Update 37

निशा की आप बीती –

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मेरी सहेली मालती… उसकी शादी एक साल पहले ठाकुर सुर्य प्रताप के बेटे भानु प्रताप से हुई थी.. अब ये क्यों हुई कैसे हुई.. इस बारे में हमें ज़्यादा कुछ मालूम नही पड़ा..

हां ! इतना पता है कि भानु के पिता खुद मालती के दादा के पास आकर उसका हाथ माँगने आए थे…

शादी बड़ी धूम धाम से हुई, मालती के दादा के पास भी ज़्यादा तो नही पर अच्छी-ख़ासी ज़मीन जयदाद है.. सो उन्होने अपनी पोती की शादी में कोई कसर नही रखी…

भानु कभी –2 मालती के साथ हमारे गाँव आता था, जैसे और वाकी के रिस्तेदार भी आते हैं…

6 महीने पहले.. एक दिन मालती हमारे घर आई.. और मुझे अपने साथ अपने घर ले गयी… उसके साथ घर पर उसका पति भी मौजूद था…

उसके दादा – दादी कहीं बाहर किसी रिस्तेदार के यहाँ गये हुए थे.. घर पर वो दोनो ही थे…

मालती ने मुझे चाय बना कर दी… उस चाय के पीने के कुछ देर बाद ही मेरा सर चकराने लगा… मेने मालती को ये बात बताई तो उसने कहा – वैसे ही सर चकरा रहा होगा.. तू बैठ मे अभी आती हूँ..

मे उसके रूम में बैठी थी… मेरी आँखें बार-2 बंद खुल रही थी… तो मे कुछ देर बाद उसी पलंग के सिरहाने से टेक लेकर बैठ गयी…

मेरी आँखें बंद थी… कि तभी किसी के हाथों का स्पर्श मेने अपने शरीर पर किया… मेने जैसे तैसे कर के अपनी आँखें खोली – देखा तो मालती का पति मेरे बदन को सहला रहा था..

मे झट से उठ खड़ी हुई… और मेने उससे कहा – जीजा जी ये आप क्या कर रहे हैं..? मालती कहाँ है…?

वो मक्कारी भरी हसी के साथ बोला – वो तो किसी पड़ोसी के यहाँ गयी है… और मेरा हाथ पकड़ कर बोला – मे अपनी साली साहिबा को प्यार कर रहा हूँ…

आओ रानी मेरे पास आओ.. और ये कह कर उसने मुझे अपनी बाहों में भरना चाहा…

मे किसी तरह उससे छूट कर वहाँ से बाहर जाने के लिए भागी.. लेकिन देखा तो गेट अंदर से बंद था…

इससे पहले कि मे दरवाजे को खोल पाती, कि उसने मुझे फिरसे पकड़ लिया.. और मेरे साथ ज़ोर जबर्जस्ती करने लगा… छीना झपटी में मेरे कपड़े भी फट गये..
जिन्हें वो और तार-तार करने लगा…

मे बेबस और लाचार, नशे से बोझिल हो रही आँखों को किसी तरह खोले हुए रखकर उसके बंधन से छूटने की जी तोड़ कोशिश करती रही…

निशा अपनी आप-बीती सुनाते हुए सुबक्ती जा रही थी…. वो हिचकी सी लेकर फिर आगे बोली –

उसी दिन मेरे निकलते ही भैया घर आए थे, उन्हें ऑफीस में बहुत अच्छा प्रमोशन मिला था, वो बड़े खुश थे और सबके लिए कुछ ना कुछ गिफ्ट लेकर आए थे…

घर आकर जब उन्होने मेरे बारे में पूछा तो माँ बाबूजी ने बताया कि मे मालती के यहाँ गयी हूँ…

जब काफ़ी देर हो गयी.. और मे घर नही लौटी.. अंधेरा घिरने लगा था,.. तो घर पर सब लोग चिंता करने लगे…

कुछ देर और इंतेज़ार करने के बाद भैया मुझे लेने उसके घर पहुँच गये…
घर में सन्नाटा पसरा हुआ था… वो उसके चौक में जाकर आवाज़ लगाने लगे…

उनकी आवाज़ सुन कर मे अपनी पूरी ताक़त जुटाकर चिल्लाते हुए मेने भैया को मदद के लिए पुकारा..

भानु ने मेरे गाल पर एक जोरदार चान्टा जड़ दिया… और गाली देते हुए बोला.. साली चिल्लाकर अपने भाई को बुलाना चाहती है… और फिर उसने मेरा मुँह दबा दिया…

भैया ने मेरी आवाज़ सुन ली थी… वो गेट खटखटने लगे… और साथ ही साथ मुझे आवाज़ भी देते जा रहे थे…

भानु का थोड़ा ध्यान गेट की तरफ भटका… मेने मौके का फ़ायदा उठा कर उसके हाथ को बुरी तरह काट लिया… वो चीखते हुए दर्द के मारे ज़मीन पर बैठ गया…

इतने में मेने भाग कर गेट खोल दिया… और मे भैया से लिपट कर रोने लगी…

मेरे कपड़े फट चुके थे.. होंठों से खून रिस रहा था..मेरी हालत देख कर भैया की आँखें गुस्से से लाल हो उठी..

