी, अपनी जीभ से से मेरे सुपारे को चाटने लगी। मेरा लंड फिर से औकात में आना शुरू हो गया था, स्निग्धा बोली रोहित क्या तुम ब्लू फिल्म की तरह मेरी चुदाई करते वक़्त अंग्रेजी में गालियाँ दे सकते हो प्लीज? मैंने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा श्योर डार्लिंग! आई विल फ़क बट यू सक माय डिक नाओ! उसने पूरा लंड अपने मुंह के अंदर तक ले लिया। अब मैं उसे गले के अंदर चोद रहा था। स्निग्धा बार बार खांस रही थी पर गले से बाहर लंड को नहीं आने दे रही थी। मैंने कहा बिच, आई एम गोना कमिंग इन योर माउथ! स्निग्धा खांसते हुए लंड को पूरा मुंह से बाहर निकाल कर मेरे अंडकोष को चाटने लगी और अपने हाथ से मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगी। मैं बोला याह, डोंट स्टॉप, लिक मी द वे यू आर डूइंग। आई वांट यू टू ईट माय कम! मैं भी अपनी काम वासना में पूरी तरह डूबा हुआ था और अंग्रेजी में स्निग्धा को बोल रहा था कि तू मेरी मलाई खा जा।

स्निग्धा मेरे अंडकोष को अपने होंठों से दबा कर मेरे वीर्य के इंतज़ार में अपना मुंह खोले बैठी थी। उसने अपने हाथों की पकड़ को मजबूत बनाईं हुई थी और पूरा मज़ा देते हुए मेरे लंड को ऊपर नीचे हिला रही थी, मैं पागलों की तरह उसे अंग्रेजी में गलियाँ दे रहा था। इसी बीच मेरे लंड ने पिचकारी मारी जो सीधा जाकर स्निग्धा की आँखों पर गिरी फिर बिना इंतज़ार किये स्निग्धा ने अपना मुंह मेरे लंड के सुपारे पर रखकर स्ट्रॉ की तरह चूसा जिससे इसके आगे निकलने वाला लावा अब उसके मुंह के अंदर ही जाए। मेरी अगली पिचकारी स्निग्धा के मुंह के अंदर ही गई, उसका पूरा मुंह भरने वाला था इस पर मैंने उसके मुंहके अंदर ही धक्के मारना शुरू कर दिए। वो धीरे धीरे मेरे लंड का पूरा पानी पीती चली गई।

मैं लस्त होकर बिस्तर पर गहरी साँसें लेता हुआ पड़ा रहा, तब तक स्निग्धा अपना मुंह धोकर आ गई। जैसे ही वो मेरे बगल में आकर लेटी, मैं तुरंत करवट लेकर उसके ऊपर चढ़ गया। स्निग्धा बोली आपका लंड तो अभी भी काफी कड़क है। मैंने कहा जानेमन, अभी तो ट्रेलर देखा है, अब होगी असली चुदाई।स्निग्धा थोड़ी सी घबराई पर चेहरे से ख़ुशी दिखाती रही। मैंने कहा पिछली बार तुम्हारी चूत को थोड़ा चौड़ा किया था, अपने लंड के लिए रास्ता बनाया था, अब करूँगा असली चुदाई। और हाँ इस बार मर्जी तुम्हारी नहीं मेरी होगी। स्निग्धा बोली मैंने तो चुदने से पहले ही कहा था कि आज अगर तुम मेरी जान भी ले लो तो कोई परवाह नहीं। अब मुझे मरने से कोई डर नहीं है।

