Update 31

इधर मेरा लॉडा उनकी गान्ड की दरार में फिट हो चुका था, जो बीच-बीच में ठुमके लगा देता…

इस चक्कर में एक बार मेरा कंट्रोल स्टेआरिंग से हट गया.. गाड़ी 30-35 की स्पीड में लहरा उठी… मेने फिरसे अपने ऊपर कंट्रोल किया और गाड़ी को संभाला…!

बीच बीच में भाभी अपने एक हाथ को अपनी जांघों के बीच लाकर अपनी मुनिया को सहला देती, और इधर-उधर होकर मेरे लौडे को अपनी गान्ड की दरार से रगड़ देती..

उनके इधर-उधर होने के मोमेंट से उनकी चुचियों की साइड मेरे बाजुओं से दब जाती, जिसके मखमली अहसास से मेरा हाल बहाल हो रहा था…

ढेढ़ घंटे की प्रेक्टिस में हम दोनो के शरीर दहकने लगे…

इससे पहले कि बात कंट्रोल से बाहर हो… मेने गाड़ी रोक दी… क्योंकि मेरा लंड फूल कर फटने की कगार तक पहुँच गया था…

मुझे लगने लगा कि मेरा पानी छूटने ही वाला है.. अगर ऐसा हो गया तो भाभी ना जाने क्या सोचेंगी मेरे बारे में…

मेने गाड़ी रोक दी… झटके की वजह से उनकी आँखें खुल गयी… और मेरे से पूछा – क्या हुआ…? गाड़ी क्यों रोक दी..?

मेने कहा – आज के लिए इतना ही काफ़ी है..

उन्होने मुस्करा कर कहा - ठीक है.. कल चौथे गियर की प्रॅक्टीस करेंगे… और वो मेरे आगे से उठ गयी…

मे फ़ौरन सीट से उठा.. और अपनी लिट्ल फिंगर दिखा कर झाड़ियों की तरफ भागा… मे जल्द से जल्द अपने लौडे को रिलीस करना चाहता था..

मेरी तेज़ी देख कर भाभी समझ गयी.. और मंद मंद मुस्कुराती रही…!

झाड़ियों के पीछे जाकर आज मुझे अपने लंड को मुठियाना ही पड़ा…, कुछ ही पलों में उसने इतनी तेज धार मारी कि वो कम से कम 5-7 फीट दूर तक चली गयी…!

जब लंड का टेन्षन रिलीस हुआ तब जाकर मुझे शांति मिली…!

यही सब एक हफ्ते तक चलता रहा… मेरा गाड़ी पर अच्छा कंट्रोल आने लगा था.. आज जब हम लौटने लगे तो भाभी ने कहा…

कल आपका लास्ट ट्रैनिंग सेशन होगा… कल आपको बॅक गियर की प्रॅक्टीस करनी है.. उसके बाद आपकी ट्रैनिंग पूरी……

अब मे घर से मैदान तक गाड़ी खुद ही चलाकर ले जाने लगा था…..!

आज गाड़ी सीखने का लास्ट दिन था, इस लास्ट सेशन में गाड़ी को रिवर्स गियर डालकर चलाने का तरीक़ा सीखना था…

मे घर से ग्राउंड तक गाड़ी को अच्छी स्पीड से चलाकर ले गया..

भाभी ने मेरी ड्राइविंग को अप्रीश्षेट करते हुए कहा…वाह देवेर्जी, आप तो एकदम मज़े हुए ड्राइवर की तरह चलाने लगे… वेल डन..

अब वो मेरे आगे नही बैठती थी लेकिन अलग अलग तरीकों से मुझे सिड्यूस करना उन्होने बंद नही किया था,

कभी समझाने के बहाने मेरी जांघों को सहला देना, तो कभी जान बूझकर मेरे लंड पर हाथ रख देना, बाद में सॉरी बोलकर जताना कि ये अंजाने में उनसे हुआ हो जैसे…

ना जाने उनके मन में क्या चल रहा था… लेकिन मेने अपने मन में ठान लिया था… कि किसी भी परिस्थिति में पहल मेरी तरफ से नही होगी… चाहे जैसे भी हो, मुझे अपने आप पर कंट्रोल बनाए रखना ही होगा..

उधर भाभी भी दीनो दिन मेरे धैर्य की परीक्षा ले रही थी…, नित नये तरीक़े अपनाकर मुझे उनके साथ पहल करने पर मजबूर करने की कोशिश में लगी थी.

आज उन्होने फिर से कपड़े चेंज किए… जो पिच्छले दो दिन से बंद कर दिए थे..

मेने पूछा.. अब क्यों चेंज कर रही हो भाभी… तो वो बोली – आज आपको नया सबक सीखना हैं, आंड आइ आम शुवर, वो आप मेरे बिना नही कर पाओगे…

भाभी चेंज कर के जैसे ही गाड़ी से बाहर आईं… मेरा भाड़ सा मुँह खुला का खुला रह गया… मेने उनसे ऐसे कपड़ों की उम्मीद कतयि नही की थी…

वो एक स्लीव्ले वेस्ट टाइप के उपर में जो बहुत ही लो कट जिसमें से उनकी आधी चुचियाँ दिखाई दे रही थी…और वो उनकी 34 साइज़ की चुचियों से कुछ ही नीचे तक कवर कर रहा था..

