Update 50

उसी शाम 8:45 को, शहर से **** रोड पर स्थित एक बंद फॅक्टरी में दो इंसान एक अंधेरे पोर्षन में खड़े किसी का इंतेज़ार कर रहे थे…

अभी 9 बजने में 5 मिनिट शेष थे, कि उन्हें रोड से नीचे उतरती हुई एक फोर व्हीलर की हेडलाइट दिखाई दी…

धीरे – 2 वो हेडलाइट फॅक्टरी के कॉंपाउंड में आकर रुक गयी…

उसमें से असलम बाहर निकला, वो अकेला ही था, फिर उसने जोसेफ को फोन लगाया…और कन्फर्म किया कि वो आ चुका है या नही…

उसके कुछ मिनटों के बाद ही एक और गाड़ी वहाँ आकर रुकी, उसमें से जो बंदा बाहर आया, वो कोई और नही बिल्डर योगराज का बेटा गुंजन था…

वो दोनो, गाड़ियों के पास से चल कर थोड़ा और अंदर की तरफ आए, और फॅक्टरी के कॉंपाउंड में जाकर आमने सामने खड़े होकर बातें करने लगे…

गुंजन – हां असलम बोल, यहाँ अकेले में क्यों बुलाया है मुझे…?

असलम – पिछले दिनो हमारे उपर पोलीस के दो बड़े-2 अटॅक हुए उसके बारे में तेरे से बात करनी थी…!

गुंजन – ये बात तो तू सबके साथ बैठ कर भी कर सकता था, फिर यहाँ क्यों बुलाया…?

असलम – अब पता नही है ना कि हम में से कॉन गद्दार है ? बिना अंदर के किसी आदमी के पोलीस के पास अंदर की खबर पहुँची कैसे..?

गुंजन – तो इसमें मे क्या कह सकता हूँ, और कैसे उस गद्दार को ढूंड निकालें, तेरे पास कोई प्लान है..?

असलम – हां है ! प्लान ही नही गद्दार कॉन है, ये भी पता है…!

गुंजन – क्या…? तुझे पता है… कॉन है वो..? बता साले को अभी पकड़ कर उसकी खाल खींचते हैं..

असलम – वो गद्दार तू है गुंजन, हराम्जादे… पोलीस से मिलकर हमें ट्रॅप करना चाहता था, रंडी की औलाद…

गुंजन – ये क्या बकवास कर रहा है तू…? होश में तो है, मे भला क्यों ऐसा करूँगा..? और ये तू किस बिना पर कह रहा है…

असलम – ये देख भोसड़ी वाले! और उसने मोबाइल में एक वीडियो क्लिप ऑन करके स्क्रीन उसके सामने कर दी, जिसमें वो एसपी के सामने बैठा दिखाई दे रहा है,

जो बातें उस वीडियो में सुनाई दे रही थी, वो भी पहले अटॅक से रिलेटेड इन्फर्मेशन देती हुई लग रही थी…

क्लिप देख कर गुंजन हक्का –बक्का रह गया…हकलाते हुए बोला – ये..ये.. झूठ है, म..मेरे खिलाफ ये कोई बहुत बड़ी साजिश है, मेने ऐसा कभी नही किया..

असलम – अब भी झूठ बोल रहा है मदर्चोद… मे ही बेवकूफ़ हूँ जो तेरे से अभी तक बातें कर रहा हूँ, तुझे तो सीधे गोली से उड़ा देना चाहिए था…

इतना कह कर उसने अपनी रेवोल्वेर निकाल कर गुंजन पर तान दी…

वो गिडगिडाते हुए बोला – मे सच कह रहा हूँ असलम ऐसा मेने कुछ भी नही किया…, मेरा विश्वास कर भाई… व.वउूओ…

उसके गिडगिडाने का असलम पर कोई असर नही हुआ, और उसने अपने अंगूठे से रेवोल्वेर का लीवर ऑन कर दिया…

मरता क्या ना करता, फुर्ती दिखाते हुए गुंजन ने भी अपना रेवोल्वेर निकाल लिया, इससे पहले कि वो उसे अपने निशाने पर ले पाता, असलम की रेवोल्वेर से एक गोली चली और सीधी उसकी छाती को भेदती चली गयी..

