Update 38
मेने अपनी उंगलियों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ते हुए पूछा – क्यों ? ऐसा क्या किया उसने…? सवाल दागते हुए मे उसकी चूत में उंगलियाँ अंदर- बाहर करने लगा…
उफफफफ्फ़……..हइईई…. उसने मेरी बेस्ट फ्रेंड निशा के साथ जबर्जस्ती बलात्कार करने की कोशिश की….हाईए… बहुत जालिम है वो हरामी…सआलाआ…आआ…
अब मुझे उससे फाइनल जबाब चाहिए थे… सो उसकी रसीली चूत पर हाथ फेरा और अपने मूसल को उसकी गीली चूत के मुँह पर रख कर रगड़ते हुए बोला…
तो क्या वो उसका बलात्कार कर पाया…?
आहह……….जिजुउुउ थोड़ा अंदर तो करो ईसीए….…. जल्दी…. उईईई…मेरी चुउउउत में चिंतियाँ सी काट रही हैं… प्लीज़….. जल्दी करूऊओ…वाकई बातें बाद मेंन्न…..
मेने अपने सुपाडे को थोड़ा सा उसके छेद के मुँह पर अड़ा कर कहा – करता हूँ… पहले बताओ तो सही, फिर क्या हुआ…?
सस्सिईईई…... नही कर पाया सालाअ…! इससे पहले कि वो कुछ कर पाता…, निशा का भाई वहाँ आ गया… और उसने उसे बचा लिया….!
मेने अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया.. और वहीं रुक कर बोला – तो अब वो हॉस्पिटल में क्या कर रहा है..?
वो – सीईईईईईईईईईई… उऊहह….बहुत बड़े जालिम हो जीजू… भेन्चोद.. चोद ना मुझे…. सीईईई.… आअहह….रोक क्यों लियाआअ….पूरा तो डालूओ…
मेने अपना लंड पूरा डालने की वजाय, उल्टा सुपाडे तक बाहर खींच लिया और उतना ही डाले हुए बोला – आगे बता ना साली रंडी… बोल ना वो मादरचोद अब भी हॉस्पिटल में क्या कर रहा है..?
मालती की चूत में आग लगी हुई थी, उसे एक-एक क्षण भारी लग रहा था, सो जल्दी से बातों का सिलसिला ख़तम करना चाहती थी…
अब जल्दी से जल्दी मेरे सवाल ख़तम हों इसलिए वो बिना हिचकिचाए बोली -
आहह…. उन दोनो की हाथापाई में उसका खुद का चाकू उसको लग गया और वो घायल हो गयाआ…आआईयईई…..धीरे…. झटके से लंड अंदर जाते ही वो बिलबिलाई…
मेने उसे दो चार तगड़े से धक्के मार कर फिर पूछा… तो क्या वो अब तक घायल ही है… ठीक नही हो पाया…इतने दिनो में ?
आहह… अब तो नाटक कर रहा है… मदर्चोद..ऊद्द्द….सीईईईई….… भोसड़ी का बहुत हर्राामी हाीइ….सीईईई…डालो ना….
मेने धक्के लगाते हुए पूछा – क्यों..? अब नाटक क्यों कर रहा है..?
वो – सस्सिईईई….आअहह… ताकि निशा के भाई को जमानत ना मिले….उफफफ्फ़ माआ…. हाइईईई…ज़ोर से कारूव….उूउउ…आययईीीई…
अब मुझे लगभग मेरे सवालों के जबाब मिल चुके थे…
सो मेने उसको अच्छी तरह से जमकर चोदा… वो भी किसी चुदाई मशीन की तरह कमर धकेल-धकेल कर जबरदस्त तरीक़े से चुदाई और बीयर की मस्ती में चूर चुदने लगी…
30 मिनिट तक धमाल चुदाई के बाद मेने उसकी चूत को अपने लंड के पानी से भर दिया…इतनी देर में मालती दो बार झड़कर मस्त हो गयी थी…
कुछ देर बाद फ्रेश होकर वापस हम पलंग पर आ गये… वो मेरी गोद में ही बैठी थी… मेने उसके बड़े-2 कलमी आमों से खेलते हुए पूछा-
मालती मुझे अब सारी बातें डीटेल में बताओ, तुम्हारी शादी भानु से किन हालातों में हुई, उसने ये हरकत निशा के साथ क्यों की… और ये भी की तुमने उसका साथ क्यों दिया…
वो – आप ये सब क्यों जानना चाहते हो… आपको तो उन लोगों से अब कोई मतलव नही है ना.. ! फिर !
मे – अगर मत्लव होता तो नही बताती…? इसका मतलब तुम मुझसे बस सेक्स तक का ही रिश्ता मानती हो…!
देखो मालती मे जानता हूँ.. ये सब तुमने अपनी मर्ज़ी से नही किया है, .. मे बस ये जानना चाहता हूँ.. कि ऐसी क्या बात थी जो ये सब हुआ…!
मे चाहता हूँ, कि फ्यूचर में भानु तुम्हें इस तरह से इस्तेमाल ना करे, और एक अच्छे पति की तरह ही बर्ताव रखे, इसके लिए मेरा सच जानना ज़रूरी है,
मेरी बात से वो कुछ देर सोच में पड़ गयी, लेकिन फिर कुछ सोच कर कहने लगी
– वैसे भानु अब मेरा पति है.. चाहे जैसा भी हो…, लेकिन सच कहूँ तो मे आपसे कोई बात चाह कर भी छुपा नही सकती..,
क्योंकि जो सुख आपने मुझे दिया है, वो मेरा पति शायद ही अपने जीवन में कभी दे पाए, इसलिए मे आपको सब कुछ सच-सच बताती हूँ…
बात आज से एक साल पहले की है… एक दिन मेरे दादा के पास ठाकुर सुर्य प्रताप आए.. और उन्होने अपने बेटे के लिए मेरा हाथ माँगा…,
दादाजी जानते थे कि उनका बेटा कैसा है.. और वो खुद भी कोई अच्छी छवि नही रखते थे.. सो उन्होने शादी करने से मना कर दिया…
उनकी ना सुनकर सूर्य प्रताप भड़क गये.. और उन्होने दादाजी को ताबड करने की धमकी दे डाली, और कहा – कि अगर तुम्हारी पोती की शादी मेरे बेटे से नही हुई.. तो वो किसी और से भी नही होने देगा…
दादा जी ने हथियार डाल दिए और हमारी शादी हो गयी… कुछ दिन तो हसी खुशी से निकल गये, लेकिन कुछ ही महीनों बाद भानु अपना रंग दिखाने लगा.. मेरे साथ मनमानियाँ करने लगा…
धीरे-2 कर के उसने मुझे भी नशे की आदत लगा दी.. फिर एक दिन हम दादा-दादी से मिलने गाँव आए हुए थे…
निशा मुझसे मिलने आई हुई थी… उसके बाद एक दिन उसने मुझे कहा कि तुम अपनी सहेली निशा से मेरे संबंध कर्वाओ.. मेने ना-नुकुर की, तो वो मुझे मारने पीटने लगा…
धमकी दी कि अगर मेने उसकी बात नही मानी तो वो मुझे तलाक़ देकर किसी कोठे पर बिठा देगा..
मेने जब ये कहा कि मे उससे ये सबके लिए नही बोल सकती.. तो फिर उसने ये प्लान बनाया, कि तुम उसे चाइ में नशा मिलकर पिला देना, और कुछ देर के लिए घर से गायब हो जाना, वाकी मे देख लूँगा…
मे – लेकिन वो ये सब करना क्यों चाहता था… निशा ही क्यों…?
वो – मुझे भी शक़ हुआ और मेने उसे पूछा भी… तो उसने मुझसे बस इतना ही कहा.. कि ऐसा करने से उसको बहुत बड़ा फ़ायदा होने वाला है.. लेकिन क्या ये नही बताया...
लेकिन जीजू…प्लीज़ ये बातें भानु को पता ना चले, वरना वो मुझे कहीं का नही छोड़ेगा…
मेने उसके होंठ चूमकर कहा – मेरा विश्वास करो मालती, आइन्दा भानु तुम्हें एक पत्नी का सम्मान ही देगा…
फिर मेने टॉपिक चेंज कर दिया और उसको सेक्स की तरफ मोड़ कर उसके साथ जम कर सुबह तक मस्ती की, उसकी अच्छी तरह से भूख शांत कर के, सुवह उसको घर विदा कर दिया….!
आज सनडे था, कोर्ट की तो छुट्टी थी, सुवह होटेल में फ्रेश हुआ.. चाय नाश्ता कर के… 10 बजे जस्टीस ढीनगरा जो राजेश का केस देख रहे थे.. उनके बंगले पर पहुँचा….
