Update 08

प्रीति ने बाहर जा कर गेट खोला तो मनीष और पीछे पीछे शिल्पी घर आ गए। वें दोनों घर के अंदर अपने अपने कमरों में गए और इधर मै तेजी से छत पर अपने फ्लैट में आ गया।

छत पर मंजू ने फ्लैट की काफी सफाई कर दी थी। उसके बाद मैंने उसको नीचे जाने को कहा और बोला प्रीति को ऊपर भेज देना।

जब मैंने बोला प्रीति को ऊपर भेजनें को तो मंजू मुझसे कुछ बोलना चाही लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई। वों बस इतना ही कह पायी कि प्रीति अभी बच्ची है। प्रीति अभी 18 साल की हो चुकी थी और पूरे इत्मीनान से, उसे पूरा तैयार करके मुझे उसकी चुदाई करनी थी।

मंजू नीचे आ गई। नीचे नीतू सोई हुई थी और प्रीति हाल में टीवी देख रही थी। मंजू ने प्रीति को बोला कि मैंने ऊपर बुलाया है और वों शिल्पी और मनीष के साथ बातें करने लगी। थोड़ी देर में प्रीति डरते सहमते हुए छत पर आयी।

मै अब लगभग हर वक्त नंगा ही रहता था और घर का माहौल ऐसा बना देना चाहता था कि हर वक्त सब नंगे या कम से कम कपड़े में रहें। नीतू और मंजू मेरे इस बात को धीरे धीरे मान भी रहें थे और उनका घर में कम कपड़े पहनना शुरू हो गया था।

प्रीति जब छत पर आयी तो मै नंगा सोफे पर लेटा था और टीवी पर पोर्न मूवी चला रखा था। प्रीति पोर्न देखकर शर्मा गई और मेरे सामने आकर सर झुकाएं खड़ी हो गई।

मुझे पोर्न में कोई बहुत इंटरेस्ट था नहीं, यहाँ तो हकीकत में मेरा 24 घंटे रियल पोर्न चलता था। मैंने प्रीति को दूसरे सोफा में बैठने को बोला और पोर्न मूवी दस पंद्रह मिनट तक चलती रही। वों एक फॉरेन की पोर्न मूवी थी जिसमे एक मूवी का डायरेक्टर ऑडिशन के नाम पर आयी 18 साल की एक लड़की की जबरदस्त चुदाई करता है। प्रीति भी अपनी नजर को हल्की ऊपर किए मूवी देखने लगी। जब मूवी खत्न हुई तो मैंने उससे पूछा कैसा लगा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया।

अब मै सोफे पर बैठ गया और सामने टेबल पर अपना पैर रखा। मेरा लंड एकदम सीधा तन कर खड़ा था। मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए प्रीति से बोला - खुश है ना तू

प्रीति - जी

मै - फिर मेरी बात क्यों नहीं मानी?

प्रीति - आपकी सब बात मान रही हूँ

मै - अच्छा फिर बोला था ना कम कपड़े पहना कर। यदि मेरी बात नहीं मानेगी तो मै पनिशमेंट भी दे सकता हूँ। चाहिए पनिशमेंट?

प्रीति - नहीं

मैं - आज से तेरा नंबर आ गया। जब भी तूने मेरी बात नहीं मानी तब तुझे भयंकर पनिशमेंट मिलेगी।

प्रीति सर झुकाएं खड़ी रही।

मै - अभी कितने कपड़े है तेरे शरीर पर

प्रीति - जीन्स और टॉप

मै - बस जीन्स और टॉप, और कुछ नहीं पहना

प्रीति - वों अंदर पहना हैं

मै - क्या?

प्रीति - वों अंदरररर

मै - क्या अंदर

प्रीति - ब्रा

मै - और

प्रीति - और नीचे

मै - नीचे क्या प्रीति, जल्दी बोल

प्रीति कुछ देर तक कुछ नहीं बोली।

मै - नीचे क्या बोल ना या उतरवा दूँ अभी

प्रीति - पैंटी

मै - इतना देर क्यों लगाई

प्रीति - वों शर्म आती है

मै - इसलिए तो कह रहा हूँ, तूने आज नीतू की पैंटी उतारी थी ना। इस घर के अंदर अब कोई शर्म नहीं, समझी

प्रीति - जी

मै - मैं जो कहूँ चुपचाप करो, शरमना नहीं है अब। चल इधर आ।

ऐसा कह कर प्रीति का मैंने हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया।

प्रीति को अपनी ओर खींचने से ही वों मेरे गोद में आ कर गिर गयी। प्रीति काफी पतली और हल्की थी।