गुंजन के चेहरे पर आश्चर्य के सेकड़ों भाव उभर आए, इससे पहले कि वो कुछ बोल पाता, धडाम से ज़मीन पर गिर पड़ा…

असलम ने उसके मुर्दा शरीर पर थूका और एक गंदी सी गाली बक कर अपनी रेवोल्वेर का रुख़ नीचे किया ही था, कि एक गोली और चली,

और वो सीधी असलम की आँखों के बीच आकर उसके भेजे के चिथड़े उड़ाती हुई निकल गयी…!

असलम को तो ये भी जानने का मौका नही मिला कि उसका असल दुश्मन कॉन है…?

तभी जोसेफ और रूबी अंधेरे से निकल कर उन दोनो की लाशों के पास आए, रूबी के चेहरे पर उन दोनो के प्रति जमाने भर की घृणा थी…

उसने उन दोनो के उपर थूका, और पैर की ठोकरें मारने लगी… जोसेफ ने उसे रोकने की कोशिश की.. तो वो रोती हुई उसके सीने से लिपट गयी…

फिर आसमान की तरफ देख कर बोली …

देखो दीदी, तुम्हारी मौत का आधा बदला ले लिया है हमने… जल्दी ही वो दोनो हराम्जादे भी तुम्हारे पास आने वाले हैं…

उसे शांत करके मेने अपना रेवोल्वेर गुंजन के हाथ में दे दिया, और उसका रेवोल्वेर लेकर हम दोनो वहाँ से निकल लिए…!

दूसरी सुवह किसी अंजान कॉल से पोलीस को पता चला कि पुरानी फॅक्टरी में दो लाशें पड़ी हैं, आनन फानन में मौके पर पोलीस ने जाकर हालत का जायज़ा लिया…

दोनो डेड बॉडीस को मौकाए वारदात की सारी ज़रूरी कार्यवाही के बाद पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया…

पोलीस ने ये निष्कर्ष निकाला, कि दोनो ने एक दूसरे को गोली मार कर एक दूसरे को मार डाला.. उनकी बॉडी और उनके पास से मिले सारी चीज़ों को कस्टडी में ले लिया गया…

झगड़े का मोटिव असलम के पास से मिले मोबाइल की क्लिप से क्लियर हो गया, जो साफ-2 बयान कर रही थी, कि उन दोनो का संबंध ड्रग डीलिंग से था,

फिर किसी कारण से गुंजन पोलीस से मिल गया, और उसने अपने ही गॅंग के खिलाफ पोलीस को इन्फर्मेशन दे दी…

ये बात किसी तरह असलम को पता चल गयी, और उसने उसे अकेले में बुला कर मारना चाहा, लेकिन इससे पहले कि वो उसे उड़ाता, दम तोड़ने से पहले गुंजन ने भी उसका भेजा उड़ा दिया…

इस बिना पर पोलीस ने योगराज और उस्मान को भी गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनके वकील ने ये साबित कर दिया, कि उन दोनो का अपने बेटों के इस मामले से कोई संबंध नही था…

बहरहाल तो वो दोनो छूट गये थे, लेकिन जातिय तौर पर दोनो में दुश्मनी ठन चुकी थी… और दोनो एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये…

दोनो की ही अपनी-अपनी पॉवेर थी, एक के पास पैसे की तो दूसरा नामी गुंडा था ही, जिसके पास अभी भी अपना गॅंग बचा था…

इस सबके बावजूद दो और शख्स थे, जो इस बात को पचा नही पा रहे थे, उनके गले से नीचे ये बात उतर ही नही रही थी, कि ये सब आपसी ग़लतफहमी के कारण हुआ है या फिर कोई गहरी साजिश है…?

एमएलए और कमिशनर ने उस्मान और योगराज को समझाने की पूरी कोशिश की, लेकिन जवान बेटों की मौत ने उन दोनो के सोचने समझने की शक्ति ख़तम करदी, वो कुछ भी सुनने और समझने को राज़ी नही थे…

एक दिन उस्मान को मौका मिल ही गया, और उसके आदमियों ने योगराज को मौत की नींद सुला दिया….!

पिता और भाई की मौत के बाद उनकी सारी प्रॉपर्टी की मालिक एक तरह से श्वेता ही हो चुकी थी,

क्योंकि योगराज की मिल्कियत उसकी पत्नी के नाम हो गयी, जो कि संभालने की पोज़िशन में नही थी, इसलिए सारा काम श्वेता और उसका पति पुष्प्राज ही संभालने लगे…!