गेट पर प्रोफ़ेसर. राम नारायण जी का रेफरेन्स देकर अपना कार्ड दिया…
वो उनसे बात कर चुके थे, सो मेरा कार्ड देखते ही उन्होने मुझे अंदर बुलवा लिया…
मेने उन्हें सारी बातें डीटेल में बताई… उन्होने मुझे दो दिन बाद की बेल की सुनवाई की डेट देने का प्रॉमिस कर दिया….!
जस्टीस ढीनगरा के यहाँ से निकल कर, मेने एक वकालत नामा तैयार किया और चल दिया सेंट्रल जैल की तरफ…
जेलर को अपना परिचय दिया और उससे राजेश से मिलने का समय माँगा…
जैसे ही राजेश भाई मेरे सामने आए… मे उन्हें देखता ही रह गया…
क्या हालत हो गयी थी बेचारे की… आँखें सूजी हुई थी… उनके नीचे काले-2 निशान बनने लगे थे.. और वो गड्ढे से में धँस चुकी थीं…
राजेश मुझे अपने सामने देख कर भावुक हो गया… मेने उसके कंधे पर हाथ रखकर हौसला बनाए रखने के लिए कहा….
मेने वकालत नामे को उसके सामने रखते हुए कहा – राजेश भाई… आप इस पर साइन कर दीजिए…
राजेश – ये क्या है… अंकुश जी…?
मे – ये मेरा वकालत नामा है… आज से मे आपका केस लड़ रहा हूँ.. ?
वो – आप ! आप मेरा केस लड़ेंगे…?
मे – क्यों..? मेने भी वकालत की है…! क्या आपको मेरे ऊपर भरोसा नही है…?
वो – ऐसी बात नही है.. अंकुश जी, असल में मुझे अब आशा की कोई किरण ही नज़र आती दिखाई नही दे रही थी… सो इसलिए पुच्छ लिया… सॉरी !
मे – अब आप सारी चिंताएँ मुझ पर छोड़ दीजिए… बस दो दिन और.. उसके बाद आप खुली हवा में साँस ले रहे होंगे…
वो अविश्वसनीय नज़रों से मुझे देखने लगे… मेने कहा – मे सही कह रहा हूँ…, दो दिन बाद हम सभी एक साथ बैठे होंगे… विश्वास कीजिए मेरा..
वो – मुझे तो ये सपना सा ही लग रहा है… क्या सच में मे दो दिन बाद आज़ाद हो जाउन्गा…?
मे – पूरी आज़ादी मिलने में कुछ वक़्त ज़रूर लग सकता है… लेकिन दो दिन बाद आप जैल में तो नही होंगे… ये पक्का है.
उनको हौसला देकर मे अपने घर लौट आया…
शाम को हम सब एक साथ बैठे हुए थे… अभी तक घर में किसी को कुछ पता नही था कि बीते दो-तीन दिन में मे कहाँ और क्या कर रहा था…
बस उनको ये भरोसा ज़रूर था कि मे जो भी कर रहा हूँ.. वो राजेश की रिहाई से संबंधित ही होगा…
मेने बात शुरू की – भैया ! दो दिन बाद राजेश भाई की बैल की हियरिंग है… मे चाहता हूँ.. आप सब लोग उस समय अदालत में उपस्थित हों…
भैया – क्या..? इतनी जल्दी डेट भी मिल गयी..?
मे – हां ! मेने आप लोगों को एक हफ्ते का समय दिया था, तो ये सब करना तो ज़रूरी ही था !
भैया – लेकिन वो जड्ज तो बहुत नलायक था, हमें तो उसने मिलने तक का समय नही दिया था…!
मे – भैया ! कुछ चीज़ें क़ानूनी दाव पेंच से ही संभव हो पाती हैं..!
पिताजी – तुम्हें क्या लगता बेटा ! राजेश को बैल मिल जाएगी…?
मे – अपने बेटे पर भरोसा रखिए बाबूजी..! दुनिया का कोई क़ानून अब उन्हें जैल में नही रख पाएगा…!
मेने ऐसे – 2 एविडॅन्स इकट्ठा कर लिए हैं.. कि अगर अदालती प्रक्रिया अपने सिस्टम के हिसाब से ना चलती होती तो सीधे केस ही ख़तम हो जाता…इसी डेट को.
भाभी अपना आपा खो बैठी… उन्होने मेरे पास आकर मेरा माथा चूम लिया... और रोते हुए बोली – मुझे तुम पर नाज़ है लल्ला… माँ जी की आत्मा तुम्हें देख कर आज कितनी खुश हो रही होगी..
मेने उनके आँसू पोन्छते हुए कहा – नाज़ दो दिन बाद करना भाभी… जब आपके भाई आपके साथ होंगे…
रात को भाभी मेरे लिए दूध लेकर कमरे मैं आईं…साथ में निशा भी थी.
भाभी मेरे पास बिस्तर पर बैठ गयी… निशा उनके बाजू में खड़ी रही…
मेने भाभी के हाथ से दूध का ग्लास लेकर निशा से सवाल किया – निशा ! तुम्हें ठीक से याद है वो वाक़या…?
वो नज़र नीची किए हुए बोली – हां मुझे आज भी अच्छे से याद है,… उन मनहूस पलों को भला कैसे भूल सकती हूँ मे.. !
मे – तो एक बार याद कर के बताना… जब राजेश भाई और भानु के बीच हाथापाई हो रही थी,… तो क्या कभी भी ऐसा मौका आया था जब चाकू उनके हाथ लगा हो…?
वो – नही ! मुझे तो एक बार भी नही दिखा कि भैया का हाथ कभी भी उसके चाकू पर गया हो… वो तो उसकी कलाई ही पकड़ कर उसके हाथ को अपनी तरफ आने से रोकते रहे थे…
मे सोच में पड़ गया… की पोलीस का ध्यान इस तरफ क्यों नही गया…? चलो मान लिया कि पोलीस ठाकुर के दबाब में आ गयी… लेकिन भैया तो एसपी हैं.. उन्होने इस तरफ ध्यान क्यों नही दिया..?
मुझे सोच में डूबे हुए देख कर भाभी बोली – किस सोच में डूब गये लल्ला..?
मे – अच्छा भाभी ! एक बात बताइए… उस हादसे के बाद कृष्णा भैया यहाँ आए थे…?
भाभी – एक बार आए थे… तुम्हारे भैया के बुलाने पर…
मे – तो उनका व्यवहार इस केस को लेकर कैसा लगा…? आइ मीन वो मदद करना चाहते थे या कुछ और..? क्योंकि आप तो लोगों की साइकोलजी अच्छे से जान लेती हैं…
भाभी – शुरू में तो लगा कि वो इस मामले में मदद करना चाहते हैं… थोड़ी बहुत भाग दौड़ भी की थी, … कुछ उनकी बातों से लगा भी कि बात बन रही है…फिर…
मे – फिर..! फिर क्या हुआ भाभी…?
भाभी – शाम को जब यहाँ उस विषय पर बातें हो रही थी.. कि आगे क्या और कैसे करना है कि तभी उनको एक फोन आया… बातों से लगा कि शायद कामिनी का ही था…
वो हमारे पास से उठ कर फोन पर बात करते हुए बाहर निकल गये… जब वापस अंदर आए… तो उनका रुख़ बदला हुआ सा था…!
मे – तो क्या उन्होने आगे मदद करने के लिए मना कर दिया था…?
भाभी – सीधे -2 तो नही.. पर घुमा फिरा कर उन्होने जता दिया की अब बहुत देर हो चुकी है…, मामला अदालत में पहुँच चुका है, पोलीस अब इस मामले में कुछ नही कर सकती…!
फिर थोड़ा और कुछ इधर उधर की बात कर के भाभी उठ खड़ी हुई और बोली – तुम दोनो बात करो.. मे चलती हूँ… तुम्हारे भैया राह देख रहे होंगे…
मे मज़ाक करते हुए बोला – हां भाभी ! जल्दी जाओ, भैया बेचारे बैचैन हो रहे होंगे.., पता नही उनकी खूबसूरत बीवी कहाँ चली गयी…?
भाभी ने हँसते हुए मेरे गाल पर चिकोटी ली और बोली – शैतान… ! कितने बेशर्म हो गये हो.. अपने भैया के लिए ऐसा बोलते हो…?
मेने हँसते हुए कहा – इसमें मेने कुछ ग़लत कहा…? आप सुन्दर नही हो…?
