Update 14

मेरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी… और मेने उनको अलग करके उनके दोनो खरबूजों को ज़ोर्से मसल दिया…

आअहह……लल्ला.एयाया… इतने ज़ोर्से नही रजीईई… हान्ं…प्यार से सहलाते रहो… उफफफफ्फ़…. सीईईईई…ऊहह… वो अपनी कमर को मेरे लंड के चारों ओर घूमने लगी…

उनकी पीठ पर हाथ ले जाकर मेने उनकी ब्रा को निकाल दिया….. आअहह… क्या मस्त खरबूजे थे चाची के… एकदम गोल-मटोल… बड़े-बड़े, लेकिन सुडौल… जिनपर एक-एक काले अंगूर के दाने जैसे ब्राउन कलर के निपल जो अब खड़े होकर 1” बड़े हो चुके थे…

मेने उन दोनो को अपनी उंगली और अंगूठे में दबाकर मसल दिया…. चाची अपने पंजों पर खड़ी होगयि… और एक लंबी से अह्ह्ह्ह…. उनके मूह से निकल गयी..

अब मेने उनकी चुचियों को चूसना, चाटना शुरू कर दिया था, और एक हाथ से मसलने लगा.. चाची मादक सिसकिया लेते हुए… कुच्छ ना कुच्छ बड़बड़ा रही थी…

चूस-चूस कर, मसल-मसल कर मेने उनके दोनो कबूतरों को लाल कर दिया…

जब मेने एक हाथ उनकी छोटी सी पेंटी के उपर रखा तो वो पूरी तरह कमरस से तर को चुकी थी… मे उनके पेट को चूमते हुए… उनकी जांघों के बीच बैठ गया..

एक बार पेंटी के उपर से उसकी चूत को सहला कर किस कर लिया….

हइई….लल्ला.. ये क्या करते हो… भला वहाँ भी कोई मूह लगाता है…

मेने झिड़कते हुए कहा… आपको मज़ा आरहा है ना… तो उन्होने हां में मंडी हिला दी…

मेने फिर कहा – तो बस चुप चाप मज़ा लीजिए… मुझे कहाँ क्या करना है वो मुझे करने दीजिए..

वो सहम कर चुप हो गयी.. और आने वाले मज़े की कल्पना में खोने लगी..

मेने उनकी उस 4 अंगुल चौड़ी पट्टी वाली पेंटी को भी उतार दिया… उनकी झान्टो के बालों को अपनी मुट्ठी में लेकर हल्के से खींच दिया…

हइई… लल्ला… खींच क्यों रहे हो…? मेने कहा – तो ये जंगल सॉफ क्यों नही किया..?

वो – हाईए.. लल्ला… बस आज माफ़ करदो, आज के बाद ये कभी तुम्हें नही दिखेंगे…

मे उनकी चूत चाटना चाहता था, लेकिन झान्टो की वजह से मन नही किया.. और अपनी उंगलियों से ही उसके साथ थोड़ी देर खेला…

उनकी चूत लगातार रस छोड़ रही थी, जिसकी वजह से उनकी झान्टे और जंघें चिपचिपा रही थी…

और मत तडपाओ लल्ला… नही तो मेरी जान निकल जाएगी… चाची मिन्नत सी करते हुए बोली… तो मेने उन्हें पलंग पर लिटा दिया, और अपना लोवर निकाल कर, लंड को सहलाते हुए उनकी जांघों के बीच आगया..

चाची अपनी टाँगों को मोड हुए जंघें फैलाकर लेटी थी… मेरे मूसल जैसे 8” लंबे और सोते जैसे लंड को देखकर उन्होने झुरजुरी सी ली और बोली – लल्ला आराम से करना.. तुम्हारा हथियार बहुत बड़ा है…

मे – क्यों ऐसा पहले नही लिया क्या..?

वो – लेने की बात करते हो लल्ला… मेने तो देखा भी नही है अब तक ऐसा.. मेरी इसमें अभी तक तुम्हारे चाचा की लुल्ली या फिर मेरी उंगलियों के अलावा और कुच्छ गया ही नही है..

