Update 28

मामी की गान्ड और मस्त बड़ी-2 एकदम तनी हुई चुचियों को देख कर मेरा लॉडा टन टॅना कर पेंडुलम की तरह ऊपर नीचे होने लगा…

मेने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए… मेरा लंड देख कर मामी अपनी पलकें झपकाना भूल गयीं…

मेने पूछा – क्या देख रही हो मामी… पसंद आया…?

वो – आहह….क्या मस्त लंड है तुम्हारा… इसे तो पूरी रात मे अपनी चूत में ही डाले रहूंगी…

और उसे कसकर मसल्ते हुए, उन्होने उसे अपने मुँह में भर लिया और मस्त लॉलीपोप की तरह चूसने लगी…

मे उनकी गान्ड और चुचियों को मसलने लगा…

जल्दी ही मेने उनको सीधा लिटा दिया और उनकी टाँगों को चौड़ा कर के मेने अपना सोट जैसा मूसल उनकी हल्की झांतों वाली गरम चूत में पेल दिया…

ससिईईईई….आआहह….. लल्लाअ… क्या मस्त लंड है तुम्हारा….थोड़ा आराम से…उफफफ्फ़…

मेरी चूत को पूरी तरह कस दिया है….इसने… हाईए… रामम्म….मज़ा आ गया… कसम सी….

चुदाई करते हुए मेरी नज़र चाची की तरफ गयी.. वो अपनी पलकों से हल्की सी झिर्री बनाकर हमारी चुदाई का मज़ा ले रही थी…

उनका एक हाथ उनकी चूत के ऊपर था, जिसे वो मसले जा रही थी…

वाह ! क्या सीन था, एक मस्त भरे बदन की औरत मेरे लंड से चुद रही थी, दूसरी एक प्रेग्नेंट औरत उस चुदाई को अपनी आँखों से देख कर अपनी चूत मसल कर आनंद के दरिया में गोते लगा रही थी…

हम तीनों ही अपने अपने हिस्से के मज़े को पाने की कोशिश में जुटे हुए थे…

अब तक मामी दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी, तब जाकर मेने अपना गाढ़ा गाढ़ा मक्खन उनकी रसीली चूत में भरा…

थोड़ी देर एकदुसरे से चिपके पड़े रहने के बाद, मेरा लंड मामी की गान्ड की गर्मी पाकर फिरसे अंगड़ाई लेने लगा…

उठके मेने अपना लंड मामी के मुँह में डाल दिया, जिसे वो बड़े तन-मन से चूसने लगी…

फिर मेने उनसे उनकी गान्ड मारने को कहा…

कुछ ना नुकुर के बाद वो मान गयी…

उनकी गान्ड थी ही ऐसी की वो अगर नही भी मानती, तो मे आज उसे जबर्जस्ती फाड़ देता…

पास में ही तेल था, सो अच्छे से मामी को चौड़ी गान्ड की मालिश कर के, थोड़ा धार बनाकर उनके छेद में डाला…

फिर अच्छे से दो उंगलियों से गान्ड को अंदर तक चिकनाया, और अपना लंड उनकी कसी हुई गान्ड के छेद में पेल दिया…

मामी के मुँह से कराह निकल गयी, लेकिन जल्दी ही उन्होने अपने होंठ कसकर भींच लिए,

मेने मामी की दोनो टाँगों को उनके पेट से सटा रखा था, जिससे उनकी गान्ड का छेद पूरी तरह लंड के सामने आकर खुल गया…

इस पोज़ में गान्ड मारने का अपना अलग ही मज़ा था, पूरा लंड आसानी से गान्ड में आ-जा रहा था…

मामी के पपीतों को मसलते हुए, मे उनकी गान्ड में सटा-सॅट लंड पेलने लगा, मामी ने मस्ती में आकर अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी, और उसे चोदने लगी…

कभी वो उंगलियों को अंदर पेल देती, तो कभी बाहर निकाल कर अपनी चूत को थपथपाने लगती….

