Update 10
भाई सगी बहन को चोदने को आतुर
हमारी आवाज़ जब आना बंद हो गई थी तभी ये लोग समझ गए थे कि चुदाई खत्म हो चुकी है इसलिए कपड़े पहने हुए ही एक दूसरे के बदन से खिलवाड़ कर रहे थे। मेरे आतेही बोले: क्यों, बड़ी ज़बरदस्त चुदाई मचाई तुमने... इतनी आवाज़ें? इतनी बेचैनी चुदाईमें? मैंने कहा: चल विनीत, कुछ खाने को लाते हैं, बड़ी भूख लगी है। सभी लोग शरारती मुस्कान में बोले: हाँ मेहनत की है तो भूख तो लगेगी ही। मैं और विनीत फटाफट गाड़ी में बैठे और चल पड़े करीबी ढाबे की तलाश में।
विनीत बोला: कैसी लगी स्नेहा? मैंने कहा: यार वो तो कमाल ही है। उसकी चुदाई तो बनती है, कुछ नहीं तो कम से कम उसे एक बार नंगी कर के देख, इतनी खूबसूरती अंदर छुपा के रखी है उसने, मस्त एकदम! विनीत बोला: उसका पानी तो होगा अभी तेरे लंड पर?.मैंने कहा: नहीं यार, मुझे लंड धोना पड़ा क्योंकि खून बहुत निकला उसका! विनीत बोला: कोई नहीं, तू कुछ तो सोच ही रहा होगा जिससे ये दोनों ऑलमोस्ट कुंवारी चूत मुझे भी मिल जाएँ। मैंने कहा: हाँ रे गांडू, तेरे लिए भी सोच रहा हूँ, तू पहले सिगरेट जला!
विनीत सिगरेट जलाता रहा और मैं सोच रहा था कि अब ऐसा क्या करूँ कि हम सब एक साथ चुदाई कर सकें। चार लड़कियाँ और दो लड़के, कैसे करूँ क्या करूँ? तभी मैंने एक ठेके पर गाड़ी रोकी, वहाँ से मैंने सस्ती शराब की एक पूरी क्रेट और अच्छी व्हिस्की की दो बोतल ले ली। उसी के बाजू में एक ढाबा भी था, वहाँ से खाने के लिए मुर्गा और रोटियाँ चावल पैक करा लिया और वापस फार्म हाउस पर आ गये। जब हम वापस लौटे तो सभी लेडीज साथ में बैठी हुई गपशप में मशरूफ थी। अभी शाम के 4 बजे थे, मैंने कहा: चलो सभी लोग आ जाओ, थोड़ा थोड़ा खा लेते हैं।
मैंने आते ही टेबल पर पूरा खाना रख दिया, व्हिस्की की बॉटल्स भी टेबल पर रख दी। कोई किसी से कुछ नहीं बोला। सभी ने थोड़ा थोड़ा कुछ खाने के बाद सोचा कि चलो पास के जंगल और गाँव के सैर कर लें। स्निग्धा बोली: चलो, आस पास जो भी कुछ देखने लायक हो घूम कर आते हैं। मैंने कहा: चलो सब लोग तैयार हो जाओ, थोड़ा घूम कर आते हैं। कुछ ही देर में सभी लड़कियाँ तैयार होकर गाड़ी में सवार हो गई। मैं और विनीत आगे बैठे और बाकी सभी लड़कियाँ पीछे बैठ गई। अब लंड की खुमारी कुछ हद तक मिट गई थी इसलिए हम दोनों आगे बैठे थे।
घूमना तो बहाना था, अपने लंड को थोड़ा आराम देना था जिससे अगली चुदाई चाहे किसी की भी हो, मजा लूट सकें। घूमते हुए हम लोग एक कुएं के पास पहुँचे, उसके ऊपर एक बहुत बड़ा और घना बरगद का पेड़ लगा था। उससे थोड़ी ही दूरी पर दो तालाब दिखाई पड़ रहे थे। एक तालाब का पानी काफी साफ़ और स्वच्छ था, वहीं दूसरे तालाब का पानी काला और गन्दा दिख रहा था। दूर दूर तक कोई कुत्ता भी नजर नहीं आ रहा था, सिर्फ हम 6 लोग ही वहाँ पर अपनी अपनी बातों में मशरूफ इधर उधर करके फोटो क्लिक कर रहे थे।
स्निग्धा और स्नेहा दोनों के चेहरे पर असीम शान्ति का भाव था, वहीं उनकी चाल थोड़ी डगमगा रही थी। जब भी उन्हें लगता कि कोई समझ न जाए कि उनकी चाल गड़बड़ा रही है, वो अपनी ऊँची हील की सेंडल को दोष दे देती और कहती यहाँ काफी गड्डे हैं। बाकी तो सभी जानते थे कि चाल क्यों ख़राब है इसलिए कोई भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था और वो दोनों इस बात से काफी खुश थी। मैं मौका देखकर चारों ही लड़कियों के साथ थोड़ी बदमाशी कर देता। उसे भी सभी नजरअंदाज कर देते मुझे सिर्फ स्नेहा के सामने स्निग्धा से और स्निग्धा के सामने स्नेहा से ही पर्दा रखना था जो आसानी से कर पा रहा था।
स्नेहा बोली: चलो न उस अच्छे तालाब के करीब चलते हैं। मैंने और विनीत ने यह सुनते ही 15 साल के लड़कों की तरह दौड़ लगाना शुरू कर दी। दौड़ लगाते लगाते हमने अपने टी-शर्ट तो उतार ही फेंकी और सबसे पहले तालाब के करीब पहुँच गए थे। स्नेहा और स्निग्धा दौड़ नहीं सकती थी इसलिए आराम आराम से ही आ रही थी और पंखुरी और रितिका भी उनके साथ धीरे धीरे चलकर आती दिखाई पड़ी।
मैंने सिगरेट जलाई और विनीत को दी। विनीत बोला: यार रोहित, आज रात सोना नहीं है। चार चार लड़कियाँ हैं, इनको बजाएंगे। मैंने कहा: बात तोतेरी ठीक है, पर साला कोई खुराफात ही नहीं आ रही दिमाग में जिससे ये सारी की सारी लड़कियाँ एक बिस्तर पर नंगी लिटा सकूँ। तेरे दिमाग में कोई झनझनाता विचार हो तो बता?
विनीत बोला: यार दिमाग तो तुझे ही चलाना पड़ेगा, तेरी चुदाई की आवाज़ें सुन सुन के मेरा सारा खून टांगों के बीच आ चूका है। अब दिमाग नहीं चल रहा। रात तक अगर तू कुछ कर पाया तो ठीक वर्ना मैं तो चोदन कर दूँगा दोनों नई चूतों का। तब तक सभी लड़कियाँ भी आ गई थी। विनीत ने रितिका को धक्का दिया और पानी में गिरा दिया। पंखुरी बोली: अरे आप कैसे करते हो, उसके लग जाती तो? विनीत बोला: सॉरी भाभी, बोलते बोलते थोड़ा करीब आया और हँसते हुए पंखुरी को भी पानी के अंदर धक्का दे दिया। इधर स्निग्धा और स्नेहा अपने आप ही पानी में उतर गई । विनीत और मैं भी अब पानी में थे।
विनीत का भी खून काफी गर्म था इसलिए वो बार बार अपने बदन से सभी लड़कियों को छूने की कोशिश करता रहता। ठन्डे पानी में डुबकी लगाकर कभी किसी की गांड में ऊँगली कर आता तो कभी किसी की चूत में। मस्ती करते हुए काफी देर हो गई और अब अँधेरा होने लगा था, हम लोग पानी से बाहर निकले पर बिना तैयारी के आये थे हम लोग तो किसी के भी पास कोई टॉवल या बदलने के लिए कपड़े नहीं थे तो बस अब ठिरठिराते हुए हम लोग वापस जाने लगे। गाड़ी तक वापस आकर हमने जल्दी ही वापस फार्म हाउस की और रुख कर लिया, हम जल्दी ही फार्म हाउस पहुंच गए। अंदर जाकर सभी अपने अपने कमरों में चले गए। सभी लोग शावर लेकर चेंज करके बाहर आ गये। हम सभी लोग बाहर के कमरे में बैठकर टीवी देख रहे थे।
स्नेहा आई और उसने टीवी बंद कर दिया, इससे पहले कि वो कुछ बोले, मैंने कहा: तू न बचपना बंद कर ले, अभी तुझे बचाने वाला भी कोई नहीं है। बचपन में सभी भाई बहन टीवी और रिमोट के लिए तो लड़ते ही है। बस वही याद आया था मुझे कि शायद वो लड़ने का बहाना ढूंढ रही है। पर वो बोली: अरे यार, टीवी तो घरों में देखते ही हैं। यहाँ सब लोग हैं तो बातें शातें करते हैं, टीवी घर जाकर देख लेंगे। सभी को बात ठीक लगी तो पंखुरी बोली: यार वो सही कह रही है, चलो न सब लोग मिलकर कुछ बातें करें, कुछ गेम्स (आँख मारते हुए) वगैरह खेलें। रितिका बोली: हाँ चलो आप सब लोग अपने बचपन के किस्से सुनाओ। मैंने कहा: अच्छा ठीक है चलो बातें करते हैं। विनीत बोला: तो एक काम करते है, अंदर किसी कमरे में चलकर बातें करते हैं, यहाँ तो सब कोई अलग अलग बैठा है। यहाँ तो कोई सोफे पर है तो कोई जमीन पर। मैंने कहा: चलो तुम्हें एक बेहतरीन कमरे के दर्शन कराता हूँ, हम सब वह आराम से बैठ के बातें कर सकते हैं। मैंने कहा: विनीत तू बोतल उठा, रितिका तुम चखना, पंखुरी तुम पेप्सी कोक वगैरह।
सबको कुछ न कुछ उठाने को बोलकर मैं हाथ हिलाता हुआ चल दिया। सीढ़ियों के नीचे एक टेबल पर लैंप था, मैंने कहा थोड़ा झुककर निकलना। उस लैंप को मैंने घुमाया तो उसके बीचों बीच एक नंबर डायल करने के लिए कैलकुलेटर नुमा चीज़ आ गई मैंने उसमे कोड डाला तो सीढ़ियों के नीचे एक दरवाज़ा खुला दरवाज़ा खुलते ही लोग दरवाज़े की ओर न देखते हुए मेरी तरफ देखने लगे। विनीत बोला: साले, तुझे कैसे पता ये सब? मैंने कहा: तू नीचे तो चल!मैं सबसे आगे गया और सीढ़ियाँ उतरने लगा। नीचे की इस जगह को एक कमरा या हाल कहना गलत होगा। ये पूरा कमरा एक जंगल थीम पर तैयार किया गया था, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे की जंगल की किसी बड़ी सी गुफा में आ गये हों।
सभी लोग मेरे पीछे सामान पकड़े बिना कुछ बोले चुपचाप चल रहे थे और इधर उधर नजर घुमा कर इस जगह का अवलोकन कर रहे थे। तो इस बड़ी सी जंगल की गुफामें एक कोने पर ऊपरसे नुकीले चट्टान दिख रही थी और वहीं से पानी भी आ रहा था जिससे कमरे की बिल्कुल बीचों बीच एक तालाब नुमा छोटा सा पानी का चश्मा दिख रहा था। गुफा के हर कोने पर और कई जगह पर मशालें जल रही थी जिससे कुछ साफ़ दिखाई तो नहीं पड़ रहा था पर हाँ दिख रहा था। चश्मे के उस तरफ बैलगाड़ी में लगने वाली बग्गी थी जिस पर सुखी घास बिखरी हुई थी। उसी के बगल में एक और काफी ऊँची घास का ढेर भी लगा हुआ था।
