Update 46
अब मेरा माथा ठनका, क्यों ये पोलीस इनस्पेक्टर रिपोर्ट नही लिख रहा था, बेचारे की इतनी औकात नही थी कि कमिशनर के बेटे को ही अरेस्ट कर सके…
मेने कहा - कमिशनर साब आप क़ानून के रखवाले हैं, और आप ही ऐसा करेंगे मुजरिमों को बचाने की कोशिश करेंगे, ये तो अपने पद के साथ गद्दारी हुई ना…
वो भड़क कर बोले – हू आर यू..? मुझे मत सिख़ाओ क़ानून के साथ क्या करना है क्या नही…!
मेने कहा – मे भी क़ानून का मुहाफ़िज़ हूँ, और क़ानून की इज़्ज़त करना मेरा धर्म है..!
कमिश्नर – हम इस मामले में तुम लोगों के साथ कोई बहस नही करना चाहते, बस एक बात हमारी सुन लो एसपी, इस केस में आगे बढ़ाने के लिए हम तुम्हें पेर्मिशन नही दे सकते…
मेने सीट से उठते हुए कहा - कोई बात नही सर, हम सीधे कोर्ट से ही अरेस्ट वॉरेंट निकलवा लेते हैं, चलो एसपी साब…
मेरी बात सुनकर कमिशनर चड्डा भड़क गया, और भैया को धमकाने लगा…
लुक एसपी, अगर तुमने मेरे बेटे या उसके दोस्तों को हाथ भी लगाया, तो समझ सकते हो तुम्हारा क्या हाल होगा…
मे – ज़्यादा से ज़्यादा ट्रान्स्फर ही कर सकते हैं आप, इससे ज़्यादा आपके हाथ में कुच्छ नही है..
इतना बोलकर हम उसकी और कोई बात बिना सुने वहाँ से निकल आए, मे भैया को लेकर सीधा जस्टीस ढीनगरा के पास पहुँचा….!
उनको सारी बात बताई, मेडिकल सर्टिफिकेट की बिना पर उन्होने तुरंत अरेस्ट वॉरेंट इश्यू कर दिया….
आनन फानन में उन तीन लड़कों को अरेस्ट कर लिया गया, चौथे का नाम उनसे उगलवा कर, उसे भी दबोच लिया, जो योगराज बिल्डर का बेटा था…
चार्ज शीट बना कर उन्हें दूसरे दिन ही कोर्ट में पेश किया गया…और पोलीस कस्टडी ले ली…
भैया ने अपने तौर पर तो अपना काम कर दिया था… जिसके लिए उन्हें कमिशनर से काफ़ी लताड़ भी सुननी पड़ी….!
लेकिन हवालात में उन लड़कों के साथ मुजरिमों जैसा वार्तब कतयि नही किया गया, हमारे निकलते ही पोलीस वाले किसी मेहमान की तरह उन हराम्जादो की सेवा में लग गये….
इस दौरान राम लाल पर काफ़ी दबाब भी डाला, यहाँ तक कि, उसको खरीदने की भी कोशिश की गयी…
लेकिन रेखा ने अपने बाप को साफ-2 बोल दिया, कि अगर उसने ऐसा कुच्छ भी करने का सोचा भी तो वो मौत को अपने गले लगा लेगी… लेकिन अपने जीते जी, उन कुत्तों को माफ़ नही करेगी…!
दो दिन बाद रेखा को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी, और वो लोग अपने घर आगये…
8 दिन की पोलीस रेमंड के दौरान उन लोगों ने जी तोड़ कोशिश की… वो कहावत है ना ! कि पैसों से यहाँ सब कुच्छ खरीदा जा सकता है…!
वही सब हुआ, राम लाल 10 लाख लेकर कोर्ट में मुकर गया… उसने रेखा को भी सच्चाई बयान नही करने दी,
पैसों के दम पर उन्होने सुनवाई भी अपने फेवर के जड्ज के यहाँ करा ली…जो उनका ही आदमी था…
सारे सबूत झूठे साबित कर दिए गये…, यहाँ तक कि मेडिकल रिपोर्ट भी बदलवा दी गयी, और उन चारों को बा-इज़्ज़त रिहा कर दिया गया…जिन्होने कभी किसी की इज़्ज़त नही की.
उसके दो दिन बाद ही रेखा ने अपने आपको पंखे से लटका लिया… और वो इस लालच से भरी दुनिया को छोड़ कर चली गयी…!
पैसों के वजन के आगे, राम लाल को बेटी का गम भी हल्का महसूस हुआ… जो उन लोगों ने बाद में और बढ़ा दिया था, और उसने इस मामले में अपनी चुप्पी साध ली….!
इस घटना के बाद भैया के संबंध उनकी ससुराल से और ज़्यादा खराब हो गये, और कामिनी भाभी उनका बंगला छोड़ कर अपने पिता के घर रहने चली गयी….
खैर ये तो अच्छा ही हुआ, क्योंकि वो भी उनसे छुटकारा पाना चाहते थे, सो उन्होने अपनी तरफ से पहल करते हुए, डाइवोर्स केस फाइल कर दिया….!
मेने उनके यहाँ कोर्ट के थ्रू उसका नोटीस भिजवा दिया…
राजनीति का एक नेगेटिव पहलू भी होता है, ये साले नेता लोग परिवारिक प्रतिष्ठा को हर हालत में बचाए रखने का यता संभव प्रयास करते हैं..
सो जैसे ही डाइवोर्स नोटीस उन्हें मिला… वो लोग हड़बड़ा गये, दौड़े-दौड़े भैया के पास आए… और अपनी इज़्ज़त की दुहाई देने लगे.
भैया ने कहा – कि पहल तो तुम्हरी तरफ से हुई है… मे तो इस बेमानी रिस्ते से निजात ही दिला रहा हूँ… तुम भी खुश और मे भी चैन से रह सकूँगा…
जब वो ज़्यादा मिन्नतें करने लगे तो भैया ने दो टुक जबाब देते हुए बोल दिया… कि अब जो भी बात करनी हो, मेरे लॉयर से करो…,
मेरे ऑफीस का अड्रेस तो मेरे लेटरहेड में था ही, सो दूसरे ही दिन कामिनी मेरे ऑफीस आ धमकी….!
मुझे सामने देख कर वो चोंक गयी… और बोली – अरे देवेर जी ! आप और यहाँ..?
मेने पहले उनको नमस्ते किया फिर आराम से बैठने को कहा… जब वो मेरे सामने बैठ गयी तो मेने कहा – हां ! ये मेरा ही ऑफीस है… कहिए क्या सेवा करूँ आपकी…
वो मायूसी वाले स्वर में बोली – आप तो हमसे इतने ज़्यादा नाराज़ हैं, कि घर पर भी आपने ऐसा व्यवहार किया… जैसे मे आपकी भाभी ना होकर कोई दुश्मन थी…
मे – अपने उस व्यवहार के लिए मे माफी भी माँग चुका था, और आपको वादा भी किया की आइन्दा आपको टच भी नही करूँगा…,
वो – वही तो रोना है, मे तो चाहती थी, कि आप मेरे साथ वो बार – बार करो… थोड़े से दर्द के बाद मज़ा भी तो था उसमें,
पर आपने मुझे कुच्छ कहने का मौका ही नही दिया…
मे – क्या…? क्या सच में आप उस बात से नाराज़ नही थी…?
वो – ऑफ कोर्स नोट !
मे – ओह.. सच में मेने कितनी बड़ी भूल करदी, जो आप जैसी मस्त हॉट भाभी से दूर हो गया…
कामिनी को लगा कि उसका तीर चल गया है, वो उसकी धार और बढ़ाने के लिए अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आगयि और पीछे से मेरे गले में बाहें डाल कर बोली –
अभी भी कोन्सि देर हुई है देवेर जी, मे तो आप जैसे मर्द के लिए कुच्छ भी सहने को तैयार हूँ… प्लीज़ मुझे वो तकलीफ़ एक बार फिर से दो ना..!
इतना कह कर वो मेरी गोद में आकर बैठ गयी… और मेरे गाल को किस कर लिया…
मेने उसे गोद से उठने का इशारा किया, तो वो थोड़ी नाराज़ सी दिखी,…
मेने कहा – एक मिनिट उठिए तो सही, एकदम से कोई आगया तो लेने के देने पड़ जाएँगे…
मेरा तो अभी धंधा ठीक से जमा भी नही है, उससे पहले ही बंद हो जाएगा…
वो मेरी बात का मतलव समझ कर गोद से उतर गयी, मेने जाकर गेट लॉक किया और फिरसे उसे अपनी गोद में लेकर अपनी सीट पर बैठ गया….
वो इस समय एक लाल रंग का टॉप और लोंग स्कर्ट में थी, गोद में आते ही वो मेरे होठों पर टूट पड़ी…मे उसकी बड़ी-2 चुचियों को मसल्ने लगा…
अभी भी कामिनी ने अपने फिगर को अच्छे से मेनटेन किया हुआ था, शायद जिम वगैरह जाती होगी,.
चुचियों में वही सुडौलता, कड़क टाइट गान्ड, सपाट पेट…भैया शायद अच्छे से उसकी मस्ती को मिटा नही पाते होंगे ड्यूटी के बोझ की वजह से…
बहुत गर्मी चढ़ि थी उसको… वो किसी भूखी कुतिया की तरह मेरे होठों को खाए जा रही थी….
मेने भी उसकी चुचियों को मसल्ने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी, मस्ती से उसका चेहरा लाल भबुका हो गया था…
मेने उसकी स्कर्ट में हाथ डालकर उसकी चूत को जैसे ही मसाला…, वो मेरा हाथ झटक कर मेरी गोद से उतर गयी…
मे आश्चर्य से उसको देखने लगा, सोचा- साली इसको अचानक से क्या हो गया..?
