Update 41
हम ये बातें कर ही रहे थे… कि तभी वहाँ नेहा आ गयी.. उसने अपने मम्मी-दादी को गुड मॉर्निंग कहा, फिर मुझे गुड मॉर्निंग कह कर मेरा हाल चाल पूछा…
प्रोफ़ेसर – बेटी ये अंकुश शर्मा है, मेरा सेकेंड एअर का बहुत होनहार स्टूडेंट… देखो एश्वर ने क्या संयोग रचा.. कि इसे वहाँ तुम्हारी मदद के लिए भेज दिया…
इसकी जगह कोई और होता तो शायद वो वहाँ रुकता ही नही…हमें इसका एहसानमंद होना चाहिए…
मे – सर ! ये कह कर आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं… मे नही जानता था, कि ये आपकी बेटी हैं…
बस मेरे जमीर ने कहा.. कि मुझे इनकी मदद करनी चाहिए.. सो वहाँ रुक गया…और जो बन पड़ा वो किया…
नेहा – नही ! तुमने जिस साहस और दिलेरी से उन गुण्डों का सामना किया, ये हर किसी के बस की बात नही थी… थॅंक यू वेरी मच अंकुश..! मे तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी..
मे – आप भूल रही हैं नेहा जी, थॅंक यू तो मुझे कहना चाहिए आपको, कि आपकी दिलेरी और सूझ-बुझ के कारण आज मे यहाँ जिंदा बैठा हूँ…
प्रोफेसर और उनकी पत्नी यानी नेहा की मम्मी किनकर्तव्यविमूढ़ से हम दोनो की बातें सुन रहे थे… तो मेने उन्हें सारा वाकीया डीटेल में बता दिया…
वो दोनो अपनी बेटी को प्रशंसा भरी नज़रों से देख रहे थे… फिर वो बोले – चलो अच्छा हुआ कि तुम दोनो ने ही मिलकर एक दूसरे की मदद की…
लेकिन बेटे.. ये बात भी अपनी जगह बहुत मायने रखती है कि, तुमने जो एक अंजान लड़की के लिए किया है, आज के जमाने में कोई किसी के लिए अपनी जान जोखिम में नही डालता…!
इन्ही बातों के दौरान हम सबने नाश्ता किया… नेहा की मम्मी किसी एनजीओ के लिए काम करती थी, कुछ देर बाद वो दोनो अपने-अपने काम पर निकल गये….!
मेने भी अपने हॉस्टिल जाने के लिए नेहा से कहा, तो वो मुझे घुड़कते हुए बोली…
बिल्कुल नही… तुम कहीं नही जाओगे… जब तक कि पूरी तरह से ठीक नही हो जाते..इट्स आन ऑर्डर… और ये कह कर वो मुस्कराने लगी…
मे – लेकिन मी लॉर्ड ! मेरे कपड़े तो देखो.. खून से सने हुए हैं.. फ्रेश भी होना है.. तो जाना तो पड़ेगा ही ना…
वो ऑर्डर देते हुए बोली – कोई ज़रूरत नही, अपने रूम की चावी दो मुझे.. मे अभी तुम्हारे कपड़े मँगावती हूँ तुम्हारे रूम से…
मेने हथियार डालते हुए.. अपनी जेब से उसे चावी निकाल कर दी, और अपना रूम नंबर. बताया…
उसने फ़ौरन अपने नौकर को भेज कर मेरे कपड़े मंगवा दिए.. फिर मे वहीं फ्रेश हुआ, जिसमें नेहा ने भी मेरी मदद की,
मुझे फ्रेश करते समय, नहाने के दौरान मेरी कसरती बॉडी को देखकर वो बिना इंप्रेस हुए नही रह पाई…
फिर नेहा ने मुझे दवा दी… और बैठ कर एक दूसरे से गप्पें लगाने लगे…
मुझे नेहा और प्रोफेसर ने एक हफ्ते अपने घर पर ही रखा… इन दिनो में नेहा हर संभव मेरी हर ज़रूरत का ख्याल रखती थी,
यहाँ तक कि शुरू के, एक दो दिन तो उसने अपने हाथों से मुझे फ्रेश होने में मेरी मदद की…
उसके मुलायम हाथों का स्पर्श अपने नंगे बदन पर पाकर में सिहर उठता, और शायद वो भी उत्तेजित होने लगती…..,
कंधे को सेफ रख कर वो मुझे नहलाती भी… उसके बदन की खुसबु, और स्पर्श से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगती..
नहाने के दौरान कुछ पानी उसके कपड़ों को भी गीला कर देता, जिससे उसके कपड़े बदन से चिपक जाते, और उसके बदन के कटाव झलकने लगते..
जिसे देखकर मे और ज़्यादा उत्तेजित होने लगता था, और इकलौते अंडरवेर में मेरा लंड तंबू बनके खड़ा हो जाता.. जिसे वो बड़े गौर से निहारती रहती….
जब मेरी नज़र उसकी नज़रों से टकराती.. तो वो शर्म से अपनी नज़र वहाँ से हटा लेती… और मन ही मन मुस्करा उठती…
मेरी हाइट उससे कुछ ज़्यादा ही थी, तो जब वो तौलिए से मेरे सर को सुखाती, तो उसे अपने हाथ ऊपर करने पड़ते, जिससे उसके मुलायम बूब्स मेरे शरीर से टच हो जाते…,
वो भी शायद उत्तेजित हो जाती थी, जिस कारण से मेरा सर रगड़ने के बहाने अपने बूब्स मेरे बदन के साथ रगड़ देती…
कभी कभी मेरा खड़ा लंड उसकी कमर पर टच हो जाता, तो वो अपने पंजों पर उचक कर उसे अपनी मुनिया पर फील करने की कोशिश करती…
मे जान बूझकर और अपनी गर्दन अकडा देता, तो उसे और ज़्यादा उचकना पड़ता, जिससे मेरा पप्पू उसकी मुनिया के साथ और ज़्यादा खिलवाड़ करने लगता, वो धीरे से सिसक पड़ती..
ऐसी ही प्यार भरी छेड़-छाड़ और खट्टी-मीठी यादों के चलते मेरा एक हफ़्ता उनके घर पर कब निकल गया मुझे पता ही नही चला..
आख़िर कार मे बिल्कुल ठीक होकर एक दिन अपने हॉस्टिल वापस लौट गया….!
अभी मे अपने अतीत के पन्ने पलटने में खोया हुआ कुछ और आगे बढ़ता, कि तभी मुझे भानु की याद आ गयी,…ओये तेरी का !!…
साला में तो भूल ही गया था उसको..., मेने तुरंत अपनी घड़ी . पर नज़र डाली…
यहाँ बैठे बैठे मुझे दो घंटे हो चुके थे, … मे वहाँ से फटाफट भागा और खंडहर मे पहुँचते ही उस कमरे का दरवाजा खोला…
भानु जाग चुका था, और ज़मीन पर बैठा गुस्से में भुन्भुना रहा था…
मुझे देखते ही वो भड़क उठा.., झटके से खड़ा होकर मेरी तरफ लपका, और तेज आवाज़ में गुर्राते हुए बोला – तो तू मुझे यहाँ लाया है हरामजादे…!
अपना बदला लेना चाहता है ना… ? चल मार डाल मुझे.. ,ले-ले अपना बदला..
मेने उसके कंधे पकड़ कर एकदम शांत लहजे में कहा – भानु भैया… शांत हो जाओ…, और ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोचो,
मुझे तुम्हें मार कर ही बदला लेना होता तो यहाँ लाने की ज़रूरत ही क्या थी, और क्यों तुम्हें होश में आने देता…
जब चाहता, तुम्हारा गेम बजा सकता था…क्यों कुछ ग़लत कह रहा हूँ मे .. ?
वो सोचने लगा, मेरी बात भी सही थी… फिर क्या वजह है, जो मे उसे यहाँ उठा लाया था, यही सब सोचने लगा वो, जब किसी नतीजे पर नही पहुँच पाया तो आख़िर में पुच्छने लगा…
तो इस तरह यहाँ क्यों लेकर आए हो मुझे…?
मे – देखो भानु भैया..! तुम्हारे पिताजी ने मेरे घर आकर तुम्हारे कुकार्मों की एक बार माफी माँगी थी,… और अश्वाशन दिया था कि आइन्दा ऐसा कुछ भी तुम हमारे साथ नही करोगे…
और भविष्य में दोनो परिवारों के बीच संबंध अच्छे रहें, इसकी भरसक कोशिश करते रहेंगे…
बावजूद इसके तुमने वो घिनोना काम कर दिया.. जो किसी भी डिस्कनारी में माफी के लायक नही है, ऊपर से तुमने मुझे मारने के लिए गुंडे भी भेजे..
फिर भी मेने सोचा कि चलो कोई बात नही, अपने इलाक़े के ज़मींदार की इज़्ज़त का सवाल है, अब उन्हें कोई तकलीफ़ है, तो आपस में मिल बैठ कर सुलटा लेते हैं….!
मुझे ये भी पता था कि तुम सीधी तरह से मेरे साथ बात करने वाले थे नही, तो इसलिए तुम्हें यहाँ इस तरह लाना पड़ा…!
अब इसमें तुम्हें कोई तकलीफ़ हुई हो तो माफ़ करना…
वैसे जिस तरह से मुझे तुम्हारे खानदान की इज़्ज़त की फिकर है, क्या उसी तरह तुम्हें भी अपने परिवार की मान –मर्यादा की फिकर है..?
वो एकदम तैश में आते हुए बोला – मे किसी की जान भी ले सकता हूँ, अगर मेरे परिवार की इज़्ज़त पर आँच भी आई तो…
मेने आगे कहा – बहुत अच्छी बात कही तुमने ! सुनकर खुशी हुई.. कि तुम्हें अपनी मान-मर्यादा का इतना ख़याल है…
लेकिन भाई मेरे दूसरे की इज़्ज़त का ज़रा भी ख़याल नही किया तुमने…! क्या दूसरों की कोई इज़्ज़त नही होती..?
वो घमंड के साथ अकड़ कर बोला – हुन्न्ह… ऐसे छोटे-मोटे लोगों की भी कोई इज़्ज़त होती है…, जो तुम उसकी हमारे खानदान से तुलना करने लगे…
मे – तो तुम्हारा कहने का मतलब है, कि तुम्हारी इज़्ज़त, इज़्ज़त है, दूसरे की कोई इज़्ज़त नही…!
मेरी बात सुनकर उसने उपेक्षा से सर घुमा लिया…
फिर मेने अपने मोबाइल में एक फोटो ओपन कर के उसके सामने कर दिया जिसमें
मालती नंग-धड़ंग अपने घुटनों पर बैठी, अपनी चूत में उंगली डाले हुए मेरा लंड चूस रही थी…
मेरा चेहरा तो उसमें था नही… वो फोटो दिखाते हुए मेने कहा – इस फोटो को देख कर बताना… ये कॉन है…?
