आदाब अर्ज है
कैसे हैं जनाब
मै शिल्पा फिर अपना एक जबरदस्त कारनामा लेकर आई हूँ
मै एक 32 साल की औरत, जिसकी देह पर गाँव की कड़ी मेहनत और सूरज की तपिश की छाप है,
गदराया पर गाँव की मेहनत से कसा मेरा बदन। हल्का गेंहुँआ रंग जो धूप में गोरा और छाया में चाकलेटी लगता है
मेरा सबसे बड़ा आकर्षण मेरे बहुत ही बड़े बड़े बोबे हैं जिस पर से नजर नहीं हटती किसी भी मर्द की।
"कैसे हो मेरे चाहने वालों," मुझे चोदने का सपना देखने वालों"
"सुनो "
"गर्मी के मौसम में गाँव की शांत दोपहर में, जब सूरज आकाश में चमक रहा था,"
"मै अपने घर के बाहर खड़ी थी।"
"मेरी साड़ी का पल्लू हवा में लहरा रहा था, मैने गर्मी के कारण ब्लाउज उतार दिया था"
"और मेरी आँखों में एक जंगली चमक थी।"
मेरा पति राजू मंडी गया था,
और आज मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था।
शायद खेतों में काम कर रहे आठ-दस मर्द,
पसीने से तर
मिट्टी से सने
अपनी थकान भुलाने को तैयार।
उनकी कठोर मांसपेशियाँ देखकर
मेरी साँसें तेज हो गईं।
मैने फैसला कर लिया था कि
आज मेरी वासना की भूख मिटेगी।

उनके नाम हैं मंगल, गोपाल, कालू, रघु, भुनेश, भोलु, दुकालू, बंशी और. लालू ।
गिनो तो कितने हैं
हाहाहा.
पूरे नौ मर्द हैं.हाआआआए

मै ने मजदूरों को आवाज लगाई,.
"अरे, इतनी गर्मी में काम कर रहे हो?
घर पर आओ, थोड़ा पानी पी लो।"
मजदूर, जो घंटों से खेतों में औजार चलाने में थक गए थे,
मेरी बात मानकर मेरे घर की ओर चल पड़े।.
घर के अंदर पहुँचते ही मै ने दरवाजा बंद कर दिया और उन्हें बैठने को कहा।.
वे तो गरीब मजदूर थे। सो जमीन पर बैठ गए।
मै ने उनको पानी देने के बहाने से अपनी साड़ी का पल्लू जमीन पर गिरा दिया।.
हल्की गर्मीं में
अब मेरा पसीने से भीगा और चमकता बदन,
मेरा गला,भरी हुई छाती,.दो बड़े बड़े बोबे
और पसीने से चमकती कमर
मेरा उपरी बदन उन सभी मर्दों के सामने नंगा मजदूरों के सामने था।.
मैने कहा "पानी पी कर अपनी प्यास तो तुम लोगों ने बुझा ली ना,"
मैने मुस्कुराते हुए कहा, "अब मेरी प्यास भी बुझाओ ना।"

वासना का खेल शुरू
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मैने अपनी साड़ी को और ढीला छोड़ा,
और मेरी देह की गंध ने सबको मदहोश कर दिया
मै बाँह उठा कर इशारा कर दिया कि
मेरी काँख की तरह मेरी चूत भी चिकनी है।

मुझे पता था कि मजदूर बहुत समय से लगातार काम कर रहे थे।
मैने मजदूरों को बड़े बड़े गिलासों में पानी दिया था।
तो मैने उनको पेशाब करने के लिए उकसाया.
ताकि मुझे सबका मस्त पिशाब वाला मसालेदार और खुशबुदार लंड मिले।
हर औरत की हवस जाग जाती है
जब वह
मर्द के बदन पे पसीना और पसीने खुशबु
और उनके लंड से पेशाब की खुशबु आती है
तो माहोल मदमस्त हो जाता है।
हमारी चूत अपने आप गीली हो जाती है। ऐसा लगता है कि मर्द को खा जाएँ।
इसी लिए हम औरतें मर्द के लाण्ड़ और आँड़ को इतने प्यार से चूसती.और चाटती हैं।
मुँह में भर भर कर. प्यार उड़ेलती हैं।
मुझे तो बहुत हीअच्छा लगता है। मस्त मुलायम गुलगुला लंड. मेरे मुँह के अंदर
हाय हाआय मजा आता है।