मेने उसे पुछा – क्या हुआ भाभी मेरे साथ मज़ा नही करना है…?
वो एक नशीली सी स्माइल करते हुए बोली – करना है ना ! लेकिन ज़रा खुलकर..
अच्छा तो ये बात है, ये कहकर मेने उसकी स्कर्ट को खींच दिया, अब वो टॉप और पैंटी में आ गयी…
मेने उसे फिरसे अपनी गोद में खींच लिया, और उसकी चूत को पैंटी के उपर से अपनी मुट्ठी में लेकर मसल दिया…
वो मस्ती से सिसकने लगी…, हइईई…मेरे...रजाआ…. तुम्हारे हाथों में तो जादू है….
थोड़ा सा ज्ञान अपने भाई को दे देते तो कितना अच्छा रहता… उूउउफफफ्फ़……उन्हें तो बस अपनी ड्यूटी ही दिखाई देती है.. अपनी बीवी की तो कोई परवाह ही नही…. आअहह….ससिईईई…
मेने उसकी पेंटी को एक ओर करके अपनी दो उंगलिया उसकी गीली चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा….
उसने लपक कर मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत से हटा दिया, खड़े होकर एक मिनिट में ही अपने वाकी के सारे कपड़े निकाल फेंके, और फिर मेरे कपड़ों पर टूट पड़ी…
उसकी व्याकुलता देख कर मेने मन ही मन कहा… लगता है साली जाने कब्से लंड की भूखी है…
जब मेरे भी सारे कपड़े निकल गये तो मेने उसे टेबल के उपर लिटा दिया, और उसकी टाँगों को उठाकर उसकी गीली चूत में अपना सोटा सा लंड पेल दिया…
सर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर………….से एक ही झटके में मेरा तीन-चौथाई लंड उसकी चूत में सरक गया… उसकी आँखें बंद हो गयी…. और एक मीठी सी कराह उसके होठों से फुट पड़ी…
आहह….भाभी…क्या टाइट चूत है तेरी…. अभी भी एकदम कसी कसी है….
तुम्हें अच्छी लगी….आअहह….फिर फाडो…. राजा….. बना दो इसका भोसड़ा…अब देर मत करो, आहह…. डाल दो पूरा…
उसकी उत्तेजक बातें सुनते ही मुझे जोश आ गया… और पूरी ताक़त से धक्का लगा दिया….
ढपाक से मेरे अंडे उसकी गान्ड से जा टकराए… जड़ तक मेरा लंड उसकी चूत में था, जो उसकी बच्चेदानी तक पहुँच चुका था….
आईईईईईई……….माआअ……थोड़ा धीरे ..देवरजीीइईईईई….आअहह…मज़ा आगया…मेरी जानन्न…
उसके होठ चूस्ते हुए मे उसकी चुचियों को मसल्ने लगा… और धक्के भी लगाता रहा….
मेरे तीन तरफ़ा हमले को वो ज़्यादा देर झेल नही पाई और उसकी चूत भल भला कर झड़ने लगी…, उसकी एडीया मेरी गान्ड के उपर कस गयीं….
मेने अब उसको नीचे खींच लिया और टेबल पर हाथ टिका कर उसको घोड़ी बना दिया..
उसकी चौड़ी गान्ड देख कर मेरा मन फिर ललचा गया…
भाभी ! गान्ड दोगि ?
वो – नही नही… ! तुम बहुत बेदर्दी से मारते हो… ऊस्दिन का दर्द अभी भी याद आजाता है…
मे – लेकिन अभी कुच्छ देर पहले तो आप बोली थी, वैसी ही तकलीफ़ दो मुझे.. फिर अब क्या हुआ…?
वो हँसते हुए बोली – हहहे… वो तो मेने वैसे ही तुम्हें उकसाने के लिए बोला था, और फिर मुझे घर भी तो जाना है,
लंगड़ी घोड़ी की तरह चलूंगी तो कोई भी पहचान लेगा कि छिनाल कहीं गान्ड मरा कर आई है…
मे भी इस समय उसे नाराज़ नही करना चाहता था, सो उसकी चूत में फिरसे लंड पेल कर ढका-धक चुदाई शुरू कर दी…
आधे घंटे में वो तीसरी बार झड रही थी, उसके साथ ही मेरा भी नल खुल गया और अपने वीर्य से उसकी चूत को भर दिया…
वो कुच्छ देर टेबल पर गाल टिकाए पड़ी रही, फिर अपनी पैंटी से ही अपनी चूत और मेरे लंड को सॉफ किया…, चिपचिपी पैंटी को अपने बॅग में डाल लिया, फिर हमने अपने -2 कपड़े पहन लिए….
उसके बाद मेने गेट अनलॉक किया, और फिर अपनी-2 सीट पर बैठ कर बातें करने लगे..
मे – हां भाभी ! अब कहिए… कैसे आना हुआ…?
वो कोर्ट के थ्रू मिले डाइवोर्स का नोटीस टेबल पर रखते हुए बोली – ये क्या है देवेर जी…?
मे – डाइवोर्स का नोटीस है, साइन कीजिए और अलग हो जाइए आप दोनो,
वैसे भी शुरुआत तो आपकी तरफ से हो ही चुकी है, भैया तो उस बेमानी रिस्ते से आपको आज़ाद ही कर रहे हैं बस…
वो – मेरे अपने डॅड के घर चले जाने से ही उन्होने ये सोच लिया कि हमारा रिस्ता ऐसे ही ख़तम हो जाएगा..?
मे – और भी बहुत सी बातें हैं, जो आपकी और उनकी सोच से मेल नही खाती…
अब यही ले लीजिए… आपकी शादी को इतने साल हो गये, अभी तक आप माँ नही बनना चाहती, ये भी एक बहुत बड़ी वजह है, जो दिखती है कि आप इस बंधन से आज़ादी चाहती हैं…
दूसरी वजह… जो चीज़ें उनको हर्ट करती हैं, आप जान बुझ कर वही काम करती हैं…
इन सबके बावजूद, अब आप बिना उनसे कुच्छ कहे सुने अपने पिता के घर जाकर रहने लगी…
तो इससे अच्छा है कि ये रिस्ता ही ख़तम करिए…और जी लीजिए अपनी –अपनी लाइफ, जैसे जीना चाहते हो…
वो कुच्छ देर चुप रही, फिर कुच्छ सोचकर बोली – मे मानती हूँ, कि मुझसे कुच्छ ग़लतियाँ हुई हैं… और हो रही हैं…
अब में तुम्हें अश्यूर करना चाहती हूँ.. कि आगे से उन्हें सुधारने की कोशिश ज़रूर करूँगी …मुझे बस एक मौका दिला दो…
और रही बात डॅड के पास जाकर रहने की, तो ये जानते हुए कि सन्नी मेरा चचेरा भाई है, उन्होने उसे अरेस्ट करवा दिया…
डेडी की इज़्ज़त का भी कोई ख्याल नही किया…
मे – तो आपका मतलव है कि वो बेगुनाह है,…?
वो – हम कॉन होते हैं, किसी को गुनेहगर या बेगुनाह कहने वाले, ये तो अदालत में ही साबित होना है, और हुआ भी… देखलो वो बेगुनाह साबित हुआ भी…
मे – देखिए भाभी हम यहाँ कॉन बेगुनाह है, या कॉन गुनहगार, इस विषय पर बहस करने नही बैठे,
बस मे यही कहना चाहता हूँ, कि उन्होने सिर्फ़ अपनी ड्यूटी की है…, अगर आप यही सब कहने आई हैं, तो सॉरी ! इस मामले में मे आपकी कोई मदद नही कर सकता…
और वैसे भी एक अच्छी पत्नी का कर्तव्य है, कि वो हर परिस्थिति में अपने पति के फ़ैसले के साथ खड़ी रहे… जो आपने कभी नही किया…
वो – चलो मान लिया कि मेने ग़लती की है, पर आगे से कोशिश करूँगी अपने को अच्छी पत्नी साबित कर सकूँ… बस इस बार किसी तरह से उनको समझाओ, और ये केस वापस लेलो…
मे – इसके लिए मे आपकी मदद कर सकता हूँ… लेकिन फिलहाल मामला गरम है, कुच्छ दिन और इंतेज़ार करो, सब ठीक हो जाएगा…
ये वादा करता हूँ, कि आप दोनो को फिरसे मिलने का भरसक प्रयास करूँगा…अगर आपने अच्छा बनके साबित कर दिखाया तो…
इसी तरह की कुछ और बातों के बाद वो फिर मिलते रहने का वादा करके चली गयी… और मे अपने अगले कदम को सोच कर मुस्करा उठा….!
मे किसी भी तरह से इन लोगों के बीच घुसना चाहता था, कोई रास्ता मुझे दिखाई नही दे रहा था, लेकिन अब ये सामने से ही मौका मेरे हाथ आता दिखाई देने लगा.
मे ठान चुका था, कि रेखा के क़ातिलों को उनके किए की सज़ा तो देकर ही रहूँगा, जो रास्ता मुझे अब तक नही मिल पा रहा था, वो कामिनी के द्वारा मिलता दिखाई दे रहा था…
मेने उसे भैया से दोबारा संबंध सुधारने का आश्वासन देकर अपने जाल में फँसा लिया था, अब वो मेरे खिलाफ कभी सोच भी नही सकेगी…
उसका मुख्य कारण था, अपने बाप की पोलिटिकल इमेज बचाना….!
मेने अपने एक आदमी को उसके पीछे लगा दिया, वो कहाँ जाती है, क्या करती है, किसके साथ उठना बैठना है…!