मैंने कहा तो ठीक है अपनी कमर के नीचे फिर से तकिया लगा लो और तैयार हो जाओ ताबड़तोड़ चुदाई के लिए। स्निग्धा ने कमर के नीचे तकिया लगाया और टाँगें फैला कर लेट गई। मैं भी बहुत गर्म हो चुका था इसलिए सीधा स्निग्धा की चूत पर अपना लंड सेट किया और बोला तुझे अंगेरजी में चुदने में मज़ा आता है पर मुझे हिंदी में गाली देना और सुनना पसंद है। तूने बहुत ब्लू फिल्में देख देख के अपनी चूत में उंगली की है। और तू चुदने में बहुत ही परफेक्ट माल है, तुझे कुछ नहीं सीखना पड़ा। तेरी हरकतें पहली बार चुदने जैसी नहीं थी, तूने अपनी कुंवारी चूत एकदम रांड की तरह परफेक्ट स्टाइल में चुदवाई है। बोलते बोलते एक झटके में सुपारा स्निग्धा की चूत में जा चुका था।

स्निग्धा बोली हरामी, मादरचोद तूने तो मेरी एक ही शॉट में चूत फाड़ दी। माँ के लवडे... तेरा लंड बहुत मस्त है। इतनी ब्लू फिल्म देखी पर तेरे जैसा चुदक्कड़ नहीं देखा। तेरी चुदाई में स्वर्ग सा आनन्द था। तू बहुत अच्छा चोदता है रंडीबाज! मैंने उसकी पूरी बात ही नहीं सुनी, मुझे इतना जोश आ गया था कि मैंने सुपाड़ा आधा बाहर निकाल और एक ही बार में आधा लंड स्निग्धा की चूत के अंदर पेल दिया। स्निग्धा चिल्लाई बहनचोद... मार डालेगा क्या? मैं मर जाऊँगी कुत्ते, मुझ पर थोड़ा तरस खा ले... पहली बार चुदवा रही हूँ। तू तो मुझे रांड की तरह चोद रहा है। मैंने कहा माँ की लौड़ी... तू तो साली रांड से भी बेहतर चुदवाती है। और साली मरती हो तो मर जा... पर मेरा पूरा लंड तो खा ले अपनी चूत में!

मैंने फिर से एक जोर का झटका मारा तो पूरा लंड स्निग्धा की चूत में घुस चुका था।

स्निग्धा की आँखों से पानी निकल गया पर वो भी बहुत मजबूत लड़की थी अपने दर्द को सहन करके मुझे पूरा मजा देने की कसम खा चुकी थी, बोली रोहित तेरा लंड तो बहुत ही मजेदार है। इतना बढ़िया लंड पता नहीं मुझे दुबारा कब मिलेगा। मुझे पटक पटक कर चोद रोहित... मुझे पटक पटक कर चोद... मेरी चूत फाड़ दे, मुझे चीर डाल, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे! मैं अपनी चुदाई की स्पीड बहुत बढ़ा चुका था, मैंने स्निग्धा के मुंह पर हाथ रख दिया क्योंकि मुझे अब कुछ नहीं सुनना था, मैं बस उसे चुदते हुए देखना चाहता था। चुदाई के वक़्त उसके हिलते हुए उरोज लाजवाब लग रहे थे, वो भी नीचे से अपने कूल्हे उचका कर मेरी ताल से ताल मिला रही थी।

मैं बोला स्निग्धा, मुझे अपने मलाईसे तुम्हारी चूत भरनी है। तुम दवाई खा लेना पर बाहर निकाल कर झड़ने में वो मजा नहीं। स्निग्धा बोली कोई बात नहीं रोहित मेरी जान, तुम मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ, फिर इसमें तो मुझे भी मजा ही मिलेगा। मैंने अपने लंड के पानी से स्निग्धा की चूत भर दी। झड़ते वक़्त में इतना उत्तेजित था कि स्निग्धा को पता नहीं कहाँ कहाँ और कितनी जोर से काट लिया था। स्निग्धा भी झड़ते वक़्त मेरी पीठ में नाख़ून से खरोंच चुकी थी। झड़ने के तकरीबन 5 मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, एक दूसरे के बदन को प्यार दुलार करते रहे, एक दूसरे के होंठों को होंठों के अंदर पकड़ कर चूसते रहे।.थोड़ी देर बाद मैंने स्निग्धा से कहा स्निग्धा, तुम अपने रूम में जाकर आराम करो थोड़ा रेस्ट करोगी तो तुम्हें और अच्छा लगेगा क्योंकि अभी भूख शांत नहीं हुई है, अभी तो मैंने सिर्फ तुम्हें चखा है, अब ब्रेक के बाद तुम्हें खाऊँगा। स्निग्धा मेरे छाती पर हाथ फेरती हुई बोली रोहित, मुझे अपनी रखैल बना के ले चलो अपने साथ। तुम इतनी अच्छी चुदाई करते हो और काफी ज्यादा कर लेते हो।