फोटो देखते ही भानु के होश उड़ गये… उसके होंठ सुख गये, आवाज़ गले में ही अटकी रह गयी…
मेने फिर पूछा – बताओ भानु भैया… ये कॉन है…?
वो हकलाते हुए बोला – य.ये.ये…ये फोटो तुम्हें कहाँ से मिली… और ये लड़का कॉन है…?
मे – मेने इस फोटो के बारे में पूछा है.. क्या तुम इस लड़की को जानते हो…?
वो – नही ! मे नही जानता ये कॉन है…!
मे – चलो कोई नही, फिर तो कोई बात ही नही है…, चलो ऐसा करते हैं, थोड़ा मनोरंजन करवा देता हूँ तुम्हें और मेने मालती के साथ की हुई चुदाई का वीडियो चला दिया,
जिसमें मेरी आवाज़ म्युट की हुई थी, और सिर्फ़ मेरा पिच्छवाड़ा ही दिखाई दे रहा था..,
अगर कहीं मेरा थोबड़ा दिखना होता, वहाँ शेड कर दिया था,
ऑडियो और वीडियो जैसे- 2 चलता गया…, भानु के होश गुम होते गये… गुस्से में उसकी आँखें लाल हो गयी…गला सूखने लगा…
इससे पहले की वो छोटी सी क्लिप ख़तम हो पाती उसके गले से गुर्राहट निकलने लगी.. और वो मेरे मोबाइल की ओर झपटा…
मेने अपना हाथ पीछे खींच लिया…, तो वो गुर्राते हुए बोला – मे तेरा खून पी जाउन्गा हरामजादे…ये कहते ही उसने मेरे ऊपर झपट्टा मारा…
तडाक….मेरा भरपूर तमाचा उसके गाल पर पड़ा…., वो पीछे को उलट गया…, फिर मेने उसका गिरेबान थाम कर एक और तमाचा उल्टे हाथ का दूसरे गाल पर जड़ दिया..
और सर्द लहजे में मेने उससे कहा - जब तुझे पता है, कि तू मेरी झान्टे भी नही उखाड़ सकता तो ये हिमाकत क्यों की…?
दूसरी बात ! जब तू इस लड़की को जानता ही नही.. तो फिर इतना भड़क क्यों रहा है…?
वो चिल्लाते हुए बोला – ये मेरी बीवी है हरामज़ादे… बता ये वीडियो कब और किसके साथ लिया है तूने…?
मे – चिल्लाना बंद कर भानु..! वरना वो गत करूँगा.. कि तेरा बाप भी तुझे पहचानने से इनकार कर देगा…!
इससे पहले कि में तेरे खानदान की इज़्ज़त की और धज्जियाँ उड़ा दूं.. और इस वीडियो को इंटरनेट पर डाउनलोड करूँ,
जिसे सारी दुनिया के मर्द देख-देख कर तेरी मस्त जवान बीवी के बदन को सोच-सोच कर मूठ मारें…!
और अगर फिर भी तुझे अपनी बीवी की इज़्ज़त प्यारी ना हो तो मे इसे अदालत में भी पेश कर सकता हूँ, जहाँ दो मिनिट में ये साबित हो जाएगा की तू कितना बड़ा झूठा है,
तू सारी दुनिया के सामने नंगा हो जाएगा…, फिर बजाते रहना अपने खानदान की इज़्ज़त की धज्जियाँ…
इसलिए अब मेरी बात ध्यान से सुन…अगर तू चाहता है कि ये वीडियो कोई और ना देखे, या अदालत के सामने ना आए…, तो तुझे मेरी कुछ शर्तें माननी पड़ेंगी…
वो झट से मेरी तरफ देखने लगा, उसके पास और कोई चारा नही बचा था, सो अपने कंधे झुका कर हथियार डाल दिए और गिड-गिडाते हुए बोला…
मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है अंकुश, पर इस वीडियो को किसी और को मत दिखाना प्लीज़… वरना मेरे खानदान की इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी…,
हम किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहेंगे, हम बर्बाद हो जाएँगे…
मे – तो अब मेरी शर्तें सुन…
शर्त नंबर. 1 – तुझे राजेश के खिलाफ किया गया केस वापस लेना होगा, ये कह कर कि चाकू मेरी ही ग़लती से लगा था, वो तो सिर्फ़ अपना बचाव कर रहा था…
वो – लेकिन ऐसे तो मे फँस जाउन्गा…
मे – तुझे जैल नही होगी, ये वादा है मेरा, हां कुछ मुआवज़ा ज़रूर देना पड़ेगा… जो तेरे लिए कोई बड़ी बात नही है…
उसने हां में गर्दन हिला दी…
शर्त नंबर. 2 – तू मालती से कुछ नही कहेगा, और उसे एक अच्छे पति की तरह ही रखेगा… अगर तूने उसे कुछ भी नुकसान पहुँचाया तो समझ ले मे क्या कर सकता हूँ…,
वो तुरंत बोल पड़ा – मुझे मंजूर है…
शर्त नंबर. 3 – निशा की इज़्ज़त पर तूने किसी के कहने पर हाथ डाला था, मुझे उसका नाम और कारण चाहिए…
मेरी ये शर्त सुनकर वो सोच में पड़ गया… जब बहुत देर तक उसने कुछ नही बका… तो मेने उसे फिरसे धमकाया…
देख भानु… मुझे पता है… कि ये काम तूने किसी के कहने पर किया था… जिसके लिए तुझे मोटी रकम भी मिली थी…
मेरे मुँह से ये सब सुनकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया… लेकिन फिर भी वो बोला कुछ नही… तो मेने फिर आगे कहा…
अगर तूने सच नही बताया तो ये मत समझना कि मे इसका पता नही लगा पाउन्गा… आज नही तो कल, मे ये जानकार ही रहूँगा कि इस सब के पीछे कॉन है…
लेकिन उस सूरत में मेरी कोई गारंटी नही होगी, कि ये वीडियो कोई और ना देख पाए.. तो बेहतर होगा..कि तू इस काम में मेरी मदद कर…
जब सारे रास्ते बंद होते दिखाई दिए तो वो किसी तोते की तरह शुरू हो गया… और उसने सारा राज उगल दिया…. जिसे सुन कर मेरी आँखें फटी रह गयीं…!
मेने भानु को उसकी बिल्डिंग के पास छोड़ा, उसके बाद अपनी बुलेट रानी को घर की तरफ दौड़ा दिया…!
रास्ते में एक बस स्टॉप था, जब मे वहाँ से गुजर रहा था, तो दूर से ही मुझे बीच सड़क पर एक औरत खड़ी दिखाई दी, जो अपने दोनो हाथ ऊपर कर के मुझे रुकने का इशारा कर रही थी…
जैसे ही मे थोड़ा उसके नज़दीक पहुँचा, तो उसे देखते ही मे चोंक पड़ा…, और गाड़ी उसके पास लेजा कर रोड की साइड में खड़ी कर के बोला – अरे वर्षा भौजी आप और यहाँ…?
तब तक उसका पति रवि, बेटे को गोद में लिए वहाँ आ पहुँचा..! मेने उसे देखते हुए कहा-
अरे वाह ! आज तो मियाँ-बीवी दोनो ही शहर में, क्या बात है, भाई… भौजी को साथ रखने लगे हो क्या..?, ये बहुत अच्छा किया आपने…,
कम से कम दोनो साथ रहोगे तो आपस में प्यार बढ़ेगा, और आपको भी खाने-पीने की चिंता नही रहेगी…!
इससे पहले की रवि कुछ बोलता, की वर्षा मुँह बीसूरते हुए बोली – उउन्न्नह…ऐसी अपनी किस्मेट कहाँ देवेर्जी, जो ये हमें शहर में रख सकें… !
वो तो बिट्टू को बड़े हॉस्पिटल में दिखाने लाए थे, इसलिए आ गयी, वरना तो वहीं चूल्हे चौके में ही सारी जिंदगी निकल जाएगी मेरी तो…!
मेने चिंतित होते हुए पूछा – अरे क्या हुआ बिट्टू को..? मुझे बताती, मे अच्छे हॉस्पिटल में दिखा देता, मेरी पहचान की डॉक्टर भी है यहाँ सहयोग में…!
रवि – वहीं दिखाया था, कई दिनो से फीवर था इसको, जा ही नही रहा था, पिताजी ने मुझे खबर भेजी, तब मे इन दोनो को ले आया…! वैसे अब ठीक है ये..!
मे – तो अब दो-चार दिन तो और रखोगे भौजी को यहाँ शहर में…!
रवि – अरे भाई कहाँ से रखूं, इतनी जगह ही नही है, शेरिंग में एक कमरा ले रखा है दूसरे एक दोस्त के साथ…!
अभी सोच ही रहा था, कि इन दोनो को गाँव छोड़कर कैसे जल्दी आउ, नाइट शिफ्ट भी करनी है आज…!
तुम्हारी बुलेट की आवाज़ सुनकर वर्षा ही बोली, की शायद ये तो अंकुश देवर्जी की गाड़ी की आवाज़ लगती है, सो इसने रोक लिया…
अब अगर तुम गाँव की तरफ जा रहे हो तो इन दोनो को भी ले जाओ प्लीज़…, मेरी परेशानी बच जाएगी, और आज रात की शिफ्ट भी कर लूँगा…
मे – अरे रवि भैया…, इसमें प्लीज़ कहने की क्या ज़रूरत है, मे तो जा ही रहा हूँ गाँव, ले जाउन्गा, फिर मेने वर्षा की तरफ मुस्कराते हुए कहा-
लेकिन क्या भौजी मेरे साथ आना चाहेंगी…?
वो मेरी मज़ाक को समझते हुए मेरी तरफ देखकर शरारत के साथ इठलाते हुए बोली – हुनह…मे ऐसे ही किसी के साथ कैसे चली जाउ..,
रवि उसकी बात सुनकर हड़बड़ाते हुए बोला…अरे ! ये कैसी बात कर रही हो तुम, अंकुश अपने घर के मेंबर जैसा है, तुम इसके ऊपर शक़ कर रही हो…?
वर्षा और अपने पति की परेशानी बढ़ाते हुए बोली – शक़ की क्या बात है, ये गबरू जवान आदमी, मे बेचारी अकेली जान, कहीं इनकी नीयत बदल गयी तो, ये कहकर उसने मेरी तरफ एक आँख मार दी…!
रवि बैचैन सा होकर बोला– ये कैसी बातें कर रही हो तुम… पागल तो नही हो गयी कहीं…?