वो ग़लत कामों में लिप्त है, ये मुझे हिंट मिल चुकी थी…, अब कितनी अंदर तक है ये जानना ज़रूरी था…
मेने अपना आदमी उसके पीछे लगा तो दिया था, लेकिन इतनी बड़ी हस्ती के अंदर तक घुसकर ऐसे सीक्रेट निकाल पाना बड़ा मुश्किल काम था…
लेकिन कहते हैं ना कि जहाँ चाह होती है, वहाँ कोई ना कोई राह अवश्य निकल आती है, और ऐसी ही एक राह मुझे जल्दी ही मिलने वाली थी….
कुच्छ दिन रेखा वाले रेप केस में, मे इतना उलझ गया, की गुप्ता जी का एक टॅक्सेशन का मामला ही भूल गया,
वैसे तो वो अपना बिज़्नेस पूरी ईमानदारी से करते थे, समय पर टॅक्स भरना वो कभी नही भूलते थे,
लेकिन फिर भी एक घूसखोर बाबू ने जाली पेपर बनाकर कमिशनर की सील और फ़र्ज़ी साइन करके उनके ऑफीस में 25 लाख टॅक्स वकाया का नोटीस भिजवा दिया..!
गुप्ता जी ने ये मामला हल करने के लिए मुझे बोला, सारे पेपर चेक करने के बाद मे समझ गया कि ये सब फर्ज़ीबाड़ा है, तो मेने बाद में मिलने का सोच कर पेंडिंग रखा…
इसी बीच डॉक्टर. वीना से मुलाकात के बाद रेखा वाले रेप केस में बिज़ी हो गया, जिसमें उस बेचारी को इंसाफ़ तो नही मिला, उल्टे अपनी जान देनी पड़ गयी…
इस मामले से मे थोड़ा अपसेट भी था, कि इसी बीच उस बाबू का फोन भी गुप्ता जी के ऑफीस में आगया, उन्होने मुझे फोन करके याद दिलाया…
तब मुझे याद आया और उन्हें आज के आज ही ये मामला हल करने का आश्वासन देकर मे उस बाबू से मिलने उसके ऑफीस चल दिया…
स्मार्ट फोन मेरी जेब में ही था जिसे मेने उसके ऑफीस में एंटर होने से पहले ही वीडियो रेकॉर्डिंग मोड पर सेट कर दिया, अब बस ओके करने की देर थी और रेकॉर्डिंग स्टार्ट हो जानी थी,
मेने उसको सारे डीटेल समझाए, इतनी इनकम हुई, इतना पर्चेस हुआ, इतना ओवरहेड्स हुए, इतना इनकम टॅक्स जमा हुआ, इतना सेल्स टॅक्स जमा हुआ वो सारी वर्क शीट सील साइन के साथ उसको दिखाई…
उसने वो सारे पेपर एक साइड को सरका दिए, मे समझ गया, अब ये अपनी औकात पर आनेवाला है, सो चुपके से ओके बटन दबा दिया, रेकॉर्डिंग शुरू हो गयी…
वो बोला – देखिए वकील साब, अब इस बाबू की नौकरी से तो दो जून की रोटी ही हो पाती है, मे ये सब जानता हूँ कि गुप्ता जी जैसा क्लाइंट कभी धोखा धड़ी नही करता..
लेकिन कुच्छ अपना भी तो भला सोचिए, ये 25 लाख की रिकवरी का नोटीस है, कुच्छ आप भी कमा लो, और एक-दो % हमें भी दिलवा दो, मामला यहीं रफ़ा दफ़ा हो जाएगा…
वरना आप तो जानते ही हैं, एक बार मामला कोर्ट के हाथ में चला गया, तो हमारे ऑफीस को सारे ओरिजिनल डॉक्युमेंट्स चेंज करने में कितना वक़्त लगेगा…
आप लाख सबूत पेश करते रहिए कोई सुनने वाला नही है, 25 लाख खम्खा सरकार की तिजोरी में जमा करना ही पड़ेगा…, ना हमें कुच्छ हासिल होगा और ना आपको…
मे शांत होकर उसका सारा भाषण सुनता रहा, फिर वो आगे बोला – बोलिए, फिर क्या विचार है…!
उसे लाइन पर लाने के लिए इतना सबूत काफ़ी था, सो चुपके से मोबाइल की रेकॉर्डिंग ऑफ करते हुए कहा – देखिए साब मेरा उसूल है,
मे जिसके लिए भी काम करता हूँ, उसके साथ पूरी ईमानदारी निभाता हूँ, तो मे तो ये अलाउ नही करूँगा कि आपकी बात मान ली जाए…
रही बात केस करने की तो उसके लिए आप फ्री हैं, देख लेंगे अगर 25 लाख देना ही पड़ा तो सरकार को ही देंगे, कम से कम हमारा पैसा विकास के कामों तो लगेगा…
मेरी बात सुनकर वो चिड गया और झूठी गीदड़ भभकी देते हुए बोला – जुम्मा- जुम्मा चार दिन हुए हैं आपको वकालत शुरू किए हुए… ज़्यादा ईमानदारी मत दिखाओ, वरना लेने के देने पड़ सकते हैं…
हम जैसे बाबुओं के चक्कर में पड़कर अच्छे-अच्छे अपनी वकालत भूल जाते हैं…! मे फिर कहता हूँ, मेरी बात मानिए और आप भी थोड़ा बहुत कमा लीजिए…
गुप्ता जैसी मोटी मुर्गी से दो-चार अंडे ले भी लोगे तो भी उसको कोई फरक नही पड़ने वाला…!
मे - लेकिन मुझे तो फ़र्क पड़ता है, मे अपने जमीर को नही मार सकता, और रही बात पैसे कमाने की, तो गुप्ता जी मुझे बिना माँगे ही इतना दे देते हैं, कि मुझे ऐसे कामों की ज़रूरत ही नही पड़ती…
मेरी बात से वो और ज़्यादा चिढ़ गया और ठंडे से लहजे में बोला – तो नही मानेंगे आप, ठीक है फिर कोर्ट में ही मिलते हैं…!
मे – शायद मुझे इतनी दूर जाने की ज़रूरत ही ना पड़े, हो सकता है कमिशनर साब के ऑफीस में ही बात बन जाए…!
मेरी बात सुनकर वो चोंक गया…, मेने टेबल पर अपने दोनो हाथ रख कर उसकी तरफ झुकते हुए बोला – वैसे कितने बच्चे हैं आपके…?
बाबू – बच्चों से क्या मतलव है तुम्हारा…?
मे – उनका भविश्य सुरक्षित कर लिया है या उसी के लिए रिश्वत माँग-माँग कर पैसे जमा कर रहे हो…!
ऐसा ना हो नौकरी चले जाने पर बेचारे दर-दर भटकते फिरें…
बाबू – धमकी दे रहे हो, जाओ जाकर कमिशनर साब से शिकायत करदो, कोई सबूत नही है कि मेने तुमसे पैसे माँगे हैं…
मे – जानते हो मे कमिशनर साब के ही पास क्यों जा रहा हूँ..?
उसने सवालिया नज़रों से मुझे घूरा…जैसे पूछना चाहता हो कि क्यों..?
मेने आगे कहा – क्योंकि मे तुम्हारे बच्चों का बुरा नही चाहता, कमिशनर साब ज़्यादा से ज़्यादा तुम्हें कुच्छ दिनों के लिए सस्पेंड ही करेंगे…
लेकिन अगर मामला कोर्ट में चला गया ना, तो हो सकता है, रिश्वत माँगने के जुर्म में हमेशा के लिए नौकरी चली जाए और साथ में जैल भी हो सकती है…
वो भड़कते हुए बोला – क्या सबूत है तुम्हारे पास कि मेने तुमसे रिश्वत माँगी है…!
मेने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – लो देखो, ये कहकर मेने मोबाइल की क्लिप उसके सामने चला दी…!
देखते ही उसका शरीर डर से थर-थर काँपने लगा, गिरगिट की तरह फ़ौरन रंग बदलते हुए मेरे पैर पकड़ लिए और गिडगिडाकर बोला –
मुझे माफ़ करदो वकील साब, प्लीज़ ये सबूत किसी को मत दिखाना वरना मेरे बच्चे भूखे मार जाएँगे… रहम करो मुझ पर…!
मे – वादा करो, आइन्दा कोई ग़लत रास्ते से पैसा कमाने की कोशिश नही करोगे…
वो – मे वादा करता हूँ, आइन्दा ऐसा काम कभी नही करूँगा…!
उसने वो सारे फर्जी पेपर मेरे सामने फाड़कर डस्टविन में डाल दिए, मे उसे सबक सिखाकर उसके ऑफीस से बाहर आ गया….!
करने को तो और बहुत कुच्छ हो सकता था, लेकिन उसके बाल-बच्चों का सोचकर मेने उसे धमका कर ईमानदारी पर चलने के लिए मजबूर कर दिया था…
और ये मेरा उसूल रहा है, कि पापी को मत मारो, हो सके तो उसके अंदर के पाप को ख़तम करो, जिससे वो पाप करे ही नही..
वहाँ से सीधा गुप्ता जी के ऑफीस पहुँचा, पता चला वो किसी साइट विज़िट को निकल गये थे, उन्हें फोन करके बता दिया कि मामला निपट गया है, कल घर आकर मिलता हूँ..…!
