Update 25
मेरे लंड की गर्मी पाकर उसकी चूत में संकुचन होने लगा.. मानो वो अपने दोस्त को चूम रही हो… और कह रही हो कि आओ मेरे प्यारे.. मेरे आँगन में तुम्हारा स्वागत है…
मेने एक हल्का सा धक्का देकर अपने सुपाडे को उसके छोटे से छेद में फिट कर दिया… उसकी आह… निकल गयी.. और वो उफ़फ्फ़…उफफफ्फ़… करने लगी…
मे – क्या हुआ रानी…?
वो बोली – थोड़ा टाइट है… आराम से ही डालना..
मेने कहा – फिकर मत करो.. तुम्हें कुछ नही होगा… थोड़ा सहन कर लेना बस..
ये कह कर मेने एक अच्छा सा शॉट लगाया और मेरा आधा लंड उसकी कसी हुई चूत को चीरते हुए अंदर फिट हो गया…
वो दर्द से बिल-बिला उठी… मेने उसके होंठों को चूम लिया और उसकी चुचि सहलाते हुए कहा… बस थोड़ा सा और… फिर मज़ा ही मज़ा…
वो थोड़ी देर करही, मे उसकी चुचियों की मालिश करता रहा… और हल्के हल्के से आधे लंड को अंदर बाहर किया… जब उसे कुछ अच्छा लगने लगा और मस्ती से कमर हिलाने लगी…
मौका देख मेने एक और फाइनल शॉट लगा दिया… मेरा पूरा लंड किसी खूँटे की तरह उसकी कसी हुई चूत में फिट हो गया…
आआंन्नज्….माआआ….मररर्र्ररर…गाइिईईईईईईई….रीईईई……वो दर्द से तड़पने लगी …
उसकी चूत के होंठ पूरी तरह खुल चुके थे…
मेने उसे ज़मीन से उठा कर अपने सीने से लगा लिया… होंठ चूस्ते हुए उसके सर को सहलाया.. और फिरसे लिटा कर उसके निप्पलो से खेलने लगा…
एक-दो मिनिट में ही उसका दर्द कम हुआ तो मेने अपना लंड सुपाडे तक बाहर निकाला.. देखा तो उसपर कुछ खून भी लगा हुआ था…
सही माइने में आज ही उसकी सील टूटी थी…
मेने फिरसे अपना लंड धीरे-2 अंदर किया… तो वो इस बार सिर्फ़ सिसक कर रह गयी…
कुछ देर आराम-आराम से अंदर-बाहर कर के उसकी चूत को अपने लंड के हिसाब से सेट किया… अब उसे भी मज़ा आने लगा था…
मेने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब घचा घच.. उसकी कसी चूत में लंड चलाने लगा… जब पूरा लंड अंदर जाता तो वो अपने पेट पर हाथ रख कर उसे महसूस करती..
जब मेने पूछा तो वो बोली – देखो ये यहाँ तक आ जाता है… आअहह…बड़ा मज़ा दे रहा है… और ज़ोर से करो…हइई….माआ… में गयी.ईयी……हूंम्म्म..
वो झड रही थी… जिससे उसके पैरों की एडीया मेरी गान्ड पर कस गयी…और वो मेरे सीने से चिपक गयी..
मे उसे उसी पोज़ में लिए हुए खड़ा हो गया… वो मेरे सीने से चिपकी हुई थी…. मेने उसकी जांघों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसे अपने लंड पर अधर उठा लिया….
कुछ देर उसको अपने लंड पर अपने हाथों के इशारे से मेने आराम आराम से उसे कूदाया..
वो अब फिरसे गरम होने लगी… और खुद ही अपनी कमर उच्छल-2 कर मेरे लंड पर कूदने लगी..
मेरी स्टॅमिना देख कर वो दंग रह गयी… 10 मिनिट तक में उसे हवा में लटकाए ही चोदता रहा… और अंत में मेने ज़ोर से उसे अपने सीने में कस लिया..
मेरे साथ-साथ वो भी झड़ने लगी.. और मेरे गले से चिपक गयी….
कुछ देर बाद में उसे गोद में लेकर वही घास पर बैठ गया.. वो मेरे होंठ चूमते हुए बोली – आज मेने जाना की सच्चा मर्द क्या होता है… और चुदाई कैसे होती है..
उसके बाद हम ने अपने शरीर साफ किए… वो वहीं पास में बैठ कर मूतने लगी..
उसके मूत से पहले ढेर सारी मलाई निकलती रही.. जिसे वो बड़े गौर से देखती रही..
मूतने के बाद वो फिरसे मेरी गोद में आकर बैठ गयी,
हमारे हाथ धीरे – 2 फिरसे से बदमाशियाँ करने लगे, जिससे कुछ ही देर में हम फिरसे गरम हो गये…
फिर मेने उसे घुटने मोड़ कर घोड़ी बना दिया, और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा…
इसी तरह मेने कई आसनों से उसे तीन बार उसे जमकर चोदा.. वो चुदते-2 पस्त हो गयी..
कुछ देर बैठ कर, हम कपड़े पहन कर मैदान में आ गये.. और एक पेड़ की छाया में लेट गये..