इतने भले परिवार का लड़का है, और अभी-अभी शादी हुई है इसकी…
इसपर ऐसा इल्ज़ाम लगा रही हो.. कुछ तो लिहाज करो.. ये बेचारा तो हमारी मदद कर रहा है, और तुम उसी पर शक़ कर रही हो…
मे अपनी बुलेट रानी की सीट पर बैठा, उन दोनो मियाँ बीवी की नोक-झोंक का मज़ा लेते हुए मन ही मन मुस्करा रहा था…!
वर्षा ने एक बार मेरी तरफ तिर्छि नज़र से देखा, जिसमें एक प्रणय निवेदन छिपा था, फिर वो अपने बेटे से बोली – अच्छा तू बता बिट्टू, इन अंकल के साथ गाँव चलें क्या..?
बिट्टू तपाक से बोला - हां मम्मी, मे तो अंकल के साथ ही जाउन्गा, ये अंकल मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मुझे बहुत प्यार करते हैं…!
रवि – देखा ! बिट्टू भी अच्छे बुरे को समझता है, और तुम हो की…
वो बेचारा अभी अपनी बात ठीक से ख़तम भी नही कर पाया था, कि वर्षा मुँह मटकाते हुए बोली – ठीक है, ज़्यादा सफाई देने की ज़रूरत नही है, चले जाएँगे हम इनके साथ, आप अपनी ड्यूटी करो…
ये बात उसने ऐसे अंदाज में कही मानो, कोई बहुत बड़ा एहसान कर दिया हो बेचारे के ऊपर…
मेने बिट्टू को अपने आगे बिठाया, और वर्षा रानी मेरे पीछे ऐसे बैठ गयी, जैसे कोई बहुत बड़ी पतिव्रता स्त्री, मजबूरी में किसी के साथ बैठ कर जा रही हो…
रवि को बाइ बोलकर हम वहाँ से चल दिए, वो जैसे ही वर्षा की आँखों से ओझल हुआ, कि वो पट्ठी मेरी पीठ से किसी छिपकलि की तरह चिपक गयी…
और मेरे गले पर किस कर के मेरे कान में फुफुसा कर बोली – बिट्टू के पापा ! बहुत दिनो में हाथ आए हो, आज नही छोड़ूँगी तुम्हें…
मेने थोड़ा सर उसकी तरफ मोड़ कर कहा – ये क्या कह रही हो..? बिट्टू साथ में है, कैसे वो सब….?
वो ठुनक कर बोली – वो सब मुझे कुछ नही पता, बस आज होना है तो होना है..चाहे कैसे भी करो…!
मेने गाड़ी चलाते हुए ही सारा प्लान बना लिया था, फिर दोनो माँ बेटों को एक अच्छी सी दुकान में ले गया, उनके मन पसंद के कपड़े दिलवाए…
फिर कुछ और शॉपिंग करवाई, बिट्टू को खिलौने दिलवाए, दोनो बहुत खुश हो गये…, उसके बाद एक पार्क में ले जाकर घुमाया, बिट्टू को झूलों पर झूलाया..
शाम तक उन्हें शहर घुमाकर एक होटेल में ले गया, और एक रूम रात भर के लिए किराए पर लेकर रात गुजारने की सोची…
मेरी प्लॅनिंग देखकर वर्षा भाव-भिभोर हो गयी…
कमरे में आकर फ्रेश हुए, जल्दी खाना खाया, खाना खाते हुए मेने बिट्टू से पूछा – बिट्टू बेटा ! कैसा लगा अपने अंकल के साथ घूमकर…
उसने जबाब देने से पहले मेरे बगल में खड़े होकर गाल पर किस किया और तब बोला – थॅंक यू अंकल, बहुत मज़ा आया मुझे…!
मे – लेकिन बेटा अंकल की एक बात मानोगे..? वो मेरी तरफ देखने लगा, मानो पुच्छ रहा हो कि क्या..?
मेने कहा – मे तुम्हें ऐसे ही खिलौने और चॉकलेट खिलाया करूँगा अगर ये बात किसी को नही बताओगे तो, कि तुमने आज मेरे साथ मज़ा किया…
उसने अपना सर हिलाकर हामी भर दी, फिर सारे दिन की भागदौड़, और बिट्टू की तबीयत अभी भी थोड़ी नाज़ुक थी, सो दवा देकर वो टॅप से सो गया…!
वर्षा इसी पल के इंतेज़ार में थी, सो उसके सोते ही वो मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गयी, चुंबनों से उसने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया और नम आँखों से बोली…
थॅंक यू देवर जी, आज मेरी इच्छा का सम्मान कर के आपने साबित कर दिया कि अभी भी आपके दिल में हमारे लिए कितना प्यार है…!
आज हमारे बेटे ने भी जाना है, कि माँ-बाप का बच्चों के प्रति कैसा प्यार होना चाहिए…, बेचारा ऐसे प्यार के लिए कब्से तड़प रहा था…!
मेने उसे अपनी बाहों में भरकर उसके रसीले होंठों को चूमकर कहा – लेकिन बिट्टू को समझा देना कि ये सब बातें वो घर पर किसी को ना बताए, वरना खम्खा सब लोग शक़ करेंगे..!
वो मेरे बालों भरे सीने में अपनी उंगलिया घूमाते हुए बोली – वो सब आप मुझपर छोड़ दो, वैसे भी मे घर में किसी की परवाह नही करती..
ये कहकर वो मेरे लंड को नंगा कर के अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी…
कुछ ही पलों में हम दोनो के शरीर से कपड़े गायब हो गये…वर्षा इतनी चुदासी हो रही थी, उससे सब्र करना दूभर हो रहा था,
सो मुझे पलंग पर धक्का देकर, मेरे मूसल जैसे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी रस से लब-लबा रही चूत के मुँह पर रखा, और उसपर बैठती चली गयी..!
बहुत दिनो बाद वो मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी, सो जब मेरा मोटा सोट जैसा लंड उसकी कसी हुई चूत को चीरता हुआ अंदर गया…
दर्द की एक लहर उसके बदन में दौड़ गयी, लेकिन उसने अपने होंठों को कसकर भींच लिया, और धीरे-2 कर के मेरे पूरे लंड को अपनी चूत में निगल लिया…
फिर हाँफती हुई सी वो मेरे ऊपर लेट गयी, और मेरे होंठों को चूमकर बोली – आअहह…..कितने दिनो से राह देख रही थी इसकी…असल लंड तो ये है…
अबतक तो जैसे उंगली से ही काम चला रही थी…, आज मुझे इतना प्यार दो मेरे राजा, कि मे सारी दुनिया को भूल जाउ…
फिर उसने धीरे – 2 मेरे लंड पर उठना-बैठना शुरू किया…मेने उसकी गदराई हुई गोल-गोल दूध जैसी गोरी-गोरी मखमल जैसी मुलायम चुचियों को अपने हाथों में भर लिया…
चुचियों को मीजते ही वो सिसकियाँ भरने लगी और अपनी कमर को तेज़ी से चलाने लगी…
उसकी कसी हुई चूत मारने में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था…
उस रात वर्षा, ना तो खुद सोई, और ना ही मुझे सोने दिया.. सारी रात अलग-अलग तरीकों से मेने उसकी सालों पुरानी प्यास को बुझा दिया…!
कितनी ही देर वो सुबक्ते हुए मेरे सीने पर पड़ी रही…फिर जब लगा कि अब बिट्टू जागने वाला है, तब हम दोनो अलग हुए…
फ्रेश होकर चाय नाश्ता किया और उन दोनो माँ-बेटों को अपनी बुलेट पर बिठाकर गाँव की तरफ चल दिया…!
आज राजेश के केस की सुनवाई थी…, एक दिन पहले मे राजेश को लेकर उनकी ससुराल गया….
उनके जैल जाने के बाद ही उनकी पत्नी भी घर छोड़कर अपने मायके जाकर बैठ गयी थी.. जो ये दर्शाता था, कि उसको भी अपने पति पर विश्वास नही था…
राजेश तो जाने से ही मना कर रहे थे, लेकिन मेरे और वाकी लोगों के समझाने के बाद वो जाने के लिए तैयार हुए…
राजेश की पत्नी शर्मिंदगी के मारे नज़र चुरा रही थी… मेने उससे कहा –
भाभी जी, पति पत्नी के रिश्ते की नींव एक अटूट विश्वास पर टिकी होती है.. भले ही दुनिया उसके पति के खिलाफ खड़ी क्यों ना हो जाए, अगर उसकी पत्नी उसके साथ है तो वो हर कठिनाई का मुकाबला कर सकता है…
लेकिन आपने तो उनका साथ उस समय पर छोड़ दिया, जब उन्हें आपके साथ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, क्या सात फेरों में यही वचन याद किए थे आपने…?
वो रोते हुए बोली – मुझे माफ़ कर दीजिए जीजा जी… मेने इन पर विश्वास नही किया… अब मे अपने बच्चे की कसम खाती हूँ आइन्दा ऐसी ग़लती कभी नही होगी..
और वो राजेश के पैरों में गिर पड़ी, रोते गिड-गिडाते हुए माफी माँगने लगी.. राजेश ने मेरी तरफ देखा…
मेने इशारा किया.. तो उसने उसके कंधे पकड़ कर उठाया.. और उसके आँसू पोन्छ्ते हुए कहा – कोई बात नही नीलू ग़लती इंसान से ही होती है…
फिर वो हमारे साथ ही विदा होकर आ गयी.., राजेश भाई उसे अपने घर लेगये…
दूसरे दिन कोर्ट में…………….,
अब मात्र फॉरमॅलिटीस ही वाकी थी, मुझे पता था भानु अपनी ग़लती मान कर केस वापस ले लेगा..
और हुआ भी यही…, पोलीस कोई सबूत दे नही पाई, और भानु ने अपना गुनाह कबूल कर लिया…
कोर्ट ने उसे गुमराह करने के जुर्म में 10 लाख जुर्माने के तौर पर रकम राजेश को देने के लिए कहा.. जो उसने मान लिया…
सूर्या प्रताप इसके लिए तैयार नही था, वो तो अपने लड़के द्वारा लिए गये इस निर्णय के ही खिलाफ था, फिर ना जाने भानु ने उसे क्या कहा कि वो भी ठंडा पड़ गया…
राजेश को कोर्ट ने बा-इज़्ज़त बरी कर दिया… सभी खुश थे…
लेकिन मे इस जड्ज्मेंट से खुश नही था, इसलिए मेने पोलीस पर मान हानि का केस डाल दिया… जिसकी लापरवाही, या कहें मुजरिम का साथ देने का मामला बनाया गया…
उस समय कोर्ट में उस एरिया का इनस्पेक्टर ही उपस्थित था… जिसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी…
जड्ज साब ने पोलीस को फटकार लगाते हुए… मामले पर सफाई देने को कहा… और जल्दी से जल्दी अगली तारीख मुक़र्रर कर दी…
घर के सभी बड़े लोगों ने मुझे समझाने की कोशिश की लेकिन मेने उनसे कहा… कि राजेश भाई को सताने वालों को अपनी करनी का ख़ामियाजा भुगतना ही होगा…
मेरी पहली सफलता जो कि पहली ही सुनवाई में एक 307 के केस को रफ़ा दफ़ा करा दिया था.. पूरे डिस्टिक लेवल पर फैल गयी… और लोगों की ज़ुबान पर मेरा नाम आने लगा…
अब मेने डिसाइड कर लिया कि मुझे यहीं रह कर अपनी प्रॅक्टीस शुरू कर देनी चाहिए..