नीचे एक बहुत ही सॉफ्ट कपड़े का मिनी स्कर्ट, जो झुकने पर पेंटी की झलक भी दिखा सके… जो शायद मात्र 8-10 इंच लंबा ही होता.. वो कमर की हड्डियों पर ही टिका हुआ था.. और पीछे से उनकी ऊपरी दरार भी दिख रही थी…

कमर पर उनकी पेंटी की एक डोरी जैसी ही दिखी मुझे, जो उनकी गान्ड की दरार में फँसी दिखाई दे रही थी…

नीचे वो सिर्फ़ गान्ड की गोलाईयों के ख़तम होने से पहले ही उसकी हद ख़तम हो रही थी…, यानी उनका वो शॉर्ट कुल्हों की ढलान तक ही सिमट कर रह गया था…

उनको इन कपड़ों में देखते ही मेरे पप्पू ने एक जोरदार अंगड़ाई ली…, मानो आज वो खुशी में झूमना चाहता हो…

भाभी ने शायद आज ठान लिया था, कि वो मेरे धैर्य की माँ-बेहन एक कर के ही मानेंगी… क्योंकि वो जैसे ही मेरे सामने बैठी…

कुछ देर तो मेरे मुँह के आगे वो अपनी गान्ड लिए खड़ी रही रही, जो उनकी नाम मात्र की स्कर्ट से साफ-2 दिखाई दे रही थी…

बहुत कोशिश कर के में अपने हाथ को कंट्रोल किए हुए था, वरना वो बार बार उसे सहलाने के लिए उठने की कोशिश करता.

फिर एक लंबा सा घिस्सा अपनी गान्ड से मेरे लंड पर मारते हुए वो मेरे आगे बैठ गयी…

ठुमके मारता मेरा पप्पू अपने लिए आरामगाह देखते ही भड़क उठा… और बुरी तरह से अकड़ कर उनकी गान्ड की दरार मे घुसने लगा…

ये बात तय थी, कि अगर बीच में कपड़े नही होते.. तो वो आज किसी के बाप की भी सुनने वाला नही था…, आज वो शर्तिया भाभी की गान्ड फाड़के ही रहता.

मेने जैसे-तैसे कर के अपने आप पर कंट्रोल रखा.. यहाँ तक कि मेरे लौडे का मुँह चिपचिपाने लगा था…

वो बोली – देवर्जी पहले आप सिर्फ़ देखो उसके बाद में आपको स्टेआरिंग दूँगी, इतना कहकर उन्होने मेरे दोनो हाथ अपनी नंगी जांघों पर रखवा दिए…

आअहह…. क्या मखमली अहसास था उनकी चिकनी मुलायम मक्खन जैसी जांघों का… हाथ रखते ही, मेरे पूरे शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी..

मेरा लंड खूँटा तोड़कर कर उनके बिल में घुसने की फिराक में था…

भाभी ने बॅक गियर में गाड़ी डाल कर, स्टेआरिंग कैसे कंट्रोल करना होता है, ये सब वो बताने लगी… लेकिन उनका ध्यान पूरी तरह से गाड़ी सिखाने पर नही था…

मेरे लंड और हाथों के अहसास ने उनकी भी साँसें फूलने पर मजबूर कर दिया था…

जिसकी वजह से गाड़ी कहीं की कहीं जाने लगी… वो तो अच्छा था, कि कुछ कंट्रोल मुझे भी आ गये थे, सो मेने अपने हाथ स्टेआरिंग रख लिए और गाड़ी को कंट्रोल करने में हेल्प की.

भाभी की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी, एक बार तो उन्होने अपनी गान्ड को खुजाने के बहाने ऊपर को उचकाया, और सीधे अपने गान्ड के छेद को मेरे लंड के ऊपर ही टिका दिया…

इतना ही नही, उन्होने दो-तीन झटके भी आगे पीछे कर के अपनी गान्ड को दिए…

मेरा पेशियेन्स जबाब देता जा रहा था, ..मुझे लगा मेरा पानी निकल जाएगा, सो मेने उन्हें गाड़ी रोकने को कहा –

भाभी प्लीज़ जल्दी से गाड़ी रोकिए.. मुझे टाय्लेट जाना है…

भाभी की वासना इस समय एकदम चरम पर थी…, मेरे कहने पर उन्होने गाड़ी तो रोक दी, लेकिन नीचे उतरने की वजाय, वो पलट कर मेरी गोद में आ बैठी,

और मेरे सर के बालों को जकड़कर उन्होने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया..

मेरी हवा वैसे ही टाइट थी… कुछ देर तो मेने अपने हाथ अलग रखे.. लेकिन जब कोई चारा नही बचा तो मेने उनकी फुटबॉल जैसी गान्ड की गोलाईयों को कस्के मसल दिया…

एक मादक सीईईईईई….सस्स्सकी भरते हुए उन्होने अपनी गान्ड को मेरे लंड पर ज़ोर से रगड़ दिया…

किस करते करते दोनो की साँसें डूबने लगी… भाभी लगातार अपनी गान्ड के साथ साथ अपनी चूत को भी मेरे लंड पर रगड़ा दे रही थी…!

