Update 17
दो-दो चुतो का स्वाद लेने के बाद लंड महोदय तो बड़े खुश थे, लेकिन मुझे कुच्छ थकान सी होने लगी,
सो चाय पीकर मे सो गया… और सीधा शाम को 5 बजे ही उठा…
उठकर आँगन में पहुँचा तो वहाँ भाभी रूचि के साथ खेल रही थी, दीदी भी उनके साथ शामिल थी..
रूचि अब चलने और बोलने लगी थी… वो कभी-2 ऐसी बातें करती कि हम सब हँसते-हँसते लॉट पॉट हो जाते…
मुझे देखते ही रूचि चिल्लाई – चाचू आ गये.. मे तो चाचू के साथ ही खेलूँगी..
और अपने छ्होटे-2 पैरों पर भागती हुई मेरी तरफ आई, मेने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया…
उसके गाल पर एक पप्पी करके बोला – अले मेला प्याला बच्चा… चाचू के साथ खेलेगा…?
रूचि – हां चाचू..! मम्मी और बुआ तो मुझे चिढ़ाती हैं.. अब इन दोनो के पास कभी नही जाउन्गा…
भाभी बोली – अच्छा चाचा की चमची.. हमारी शिकायत करती है… ठहर, अभी तुझे बताती हूँ..
भाभी जैसे ही उसकी तरफ थप्पड़ दिखा कर आई, मे उसे लेकर घूम गया, और वो उन्हें अंगूठा दिखा कर चिढ़ाने लगी…
ऐसे ही बच्ची के साथ थोड़ा खेलने के बाद भाभी मेरे से बोली - क्या बात है लल्लाजी… आज तो बहुत सोए…!
दीदी की तरफ देखते हुए बोली - कुच्छ महंत वाला काम किया था क्या..?
दीदी ने शर्म से अपनी गर्दन नीची कर ली.. मेने कहा नही भाभी बस ऐसे ही कॉलेज में थोड़ा इधर-से उधर ज़्यादा भाग दौड़ रही सो थोड़ी थकान सी हो गयी थी…
लगता है.. कसरत में ढील दे दी है तुमने, आलसी होते जा रहे हो.... अब कुच्छ टाइट रखना पड़ेगा… और कहकर वो हँसने लगी…
दीदी ने हम सबके लिए चाय बनाई, चाय पीकर मे रूचि के साथ खेलता हुआ खेतों की तरफ निकल गया…!
रात को सोने से पहले भाभी ने मुझे इशारा कर दिया, तो दीदी के सोने को जाने के बाद मे उनके कमरे में चला गया…
वो एक लाल रंग का वन पीस गाउन पहने लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो पलंग के सिरहाने के साथ टेक लगा कर कुच्छ इस तरह बैठ गयी..
और बोली – आओ लल्लाजी.. तुमसे कुच्छ बातें करनी थी…
मेने अंदर से गेट लॉक किया, और उनके बगल में टेक लेकर बैठ गया..!
भाभी मेरे हाथ को अपने हाथों के बीच लेकर बोली – लल्ला जी, मुझे पता है आज तुमने और रामा ने फिरसे मस्ती की, है ना !
मे – हां भाभी सॉरी ! वो दीदी ने मुझे जबर्जस्ती पकड़ लिया… मे क्या करता..
वो – अरे कोई बात नही… मे कोई तुमसे नाराज़ थोड़ी ना हूँ, बस ये देखना चाह रही थी कि तुम मुझसे क्या-क्या छुपाते हो…!
वैसे यही बात छुपाई है या और कुच्छ भी है…
मे – वो मे..वो.. भाभी… आशा दीदी ने भी मुझे कॉलेज से आते वक़्त अपने घर रोक लिया… और उन्होने… भी……..
वो – क्या ? आशा को भी ठोक दिया तुमने..हहहे…. एक नंबर के चोदुपीर होते जा रहे हो लल्ला… लगाम कसनी पड़ेगी.. तुम्हारी…..हहहे…
वैसे वो कुँवारी थी या… फिर..
मे – एक तरह से कुँवारी ही थी, इसके पहले उसके मामा के लड़के ने आधा करके छोड़ दिया था…
भाभी हँसते हुए बोली – क्यों ? आधे में क्यों छोड़ दिया था उसने…?
मे – वो कह रही थी.. मुझे जैसे ही दर्द हुआ, और मे चीख पड़ी.. तो वो डर गया और वहाँ से भाग लिया…
हाहहाहा… . भाभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी, मे भी उनका साथ देने लगा.. फिर हँसते हुए बोली – साला एकदम गान्डू किस्म का लड़का निकला वो तो…
खैर अब अपनी बहनों की ही चिंता करते रहोगे या इस भाभी की भी फिकर है कुच्छ..
मे – अरे भाभी.. आपके लिए तो आधी रात को भी हाज़िर है आपका ये आग्यकारी देवर … वो तो मे आपके कहे वगैर कैसे कुच्छ कर सकता हूँ…
वो – तो अभी क्या इरादा है.. लिखित में चाहिए….?
भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..
और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.
भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..
और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.
भाभी मेरी सबसे पहली पसंद थी, उसे भला कैसे छोड़ सकता था..