अब वो फूल मस्ती में अपनी गान्ड को पलंग से अधर उठाकर चुदाई का मज़ा ले रही थी…ज़ोर ज़ोर से मादक आवाज़ें निकालते हुए,

मेरी जाँघो की थप उनकी गान्ड के टेबल पर ताबड तोड़ तरीक़े से पड़ रही थी…

अब उन्हें चाची की भी कोई परवाह नही थी…हम दोनो ही अपने चरम की तरफ तेज़ी से बढ़ते जा रहे थे…

मामी का पूरा शरीर बुरी तरह अकड़ने लगा, और उन्होने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अपनी चूत में डालकर कस्ति हुई झड़ने लगी…

इधर मेने भी अपना नल उनकी गान्ड में खोल दिया… और उसने मदमस्त गान्ड के छेद को अपनी मलाई से भर दिया…

अपनी गान्ड का आज पहली बार उद्घाटन करवा कर मामी को बहुत मज़ा आया, मुझे भी मामी जैसी चौड़ी गान्ड वाली जोबन से भरपूर औरत को चोदने में,

और हम दोनो की मस्त चुदाई का लाइव शो देखकर चाची को अपनी चूत मसलकर पानी निकालने में……

हम तीनों ही अपनी अपनी तरह से देर रात तक मज़े लेते रहे…..

ऐसे ही मस्तियों में कुछ दिन और निकल गये, मौका लगते ही मामी और मे शुरू हो जाते अपने पसंदीदा काम में, चाची को हमारा गेम देखने में बड़ा मज़ा आता..

और फिर एक दिन चाची ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया…, घर भर में खुशियों की जैसे बहार ही आ गयी…

शादी के इतने सालों के बाद छोटे चाचा को पिता बनने का सुख प्राप्त हुआ था, उनकी तो खुशी का कोई परोवार ही नही था…

डेलिवरी नॉर्मल घर पर ही हो गयी थी… लास्ट मूव्मेंट तक घर के कामों की वजह से कोई कॉंप्लिकेशन नही हुई… एक नर्स को बुलाकर सब कुछ अच्छे से हो गया था…

गाँव की दाई की देखभाल से चाची को कोई परेशानी पेश नही आई.. भाभी और बहनों ने भी अपने परिवार के नाते अपना फ़र्ज़ निभाया था…

बच्चे का नामकरण भी संपन्न हो गया… भाभी ने ही उसका नाम अंश रखा..

बीते कुछ दिनो में परिवार में एक के बाद एक खुशियाँ मिलती जा रही थी…

हफ्ते-के हफ्ते कुछ महीनो तक मे पंडितजी की बहू वर्षा को उसके इलाज़ के बहाने ले जाता रहा.. और उसे जंगल में मंगल करवाता रहा,

इस बीच मेने उससे जैसे चाहा सेक्स किया…, वो तो जैसे एक तरह से मेरी दीवानी ही हो गयी थी…!

लेकिन ये ज़्यादा लंबा नही चल सकता था…, फिर एक दिन वो भी प्रेग्नेंट हो गयी.. और उसके मुताविक ये बच्चा भी मेरा ही अंश था…,

पंडिताइन उसे लेकर हमारे घर आईं, ख़ासतौर से भाभी का धन्यवाद करने, जिनके सुझाव से उनकी बहू एक बड़ी मुशिबत से निकली थी, साथ ही एक बड़ी खुश खबरी भी सुनने को मिली…

उनका मानना था, कि भूत बाधा हटने के बाद ही वो उनके बेटे का अंश धारण करने योग्य हो पाई है..

लेकिन एकांत पाते ही वर्षा ने भाभी को ये सच्चाई बता दी, कि ये बच्चा मेरा ही अंश है…

उसी दिन शाम को भाभी ने मेरी टाँग खींचते हुए कहा…. क्या बात है लल्ला जी… आजकल गाँव की खूब आबादी बढ़ा रहे हो…

मेने भी हँसते हुए कहा – ये सब आपकी मेहरवानी से हो रहा है भाभी, मेरा इसमें कोई हाथ नही है….!