मेरे हाथ अनायास ही उनके आमों पर कस गये..., और उन्हें ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा…

भाभी की कमर बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी, मेरे लंड को अपनी चूत के होंठों पर फील कर के उन्होने मेरे होंठों को चब-चबा दिया…

वो मेरे ऊपर किसी भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी थी…, लंड की हालत बहुत ही खराब होती जा रही थी, मुझे लगने लगा कि अब सिबाय पानी छोड़ने के और कोई चारा नही बचा है..

उधर भाभी भी अपने होसो-हवास खो चुकी थी, वो बुरी तरह कमर मटका-मटका कर मेरे लौडे को अपनी चूत की फांकों पर घिस रही थी…

एका एक हम दोनो के शरीर अकड़ने लगे, मेने उनकी कमर को अपने दोनों हाथों से कसकर उनकी गान्ड को अपने लंड पर दबा दिया…

इसी के साथ मेरे लंड ने और भाभी की चूत ने एक साथ अपना अपना पानी छोड़ दिया…

वो मेरे गले में बाहें डाले लटक गयी, मुन्डी अपने आप पीछे को लटक गयी…, उनके आमों ने मेरे मुँह को दबा रखा था…

कुछ देर वो ऐसे ही बैठी रही..

फिर जब सब कुछ शांत हो गया तो वो अपनी नज़रें झुकाए नीचे उतर गयी..

और पिच्छली सीट पर जाकर अपने कपड़े चेंज करने लगी, में अपनी टंकी खाली करने झाड़ियों की तरफ चला गया……..!

झाड़ियों के पीछे जाकर मेने पाजामा की जेब से रुमाल निकाला, और अपने लंड और अंडरवेर को उससे पोंच्छ कर सॉफ किया…,

वरना धीरे-2 उसका गीलापन पाजामे के ऊपर से भी दिखने लगता..

रास्ते में हम दोनो के बीच गेहन चुप्पी छाइ रही…

कहीं ना कहीं वो अपने मन में गिल्टी फील कर रही थी…

कुछ देर की चुप्पी के बाद वो बोली – देवर जी सॉरी फॉर दट..! प्लीज़ आप मुझे ग़लत मत समझना… दरअसल मे अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाई…

मे – इट्स ओके भाभी… हम दोनो ही जवान हैं.. अब इतने नज़दीक रह कर ये सब तो हो ही जाता है… प्लीज़ इसके लिए आपको सॉरी कहने की ज़रूरत नही है…

वो कुछ देर चुप रही, फिर बोली – तो क्या मे ये समझू.. कि आज जो कुछ हम दोनो के बीच हुआ… उसे और आगे बढ़ाना चाहिए…..?

मेने उनकी तरफ देखा, वो मुझे ही देख रही थी…फिर मेने अपनी नज़रें सामने कर ली और रास्ते पर ध्यान केंद्रित कर के बोला – मेरे ख्याल से ये सब अब और नही होना चाहिए...., ये ठीक नही होगा…

वो – किस आंगल से ठीक नही होगा…? लाइफ में थोड़ा एंजाय्मेंट मिलता है.. तो उसमें बुराई क्या है..? और ये हम दोनो की ज़रूरत भी है…!

मे – ये भैया के साथ धोखा नही होगा…?

वो – तो आप क्या समझते हो, कि आपके भैया ये सब नही करते होंगे..? ओह्ह.. कामन डार्लिंग… ऐसा कों है इस दुनिया में जो इससे अछुता हो…?

मेने मन ही मन सोचा, कि बात तो आपकी सही है… अब मुझे ही ले लो.., हर रोज़ गिनती बढ़ती जा रही है,

यहाँ तक कि बाबूजी भी नही रह पा रहे हैं इसके बिना… फिर भी मेने प्रत्यच्छ में कहा…

लेकिन मे उनके साथ धोका नही कर सकता…, प्लीज़ भाभी आप मेरी मजबूरी समझने की कोशिश कीजिए…!

वो कशमासाते हुए बोली – धोका तो तब होगा ना, जब ये बात उनको पता चलेंगी, अब ये शरीर की ज़रूरतें तो पूरी करनी ही होगी ना…!

मेने उन्हें काफ़ी समझाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्होने कोई ना कोई लॉजिक देकर मुझे हथियार डालने पर मजबूर कर दिया.. और आख़िर में मुझे कहना ही पड़ा…

जैसा आप ठीक समझो भाभी… अब में आपको क्या कह सकता हूँ… मेरे से ज़्यादा तो आपने दुनियादारी देखी है…

वो – तो फिर आज रात को मेरे कमरे में आजना प्लीज़, मे आपका इंतेज़ार करूँगी !

उनकी इस बात का मेने कोई जबाब नही दिया.., इतने में घर आ गया.. और हम गाड़ी खड़ी कर के घर के अंदर चले गये…!