भैया का लंड शायद भाभी को अंदर तक तृप्त नही कर पाता था, इस वजह से वो मेरे साथ सेक्स करने में पूरी तरह खुल जाती थी…,
अहह…..लल्लाअ…मेरे दूधों को चूसो….. बहुत खुजली होती है इनमें……इस्शह….खा जाऊओ…..…
मेने जासे ही उनके कड़क हो चुके निप्पल्स को काटा…..भाभी कराह उठीी…
ज़ोर्से…नही मेरे रजाअ…..उफ़फ्फ़….माँ…..मस्लो इन्हें…
भाभी दिनो दिन गदराती जा रही थी, उनके चुचे अब 34+ और गान्ड भी 36 की हो चुकी थी, जो मेरी बहुत बड़ी कमज़ोरी रही है शुरू से ही…
एक गहरी स्मूच के बाद मेने उनका गाउन निकाल फेंका, उन्होने भी मेरे कपड़े नोंच डाले, और एक दूसरे में समाते चले गये…
भाभी को सबसे ज़्यादा मज़ा मेरे लंड की सवारी करने में ही आता था,.. सो उन्होने अपना हाथ मेरे सीने पर रख कर मुझे पलंग पर धकेल दिया…और
वो मेरे उपर सवार होकर अपनी चुचियों के कंट्रोल बटन्स (निपल्स) को मेरे सीने से रगड़ती हुई… फुल मस्ती से अपनी चूत को मेरे कड़क लंड पर रगड़ने लगी…
उनकी चूत से निकलने वाले रस से मेरी जांघें और पेट तक गीला होने लगा, फिर जब भाभी की मस्ती चरम पर पहुँची,
तो उन्होने अपना हाथ घुसा कर मेरे मूसल जैसे लंड को पकड़ कर अपनी सुरंग का रास्ता दिखा दिया…. और खुद पीछे को सरकती चली गयी….
जैसे – 2 लंड चूत की दीवारों को घिसता हुआ अंदर को बढ़ता गया, भाभी के मूह से सिसकारी निकलती चली गयी…
पूरा लंड सुरंग के अंदर फुँचते ही भाभी लंबी साँस छोड़ते हुए बोली…
अहह…..लल्ला…..सच में ये तुम्हारा हथियार दिनो दिन बड़ा ही होता जा रहा है….. उफफफ्फ़…. कहाँ तक मार करता है…
फिर धीरे – 2 धक्के लगाते हुए बुदबुदाने लगी – हाए मैयाअ… तभी तो रूचि के पापा के साथ मज़ा ही नही आता है मुझे….
ना जाने क्यों जितना सुकून और संतुष्टि सेक्स करने में मुझे भाभी के साथ होती थी, वो किसी और के साथ में नही होती थी…
मे और भाभी रात के तीसरे पहर तक एक दूसरे के साथ कुस्ति करते, एक दूसरे को मात देने की कोशिश में लगे रहे…..
आख़िरकार दोनो ही जीत कर हारते हुए.... थक कर चूर, कोई 3 बजे सोए…..!
सुबह नाश्ता करते हुए बाबूजी ने मुझे पुछा – छोटू बेटा ! तुझे मोबाइल चलाना आता है..?
मे – हां बाबूजी, उसमें क्या है… मेरे कयि दोस्तों के पास है.. (हालाँकि मोबाइल का चलन अभी कुच्छ समय पहले ही शुरू हुआ था.)
बाबूजी – तो एक काम कर राम को फोन करके बोल देना, एक मोबाइल लेता आए इस बार.. ये ज़रूरी चीज़ें होती जा रही हैं जिंदगी में…
मे – हां बाबूजी ! आप सही कह रहे हैं.. वैसे मे आपको बोलने ही वाला था इस बारे में, फोन होना ज़रूरी है…
बाबूजी – देखा बहू… हम बाप बेटे के विचार कितने मिलते हैं..
भाभी ने हँसकर कहा – हां बाबूजी… आख़िर खून तो एक ही है ना.. !
हम सभी चकित थे, आज बाबूजी के व्यवहार को देख कर.. कुच्छ दिनो से उनमें काफ़ी बदलाव आया था.. लेकिन आज वो कुच्छ ज़्यादा ही खुश लग रहे थे..
कारण मेरी समझ में कुच्छ -2 आता जा रहा था, उनके खुश रहने का राज,
मेने जैसा सोचा था, वैसा होता दिख रहा था…. बाबूजी की खुशी हम सबके लिए ज़रूरी थी..
खैर मे कॉलेज चला गया और लौटते में एसटीडी से मेने भैया को फोन करके बाबूजी की बात बताई.. उन्होने भी हां करदी…
सॅटर्डे को भैया आए और सिम के साथ मोबाइल भी ले आए, जो बाबूजी के नाम से आक्टीवेट था..
चूँकि दोनो भाइयों के पास पहले से ही फोन की सुविधा थी उनके ऑफीस और घर दोनो जगहों पर, तो अब दूरियाँ कम होने लगी थी…
हमारे इलाक़े के लोकल एमएलए रस बिहारी शर्मा, एक दिन अपने क्षेत्र के दौरे पर आए,
जब उन्हें पता चला कि मास्टर शंकर लाल शर्मा का बेटा डीएसपी बन गया है, तो वो पर्षनली हमारे घर आए और पिताजी से मुलाकात की…
बाबूजी ने बड़े अच्छे से उनकी आवभगत की, मेरे बारे में भी बताया.. मेरी पर्सनॅलिटी देख कर बहुत प्रभावित हुए वो, और उन्होने पिताजी से कहा…
मास्टर साब ! आपने अपने सभी बच्चों की अच्छी परवरिश की है, ये बच्चा भी देखो क्या सही पर्सनॅलिटी है इसकी.. इसको भी कोई बड़ा अफ़सर बनाना…
बाबूजी – एमएलए साब ! इसकी परवरिश में मेरा कोई हाथ नही, जब ये 8थ क्लास में था, तभी इसकी माँ चल बसी… पर ईश्वार की कृपा से हमारी बहू बहुत अच्छी निकली और उसने मेरे घर को अच्छे से संभाल लिया…ये सब उसी की वजह से है….
एमएलए – हमें नही मिलवाएँगे उस देवी से …?
