Update 52

तभी हॉल की तेज लाइट एक साथ मद्धिम हो गयी, अब वहाँ रंग बिरंगी नाचती सी रोशनी हॉल में फैलने लगी, साथ ही ऑर्केस्ट्रा पर एक मधुर ध्वनि बजने लगी…

युवक और युवतियाँ अपनी – 2 जगह से खड़े होकर उस ध्वनि पर थिरकने लगे…

तभी सन्नी ने अपना हाथ उस लड़की की तरफ बढ़ाते हुए कहा – मे आइ हॅव डॅन्स वित यू…

उस लड़की ने बड़ी अदा से अपनी बोझिल सी आँखें उसकी तरफ उठाईं, और बोली – शुवर…

वो दोनो डॅन्स फ्लोर पर जाकर डॅन्स करने लगे, कुछ देर के बाद विक्की भी उनके साथ डॅन्स करने लगा…

अब वो दोनो उस लड़की को अपने बीच में लेकर उसके आगे और पीछे उसके बदन से सट कर डॅन्स कर रहे थे,

सन्नी का एक हाथ उसके बगल में और दूसरा हाथ उसके हाथ में था, विक्की ने पीछे से अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख रखे थे..!

धीरे-2 उन तीनों के बीच की दूरी कम से कम होती जा रही थी, अब वो दोनो उसके बदन से चिपक चुके थे…

उत्तेजना के कारण दोनो के लंड खड़े हो चुके थे, जो उस लड़की के आगे और पीछे के दोनो दरवाज़ों पर दस्तक दे रहे थे…

कुछ देर में ही उन दोनो के सब्र का बाँध टूटने वाला था, कि तभी सन्नी उसके कान में फुसफुसा कर बोला –

बेबी ! यहाँ बहुत घुटन सी हो रही है… कहीं खुले में चलें…

उस लड़की ने एक कातिल सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाकर कहा- ऐज यू विश डियर…

उसने विक्की को भी इशारा कर दिया…, वो तीनों हॉल से बाहर आकर पार्किंग में खड़ी सन्नी की कार में आकर बैठ गये…!

विक्की कार ड्राइव कर रहा था, और सन्नी उस कन्या के साथ, मस्ती में व्यस्त हो गया…, वो उसकी अधनंगी जांघों को सहला कर उत्तेजित हो रहा था…,

रेंगते हुए जब उसका हाथ उसकी पैंटी पर पहुँच जाता तो वो लड़की एक कामुक स्माइल करते हुए उसके हाथ पर थप्पड़ लगा देती…

कार कुछ ही देर में शहर से निकल कर एक सिंगल रोड पर दौड़ने लगी…

शहर से निकल कर कुछ दूरी पर ही एक पार्क नुमा गार्डन में जो कि किसी पब्लिक प्रॉपर्टी के लिए नही था, ये उनके ही ग्रूप के किसी पार्ट्नर का था…

पार्क में आकर वो तीनो पेड़ों की आड़ में चले गये, जहाँ लाइट भी कम थी, वैसे तो प्राइवेट प्रॉपर्टी होने की वजह से किसी का आना तो संभव नही था,

लेकिन कोई प्रॉपर सेक्यूरिटी ना होने की वजह से कोई और भी ऐसा ही चूत का पुजारी इधर आ सकता था…

सन्नी और विक्की वहाँ लॉन की घास पर बैठ गये, फिर उसने उस लड़की का हाथ पकड़ कर अपने पास बैठने का इशारा किया…

लड़की ने अपना हाथ झटक दिया… तो वो दोनो उसका चेहरा देखने लगे… फिर विक्की बोला – क्या हुआ बेबी ? आओ बैठो, डॉन’ट वरी ! यहाँ हमारे अलावा और कोई भी नही आएगा…

लड़की ने फिर भी ना में गर्दन हिला दी… ये देख कर सन्नी का पारा एकदम से चढ़ गया… और वो भी खड़ा होकर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला…

क्या साली रंडी की औलाद बड़ा नखरे कर रही है यहाँ आकर… वहाँ क्लब में तो कैसी चिपक रही थी…

चल चुप-चाप बैठ और मेरा लॉडा चूस… कहते ही उसने अपना पेंट और अंडरवेर एक साथ नीचे कर दिए और अपना लॉडा बाहर निकाल लिया..