मैं प्रीति को अपनी गोद में बैठाकर उससे घर परिवार की बातें की और फिर उसके दोनों गालों को अच्छे से चूमा। साथ में मैं अपनी ऊँगली उसके टॉप के अंदर ले गया और उसकी नाभि के पास और नीचे फेरने लगा जिससे प्रीति गर्म होने लगी। इधर मेरा लंड जीन्स के ऊपर से ही उसकी गांड की दरारों में जगह बनाने की कोशिश करने लगा। इस तरह हमारा 15-20 मिनट तक हल्की मौज मस्ती चली।

शाम के 5:30 बज गए थे और 8 बजे तक नीरज आ जाता इसलिए मैंने प्रीति के साथ अपनी मस्ती को रोका और उसको नीचे भेज दिया।

प्रीति के जाने के बाद मैंने सीसीटीवी कैमरा हॉल और बेडरूम के अंदर लगाने लगा। आज रात नीरज आने वाला था और मुझे उसकी सभी हरकते रिकॉर्ड करनी थी। 2 घंटे में मैंने सब कुछ सेट कर दिया और फिर एक लोअर और टीशर्ट पहन लिया। शायद घर पर रहते हुए बहुत दिनों बाद कुछ पहना था।

फिर मैं नीचे गया और रात में सबके लिए डिनर और ड्रिंक्स मंगवाया। मैंने मंजू से कहा कि जब मैं बोलूंगा तब नीतू से छत पर डिनर भिजवा देंना और जब तक मैं ना कहूँ तुम बाहर या छत पर मत आना। कुछ जरूरत हो तो नीतू या मनीष को भेजना।

मंजू ने हाँ में सिर हिलाया। तभी मेरी नजर नीतू पर पड़ी। वों मेरे कहे अनुसार एक ट्रांसपेरेंट नाईटी में थी जिसके अंदर उसकी ब्रा पैंटी साफ साफ नजर आ रहें थे। वों मेरी बात मान रही है ये देख कर अच्छा लगा। मैंने हॉल में ही उसको अपने पास बुलाया और उसके होंठो को चूसने लगा। होंठो को चूसने के बाद मैंने उसको छोड़ा और कहा जाओ अच्छे से तैयार हो जाओ। नीतू ने पूछा क्यों तो मैंने कहा, मैंने बोला बस इसलिए।

इधर शिल्पी और प्रीति एक ही कमरे में थे और मनीष अपने कमरे में। मैं सोच रहा था कई दिनों से शिल्पी इग्नोर हो रही है और कहीं उसे बुरा तो नहीं लग गया या कुछ उसे पता तो नहीं लग गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था अभी उसके कमरे में जाऊ या ना जाऊ और जाऊ तो क्या करू। शिल्पी को समझाना या मैनेज करना बाकी तीनों से अधिक मुश्किल था और उसका नाराज होना अभी मेरे लिए मुश्किल खड़ी कर सकता था।

मैं इसी सोच में था कि तभी नीरज का फोन आ गया।

मैं - हाँजी, नीरज जी कहा तक पहुंचे

नीरज - बस आपके घर के पास हूँ

मैं बाहर निकल के देखा तो वों बगल वाले घर के सामने खड़ा था। मैंने उसको आवाज दी और घर में सीधा उसको छत पर अपने फ्लैट में ले गया। मन ही मन मैं सोच रहा था साला आज नीतू की अच्छे से बजाएगा।

हम दोनों छत पर आ गए। मैंने नीरज को सोफे पर बैठने को बोला और हम दोनों सोफे पर बैठे। मैं तीन सीट वाले सोफे पर और नीरज सिंगल सीट वाली सोफे पर बैठा।

हम दोनों ने सामान्य ढंग से बातें शुरू की। बातचीत के बीच में नीरज की नज़रे नीतू को इधर उधर ढूंढ रही थी। मैं इसको समझ रहा था और मन ही मन नीरज की बेचैनी पर मुस्कुरा रहा था। नीरज हॉल में बैठा बैठा कभी गेट की ओर देखता तो कभी उसकी नज़र बेडरूम या फिर कभी किचन की ओर देखता लेकिन हर बार वों निराश हो जाता। थोड़ी देर में मानो उसकी मुराद पुरी हो गई हो। नीतू डिनर और ड्रिंक्स लेकर ऊपर आयी और किचन में चली गई।

नीरज की मानो सांस में सांस आयी और उसकी नज़रे नीतू का पीछा करती रही। नीतू ने साड़ी पहन रखी थी और नीरज उसकी मटकती हुई गांड को देखता रहा।