बाबूजी ने मुझे इशारा किया, तो मे भाभी को बुलाने चला गया, कुच्छ देर बाद हम तीनों चाय नाश्ते के साथ वहाँ पहुँचे…
बिना कहे चाय नाश्ते का इंतेज़ाम देख कर एमएलए बहुत प्रभावित हुए.. और बोले – अब आपको आपकी बहू के बारे में कुच्छ भी कहने की ज़रूरत नही है..
मे समझ गया कि इसके संस्कार कितने अच्छे हैं…
उन्होने भाभी को भी अपने पास बिठा लिया और इधर-उधर की घर परिवार की बातें करने लगे..
बातों -2 में एमएलए बोले – मास्टर साब ! मे आपके परिवार से बहुत प्रभावित हुआ हूँ, मेरी भी एक बेटी है.. पिच्छले साल ही उसने ग्रॅजुयेशन किया है…
अगर आप हमें अपने परिवार में शामिल करना चाहें तो आपके बेटे से मे अपनी बेटी की शादी करना चाहता हूँ…
बाबूजी ने जल्दी ही कोई जबाब नही दिया… और भाभी की तरफ देखने लगे… ना जाने उन्होने क्या इशारा किया…कुच्छ देर बाद बाबूजी ने उनसे कहा…
एमएलए साब ! आप जैसे बड़े आदमी की बेटी मेरे घर की बहू हो, इससे ज़्यादा हमारे लिए गर्व की क्या बात होगी… लेकिन फिर भी मे अपने बेटों की राई लिए बिना आपको कोई जबाब नही दे पाउन्गा..
एमएलए – कोई बात नही.. मे आपके जबाब का इंतेज़ार करूँगा.. और मुझे आपके विचार जानकार बड़ी खुशी हुई.. कि आप हर खास काम के लिए अपने परिवार से सलाह लेते हैं…
मुझे पूरा भरोसा है, की आपके परिवार में मेरी बेटी हमेशा खुश रहेगी.. अगर आपकी तरफ से हां हो तो आप हमें फोन कर दीजिए..
फिर उन्होने हमारा फोन नंबर लिया, और अपना फोन नंबर हमें दे दिया..
छोटे भैया को फोन कर दिया था अगले सनडे आने के लिए, जिससे सभी लोग मिल बैठ कर उनकी शादी के बारे में बात कर सकें..
अगले सॅटर्डे, शाम को ही दोनो भाई . गये.., रात के खाने पर ही बाबूजी ने बात छेड़ दी, और एमएलए के साथ हुई सारी बातें उन्हें बता दी.
सब कुच्छ बताने के बाद बाबूजी बोले – तुम क्या कहते हो राम बेटा, मेरे हिसाब से तो इतने बड़े खानदान से रिश्ता होना हमारे लिए गौरव की बात होगी..
राम – मे इस बारे में क्या कहूँ बाबूजी… ये कृष्णा की सारी जिंदगी का मामला है, वो ही कुच्छ बोल सकता है..
बाबूजी – तुम्हारा क्या विचार है कृष्णा…?
कृष्णा – आपको पता तो है ही बाबूजी… हमारे घर में आप जो फ़ैसला लेंगे, वो हम सबको मंजूर होता है.. फिर भी आप मुझसे पुच्छ रहे है.. आप और बड़े भैया जो कहेंगे वो मुझे भी मंजूर होगा..
भाभी – अगर बाबूजी की इज़ाज़त हो तो मे कुच्छ कहूँ..?
बाबूजी – अरे बहू ! ये क्या कह रही हो तुम, इस घर की बड़ी बहू ही नही.. मालकिन भी हो.. तुम्हें भला अपने विचार रखने के लिए किसी की इज़ाज़त की ज़रूरत नही है..
बोलो तुम्हारा क्या विचार है…?
भाभी – वो बहुत बड़े लोग हैं… स्वाभाविक है उनकी बेटी लाड प्यार में पली होगी, अगर वो हमारे परिवार को आक्सेप्ट नही कर पाई तो..?
राम – मोहिनी ठीक कह रही है बाबूजी… क्यों ना एक बार उनकी लड़की को देख लिया जाए..
कुच्छ देर मोहिनी और चाची वग़ैरह उसके साथ समय बिताकर उसके स्वाभाव और विचार जानने की कोशिश करें…
बाबूजी – सही कहा तुमने.. हम कल ही इस विषय पर एमएलए से बात कर लेते हैं.. फिर देखते हैं वो क्या कहते हैं…
कृष्णा – कल क्यों ? अभी फोन से बात कर सकते हैं, अगर वो मान गये तो कल ही चलते हैं देखने…
भाभी हँसते हुए बोली – देखा बाबूजी… देवर्जी को कितनी जल्दी पड़ी है.. शादी की..
भाभी की बात सुनकर सभी हँसने लगे, तो छोटे भैया झेन्प्ते हुए बोले –
अरे वो बात नही है भाभी.. मेने सोचा कल सनडे है, फिर हम लोग अपनी ड्यूटी पर चले जाएँगे…
बाबूजी – ठीक है अभी बात कर लेते हैं.. छोटू उनका नंबर लगा..
मेने एमएलए का नंबर डाइयल किया, दो-चार बेल जाने के बाद उन्होने कॉल पिक की..
एमएलए – हेलो ! में एमएलए रस बिहारी बोल रहा हूँ.. आप कॉन..?
मे – एमएलए साब नमस्ते ! मे अंकुश **** गाओं से.. श्री शंकर लाल शर्मा जी का बेटा..
एमएलए – नमस्ते बेटा ! बोलो.. कैसे फोन किया..?
मे – लीजिए बाबूजी आपसे बात करना चाहते हैं.. फिर मेने उन्हें फोन दिया…
दोनो तरफ से रामा-कृष्णा होने के बाद बाबूजी ने उन्हें जो हमारे बीच डिसाइड हुआ था वो सब बता दिया..