वो प्यार से मेरा कान खींचते हुए बोली– अच्छा जी ! बीज़ तुम डालो… और बदनाम भाभी को करते हो…

ये कह कर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी…, मे भी उनके साथ हँसी में शामिल हो गया…!

हम दोनो को इस तरह ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए देख कर कामिनी भाभी वहाँ आ गयी और बोली-

क्या हुआ ?… ऐसी कोन्सि बात हो गयी, जो देवर भाभी इतने खुल कर हँस रहे हैं ? अरे भाई हमें भी तो कुछ बताओ…!

मोहिनी भाभी बात संभालते हुए बोली – अरे कामिनी ! ऐसी कोई बात नही है.. लल्ला जी एक जोक सुना रहे थे.. तो उसीको सुन कर हसी आ गयी…

कामिनी भाभी – देवर्जी हमें नही सूनाओगे…वो जोक..?

भाभी ने मुझे फँसा दिया.., अब मे उन्हें क्या जोक सुनाऊ..?

मुझे चुप देख कर वो ज़िद ले बैठी.. सूनाओ ना देवेर्जी… क्या अपनी बड़ी भाभी को ही सुना सकते हो.. हमें नही..!

अचानक से मेरे दिमाग़ में कॉलेज के समय का एक जोक क्लिक कर गया जो मेरे दोस्त ने सुनाया था..

मेने कहा – ठीक है तो फिर सुनिए… लेकिन सेन्स आपको निकालना पड़ेगा…

जोक - “ सारी रात गुजर गयी, उसके इंतेज़ार में….

मगर वो नही आई.. और हिला के सोना पड़ा….??? “

दोनो भाभी मुँह बाए मुझे देखने लगी…..

मेने कहा – ऐसे क्या देख रही हो आप लोग…?

कामिनी भाभी – ऐसे जोक पसंद करते हो..? और वो भी हमारे सामने ही…?

मेने कहा – इसमें ग़लत क्या है…? ओह ! इसका मतलव आप कुछ और ही समझ रही हो…अरे भाई, सारी रात लाइट नही आई.. और पंखा हिला के सोना पड़ा….

इसपर दोनो खिल-खिलाकर हँसने लगी… ओह्ह्ह – तो ये था… हम तो कुछ और ही समझे… कामिनी भाभी बोली..

मेने कहा – आप क्या समझी….? हाहहाहा……!

वो झेंप गयी… और चुप-चाप वहाँ से चली गयी… मे और मोहिनी भाभी फिरसे हँसने लगे…

फिर भाभी थोड़ा सीरीयस होते हुए बोली – लल्ला ! निशा से कभी बात चीत होती है..?

मे – हां ! कभी कभार मे ही अपनी तरफ से फोन कर लेता हूँ..क्योंकि उसके पास मोबाइल तो है नही,

भाभी – वैसे तुम दोनो कितना आगे तक बढ़ चुके हो..? मेरा मतलव है, कि सिर्फ़ बात-चीत तक ही सीमित है या इसके आगे भी कुछ…

मेने भाभी के चेहरे की तरफ गौर से देखा, आज अचानक भाभी ने निशा की बात क्यों छेड़ी..? मे अपने मन में ये सोच ही रहा था कि वो फिर बोली..

क्या हुआ ? क्या सोचने लगे..? कुछ ऐसी-वैसी बात तो नही है ना..? मुझे बताओ अगर कुछ भी है तो…

मेने कहा – नही भाभी ऐसी-वैसी कोई बात नही है, बस ये सोच रहा था, कि आज अचानक से आपने ये बात क्यों छेड़ी..?

वो मुस्कराते हुए बोली – अरे लल्ला ! तुम परेशान ना हो, मे तो बस ऐसे ही पुच्छ बैठी, वैसे तुमने कोई जबाब नही दिया मेरी बात का..?