एक घंटा अच्छे से आराम करने के बाद घर लौट लिए…
घर आकर मेने उसके सास-ससुर को बताया कि उसका इलाज़ तो हो गया है.., लेकिन कुछ दिनो तक हर हफ्ते उसे ले जाना होगा…
तो वो बोले – बेटा अब तुम ही इसे ले जा सकते हो.. हमारे पास और कॉन है.. तो मेने भी हां कर दिया…
पंडित – पंडिताइन ने मुझे खूब आशीर्वाद दिया.. हम दोनो मन ही मन खुश हो रहे थे…
कुछ देर चाय नाश्ता करने के बाद मे अपने घर आ गया और भाभी को सारी बात बताई…
वो हँसते हुए बोली – वाह देवेर जी ! मेरी सोहवत में स्मार्ट हो गये हो… हर हफ्ते का इंतेज़ाम भी कर लिया… मान गये उस्ताद…!
मेने हँसते हुए कहा – अरे भाभी ! बेचारी मिन्नतें कर रही थी.. कि समय निकल कर मुझे भी प्यार कर लिया करना.. सो मेने ये तरीक़ा सोच लिया…
इस तरह से पंडित जी की बहू वर्षा की समस्या का समाधान मेरी भाभी ने कर दिया….
रामा दीदी और विजेता दोनो पक्की वाली सहेलियाँ हो चुकी थी, दोनो एक ही साथ रहती, साथ-2 खाती, और साथ ही सोती…विजेता यहाँ आकर सबके साथ घुल-मिल गयी थी…
भाभी का नेचर तो था ही सबको प्यार करना, सो वो इतनी घुल मिल गयी हमारे घर में की एक दिन भी उसे अपने घर की याद नही आई…
रामा दीदी तो मेरे साथ हर तरह से खुली हुई थी, वो कभी भी मुझे छेड़ देती, मुझे तंग करती रहती, कहीं भी गुद गुदि कर देती,
मेरे भी हाथ उसके नाज़ुक अंगों तक पहुँच जाते…, उन्हें मसल देता, जिसे देख कर विजेता शॉक्ड रह जाती..
शुरू शुरू में तो उसे ये सब बड़ा अजीब सा लगा, कि सगे भाई बेहन ऐसा एक दूसरे के साथ कैसे कर सकते हैं…
इसके लिए उसने दीदी को बोला भी…तो उन्होने कहा – अरे यार इसमें क्या है, अब भाई बेहन हैं तो इसका मतलव ये तो नही की हम खुश भी ना हो सकें… कुछ ग़लत नही है, बस तू भी एंजाय किया कर..
मेरा भाई तो बहुत बड़े दिलवाला है, उसमें सबके लिए प्यार समाया हुआ है…
दीदी की बात से वो भी धीरे-2 मेरे साथ हसी मज़ाक, छेड़-छाड़ करने में उसके साथ शामिल होने लगी…
धीरे –2 उसकी भावनाएँ खुलने लगी…रही सही कसर रामा दीदी पूरी कर देती उसके नाज़ुक अंगों के साथ छेड़-छाड़ कर के….!
इसी दौरान एक दिन आँगन में हम तीनों बैठे थे, कि अचानक रामा दीदी मुझे गुदगुदी कर के भाग गयी…
मेने उसका पिछा किया और थोड़ी सी कोशिश के बाद मेने उसे पीछे से पकड़ लिया..
मेरे हाथ उसकी चुचियों पर जमे हुए थे, वो अपनी गान्ड को मेरे लंड के आगे सेट कर के अपने पैर ऊपर उठाकर एक तरह से मेरी गोद में ही बैठी थी..
मेने उसके कान को अपने दाँतों में दबा लिया…वो खिल-खिलाकर हँसते हुए मुझे छोड़ने के लिए बोलने लगी…
हमारे बीच के इस खेल को चारपाई पर बैठी विजेता देख रही थी, वो अपने मन में कल्पना करने लगी, कि रामा की जगह वो खुद है, और मे उसकी चुचियों को मसल रहा हूँ…
मेरा लंड उसकी गान्ड से सटा हुआ है… ये सोचते – 2 वो गरम होने लगी.. और अनायास ही उसका हाथ अपनी चुचि पर चला गया, वो उसे दबाने लगी, और उसके मुँह से सिसकी निकल गयी…
उसकी आँखें भारी होने लगी… उसे ये भी पता नही चला कि कब हम दोनो उसके पास आकर बैठ गये…
उसका एक हाथ अभी भी उसकी चुचि पर ही था, जिसे वो अपनी आँखें बंद किए धीरे-2 दबा रही थी…
मेरी और रामा दीदी की नज़रें आपस में टकराई, तो वो उसकी तरफ इशारा कर के मुस्कराने लगी…
फिर उसने विजेता के कंधे पर हाथ रख कर उसे हिलाया, वो मानो नींद से जागी हो, अपनी स्थिति का आभास होते ही वो शर्मा गयी, और अपनी नज़रें नीची कर ली.
रामा दीदी को ना जाने कहाँ से राजशर्मा कीसेक्सी कहानियों की एक किताब मिल गयी, शायद रेखा या आशा दीदी के पास रही होगी, क्योंकि वो तो बेचारी अकेले कभी बाज़ार गयी नही थी..
तो एक रात वो दोनो अपने कमरे में साथ बैठ कर उस किताब को पढ़ रही थी…
पढ़ते – 2 उन दोनो पर वासना अपना असर छोड़ने लगी, और वो किताब को पढ़ते – 2 एक दूसरे के साथ समलेंगिक (लेज़्बीयन) सेक्स करने लगी.