एमएलए फ़ौरन तैयार हो गये और तय हुआ कि कल ही हम लड़की देखने चलेन्गे..
उसी टाइम मे जाकर तीनों चाचा-चाचियों को बुला लाया और उनसे कल सुबह लड़की देखने चलने की बात की…
बड़े चाचा और चाची ने बहाना करके मना कर दिया, जो संभावना भी थी लेकिन उनकी जगह आशा दीदी को ले जाने के लिए मान गये, मझली चाची और छोटे चाचा – चाची जाने के लिए तैयार हो गये…
दूसरे दिन सुबह ही मे कस्बे में जाके एक इंनोवा किराए से तय कर आया.. कृष्णा भैया की अपनी गाड़ी थी.. तो दो गाड़ियों में हम 10 लोग आराम से जा सकते थे..
एमएलए का घर राम भैया के कॉलेज वाले शहर में ही था.. तो समय के हिसाब से हम 10 बजे निकल लिए..
भैया की गाड़ी मे भैया के साथ बड़े भैया, भाभी और छोटी चाची बैठ गये.. बाकी 6 लोग क़ुआलिस में बैठ गये…
मे ड्राइवर के साथ था.. बीच की सीट पर रामा, आशा दीदी और छोटे चाचा बैठ गये, और पीछे की सीट पर बाबूजी और मन्झलि चाची बैठे थे…
इस तरह बैठने का मेरा ही प्लान था.. जिससे बाबूजी को थोडा चाची के साथ बैठने का समय मिल सके.. और बॅक व्यू मिरर से मुझे ये बात पक्की भी हो गयी.. कि उन दोनो के बीच ट्यूनिंग अच्छी चल रही है…..
चाची का पल्लू ढलका हुआ था, बाबूजी उनकी जाँघ सहला रहे थे, और शायद चाची का हाथ बाबूजी के हथियार पर था….!
11:30 तक हम उनके घर पहुँच गये.. एमएलए ने हम सबके स्वागत सत्कार में कोई कमी नही रखी..
एमएलए की लड़की कामिनी, अत्यंत ही खूबसूरत , 5’6” की हाइट, 34-28-35 का फिगर, रंग फक्क गोरा, अच्छे नैन नक्श…कुल मिलाकर देखने में एक सुन्दर सी कन्या के सारे गुण थे…
लेकिन अंदर के गुणों को भाभी और चाचियों को ही परखना था…,
सो चाय नाश्ते के बाद वो उसे एक कमरे में ले गयी और वहाँ उन्होने उसकी खूब जाँच पड़ताल कर ली…
अंदर से आकर भाभी छोटे भैया के पास ही बैठ गयी, और उन्होने उनके कान में फुसफुसा कर कहा…
मुझे तो लड़की कोई खास नही लगी, क्यों आप क्या कहते हो देवर्जी..?
भैया ने भाभी की तरफ बड़े अस्चर्य के साथ देखा… मानो पुच्छ रहे हों.. कि इतना अच्छा माल आपको पसंद नही आया…
भैया के चेहरे पर घोरे निराशा के भाव छा गये.. और एक लंबी सी साँस छोड़कर बोले – ठीक है भाभी ! आपको पसंद नही है तो कोई बात नही.. चलो चलते हैं फिर…
उनकी रोनी सी शक्ल देख कर भाभी ठहाका लगा कर हँसने लगी… सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे…
बाबूजी – इस तरह से क्यों हँस रही हो बहू… हुआ क्या है..?
भाभी हँसते हुए बोली… अरे बाबूजी मेने थोड़ा मज़ाक में देवर्जी को बोल दिया कि मुझे लड़की खास नही लगी.. तो देखो कैसी रोनी सी शक्ल हो गयी है इनकी…
हाहहाहा…
भाभी की बात पर वहाँ मौजूद सभी लोग हँसने लगे.. और भैया.. झेंप गये..
भाभी – भाई मुझे तो लड़की बहुत पसंद आई… मेरी देवरानी होने के सारे गुण हैं उसमें.. अब आप लोग अपना कहिए…
दोनो चाचियों ने भी हामी भर दी.. और रिश्ता तय हो गया…
आनन-फानन में रिंग सेरेमनी भी कर दी गयी… फिर सगाई की तारीख पक्का करके हम सबने खाना खाया, और विदा हो लिए…
नवेंबर के महीने में शादी की डेट निकली… दोनो तरफ से तय हुआ कि शादी से एक हफ्ते पहले वो लोग सगाई की रसम करने हमारे यहाँ आएँगे…
सारे डेट वग़ैरह फिक्स करने के बाद निमंत्रण पत्र बनवा लिए गये और उन्हें सब जगह भेज दिया गया…
भैया दोनो अपने-2 जॉब पर चले गये, मे और बाबूजी परिवार के वाकी लोगों के सहयोग से शादी की तैयारियों में जुट गये…
आख़िर इलाक़े के एमएलए की लड़की की शादी थी, तो किसी बात की कमी ना हो उनके स्टेटस के हिसाब से इसका पूरा ध्यान रखा गया…
सगाई के दो दिन पहले से ही कुच्छ खास रिश्तेदार जैसे मेरी दोनो बुआएं, मामा-मामी.. और भाभी के भाई राजेश अपनी छोटी बेहन के साथ . गये…
निशा… भाभी की छोटी बेहन… मेरे उम्र की.. एकदम सिंगल पीस… भाभी की ट्रू कॉपी…
फककक गोरा बदन… गाओं की लालमी लिए गाल… सुतवान नाक.. तीखे नयन.. लंबे काले घने बाल… 5’7” की हाइट… 33-26-34 का फिगर…चंचल हिरनी जैसी शोख अदाएँ…
बोलती तो मानो कहीं दूर कोई कोयल कुहकी हो…और अगर हँस पड़े…. तो मानो गुलशन में बाहर खिल उठे….