मेने कहा – बस एक दो बार किस ज़रूर किया था हम दोनो ने, उससे ज़्यादा और कुछ नही..

वो – तुम एक रात वहाँ रुके थे, तो बस इतना ही हुआ…?

कुछ सोचकर, मेने भाभी को उस रात की पूरी दास्तान सुना दी, कि कैसे मेरी रिक्वेस्ट पर निशा ने मुझसे अपने सारे कपड़े निकल्वाकर अपने नग्न रूप का दीदार करवाया था..

मेरी बातें सुनकर ना जाने क्यों भाभी की आँखें डब-डबा गयी, और उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया…

जब कुछ देर गले लगने के बाद वो अलग हुई, तो उनकी आँखों में आँसू देखकर मेने पूछा –

क्या हुआ भाभी, मुझसे कोई भूल हो गयी..?

उन्होने मेरे माथे को चूमकर कहा – मेरे लाड़ले से कोई भूल हो सकती है भला,

ये आँसू तो इस खुशी से निकल पड़े, कि जैसा मेने सोचा था, तुम दोनो का प्यार तो उससे भी बढ़कर निकला…

तुम दोनो जिस पोज़िशन में पहुँच चुके थे, वहाँ से वापस मुड़ना ही तुम्हारे सच्चे प्रेम को दरसाता है…

अब में तुम दोनो को मिलने के लिए सारी दुनिया से लड़ सकती हूँ…

भाभी की बातें सुनकर मे भी अपना कंट्रोल खो बैठा, और झपट कर उनके सीने से लग गया, मेरी आँखें भी भाभी का प्यार देख कर छलक पड़ी…

वो मेरी पीठ को स्नेह से सहलाती रही, कुछ देर हम इसी पोज़िशन में एक दूसरे से लिपटे रहे…

तभी रूचि वहाँ आकर हमारे पैरों से लिपट गयी, और हम दोनो एकदुसरे से अलग होकर उसके साथ खेलने लगे…

मनझले चाचा का लड़का सोनू भी अब मेरे साथ कॉलेज में ही पढ़ने लगा था, उसके आर्ट्स सब्जेक्ट थे, कभी-2 हम दोनो एक ही बाइक पर कॉलेज चले जाते थे…

आज भी वो मेरे साथ ही कॉलेज आया था… दो पीरियड के बाद एक पीरियड खाली था, तो मे लाइब्ररी में चला गया.. और स्टडी करने लगा….

कुछ देर बाद रागिनी आई और मेरे बगल में आकर बैठ गयी…. मेने जस्ट उसे हाई.. बोला और पढ़ने लगा…!

कुछ देर बाद वो बोली – अंकुश ! तुम्हें नही लगता कि तुम मुझे इग्नोर करने की कोशिश करते हो…!

मे – नही तो ! ऐसा तुम्हें क्यों लगता है.. बस में थोड़ा रिज़र्व टाइप का हूँ.. तो पढ़ाई पर ध्यान ज़्यादा रहता है मेरा…!

वो – जब मे तुमसे माफी भी माँग चुकी हूँ… तुमने मुझे अपना फ्रेंड भी मान लिया है… तो फ्रेंड के साथ भी ऐसा कोई वर्ताब करता है भला…?

मे – तुम ग़लत समझ रही हो मुझे… अच्छा एक बात बताओ… तुमने किसी और से भी कभी मुझे बात करते या गप्पें लगाते देखा है…?

वो – लेकिन मे किसी और में नही हूँ…, मे तुम्हारी दोस्त हूँ यार !

मे – मेरा कोई दुश्मन भी तो नही है कॉलेज में… सभी दोस्त ही हैं… अब मेरा नेचर ही ऐसा है तो इसमें तुम्हें बुरा मानने की ज़रूरत नही है प्लीज़…

वो – मे तुम्हारी खास दोस्त हूँ.., मुझे तो टाइम देना ही पड़ेगा तुम्हें..!