नीतू ने किचन में सबकुछ सही से रखा और एक ट्रे में हम दोनों के लिए पानी ले कर आयी। नीतू ने साड़ी पहनी हुई थी और जब वों ग्लास रखने के लिए टेबल की ओर झुकी तो उसके बूब्स बाहर की ओर दिखने लगे और नीरज की हवसी निगाहे मानो उसको आँखों से ही खा जाए।

नीतू ग्लास रख कर जैसे ही सीधी हुई मैंने उसे कहा की ड्रिंक्स और स्नैक्स भी ले आए। एक आज्ञाकारी रखैल की तरह नीतू ड्रिंक, ग्लास और स्नैक्स ले आयी।

नीतू ये सब टेबल पर रख कर वही खड़ी हो गई तो मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको सोफे पर बिठा लिया और उसकी बायी गाल पर किस कर दिया। नीतू शर्मा गई। नीरज जो लगातार नीतू को देखे जा रहा था वों भी मानो चाह रहा था कि आकर नीतू को किस कर दे।

फिर मैंने तीनों के लिए पैक्स बनाएं। नीतू जिसने आज तक कभी ड्रिंक्स नहीं किया था वों मना की तो मैंने उसे समझाते हुए कहा कि बस तू एक पैक साथ देने के लिए पी ले। फिर हम तीनों ने चीयर्स किया और पहला पैक पिया। मैंने और नीरज ने तो पहला पैक फिनिश किया वही नीतू ने सिर्फ एक - दो सिप ही पिया था अपने पैक का।

मैंने यह देखा तो हम दोनों के लिए अगला पैक बनाया और नीतू को अपनी गोद में खींचा। नीतू की पल्लू नीचे गिर गई ब्लाउज में बंधे उसके बड़े बड़े बूब्स आधे दिखने लगे। फिर मैंने अपने हाथों से दो -तीन सिप उसको जबरदस्ती लेकिन प्यार से पिलाया। ऐसा करते करते मैंने पेटीकोट से बंधी उसकी साड़ी को खींच दिया जिसका नीतू को पता भी नहीं चला।

फिर मैं नीतू से - जा नीतू थोड़ा सा ड्रिंक्स नीरज जी के हाथों से भी पी ले।

नीरज जो नीतू को देखने में खोया था बोल पड़ा - खुशकिस्मती हमारी

नीतू मेरी ओर देखी तो मैंने आँखों से इशारा किया उसके पास जाने का। नीतू को उसकी साड़ी के खुले होने का एहसास ही नहीं था और ड्रिंक्स का नशा भी उसके ऊपर चढ़ रहा था। वों जैसे ही उठी, साड़ी ने उसका साथ देना छोड़ दिया और नीरज के पास पहुंचते पहुंचते वों सिर्फ पेटीकोट में थी। जब तक उसको यह आभास होता, वों पीछे मूड के देखी और साड़ी पहनने के लिए मुड़ती उससे पहले नीरज ने फुर्ती दिखाते हुए नीतू का हाथ पकड़ लिया।

नीतू जो एक गांव की महिला थी और अपने पति के अलावा किसी के सामने शायद खुल के बातें भी नहीं की होगी, कुछ हफ्ते में नए मर्द के स्पर्श का अनुभव करते ही वों डर और शर्म से काँप गई। वों कुछ रिएक्ट कर पाती, तब तक नीरज ने उसे अपनी ओर खींचा। नीरज जो कि सिंगल सीट वाले सोफे पर बैठा था उसने नीतू को अपनी गोद में बिठा लिया।

नीरज ने अपने ग्लास से ही नीतू को ड्रिंक पिलाना शुरू किया। नीतू पेटीकोट और ब्लाउज में नीरज की गोद में थी।

नीरज को मैंने इशारा किया और वों नीतू की होंठो को अपने होंठो से चूसने लगा। नीतू जो अब पूरे नशे में थी लेकिन अभी भी वों नीरज का साथ नहीं दे रही थी और थोड़ी कोशिश करने के बाद नीरज ने उसको किस करना रोक दिया।

फिर मैं उठा और नीतू को नीरज की गोद से अपनी ओर लाया। मैं नीतू को पकड़ कर हॉल में ही उसकी कमर पर हाथ रखा और उसके साथ डांस करने लगा। नीरज भी पीछे पीछे आया और हमारे साथ डांस करने लगा। डांस के दौरान कभी नीतू मेरी बाहों में और कभी नीरज के बाहों में होती। इस दौरान नीरज नीतू के बूब्स को जमकर मसलता और उसकी गांड की दरारों में पेटीकोट के ऊपर से ही लंड को घुसेड़ने की कोशिश करता। अब नीतू भी धीरे धीरे गर्म होने लगी। नीतू भी अब नशे में थी और नीरज का साथ दे रही थी। मैंने नीरज को कहा कि मैं अब जा रहा हूँ और तुम नीतू के साथ एन्जॉय करो। आज रात के लिए नीतू तुम्हारी अमानत है और नीरज जो शायद कुछ और ही सोच रहा था, मैं उससे आगे की सोच रहा था।