अंधेरे झोपड़े में हवा गर्म थी।
मै ने अपनी साड़ी को और ढीला छोड़ा,
और मेरी देह की गंध ने सबको मदहोश कर दिया।
कालू ने मेरी ओर कदम बढ़ाया,
मेरी काँख से उठती पसीने की महक उसे और करीब खींच रही थी।
उसने मेरी कलाई पकड़ी और मुझे अपनी ओर खींचा।
बाकी मजदूरों ने भी हिम्मत जुटाई।
लालू ने मेरी कमर को छुआ, तो रघु ने मेरे कंधे पर हाथ फेरा। मेरी साँसें तेज हो गईं।
जग्गू, जो सबसे जवान था, मेरे पास आया और मेरी गर्दन पर अपनी जीभ फेरी।
पसीने का नमकीन स्वाद उसे और उत्तेजित कर गया।
मै ने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक हल्की सिसकारी भरी।
दूसरा मजदूर, मंगल, मेरे सामने झुका और मेरी छाती की ओर बढ़ा। और मेरी साँसों की गर्मी ने माहौल को और तपाया।
मै ने विरोध नहीं किया, बल्कि अपनी देह को और खोल दिया।

गंदे कारनामों की शुरुआत
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मेरे बदन पे चारों तरफ किसी ना किसी के हाथ, होंठ और साँसें महसुस हो रही थीं।
कोई मेरी जाँघों को सहला रहा था,
तो कोई मेरी पीठ पर अपनी उंगलियाँ फेर रहा था।
मेरे मुँह से हल्की-हल्की आवाजें निकल रही थीं,
जो मजदूरों को और उकसा रही थीं। हाआह्ह हाआह्हऊउम्म्ऽ ऊउम्म्ऽआह्हअ

एक ने मेरी नाभि पर अपनी जीभ घुमाई, तो दूसरा मेरी काँख की गंध में खो गया। हर तरफ एक अजीब सा नशा था.मिट्टी और देह की गंध का मिश्रण।
कोइ मेरी चूतड़ सहला रहा था
हाआह्ह हाआह्हऊउम्म्ऽ.

दूसरा मजदूर, मंगल, पास आया और मेरी साड़ी को पूरी तरह खोल दिया।और फट से पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया
मेरी चूत, जो पहले से गीली थी, अब मै 9-9 मर्दों के सामने नंगी थी।
मंगल ने नीचे झुककर मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी नरम चूत की त्वचा पर फिसल रही थी,.
और मेरी टाँगें काँपने लगीं। मै आनंद से भर गई और हल्की चीख निकाल रही थी, उमम्म्म्म्आऽअअह
"और जोर से, मंगल! इसे पूरा खा जा!".
उमम्म्म्मआअअह
मंगल ने मेरी बात मानी और अपनी जीभ को और गहराई तक ले गया।
उसी वक्त, तीसरा मजदूर, रघु, मेरे पीछे गया।
उसने मेरी गांड को फैलाया और गाँड़ की छेद चाटना शुरू कर दिया (rimjob)।
मेरे बदन की गंध उसे पागल कर रही थी। रघु की जीभ मेरी गांड में गहराई तक जा रही थी, और मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं।
उम्ह्ऽ
ऊउम्ह्ऽ.