अपने गुरु की पर्मिशन और आशीर्वाद लेकर, डिस्टिक कोर्ट के बाहर मेने भी अपनी दुकान जमा दी… और एक लड़के को वहाँ बिठा दिया………!
एक रोज़ सनडे का दिन था, हम सभी चौपाल पर बैठे ऐसे ही घर गाँव की चर्चा कर रहे थे आपस में,
भैया और बाबूजी के अलावा छोटे और मनझले चाचा और उनका बेटा सोनू भी थे..
तभी हमें पोलीस सायरेन की आवाज़ सुनाई दी जो धीरे- 2 हमारे घर की तरफ ही बढ़ रही थी…
हम सब चौपाल की तरफ आने वाले रास्ते पर देखने लगे… मुझे कुछ- 2 संभावना थी इसकी, लेकिन वाकी लोगों को ये किसी अनिष्ट की आशंका लग रही थी सो बाबूजी बोल पड़े..
अब ये पोलीस हमारे यहाँ क्यों आ रही है…?
मे – आने दीजिए बाबूजी… ? उन्हें हमसे कोई काम होगा..?
भैया – लेकिन हमसे पोलीस को अब क्या काम पड़ गया… पहले तो कभी आई नही..
मे – आप लोग इतने चिंतित क्यों हो रहे हैं.. आने दीजिए, देखते हैं.. क्या काम है…!
इतने में सिटी एसपी की कार, उसके पीछे को की जीप और एक लोकल थाने की जीप हमारे चौपाल के पास आकर रुकी…
पोलीस की तीन-2 गाड़ियों को हमारे यहाँ आया देख मोहल्ले के दूसरे लोग भी आ गये…
एसपी की गाड़ी से कृष्णा भैया..उतर कर चौपाल पर आए… पीछे – 2 अन्य पोलीस वाले भी थे…
हमने सबके बैठने की लिए कुर्सी डाल दी… लेकिन वो अपने ऑफीसर के सामने बैठ नही सकते थे… सो आकर खड़े हो गये…
भैया ने बाबूजी के पाँव छुये… मुझे ये देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ कि उन्होने भैया और वाकी बड़ों के पैर नही छुये…
खैर मेने बड़े भाई के नाते उनके पैर छुये… तो वो कॉँमेंट पास करते हुए बोले – अरे आप रहने दीजिए वकील साब… वरना और कोई केस लाद देंगे हमारे ऊपर…
बाबूजी को उनकी ये बात नागवार गुज़री, अतः वो थोड़े नाराज़गी वाले स्वर में बोले–
आते ही ऐसी बातें ना करो कृष्णा.. वो छोटे भाई के नाते तुम्हारे पैर लग रहा है…, पद के घमंड में तुम तो अपने बड़ों को भूल ही गये हो…
बाबूजी की बात सुनकर वो खिसियानी सी हसी हँसते हुए बोले – ऐसा कुछ नही है बाबूजी.. और फिर भैया और चाचों के भी पैर छु लिए…
फिर बाबूजी ने मुझसे कहा – जा बेटा, अंदर जा कर सबके लिए चाय पानी का इंतेज़ाम करवा दे…
मे अंदर जाने लगा तो कृष्णा भैया ने रोकते हुए कहा – चाय –वाय रहने दे अंकुश, तू यहीं बैठ, मुझे तुमसे ही बात करनी थी…
मे – बस 10 मिनिट की बात है, तब तक आप बाबूजी से बात करिए.. मे अभी चाय लेकर आता हूँ..
इतना कहकर मे अंदर गया, तो भाभी ने पुच्छ लिया – ये बड़े देवर जी क्यों आए हैं अब यहाँ…?
मे – आपको तो पता ही है, पोलीस बिना गर्ज के तो आती नही है… मुझसे ही काम है.. नाक में नकेल जो डाल रखी है मेने…
निशा – मुझे तो डर लग रहा है दीदी… कहीं कुछ गड़बड़ ना हो…
मेने हँसते हुए कहा – तुम किधर से पढ़ लिख गयी हो यार निशु… इतना भी नही समझती.. कि मेने पोलीस के ऊपर मानहानि का केस किया हुआ है.. तो डर किसको होगा…?
भाभी – पोलीस का कोई भरोसा नही होता है लल्ला जी… कब क्या केस लगा दे..
मे – आप चिंता छोड़ो, और फिलहाल 8-10 चाय का जल्दी से इंतेज़ाम करो… वाकी सब अपने इस लाड़ले पर छोड़ दो… मे सब संभाल लूँगा…
मे जब चाय लेकर बाहर आया, सबको चाय सर्व की, फिर चाय पीते हुए बाबूजी बोले – बेटा छोटू, कृष्णा का कहना है, कि तुमने पोलीस के ऊपर जो केस किया है, उसे वापस ले लो..
सुनकर मेरे चहरे पर मुस्कान आ गयी.. और मेने उनसे कहा – आप क्या कहते हो बाबूजी… क्या मेने कुछ ग़लत किया है…?
पोलीस की ग़लती की वजह से एक इंसान को 6-7 महीने जैल में काटने पड़े… उसके परिवार को कितनी मुशीवतें उठानी पड़ी…
यही नही.. आप लोग कितने परेशान रहे.. राजेश भाई की बीवी अपने बच्चे को लेकर चली गयी… उसको नौकरी से निकाल दिया गया… किसकी वजह से, क्या ये ग़लत नही हुआ उनके साथ…?
एक तरह से उनकी पूरी लाइफ बरवाद हो गयी, किसकी ग़लती की वजह से..?
कृष्णा – मे मानता हूँ भाई… कि राजेश के साथ ग़लत हुआ है… और उसके लिए मेने उस सारे स्टाफ को लाइन हाज़िर कर दिया है…
मे – वाह भैया… वाह ! क्या सज़ा दी है. उन चोरों को आपने जिन्होने सूर्य प्रताप से पैसे खाकर एक निर्दोष को फसाया… और उसे जैल में सड़ने पर मजबूर कर दिया..
ऐसा कर के तो आपने अपने चम्चो की गिनती ही बढ़ा ली है…
वो – इससे ज़्यादा मे उन्हें सज़ा नही दे सकता था… लेकिन अब इस केस का सीधा असर मेरे ऊपर पड़ सकता है, इस सबका मुझे ही जबाब देना पड़ रहा है… ये तो तुम भी जानते हो..
मे – तो क्या आप ज़िम्मेदार नही हो इसके..? आज आप भाई के रिश्ते की दुहाई दे रहे हो, उस दिन तो बाबूजी का भी मान नही रखा था आपने… और कोर्ट की दुहाई देकर चले गये थे…
क्या मे ये भी समझाऊ कि उस वक़्त आप क्या कर सकते थे, या आपको पता नही था, कि आपकी पोलीस क्या कर रही है..?
वो – तू कहना क्या चाहता है.. कि मेने इसे जानबूझ कर नज़र अंदाज़ किया था…?
मे – बिल्कुल ! मे यही कहना ही नही चाहता… बल्कि कह रहा हूँ…! अगर आप चाहते तो राजेश भाई एक दिन भी जैल में नही रहते… लेकिन आपने ऐसा नही किया…
वो – मे भला ऐसा क्यों चाहूँगा… वो मेरा भी रिश्तेदार है…
मे – एग्ज़ॅक्ट्ली ! यही तो वो कारण था, जिसने आपको हम लोगों की मदद करने से रोक दिया था…,
और वो वजह मे जानता हूँ… तो बेहतर होगा… कि अब हम कोर्ट में ही मिलें….!
मेरी कोर्ट में मिलने की धमकी से कृष्णा भैया सकपका गये, उनके चेहरे पर मायूसी छा गयी…
उन्होने अपने मात-हतों को बाहर भेज दिया…, और गिड गिडाते हुए बोले….
मे मानता हूँ मुझसे ग़लती हुई थी, और वो भी किसी के दबाब में आकर, अब मे तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ…
किसी तरह अपने भाई की इज़्ज़त बचा ले भाई…, वरना तू तो जानता है, कि अगर ये मामला कोर्ट के थ्रू सेट्ल हुआ तो मुझे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है…
उनकी गिड-गिडाहट देख कर बाबूजी समेत वाकी के चेहरों पर दया के भाव दिखाई देने लगे… फिर भी उनमें से किसी ने हमारे बीच में बोलने की कोई कोशिश नही की…
मेने फिर भी अपने अटॅक जारी रखते हुए कहा – ये बात आपको पहले सोचनी चाहिए थी एसपी साब, अगर मे ये केस अपने हाथ में ना लेता तो क्या फिर भी आप इसी तरह अफ़सोस जताते..?
इस घर ने क्या नही दिया आपको, पढ़ाया लिखाया, इस काबिल बनाया और आप बाबूजी की बात को भी दरकिनार कर के अपने ऊपर के प्रेशर में आ गये…
वैसे बताना चाहेंगे… कि वो प्रेशर किधर से आया था…?
वो मेरी बात सुनकर सकपका गये… जल्दी ही कोई जबाब नही सूझा उन्हें,… मेने फिरसे चोट करदी…या मे बताऊ, वो प्रेशर किधर से आया था…?
उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी… गिड-गिडाते हुए मेरा हाथ पकड़ा.. और मुझे एक तरफ को लेकर चल दिए…
सब लोगों से दूर मुझे एक कोने में ले जाकर बोले – मेरी इज़्ज़त बचा ले भाई… वादा करता हूँ.. फिर कभी अपने परिवार के खिलाफ नही जाउन्गा…
कामिनी की बातों में आकर मेने बहुत बड़ी भूल कर दी,…एक बार माफ़ कर्दे यार ! अपने भाई का कुछ तो मान रखले…
मे – ठीक है भैया, मे अपना केस वापस लेने को तैयार हूँ… लेकिन मेरी एक बात का जबाब देना होगा आपको…
प्रोफ़ेसर – बेटी ये अंकुश शर्मा है, मेरा सेकेंड एअर का बहुत होनहार स्टूडेंट… देखो एश्वर ने क्या संयोग रचा.. कि इसे वहाँ तुम्हारी मदद के लिए भेज दिया…
इसकी जगह कोई और होता तो शायद वो वहाँ रुकता ही नही…हमें इसका एहसानमंद होना चाहिए…
मे – सर ! ये कह कर आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं… मे नही जानता था, कि ये आपकी बेटी हैं…
बस मेरे जमीर ने कहा.. कि मुझे इनकी मदद करनी चाहिए.. सो वहाँ रुक गया…और जो बन पड़ा वो किया…
नेहा – नही ! तुमने जिस साहस और दिलेरी से उन गुण्डों का सामना किया, ये हर किसी के बस की बात नही थी… थॅंक यू वेरी मच अंकुश..! मे तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी..
मे – आप भूल रही हैं नेहा जी, थॅंक यू तो मुझे कहना चाहिए आपको, कि आपकी दिलेरी और सूझ-बुझ के कारण आज मे यहाँ जिंदा बैठा हूँ…
प्रोफेसर और उनकी पत्नी यानी नेहा की मम्मी किनकर्तव्यविमूढ़ से हम दोनो की बातें सुन रहे थे… तो मेने उन्हें सारा वाकीया डीटेल में बता दिया…
वो दोनो अपनी बेटी को प्रशंसा भरी नज़रों से देख रहे थे… फिर वो बोले – चलो अच्छा हुआ कि तुम दोनो ने ही मिलकर एक दूसरे की मदद की…
लेकिन बेटे.. ये बात भी अपनी जगह बहुत मायने रखती है कि, तुमने जो एक अंजान लड़की के लिए किया है, आज के जमाने में कोई किसी के लिए अपनी जान जोखिम में नही डालता…!
इन्ही बातों के दौरान हम सबने नाश्ता किया… नेहा की मम्मी किसी एनजीओ के लिए काम करती थी, कुछ देर बाद वो दोनो अपने-अपने काम पर निकल गये….!
मेने भी अपने हॉस्टिल जाने के लिए नेहा से कहा, तो वो मुझे घुड़कते हुए बोली…
बिल्कुल नही… तुम कहीं नही जाओगे… जब तक कि पूरी तरह से ठीक नही हो जाते..इट्स आन ऑर्डर… और ये कह कर वो मुस्कराने लगी…
मे – लेकिन मी लॉर्ड ! मेरे कपड़े तो देखो.. खून से सने हुए हैं.. फ्रेश भी होना है.. तो जाना तो पड़ेगा ही ना…
वो ऑर्डर देते हुए बोली – कोई ज़रूरत नही, अपने रूम की चावी दो मुझे.. मे अभी तुम्हारे कपड़े मँगावती हूँ तुम्हारे रूम से…
मेने हथियार डालते हुए.. अपनी जेब से उसे चावी निकाल कर दी, और अपना रूम नंबर. बताया…
उसने फ़ौरन अपने नौकर को भेज कर मेरे कपड़े मंगवा दिए.. फिर मे वहीं फ्रेश हुआ, जिसमें नेहा ने भी मेरी मदद की,
मुझे फ्रेश करते समय, नहाने के दौरान मेरी कसरती बॉडी को देखकर वो बिना इंप्रेस हुए नही रह पाई…
फिर नेहा ने मुझे दवा दी… और बैठ कर एक दूसरे से गप्पें लगाने लगे…
मुझे नेहा और प्रोफेसर ने एक हफ्ते अपने घर पर ही रखा… इन दिनो में नेहा हर संभव मेरी हर ज़रूरत का ख्याल रखती थी,
यहाँ तक कि शुरू के, एक दो दिन तो उसने अपने हाथों से मुझे फ्रेश होने में मेरी मदद की…
उसके मुलायम हाथों का स्पर्श अपने नंगे बदन पर पाकर में सिहर उठता, और शायद वो भी उत्तेजित होने लगती…..,
कंधे को सेफ रख कर वो मुझे नहलाती भी… उसके बदन की खुसबु, और स्पर्श से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगती..
नहाने के दौरान कुछ पानी उसके कपड़ों को भी गीला कर देता, जिससे उसके कपड़े बदन से चिपक जाते, और उसके बदन के कटाव झलकने लगते..
जिसे देखकर मे और ज़्यादा उत्तेजित होने लगता था, और इकलौते अंडरवेर में मेरा लंड तंबू बनके खड़ा हो जाता.. जिसे वो बड़े गौर से निहारती रहती….
जब मेरी नज़र उसकी नज़रों से टकराती.. तो वो शर्म से अपनी नज़र वहाँ से हटा लेती… और मन ही मन मुस्करा उठती…
मेरी हाइट उससे कुछ ज़्यादा ही थी, तो जब वो तौलिए से मेरे सर को सुखाती, तो उसे अपने हाथ ऊपर करने पड़ते, जिससे उसके मुलायम बूब्स मेरे शरीर से टच हो जाते…,
वो भी शायद उत्तेजित हो जाती थी, जिस कारण से मेरा सर रगड़ने के बहाने अपने बूब्स मेरे बदन के साथ रगड़ देती…
कभी कभी मेरा खड़ा लंड उसकी कमर पर टच हो जाता, तो वो अपने पंजों पर उचक कर उसे अपनी मुनिया पर फील करने की कोशिश करती…
मे जान बूझकर और अपनी गर्दन अकडा देता, तो उसे और ज़्यादा उचकना पड़ता, जिससे मेरा पप्पू उसकी मुनिया के साथ और ज़्यादा खिलवाड़ करने लगता, वो धीरे से सिसक पड़ती..
ऐसी ही प्यार भरी छेड़-छाड़ और खट्टी-मीठी यादों के चलते मेरा एक हफ़्ता उनके घर पर कब निकल गया मुझे पता ही नही चला..
आख़िर कार मे बिल्कुल ठीक होकर एक दिन अपने हॉस्टिल वापस लौट गया….!
अभी मे अपने अतीत के पन्ने पलटने में खोया हुआ कुछ और आगे बढ़ता, कि तभी मुझे भानु की याद आ गयी,…ओये तेरी का !!…
साला में तो भूल ही गया था उसको..., मेने तुरंत अपनी घड़ी . पर नज़र डाली…
यहाँ बैठे बैठे मुझे दो घंटे हो चुके थे, … मे वहाँ से फटाफट भागा और खंडहर मे पहुँचते ही उस कमरे का दरवाजा खोला…
भानु जाग चुका था, और ज़मीन पर बैठा गुस्से में भुन्भुना रहा था…
मुझे देखते ही वो भड़क उठा.., झटके से खड़ा होकर मेरी तरफ लपका, और तेज आवाज़ में गुर्राते हुए बोला – तो तू मुझे यहाँ लाया है हरामजादे…!
अपना बदला लेना चाहता है ना… ? चल मार डाल मुझे.. ,ले-ले अपना बदला..
मेने उसके कंधे पकड़ कर एकदम शांत लहजे में कहा – भानु भैया… शांत हो जाओ…, और ज़रा ठंडे दिमाग़ से सोचो,
मुझे तुम्हें मार कर ही बदला लेना होता तो यहाँ लाने की ज़रूरत ही क्या थी, और क्यों तुम्हें होश में आने देता…
जब चाहता, तुम्हारा गेम बजा सकता था…क्यों कुछ ग़लत कह रहा हूँ मे .. ?
वो सोचने लगा, मेरी बात भी सही थी… फिर क्या वजह है, जो मे उसे यहाँ उठा लाया था, यही सब सोचने लगा वो, जब किसी नतीजे पर नही पहुँच पाया तो आख़िर में पुच्छने लगा…
तो इस तरह यहाँ क्यों लेकर आए हो मुझे…?
मे – देखो भानु भैया..! तुम्हारे पिताजी ने मेरे घर आकर तुम्हारे कुकार्मों की एक बार माफी माँगी थी,… और अश्वाशन दिया था कि आइन्दा ऐसा कुछ भी तुम हमारे साथ नही करोगे…
और भविष्य में दोनो परिवारों के बीच संबंध अच्छे रहें, इसकी भरसक कोशिश करते रहेंगे…
बावजूद इसके तुमने वो घिनोना काम कर दिया.. जो किसी भी डिस्कनारी में माफी के लायक नही है, ऊपर से तुमने मुझे मारने के लिए गुंडे भी भेजे..
फिर भी मेने सोचा कि चलो कोई बात नही, अपने इलाक़े के ज़मींदार की इज़्ज़त का सवाल है, अब उन्हें कोई तकलीफ़ है, तो आपस में मिल बैठ कर सुलटा लेते हैं….!
मुझे ये भी पता था कि तुम सीधी तरह से मेरे साथ बात करने वाले थे नही, तो इसलिए तुम्हें यहाँ इस तरह लाना पड़ा…!
अब इसमें तुम्हें कोई तकलीफ़ हुई हो तो माफ़ करना…
वैसे जिस तरह से मुझे तुम्हारे खानदान की इज़्ज़त की फिकर है, क्या उसी तरह तुम्हें भी अपने परिवार की मान –मर्यादा की फिकर है..?
वो एकदम तैश में आते हुए बोला – मे किसी की जान भी ले सकता हूँ, अगर मेरे परिवार की इज़्ज़त पर आँच भी आई तो…
मेने आगे कहा – बहुत अच्छी बात कही तुमने ! सुनकर खुशी हुई.. कि तुम्हें अपनी मान-मर्यादा का इतना ख़याल है…
लेकिन भाई मेरे दूसरे की इज़्ज़त का ज़रा भी ख़याल नही किया तुमने…! क्या दूसरों की कोई इज़्ज़त नही होती..?
वो घमंड के साथ अकड़ कर बोला – हुन्न्ह… ऐसे छोटे-मोटे लोगों की भी कोई इज़्ज़त होती है…, जो तुम उसकी हमारे खानदान से तुलना करने लगे…
मे – तो तुम्हारा कहने का मतलब है, कि तुम्हारी इज़्ज़त, इज़्ज़त है, दूसरे की कोई इज़्ज़त नही…!
मेरी बात सुनकर उसने उपेक्षा से सर घुमा लिया…
फिर मेने अपने मोबाइल में एक फोटो ओपन कर के उसके सामने कर दिया जिसमें
मालती नंग-धड़ंग अपने घुटनों पर बैठी, अपनी चूत में उंगली डाले हुए मेरा लंड चूस रही थी…
मेरा चेहरा तो उसमें था नही… वो फोटो दिखाते हुए मेने कहा – इस फोटो को देख कर बताना… ये कॉन है…?