वो स्टोरी भी शायद ऐसी ही कुछ होगी, जिसे वो पढ़ते – 2 एक्शिटेड होने लगी और उसमें लिखी हुई बातों का अनुसरण करने लगी…
रामा ने उसके होंठों पर किस किया तो विजेता गन गाना गयी, उसके शरीर में झूर झूरी सी होने लगी, और उसने भी उसको किस कर लिया…
अब वो दोनो एक दूसरे होंठों पर भूखी बिल्लियों की तरह छीना छपटी सी करने लगी…
जैसे – 2 रामा उसके साथ करती, वो बस उसका अनुसरण करने लगती… क्योंकि उसे इस खेल में इतना मज़ा आ रहा था, जो आज से पहले उसने सोचा भी नही था…
किस्सिंग करते – 2 रामा उसके बूब्स दबाने लगी जो उसके बूब्स से भी 21 थे…
फिर जैसे ही रामा का हाथ उसकी टाँगों के बीच उसकी कोरी करारी मुनिया पर गया, उसने अपनी टाँगें भींच ली…और उसके मुँह से मादक सिसकारी फुट पड़ी..
सस्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………….उईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….डीडीिईईईईईई…….नहियीईईईई
रामा ने उसे छेड़ते हुए कहा – क्यों मेरी जान… मज़ा नही आया क्या…
वो – आहह… दीदी कुछ अजीब सी गुदगुदी होने लगती है…
रामा – इसी को मज़ा कहते हैं..मेरी गुड़िया रानी…टाँगें खोल अपनी, देख कितना मज़ा आता है…
उसने अपनी टाँगें खोल दी और उसके बूब्स प्रेस करते हुए अपनी चूत मसलवाने लगी…
दोनो की हालत बाद से बदतर होती जा रही थी…अब उन्हें अपने कपड़े किसी दुश्मन की तरह लगने लगे और वो दोनो जल्दी ही ब्रा और पेंटी में आ गयी…
अब सिचुयेशन ये थी, कि रामा पलंग के सिरहाने से पीठ टिकाए बैठी थी अपनी टाँगें फैलाए, और विजेता उसकी टाँगों के बीच बैठी अपनी टाँगें पसारे बैठी थी…
दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए, रामा उसकी गीली चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी, और विजेता उसकी….
विजेता – आअहह…दीदी… बहुत मज़ा आरहा है… और ज़ोर से रगडो मेरी चूत को..
रामा – मज़ा आरहा है ना…! पर मेरी जान ! जो मज़ा किसी मर्द के हाथ से मिलता है, वो मेरे हाथों से नही मिलने वाला…
वो उसके मुँह की तरफ देखते हुए बोली – क्यों मर्द के हाथ से ज़्यादा क्यों आता है…?
रामा – वो तो तू जब हाथ लगवाएगी तभी पता चलेगा…!
फिर रामा ने उसकी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी, बिना कपड़ों के जब उसकी उंगलियाँ विजेता की गीली चूत पर पड़ी, वो मस्ती से भर उठी.. और उसकी कमर हवा में लहराने लगी.
रामा अपने हल्के हाथों से उसके दाने को सहला रही थी…जिससे उसकी चूत और ज़्यादा रस बहाने लगी…
अब उसने भी अपने सारे कपड़े निकल फेंके, और उसकी टाँगों के बीच आकर बैठ गयी,
रामा ने अपना मुँह विजेता की कोरी कुँवारी चूत पर रख दिया और वो उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी…
विजेता तो पता नही कहीं दूसरे ही लोक में पहुँच चुकी थी, लेकिन रामा से भी नही रहा जा रहा था, सो वो उसके मुँह के ऊपर अपनी गीली चूत रख कर उसके ऊपर लेट गयी …
अब वो दोनो 69 की पोज़िशन में आ गयी, और रामा के इशारे पर वो भी उसकी चूत को चाटने लगी…
कमरे में चपर – चपर की आवाज़ सुनाई देने लगी, मानो दो बिल्लियाँ दूध की हांड़ी से दूध चाट – 2 कर पी रही हों…
एक बार रामा ने अपने होंठों को उसकी कोरी चूत के होंठों पर कस कर सक कर लिया…
विजेता को लगा मानो उसके अंदर से कुछ खिंचा चला जा रहा हो, उसकी गान्ड के गोल गोल गुंबद आपस में कस गये…
उसकी देखी देखा, उसने भी रामा की चूत को कस्के सक कर लिया…
वो दोनो ही गून..गून करते हुए अपना-अपना कामरस छोड़ने पर मजबूर हो गयी…
जब दोनो ही अपने – 2 स्खलन को पा चुकी… और एक दूसरे की टाँगों में मुँह डाले पड़ी रही….
अभी वो ढंग से स्खलन की खुमारी से निकल भी नही पाईं थी, कि भड़क से दरवाजा खुला…!
मे किसी काम से रामा दीदी के कमरे में गया था, दरवाजे को हल्का सा दबाब डालते ही वो खुलता चला गया…
सामने का नज़ारा देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया…
उन दोनो की नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, विजेता ने झट से उसे अपने ऊपर से धकेल दिया और फटा फट से बेड शीट दोनो के ऊपर डाल ली…
मे उल्टे पैर वापस जाने को पलटा, कि तभी रामा दीदी बोली – भाई रुक तो…!
मेने बिना उनकी तरफ पलटे ही बोला – मे सुवह बात करता हूँ आपसे…!
वो – कोई बात नही, तू बोल ना क्या काम था…?
मे - नही कोई खास नही बस ये देखने आया था, कि आप लोग सो तो नही गये…
कुछ देर बैठ कर गप्पें मार लेता और कुछ नही..बस !
वो – तो आ ना, बैठ… बातें करते हैं…
उसकी बात सुन कर विजेता उसके कान में फूस फुसाई… दीदी ! क्या कर रही हो.. जाने दो ना उनको..