फिर मैं नीचे आया तो देखा मंजू हॉल में बैठी है और टीवी देख रही है। मुझे देखते ही मंजु ने नीतू और नीरज के बारे में पूछा तो मैंने कहा ऊपर है जा के देख ले। मंजु कुछ नहीं बोली। फिर मैंने अपने मोबाइल से सीसीटीवी कैमरा को कनेक्ट किया और मंजु को दिखाया।

नीरज नीतू को बेडरूम में ले गया था और उसके होंठो को पूरी ताकत से चूस रहा था। यह सब दिखाते हुए मैंने मंजु की गांड पर जोर से चिकोटी काटी और फिर मोबाइल से ऊपर की लाइव वीडियो को डिसकनेक्ट किया। सब कुछ ऊपर रिकॉर्ड हो रहा था जो मैं आराम से देखूंगा।

अब नीचे शिल्पी, मंजु और प्रीति थे। मंजु की चुदाई तो मैं लगातार कर रहा था और प्रीति को भी धीरे धीरे अपने हिसाब से तैयार कर रहा था लेकिन आजकल शिल्पी को मैं टाइम नहीं दे पा रहा था। मंजु और शिल्पी नहीं जानती थी मेरा दोनों के साथ चुदाई कार्यक्रम हो चुका है और उनदोनों को मैं एकसाथ कुछ कर भी नहीं पा रहा था। मन में कहीं ना कहीं डर था कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए।

यह सब सोचते हुए मैं वाशरूम की ओर गया। मैंने देखा शिल्पी अपने कमरे में पढ़ रही है और मनीष अपने कमरे में सोया है। शिल्पी के कमरे में प्रीति नजर नहीं आयी। मैं वाशरूम से निकला तो मंजु के बेडरूम में देखा तो प्रीति उसमे सोई थी। मैं हॉल में आया और मंजु से बोला कि प्रीति को अपने साथ ही सुला और थोड़ा ओपन कर। मैंने कहा की तू भी जा के सो जा और मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने।

ऊपर नीरज और नीतू का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें मैं अभी अपनी एंट्री नहीं चाहता था लेकिन जैसे ही मैंने मंजू से कहा उसे लगा आज उसकी बहन दो लंड का स्वाद एक साथ लेगी। वो मन ही मन मुस्कुराई लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और मैं छत पर जाने लगा।

मैं छत पर रेलिंग के सहारे थोड़ी देर खड़ा रहा और सोचने लगा कि क्या करू? मेरे दिमाग में कई सारे प्लान चल रहें थे। मैं सब कुछ अपने नियंत्रण में करना चाहता था और थोड़ी सी भी जल्दबाजी से बहुत गड़बड़ हो सकता था।

थोड़ी देर छत की रेलिंग के सहारे मैं खड़ा रहा। उसके बाद मैंने शिल्पी को कॉल किया। शिल्पी से मैंने कन्फर्म किया कि मंजु, प्रीति और मनीष सो चुके है। मैंने उसे हॉल का गेट और अपने कमरे को खोलने को बोला।

प्रीति ने हॉल का गेट खोला और मैं चुपचाप नीचे आ गया। मैंने देखा मंजु और प्रीति अपने कमरे में सोए है और मनीष अपने कमरे में। मैं शिल्पी के कमरे में गया और गेट को अंदर से लॉक किया। शिल्पी ने एक छोटा सा हॉट पैंट और टॉप पहना हुआ था।

अंदर जाते ही शिल्पी को मैंने अपने गले से लगा लिया। शिल्पी के बूब्स अब धीरे धीरे बड़े हो रहें थे और मैं बूब्स को अपनी छाती के ऊपर अच्छे से महसूस कर पा रहा था।

शिल्पी हल्की आवाज में मुझसे थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए - इतने दिन से मुझे क्यों छोड़ रखा है?

मैं - इंतजार का फल मीठा होता है, डार्लिग।

शिल्पी - बहाने मत बनाओ, सच सच बताओ।

मैं - तुम्हे तो पता है प्रीति के एडमिशन और ऑफिस का काम

शिल्पी - फिर सुबह ट्यूशन के लिए मना क्यों किया

अब इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने बात बदलते हुए उसे गोद में उठाया और बेड पर आ गया। मैं भी बेड पर लेट गया और शिल्पी को अपने ऊपर लिटा दिया

शिल्पी फिर से बोली - बोलों मॉर्निंग में छत पर आने से मना क्यों किया?