मे – खास दोस्त मतलव..! किस तरह की खास… क्या मेने कभी कहा तुम्हें कि तुम मेरी खास दोस्त हो…!

वो अपनी नज़रें झुका कर वॉली – वो मे तुम ना… मुझे अच्छे लगते हो .. मे..तुम्हें चाहने लगी हूँ…!

मे बहुत देर तक उसकी तरफ ही देखता रहा.. वो नज़र नीची किए हुए थी… फिर जब उसने मेरी ओर देखा तो मेने उससे कहा….

ये तुम क्या बोल रही हो… मुझे चाहने लगी हो मतलव.. कहना क्या चाहती हो.. साफ-साफ कहो प्लीज़… ये पहेलियाँ मत बुझाओ…

वो – मे तुमसे प्यार करने लगी हूँ… ये कह कर उसने मेरे दोनो हाथ अपने हाथों में ले लिए…

मे मुँह फाडे उसे देखता ही रह गया…फिर मेने थोड़ा सम्भल कर कहा… लेकिन मे तो तुम्हें प्यार नही करता…! मेरी दोस्ती को तुमने प्यार समझ लिया…!

वो – तो करो ना मुझे प्यार… क्या कमी है मुझमें… यहाँ कॉलेज ही नही पूरे टाउन में कितने सारे लड़के हैं, जो मुझे पाना चाहते हैं…

मे किसी और से प्यार करता हूँ… और उसे ही जिंदगी भर करता रहूँगा.. सो प्लीज़ ये सब बातें यहीं ख़तम करो और मुझे पढ़ने दो….!

वो – तो मे कॉन्सा तुम्हें जीवन भर प्यार करने के लिए कह रही हूँ, बस एक बार मुझे जी भरके अपना प्यार दे दो, उसके बाद मे तुम्हें कभी परेशान नही करूँगी… प्रॉमिस !

मे – तो ये कहो ना कि तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहती हो…

वो – हां ! प्लीज़ अंकुश बस एक बार … देखो मान जाओ…

मे – नही मे ये नही कर सकता, प्लीज़ तुम मेरा पीछा छोड़ो…

वो – मान जा ना यार ! क्यों ज़्यादा भाव खा रहा है…

मेने कहा – मे यहाँ सिर्फ़ पढ़ने आता हूँ, ना कि इश्क फरमाने, तू जाके किसी और का दामन पकड़..

वो – लगता है, तू ऐसे नही मानेगा, तेरी अकल ठिकाने पर लानी ही पड़ेगी, उस दिन अपने भाई से बचाकर मेने भूल करदी, अब देख मे तेरा क्या हाल करवाती हूँ…

मे - जा तुझे जो अच्छा लगे वो कर, और मेरा पीछा छोड़..

इतना कह कर मे वहाँ से उठ कर बाहर चला आया, और बाइक उठाकर सीधा अपने घर का रास्ता नाप लिया…

मे अपने रूटिन के हिसाब से सुबह-सुबह अपने आँगन में कसरत और एक्सर्साइज़ कर रहा था…

वैसे तो घर में इस वक़्त तक केवल मोहिनी भाभी ही जाग पाती थी..

लेकिन आज पता नही कामिनी भाभी कैसे जल्दी उठ गयी और वो अपने कमरे से बाहर आई.. मुझे कसरत करते देख.. वो वहाँ आकर खड़ी हो गयी..

मेरा कसरती बदन देख कर वो मानो सम्मोहित सी हो गयी.. और मेरे पास आकर मेरे नंगे बदन को दबा-दबा कर देखने लगी….!

कभी बाजुओं को तो कभी कंधों को, या कभी मेरे सीने को टटोलकर देख रही थी…

मेने हँसकर कहा… क्या देख रही हो भाभी..?

वो – बिना जिम के आपका शरीर कितना मस्त फिट है.. कैसे..?

मे – अपनी देसी जिम है ना इससे, देख रही हो ना.. जो मे कर रहा हूँ.., अब यहाँ जिम तो है नही….देसी डंड ही पेलने पड़ते है…!

