Update 51
मेरे हाथ अनायास ही उनकी चुचियों पर चले गये, जो अब प्रेगॅनेन्सी की वजह से और ज़्यादा गदरा गयी थी… सो मेने धीरे से उनको सहला दिया….
सीईईईईईईईईई………..लल्ला…अभी नही… अब देखो खाने का समय हो गया है, रूचि कॉलेज से आने वाली होगी… बाद में मुझे तुम वो वीडियो दिखाना, दोनो मिलकर देखेंगे..
मे उनको किस करके कमरे से बाहर चला आया, और किचेन की तरफ बढ़ गया, जहाँ निशा खाना बनाने में जुटी हुई थी….
मेने पीछे से उसे अपनी बाहों में जकड लिया और अपना लंड उसकी बाहर को निकली हुई गान्ड से सटा दिया, उसके पसीने की गंध मेरे नथुनो में घुलने लगी.
उसने अपनी गर्दन मोड़ कर मुझे देखा और बोली – राजा जी, मुझे खाना बनाने दो, रूचि और बाबूजी नाम के दो बॉम्ब कभी भी फट सकते हैं, जो हम दोनो की हवा खराब करने के लिए बहुत हैं…रात भर में जी नही भरा क्या… ?
मे – जानेमन तुमसे इतनी जल्दी जी कैसे भर सकता है, दिनो दिन हॉट होती जा रही हो…फिर उसकी गान्ड मसल्ते हुए कहा – ये देखो कितनी मस्त हो गयी है ये…
वो आँखें नचाते हुए बोली – ये सब आपकी ही देन है.. पीछे से धपा-धप इतने तगड़े धक्के पड़ते हैं, तो बेचारी बाहर को तो निकलेगी ही ना… इस बात पर हम दोनो ही हँसने लगे…
तभी रूचि के साथ भाभी भी किचन में आगयि….बाबूजी के आते ही हम सब लंच करने लगे……….
लंच के कुछ देर बाद मन्झली और छोटी चाची आगयि, भाभी की तबीयत जानने, कुछ देर वो आपस में गप्प सड़ाके लगाती रही…
मेने मन्झलि चाची से उनके हाल चाल पुछे… उन्होने कहा – तुम्हारी कृपा से सब ठीक ही चल रहा है लल्ला …
छोटी चाची का बेटा अंश भी अब बड़ा हो रहा था, वो भी रूचि के कॉलेज में ही पढ़ने जाता था… मेने उसका टेस्ट लिया, तो पता लगा कि पढ़ने में दिमाग़ है उसका..
मेने चाची की तरफ इशारा किया.. अंगूठा उपर करके की अच्छा है.. तो उन्होने भी इशारे से कहा – कि है तो तुम्हारा ही खून ना…
फिर उस दिन भाभी को वीडियो दिखाने का मौका नही लगा, भैया आ गये.. और इसी में वो दिन निकल गया…
दूसरे दिन रूचि और भैया के जाने के बाद मे भाभी के पास जाकर बैठ गया…और उन्हें वो वीडियो ओपन करके चला दिया…जिसमें मालती को होटेल ले जाकर बीयर पीला कर चोदा था…
जैसे – जैसे वीडियो फॉर्वर्ड होता जा रहा था, भाभी की आँखें भी नसीली होती जा रही थी, हम दोनो ही पलंग के सिरहाने से टेक लगा कर अढ़लेटी अवस्था में एक दूसरे के बगल में पड़े वो देख रहे थे…
मेरा लंड खड़ा होकर भाभी की गान्ड से सटा पड़ा था… मेरा एक हाथ उनके रस से लबालब आमों पर पहुँच गया, और हरकत करते हुए हौले-2 सहलाने लगा…
मोबाइल मेने भाभी के हाथ में दे रखा था.. और मे खुलकर उनके अंगों से खेलने लगा…
मालती की चुदाई देखते देखते भाभी की मनोदशा बदल चुकी थी, और उनका खुद का हाथ अपनी चूत पर जा पहुँचा…
मेने उनका हाथ पकड़ते हुए कहा – मेरे होते हुए आपको ये सब करने की ज़रूरत नही है…ये कहकर मेने उनकी चूत को अपनी मुट्ठी में कस लिया…
ससिईईईईईईईई………..आआअहह………लल्लाआाआ….ज़ोर्से नही…..
पेट का साइज़ बढ़ने के कारण भाभी ने ब्रा पहनना बंद कर दिया था, मेने उनके ब्लाउस के बटन खोल कर रसीले कलमी आमों को बाहर निकल कर मसलने लगा…
गान्ड पर लंड का दबाब लगातार बढ़ता देख भाभी बोली – लल्ला थोड़ा अपने घोड़े को काबू में करो, वरना कपड़ों समेत मेरी गान्ड में घुस जाएगा…
मे – तो कपड़े निकल दो ना…
वो – मुझे वीडियो देखने दो, तुम्हें जो करना है वो करो….
भाभी की पर्मिशन मिलते ही मेने 2 मिनिट में भाभी को नंगा कर दिया, और अपने लौडे को उनकी गान्ड की दरार में रगड़ते हुए चुचियों को दबाने लगा….
आहह….भाभी ! आपकी गान्ड और चुचियाँ कितनी गदरा गयी हैं…मन करता है.. खा जाउ…
मेरी बात का जबाब देते हुए भाभी सिसक कर बोली….ससिईइ….ये सब प्रेगॅनेन्सी का असर है… अब जल्दी से कुछ करो मेरे रजाअ…. आअहह…
मेरा एक हाथ उनके फूले हुए पेट को सहलाता हुआ, जब उनकी चूत पर गया… तो वो एक दम भीग चुकी थी….
भाभी बहुत गरम हो चुकी थी… उनकी चूत से रस बूँद-2 करके टपकने लगा था…
एक तो वीडियो में चुदाई देखने से उपर से मेरी हरकतों ने उन्हें बेहद गरम कर दिया था…
अपने आप ही भाभी ने अपनी एक टाँग हवा में उठा दी, जिससे उनकी चूत का रास्ता मेरे लंड के लिए साफ हो गया…
वो भी उनकी गान्ड की दरार से रगड़ते हुए… गीली चूत के बिल में सरक गया…
जैसे ही मेरा सुपाडा उनकी चूत में फिट हुआ… भाभी की सिसकी और तेज हो गयी…
मोबाइल उनके हाथ से नीचे गिर गया… और अपना एक हाथ पीछे करके मेरे सर को अपनी ओर खींचते हुए बोली……
आअहह……..पूरा डलूऊओ…….लल्लाआाआअ….हाए..ससिईईईईईईईई…और अंदारर्र…..चोदूओ…अब…ज़ॉर्सीई…..
मेने पीछे से तेज तेज धक्के लगाना शुरू कर दिया… चूत लगातार तर और तर होती जा रही थी….
कुछ ही झटकों में भाभी ने अपना कामरस छोड़ दिया…और वो शांत पड़ गयी…
मेने अपना लंड बाहर खींच लिया और हाथ से भाभी की गीली चूत से रस लेकर उनकी गान्ड के छेद पर चुपड कर अपनी एक उंगली उनके सूरमाई सुराख में घुसेड दी…
मेरी तरफ मूह घूमकर भाभी बोली – क्या इरादे हैं…मेरे चोदु राजा…?
मे – भाभी कुछ माँगूँ तो मिलेगा..?
वो – अरे ! ये भी कोई पुच्छने की बात है, जो कुछ मेरे पास है, उस पर तुम्हारा पूरा हक़ है… बोलो क्या चाहिए…?