योगराज आंड असोसीयेट्स को बहुत बड़ा नुकसान हुआ, एक तरह से उनके कारोबार की नीव ही हिल गयी थी…, जिसका सीधा-सीधा फ़ायदा गुप्ता & असोसीयेट को होने वाला था.

सांत्वना स्वरूप मे भी श्वेता के यहाँ गया, उसे हौसला बनाए रखने के लिए कहा…,

ऐसे मौके पर कोई ज़्यादा बातें तो नही हो सकती थी, लेकिन कुछ देर बैठने के बाद उसने अपने असोसीयेट की हेल्प करने के लिए मुझे अवश्य कहा, जिसे मेने आगे के लिए टाल दिया…………………..!

आज मे काफ़ी दिनो के बाद अपने घर लौटा था, सबके लिए कुछ ना कुछ लेकर आया था, सो सबको गिफ्ट दिए निशा को छोड़ कर…

रूचि के लिए ड्रेस के साथ साथ एक बड़ा सा टेडी बेअर लाया था, जिसे देख कर वो बड़ी खुश हुई…

भाभी ने कहा – लल्ला जी ! ये क्या, सबके लिए कुछ ना कुछ लाए हो, बेचारी निशा सबके मूह की तरफ देख रही है, उसके लिए कुछ नही लाए…

मे – निशा का गिफ्ट तो जीता जागता उसके सामने है, भला इससे अच्छा गिफ्ट क्या हो सकता है…

निशा इधर-उधर देखने लगी, शायद वो मेरी बात समझ नही पाई… मे खड़े – 2 उसके मज़े ले रहा था,

भाभी मेरी बात समझ गयी थी लेकिन सिवाय मुस्कराने के, उन्होने भी कुछ नही कहा….

संकोच वश वो बेचारी कुछ बोल नही पाई, मे अपना लॅपटॉप का बॅग लिए अपने कमरे की तरफ बढ़ गया… मेरे पीछे-2 निशा भी आगयि…

मे बाथरूम में घुस गया.. और फ्रेश होकर कपड़े चेंज किए.. जब बाहर आया तो उससे रहा नही गया, और आख़िर पुच्छ ही लिया…

आप जो बोल रहे थे, तो कहाँ है मेरा गिफ्ट…?

मेने उसके मासूम चेहरे को अपने हाथों में लिया, और उसके रस भरे होठों को किस करके बोला… ये है तुम्हारा गिफ्ट, मे जीता जागता तुम्हारे सामने नही हूँ..

वो मेरे गले से लिपट गयी, और गद गद होकर बोली – मे सच में कितनी बड़ी बेवकूफ़ हूँ, जो आपकी बात समझ ही नही पाई,

सच में इससे बड़ा और क्या गिफ्ट हो सकता है मेरे लिए…

फिर मेने अपने बॅग से एक डिब्बा निकाल कर उसको पकड़ा दिया, और बोला – लो अपना गिफ्ट..

वो – क्या है इसमें..?

मे – खोलकर देख लो.. तुम्हारा गिफ्ट है, मे क्या बता सकता हूँ..

जब उसने बॉक्स खोलकर देखा…डिब्बे में एक हीरों का हार देख कर उसकी आखें खुशी से जुग्नुओ की भाँति चमकेने लगी… !

मे – कैसा लगा अपना गिफ्ट…?

वो आँखें चमकाती हुई बोली – मेरे लिए है…?

मेने चुटकी लेते हुए कहा – नही हमारे गाओं की चंपा नाइं के लिए है…!

वो खुशी के मारे मेरे सीने से आ लगी, और बोली – बहुत सुंदर है. थॅंक यू वेरी मच जानू…

मे – अब पहन कर नही दिखाओगी..?

तो उसने डिब्बा मेरे सामने कर दिया, और बोली – लीजिए, आप खुद ही पहना दीजिए..

मेने वो हार उसकी गोरी – 2 सुराइदार गर्दन में पहना कर उसे ड्रेसिंग टेबल के सामने लाया और उसके पीछे खड़े होकर उसके गले को चूमकर बोला….

बहुत सुन्दर लग रही हो… इस हार की किस्मेत खुल गयी, तुम्हारे गले में आकर..

उसने पलट कर मेरे होठ चूम लिए… उसकी आँखों से खुशी के मारे दो बूँद आँसू निकल पड़े … आइ लव यू जानू…

मे – आइ लव यू टू जान ! कहकर मेने उसे अपने सीने में कस लिया…

फिर वो अपना हार दिखाने भाभी के पास चली गयी, और में लॅपटॉप लेकर पलंग पर आ गया…!