मेने चाची की झान्टो को इधर-उधर करके, उनकी चूत को खोला, सच में उनका छेद अभीतक बहुत छोटा सा था…

मेने एक बार उनकी चूत के लाल-लाल अन्द्रुनि हिस्से को चाटा… चाची की कमर लहराई… और मूह से आससीईईईईईईई… जैसी आवाज़ निकल गयी…

अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर मेने सुपाडा चाची के छेद में फिट किया और एक हल्का सा झटका अपनी कमर में लगा दिया…

आहह… धीरीए…. सीईईईईईई.. बहुत मोटा है… तुम्हारा.. लल्ला…

लंड आधा भी नही गया.. कि चाची कराहने लगी थी…

मेने उनके होठों को चूमते हुए कहा.. बहुत कसी हुई चूत है चाची तेरी.. मेरे लंड को अंदर जाने ही नही दे रही…

मेरे मूह से ऐसे शब्द सुनकर चाची मेरे मूह को देखने लगी.. मेने कहा.. खुलकर बोलने में ही ज़्यादा मज़ा है.. आप भी बोलो…

मेने फिर एक और धक्का मार दिया और मेरा 3/4 लंड उनकी कसी हुई चूत में चला गया, चाची एक बार फिर कराहने लगी… मेने धीरे-2 लंड को अंदर बाहर किया…

चाची की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी.. मेने धक्के तेज कर दिए… चाची आह..ससिईहह.. करके मज़े लेने लगी, और कमर उठा-2 कर चुदाई का लुफ्त लूटने लगी, हमें पता ही नही चला कब लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया..

आअहह…चाची क्या चूत है.. तेरी.. बहुत पानी छोड़ रही है…

ओह्ह्ह.. मेरे चोदु राजा… तेरा मूसल भी तो कितनी ज़ोर्से कुटाई कर रहा है मेरी ओखली में… पानी ना दे बेचारी तो और क्या करेगी…

अब चाची भी खुलकर मज़े ले रही थी…और मनचाहे शब्द बोल रही थी…

मेरे मोटे डंडे की मार उनकी रामदुलारी ज़्यादा देर नही झेल पाई और जल्दी ही पानी फेंकने लगी..

चाची एक बार झड चुकी थी, मे उनकी बगल में लेट गया और उनको अपने उपर खींच लिया…

चाची मेरे उपर आकर मेरे होठ चूसने लगी, मेने उनकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा… चाची मेरे लंड को अपनी चूत में लो ना…

वो – अह्ह्ह्ह.. थोड़ा तो सबर करो… मेरे सोना.. फिर उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को मुट्ठी में जकड़कर उसे अपनी गीली चूत के होठों पर रगड़ने लगी, जिससे वो फिरसे गरम होने लगी..

मेरे सुपाडे को चूत के मूह से सटा कर धीरे-2 वो उसके उपर बैठने लगी…

जैसे जैसे लंड अंदर होता जा रहा था… साथ साथ चाची का मूह भी खुलता जा रहा था, साथ में कराह भी, आँखें मूंद गयी थी उनकी.

पूरा लंड अंदर लेने के बाद वो हाँफने सी लगी और बोली ….

हाईए… राम.. लल्ला… कितना बड़ा लंड है तुम्हारा… मेरी बच्चेदानी के अंदर ही घुस गया ये तो….

और अपने पेडू पर हाथ रख कर बोली - उफफफफ्फ़… देखो… मेरे पेट तक चला गया… फिर धीरे-2 से वो उसपर उठने बैठने लगी…

हइई… मॉरीइ… मैय्ाआ…. अबतक ये मुझे क्यों नही मिला… अब मे माँ बनूँगी… इसी मूसल से… उउफफफ्फ़.. मेरे सोने राजा… मेरे लल्लाअ.. के बीज़ से…

ऐसे ही अनाप-सनाप बकती हुई चाची, लग रहा था अपना आपा ही खो चुकी थी…

मेने भी अब कमान अपने हाथ में ले ली और उनके धक्कों की ताल मिलाते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा..