उनकी गान्ड दबाते हुए मेने कहा – आपकी गान्ड बहुत अच्छी लग रही है मुझे, मारने का मन कर रहा है…इतनी गुद गुदि हो गयी है ये कि बस कुछ पुछो मत…
वो – क्यों आगे से काम नही चलेगा..? थोड़ा डर लगता है, कि कहीं फट ना जाए तुम्हरे सोट जैसे लंड से…
मे – अरे कुछ नही होता भाभी… चाची को तो गान्ड मरवाने में ही ज़्यादा मज़ा आता है…
वो – क्या ! तुमने चाची की गान्ड मारली…?
मे – कब की, जब वो आपकी तरह प्रेग्नेंट थी तभी से अब तक कई बार, और तो और उनकी भाभी की भी…
वो – तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले… ठीक है, कुछ तेल या क्रीम लगा लेना..
मे – अरे आप बेफिक्र रहिए…आपको पता भी नही चलेगा….अब देखना कितना मज़ा आता है आपको…
मेने एक कोल्ड क्रीम लेकिर अच्छे से भाभी की गान्ड के संकरे सुराख में उंगली डाल-डाल कर भर दी, और थोड़ी सी अपने लंड के सुपाडे पर लगा कर भाभी की बगल में लेट गया…
उनकी एक टाँग को थोड़ा आगे को मोड़ कर घुटने को पेट से सटा दिया…अब गान्ड का सुराख एक दम क्लियर दिखने लगा था…
लंड को होल के मूह पर रख कर हल्के से दबाया… भाभी ने अपनी गान्ड को भींच लिया…जिससे वो जितना अंदर गया था, बाहर हो गया…
लल्ला.. दुख़्ता है.. रहने दो…नही जाएगा… वो बोली..
मेने रूठते हुए कहा – ठीक है, जब आपकी मर्ज़ी ही नही है तो रहने दो, मुझे नही करना कुछ… रखो अपनी धरामशाला अपने पास….
वो – अरे ! तुम तो नाराज़ हो गये… ! मुझे दर्द हुआ इसलिए कहा मेने तो…वो अंदर नही जा रहा…
मे – आप अपनी गान्ड भींच क्यों रही हो.. उसको ऐसे खोल दो जैसे हगने बैठते हैं…
वो – ठीक है, फिरसे करो… और उन्होने अपनी गान्ड को थोड़ा ज़ोर लगा कर खोला..
मेने सॅट से लंड को अंदर कर दिया.. अब वो आसानी से चौथाई तक घुस गया…
भाभी के मूह से कराह निकल गयी….धीरे से लल्ला….जी…दर्द होता है…
मेने उनकी चुचियों को सहला कर एक बार और पुश किया…वो फिर से करही.. लेकिन अब आधा लंड गान्ड के अंदर जा चुका था…
उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाते हुए मेने एक दो बार उसे अंदर बाहर किया…
चूत सहलाने से उनको थोड़ा राहत हुई… जिसका फ़ायदा उठा कर मेने एक अच्छा सा धक्का मार कर पूरा लंड अंदर डाल दिया….
आआईयईईईईईई…..मर गाइिईईईईईईई…माआआअ….लल्ला…बहुत जालिम हो…आहह…
मे थोड़ी देर रुक गया, और उनकी गर्दन को चूमते हुए चूत को बराबर सहला कर बोला – बस अब पूरा चला गया… अब कोई दर्द नही होगा…
उफफफ्फ़…कभी अपनी गान्ड में ऐसा सोटा लेकर देखना..तब पता चलेगा तुम्हें… चलो अब धीरे-2 चोदो….
उनकी बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी…और फिर मेने धक्का लगा शुरू किया…कुछ देर उनको दर्द हुआ लेकिन फिर उनको भी मज़ा आने लगा.. और अपनी गान्ड को पीछे धकेल-धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…
इस पोज़िशन में लंड पूरा जड़ तक उनकी गान्ड में समा जाता, और किसी साँप की तरह बाहर निकलता…
15-20 मिनिट की गान्ड मराई के बाद मेरा वीर्य निकल गया और मेने उसे भाभी की गान्ड में उडेल दिया,
गान्ड खुल बंद हो रही थी जिससे काफ़ी देर तक सफेद मलाई उनकी गान्ड से टपकती रही.….!
अभी मेने भाभी की गान्ड से अपना लंड निकाला ही था, कि तभी भड़ाक से कमरे का गाते खुला…सामने निशा खड़ी थी…
अंदर का नज़ारा देख कर उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी… अंदर आते ही वो अपना हाथ नचाते हुए बोली – दीदी ये क्या हो रहा है…?
भाभी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा – आँख की अंधी नैन सुख.., दिखाई नही दे रहा…?
निशा – दिखाई तो दे रहा है… लेकिन इतनी चीख पुकार, पता है आपकी चीखें रसोई तक पहुँच रही थी…, इतना तो मे अपनी सुहागरात को भी नही चीखी थी..
भाभी मेरे आधे खड़े लंड को हाथ में पकड़ हिलाते हुए बोली – एक बार ये खूँटा अपनी गान्ड में ठुकवा कर देख, आटे-दाल का भाव पता चल जाएगा …, बात करती है सुहागरात को नही चीखी थी…!
निशा हैरत के साथ बोली – क्या..? आपने गान्ड भी मरवा ली, वाउ दीदी.. यू आर ग्रेट.., फिर हँसते हुए बोली - देखाओ तो फटने के बाद कैसी लग रही है ?
और वो भाभी की गान्ड के उपर झुक कर देखने लगी… मे थोड़ा पीछे हट गया…
निशा – ओह्ह्ह्ह…दीदी ये तो सच में किसी गोल छल्ले की तरह खुल गयी है… वैसे इसे मरवाने में भी मज़ा आता है क्या..?
भाभी – मज़ा तो बहुत आता है, पर दर्द भी उतना ही होता है… एक काम कर थोड़ा बोरो प्लस लगा दे… अभी भी साली दर्द कर रही है…
वो भाभी की गान्ड से मेरा वीर्य साफ करके उसमें बोरो प्लस लगाने लगी,
मेने निशा की गान्ड में उंगली करके कहा – एक काम करो, तुम भी ट्राइ करके देख ही लो, भाभी से क्यों पूछती हो… !
वो बिदक कर दूर हटते हुए बोली – ना बाबा ना ! मुझे ऐसा कोई शौक नही है अभी, अपनी प्यारी भाभी की ही मारो…
मे – देखा भाभी ! ये है बीवी.. जिसके लिए अपने पति की इच्छा का कोई महत्व नही है…! बस इतना ही प्यार करती हो…?
निशा मूह बनाते हुए बोली – ऐसा क्यों कह रहे हैं… अगर आप की नज़र में प्यार का मतलब गान्ड मरवाना ही है तो जो जी में आए कर्लो…, मना नही करूँगी…
मेने उसके गाल पर किस करके कहा – मे तो मज़ाक कर रहा था यार ! तुम तो सीरीयस हो गयी..!
वो – वैसे ये इच्छा भी आपकी कभी ना कभी पूरी करूँगी… अभी तो आगे की ही अच्छी तरह से खुली नही है….
मेने मज़ा लेते हुए उसकी साड़ी पकड़ कर उपर करदी, और कहा – देखें कितनी खुली है….