उन्होने मेरी पीठ सहलाते हुए.. मुझे अपने पीछे खड़ा किया और गुर्राते हुए भानु तरफ बढ़े….

तूने ये अच्छा नही किया हरम्जादे…, मेरी बहन की इज़्ज़त पर हाथ डालकर अपनी आफ़त मोल ले ली है तूने…

इससे पहले की वो उस तक पहुँच पाते… भानु के हाथों में ना जाने कहाँ से एक लंबा सा चाकू लहराने लगा…

उसने चाकू का बार भैया के ऊपर करना चाहा…,लेकिन उन्होने अपने आप को बचाते हुए उसकी चाकू वाले हाथ की कलाई थाम ली…

अब वो दोनो एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था हो चुके थे… कभी लगता की चाकू भैया की तरफ मूड गया, तो कुछ देर बाद उसका रुख़ भानु की ओर हो जाता…

मे खड़ी – 2 डर से थर-थर काँप रही थी…, मे किकरतव्यविमूढ़ सी कभी उसकी तरफ देखती, तो कभी भैया की तरफ…

उन दोनो में बहुत देर तक जद्दो जहद चलती रही, भानु की कोशिश थी कि वो चाकू का वार भैया पर कर सके, लेकिन उनकी मजबूत पकड़ उसकी कलाई पर बनी हुई थी…

फिर कुछ ऐसा हुआ कि चाकू वाला हाथ दोनो के बीच आ गया… और एक भयंकर चीख कमरे में गूँज उठी..

भानु का चाकू उसकी अंतड़ियाँ फाड़ते हुए उसकी पसलियों में जा घुसा था…

वो धडाम से फर्श पर गिर पड़ा.. चाकू उसके पेट में घुसा पड़ा था… भैया के कपड़े उसके खून से सन गये थे…

मे दौड़ कर भैया से जा लिपटी और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी… उन्होने मुझे चुप करते हुए वहाँ से निकल चलने को कहा…

अभी हम वहाँ से निकलने ही वाले थे कि तभी वहाँ मालती आ गयी.. वहाँ का मंज़र देखकर वो चीखने चिल्लाने लगी…

उसकी चीखें सुन कर मोहल्ले के लोग इकट्ठा हो गये…

उन्होने मेरी हालत देखी और फिर उनकी नज़र ज़मीन पर पड़े भानु के घायल शरीर पर पड़ी, जो दर्द से तड़प रहा था…

इतने में किसी ने पोलीस को इत्तला कर दी.. पोलीस ने आव ना देखा ताव… भैया को हथकड़ी लगा दी और अपने साथ थाने ले जाकर हवालात में बंद कर दिया…

इतना कहते-2 निशा बुरी तरह रोने लगी… भाभी उसे अपने से लिपटकर शांत करने की कोशिश करने लगी…

निशा की कहानी सुनकर मेरी हालत किसी लकवे के मरीज़ जैसी हो गयी, मे समझ नही पा रहा था, कि मुझे किस तरह से रिएक्ट करना चाहिए…

एक तरफ भानु और मल्टी के प्रति गुस्से का भाव भी था, तो दूसरी तरफ राजेश को बाहर निकालने की बैचैनि…

कुछ देर सबके बीच चुप्पी छाइ रही, फिर उसको तोड़ते हुए भैया ने आगे कहना शुरू किया…

हमने पोलीस को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन शायद वो शुर्य प्रताप के रुआब के कारण हमारी बात अनसुनी करते रहे… और उन्होने राजेश के ऊपर इरादतन हत्या की कोशिश करने का चार्ज लगा कर दफ़ा 307 के तहत जैल भेज दिया…

मेने किसी तरह अपने मनोभावों पर काबू करते हुए पूछा – आपने कृष्णा भैया को ये बात नही बताई…? उन्होने कुछ नही किया..

भैया – कहा था… उसने शुरुआत में तहकीकात भी की… लेकिन फिर पता नही क्यों वो भी पीछे हट गया…

और ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि एक बार चार्ज शीट फाइल हो गयी.. और अपराधी को जैल भेज दिया तो फिर कोर्ट से ही अब कुछ हो पाएगा…

तबसे लेकर आज तक मेने और मोहिनी के पिताजी ने खूब जी तोड़ कोशिश की… लेकिन हम राजेश की जमानत तक नही करवा पाए हैं…

मे – आपने किसी वकील से बात की…? कोई हाइयर किया है…?