मैंने मैगजीन्स में पढ़ा है कि लोग एक भी बार अपनी बीवियों को खुश नहीं कर पाते और तुमने तो अभी अभी में मुझे 3 बार... मैंने कहा चलो जाओ और जाकर आराम करो, बाकी बातें दुबारा उठने के बाद करेंगे। स्निग्धा ऐसे ही नंगी ही बाहर जाने लगी। मैंने कहा कुछ पहन कर जाओ बाहर... किसी और ने देख लिया तो तुम्हारी बदनामी हो जाएगी। स्निग्धा बोली अब तुम्हारे लिए बदनामी में भी नाम ही है, मैं ऐसी ही नंगी जाऊँगी, कोई कुछ भी कहे! उसने दरवाज़ा खोला और चली गई अपने कमरे में! पर शायद कोई नहीं था सामने, इसलिए अपने कमरे में चली गई।

अब स्नेहा के शील भंग की बारी

मैंने एक तौलिया लपेटा और चला गया नीचे। पंखुरी और स्नेहा बातें कर रहे थे और दूसरा कमरा लॉक था। मैंने कहा विनीत कहाँ है? पंखुरी ने उस कमरे की तरफ इशारा किया। मैंने दरवाज़े के लगभग बगल में खड़े होकर कहा क्यूँ बे... क्या कर रहे हो अंदर! विनीत बोला भाई तू भी कर ले, अब क्या तुझे भी बताना पड़ेगा की मियां बीवी दरवाज़ा बंद करके क्या करते हैं। उसे पता था कि स्नेहा यही है इसलिए ऐसे बोला होगा। मैंने कहा ओके एन्जॉय! और रितिका को 2 किस्सी मेरी तरफ से भी दे देना। मेरी ऐसे बेबाकी से स्नेहा झेंप गई, वहीं पंखुरी थोड़ा इतराते हुए बोली आपको शर्म तो नहीं आती है न? मैंने कहा दोस्ती यारी में थोड़ा बहुत चलता है। स्नेहा को चिढ़ाते हुए कहा स्नेहा चलो तुम भी बाहर जाओ अपने कमरे में... तुम्हारी भाभी के साथ भी वही करूँ जो तेरा भाई तेरी दूसरी भाभी के साथ कर रहा है। स्नेहा बोली आपतो बड़े बेशरम हो! और कमरे से जाने लगी। स्नेहा गुस्से में पैर पटक कर बाहर जा रही थी तो मैंने उसे दौड़ कर पकड़ लिया और कहा यार, तू तो गुस्सा हो जाती है। अपन लोगों भी थोड़ा मजाक तो चलता है न? वो बोली मैं भी तो मजाक ही कर रही थी। मैंने उसे जान करके गले लगा लिया। स्नेहा थोड़ी असुविधाजनक स्थिति में थी। मैंने गले लगकर कुछ ऐसे शो किया कि पंखुरी को कुछ नहीं दिख रहा और उसके बूब्स को ज़रा छेड़ दिया।

स्नेहा धीरे से मेरे कान में बोली भाभी यहीं बैठी हैं। आप ऊपर आओ, आपका इंतज़ार करुँगी। मैंने उसे छोड़ा तो वो ड्राइंग रूम की तरफ भाग गई। पंखुरी बोली क्या हुआ? कर आये स्निग्धा दी की चूत का उद्घाटन? मैंने कहा हाँ, हो गया उसका काम। पंखुरी बोली अब जाकर स्नेहा दी को भी शांत कर दो... इतनी देर से बैठी बैठी अपनी आग छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मैंने कहा हाँ, जाता हूँ, पर तुम्हारा क्या होगा? पंखुरी बोली अरे अभी दोनों (रितिका और विनीत) को इधर बुला लूँगी। मेरी चिंता मत करो, आप जाओ और जाकर एक और सील तोड़ कर आओ, फिर देखते हैं आगे क्या करना है।