ऐसी जगह को देखकर स्नेहा और स्निग्धा बोली: आप तो टीवी ही देखो, हमें कहाँ यहाँ जंगल में ले आये। हमें डर लग रहा है। पर विनीत की ठरक ने तेजीसे काम किया और वो बोला: अरे तुमने देखा नहीं, हम लोग घर के अंदर ही है। इस कमरे को कितने अच्छे से बनाया गया है कि जंगल लगे। और वैसे भी घरों पर नार्मल सोफे पर तो रोज़ बैठकर बातें करते हैं। जब घूमने आये है तो चलो क्यूँ न जंगल का मज़ा लिया जाए। और यह सेफ भी है क्योंकि है तो घर के अंदर। उन लोगों को जवाब देने से पहले ही मेरी तरफ मुड़ा और बोला: अब तो बता दे तुझे कैसे पता कि इस घर में कहाँ क्या है और उसका कोड क्या है? मैंने कहा: तू आम खा... गुठलियाँ तो मेरे लिए छोड़ दे।
विनीत जिद करने लगा तो मैंने कहा: चलो ठीक है, आज का गेम यह है कि कोई किसी से भी किसी भी तरह का सवाल कर सकता है और उसे सच सच जवाब देना होगा। रितिका बोली: तो आप ही से शुरू करते हैं? बताओ आपको कैसे पता... मैं उसकी बात पूरी होने से पहले ही बीच में बोला: सबसे पहले चश्मे के उस तरफ चलो और चलकर सब अपनी तशरीफ़ उस घास पर रखो । सभी लोग उस तरफ जाने लगे। 'और दूसरी बात यह है कि गेम मैंने शुरू किया है तो सबसे लास्ट में ही होऊँगा जो जवाब देगा। तो सबसे पहले कौन है जो मैदान में आना चाहता है।' कोई कुछ नहीं बोला पर हम सब घास तक पहुँच चुके थे।
मैं जाकर बैलगाड़ी वाले गाड़ी पर बिछी घास पर लेट गया। रितिका बोली: ओके मैं तैयार हूँ, आप मुझसे कुछ भी पूछ सकते हो। मैंने कहा: मैं नहीं, सभी लोग मिलकर निर्णय लेंगे कि आखिर सवाल पूछेगा कौन? और हाँ आपको सवाल तब तक पूछा जायेगा जब तक सभी आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हो जाते। पिछले तीनों खिलाड़ी तो चेहरे से संतुष्ट दिखाई पड़ रहे थे, उन्हें तो पता ही था कि खेल चाहे जो हो, यहाँ चुदाई तो होगी ही और मज़ा आएगा। पर बेचारी नई कलियाँ स्निग्धा और स्नेहा आने वाले खेल का न ही अंजाम जानती था, साथ ही थोड़ी घबराहट भी चेहरे पर साफ़ दिखाई पड़ रही थी।
इसी बीच मैंने कहा: सवाल पूछने के लिए मैं पंखुरी को नियुक्त करता हूँ जो रितिका से सवाल करेगी और रितिका के जवाब से अगर कोई असंतुष्ट होता है तो वो उसके आगेके सवाल कर सकता है। स्निग्धा और स्नेहाभी जिज्ञासु दिखाई दिए कि आखिर खेल समझने का मौका तो उन्हें मिलेगा ही और साथ ही यह भी देखना है कि सवाल किस तरह के होते हैं।
इधर विनीत ने बोतल खोल ली थी और अब तक दो पेग बना चुका था, बाकी चखने का आइटम भी खुल गया था। पंखुरी: रितिका, यह बताओ कि किसी सेलिब्रिटी के साथ रात गुजरने को मिले तो तुम ख़ुशी ख़ुशी उसके साथ सोने के तैयार हो जाओगी? और थोड़ा खुल कर बताओ कि वो दिन और रात तुम कैसे गुज़ारना पसंद करोगी? पंखुरी के मुंह से ऐसे सवाल को सुनकर स्निग्धा और स्नेहा के कान गर्म हो गए, वो दोनों एक दूसरे को देख रही थी।
रितिका थोड़ा सोचकर: मैं क्रिस गेल के साथ अपनी एक शाम गुज़ार सकती हूँ। और मेरी दिन और रात से कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। वो मैं अपने सेलिब्रिटी के हाथ में छोड़ती हूँ, वो मुझसे जैसे चाहे व्यवहार कर सकता है। विनीत: तुम्हारी पसंद क्रिस गेल!! क्यूँ है? उसमें तुम्हें क्या अच्छा लगा? रितिका द्वि अर्थी अंदाज़ में: उसका साइज ... फिर थोड़ा मुस्कुराकर, मतलब उसकी कद काठी। स्निग्धा और स्नेहा थोड़ा सा हल्का महसूस कर रही थी और इस तरह की वार्तालापके कारण शायद अब वो थोड़ी गर्म होना शुरू हो गई थी।
स्निग्धा थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए: पर भाभी आपको नहीं लगता कि वो राक्षस आपको मसल डालेगा? रितिका सवाल खत्म होनेसे पहले ही: यहीतो असल बात है, मैं चाहती हूँ कि मुझे कोई ताकतवर आदमी मसल डाले... फिर चाहे मैं जिन्दा भी न बचूँ तो भी चलेगा, और हंसने लगी। सभी एक दूसरे की शक्ल देखने लगे कि कोई और सवाल पूछने वाला है क्या। तब मैं बोला: रितिका ने सभी को अपने जवाब से संतुष्ट कर दिया और बहुत अच्छी पारी खेली। अब अगले शख्स का नाम रितिका बोलेगी।
रितिका बोली: भाभी... मैंने कहा: यहाँ कोई भाभी नहीं है। नाम बोलो कौन? रितिका बोली: पंखुरी, पंखुरी: मुझे पता था तुम मेरा ही नाम लोगी, पूiछो क्या पूछना चाहती हो? रितिका: हाँ तो भाभी, ओह्ह सॉरी सॉरी हाँ पंखुरी, तुम बताओ कि तुमने कभी बाहर खुले में सेक्स किया है? यदि हाँ तो कितनी बार? थोड़ा शरारती मुस्कान के साथ: कितनों के साथ?
पंखुरी बेशर्मी से: मैंने तो कई बार खुले में शारीरिक सम्बन्ध बनाए हैं। मतलब मैं गिन नहीं सकती... इतनी बार, पर हाँ यह बताना आसान होगा कि मैं कितनों के साथ सम्बन्ध बना चुकी हूँ। फिर अपने हाथ की उँगलियों पर गिनते हुए हवा में ऊपर देखकर याद करते हुए गिनती रही। पंखुरीको गिनती गिनते देख स्निग्धा और स्नेहा के होश फाख्ता हो गए थे। फिर हँसते हुए बोली: एक के साथ, तुम्हारे और हम सबके प्रिय रोहित के साथ।
विनीत: चलो कोई नहीं, आपने बड़े मजे से बताया कि एक के साथ ... पर अगर मौका मिले तो किसके साथ कर सकती हैं? पंखुरी: यह तो वही सवाल नहीं है? यह तो बिल्कुल अलग सवाल है। आप अगली चाल का इंतज़ार करो। स्नेहा: अच्छा ठीक है, इतनी बार आप बाहर खुले में सम्बन्ध बना चुकी हो आपको डर नहीं लगा कि कोई देख लेगा? पंखुरी: देख ले तो देख ले, अपनी पति के साथ ही तो कर रही हूँ, उसमें मुझे क्या शर्म। वैसे उसे भी शर्माने की ज़रूरत नहीं है, देख ले आराम से मैं अपने पति से कैसे प्यार करती हूँ।
स्निग्धा: अच्छा तो आप अपनी बाहर की ऐसे पांच जगह के नाम बताओ जहाँ आपने रोहित के साथ सम्बन्ध बनाए और आपको बहुत मज़ा आया? पंखुरी: मुझे मेरे पति के साथ हर जगह आनन्द की अनुभूति होती है। पर हाँ कुछ यादगार लम्हें बन जाते हैं, ऐसी 10 जगह हैं, पहला नेहरू पार्क, वो मेरा पहला खुले में सम्बन्ध बनाने का अनुभव था। दूसरा अतुल भैया की शादी में धर्मशाला में जहाँ हमारे बगल में पचासों बाराती सोये हुए थे। तीसरा इन्होंने मुझे झूले में भी नहीं छोड़ा था। चौथा ट्रेन में॥ फिर हंसने लगी, पांचवा अभी कुछ दिन पहले आपके यहाँ छत पर, फिर और जोर से हंसने लगी।
सभी लोग बेबाकी से दिए हुए जवाब से स्तब्ध थे। और साथ ही स्निग्धा और स्नेहा जो आज ही जवान हुई थी, उनमें फिर से चुदने की ललक साफ दिखाई पड़ने लगी। तभी मैंने कहा: हाँ पंखुरी, अब कौन से पूछे सवाल? पंखुरी बोली: स्निग्धा, और सवाल विनीत भैया पूछेंगे। स्निग्धा: ओए विनीत, मुझसे अच्छे और आसान सवाल पूछना। विनीत: तो बताओ तुम्हारी ब्रा का साइज क्या है? स्निग्धा अरे यार, ये कोई सवाल हुआ? रितिका: अरे आपसे वाकई कितना आसान सवाल किया है। स्निग्धा: 34 डी ।
मैं (रोहित): हमें भरोसा नहीं है, ब्रा खोल कर दिखाओ। स्निग्धा मुझे घूरते हुए: ये कोई बात नहीं हुई। विनीत: यार रोहित, इनके कच्चे चावल कर दो, ये लोग न सिर्फ खेल बिगड़ेंगी। स्निग्धा गुस्से में उबलते हुए अपना हाथ पीठ के पीछे डाला और ब्रा खोल कर बिना कोई और कपड़ा निकाले, निकाल कर हमारी ओर फेंक दी। स्निग्धा: ये लो देख लो। विनीत ने ब्रा कैच की और उस पर नंबर पढ़ के उसे अपने पास ही साइड में रख दिया। मैंने कहा: अच्छा अब तुम बताओ, किससे सवाल करें और सवाल कौन करेगा। स्निग्धा बोली: अब बारी विनीत की और सवाल में ही पूछूंगी।
विनीत मुस्कुराता हुआ अपना चेहरा नीचे करके सवाल का इंतज़ार कर रहाnथा। स्निग्धा: आपकी बीवी ने खुलकर बताया कि वो क्रिस गेल के साथ एक रात गुज़ार सकती है? पहली बात क्या अगर क्रिस गेल तैयार हो जाता है तो आप उन्हें ऐसा करने देंगे? दूसरा अगर वो भी आपको छूट देती है तो आप किस सेलिब्रिटी के साथ अपनी शाम रंगीन करना पसंद करेंगे? विनीत: हाँ बिल्कुल, मुझे इसमें कोई एतराज़ नहीं है अगर वो क्रिस गेल के साथ बिस्तर गर्म करना चाहेतो कर सकती है। रितिका की तरफ देखते हुए: एक ही ख्वाहिश रहेगी कि वो ये सब कुछ मेरे सामने करे। और दूसरे सवाल का जवाब है कि मैं अपनी एक शाम पूनम पांडे के साथ गुज़रना चाहूंगा। स्नेहा: तुझे बुरा नहीं लगेगा तेरी बीवी किसी और के साथ तेरे ही सामने?
एक लम्बे रुकावट के बाद: ऐसा सिर्फ तुम बोल रहे हो, मैं इस बात से असंतुष्ट हूँ। मैं (रोहित): तो स्नेहा तुम ही बताओ कि वो कैसे इस बात को साबित करे कि तुम इस बात से संतुष्ट हो जाओ। स्नेहा: अब अभी तो कुछ भी साबित नहीं हो सकता न, क्रिस गेल तो यहाँ है नहीं। फिर विनीत की तरफ देखते हुए: इसका मतलब तेरी बीवी को कोई भी हाथ लगाए तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?