दूसरे दिन जब सुबह मे उनके घर पहुँचा, हमेशा की तरह वो पूजा में ही थे, हॉल में सेठानी नज़र आई, जो मुझे देखकर खुश हो गयी, और बड़े अपनत्व भाव से मेरी आव-भगत की…
सेठानी – सेठ जी तो अभी पूजा में है, तब तक तुम खुशी से मिल लो, बहुत याद करती रहती है तुम्हें, हर समय तुम्हारी ही बातें रहती हैं उसकी ज़ुबान पर…
मे – अभी वो कॉलेज नही गयी…
सेठानी – नही, अभी वो अपने रूम में तैयार ही हो रही होगी, जाकर मिल लो…
मे खुशी के रूम में जाने के लिए सीडीयों की तरफ बढ़ गया, मेरे पीछे सेठानी के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान तार उठी, जिसे मे नही देख पाया…!
खुशी के रूम का दरवाजा ढलका हुआ ही था…मेरे हल्के से दबाब से वो खुल गया, उसके बेड पर उसके नाइट के कपड़े बिखरे पड़े थे, लेकिन वो कहीं नज़र नही आ रही थी…
मेने धीरे से उसे आवाज़ दी, लेकिन कोई जबाब नही आया, सोचा शायद बाथरूम में होगी, बाद में मिल लूँगा, ये सोच कर मे जैसे ही पलटा की बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई…
मेने पलटकर बाथरूम की तरफ देखा, वो नहा कर बाथरूम से बाहर ही आ रही थी, इस समय उसके मांसल बदन पर मात्र एक टॉवेल लिपटा हुआ था..…
उसकी तरफ ज़्यादा ध्यान ना देकर मे वहाँ से निकलने लगा, तो पीछे से खुशी की आवाज़ सुनाई दी…!
अरे अंकुश भैया आप, आओ ना, चल क्यों दिए…?
मे – नही ! तू तैयार होज़ा मे नीचे ही हूँ, इतना कहकर मे फिर से कमरे के गेट की तरफ बढ़ा, तब तक वो मेरे पास तक आगयि, और पीछे से मेरा हाथ पकड़ कर बोली…
आप थोड़ी देर बैठो तो सही, मे दो मिनिट में तैयार हो जाउन्गि, फिर बात करते हैं… मुझे आपसे बहुत ज़रूरी काम है…
उसके हाथ पकड़ते ही मे उसकी तरफ पलटा, अब वो अपने मांसल बदन पर मात्र एक तौलिया लपेटे हुए, मेरे एकदम नज़दीक ठीक मेरी नज़रों के सामने थी…,
ना चाहते हुए मेरी नज़र उसके महकते बदन पर ठहर गयी…, मुझे यूँ अपने बदन को निहारते देख वो मंद-मंद मुस्करा रही थी…!
उसके गोल, सुडौल उमर से बड़ी चुचिया 1/3 से ज़्यादा तौलिया के बाहर थी, जिनपर उसके गीले बालों से टपकते पानी की बूँदें मोतियों के समान चमक रही थी..
उसके दूधिया उभारों को देख कर मेरे मन में हलचल सी होने लगी, मुझे लगा कि अगर एक पल और मे इन्हें देखता रहा, तो कहीं अपना संयम खोकर इन मोतियों जैसी चमाति पानी की बूँदों को चाट ना लूँ…!
सो फ़ौरन मेने अपनी नज़र नीचे झुका ली, लेकिन कहते हैं ना कि, आसमान से टपके और खजूर में अटके…!
जैसे ही मेरी नज़र नीचे को हुई, कि उसकी मोटी-मोटी केले के तने जैसी एकदम चिकनी गोरी जांघों पर जा टिकी, जो तौलिया से मात्र उसके यौनी प्रदेश को ढकने के बाद मुश्किल से 4-6” नीचे तक ही धकि हुई थी…,
एकदम गोलाई लिए उसकी जांघें इतनी सुडौल थी, क़ी फट की वजह से उसके घुटनों की डिस्क भी पता नही चल रही थी कि हैं भी या नही…! एकदम कॉनिकल उसकी टाँगें..
देखकर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा…,
खुशी ने मेरे हाथ पकड़कर जबर्जस्ती बेड के पास पड़े सिंगल सोफे पर बिठा दिया, और खुद अपने कपबोर्ड की तरफ बढ़ गयी…!
उसके पलते ही जैसे कयामत टूट पड़ी मेरे लौडे पर…, पीछे से उसकी तरबूज जैसी पीछे को निकली हुई गान्ड से तौलिया एकदम उठी हुई थी, जिसमें से उसका जांघों और कुल्हों के बीच का संधि स्थल साफ-साफ दिखाई दे रहा था…
ऐसा नही था कि तौलिया छोटा था, वो तो बेचारा फुल साइज़ ही था, लेकिन इसका क्या किया जाए कि ढकने वाली का शरीर ही ऐसा था कि सामने से चुचियों को ढकना और पीछे से उसकी गान्ड को ढकना उसे भारी पड़ रहा था…
उपर से खुशी की हाइट भी ठीक-ठाक ही थी, शायद साडे 5 फीट…!
वो अपनी गान्ड मटकाते हुए कपबोर्ड के सामने खड़ी हो गयी, और अपने कपड़े निकालने के लिए उसने उसे खोला…
कुच्छ देर वो सामने से कुच्छ ढूँढती रही, शायद अपने ब्रा-पैंटी, फिर जब वो उपर नही दिखे तो उससे नीचे वाले ड्रॉ में देखने के लिए जैसे ही झुकी…
इसकी माँ की आँख, उसका तौलिया बग़ावत कर बैठा, उसने उसकी गान्ड को ढकने से साफ मना कर दिया….
अरे यार नही … ऐसा नही …जो आप सोच रहे हो, वो खुला नही लेकिन भरकम गान्ड के पीछे होते ही वो उपर चढ़ गया, और ख़ुसी की गान्ड आधे तक नंगी हो गयी…!
मोटी-मोटी जांघों के बीच से उसकी मुनिया की फांकों का निचला भाग ऐसे झाँकने लगा, मानो दो बड़े बल्लों के बीच से कोई मूह निकालकर किस करने के लिए होठ आगे कर रहा हो…!
खुशी को अपनी स्थिति का पूरा अंदाज़ा था कि उसके इस पोज़ से क्या स्थिति बन रही होगी, और मे उस पोज़ को देखने का पूरा मज़ा ले रहा हूँगा, सो उसने ऐसे ही झुके हुए ही एक बार पलटकर मेरी तरफ देखा…!
मेने सकपका कर अपनी नज़र दूसरी तरफ फेर ली, और तिर्छि नज़र से देखा, खुशी मेरी हालत को देखकर मंद-मंद मुस्करा रही थी…!
फिर वो सीधी खड़ी हो गयी, और मुझे आवाज़ दी – भैया, ज़रा इधर आना…!
मेने वहीं बैठे-बैठे कहा – क्यों, क्या काम है? जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जा, मुझे जाना भी है…
वो – अरे एक मिनिट आओ तो सही…
मे असल में उठना नही चाहता था, ताकि मेरी जीन्स में बना उभार खुशी देख पाए, लेकिन अब झक मारकर उठना ही पड़ा, और उसके पास जाकर खड़ा हो गया…
मेने उसके पीछे खड़े होकर कहा – हां बोलो क्या है..?
वो ऐसे ही कपबोर्ड के कपाट खोले उनके बीच खड़ी रही और बोली – मेने ये दोनो ड्रॉ चेक कर लिए, लेकिन मेरी ब्रा कहीं दिख नही रही…
अब उपर वाले ड्रॉ तक मे देख नही पा रही, तो प्लीज़ आप ज़रा उसमें से ढूंड कर मेरी ब्रा दे दो ना…!
मेने कहा – ठीक है, अब हटो वहाँ से ताकि में देख सकूँ…!
वो – आप मेरे पीछे खड़े होकर भी देख सकते हो ना, जल्दी करो मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है…!
मुझे अब पक्का यकीन हो गया, कि ये लड़की जान बूझकर सब कर रही है, अब मे जैसे ही इसके पीछे खड़ा होऊँगा, ये अपनी मोटी गान्ड मेरे लंड पर रगडे बिना नही माँगी…
लेकिन अब मे इसको खुलकर मना भी तो नही कर सकता, सो उसके पीछे खड़ा होकर उपर वाले ड्रॉ को चेक करने लगा,
पहले तो मेने कोशिश के, कि उससे ना सट पाऊ, लेकिन ड्रॉ कुच्छ ज़्यादा उँचा था, सो मुझे थोड़ा और आगे बढ़ना पड़ा, और वही हुआ जो मे सोच रहा था…
मेरा आगे का उभरा हुआ हिस्सा खुशी की मोटी गान्ड और कमर के बीच की उठान पर जा टिका…
अपनी गान्ड के उठान पर मेरे लंड के उभार को महसूस करते ही खुशी अपनी गान्ड को और पीछे करते हुए अपने पंजों पर खड़ी हो गयी, कुच्छ इस तरह से मानो वो भी उचक कर ड्रॉ में झाँकने की कोशिश कर रही हो..
उसके पंजों पर उचकने से गान्ड की दरार मेरे लंड से रगड़ गयी…! उसके मूह से दबी-दबी सी सिसकी निकल गयी…!
मेने ड्रॉ चेक किया, लेकिन उसमें उसकी ब्रा थी ही नही तो मिलती कहाँ से, कुच्छ देर उसके अंदर के कपड़ों को उलट-पलट कर देखने के बाद मेने कहा –
खुशी इसमें तो वो दिख नही रही, ये कहकर में पीछे को हटने लगा कि तभी उसने मेरे दोनो हाथ पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिए और बोली –
कोई बात नही मे दूसरी निकाल लूँगी…!