मैंने जल्दी से विनीत की दरवाज़े पर दस्तक दी और कहा खोल दो बे... रितिका ने एक मिनट बाद दरवाज़ा खोला और बोली आजाओ भाभी! रितिका मेरे सामने नंगी ही खड़ी थी। मैंने रितिका के बूब्स मसल कर कहा आज बीवी के साथ ही लगा पड़ा है, क्या हुआ? विनीत बोला क्योंकि स्नेहा यहीं थी तो भाभी को अपने कमरे में लेकर दरवाज़ा कैसे बंद करता। और दूसरी बात तूने स्निग्धा की चुदाई कौन से कमरे में की थी? मैं सब जगह से ढूंढ कर आ गया पर कहीं से नहीं दिखे तुम लोग? मैंने कहा चिंता मत कर... तुझे रिकॉर्ड करना था न, वो मैंने कर लिया है, तू अभी तेरी भाभी की ज़रा सेवा कर... मैं आया स्नेहा की सेवा करके। रितिका मेरे लंड को तौलिये के अंदर हाथ डाल के सहलाते हुए लंड की तरफ देखकर बोली ऐसी चुदाई करना स्नेहा दी की कि वो ज़िन्दगी भर याद रखे... जैसे मेरी चूत की की थी। मैंने रितिका के चूतड़ दबा दिए।

मैं लगभग भागता हुआ स्नेहा के कमरे में आया तो स्नेहा डबल तकिया लगाके के कमरे को कश्मीर की तरह ठंडा करके रजाई ओढ़े लेटी हुई थी। मैंने कहा अरे यार, AC बंद करो, बहुत ठंडा हो रहा है। स्नेहा बोली तो आप रजाई में आ जाओ, थोड़ी देर में इतना गर्म कर दूंगी आपको कि यही मौसम अच्छा लगने लगेगा। मैं तुरंत बिस्तर पर कूदा और रजाई के अंदर घुस गया।

रजाई में लेटने की प्रक्रिया में मेरा तौलिया खुल गया था पर रजाई मेरे ऊपर थी। मैंने स्नेहा को बाँहों में भरा तो पाया कि माँ की लौड़ी ने कुछ पहना ही नहीं था, बिल्कुल नंगी पड़ी थी। मैंने कहा स्नेहा यार, तू तो बहुत गर्म लग रही है, लगता है तेरे ऊपर चुदने का भूत सवार हो चुका है। स्नेहा बोली आप तो मेरे बदन को अभी छू रहे हो, मैं तो सपनों में कई सालों से आपको अपने साथ सुला रही हूँ। पता नहीं सपनों में मैंने आपके साथ क्या क्या किया है। इसलिए आपके सामने नंगी होने पर मुझे बिल्कुल भी अलग नहीं लग रहा। पता नहीं क्यूँ मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मैं अभी भी सपना ही देख रही हूँ। इसलिए चाहती हूँ कि आप मेरे बदनको मसल दो, मुझे छूलो जिससे मैं अपने सपनों की दुनिया से बाहर आ जाऊँ। मैं स्नेहा के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसकी जांघों पर रगड़ते हुए स्नेहा के बूब्स को दबा दबा कर चूसने लगा।