उस लड़की ने ज़ोर्से उसका हाथ झटक दिया, और चटाअक्ककककककक….एक झन्नाटेदार छाँटा उसके गाल पर रसीद कर दिया…

सन्नी का गाल ही नही उसके कान में भी सर्र्र्ररर…सर्र्र्ररर… साईं..सायँ.. जैसी आवाज़ होने लगी…

गुस्से और नशे से उसकी आँखें जलने लगी, इधर अभी भी नीचे बैठा विक्की ये देख कर सकते में आगया, और सोचने लगा… कि इस साली कुतिया को क्या हो गया यहाँ आते ही…

और वो भी झपट कर खड़ा हो गया, और उस लड़की का हाथ पकड़ने के लिए झपटा…

वो दो कदम पीछे हट गयी और एक करारा सा थप्पड़ उसके गाल पर भी रसीद करते हुए किसी शेरनी की तरह गुर्राई…

रंडी होगी, तुम्हारी माँ, और बहनें… अब अगर एक कदम भी आगे बढ़ाया तो जान से हाथ धो बैठोगे… इसी के साथ ना जाने कब और कैसे उसके हाथ में रेवोल्वेर लहराता दिखाई देने लगा…!

लड़की के हाथ में रेवोल्वेर देख कर उन दोनो की गान्ड फटके हाथ में आ गयी, ऐसी हवा टाइट हुई दोनो के, … कि सन्नी तो थर-थर काँपने लगा.. नशा ना जाने कब का गायब हो चुका था….!

दोनो की गान्ड फटती देख वो लड़की ठहाका सा लगाती हुई बोली – क्यों लड़की छोड़नी है… अब क्यों नही चोदते मदर्चोदो…

तुम्हें तो बहुत शौक है ना गॅंग रेप करने का, अब करो…मेरा रेप…

उसको थोड़ा लापरवाह सा देख, विक्ककी ने डेरिंग करते हुए उसपर झपट्टा मारा…

लड़की के हाथ में दबा रेवोल्वेर उसके हाथ से छिटक कर कहीं अंधेरे में गुम हो गया… ये देख कर सन्नी का डर भी निकल गया, और वो भी उसके उपर झपट पड़ा…

लेकिन लड़की कोई इतनी लापरवाह भी नही थी, उसका रेवोल्वेर ज़रूर गिर गया था, लेकिन उसने किसी मज़े हुए फाइटर की तरह हवा में ही सन्नी को एक फ्लाइयिंग किक मारी जो उसकी पसलियों में लगी….

दर्द से कराहता हुआ वो 10 फुट दूर जाकर गिरा… लेकिन तब तक विक्की अपना काम कर चुका था, उसने लड़की को पीछे से उसकी गर्दन में लपेटा मार दिया…

अब बाज़ी विक्की के हाथ लग चुकी थी…वो निरंतर अपनी बाजू का कसाब उसकी गर्दन पर कसता जा रहा था…

लड़की अपनी पूरी ताक़त जुटा कर उससे छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन विकी की पकड़ उसकी गर्दन पर और कस गयी…

तब तक सन्नी भी अपने होश संभाल चुका था, और वो अब उसके आगे आकर खड़ा हो गया और अपने दाँत पीसते हुए लड़की के मुँह पर एक जोरदार घूँसा जड़ दिया…

घूँसे की चोट से उसके होठ से खून रिसने लगा… सन्नी उसके गालों को अपने हाथ में कसते हुए गुर्राया – साली, हराम्जादि… झाँसी की रानी समझती है अपने आप को…

अब देख हम तेरा क्या हाल करते है.. आज रात भर में तेरा चोद-चोद कर चूत का भोसड़ा ना बना दिया तो कहना…!