विनीत: यार स्नेहा, देख कोई मेरी बीवी को हाथ लगाए और मेरी बीवी को भी अच्छा लगे तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। मैं अपनी बीवी की ख़ुशी से खुश हूँ। स्नेहा रितिका की तरफ देखकर, अगर रोहित तुम्हें हाथ लगाए तो तुम्हें अच्छा लगेगा या बुरा? बोलो? पंखुरी: इस समय सवाल केवल विनीत से किया जा सकता है? रितिका: कोई नहीं पंखुरी, मैं भी देखना चाहती हूँ कि मेरा पति कितना सच बोल रहा है।
स्नेहा विनीत की तरफ देखकर, अब बोल तेरी बीवी ही तेरी बात से संतुष्ट नहीं है। विनीत मेरी तरफ देखकर, भाई मेरी बीवी ही मेरी बात से संतुष्ट नहीं है, अब मैं क्या करूँ? मैं (रोहित): स्नेहा तुम क्या चाहती हो? विनीत तो अपनी बात से मुकर नहीं रहा और कम से कम दो लोग इस बात से अंसतुष्ट है। और कोई है जो विनीत की बात से सहमत नहीं है? हाथ खड़ा करो। शायद पंखुरी भी समझ गई थी कि यही तरीका है जिससे ये दो नई लड़कियों को लपेटे में लिया जा सकता है। तो स्नेहा, स्निग्धा, पंखुरी और रितिका सभी ने हाथ खड़ा कर दिया।
विनीत: भाई तू तो मानता है न कि मैं सही बोल रहा हूँ। मैं (रोहित): मेरे अकेले के मानने से कुछ नहीं होगा यार । पंखुरी: स्नेहा एक काम करो, विनीत भैया को बोलो कि रोहित सबके सामने रितिका को छुएँगे जिसके लिए रितिका भी राज़ी है। अगर विनीत भैया ख़ुशी ख़ुशी ये सब देख पाये तो हम विश्वास कर लेंगे कि ये जो कह रहे हैं वो सही है। क्यूँ ठीक है न रितिका? रितिका ने भी हाँ में सर हिला दिया। स्नेहा: तो विनीत। तू तैयार है कि रोहित रितिका भाभी को हम सबके सामने छुएँगे और तुझे कोई परेशानी नहीं है? विनीत रितिका की तरफ देखकर: रितिका, तुम्हें सच में बुरा नहीं लगेगा अगर तुम्हें रोहित टच करे तो? मैं मन ही मन सोच रहा था कि एक्टिंग तो देखो... साला इन लोगों को तो ऑस्कर मिल जाना चाहिए।
रितिका: हाँ, मुझे ख़ुशी होगी और शायद क्रिस गेल से ज्यादा ख़ुशी होगी अगर रोहित भैया मुझे छुएँ तो, मैं थोड़ा माहौल हल्का करने के लिए हँसते हुए बोला अबे!!! कोई मुझसे भी पूछ लो। मेरा भी तो मन होना चाहिए या नहीं? मैंने सोचा इतनी नौटंकी ये कर रहे हैं तो थोड़ी तो मेरी भी बनती है। रितिका बड़ी अदा से, रोहित भाई, क्या मैं इतनी बुरी दिखती हूँ कि आप मुझे छू भी नहीं सकते। प्लीज देखिये न मुझे? मैं उठकर रितिका के करीब गया । मेरी पूरी नजर दोनों लड़कियों पर ही थी। रितिका का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया और उसकी कमर में हाथ डाल दिया और बॉलीवुड का रोमांटिक का डांस करने लगे।
स्निग्धा ने मोबाइल पर सालसा का म्यूजिक भी लगा दिया। मैं धीरे धीरे रितिका की पीठ सहलाने लगा, मैंने रितिका के गले पर चुम्मा लिया और थोड़ा सा काट लिया। सभी लोग हम दोनों को बड़े ध्यान से देख रहे थे। विनीत ने अपनी बात को साबित करने के लिए जोर से बोला, क्या यार रोहित इतना ठण्डा बर्ताव? रितिका को अपनी बीवी समझो... मान लो कुछ देर के लिए वही पंखुरी है... अब करो डांस । स्निग्धा और स्नेहा दोनों स्तब्ध होकर विनीत की ओर देखने लगी। मैंने रितिका के कूल्हे दबा दिए और दूसरे हाथसे रितिकाके उभारों को मसल दिया। रितिका ने भी मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल के मेरी पीठ को सहलाना शुरू किया।
स्निग्धा धीरे से पंखुरी से बोली, उनकी तो शर्त लगी थी तो बेचारे साबित कर रहे हैं पर आपके सामने आपके पति गैर औरत से गले लगे हुए हैं और देखो उनको कहाँ कहाँ हाथ लगा रहे हैं। आपको भी बुरा नहीं लग रहा, आप कितने आराम से देख रही हो? पंखुरी बोली: मैं भी अपने पति की ख़ुशी में खुश हूँ... और तुमने देखा नहीं वो तब जाकर हाथ लगा पाये जब उन्हें महसूस कराया गया कि वो पंखुरी है। मैंने रितिका की टी-शर्ट निकाल कर हवा में उछाल दी, वो जाकर गिरी पंखुरी के पास फिर उसको वहीं घास पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और अपने होंठों से रितिका के बदन पर हर जगह चुम्मी लेने लगा।
स्नेहा की कांपती हुई आवाज़ आई: भैया, इनकी ब्रा भी निकाल दो! और फिर देखो विनीत भाई कुछ करते हैं या नहीं। इधर से विनीत बोला: भाई, पहले ब्रा नहीं इसकी जीन्स उतार, फिर देख क्या जांघें हैं साली की। इस पर आँखें बंद करके सबके सामने अधनंगी हालत में पड़ी हुई रितिका ने आँख खोल कर गुस्से में विनीत की ओर देखा और मुझे अपने ऊपर से हटा कर लेटे लेटे अपनी जीन्स उतार फेंकी। और फिर मुझे पकड़ के अपने ऊपर खींच लिया। अब रितिका सिर्फ अपनी ब्रा पैंटी में थी और मैं अभी तक कपड़ोंमें ही उसके बदनके साथ खेल रहा था। पंखुरी बोली: अरे आप भी तो कपड़े उतारो... सिर्फ रितिका के कपड़े उतरे हैं। मैंने भी जल्दी ही अपनी टीशर्ट जीन्स और बनियान उतार फेंकी। अब तो गुफ़ानुमा कमरे में सन्नाटा छा गया था।
उनके सामने दो बदन एक दूसरे से इतनी करीब और चिपके हुए थे जैसे लाइव ब्लू फिल्म देख रहे हों। पंखुरी उठकर विनीत के पास गई, उसके कान में कुछ कहा और वापस जाकर अपनी जगह पर बैठ गई। मैंने रितिकाके ब्रा के स्ट्रिप्स को भी उसके कंधे से उतार दिया और उसके कंधे और गले तक उसे बेतहाशा प्यार और चुम्मियाँ करने लगा। मैंने पीठ के पीछे हाथ डाला और ब्रा के हुक भी खोल डाले। जैसे ही ब्रा ढीली हुई और रितिकाने उसे उतार कर फेंका। विनीत मायूस हो गया और दुखी दिखने लगा। स्नेहा तुरंत बोली: रोहित भैया, रुको... विनीत भैया रोने वाला है। फिर विनीत की तरफ देखकर बोली: देखो तुम चाहो तो अपनी बात अभी भी वापस ले सकते हो और अपनी बीवी को रोहित से बचा सकते हो। विनीत बोला: मैं दुखी नहीं हूँ।
इतनी गजबकी एक्टिंग की विनीतने I जिसमें उसके चेहरे पर दुखी होने के भाव साफ़ दिखाई पड़ रहेbथे, वहीं उसके चेहरे पर रोती हुई मुस्कराहट।
स्नेहा बोली: रोहित भैया, ये ऐसे नहीं मानेगा... आप लगे रहो। अगले 2-3 मिनट में ही ये अपने शब्द वापस ले लेगा। अगली बार आपको कोई भी रोके तो मत रुकना बस विनीत कहे तो ही रुकना। मैं फिर से रितिका के ऊपर लेट गया और अपने हाथों से रितिका के बूब्स भी मसलने लगा। अब मेरे लिए भी कंट्रोल करना मुश्किल था, मैंने अपने होंठ रितिका के होंठों पर रख दिए और उसके होंठों से टपकती शराब को पीने लगा। उसके होंठों में नशा ही इतना था कि शराबमें क्या होगा? मुझे पर कामदेव प्रसन्न होने लगे थे, मैं अपने होंठों को उसकी गर्दन से होते हुए उसके बूब्स पर ले आया और उसके निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से छेड़ते हुए चूसने लगा और दूसरे निप्पल को अपनी उंगली से सहला रहा था।
विनीत की शक्ल पर बारह बजे हुए थे जिसको देख स्निग्धा और स्नेहा बोली: अरे कितना इंतज़ार कराओगे? कर दो भाभी को नंगी... हम भी तो लाइव ब्लू फिल्म देखेंगे। आज तक जो टीवी और मोबाइल पर देखने को तरसते थे वो आज लाइव देखने का मौका मिल रहा है। क्यूँ है न विनीत भैया... आपकी बीवी की चुदाई आपके सामने हो रही है और आप कुछ नहीं कर सकते। ये दोनों ही लड़कियाँ विनीत को भड़का रही थी, जिससे विनीत हार जाए। पर यही तो हमारे खेल की और उनकी एक्टिंग की साजिश थी। विनीत चुप रहा और डबडबाती आँखों से तमाशा देखने लगा।
मैं अपनी जीभ को रितिका के बदन पर सरकता हुआ उसके बूब्स के उसकी नाभि तक आ गया। नाभि पर रितिका को चूमा और अपने दोनों हाथ से रितिका के बूब्स पकड़ कर धीरे धीरे मसल रहा था। मैं सरकता हुआ थोड़ा और नीचे आया तो रितिका की जालीदार पैंटी के करीब थे मेरे होंठ। उसकी पेंटी के ऊपरी भागको दांतसे पकड़ा और नीचे सरक कर उसकी पेंटी उतारने की कोशिश करने लगा। पेंटी को दांत से पकड़ने की कोशिशमें रितिका के बदनके उस हिस्से पर भी थोड़े दांत लग गए थे। रितिका आँखें बंद करी हुई अपने हाथों को पूरा सीधा सर के ऊपर किये हुए अपने धीरे धीरे पाँव चला रही थी और अपने पूरे बदन को लहरा रही थी। कामाग्नि में तड़पती हुई रितिका की हालात इस समय पानी से निकाली हुई मछली की भाँति थी, वो हिल रही थी, वो मटक रही थी पर बेचारी बोल कुछ नहीं पा रही थी। उसे डर था कि हम लोगों का राज़ कहीं खुल न जाए।
मेरी कोशिश थी कि रितिका की पेंटी को उतार फेंकूँ पर दांतों से उसे निकाल पाना थोड़ा मुश्किल था, मैंने अपने दोनों हाथ से उसकी पेंटी नीचे की तो रितिका ने भी अपने चूतड़ उठा कर उसमे मेरा साथ दिया। ताज़ी ताज़ी वैक्स की हुई चिकनी टांगों से सरकाते हुए मैंने रितिका की पेंटी को रितिका से अलग कर दिया। रितिका अब पूरी तरह नंगी और कामवासना से तड़पती हुई मेरे सामने हिचकोले खा रही थी। स्नेहा ने मवालियों वाली सीटी बजाई और बोली वाह जी वाह, क्या नजारा है। अब ज़रा आपके उस्ताद के भी दर्शन हो जाते तो बस मजा आजाता। बोलतेके साथही उसे महसूस हुआ कि उसने कुछ ऐसा बोल दिया है जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी।
विनीत बोला: लगता है तुझे रितिका को मेरे सामने चुदवाने की इतनी तमन्ना नहीं जितनी खुद चुदने की इच्छा हो रही है। मेरे सामने मेरी बीवी तो क्या अगर बहन भी चुद जाये तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। बस मैं इतना ही कहना चाहता हूँ।
स्नेहा अपनी कामवासना के आगे बेबस और उसके ऊपर होने वाले हमले से निराश होकर झुंझला कर बोली: तुम्हारी बीवी तुम्हारे भाई की बाँहों में हम सबके सामने नंगी पड़ी है और तुम अपनी जगह से हिले नहीं हो, यह बात प्रूव करती है कि तुम अपनी बीवी की इच्छा के लिए कुछ भी कर सकते हो... पर क्या तुम सच में खुश हो? तुम्हारे चेहरे पर तो मातम छाया हुआ है। तुम मेरी बात करते हो? मुझे अगर सिर्फ अधनंगी हालत में भी अगर किसी और मर्द ही बाँहों में देख लिया तो तुम्हारी जान निकल जाएगी।
इधर इन बातों में दिमाग न लगाते हुए मैं भी अब तक पूरी तरह नंगा होकर रितिका की चिकनी टांगो पर अपने लंड से रगड़ कर रहा था। रितिकाके मुंहसे सिसकारियाँ फुट रही थी। तभी गुस्से में स्नेहा हमारी तरफ आई और बोली: भैया आप मेरे बदन के साथ खेल सकते हो या नहीं? मैंने कहा: खड़े लंड पर अगर कोई भी लड़की आकर खुद पूछे कि मेरे बदन से खेलना चाहोगे तो कौन चूतिया है जो मना करेगा। यहाँ के इतने गरम माहौल को देख स्निग्धा भी अपने आप को न रोक सकी और उसने अपनी पेंटी में हाथ डाल कर अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
तभी जैसे एकदम सब कुछ बदल गया जब रितिका बोली: हाँ मैं मान गई कि मेरा पति मेरे लिए कुछ भी कर सकता है। आई लव यू विनीत। बोल कर उठी और विनीत की बाहों में चली गई। विनीत ने किसी फ़िल्मी हीरो की तरह रितिका को अपनी बाहों में भरा हुआ था। मैं भी उठा और जल्दी से अपनी अंडरवियर पहन ली और ऐसे ही जाकर अपनी जगह पर बैठ गया। स्निग्धा ने भी अपनी पेंटी से अपने हाथ बाहर निकाल लिए और स्नेहा भी अपनी जगह पर जा बैठी।
मैंने सिगरेट जलाई और अपने पेग को एक घूंट में खत्म करके पूछा: हाँ तो अब किसी बारी है? विनीत बोला: अब मेरी बारी है, जबाब देना है तुझे और सवाल पूछूँगा मैं । मैंने कहा: हाँ भाई पूछ, तेरा सवाल मुझे पता है और जवाब भी तैयार ही है। विनीत बोला: तुझे इस बंगले के बारे में इतना सब कैसे पता है? क्या तू पहले भी यहाँ आ चुका है? आखिर सीन क्या है बॉस? मैंने कहा: मुझे पता था कि तेरा सवाल तो यही होगा। हाँ, मैं पहले भी यहाँ आ चुका हूँ। यह बंगला किसी और का नहीं, मेरा ही है। इसलिए मुझे इसके बारे में सब पता है। विनीत बोला: बहनचोद कमीने, इतनी बड़ी बात तूने साले मुझे आज तक नहीं बताई? तू तो लोड़ू करोड़पति आदमी है। मैंने कहा: इसीलिए नहीं बताई थी क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि तुम मेरे बारे में इस तरह सोचो। मैं चाहता था कि तुम मुझसे जैसे पहले मिलते थे वैसे ही मिलो। लो बहनचोद एक सवाल से तो मैंने अपने आप को बचा लिया, अब सवाल करूँगा मैं और जवाब देना है स्नेहा को।
स्नेहा बोली: हाँ भैया पूछो बिंदास जो पूछना चाहो। मैं: जब मैं तेरी भाभी पर नंगा पड़ा हुआ था तो तूने आकर कहा कि क्या आप मेरे बदन से खेल सकते हो? क्या तुम अपने भाई भाभी और फ्रेंड जैसी बहन के सामने मेरे साथ ऐसा खेल खेल सकती थी? स्नेहा: शायद हाँ! विनीत गुस्से में: शायद नहीं!! हाँ या ना? स्नेहा आँखें तरेरते हुए: हाँ... स्निग्धा: तुझे भी प्रूव करना पड़ेगा कि तू ऐसा कर सकती है। स्नेहा: मैं तैयार हूँ। मैं: तो फिर देर किस बात की है आजा मेरी बाँहों में... तेरी भाभी ने मुझे गर्म कर दिया, तेरे बदन से अपनी गर्मी शांत कर लूंगा। मैं काम वासना में इतना बह चुका था कि मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मैं किसके सामने क्या बोल रहा हूँ। लंड पूरी तरह अकड़ चुका था और उसे केवल एक चूत की दरकार थी।
स्निग्धा: आप तो ऐसे बोल रहे हो जैसे आप अपनी बहन को सबके सामने प्यार कर सकोगे? मैं: मैं ये सब कुछ नहीं मानता, अगर मेरी बहन को मेरी ज़रूरत है और मैं उसे पूरा कर सकता हूँ तो बस कर दूंगा। सारे रिश्ते हम लोगो ने यही धरती पर आकर अपनी सुविधा के लिए बना लिए है। बाकी एक लड़की और एक लड़का एक-दूसरे की ज़रूरतों को शांत कर लेना चाहिए। स्नेहा शरारती मुस्कान के साथ, स्निग्धा अगर तुझे भी कोई ज़रूरत हो तो तुम मुझे ज्वाइन कर सकती हो।
इतना बोलते हुए स्नेहा मेरी तरफ बढ़ी और आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गयी। उसने आते ही मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया था, फिर उसने जल्दी ही मेरी अंडरवियर को उठाकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी हथेली के बीच रखकर मेरे लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी। स्निग्धा हमारी तरफ बड़ी गौर से देख रही थी, मैंने अपनी गांड उठा रखी थी जिससे मेरे जांघिए को उतारा जा सके। पर अभी स्नेहा की चुदाई का उतना अनुभव नहीं था इसलिए वो सिर्फ मेरे लंड को हिलाने का काम कर रही थी, मैंने अपने ही हाथ से अपने कच्छे को उतार लिया अब मैं सबके सामने पूरा नंगा था।
मैंने स्निग्धा को भी अपने पास आने का इशारा किया। स्निग्धा सब लोगों की तरफ देखकर मेरे पास धीमे कदमों से बढ़ने लगी। स्नेहा ने अब मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया था, मेरी आँखें बंद हो रहीथी और मैं कोशिश कर रहा था कि मेरी आँखें खुली रहे क्योंकि स्निग्धा को भी तो अपने पास बुला लिया था। स्निग्धा जैसे ही मेरे करीब आई मैंने उसे अपने बगल में बैठाया और उसके कान को अपने करीब लाया और कहा: तुम भी हमारे साथ आ जाओ और अपनी चूत की आग को बुझा लो। स्निग्धा बोली: हाँ, मेरी चूत में बहुत आग लगी है पर इतने लोगों के सामने हिम्मत नहीं पड़ रही। मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाला तो अंदर कुछ नहीं था। मैंने उसके चूचे दबा दिए और पूछा: तुमने अंदर कुछ नहीं पहना?