मैं - कहा तुम एक बात पकड़ के बैठ गई, फिर से मॉर्निंग स्टार्ट करता हूँ।

यह बोल कर मैंने शिल्पी को गर्दन के पीछे से पकड़ा और उसके होंठो को अपने होंठो के पास लाया और उसे चूसने लगा। शिल्पी भी जो तीन -चार दिनों से चुदने को बेताब हो रही थी, वों भी पूरी मस्ती से होंठो को चूसने लगी।

शिल्पी की होंठो को चूसते चूसते मेरे हाथ उसके हॉट पैंट के अंदर चले गए और मैं उसकी चूतड़ों को कसके दबाने लगा। शिल्पी की आह नकल गई। होंठो को चूसने के बाद मैंने शिल्पी को अपने कमर से नीचे की ओर सरकाया और घुटने पर लाकर रोक दिया। शिल्पी समझ गई अब उसे क्या करना है।

शिल्पी मेरे जीन्स के बटन को खोल जींस को नीचे किया और अंडरवियर के अंदर उफनते लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाया। मैंने भी तुरंत जीन्स को नीचे किया और उतार दिया। शिल्पी ने बिना वक्त गवाए मेरे अंडरवियर को भी नीचे किया और मेरे लंड से खेलने लगी। वों अपने हाथो से लंड को पकड़कर ऊपर नीचे करने लगी और लंड के सुपारे में ऊँगली फेड़ती। मैंने बोला साली मुँह में ले और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। वों मेरा लंड लेकर मुँह में चूसने लगी। ऐसा करते करते मेरे लंड ने उसके मुँह में ही वीर्य छोड़ दिया।

शिल्पी के मुँह में वीर्य छोड़ने के बाद उसने अपनी जीभ से मेरे पूरे लंड को पोछा और उसके बाद मैंने उसकी हॉट पैंट नीचे कर दी। उसकी नंगी चिकनी चुत मेरे सामने थी। मैंने अपने लंड को उसके चुत के अंदर घुसाया और जम के चुदाई की। दो राउंड की चुदाई के बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

अभी मैं सोया ही था तभी मेरे फोन की घंटी बजी। अभी रात के लगभग 2:30 बजे होंगे और यह कॉल नीरज का था।

मैं और शिल्पी चुदाई के दो राउंड को पूरा कर के सोए ही थे कि नीरज के इस अचानक कॉल से नींद खुल गई।

मैंने नीरज का फोन उठाया और बोला - बोलिए नीरज जी

नीरज - राज साहब, आपका बहुत बहुत धन्यवाद

मैं - अरे किसलिए

नीरज - नीतू के साथ यह मौका देने के लिए

मै - मजा आया ना

नीरज - जी सर, बहुत। अब एक रिक्वेस्ट है आपसे

मैं - अरे हुक्म बोलिए, बताइए

नीरज - वों मुझे अभी घर जाना है, स्वाति के कई कॉल आ गए हैं

मैं - अभी

नीरज - हाँ, प्लीज

मैं - ठीक है

मैंने बाजू में नंगी सो रही शिल्पी से खुद को अलग किया। मेरा एक लोअर और टी शर्ट शिल्पी के कमरे में था उसे पहन लिया और छत पे गया। छत पर नीरज जिन कपड़ो में आया था वों पहन कर तैयार था और बगल में सोफे पर नीतू ब्रा और पैंटी में बैठी थी।

मैंने नीतू से कहा तू भी चल। नीतू इस हालत में कैसे जाती, वों सीधी सहमी मेरे सामने खड़ी हो गई। मुझे भी लगा इतनी रात में इसे सिर्फ ब्रा पैंटी में बाहर ले जाना ज्यादा रिस्की होगा। तभी मेरी नजर मंजु की एक छोटी सी नाईटी पर पड़ी जो हॉल में थी। मैंने उसे उठाया और नीतू की ओर फेकते हुए कहा - जल्दी से पहन ले इसे।

नीतू एक अच्छी बच्ची की तरह मेरी बात मानी और नाईटी पहन लिया। शार्ट नाईटी मंजु की थी और नीतू की हाइट मंजु से ज्यादा है इसलिए वों नाईटी किसी तरह उसकी कमर तक ही आ पा रही थी।

अब हम तीनों नीचे आ गए और गाड़ी में बैठ गए। मैं ड्राइव कर रहा था और नीरज मेरे साथ बैठा था। नीतू पीछे बैठी थी। नीरज को अभी घर पहुंचने की जल्दी थी इसलिए अभी उसका पूरा ठरकीपन गायब था। मैंने उससे मजे लेते हुए पूछा।