चौथा मजदूर, सोहन, मेरे भारी स्तनों की ओर बढ़ा।
और मेरे निप्पलों को मसलना शुरू किया।
फिर उसने एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगा (boobs suck),
जैसे कोई भूखा जानवर अपनी भूख मिटा रहा हो।
उसने हल्के से दाँतों से काटा (boobs bite),
और मेरे मुँह से एक दर्द भरी सिसकारी निकली,आहह
जो जल्द ही आनंद में बदल गई।
उसी वक्त, पाँचवाँ मजदूर, कालू, मेरी काँख के पास आया।
उसने मेरी काँख को लंबी साँस लेकर सूँघा, जो पसीने से भीगी थी,
और फिर मेरी काँख को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया (armpit licking)।
मेरी गंध और स्वाद ने कालू को और उत्तेजित कर दिया,.
और वह मेरी काँख में अपना मुँह और चेहरा रगड़ने लगा।
दुकालु और बंशी मेरी एक एक जाँघ को चूमने और चाटने लगे.
सबसे पहले, मैने गोपाल को पास बुलाया, जो मजदूरों में सबसे ताकतवर था। गोपाल का पसीने से भरा शरीर देखकर मै खुशी के मारे थर्रा रही थी मैने उसकी लुंगी खोल दी। और चड्डी उतार दी .
उसका लंड, जो अभी-अभी बाहर पेशाब करके आया था, गीला और नमकीन था।
मै ने बिना झिझक के उसके आँड और फिर लँड चाटना शुरू कर दिया,.
और पेशाब ओर पसीने का स्वाद लेते हुए। मै उसके लंड को नीचे से उपर तक और फिर सुपाड़ा को प्यार से हर तरफ से चाटने लगी.
ताकि मर्द को सनसनाहट हो और मुझे पसीने और पेशाब की मदमस्त गंध और स्वाद मुझे मिले .
फिर मैने नीचे झुककर गोपाल के अंडकोष (balls) को चाटा,. उनकी खुरदुरी त्वचा और पसीने का स्वाद लेते हुए। ऊउम्म्ऽ ऊउम्म्ऽ ऊउम्म्ऽ
जो कि मुझे और उत्तेजित कर रहा था।
फिर मै थोड़ा खेलने के बाद लंड को मुँह में अंदर तक लेकर जोर-जोर से लंड को चूसने लगी,

गहरे गले तक (deep throat) लेते हुए, और गोपाल की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
ऊउम्म्ऽऊउम्म्ऽ उ्ल्ख् .अख्ख्ऊउम्म्ऽअख्उअख् ओख़् ऊउम्म्ऽऊउम्म्ऽ.

एक बार फिर पेशाब की हल्की गंध और स्वाद मुझे और हरामी रंडी बना रहा था।
मै लंड को जोर-जोर से चूसने लगी, गहरे गले तक (deep throat) लेते हुए मेरी उंगलियाँ गोपाल की जाँघों पर कस गईं,
और वह हर धक्के के साथ और तेज होती गई।
मै उससे खुद ही अपना मुँह चुदवा रही थी।

फिर मै खड़ी हुई और एक बिगड़ैल हरामी औरत की तरह गोपाल की काँख को सूँघा,.
जो पसीने से तर थी,वाह मजा आ गयाआआ.
मै और उत्तेजित हो गई मेरी गीली चूत फड़फड़ाने लगी
मैने अपनी जीभ से गोपाल की काँख जीभ से चाटना शुरू किया (armpit licking)।
गोपाल की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
यह बहुत ही मजेदार और गर्व और आनंदमय था.

फिर मैने सभी मजदूरों के कपड़े उतारने शुरू कर दिए।
जिसके कपड़े उतारती उसके साथ गहरा चुंबन और एक दुसरे का जीभ चूसना. जीभ से खेलना एक दुसरे का थूक गटकना.
वाह
हर मर्द के मुँह में मेरा थूक और जीभ गया था।
और मै अकेली नौ नौ मर्दों के अधरों का रसपान कर रही थी.
मैने सभी का बारी बारी से जीभ चूसा लार और थूक चूसा और गटक गई।
मै अकेली और इधर नौ नौ मर्द. डर लग रहा है... अरे नहीं. मेरी तो लाटरीऽ लग गईऽ।