स्नेहा बोली भैया, आप नहीं जानते जब किसी का जब सपनों का शहजादा उसके ऊपर नंगा पड़ा हो तो नीचे पड़े इंसान को कैसा लगता है। फ़िर बोली आपका लंड गीला क्यूँ है भैया? मैंने यों ही कह दिया अभी तेरी भाभी से चुसवा के चला आ रहा हूँ। स्नेहा बोली ओह्ह अपनी चुदाई के चक्कर में मैं तो ये भूल ही गई कि यार वो अकेली क्या करेंगी और आप उन्हें क्या बोल कर आये हो? कहीं वो हम पर शक न करे। मैंने कहा चिंता मत कर, उसे नींद आ रही थी तो मैंने कहा कि मैं बाहर की कमरे में टीवी देख रहा हूँ। स्नेहा बोली जब मैं थी आपका लौड़ा चूसने के लिए... तो उनसे क्यूँ चुसवा कर आये? मैं बोला यार, मैंने नहीं बोला था उसे... वही ज़बरदस्ती मेरे लंड निकाल कर चूसने लगी। अब ऐसे मना करता तो अच्छा नहीं लगता। स्नेहा बोली अरे छोड़ो... वो तो वैसेभी आपका लंड रोज ही लेती होंगी, उनसे तो मुझे सिर्फ प्यार ही इसलिए है कि वो मेरे सपनों के शहजादे के साथ रोज सोती हैं। रोहित भैया, आप बताओ अपनी बहन स्नेहा को किस रूप में देखना चाहोगे? किस तरह आप अपनी बहन को चोदोगे जिससे आपको मज़ा आये। मेरी चिंता मत करना क्योंकि आप तो मेरे साथ सिर्फ नंगे पड़े रहोगे तो भी मैं खुश ही हूँ।

मैंने कहा स्नेहा, इतना सेंटी मत कर यार... मैं तुझे यहाँ लाया ही इसलिए जिससे तू खुल कर चुद सके और मजे ले। पर जब आज तू नहा रही थी तब मैंने तेरा बदन देखा था। इतना खूबसूरत बदन मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में कभी अपनी नंगी आँखों से नहीं देखा। पर टीवी वगैरह पर ज़रूर देखा होगा। मुझे तुम अपने जिस्म के जलवे दिखाओ... मेरे सामने नंगी खड़ी होकर डांस करो... मुझे अपने बदन के हर हिस्से को छूने दो और तुम मेरे बदन के हर चीज़ को छुओ और पकड़ो और मुझे अपना मुरीद बना लो।

स्नेहा की कुंवारी चूत का उद्घाटन

स्नेहा उठी और AC का टेम्परेचर बढ़ाया और अपने मोबाइल पर गाने लगाकर भड़काऊ डांस करने लगी। मैं भी बिस्तर पर तकिए लगा कर जैसे कोठों पर नाच देखते है वैसे बैठ गया। उसका बदन बिलकुल गोरा और चमकदार था। उसके परफेक्ट साइज बूब्स बिलकुल बराबर गोलाई के साथ हलके ब्राउन रंग के निप्पल... कमर बहुत पतली नहीं पर उसके बदन के लिए एक गदराई हुई शेप में थी, उसके चूतड़ 34″ के रहे होंगे, चूत पर एक भी बाल नहीं। छोटी से चूत थी, ऐसा लग रहा था जैसे शायद ही उसने कभी उंगली की हो। टाँगें माशाल्लाह कोई देख ले तो ज़िन्दगी भर दूसरी टांगों को नज़र उठा कर न देखे। भरे पूरे बदन की मेरी बहन स्नेहा मेरे सामने नंगी खड़ी नाच रही थी। उसने एक स्टेप ऐसा किया कि वो गोल गोल घूमी और सीधा मेरे ऊपर ऐसे गिरी कि उसके बूब्स मेरे लंड पर जाकर लगे, फिर अपने दोनों बूब्स के बीच मेरी टांगों की मालिश करती हुई नीचे खिसकने लगी।