भाभी की प्रेग्नेन्सी को 5 महीने हो चुके थे, सो उनको ज़्यादा काम ना करने की हिदायत दी गयी थी…

मेने उन्हें सुझाव दिया कि क्यों ना मदद के लिए रामा दीदी को बुला लिया जाए.. उन्हें मेरा प्रस्ताव पसंद आया, और उन्होने दीदी को फोन लगा दिया..

मेरी शादी के बाद एक बार वो आ चुकी थी, तो उन तीनो की फोन पर लंबी चौड़ी बातें चली, फिर जब भाभी ने उन्हें आने के लिए पुछा तो उन्होने अपनी मजबूरी बता दी…

रामा – भाभी मन तो मेरा भी बहुत है, लेकिन यहाँ की ज़िम्मेदारी इतनी हैं कि इन्हें छोड़ कर नही आ सकती, गुड्डू (उनका बेटा) भी कॉलेज जाता है…

मे एन वक़्त पर ही आ पाउन्गी… सॉरी भाभी…मे जानती हूँ आप मेरी मजबूरी समझती होंगी…

तो भाभी ने कहा – मे सब समझती हूँ, तुम चिंता मत करो यहाँ सब ठीक हो जाएगा, वैसे ये सुझाव तुम्हारे प्यारे भैया छोटू का था…

फिर उन्होने मेरे साथ बात की और बोली – सॉरी भाई, मन तो मेरा भी तुझे मिलने का बहुत था, पर क्या करूँ ..तू खुद समझदार है…

मे – कोई नही दीदी, आप अपना घर सम्भालो, हम यहाँ मॅनेज कर लेंगे.. इस तरह कुछ और इधर-उधर की बातें की आज बहुत दिनो बाद अपनी बेहन से बात हुई थी, कुछ पुरानी यादें ताज़ा हुई, तो हम दोनो की आँखें भर आईं…

फिर दीदी ने भाभी की डेलिवरी के समय आने का वादा करके फोन कट कर दिया…

रूचि भी अब काफ़ी बड़ी हो गयी थी, और 5थ स्ट्ड. में पढ़ रही थी..

रात देर तक हम चारों जाने बातें करते रहे… फिर जब रूचि को नींद आने लगी तो वो दोनो माँ बेटी उठाकर सोने चली गयी.. और मे अपनी जान को लेकर पलंग पर कुस्ति खेलने आ गया…!

आज लगभग 15 दिन बाद में घर आया था, सो निशा मुझपर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी.. और रात भर में वो पिच्छले सारे दिनो की कसर निकालने लगी…

पलंग पर आने से पहले ही वो अपने सारे कपड़े निकाल चुकी थी, फिर उपर आकर मेरे सारे कपड़े निकलवा दिए… उसको इतनी जल्दी थी, मानो उसकी ट्रेन छूटने वाली हो…

झपट कर मेरा लंड थाम लिया, और उसकी भरपूर सेवा की, फिर मेरे सीने पर धक्का देकर पलंग पर लिटा दिया,

पलंग पर घुटने जमाकर अपनी रामदुलारी को मेरे पप्पू पर सेट किया, और फिर आँखें बंद करके धीरे-धीरे उसने उसको अंदर कर लिया…!

मेने उसके चेहरे को पकड़ कर झुकाया, और उसके होठ चूस लिए, फिर उसकी चुचियों को चूस्ते और मसल्ते हुए बोला---

क्या बात है मेरी जान, आज तो बहुत उतावली हो रही हो…

वो शरारत से मुस्कराते हुए बोली – आपका क्या भरोसा कहाँ रहते हो, 15-15 दिन घर नही आते, तो ये मौका क्यों जाने दूँ हाथ से…

मेने उसकी गान्ड मसल्ते हुए नीचे से अपनी कमर को धक्का दिया, और जड़ तक लंड पेलकर बोला –

अब दिन कितने ही हो जाएँ, लेकिन ये राइफल रिजिस्टर्ड तो तुम्हारे नाम ही है ना…

उसने मेरी बात पर अग्री होते हुए अपनी कमर चलाना शुरू कर दिया…!

उस रात मेने दो बार निशा को अच्छी तरह से चोदा, जब वो पूरी तरह से संतुष्ट हो गयी, उसके बाद हम दोनो गहरी नींद में सो गये…!