रामा उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर…! बैठने दे ना उसे भी, चादर तो ओढ़ रखी है ना हमने, फिर क्या प्राब्लम है तुझे…?
फिर उसने ज़िद कर के मुझे पलंग पर बैठने को मजबूर कर दिया… और में उनके बगल में बैठ कर बातें करने लगा….!
मे जिधर बैठा था, उधर विजेता थी, और उसके साइड में रामा दीदी…., मे पालती लगा कर उनकी तरफ मुँह कर के बात कर रहा था…
दीदी ने चादर के अंदर से ही अपना हाथ विजेता के ऊपर से होते हुए मेरी जाँघ पर रख लिया, और बातें करते हुए उसे सहलाने लगी…
विजेता उसकी हरकत को बराबर देखे जा रही थी…वो धीरे – 2 से उसको मेरी तरफ पुश करते हुए उसका बदन मेरे बगल से सटा दिया…
विजेता ने उसकी तरफ घूर कर देखा, मानो कहना चाहती हो कि ऐसा क्यों कर रही हो..
उसने अपनी आँखों के इशारे से उसे चुप चाप मज़ा करने को कहा… तो वो फिर से मेरी तरफ मुँह कर के बातों में शामिल हो गयी…
रामा – वैसे भाई, तूने हमें किस हालत में देखा था…?
मे उसकी बात का कोई जबाब नही दे पाया, और देना उचित भी नही समझता था, क्योंकि रामा को तो कोई प्राब्लम नही थी,
वो तो मेरे साथ सब कुछ कर चुकी थी, लेकिन विजेता को बहुत फ़र्क पड़ना था, वो अभी इन सब बातों से अंजान थी..
जब कुछ देर तक मेने कोई जबाब नही दिया तो वो फिर बोली – छोटू बता ना यार ! तूने हमें किस हालत में पाया था…?
मे कुछ बोलता उससे पहले विजेता बोल पड़ी…दीदी प्लीज़ ! मत पूछिए ना भैया से ऐसा सवाल..
वो उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर.. तुझे क्यों प्राब्लम हो रही है…?
विजेता – भैया कैसे बता पाएँगे… अपनी बहनों के बारे में ऐसी बात…आप क्यों शर्मिंदा करना चाहती हैं बेचारे को…?
रामा – भैया की चमची…तू ज़्यादा जानती है उसके बारे में या मे, चुप-चाप लेटी रह… और उसने विजेता बेचारी को चुप करा ही दिया…
फिर वो मेरे से बोली – हां ! बोल भाई… अब बता भी दे.. ना, क्यों ज़्यादा नखरे कर रहा है, धरी लुगाई की तरह…
उसके जुमले पर हम तीनों ही हँसने लगे…, मेने कहा – सुनना ही चाहती हो.. नही मानोगी..? तो लो…….
और मेने उन दोनो के ऊपर से चादर खींच कर एक तरफ को उच्छाल दी, और बोला – इस हालत में देखा था… अब खुश.
विजेता तो शर्म से दोहरी हो गयी, उसने अपनी टाँगें जोड़कर घुटने अपने सीने से सटा लिए…
लेकिन रामा ने मेरे ऊपर छलान्ग ही लगा दी.. और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे ऊपर बैठ गयी… एक दम नंगी, और गुर्राकर कर बोली…
तेरी ये हिम्मत, अब देख तू … इतना कह कर उसने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया…
मेरे हाथ उसके मोटे-मोटे तरबूजों पर कस गये और मे उसकी मखमली गान्ड को मसल्ने लगा…
विजेता ये सीन देख कर भोंचक्की सी रह गयी, अपनी बड़ी-2 कजरारी आँखें फाड़ कर हम दोनो को देखने लगी…
मेरे होंठ छोड़ कर वो बोली – विजेता तू इसके कपड़े निकाल… इसकी हिम्मत कैसे हुई हमें नंगा करने की…
विजेता तो बेचारी वैसे ही शॉक्ड थी, ये बात सुन कर और ज़्यादा सुन्न पड़ गयी…
जब विजेता की तरफ से कोई रिक्षन ना हुआ तो उसने मेरे ऊपर बैठे हुए ही उसको भी बाजू से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और बोली – अब भी शरमाती रहेगी… मेरी लाडो..
मज़े ले ना हमारे साथ, आज देख तुझे हम दोनो मिल कर स्वर्ग की सैर पर ले चलते हैं… ऐसा मौका तुझे फिर कभी नही मिलेगा मेरी जान… आजा, चूस भाई के होंठ…
उसे मेरे होंठों से लगा कर खुद मेरे कपड़े निकालने लगी, और दो मिनिट में ही मुझे भी अपनी लाइन में खड़ा कर लिया…
मेने विजेता को अपनी बाहों में कस लिया और उसके नाज़ुक अन्छुए मादक गोल-2 उरजों को चूसने – चाटने लगा…प्रथम पुरुष स्पर्श उसके लिए वरदान साबित हुआ..
और जैसा रामा ने उससे कहा था, दुगना मज़ा उसको आ रहा था…
रामा ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया, और लॉलीपोप की तरह उसे चूसने लगी…
मे – देख वीजू… दीदी कैसे मेरा लंड चूस रही है, सीखले, जिंदगी में बहुत काम आने वाला है ये तेरे…
वो गौर से उसे लंड चूस्ते हुए देखने लगी…
कुछ देर लंड चूसने के बाद रामा उसके ऊपर बैठ गयी, और धीरे- 2 पूरा लंड अपनी चूत में डालकर कमर चलकर चुदने लगी या कहो मुझे चोदने लगी…
मेने एक हल्का सा धक्का देकर अपने सुपाडे को उसके छोटे से छेद में फिट कर दिया… उसकी आह… निकल गयी.. और वो उफ़फ्फ़…उफफफ्फ़… करने लगी…
मे – क्या हुआ रानी…?