बहुत ही उत्तेजक थी उसकी छुअन, फिर उसी तरह उसने मेरी दूसरी टांग की मसाज भी अपने बूब्स के बीच फंसा कर की। फिर मेरी टांगों के बीच खम्बे पर अपने बूब्स से अच्छे से मसाज की। फिर उसने अपने बूब्स से ही मेरी गांड की मसाज की, फिर मेरे ऊपर 69 में आ गई और बोली भैया आपका लंड पीने का मन कर रहा है। मैंने कहा पी ले स्नेहा...पी ले मेरा लंड पी ले! इतना चूस मेरे लंड को... इतना बोलते बोलते ही मैंने स्नेहा की चूत पर मुंह रख दिया था। स्नेहा की कुंवारी छोटी सी चूत अपने आप में नायाब थी। मैंने अब उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल दी थी। चूत धीरे धीरे फूलने लगी और वो इतनी फूल गई जैसे उस पर सूजन आ गई हो। स्नेहा भी मस्ती से मेरे लौड़े को चूसे जा रही थी। स्नेहा धीरे धीरे अपना काम रस छोड़ने लगी थी, वो मेरे लंड पर से बिना अपना मुंह हटाए अपने हाथ से मेरे मुंह को अपनी चूत से दूर करने की कोशिश कर रही थी।

मैंने थोड़ा सा अपना मुंह उसकी चूत से हटाकर कहा स्नेहा! मेरी जान तुम आराम से अपना पानी छोड़ो, मुझे तुम्हारा पानी अच्छा लग रहा है। स्नेहा शायद कुछ सोच में पड़ गई होगी क्योंकि उसकी चुसाई थोड़ी धीमी हुई थी। मैंने कहा स्नेहा सोच मत, बस मजे लो, मेरे मुंह को अपने पानी से भर दो, तुम्हें बहुत संतुष्टि मिलेगी। स्नेहा की चुसाई फिर से अपने स्पीड और चटकारके साथ वापिस आगई। स्नेहा की चूत देखकर तो लग रहा था कि उसने आज तक वाकयी कोई लंड नहीं लिया है। पर उसके चूसने की अदा इतनी परफेक्ट थी की विश्वास करने का मन नहीं था। उसने अब तक एक भी बार अपने दांत मेरे लंड पर महसूस नहीं होने दिए थे और साथ ही मुंह के अंदर मेरे सुपारे पर उसका अपनी जीभ को गोल गोल घूमना मुझे सातवें आसमान की सैर करा रहा था। इस बीच वो अपनी उँगलियों का जादू मेरे लंड के आसपास के किनारे पर सहला का चला रही थी। मैं भी स्नेहा को पूरा आनन्द देने के लिए उसकी उसी तरह चटाई कर रहा था। बीच में अपनी ऊँगली को उसके काम रस से भिगोकर उसकी चूत में अपने लंड के जाने की जगह बना रहा था।

स्नेहा चुसाई छोड़ कर बोली भैया, आपका लंड तो जो मैंने सपने में सोचा था उससे भी अच्छा निकला। मैं बोला मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि इतनी बढ़िया चूत चोदने का मौका मिलेगा। तुम्हारा पूरा बदन बहुत मादक और नशीला है। मुझे यह नहीं समझ आ रहा कि आज तक मैंने तुम्हें कभी ऐसी नजरों से क्यूँ नहीं देखा। स्नेहा बोली इस बात का गम तो मुझे भी है, पर अभी तो मिल रहा है न तो गम बाद में मन लेंगे। मैंने स्नेहा को अपने ऊपर से हटाया और उसकी चूत पर अपना हथियार सेट कर दिया। स्नेहा बोली भैया थोड़ा धीरे करना, आपका लंड इतना मोटा होगा, मैंने नहीं सोचा था। वो मुंह में ही आसानी से नहीं आ रहा था, एक छोटे से छेद का पता नहीं क्या करेगा। मैंने कहा चिंता मत कर, तुझे मजा न आये तो पैसे वापस! हम दोनों बुरी तरह हंस पड़े।