सो चाय पीकर मे सो गया… और सीधा शाम को 5 बजे ही उठा…
उठकर आँगन में पहुँचा तो वहाँ भाभी रूचि के साथ खेल रही थी, दीदी भी उनके साथ शामिल थी..
रूचि अब चलने और बोलने लगी थी… वो कभी-2 ऐसी बातें करती कि हम सब हँसते-हँसते लॉट पॉट हो जाते…
मुझे देखते ही रूचि चिल्लाई – चाचू आ गये.. मे तो चाचू के साथ ही खेलूँगी..
और अपने छ्होटे-2 पैरों पर भागती हुई मेरी तरफ आई, मेने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया…
उसके गाल पर एक पप्पी करके बोला – अले मेला प्याला बच्चा… चाचू के साथ खेलेगा…?
रूचि – हां चाचू..! मम्मी और बुआ तो मुझे चिढ़ाती हैं.. अब इन दोनो के पास कभी नही जाउन्गा…
भाभी बोली – अच्छा चाचा की चमची.. हमारी शिकायत करती है… ठहर, अभी तुझे बताती हूँ..
भाभी जैसे ही उसकी तरफ थप्पड़ दिखा कर आई, मे उसे लेकर घूम गया, और वो उन्हें अंगूठा दिखा कर चिढ़ाने लगी…
ऐसे ही बच्ची के साथ थोड़ा खेलने के बाद भाभी मेरे से बोली - क्या बात है लल्लाजी… आज तो बहुत सोए…!
दीदी की तरफ देखते हुए बोली - कुच्छ महंत वाला काम किया था क्या..?
दीदी ने शर्म से अपनी गर्दन नीची कर ली.. मेने कहा नही भाभी बस ऐसे ही कॉलेज में थोड़ा इधर-से उधर ज़्यादा भाग दौड़ रही सो थोड़ी थकान सी हो गयी थी…
लगता है.. कसरत में ढील दे दी है तुमने, आलसी होते जा रहे हो.... अब कुच्छ टाइट रखना पड़ेगा… और कहकर वो हँसने लगी…
दीदी ने हम सबके लिए चाय बनाई, चाय पीकर मे रूचि के साथ खेलता हुआ खेतों की तरफ निकल गया…!
रात को सोने से पहले भाभी ने मुझे इशारा कर दिया, तो दीदी के सोने को जाने के बाद मे उनके कमरे में चला गया…
वो एक लाल रंग का वन पीस गाउन पहने लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो पलंग के सिरहाने के साथ टेक लगा कर कुच्छ इस तरह बैठ गयी..
और बोली – आओ लल्लाजी.. तुमसे कुच्छ बातें करनी थी…
मेने अंदर से गेट लॉक किया, और उनके बगल में टेक लेकर बैठ गया..!
भाभी मेरे हाथ को अपने हाथों के बीच लेकर बोली – लल्ला जी, मुझे पता है आज तुमने और रामा ने फिरसे मस्ती की, है ना !
मे – हां भाभी सॉरी ! वो दीदी ने मुझे जबर्जस्ती पकड़ लिया… मे क्या करता..
वो – अरे कोई बात नही… मे कोई तुमसे नाराज़ थोड़ी ना हूँ, बस ये देखना चाह रही थी कि तुम मुझसे क्या-क्या छुपाते हो…!
वैसे यही बात छुपाई है या और कुच्छ भी है…
मे – वो मे..वो.. भाभी… आशा दीदी ने भी मुझे कॉलेज से आते वक़्त अपने घर रोक लिया… और उन्होने… भी……..
वो – क्या ? आशा को भी ठोक दिया तुमने..हहहे…. एक नंबर के चोदुपीर होते जा रहे हो लल्ला… लगाम कसनी पड़ेगी.. तुम्हारी…..हहहे…
वैसे वो कुँवारी थी या… फिर..
मे – एक तरह से कुँवारी ही थी, इसके पहले उसके मामा के लड़के ने आधा करके छोड़ दिया था…
भाभी हँसते हुए बोली – क्यों ? आधे में क्यों छोड़ दिया था उसने…?
मे – वो कह रही थी.. मुझे जैसे ही दर्द हुआ, और मे चीख पड़ी.. तो वो डर गया और वहाँ से भाग लिया…
हाहहाहा… . भाभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी, मे भी उनका साथ देने लगा.. फिर हँसते हुए बोली – साला एकदम गान्डू किस्म का लड़का निकला वो तो…
खैर अब अपनी बहनों की ही चिंता करते रहोगे या इस भाभी की भी फिकर है कुच्छ..
मे – अरे भाभी.. आपके लिए तो आधी रात को भी हाज़िर है आपका ये आग्यकारी देवर … वो तो मे आपके कहे वगैर कैसे कुच्छ कर सकता हूँ…
वो – तो अभी क्या इरादा है.. लिखित में चाहिए….?
भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..
और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.
भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया..
और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.
भाभी मेरी सबसे पहली पसंद थी, उसे भला कैसे छोड़ सकता था..