कहो तो मे भैया को बोलकर आपसे शादी कर लेता हूँ.. क्यों निशा तुम्हें कोई प्राब्लम तो नही है ना..?
निशा नज़र झुकाए, मंद-मंद मुस्कराते हुए बोली – देवेर भाभी के बीच, मे कुछ नही बोलने वाली…
मेरी बात सुनकर भाभी बुरी तरह शर्मा गयी… और हँसते हुए कमरे से बाहर चली गयीं……
भाभी के जाते ही मेने निशा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया… वो झटके से मेरी गोद में आ गिरी…
मेने उसके रसीले होंठों को चूमते हुए कहा – कितनी कमजोर हो गयी हो जान ! मुझे माफ़ कर देना… तुम इतना दुख झेलती रही और मुझे पता तक नही चलने दिया…!
वो – आप आ गये… अब मुझे कोई दुख नही है…! जो आप हमारे लिए कर रहे हैं… उसका एहसान कैसे चुका पाएँगे हम लोग…?
मे – एक थप्पड़ लगाउन्गा अगर एहसान-वहसान की बात की तो… क्या मुझे अपने से अलग समझती हो…?
भैया तो कितना भाग दौड़ कर रहे हैं.. तो क्या वो कोई एहसान कर रहे हैं किसी पर ?
वो रुआंसी सी होकर बोली – सॉरी जानू… मुझे माफ़ करदो… प्लीज़ … मुझे पता नही था की आप हम लोगों से इतना प्यार करते हैं…!
मेने उसके गाल पर अपनी नाक रगड़ते हुए कहा – हम सब तुमसे बहुत प्यार करते हैं.. ऐसा नही होता तो आज राजेश भाई जैल में क्यों होते…?
क्या उन्होने कोई एहसान किया तुम्हारे ऊपर.. ये एक प्यार ही तो था…उनका बेहन – भाई वाला प्यार, और मेरा अपनी जानेबहार वाला… !
खैर अब तुम बिल्कुल फिकर मत करो…मे सब कुछ ठीक कर दूँगा… और उन लोगों को भी अच्छा सबक सिखा दूँगा… जिन्होने मेरे अपनों को इतने दुख दिए हैं…!
मेने निशा को और ज़ोर से कसते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए… उसने अपनी आँखे बंद कर ली थी…
एक बात करनी थी तुमसे जान ! मेने उसको बोला, तो वो अपनी आँखें खोलकर मेरी ओर देखते हुए बोली… क्या..?
मे – मानलो अगर कल को तुम्हें ये पता चले, कि मेरे शारीरिक संबंध किसी और के साथ भी हैं तो तुम कैसे रिक्ट करोगी…?
वो मेरे सीने के बालों में अपनी उंगलियाँ घूमाते हुए बोली – मुझे सब पता है… !
सच कहूँ तो आपने वो संबंध अपनी भूख मिटाने के लिए नही बनाए हैं, … बल्कि उनकी ज़रूरत पूरी करने के लिए बनाए हैं…मे सही कह रही हूँ ना..!
मेने आश्चर्य से उसे देखते हुए पूछा – तुम्हें कैसे पता…?
वो मेरी आँखों में शरारत से देखते हुए बोली– आप क्या समझते हैं… भाभी देवर ही आपस में घुल-मिल सकते हैं…? बहनें नही..?
दीदी ने मुझे आपकी सारी बातें बता दी हैं.. !
उनका मानना हैं कि रिश्तों में सच्चाई बनाए रखना उनकी मजबूती की नीव होती है,…आप बेफ़िक्रा रहिए, मुझे आपकी पर्सनल लाइफ से कोई प्राब्लम नही..बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार देते रहना…
इतना कहकर उसने मेरे चुचकों को सहला दिया…
मे मुँह फाडे उसकी बातें सुनता रहा… जब वो चुप हुई तो मेने उसे अपने सीने से लगाकर बोला…
ओह..निशु… इतना भरोसा करती हो मुझ पर…! सच में तुम दोनो ही बहनें महान हो… हम लोग कितने भाग्यशाली हैं.. जो तुम हमें मिली हो…
बातों के दौरान मे उसके पेट को सहला रहा था, जो अब धीरे-धीरे ऊपर को बढ़ता जा रहा था…
निशा भी मेरी छाती, और गले पर सहला रही थी…
फिर जैसे ही मेरे हाथ उसके संतरों पर पहुँचे, उसने झट से मेरे हाथों को रोक दिया, और एक नसीली मुस्कान के साथ बोली…
जानू ! एक रिक्वेस्ट हैं, अगर मानो तो,
मे उसकी तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगा तो वो बोली – अब इतने दिन इंतेज़ार किया है, तो कुछ दिन और सही…
मे शरीर की सारी ज़रूरतों का अनुभव उस रात को ही पाना चाहती हूँ….!
उसकी मासूमियत भरी बात सुनकर मुझे उसपर इतना प्यार उमड़ा की मेने उसे कसकर अपने आलिंगन में भर लिया, और एक प्यार भरा चुंबन लेकर कहा –
अपनी जानेमन की हर इक्षा का सम्मान करना मेरा फ़र्ज़ है, ये कहकर मेने उसे अपनी गोद से उतारते हुए कहा – अब तुम जाओ और जाकर निश्चिंत होकर सो जाओ...
बस दो दिन और, उसके बाद अब हम एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधने के बाद ही मिलेंगे…
…………………………………………………………………..
आज राजेश भाई की बैल की सुनवाई थी,… जस्टीस ढीनगरा के कोर्ट ने नोटीस जारी कर के पोलीस और दोनो पक्षों को बता दिया था…
पोलीस और ठाकुर को अचानक से इतनी जल्दी डेट मिलने की अपेक्षा नही थी.. लेकिन कोर्ट के आदेश को टालना किसी के बस में नही था.. सो उन्हें राजेश को कोर्ट में हाज़िर करना ही पड़ा…
सरकारी वकील ने वही रटी रटाई दलीलें पेश की जो पहले ही पोलीस ने दे रखी थी…
मेने अपना वकालत नामा कोर्ट के सामने पेश करते हुए अपने आप को राजेश का वकील के तौर पर परिचय दिया,
मेरी उम्र देखकर सरकारी वकील के चेहरे पर उपेक्षित सी स्माइल आ गयी…
मेने सरकारी वकील से सवाल पुछ्ने के उद्देश्य से कहा – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील से कुछ सवाल करना चाहूँगा…
जड्ज साब की पर्मिशन ग्रांट होते ही मेने पूछा - आपके पास ऐसा कोई सबूत है जो ये साबित कर सके कि भानु प्रताप को चाकू मेरे मुवक्किल राजेश ने ही मारा था…
वो (सरकारी.वकील.) – ये कैसा सवाल हैं मी लॉर्ड ! जबकि पोलीस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है.. , अभी इस सवाल का कोई मतलव नही है मी लॉर्ड !
मे – मी लॉर्ड ! रिपोर्ट में कहीं ये नही लिखा है कि राजेश ने चाकू से भानु प्रताप पर वार किया था…!
सरकारी.वकील. – मी लॉर्ड ! मौकाए वारदात पर अपराधी की बेहन मौजूद थी, और भानु प्रताप की पत्नी ने उन्हें घायल अवस्था में पाया, तभी तो उन्होने शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा किया..
मे – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील की बात से इतेफ़ाक़ रखता हूँ, चस्म्दीद के तौर पर केवल मेरे मुवक्किल की बेहन ही मजूद थी…
लेकिन उन्होने अपने बयान में ये कहीं नही कहा है, कि राजेश ने ही भानु प्रताप पर वार किया था.…
ये भी तो हो सकता है कि चाकू से भानु ने मेरे मुवक्किल पर वार किया हो और उन्होने सिर्फ़ अपना बचाव किया हो, जैसा कि मिस निशा अपने बयान में कह चुकी हैं…
इसी हाथापाई में भानु का चाकू खुद उसके पेट में घुस गया हो…!
सरकारी वजिल – मी लॉर्ड ! मेरे फाज़िल दोस्त अब एक नयी कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो शायद ये नही जानते कि अदालत के फ़ैसले कहनियों से नही सबूतों के आधार पर दिए जाते हैं…
मेने तुरंत कहा - मे भी यही कहना चाहता हूँ मी लॉर्ड ! पोलीस द्वारा बनाई गयी कहानी को सच साबित करने के लिए कुछ सबूतों की ज़रूरत पड़ेगी, जो मुझे अभी तक देखने को नही मिले…
अतः मे कोर्ट का ध्यान उन्हीं सबूतों की तरफ ले जाना चाहता हूँ,
इसलिए अब मे कोर्ट से दरखास्त करूँगा कि उस दौरान की मेडिकल रिपोर्ट, मौकाए वारदात पर लिए गये फोटोस और चाकू पर मिले फिंगर प्रिंट्स अदालत में पेश किए जाएँ…!