कमरे में ठप-ठप की अवजें गूँज रही थी.. दोनो ही पसीने से तर-बतर हो चुके थे.. फिर जैसे ही मुझे लगा कि अब मेरा छूटने वाला है…

मेने झपट कर चाची को फिरसे नीचे लिया, और 20-25 तूफ़ानी धक्के लगा कर उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया………….!

15 मिनिट के बाद चाची मेरे बगल से उठी और अपने कपड़े समेटने लगी… मेने उनका हाथ पकड़ कर कहा – ये क्या कर रही हो चाची..?

वो – अरे ! फ्रेश तो होने दो… फिर चाय बनाके लाती हूँ.. और साथ में कुच्छ नाश्ता भी कर लेंगे…

मे – ऐसे ही जाओ, जहाँ जाना है..

वो अपने मूह पर हाथ रखकर बोली – हाई… लल्ला तुम तो बड़े बेशर्म हो, और मुझे भी बेशर्म बनाए दे रहे हो…

अब ऐसे नंगी-पुँगी… बाहर कैसे जा सकती हूँ..? किसी ने उपर से देख लिया तो..?

मे – तो एक चादर ओढ़ लो.. बस,… हँसते हुए उन्होने अपने शरीर पर एक चादर डाल ली और बाहर निकल गयी…

बाथरूम तो जैसे मेने पहले ही कहा है.. ओपन ही था,

तो उसी में बैठकर वो मूतने लगी, और बैठे-2 ही अपनी चूत साफ करके किचेन में घुस गयी…

उन्होने चाय बनाने के लिए गॅस पर रख दी, अभी वो उसमें चाय-चीनी डाल ही रही थी, कि मेने पीछे से जाकर उन्हें जकड लिया..

मे एकदम नंगा ही था अब तक..

मेने उनकी चादर हटाकर एक तरफ रख दी, और अपना कड़क लंड उनकी मोटी लेकिन मस्त उभरी हुई गान्ड की दरार में फँसा दिया और अपनी कमर चलाने लगा..

मेरा लंड उनकी गान्ड के छेद से लेकर चूत के मूह तक सरकने लगा…

आहह………सीईईईईईईईईईईईईईईईई……………लल्लाआाआ…. रुकूऊ…चाय तो बनाने दो… सच में बहुत बेसबरे हो तुम…

मेने बिना कोई जबाब दिए चाची को पलटा लिया और किचेन के स्लॅब से सटा कर उनके होठ चूसने लगा…

चाय जल जाएगी मेरे सोनााआ….आआईयईई…..नहियिइ…..रकूओ…प्लेआस्ीई… उनकी चुचि को दाँतों से काटते हुए मेने हाथ लंबा करके गॅस बंद कर दी..

मेने अपने हाथ की दो उंगलियाँ उनकी चूत में घुसा दी और अंदर बाहर करते हुए चुचियों को चूसने मसल्ने लगा….

ओह्ह्ह्ह…उफ़फ्फ़…. बहुत बेसबरे हो मेरे सोनाआ….सीईईई…आअहह….आययीईई…

तुम्हारी चुचियों को देखकर किस मदर्चोद को सबर होगा चाची… क्या मस्त माल हो तुम…

उनके होठ चबाते हुए मेने कहा- चाचा भोसड़ी का चूतिया है.. जो इतने मस्त माल को भी नही चोदता …

उस चूतिया का नाम लेकर मज़ा खराब मत करो लल्लाआ……सीईईईई……..चाची अपने खुश्क हो चुके होठों पर जीभ से तर करते हुए बोली.

फिर मेने चाची की एक जाँघ के नीचे से हाथ फँसा कर उठा लिया और अपना लंड उनकी गीली चूत में खड़े-2 पेल दिया….

अहह……………मैय्ाआआआआ……मारगाई………..भोसड़ी के धीरीईई…..नहियीईईईईई….डाल सकताआआआअ…..आआआआआअ…..धीरे….