स्निग्धा बोली: पहले सवाल में ही मेरी ब्रा उतरवा ली गयी थी और मुझे वापस दी ही नहीं। मैंने कहा: तुम भी नंगी हो जाओ और आ जाओ, चुदवा लो। स्निग्धा के टॉप को ऊपर करके उसे नंगा करने की कोशिश करने लगा। स्निग्धा ने अपनी नजरें नीचे करके अपने हाथ उठा दिए जिससे टॉप उतारना आसन हो जाये।
स्नेहा लंड को मुंह से बाहर निकाल कर बोली: अरे वाह भैया, आज तो आपकी किस्मत बहुत जोरों पर है। रितिका भाभी के बदन से खेले, मेरे से लंड चुसवा रहे हो, स्निग्धा को भी लगभग नंगी कर ही दिया है, और पंखुरी भाभी तो आपकी जागीर ही है, उनके साथ तो ये सब आपका हक़ ही नहीं कर्तव्य भी है। आज तो चार चार चूत के मजे कर लिए आपने। मैंने कहा: रितिका तू भी आ जा तूने मुझे उकसा कर छोड़ दिया, यह अच्छी बात नहीं है। पंखुरी तू क्यूँ कोने में कपड़े पहने बैठी है। तू भी आ जा तेरे बदन से खेलने दे। मेरी तमन्ना है कि मेरे आस पास चार चार चूतें हो और मैं सबकी जी भर के चुदाई करूँ।
रितिका भी करीब आते आते फिर से नंगी हो गई। पंखुरी भी उठी और कपड़े उतार कर मेरे करीब आ गई, पंखुरी ने आते ही बोली: स्नेहा हटो और कपड़े उतारो... तब तक रोहित का लौड़ा में चूस लेती हूँ। इधर बेचारा विनीत अभी तक कपड़ों में ही था और बैठा बैठा हम सबको चुदाई के लिए तैयार होते देख रहा था। स्नेहा तीन लड़कियों को पूरी तरह नंगा देखकर अपनी शर्म हया भुला कर बोली: हाँ भाभी, आप चूसो, मैं कपड़े उतार लूँ, अब तो ये कपड़े मुझे काट रहे हैं। मुझेभी आपकी तरह आज़ाद और नंगी होना है।
स्नेहा खड़े होकर अपने कपड़े निकालने लगी और पंखुरी मेरे लौड़ेको चूसने लगी। स्निग्धा बोली: यार रोहित ऊपर ही चलते हैं न... यहाँ घास में मजा नहीं आएगा। आप तो हम सबके ऊपर रहोगे और हम लोगों को घास मे अपनी कमर छिलवानी पड़ेगी। मैंने कहा: चलो ऊपर चलते हैं, सब साथ में चलते है और नंगे ही चलेंगे बाद में आकर कपड़े उठा लेंगे। मैं सभी को उसी रूम में ले गया जहाँ आज सुबह मैंने स्निग्धा की चुदाई का उद्घाटन किया था। विनीत ने पेग बोतल सिगरेट और चखना पकड़ा हुआ था और हम लोगों के पाँच जोड़ी चूतड़, जिनमें दो उसकी बहनों के थे, देखते हुए पीछे पीछे चल रहा था। जैसे ही उस कमरे में हम लोग दाखिल हुए, मैंने रिमोट से लाइट्स डिम कर दी और धीमी आवाज़में म्यूजिक भी ऑन कर दिया।
अब सिर्फ विनीत को नंगा करना बाकी था, मैंने कहा: विनीत यार, हम सब नंगे और तू अकेला कपड़े पहना अच्छा नहीं लग रहा। तू भी कपड़े उतार और आ जा, यहाँ रितिका तो है जो तेरे बदन से खेल लेगी और तू चाहे तो पंखुरीको भी छू सकता है। जब मैंने तेरी बीवी को छुआ तो तू भी मेरी बीवी को छू सकता है। विनीत तो जैसे इंतज़ार में ही था, विनीत भी नंगा होकर मेरे बिल्कुल बगल में लेट गया। मैंने पंखुरी से कहा: पंखुरी ज़रा मेरे भाई विनीत के लंडको चूस लो। पंखुरी इतराते हुए बोली: जो हुकुम मेरे आका। मैंने रितिका को आदेश दिया: रितिका जाओ अपने पतिके मुंह पर बैठ जाओ और अपनी चूत गीली करा के आओ।
मेरी ऐसी बातें स्निग्धा और स्नेहा को अच्छी भी लग रही थी और उन्हें मेरी हर बात पर दांतों तले ऊँगली दबा लेने जैसा लग रहा था। वो यही सोच रही थी कि ये आदमी किसी से कुछ भी बोलता है वो सब मान जाते हैं बिना सवाल जवाब के। खैर स्नेहा फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और स्निग्धा को मैंने अपने मुंह पर बैठा लिया और उसकी चूत चाटने लगा। थोड़ी देर बाद मेने स्निग्धा को अपने मुंह से हटाकर बोला: स्निग्धा अब तुम लंड चूसो और स्नेहा तुम मेरे मुंह पर बैठ जाओ। दोनों तुरंत अपनी अपनी जगह चली गई। विनीत ने भी पंखुरी को अपने मुंह पर बैठने के लिए बुला लिया और रितिका को लंड चूसने भेज दिया।
अब मैंने देखा कि दोनों ही लड़कियाँ चूत चटवाने के बाद कामाग्नि में लपटों में जल रही थी। इसी का फायदा उठकर मैंने कहा: रितिका तुम मेरा लंड चूसो और स्निग्धा तुम विनीत का। स्निग्धा की आँखें बड़ी हुई पर रितिका ने आँख मार के शायद उसे इशारा किया कि 'मजे मार यार... ज्यादा सोच मत!' अब स्निग्धा विनीत का लौड़ा चूसने लगी और रितिका मेरा। मैंने फिर से कहा: पंखुरी आ जा मेरे मुंह पर बैठ जा और स्नेहा तू विनीत के मुंह पर बैठ जा। स्निग्धा की देखा देखी उसने सोचा कि जब स्निग्धा चली गई तो वो क्यूँ नहीं जा सकती, स्नेहा विनीत के मुंह पर बैठकर सिसकारियाँ मारने लगी।
अब जब कलई खुल ही गई थी तो मैंने कहा: स्नेहा अब तुम लेट जाओ और स्निग्धा तुम भी, रितिका तुम स्निग्धा के बूब्स दबाना और चूमना, और पंखुरी तुम स्नेहा के। स्नेहा के नीचे लेटते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड स्नेहा की चूत पर सेट कर दिया। रितिका स्निग्धा के सर की तरफ बैठ गई और स्निग्धा के बोबे और होंठों को निचोड़ने लगी। वहीं स्निग्धाके ऊपर विनीत चढ़ गया और पंखुरी स्निग्धा के करीब और बगल में लेट गई और स्निग्धा के बदन से खिलवाड़ करने लगी। मुझे तो बिलकुल डायरेक्टर वाली फीलिंग आ रही थी। विनीत पूरे दिल से भूखे शेर के तरह स्निग्धा की चूत पर बरस पड़ा और झटके से अपना लंड स्निग्धा की चूत में फिसला दिया।
मैंने भी स्नेहा की चूत में अपना लंड घुसा दिया था, मैंने धक्के लगाते हुए बोला: क्या यार, तुम लोग रोबोट की तरह सिर्फ मेरे अनुदेश का पालन कर रहे हो? दोस्तो, एन्जॉय करो यार... मजे लो... आनन्द उठाओ। स्निग्धा तुम रितिका की चूत में उंगली करो, और स्नेहा तुम पंखुरी के जिस्म से खेलो। क्या सब बात मुझे ही बोलनी पड़ेंगी? विनीत बोला: रोहित यार, जब से मैंने स्नेहा के नंगे बदन को देखा है तब से ऐसी आग लगी है कि बता नहीं सकता। मुझे उसकी चूतमें लंड डालना है। विनीत काफी देर से कुछ नहीं बोला था।
स्नेहा बोली: आ जा भाई, आ जा... मैंने काफी देर से तेरी आँखों में मेरे बदन के लिए हवस देखी है... तू आजा मेरे ऊपर और नोच डाल अपनी सगी बहन के बदन को । मैं स्नेहा की चूत से लंड बाहर निकाल चुका था। इधर स्निग्धा के चूत में मैंने लंड डाला उधर स्नेहा विनीत के लंड को अपनी चूत में डलवा कर चुदाई के आनन्द के परम सुख को प्राप्त करने की कोशिश में सिसकारियाँ भरती हुई कह रही थी: विनीत भाई, तेरा लंड कितना अच्छा है। तू अपनी बहन को शादी तक रोज़ चोदना, अपनी बीवी के बगल में सुला लेना मुझे फिर रात भर अपनी बीवी रितिका और मेरी चुदाई करना।
स्नेहा की मदमस्त बातों में सभी मस्त हो गए थे और चुदाई का आनन्द लेने लगे। सभी को बारी बारी से चोदा सब साथ में नंगे ही सोये।
फिर मैं जो सस्ती व्हिस्की लाया था उसको एक टब में निकाल कर सभी को बारी बारी से उस टब में बैठाया जिससे चौड़ी हो गई चूत वापस से सिकुड़ जाये और व्हिस्की से इन्फेक्शन वगैरह का भी डर खत्म हो जाता है।
फिर वापस जाते वक़्त गाड़ी में भी हम लोगों ने बहुत मस्ती की।
अब भी हम सब जब मिलते हैं तो मस्ती मारते हैं।
समाप्त
हमारी आवाज़ जब आना बंद हो गई थी तभी ये लोग समझ गए थे कि चुदाई खत्म हो चुकी है इसलिए कपड़े पहने हुए ही एक दूसरे के बदन से खिलवाड़ कर रहे थे। मेरे आतेही बोले: क्यों, बड़ी ज़बरदस्त चुदाई मचाई तुमने... इतनी आवाज़ें? इतनी बेचैनी चुदाईमें? मैंने कहा: चल विनीत, कुछ खाने को लाते हैं, बड़ी भूख लगी है। सभी लोग शरारती मुस्कान में बोले: हाँ मेहनत की है तो भूख तो लगेगी ही। मैं और विनीत फटाफट गाड़ी में बैठे और चल पड़े करीबी ढाबे की तलाश में।
विनीत बोला: कैसी लगी स्नेहा? मैंने कहा: यार वो तो कमाल ही है। उसकी चुदाई तो बनती है, कुछ नहीं तो कम से कम उसे एक बार नंगी कर के देख, इतनी खूबसूरती अंदर छुपा के रखी है उसने, मस्त एकदम! विनीत बोला: उसका पानी तो होगा अभी तेरे लंड पर?.मैंने कहा: नहीं यार, मुझे लंड धोना पड़ा क्योंकि खून बहुत निकला उसका! विनीत बोला: कोई नहीं, तू कुछ तो सोच ही रहा होगा जिससे ये दोनों ऑलमोस्ट कुंवारी चूत मुझे भी मिल जाएँ। मैंने कहा: हाँ रे गांडू, तेरे लिए भी सोच रहा हूँ, तू पहले सिगरेट जला!