उसकी मस्त मुलायम चुचियों का स्पर्श पाकर मेरे लंड को एक झटका सा लगा…
लेकिन मेने उन्हें दबाया नही और अपने हाथ छुड़ाकर पीछे को हट गया…
मेने कहा - कमिशनर साब आप क़ानून के रखवाले हैं, और आप ही ऐसा करेंगे मुजरिमों को बचाने की कोशिश करेंगे, ये तो अपने पद के साथ गद्दारी हुई ना…
वो भड़क कर बोले – हू आर यू..? मुझे मत सिख़ाओ क़ानून के साथ क्या करना है क्या नही…!
मेने कहा – मे भी क़ानून का मुहाफ़िज़ हूँ, और क़ानून की इज़्ज़त करना मेरा धर्म है..!
कमिश्नर – हम इस मामले में तुम लोगों के साथ कोई बहस नही करना चाहते, बस एक बात हमारी सुन लो एसपी, इस केस में आगे बढ़ाने के लिए हम तुम्हें पेर्मिशन नही दे सकते…
मेने सीट से उठते हुए कहा - कोई बात नही सर, हम सीधे कोर्ट से ही अरेस्ट वॉरेंट निकलवा लेते हैं, चलो एसपी साब…
मेरी बात सुनकर कमिशनर चड्डा भड़क गया, और भैया को धमकाने लगा…
लुक एसपी, अगर तुमने मेरे बेटे या उसके दोस्तों को हाथ भी लगाया, तो समझ सकते हो तुम्हारा क्या हाल होगा…
मे – ज़्यादा से ज़्यादा ट्रान्स्फर ही कर सकते हैं आप, इससे ज़्यादा आपके हाथ में कुच्छ नही है..
इतना बोलकर हम उसकी और कोई बात बिना सुने वहाँ से निकल आए, मे भैया को लेकर सीधा जस्टीस ढीनगरा के पास पहुँचा….!
उनको सारी बात बताई, मेडिकल सर्टिफिकेट की बिना पर उन्होने तुरंत अरेस्ट वॉरेंट इश्यू कर दिया….
आनन फानन में उन तीन लड़कों को अरेस्ट कर लिया गया, चौथे का नाम उनसे उगलवा कर, उसे भी दबोच लिया, जो योगराज बिल्डर का बेटा था…
चार्ज शीट बना कर उन्हें दूसरे दिन ही कोर्ट में पेश किया गया…और पोलीस कस्टडी ले ली…
भैया ने अपने तौर पर तो अपना काम कर दिया था… जिसके लिए उन्हें कमिशनर से काफ़ी लताड़ भी सुननी पड़ी….!
लेकिन हवालात में उन लड़कों के साथ मुजरिमों जैसा वार्तब कतयि नही किया गया, हमारे निकलते ही पोलीस वाले किसी मेहमान की तरह उन हराम्जादो की सेवा में लग गये….
इस दौरान राम लाल पर काफ़ी दबाब भी डाला, यहाँ तक कि, उसको खरीदने की भी कोशिश की गयी…
लेकिन रेखा ने अपने बाप को साफ-2 बोल दिया, कि अगर उसने ऐसा कुच्छ भी करने का सोचा भी तो वो मौत को अपने गले लगा लेगी… लेकिन अपने जीते जी, उन कुत्तों को माफ़ नही करेगी…!
दो दिन बाद रेखा को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी, और वो लोग अपने घर आगये…
8 दिन की पोलीस रेमंड के दौरान उन लोगों ने जी तोड़ कोशिश की… वो कहावत है ना ! कि पैसों से यहाँ सब कुच्छ खरीदा जा सकता है…!
वही सब हुआ, राम लाल 10 लाख लेकर कोर्ट में मुकर गया… उसने रेखा को भी सच्चाई बयान नही करने दी,
पैसों के दम पर उन्होने सुनवाई भी अपने फेवर के जड्ज के यहाँ करा ली…जो उनका ही आदमी था…
सारे सबूत झूठे साबित कर दिए गये…, यहाँ तक कि मेडिकल रिपोर्ट भी बदलवा दी गयी, और उन चारों को बा-इज़्ज़त रिहा कर दिया गया…जिन्होने कभी किसी की इज़्ज़त नही की.
उसके दो दिन बाद ही रेखा ने अपने आपको पंखे से लटका लिया… और वो इस लालच से भरी दुनिया को छोड़ कर चली गयी…!
पैसों के वजन के आगे, राम लाल को बेटी का गम भी हल्का महसूस हुआ… जो उन लोगों ने बाद में और बढ़ा दिया था, और उसने इस मामले में अपनी चुप्पी साध ली….!
इस घटना के बाद भैया के संबंध उनकी ससुराल से और ज़्यादा खराब हो गये, और कामिनी भाभी उनका बंगला छोड़ कर अपने पिता के घर रहने चली गयी….
खैर ये तो अच्छा ही हुआ, क्योंकि वो भी उनसे छुटकारा पाना चाहते थे, सो उन्होने अपनी तरफ से पहल करते हुए, डाइवोर्स केस फाइल कर दिया….!
मेने उनके यहाँ कोर्ट के थ्रू उसका नोटीस भिजवा दिया…
राजनीति का एक नेगेटिव पहलू भी होता है, ये साले नेता लोग परिवारिक प्रतिष्ठा को हर हालत में बचाए रखने का यता संभव प्रयास करते हैं..
सो जैसे ही डाइवोर्स नोटीस उन्हें मिला… वो लोग हड़बड़ा गये, दौड़े-दौड़े भैया के पास आए… और अपनी इज़्ज़त की दुहाई देने लगे.
भैया ने कहा – कि पहल तो तुम्हरी तरफ से हुई है… मे तो इस बेमानी रिस्ते से निजात ही दिला रहा हूँ… तुम भी खुश और मे भी चैन से रह सकूँगा…
जब वो ज़्यादा मिन्नतें करने लगे तो भैया ने दो टुक जबाब देते हुए बोल दिया… कि अब जो भी बात करनी हो, मेरे लॉयर से करो…,
मेरे ऑफीस का अड्रेस तो मेरे लेटरहेड में था ही, सो दूसरे ही दिन कामिनी मेरे ऑफीस आ धमकी….!
मुझे सामने देख कर वो चोंक गयी… और बोली – अरे देवेर जी ! आप और यहाँ..?
मेने पहले उनको नमस्ते किया फिर आराम से बैठने को कहा… जब वो मेरे सामने बैठ गयी तो मेने कहा – हां ! ये मेरा ही ऑफीस है… कहिए क्या सेवा करूँ आपकी…
वो मायूसी वाले स्वर में बोली – आप तो हमसे इतने ज़्यादा नाराज़ हैं, कि घर पर भी आपने ऐसा व्यवहार किया… जैसे मे आपकी भाभी ना होकर कोई दुश्मन थी…
मे – अपने उस व्यवहार के लिए मे माफी भी माँग चुका था, और आपको वादा भी किया की आइन्दा आपको टच भी नही करूँगा…,
वो – वही तो रोना है, मे तो चाहती थी, कि आप मेरे साथ वो बार – बार करो… थोड़े से दर्द के बाद मज़ा भी तो था उसमें,
पर आपने मुझे कुच्छ कहने का मौका ही नही दिया…
मे – क्या…? क्या सच में आप उस बात से नाराज़ नही थी…?
वो – ऑफ कोर्स नोट !
मे – ओह.. सच में मेने कितनी बड़ी भूल करदी, जो आप जैसी मस्त हॉट भाभी से दूर हो गया…
कामिनी को लगा कि उसका तीर चल गया है, वो उसकी धार और बढ़ाने के लिए अपनी चेयर से उठकर मेरे पास आगयि और पीछे से मेरे गले में बाहें डाल कर बोली –
अभी भी कोन्सि देर हुई है देवेर जी, मे तो आप जैसे मर्द के लिए कुच्छ भी सहने को तैयार हूँ… प्लीज़ मुझे वो तकलीफ़ एक बार फिर से दो ना..!
इतना कह कर वो मेरी गोद में आकर बैठ गयी… और मेरे गाल को किस कर लिया…
मेने उसे गोद से उठने का इशारा किया, तो वो थोड़ी नाराज़ सी दिखी,…
मेने कहा – एक मिनिट उठिए तो सही, एकदम से कोई आगया तो लेने के देने पड़ जाएँगे…
मेरा तो अभी धंधा ठीक से जमा भी नही है, उससे पहले ही बंद हो जाएगा…
वो मेरी बात का मतलव समझ कर गोद से उतर गयी, मेने जाकर गेट लॉक किया और फिरसे उसे अपनी गोद में लेकर अपनी सीट पर बैठ गया….
वो इस समय एक लाल रंग का टॉप और लोंग स्कर्ट में थी, गोद में आते ही वो मेरे होठों पर टूट पड़ी…मे उसकी बड़ी-2 चुचियों को मसल्ने लगा…
अभी भी कामिनी ने अपने फिगर को अच्छे से मेनटेन किया हुआ था, शायद जिम वगैरह जाती होगी,.
चुचियों में वही सुडौलता, कड़क टाइट गान्ड, सपाट पेट…भैया शायद अच्छे से उसकी मस्ती को मिटा नही पाते होंगे ड्यूटी के बोझ की वजह से…
बहुत गर्मी चढ़ि थी उसको… वो किसी भूखी कुतिया की तरह मेरे होठों को खाए जा रही थी….
मेने भी उसकी चुचियों को मसल्ने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी, मस्ती से उसका चेहरा लाल भबुका हो गया था…
मेने उसकी स्कर्ट में हाथ डालकर उसकी चूत को जैसे ही मसाला…, वो मेरा हाथ झटक कर मेरी गोद से उतर गयी…
मे आश्चर्य से उसको देखने लगा, सोचा- साली इसको अचानक से क्या हो गया..?