घर मे घुसते ही दो खबरें एक साथ सुनने को मिली..

एक – मोहिनी भाभी के भाई राजेश की शादी तय हो गयी थी, जिसकी डेट भी नज़दीक थी.. और भाभी को अभी बुलाया गया था…

चूँकि उनके यहाँ कोई और नही था उन्हें ले जाने के लिए.. तो हमें ही छोड़ कर आना था उनको… वो भी दो दिन बाद ही, 15 दिन बाद शादी थी…

दूसरा- मनझले भैया आज आने वाले हैं, .. उनका फोन आ गया था.. वैसे तो वो कामिनी भाभी को ले जाने के लिए आ रहे थे,

ये खबर कामिनी भाभी को कुछ नागवार गुज़री…, उनके चेहरे को देखकर लग रहा था, मानो गरम चूत पर ठंडा पानी डाल दिया हो…

लेकिन चूँकि बड़ी भाभी अपने घर जाने वाली हैं.. तो शायद अगर वो मान गये तो उन्हें कुछ दिनो के लिए और यहाँ रुकना पड़ सकता है…

भैया देर रात घर पहुँचे.. तो आपस में कोई बात नही हो पाई…!

रात को में मोहिनी भाभी के पास बैठने चला गया, क्योंकि अब वो कुछ दिनो मुझसे दूर रहने वाली थी,

मे रूचि को गोद में लिए उनके बगल में बैठा था, कि तभी भाभी ने पुच्छ लिया…!

लल्ला, गाड़ी अच्छे से चलाना आ गया तुम्हें, या और सीखना वाकी है..

मे – चलाना तो सीख गया हूँ भाभी, अब तो बस जैसे-जैसे प्रॅक्टीस होगी, हाथ साफ होता रहेगा..

वो – वैसे आज जब तुम लौटे थे, तो तुम्हारे हॉ-भाव कुछ अजीब से थे, कुछ हुआ था क्या..?

मे – नही तो ऐसा तो कुछ नही हुआ, आपको ऐसा कैसे लगा…?

वो – नही वो, तुम्हारी आँखें कुछ चढ़ि हुई थी, शरीर भी कुछ कांप-कंपा रहा था…, सच बताना कुछ तो हुआ है..

मेने मान में सोचा – भाभी आप क्यों इतनी तेज हो, कुछ भी परदा नही रहने दोगि…,

जब कुछ देर मेने कोई जबाब नही दिया, तो उन्होने फिर पूछा – बोलो ना क्या हुआ था..?

मेने हिचकते हुए आज की घटना उन्हें सुना दी, कुछ देर तो वो मौन रहकर मन ही मन मुस्करती रही, फिर बोली –

जिसका मुझे अंदेसा था वही हुआ, खैर छोड़ो ये सब, ये बताओ अब आगे क्या सोचा है..?

मे – किस बारे में…?

वो – अरे कामिनी के बारे में, मेरे पीछे अगर उसने फिरसे पहल की तो…

मे – कोशिश करूँगा, उनसे दूर ही रहूं…, फिर भी बात ना बनी तो साफ-साफ मना कर दूँगा…

वो – भूल से भी ये ग़लती मत करना, एक बार उसे समझाने की कोशिश भर ज़रूर करना, अगर नही माने तो फिर हालत से समझौता कर लेना,

क्योंकि ये ऐसे मामले होते हैं, जिन्हें तूल पकड़ते देर नही लगती…, अपनी बात मनमाने के लिए औरत किसी भी हद तक जा सकती है..

बातों के दौरान रूचि मेरी गोद में ही सो गयी, तो उसे भाभी ने मेरी गोद से लेकर बेड के एक सिरे पर सुला दिया, और फिर वो मुझसे सॅटकर बैठ गयी..

उन्होने मेरी जांघों को सहलाते हुए कहा – मे इतने दिन तुमसे दूर रहूंगी, याद करोगे ना मुझे… या नयी भाभी की मस्ती में भूल जाओगे..?

भाभी सोने से पहले मात्र एक गाउन ही पहनती थी, सो मेने उनके गाउन की डोरी खींच कर आगे से उनके बदन को उजागर कर दिया…

उनके भरे-भरे आमों को प्यार से सहलाया, और होंठों का चुंबन लेकर कहा – ये तो मरते दम तक भी नही हो पाएगा भाभी मुझसे, की मे आपको भूल जाउ..!

मौत आने के बाद ही आप मेरे दिल से निकल पाओगि…!

मेरी बात सुनते ही भाभी ने मुझे अपने अंक से लिपटा लिया, और फिर आँखों में आँसू भरकर भर्राए गले से बोली –

भूल कर भी ऐसे शब्द मत निकालना अपने मुँह से, वरना मे तुमसे कभी बात नही करूँगी,,, समझे.