ये कह कर उसने उसकी मिनी स्कर्ट खोलकर एक तरफ उछाल दी…और उसके आगे से उसकी कमर को जकड कर विक्की से बोला – विक्की ! इसका टॉप निकाल, साली का वो हाल करेंगे कि किसी को अपनी फटी चूत दिखा भी ना सके…

विक्की ने फटाफट उसका टॉप भी निकाल कर उसी दिशा में फेंक दिया…और वो दोनो उसके नाज़ुक अंगों के साथ खेलने लगे…

वो उन दोनो की पकड़ से छूटने के लिए कसमसाती रही… लेकिन अपने को आज़ाद करने में असमर्थ रही…

इतना सब कुछ होने के बाद भी उस लड़की के मुँह से एक चीख तक नही निकली जैसे आम तौर लड़कियाँ अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए मदद माँगने के लिए चीखती हैं….!

सन्नी के हाथ अब उसकी ब्रा में क़ैद टेनिस की बॉल के साइज़ की गोल-गोल चुचियों पर पहुँच चुके थे, जिन्हें वो बड़ी बेदर्दी से मसल्ने लगा…

सन्नी ने अपना हाथ उसकी पैंटी में सरका दिया, और उसकी छोटी सी चूत को अपनी मुट्ठी में ज़ोर्से भींच दिया…

लड़की की दर्द भरी कराह निकल गयी.., अभी वो उसके साथ कुछ और ज़्याददती करते… कि जिधर उन्होने उस लड़की के कपड़े फेंके थे… उधर से एक आवाज़ आई…!

दोस्तो ! मे कुछ मदद करूँ…आप लोगों की…?

एक साथ वो दोनो ऐसे उछल पड़े, मानो गरम तवे पर पैर पड़ गया हो…और उनकी नज़र आवाज़ की दिशा में घूम गयी…

कुछ दूरी पर खड़े शख्स पर नज़र पड़ते ही वो चोंक पड़े और दोनो के मुँह से एक साथ निकल पड़ा – जोसेफ तुम…और यहाँ, इस वक़्त…

वो वहीं खड़ा खड़ा मुस्कराता हुआ बोला – हां ! मे ! यहाँ ! क्यों मुझे देख कर इतनी हैरत क्यों हुई..?

या ये सोच कर घबरा रहे हो कि अब ये तीन में शेयर करनी पड़ेगी…

वैसे तुम तो एक लड़की को चार-चार के साथ भी शेयर कर चुके हो तो फिर मेरे आने से तो कोई प्राब्लम नही होनी चाहिए तुम लोगों को…इतना कहते – 2 वो उनके बेहद करीब पहुँच गया…

वो उसकी बात सुनकर एक बार फिर चोंक गये, फिर सन्नी बोला – क्या मतलब…हमने कब चार के साथ किसी लड़की को शेयर किया है..?

वो – भूल गये..! मेरा नाम जोसेफ है, और ये मेरी दोस्त रूबी… हम एक तरह से बंटी और बबली हैं… जिस शहर में जाते हैं, वहाँ की सारी अच्छी-बुरी खबरों का पता लगा ही लेते हैं..

इतना सुनते ही वो दोनो फिर उच्छल पड़े… फिर सन्नी बोला – क्या, ये तुम्हारी दोस्त रूबी है..?

वो – हां ! जब मे कह रहा हूँ तो फिर क्या गुंजाइश बचती है…

विक्की – लेकिन इसने क्लब में आगे से हमारे साथ फ्लर्ट किया और हम इसे यहाँ ले आए इसी की मर्ज़ी से, अब यहाँ आकर इसने अपने तेवर बदल लिए… ऐसा क्यों किया इसने..?

वो – क्योंकि हम तुम्हें यहाँ क्लब से निकाल कर एकांत में लाना चाहते थे !

सन्नी – क्यों ? तुम ऐसा क्यों चाहते थे…?

वो – तुम्हें तुम्हारे दो दोस्तों के पास पहुँचाने के लिए…! वो बेचारे तुम दोनो के बिना वहाँ जहन्नुम में बहुत दुखी हैं …

वो दोनो उसकी बात सुन कर सकते में आ गये… कभी वो उस शख्स का मुँह देखते तो कभी उस लड़की का.. जिसके चेहरे पर अब एक अजीब सी मुस्कराहट थी…

फिर कुछ हिम्मत करके सन्नी बोला – इसका मतलब तुमने ही उन दोनो को मारा था ?