दूसरे दिन उठने में थोड़ा लेट हो गया था, वैसे भी चुदाई के बाद नींद बहुत जबरदस्त आती है, सुबह जल्दी उठने का मन ही नही होता…

रूचि कॉलेज जा चुकी थी, भैया भी कॉलेज को निकल चुके थे…

फ्रेश होकर एक्सर्साइज़ करने और फिर नहाने धोने में 10 बज गये , तब तक बाबूजी भी चाय नाश्ता करके जा चुके थे…

मेने भी नाश्ता किया, फिर निशा घर के कामों में लग गयी, और मे भाभी के रूम में जाकर उनके पास बैठ कर बातें करने लगा,

आज मुझे कोर्ट का कोई काम नही था, सो आज घर पर ही मौज करने का मन बना लिया था… वैसे भी 15 दिन से आया ही नही था…

बातों – बातों में भाभी ने राजेश भाई वाली घटना का जीकर छेड़ दिया और बोली

– लल्ला जी आख़िर आपने ऐसा क्या चक्कर चलाया था, जो भानु अपना केस वापस लेने को तैयार हो गया, और तो और मुआवज़ा भी देना पड़ा उसे…

मेने टालने के पर्पस से कहा – जाने दीजिए ना भाभी..! गढ़े मुर्दे उखाड़ने से क्या फ़ायदा… अपना काम हो गया.. भाड़ में जाए भानु से हमें क्या लेना देना अब उससे….!

भाभी समझ गयी, कि कोई तो ऐसी बात है, जो मे बताना नही चाहता, और जान बूझकर टालने की कोशिश कर रहा हूँ…

सो वो मेरी आँखों में देखते हुए बोली – कोई बात नही लल्ला जी ! अगर ऐसी कोई बात है, जो तुम मुझे भी नही बताना चाहते तो मत बताओ…!

वैसे मे तो सोच बैठी थी, कि कोई सच बोले या ना बोले… मेरा देवर मुझसे कभी कोई बात नही छुपाएगा…!

भाभी की बात सुनकर मुझे झटका सा लगा… मेने महसूस किया कि भाभी इस बात से दुखी हो गयी कि मे कोई बात उन्हें शेयर नही करना चाहता…

सो उनका हाथ अपने हाथों में लेकर बोला – भाभी प्लीज़ ! आप ऐसा क्यों सोचती हैं… मे तो बस ऐसे ही बोल रहा था, कि जिस बात से आपका कोई लेना देना नही है, उसे बताने का क्या फ़ायदा…

पर आपको ऐसा लगता है, कि मे जान बूझकर ये बात च्छुपाना चाहता हूँ.. तो सुनिए वो क्या बात थी, जिसकी वजह से भानु को मजबूरन मेरी हर बात माननी पड़ी…

याद कीजिए राजेश भाई की शादी का समय… निशा की सहेली मालती मुझे अपने घर सोने के ले गयी थी…

भाभी – हूंम्म…मुझे याद है…! फिर.

मे – उस रात मालती मेरे पीछे पड़ गयी, और मुझसे चुदके ही दम लिया उसने…लेकिन मेने उसे इस शर्त पर छोड़ा, कि आइन्दा वो ऐसी कोई ख्वाइश मेरे से नही रखेगी…

फिर जब निशा की स्टोरी सुनी, और मुझे पता लगा कि मालती और भानु की शादी हो गयी है, और मालती ने निशा को पर्पसफूली बुला के फँसाया था…

तभी मेने सोच लिया था, कि अब मालती ही हमें इसमें से बाहर निकालेगी… सो अपनी सोर्स से पता किया कि भानु और मालती हैं कहाँ…

ये तो हमें पता ही था, कि वो अभी भी हॉस्पिटल में पड़ा है, सो पहुँच गया वहाँ,

और भाग्यवश, उस हॉस्पिटल की ओनर डॉक्टर वीना, पहली ही मुलाकात में मेरे लौडे के जाल में फँस गयी…!

भाभी हँसते हुए बोली – तुमने अपना हथियार उसे दिखाया कैसे था…?

मेने उन्हें पूरी बात डीटेल में बता दी… तो वो बोली – सच में तुम्हारा व्यक्तित्व और ख़ासकर हथियार है ही ऐसा,

कोई कितनी ही सती सावित्री क्यों ना हो, अगर एक बार देखले तो उसे लेने को मचल ही उठती है…!

मे – इसका सारा श्रेय आपको जाता है भाभी…ये सब आपके लाड प्यार और मेहनत का ही तो नतीजा है… जो आपने मेरे उपर की थी…!