फोटो देखते ही भानु के होश उड़ गये… उसके होंठ सुख गये, आवाज़ गले में ही अटकी रह गयी…
मेने फिर पूछा – बताओ भानु भैया… ये कॉन है…?
वो हकलाते हुए बोला – य.ये.ये…ये फोटो तुम्हें कहाँ से मिली… और ये लड़का कॉन है…?
मे – मेने इस फोटो के बारे में पूछा है.. क्या तुम इस लड़की को जानते हो…?
वो – नही ! मे नही जानता ये कॉन है…!
मे – चलो कोई नही, फिर तो कोई बात ही नही है…, चलो ऐसा करते हैं, थोड़ा मनोरंजन करवा देता हूँ तुम्हें और मेने मालती के साथ की हुई चुदाई का वीडियो चला दिया,
जिसमें मेरी आवाज़ म्युट की हुई थी, और सिर्फ़ मेरा पिच्छवाड़ा ही दिखाई दे रहा था..,
अगर कहीं मेरा थोबड़ा दिखना होता, वहाँ शेड कर दिया था,
ऑडियो और वीडियो जैसे- 2 चलता गया…, भानु के होश गुम होते गये… गुस्से में उसकी आँखें लाल हो गयी…गला सूखने लगा…
इससे पहले की वो छोटी सी क्लिप ख़तम हो पाती उसके गले से गुर्राहट निकलने लगी.. और वो मेरे मोबाइल की ओर झपटा…
मेने अपना हाथ पीछे खींच लिया…, तो वो गुर्राते हुए बोला – मे तेरा खून पी जाउन्गा हरामजादे…ये कहते ही उसने मेरे ऊपर झपट्टा मारा…
तडाक….मेरा भरपूर तमाचा उसके गाल पर पड़ा…., वो पीछे को उलट गया…, फिर मेने उसका गिरेबान थाम कर एक और तमाचा उल्टे हाथ का दूसरे गाल पर जड़ दिया..
और सर्द लहजे में मेने उससे कहा - जब तुझे पता है, कि तू मेरी झान्टे भी नही उखाड़ सकता तो ये हिमाकत क्यों की…?
दूसरी बात ! जब तू इस लड़की को जानता ही नही.. तो फिर इतना भड़क क्यों रहा है…?
वो चिल्लाते हुए बोला – ये मेरी बीवी है हरामज़ादे… बता ये वीडियो कब और किसके साथ लिया है तूने…?
मे – चिल्लाना बंद कर भानु..! वरना वो गत करूँगा.. कि तेरा बाप भी तुझे पहचानने से इनकार कर देगा…!
इससे पहले कि में तेरे खानदान की इज़्ज़त की और धज्जियाँ उड़ा दूं.. और इस वीडियो को इंटरनेट पर डाउनलोड करूँ,
जिसे सारी दुनिया के मर्द देख-देख कर तेरी मस्त जवान बीवी के बदन को सोच-सोच कर मूठ मारें…!
और अगर फिर भी तुझे अपनी बीवी की इज़्ज़त प्यारी ना हो तो मे इसे अदालत में भी पेश कर सकता हूँ, जहाँ दो मिनिट में ये साबित हो जाएगा की तू कितना बड़ा झूठा है,
तू सारी दुनिया के सामने नंगा हो जाएगा…, फिर बजाते रहना अपने खानदान की इज़्ज़त की धज्जियाँ…
इसलिए अब मेरी बात ध्यान से सुन…अगर तू चाहता है कि ये वीडियो कोई और ना देखे, या अदालत के सामने ना आए…, तो तुझे मेरी कुछ शर्तें माननी पड़ेंगी…
वो झट से मेरी तरफ देखने लगा, उसके पास और कोई चारा नही बचा था, सो अपने कंधे झुका कर हथियार डाल दिए और गिड-गिडाते हुए बोला…
मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है अंकुश, पर इस वीडियो को किसी और को मत दिखाना प्लीज़… वरना मेरे खानदान की इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी…,
हम किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहेंगे, हम बर्बाद हो जाएँगे…
मे – तो अब मेरी शर्तें सुन…
शर्त नंबर. 1 – तुझे राजेश के खिलाफ किया गया केस वापस लेना होगा, ये कह कर कि चाकू मेरी ही ग़लती से लगा था, वो तो सिर्फ़ अपना बचाव कर रहा था…
वो – लेकिन ऐसे तो मे फँस जाउन्गा…
मे – तुझे जैल नही होगी, ये वादा है मेरा, हां कुछ मुआवज़ा ज़रूर देना पड़ेगा… जो तेरे लिए कोई बड़ी बात नही है…
उसने हां में गर्दन हिला दी…
शर्त नंबर. 2 – तू मालती से कुछ नही कहेगा, और उसे एक अच्छे पति की तरह ही रखेगा… अगर तूने उसे कुछ भी नुकसान पहुँचाया तो समझ ले मे क्या कर सकता हूँ…,
वो तुरंत बोल पड़ा – मुझे मंजूर है…
शर्त नंबर. 3 – निशा की इज़्ज़त पर तूने किसी के कहने पर हाथ डाला था, मुझे उसका नाम और कारण चाहिए…
मेरी ये शर्त सुनकर वो सोच में पड़ गया… जब बहुत देर तक उसने कुछ नही बका… तो मेने उसे फिरसे धमकाया…
देख भानु… मुझे पता है… कि ये काम तूने किसी के कहने पर किया था… जिसके लिए तुझे मोटी रकम भी मिली थी…
मेरे मुँह से ये सब सुनकर उसका मुँह खुला का खुला रह गया… लेकिन फिर भी वो बोला कुछ नही… तो मेने फिर आगे कहा…
अगर तूने सच नही बताया तो ये मत समझना कि मे इसका पता नही लगा पाउन्गा… आज नही तो कल, मे ये जानकार ही रहूँगा कि इस सब के पीछे कॉन है…
लेकिन उस सूरत में मेरी कोई गारंटी नही होगी, कि ये वीडियो कोई और ना देख पाए.. तो बेहतर होगा..कि तू इस काम में मेरी मदद कर…
जब सारे रास्ते बंद होते दिखाई दिए तो वो किसी तोते की तरह शुरू हो गया… और उसने सारा राज उगल दिया…. जिसे सुन कर मेरी आँखें फटी रह गयीं…!
मेने भानु को उसकी बिल्डिंग के पास छोड़ा, उसके बाद अपनी बुलेट रानी को घर की तरफ दौड़ा दिया…!
रास्ते में एक बस स्टॉप था, जब मे वहाँ से गुजर रहा था, तो दूर से ही मुझे बीच सड़क पर एक औरत खड़ी दिखाई दी, जो अपने दोनो हाथ ऊपर कर के मुझे रुकने का इशारा कर रही थी…
जैसे ही मे थोड़ा उसके नज़दीक पहुँचा, तो उसे देखते ही मे चोंक पड़ा…, और गाड़ी उसके पास लेजा कर रोड की साइड में खड़ी कर के बोला – अरे वर्षा भौजी आप और यहाँ…?
तब तक उसका पति रवि, बेटे को गोद में लिए वहाँ आ पहुँचा..! मेने उसे देखते हुए कहा-
अरे वाह ! आज तो मियाँ-बीवी दोनो ही शहर में, क्या बात है, भाई… भौजी को साथ रखने लगे हो क्या..?, ये बहुत अच्छा किया आपने…,
कम से कम दोनो साथ रहोगे तो आपस में प्यार बढ़ेगा, और आपको भी खाने-पीने की चिंता नही रहेगी…!
इससे पहले की रवि कुछ बोलता, की वर्षा मुँह बीसूरते हुए बोली – उउन्न्नह…ऐसी अपनी किस्मेट कहाँ देवेर्जी, जो ये हमें शहर में रख सकें… !
वो तो बिट्टू को बड़े हॉस्पिटल में दिखाने लाए थे, इसलिए आ गयी, वरना तो वहीं चूल्हे चौके में ही सारी जिंदगी निकल जाएगी मेरी तो…!
मेने चिंतित होते हुए पूछा – अरे क्या हुआ बिट्टू को..? मुझे बताती, मे अच्छे हॉस्पिटल में दिखा देता, मेरी पहचान की डॉक्टर भी है यहाँ सहयोग में…!
रवि – वहीं दिखाया था, कई दिनो से फीवर था इसको, जा ही नही रहा था, पिताजी ने मुझे खबर भेजी, तब मे इन दोनो को ले आया…! वैसे अब ठीक है ये..!
मे – तो अब दो-चार दिन तो और रखोगे भौजी को यहाँ शहर में…!
रवि – अरे भाई कहाँ से रखूं, इतनी जगह ही नही है, शेरिंग में एक कमरा ले रखा है दूसरे एक दोस्त के साथ…!
अभी सोच ही रहा था, कि इन दोनो को गाँव छोड़कर कैसे जल्दी आउ, नाइट शिफ्ट भी करनी है आज…!
तुम्हारी बुलेट की आवाज़ सुनकर वर्षा ही बोली, की शायद ये तो अंकुश देवर्जी की गाड़ी की आवाज़ लगती है, सो इसने रोक लिया…
अब अगर तुम गाँव की तरफ जा रहे हो तो इन दोनो को भी ले जाओ प्लीज़…, मेरी परेशानी बच जाएगी, और आज रात की शिफ्ट भी कर लूँगा…
मे – अरे रवि भैया…, इसमें प्लीज़ कहने की क्या ज़रूरत है, मे तो जा ही रहा हूँ गाँव, ले जाउन्गा, फिर मेने वर्षा की तरफ मुस्कराते हुए कहा-
लेकिन क्या भौजी मेरे साथ आना चाहेंगी…?
वो मेरी मज़ाक को समझते हुए मेरी तरफ देखकर शरारत के साथ इठलाते हुए बोली – हुनह…मे ऐसे ही किसी के साथ कैसे चली जाउ..,
रवि उसकी बात सुनकर हड़बड़ाते हुए बोला…अरे ! ये कैसी बात कर रही हो तुम, अंकुश अपने घर के मेंबर जैसा है, तुम इसके ऊपर शक़ कर रही हो…?
वर्षा और अपने पति की परेशानी बढ़ाते हुए बोली – शक़ की क्या बात है, ये गबरू जवान आदमी, मे बेचारी अकेली जान, कहीं इनकी नीयत बदल गयी तो, ये कहकर उसने मेरी तरफ एक आँख मार दी…!
रवि बैचैन सा होकर बोला– ये कैसी बातें कर रही हो तुम… पागल तो नही हो गयी कहीं…?