विनीत सिगरेट जलाता रहा और मैं सोच रहा था कि अब ऐसा क्या करूँ कि हम सब एक साथ चुदाई कर सकें। चार लड़कियाँ और दो लड़के, कैसे करूँ क्या करूँ? तभी मैंने एक ठेके पर गाड़ी रोकी, वहाँ से मैंने सस्ती शराब की एक पूरी क्रेट और अच्छी व्हिस्की की दो बोतल ले ली। उसी के बाजू में एक ढाबा भी था, वहाँ से खाने के लिए मुर्गा और रोटियाँ चावल पैक करा लिया और वापस फार्म हाउस पर आ गये। जब हम वापस लौटे तो सभी लेडीज साथ में बैठी हुई गपशप में मशरूफ थी। अभी शाम के 4 बजे थे, मैंने कहा: चलो सभी लोग आ जाओ, थोड़ा थोड़ा खा लेते हैं।
मैंने आते ही टेबल पर पूरा खाना रख दिया, व्हिस्की की बॉटल्स भी टेबल पर रख दी। कोई किसी से कुछ नहीं बोला। सभी ने थोड़ा थोड़ा कुछ खाने के बाद सोचा कि चलो पास के जंगल और गाँव के सैर कर लें। स्निग्धा बोली: चलो, आस पास जो भी कुछ देखने लायक हो घूम कर आते हैं। मैंने कहा: चलो सब लोग तैयार हो जाओ, थोड़ा घूम कर आते हैं। कुछ ही देर में सभी लड़कियाँ तैयार होकर गाड़ी में सवार हो गई। मैं और विनीत आगे बैठे और बाकी सभी लड़कियाँ पीछे बैठ गई। अब लंड की खुमारी कुछ हद तक मिट गई थी इसलिए हम दोनों आगे बैठे थे।
घूमना तो बहाना था, अपने लंड को थोड़ा आराम देना था जिससे अगली चुदाई चाहे किसी की भी हो, मजा लूट सकें। घूमते हुए हम लोग एक कुएं के पास पहुँचे, उसके ऊपर एक बहुत बड़ा और घना बरगद का पेड़ लगा था। उससे थोड़ी ही दूरी पर दो तालाब दिखाई पड़ रहे थे। एक तालाब का पानी काफी साफ़ और स्वच्छ था, वहीं दूसरे तालाब का पानी काला और गन्दा दिख रहा था। दूर दूर तक कोई कुत्ता भी नजर नहीं आ रहा था, सिर्फ हम 6 लोग ही वहाँ पर अपनी अपनी बातों में मशरूफ इधर उधर करके फोटो क्लिक कर रहे थे।
स्निग्धा और स्नेहा दोनों के चेहरे पर असीम शान्ति का भाव था, वहीं उनकी चाल थोड़ी डगमगा रही थी। जब भी उन्हें लगता कि कोई समझ न जाए कि उनकी चाल गड़बड़ा रही है, वो अपनी ऊँची हील की सेंडल को दोष दे देती और कहती यहाँ काफी गड्डे हैं। बाकी तो सभी जानते थे कि चाल क्यों ख़राब है इसलिए कोई भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था और वो दोनों इस बात से काफी खुश थी। मैं मौका देखकर चारों ही लड़कियों के साथ थोड़ी बदमाशी कर देता। उसे भी सभी नजरअंदाज कर देते मुझे सिर्फ स्नेहा के सामने स्निग्धा से और स्निग्धा के सामने स्नेहा से ही पर्दा रखना था जो आसानी से कर पा रहा था।
स्नेहा बोली: चलो न उस अच्छे तालाब के करीब चलते हैं। मैंने और विनीत ने यह सुनते ही 15 साल के लड़कों की तरह दौड़ लगाना शुरू कर दी। दौड़ लगाते लगाते हमने अपने टी-शर्ट तो उतार ही फेंकी और सबसे पहले तालाब के करीब पहुँच गए थे। स्नेहा और स्निग्धा दौड़ नहीं सकती थी इसलिए आराम आराम से ही आ रही थी और पंखुरी और रितिका भी उनके साथ धीरे धीरे चलकर आती दिखाई पड़ी।
मैंने सिगरेट जलाई और विनीत को दी। विनीत बोला: यार रोहित, आज रात सोना नहीं है। चार चार लड़कियाँ हैं, इनको बजाएंगे। मैंने कहा: बात तोतेरी ठीक है, पर साला कोई खुराफात ही नहीं आ रही दिमाग में जिससे ये सारी की सारी लड़कियाँ एक बिस्तर पर नंगी लिटा सकूँ। तेरे दिमाग में कोई झनझनाता विचार हो तो बता?
विनीत बोला: यार दिमाग तो तुझे ही चलाना पड़ेगा, तेरी चुदाई की आवाज़ें सुन सुन के मेरा सारा खून टांगों के बीच आ चूका है। अब दिमाग नहीं चल रहा। रात तक अगर तू कुछ कर पाया तो ठीक वर्ना मैं तो चोदन कर दूँगा दोनों नई चूतों का। तब तक सभी लड़कियाँ भी आ गई थी। विनीत ने रितिका को धक्का दिया और पानी में गिरा दिया। पंखुरी बोली: अरे आप कैसे करते हो, उसके लग जाती तो? विनीत बोला: सॉरी भाभी, बोलते बोलते थोड़ा करीब आया और हँसते हुए पंखुरी को भी पानी के अंदर धक्का दे दिया। इधर स्निग्धा और स्नेहा अपने आप ही पानी में उतर गई । विनीत और मैं भी अब पानी में थे।
विनीत का भी खून काफी गर्म था इसलिए वो बार बार अपने बदन से सभी लड़कियों को छूने की कोशिश करता रहता। ठन्डे पानी में डुबकी लगाकर कभी किसी की गांड में ऊँगली कर आता तो कभी किसी की चूत में। मस्ती करते हुए काफी देर हो गई और अब अँधेरा होने लगा था, हम लोग पानी से बाहर निकले पर बिना तैयारी के आये थे हम लोग तो किसी के भी पास कोई टॉवल या बदलने के लिए कपड़े नहीं थे तो बस अब ठिरठिराते हुए हम लोग वापस जाने लगे। गाड़ी तक वापस आकर हमने जल्दी ही वापस फार्म हाउस की और रुख कर लिया, हम जल्दी ही फार्म हाउस पहुंच गए। अंदर जाकर सभी अपने अपने कमरों में चले गए। सभी लोग शावर लेकर चेंज करके बाहर आ गये। हम सभी लोग बाहर के कमरे में बैठकर टीवी देख रहे थे।
स्नेहा आई और उसने टीवी बंद कर दिया, इससे पहले कि वो कुछ बोले, मैंने कहा: तू न बचपना बंद कर ले, अभी तुझे बचाने वाला भी कोई नहीं है। बचपन में सभी भाई बहन टीवी और रिमोट के लिए तो लड़ते ही है। बस वही याद आया था मुझे कि शायद वो लड़ने का बहाना ढूंढ रही है। पर वो बोली: अरे यार, टीवी तो घरों में देखते ही हैं। यहाँ सब लोग हैं तो बातें शातें करते हैं, टीवी घर जाकर देख लेंगे। सभी को बात ठीक लगी तो पंखुरी बोली: यार वो सही कह रही है, चलो न सब लोग मिलकर कुछ बातें करें, कुछ गेम्स (आँख मारते हुए) वगैरह खेलें। रितिका बोली: हाँ चलो आप सब लोग अपने बचपन के किस्से सुनाओ। मैंने कहा: अच्छा ठीक है चलो बातें करते हैं। विनीत बोला: तो एक काम करते है, अंदर किसी कमरे में चलकर बातें करते हैं, यहाँ तो सब कोई अलग अलग बैठा है। यहाँ तो कोई सोफे पर है तो कोई जमीन पर। मैंने कहा: चलो तुम्हें एक बेहतरीन कमरे के दर्शन कराता हूँ, हम सब वह आराम से बैठ के बातें कर सकते हैं। मैंने कहा: विनीत तू बोतल उठा, रितिका तुम चखना, पंखुरी तुम पेप्सी कोक वगैरह।
सबको कुछ न कुछ उठाने को बोलकर मैं हाथ हिलाता हुआ चल दिया। सीढ़ियों के नीचे एक टेबल पर लैंप था, मैंने कहा थोड़ा झुककर निकलना। उस लैंप को मैंने घुमाया तो उसके बीचों बीच एक नंबर डायल करने के लिए कैलकुलेटर नुमा चीज़ आ गई मैंने उसमे कोड डाला तो सीढ़ियों के नीचे एक दरवाज़ा खुला दरवाज़ा खुलते ही लोग दरवाज़े की ओर न देखते हुए मेरी तरफ देखने लगे। विनीत बोला: साले, तुझे कैसे पता ये सब? मैंने कहा: तू नीचे तो चल!मैं सबसे आगे गया और सीढ़ियाँ उतरने लगा। नीचे की इस जगह को एक कमरा या हाल कहना गलत होगा। ये पूरा कमरा एक जंगल थीम पर तैयार किया गया था, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे की जंगल की किसी बड़ी सी गुफा में आ गये हों।
सभी लोग मेरे पीछे सामान पकड़े बिना कुछ बोले चुपचाप चल रहे थे और इधर उधर नजर घुमा कर इस जगह का अवलोकन कर रहे थे। तो इस बड़ी सी जंगल की गुफामें एक कोने पर ऊपरसे नुकीले चट्टान दिख रही थी और वहीं से पानी भी आ रहा था जिससे कमरे की बिल्कुल बीचों बीच एक तालाब नुमा छोटा सा पानी का चश्मा दिख रहा था। गुफा के हर कोने पर और कई जगह पर मशालें जल रही थी जिससे कुछ साफ़ दिखाई तो नहीं पड़ रहा था पर हाँ दिख रहा था। चश्मे के उस तरफ बैलगाड़ी में लगने वाली बग्गी थी जिस पर सुखी घास बिखरी हुई थी। उसी के बगल में एक और काफी ऊँची घास का ढेर भी लगा हुआ था।
ऐसी जगह को देखकर स्नेहा और स्निग्धा बोली: आप तो टीवी ही देखो, हमें कहाँ यहाँ जंगल में ले आये। हमें डर लग रहा है। पर विनीत की ठरक ने तेजीसे काम किया और वो बोला: अरे तुमने देखा नहीं, हम लोग घर के अंदर ही है। इस कमरे को कितने अच्छे से बनाया गया है कि जंगल लगे। और वैसे भी घरों पर नार्मल सोफे पर तो रोज़ बैठकर बातें करते हैं। जब घूमने आये है तो चलो क्यूँ न जंगल का मज़ा लिया जाए। और यह सेफ भी है क्योंकि है तो घर के अंदर। उन लोगों को जवाब देने से पहले ही मेरी तरफ मुड़ा और बोला: अब तो बता दे तुझे कैसे पता कि इस घर में कहाँ क्या है और उसका कोड क्या है? मैंने कहा: तू आम खा... गुठलियाँ तो मेरे लिए छोड़ दे।