मे भी किसी बच्चे की तरह उनसे लिपट गया…, भाभी आगे बोली –

लेकिन समय के साथ ये प्यार बाँटना तो पड़ेगा ही तुम्हें, जब निशा व्याह कर इस घर में आ जाएगी…

मे – वो तो मे अभी भी उससे करता ही हूँ, आगे भी करता रहूँगा, लेकिन जो प्यार आपके लिए है, उसमें कभी कमी नही आएगी.. इतना कह कर मेने भाभी को अपने चौड़े सीने से सटकर उनके होंठों को चूम लिया…

भाभी ने मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा – लल्ला जी आज मुझे तुम्हारा इतना प्यार चाहिए की आनेवाले 15-20 दिन तक मुझे तुम्हारी तलब महसूस ना हो..,

मेने मुस्कराते हुए भाभी की चुचियों को मसल कर कहा – जो हुकुम मेरे आका, इतना कहकर उन्हें निवस्त्र कर के, बेड पर लिटा दिया…और उनके नाज़ुक अंगों से खेलने लगा…..

भाभी ने भी, पूरी सिद्दत से अपने बदन को मेरे सुपुर्द कर दिया, बेड पड़ी वो मेरी हरकतों से बिन जल मछलि की तरह मचल रही थी.…

एक समय था, जब मे भाभी के इशारों पर नाचता था, लेकिन आज वो मेरे हाथों के इशारों पर इस तरह मचल रही थी, जैसे उनके बदन का रिमोट मेरे हाथों में हो…

कुछ ही पलों में कमरे का वातावरण वसनामय हो गया…मादकता से भरी आहों, करहों के बीच तूफान आए, चले गये, फिर आए फिर चले गये….

भाभी अब पूरी तरह तृप्त हो चुकी थी, फिर उन्होने मुझे बड़े प्यार से मेरे माथे को चूमकर कोई 3 बजे अपने कमरे में सोने के लिए भेज दिया..

सुबह जब सबने मिलकर नाश्ता किया, उस समय बाबूजी ने भैया से बात चलाई…

बाबूजी – और कृष्णा बेटा, कैसी चल रही है तुम्हारी ड्यूटी…?

भैया – वैसे तो ठीक है बाबूजी, ड्यूटी की कोई प्राब्लम नही है, लेकिन घर में खाने पीने का सब कुछ गड़बड़ रहता है,

सब कुछ नौकरों के सहारे नही हो पता है, तो मे सोच रहा था, कि कामिनी को भी अपने साथ ले जाता हूँ…

बाबूजी – हमें तो कोई दिक्कत नही है, बस एक छोटी सी समस्या है, बड़ी बहू के भाई की शादी है, कल वो अपने घर जाने वाली है, तो तब तक के लिए कामिनी बहू यहाँ बनी रहती तो कुछ सहारा रहता इन बच्चों को…

रामा बिटिया अभी इतनी परिपक्व नही है, जो अकेले घर संभाल ले…

भैया – वैसे मुझे तो कोई प्राब्लम नही है.. अगर कामिनी रुकना चाहे तो भाभी के आने तक रुक सकती है.. लेकिन क्या वो अकेली घर संभाल पाएगी..?

मोहिनी भाभी – रामा तो है ना…यहाँ पर.. उसके साथ…!

भैया ने कामिनी भाभी की तरफ देखा – तुम क्या कहती हो कामिनी.. रुक सकती हो…!

वो तो चाहती भी यही थी, सो तपाक से बोली – अब दीदी चली जाएँगी तो मुझे तो रुकना ही होगा.. मेरा भी घर है, मे नही सोचूँगी तो और कॉन सोचेगा…

दीदी ने इस घर के लिए इतने साल न्युचचबर कर दिए.. अब वो अपने घर की खुशी में शामिल होने जा रही हैं.. तो मेरा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है.. कि उनके बाद घर की देखभाल करूँ…

भैया – ठीक है… ठीक है… बाबा… मेने तो बस पूछा ही था.. तुमने तो पूरा भाषण ही दे डाला…

वैसे अपने घर के प्रति तुम्हारी संवेदन शीलता देख कर अच्छा लगा.. है ना बाबूजी..

पिताजी बस मुस्काराकर रह गये… और कामिनी भाभी के सर पर हाथ रख कर बाहर चले गये…

भैया उस रात और रुके.. अगले दिन मुझे भी भाभी को छोड़ने जाना था.. तो

भाभी ने मनझले भैया से गाड़ी लेजाने के लिए पूछा…

भाभी – देवर्जी, आप कहो तो हम लोग आपकी गाड़ी ले जाएँ…?

भैया – चला के कॉन ले जाएगा.. भाभी ?

भाभी – लल्ला जी ने ड्राइविंग सीख ली है देवर्जी .. क्यों कामिनी, तुम्हें भरोसा तो है ना.. इनकी ड्राइविंग पर…!

कामिनी भाभी – भरोसा तो है दीदी.. पर मे क्या कहती हूँ, क्यों ना मे भी आपके साथ चलूं.. भले ही देवर्जी ड्राइव करेंगे.. लेकिन अगर कुछ प्राब्लम आई तो मे हेल्प तो कर सकती हूँ..

भैया – तो इसमें मेरी पर्मिशन की क्या ज़रूरत थी भाभी..