सभी को मैने पेशाब करने को कहा
जिसे वो मान गए और
घर के बाहर मूतने चले गए
गोपाल भी फिर से मूतने चला गया।
जब सभी मूत कर वापस आ गए तो मै सबका पेशाब से तरबतर लंड चाटने और चूसने के लिए बहुत ही आतुर और उत्साहित हूँ ।
मै घुटनों के बल पर बैठ गई और
मैने उन सबको गोले में मुझे घेर कर खड़े होने को कहा
अब मै हर तरफ से 9 मर्दों से घिरी थी.
सच में कितना रोमांचक है यह पल.
मेरे सामने 9-9 डार्क चाकलेट की तरह काले कलूटे ना जाने कब से उन्होंने अपना लँड नहीं धोया होगा
आह् हाऽह्हाऽ हाह् हाऽ हाऽ
मगर पसीने से चमके मर्द और
उनके मस्त काले काले पेप्सीकोला जैसे
मसालेदार लंड मेरी आँखों के सामने
आऽहहाऽय.ओऽह होए
मुझे तो सपना लग रहा है।
मेरे हर तरफ मस्त काले काले पेप्सीकोला जैसे मसालेदार लंड।
बस मुझे तो बस यही पेप्सीकोला कालाखट्टा जैसे चुस्की कुल्फी लग रहे हैं
ओऽह.होऽए.
आज तो पार्टी है मेरी।
मैने धीरे से कालू के आँड सहलाने शूरु किया
पसीने से चिपचिपाते उसके आँडों को जीभ से चाटना शूरु किया
वाह
फिर उसके आँडों को मुँह में भर कर चूसने लगी ऊउम्म्ऽ मस्त नमकीनऊउम्म्ऽ
ओहोओ मस्त स्वादिष्ट मसालेदार.
वो सिसकाया और उसका लंड बड़ा होने लगा.

मैने अपने हाथ से उसके लंड के सुपाड़े
और छिल्के में लगे गीले पेशाब को
हल्के से मसल कर लंड नीचे तक फैला दिया.
ताकि चाटते समय मस्त पेशाब का स्वाद
और खुशबु बराबर मुझे मिलता रहे।
फिर मैने धीरे से नीचे से उपर की तरफ लंड चाटना शुरु किया.र्सऽर्सर्र्ऽर्सऽर्सर्र्ऽ
अब मै हर तरफ से लंड चाटने लगी वाह मस्त पेशाब का स्वाद और खुशबु

फिर मैने अपनी जीभ उसके सुपाड़े पे फिराना और स्वाद लेना शुरु किया.
र्सऽर्सर्र्ऽर्सऽर्सर्र्ऽ
वह सिसकने लगा
मै उसके लंड को नीचे से उपर तक और फिर सुपाड़ा को प्यार से हर तरफ से चाटने लगी ताकि उसको सनसनाहट हो.
पेशाब की हल्की गंध और मसालेदार स्वाद मै लंड को कूल्फी की तरह जोर-जोर से चूसने लगी.ऊउम्ह्ऽऊउम्म्ऽ ऊउम्म्ऽ
फिर पूरे लंड को जितना गहरे गले तक (deep throat) हो सके लेते हुए चूसने लगी
ऊउम्म्ऽऊउम्म्ऽ उ्ल्ख् .अख्ओल्ख्ऊउम्म्ऽअख्उअख् ओख़्

मैने उसकी जाँघों को कस कर पकड़ लिया , और अपनी तरफ धकेलती ओर फिर दूर धकेलती तेजी के साथ.
वह मेरा मुँह चोद रहा है। वाहा

थोड़ी देर तक मै मुँह चुदवाती रही।
मेरी उंगलियाँ उसकी जाँघों पर कस गईं, और वह हर धक्के के साथ और तेज होती गई।
अरे क्या बात है मै तो उससे अपना मुँह चुदवा रही थी।

वाह शाबाश शिल्पा तू तो इंटरनेश्नल रंडी बन गई।

हालाकि हम गाँव की औरतों के लिए यह सब नया नहीं है
हम औरतें अपने पति या प्रेमी के साथ तो हर बार यही करती हैं।
हम औरतें अपने पति या प्रेमी का पेशाब भी पीती हैं।
पर गैरमर्द के साथ ये एहसास बहूत ही जोशीला उत्तेजक और अधिक आनंददायक है.
इतने सारे स्वादिष्ट लंड और
चोदने के लिए ढेर सारे आदमी
मुझे तो खुदा की जन्नत नसीब हो गई।
आज मै बहुत खुश हूँ.