विनीत जिद करने लगा तो मैंने कहा: चलो ठीक है, आज का गेम यह है कि कोई किसी से भी किसी भी तरह का सवाल कर सकता है और उसे सच सच जवाब देना होगा। रितिका बोली: तो आप ही से शुरू करते हैं? बताओ आपको कैसे पता... मैं उसकी बात पूरी होने से पहले ही बीच में बोला: सबसे पहले चश्मे के उस तरफ चलो और चलकर सब अपनी तशरीफ़ उस घास पर रखो । सभी लोग उस तरफ जाने लगे। 'और दूसरी बात यह है कि गेम मैंने शुरू किया है तो सबसे लास्ट में ही होऊँगा जो जवाब देगा। तो सबसे पहले कौन है जो मैदान में आना चाहता है।' कोई कुछ नहीं बोला पर हम सब घास तक पहुँच चुके थे।
मैं जाकर बैलगाड़ी वाले गाड़ी पर बिछी घास पर लेट गया। रितिका बोली: ओके मैं तैयार हूँ, आप मुझसे कुछ भी पूछ सकते हो। मैंने कहा: मैं नहीं, सभी लोग मिलकर निर्णय लेंगे कि आखिर सवाल पूछेगा कौन? और हाँ आपको सवाल तब तक पूछा जायेगा जब तक सभी आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हो जाते। पिछले तीनों खिलाड़ी तो चेहरे से संतुष्ट दिखाई पड़ रहे थे, उन्हें तो पता ही था कि खेल चाहे जो हो, यहाँ चुदाई तो होगी ही और मज़ा आएगा। पर बेचारी नई कलियाँ स्निग्धा और स्नेहा आने वाले खेल का न ही अंजाम जानती था, साथ ही थोड़ी घबराहट भी चेहरे पर साफ़ दिखाई पड़ रही थी।
इसी बीच मैंने कहा: सवाल पूछने के लिए मैं पंखुरी को नियुक्त करता हूँ जो रितिका से सवाल करेगी और रितिका के जवाब से अगर कोई असंतुष्ट होता है तो वो उसके आगेके सवाल कर सकता है। स्निग्धा और स्नेहाभी जिज्ञासु दिखाई दिए कि आखिर खेल समझने का मौका तो उन्हें मिलेगा ही और साथ ही यह भी देखना है कि सवाल किस तरह के होते हैं।
इधर विनीत ने बोतल खोल ली थी और अब तक दो पेग बना चुका था, बाकी चखने का आइटम भी खुल गया था। पंखुरी: रितिका, यह बताओ कि किसी सेलिब्रिटी के साथ रात गुजरने को मिले तो तुम ख़ुशी ख़ुशी उसके साथ सोने के तैयार हो जाओगी? और थोड़ा खुल कर बताओ कि वो दिन और रात तुम कैसे गुज़ारना पसंद करोगी? पंखुरी के मुंह से ऐसे सवाल को सुनकर स्निग्धा और स्नेहा के कान गर्म हो गए, वो दोनों एक दूसरे को देख रही थी।
रितिका थोड़ा सोचकर: मैं क्रिस गेल के साथ अपनी एक शाम गुज़ार सकती हूँ। और मेरी दिन और रात से कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। वो मैं अपने सेलिब्रिटी के हाथ में छोड़ती हूँ, वो मुझसे जैसे चाहे व्यवहार कर सकता है। विनीत: तुम्हारी पसंद क्रिस गेल!! क्यूँ है? उसमें तुम्हें क्या अच्छा लगा? रितिका द्वि अर्थी अंदाज़ में: उसका साइज ... फिर थोड़ा मुस्कुराकर, मतलब उसकी कद काठी। स्निग्धा और स्नेहा थोड़ा सा हल्का महसूस कर रही थी और इस तरह की वार्तालापके कारण शायद अब वो थोड़ी गर्म होना शुरू हो गई थी।
स्निग्धा थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए: पर भाभी आपको नहीं लगता कि वो राक्षस आपको मसल डालेगा? रितिका सवाल खत्म होनेसे पहले ही: यहीतो असल बात है, मैं चाहती हूँ कि मुझे कोई ताकतवर आदमी मसल डाले... फिर चाहे मैं जिन्दा भी न बचूँ तो भी चलेगा, और हंसने लगी। सभी एक दूसरे की शक्ल देखने लगे कि कोई और सवाल पूछने वाला है क्या। तब मैं बोला: रितिका ने सभी को अपने जवाब से संतुष्ट कर दिया और बहुत अच्छी पारी खेली। अब अगले शख्स का नाम रितिका बोलेगी।
रितिका बोली: भाभी... मैंने कहा: यहाँ कोई भाभी नहीं है। नाम बोलो कौन? रितिका बोली: पंखुरी, पंखुरी: मुझे पता था तुम मेरा ही नाम लोगी, पूiछो क्या पूछना चाहती हो? रितिका: हाँ तो भाभी, ओह्ह सॉरी सॉरी हाँ पंखुरी, तुम बताओ कि तुमने कभी बाहर खुले में सेक्स किया है? यदि हाँ तो कितनी बार? थोड़ा शरारती मुस्कान के साथ: कितनों के साथ?
पंखुरी बेशर्मी से: मैंने तो कई बार खुले में शारीरिक सम्बन्ध बनाए हैं। मतलब मैं गिन नहीं सकती... इतनी बार, पर हाँ यह बताना आसान होगा कि मैं कितनों के साथ सम्बन्ध बना चुकी हूँ। फिर अपने हाथ की उँगलियों पर गिनते हुए हवा में ऊपर देखकर याद करते हुए गिनती रही। पंखुरीको गिनती गिनते देख स्निग्धा और स्नेहा के होश फाख्ता हो गए थे। फिर हँसते हुए बोली: एक के साथ, तुम्हारे और हम सबके प्रिय रोहित के साथ।
विनीत: चलो कोई नहीं, आपने बड़े मजे से बताया कि एक के साथ ... पर अगर मौका मिले तो किसके साथ कर सकती हैं? पंखुरी: यह तो वही सवाल नहीं है? यह तो बिल्कुल अलग सवाल है। आप अगली चाल का इंतज़ार करो। स्नेहा: अच्छा ठीक है, इतनी बार आप बाहर खुले में सम्बन्ध बना चुकी हो आपको डर नहीं लगा कि कोई देख लेगा? पंखुरी: देख ले तो देख ले, अपनी पति के साथ ही तो कर रही हूँ, उसमें मुझे क्या शर्म। वैसे उसे भी शर्माने की ज़रूरत नहीं है, देख ले आराम से मैं अपने पति से कैसे प्यार करती हूँ।
स्निग्धा: अच्छा तो आप अपनी बाहर की ऐसे पांच जगह के नाम बताओ जहाँ आपने रोहित के साथ सम्बन्ध बनाए और आपको बहुत मज़ा आया? पंखुरी: मुझे मेरे पति के साथ हर जगह आनन्द की अनुभूति होती है। पर हाँ कुछ यादगार लम्हें बन जाते हैं, ऐसी 10 जगह हैं, पहला नेहरू पार्क, वो मेरा पहला खुले में सम्बन्ध बनाने का अनुभव था। दूसरा अतुल भैया की शादी में धर्मशाला में जहाँ हमारे बगल में पचासों बाराती सोये हुए थे। तीसरा इन्होंने मुझे झूले में भी नहीं छोड़ा था। चौथा ट्रेन में॥ फिर हंसने लगी, पांचवा अभी कुछ दिन पहले आपके यहाँ छत पर, फिर और जोर से हंसने लगी।
सभी लोग बेबाकी से दिए हुए जवाब से स्तब्ध थे। और साथ ही स्निग्धा और स्नेहा जो आज ही जवान हुई थी, उनमें फिर से चुदने की ललक साफ दिखाई पड़ने लगी। तभी मैंने कहा: हाँ पंखुरी, अब कौन से पूछे सवाल? पंखुरी बोली: स्निग्धा, और सवाल विनीत भैया पूछेंगे। स्निग्धा: ओए विनीत, मुझसे अच्छे और आसान सवाल पूछना। विनीत: तो बताओ तुम्हारी ब्रा का साइज क्या है? स्निग्धा अरे यार, ये कोई सवाल हुआ? रितिका: अरे आपसे वाकई कितना आसान सवाल किया है। स्निग्धा: 34 डी ।
मैं (रोहित): हमें भरोसा नहीं है, ब्रा खोल कर दिखाओ। स्निग्धा मुझे घूरते हुए: ये कोई बात नहीं हुई। विनीत: यार रोहित, इनके कच्चे चावल कर दो, ये लोग न सिर्फ खेल बिगड़ेंगी। स्निग्धा गुस्से में उबलते हुए अपना हाथ पीठ के पीछे डाला और ब्रा खोल कर बिना कोई और कपड़ा निकाले, निकाल कर हमारी ओर फेंक दी। स्निग्धा: ये लो देख लो। विनीत ने ब्रा कैच की और उस पर नंबर पढ़ के उसे अपने पास ही साइड में रख दिया। मैंने कहा: अच्छा अब तुम बताओ, किससे सवाल करें और सवाल कौन करेगा। स्निग्धा बोली: अब बारी विनीत की और सवाल में ही पूछूंगी।
विनीत मुस्कुराता हुआ अपना चेहरा नीचे करके सवाल का इंतज़ार कर रहाnथा। स्निग्धा: आपकी बीवी ने खुलकर बताया कि वो क्रिस गेल के साथ एक रात गुज़ार सकती है? पहली बात क्या अगर क्रिस गेल तैयार हो जाता है तो आप उन्हें ऐसा करने देंगे? दूसरा अगर वो भी आपको छूट देती है तो आप किस सेलिब्रिटी के साथ अपनी शाम रंगीन करना पसंद करेंगे? विनीत: हाँ बिल्कुल, मुझे इसमें कोई एतराज़ नहीं है अगर वो क्रिस गेल के साथ बिस्तर गर्म करना चाहेतो कर सकती है। रितिका की तरफ देखते हुए: एक ही ख्वाहिश रहेगी कि वो ये सब कुछ मेरे सामने करे। और दूसरे सवाल का जवाब है कि मैं अपनी एक शाम पूनम पांडे के साथ गुज़रना चाहूंगा। स्नेहा: तुझे बुरा नहीं लगेगा तेरी बीवी किसी और के साथ तेरे ही सामने?
एक लम्बे रुकावट के बाद: ऐसा सिर्फ तुम बोल रहे हो, मैं इस बात से असंतुष्ट हूँ। मैं (रोहित): तो स्नेहा तुम ही बताओ कि वो कैसे इस बात को साबित करे कि तुम इस बात से संतुष्ट हो जाओ। स्नेहा: अब अभी तो कुछ भी साबित नहीं हो सकता न, क्रिस गेल तो यहाँ है नहीं। फिर विनीत की तरफ देखते हुए: इसका मतलब तेरी बीवी को कोई भी हाथ लगाए तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?