चाची का एक पैर ज़मीन पर था, एक हाथ स्लॅब पर टिका लिया था और दूसरा हाथ मेरे गले में लपेट लिया…

हुमच-हुमच कर धक्के लगाने से चाची का बॅलेन्स बिगड़ने लगा..

मेने दूसरी टाँग को भी उठा लिया, अब चाची हवा में मेरी कमर पर अपने पैरों को लपेटे हुए थी.. एक हाथ अभी भी उनका स्लॅब पर ही टिका रखा था…

इस पोज़ में लंड इतना अंदर तक चला जाता, की चाची हर धक्के पर कराह उठती…

एक बार फिर चाची हार गयी.. और उनकी चूत पानी फेंकने लगी…

मेने उनको नीचे उतारा और स्लॅब पर दोनो हाथ टिका कर घोड़ी बना लिया…

उनकी गान्ड देख कर तो में वैसे ही पागल हो जाता था, सो पेल दिया लंड दम लगा कर उनकी चूत में … एक ही झटके में मेरे टटटे… गान्ड से टकरा गये..

मेरे धक्कों से चाची हाई..हाई… कर उठी… 20 मिनिट के धक्कों ने उनकी कमर चटका दी..

आख़िर में उनकी ओखली को अपने लंड के पानी से भरकर मेने चादर से अपना लंड पोन्छा और कमरे में चला गया…

10 मिनिट बाद चाची चाय लेकर कमरे में पहुँची.. तो मेने उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनो चाय पीते हुए बातें करने लगे…

बहुत कुटाई करते हो लल्ला तुम… सच में मुझे तो तोड़ ही डाला… पूरी तरह..

मे – मज़ा नही आया आपको..?

वो – मज़ा..? मेने आज पहली बार जाना है कि चुदाई ऐसी भी होती है… इससे ज़्यादा जिंदगी में और कोई सुख नही हो सकता… सच में…

चाय ख़तम करके चाची बोली – लल्ला.. मानो तो एक बात कहूँ..?

मेने उनके होठों को चूमते हुए कहा… अब इससे बड़ी और क्या बात होगी जिसके लिए मे ना कर दूं…

वो – लल्ला ! अब तुम बड़े हो गये हो.. कॉलेज जाने लगे हो.. अब थोड़ा घर के कामों में भी हाथ बटाना चाहिए तुम्हें.. जेठ जी और कब तक करेंगे…

मे समझा नही चाची.. किन कामों की बात कर रही हो.. सारा काम तो नौकर ही करते हैं ना..!

वो – तो क्या हुआ, उनकी देखभाल भी तो करनी होती है.. मे बस यही कहूँगी.. कि तुम भी थोड़ा खेतों की देखभाल करो… जिससे तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले…और आगे चल कर तुम ये सब संभाल सको…

मेने कहा – ठीक है चाची मे आपकी बात समझ गया, आज से कोशिश करूँगा.. और फिर अपने कपड़े पहन कर उनके पास से चला आया……!

अभी मे अपने घर जाने की सोच ही रहा था….कि चाची के शब्द याद आगाये…”तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले”…!!!

चाची किस बारे में बोली..? कुच्छ तो ऐसा है.. जो चाची मुझे समझाना चाहती हैं…?

अभी मे अपने घर जाने की सोच ही रहा था….कि चाची के शब्द याद आगाये…”तुम्हें कुच्छ चीज़ों का पता चले”…!!!

चाची किस बारे में बोली..? कुच्छ तो ऐसा है.. जो चाची मुझे समझाना चाहती हैं…?

यही सब सोच विचार करता हुआ मे अपने खेतों की तरफ बढ़ गया… अभी 4:30पीम हुए थे.. मे 15 मिनिट में अपने खेतों पर पहुँच गया…

जैसा मेने पहले बताया था, कि हमारे खेतों पर ही ट्यूबवेल है, उसी से चारों परिवारों के खेतों की सिंचाई होती है, जिसका वो बाकी के चाचा लोग कुच्छ मुआवज़ा देते हैं..