वो झटके से पीछे को हटी, तो भाभी ने उसकी गान्ड में उंगली पेल दी…
उईईईई….माआअ…… दीदी आप भी…? आज तो ये देवेर भाभी मिलकर मेरा सत्यानाश करके ही छोड़ेंगे…
ये कह कर निशा वहाँ से भागना चाहती थी, कि मेने पीछे से उसकी कमर को लपेट लिया और उठाकर भाभी के सामने लाकर बोला ---
भाभी जल्दी से इसके कपड़े तो निकालो… अपने आपको झाँसी की रानी समझती है भेन की लॉडी…
निशा को अब पता चल चुका था, कि मेरा लॉडा अब उसकी रामप्यारी को बिना घिसे नही मानेगा…
सो वो खिल-खिलाकर हँसते हुए, झूठा विरोध जताते हुए मेरी बाहों से छूटने का नाटक करती रही…
मे उसे गोद में ही उठाए खड़ा था, थोड़ी देर में ही भाभी ने उसकी साड़ी और पेटिकोट खोल दिए, जो अब उसके पैरों से निकल कर फर्श पर पड़े धूल चाट रहे थे..
फिर उन्होने उसका ब्लाउस भी निकाल कर उसके पट अलग-2 कर दिए…
आगे से भाभी और पीछे से मेने उसको चूमना चाटना शुरू किया, 5 मिनिट में ही उसका शरीर भट्टी की तरह गरम हो गया… और वो आँखें बंद करके सीसीयाने लगी…
अब वो बस खड़ी-2 मज़े ले रही थी…मेने उसकी ब्रा खोल कर अलग कर दी, भाभी ने उसके निपल मरोड़ कर उसके होठ चूसने लगी..
उसकी गर्दन को चूमकर मेने उसकी पेंटी भी निकाल दी.. निशा का एक पैर पलग पर रख कर मेने पीछे से खड़े –खड़े उसकी रस से सराबोर हो चुकी मुनिया में अपना खूँटा पेल दिया…
आआईयईईईईईईईईई……….ध्ीएरीई…सीईईई…मेरे रजाअ…जीिीइ….कितना ज़ोर से डालते हो….
भाभी उसकी चुचियों को चाटने लगी…
इस तरह से दो तरफ़ा के मज़े से निशा 5 मिनिट में ही अपना रस छोड़ने लगी…
लेकिन मेने उसे छोड़ा नही और उसके दोनो हाथ पलंग पर रखवा कर उसे घोड़ी बना दिया…
भाभी ने बगल में बैठ कर मेरा लॉडा अपने हाथ में लेकर अपनी प्यारी बेहन की चूत पर रख कर मेरी गान्ड पर थप्पड़ लगाते हुए कहा …
चल मेरे घोड़े… चढ़ जा इस घोड़ी पर…
फिर क्या था…मेरे सुलेमानी धक्के फिरसे निशा की चूत पर पड़ने लगे…!
वो भाभी की चुचियों को चूस्ते हुए मस्ती से चुदने का मज़ा लेते हुए अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटकने लगी…!
निशा की जम कर चुदाई करके हम तीनों कुछ देर वहीं बिस्तर पर पड़े रहे…
उसके बाद तीनों बारी-बारी से फ्रेश हुए, और फिर वो दोनो लंच की तैयारी में लग गयी….
शाम को खाने की टेबल पर, हम सभी परिवारी बैठे थे.., तभी भैया ने चर्चा छेड़ दी…
भैया – बाबूजी, सुना है सरपंच के चुनाव होने वाले हैं…!
बाबूजी – सुना तो है, पर हमें क्या लेना देना… वोही पुराना वाला सरपंच ही बनेगा.. और किसी में कहाँ है इतना दम..
भैया – हां बाबूजी आप सही कह रहे है, और कोई है भी तो नही अपने गाओं में जो उसके मुकाबले खड़ा हो सके..
तभी भाभी बोली – बाबूजी ! आप ट्राइ क्यों नही करते..?
भैया – कैसी बच्चों जैसी बातें करती हो, पता है कितनी भागदौड़ और पैसा खर्चा करना पड़ता है…!
मे – वैसे गाओं और मोहल्ले की क्या राई है..? बाबूजी के पास तो सब तरह के लोग बैठने आते हैं… कभी चर्चा तो होती होगी, कि लोग क्या चाहते हैं..?
बाबूजी – लोग तो उस सरपंच से ज़्यादा खुश नही हैं…चर्चा है कि इस बार तो कोई और ही होना चाहिए…पिच्छले 15 सालों में उसने गाओं के लिए कुछ नही किया सिवाय अपना घर भरने के…
मे – फिर तो अच्छा मौका है बाबूजी… मेरी राई में एक बार चुपके से लोगों की राई पुख़्ता करके अपना विचार रख ही देना चाहिए…
बाबूजी – तुम क्या कहते हो राम बेटे…?
भैया – देख लो आप…! पहले कम से कम अपने परिवार में ही चर्चा करके देखो, चाचा लोग क्या कहते हैं.., उनका सहयोग भी तो होना चाहिए…
बाबूजी – वैसे तो वो लोग कहीं बाहर नही जाने वाले, फिर भी एक बार पुछ लेते हैं…
मे – शुभ काम में देरी क्यों.., खाना ख़तम करके बैठक में बुला लेते हैं तीनो को,… कह कर मेने बारी-2 से तीनों चाचाओं को फोन करके आधे घंटे में बैठक में आने को बोल दिया…
आधे घंटे के बाद सभी चाचा और उनके बेटे, हम सब एक साथ बैठक में जमा हुए…
जब चर्चा की तो वो सब अति-उत्साहित होकर कहने लगे…, ये तो बहुत ही अच्छा रहेगा.., अपने परिवार का मान और बढ़ेगा… हम सबकी राई है, भैया आप ज़रूर एलेक्षन लडो…
फिर डिसाइड हुआ कि एक बार चुपके से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की राई और ले ली जाए, और ये काम हम सभी को मिलकर करना है.., ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से मिलने का…
दूसरे दिन मे थोड़ा कोर्ट के काम की वजह से शहर चला गया, प्राची से मिलकर उसे सन्नी और विक्की पर नज़र रखने को बोला.. और जो भी हो वो अपडेट मुझे दे…
पूरे दिन की व्यस्तता के बाद शाम को फिर घर लौट आया, खाने के बाद फिर हम सब एक साथ बैठे… और गाओं की जानकारी हासिल की, ज़्यादातर लोग उस सरपंच से नाखुश लगे…
तो फिर फ़ैसला लिया गया कि हमें सरपंच के चुनाव के लिए आगे आना होगा…
दूसरे दिन अपने काम के साथ-2 ग्राम पंचायत के ऑफीस जाकर मेने सारी जानकारी हासिल की, पता लगा कि हमारी पंचायत के लिए इस बार सीट महिला के लिए रिज़र्व है…
घर आकर मेने ये जानकारी दी, तो सब सोच में पड़ गये…
मेने कहा, इसमें इतना सोचने की क्या बात है, नाम ही तो महिला का है, काम तो आदमियों को ही करना होगा ना… !
भैया – तो फिर किसके नाम से एलेक्षन लड़ा जाए… चाचाओं ने एक-एक करके हाथ खड़े कर दिए.. खर्चों के डर से, तो मेने भाभी का नाम सुझाया…!
भैया – लेकिन वो ऐसी हालत में कैसे खड़ी हो पाएगी..?
मे – अरे भैया.. आप चिंता ना करो, भाभी को तकलीफ़ करने की ज़रूरत नही पड़ेगी, हम सब लोग मिलकर प्रचार का काम संभाल लेंगे…!
उसके बाद सबने भाभी के नाम पर मुहर लगा दी…..!