अब मैने धीरे से लालू के आँड सहलाने शूरु किया
पसीने से चिपचिपाते उसके आँडों को जीभ से चाटना शूरु किया
वाह
फिर उसके आँडों को मुँह में भर कर चूसने लगी ऊउम्म्ऽ मस्त

ओहोहोओ मस्त स्वादिष्ट मसालेदार.
वो सिसकाया
और उसका लंड बड़ा होने लगा.

मैने अपने हाथ से उसके लंड के सुपाड़े
और छिल्के में लगे गीले पेशाब को
हल्के से मसल कर लंड नीचे तक फैला दिया.
ताकि चाटते समय मस्त पेशाब का स्वाद
और खुशबु बराबर मुझे मिलता रहे।
फिर मैने धीरे से नीचे से उपर की तरफ लंड चाटना शुरु किया.र्सऽर्सर्र्ऽर्सऽर्सर्र्ऽ
अब मै हर तरफ से लंड चाटने लगी वाह मस्त पेशाब की स्वाद और खुशबु .
फिर मैने अपनी जीभ उसके सुपाड़े पे फिराना और स्वाद लेना शुरु किया. र्सऽर्सर्र्ऽर्सऽर्सर्र्ऽ र्सऽर्सर्र्ऽर्सऽर्सर्र्ऽ
वह सिसकने लगा
मै उसके लंड को नीचे से उपर तक और फिर सुपाड़ा को प्यार से हर तरफ से चाटने लगी ताकि उसको सनसनाहट हो.
पेशाब की हल्की गंध और मसालेदार स्वाद मै लंड को कूल्फी की तरह जोर-जोर से चूसने लगी. ऊउम्ह्ऽऊउम्म्ऽ ऊउम्म्ऽ ऊउम्म्ऽ

फिर पूरे लंड को जितना गहरे गले तक (deep throat) हो सके लेते हुए चूसने लगी

मैने उसकी जाँघों को कस कर पकड़ लिया , और अपनी तरफ धकेलती ओर फिर दूर धकेलती तेजी के साथ.
वह मेरा मुँह चोद रहा है। वाहा
थोड़ी देर तक मै मुँह चुदवाती रही।
मेरी उंगलियाँ उसकी जाँघों पर कस गईं, और वह हर धक्के के साथ और तेज होती गई।

ऐसे ही मैने मंगल, रघु, भोलु, भुनेश, दुकालू, गोपाल और बंशी के लंड जितना गहरे गले तक (deep throat) हो सके लेते हुए चूसी या कहें ली मुँह चुदवाई
और ऐसे ही मैने बारी बारी से सभी मर्दों के आँड और लाँड चाटे और चूसे

बाप रे मेरा तो मुँह दर्द होने लगा पर मजा और जोश कम नही॔ हुआ
मै खड़ी हो गई
मेरी चूत, जो पहले से गीली थी,
अब मंगल के सामने नंगी थी।
मंगल ने नीचे झुक कर मेरी चूत को चाटना शुरू किया।
उसकी जीभ मेरी चूत की नरम त्वचा पर फिसल रही थी,.
और मेरी टाँगें काँपने लगीं। मै आनंद से चीख रही थी,
"ऊउम्ह्ऽऊउम्म्ऽऊउम्म्ऽऊउम्म्ऽ"
"और जोर से, मंगल! इसे पूरा खा जा!.चाट जा"