वो बोली – थोड़ा टाइट है… आराम से ही डालना..
मेने कहा – फिकर मत करो.. तुम्हें कुछ नही होगा… थोड़ा सहन कर लेना बस..
ये कह कर मेने एक अच्छा सा शॉट लगाया और मेरा आधा लंड उसकी कसी हुई चूत को चीरते हुए अंदर फिट हो गया…
वो दर्द से बिल-बिला उठी… मेने उसके होंठों को चूम लिया और उसकी चुचि सहलाते हुए कहा… बस थोड़ा सा और… फिर मज़ा ही मज़ा…
वो थोड़ी देर करही, मे उसकी चुचियों की मालिश करता रहा… और हल्के हल्के से आधे लंड को अंदर बाहर किया… जब उसे कुछ अच्छा लगने लगा और मस्ती से कमर हिलाने लगी…
मौका देख मेने एक और फाइनल शॉट लगा दिया… मेरा पूरा लंड किसी खूँटे की तरह उसकी कसी हुई चूत में फिट हो गया…
आआंन्नज्….माआआ….मररर्र्ररर…गाइिईईईईईईई….रीईईई……वो दर्द से तड़पने लगी …
उसकी चूत के होंठ पूरी तरह खुल चुके थे…
मेने उसे ज़मीन से उठा कर अपने सीने से लगा लिया… होंठ चूस्ते हुए उसके सर को सहलाया.. और फिरसे लिटा कर उसके निप्पलो से खेलने लगा…
एक-दो मिनिट में ही उसका दर्द कम हुआ तो मेने अपना लंड सुपाडे तक बाहर निकाला.. देखा तो उसपर कुछ खून भी लगा हुआ था…
सही माइने में आज ही उसकी सील टूटी थी…
मेने फिरसे अपना लंड धीरे-2 अंदर किया… तो वो इस बार सिर्फ़ सिसक कर रह गयी…
कुछ देर आराम-आराम से अंदर-बाहर कर के उसकी चूत को अपने लंड के हिसाब से सेट किया… अब उसे भी मज़ा आने लगा था…
मेने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब घचा घच.. उसकी कसी चूत में लंड चलाने लगा… जब पूरा लंड अंदर जाता तो वो अपने पेट पर हाथ रख कर उसे महसूस करती..
जब मेने पूछा तो वो बोली – देखो ये यहाँ तक आ जाता है… आअहह…बड़ा मज़ा दे रहा है… और ज़ोर से करो…हइई….माआ… में गयी.ईयी……हूंम्म्म..
वो झड रही थी… जिससे उसके पैरों की एडीया मेरी गान्ड पर कस गयी…और वो मेरे सीने से चिपक गयी..
मे उसे उसी पोज़ में लिए हुए खड़ा हो गया… वो मेरे सीने से चिपकी हुई थी…. मेने उसकी जांघों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसे अपने लंड पर अधर उठा लिया….
कुछ देर उसको अपने लंड पर अपने हाथों के इशारे से मेने आराम आराम से उसे कूदाया..
वो अब फिरसे गरम होने लगी… और खुद ही अपनी कमर उच्छल-2 कर मेरे लंड पर कूदने लगी..
मेरी स्टॅमिना देख कर वो दंग रह गयी… 10 मिनिट तक में उसे हवा में लटकाए ही चोदता रहा… और अंत में मेने ज़ोर से उसे अपने सीने में कस लिया..
मेरे साथ-साथ वो भी झड़ने लगी.. और मेरे गले से चिपक गयी….
कुछ देर बाद में उसे गोद में लेकर वही घास पर बैठ गया.. वो मेरे होंठ चूमते हुए बोली – आज मेने जाना की सच्चा मर्द क्या होता है… और चुदाई कैसे होती है..
उसके बाद हम ने अपने शरीर साफ किए… वो वहीं पास में बैठ कर मूतने लगी..
उसके मूत से पहले ढेर सारी मलाई निकलती रही.. जिसे वो बड़े गौर से देखती रही..
मूतने के बाद वो फिरसे मेरी गोद में आकर बैठ गयी,
हमारे हाथ धीरे – 2 फिरसे से बदमाशियाँ करने लगे, जिससे कुछ ही देर में हम फिरसे गरम हो गये…
फिर मेने उसे घुटने मोड़ कर घोड़ी बना दिया, और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा…
इसी तरह मेने कई आसनों से उसे तीन बार उसे जमकर चोदा.. वो चुदते-2 पस्त हो गयी..
कुछ देर बैठ कर, हम कपड़े पहन कर मैदान में आ गये.. और एक पेड़ की छाया में लेट गये..
एक घंटा अच्छे से आराम करने के बाद घर लौट लिए…
घर आकर मेने उसके सास-ससुर को बताया कि उसका इलाज़ तो हो गया है.., लेकिन कुछ दिनो तक हर हफ्ते उसे ले जाना होगा…
तो वो बोले – बेटा अब तुम ही इसे ले जा सकते हो.. हमारे पास और कॉन है.. तो मेने भी हां कर दिया…
पंडित – पंडिताइन ने मुझे खूब आशीर्वाद दिया.. हम दोनो मन ही मन खुश हो रहे थे…
कुछ देर चाय नाश्ता करने के बाद मे अपने घर आ गया और भाभी को सारी बात बताई…
वो हँसते हुए बोली – वाह देवेर जी ! मेरी सोहवत में स्मार्ट हो गये हो… हर हफ्ते का इंतेज़ाम भी कर लिया… मान गये उस्ताद…!