भैया का लंड शायद भाभी को अंदर तक तृप्त नही कर पाता था, इस वजह से वो मेरे साथ सेक्स करने में पूरी तरह खुल जाती थी…,
अहह…..लल्लाअ…मेरे दूधों को चूसो….. बहुत खुजली होती है इनमें……इस्शह….खा जाऊओ…..…
मेने जासे ही उनके कड़क हो चुके निप्पल्स को काटा…..भाभी कराह उठीी…
ज़ोर्से…नही मेरे रजाअ…..उफ़फ्फ़….माँ…..मस्लो इन्हें…
भाभी दिनो दिन गदराती जा रही थी, उनके चुचे अब 34+ और गान्ड भी 36 की हो चुकी थी, जो मेरी बहुत बड़ी कमज़ोरी रही है शुरू से ही…
एक गहरी स्मूच के बाद मेने उनका गाउन निकाल फेंका, उन्होने भी मेरे कपड़े नोंच डाले, और एक दूसरे में समाते चले गये…
भाभी को सबसे ज़्यादा मज़ा मेरे लंड की सवारी करने में ही आता था,.. सो उन्होने अपना हाथ मेरे सीने पर रख कर मुझे पलंग पर धकेल दिया…और
वो मेरे उपर सवार होकर अपनी चुचियों के कंट्रोल बटन्स (निपल्स) को मेरे सीने से रगड़ती हुई… फुल मस्ती से अपनी चूत को मेरे कड़क लंड पर रगड़ने लगी…
उनकी चूत से निकलने वाले रस से मेरी जांघें और पेट तक गीला होने लगा, फिर जब भाभी की मस्ती चरम पर पहुँची,
तो उन्होने अपना हाथ घुसा कर मेरे मूसल जैसे लंड को पकड़ कर अपनी सुरंग का रास्ता दिखा दिया…. और खुद पीछे को सरकती चली गयी….
जैसे – 2 लंड चूत की दीवारों को घिसता हुआ अंदर को बढ़ता गया, भाभी के मूह से सिसकारी निकलती चली गयी…
पूरा लंड सुरंग के अंदर फुँचते ही भाभी लंबी साँस छोड़ते हुए बोली…
अहह…..लल्ला…..सच में ये तुम्हारा हथियार दिनो दिन बड़ा ही होता जा रहा है….. उफफफ्फ़…. कहाँ तक मार करता है…
फिर धीरे – 2 धक्के लगाते हुए बुदबुदाने लगी – हाए मैयाअ… तभी तो रूचि के पापा के साथ मज़ा ही नही आता है मुझे….
ना जाने क्यों जितना सुकून और संतुष्टि सेक्स करने में मुझे भाभी के साथ होती थी, वो किसी और के साथ में नही होती थी…
मे और भाभी रात के तीसरे पहर तक एक दूसरे के साथ कुस्ति करते, एक दूसरे को मात देने की कोशिश में लगे रहे…..
आख़िरकार दोनो ही जीत कर हारते हुए.... थक कर चूर, कोई 3 बजे सोए…..!
सुबह नाश्ता करते हुए बाबूजी ने मुझे पुछा – छोटू बेटा ! तुझे मोबाइल चलाना आता है..?
मे – हां बाबूजी, उसमें क्या है… मेरे कयि दोस्तों के पास है.. (हालाँकि मोबाइल का चलन अभी कुच्छ समय पहले ही शुरू हुआ था.)
बाबूजी – तो एक काम कर राम को फोन करके बोल देना, एक मोबाइल लेता आए इस बार.. ये ज़रूरी चीज़ें होती जा रही हैं जिंदगी में…
मे – हां बाबूजी ! आप सही कह रहे हैं.. वैसे मे आपको बोलने ही वाला था इस बारे में, फोन होना ज़रूरी है…
बाबूजी – देखा बहू… हम बाप बेटे के विचार कितने मिलते हैं..
भाभी ने हँसकर कहा – हां बाबूजी… आख़िर खून तो एक ही है ना.. !
हम सभी चकित थे, आज बाबूजी के व्यवहार को देख कर.. कुच्छ दिनो से उनमें काफ़ी बदलाव आया था.. लेकिन आज वो कुच्छ ज़्यादा ही खुश लग रहे थे..
कारण मेरी समझ में कुच्छ -2 आता जा रहा था, उनके खुश रहने का राज,
मेने जैसा सोचा था, वैसा होता दिख रहा था…. बाबूजी की खुशी हम सबके लिए ज़रूरी थी..
खैर मे कॉलेज चला गया और लौटते में एसटीडी से मेने भैया को फोन करके बाबूजी की बात बताई.. उन्होने भी हां करदी…
सॅटर्डे को भैया आए और सिम के साथ मोबाइल भी ले आए, जो बाबूजी के नाम से आक्टीवेट था..
चूँकि दोनो भाइयों के पास पहले से ही फोन की सुविधा थी उनके ऑफीस और घर दोनो जगहों पर, तो अब दूरियाँ कम होने लगी थी…
हमारे इलाक़े के लोकल एमएलए रस बिहारी शर्मा, एक दिन अपने क्षेत्र के दौरे पर आए,
जब उन्हें पता चला कि मास्टर शंकर लाल शर्मा का बेटा डीएसपी बन गया है, तो वो पर्षनली हमारे घर आए और पिताजी से मुलाकात की…
बाबूजी ने बड़े अच्छे से उनकी आवभगत की, मेरे बारे में भी बताया.. मेरी पर्सनॅलिटी देख कर बहुत प्रभावित हुए वो, और उन्होने पिताजी से कहा…
मास्टर साब ! आपने अपने सभी बच्चों की अच्छी परवरिश की है, ये बच्चा भी देखो क्या सही पर्सनॅलिटी है इसकी.. इसको भी कोई बड़ा अफ़सर बनाना…
बाबूजी – एमएलए साब ! इसकी परवरिश में मेरा कोई हाथ नही, जब ये 8थ क्लास में था, तभी इसकी माँ चल बसी… पर ईश्वार की कृपा से हमारी बहू बहुत अच्छी निकली और उसने मेरे घर को अच्छे से संभाल लिया…ये सब उसी की वजह से है….
एमएलए – हमें नही मिलवाएँगे उस देवी से …?