वो हँसते हुए बोली – म.मेरा..इसमें कुछ नही है, जो भी है तुम्हारा है…तुम हो ही ऐसे, मेने तो बस ढंग से उसकी देखभाल करदी थी…खैर फिर क्या हुआ…

मे – तो बस मेरे लंड के दर्शन पाते ही डॉक्टर वीना उसे लेने के लिए मचलने लगी…लेकिन उस वक़्त उसने सिर्फ़ अपने मूह में ही लिया था…

बातों- 2 में मेने भानु का जीकर छेड़ दिया, तो उसने सारी बातें सच-2 बता दी, और मेने उससे उसकी ओरिजिनल रिपोर्ट हासिल कर ली… जिस बिना पर हमें बैल मिल गयी..

उसी दिन जब मे डॉक्टर वीना से रिपोर्ट लेकर उसके रूम से निकला ही था, कि मालती मुझसे टकरा गयी…

मेने उसके सामने ऐसा शो किया जैसे मुझे अपने घर से, निशा से और राजेश भाई से कोई लेने देना नही है, मेने तो अपना अलग ही देल्ही में बिज़्नेस शुरू कर दिया है…!

वो मेरी बातों में आगयि, लंड की तो वो भूखी थी ही, जब मेने थोड़ी सी हिंट दी कि वो अगर चाहे तो उस मज़े को फिर से ले सकती है, आज ही मौका है उसके पास, फिर मे देल्ही वापस चला जाउन्गा…

फिर क्या था, लंड की प्यासी कुतिया, मेरे एक बार कहने पर ही होटेल के कमरे में आ गयी, जहाँ मेने कमरों को इस तरह से फिट कर दिया, कि उसमें वो तो साफ-2 दिखे, लेकिन मेरी शक्ल एक बार भी ना आई…

फिर मेने उसको होटेल के कमरे में ढंग से रगड़ा… उसके बाद हॉस्पिटल में ही मालती की आब्सेन्स में भानु से मिलने पहुँच गया…!

शुरू-2 में उसको भी मेने ऐसा जताया कि मुझे अपने घर से कोई लेना देना नही है…!

और उसकी बातों से पता लगाया कि वो अपने घर की इज़्ज़त के प्रति कितना सजग है… जो कि जाहिर सी बात थी, कि सूर्या प्रताप जैसा आदमी, अपनी इज़्ज़त का कितना भूखा होगा…

बस फिर क्या था…, धीरे से मेने मालती की चुदाई की कुछ पिक्स उसे खोल कर दिखा दी.. और धमका दिया कि अगर उसने मेरी बातें नही मानी, तो पूरा वीडियो नेट पर डाल दिया जाएगा,

जिसे वो अकेला ही नही, पूरी दुनिया चटकारे ले ले कर देखेगी, और हर मर्द उसकी मस्त जवान बीवी को अपने ख्वाबों में चोदा करेगा…!

उसकी गान्ड फट गयी, और अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए वो सारी बातें मान गया, जो मे मनवाना चाहता था…

भाभी – क्या अभी भी वो वीडियो है तुम्हारे पास…?

मेने हँसते हुए कहा – क्यों ! आप क्या करेंगी उसका..?

वो मुस्कराते हुए बोली – मे भी तो देखूं, मेरा चोदु देवर दूसरी औरतों को कैसे चोदता है……?

मेने भाभी की गान्ड सहलाते हुए कहा – क्यों अपनी चुदाई से पता नही चला आपको, कि मे कैसा चोदता हूँ..?

वो मुझे डपट कर बोली – तुम दिखाते हो या नही…!

मे – हाहहाहा……..दिखा दूँगा भाभी ! धीरज रखो, पहले पूरी बात तो सुन लो.

वो हँसते हुए बोली – ठीक है ! आगे सूनाओ, लेकिन दिखा ज़रूर देना हां !

मे – बहुत एक्शिटेड हो भाभी दूसरों की चुदाई देखने के लिए…

वो हँसते हुए बोली – दूसरों की नही, अपने माल को दूसरों के साथ देखने की..

मे – अच्छा ! तो अब मे आपके लिए माल हो गया…?

भाभी ने लपक कर मेरा गाल कच-कचा कर काट लिया और बोली – मस्त वाला माल हो लल्ला…तभी तो हर कोई साली तुमसे चुदने के लिए तैयार हो जाती है…!

चलो अब आगे बताओ.. फिर क्या हुआ…?