ये मे क्या सुन रही हूँ लल्ला जी…? दूसरी सुवह भाभी ने उठते ही ये सवाल किसी तोप के गोले की तरह मेरे सामने दाग दिया..
मे – क्या हुआ..भाभी ? सुवह ही सुवह.. कोई प्राब्लम हो गयी..?
वो – रूचि के पापा कह रहे थे, कि मुझे सरपंच के लिए तुम्हारे कहने पर खड़ा कर रहे हैं…!
मे – तो इसमें प्राब्लम क्या है..? आपके खड़े होने का मतलब, खड़े ही रहना थोड़ी ना होता है भाभी…?
वो – फिर भी इस हालत में.. कैसे होगा ये सब..? और अगर कहीं हार गयी तो..?
मे – तो क्या होगा…? आप बेकार की चिंता छोड़ो, सब ठीक होगा… अब मेरी भाभी सरपंच बन कर रहेगी… !
भाभी – ये कैसे कह सकते हो तुम… ?
मे – अपने देवर पर भरोसा रखो… आप बस देखती जाओ और अपनी सेहत का ख़याल रखो बस,
ये जो आपके पेट में बच्चा पल रहा है ना, वो पूरे घर के लिए अपने साथ ढेरों खुशियाँ लाने वाला है…, अपने आने से पहले वो अपनी माँ का मान सम्मान लेकर आएगा..
मेरी बातें सुनकर भाभी की आँखों में आँसू आगये… मेने उनके आँसू पोन्छ्ते हुए कहा – क्या भाभी, ये भी कोई आँसू बहाने का समय है…?
वो – और कितनी खुशी दोगे मुझे लल्ला..जी…? मे कैसे इतनी सारी खुशियाँ झेल पाउन्गि..?
मे – आपने भी तो मुझे मेरे जीवन की सारी खुशियाँ दे डाली, अब मेरा भी तो कुछ फ़र्ज़ बनता है, अपनी भाभी को खुश करने का…
भाभी मेरे गले से लिपट कर खुशी के आँसू बहाती रही, मे उनकी पीठ सहला कर चुप करता रहा… फिर मेने एक प्यारी सी शरारत करते हुए भाभी की गान्ड मसल दी..
वो फ़ौरन अपना रोना छोड़ कर मेरे से अलग हो गयी, और गहरी नज़रों से घूरते हुए बोली – तुम्हें हर समय शरारत ही सुझति है…!
मेने हँसते हुए कहा – आपको चुप करने का इससे अच्छा तरीक़ा मुझे नही आता…
फिर वो भी मेरे सीने पर धौल जमाती हुई हँसने लगी…पास खड़ी निशा भी मुस्काराए बगैर नही रह पाई…
फिर मे फटाफट तैयार हुआ…आज मुझे शहर जाकर ढेर सारे काम करने थे..
भाभी का नॉमिनेशन फाइल करने में अभी वक़्त था… एलेक्षन दो महीने बाद था, और उससे करीब 1 महीने पहले ही नॉमिनेशन होना था…
एलेक्षन से पहले मुझे अपने कुछ इंपॉर्टेंट काम निपटाने थे…
तैयार होकर मे शहर निकल गया… ऑफीस पहुँच कर पेंडिंग काम के अपडेट्स लिए, उसके बाद प्राची को कॉल किया…..!
शाम को में भैया के बंगले की तरफ निकल गया, उनसे भाभी को सरपंच के एलेक्षन लड़ने के बारे में राई ली,
उनकी भी यही राई थी कि हमारे घर से ही कोई अब आगे गाओं के विकास की बागडोर संभाले तो अच्छा रहेगा…पुराने सरपंच ने बहुत घर भर लिया, अब और नही.
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रंग बिरंगी रोशनी में जगमगाता हुआ रेड रोज़ क्लब शहर की शान कहें या युवा पीडी में बुराइयाँ पनपाने का अड्डा…
बड़े बड़े घरों के लोग, औरतें , नौजवान, नवयुवतियाँ… सब अपने अपने ऐसे शौक जो वो अपने सार्वजनिक जीवन में पूरे नही कर पाते, उन्हें पूरा करने इस क्लब में आते हैं…
रात शुरू होते ही यहाँ की रौनक देखने लायक होती है, आम इंसान की तो यहाँ आने की औकात ही नही है…
इसकी मेंबर शिप लेना ही सबसे बड़ी बात है, फिर इसके अंदर के खर्चों का तो कहना ही क्या..?
क्लब के ग्राउंड फ्लोर में एक विशालकाय हॉल, जहाँ हर तरह के ड्रग्स का खुल कर इस्तेमाल होता था, इस समय भी लोग कश पे कश लगाए जा रहे थे,
युवक-युवतियाँ नशे के आलम में झूम रहे थे, हॉल में चारों तरफ चरस, गांजे का धुआँ फैला हुआ था, सामान्य आदमी तो यहाँ आते ही बेहोश हो जाए…
हॉल से होते हुए ही सीडीयाँ गोलाई लेते हुए फर्स्ट फ्लोर को जाती हैं, जहाँ जुए और शराब की महफिलें सजी हुई थी,
अर्धनगन लड़कियाँ, ग्राहकों को शराब सर्व करने के साथ-2 उनका मनोरंजन भी कर रही थी…
जैसे -2 रात गेहन होती जा रही थी, रंगीनियँ और नशे में झूमते लोगों की तादात हॉल में बढ़ती ही जा रही थी…
एक टेबल पर बैठे, सन्नी और उसका दोस्त विक्की ड्रग के नशे में चूर होकर झूम रहे थे.. कि तभी वहाँ एक कमसिन सी लड़की पहुँचती है…
एक्सक्यूस मी ! जैसे कहीं कोयल कूकी हो… दोनो की नज़र एक साथ उस लड़की पर पड़ती है… पिंक कलर की ढीली ढाली टीशर्ट जो उसकी नाभि तक ही थी और एक शोल्डर से नीचे,
नाभि से दो इंच नीचे से शुरू होती एक बेहद टाइनी सी स्कर्ट, जो शायद उसके झुकने पर उसकी पेंटी भी नुमाया हो जाए…
कंधों तक के खुले, थोड़े सुनहरी से उसके बाल, कजरारी बड़ी-2 आँखें जिनमें शरारत भरी हुई… हल्का गुलाबी रगत लिए उसका गोल-मटोल चेहरा, पतले -2 गुलाब की पंखुड़ियों से उसके होठ, सुतबा नाक…!
दोनो की नज़र जो एक बार उसको देखने उठी, तो फिर नीचे ही नही हुई, वो अपलक उसे देखते ही रह गये….
उस लड़की ने अपनी आँखों में जमाने भर की शरारत लिए एक बार फिरसे कहा – एक्सक्यूस मी..मिस्टर..
वो दोनो जैसे नींद से जागे हों… हड़बड़ा कर एक साथ बोले – यस प्लीज़…
लड़की – मे आइ कंपनी वित यू..!
सन्नी – व्हाई नोट… माइ प्लेषर..!..
वो उन दोनो के साथ बैठ गयी, उसके बैठते ही वो दोनो उसकी तरफ खिसक आए, और उसके मादक अंगों का जायज़ा लेते हुए उसके बदन की खुसबु से मदमस्त होने लगे…
वो लड़की भी जैसे कुछ नशे में ही थी, अपनी बोझिल आँखों को ज़बरदस्ती से खोलते हुए बोली…वुड यू प्लीज़ शेयर युवर सिग्रेट…
विक्की जो सट्टी लगा ही रहा था, उसने चरस से भरी सिग्रेट तुरंत उसकी तरफ बढ़ा दी, जो उसने अपनी पतली – 2 उंगलियों के बीच क़ैद कर ली…
सीईईईईईईईईई………..लल्ला…अभी नही… अब देखो खाने का समय हो गया है, रूचि कॉलेज से आने वाली होगी… बाद में मुझे तुम वो वीडियो दिखाना, दोनो मिलकर देखेंगे..