भैया – हां बात की थी एक वकील से लेकिन थोड़ी बहुत खाना पूर्ति कर के वो भी पीछे हट गया…

इस डर से की भानु या उसका बाप निशा को और कोई नुकसान ना पहुँचा दे हम उसे यहाँ ले आए…

इसके लिए भी कृष्णा ने बाबूजी पर दबाब डाला कि, एक मुजरिम की बेहन को यहाँ क्यों रखा है…,

तब तेरी भाभी ने बाबूजी को बताया कि निशा इस घर की धरोहर है… इसे तेरे सुपुर्द करने की हमारी ज़िम्मेदारी है…

अब तक हमने ये ज़िम्मेदारी जैसे-तैसे निभाई है मेरे भाई… अब तू इसे संभाल आज से ये तेरी ज़िम्मेदारी है…

मेने हैरत से भैया की तरफ देखा, तो वो बोले… हमें तेरी भाभी ने सब कुछ बता दिया है.. इसी वजह से इसके माँ-पिताजी ने इसकी शादी नही की थी.. वरना ये नौबत ही नही आती…

मेने भभक्ते लहजे मे कहा – भैया ! अब मे निशा से शादी तभी करूँगा… जब इसका भाई खुद इसे अपने हाथों से विदा करेगा… तब तक ये आपकी ही ज़िम्मेदारी रहेगी…

भैया – ये तू क्या कह रहा है मेरे भाई… हम अपनी पूरी कोशिश कर के थक चुके हैं, अब तो एक तरह से आस ही छोड़ दी हैं हमने…

मेने उनसे ठहरे हुए लहजे में कहा – ठीक एक हफ्ते में राजेश भाई हमारे पास होंगे, ये मेरा वादा है आप सबसे.. उसके बाद ही मे और निशा एक होंगे…

मेरी बात सुन कर सभी मुँह बाए मेरी तरफ देखने लगे…, मेने उनसे कहा – इसमें इतना चकित होने की क्या बात है.. ?

क्या आप भूल गये, बाबूजी ने ऐसे ही कुछ मौकों के लिए मुझे लॉ करने के लिए कहा था.... अब आगे कैसे और क्या करना है वो आप सब मुझ पर छोड़ दीजिए….

अब मे भानु को ही नही, पोलीस को भी क़ानून का वो सबक सिखाउन्गा कि कुछ समय तक याद रखेंगे..

मेरे इतना कहने से सबके चेहरों पर आशा की एक किरण दिखाई देने लगी….!

निशा की रुलाई अब थम चुकी थी, और अब वो अपने मन में एक शांति सी अनुभव कर रही थी.

भाभी ने अपने आँसू पोन्छ्ते हुए मेरे माथे को चूम लिया…., उनके चेहरे से अब चिंता की सारी लकीरें मिट चुकी थी…

जैसे उन्हें अब पूर्ण विश्वास हो गया हो, कि उनका लाड़ला देवर अब सब कुछ ठीक कर देगा..….!

कस्बे में कॉलेज के समय के मेरे बहुत सारे ऐसे दोस्त थे जो किसी के बिना दबाब में आए मेरा साथ देते रहे थे.…

मेने अपनी उन्हीं सोर्स से पता किया कि इस समय मालती और भानु कहाँ हैं…? और क्या कर रहे हैं…?

दो घंटे में ही मुझे उनके बारे मे पता चल गया.

ठीक होने के बावजूद भी भानु ड्रामा कर के शहर के हॉस्पिटल में ही पड़ा हुआ है…

उसकी पत्नी मालती भी शहर में उसके शहर वाले घर पर ही रहती है..

दिखावे के लिए कि वो उसकी सेवा कर रही है.. लेकिन वो दोनो वहाँ ऐश कर रहे हैं…

जब मर्ज़ी होती है, घर आ जाते हैं, जब मर्ज़ी होती है.. हॉस्पिटल में भरती हो जाता है, पैसे और पवर का इस्तेमाल कर के डॉक्टर भी मन मर्ज़ी रिपोर्ट बनाकर दे देता है.

ये इन्फर्मेशन मेरे लिए किसी रामबाण से कम नही थी, बस फिर क्या था, अपनी बुलेट रानी उठाई, जो बेचारी सालों से धूल में पड़ी अपने असली राजा के इंतजार में बस खड़ी थी…,

उसकी सॉफ सफाई की, और निकल लिया शहर की तरफ………………….

शहर का नामी गिरामी सहयोग हॉस्पिटल, जहाँ की डॉक्टर. वीना जैन, निहायत ही सुंदर और परफेक्ट फिगर की मालिकिन, जिसकी शादी को कुछेक ही साल हुए थे…

पति पत्नी दोनो ही इसी हॉस्पिटल में डॉक्टर हैं.., वो इस समय अपने कॅबिन में बैठी मरीजों को चेक कर रही थी…

नंबर बाइ नंबर मरीज आते वो उन्हें चेक करती…और मर्ज़ के मुतविक उन्हें प्रिस्क्रिप्षन लिख देती..