मेरी बात सुनकर कोर्ट रूम में ख़ुसर-पुसर होने लगी…
जड्ज साब ने ऑर्डर ! ऑर्डर बोल कर सबको शांत किया… और सरकारी वकील से बोला – यस मिस्टर. सरकारी वकील.. ये सारे सबूत अभी तक कोर्ट में पेश क्यों नही हुए..?
अभी इसी वक़्त ये सारे सबूत अदालत में पेश किए जाएँ…
सरकारी वकील ने पोलीस इनस्पेक्टर की तरफ देखा.. तो वो बग्लें झाँकने लगा.. आख़िरकार कोई जबाब नही मिला तो वो बोला…
मे लॉर्ड… दुर्भाग्य वश.. पोलीस उस समय चाकू से फिंगर प्रिंट्स तो नही ले पाई..
लेकिन ये कुछ मौकाए वारदात के फोटोस और मेडिकल रिपोर्ट है.. जिसे उसने जड्ज के सामने पेश कर दिया…
मेने जड्ज साब से वो दोनो चीज़ देखने के रिक्वेस्ट की तो उन्होने अपने अरदली के हाथों मुझ तक भिजवाई…
मेने वो रिपोर्ट और फोटो को गौर से देखा… उसे देख कर मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गयी…
मेने फोटो से नज़र हटाकर जड्ज साब से कहा - मी लॉर्ड ! कैसी हास्यास्पद बात है…….
हम यहाँ एक संगीन जुर्म, अटेंप्ट तो मर्डर के ऊपर बहस कर रहे हैं.. जिसमें एक व्यक्ति के दोषी या निर्दोष साबित होने पर उसकी पूरी जिंदगी निर्भर करती है…
इतना संगीन जुर्म होने के बावजूद भी, पर्याप्त सबूत इकट्ठे करने चाहिए थे
वो भी पोलीस द्वारा नही किए गये…
इस्तेमाल में लिए गये वेपन से फिंगर प्रिंट्स नही लिए गये…इसको आप क्या कहेंगे…? पोलीस की काम करने की क्षमता या उदासीनता…या फरीक से मिली भगत…?
ऐसा लगता है, जैसे सारी बातों को दरकिनार करते हुए, पोलीस का ध्यान सिर्फ़ मेरे मुवक्किल को सज़ा दिलाना ही था…
मेरी बात सुनकर सरकारी वकील और पोलीस इनस्पेक्टर नज़रें चुराने लगे…! अपनी झेंप मिटाने के लिए वो जड्ज साब से बोला –
ऑब्जेक्षन मी लॉर्ड, मेरे काबिल दोस्त बिना वजह पोलीस की कार गुजारी पर शक़ कर रहे हैं…!
जड्ज साब को मेरी दलील सही लगी, इसलिए उन्होने कहा – ऑब्जेक्षन ओवर-रूल्ड…
सरकारी वकील, खिसियानी शकल लेकर अपनी सीट पर बैठ गया…
मेने आगे कहा - खैर मी लॉर्ड ! अब जो बात हुई ही नही उस विषय पर मे समय बरवाद नही करूँगा, पर जो मौजूद है उसी से मे कोर्ट का ध्यान इस फोटो पर आकर्षित करना चाहता हूँ…
फिर मेने उस फोटो को एक प्रोजेक्टर के ज़रिए कोर्ट रूम की बड़ी सी स्क्रीन पर लगाया जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग देख सकें…
मी लॉर्ड ! गौर कीजिए.. ! भानु के पेट मे जो चाकू घुसा हुआ है.. उसका डाइरेक्षन ऊपर से नीचे की तरफ है… जबकि आम तौर पर जब कोई सामने से वार करता है तो वो कभी भी ऊपर से पेट पर वार नही कर सकता,
पेट पर वार वो अपने सामने से ही कर पाएगा, और उस स्थिति में चाकू या और कोई हथियार एग्ज़ॅक्ट्ली हॉरिज़ॉंटल स्थिति में ही हो सकता है…
क्या मेरे काबिल दोस्त ने कभी किसी पर इस तरह से वार किया है…?
मेरी बात सुनकर दर्शक दीर्घा में हँसी फैल गयी… और सरकारी वकील झेंप कर रह गया…
मेने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा - इससे सॉफ जाहिर होता है मी लॉर्ड !.. कि वार सामने से नही बल्कि घायल की खुद की बॉडी की तरफ से यानी ऊपर से हुआ है..
जो एक ही सूरत में संभव है.. कि घायल के खुद के हाथ में वो वेपन रहा होगा…
और सामने वाले व्यक्ति ने उसकी कल्लाई थामकर अपना बचाव किया हो, उसी कसम कश में भानु का हाथ नीचे आया होगा और खुद को घायल कर लिया…
मेरी दलील सुनकर सरकारी वकील और इंस्प्रेक्टोर के तोते उड़ गये.. वहीं पब्लिक दीर्घा में तालियाँ बजने लगी…
मेने आगे कहा – मी लॉर्ड… रिपोर्ट में किसी भी चस्म्दीद के बयान में ये नही है कि चाकू किसने मारा सिवाय भानु के,
जो अभी भी घायल होने का नाटक कर के हॉस्पिटल में पड़ा है.. जिससे मेरे मुवक्किल को बैल ना मिल सके..
सरकारी.वकील – ये आप किस बिना पर कह सकते हैं कि वो घायल नही है और नाटक कर रहा है…?
अब मेने फाइनल हथौड़ा मारते हुए कहा - ये मे नही कह रहा हूँ मी लॉर्ड ! ये उस हॉस्पिटल की रिपोर्ट बता रही है..
फिर मेने डॉक्टर. वीना से प्राप्त की हुई रिपोर्ट को हवा में लहराते हुए कहा – इस रिपोर्ट के मुताविक.. वो घटना के 15 दिन बाद ही पूरी तरह से ठीक हो चुका था..
और वैसे भी इस फोटो में चाकू की स्थिति साफ-साफ बता रही है, कि जख्म ज़्यादा गहरा नही होना चाहिए…
मेने वो फिटनेस रिपोर्ट कोर्ट को सममित कर दी… मेने फिर कहा – मी लॉर्ड ! इस केस में पोलीस की मिली भगत साफ-2 दिखाई दे रही है..
क्योंकि जो एविडेन्स इकट्ठा करने चाहिए थे वो कोर्ट को नही दिए गये.. और वहीं फरीक और पोलीस ने मिलकर मेरे मुवक्किल को चीट कर के उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है…
कोई भी भाई अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा के लिए जो कर सकता है मेरे मुवक्किल ने वही किया,… मेरी नज़र में अपराधी राजेश नही भानु है…
अतः.. मेरी कोर्ट से द्रखास्त है.. कि मेरे मुवक्किल को शीघ्र से शीघ्र बैल देकर जमानत पर रिहा किया जाए..
और पोलीस के खिलाफ मेरे मुवक्किल के साथ जानबूझकर नाइंसाफी करने के कारण मान हानि का केस दर्ज किया जाए..
जिसकी वजह से या मे तो कहूँगा, भानु का साथ देने के कारण मेरे मुवक्किल को इतने महीने जैल में काटने पड़े..
कोर्ट रूम में कुछ देर सन्नाटा पसरा रहा.. जस्टीस ढीनगरा कुछ लिखते रहे फिर उन्होने राजेश को बैल पर रिहा करने का आदेश पारित कर दिया.. और पोलीस को आगे के लिए उचित सबूत मुहैया करने की हिदायत दी.
मेरे और निशा के घरवालों के चेहरे खुशी से चमक रहे थे, खुशी से सबकी आँखें छलक आईं…
कोर्ट रूम से बाहर आकर सबने मुझे गले से लगाकर आशीर्वाद दिया…बाबूजी मेरी पहली कामयाबी से बहुत खुश थे…
मुझे अपने गले लगा कर बोले – तूने मेरी ज़िम्मेदारियों को आज पूरा कर दिया… मुझे नही पता था, मेरा बेटा इतना काबिल है…!
भैया ने भी मेरी बहुत तारीफ़ की… भाभी की खुशी की तो कोई सीमा ही नही थी… उन्होने अपनी बरसती आँखों से मेरे माथे को चूम कर अपना प्यार जताया.
राजेश और उनके माता-पिता की आँखो में मेरे प्रति कृताग्यता के भाव साफ-साफ दिखाई दे रहे थे…
फिर खुशी – 2 हम सब अपने घर की ओर लौट लिए…. …………….