विनीत: यार स्नेहा, देख कोई मेरी बीवी को हाथ लगाए और मेरी बीवी को भी अच्छा लगे तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। मैं अपनी बीवी की ख़ुशी से खुश हूँ। स्नेहा रितिका की तरफ देखकर, अगर रोहित तुम्हें हाथ लगाए तो तुम्हें अच्छा लगेगा या बुरा? बोलो? पंखुरी: इस समय सवाल केवल विनीत से किया जा सकता है? रितिका: कोई नहीं पंखुरी, मैं भी देखना चाहती हूँ कि मेरा पति कितना सच बोल रहा है।
स्नेहा विनीत की तरफ देखकर, अब बोल तेरी बीवी ही तेरी बात से संतुष्ट नहीं है। विनीत मेरी तरफ देखकर, भाई मेरी बीवी ही मेरी बात से संतुष्ट नहीं है, अब मैं क्या करूँ? मैं (रोहित): स्नेहा तुम क्या चाहती हो? विनीत तो अपनी बात से मुकर नहीं रहा और कम से कम दो लोग इस बात से अंसतुष्ट है। और कोई है जो विनीत की बात से सहमत नहीं है? हाथ खड़ा करो। शायद पंखुरी भी समझ गई थी कि यही तरीका है जिससे ये दो नई लड़कियों को लपेटे में लिया जा सकता है। तो स्नेहा, स्निग्धा, पंखुरी और रितिका सभी ने हाथ खड़ा कर दिया।
विनीत: भाई तू तो मानता है न कि मैं सही बोल रहा हूँ। मैं (रोहित): मेरे अकेले के मानने से कुछ नहीं होगा यार । पंखुरी: स्नेहा एक काम करो, विनीत भैया को बोलो कि रोहित सबके सामने रितिका को छुएँगे जिसके लिए रितिका भी राज़ी है। अगर विनीत भैया ख़ुशी ख़ुशी ये सब देख पाये तो हम विश्वास कर लेंगे कि ये जो कह रहे हैं वो सही है। क्यूँ ठीक है न रितिका? रितिका ने भी हाँ में सर हिला दिया। स्नेहा: तो विनीत। तू तैयार है कि रोहित रितिका भाभी को हम सबके सामने छुएँगे और तुझे कोई परेशानी नहीं है? विनीत रितिका की तरफ देखकर: रितिका, तुम्हें सच में बुरा नहीं लगेगा अगर तुम्हें रोहित टच करे तो? मैं मन ही मन सोच रहा था कि एक्टिंग तो देखो... साला इन लोगों को तो ऑस्कर मिल जाना चाहिए।
रितिका: हाँ, मुझे ख़ुशी होगी और शायद क्रिस गेल से ज्यादा ख़ुशी होगी अगर रोहित भैया मुझे छुएँ तो, मैं थोड़ा माहौल हल्का करने के लिए हँसते हुए बोला अबे!!! कोई मुझसे भी पूछ लो। मेरा भी तो मन होना चाहिए या नहीं? मैंने सोचा इतनी नौटंकी ये कर रहे हैं तो थोड़ी तो मेरी भी बनती है। रितिका बड़ी अदा से, रोहित भाई, क्या मैं इतनी बुरी दिखती हूँ कि आप मुझे छू भी नहीं सकते। प्लीज देखिये न मुझे? मैं उठकर रितिका के करीब गया । मेरी पूरी नजर दोनों लड़कियों पर ही थी। रितिका का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया और उसकी कमर में हाथ डाल दिया और बॉलीवुड का रोमांटिक का डांस करने लगे।
स्निग्धा ने मोबाइल पर सालसा का म्यूजिक भी लगा दिया। मैं धीरे धीरे रितिका की पीठ सहलाने लगा, मैंने रितिका के गले पर चुम्मा लिया और थोड़ा सा काट लिया। सभी लोग हम दोनों को बड़े ध्यान से देख रहे थे। विनीत ने अपनी बात को साबित करने के लिए जोर से बोला, क्या यार रोहित इतना ठण्डा बर्ताव? रितिका को अपनी बीवी समझो... मान लो कुछ देर के लिए वही पंखुरी है... अब करो डांस । स्निग्धा और स्नेहा दोनों स्तब्ध होकर विनीत की ओर देखने लगी। मैंने रितिका के कूल्हे दबा दिए और दूसरे हाथसे रितिकाके उभारों को मसल दिया। रितिका ने भी मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल के मेरी पीठ को सहलाना शुरू किया।
स्निग्धा धीरे से पंखुरी से बोली, उनकी तो शर्त लगी थी तो बेचारे साबित कर रहे हैं पर आपके सामने आपके पति गैर औरत से गले लगे हुए हैं और देखो उनको कहाँ कहाँ हाथ लगा रहे हैं। आपको भी बुरा नहीं लग रहा, आप कितने आराम से देख रही हो? पंखुरी बोली: मैं भी अपने पति की ख़ुशी में खुश हूँ... और तुमने देखा नहीं वो तब जाकर हाथ लगा पाये जब उन्हें महसूस कराया गया कि वो पंखुरी है। मैंने रितिका की टी-शर्ट निकाल कर हवा में उछाल दी, वो जाकर गिरी पंखुरी के पास फिर उसको वहीं घास पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और अपने होंठों से रितिका के बदन पर हर जगह चुम्मी लेने लगा।
स्नेहा की कांपती हुई आवाज़ आई: भैया, इनकी ब्रा भी निकाल दो! और फिर देखो विनीत भाई कुछ करते हैं या नहीं। इधर से विनीत बोला: भाई, पहले ब्रा नहीं इसकी जीन्स उतार, फिर देख क्या जांघें हैं साली की। इस पर आँखें बंद करके सबके सामने अधनंगी हालत में पड़ी हुई रितिका ने आँख खोल कर गुस्से में विनीत की ओर देखा और मुझे अपने ऊपर से हटा कर लेटे लेटे अपनी जीन्स उतार फेंकी। और फिर मुझे पकड़ के अपने ऊपर खींच लिया। अब रितिका सिर्फ अपनी ब्रा पैंटी में थी और मैं अभी तक कपड़ोंमें ही उसके बदनके साथ खेल रहा था। पंखुरी बोली: अरे आप भी तो कपड़े उतारो... सिर्फ रितिका के कपड़े उतरे हैं। मैंने भी जल्दी ही अपनी टीशर्ट जीन्स और बनियान उतार फेंकी। अब तो गुफ़ानुमा कमरे में सन्नाटा छा गया था।
उनके सामने दो बदन एक दूसरे से इतनी करीब और चिपके हुए थे जैसे लाइव ब्लू फिल्म देख रहे हों। पंखुरी उठकर विनीत के पास गई, उसके कान में कुछ कहा और वापस जाकर अपनी जगह पर बैठ गई। मैंने रितिकाके ब्रा के स्ट्रिप्स को भी उसके कंधे से उतार दिया और उसके कंधे और गले तक उसे बेतहाशा प्यार और चुम्मियाँ करने लगा। मैंने पीठ के पीछे हाथ डाला और ब्रा के हुक भी खोल डाले। जैसे ही ब्रा ढीली हुई और रितिकाने उसे उतार कर फेंका। विनीत मायूस हो गया और दुखी दिखने लगा। स्नेहा तुरंत बोली: रोहित भैया, रुको... विनीत भैया रोने वाला है। फिर विनीत की तरफ देखकर बोली: देखो तुम चाहो तो अपनी बात अभी भी वापस ले सकते हो और अपनी बीवी को रोहित से बचा सकते हो। विनीत बोला: मैं दुखी नहीं हूँ।
इतनी गजबकी एक्टिंग की विनीतने I जिसमें उसके चेहरे पर दुखी होने के भाव साफ़ दिखाई पड़ रहेbथे, वहीं उसके चेहरे पर रोती हुई मुस्कराहट।
स्नेहा बोली: रोहित भैया, ये ऐसे नहीं मानेगा... आप लगे रहो। अगले 2-3 मिनट में ही ये अपने शब्द वापस ले लेगा। अगली बार आपको कोई भी रोके तो मत रुकना बस विनीत कहे तो ही रुकना। मैं फिर से रितिका के ऊपर लेट गया और अपने हाथों से रितिका के बूब्स भी मसलने लगा। अब मेरे लिए भी कंट्रोल करना मुश्किल था, मैंने अपने होंठ रितिका के होंठों पर रख दिए और उसके होंठों से टपकती शराब को पीने लगा। उसके होंठों में नशा ही इतना था कि शराबमें क्या होगा? मुझे पर कामदेव प्रसन्न होने लगे थे, मैं अपने होंठों को उसकी गर्दन से होते हुए उसके बूब्स पर ले आया और उसके निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से छेड़ते हुए चूसने लगा और दूसरे निप्पल को अपनी उंगली से सहला रहा था।
विनीत की शक्ल पर बारह बजे हुए थे जिसको देख स्निग्धा और स्नेहा बोली: अरे कितना इंतज़ार कराओगे? कर दो भाभी को नंगी... हम भी तो लाइव ब्लू फिल्म देखेंगे। आज तक जो टीवी और मोबाइल पर देखने को तरसते थे वो आज लाइव देखने का मौका मिल रहा है। क्यूँ है न विनीत भैया... आपकी बीवी की चुदाई आपके सामने हो रही है और आप कुछ नहीं कर सकते। ये दोनों ही लड़कियाँ विनीत को भड़का रही थी, जिससे विनीत हार जाए। पर यही तो हमारे खेल की और उनकी एक्टिंग की साजिश थी। विनीत चुप रहा और डबडबाती आँखों से तमाशा देखने लगा।
मैं अपनी जीभ को रितिका के बदन पर सरकता हुआ उसके बूब्स के उसकी नाभि तक आ गया। नाभि पर रितिका को चूमा और अपने दोनों हाथ से रितिका के बूब्स पकड़ कर धीरे धीरे मसल रहा था। मैं सरकता हुआ थोड़ा और नीचे आया तो रितिका की जालीदार पैंटी के करीब थे मेरे होंठ। उसकी पेंटी के ऊपरी भागको दांतसे पकड़ा और नीचे सरक कर उसकी पेंटी उतारने की कोशिश करने लगा। पेंटी को दांत से पकड़ने की कोशिशमें रितिका के बदनके उस हिस्से पर भी थोड़े दांत लग गए थे। रितिका आँखें बंद करी हुई अपने हाथों को पूरा सीधा सर के ऊपर किये हुए अपने धीरे धीरे पाँव चला रही थी और अपने पूरे बदन को लहरा रही थी। कामाग्नि में तड़पती हुई रितिका की हालात इस समय पानी से निकाली हुई मछली की भाँति थी, वो हिल रही थी, वो मटक रही थी पर बेचारी बोल कुछ नहीं पा रही थी। उसे डर था कि हम लोगों का राज़ कहीं खुल न जाए।
मेरी कोशिश थी कि रितिका की पेंटी को उतार फेंकूँ पर दांतों से उसे निकाल पाना थोड़ा मुश्किल था, मैंने अपने दोनों हाथ से उसकी पेंटी नीचे की तो रितिका ने भी अपने चूतड़ उठा कर उसमे मेरा साथ दिया। ताज़ी ताज़ी वैक्स की हुई चिकनी टांगों से सरकाते हुए मैंने रितिका की पेंटी को रितिका से अलग कर दिया। रितिका अब पूरी तरह नंगी और कामवासना से तड़पती हुई मेरे सामने हिचकोले खा रही थी। स्नेहा ने मवालियों वाली सीटी बजाई और बोली वाह जी वाह, क्या नजारा है। अब ज़रा आपके उस्ताद के भी दर्शन हो जाते तो बस मजा आजाता। बोलतेके साथही उसे महसूस हुआ कि उसने कुछ ऐसा बोल दिया है जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी।
विनीत बोला: लगता है तुझे रितिका को मेरे सामने चुदवाने की इतनी तमन्ना नहीं जितनी खुद चुदने की इच्छा हो रही है। मेरे सामने मेरी बीवी तो क्या अगर बहन भी चुद जाये तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। बस मैं इतना ही कहना चाहता हूँ।
स्नेहा अपनी कामवासना के आगे बेबस और उसके ऊपर होने वाले हमले से निराश होकर झुंझला कर बोली: तुम्हारी बीवी तुम्हारे भाई की बाँहों में हम सबके सामने नंगी पड़ी है और तुम अपनी जगह से हिले नहीं हो, यह बात प्रूव करती है कि तुम अपनी बीवी की इच्छा के लिए कुछ भी कर सकते हो... पर क्या तुम सच में खुश हो? तुम्हारे चेहरे पर तो मातम छाया हुआ है। तुम मेरी बात करते हो? मुझे अगर सिर्फ अधनंगी हालत में भी अगर किसी और मर्द ही बाँहों में देख लिया तो तुम्हारी जान निकल जाएगी।
इधर इन बातों में दिमाग न लगाते हुए मैं भी अब तक पूरी तरह नंगा होकर रितिका की चिकनी टांगो पर अपने लंड से रगड़ कर रहा था। रितिकाके मुंहसे सिसकारियाँ फुट रही थी। तभी गुस्से में स्नेहा हमारी तरफ आई और बोली: भैया आप मेरे बदन के साथ खेल सकते हो या नहीं? मैंने कहा: खड़े लंड पर अगर कोई भी लड़की आकर खुद पूछे कि मेरे बदन से खेलना चाहोगे तो कौन चूतिया है जो मना करेगा। यहाँ के इतने गरम माहौल को देख स्निग्धा भी अपने आप को न रोक सकी और उसने अपनी पेंटी में हाथ डाल कर अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
तभी जैसे एकदम सब कुछ बदल गया जब रितिका बोली: हाँ मैं मान गई कि मेरा पति मेरे लिए कुछ भी कर सकता है। आई लव यू विनीत। बोल कर उठी और विनीत की बाहों में चली गई। विनीत ने किसी फ़िल्मी हीरो की तरह रितिका को अपनी बाहों में भरा हुआ था। मैं भी उठा और जल्दी से अपनी अंडरवियर पहन ली और ऐसे ही जाकर अपनी जगह पर बैठ गया। स्निग्धा ने भी अपनी पेंटी से अपने हाथ बाहर निकाल लिए और स्नेहा भी अपनी जगह पर जा बैठी।
मैंने सिगरेट जलाई और अपने पेग को एक घूंट में खत्म करके पूछा: हाँ तो अब किसी बारी है? विनीत बोला: अब मेरी बारी है, जबाब देना है तुझे और सवाल पूछूँगा मैं । मैंने कहा: हाँ भाई पूछ, तेरा सवाल मुझे पता है और जवाब भी तैयार ही है। विनीत बोला: तुझे इस बंगले के बारे में इतना सब कैसे पता है? क्या तू पहले भी यहाँ आ चुका है? आखिर सीन क्या है बॉस? मैंने कहा: मुझे पता था कि तेरा सवाल तो यही होगा। हाँ, मैं पहले भी यहाँ आ चुका हूँ। यह बंगला किसी और का नहीं, मेरा ही है। इसलिए मुझे इसके बारे में सब पता है। विनीत बोला: बहनचोद कमीने, इतनी बड़ी बात तूने साले मुझे आज तक नहीं बताई? तू तो लोड़ू करोड़पति आदमी है। मैंने कहा: इसीलिए नहीं बताई थी क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि तुम मेरे बारे में इस तरह सोचो। मैं चाहता था कि तुम मुझसे जैसे पहले मिलते थे वैसे ही मिलो। लो बहनचोद एक सवाल से तो मैंने अपने आप को बचा लिया, अब सवाल करूँगा मैं और जवाब देना है स्नेहा को।
स्नेहा बोली: हाँ भैया पूछो बिंदास जो पूछना चाहो। मैं: जब मैं तेरी भाभी पर नंगा पड़ा हुआ था तो तूने आकर कहा कि क्या आप मेरे बदन से खेल सकते हो? क्या तुम अपने भाई भाभी और फ्रेंड जैसी बहन के सामने मेरे साथ ऐसा खेल खेल सकती थी? स्नेहा: शायद हाँ! विनीत गुस्से में: शायद नहीं!! हाँ या ना? स्नेहा आँखें तरेरते हुए: हाँ... स्निग्धा: तुझे भी प्रूव करना पड़ेगा कि तू ऐसा कर सकती है। स्नेहा: मैं तैयार हूँ। मैं: तो फिर देर किस बात की है आजा मेरी बाँहों में... तेरी भाभी ने मुझे गर्म कर दिया, तेरे बदन से अपनी गर्मी शांत कर लूंगा। मैं काम वासना में इतना बह चुका था कि मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मैं किसके सामने क्या बोल रहा हूँ। लंड पूरी तरह अकड़ चुका था और उसे केवल एक चूत की दरकार थी।
स्निग्धा: आप तो ऐसे बोल रहे हो जैसे आप अपनी बहन को सबके सामने प्यार कर सकोगे? मैं: मैं ये सब कुछ नहीं मानता, अगर मेरी बहन को मेरी ज़रूरत है और मैं उसे पूरा कर सकता हूँ तो बस कर दूंगा। सारे रिश्ते हम लोगो ने यही धरती पर आकर अपनी सुविधा के लिए बना लिए है। बाकी एक लड़की और एक लड़का एक-दूसरे की ज़रूरतों को शांत कर लेना चाहिए। स्नेहा शरारती मुस्कान के साथ, स्निग्धा अगर तुझे भी कोई ज़रूरत हो तो तुम मुझे ज्वाइन कर सकती हो।
इतना बोलते हुए स्नेहा मेरी तरफ बढ़ी और आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गयी। उसने आते ही मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया था, फिर उसने जल्दी ही मेरी अंडरवियर को उठाकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी हथेली के बीच रखकर मेरे लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी। स्निग्धा हमारी तरफ बड़ी गौर से देख रही थी, मैंने अपनी गांड उठा रखी थी जिससे मेरे जांघिए को उतारा जा सके। पर अभी स्नेहा की चुदाई का उतना अनुभव नहीं था इसलिए वो सिर्फ मेरे लंड को हिलाने का काम कर रही थी, मैंने अपने ही हाथ से अपने कच्छे को उतार लिया अब मैं सबके सामने पूरा नंगा था।
मैंने स्निग्धा को भी अपने पास आने का इशारा किया। स्निग्धा सब लोगों की तरफ देखकर मेरे पास धीमे कदमों से बढ़ने लगी। स्नेहा ने अब मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया था, मेरी आँखें बंद हो रहीथी और मैं कोशिश कर रहा था कि मेरी आँखें खुली रहे क्योंकि स्निग्धा को भी तो अपने पास बुला लिया था। स्निग्धा जैसे ही मेरे करीब आई मैंने उसे अपने बगल में बैठाया और उसके कान को अपने करीब लाया और कहा: तुम भी हमारे साथ आ जाओ और अपनी चूत की आग को बुझा लो। स्निग्धा बोली: हाँ, मेरी चूत में बहुत आग लगी है पर इतने लोगों के सामने हिम्मत नहीं पड़ रही। मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाला तो अंदर कुछ नहीं था। मैंने उसके चूचे दबा दिए और पूछा: तुमने अंदर कुछ नहीं पहना?