ट्यूबवेल पर हमने दो कमरे बना रखे हैं, जिसमें एक में पंप सेट लगा है, दूसरा उठने बैठने और सोने के लिए है…

ज़रूरत की सुविधाएँ उसी कमरे में मौजूद रहती हैं..

मे सीधा अपने ट्यूबवेल पर पहुँचा… कुच्छ मजदूर खेतों में लगे हुए थे.. ट्यूबवेल चल रहा था,

मुझे नही पता कि इस समय उसका पानी किसके खेतों में जा रहा था.

मे जैसे ही बैठक वाले कमरे के पास पहुँचा.. मुझे अंदर से आती हुई कुच्छ अजीव सी आवाज़ें सुनाई दी..

ट्यूबवेल के कमरों की छत ज़्यादा उँची नही थी, यही कोई दस - साडे दस फीट रही होगी..

उस कमरे के पीछे वाली दीवार में एक रोशनदान था, जो छत से करीब दो-ढाई फीट नीचे था..

मेने पीछे जाकर उछल्कर उस रोशनदान की जाली पकड़ ली, और अपने हाथों के दम से अपने शरीर को उपर उठा लिया…

जैसे ही मेने अंदर का नज़ारा देखा …. मेरी आखें चौड़ी हो गयी….

जिस बात की मेने अपने जीवन में कल्पना भी नही की थी, वो हक़ीकत बनकर मेरी आँखों के सामने था…

मे ये सीन ज़्यादा देर ना देख सका… सच कहूँ तो देखना भी नही चाहता था….

लेकिन तभी चाची के शब्द एक बार फिर मेरे कनों में गूंजने लगे.. “कुच्छ चीज़ें हैं जो तुम्हें जाननी चाहिए..”

तो क्या चाची ये सब जानती हैं..? या उन्हें सक़ था..?

अगर ये चीज़ें मुझे जाननी चाहिए… तो जाननी पड़ेगी…

उसके लिए मे किसी ऐसी चीज़ को खोजने लगा जो मुझे उस रोशनदान तक आसानी पहुँचा सके..

मेरी नज़र पास में पड़ी एक 4-5 फुट लंबी सोट..(मोटी सी लकड़ी) पर पड़ी..

बिना आवाज़ किए मेने उसे उठाके दीवार के सहारे तिरच्छा करके टिकाया और उस पर पैर जमा कर फिर से रोशनदान की जाली पकड़ कर खड़ा हो गया…

अंदर बड़ी चाची.. चंपा रानी … एकदम नंगी… अपनी टाँगें चौड़ी किए पड़ी थी…

उपर बाबूजी.. अपने मूसल जैसे लंड जो लगभग मेरे जैसा ही था, से उसके भोसड़े की कुटाई कर रहे थे..

उनकी मोटी-मोटी जांघे चाची के चौड़े चक्ले चुतड़ों पर थपा-थप पड़ रही थी…

चुदते हुए चंपा रानी हाए…उऊहह….सस्सिईइ…औरर्र…. ज़ॉर्सईए…चोदो…जेठ जी…जैसी आवाज़ें निकाल रही थी…

चंपा – हाअए जेठ जी… इस उमर में भी आपमें कितनी ताक़त है…हाए…मेरी ओखली कूट-कूट कर खाली करदी आपने… एक आपका भाई है, जो लुल्ली घुसाते ही टपकने लगता है…

बाबूजी – अरे रानी, ये सब मेरी बहू की सेवा का कमाल है.. सच में खाने पीने का बहुत ख्याल रखती है मोहिनी बहू….!

कुछ देर बाद वो दोनो फारिग हो गये… बाबूजी चाची के बगल में पड़े हाँफ रहे थे…

चाची उनके नरम पड़ चुके लंड को अपने पेटिकोट से साफ करते हुए बोली..

जेठ जी ! मेरे नीलू को एक छोटी-मोटी बाइक ही दिलवा दीजिए… छोटू के पास बुलेट देखकर उसे भी मन करने लगा है…

बाबूजी – अभी पिछ्ले महीने ही मेने तुम्हें इतने पैसे दिए थे वो कहाँ गये..?