मे आइ कम इन डॉक्टर…! अगले मरीज़ ने जब अंदर आने की पर्मिशन माँगी.. तो डॉक्टर वीना ने अपनी शरवती आँहें उठाकर आवाज़ की दिशा में देखा…

आगंतुक को देखते ही वो उसकी पर्सनॅलिटी मे जैसे खो ही गयी… 6’2” की हाइट… गोरा रंग.. उँचे कंधे… चौड़ा विशाल सीना. वेल शेप्ड सीने के नीचे का बदन..

लाल रंग की फिटिंग वाली एक टीशर्ट और जीन्स में वो किसी कामदेव की तरह उसके गेट से धीरे-2 उसकी टेबल की तरफ बढ़ रहा था… वो मंत्रमुग्ध होकेर उसकी मर्दानी चाल में खो सी गयी…

एक्सक्यूस मी डॉक्टर ! युवक ने जब उसके सामने खड़े होकर कहा – तो जैसे वो नींद से जागी हो… और झेन्प्ते हुए बोली – यस प्लीज़…,

एर अपने सामने पड़ी चेयर पर बैठने का इशारा करते हुए बोली – व्हाट कॅन आइ डू फॉर यू…मिस्टर्र्र्र्र्र्र्र्ररर…

माइ नेम ईज़ अंकुश शर्मा ! कुछ दिनो से मे एक अजीब से दर्द से परेशान हूँ..

वीना – कहाँ पर है ये पेन…?

अंकुश (मे) – डॉक्टर, वो मेरी नबल के नीचे होता है.. और कभी – 2 इतना तेज होता है जैसे ये मेरी जान ही निकाल देगा…

वीना – चलिए वहाँ चेक-अप टेबल पर लेट जाइए.. और हां अपनी टीशर्ट उतार देना..

मेने अपनी टीशर्ट उतार कर वहीं चेक-अप टेबल के पास पड़े स्टूल पर रख दी…

वीना मेरे शरीर की कसावट और सिक्स पॅक देख कर प्रभावित हुए बिना रह ना सकी…

मे जाकर टेबल पर लेट गया…, वो मेरे बगल में खड़ी हो गयी.. और बोली – अब बताइए.. एग्ज़ॅक्ट्ली कहाँ पर होता है पेन… मेने कहा कि मेरे नबल से कोई एक इंच नीचे से शुरू होता है…

उसने मेरी जीन्स का बटन खोलने को कहा.. तो मेने वो भी खोल दिया… अब वो अपनी नरम-2 नाज़ुक पतली-पतली उंगलियों से मेरी नाभि के इर्द-गिर्द हल्के-2, दबा-2 कर देखने लगी…

फिर वो थोड़ा नीचे को जाने लगी.. और जहाँ से झान्ट के बाल शुरू होते हैं.. जो फिलहाल तो सॉफ मैदान था.. लेकिन कुछ दिन पहले ही सॉफ किया था.. तो उनके ठूंठ निकल आए थे…

वहाँ तक वो अपनी उंगलियों से दबाते हुए मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन नोट करती जा रही थी.., उसकी उंगलियों के इशारे से मेरी जीन्स की ज़िप काफ़ी नीचे तक खुल चुकी थी…

उसके दबाते ही मे दर्द में होने का नाटक करने लगता… लेकिन जैसे-2 उसकी उंगलियाँ नीचे को बढ़ रही थी… मेरे फ्रेंची में कसाब भी बढ़ता जा रहा था…जिसे उसने भी नोट किया…

वो अपनी उंगलियों का दबाब डालते हुए नीचे की तरफ बढ़ती जा रही थी, और मुझे पुछ भी लेती कि यहाँ दर्द है.. मे कह देता की, हां यहीं.. हां यहीं…

बीच बीच में वो उस जगह को सहला भी देती, ऐसा करते -2 आख़िरकार उसकी उंगलियाँ मेरे लौडे को छु गयीं.. जो काफ़ी कुछ अपने असली रूप में आ चुका था…

जीन्स की जिप तो कभी की नीचे हो चुकी थी, सो डॉक्टर वीना मेरे फ्रेंची में बने तंबू को बड़ी चाहत भरी नज़रों से देख रही थी…

तंबू पर नज़र गढ़ाए हुए ही उसने अपने लिपीसटिक से पुते होंठों पर जीभ की नोक फिराई….

एक बार उसने एक नशीली सी स्माइल करते हुए मेरी तरफ देखा, और अपनी उंगलियों को मेरे फ्रेंची में सरका कर, ऐन लंड की जड़ में दबाब डालते हुए बोली…

क्या यहाँ भी दर्द होता है…?

मेने आअहह भरते हुए कहा.. आअहह…डॉक्टर ज़ोर से नही, प्लीज़ बहुत दर्द है….