उफफफफ्फ़……..हइईई…. उसने मेरी बेस्ट फ्रेंड निशा के साथ जबर्जस्ती बलात्कार करने की कोशिश की….हाईए… बहुत जालिम है वो हरामी…सआलाआ…आआ…
अब मुझे उससे फाइनल जबाब चाहिए थे… सो उसकी रसीली चूत पर हाथ फेरा और अपने मूसल को उसकी गीली चूत के मुँह पर रख कर रगड़ते हुए बोला…
तो क्या वो उसका बलात्कार कर पाया…?
आहह……….जिजुउुउ थोड़ा अंदर तो करो ईसीए….…. जल्दी…. उईईई…मेरी चुउउउत में चिंतियाँ सी काट रही हैं… प्लीज़….. जल्दी करूऊओ…वाकई बातें बाद मेंन्न…..
मेने अपने सुपाडे को थोड़ा सा उसके छेद के मुँह पर अड़ा कर कहा – करता हूँ… पहले बताओ तो सही, फिर क्या हुआ…?
सस्सिईईई…... नही कर पाया सालाअ…! इससे पहले कि वो कुछ कर पाता…, निशा का भाई वहाँ आ गया… और उसने उसे बचा लिया….!
मेने अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया.. और वहीं रुक कर बोला – तो अब वो हॉस्पिटल में क्या कर रहा है..?
वो – सीईईईईईईईईईई… उऊहह….बहुत बड़े जालिम हो जीजू… भेन्चोद.. चोद ना मुझे…. सीईईई.… आअहह….रोक क्यों लियाआअ….पूरा तो डालूओ…
मेने अपना लंड पूरा डालने की वजाय, उल्टा सुपाडे तक बाहर खींच लिया और उतना ही डाले हुए बोला – आगे बता ना साली रंडी… बोल ना वो मादरचोद अब भी हॉस्पिटल में क्या कर रहा है..?
मालती की चूत में आग लगी हुई थी, उसे एक-एक क्षण भारी लग रहा था, सो जल्दी से बातों का सिलसिला ख़तम करना चाहती थी…
अब जल्दी से जल्दी मेरे सवाल ख़तम हों इसलिए वो बिना हिचकिचाए बोली -
आहह…. उन दोनो की हाथापाई में उसका खुद का चाकू उसको लग गया और वो घायल हो गयाआ…आआईयईई…..धीरे…. झटके से लंड अंदर जाते ही वो बिलबिलाई…
मेने उसे दो चार तगड़े से धक्के मार कर फिर पूछा… तो क्या वो अब तक घायल ही है… ठीक नही हो पाया…इतने दिनो में ?
आहह… अब तो नाटक कर रहा है… मदर्चोद..ऊद्द्द….सीईईईई….… भोसड़ी का बहुत हर्राामी हाीइ….सीईईई…डालो ना….
मेने धक्के लगाते हुए पूछा – क्यों..? अब नाटक क्यों कर रहा है..?
वो – सस्सिईईई….आअहह… ताकि निशा के भाई को जमानत ना मिले….उफफफ्फ़ माआ…. हाइईईई…ज़ोर से कारूव….उूउउ…आययईीीई…
अब मुझे लगभग मेरे सवालों के जबाब मिल चुके थे…
सो मेने उसको अच्छी तरह से जमकर चोदा… वो भी किसी चुदाई मशीन की तरह कमर धकेल-धकेल कर जबरदस्त तरीक़े से चुदाई और बीयर की मस्ती में चूर चुदने लगी…
30 मिनिट तक धमाल चुदाई के बाद मेने उसकी चूत को अपने लंड के पानी से भर दिया…इतनी देर में मालती दो बार झड़कर मस्त हो गयी थी…
कुछ देर बाद फ्रेश होकर वापस हम पलंग पर आ गये… वो मेरी गोद में ही बैठी थी… मेने उसके बड़े-2 कलमी आमों से खेलते हुए पूछा-
मालती मुझे अब सारी बातें डीटेल में बताओ, तुम्हारी शादी भानु से किन हालातों में हुई, उसने ये हरकत निशा के साथ क्यों की… और ये भी की तुमने उसका साथ क्यों दिया…
वो – आप ये सब क्यों जानना चाहते हो… आपको तो उन लोगों से अब कोई मतलव नही है ना.. ! फिर !
मे – अगर मत्लव होता तो नही बताती…? इसका मतलब तुम मुझसे बस सेक्स तक का ही रिश्ता मानती हो…!
देखो मालती मे जानता हूँ.. ये सब तुमने अपनी मर्ज़ी से नही किया है, .. मे बस ये जानना चाहता हूँ.. कि ऐसी क्या बात थी जो ये सब हुआ…!
मे चाहता हूँ, कि फ्यूचर में भानु तुम्हें इस तरह से इस्तेमाल ना करे, और एक अच्छे पति की तरह ही बर्ताव रखे, इसके लिए मेरा सच जानना ज़रूरी है,
मेरी बात से वो कुछ देर सोच में पड़ गयी, लेकिन फिर कुछ सोच कर कहने लगी
– वैसे भानु अब मेरा पति है.. चाहे जैसा भी हो…, लेकिन सच कहूँ तो मे आपसे कोई बात चाह कर भी छुपा नही सकती..,
क्योंकि जो सुख आपने मुझे दिया है, वो मेरा पति शायद ही अपने जीवन में कभी दे पाए, इसलिए मे आपको सब कुछ सच-सच बताती हूँ…
बात आज से एक साल पहले की है… एक दिन मेरे दादा के पास ठाकुर सुर्य प्रताप आए.. और उन्होने अपने बेटे के लिए मेरा हाथ माँगा…,
दादाजी जानते थे कि उनका बेटा कैसा है.. और वो खुद भी कोई अच्छी छवि नही रखते थे.. सो उन्होने शादी करने से मना कर दिया…
उनकी ना सुनकर सूर्य प्रताप भड़क गये.. और उन्होने दादाजी को ताबड करने की धमकी दे डाली, और कहा – कि अगर तुम्हारी पोती की शादी मेरे बेटे से नही हुई.. तो वो किसी और से भी नही होने देगा…
दादा जी ने हथियार डाल दिए और हमारी शादी हो गयी… कुछ दिन तो हसी खुशी से निकल गये, लेकिन कुछ ही महीनों बाद भानु अपना रंग दिखाने लगा.. मेरे साथ मनमानियाँ करने लगा…
धीरे-2 कर के उसने मुझे भी नशे की आदत लगा दी.. फिर एक दिन हम दादा-दादी से मिलने गाँव आए हुए थे…
निशा मुझसे मिलने आई हुई थी… उसके बाद एक दिन उसने मुझे कहा कि तुम अपनी सहेली निशा से मेरे संबंध कर्वाओ.. मेने ना-नुकुर की, तो वो मुझे मारने पीटने लगा…
धमकी दी कि अगर मेने उसकी बात नही मानी तो वो मुझे तलाक़ देकर किसी कोठे पर बिठा देगा..
मेने जब ये कहा कि मे उससे ये सबके लिए नही बोल सकती.. तो फिर उसने ये प्लान बनाया, कि तुम उसे चाइ में नशा मिलकर पिला देना, और कुछ देर के लिए घर से गायब हो जाना, वाकी मे देख लूँगा…
मे – लेकिन वो ये सब करना क्यों चाहता था… निशा ही क्यों…?
वो – मुझे भी शक़ हुआ और मेने उसे पूछा भी… तो उसने मुझसे बस इतना ही कहा.. कि ऐसा करने से उसको बहुत बड़ा फ़ायदा होने वाला है.. लेकिन क्या ये नही बताया...
लेकिन जीजू…प्लीज़ ये बातें भानु को पता ना चले, वरना वो मुझे कहीं का नही छोड़ेगा…
मेने उसके होंठ चूमकर कहा – मेरा विश्वास करो मालती, आइन्दा भानु तुम्हें एक पत्नी का सम्मान ही देगा…
फिर मेने टॉपिक चेंज कर दिया और उसको सेक्स की तरफ मोड़ कर उसके साथ जम कर सुबह तक मस्ती की, उसकी अच्छी तरह से भूख शांत कर के, सुवह उसको घर विदा कर दिया….!
आज सनडे था, कोर्ट की तो छुट्टी थी, सुवह होटेल में फ्रेश हुआ.. चाय नाश्ता कर के… 10 बजे जस्टीस ढीनगरा जो राजेश का केस देख रहे थे.. उनके बंगले पर पहुँचा….