अब फिलहाल तो मेरे पास इतने पैसे नही है…. और रही बात छोटू की, तो उसे कृष्णा ने दिलाई है गाड़ी..!

चाची – अरे जेठ जी ! मे कोई ये थोड़े ना कह रही हूँ, कि उसे इतनी बड़ी गाड़ी ही दिलाओ… कोई छोटी-मोटी भी चलेगी..

बाबूजी – ठीक है.. रात को आना.. सोचके जबाब देता हूँ..कहकर उन्होने उसकी बड़ी-2 चुचियाँ मसल दी…

तभी मुझे बड़े चाचा अपने खेतों की तरफ से आते हुए दिखाई दिए…

मे फ़ौरन नीचे आकर छिप गया… जब वो भी उसी कमरे में घुस गये.. तो मे वहाँ से घर की ओर निकल लिया……!!

अपनी सोचों में डूबा हुआ मे, पता नही कब घर पहुँच गया…

भाभी ने मुझे देखा… आवाज़ भी दी… लेकिन मे अपनी धुन में सीधा अपने कमरे में चला गया.. और धडाम से चारपाई पर गिर पड़ा…

कुच्छ देर बाद भाभी मेरे कमरे में आईं, मुझे अपने ख़यालों में उलझे हुए पाकर वो मेरे सिरहाने पैर लटका कर बैठ गयी… और मेरे सर पर हाथ फिराया…

मेने उनकी तरफ देखकर अपना सर उनकी जाँघ पर रख दिया… वो मेरे बालों में उंगलियाँ घूमाते हुए बोली –

मेरा प्यारा बाबू कुच्छ परेशान लग रहा है…क्या हुआ है.. मुझे नही बताओगे..?

मे – आपके अलावा मेरा और है ही कॉन जिससे मे अपने मन की बात कर सकूँ…?

भाभी – तो बताओ मुझे हुआ क्या है… जिसकी वजह से मेरा लाड़ला देवेर इतना परेशान है.?

मेने भाभी को तुबेवेल्ल पर देखी हुई सारी घटना बता दी…

भाभी कुच्छ देर सन्नाटे की स्थिति में बैठी रही… फिर बोली – तो तुमने चाचा के आने के बाद की बातें नही सुनी…!

मे – नही ! मे तो ये देख कर हैरान था, कि जब चाची ने चाचा के लिए गेट खोला था, तब भी वो आधे से ज़्यादा नंगी ही थी, सिर्फ़ पेटिकोट को अपने दूधों तक चढ़ाया हुआ था…

भाभी – हूंम्म… इसका मतलब… चाचा-चाची मिलकर बाबूजी को लूट रहे हैं.. अब तो जल्दी ही कुच्छ करना पड़ेगा…!

मे – अब आप क्या करने वाली हैं भाभी…? मुझे तो बड़ा डर लग रहा है..

भाभी मेरे बालों को सहलाते हुए बोली – अभी तो मुझे भी नही पता कि मे क्या करूँगी…?

पर तुम बेफिकर रहो.. तुम्हारी भाभी सब ठीक कर देगी…!

मे – मुझे आप पर पूरा भरोसा है..

फिर भाभी ने झुक कर मेरे गाल पर चूमा और बोली – ये सब छोड़ो… ये बताओ आज छोटी चाची के यहाँ सारा दिन क्या किया..?

मेने शर्म से अपना मूह उनकी साड़ी के पल्लू में छिपा लिया… तो उन्होने मेरे दोनो बगलों पर गुदगुदी करते हुए कहा….

ओये-होये… मेरे शर्मीले राजा... इसका मतलब चाची अब जल्दी ही माँ बनने वाली हैं… आन्ं.. बोलो… !

मेने हँसते हुए कहा… पता नही… हो भी सकता है…!

भाभी – हो नही सकता… होगा ही.. मुझे अपने देवर पर पूरा भरोसा है…

मे – पर भाभी ! सच में चाची में ही कोई कमी हुई तो…?