वो – बेशक ! और अब तुम दोनो की बारी है… तो बताओ पहले कॉन जाना चाहेगा उन दोनो के पास…?

विक्की – लेकिन तुम हमें मारना क्यों चाहते हो..?

तब तक विक्की की पकड़ उसके गले पर ढीली पड़ चुकी थी, सो उसने अपनी एल्बो का भरपूर बार उसके पेट पर किया…

नतीजा ! विक्की के हाथ से उसका गला छूट गया और दर्द के मारे वो पीछे की तरफ दोहरा हो गया…

अपने आपको आज़ाद कराकर वो बोली – क्योंकि तुम चारों मेरी बेहन की मौत के ज़िम्मेदार हो… उसके गुनहगार हो तुम लोग…

वो दोनो एक बार फिर चोंक पड़े…. और बोले – तुम्हारी बेहन..?

लड़की – हाँ हराम्जादो..! मेरी बेहन रेखा ! जिसका तुम लोगों ने मिलकर बलात्कार किया था…उसे जानवरों की तरह नोचा…, खसोटा…

सन्नी – ओह ! तो तुम रेखा की बेहन हो… फिर उस शख्स से बोला – लेकिन तुम इसकी मदद क्यों कर रहे.. हो…?

तुम्हारा रेखा के मामले से क्या लेना देना…? तुम तो असलम के दोस्त थे, उसको पोलीस से बचाया था तुमने…!

सन्नी के मुँह से ये बातें सुन कर उस शख्स के चेहरे पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान आ गयी…,

उसने अपनी नीली-नीली आँखों से कॉंटॅक्ट लेन्स निकाले और फिर जैसे ही अपनी फ्रेंच्कट दाढ़ी चेहरे से अलग की…,

अब उनके सामने जो शख्स खड़ा था उसे देख कर तो वो दोनो इतनी बुरी तरह से उछले मानो उनके पैरों पर हज़ारों बिच्छुओं ने एक साथ डॅंक मार दिए हों, दोनो के मुँह से लगभग एक ही साथ निकला…..तूमम्म्ममम……….!

हां हराम्जादो मे..! भृष्ट तन्त्र की वजह से रेखा को कोर्ट से तो इंसाफ़ दिला नही पाया, लेकिन कोर्ट के बाहर से ही सही… और ये रेखा की छोटी बेहन प्राची है…

ये मेरी ही चाल थी, जिसमें गुंजन को फँसाकर पोलीस का मुखबिर बनाया…और फिर असलम को उसकी असलियत बताकर उन दोनो को एक दूसरे के खिलाफ कर दिया…

असलम ने उसे बहाने से अकेले में बुलाकर गुंजन को गोली मार्दि, और मेने असलम को… अब तुम दोनो की बारी है…उसके बाद रेखा का इंसाफ़ पूरा होगा, और उसकी आत्मा को शांति मिल जाएगी..

तभी विक्की आगे बढ़ते हुए बोला- ये तेरा मंसूबा कभी पूरा नही होगा हराम्जादे….

अपने हाथ में दबी रेवोल्वेर की नाल उनके खुले हुए थोबडे में डालते हुए मेने कहा – हिलना भी मत मदर्चोद, वरना समय से पहले परमात्मा को प्यारे हो जाओगे प्यारे विक्की डोनर…

मेने प्राची को उसके कपड़े थमा दिए और उसको अपनी गन उठाने को कहा, जो पास में ही पड़ी थी…

उसने पलक झपकते ही अपनी गन उठा ली, और अपने कपड़े पहन लिए…,

मेने प्राची से कहा – तुम इन दोनो को कवर करो, मे एक मिनट में आया..

वो उन दोनो को कवर करते हुए बोली – आप इनकी फिकर मत करो, मे इन्हें संभाल लूँगी…

मे लपक कर झाड़ियों की तरफ गया जहाँ रूबिया को बाँध कर डाला हुआ था, उसे पकड़ कर उनके सामने ले आया, उसके मुँह से टेप हटते ही वो रोने गिड गिडाने लगी…!