मे उनको किस करके कमरे से बाहर चला आया, और किचेन की तरफ बढ़ गया, जहाँ निशा खाना बनाने में जुटी हुई थी….
मेने पीछे से उसे अपनी बाहों में जकड लिया और अपना लंड उसकी बाहर को निकली हुई गान्ड से सटा दिया, उसके पसीने की गंध मेरे नथुनो में घुलने लगी.
उसने अपनी गर्दन मोड़ कर मुझे देखा और बोली – राजा जी, मुझे खाना बनाने दो, रूचि और बाबूजी नाम के दो बॉम्ब कभी भी फट सकते हैं, जो हम दोनो की हवा खराब करने के लिए बहुत हैं…रात भर में जी नही भरा क्या… ?
मे – जानेमन तुमसे इतनी जल्दी जी कैसे भर सकता है, दिनो दिन हॉट होती जा रही हो…फिर उसकी गान्ड मसल्ते हुए कहा – ये देखो कितनी मस्त हो गयी है ये…
वो आँखें नचाते हुए बोली – ये सब आपकी ही देन है.. पीछे से धपा-धप इतने तगड़े धक्के पड़ते हैं, तो बेचारी बाहर को तो निकलेगी ही ना… इस बात पर हम दोनो ही हँसने लगे…
तभी रूचि के साथ भाभी भी किचन में आगयि….बाबूजी के आते ही हम सब लंच करने लगे……….
लंच के कुछ देर बाद मन्झली और छोटी चाची आगयि, भाभी की तबीयत जानने, कुछ देर वो आपस में गप्प सड़ाके लगाती रही…
मेने मन्झलि चाची से उनके हाल चाल पुछे… उन्होने कहा – तुम्हारी कृपा से सब ठीक ही चल रहा है लल्ला …
छोटी चाची का बेटा अंश भी अब बड़ा हो रहा था, वो भी रूचि के कॉलेज में ही पढ़ने जाता था… मेने उसका टेस्ट लिया, तो पता लगा कि पढ़ने में दिमाग़ है उसका..
मेने चाची की तरफ इशारा किया.. अंगूठा उपर करके की अच्छा है.. तो उन्होने भी इशारे से कहा – कि है तो तुम्हारा ही खून ना…
फिर उस दिन भाभी को वीडियो दिखाने का मौका नही लगा, भैया आ गये.. और इसी में वो दिन निकल गया…
दूसरे दिन रूचि और भैया के जाने के बाद मे भाभी के पास जाकर बैठ गया…और उन्हें वो वीडियो ओपन करके चला दिया…जिसमें मालती को होटेल ले जाकर बीयर पीला कर चोदा था…
जैसे – जैसे वीडियो फॉर्वर्ड होता जा रहा था, भाभी की आँखें भी नसीली होती जा रही थी, हम दोनो ही पलंग के सिरहाने से टेक लगा कर अढ़लेटी अवस्था में एक दूसरे के बगल में पड़े वो देख रहे थे…
मेरा लंड खड़ा होकर भाभी की गान्ड से सटा पड़ा था… मेरा एक हाथ उनके रस से लबालब आमों पर पहुँच गया, और हरकत करते हुए हौले-2 सहलाने लगा…
मोबाइल मेने भाभी के हाथ में दे रखा था.. और मे खुलकर उनके अंगों से खेलने लगा…
मालती की चुदाई देखते देखते भाभी की मनोदशा बदल चुकी थी, और उनका खुद का हाथ अपनी चूत पर जा पहुँचा…
मेने उनका हाथ पकड़ते हुए कहा – मेरे होते हुए आपको ये सब करने की ज़रूरत नही है…ये कहकर मेने उनकी चूत को अपनी मुट्ठी में कस लिया…
ससिईईईईईईईई………..आआअहह………लल्लाआाआ….ज़ोर्से नही…..
पेट का साइज़ बढ़ने के कारण भाभी ने ब्रा पहनना बंद कर दिया था, मेने उनके ब्लाउस के बटन खोल कर रसीले कलमी आमों को बाहर निकल कर मसलने लगा…
गान्ड पर लंड का दबाब लगातार बढ़ता देख भाभी बोली – लल्ला थोड़ा अपने घोड़े को काबू में करो, वरना कपड़ों समेत मेरी गान्ड में घुस जाएगा…
मे – तो कपड़े निकल दो ना…
वो – मुझे वीडियो देखने दो, तुम्हें जो करना है वो करो….
भाभी की पर्मिशन मिलते ही मेने 2 मिनिट में भाभी को नंगा कर दिया, और अपने लौडे को उनकी गान्ड की दरार में रगड़ते हुए चुचियों को दबाने लगा….
आहह….भाभी ! आपकी गान्ड और चुचियाँ कितनी गदरा गयी हैं…मन करता है.. खा जाउ…
मेरी बात का जबाब देते हुए भाभी सिसक कर बोली….ससिईइ….ये सब प्रेगॅनेन्सी का असर है… अब जल्दी से कुछ करो मेरे रजाअ…. आअहह…
मेरा एक हाथ उनके फूले हुए पेट को सहलाता हुआ, जब उनकी चूत पर गया… तो वो एक दम भीग चुकी थी….
भाभी बहुत गरम हो चुकी थी… उनकी चूत से रस बूँद-2 करके टपकने लगा था…
एक तो वीडियो में चुदाई देखने से उपर से मेरी हरकतों ने उन्हें बेहद गरम कर दिया था…
अपने आप ही भाभी ने अपनी एक टाँग हवा में उठा दी, जिससे उनकी चूत का रास्ता मेरे लंड के लिए साफ हो गया…
वो भी उनकी गान्ड की दरार से रगड़ते हुए… गीली चूत के बिल में सरक गया…
जैसे ही मेरा सुपाडा उनकी चूत में फिट हुआ… भाभी की सिसकी और तेज हो गयी…
मोबाइल उनके हाथ से नीचे गिर गया… और अपना एक हाथ पीछे करके मेरे सर को अपनी ओर खींचते हुए बोली……
आअहह……..पूरा डलूऊओ…….लल्लाआाआअ….हाए..ससिईईईईईईईई…और अंदारर्र…..चोदूओ…अब…ज़ॉर्सीई…..
मेने पीछे से तेज तेज धक्के लगाना शुरू कर दिया… चूत लगातार तर और तर होती जा रही थी….
कुछ ही झटकों में भाभी ने अपना कामरस छोड़ दिया…और वो शांत पड़ गयी…
मेने अपना लंड बाहर खींच लिया और हाथ से भाभी की गीली चूत से रस लेकर उनकी गान्ड के छेद पर चुपड कर अपनी एक उंगली उनके सूरमाई सुराख में घुसेड दी…
मेरी तरफ मूह घूमकर भाभी बोली – क्या इरादे हैं…मेरे चोदु राजा…?
मे – भाभी कुछ माँगूँ तो मिलेगा..?
वो – अरे ! ये भी कोई पुच्छने की बात है, जो कुछ मेरे पास है, उस पर तुम्हारा पूरा हक़ है… बोलो क्या चाहिए…?