बाबूजी ने मुझे इशारा किया, तो मे भाभी को बुलाने चला गया, कुच्छ देर बाद हम तीनों चाय नाश्ते के साथ वहाँ पहुँचे…
बिना कहे चाय नाश्ते का इंतेज़ाम देख कर एमएलए बहुत प्रभावित हुए.. और बोले – अब आपको आपकी बहू के बारे में कुच्छ भी कहने की ज़रूरत नही है..
मे समझ गया कि इसके संस्कार कितने अच्छे हैं…
उन्होने भाभी को भी अपने पास बिठा लिया और इधर-उधर की घर परिवार की बातें करने लगे..
बातों -2 में एमएलए बोले – मास्टर साब ! मे आपके परिवार से बहुत प्रभावित हुआ हूँ, मेरी भी एक बेटी है.. पिच्छले साल ही उसने ग्रॅजुयेशन किया है…
अगर आप हमें अपने परिवार में शामिल करना चाहें तो आपके बेटे से मे अपनी बेटी की शादी करना चाहता हूँ…
बाबूजी ने जल्दी ही कोई जबाब नही दिया… और भाभी की तरफ देखने लगे… ना जाने उन्होने क्या इशारा किया…कुच्छ देर बाद बाबूजी ने उनसे कहा…
एमएलए साब ! आप जैसे बड़े आदमी की बेटी मेरे घर की बहू हो, इससे ज़्यादा हमारे लिए गर्व की क्या बात होगी… लेकिन फिर भी मे अपने बेटों की राई लिए बिना आपको कोई जबाब नही दे पाउन्गा..
एमएलए – कोई बात नही.. मे आपके जबाब का इंतेज़ार करूँगा.. और मुझे आपके विचार जानकार बड़ी खुशी हुई.. कि आप हर खास काम के लिए अपने परिवार से सलाह लेते हैं…
मुझे पूरा भरोसा है, की आपके परिवार में मेरी बेटी हमेशा खुश रहेगी.. अगर आपकी तरफ से हां हो तो आप हमें फोन कर दीजिए..
फिर उन्होने हमारा फोन नंबर लिया, और अपना फोन नंबर हमें दे दिया..
छोटे भैया को फोन कर दिया था अगले सनडे आने के लिए, जिससे सभी लोग मिल बैठ कर उनकी शादी के बारे में बात कर सकें..
अगले सॅटर्डे, शाम को ही दोनो भाई . गये.., रात के खाने पर ही बाबूजी ने बात छेड़ दी, और एमएलए के साथ हुई सारी बातें उन्हें बता दी.
सब कुच्छ बताने के बाद बाबूजी बोले – तुम क्या कहते हो राम बेटा, मेरे हिसाब से तो इतने बड़े खानदान से रिश्ता होना हमारे लिए गौरव की बात होगी..
राम – मे इस बारे में क्या कहूँ बाबूजी… ये कृष्णा की सारी जिंदगी का मामला है, वो ही कुच्छ बोल सकता है..
बाबूजी – तुम्हारा क्या विचार है कृष्णा…?
कृष्णा – आपको पता तो है ही बाबूजी… हमारे घर में आप जो फ़ैसला लेंगे, वो हम सबको मंजूर होता है.. फिर भी आप मुझसे पुच्छ रहे है.. आप और बड़े भैया जो कहेंगे वो मुझे भी मंजूर होगा..
भाभी – अगर बाबूजी की इज़ाज़त हो तो मे कुच्छ कहूँ..?
बाबूजी – अरे बहू ! ये क्या कह रही हो तुम, इस घर की बड़ी बहू ही नही.. मालकिन भी हो.. तुम्हें भला अपने विचार रखने के लिए किसी की इज़ाज़त की ज़रूरत नही है..
बोलो तुम्हारा क्या विचार है…?
भाभी – वो बहुत बड़े लोग हैं… स्वाभाविक है उनकी बेटी लाड प्यार में पली होगी, अगर वो हमारे परिवार को आक्सेप्ट नही कर पाई तो..?
राम – मोहिनी ठीक कह रही है बाबूजी… क्यों ना एक बार उनकी लड़की को देख लिया जाए..
कुच्छ देर मोहिनी और चाची वग़ैरह उसके साथ समय बिताकर उसके स्वाभाव और विचार जानने की कोशिश करें…
बाबूजी – सही कहा तुमने.. हम कल ही इस विषय पर एमएलए से बात कर लेते हैं.. फिर देखते हैं वो क्या कहते हैं…
कृष्णा – कल क्यों ? अभी फोन से बात कर सकते हैं, अगर वो मान गये तो कल ही चलते हैं देखने…
भाभी हँसते हुए बोली – देखा बाबूजी… देवर्जी को कितनी जल्दी पड़ी है.. शादी की..
भाभी की बात सुनकर सभी हँसने लगे, तो छोटे भैया झेन्प्ते हुए बोले –
अरे वो बात नही है भाभी.. मेने सोचा कल सनडे है, फिर हम लोग अपनी ड्यूटी पर चले जाएँगे…
बाबूजी – ठीक है अभी बात कर लेते हैं.. छोटू उनका नंबर लगा..
मेने एमएलए का नंबर डाइयल किया, दो-चार बेल जाने के बाद उन्होने कॉल पिक की..
एमएलए – हेलो ! में एमएलए रस बिहारी बोल रहा हूँ.. आप कॉन..?
मे – एमएलए साब नमस्ते ! मे अंकुश **** गाओं से.. श्री शंकर लाल शर्मा जी का बेटा..
एमएलए – नमस्ते बेटा ! बोलो.. कैसे फोन किया..?
मे – लीजिए बाबूजी आपसे बात करना चाहते हैं.. फिर मेने उन्हें फोन दिया…
दोनो तरफ से रामा-कृष्णा होने के बाद बाबूजी ने उन्हें जो हमारे बीच डिसाइड हुआ था वो सब बता दिया..
एमएलए फ़ौरन तैयार हो गये और तय हुआ कि कल ही हम लड़की देखने चलेन्गे..