प्राची ने उसे देखते ही एक जोरदार तमाचा उसके थोबडे पर जड़ दिया, फिर उसके मुँह पर थूक कर भभक्ते हुए स्वर में बोली – साली कुतिया, रंडी तू भी मेरी बेहन की उतनी ही बड़ी गुनहगार है, जीतने कि ये दोनो सुअर…

मेने उन दोनो को कहा – तुम चिंता मत करो, मरने के बाद भी तुम दोनो अपनी माशुका के साथ खूब ऐश करना…ये भी तुम्हारे साथ ही रहेगी…

फिर दोनो के सिरों पर गन रखते हुए एक-2 ब्राउन शुगर की थैली उन तीनों को पकड़ा दी और कहा…

अगर जिंदा रहना चाहते हो, तो इसे खाओ…जो पहले ख़तम कर देगा, वो यहाँ से बचके जा सकता है…

वो तीनों गिडगिडाने लगे … लेकिन मे उन हराम्जदो पर कतई रहम करने के मूड में नही था, अपनी गन भी प्राची को थमायी, और उन दोनो पर निशाना लगाए रखने को कहा…

फिर उन दोनो के भी पीछे को हाथ बाँध दिए उनके ही उतरे हुए कपड़ों से, और जबर्जस्त उनके मुँह में ब्राउन शुगर ठूँसने लगा…

वो लाख कोशिश करते रहे… लेकिन मेने एक-एक थैली तीनों के पेट में पहुँचा ही दी… वो पड़े-2 गिडगिडाते रहे, पानी माँगते रहे, रहम की भीख माँगते रहे…

लेकिन अब ना तो उन्हें रहम मिलने वाला था, और ना ही मिला…. वो ड्रग की अधिक मात्रा पेट में पहुँच जाने की वजह से एडीया रगड़-2 कर दम तोड़ने लगे…

हमें कोई जल्दी नही थी, वहीं पास में पड़ी एक ब्रेंच पर बैठकर उनका दर्दनाक अंत होते देखते रहे…

जब तक उनकी साँसें बंद नही हो गयी, हम वहीं जमे रहे…, जब उन तीनों की जीवन लीला समाप्त हो गयी, तीनों के हाथ खोले और फिर आराम से एक दूसरे का हाथ थामे वहाँ से लौट लिए….

दूसरे दिन पूरे शहर में तहलका मचा हुआ था… दोनो ही शहर की बड़ी-बड़ी हस्तियों की औलादे थी…

पोस्टमॉर्टम में ड्रग की ज़्यादा मात्रा लेने से साँस अटक जाने से अटॅक आने के कारण मौत का कारण बताया गया…

क्लब में उनकी मौजूदगी के सबूत मिले… अब चूँकि क्लब भी उन जैसे ही किसी बड़ी हस्ती का था, तो उसको क्या आँच आनी थी…और वैसे भी ये हादसा क्लब के बाहर हुआ था….,

पोलीस ने मामले को ड्रग से हुई मौत का मामला बताकर केस क्लोज़ कर दिया… लेकिन कमिशनर के गले से बात नही उतर पा रही थी…!

उसका पॉलिसिया दिमाग़ कह रहा था, कि ये घटना इतनी साधारण नही है, जितना दिखाया गया है…

कुछ दिन तो वो अपने बेटे की मौत के गम में डूबा रहा लेकिन जल्दी ही वो इसकी तह तक पहुँचने के लिए हाथ पैर मारने लगा….!

लेकिन अब पोलीस डिपार्टमेंट में उसकी इज़्ज़त दो कौड़ी की भी नही थी, सो क़ानूनी तौर पर उसके हाथ कुछ लगने वाला नही था…!

अपने गॅंग के लोगों को उसने इसकी छान्बीन के लिए लगाया, लेकिन काफ़ी मसक्कत के बाद भी कोई क्लू उसके हाथ नही लगा…!

………………………………………….

इधर भाभी का सरपंच के चुनाव के लिए नॉमिनेशन फाइल कर दिया गया…एसपी भैया भी कभी-कभार आकर गाओं के लोगों से मिल लिया करते थे, जिसका अपना अलग ही प्रभाव पड़ा…

पुराना सरपंच बुरी तरह भिन्नाया हुआ था, उसने कभी सपने में भी नही सोचा था, कि उसके मुक़ाबले में भी कोई मैदान में उतर सकता है…

उसने लोगों को भरमाने की पूरी कोशिश शुरू करदी… ग़रीबों में पैसे बाँटना, दारू पिलाना, दावतें देना डेली बेसिस पर शुरू कर दिया…

दलित और ग़रीब लोग इससे प्रभावित होना शुरू हो गये, जिनकी गाओं में तादात भी बहुत थी, कुछ तो पहले से ही सरपंच के इशारों पर नाचते थे….