भाभी – आख़िर आपकी गाड़ी है.. पुच्छना ज़रूरी है देवर्जी..

भैया – ये कह कर आपने मुझे पराया कर दिया भाभी.., मे अगर ऐसा सोचता तो गाड़ी अपने साथ नही ले जाता..,

अपने घर के मान सम्मान के लिए ही तो इसे यहाँ छोड़ा है…! फिर इसपर मेरा हक़ कहाँ रह गया..?

भाभी – सॉरी देवर्जी मेरा मतलव आपका दिल दुखाना नही था… मेने तो बस इसलिए पूछा कि घर की एकता बनी रहे.. और आपस में कभी कोई ऐसी बात ना बने जिससे किसी को कोई उंगली उठाने की नौबत आए…!

अब जब ये तय हो गया कि मे और कामिनी भाभी दोनो ही भाभी को छोड़ने जा रहे हैं.. तो रामा दीदी भी बोलने लगी..

रामा – फिर मे अकेली यहाँ क्या करूँगी मे भी आप लोगों के साथ चलती हूँ..!

भाभी ने कहा – ये भी ठीक है, फिर ये फिक्स हुआ कि भैया के निकलते ही हम सब भी भाभी को छोड़ने उनके गाँव जाएँगे.. बाबूजी का ल्यूक रेडी कर के रख दिया जाएगा..

अगर शाम को आने में हमें देर होती है.. तो वो छोटी चाची के यहाँ खाना खा लेंगे..और ये बात चाची को भी बता दी गयी..

सुबह चाय नाश्ते के बाद ही भैया अपनी ऑफीस की गाड़ी से निकल गये.. उनके कुछ देर बाद ही हम चारों भी चल दिए भाभी के घर की तरफ…

11:30 को हम उनके घर पहुँच गये.. सारे रास्ते में ही ड्राइव कर के ले गया था, .. अब मुझे और ज़्यादा कॉन्फिडॅन्स आने लगा था…

निशा, मेरी जान ! मुझे देखते ही किसी ताज़े फूल की तरह खिल उठी… भाभी के घरवाले हम लोगों की आव-भगत में लग गये..

उनके गाँव में भाभी का सम्मान दुगना हो गया, उनको इतनी शानदार गाड़ी में आते देख कर.

किसी तरह मौका निकाल कर मे और निशा एकांत में मिले.., वो तड़प कर मेरे सीने से लग गयी…, मेरी छाती के बालों से खेलते हुए शिकायत भरे लहजे में बोली-

निर्मोही कहीं के, जब से मुझे छोड़कर गये हो, एक बार पलट कर भी नही देखा इधर को, कम से कम एक बार मिलने नही आ सकते थे…

मेने उसके गोल-गोल नितंबों को सहलाते हुए कहा – घर की ज़िम्मेदारियाँ और कॉलेज से कहाँ समय मिलता है, वैसे फोन तो करता ही हूँ ना मे..

वो मेरे होंठों को चूमकर बोली – फोन से कहीं इस बेकरार दिल की प्यास बुझती है भला.., अब ये दूरियाँ सही नही जाती हैं जानू !

मेने उसकी झील सी गहरी आँखों में झाँकते हुए कहा – निशा मेरी जान ! मे भी कहाँ तुमसे दूर रहना चाहता हूँ, लेकिन अपनी कुछ मजबूरियाँ हैं, जिन्हें हम नज़र अंदाज तो नही कर सकते ना…!

इतना कहकर मेने जैसे ही उसके गले पर चुंबन लिया, वो सिसक कर मेरे सीने से लिपट गयी…

उसकी कठोर कुँवारी चुचियाँ मेरे बदन से दब कर एक सुखद अहसास का अनुभव करा रही थी…

वो मेरे गले में बाहों का हार डाले हुए बोली – मे समझती हूँ जानू ! पर इस दिल का क्या करूँ, ये जानते हुए भी कि तुम नही आनेवाले, फिर भी हर समय तुम्हारे आने की आस लगाए रहता है…!

मेने उसकी चिन को हाथ लगाकर उसके चेहरे को ऊपर किया, और उसके होंठों को फिर एक बार चूम कर बोला – इस दिल से कहो, कुछ दिन और इंतेज़ार करे…

कुछ देर हम यूँही एक दूसरे की बाहों में खड़े बीते दिनो की याद ताज़ा करते रहे.. कुछ नये कसमे वादे, नये इरादे किए…

बातों-2 में कुछ एमोशनल मूव्मेंट भी आए..हम दोनो की आँखे नम हो गयी…,

ये समय और मौका हमें इससे ज़्यादा की इज़ाज़त नही दे सकता था…. सो शादी पर आने का वादा कर के हम अलग हुए ही थे, कि तभी रामा दीदी हमें ढूँढते हुए वहाँ आ पहुँची…

अच्छा ! तो तोता-मैना यहाँ चोंच भिड़ा रहे हैं, कब्से ढूंड रही हूँ, हमें यौं खड़े देख कर वो बोली…

निशा झेंप कर वहाँ से भाग गयी, फिर मेने उससे कहा - क्या हुआ दीदी, हमें क्यों ढूँढ रहीं थी ??