रघु, मेरे सामने आ गया। उसने मेरी की काँख को सूँघा,
जो पसीने से भीगी थी।
मेरी गंध उसे पागल कर रही थी।
रघु ने अपनी जीभ से मेरी काँख चाटना शुरू किया,
और मारे सनसनाहट और मजे के मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं।
उसी वक्त, चौथा दुकालू, मेरे भारी स्तनों को मसलने लगा।
उसने अपने मुँह में मेरा निप्पल लिया
और उसे चूसने लगा,.
जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो।
कसम से मजा आ रहा है।
"हाआह्ह हाआह्हऊउम्म्ऽ"
अब कभी मुझे दुकालू चूम रहा है "उम्ह्ऽ उम्ह्ऽऊउह्हऽ"
तो कभी भोलु मेरी जीभ और होठों से खेल रहा है.
हर कोई
बारी बारी से मेरी जीभ और होठों से खेल रहा है.
चूम रहा है।
मै हर किसी के जीभ से खेली.
और सभी मेरे होंठों से और जीभ से खेले।
"उम्ह्ऽऊउम्ह्ऽ"
हर किसी के मुँह में मेरा थूक था
और इधर मैने सभी नौ मर्दो का लार थूक मै गटक गई थी। "हाहहा हाहाहा"
सभी ने मुझे जूठा कर दिया वाह वा क्या माहौल है.
मै बता नहीं सकती।
एक औरत ही मेरे एहसास को समझ सकती है.
हर कोई बारी बारी से अपनी जीभ से मेरी काँख चाट रहा है.
कोई मेरे भारी स्तनों को मसल रहा है.
तो कोई अपने मुँह में मेरा चुची लेकर उसे चूसने लगा,.
जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो।
मजे के मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं। "आह्हअ ऊउम्ह्ऽ"
कोई पेट तो
कोई नाभि में .अपनी जीभ चला कर मुझे मदमस्त कर रहे हैं
अरे
चूत तो छोड़ो. गाँड़ भी चाट रहे हैं।
मेरा पूरा. पसीने से नमकीन बदन. ही ये सभी लोग चाट रहे हैं
मेरे पूरे बदन पर अपना पूरा प्यार.या कहें हवस, जो भी हो मुझ पर लुटा रहे हैं.
जैसे... जैसे मै जन्नत की हूर हूँ.
मै तो जन्नत की रानी. जैसा महसूस कर रही हूँ। जन्नत की हूर
जिसका. काम ही मर्दों की हवस, प्यास. बुझाना है।
मै महबुबा ओर सभी 9 मेरे महबुब, आशिक या मेरे इश्कजादे है।
अब तक कमरे में एक.जंगली माहौल में बदल चुका था।
मै ने मजदूरों को और उकसाया।
मैने कहा, "एक-एक करके क्या करोगे? सब मिलकर मुझे चोदो!." "मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है"
पहले
कालू, आगे आया और उसने मुझे जमीन पर लिटा दिया। उसने अपना मोटा काला लंड मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
मेरी आहें, चीखें और कालू की उत्तेजना की आवाजें एक साथ गूंज रही थीं।

उसी वक्त, बंसी, मेरे चेहरे के पास अपना लंड लेकर आया मै भी प्यार से उसका लंड चूसने लगी।
गोपाल और भुनेश का लंड मै अपने एक एक हाथ से मसल-रगड़ रही हूँ