हम दिन भर लोगों से मिलने मिलने में व्यस्त रहते, और शाम को सब लोग इकट्ठा होकर हालातों का जायज़ा लेते थे,

कुछ गाओं मोहल्ले के खास लोग भी हमारे साथ कंधे से कंधा मिलकर प्रचार में जुटे हुए थे…

एक दो बार भाभी को भी हमने गाओं में रिक्शे में बिठाकर घुमा दिया, उनकी प्रेग्नेन्सी की हालत में भी लोगों से मिलने से ख़ासकर महिलाओं पर ख़ासा प्रभाव पड़ा…

आज भी हम सब एक साथ बैठे, चर्चा में लगे हुए थे, कि तभी हमारे साथ के एक रज्जु चाचा, जो मनझले चाचा के बहुत करीबी हैं, बोले –

शंकेर भैया… दलितों के वोट सारे के सारे अपने हाथ से जाते हुए दिखाई दे रहे हैं…अगर वो चले गये तो हमारा जीतना नामुमकिन सा ही हो जाएगा…

मन्झले चाचा – ये क्या बोल रहा है रज्जु ! उन सबने तो हमसे वादा किया है, कि वोट हमें ही देंगे… फिर ये कैसे हो सकता है…?

रज्जु – अरे भाई राकेश, तुम्हें पता नही है, ये क़ौम ऐसी होती है, कि इन्हें खिलाते-पिलाते रहो उसी की बजाते हैं…

तुमसे वादा ज़रूर किया है, लेकिन अंदर की खबर है कि इन्हें सरपंच ने खरीद लिया है…और ये सब मिलकर वोट उसी को देने वाले हैं…

मे – वैसे रज्जु चाचा, इनका कोई एक मुखिया तो होगा जिसकी ये बात मानते होंगे…

रज्जु – है ना ! रामदुलारी… बांके की बीवी, वही है सबकी मुखिया… और वो सरपंच की खासम खास है, उसी ने सबको एकजुट कर रखा है…वो जहाँ कहेगी सब के सब वहीं वोट देंगे…

मे – बांके तो वही है ना जो बड़े भैया के साथ कॉलेज में पढ़ता था…

भैया – हां ! पर उसकी साले की अपनी बीवी के आगे एक नही चलती…बहुत चालू पुर्जा है वो औरत…दलितों के मोहल्ले में सबसे ज़्यादा पढ़ी लिखी और होशियार औरत है…

मे – चलो आप लोग सभी अपने वोटों पर नज़र बनाए रखिए, थोड़ी बहुत दावत वैगरह का इंतेज़ाम भी करते रहिए..,

ये भी ज़रूरी है अपने वोटों को बनाए रखने के लिए.., मे उस रामदुलारी का कुछ करता हूँ.

भैया – क्या करेगा तू ?, देखना कुछ ऐसा वैसा ना हो, कि चुनाव के समय कोई गड़बड़ हो जाए…??

मे – कोई क़ानूनी दाव-पेंच लगाता हूँ, आप चिंता मत करिए…कुछ ना कुछ तो रास्ता निकल ही आएगा…

दूसरे दिन सब लोग अपने-2 काम में जुट गये, हमारे गाओं की पंचायत में और दो छोटे-2 गाओं भी लगे थे,

उनमें से भी एक-एक कॅंडिडेट खड़ा था, लेकिन उनका ज़्यादा प्रभाव उनके अपने गाँव में भी नही था…!