उनका आगे सुनने का इंटेरेस्ट देख कर मे आगे की कहानी बताने लगा…..

आपको याद होगा, जब सबने कृष्णा भैया को मदद करने के लिए कहा था, तो आपने बताया था, कि शुरू- 2 में लगा कि वो मदद करेंगे, लेकिन फिर उनको फोन आगया, उसके बाद उन्होने मदद करने से मना कर दिया था…

भाभी – हां ! मुझे अभी भी अच्छी तरह से याद है वो बात, … किसने दबाब डाला था उनपर…?

मालती ने चुदते समय मुझे एक बात बताई थी, कि निशा के साथ वो सब भानु ने किसी के कहने पर किया था, जिसके एवज में उसे बहुत बड़ा फ़ायदा होने वाला था…

जब भानु मेरी सारी शर्तें मानने को तैयार हो गया…तब मेने उससे पुछा कि उसने वो सब किसके कहने पर किया और उसके लिए उसको क्या फ़ायदा हुआ…?

तो उसने मुझे जो बात बताई…!!!!!

मे बोलते-बोलते रुक गया… भाभी मेरी तरफ देखने लगी…

मेने भाभी का हाथ पकड़ कर कहा – प्रॉमिस करो भाभी, अभी जो में आपको बताने जा रहा हूँ, उसे आप अपने तक ही रखना… जब तक मे ना कहूँ…

उन्होने किसी को भी ना बताने का प्रॉमिस किया, तो मेने आगे बताना शुरू किया…

भानु और उसका बाप बहुत बड़े लालची किस्म के इंसान हैं, वो एक ड्रग माफ़िया के लिए काम करता था, उसी वजह से उसका शहर आना-जाना लगा रहता था…

जिस गिरोह के लिए वो काम कर रहा था, वो प्रत्यक्ष रूप से तो उस्मान नाम के माफ़िया का गिरोह माना जाता है, लेकिन उसका मुख्य संचालन एक महिला के हाथ में है…,

जो हर समय एक काले स्याह बुरखे में ही लोगों के सामने आती है, और उस समय सिर्फ़ उसकी आँखें ही दिखाई देती हैं…

जब वो गॅंग के काम से उससे मिलता था, तभी एक दिन उस औरत ने उसे ये काम सौंपा…और उसे 10 लाख रुपये इस काम के लिए ऑफर किए…!

वाकायदा ये रास्ता भी उसी औरत ने सुझाया था, कि निशा तक पहुँचने का रास्ता क्या है…!

मालती से शादी करने से भानु के दो फ़ायदे थे, एक तो उस औरत से उसे 10 लाख रुपये मिलने थे, दूसरे मालती के दादा की सारी मिल्कियत उसको मिलने वाली थी… सो उसके बाप ने डरा धमका कर उसके दादा को शादी के लिए राज़ी कर लिया…

अब निशा की इज़्ज़त लुटवाने का किसी अंजान औरत को क्या लाभ, ये सवाल किसी कीड़े की तरह मेरे मन में कचोट रहा था, कि तभी आपने भैया वाली बात बताई…

मे उस कड़ी को भानु वाली बात से जोड़ने की कोशिश करता रहा लेकिन किसी नतीजे पर नही पहुँच पाया…!

लेकिन पोलीस पर मानहानि का केस ठोकने के बाद जब भैया यहाँ आए थे, और जो बातें उनसे हुई, वो ये थी.. कि उन्हें मदद ना करने का दबाब कामिनी भाभी ने डाला था,

ये कह कर कि उनके डेडी नही चाहते कि वो अपनी भाभी भैया की कोई मदद करें…!

जब मेने भैया को बोला – कि अब आप मुझसे मदद ले रहे हो तो उसका क्या जबाब दोगे अपनी पत्नी और ससुर को,

तो उन्होने कहा, कि मे उससे तंग आ चुका हूँ, वो पता नही क्या-2 करती है, मेरी बात मानती नही… इसलिए अब मे उससे अलग होना चाहता हूँ…

मे किसी भी तरह से उस बुरखे वाली औरत से मिलना चाहता था, और अपने शक़ को दूर करना चाहता था, कि तभी मुझे वो रास्ता मिला जो उस औरत तक आसानी से ले जा

सकता था…

फिर मेने रेखा के गॅंग रेप, उसकी मौत, और उसके बाद का रिवेंज जो अब तक ले चुके थे, इस दौरान हुई मीटिंग, जिसमें उस बुरखे वाली औरत का सच सामने आया था.. वो सब मेने बताया…

जैसे -2 मेरी बात आगे बढ़ती जा रही थी, भाभी की आँखें चौड़ी होती जा रही थी, उन्हें मेरे खुलासे से झटके पे झटके लगते जा रहे थे…वो अपने पलक झपकाना ही भूल गयी, और मूह बाए मेरी बातों में खो गयी..