कुछ देर और देख-दाख के वो चली गयी… मे फिरसे अपने एक्सर्साइज़ में जुट गया.

अगले दो-तीन दिन रागिनी मुझे कॉलेज में दिखाई नही दी…मुझे कुछ गड़बड़ी की आशंका हो रही थी…

चौथे दिन मे जैसे ही कॉलेज से घर जाने को निकला… रागिनी का भाई आपने गुंडे साथियों को लेकर आ धमका….

सोनू मेरे पीछे बैठा था.. उन्होने मेरी बुलेट रुकवाई.. और गाली गलौच करने लगा… सोनू ने बीच में बोलना चाहा.. तो मेने उसे चुप रहने को बोला…

मे मामले को ज़्यादा तूल नही देना चाहता था.. लेकिन वो मुझसे उलझने के इरादे से ही आया था.. तो थोड़े से वार्तालाप के बाद ही उसने मेरे साथ मार-पीट शुरू कर दी…

सोनू भाई..ने बीच बिचाव करने की कोशिश की तो उन्होने उसको भी दो-चार थप्पड़ जड़ दिए..

उन्होने मुझे बहुत मारा.. होककी स्टिक से मेरा सर भी फोड़े दिया… लेकिन मेने अपना हाथ नही उठाया… देखने वालों की भीड़ जमा हो गयी…

फिर प्रिन्सिपल ने आकर मुझे बचाया… और मेरा फर्स्ट एड करवा कर घर भेज दिया..

चौपाल पर ही बाबूजी ने जब मेरे सर पर पट्टियाँ देखी… मेरे मुँह पर भी चोटों के निशान थे.. तो वो घबरा गये.. और उन्होने पूछ-ताच्छ की..

सोनू भैया ने उन्हें सारी बात बता दी.. उन्हें बहुत गुस्सा आया… सारे परिवार के लोग जमा हो चुके थे…

बाबूजी ने गुस्से में आकर भाभी से कहा – बहू अभी के अभी तुम कृष्णा को फोन लगाओ… उस ठाकुर की इतनी हिम्मत बढ़ गयी.. कि किसी के साथ भी कुछ भी करेगा…

मेने बाबूजी को समझाया… कि खमोखा बात को बढ़ाने से कोई फ़ायदा नही है..

सब ठीक हो जाएगा… अगर आगे कुछ और बात बढ़ती है तब देखा जाएगा..

कुछ देर समझाने के बाद वो मेरी बात मान गये,.. जब में घर के अंदर पहुँचा.. तो भाभी ने मुझे आड़े हाथों लिया, और चटाक से एक चान्टा मेरे गाल पर जड़ दिया…

क्योंकि सोनू ने बता दिया था कि मेने अपना हाथ नही उठाया था, इतना सब होने के बाद भी.., ये सुन कर उन्हें बड़ा दुख हुआ, और वो मेरे ऊपर भड़क गयी…

वो गुस्से से बोली – मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी लल्ला… तुमने आज मेरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया..

मे – क्यों भाभी ? ऐसा क्यों कह रही हो..?

वो – मेने तुम्हें इसी दिन के लिए खिलाया-पिलाया था, … तुम्हारी देखभाल के.. कि तुम नामर्दों की तरह पिट-पिटा के घर लोटो…

मे जानती हूँ, अगर तुम चाहते तो उन हरामजादो को उनकी औकात दिखा सकते थे…लेकिन तुम तो खुद ही फूट-फाट कर चले आए…!

मे – मुझे माफ़ करदो भाभी…! आप ही ने तो मुझे शालीनता का पाठ पढ़ाया है, और आप ही मुझे मार-पीट करने को बोल रही हो..

वो – शालीनता का मतलव ये नही होता लल्ला… कि कोई तुम्हें मारता रहे.. और तुम चुप-चाप पिटते रहो… अपराध को सहन करना भी अपराध ही होता है… वादा करो.. आइन्दा ये नौबत नही आएगी.