इतने भले परिवार का लड़का है, और अभी-अभी शादी हुई है इसकी…
इसपर ऐसा इल्ज़ाम लगा रही हो.. कुछ तो लिहाज करो.. ये बेचारा तो हमारी मदद कर रहा है, और तुम उसी पर शक़ कर रही हो…
मे अपनी बुलेट रानी की सीट पर बैठा, उन दोनो मियाँ बीवी की नोक-झोंक का मज़ा लेते हुए मन ही मन मुस्करा रहा था…!
वर्षा ने एक बार मेरी तरफ तिर्छि नज़र से देखा, जिसमें एक प्रणय निवेदन छिपा था, फिर वो अपने बेटे से बोली – अच्छा तू बता बिट्टू, इन अंकल के साथ गाँव चलें क्या..?
बिट्टू तपाक से बोला - हां मम्मी, मे तो अंकल के साथ ही जाउन्गा, ये अंकल मुझे बहुत अच्छे लगते हैं, मुझे बहुत प्यार करते हैं…!
रवि – देखा ! बिट्टू भी अच्छे बुरे को समझता है, और तुम हो की…
वो बेचारा अभी अपनी बात ठीक से ख़तम भी नही कर पाया था, कि वर्षा मुँह मटकाते हुए बोली – ठीक है, ज़्यादा सफाई देने की ज़रूरत नही है, चले जाएँगे हम इनके साथ, आप अपनी ड्यूटी करो…
ये बात उसने ऐसे अंदाज में कही मानो, कोई बहुत बड़ा एहसान कर दिया हो बेचारे के ऊपर…
मेने बिट्टू को अपने आगे बिठाया, और वर्षा रानी मेरे पीछे ऐसे बैठ गयी, जैसे कोई बहुत बड़ी पतिव्रता स्त्री, मजबूरी में किसी के साथ बैठ कर जा रही हो…
रवि को बाइ बोलकर हम वहाँ से चल दिए, वो जैसे ही वर्षा की आँखों से ओझल हुआ, कि वो पट्ठी मेरी पीठ से किसी छिपकलि की तरह चिपक गयी…
और मेरे गले पर किस कर के मेरे कान में फुफुसा कर बोली – बिट्टू के पापा ! बहुत दिनो में हाथ आए हो, आज नही छोड़ूँगी तुम्हें…
मेने थोड़ा सर उसकी तरफ मोड़ कर कहा – ये क्या कह रही हो..? बिट्टू साथ में है, कैसे वो सब….?
वो ठुनक कर बोली – वो सब मुझे कुछ नही पता, बस आज होना है तो होना है..चाहे कैसे भी करो…!
मेने गाड़ी चलाते हुए ही सारा प्लान बना लिया था, फिर दोनो माँ बेटों को एक अच्छी सी दुकान में ले गया, उनके मन पसंद के कपड़े दिलवाए…
फिर कुछ और शॉपिंग करवाई, बिट्टू को खिलौने दिलवाए, दोनो बहुत खुश हो गये…, उसके बाद एक पार्क में ले जाकर घुमाया, बिट्टू को झूलों पर झूलाया..
शाम तक उन्हें शहर घुमाकर एक होटेल में ले गया, और एक रूम रात भर के लिए किराए पर लेकर रात गुजारने की सोची…
मेरी प्लॅनिंग देखकर वर्षा भाव-भिभोर हो गयी…
कमरे में आकर फ्रेश हुए, जल्दी खाना खाया, खाना खाते हुए मेने बिट्टू से पूछा – बिट्टू बेटा ! कैसा लगा अपने अंकल के साथ घूमकर…
उसने जबाब देने से पहले मेरे बगल में खड़े होकर गाल पर किस किया और तब बोला – थॅंक यू अंकल, बहुत मज़ा आया मुझे…!
मे – लेकिन बेटा अंकल की एक बात मानोगे..? वो मेरी तरफ देखने लगा, मानो पुच्छ रहा हो कि क्या..?
मेने कहा – मे तुम्हें ऐसे ही खिलौने और चॉकलेट खिलाया करूँगा अगर ये बात किसी को नही बताओगे तो, कि तुमने आज मेरे साथ मज़ा किया…
उसने अपना सर हिलाकर हामी भर दी, फिर सारे दिन की भागदौड़, और बिट्टू की तबीयत अभी भी थोड़ी नाज़ुक थी, सो दवा देकर वो टॅप से सो गया…!
वर्षा इसी पल के इंतेज़ार में थी, सो उसके सोते ही वो मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गयी, चुंबनों से उसने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया और नम आँखों से बोली…
थॅंक यू देवर जी, आज मेरी इच्छा का सम्मान कर के आपने साबित कर दिया कि अभी भी आपके दिल में हमारे लिए कितना प्यार है…!
आज हमारे बेटे ने भी जाना है, कि माँ-बाप का बच्चों के प्रति कैसा प्यार होना चाहिए…, बेचारा ऐसे प्यार के लिए कब्से तड़प रहा था…!
मेने उसे अपनी बाहों में भरकर उसके रसीले होंठों को चूमकर कहा – लेकिन बिट्टू को समझा देना कि ये सब बातें वो घर पर किसी को ना बताए, वरना खम्खा सब लोग शक़ करेंगे..!
वो मेरे बालों भरे सीने में अपनी उंगलिया घूमाते हुए बोली – वो सब आप मुझपर छोड़ दो, वैसे भी मे घर में किसी की परवाह नही करती..
ये कहकर वो मेरे लंड को नंगा कर के अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी…
कुछ ही पलों में हम दोनो के शरीर से कपड़े गायब हो गये…वर्षा इतनी चुदासी हो रही थी, उससे सब्र करना दूभर हो रहा था,
सो मुझे पलंग पर धक्का देकर, मेरे मूसल जैसे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी रस से लब-लबा रही चूत के मुँह पर रखा, और उसपर बैठती चली गयी..!
बहुत दिनो बाद वो मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी, सो जब मेरा मोटा सोट जैसा लंड उसकी कसी हुई चूत को चीरता हुआ अंदर गया…
दर्द की एक लहर उसके बदन में दौड़ गयी, लेकिन उसने अपने होंठों को कसकर भींच लिया, और धीरे-2 कर के मेरे पूरे लंड को अपनी चूत में निगल लिया…
फिर हाँफती हुई सी वो मेरे ऊपर लेट गयी, और मेरे होंठों को चूमकर बोली – आअहह…..कितने दिनो से राह देख रही थी इसकी…असल लंड तो ये है…
अबतक तो जैसे उंगली से ही काम चला रही थी…, आज मुझे इतना प्यार दो मेरे राजा, कि मे सारी दुनिया को भूल जाउ…
फिर उसने धीरे – 2 मेरे लंड पर उठना-बैठना शुरू किया…मेने उसकी गदराई हुई गोल-गोल दूध जैसी गोरी-गोरी मखमल जैसी मुलायम चुचियों को अपने हाथों में भर लिया…
चुचियों को मीजते ही वो सिसकियाँ भरने लगी और अपनी कमर को तेज़ी से चलाने लगी…
उसकी कसी हुई चूत मारने में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था…
उस रात वर्षा, ना तो खुद सोई, और ना ही मुझे सोने दिया.. सारी रात अलग-अलग तरीकों से मेने उसकी सालों पुरानी प्यास को बुझा दिया…!
कितनी ही देर वो सुबक्ते हुए मेरे सीने पर पड़ी रही…फिर जब लगा कि अब बिट्टू जागने वाला है, तब हम दोनो अलग हुए…
फ्रेश होकर चाय नाश्ता किया और उन दोनो माँ-बेटों को अपनी बुलेट पर बिठाकर गाँव की तरफ चल दिया…!
आज राजेश के केस की सुनवाई थी…, एक दिन पहले मे राजेश को लेकर उनकी ससुराल गया….
उनके जैल जाने के बाद ही उनकी पत्नी भी घर छोड़कर अपने मायके जाकर बैठ गयी थी.. जो ये दर्शाता था, कि उसको भी अपने पति पर विश्वास नही था…
राजेश तो जाने से ही मना कर रहे थे, लेकिन मेरे और वाकी लोगों के समझाने के बाद वो जाने के लिए तैयार हुए…
राजेश की पत्नी शर्मिंदगी के मारे नज़र चुरा रही थी… मेने उससे कहा –
भाभी जी, पति पत्नी के रिश्ते की नींव एक अटूट विश्वास पर टिकी होती है.. भले ही दुनिया उसके पति के खिलाफ खड़ी क्यों ना हो जाए, अगर उसकी पत्नी उसके साथ है तो वो हर कठिनाई का मुकाबला कर सकता है…
लेकिन आपने तो उनका साथ उस समय पर छोड़ दिया, जब उन्हें आपके साथ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, क्या सात फेरों में यही वचन याद किए थे आपने…?
वो रोते हुए बोली – मुझे माफ़ कर दीजिए जीजा जी… मेने इन पर विश्वास नही किया… अब मे अपने बच्चे की कसम खाती हूँ आइन्दा ऐसी ग़लती कभी नही होगी..
और वो राजेश के पैरों में गिर पड़ी, रोते गिड-गिडाते हुए माफी माँगने लगी.. राजेश ने मेरी तरफ देखा…
मेने इशारा किया.. तो उसने उसके कंधे पकड़ कर उठाया.. और उसके आँसू पोन्छ्ते हुए कहा – कोई बात नही नीलू ग़लती इंसान से ही होती है…
फिर वो हमारे साथ ही विदा होकर आ गयी.., राजेश भाई उसे अपने घर लेगये…
दूसरे दिन कोर्ट में…………….,
अब मात्र फॉरमॅलिटीस ही वाकी थी, मुझे पता था भानु अपनी ग़लती मान कर केस वापस ले लेगा..
और हुआ भी यही…, पोलीस कोई सबूत दे नही पाई, और भानु ने अपना गुनाह कबूल कर लिया…
कोर्ट ने उसे गुमराह करने के जुर्म में 10 लाख जुर्माने के तौर पर रकम राजेश को देने के लिए कहा.. जो उसने मान लिया…
सूर्या प्रताप इसके लिए तैयार नही था, वो तो अपने लड़के द्वारा लिए गये इस निर्णय के ही खिलाफ था, फिर ना जाने भानु ने उसे क्या कहा कि वो भी ठंडा पड़ गया…
राजेश को कोर्ट ने बा-इज़्ज़त बरी कर दिया… सभी खुश थे…
लेकिन मे इस जड्ज्मेंट से खुश नही था, इसलिए मेने पोलीस पर मान हानि का केस डाल दिया… जिसकी लापरवाही, या कहें मुजरिम का साथ देने का मामला बनाया गया…
उस समय कोर्ट में उस एरिया का इनस्पेक्टर ही उपस्थित था… जिसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी…
जड्ज साब ने पोलीस को फटकार लगाते हुए… मामले पर सफाई देने को कहा… और जल्दी से जल्दी अगली तारीख मुक़र्रर कर दी…
घर के सभी बड़े लोगों ने मुझे समझाने की कोशिश की लेकिन मेने उनसे कहा… कि राजेश भाई को सताने वालों को अपनी करनी का ख़ामियाजा भुगतना ही होगा…
मेरी पहली सफलता जो कि पहली ही सुनवाई में एक 307 के केस को रफ़ा दफ़ा करा दिया था.. पूरे डिस्टिक लेवल पर फैल गयी… और लोगों की ज़ुबान पर मेरा नाम आने लगा…
अब मेने डिसाइड कर लिया कि मुझे यहीं रह कर अपनी प्रॅक्टीस शुरू कर देनी चाहिए..