लौडे की जड़ पर उसकी मुलायम पतली-पतली उंगलियों के स्पर्श ने उसके लिए किसी टॉनिक का काम कर दिया, और वो फुल मस्ती में खड़ा हो गया…

अंडरवेर के ऊपर से ही उसके आकर को देखकर डॉक्टर. वीना की आँखों में वासना तैरने लगी, जो धीरे-2 उसके सर पर पहुँच रही थी…

स्वतः ही उसका हाथ मेरे लंड की तरफ जाने लगा, और उसने मेरे लंड को अंडरवेर के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोली – क्या यहाँ भी दर्द होता है…

मेने नाटक करते हुए अपना एक हाथ झटके से उसके कूल्हे पर मारा और लगभग अपनी जगह से उठते हुए दूसरे हाथ से उसकी बाजू पकड़ कर कराहते हुए बोला…

आअहह…डॉक्टर… यहाँ ज़्यादा होता है….…..

वो मेरी आँखों में देखकर शरारत से मुस्कराते हुए बोली – नॉटी बॉय… !

और उसने अपने दूसरे हाथ को मेरे सीने पर रख कर दबाब डालकर मुझे लेटे रहने का इशारा किया.. और वो मेरे बालों भरे सीने को सहलाने लगी…

मेरा एक हाथ अभी भी पीछे से उसकी मस्त गद्देदार गान्ड पर रखा हुआ था… जो अब धीरे-2 उसे सहलाने भी लगा था…

वीना का धीरे-2 कंट्रोल छूटता जा रहा था.. वो मेरे फ्रेंची को नीचे सरकाने लगी… और आखिकार उसने मेरे लंड को नंगा कर ही लिया…

मेरे साडे 8” लंबे और मस्त सोट जैसे मोटे, और गोरे लंड की सुंदरता देख कर बुद-बुदाने लगी…

आहह… क्या मस्त है ये…

मेने कहा – क्या..?

वो – यही तुम्हारा हथियार…

मे – आपको अच्छा लगा…?

वो – हां ! बहुत…

मे – तो इसे प्यार करिए ना..डॉक्टर ! अच्छी चीज़ को ज़्यादा देर खुला छोड़ना अच्छी बात नही…वरना किसी और की नज़र में आ गया तो……

नॉटी स्माइल देते हुए, उसने अपने नीचे के होंठ को किनारे पर दाँतों से काटा, फिर वो उसके ऊपर झुकने लगी,

छन-प्रतिक्षण मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी, मे नज़र टिकाते उसके चेहरे को ही देख रहा था,

इतने सुंदर और रसीले होंठों को अपने लंड की तरफ बढ़ते हुए देखकर मेरी सारी उत्तेजना सिमट कर लंड में आ गयी…और उसने एक जोरदार झटका मारा…

तभी वीना के होंठ भी वहाँ तक पहुँच चुके थे, सो वो ठुमक कर उसके होंठों पर फिट हो गया…

मुस्काराकार उसने पहले मेरे लंड को चूमा… और फिर उसे मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी…

मेरे लाल सेब जैसे सुपाडे को देख कर वो बाबली हो गयी और उसने उसे अपने पतले रसीले गुलाबी होंठों में क़ैद कर लिया…

मेने उसकी गान्ड को ज़ोर से मसल दिया… वो मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मेरा लंड चूसने लगी…

मे उठ कर बैठ गया और उसकी 34” की मस्त गोल-गोल मक्खन जैसी मुलायम चुचियों को उसके कसे हुए ब्लाउज और ब्रा से बाहर निकालकर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा…

कुछ देर वो पूरे मन से मेरा लंड चुस्ती रही…, मेरा हाथ उसकी गान्ड को सहलाते हुए उसकी दरार में भी घूमने लगा…

जब मुझे लगने लगा.. कि इसे अब रोका ना गया.. तो कभी भी मेरा पानी निकल सकता है…, मेने अपने माल को यौंही बर्बाद कभी नही किया था…

सो मेने उसके सर को पकड़ कर अपने लंड से हटाया… वो थोड़ा नाखुशी वाले अंदाज में मेरी तरफ देखने लगी…

मेने उसके होंठ चूमते हुए कहा – बस इतना सा ट्रेलर ही काफ़ी है डॉक्टर अभी के लिए…पूरी फिल्म फिर कभी तसल्ली से देखना…

अभी इसका समय नही है… क्योंकि मुझे ऐसे जल्दबाज़ी में सेक्स करने में मज़ा नही आता..

उसकी आस अधूरी रह गयी… चूत पानी छोड़ने लगी थी… सो अपने हाथ से टाँगें चौड़ी कर के चूत को कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ते हुए बोली – कब..दिखाओगे पूरी फिल्म..?

मे – जब आप कहो.. अभी मे थोड़ा अर्जेंट काम से यहाँ आया था… दरअसल मेरा एक फ्रेंड यहाँ अड्मिट है.. मे उसे ही मिलने आया था.. तो सोचा अपनी प्राब्लम भी दिखा डून..