मेने हँसते हुए कहा – अरे भाभी ! बेचारी मिन्नतें कर रही थी.. कि समय निकल कर मुझे भी प्यार कर लिया करना.. सो मेने ये तरीक़ा सोच लिया…
इस तरह से पंडित जी की बहू वर्षा की समस्या का समाधान मेरी भाभी ने कर दिया….
रामा दीदी और विजेता दोनो पक्की वाली सहेलियाँ हो चुकी थी, दोनो एक ही साथ रहती, साथ-2 खाती, और साथ ही सोती…विजेता यहाँ आकर सबके साथ घुल-मिल गयी थी…
भाभी का नेचर तो था ही सबको प्यार करना, सो वो इतनी घुल मिल गयी हमारे घर में की एक दिन भी उसे अपने घर की याद नही आई…
रामा दीदी तो मेरे साथ हर तरह से खुली हुई थी, वो कभी भी मुझे छेड़ देती, मुझे तंग करती रहती, कहीं भी गुद गुदि कर देती,
मेरे भी हाथ उसके नाज़ुक अंगों तक पहुँच जाते…, उन्हें मसल देता, जिसे देख कर विजेता शॉक्ड रह जाती..
शुरू शुरू में तो उसे ये सब बड़ा अजीब सा लगा, कि सगे भाई बेहन ऐसा एक दूसरे के साथ कैसे कर सकते हैं…
इसके लिए उसने दीदी को बोला भी…तो उन्होने कहा – अरे यार इसमें क्या है, अब भाई बेहन हैं तो इसका मतलव ये तो नही की हम खुश भी ना हो सकें… कुछ ग़लत नही है, बस तू भी एंजाय किया कर..
मेरा भाई तो बहुत बड़े दिलवाला है, उसमें सबके लिए प्यार समाया हुआ है…
दीदी की बात से वो भी धीरे-2 मेरे साथ हसी मज़ाक, छेड़-छाड़ करने में उसके साथ शामिल होने लगी…
धीरे –2 उसकी भावनाएँ खुलने लगी…रही सही कसर रामा दीदी पूरी कर देती उसके नाज़ुक अंगों के साथ छेड़-छाड़ कर के….!
इसी दौरान एक दिन आँगन में हम तीनों बैठे थे, कि अचानक रामा दीदी मुझे गुदगुदी कर के भाग गयी…
मेने उसका पिछा किया और थोड़ी सी कोशिश के बाद मेने उसे पीछे से पकड़ लिया..
मेरे हाथ उसकी चुचियों पर जमे हुए थे, वो अपनी गान्ड को मेरे लंड के आगे सेट कर के अपने पैर ऊपर उठाकर एक तरह से मेरी गोद में ही बैठी थी..
मेने उसके कान को अपने दाँतों में दबा लिया…वो खिल-खिलाकर हँसते हुए मुझे छोड़ने के लिए बोलने लगी…
हमारे बीच के इस खेल को चारपाई पर बैठी विजेता देख रही थी, वो अपने मन में कल्पना करने लगी, कि रामा की जगह वो खुद है, और मे उसकी चुचियों को मसल रहा हूँ…
मेरा लंड उसकी गान्ड से सटा हुआ है… ये सोचते – 2 वो गरम होने लगी.. और अनायास ही उसका हाथ अपनी चुचि पर चला गया, वो उसे दबाने लगी, और उसके मुँह से सिसकी निकल गयी…
उसकी आँखें भारी होने लगी… उसे ये भी पता नही चला कि कब हम दोनो उसके पास आकर बैठ गये…
उसका एक हाथ अभी भी उसकी चुचि पर ही था, जिसे वो अपनी आँखें बंद किए धीरे-2 दबा रही थी…
मेरी और रामा दीदी की नज़रें आपस में टकराई, तो वो उसकी तरफ इशारा कर के मुस्कराने लगी…
फिर उसने विजेता के कंधे पर हाथ रख कर उसे हिलाया, वो मानो नींद से जागी हो, अपनी स्थिति का आभास होते ही वो शर्मा गयी, और अपनी नज़रें नीची कर ली.
रामा दीदी को ना जाने कहाँ से राजशर्मा कीसेक्सी कहानियों की एक किताब मिल गयी, शायद रेखा या आशा दीदी के पास रही होगी, क्योंकि वो तो बेचारी अकेले कभी बाज़ार गयी नही थी..
तो एक रात वो दोनो अपने कमरे में साथ बैठ कर उस किताब को पढ़ रही थी…
पढ़ते – 2 उन दोनो पर वासना अपना असर छोड़ने लगी, और वो किताब को पढ़ते – 2 एक दूसरे के साथ समलेंगिक (लेज़्बीयन) सेक्स करने लगी.