उनकी गान्ड दबाते हुए मेने कहा – आपकी गान्ड बहुत अच्छी लग रही है मुझे, मारने का मन कर रहा है…इतनी गुद गुदि हो गयी है ये कि बस कुछ पुछो मत…
वो – क्यों आगे से काम नही चलेगा..? थोड़ा डर लगता है, कि कहीं फट ना जाए तुम्हरे सोट जैसे लंड से…
मे – अरे कुछ नही होता भाभी… चाची को तो गान्ड मरवाने में ही ज़्यादा मज़ा आता है…
वो – क्या ! तुमने चाची की गान्ड मारली…?
मे – कब की, जब वो आपकी तरह प्रेग्नेंट थी तभी से अब तक कई बार, और तो और उनकी भाभी की भी…
वो – तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले… ठीक है, कुछ तेल या क्रीम लगा लेना..
मे – अरे आप बेफिक्र रहिए…आपको पता भी नही चलेगा….अब देखना कितना मज़ा आता है आपको…
मेने एक कोल्ड क्रीम लेकिर अच्छे से भाभी की गान्ड के संकरे सुराख में उंगली डाल-डाल कर भर दी, और थोड़ी सी अपने लंड के सुपाडे पर लगा कर भाभी की बगल में लेट गया…
उनकी एक टाँग को थोड़ा आगे को मोड़ कर घुटने को पेट से सटा दिया…अब गान्ड का सुराख एक दम क्लियर दिखने लगा था…
लंड को होल के मूह पर रख कर हल्के से दबाया… भाभी ने अपनी गान्ड को भींच लिया…जिससे वो जितना अंदर गया था, बाहर हो गया…
लल्ला.. दुख़्ता है.. रहने दो…नही जाएगा… वो बोली..
मेने रूठते हुए कहा – ठीक है, जब आपकी मर्ज़ी ही नही है तो रहने दो, मुझे नही करना कुछ… रखो अपनी धरामशाला अपने पास….
वो – अरे ! तुम तो नाराज़ हो गये… ! मुझे दर्द हुआ इसलिए कहा मेने तो…वो अंदर नही जा रहा…
मे – आप अपनी गान्ड भींच क्यों रही हो.. उसको ऐसे खोल दो जैसे हगने बैठते हैं…
वो – ठीक है, फिरसे करो… और उन्होने अपनी गान्ड को थोड़ा ज़ोर लगा कर खोला..
मेने सॅट से लंड को अंदर कर दिया.. अब वो आसानी से चौथाई तक घुस गया…
भाभी के मूह से कराह निकल गयी….धीरे से लल्ला….जी…दर्द होता है…
मेने उनकी चुचियों को सहला कर एक बार और पुश किया…वो फिर से करही.. लेकिन अब आधा लंड गान्ड के अंदर जा चुका था…
उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाते हुए मेने एक दो बार उसे अंदर बाहर किया…
चूत सहलाने से उनको थोड़ा राहत हुई… जिसका फ़ायदा उठा कर मेने एक अच्छा सा धक्का मार कर पूरा लंड अंदर डाल दिया….
आआईयईईईईईई…..मर गाइिईईईईईईई…माआआअ….लल्ला…बहुत जालिम हो…आहह…
मे थोड़ी देर रुक गया, और उनकी गर्दन को चूमते हुए चूत को बराबर सहला कर बोला – बस अब पूरा चला गया… अब कोई दर्द नही होगा…
उफफफ्फ़…कभी अपनी गान्ड में ऐसा सोटा लेकर देखना..तब पता चलेगा तुम्हें… चलो अब धीरे-2 चोदो….
उनकी बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी…और फिर मेने धक्का लगा शुरू किया…कुछ देर उनको दर्द हुआ लेकिन फिर उनको भी मज़ा आने लगा.. और अपनी गान्ड को पीछे धकेल-धकेल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी…
इस पोज़िशन में लंड पूरा जड़ तक उनकी गान्ड में समा जाता, और किसी साँप की तरह बाहर निकलता…
15-20 मिनिट की गान्ड मराई के बाद मेरा वीर्य निकल गया और मेने उसे भाभी की गान्ड में उडेल दिया,
गान्ड खुल बंद हो रही थी जिससे काफ़ी देर तक सफेद मलाई उनकी गान्ड से टपकती रही.….!
अभी मेने भाभी की गान्ड से अपना लंड निकाला ही था, कि तभी भड़ाक से कमरे का गाते खुला…सामने निशा खड़ी थी…
अंदर का नज़ारा देख कर उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी… अंदर आते ही वो अपना हाथ नचाते हुए बोली – दीदी ये क्या हो रहा है…?
भाभी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा – आँख की अंधी नैन सुख.., दिखाई नही दे रहा…?
निशा – दिखाई तो दे रहा है… लेकिन इतनी चीख पुकार, पता है आपकी चीखें रसोई तक पहुँच रही थी…, इतना तो मे अपनी सुहागरात को भी नही चीखी थी..
भाभी मेरे आधे खड़े लंड को हाथ में पकड़ हिलाते हुए बोली – एक बार ये खूँटा अपनी गान्ड में ठुकवा कर देख, आटे-दाल का भाव पता चल जाएगा …, बात करती है सुहागरात को नही चीखी थी…!
निशा हैरत के साथ बोली – क्या..? आपने गान्ड भी मरवा ली, वाउ दीदी.. यू आर ग्रेट.., फिर हँसते हुए बोली - देखाओ तो फटने के बाद कैसी लग रही है ?
और वो भाभी की गान्ड के उपर झुक कर देखने लगी… मे थोड़ा पीछे हट गया…
निशा – ओह्ह्ह्ह…दीदी ये तो सच में किसी गोल छल्ले की तरह खुल गयी है… वैसे इसे मरवाने में भी मज़ा आता है क्या..?
भाभी – मज़ा तो बहुत आता है, पर दर्द भी उतना ही होता है… एक काम कर थोड़ा बोरो प्लस लगा दे… अभी भी साली दर्द कर रही है…
वो भाभी की गान्ड से मेरा वीर्य साफ करके उसमें बोरो प्लस लगाने लगी,
मेने निशा की गान्ड में उंगली करके कहा – एक काम करो, तुम भी ट्राइ करके देख ही लो, भाभी से क्यों पूछती हो… !
वो बिदक कर दूर हटते हुए बोली – ना बाबा ना ! मुझे ऐसा कोई शौक नही है अभी, अपनी प्यारी भाभी की ही मारो…
मे – देखा भाभी ! ये है बीवी.. जिसके लिए अपने पति की इच्छा का कोई महत्व नही है…! बस इतना ही प्यार करती हो…?
निशा मूह बनाते हुए बोली – ऐसा क्यों कह रहे हैं… अगर आप की नज़र में प्यार का मतलब गान्ड मरवाना ही है तो जो जी में आए कर्लो…, मना नही करूँगी…
मेने उसके गाल पर किस करके कहा – मे तो मज़ाक कर रहा था यार ! तुम तो सीरीयस हो गयी..!
वो – वैसे ये इच्छा भी आपकी कभी ना कभी पूरी करूँगी… अभी तो आगे की ही अच्छी तरह से खुली नही है….
मेने मज़ा लेते हुए उसकी साड़ी पकड़ कर उपर करदी, और कहा – देखें कितनी खुली है….