मैं - और नीरज जी मजा आया

नीरज तुरंत बोल पड़ा - अभी मजा छोड़ो, अब सज़ा मिलेगी

मैं समझ गया ये फट्टू इंसान अपनी बीबी से बहुत ज्यादा डरता है। मैंने कहा टेंशन ना लो, कुछ नहीं होगा।

अभी हम उसके घर के पास पहुंचे ही थे कि स्वाति छत की बालकनी में खड़ी दिखायी दी। स्वाति को दूर से देखते ही नीरज और डर गया और बोला - नीतू तुम नीचे बैठ जाओ, यदि स्वाति ने तुम्हे देख लिया तो आज प्रलय आ जाएगा।

मैने भी नीतू से नीचे छुप जाने को कहा और नीतू भी नीचे छुप गई। तब तक गाड़ी नीरज के घर के गेट तक पहुँच चुकी थी।

नीरज स्वाति के छत के ऊपर देख कर बुरी तरह डर गया। मैंने नीरज से पूछा कि बीबी से क्या बता के आए थे मेरे यहां तो बोला कि बस यह कहा था फ्रेंड के घर डिनर पार्टी है।

यह सुन मैंने कहा कि नीरज रिलैक्स हो जाओ। मैं तुम्हारे साथ अंदर चलता हूँ।

मैंने नीतू से कहा कि वो कार में ही नीचे छिपी रहें। इतनी देर में गाड़ी नीरज के घर के सामने तक पहुँच गई। नीरज का घर काफी बेहतरीन था।

मैं और नीरज अंदर आ गए। नीरज स्वाति के सामने नजरे नहीं उठा पा रहा था वहीं स्वाति गुस्से से नीरज को घूरे जा रही थी। शायद मेरी वजह से वहाँ गृहयुद्ध नहीं हो रहा था जो मेरे जाते ही शुरू होने वाला था। मैंने चुप्पी को तोड़ते हुए स्वाति से बोला- भाभी जी, माफ कीजिएगा। नीरज जी आज मेरी वजह से इतना लेट हो गए।

स्वाति- आपकी वजह से क्यों?

मैं- जी सभी दोस्त दूर से थे, सबसे नजदीक के रहने वाले यही थे और सबसे पहले यही वापिस आ रहे थे तो मैंने इन्हें रोक लिया था। मैंने कहा था कि आपका घर सबसे नजदीक है इसलिए आप सबसे लेट जाओगे।माफ कीजिएगा मेरी वजह से आप परेशान हो गए।

स्वाति (जबरदस्ती अपने चेहरे पर हल्की की मुस्कान लाते हुए)- ठीक है भाई साहब

फिर एक दो मिनट माहौल को हल्का करने के बाद मैं नीरज के घर से बाहर निकला। स्वाति थोड़ी दबंग औरत लगी जिसका नीरज पर पूरा नियंत्रण था।

जल्दी से मैं बाहर आया और कार का गेट खोला।

कार के अंदर नीतू डरी सहमी बैठी थी। मैंने कार स्टार्ट की और तेज़ी से चलाकर कार को दो मिनट में नीरज के घर से थोड़ी दूर लाया। फिर मैंने नीतू को आगे आकर बैठने को कहा।

नीतू ब्रा पैंटी और उसके ऊपर ट्रांसपेरेंट मिड्डी जैसी नाइटी में बहुत ही ज्यादा शर्मा रही थी। उसके बड़े बड़े बूब्स जो बरा में समाते नहीं थे, मैंने उन्हें और ऊपर की और खींचा और दबाने लगा। एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा नीतू के बूब्स पर।

फिर मैंने नीतू से बोला की मंजु को फ़ोन कर के बोले की हम दोनों आ रहे है वो छत पर मेरे कमरे में जाए और हम दोनों का इंतजार करे।

नीतू ने मंजु को फ़ोन किया और जो मैंने कहा था वो बोल दिया। अब मैंने नीतू से कहा कि अपनी ब्रा पैंटी उतार दे और पूरी तरह नंगी हो जाए। नीतू के ये सुनते ही प्राण सुख गए। जब उसने ब्रा पैंटी नहीं उतारी तो मैंने उसकी ओर गस्से से देखा। मुझे ग़ुस्से में देखते ही उसने बिजली से तत्परता से अपने कपड़े उतार दिए और वो पूरी नंगी हो गई।

मैं भी उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरता तो कभी बूब्स दबाता तो कभी उसकी चूत के पास उँगलियाँ सहलाता। ऐसे धीरे धीरे हम दोनों घर के गेट के पास पहुँच गए।