गैंगबैंग का चरम
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फिर पोजिशन बदला गया.
लालू नीचे लेट गया और मै उसके ऊपर चढ़ कर अपनी चूत में उसका लँड बैठा लिया
अब भोलु, भी पीछे नहीं रहा. वो मुझे झुका कर मेरी गाँड़ चाटने लगा उसमें अंदर तक जीभ घुसा दिया
मै बता नहीं सकती उस आनंद के एहसास का "हाआह्ह हाआह्हऊउम्म्ऽ.उम्ह्"
फिर थूक लगा कर धीरे धीरे अपना लँड मेरी गाँड़ में घुसाने लगा, मैने भी साथ दिया "उसकाऊउह्हअऔऊह्ह औऊह्ह"
और तीसरी कोशिश में उसका सुपाड़ा मेरी गाँड़ की छेद के अंदर था.
फिर मैने उसको इशारा किया. कि धीरे धीरे बाकी लौड़ा भी अंदर ढकेले क्या बताऊँ दर्द भी हो रहा था पर मस्त मजा भी आ रहा था.
फिर 2-3 बा धीरे धीरे आगे पीछे देने के बाद मेरी गाँड़ का छेद भी चुदने के लिए फूल सेट हो गया.
अब मेरी चुत और गाँड़ की मस्त चुदाई हो रही थी. "हाआह्ह हाआह्हऊउम्म्ऽ"
लालू बीच बीच में मेरी चूतड़ पर धीरे से थप्पड़ मारता रहता है। कभी मसलता है.
खुदा कसम मजा आ गया।
भुनेश सामने आगया मै उसका लँड चूसने लगी. मै अब तीनों तरफ से चुद रही थी—चूत, मुँह, और गांड।
सभी में एक एक लँड, मेरा शरीर पसीने और वासना से लथपथ है.
दुकालू ने मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ाया और उसे हिलाने को कहा।
कमरे में अब सिर्फ सिसकारियाँ,. चीखें, और बदनों के टकराने की आवाजें थीं।
"ऊउम्ह्ऽऊउम्म्ऽऊउम्म्ऽऊउम्म्ऽ"
मै खुशी के मारे बौरा गई।
इतना मदमस्त. और. आनंदमय. एहसास. मुझे पागल ही बना दे रहा था
भोलु अपना लंड मेरी गाँड़ से निकाला और मेरे सामने आकर खड़ा हो गया.
और भुनेश मेरी गाँड़ चोदने पीछे चला गया
मै तो मस्ती मजे में मदहोश हूँ मैने बिना झिझके मेरी गाँड़ से निकले भोलु के लंड को हरामी रंडी की तरह चाटना शुरु कर दिया.
फिर धीरे धीरे चूसने लगी. और फिर ऐसे चूसी-चाटी जैसे उसका लंड साफ कर रही हूँ
"उम्उम्ह्उम्ऊउम्म्ऽ ऊउम्म्ऽ.ओउख् ओउख्औ ओख़्"
फिर कुछ देर के बाद नीचे से लालू की जगह बंशी लेट गया
यह सब घंटों तक चला। मैने हर मजदूर को बारी-बारी से चूमा. चूसा, चाटा. और चुदवाया।
हर किसी ने मेरी चूत और गाँड़ मारी। (DP या double penetration)
और गाँड़ से सीधे मुँह में लंड डाला. (ass to mouth या atm)
"अह हा हा हा हा".
मतलब एस टू माउथ
बड़ा मजा आ रहा है इस गंदे हरामीपन में.
मैने बिना झिझके पूरे जोश से उनकी काँखें चाटीं, उनके पेशाब और पसीने से भरे लंड को अपने मुँह में लिया,
और अपनी चूत गाँड़ और मुँह को बार-बार उनके रस से भरवाया
आखिरकार, जब सूरज ढल गया,
मजदूर थककर चूर हो गए।
मै जमीन पर नंगी पड़ी थी, मेरा शरीर पसीने, वीर्य और संतुष्टि से भरा हुआ था।
मजदूर चुपचाप अपने कपड़े पहनकर चले गए,
और मै ने एक लंबी साँस ली।
मै हूँ जन्नत की रानी. जन्नत की हूर
जिसका. काम ही मर्दों की हवस
प्यास. बुझाना है।
आज मैने अकेले बिना डरे और झिझके नौ नौ मजदूरो से चुदवा कर उनकी प्यारी रंडी भौजाई बनी हूँ।
यह किसी ताज से कम नहीं है।
जैसा मैने किया है हर पत्नी अगर अपने पति के साथ करे तो
पति कभी भी पराई औरत के बारे में नहीं सोचेगा

जब राजू रात को लौटा, उसे कुछ शक हुआ। मेरे शरीर पर कुछ निशान थे, और मेरी आँखों में एक अजीब संतुष्टि थी। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। मै जानती थी कि यह मेरी आखिरी मस्ती नहीं थी। खेतों की आग अभी भी सुलग रही थी, और वह अगले मौके का इंतजार कर रही थी।

वैसे अगली बार मै इन सभी मजदूरों के पेशाब से नहाने. और पीने. की सोच रही हूँ.

क्या कहते हो?