गेट पर प्रोफ़ेसर. राम नारायण जी का रेफरेन्स देकर अपना कार्ड दिया…
वो उनसे बात कर चुके थे, सो मेरा कार्ड देखते ही उन्होने मुझे अंदर बुलवा लिया…
मेने उन्हें सारी बातें डीटेल में बताई… उन्होने मुझे दो दिन बाद की बेल की सुनवाई की डेट देने का प्रॉमिस कर दिया….!
जस्टीस ढीनगरा के यहाँ से निकल कर, मेने एक वकालत नामा तैयार किया और चल दिया सेंट्रल जैल की तरफ…
जेलर को अपना परिचय दिया और उससे राजेश से मिलने का समय माँगा…
जैसे ही राजेश भाई मेरे सामने आए… मे उन्हें देखता ही रह गया…
क्या हालत हो गयी थी बेचारे की… आँखें सूजी हुई थी… उनके नीचे काले-2 निशान बनने लगे थे.. और वो गड्ढे से में धँस चुकी थीं…
राजेश मुझे अपने सामने देख कर भावुक हो गया… मेने उसके कंधे पर हाथ रखकर हौसला बनाए रखने के लिए कहा….
मेने वकालत नामे को उसके सामने रखते हुए कहा – राजेश भाई… आप इस पर साइन कर दीजिए…
राजेश – ये क्या है… अंकुश जी…?
मे – ये मेरा वकालत नामा है… आज से मे आपका केस लड़ रहा हूँ.. ?
वो – आप ! आप मेरा केस लड़ेंगे…?
मे – क्यों..? मेने भी वकालत की है…! क्या आपको मेरे ऊपर भरोसा नही है…?
वो – ऐसी बात नही है.. अंकुश जी, असल में मुझे अब आशा की कोई किरण ही नज़र आती दिखाई नही दे रही थी… सो इसलिए पुच्छ लिया… सॉरी !
मे – अब आप सारी चिंताएँ मुझ पर छोड़ दीजिए… बस दो दिन और.. उसके बाद आप खुली हवा में साँस ले रहे होंगे…
वो अविश्वसनीय नज़रों से मुझे देखने लगे… मेने कहा – मे सही कह रहा हूँ…, दो दिन बाद हम सभी एक साथ बैठे होंगे… विश्वास कीजिए मेरा..
वो – मुझे तो ये सपना सा ही लग रहा है… क्या सच में मे दो दिन बाद आज़ाद हो जाउन्गा…?
मे – पूरी आज़ादी मिलने में कुछ वक़्त ज़रूर लग सकता है… लेकिन दो दिन बाद आप जैल में तो नही होंगे… ये पक्का है.
उनको हौसला देकर मे अपने घर लौट आया…
शाम को हम सब एक साथ बैठे हुए थे… अभी तक घर में किसी को कुछ पता नही था कि बीते दो-तीन दिन में मे कहाँ और क्या कर रहा था…
बस उनको ये भरोसा ज़रूर था कि मे जो भी कर रहा हूँ.. वो राजेश की रिहाई से संबंधित ही होगा…
मेने बात शुरू की – भैया ! दो दिन बाद राजेश भाई की बैल की हियरिंग है… मे चाहता हूँ.. आप सब लोग उस समय अदालत में उपस्थित हों…
भैया – क्या..? इतनी जल्दी डेट भी मिल गयी..?
मे – हां ! मेने आप लोगों को एक हफ्ते का समय दिया था, तो ये सब करना तो ज़रूरी ही था !
भैया – लेकिन वो जड्ज तो बहुत नलायक था, हमें तो उसने मिलने तक का समय नही दिया था…!
मे – भैया ! कुछ चीज़ें क़ानूनी दाव पेंच से ही संभव हो पाती हैं..!
पिताजी – तुम्हें क्या लगता बेटा ! राजेश को बैल मिल जाएगी…?
मे – अपने बेटे पर भरोसा रखिए बाबूजी..! दुनिया का कोई क़ानून अब उन्हें जैल में नही रख पाएगा…!
मेने ऐसे – 2 एविडॅन्स इकट्ठा कर लिए हैं.. कि अगर अदालती प्रक्रिया अपने सिस्टम के हिसाब से ना चलती होती तो सीधे केस ही ख़तम हो जाता…इसी डेट को.
भाभी अपना आपा खो बैठी… उन्होने मेरे पास आकर मेरा माथा चूम लिया... और रोते हुए बोली – मुझे तुम पर नाज़ है लल्ला… माँ जी की आत्मा तुम्हें देख कर आज कितनी खुश हो रही होगी..
मेने उनके आँसू पोन्छते हुए कहा – नाज़ दो दिन बाद करना भाभी… जब आपके भाई आपके साथ होंगे…
रात को भाभी मेरे लिए दूध लेकर कमरे मैं आईं…साथ में निशा भी थी.
भाभी मेरे पास बिस्तर पर बैठ गयी… निशा उनके बाजू में खड़ी रही…
मेने भाभी के हाथ से दूध का ग्लास लेकर निशा से सवाल किया – निशा ! तुम्हें ठीक से याद है वो वाक़या…?
वो नज़र नीची किए हुए बोली – हां मुझे आज भी अच्छे से याद है,… उन मनहूस पलों को भला कैसे भूल सकती हूँ मे.. !
मे – तो एक बार याद कर के बताना… जब राजेश भाई और भानु के बीच हाथापाई हो रही थी,… तो क्या कभी भी ऐसा मौका आया था जब चाकू उनके हाथ लगा हो…?
वो – नही ! मुझे तो एक बार भी नही दिखा कि भैया का हाथ कभी भी उसके चाकू पर गया हो… वो तो उसकी कलाई ही पकड़ कर उसके हाथ को अपनी तरफ आने से रोकते रहे थे…
मे सोच में पड़ गया… की पोलीस का ध्यान इस तरफ क्यों नही गया…? चलो मान लिया कि पोलीस ठाकुर के दबाब में आ गयी… लेकिन भैया तो एसपी हैं.. उन्होने इस तरफ ध्यान क्यों नही दिया..?
मुझे सोच में डूबे हुए देख कर भाभी बोली – किस सोच में डूब गये लल्ला..?
मे – अच्छा भाभी ! एक बात बताइए… उस हादसे के बाद कृष्णा भैया यहाँ आए थे…?
भाभी – एक बार आए थे… तुम्हारे भैया के बुलाने पर…
मे – तो उनका व्यवहार इस केस को लेकर कैसा लगा…? आइ मीन वो मदद करना चाहते थे या कुछ और..? क्योंकि आप तो लोगों की साइकोलजी अच्छे से जान लेती हैं…
भाभी – शुरू में तो लगा कि वो इस मामले में मदद करना चाहते हैं… थोड़ी बहुत भाग दौड़ भी की थी, … कुछ उनकी बातों से लगा भी कि बात बन रही है…फिर…
मे – फिर..! फिर क्या हुआ भाभी…?
भाभी – शाम को जब यहाँ उस विषय पर बातें हो रही थी.. कि आगे क्या और कैसे करना है कि तभी उनको एक फोन आया… बातों से लगा कि शायद कामिनी का ही था…
वो हमारे पास से उठ कर फोन पर बात करते हुए बाहर निकल गये… जब वापस अंदर आए… तो उनका रुख़ बदला हुआ सा था…!
मे – तो क्या उन्होने आगे मदद करने के लिए मना कर दिया था…?
भाभी – सीधे -2 तो नही.. पर घुमा फिरा कर उन्होने जता दिया की अब बहुत देर हो चुकी है…, मामला अदालत में पहुँच चुका है, पोलीस अब इस मामले में कुछ नही कर सकती…!
फिर थोड़ा और कुछ इधर उधर की बात कर के भाभी उठ खड़ी हुई और बोली – तुम दोनो बात करो.. मे चलती हूँ… तुम्हारे भैया राह देख रहे होंगे…
मे मज़ाक करते हुए बोला – हां भाभी ! जल्दी जाओ, भैया बेचारे बैचैन हो रहे होंगे.., पता नही उनकी खूबसूरत बीवी कहाँ चली गयी…?
भाभी ने हँसते हुए मेरे गाल पर चिकोटी ली और बोली – शैतान… ! कितने बेशर्म हो गये हो.. अपने भैया के लिए ऐसा बोलते हो…?
मेने हँसते हुए कहा – इसमें मेने कुछ ग़लत कहा…? आप सुन्दर नही हो…?
कहो तो मे भैया को बोलकर आपसे शादी कर लेता हूँ.. क्यों निशा तुम्हें कोई प्राब्लम तो नही है ना..?