कार को अंदर पार्क करने के लिए गेट खोलना होता। मैंने नीतू को इशारा किया कि जा के गेट खोले। नीतू पूरी नग्न अवस्था में थीं। ऐसे हालात में वो गेट खोलने जाना उसके लिए किसी सजा से कम नहीं था। वो कभी मेरी ओर देखती, कभी अपने बूब्स और चुत की ओर मानो वह यह कहना चाह रही हो कि ऐसे कैसे जाऊँ।

मैंने उसकी एक ना सुनी और उसको गेट खोलने का इशारा किया। वो जल्दी से कार का गेट खोली, दौड़ते हुए घर के गेट तक गई, गेट खोला और गेट की ओट में छिप गई।मैं मन ही मन मुस्कुराया।

इसके बाद गाड़ी पार्क की और नीतू के पास आया। नीतू मेरे सामने आँख बंद कर खड़ी हो गई तो मैंने उसको प्यार से अपने पास लाया और उसके माथे पर किस कर दिया। उसे बहुत अच्छा महसूस हुआ।

फिर मैं नीतू के साथ हाथों में हाथ डाल के छत पर पहुँच गया। ऊपर मंजू बेडरूम में बैठी टीवी देख रही थी।

नीतू पूरी नंगी थी और छत पर आते ही उसे यह याद आया कि छत पर तो मंजू भी हैं। मंजू और नीतू एक दूसरे के सामने कभी कम कपड़ों में भी आमने सामने नहीं हुए थे और यहां तो नीतू पूरी नंगी हो थी। नीतू अभी तक जितना नहीं शरमायीं वो उससे अधिक कमरे में जाने से शर्मा रही थी और वो वहीं पर नीचे बैठ गई। नीचे बैठते ही वो मेरे पैरो से लिपट गई, मानों वो मुझसे कहना चाह रहीं हो कि प्लीज ऐसे मुझे मंजू के सामने मत ले जाओ। मैंने नीतू को उठाया और दीवाल की ओर अड़ते हूए गले से लगाया। नीतू की सांसे तेज गति से चल रही थी, वो मेरे गले से लिपटी रही और मुझे बहुत ही कस के जकड़ लिया।

मैं नीरज को घर छोड़ने के लिए लोअर और टीशर्ट पहना था। मैंने अपना टीशर्ट उतार दियाऔर नीतू की पीठ को कस के मसलने लगा।

नीतू भी गर्म हो रही थी और मेरा लंड लोअर के अंदर ही फुल पॉवर में खड़ा हो गया और नीतू की चूत की छेद में जाने की कोशिश करने लगा। नीतू को भी अपने चूत पर मेरे लंड का अहसास हुआ और उसने मेरे लोअर को नीचे खींच कर मेरे लंड को आजाद कर दिया।

खुली हवा में आते ही मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा और मैंने नीतू के कंधे को नीचे बैठने के लिए दबाया।मैं अपना लंड नीतू की गालों पर सहला आ रहा था तभी नीतू ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।

नीतू मेरे लंड को चूस रही थी तभी मैंने लोअर से तेजी से अपना मोबाइल निकाला और मंजु को मेसेज किया।

मेरी गुलाम मंजू मेरा मैसेज पढ़ते ही बाहर आ गई। मंजु ने सिर्फ पैंटी पहना हुआ था वो भई पतली डोर वाली।

मैंने कमरें से आती मंजु को ईशारा किया कि चुपचाप नीतू के पीछे आ जा। मेरे कहे अनुसार मंजू नीतू की पीछे खड़ी हो गई।

मैं दीवाल से अड़कर खड़ा था और नीतू पूरे मजे लेकर मेरा लंड चूस रही थी। मैंने अपने हाथों से उसके सर को पकड़ रखा था और पूरी तेजी से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। नीतू के पीछे मंजू खड़ी थी, मैंने मंजू को इशारा किया कि वो नीतू को पीठ पर किस करना शुरू करे।

मंजू ने नीतू के गरदन के पिछले हिस्से पर हाथ फेरा और अपने जीभ से चाटना शुरू किया। मेरा लंड चूस रही नीतू की अचानक से सिसकी निकल पड़ी लेकिन मैं उसके सर को पकड़े रखा ताकि वो पीछे नहीं देख सके।

मंजु नीतू के पूरी पीठ को चाटते हुई नीतू को और गर्म कर रही थी और नीतू वो पूरी गर्मी मेरे लंड चूसने में निकाल रही थी। तभी मैंने नीतू को उठाया और पास में उसको रेलिंग के पास ले गया।

रेलिंग के पास एक गद्दे वाली कुर्सी पड़ी थी और खुले आसमान के नीचे हल्की रोशनी में बस वही कुर्सी चमक रही थी। मैंने नीतू को उस कुर्सी पे रखा और उसके चूत में अपना लंड डाल दिया।