उसी टाइम मे जाकर तीनों चाचा-चाचियों को बुला लाया और उनसे कल सुबह लड़की देखने चलने की बात की…
बड़े चाचा और चाची ने बहाना करके मना कर दिया, जो संभावना भी थी लेकिन उनकी जगह आशा दीदी को ले जाने के लिए मान गये, मझली चाची और छोटे चाचा – चाची जाने के लिए तैयार हो गये…
दूसरे दिन सुबह ही मे कस्बे में जाके एक इंनोवा किराए से तय कर आया.. कृष्णा भैया की अपनी गाड़ी थी.. तो दो गाड़ियों में हम 10 लोग आराम से जा सकते थे..
एमएलए का घर राम भैया के कॉलेज वाले शहर में ही था.. तो समय के हिसाब से हम 10 बजे निकल लिए..
भैया की गाड़ी मे भैया के साथ बड़े भैया, भाभी और छोटी चाची बैठ गये.. बाकी 6 लोग क़ुआलिस में बैठ गये…
मे ड्राइवर के साथ था.. बीच की सीट पर रामा, आशा दीदी और छोटे चाचा बैठ गये, और पीछे की सीट पर बाबूजी और मन्झलि चाची बैठे थे…
इस तरह बैठने का मेरा ही प्लान था.. जिससे बाबूजी को थोडा चाची के साथ बैठने का समय मिल सके.. और बॅक व्यू मिरर से मुझे ये बात पक्की भी हो गयी.. कि उन दोनो के बीच ट्यूनिंग अच्छी चल रही है…..
चाची का पल्लू ढलका हुआ था, बाबूजी उनकी जाँघ सहला रहे थे, और शायद चाची का हाथ बाबूजी के हथियार पर था….!
11:30 तक हम उनके घर पहुँच गये.. एमएलए ने हम सबके स्वागत सत्कार में कोई कमी नही रखी..
एमएलए की लड़की कामिनी, अत्यंत ही खूबसूरत , 5’6” की हाइट, 34-28-35 का फिगर, रंग फक्क गोरा, अच्छे नैन नक्श…कुल मिलाकर देखने में एक सुन्दर सी कन्या के सारे गुण थे…
लेकिन अंदर के गुणों को भाभी और चाचियों को ही परखना था…,
सो चाय नाश्ते के बाद वो उसे एक कमरे में ले गयी और वहाँ उन्होने उसकी खूब जाँच पड़ताल कर ली…
अंदर से आकर भाभी छोटे भैया के पास ही बैठ गयी, और उन्होने उनके कान में फुसफुसा कर कहा…
मुझे तो लड़की कोई खास नही लगी, क्यों आप क्या कहते हो देवर्जी..?
भैया ने भाभी की तरफ बड़े अस्चर्य के साथ देखा… मानो पुच्छ रहे हों.. कि इतना अच्छा माल आपको पसंद नही आया…
भैया के चेहरे पर घोरे निराशा के भाव छा गये.. और एक लंबी सी साँस छोड़कर बोले – ठीक है भाभी ! आपको पसंद नही है तो कोई बात नही.. चलो चलते हैं फिर…
उनकी रोनी सी शक्ल देख कर भाभी ठहाका लगा कर हँसने लगी… सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे…
बाबूजी – इस तरह से क्यों हँस रही हो बहू… हुआ क्या है..?
भाभी हँसते हुए बोली… अरे बाबूजी मेने थोड़ा मज़ाक में देवर्जी को बोल दिया कि मुझे लड़की खास नही लगी.. तो देखो कैसी रोनी सी शक्ल हो गयी है इनकी…
हाहहाहा…
भाभी की बात पर वहाँ मौजूद सभी लोग हँसने लगे.. और भैया.. झेंप गये..
भाभी – भाई मुझे तो लड़की बहुत पसंद आई… मेरी देवरानी होने के सारे गुण हैं उसमें.. अब आप लोग अपना कहिए…
दोनो चाचियों ने भी हामी भर दी.. और रिश्ता तय हो गया…
आनन-फानन में रिंग सेरेमनी भी कर दी गयी… फिर सगाई की तारीख पक्का करके हम सबने खाना खाया, और विदा हो लिए…
नवेंबर के महीने में शादी की डेट निकली… दोनो तरफ से तय हुआ कि शादी से एक हफ्ते पहले वो लोग सगाई की रसम करने हमारे यहाँ आएँगे…
सारे डेट वग़ैरह फिक्स करने के बाद निमंत्रण पत्र बनवा लिए गये और उन्हें सब जगह भेज दिया गया…
भैया दोनो अपने-2 जॉब पर चले गये, मे और बाबूजी परिवार के वाकी लोगों के सहयोग से शादी की तैयारियों में जुट गये…
आख़िर इलाक़े के एमएलए की लड़की की शादी थी, तो किसी बात की कमी ना हो उनके स्टेटस के हिसाब से इसका पूरा ध्यान रखा गया…
सगाई के दो दिन पहले से ही कुच्छ खास रिश्तेदार जैसे मेरी दोनो बुआएं, मामा-मामी.. और भाभी के भाई राजेश अपनी छोटी बेहन के साथ . गये…
निशा… भाभी की छोटी बेहन… मेरे उम्र की.. एकदम सिंगल पीस… भाभी की ट्रू कॉपी…
फककक गोरा बदन… गाओं की लालमी लिए गाल… सुतवान नाक.. तीखे नयन.. लंबे काले घने बाल… 5’7” की हाइट… 33-26-34 का फिगर…चंचल हिरनी जैसी शोख अदाएँ…
बोलती तो मानो कहीं दूर कोई कोयल कुहकी हो…और अगर हँस पड़े…. तो मानो गुलशन में बाहर खिल उठे….