निशा नज़र झुकाए, मंद-मंद मुस्कराते हुए बोली – देवेर भाभी के बीच, मे कुछ नही बोलने वाली…
मेरी बात सुनकर भाभी बुरी तरह शर्मा गयी… और हँसते हुए कमरे से बाहर चली गयीं……
भाभी के जाते ही मेने निशा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया… वो झटके से मेरी गोद में आ गिरी…
मेने उसके रसीले होंठों को चूमते हुए कहा – कितनी कमजोर हो गयी हो जान ! मुझे माफ़ कर देना… तुम इतना दुख झेलती रही और मुझे पता तक नही चलने दिया…!
वो – आप आ गये… अब मुझे कोई दुख नही है…! जो आप हमारे लिए कर रहे हैं… उसका एहसान कैसे चुका पाएँगे हम लोग…?
मे – एक थप्पड़ लगाउन्गा अगर एहसान-वहसान की बात की तो… क्या मुझे अपने से अलग समझती हो…?
भैया तो कितना भाग दौड़ कर रहे हैं.. तो क्या वो कोई एहसान कर रहे हैं किसी पर ?
वो रुआंसी सी होकर बोली – सॉरी जानू… मुझे माफ़ करदो… प्लीज़ … मुझे पता नही था की आप हम लोगों से इतना प्यार करते हैं…!
मेने उसके गाल पर अपनी नाक रगड़ते हुए कहा – हम सब तुमसे बहुत प्यार करते हैं.. ऐसा नही होता तो आज राजेश भाई जैल में क्यों होते…?
क्या उन्होने कोई एहसान किया तुम्हारे ऊपर.. ये एक प्यार ही तो था…उनका बेहन – भाई वाला प्यार, और मेरा अपनी जानेबहार वाला… !
खैर अब तुम बिल्कुल फिकर मत करो…मे सब कुछ ठीक कर दूँगा… और उन लोगों को भी अच्छा सबक सिखा दूँगा… जिन्होने मेरे अपनों को इतने दुख दिए हैं…!
मेने निशा को और ज़ोर से कसते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए… उसने अपनी आँखे बंद कर ली थी…
एक बात करनी थी तुमसे जान ! मेने उसको बोला, तो वो अपनी आँखें खोलकर मेरी ओर देखते हुए बोली… क्या..?
मे – मानलो अगर कल को तुम्हें ये पता चले, कि मेरे शारीरिक संबंध किसी और के साथ भी हैं तो तुम कैसे रिक्ट करोगी…?
वो मेरे सीने के बालों में अपनी उंगलियाँ घूमाते हुए बोली – मुझे सब पता है… !
सच कहूँ तो आपने वो संबंध अपनी भूख मिटाने के लिए नही बनाए हैं, … बल्कि उनकी ज़रूरत पूरी करने के लिए बनाए हैं…मे सही कह रही हूँ ना..!
मेने आश्चर्य से उसे देखते हुए पूछा – तुम्हें कैसे पता…?
वो मेरी आँखों में शरारत से देखते हुए बोली– आप क्या समझते हैं… भाभी देवर ही आपस में घुल-मिल सकते हैं…? बहनें नही..?
दीदी ने मुझे आपकी सारी बातें बता दी हैं.. !
उनका मानना हैं कि रिश्तों में सच्चाई बनाए रखना उनकी मजबूती की नीव होती है,…आप बेफ़िक्रा रहिए, मुझे आपकी पर्सनल लाइफ से कोई प्राब्लम नही..बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार देते रहना…
इतना कहकर उसने मेरे चुचकों को सहला दिया…
मे मुँह फाडे उसकी बातें सुनता रहा… जब वो चुप हुई तो मेने उसे अपने सीने से लगाकर बोला…
ओह..निशु… इतना भरोसा करती हो मुझ पर…! सच में तुम दोनो ही बहनें महान हो… हम लोग कितने भाग्यशाली हैं.. जो तुम हमें मिली हो…
बातों के दौरान मे उसके पेट को सहला रहा था, जो अब धीरे-धीरे ऊपर को बढ़ता जा रहा था…
निशा भी मेरी छाती, और गले पर सहला रही थी…
फिर जैसे ही मेरे हाथ उसके संतरों पर पहुँचे, उसने झट से मेरे हाथों को रोक दिया, और एक नसीली मुस्कान के साथ बोली…
जानू ! एक रिक्वेस्ट हैं, अगर मानो तो,
मे उसकी तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगा तो वो बोली – अब इतने दिन इंतेज़ार किया है, तो कुछ दिन और सही…
मे शरीर की सारी ज़रूरतों का अनुभव उस रात को ही पाना चाहती हूँ….!
उसकी मासूमियत भरी बात सुनकर मुझे उसपर इतना प्यार उमड़ा की मेने उसे कसकर अपने आलिंगन में भर लिया, और एक प्यार भरा चुंबन लेकर कहा –
अपनी जानेमन की हर इक्षा का सम्मान करना मेरा फ़र्ज़ है, ये कहकर मेने उसे अपनी गोद से उतारते हुए कहा – अब तुम जाओ और जाकर निश्चिंत होकर सो जाओ...
बस दो दिन और, उसके बाद अब हम एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधने के बाद ही मिलेंगे…
…………………………………………………………………..
आज राजेश भाई की बैल की सुनवाई थी,… जस्टीस ढीनगरा के कोर्ट ने नोटीस जारी कर के पोलीस और दोनो पक्षों को बता दिया था…
पोलीस और ठाकुर को अचानक से इतनी जल्दी डेट मिलने की अपेक्षा नही थी.. लेकिन कोर्ट के आदेश को टालना किसी के बस में नही था.. सो उन्हें राजेश को कोर्ट में हाज़िर करना ही पड़ा…
सरकारी वकील ने वही रटी रटाई दलीलें पेश की जो पहले ही पोलीस ने दे रखी थी…
मेने अपना वकालत नामा कोर्ट के सामने पेश करते हुए अपने आप को राजेश का वकील के तौर पर परिचय दिया,
मेरी उम्र देखकर सरकारी वकील के चेहरे पर उपेक्षित सी स्माइल आ गयी…
मेने सरकारी वकील से सवाल पुछ्ने के उद्देश्य से कहा – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील से कुछ सवाल करना चाहूँगा…
जड्ज साब की पर्मिशन ग्रांट होते ही मेने पूछा - आपके पास ऐसा कोई सबूत है जो ये साबित कर सके कि भानु प्रताप को चाकू मेरे मुवक्किल राजेश ने ही मारा था…
वो (सरकारी.वकील.) – ये कैसा सवाल हैं मी लॉर्ड ! जबकि पोलीस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है.. , अभी इस सवाल का कोई मतलव नही है मी लॉर्ड !
मे – मी लॉर्ड ! रिपोर्ट में कहीं ये नही लिखा है कि राजेश ने चाकू से भानु प्रताप पर वार किया था…!
सरकारी.वकील. – मी लॉर्ड ! मौकाए वारदात पर अपराधी की बेहन मौजूद थी, और भानु प्रताप की पत्नी ने उन्हें घायल अवस्था में पाया, तभी तो उन्होने शोर मचाकर लोगों को इकट्ठा किया..
मे – मी लॉर्ड ! मे सरकारी वकील की बात से इतेफ़ाक़ रखता हूँ, चस्म्दीद के तौर पर केवल मेरे मुवक्किल की बेहन ही मजूद थी…
लेकिन उन्होने अपने बयान में ये कहीं नही कहा है, कि राजेश ने ही भानु प्रताप पर वार किया था.…
ये भी तो हो सकता है कि चाकू से भानु ने मेरे मुवक्किल पर वार किया हो और उन्होने सिर्फ़ अपना बचाव किया हो, जैसा कि मिस निशा अपने बयान में कह चुकी हैं…
इसी हाथापाई में भानु का चाकू खुद उसके पेट में घुस गया हो…!
सरकारी वजिल – मी लॉर्ड ! मेरे फाज़िल दोस्त अब एक नयी कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वो शायद ये नही जानते कि अदालत के फ़ैसले कहनियों से नही सबूतों के आधार पर दिए जाते हैं…
मेने तुरंत कहा - मे भी यही कहना चाहता हूँ मी लॉर्ड ! पोलीस द्वारा बनाई गयी कहानी को सच साबित करने के लिए कुछ सबूतों की ज़रूरत पड़ेगी, जो मुझे अभी तक देखने को नही मिले…
अतः मे कोर्ट का ध्यान उन्हीं सबूतों की तरफ ले जाना चाहता हूँ,
इसलिए अब मे कोर्ट से दरखास्त करूँगा कि उस दौरान की मेडिकल रिपोर्ट, मौकाए वारदात पर लिए गये फोटोस और चाकू पर मिले फिंगर प्रिंट्स अदालत में पेश किए जाएँ…!