वो झटके से पीछे को हटी, तो भाभी ने उसकी गान्ड में उंगली पेल दी…
उईईईई….माआअ…… दीदी आप भी…? आज तो ये देवेर भाभी मिलकर मेरा सत्यानाश करके ही छोड़ेंगे…
ये कह कर निशा वहाँ से भागना चाहती थी, कि मेने पीछे से उसकी कमर को लपेट लिया और उठाकर भाभी के सामने लाकर बोला ---
भाभी जल्दी से इसके कपड़े तो निकालो… अपने आपको झाँसी की रानी समझती है भेन की लॉडी…
निशा को अब पता चल चुका था, कि मेरा लॉडा अब उसकी रामप्यारी को बिना घिसे नही मानेगा…
सो वो खिल-खिलाकर हँसते हुए, झूठा विरोध जताते हुए मेरी बाहों से छूटने का नाटक करती रही…
मे उसे गोद में ही उठाए खड़ा था, थोड़ी देर में ही भाभी ने उसकी साड़ी और पेटिकोट खोल दिए, जो अब उसके पैरों से निकल कर फर्श पर पड़े धूल चाट रहे थे..
फिर उन्होने उसका ब्लाउस भी निकाल कर उसके पट अलग-2 कर दिए…
आगे से भाभी और पीछे से मेने उसको चूमना चाटना शुरू किया, 5 मिनिट में ही उसका शरीर भट्टी की तरह गरम हो गया… और वो आँखें बंद करके सीसीयाने लगी…
अब वो बस खड़ी-2 मज़े ले रही थी…मेने उसकी ब्रा खोल कर अलग कर दी, भाभी ने उसके निपल मरोड़ कर उसके होठ चूसने लगी..
उसकी गर्दन को चूमकर मेने उसकी पेंटी भी निकाल दी.. निशा का एक पैर पलग पर रख कर मेने पीछे से खड़े –खड़े उसकी रस से सराबोर हो चुकी मुनिया में अपना खूँटा पेल दिया…
आआईयईईईईईईईईई……….ध्ीएरीई…सीईईई…मेरे रजाअ…जीिीइ….कितना ज़ोर से डालते हो….
भाभी उसकी चुचियों को चाटने लगी…
इस तरह से दो तरफ़ा के मज़े से निशा 5 मिनिट में ही अपना रस छोड़ने लगी…
लेकिन मेने उसे छोड़ा नही और उसके दोनो हाथ पलंग पर रखवा कर उसे घोड़ी बना दिया…
भाभी ने बगल में बैठ कर मेरा लॉडा अपने हाथ में लेकर अपनी प्यारी बेहन की चूत पर रख कर मेरी गान्ड पर थप्पड़ लगाते हुए कहा …
चल मेरे घोड़े… चढ़ जा इस घोड़ी पर…
फिर क्या था…मेरे सुलेमानी धक्के फिरसे निशा की चूत पर पड़ने लगे…!
वो भाभी की चुचियों को चूस्ते हुए मस्ती से चुदने का मज़ा लेते हुए अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटकने लगी…!
निशा की जम कर चुदाई करके हम तीनों कुछ देर वहीं बिस्तर पर पड़े रहे…
उसके बाद तीनों बारी-बारी से फ्रेश हुए, और फिर वो दोनो लंच की तैयारी में लग गयी….
शाम को खाने की टेबल पर, हम सभी परिवारी बैठे थे.., तभी भैया ने चर्चा छेड़ दी…
भैया – बाबूजी, सुना है सरपंच के चुनाव होने वाले हैं…!
बाबूजी – सुना तो है, पर हमें क्या लेना देना… वोही पुराना वाला सरपंच ही बनेगा.. और किसी में कहाँ है इतना दम..
भैया – हां बाबूजी आप सही कह रहे है, और कोई है भी तो नही अपने गाओं में जो उसके मुकाबले खड़ा हो सके..
तभी भाभी बोली – बाबूजी ! आप ट्राइ क्यों नही करते..?
भैया – कैसी बच्चों जैसी बातें करती हो, पता है कितनी भागदौड़ और पैसा खर्चा करना पड़ता है…!
मे – वैसे गाओं और मोहल्ले की क्या राई है..? बाबूजी के पास तो सब तरह के लोग बैठने आते हैं… कभी चर्चा तो होती होगी, कि लोग क्या चाहते हैं..?
बाबूजी – लोग तो उस सरपंच से ज़्यादा खुश नही हैं…चर्चा है कि इस बार तो कोई और ही होना चाहिए…पिच्छले 15 सालों में उसने गाओं के लिए कुछ नही किया सिवाय अपना घर भरने के…
मे – फिर तो अच्छा मौका है बाबूजी… मेरी राई में एक बार चुपके से लोगों की राई पुख़्ता करके अपना विचार रख ही देना चाहिए…
बाबूजी – तुम क्या कहते हो राम बेटे…?
भैया – देख लो आप…! पहले कम से कम अपने परिवार में ही चर्चा करके देखो, चाचा लोग क्या कहते हैं.., उनका सहयोग भी तो होना चाहिए…
बाबूजी – वैसे तो वो लोग कहीं बाहर नही जाने वाले, फिर भी एक बार पुछ लेते हैं…
मे – शुभ काम में देरी क्यों.., खाना ख़तम करके बैठक में बुला लेते हैं तीनो को,… कह कर मेने बारी-2 से तीनों चाचाओं को फोन करके आधे घंटे में बैठक में आने को बोल दिया…
आधे घंटे के बाद सभी चाचा और उनके बेटे, हम सब एक साथ बैठक में जमा हुए…
जब चर्चा की तो वो सब अति-उत्साहित होकर कहने लगे…, ये तो बहुत ही अच्छा रहेगा.., अपने परिवार का मान और बढ़ेगा… हम सबकी राई है, भैया आप ज़रूर एलेक्षन लडो…
फिर डिसाइड हुआ कि एक बार चुपके से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की राई और ले ली जाए, और ये काम हम सभी को मिलकर करना है.., ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से मिलने का…
दूसरे दिन मे थोड़ा कोर्ट के काम की वजह से शहर चला गया, प्राची से मिलकर उसे सन्नी और विक्की पर नज़र रखने को बोला.. और जो भी हो वो अपडेट मुझे दे…
पूरे दिन की व्यस्तता के बाद शाम को फिर घर लौट आया, खाने के बाद फिर हम सब एक साथ बैठे… और गाओं की जानकारी हासिल की, ज़्यादातर लोग उस सरपंच से नाखुश लगे…
तो फिर फ़ैसला लिया गया कि हमें सरपंच के चुनाव के लिए आगे आना होगा…
दूसरे दिन अपने काम के साथ-2 ग्राम पंचायत के ऑफीस जाकर मेने सारी जानकारी हासिल की, पता लगा कि हमारी पंचायत के लिए इस बार सीट महिला के लिए रिज़र्व है…
घर आकर मेने ये जानकारी दी, तो सब सोच में पड़ गये…
मेने कहा, इसमें इतना सोचने की क्या बात है, नाम ही तो महिला का है, काम तो आदमियों को ही करना होगा ना… !
भैया – तो फिर किसके नाम से एलेक्षन लड़ा जाए… चाचाओं ने एक-एक करके हाथ खड़े कर दिए.. खर्चों के डर से, तो मेने भाभी का नाम सुझाया…!
भैया – लेकिन वो ऐसी हालत में कैसे खड़ी हो पाएगी..?
मे – अरे भैया.. आप चिंता ना करो, भाभी को तकलीफ़ करने की ज़रूरत नही पड़ेगी, हम सब लोग मिलकर प्रचार का काम संभाल लेंगे…!
उसके बाद सबने भाभी के नाम पर मुहर लगा दी…..!
ये मे क्या सुन रही हूँ लल्ला जी…? दूसरी सुवह भाभी ने उठते ही ये सवाल किसी तोप के गोले की तरह मेरे सामने दाग दिया..