अपने गुरु की पर्मिशन और आशीर्वाद लेकर, डिस्टिक कोर्ट के बाहर मेने भी अपनी दुकान जमा दी… और एक लड़के को वहाँ बिठा दिया………!
एक रोज़ सनडे का दिन था, हम सभी चौपाल पर बैठे ऐसे ही घर गाँव की चर्चा कर रहे थे आपस में,
भैया और बाबूजी के अलावा छोटे और मनझले चाचा और उनका बेटा सोनू भी थे..
तभी हमें पोलीस सायरेन की आवाज़ सुनाई दी जो धीरे- 2 हमारे घर की तरफ ही बढ़ रही थी…
हम सब चौपाल की तरफ आने वाले रास्ते पर देखने लगे… मुझे कुछ- 2 संभावना थी इसकी, लेकिन वाकी लोगों को ये किसी अनिष्ट की आशंका लग रही थी सो बाबूजी बोल पड़े..
अब ये पोलीस हमारे यहाँ क्यों आ रही है…?
मे – आने दीजिए बाबूजी… ? उन्हें हमसे कोई काम होगा..?
भैया – लेकिन हमसे पोलीस को अब क्या काम पड़ गया… पहले तो कभी आई नही..
मे – आप लोग इतने चिंतित क्यों हो रहे हैं.. आने दीजिए, देखते हैं.. क्या काम है…!
इतने में सिटी एसपी की कार, उसके पीछे को की जीप और एक लोकल थाने की जीप हमारे चौपाल के पास आकर रुकी…
पोलीस की तीन-2 गाड़ियों को हमारे यहाँ आया देख मोहल्ले के दूसरे लोग भी आ गये…
एसपी की गाड़ी से कृष्णा भैया..उतर कर चौपाल पर आए… पीछे – 2 अन्य पोलीस वाले भी थे…
हमने सबके बैठने की लिए कुर्सी डाल दी… लेकिन वो अपने ऑफीसर के सामने बैठ नही सकते थे… सो आकर खड़े हो गये…
भैया ने बाबूजी के पाँव छुये… मुझे ये देख कर बड़ा ताज्जुब हुआ कि उन्होने भैया और वाकी बड़ों के पैर नही छुये…
खैर मेने बड़े भाई के नाते उनके पैर छुये… तो वो कॉँमेंट पास करते हुए बोले – अरे आप रहने दीजिए वकील साब… वरना और कोई केस लाद देंगे हमारे ऊपर…
बाबूजी को उनकी ये बात नागवार गुज़री, अतः वो थोड़े नाराज़गी वाले स्वर में बोले–
आते ही ऐसी बातें ना करो कृष्णा.. वो छोटे भाई के नाते तुम्हारे पैर लग रहा है…, पद के घमंड में तुम तो अपने बड़ों को भूल ही गये हो…
बाबूजी की बात सुनकर वो खिसियानी सी हसी हँसते हुए बोले – ऐसा कुछ नही है बाबूजी.. और फिर भैया और चाचों के भी पैर छु लिए…
फिर बाबूजी ने मुझसे कहा – जा बेटा, अंदर जा कर सबके लिए चाय पानी का इंतेज़ाम करवा दे…
मे अंदर जाने लगा तो कृष्णा भैया ने रोकते हुए कहा – चाय –वाय रहने दे अंकुश, तू यहीं बैठ, मुझे तुमसे ही बात करनी थी…
मे – बस 10 मिनिट की बात है, तब तक आप बाबूजी से बात करिए.. मे अभी चाय लेकर आता हूँ..
इतना कहकर मे अंदर गया, तो भाभी ने पुच्छ लिया – ये बड़े देवर जी क्यों आए हैं अब यहाँ…?
मे – आपको तो पता ही है, पोलीस बिना गर्ज के तो आती नही है… मुझसे ही काम है.. नाक में नकेल जो डाल रखी है मेने…
निशा – मुझे तो डर लग रहा है दीदी… कहीं कुछ गड़बड़ ना हो…
मेने हँसते हुए कहा – तुम किधर से पढ़ लिख गयी हो यार निशु… इतना भी नही समझती.. कि मेने पोलीस के ऊपर मानहानि का केस किया हुआ है.. तो डर किसको होगा…?
भाभी – पोलीस का कोई भरोसा नही होता है लल्ला जी… कब क्या केस लगा दे..
मे – आप चिंता छोड़ो, और फिलहाल 8-10 चाय का जल्दी से इंतेज़ाम करो… वाकी सब अपने इस लाड़ले पर छोड़ दो… मे सब संभाल लूँगा…
मे जब चाय लेकर बाहर आया, सबको चाय सर्व की, फिर चाय पीते हुए बाबूजी बोले – बेटा छोटू, कृष्णा का कहना है, कि तुमने पोलीस के ऊपर जो केस किया है, उसे वापस ले लो..
सुनकर मेरे चहरे पर मुस्कान आ गयी.. और मेने उनसे कहा – आप क्या कहते हो बाबूजी… क्या मेने कुछ ग़लत किया है…?
पोलीस की ग़लती की वजह से एक इंसान को 6-7 महीने जैल में काटने पड़े… उसके परिवार को कितनी मुशीवतें उठानी पड़ी…
यही नही.. आप लोग कितने परेशान रहे.. राजेश भाई की बीवी अपने बच्चे को लेकर चली गयी… उसको नौकरी से निकाल दिया गया… किसकी वजह से, क्या ये ग़लत नही हुआ उनके साथ…?
एक तरह से उनकी पूरी लाइफ बरवाद हो गयी, किसकी ग़लती की वजह से..?
कृष्णा – मे मानता हूँ भाई… कि राजेश के साथ ग़लत हुआ है… और उसके लिए मेने उस सारे स्टाफ को लाइन हाज़िर कर दिया है…
मे – वाह भैया… वाह ! क्या सज़ा दी है. उन चोरों को आपने जिन्होने सूर्य प्रताप से पैसे खाकर एक निर्दोष को फसाया… और उसे जैल में सड़ने पर मजबूर कर दिया..
ऐसा कर के तो आपने अपने चम्चो की गिनती ही बढ़ा ली है…
वो – इससे ज़्यादा मे उन्हें सज़ा नही दे सकता था… लेकिन अब इस केस का सीधा असर मेरे ऊपर पड़ सकता है, इस सबका मुझे ही जबाब देना पड़ रहा है… ये तो तुम भी जानते हो..
मे – तो क्या आप ज़िम्मेदार नही हो इसके..? आज आप भाई के रिश्ते की दुहाई दे रहे हो, उस दिन तो बाबूजी का भी मान नही रखा था आपने… और कोर्ट की दुहाई देकर चले गये थे…
क्या मे ये भी समझाऊ कि उस वक़्त आप क्या कर सकते थे, या आपको पता नही था, कि आपकी पोलीस क्या कर रही है..?
वो – तू कहना क्या चाहता है.. कि मेने इसे जानबूझ कर नज़र अंदाज़ किया था…?
मे – बिल्कुल ! मे यही कहना ही नही चाहता… बल्कि कह रहा हूँ…! अगर आप चाहते तो राजेश भाई एक दिन भी जैल में नही रहते… लेकिन आपने ऐसा नही किया…
वो – मे भला ऐसा क्यों चाहूँगा… वो मेरा भी रिश्तेदार है…
मे – एग्ज़ॅक्ट्ली ! यही तो वो कारण था, जिसने आपको हम लोगों की मदद करने से रोक दिया था…,
और वो वजह मे जानता हूँ… तो बेहतर होगा… कि अब हम कोर्ट में ही मिलें….!
मेरी कोर्ट में मिलने की धमकी से कृष्णा भैया सकपका गये, उनके चेहरे पर मायूसी छा गयी…
उन्होने अपने मात-हतों को बाहर भेज दिया…, और गिड गिडाते हुए बोले….
मे मानता हूँ मुझसे ग़लती हुई थी, और वो भी किसी के दबाब में आकर, अब मे तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ…
किसी तरह अपने भाई की इज़्ज़त बचा ले भाई…, वरना तू तो जानता है, कि अगर ये मामला कोर्ट के थ्रू सेट्ल हुआ तो मुझे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है…
उनकी गिड-गिडाहट देख कर बाबूजी समेत वाकी के चेहरों पर दया के भाव दिखाई देने लगे… फिर भी उनमें से किसी ने हमारे बीच में बोलने की कोई कोशिश नही की…
मेने फिर भी अपने अटॅक जारी रखते हुए कहा – ये बात आपको पहले सोचनी चाहिए थी एसपी साब, अगर मे ये केस अपने हाथ में ना लेता तो क्या फिर भी आप इसी तरह अफ़सोस जताते..?
इस घर ने क्या नही दिया आपको, पढ़ाया लिखाया, इस काबिल बनाया और आप बाबूजी की बात को भी दरकिनार कर के अपने ऊपर के प्रेशर में आ गये…
वैसे बताना चाहेंगे… कि वो प्रेशर किधर से आया था…?
वो मेरी बात सुनकर सकपका गये… जल्दी ही कोई जबाब नही सूझा उन्हें,… मेने फिरसे चोट करदी…या मे बताऊ, वो प्रेशर किधर से आया था…?
उनके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी… गिड-गिडाते हुए मेरा हाथ पकड़ा.. और मुझे एक तरफ को लेकर चल दिए…
सब लोगों से दूर मुझे एक कोने में ले जाकर बोले – मेरी इज़्ज़त बचा ले भाई… वादा करता हूँ.. फिर कभी अपने परिवार के खिलाफ नही जाउन्गा…
कामिनी की बातों में आकर मेने बहुत बड़ी भूल कर दी,…एक बार माफ़ कर्दे यार ! अपने भाई का कुछ तो मान रखले…
मे – ठीक है भैया, मे अपना केस वापस लेने को तैयार हूँ… लेकिन मेरी एक बात का जबाब देना होगा आपको…