थोड़ी देर में मेरे लंड से पानी निकल गया तो मैंने नीतू को उठाया। अब नीतू को भी होश आया कि वहाँ पर मंजु खड़ीं है। मंजु को देख नीतू शर्मायी तो मैंने नीतू की गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- शर्मा मत, तुम दोनों मेरा ही माल हों।

नीतू उठी और शर्माते हुए बाथरूम की ओर गई और मैं उसी कुर्सी पर बैठ गया। फिर मंजु ने मेरा लंड जीभ से अच्छे से साफ किया।

इसके बाद मैं कमरे में आ गया। मंजु और नीतू भी मेरे साथ कमरे में आ गए। आज मेरे डबल बेड का पूरा इस्तेमाल हो रहा था। मैं बीच में लेट गया और मेरे दोनों बाहों में एक तरफ मंजु और दूसरी तरफ़ नीतू थी।

कभी नीतू मेरा लंड सहला रही होती तो कभी मंजू। फिर इधर उधर की बाते करते हम सो गए।

हम तीनों सुबह के लगभग चार बजे सोए होंगे।अब सिर्फ नीचे का मेन डोर लॉक रहता था, बाकी ऊपर नीचे ऐसे रहने लगे थे मानों एक ही परिवार हो।

मनीष और शिल्पी नीचे अपने कमरे में सोए थे और प्रीति मंजु के कमरे में। सुबह के सात बजे होंगे, ऊपर हम तीनों गहरी नींद में सोए थे वहीं नीचें तीनों के सुबह उठने का टाइम हो चुका था।

प्रीति की जब नींद खुली तो उसने बिस्तर पर मंजू को नहीं देखा। थोड़ी

देर उठने के बाद वो फ्रेश हो गई लेकिन उसे मंजू नजर नहीं आयी तो उसने मंजू को कॉल किया। मंजू एक दम मुझसे चिपक के सोयी थी और सोए हुए हाल में भी मेरा एक हाथ से मंजु को पकड़ रखा था और उसका एक बूब्स मेरी मुट्ठी में था।

प्रीति की कॉल से मंजू की नींद खुली। मंजू ने फोन पर प्रीति देखते ही आँखे खोला और उसे होश आया कि रात में वो प्रीति के साथ नीचे सोयी थी।

उसने प्रीति का कॉल उठाया।

प्रीति मंजू से- आप कहा हों?

मंजू- मैं थोड़ी देर पहले ऊपर आयी हूँ। वो राज जी का कॉल आया था उन्हें सुबह सर्दी जैसा लग रहा था। तू तैयार हो, मैं आ रहीं हूँ।

मंजू ने अपने बूब्स को मेरे क़ब्ज़े से आजाद किया और बेड से नीचे उतरी। यह क्या मेरे कॉल पर रात में तो वो ब्रा पैंटी में ही छत पर आयी थी। वो दोनों ब्रा सिर्फ कहने के लिए शरीर को ढकते थे लेकिन ढकनें से अधिक दिखाने का काम ही करते थे।

मंजु की नाइटीजो छत पर रखी थी, वों कल रात नीतू ने पहनीं थीं और अभी वह पहनने लायक़ हालत में नहीं थी। मंजू को समझ नहीं आ रहा था, इस हालत में वो नीचे कैसे जाए तभी उसकी नजर टॉवल पर पड़ी और उसने टॉवल से खुद को लपेटा और वो नीचे आ गई।

नीचे जा कर उसने जल्दी से सूट पहना, नाश्ता बनाया और तीनों को कॉलेज, कॉलेज के लिए रवाना किया। फिर नीचे उसने मेन डोर लॉक किया और वो अपने कमरे में जा कर सो गई।

दिन के लगभग दस बजे होंगे तभी मेरी नींद खुली। मैंने बिस्तर पर नीतू को देखा। मेरी आँखें खुलते ही उसकी भी नींद खुली। सुबह सुबह ऐसे भी लंड खड़ा ही रहता है और नीतू और मैं तो पूरे नंगे ही बेड पर थे।

नीतू एक दम दासी की तरह मेरे लिए समर्पित थीं।

मैं नीतू से- उठ गयी नीतू

नीतू- जी सर

मैं- तो अब क्या करेगी

नीतू- जो आप कहे

मैं- चल फिर पैर दबा।

नीतू तुरंत उठी और मेरे पैर दबाने लगी। तभी मैंने ऑफिस में मैसेज किया कि आज नहीं आऊँगा।

फिर थोड़ी देर में मैं उठ कर फ्रेश हुआ। तब तक नीतू ने पूरे घर की सफाई कर दी। मैं नहाने जा रहा तो नीतू मुझसे पूछ के नीचे गई।​
Next page: Update 09
Previous page: Update 07