मे – क्या हुआ..भाभी ? सुवह ही सुवह.. कोई प्राब्लम हो गयी..?
वो – रूचि के पापा कह रहे थे, कि मुझे सरपंच के लिए तुम्हारे कहने पर खड़ा कर रहे हैं…!
मे – तो इसमें प्राब्लम क्या है..? आपके खड़े होने का मतलब, खड़े ही रहना थोड़ी ना होता है भाभी…?
वो – फिर भी इस हालत में.. कैसे होगा ये सब..? और अगर कहीं हार गयी तो..?
मे – तो क्या होगा…? आप बेकार की चिंता छोड़ो, सब ठीक होगा… अब मेरी भाभी सरपंच बन कर रहेगी… !
भाभी – ये कैसे कह सकते हो तुम… ?
मे – अपने देवर पर भरोसा रखो… आप बस देखती जाओ और अपनी सेहत का ख़याल रखो बस,
ये जो आपके पेट में बच्चा पल रहा है ना, वो पूरे घर के लिए अपने साथ ढेरों खुशियाँ लाने वाला है…, अपने आने से पहले वो अपनी माँ का मान सम्मान लेकर आएगा..
मेरी बातें सुनकर भाभी की आँखों में आँसू आगये… मेने उनके आँसू पोन्छ्ते हुए कहा – क्या भाभी, ये भी कोई आँसू बहाने का समय है…?
वो – और कितनी खुशी दोगे मुझे लल्ला..जी…? मे कैसे इतनी सारी खुशियाँ झेल पाउन्गि..?
मे – आपने भी तो मुझे मेरे जीवन की सारी खुशियाँ दे डाली, अब मेरा भी तो कुछ फ़र्ज़ बनता है, अपनी भाभी को खुश करने का…
भाभी मेरे गले से लिपट कर खुशी के आँसू बहाती रही, मे उनकी पीठ सहला कर चुप करता रहा… फिर मेने एक प्यारी सी शरारत करते हुए भाभी की गान्ड मसल दी..
वो फ़ौरन अपना रोना छोड़ कर मेरे से अलग हो गयी, और गहरी नज़रों से घूरते हुए बोली – तुम्हें हर समय शरारत ही सुझति है…!
मेने हँसते हुए कहा – आपको चुप करने का इससे अच्छा तरीक़ा मुझे नही आता…
फिर वो भी मेरे सीने पर धौल जमाती हुई हँसने लगी…पास खड़ी निशा भी मुस्काराए बगैर नही रह पाई…
फिर मे फटाफट तैयार हुआ…आज मुझे शहर जाकर ढेर सारे काम करने थे..
भाभी का नॉमिनेशन फाइल करने में अभी वक़्त था… एलेक्षन दो महीने बाद था, और उससे करीब 1 महीने पहले ही नॉमिनेशन होना था…
एलेक्षन से पहले मुझे अपने कुछ इंपॉर्टेंट काम निपटाने थे…
तैयार होकर मे शहर निकल गया… ऑफीस पहुँच कर पेंडिंग काम के अपडेट्स लिए, उसके बाद प्राची को कॉल किया…..!
शाम को में भैया के बंगले की तरफ निकल गया, उनसे भाभी को सरपंच के एलेक्षन लड़ने के बारे में राई ली,
उनकी भी यही राई थी कि हमारे घर से ही कोई अब आगे गाओं के विकास की बागडोर संभाले तो अच्छा रहेगा…पुराने सरपंच ने बहुत घर भर लिया, अब और नही.
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रंग बिरंगी रोशनी में जगमगाता हुआ रेड रोज़ क्लब शहर की शान कहें या युवा पीडी में बुराइयाँ पनपाने का अड्डा…
बड़े बड़े घरों के लोग, औरतें , नौजवान, नवयुवतियाँ… सब अपने अपने ऐसे शौक जो वो अपने सार्वजनिक जीवन में पूरे नही कर पाते, उन्हें पूरा करने इस क्लब में आते हैं…
रात शुरू होते ही यहाँ की रौनक देखने लायक होती है, आम इंसान की तो यहाँ आने की औकात ही नही है…
इसकी मेंबर शिप लेना ही सबसे बड़ी बात है, फिर इसके अंदर के खर्चों का तो कहना ही क्या..?
क्लब के ग्राउंड फ्लोर में एक विशालकाय हॉल, जहाँ हर तरह के ड्रग्स का खुल कर इस्तेमाल होता था, इस समय भी लोग कश पे कश लगाए जा रहे थे,
युवक-युवतियाँ नशे के आलम में झूम रहे थे, हॉल में चारों तरफ चरस, गांजे का धुआँ फैला हुआ था, सामान्य आदमी तो यहाँ आते ही बेहोश हो जाए…
हॉल से होते हुए ही सीडीयाँ गोलाई लेते हुए फर्स्ट फ्लोर को जाती हैं, जहाँ जुए और शराब की महफिलें सजी हुई थी,
अर्धनगन लड़कियाँ, ग्राहकों को शराब सर्व करने के साथ-2 उनका मनोरंजन भी कर रही थी…
जैसे -2 रात गेहन होती जा रही थी, रंगीनियँ और नशे में झूमते लोगों की तादात हॉल में बढ़ती ही जा रही थी…
एक टेबल पर बैठे, सन्नी और उसका दोस्त विक्की ड्रग के नशे में चूर होकर झूम रहे थे.. कि तभी वहाँ एक कमसिन सी लड़की पहुँचती है…
एक्सक्यूस मी ! जैसे कहीं कोयल कूकी हो… दोनो की नज़र एक साथ उस लड़की पर पड़ती है… पिंक कलर की ढीली ढाली टीशर्ट जो उसकी नाभि तक ही थी और एक शोल्डर से नीचे,
नाभि से दो इंच नीचे से शुरू होती एक बेहद टाइनी सी स्कर्ट, जो शायद उसके झुकने पर उसकी पेंटी भी नुमाया हो जाए…
कंधों तक के खुले, थोड़े सुनहरी से उसके बाल, कजरारी बड़ी-2 आँखें जिनमें शरारत भरी हुई… हल्का गुलाबी रगत लिए उसका गोल-मटोल चेहरा, पतले -2 गुलाब की पंखुड़ियों से उसके होठ, सुतबा नाक…!
दोनो की नज़र जो एक बार उसको देखने उठी, तो फिर नीचे ही नही हुई, वो अपलक उसे देखते ही रह गये….
उस लड़की ने अपनी आँखों में जमाने भर की शरारत लिए एक बार फिरसे कहा – एक्सक्यूस मी..मिस्टर..
वो दोनो जैसे नींद से जागे हों… हड़बड़ा कर एक साथ बोले – यस प्लीज़…
लड़की – मे आइ कंपनी वित यू..!
सन्नी – व्हाई नोट… माइ प्लेषर..!..
वो उन दोनो के साथ बैठ गयी, उसके बैठते ही वो दोनो उसकी तरफ खिसक आए, और उसके मादक अंगों का जायज़ा लेते हुए उसके बदन की खुसबु से मदमस्त होने लगे…
वो लड़की भी जैसे कुछ नशे में ही थी, अपनी बोझिल आँखों को ज़बरदस्ती से खोलते हुए बोली…वुड यू प्लीज़ शेयर युवर सिग्रेट…
विक्की जो सट्टी लगा ही रहा था, उसने चरस से भरी सिग्रेट तुरंत उसकी तरफ बढ़ा दी, जो उसने अपनी पतली – 2 उंगलियों के बीच क़ैद कर ली…