स्निग्धा बोली: पहले सवाल में ही मेरी ब्रा उतरवा ली गयी थी और मुझे वापस दी ही नहीं। मैंने कहा: तुम भी नंगी हो जाओ और आ जाओ, चुदवा लो। स्निग्धा के टॉप को ऊपर करके उसे नंगा करने की कोशिश करने लगा। स्निग्धा ने अपनी नजरें नीचे करके अपने हाथ उठा दिए जिससे टॉप उतारना आसन हो जाये।
स्नेहा लंड को मुंह से बाहर निकाल कर बोली: अरे वाह भैया, आज तो आपकी किस्मत बहुत जोरों पर है। रितिका भाभी के बदन से खेले, मेरे से लंड चुसवा रहे हो, स्निग्धा को भी लगभग नंगी कर ही दिया है, और पंखुरी भाभी तो आपकी जागीर ही है, उनके साथ तो ये सब आपका हक़ ही नहीं कर्तव्य भी है। आज तो चार चार चूत के मजे कर लिए आपने। मैंने कहा: रितिका तू भी आ जा तूने मुझे उकसा कर छोड़ दिया, यह अच्छी बात नहीं है। पंखुरी तू क्यूँ कोने में कपड़े पहने बैठी है। तू भी आ जा तेरे बदन से खेलने दे। मेरी तमन्ना है कि मेरे आस पास चार चार चूतें हो और मैं सबकी जी भर के चुदाई करूँ।
रितिका भी करीब आते आते फिर से नंगी हो गई। पंखुरी भी उठी और कपड़े उतार कर मेरे करीब आ गई, पंखुरी ने आते ही बोली: स्नेहा हटो और कपड़े उतारो... तब तक रोहित का लौड़ा में चूस लेती हूँ। इधर बेचारा विनीत अभी तक कपड़ों में ही था और बैठा बैठा हम सबको चुदाई के लिए तैयार होते देख रहा था। स्नेहा तीन लड़कियों को पूरी तरह नंगा देखकर अपनी शर्म हया भुला कर बोली: हाँ भाभी, आप चूसो, मैं कपड़े उतार लूँ, अब तो ये कपड़े मुझे काट रहे हैं। मुझेभी आपकी तरह आज़ाद और नंगी होना है।
स्नेहा खड़े होकर अपने कपड़े निकालने लगी और पंखुरी मेरे लौड़ेको चूसने लगी। स्निग्धा बोली: यार रोहित ऊपर ही चलते हैं न... यहाँ घास में मजा नहीं आएगा। आप तो हम सबके ऊपर रहोगे और हम लोगों को घास मे अपनी कमर छिलवानी पड़ेगी। मैंने कहा: चलो ऊपर चलते हैं, सब साथ में चलते है और नंगे ही चलेंगे बाद में आकर कपड़े उठा लेंगे। मैं सभी को उसी रूम में ले गया जहाँ आज सुबह मैंने स्निग्धा की चुदाई का उद्घाटन किया था। विनीत ने पेग बोतल सिगरेट और चखना पकड़ा हुआ था और हम लोगों के पाँच जोड़ी चूतड़, जिनमें दो उसकी बहनों के थे, देखते हुए पीछे पीछे चल रहा था। जैसे ही उस कमरे में हम लोग दाखिल हुए, मैंने रिमोट से लाइट्स डिम कर दी और धीमी आवाज़में म्यूजिक भी ऑन कर दिया।
अब सिर्फ विनीत को नंगा करना बाकी था, मैंने कहा: विनीत यार, हम सब नंगे और तू अकेला कपड़े पहना अच्छा नहीं लग रहा। तू भी कपड़े उतार और आ जा, यहाँ रितिका तो है जो तेरे बदन से खेल लेगी और तू चाहे तो पंखुरीको भी छू सकता है। जब मैंने तेरी बीवी को छुआ तो तू भी मेरी बीवी को छू सकता है। विनीत तो जैसे इंतज़ार में ही था, विनीत भी नंगा होकर मेरे बिल्कुल बगल में लेट गया। मैंने पंखुरी से कहा: पंखुरी ज़रा मेरे भाई विनीत के लंडको चूस लो। पंखुरी इतराते हुए बोली: जो हुकुम मेरे आका। मैंने रितिका को आदेश दिया: रितिका जाओ अपने पतिके मुंह पर बैठ जाओ और अपनी चूत गीली करा के आओ।
मेरी ऐसी बातें स्निग्धा और स्नेहा को अच्छी भी लग रही थी और उन्हें मेरी हर बात पर दांतों तले ऊँगली दबा लेने जैसा लग रहा था। वो यही सोच रही थी कि ये आदमी किसी से कुछ भी बोलता है वो सब मान जाते हैं बिना सवाल जवाब के। खैर स्नेहा फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और स्निग्धा को मैंने अपने मुंह पर बैठा लिया और उसकी चूत चाटने लगा। थोड़ी देर बाद मेने स्निग्धा को अपने मुंह से हटाकर बोला: स्निग्धा अब तुम लंड चूसो और स्नेहा तुम मेरे मुंह पर बैठ जाओ। दोनों तुरंत अपनी अपनी जगह चली गई। विनीत ने भी पंखुरी को अपने मुंह पर बैठने के लिए बुला लिया और रितिका को लंड चूसने भेज दिया।
अब मैंने देखा कि दोनों ही लड़कियाँ चूत चटवाने के बाद कामाग्नि में लपटों में जल रही थी। इसी का फायदा उठकर मैंने कहा: रितिका तुम मेरा लंड चूसो और स्निग्धा तुम विनीत का। स्निग्धा की आँखें बड़ी हुई पर रितिका ने आँख मार के शायद उसे इशारा किया कि 'मजे मार यार... ज्यादा सोच मत!' अब स्निग्धा विनीत का लौड़ा चूसने लगी और रितिका मेरा। मैंने फिर से कहा: पंखुरी आ जा मेरे मुंह पर बैठ जा और स्नेहा तू विनीत के मुंह पर बैठ जा। स्निग्धा की देखा देखी उसने सोचा कि जब स्निग्धा चली गई तो वो क्यूँ नहीं जा सकती, स्नेहा विनीत के मुंह पर बैठकर सिसकारियाँ मारने लगी।
अब जब कलई खुल ही गई थी तो मैंने कहा: स्नेहा अब तुम लेट जाओ और स्निग्धा तुम भी, रितिका तुम स्निग्धा के बूब्स दबाना और चूमना, और पंखुरी तुम स्नेहा के। स्नेहा के नीचे लेटते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड स्नेहा की चूत पर सेट कर दिया। रितिका स्निग्धा के सर की तरफ बैठ गई और स्निग्धा के बोबे और होंठों को निचोड़ने लगी। वहीं स्निग्धाके ऊपर विनीत चढ़ गया और पंखुरी स्निग्धा के करीब और बगल में लेट गई और स्निग्धा के बदन से खिलवाड़ करने लगी। मुझे तो बिलकुल डायरेक्टर वाली फीलिंग आ रही थी। विनीत पूरे दिल से भूखे शेर के तरह स्निग्धा की चूत पर बरस पड़ा और झटके से अपना लंड स्निग्धा की चूत में फिसला दिया।
मैंने भी स्नेहा की चूत में अपना लंड घुसा दिया था, मैंने धक्के लगाते हुए बोला: क्या यार, तुम लोग रोबोट की तरह सिर्फ मेरे अनुदेश का पालन कर रहे हो? दोस्तो, एन्जॉय करो यार... मजे लो... आनन्द उठाओ। स्निग्धा तुम रितिका की चूत में उंगली करो, और स्नेहा तुम पंखुरी के जिस्म से खेलो। क्या सब बात मुझे ही बोलनी पड़ेंगी? विनीत बोला: रोहित यार, जब से मैंने स्नेहा के नंगे बदन को देखा है तब से ऐसी आग लगी है कि बता नहीं सकता। मुझे उसकी चूतमें लंड डालना है। विनीत काफी देर से कुछ नहीं बोला था।
स्नेहा बोली: आ जा भाई, आ जा... मैंने काफी देर से तेरी आँखों में मेरे बदन के लिए हवस देखी है... तू आजा मेरे ऊपर और नोच डाल अपनी सगी बहन के बदन को । मैं स्नेहा की चूत से लंड बाहर निकाल चुका था। इधर स्निग्धा के चूत में मैंने लंड डाला उधर स्नेहा विनीत के लंड को अपनी चूत में डलवा कर चुदाई के आनन्द के परम सुख को प्राप्त करने की कोशिश में सिसकारियाँ भरती हुई कह रही थी: विनीत भाई, तेरा लंड कितना अच्छा है। तू अपनी बहन को शादी तक रोज़ चोदना, अपनी बीवी के बगल में सुला लेना मुझे फिर रात भर अपनी बीवी रितिका और मेरी चुदाई करना।
स्नेहा की मदमस्त बातों में सभी मस्त हो गए थे और चुदाई का आनन्द लेने लगे। सभी को बारी बारी से चोदा सब साथ में नंगे ही सोये।
फिर मैं जो सस्ती व्हिस्की लाया था उसको एक टब में निकाल कर सभी को बारी बारी से उस टब में बैठाया जिससे चौड़ी हो गई चूत वापस से सिकुड़ जाये और व्हिस्की से इन्फेक्शन वगैरह का भी डर खत्म हो जाता है।
फिर वापस जाते वक़्त गाड़ी में भी हम लोगों ने बहुत मस्ती की।
अब भी हम सब जब मिलते हैं तो मस्ती मारते हैं।