मेरी बात सुनकर कोर्ट रूम में ख़ुसर-पुसर होने लगी…
जड्ज साब ने ऑर्डर ! ऑर्डर बोल कर सबको शांत किया… और सरकारी वकील से बोला – यस मिस्टर. सरकारी वकील.. ये सारे सबूत अभी तक कोर्ट में पेश क्यों नही हुए..?
अभी इसी वक़्त ये सारे सबूत अदालत में पेश किए जाएँ…
सरकारी वकील ने पोलीस इनस्पेक्टर की तरफ देखा.. तो वो बग्लें झाँकने लगा.. आख़िरकार कोई जबाब नही मिला तो वो बोला…
मे लॉर्ड… दुर्भाग्य वश.. पोलीस उस समय चाकू से फिंगर प्रिंट्स तो नही ले पाई..
लेकिन ये कुछ मौकाए वारदात के फोटोस और मेडिकल रिपोर्ट है.. जिसे उसने जड्ज के सामने पेश कर दिया…
मेने जड्ज साब से वो दोनो चीज़ देखने के रिक्वेस्ट की तो उन्होने अपने अरदली के हाथों मुझ तक भिजवाई…
मेने वो रिपोर्ट और फोटो को गौर से देखा… उसे देख कर मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गयी…
मेने फोटो से नज़र हटाकर जड्ज साब से कहा - मी लॉर्ड ! कैसी हास्यास्पद बात है…….
हम यहाँ एक संगीन जुर्म, अटेंप्ट तो मर्डर के ऊपर बहस कर रहे हैं.. जिसमें एक व्यक्ति के दोषी या निर्दोष साबित होने पर उसकी पूरी जिंदगी निर्भर करती है…
इतना संगीन जुर्म होने के बावजूद भी, पर्याप्त सबूत इकट्ठे करने चाहिए थे
वो भी पोलीस द्वारा नही किए गये…
इस्तेमाल में लिए गये वेपन से फिंगर प्रिंट्स नही लिए गये…इसको आप क्या कहेंगे…? पोलीस की काम करने की क्षमता या उदासीनता…या फरीक से मिली भगत…?
ऐसा लगता है, जैसे सारी बातों को दरकिनार करते हुए, पोलीस का ध्यान सिर्फ़ मेरे मुवक्किल को सज़ा दिलाना ही था…
मेरी बात सुनकर सरकारी वकील और पोलीस इनस्पेक्टर नज़रें चुराने लगे…! अपनी झेंप मिटाने के लिए वो जड्ज साब से बोला –
ऑब्जेक्षन मी लॉर्ड, मेरे काबिल दोस्त बिना वजह पोलीस की कार गुजारी पर शक़ कर रहे हैं…!
जड्ज साब को मेरी दलील सही लगी, इसलिए उन्होने कहा – ऑब्जेक्षन ओवर-रूल्ड…
सरकारी वकील, खिसियानी शकल लेकर अपनी सीट पर बैठ गया…
मेने आगे कहा - खैर मी लॉर्ड ! अब जो बात हुई ही नही उस विषय पर मे समय बरवाद नही करूँगा, पर जो मौजूद है उसी से मे कोर्ट का ध्यान इस फोटो पर आकर्षित करना चाहता हूँ…
फिर मेने उस फोटो को एक प्रोजेक्टर के ज़रिए कोर्ट रूम की बड़ी सी स्क्रीन पर लगाया जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग देख सकें…
मी लॉर्ड ! गौर कीजिए.. ! भानु के पेट मे जो चाकू घुसा हुआ है.. उसका डाइरेक्षन ऊपर से नीचे की तरफ है… जबकि आम तौर पर जब कोई सामने से वार करता है तो वो कभी भी ऊपर से पेट पर वार नही कर सकता,
पेट पर वार वो अपने सामने से ही कर पाएगा, और उस स्थिति में चाकू या और कोई हथियार एग्ज़ॅक्ट्ली हॉरिज़ॉंटल स्थिति में ही हो सकता है…
क्या मेरे काबिल दोस्त ने कभी किसी पर इस तरह से वार किया है…?
मेरी बात सुनकर दर्शक दीर्घा में हँसी फैल गयी… और सरकारी वकील झेंप कर रह गया…
मेने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा - इससे सॉफ जाहिर होता है मी लॉर्ड !.. कि वार सामने से नही बल्कि घायल की खुद की बॉडी की तरफ से यानी ऊपर से हुआ है..
जो एक ही सूरत में संभव है.. कि घायल के खुद के हाथ में वो वेपन रहा होगा…
और सामने वाले व्यक्ति ने उसकी कल्लाई थामकर अपना बचाव किया हो, उसी कसम कश में भानु का हाथ नीचे आया होगा और खुद को घायल कर लिया…
मेरी दलील सुनकर सरकारी वकील और इंस्प्रेक्टोर के तोते उड़ गये.. वहीं पब्लिक दीर्घा में तालियाँ बजने लगी…
मेने आगे कहा – मी लॉर्ड… रिपोर्ट में किसी भी चस्म्दीद के बयान में ये नही है कि चाकू किसने मारा सिवाय भानु के,
जो अभी भी घायल होने का नाटक कर के हॉस्पिटल में पड़ा है.. जिससे मेरे मुवक्किल को बैल ना मिल सके..
सरकारी.वकील – ये आप किस बिना पर कह सकते हैं कि वो घायल नही है और नाटक कर रहा है…?
अब मेने फाइनल हथौड़ा मारते हुए कहा - ये मे नही कह रहा हूँ मी लॉर्ड ! ये उस हॉस्पिटल की रिपोर्ट बता रही है..
फिर मेने डॉक्टर. वीना से प्राप्त की हुई रिपोर्ट को हवा में लहराते हुए कहा – इस रिपोर्ट के मुताविक.. वो घटना के 15 दिन बाद ही पूरी तरह से ठीक हो चुका था..
और वैसे भी इस फोटो में चाकू की स्थिति साफ-साफ बता रही है, कि जख्म ज़्यादा गहरा नही होना चाहिए…
मेने वो फिटनेस रिपोर्ट कोर्ट को सममित कर दी… मेने फिर कहा – मी लॉर्ड ! इस केस में पोलीस की मिली भगत साफ-2 दिखाई दे रही है..
क्योंकि जो एविडेन्स इकट्ठा करने चाहिए थे वो कोर्ट को नही दिए गये.. और वहीं फरीक और पोलीस ने मिलकर मेरे मुवक्किल को चीट कर के उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है…
कोई भी भाई अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा के लिए जो कर सकता है मेरे मुवक्किल ने वही किया,… मेरी नज़र में अपराधी राजेश नही भानु है…
अतः.. मेरी कोर्ट से द्रखास्त है.. कि मेरे मुवक्किल को शीघ्र से शीघ्र बैल देकर जमानत पर रिहा किया जाए..
और पोलीस के खिलाफ मेरे मुवक्किल के साथ जानबूझकर नाइंसाफी करने के कारण मान हानि का केस दर्ज किया जाए..
जिसकी वजह से या मे तो कहूँगा, भानु का साथ देने के कारण मेरे मुवक्किल को इतने महीने जैल में काटने पड़े..
कोर्ट रूम में कुछ देर सन्नाटा पसरा रहा.. जस्टीस ढीनगरा कुछ लिखते रहे फिर उन्होने राजेश को बैल पर रिहा करने का आदेश पारित कर दिया.. और पोलीस को आगे के लिए उचित सबूत मुहैया करने की हिदायत दी.
मेरे और निशा के घरवालों के चेहरे खुशी से चमक रहे थे, खुशी से सबकी आँखें छलक आईं…
कोर्ट रूम से बाहर आकर सबने मुझे गले से लगाकर आशीर्वाद दिया…बाबूजी मेरी पहली कामयाबी से बहुत खुश थे…
मुझे अपने गले लगा कर बोले – तूने मेरी ज़िम्मेदारियों को आज पूरा कर दिया… मुझे नही पता था, मेरा बेटा इतना काबिल है…!
भैया ने भी मेरी बहुत तारीफ़ की… भाभी की खुशी की तो कोई सीमा ही नही थी… उन्होने अपनी बरसती आँखों से मेरे माथे को चूम कर अपना प्यार जताया.
राजेश और उनके माता-पिता की आँखो में मेरे प्रति कृताग्यता के भाव साफ-साफ दिखाई दे रहे थे…
फिर खुशी – 2 हम सब अपने घर की ओर लौट लिए…. …………….