वो स्टोरी भी शायद ऐसी ही कुछ होगी, जिसे वो पढ़ते – 2 एक्शिटेड होने लगी और उसमें लिखी हुई बातों का अनुसरण करने लगी…
रामा ने उसके होंठों पर किस किया तो विजेता गन गाना गयी, उसके शरीर में झूर झूरी सी होने लगी, और उसने भी उसको किस कर लिया…
अब वो दोनो एक दूसरे होंठों पर भूखी बिल्लियों की तरह छीना छपटी सी करने लगी…
जैसे – 2 रामा उसके साथ करती, वो बस उसका अनुसरण करने लगती… क्योंकि उसे इस खेल में इतना मज़ा आ रहा था, जो आज से पहले उसने सोचा भी नही था…
किस्सिंग करते – 2 रामा उसके बूब्स दबाने लगी जो उसके बूब्स से भी 21 थे…
फिर जैसे ही रामा का हाथ उसकी टाँगों के बीच उसकी कोरी करारी मुनिया पर गया, उसने अपनी टाँगें भींच ली…और उसके मुँह से मादक सिसकारी फुट पड़ी..
सस्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………….उईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….डीडीिईईईईईई…….नहियीईईईई
रामा ने उसे छेड़ते हुए कहा – क्यों मेरी जान… मज़ा नही आया क्या…
वो – आहह… दीदी कुछ अजीब सी गुदगुदी होने लगती है…
रामा – इसी को मज़ा कहते हैं..मेरी गुड़िया रानी…टाँगें खोल अपनी, देख कितना मज़ा आता है…
उसने अपनी टाँगें खोल दी और उसके बूब्स प्रेस करते हुए अपनी चूत मसलवाने लगी…
दोनो की हालत बाद से बदतर होती जा रही थी…अब उन्हें अपने कपड़े किसी दुश्मन की तरह लगने लगे और वो दोनो जल्दी ही ब्रा और पेंटी में आ गयी…
अब सिचुयेशन ये थी, कि रामा पलंग के सिरहाने से पीठ टिकाए बैठी थी अपनी टाँगें फैलाए, और विजेता उसकी टाँगों के बीच बैठी अपनी टाँगें पसारे बैठी थी…
दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए, रामा उसकी गीली चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी, और विजेता उसकी….
विजेता – आअहह…दीदी… बहुत मज़ा आरहा है… और ज़ोर से रगडो मेरी चूत को..
रामा – मज़ा आरहा है ना…! पर मेरी जान ! जो मज़ा किसी मर्द के हाथ से मिलता है, वो मेरे हाथों से नही मिलने वाला…
वो उसके मुँह की तरफ देखते हुए बोली – क्यों मर्द के हाथ से ज़्यादा क्यों आता है…?
रामा – वो तो तू जब हाथ लगवाएगी तभी पता चलेगा…!
फिर रामा ने उसकी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी, बिना कपड़ों के जब उसकी उंगलियाँ विजेता की गीली चूत पर पड़ी, वो मस्ती से भर उठी.. और उसकी कमर हवा में लहराने लगी.
रामा अपने हल्के हाथों से उसके दाने को सहला रही थी…जिससे उसकी चूत और ज़्यादा रस बहाने लगी…
अब उसने भी अपने सारे कपड़े निकल फेंके, और उसकी टाँगों के बीच आकर बैठ गयी,
रामा ने अपना मुँह विजेता की कोरी कुँवारी चूत पर रख दिया और वो उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी…
विजेता तो पता नही कहीं दूसरे ही लोक में पहुँच चुकी थी, लेकिन रामा से भी नही रहा जा रहा था, सो वो उसके मुँह के ऊपर अपनी गीली चूत रख कर उसके ऊपर लेट गयी …
अब वो दोनो 69 की पोज़िशन में आ गयी, और रामा के इशारे पर वो भी उसकी चूत को चाटने लगी…
कमरे में चपर – चपर की आवाज़ सुनाई देने लगी, मानो दो बिल्लियाँ दूध की हांड़ी से दूध चाट – 2 कर पी रही हों…
एक बार रामा ने अपने होंठों को उसकी कोरी चूत के होंठों पर कस कर सक कर लिया…
विजेता को लगा मानो उसके अंदर से कुछ खिंचा चला जा रहा हो, उसकी गान्ड के गोल गोल गुंबद आपस में कस गये…
उसकी देखी देखा, उसने भी रामा की चूत को कस्के सक कर लिया…
वो दोनो ही गून..गून करते हुए अपना-अपना कामरस छोड़ने पर मजबूर हो गयी…
जब दोनो ही अपने – 2 स्खलन को पा चुकी… और एक दूसरे की टाँगों में मुँह डाले पड़ी रही….
अभी वो ढंग से स्खलन की खुमारी से निकल भी नही पाईं थी, कि भड़क से दरवाजा खुला…!
मे किसी काम से रामा दीदी के कमरे में गया था, दरवाजे को हल्का सा दबाब डालते ही वो खुलता चला गया…
सामने का नज़ारा देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया…
उन दोनो की नज़र जैसे ही मुझ पर पड़ी, विजेता ने झट से उसे अपने ऊपर से धकेल दिया और फटा फट से बेड शीट दोनो के ऊपर डाल ली…
मे उल्टे पैर वापस जाने को पलटा, कि तभी रामा दीदी बोली – भाई रुक तो…!
मेने बिना उनकी तरफ पलटे ही बोला – मे सुवह बात करता हूँ आपसे…!
वो – कोई बात नही, तू बोल ना क्या काम था…?
मे - नही कोई खास नही बस ये देखने आया था, कि आप लोग सो तो नही गये…
कुछ देर बैठ कर गप्पें मार लेता और कुछ नही..बस !
वो – तो आ ना, बैठ… बातें करते हैं…
उसकी बात सुन कर विजेता उसके कान में फूस फुसाई… दीदी ! क्या कर रही हो.. जाने दो ना उनको..
रामा उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर…! बैठने दे ना उसे भी, चादर तो ओढ़ रखी है ना हमने, फिर क्या प्राब्लम है तुझे…?