वो – अरे वहाँ आंटी तुम्हें खाने के लिए बुला रही हैं, और तुम यहाँ अपनी मैना के साथ गुटार गू कर रहे हो…ये कहकर वो खिल खिलाकर हंस पड़ी…

मे अपनी नज़र नीची कर उसके साथ बैठक की तरफ चल पड़ा, जहाँ वाकी लोग बैठे खाने पर मेरा इंतेज़ार कर रहे थे…

शाम ढलते ही हम ने वहाँ से विदा ली… भाभी के घर वाले रोकना चाहते थे.. लेकिन वहाँ घर सुना पड़ा था.. सो उन्हें भी इज़ाज़त देनी ही पड़ी…

रात 8 बजे तक हम अपने घर लौट आए…हम लोगों को तो कोई खास भूख नही थी, और बाबूजी के लिए चाची ने खाना बनाकर भेज दिया था… तो उन्हें खाना खिलाकर बस अब सोना ही था…

कामिनी भाभी ने कई बार इशारे कर के वो बात मुझे याद दिलाने की कोशिश की लेकिन मे अंत तक अंजान बनाने का नाटक करता रहा.. और अपने कमरे में सोने चला गया…!

मुझे आज नींद नही आ रही थी.., करवट बदलते -2 काफ़ी रात निकल गयी, रह-रह कर निशा मेरी आँखों के सामने आ जाती थी.. उसकी बातें मेरे कानों में गूज़्ने लगती…

रात कोई 11:30 को मेरे गेट पर आहट हुई… मेने उठ कर गेट खोला.. देखा तो सामने एक मिनी गाउन पहने कामिनी भाभी खड़ी थी…. जो इस समय रति का स्वरूप लग रही थी…!

जिसमें से उनके चुचक भी बाहर झाँकने का भरसक प्रयास कर रहे थे…

भाभी को इस रूप में देखकर मेरे अंडरवेर में उथल पुथल शुरू हो गयी..

अब प्लीज़ बातों में वक़्त जाया मत करो जानू, आज मुझे भरपूर प्यार करो मेरे राजा… ये कहकर वो मेरे बदन से किसी बेल की तरह लिपट गयी..

मेने चूतिया बनाने की आक्टिंग करते हुए कहा - लेकिन भाभी मुझे तो कुछ भी नही आता है… आप ही बताइए कि कैसे करते हैं प्यार.. मेने उन्हें ये जताना चाहा, जैसे मेने ये पहले कभी किसी के साथ किया ही नही है..

क्या ? आपने अभी तक किसी के साथ सेक्स किया ही नही है.. ? कोई गर्ल फ्रेंड भी नही बनाई अभी तक… वो मेरी बात सुन कर आश्चर्य से बोली..

मेने कहा – नही सच में मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है.. अब आपको ही बताना होगा ये सब..

उन्होने कहा – कोई बात नही देवेर जी मे आपको सब कुछ सिखा दूँगी.. हाए.. मेरा अनाड़ी देवेर.. ये कह कर उन्होने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस दिए.. जिससे उनकी 34” साइज़ की कठोर चुचिया मेरे सीने में दब गयी…

उन्होने अपना वो नाम मात्र का गाउन भी निकल कर फेंक दिया… नीचे वो बिना ब्रा के ही थी, बस एक माइक्रो पेंटी.. जिसमें से उनकी चूत के मोटे-मोटे होंठ भी बाहर को दिख रहे थे.

पीछे एक डोरी सी थी, जो उनकी गान्ड की दरार में घुसी पड़ी थी…अब इसको क्या कहते हैं, आप लोग खुद नामकरण कर लेना…हहहे..

भाभी को ऐसे रूप में देख कर मेरा लॉडा मेरे अंडर वेअर को फाडे दे रहा था.. उन्होने मेरी टीशर्ट निकाल कर फर्श पर फेंक दी…

वो मेरे चौड़े सीने पर हाथ से सहलाने लगी और उसे चूम लिया.. अपनी जीभ निकाल कर मेरे चुचकों पर फेरने लगी… मेरे शरीर में झंझनाहट सी शुरू हो गयी….

मेरे हाथ स्वतः ही उनके फुटबॉल जैसे चुतड़ों के उभारों पर पहुँच गये.. और मेने उन्हें अपने हाथों में लेकर मसल दिया….

वो मेरे सीने को चूमते चाटते हुए नीचे बैठने लगी.., अपने पंजों पर बैठ कर उन्होने मेरा शॉर्ट खींच दिया… नीचे में बिना अंडरवेर के था…

मेरे फुल्ली एराक्टेड लंड को देख कर जो अब 120 डिग्री पर हिल-हिल कर उनके इस जानमारू हुश्न को सलामी दे रहा था..

उसे देख कर वो मन्त्र मुग्ध हो गयी…और अपने हाथ में लेकर अपने गालों से रगड़ते हुए बोली….

आअहह… देवेर्जी … तुम कितने बड़े झूठे हो… आपका ये हथियार बता रहा है… कि इसने ना जाने कितनों की सील तोड़ी है..