जब हंसी थोड़ी रुकी तो मैंने धीरे से झटका मारा और लंड को चूत के अंदर ठेलने लगा। स्नेहा के हँसते हुए चेहरे पर चुदाई की खुमारी मिटाने के भाव आ गये, उसने अपने तकिए को दोनों साइड जोर से पकड़ लिए और अपनी गर्दन को तकिए की तरफ मोड़ लिया, उसकी सुराहीदार गर्दन पर नसें और गले की हड्डी साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रही थी। मैं अपने घुटनों पर बैठा लंड को पेलने की कोशिश करने में लगा था। चूत काफी टाइट होने के कारण मुझे थोड़ा जोर से धक्का लगाना पड़ा। उसकी चूत ने जो कामरस छोड़ा था, उसके सहारे से लंड एक ही बारमें आधा अंदर घुस गया, पर स्नेहा बुरी तरह तड़प उठी और दर्द के मारे चिल्लाने और रोने लगी। मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया, मैं साथ साथ उसे चुप कराने की नाकाम कोशिश भी कर रहा था। मैंने देखा की लंड के ऊपर थोड़ा खून लगा हुआ है। अगर मैंने स्नेहा को देखने का मौका दिया तो वो चुदवायेगी नहीं इसलिए मैंने उठने नहीं दिया और समझाया कि चूत टाइट होने की वजह से धक्का जोर से लगाना पड़ा।

मैंने एक बार फिर अपने लंड को चूत पर सेट किया और फिर से अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर इस बार स्नेहा ने चूत को पूरी ताकत से भींच रखा था। जैसे जब पॉटी आती है तो आप अपनी गांड के छेद को भींच लेते है। मैंने सोचा 'अब रो तो रही ही है' इधर लंड भी अपनी पूरी औकात में था, मुझे उसका रोना दिखाई ही नहीं दिया और मैंने फिर से जोर का धक्का लगाया और पेल दिया अपना लंड उसकी चूत में। थोड़ी देर रोई, चिल्लाई पर फिर तो उचक उचक कर मेरे धक्कों के साथ धक्के लगाने लगी। मैंने चोदते हुए ही उसके आँसू पौंछे और पूछा अब दर्द तो नहीं हो रहा? वो बोली आपको कहाँ कुछ फर्क पड़ता है... जब रो रही थी तो थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे। बस डाल ही दिया पूरा अंदर, पता है बहुत दर्द होता है। अगर मेरे पास लंड होता तो आपकी गांड में डाल के बताती कितना दर्द होता है। मैंने कहा लेकिन अब तो मज़ा आ रहा है न? या निकाल लूँ बाहर? मुझे पता था कि अब मजा आ रहा है अब तो मना करने से रही। स्नेहा बोली जब दर्द था तब तो निकाला नहीं... अब तो मजा आ रहा है, अब थोड़े ही निकालने दूंगी। चोदो अब जोर जोर से चोदो मुझे।

बस फिर क्या था, अपनी ट्रेन को हरी झंडी मिल चुकी थी, अपन भी फुल स्पीड से चुदाई में मशरूफ हो गए। बिल्कुल भूल गएकि बाहर काफी लोग हैं। चिल्ला चिल्ली करके सिसकारियों से कमरा ही नहीं पूरा बंगला भर दिया। मुझे तो टेंशन थी ही नहीं पर स्नेहा भी अपनी पूरी शिद्दत से चुदाई के मजे लूट रही थी। हमने अपनी पहली ही चुदाई में 3 पोजीशन में चुदाई का आनन्द लिया, फिर आधे घंटे तक हम एक दूसरे से चिपके ऐसे ही पड़े रहे। XXX अब वाकई लग रहा था कि AC की ठंडक कम है।

इधर बाहर भी रितिका, पंखुरी और विनीत ने चुदाई कर चुके थे और हमारी आवाज़ों के मजे लेकर अपनी चुदाई में चार चाँद लगा रहे थे। स्नेहा जब होश में आई तो बोली भैया अब तो बहुत नाटक हो गया होगा, हम लोगों ने अपनी आवाज़ पर कोई कंट्रोल ही नहीं रखा। बाहर सबको सुनाई दिया होगा, हम तो फंस गए। मैंने उसका डर निकालने के लिए बोल दिया यह कमरा साउंड प्रूफ है। तब कहीं जाकर उसकी जान में जान आई। मैंने कहा चल तू कपड़े पहन कर आ जा नीचे, अब भूख लग आई है। मैं तौलिया लपेट कर जल्दी से नीचे गया।​
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