वो मुस्कुराकर अपनी नसीली आँखों को नचाते हुए बोली – लेकिन तुम्हारी प्राब्लम तो मिली ही नही अभी तक..?

मे – कोई बात नही फिर कभी देख लेना.. अभी मुझे आपकी थोड़ी हेल्प चाहिए..

वो – हां ! बोलो ना, तुम्हारी हेल्प कर के मुझे बड़ी खुशी होगी…

फिर मेने उसको भानु के बारे में बताया.. तो वो बोली – कि वो तो वैसे ही यहाँ टाइम पास कर रहा है.. वो तो कब का ठीक हो चुका है…

मेने चोन्कंने की आक्टिंग करते हुए कहा – क्या कह रही हो…? उसके पिताजी बेचारे कितने परेशान हो रहे हैं.. उसकी इस बीमारी को लेकर.. सारा बिज़्नेस चौपट पड़ा है…, क्या आप उसकी रिपोर्ट दे सकती हैं मुझे….?

वो कुछ देर सोचती रही फिर बोली – एक शर्त पर..!

मे – बोलिए.. क्या शर्त है आपकी… हालाँकि मे उसकी शर्त जानता था..

वो मुस्कराते हुए बोली – मुझे वो पूरी फिल्म देखनी है.. जो तुम दिखाने वाले थे…

मे – ऑफ कोर्स ! समय और जगह बता दीजिए.. मे पहुँच जाउन्गा.. आप जैसी हसीना के साथ पूरी फिल्म शूट करने में मुझे भी बहुत खुशी होगी…

फिर वो हँसते हुए अपने कॅबिन से बाहर चली गयी… और 10 मिनिट के बाद जब वापस आई तो उसके हाथ में भानु की फिटनेस रिपोर्ट थी..

मेने वो रिपोर्ट लेकर उसे थॅंक्स बोला… उसने अपना कार्ड मुझे दिया.. और बोली – दो दिन बाद इस नंबर पर कॉल करना.. इंतेज़ार करूँगी…

मेने उसके होंठों पर एक जोरदार किस किया और उसे बाइ बोलकर उसके कॅबिन से बाहर आ गया…

आज तो ऊपरवाला मेरे ऊपर अपनी मेहरवानियों की जैसे बारिश करने पर तुला हुआ था………….

डॉक्टर वीना के रूम से निकल कर मे जैसे ही गलेरी में आया… सामने से मुझे मालती आती नज़र आई… मे थोड़ा इधर – उधर देखते हुए उसकी तरफ बढ़ता रहा…

जैसे ही वो मेरे नज़दीक आई… मेने चहकते हुए कहा… ओह्ह…हाई.. मालती…! व्हाट आ प्रेज़ेंट सर्प्राइज़… तुम यहाँ कैसे…?

वो मुझे एकदम से अपने सामने देख कर हड़बड़ा गयी…. फिर कुछ संभालते हुए बोली – बस ऐसे ही कुछ काम था.. आप यहाँ कैसे..?

मे – तुम्हें तो पता ही होगा… मे अब गाँव में तो रहता नही हूँ, देल्ही में मेने अपना बिज़्नेस सेटप कर लिया है..

उसी सिलसिले में यहाँ आया था.. कि अचानक से कुछ प्राब्लम हो गयी.. तो यहाँ चेक-अप कराने चला आया…

खैर छोड़ो ये सब बातें ! तुम बताओ.. शादी-वादी की या नही…?

वो अपने मन में सोचने लगी.., लगता है इसको गाँव की परिस्थितियो के बारे में कुछ पता नही है…,

सो फटाक से बोली – हां मेरी तो शादी हो गयी.. आप बताओ.. निशा से कब शादी करने वाले हो..?

मेने उपेक्षा भरे लहजे में कहा – ओह .. कम ऑन डार्लिंग… किस बहनजी टाइप लड़की की बात छेड़ दी तुमने…!

मे उसे कब का भूल चुका हूँ.. मेरी अपनी भी लाइफ है यार !… घरवालों के सिद्धांतों से मेरा फ्यूचर थोड़ी ना बनने वाला है..

इसलिए बहुत पहले ही मे सब कुछ छोड़-छाड़ कर देल्ही सेट हो गया हूँ, … अब मुझे उसके बारे में कुछ पता नही है…

और बताओ.. अपनी वो मुलाकात याद आती है तुम्हें या भूल गयी…?

वो – आपने ही तो याद रखने को मना किया था… वैसे वो लम्हे तो मे चाह कर भी नही भूल सकती…

मे – तो फिरसे जीना चाहोगी उन लम्हों को…?

वो मेरी बात सुनकर खुश होते हुए बोली … क्या सच में ऐसा हो सकता है.. ?