मे – क्या भाभी आप भी… ! इसने आपको कैसे बता दिया ये सब…?

वो मेरे लंड को सहलाते हुए मेरी आँखों में देख कर बोली – देवेर जी आप मुझे अनाड़ी समझते हो..?

जिस तरह से ये मस्ती में अपना मुँह खोले झूम रहा है.. लगता है इसे सब पता है कि अब इसे क्या करना है…

फिर उन्होने मेरे सुपाडे को खोल कर अपनी जीभ से चाट लिया…

अहह…….भाभी….सीईईईई……मेरी सिसकी निकल गयी.. चूसो ईसीए…उउउम्म्म्मन्न.. वो उसे अपने होंठों में ले चुकी थी और अब लॉलीपोप की तरह चूस रही थी…

मे मस्ती से उनके सर को सहलाने लगा…थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होने मुझे पलंग पर धक्का दे दिया.. और अपनी नाम मात्र की पेंटी भी निकाल फेंकी…

अब वो किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे पूरे शरीर पर हाथ फेरती हुई मेरी छाती पर चढ़ बैठी…

उनके गोरे-2 मस्त भरे डुए आमों को देख कर मेरी उत्तेजना दुगनी हो गयी, और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में भरकर बहुत ज़ोर से मसल दिया….

आआहह……देवर्जी…आराम से मेरे राजा….उखाड़ोगे इन्हें…?

तो मेने उनके कंधों को पकड़ कर अपने ऊपर झुका लिया, और उनके आमों को चूसने लगा…वो अपनी रसीली चूत को मेरे पेट पर मसलने लगी…

फिर धीरे-2 नीचे को सरक्ति हुई अपनी सुरंग के मुंहने को मेरे शेर की तरफ ले गयी…एक-एक इंच का फासला तय करती उनकी रसीली मुनिया मेरे पप्पू की तरफ सरक रही थी….

मेरा पप्पू मन ही मन बड़बड़ा रहा था, बेन्चोद साली जल्दी से पास आ, इतना तरसा क्यों रही है…

शायद उसकी बात भाभी ने सुन ली ही, सो अपने पंजों को मॉड्कर मेरी जांघों पर रख लिया…इस तरह से उनकी रस से सराबोर हो चुकी चूत के होंठ अपने आप फैल गये,…

मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर पहले कसकर दबाया, शायद वो उसकी ताक़त आजमा रही थी…

फिर अपनी गर्म भाप जैसा पानी छोड़ती चूत को उसके ऊपर रख कर वो उसपर बैठती चली गयी…

आआहह……….सस्सिईईईईईईईईईईईईईई…..उउउफफफफफफफफफ्फ़….म्म्म्मा आ…..

मस्ती में उनकी आँखें बंद होती चली गयी…, मुँह अपने आप खुल गया.. मेरे तगड़े लंड को लेने में शुरुआत में उन्हें थोड़ी तकलीफ़ हुई…

लेकिन अपने होंठों को कस कर भींचते हुए धीरे-धीरे वो उसके ऊपर बैठ ही गयी…, और पूरा साडे आठ इंच का मेरा सोते जैसा लंड उनकी चूत में जड़ तक समा गया…

जब पूरा लंड जड़ तक उनकी रसीली चूत में समा गया… तो वो कुछ देर मेरे ऊपर बैठ कर लंबी लंबी साँसें लेने लगी…

उउउफ़फ्फ़… मेरे राजाजी…कितना तगड़ा और दमदार हथियार है तुम्हारा…, मेरी बुर को अंदर तक भर दिया है इसने…सस्सिईइ….आअहह….मज़ाअ…आ गायाअ….

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उन्होने अपनी गान्ड को ऊपर नीचे करना शुरू किया.. वो धीरे-2 चूत के मुँह को सुपाडे तक निकाल लेती.. और फिर से धीरे-2 ही पूरा अंदर कर लेती..

मुझे इस तरह से बहुत मज़ा आ रहा था, जब मेरा सुपाडा उनकी मुनिया के होंठों से रगड़ता…आअहह…, मस्ती में मेने उनके दोनो आमों को अपनी मुत्ठियों में भरकर ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा….

आअहह…. मेरे रजाआाअ…… हान्न्न.. ऐसे ही करो… बड़ा मज़ा आरहााआ…….हाीइ…हइईए……सीईईईईईई…..उफफफफ्फ़…मुऊुआाहह……

अब उनकी स्पीड कुछ बढ़ने लगी.. और वो तेज़ी से मेरे लंड पर कूदने लगी…

मेने भी नीचे से अपनी कमर उच्छालना शुरू कर दिया…

कभी वो मेरे होंठ चूसने लगती.. तो कभी मेरे सीने को सहलाती… और अजीब-अजीब सी आवाज़ें निकालते हुए.. मुझे चोद रही थी…

10 मिनिट बाद वो बड़ी बुरी तरह से झड़ने लगी.. उन्होने मेरे लंड और टट्टों को अपने चूत रस से गीला कर दिया, और मेरे ऊपर पसर गयी…​
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