फिर उसने ज़िद कर के मुझे पलंग पर बैठने को मजबूर कर दिया… और में उनके बगल में बैठ कर बातें करने लगा….!
मे जिधर बैठा था, उधर विजेता थी, और उसके साइड में रामा दीदी…., मे पालती लगा कर उनकी तरफ मुँह कर के बात कर रहा था…
दीदी ने चादर के अंदर से ही अपना हाथ विजेता के ऊपर से होते हुए मेरी जाँघ पर रख लिया, और बातें करते हुए उसे सहलाने लगी…
विजेता उसकी हरकत को बराबर देखे जा रही थी…वो धीरे – 2 से उसको मेरी तरफ पुश करते हुए उसका बदन मेरे बगल से सटा दिया…
विजेता ने उसकी तरफ घूर कर देखा, मानो कहना चाहती हो कि ऐसा क्यों कर रही हो..
उसने अपनी आँखों के इशारे से उसे चुप चाप मज़ा करने को कहा… तो वो फिर से मेरी तरफ मुँह कर के बातों में शामिल हो गयी…
रामा – वैसे भाई, तूने हमें किस हालत में देखा था…?
मे उसकी बात का कोई जबाब नही दे पाया, और देना उचित भी नही समझता था, क्योंकि रामा को तो कोई प्राब्लम नही थी,
वो तो मेरे साथ सब कुछ कर चुकी थी, लेकिन विजेता को बहुत फ़र्क पड़ना था, वो अभी इन सब बातों से अंजान थी..
जब कुछ देर तक मेने कोई जबाब नही दिया तो वो फिर बोली – छोटू बता ना यार ! तूने हमें किस हालत में पाया था…?
मे कुछ बोलता उससे पहले विजेता बोल पड़ी…दीदी प्लीज़ ! मत पूछिए ना भैया से ऐसा सवाल..
वो उसको घुड़कते हुए बोली – तू चुप कर.. तुझे क्यों प्राब्लम हो रही है…?
विजेता – भैया कैसे बता पाएँगे… अपनी बहनों के बारे में ऐसी बात…आप क्यों शर्मिंदा करना चाहती हैं बेचारे को…?
रामा – भैया की चमची…तू ज़्यादा जानती है उसके बारे में या मे, चुप-चाप लेटी रह… और उसने विजेता बेचारी को चुप करा ही दिया…
फिर वो मेरे से बोली – हां ! बोल भाई… अब बता भी दे.. ना, क्यों ज़्यादा नखरे कर रहा है, धरी लुगाई की तरह…
उसके जुमले पर हम तीनों ही हँसने लगे…, मेने कहा – सुनना ही चाहती हो.. नही मानोगी..? तो लो…….
और मेने उन दोनो के ऊपर से चादर खींच कर एक तरफ को उच्छाल दी, और बोला – इस हालत में देखा था… अब खुश.
विजेता तो शर्म से दोहरी हो गयी, उसने अपनी टाँगें जोड़कर घुटने अपने सीने से सटा लिए…
लेकिन रामा ने मेरे ऊपर छलान्ग ही लगा दी.. और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे ऊपर बैठ गयी… एक दम नंगी, और गुर्राकर कर बोली…
तेरी ये हिम्मत, अब देख तू … इतना कह कर उसने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया…
मेरे हाथ उसके मोटे-मोटे तरबूजों पर कस गये और मे उसकी मखमली गान्ड को मसल्ने लगा…
विजेता ये सीन देख कर भोंचक्की सी रह गयी, अपनी बड़ी-2 कजरारी आँखें फाड़ कर हम दोनो को देखने लगी…
मेरे होंठ छोड़ कर वो बोली – विजेता तू इसके कपड़े निकाल… इसकी हिम्मत कैसे हुई हमें नंगा करने की…
विजेता तो बेचारी वैसे ही शॉक्ड थी, ये बात सुन कर और ज़्यादा सुन्न पड़ गयी…
जब विजेता की तरफ से कोई रिक्षन ना हुआ तो उसने मेरे ऊपर बैठे हुए ही उसको भी बाजू से पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और बोली – अब भी शरमाती रहेगी… मेरी लाडो..
मज़े ले ना हमारे साथ, आज देख तुझे हम दोनो मिल कर स्वर्ग की सैर पर ले चलते हैं… ऐसा मौका तुझे फिर कभी नही मिलेगा मेरी जान… आजा, चूस भाई के होंठ…
उसे मेरे होंठों से लगा कर खुद मेरे कपड़े निकालने लगी, और दो मिनिट में ही मुझे भी अपनी लाइन में खड़ा कर लिया…
मेने विजेता को अपनी बाहों में कस लिया और उसके नाज़ुक अन्छुए मादक गोल-2 उरजों को चूसने – चाटने लगा…प्रथम पुरुष स्पर्श उसके लिए वरदान साबित हुआ..
और जैसा रामा ने उससे कहा था, दुगना मज़ा उसको आ रहा था…
रामा ने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया, और लॉलीपोप की तरह उसे चूसने लगी…
मे – देख वीजू… दीदी कैसे मेरा लंड चूस रही है, सीखले, जिंदगी में बहुत काम आने वाला है ये तेरे…
वो गौर से उसे लंड चूस्ते हुए देखने लगी…
कुछ देर लंड चूसने के बाद रामा उसके ऊपर बैठ गयी, और धीरे- 2 पूरा लंड अपनी चूत में डालकर कमर चलकर चुदने लगी या कहो मुझे चोदने लगी…