मेने कहा – अगर तुम चाहो तो, ज़रूर हो सकता है…

वो एक्शिटेड होते हुए बोली - कब..?... कहाँ…?

मे – अगर समय हो तो आज ही 9 बजे होटेल आशियाना, रूम नंबर. 321 में आ जाओ.. रात भर एंजाय करेंगे..

वो तो जैसे तैयार ही बैठी थी, सो फ़ौरन आने को तैयार हो गयी, और इसी खुशी में झूमती हुई भानु के रूम की तरफ चली गयी…, मे अपनी कामयाबी की खुशी में हॉस्पिटल से बाहर की तरफ चल दिया…

मेने होटेल में ये कमरा सुबह ही बुक करा दिया था…

शहर के चक्कर लगाते – 2 शाम हो गयी… इस बीच मेने ये भी पता लगा लिया.. कि राजेश का केस कोन्सि अदालत और किस मॅजिस्ट्रेट के अंडर में है.

मेने अपने गुरु प्रोफ़ेसर. राम नारायण जी को फोन लगा कर सारा वृतांत कह सुनाया… उन्होने कहा..

चलो अच्छा है.. आगे बढ़ो मेरी शुभ कामनाएँ तुम्हारे साथ हैं..

अपनी जिंदगी के पहले इनडिपेंडेंट केस में तुम सफल रहो, यही कामना है मेरी..

मे – सर मेरी सफलता आपके सहयोग पर डिपेंड करती है.. फिर मेने उन्हें उस जज का नाम बताया जिसके यहाँ इस केस की सुनवाई होनी थी…

उसका नाम सुनकर वो बोले – अरे ये तो अपना लन्गोटिया यार रहा है.. तुम चिंता मत करो.. मे उससे बात कर लूँगा.. वो हर संभव तुम्हारी हेल्प करेगा…

वैसे केस की सफलता या असफलता तुम्हारी अपनी काबिलियत पर ही डिपेंड करेगी..

मे – सर आपका शिष्य हूँ, निराश नही करूँगा.. बस थोड़ी सी इतनी हेल्प मिल जाए की वो मेरे मन मुताविक सुनवाई की डेट दे दे..

वो – वो तो तुम्हें मिल ही जाएगी.. उससे मिल लेना… बेस्ट ऑफ लक…

मेने उन्हें थॅंक्स बोलकर फोन डिसकनेक्ट कर दिया…

रात 8 बजे से ही में अपनी तैयारियों में जुट गया… कमरे में मेने कुछ कैमरे इस तरह से फिट किए कि उनमें मेरी कोई इमेज ना आए और मेरे सेक्स पार्ट्नर को पूरा दिखाया जा सके…

फिर मेने कुछ बीयर मॅंगा कर फ्रीज़र में रखवा दी.. और मालती का वेट करने लगा.. अभी 9 बजे भी नही थे कि डोरबेल बज उठी…

मेने उठ कर डोर खोला… आशानुकूल सामने मालती ही खड़ी थी.. जो इस समय एक वन पीस ड्रेस में थी.. ग्रीन कलर की ड्रेस जिसका एक शोल्डर तो था ही नही..

मालती पहले से भी ज़्यादा सेक्सी हो गयी थी… लंड की मार सहते-2 उसका बदन और ज़्यादा भर गया था, लेकिन सिर्फ़ उन जगहों पर जहाँ एक औरत को ज़रूरत होती है…

36 की बड़ी बड़ी चुचियाँ और 38 की गान्ड इस कसी हुई ड्रेस में मानो उबल ही पड़ रही थी…

मे उसे देखता ही रह गया… मेने एक तरफ को होकर उसे अंदर आने का रास्ता दिया…

डोर बोल्ट कर के उसकी गान्ड पर हाथ रख कर उसे अंदर सोफे तक लाया.. और खड़े-2 एक किस लेकर हम सोफे पर बैठ गये…

मेने उसकी मखमली जाँघ सहलाते हुए कहा - आज तो कुछ ज़्यादा ही हॉट लग रही हो जानेमन… सच कहूँ तो मेरी कामना तुम जैसी हॉट आंड बोल्ड लड़की की थी….मेने उसे चढ़ाते हुए कहा

वो – क्या सच में…! मे आपको बोल्ड और हॉट लगती हूँ..

मे – बहुत…! , अच्छा ये बताओ क्या लेना चाहोगी… कुछ हॉट, या कोल्ड या फिर और कुछ…

वो – आप प्यार से जो भी पिलाएँगे, पी लेंगे जनाब…

मे – तो फिर एक-एक बीयर हो जाए…

वो तपाक से बोली – मुझे कोई प्राब्लम नही है…

उसकी बोल्डनेस देख कर मे हैरान था.. और सोचने लगा कि ये वही मालती है.. गाँव की भोली-भाली… लड़की.