भाभी – तुम्हें लगता है.. चाची जैसी भरपूर जवान औरत में कोई कमी होगी..?

मुझे 110% यकीन है.. एक महीने के अंदर ही कोई अच्छी खबर सुनने को मिलेगी…! देख लेना तुम…!

मे – भगवान करे.. चाची माँ बन जाएँ.. इससे बड़ी खुशी मेरे लिए और क्या होगी…

भाभी हँसते हुए बोली… और अपने बाप बनने की भी… है ना…. !

इस बात पर हम दोनो ही बहुत देर तक हँसते रहे.. जिसे रामा दीदी सुनकर हमारे पास आई और पुछ्ने लगी..

क्या बात है.. देवर भाभी इतने खुश क्यों हो रहे हैं…?

तो भाभी ने उसे गोल-मोल जबाब देकर टरका दिया… और फिर वो उठकर खाने पीने के इंतेजाम में लग गयी…..!

रात 8 बजे हम सभी एक साथ खाना खा रहे थे… भाभी ने हम तीनों को खाना परोसा और वो भी एक खाली चेयर लेकर हमारे पास ही बैठ गयी..

बाबूजी के कहने पर ही अब उन्होने उनसे परदा करना छोड़ दिया था, बस सर पर पल्लू ज़रूर डाल लेती थी..क्योंकि बाबूजी उन्हें अपनी बेटी ही मानते थे…!

हमारा खाना ख़तम होने ही वाला था, तभी भाभी ने बातों का सिलसिला शुरू किया – बाबूजी ! आपसे एक बात करनी थी…!

बाबूजी – हां कहो मोहिनी बेटा..! क्या बात करनी है…??

भाभी – रूचि के पापा कह रहे थे, शहर में कोई ज़मीन देखी है इन्होने, अच्छे मौके की ज़मीन है.., बड़े देवर जी से भी बात की थी उन्होने,

तो उस ज़मीन के लिए उन्होने भी हां बोल दिया है.., वो दोनो भी कुच्छ पैसों का इंतेज़ाम कर सकते हैं.

लेकिन ज़मीन ज़्यादा है, उनका विचार है कि मिलकर तीनों भाइयों के नाम से ले ली जाए.. अगर बाबूजी कुच्छ मदद करदें तो..?

बाबूजी कुच्छ देर चुप रहे फिर कुच्छ देर सोच कर बोले – राम का विचार तो उत्तम है.. पर सच कहूँ तो बेटा… अभी मेरे पास कुच्छ भी नही है….

भाभी चोन्कने की आक्टिंग करते हुए बोली – ऐसा कैसे हो सकता है बाबूजी..?

माना कि, सालों पहले जब वो दोनो भाई पढ़ते थे, तब खर्चे भी ज़्यादा थे..

लेकिन दो-तीन सालों से तो कोई ऐसा खर्चा भी नही रहा,

उपर से दोनो भाई जब भी आते हैं, कुच्छ ना कुच्छ देकर ही जाते हैं…

आपकी तनख़्वाह, खेतों की आमदनी…ये सब मिलाकर काफ़ी बचत हो जाती होगी,

मे तो समझ रही थी कि आपके पास ही इतना तो पैसा होगा कि उनको कुच्छ करने की ज़रूरत ही ना पड़े…!

बाबूजी थोड़े तल्ख़ लहजे में बोले – तो अब तुम मुझसे हिसाब-किताब माँग रही हो बहू..?

भाभी – नही बाबूजी ! आप ग़लत समझ रहे हैं… मे भला आपसे कैसे हिसाब माँग सकती हूँ..?

मे तो बस कह रही थी, कि कुच्छ समय पहले आप अकेले ही कमाने वाले थे, और खर्चे पहाड़ से उँचे थे, फिर भी आपने किसी बात की कोई कमी नही होने दी किसी को भी…,

पर अब तो इतने खर्चे भी नही रहे उपर से आमदनी भी बढ़ी है.. तो स्वाभाविक है कि बचत तो ज़्यादा होनी ही चाहिए….!​
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