मेने उन्हें वादा किया कि ऐसा से आगे कभी नही होगा… तो उन्होने मुझे लाड से अपने सीने से लगा लिया और मेरी तीमारदारी में जुट गयीं..

मे दो दिन कॉलेज नही गया… क्योंकि सर की चोट थोड़ा गहरी थी, बदन पर भी चोटों की वजह से दर्द सा था..

तीसरे दिन जब मे कॉलेज पहुँचा.. तो मुझे देखकर रागिनी मेरा मज़ाक उड़ाने लगी.. और मुझे सुना सुनकर अपनी सहेलिओं से कहने लगी…

क्यों री तुम लोग तो इसे हीरो समझ रही थी.. ये देखो इस चूहे की क्या गत बना दी मेरे भाई ने…

उसकी सहेलियों ने कुछ नही कहा.. वो चुप-चाप उसकी बकवास सुनती रही.. फिर वो आगे बोली –

कुछ लोगों को अपने ऊपर बड़ा गुमान हो जाता है.. और अपने आप को पता नही क्या समझने लगते हैं..!

मुझसे अब और बर्दास्त नही हुआ.. और उसके सामने खड़े होकर बोला – ये मेरी शालीनता की इंतेहा थी… जो अब ख़तम हो गयी…

अब तू अपने उस मवाली भाई से बोल देना, भूल से भी मेरे सामने ना पड़े.. वरना हॉस्पिटल में पड़ा अपनी हड्डियों की गिनती करता नज़र आएगा…!

और तू, साली छिनाल…, क्या कह रही थी, कि तेरे अलावा कोई और मुझसे प्यार करेगी उसका खून पी जाएगी..हां ! यही औकात है तुम लोगों की…दूसरों का खून पीना तुम लोगों की आदत जो है..

मेरी बातें सुनकर वहाँ खड़े सभी लोग अचंभे में पड़ गये… क्यों की उनको सच्चाई का अंदाज़ा ही नही था अब तक…!

रागिनी भुन-भुनाकर वहाँ से चली गयी अपने घर.., सब लोग आपस में ख़ुसर पुसर करने लगे.. उन्हें रागिनी से इतनी ओछि हरकत की उम्मीद नही थी.

लेकिन अब सबको लग रहा था.. कि आने वाले पलों में कोई बहुत बड़ा तूफान आने वाला है..

क्योंकि उन्हें उसके भाई के बारे में जो पता था, उसके हिसाब से अब वो मुझे छोड़ेगा नही…

मे वहाँ से अपनी क्लास में चला गया… और सारे पीरियड अटेंड किए…

कॉलेज के बाद जैसे ही मे स्टॅंड पर पहुँचा अपनी बाइक लेने, तभी एक लड़का भागता हुआ आया.. और बोला…

अंकुश, तू कही छुप जा.. रागिनी का भाई आया है अपने गुण्डों के साथ…

मेने कहा – कहाँ है…?

वो बोला – वो गेट पर खड़ा तेरा ही इंतेज़ार कर रहा है…

मे बिना बाइक लिए गेट की तरफ बढ़ गया… सोनू भाई ने मेरा बाजू पकड़ते हुए मुझे रोकने की कोशिश की..

मेने उसके हाथ से अपना बाजू छुड़ाया और बोला – भैया मुसीबत से छुटकारा पाना है तो उसका सामना करना पड़ता है, वरना वो और बढ़ जाती है..

आप चिंता मत करो.. मुझे कुछ नही होगा.. आप बस देखते जाओ…

मे गेट पर जैसे ही पहुँचा, वो गुटका रागिनी का भाई..मेरी ओर लपका और बोला- क्यों रे लौन्डे .. !

लगता है अभी ढंग से मरम्मत नही हो पाई है तेरी…, क्या बोल रहा था तू.. मेरी बेहन को..?

मे – तू ही बता दे क्या कह रहा था मे, तेरी उस छिनाल बेहन से…​
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