मेने उसे पुछा – क्या हुआ भाभी मेरे साथ मज़ा नही करना है…?
वो एक नशीली सी स्माइल करते हुए बोली – करना है ना ! लेकिन ज़रा खुलकर..
अच्छा तो ये बात है, ये कहकर मेने उसकी स्कर्ट को खींच दिया, अब वो टॉप और पैंटी में आ गयी…
मेने उसे फिरसे अपनी गोद में खींच लिया, और उसकी चूत को पैंटी के उपर से अपनी मुट्ठी में लेकर मसल दिया…
वो मस्ती से सिसकने लगी…, हइईई…मेरे...रजाआ…. तुम्हारे हाथों में तो जादू है….
थोड़ा सा ज्ञान अपने भाई को दे देते तो कितना अच्छा रहता… उूउउफफफ्फ़……उन्हें तो बस अपनी ड्यूटी ही दिखाई देती है.. अपनी बीवी की तो कोई परवाह ही नही…. आअहह….ससिईईई…
मेने उसकी पेंटी को एक ओर करके अपनी दो उंगलिया उसकी गीली चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा….
उसने लपक कर मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत से हटा दिया, खड़े होकर एक मिनिट में ही अपने वाकी के सारे कपड़े निकाल फेंके, और फिर मेरे कपड़ों पर टूट पड़ी…
उसकी व्याकुलता देख कर मेने मन ही मन कहा… लगता है साली जाने कब्से लंड की भूखी है…
जब मेरे भी सारे कपड़े निकल गये तो मेने उसे टेबल के उपर लिटा दिया, और उसकी टाँगों को उठाकर उसकी गीली चूत में अपना सोटा सा लंड पेल दिया…
सर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर………….से एक ही झटके में मेरा तीन-चौथाई लंड उसकी चूत में सरक गया… उसकी आँखें बंद हो गयी…. और एक मीठी सी कराह उसके होठों से फुट पड़ी…
आहह….भाभी…क्या टाइट चूत है तेरी…. अभी भी एकदम कसी कसी है….
तुम्हें अच्छी लगी….आअहह….फिर फाडो…. राजा….. बना दो इसका भोसड़ा…अब देर मत करो, आहह…. डाल दो पूरा…
उसकी उत्तेजक बातें सुनते ही मुझे जोश आ गया… और पूरी ताक़त से धक्का लगा दिया….
ढपाक से मेरे अंडे उसकी गान्ड से जा टकराए… जड़ तक मेरा लंड उसकी चूत में था, जो उसकी बच्चेदानी तक पहुँच चुका था….
आईईईईईई……….माआअ……थोड़ा धीरे ..देवरजीीइईईईई….आअहह…मज़ा आगया…मेरी जानन्न…
उसके होठ चूस्ते हुए मे उसकी चुचियों को मसल्ने लगा… और धक्के भी लगाता रहा….
मेरे तीन तरफ़ा हमले को वो ज़्यादा देर झेल नही पाई और उसकी चूत भल भला कर झड़ने लगी…, उसकी एडीया मेरी गान्ड के उपर कस गयीं….
मेने अब उसको नीचे खींच लिया और टेबल पर हाथ टिका कर उसको घोड़ी बना दिया..
उसकी चौड़ी गान्ड देख कर मेरा मन फिर ललचा गया…
भाभी ! गान्ड दोगि ?
वो – नही नही… ! तुम बहुत बेदर्दी से मारते हो… ऊस्दिन का दर्द अभी भी याद आजाता है…
मे – लेकिन अभी कुच्छ देर पहले तो आप बोली थी, वैसी ही तकलीफ़ दो मुझे.. फिर अब क्या हुआ…?
वो हँसते हुए बोली – हहहे… वो तो मेने वैसे ही तुम्हें उकसाने के लिए बोला था, और फिर मुझे घर भी तो जाना है,
लंगड़ी घोड़ी की तरह चलूंगी तो कोई भी पहचान लेगा कि छिनाल कहीं गान्ड मरा कर आई है…
मे भी इस समय उसे नाराज़ नही करना चाहता था, सो उसकी चूत में फिरसे लंड पेल कर ढका-धक चुदाई शुरू कर दी…
आधे घंटे में वो तीसरी बार झड रही थी, उसके साथ ही मेरा भी नल खुल गया और अपने वीर्य से उसकी चूत को भर दिया…
वो कुच्छ देर टेबल पर गाल टिकाए पड़ी रही, फिर अपनी पैंटी से ही अपनी चूत और मेरे लंड को सॉफ किया…, चिपचिपी पैंटी को अपने बॅग में डाल लिया, फिर हमने अपने -2 कपड़े पहन लिए….
उसके बाद मेने गेट अनलॉक किया, और फिर अपनी-2 सीट पर बैठ कर बातें करने लगे..
मे – हां भाभी ! अब कहिए… कैसे आना हुआ…?
वो कोर्ट के थ्रू मिले डाइवोर्स का नोटीस टेबल पर रखते हुए बोली – ये क्या है देवेर जी…?
मे – डाइवोर्स का नोटीस है, साइन कीजिए और अलग हो जाइए आप दोनो,
वैसे भी शुरुआत तो आपकी तरफ से हो ही चुकी है, भैया तो उस बेमानी रिस्ते से आपको आज़ाद ही कर रहे हैं बस…
वो – मेरे अपने डॅड के घर चले जाने से ही उन्होने ये सोच लिया कि हमारा रिस्ता ऐसे ही ख़तम हो जाएगा..?
मे – और भी बहुत सी बातें हैं, जो आपकी और उनकी सोच से मेल नही खाती…
अब यही ले लीजिए… आपकी शादी को इतने साल हो गये, अभी तक आप माँ नही बनना चाहती, ये भी एक बहुत बड़ी वजह है, जो दिखती है कि आप इस बंधन से आज़ादी चाहती हैं…
दूसरी वजह… जो चीज़ें उनको हर्ट करती हैं, आप जान बुझ कर वही काम करती हैं…
इन सबके बावजूद, अब आप बिना उनसे कुच्छ कहे सुने अपने पिता के घर जाकर रहने लगी…
तो इससे अच्छा है कि ये रिस्ता ही ख़तम करिए…और जी लीजिए अपनी –अपनी लाइफ, जैसे जीना चाहते हो…
वो कुच्छ देर चुप रही, फिर कुच्छ सोचकर बोली – मे मानती हूँ, कि मुझसे कुच्छ ग़लतियाँ हुई हैं… और हो रही हैं…
अब में तुम्हें अश्यूर करना चाहती हूँ.. कि आगे से उन्हें सुधारने की कोशिश ज़रूर करूँगी …मुझे बस एक मौका दिला दो…
और रही बात डॅड के पास जाकर रहने की, तो ये जानते हुए कि सन्नी मेरा चचेरा भाई है, उन्होने उसे अरेस्ट करवा दिया…
डेडी की इज़्ज़त का भी कोई ख्याल नही किया…
मे – तो आपका मतलव है कि वो बेगुनाह है,…?
वो – हम कॉन होते हैं, किसी को गुनेहगर या बेगुनाह कहने वाले, ये तो अदालत में ही साबित होना है, और हुआ भी… देखलो वो बेगुनाह साबित हुआ भी…
मे – देखिए भाभी हम यहाँ कॉन बेगुनाह है, या कॉन गुनहगार, इस विषय पर बहस करने नही बैठे,
बस मे यही कहना चाहता हूँ, कि उन्होने सिर्फ़ अपनी ड्यूटी की है…, अगर आप यही सब कहने आई हैं, तो सॉरी ! इस मामले में मे आपकी कोई मदद नही कर सकता…
और वैसे भी एक अच्छी पत्नी का कर्तव्य है, कि वो हर परिस्थिति में अपने पति के फ़ैसले के साथ खड़ी रहे… जो आपने कभी नही किया…
वो – चलो मान लिया कि मेने ग़लती की है, पर आगे से कोशिश करूँगी अपने को अच्छी पत्नी साबित कर सकूँ… बस इस बार किसी तरह से उनको समझाओ, और ये केस वापस लेलो…
मे – इसके लिए मे आपकी मदद कर सकता हूँ… लेकिन फिलहाल मामला गरम है, कुच्छ दिन और इंतेज़ार करो, सब ठीक हो जाएगा…
ये वादा करता हूँ, कि आप दोनो को फिरसे मिलने का भरसक प्रयास करूँगा…अगर आपने अच्छा बनके साबित कर दिखाया तो…
इसी तरह की कुछ और बातों के बाद वो फिर मिलते रहने का वादा करके चली गयी… और मे अपने अगले कदम को सोच कर मुस्करा उठा….!
मे किसी भी तरह से इन लोगों के बीच घुसना चाहता था, कोई रास्ता मुझे दिखाई नही दे रहा था, लेकिन अब ये सामने से ही मौका मेरे हाथ आता दिखाई देने लगा.
मे ठान चुका था, कि रेखा के क़ातिलों को उनके किए की सज़ा तो देकर ही रहूँगा, जो रास्ता मुझे अब तक नही मिल पा रहा था, वो कामिनी के द्वारा मिलता दिखाई दे रहा था…
मेने उसे भैया से दोबारा संबंध सुधारने का आश्वासन देकर अपने जाल में फँसा लिया था, अब वो मेरे खिलाफ कभी सोच भी नही सकेगी…
उसका मुख्य कारण था, अपने बाप की पोलिटिकल इमेज बचाना….!
मेने अपने एक आदमी को उसके पीछे लगा दिया, वो कहाँ जाती है, क्या करती है, किसके साथ उठना बैठना है…!