मेने फ़्रीज़ से दो चिल बीयर टीन निकाली, एक उसे ओपन कर के दी, और दूसरी मेने अपने होंठों से लगा कर सीप करने लगा…

मेने दो-चार सीप लेकर, उसे दिखाने के लिए एक सिगरेट सुलगा ली.. और फिर उसे भी ऑफर की…

ये तो कमाल ही हो गया… उसने पॅक से एक सिगरेट निकली जिसे मेने लाइटर से जला दिया..

मेने चुटकी लेते हुए कहा – काफ़ी मॉर्डन हो गयी हो… क्या बात है.. वैसे तुम्हारे पति देव का नाम क्या है.. और वो करते क्या हैं…?

वो मेरा सवाल सुन कर कुछ हड़बड़ा गयी … फिर संभाल कर स्माइल करती हुई बोली – क्या करेंगे जान कर…? आपको मेरे पति से क्या लेना देना… मे हूँ तो सही आपके सामने..

मे सोचने लगा… मछलि काफ़ी होशियार हो गयी है.. कोई नही थोड़ा और रुकते है.. और मे फिर से बीयर सीप करने लगा..

धीरे-2 कर के हम दोनो ने एक-एक तीन ख़तम कर दी.. फिर मेने खाना ऑर्डर कर दिया… खाने के साथ-2 एक- एक बीयर और ख़तम कर दी…

अब वो कुछ नशे में दिखने लगी थी…

हम दोनो अब बेड पर पहुँच गये थे… मेने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठों को चूमते हुए बोला –

वैसे मालती तुम हॉस्पिटल में भानु के कमरे में क्यों गयी थी…?

वो नशे और मदहोशी के आलम में एकदम से बोल पड़ी… वो मेरा पति है.. इसलिए उसके पास तो जाना ही था ना…!

मेने चोन्कने का नाटक करते हुए कहा – क्या..? वो साला गुंडा तुम्हारा पति..है..

वो नशे से बोझिल आँखें तरेर कर बोली– आए मिसटर … ज़ुबान संभाल कर बात करो ! वो मेरा पति है… फिर हहेहहे.. कर के हँसते हुए बोली – वैसे आपने सही कहा.. है तो साला वो गुंडा ही है…

मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – लेकिन तुम्हें उससे शादी करने की क्या ज़रूरत पड़ गयी…

इसस्शह….आहह… अंकुसजी…. आपको क्या पता मेने किन मजबूरियों में उस साले हरामी से शादी की…

वो नशे की झोंक में अनाप सनाप गाली बकते हुए बोली

अरे उस मादरचोद के हरामी बाप ने मेरे दादाजी को धमकाया था… कि अगर उन्होने अपनी पोती का व्याह उसके बेटे से नही किया तो वो उनका जीना मुश्किल कर देंगे..

अब वो बेचारे बड़े-बूढ़े आदमी वो भी अकेले… डर गये..और मेरी शादी उस गुंडे से हो गयी… हहेहहे…!

मे – तो इन सब आदतों को भी उसने ही सिखाया होगा तुम्हें…

वो – हां ! वरना मुझे इन सब का क्या पता था, … वो अब नशे में झूमने लगी थी, … उसकी आँखें नशे के कारण बंद होने लगी...,

इससे पहले कि वो अपने होश खोए, मेने उसका ड्रेस निकाल कर उसे सेक्स की तरफ लेजाने की कोशिश शुरू कर दी…….

उसकी ड्रेस निकालते ही बिना ब्रा के उसकी बड़ी-2 चुचियाँ थिरकति हुई मेरे सामने लहरा उठी…

मालती वाकई में पहले से ज़्यादा हॉट हो गयी थी,

उसके दशहरी आमों से खेलते हुए मेने पूछा – अब तुम्हारे दादा-दादी कहाँ रहते हैं…?

आह्ह्ह्ह… वो तो अभी भी गाँव में ही हैं…, थोड़ा और ज़ोर से दबाओ ना …सस्स्सिईइ…हाआंणन्न्, आआयययययीीई….ईीसस्शह…!

मेने उसके कड़क हो चुके निपल मरोड़कर कहा – वो अकेले ही गाँव में हैं…

मेरे निपल मरोडने से वो बिलबिला उठी – आआययययीीई…ज़ोर से नही…हां अब वो बेचारे अकेले ही हैं वहाँ…और कॉन रहेगा…

फिर मेने उसकी पेंटी भी निकाल दी, और उसकी गरम चूत को सहलाते हुए.. अपनी दो उंगलिया उसकी चाशनी से भरी चूत में डाल कर पूछा – तुम तो उनसे मिलने जाती रहती होगी ना…

आहह…………जीजू….क्या बताऊ… उस हरामी ने वहाँ जाने लायक रहने ही नही दिया मुझे.…सीईईईईईई….. हइई…..जल्दी कुछ कारूव….नाआ…बातें बाद में आआययईीीई…..कर लेना…आआ….
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