मेने आगे कहा – अब मे उस औरत को पहचान चुका हूँ भाभी…

भाभी मानो ये सुनने के लिए तैयार ही बैठी थी.. झट से बोली – कॉन है वो डायन…! बताओ लल्ला मुझे, मे उसका खून पी जाउन्गि…

मे – क्या करेंगी उसका गंदा खून पीकर, उसको तो उसके अंजाम तक मे पहुन्चाउन्गा…

वो अकेली मेरी, निशा या आपकी गुनहगार नही है… कृष्णा भैया की उससे कहीं ज़्यादा है…

भाभी चोन्क्ते हुए बोली – क्या..? बड़े देवर जी की भी… लेकिन है कॉन वो चुड़ैल…?

मे – कामिनी…..!

भाभी ये सुन कर एक दम उच्छल ही पड़ी…क्या..?????????????????

मे – हां भाभी ! उसने और उसके बाप ने हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा किया है, वो कमीनी, शादी से पहले से ही ड्रग अडिक्ट थी, हवस की अंधी कुतिया है वो…

भाभी बहुत देर तक मूह बाए सन्नाटे की स्थिति में मुझे देखती रही, फिर आगे बोली – लेकिन उसने निशा के साथ ऐसा क्यों किया…?

मे – मेरी वजह से…! उसको पता था, कि मे निशा से बेइंतहाँ प्रेम करता हूँ… गाड़ी सीखने के बहाने उसने मुझे सिड्यूस करके इतना उत्तेजित कर दिया था, कि मे उसे चोदने को तैयार हो गया…

आपके मायके जाने के बाद उसने दो दिन मेरे साथ जम कर सेक्स किया… काम के बहाने वो भैया के साथ इसलिए ही नही गयी थी…

लेकिन जब रामा दीदी ने बताया कि वो यहाँ कोई काम में हेल्प नही करती, उल्टा और मेरे लिए काम बढ़ा देती है, महारानी की तरह हुकुम चलाती है, तो मेने उसे एक रात, इतनी बुरी तरह से रौंदा कि उसकी गान्ड फाड़के रख दी…

जब वो दर्द का उलाहना देने लगी तो लगे हाथ मेने उससे वादा कर दिया, कि अब मे उसे कभी हाथ नही लगाउन्गा…

दो दिन बाद ही उसने भैया को फोन करके बुला लिया और उनके साथ चली गयी…

बस इसी बात की खुन्नस निकालने के लिए उसने मुझे सबक सिखाने के लिए निशा को टारगेट किया…

उसके कहे अनुसार मेरे से ज़्यादा मज़ा उसे किसी से नही मिला था… सो वो भिन्ना गयी.. और ये सब किया…

मेरी बातें भाभी को झटके पे झटके दे रही थी… कुछ देर तक वो सन्नाटे जैसी स्थिति मे रही … फिर कुछ देर बाद नॉर्मल होते ही बोली…

ये बातें बड़े देवर जी को पता हैं…?

मे – नही.. इसलिए मेने आपसे वादा लिया है, किसी को ना बताने का… अब मे ऐसा कुछ करूँगा, कि वो उनकी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए निकल जाए…

और किसी को इस बात की भनक भी ना लगे…जिससे भैया अपनी जिंदगी नये सिरे से शुरू कर सकें…!

भाभी सर्प्राइज़ होते हुए बोली – लल्ला ! इतनी छोटी उमर में तुम इतना कैसे सोच और कर लेते हो…? मुझे तो अभी भी विश्वास नही होता कि तुमने ये सब कर दिया है…?

मेरी नज़र में तो अभी भी वो मेरा छोटा सा मासूम सा देवर मेरे पास बैठा है, जो हर समय अपनी भाभी की बात ही सुनता और मानता था…

मे – तो क्या अब नही मानता आपकी बात..?

भाभी ने मुझे अपने कलेजे से लिपटा लिया, और मे भी किसी छोटे बच्चे की तरह उनके अंकपाश में अपना मूह देकर लिपट गया…​
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