वो ग़लत कामों में लिप्त है, ये मुझे हिंट मिल चुकी थी…, अब कितनी अंदर तक है ये जानना ज़रूरी था…
मेने अपना आदमी उसके पीछे लगा तो दिया था, लेकिन इतनी बड़ी हस्ती के अंदर तक घुसकर ऐसे सीक्रेट निकाल पाना बड़ा मुश्किल काम था…
लेकिन कहते हैं ना कि जहाँ चाह होती है, वहाँ कोई ना कोई राह अवश्य निकल आती है, और ऐसी ही एक राह मुझे जल्दी ही मिलने वाली थी….
कुच्छ दिन रेखा वाले रेप केस में, मे इतना उलझ गया, की गुप्ता जी का एक टॅक्सेशन का मामला ही भूल गया,
वैसे तो वो अपना बिज़्नेस पूरी ईमानदारी से करते थे, समय पर टॅक्स भरना वो कभी नही भूलते थे,
लेकिन फिर भी एक घूसखोर बाबू ने जाली पेपर बनाकर कमिशनर की सील और फ़र्ज़ी साइन करके उनके ऑफीस में 25 लाख टॅक्स वकाया का नोटीस भिजवा दिया..!
गुप्ता जी ने ये मामला हल करने के लिए मुझे बोला, सारे पेपर चेक करने के बाद मे समझ गया कि ये सब फर्ज़ीबाड़ा है, तो मेने बाद में मिलने का सोच कर पेंडिंग रखा…
इसी बीच डॉक्टर. वीना से मुलाकात के बाद रेखा वाले रेप केस में बिज़ी हो गया, जिसमें उस बेचारी को इंसाफ़ तो नही मिला, उल्टे अपनी जान देनी पड़ गयी…
इस मामले से मे थोड़ा अपसेट भी था, कि इसी बीच उस बाबू का फोन भी गुप्ता जी के ऑफीस में आगया, उन्होने मुझे फोन करके याद दिलाया…
तब मुझे याद आया और उन्हें आज के आज ही ये मामला हल करने का आश्वासन देकर मे उस बाबू से मिलने उसके ऑफीस चल दिया…
स्मार्ट फोन मेरी जेब में ही था जिसे मेने उसके ऑफीस में एंटर होने से पहले ही वीडियो रेकॉर्डिंग मोड पर सेट कर दिया, अब बस ओके करने की देर थी और रेकॉर्डिंग स्टार्ट हो जानी थी,
मेने उसको सारे डीटेल समझाए, इतनी इनकम हुई, इतना पर्चेस हुआ, इतना ओवरहेड्स हुए, इतना इनकम टॅक्स जमा हुआ, इतना सेल्स टॅक्स जमा हुआ वो सारी वर्क शीट सील साइन के साथ उसको दिखाई…
उसने वो सारे पेपर एक साइड को सरका दिए, मे समझ गया, अब ये अपनी औकात पर आनेवाला है, सो चुपके से ओके बटन दबा दिया, रेकॉर्डिंग शुरू हो गयी…
वो बोला – देखिए वकील साब, अब इस बाबू की नौकरी से तो दो जून की रोटी ही हो पाती है, मे ये सब जानता हूँ कि गुप्ता जी जैसा क्लाइंट कभी धोखा धड़ी नही करता..
लेकिन कुच्छ अपना भी तो भला सोचिए, ये 25 लाख की रिकवरी का नोटीस है, कुच्छ आप भी कमा लो, और एक-दो % हमें भी दिलवा दो, मामला यहीं रफ़ा दफ़ा हो जाएगा…
वरना आप तो जानते ही हैं, एक बार मामला कोर्ट के हाथ में चला गया, तो हमारे ऑफीस को सारे ओरिजिनल डॉक्युमेंट्स चेंज करने में कितना वक़्त लगेगा…
आप लाख सबूत पेश करते रहिए कोई सुनने वाला नही है, 25 लाख खम्खा सरकार की तिजोरी में जमा करना ही पड़ेगा…, ना हमें कुच्छ हासिल होगा और ना आपको…
मे शांत होकर उसका सारा भाषण सुनता रहा, फिर वो आगे बोला – बोलिए, फिर क्या विचार है…!
उसे लाइन पर लाने के लिए इतना सबूत काफ़ी था, सो चुपके से मोबाइल की रेकॉर्डिंग ऑफ करते हुए कहा – देखिए साब मेरा उसूल है,
मे जिसके लिए भी काम करता हूँ, उसके साथ पूरी ईमानदारी निभाता हूँ, तो मे तो ये अलाउ नही करूँगा कि आपकी बात मान ली जाए…
रही बात केस करने की तो उसके लिए आप फ्री हैं, देख लेंगे अगर 25 लाख देना ही पड़ा तो सरकार को ही देंगे, कम से कम हमारा पैसा विकास के कामों तो लगेगा…
मेरी बात सुनकर वो चिड गया और झूठी गीदड़ भभकी देते हुए बोला – जुम्मा- जुम्मा चार दिन हुए हैं आपको वकालत शुरू किए हुए… ज़्यादा ईमानदारी मत दिखाओ, वरना लेने के देने पड़ सकते हैं…
हम जैसे बाबुओं के चक्कर में पड़कर अच्छे-अच्छे अपनी वकालत भूल जाते हैं…! मे फिर कहता हूँ, मेरी बात मानिए और आप भी थोड़ा बहुत कमा लीजिए…
गुप्ता जैसी मोटी मुर्गी से दो-चार अंडे ले भी लोगे तो भी उसको कोई फरक नही पड़ने वाला…!
मे - लेकिन मुझे तो फ़र्क पड़ता है, मे अपने जमीर को नही मार सकता, और रही बात पैसे कमाने की, तो गुप्ता जी मुझे बिना माँगे ही इतना दे देते हैं, कि मुझे ऐसे कामों की ज़रूरत ही नही पड़ती…
मेरी बात से वो और ज़्यादा चिढ़ गया और ठंडे से लहजे में बोला – तो नही मानेंगे आप, ठीक है फिर कोर्ट में ही मिलते हैं…!
मे – शायद मुझे इतनी दूर जाने की ज़रूरत ही ना पड़े, हो सकता है कमिशनर साब के ऑफीस में ही बात बन जाए…!
मेरी बात सुनकर वो चोंक गया…, मेने टेबल पर अपने दोनो हाथ रख कर उसकी तरफ झुकते हुए बोला – वैसे कितने बच्चे हैं आपके…?
बाबू – बच्चों से क्या मतलव है तुम्हारा…?
मे – उनका भविश्य सुरक्षित कर लिया है या उसी के लिए रिश्वत माँग-माँग कर पैसे जमा कर रहे हो…!
ऐसा ना हो नौकरी चले जाने पर बेचारे दर-दर भटकते फिरें…
बाबू – धमकी दे रहे हो, जाओ जाकर कमिशनर साब से शिकायत करदो, कोई सबूत नही है कि मेने तुमसे पैसे माँगे हैं…
मे – जानते हो मे कमिशनर साब के ही पास क्यों जा रहा हूँ..?
उसने सवालिया नज़रों से मुझे घूरा…जैसे पूछना चाहता हो कि क्यों..?
मेने आगे कहा – क्योंकि मे तुम्हारे बच्चों का बुरा नही चाहता, कमिशनर साब ज़्यादा से ज़्यादा तुम्हें कुच्छ दिनों के लिए सस्पेंड ही करेंगे…
लेकिन अगर मामला कोर्ट में चला गया ना, तो हो सकता है, रिश्वत माँगने के जुर्म में हमेशा के लिए नौकरी चली जाए और साथ में जैल भी हो सकती है…
वो भड़कते हुए बोला – क्या सबूत है तुम्हारे पास कि मेने तुमसे रिश्वत माँगी है…!
मेने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – लो देखो, ये कहकर मेने मोबाइल की क्लिप उसके सामने चला दी…!
देखते ही उसका शरीर डर से थर-थर काँपने लगा, गिरगिट की तरह फ़ौरन रंग बदलते हुए मेरे पैर पकड़ लिए और गिडगिडाकर बोला –
मुझे माफ़ करदो वकील साब, प्लीज़ ये सबूत किसी को मत दिखाना वरना मेरे बच्चे भूखे मार जाएँगे… रहम करो मुझ पर…!
मे – वादा करो, आइन्दा कोई ग़लत रास्ते से पैसा कमाने की कोशिश नही करोगे…
वो – मे वादा करता हूँ, आइन्दा ऐसा काम कभी नही करूँगा…!
उसने वो सारे फर्जी पेपर मेरे सामने फाड़कर डस्टविन में डाल दिए, मे उसे सबक सिखाकर उसके ऑफीस से बाहर आ गया….!
करने को तो और बहुत कुच्छ हो सकता था, लेकिन उसके बाल-बच्चों का सोचकर मेने उसे धमका कर ईमानदारी पर चलने के लिए मजबूर कर दिया था…
और ये मेरा उसूल रहा है, कि पापी को मत मारो, हो सके तो उसके अंदर के पाप को ख़तम करो, जिससे वो पाप करे ही नही..
वहाँ से सीधा गुप्ता जी के ऑफीस पहुँचा, पता चला वो किसी साइट विज़िट को निकल गये थे, उन्हें फोन करके बता दिया कि मामला निपट गया है, कल घर आकर मिलता हूँ..…!
दूसरे दिन जब सुबह मे उनके घर पहुँचा, हमेशा की तरह वो पूजा में ही थे, हॉल में सेठानी नज़र आई, जो मुझे देखकर खुश हो गयी, और बड़े अपनत्व भाव से मेरी आव-भगत की…
सेठानी – सेठ जी तो अभी पूजा में है, तब तक तुम खुशी से मिल लो, बहुत याद करती रहती है तुम्हें, हर समय तुम्हारी ही बातें रहती हैं उसकी ज़ुबान पर…
मे – अभी वो कॉलेज नही गयी…
सेठानी – नही, अभी वो अपने रूम में तैयार ही हो रही होगी, जाकर मिल लो…
मे खुशी के रूम में जाने के लिए सीडीयों की तरफ बढ़ गया, मेरे पीछे सेठानी के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान तार उठी, जिसे मे नही देख पाया…!
खुशी के रूम का दरवाजा ढलका हुआ ही था…मेरे हल्के से दबाब से वो खुल गया, उसके बेड पर उसके नाइट के कपड़े बिखरे पड़े थे, लेकिन वो कहीं नज़र नही आ रही थी…
मेने धीरे से उसे आवाज़ दी, लेकिन कोई जबाब नही आया, सोचा शायद बाथरूम में होगी, बाद में मिल लूँगा, ये सोच कर मे जैसे ही पलटा की बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई…
मेने पलटकर बाथरूम की तरफ देखा, वो नहा कर बाथरूम से बाहर ही आ रही थी, इस समय उसके मांसल बदन पर मात्र एक टॉवेल लिपटा हुआ था..…
उसकी तरफ ज़्यादा ध्यान ना देकर मे वहाँ से निकलने लगा, तो पीछे से खुशी की आवाज़ सुनाई दी…!
अरे अंकुश भैया आप, आओ ना, चल क्यों दिए…?
मे – नही ! तू तैयार होज़ा मे नीचे ही हूँ, इतना कहकर मे फिर से कमरे के गेट की तरफ बढ़ा, तब तक वो मेरे पास तक आगयि, और पीछे से मेरा हाथ पकड़ कर बोली…
आप थोड़ी देर बैठो तो सही, मे दो मिनिट में तैयार हो जाउन्गि, फिर बात करते हैं… मुझे आपसे बहुत ज़रूरी काम है…
उसके हाथ पकड़ते ही मे उसकी तरफ पलटा, अब वो अपने मांसल बदन पर मात्र एक तौलिया लपेटे हुए, मेरे एकदम नज़दीक ठीक मेरी नज़रों के सामने थी…,
ना चाहते हुए मेरी नज़र उसके महकते बदन पर ठहर गयी…, मुझे यूँ अपने बदन को निहारते देख वो मंद-मंद मुस्करा रही थी…!
उसके गोल, सुडौल उमर से बड़ी चुचिया 1/3 से ज़्यादा तौलिया के बाहर थी, जिनपर उसके गीले बालों से टपकते पानी की बूँदें मोतियों के समान चमक रही थी..
उसके दूधिया उभारों को देख कर मेरे मन में हलचल सी होने लगी, मुझे लगा कि अगर एक पल और मे इन्हें देखता रहा, तो कहीं अपना संयम खोकर इन मोतियों जैसी चमाति पानी की बूँदों को चाट ना लूँ…!
सो फ़ौरन मेने अपनी नज़र नीचे झुका ली, लेकिन कहते हैं ना कि, आसमान से टपके और खजूर में अटके…!
जैसे ही मेरी नज़र नीचे को हुई, कि उसकी मोटी-मोटी केले के तने जैसी एकदम चिकनी गोरी जांघों पर जा टिकी, जो तौलिया से मात्र उसके यौनी प्रदेश को ढकने के बाद मुश्किल से 4-6” नीचे तक ही धकि हुई थी…,
एकदम गोलाई लिए उसकी जांघें इतनी सुडौल थी, क़ी फट की वजह से उसके घुटनों की डिस्क भी पता नही चल रही थी कि हैं भी या नही…! एकदम कॉनिकल उसकी टाँगें..
देखकर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा…,
खुशी ने मेरे हाथ पकड़कर जबर्जस्ती बेड के पास पड़े सिंगल सोफे पर बिठा दिया, और खुद अपने कपबोर्ड की तरफ बढ़ गयी…!
उसके पलते ही जैसे कयामत टूट पड़ी मेरे लौडे पर…, पीछे से उसकी तरबूज जैसी पीछे को निकली हुई गान्ड से तौलिया एकदम उठी हुई थी, जिसमें से उसका जांघों और कुल्हों के बीच का संधि स्थल साफ-साफ दिखाई दे रहा था…
ऐसा नही था कि तौलिया छोटा था, वो तो बेचारा फुल साइज़ ही था, लेकिन इसका क्या किया जाए कि ढकने वाली का शरीर ही ऐसा था कि सामने से चुचियों को ढकना और पीछे से उसकी गान्ड को ढकना उसे भारी पड़ रहा था…
उपर से खुशी की हाइट भी ठीक-ठाक ही थी, शायद साडे 5 फीट…!
वो अपनी गान्ड मटकाते हुए कपबोर्ड के सामने खड़ी हो गयी, और अपने कपड़े निकालने के लिए उसने उसे खोला…
कुच्छ देर वो सामने से कुच्छ ढूँढती रही, शायद अपने ब्रा-पैंटी, फिर जब वो उपर नही दिखे तो उससे नीचे वाले ड्रॉ में देखने के लिए जैसे ही झुकी…
इसकी माँ की आँख, उसका तौलिया बग़ावत कर बैठा, उसने उसकी गान्ड को ढकने से साफ मना कर दिया….
अरे यार नही … ऐसा नही …जो आप सोच रहे हो, वो खुला नही लेकिन भरकम गान्ड के पीछे होते ही वो उपर चढ़ गया, और ख़ुसी की गान्ड आधे तक नंगी हो गयी…!
मोटी-मोटी जांघों के बीच से उसकी मुनिया की फांकों का निचला भाग ऐसे झाँकने लगा, मानो दो बड़े बल्लों के बीच से कोई मूह निकालकर किस करने के लिए होठ आगे कर रहा हो…!
खुशी को अपनी स्थिति का पूरा अंदाज़ा था कि उसके इस पोज़ से क्या स्थिति बन रही होगी, और मे उस पोज़ को देखने का पूरा मज़ा ले रहा हूँगा, सो उसने ऐसे ही झुके हुए ही एक बार पलटकर मेरी तरफ देखा…!
मेने सकपका कर अपनी नज़र दूसरी तरफ फेर ली, और तिर्छि नज़र से देखा, खुशी मेरी हालत को देखकर मंद-मंद मुस्करा रही थी…!
फिर वो सीधी खड़ी हो गयी, और मुझे आवाज़ दी – भैया, ज़रा इधर आना…!
मेने वहीं बैठे-बैठे कहा – क्यों, क्या काम है? जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जा, मुझे जाना भी है…
वो – अरे एक मिनिट आओ तो सही…
मे असल में उठना नही चाहता था, ताकि मेरी जीन्स में बना उभार खुशी देख पाए, लेकिन अब झक मारकर उठना ही पड़ा, और उसके पास जाकर खड़ा हो गया…
मेने उसके पीछे खड़े होकर कहा – हां बोलो क्या है..?
वो ऐसे ही कपबोर्ड के कपाट खोले उनके बीच खड़ी रही और बोली – मेने ये दोनो ड्रॉ चेक कर लिए, लेकिन मेरी ब्रा कहीं दिख नही रही…
अब उपर वाले ड्रॉ तक मे देख नही पा रही, तो प्लीज़ आप ज़रा उसमें से ढूंड कर मेरी ब्रा दे दो ना…!
मेने कहा – ठीक है, अब हटो वहाँ से ताकि में देख सकूँ…!
वो – आप मेरे पीछे खड़े होकर भी देख सकते हो ना, जल्दी करो मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है…!
मुझे अब पक्का यकीन हो गया, कि ये लड़की जान बूझकर सब कर रही है, अब मे जैसे ही इसके पीछे खड़ा होऊँगा, ये अपनी मोटी गान्ड मेरे लंड पर रगडे बिना नही माँगी…
लेकिन अब मे इसको खुलकर मना भी तो नही कर सकता, सो उसके पीछे खड़ा होकर उपर वाले ड्रॉ को चेक करने लगा,
पहले तो मेने कोशिश के, कि उससे ना सट पाऊ, लेकिन ड्रॉ कुच्छ ज़्यादा उँचा था, सो मुझे थोड़ा और आगे बढ़ना पड़ा, और वही हुआ जो मे सोच रहा था…
मेरा आगे का उभरा हुआ हिस्सा खुशी की मोटी गान्ड और कमर के बीच की उठान पर जा टिका…
अपनी गान्ड के उठान पर मेरे लंड के उभार को महसूस करते ही खुशी अपनी गान्ड को और पीछे करते हुए अपने पंजों पर खड़ी हो गयी, कुच्छ इस तरह से मानो वो भी उचक कर ड्रॉ में झाँकने की कोशिश कर रही हो..
उसके पंजों पर उचकने से गान्ड की दरार मेरे लंड से रगड़ गयी…! उसके मूह से दबी-दबी सी सिसकी निकल गयी…!
मेने ड्रॉ चेक किया, लेकिन उसमें उसकी ब्रा थी ही नही तो मिलती कहाँ से, कुच्छ देर उसके अंदर के कपड़ों को उलट-पलट कर देखने के बाद मेने कहा –
खुशी इसमें तो वो दिख नही रही, ये कहकर में पीछे को हटने लगा कि तभी उसने मेरे दोनो हाथ पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिए और बोली –
कोई बात नही मे दूसरी निकाल लूँगी…!
उसकी मस्त मुलायम चुचियों का स्पर्श पाकर मेरे लंड को एक झटका सा लगा…
लेकिन मेने उन्हें दबाया नही और अपने हाथ छुड़ाकर पीछे को हट गया…