मेने सोनू-मोनू को उसके पीछे लगा दिया अपने तरीक़े से रामदुलारी की कुंडली निकालने के लिए…

रामदुलारी 35 वर्षीया, भरे बदन और हल्के सांवला रंग, मध्यम कद काठी की, अच्छे नैन नक्श वाली महिला थी.. जो अब तक तीन बच्चे अपने भोसड़े से निकाल चुकी थी…

बूढ़े सरपंच से उसके नाजायज़ ताल्लुक़ात भी थे, सुनने में आया कि उनमें से एक दो बच्चा तो सरपंच का भी हो सकता है…

दलितों का टोला गाओं के एक तरफ जहाँ से शहर को जाने वाली सड़क गाओं से बाहर निकलती है वहीं सड़क के दोनो तरफ बसा था…

सुबह- 2 मे कार लेकर शहर की तरफ निकला, सूचना के मुताबिक रामदुलारी रोड के किनारे खड़ी बस का इंतेज़ार कर रही थी…

मेने उसके पास जाकर गाड़ी रोकी, और शीशा नीचे करके उसे पुकारा – अरे दुलारी भौजी ! कैसे खड़ी हो.. सुबह – 2 सड़क पर..?

वो मेरी गाड़ी के पास आई, और झुक कर मेरे से बात करने लगी… उसके बड़े – 2 चुचे उसकी चोली से बाहर झाँकने लगे…वाह क्या मोटे – 2 खरबूजे थे उसके.. देख कर ही लंड अंगड़ाई लेने लगा…

दुलारी – पंडित जी ! शहर की ओर जा रहे हो क्या ?

मे – हां ! जा तो रहा हूँ.. आपको कोई काम था शहर में…?

वो – हां ! मे भी शहर जा रही थी… कुछ कोर्ट कचहरी का काम था…, मुझे अपने साथ ले चलोगे…?

मे – हां ! हां ! क्यों नही… वैसे भी तो अकेला की हूँ आ जाओ गाड़ी मे…

वो – अरे इसका दरवाजा तो खोलो… कैसे खोलते हैं, मुझे तो आता नही…

मेने अंदर से हाथ लंबा करके साइड वाला डोर खोला, वो अंदर आकर मेरे बराबर वाली सीट पर बैठ गयी…और गेट को धीरे से बंद कर दिया…

मेने कहा – भौजी, अभी सही से दरवाजा बंद नही हुआ है…ज़रा फिर से करो..

वो – अरे आप ही करो ! मेरे ते ना होगा…

मेने उसके सामने से अपना हाथ लंबा किया, जानबूझकर अपने बाजू को उसके मोटे –मोटे खरबूजों के उपर से रगड़ दिया…,

गेट को खोलते हुए अपनी एल्बो को उसकी चुचियों पर थोड़ा और दबा दिया, फिर दोबारा से गेट बंद करके अपने पूरे हाथ को फिरसे उसके पपीतों पर रगड़ता हुआ वापस लाया…

वो मेरी इस हरकत पर मंद -मंद मुस्कुराती हुई मेरी ओर देखने लगी…

गेट बंद करके मेने एक प्यारी सी स्माइल उसकी तरफ देते हुए कहा – चलें भौजी.…!

अब चूँकि एलेक्षन का समय था, तो बातें भी उसी से संबंधित होनी थी… पहले तो मेने उसके शहर में क्या काम है उसके बारे में पुछा, जो मुझे पहले से ही पता था…

फिर बात को मेने चुनाव की तरफ मोड दिया…और बोला…

तो भौजी… इस बार किसे सरपंच बनवा रही हो…?

वो – अरे देवेर जी…हम किसे बनबाएँगे… छोटे लोग हैं, हमारी औकात ही कितनी है… और वैसे भी आज के जमाने में कोई किसी से बँधा हुआ तो है नही…जिसकी जहाँ मर्ज़ी होगी वहाँ वोट डालेगा…

मे – क्या बात करती हो भौजी… आपका पूरा टोला तो आपकी बात टालता ही नही, जहाँ आप कहोगी वहीं वोट देगा.. ऐसा मेने सुना है…!

वो – किसी ने ग़लत बताया है आपको… भला आज के जमाने में कॉन किसकी बात मानता है…

मे तो चाहती हूँ, कि इस बार सर्पन्चि आपकी तरफ आजाए… ये कहते हुए वो विंडो से बाहर देखने लगी….!

मे – अगर आप ऐसा चाहती हैं.. तो ज़रूर आजाएगी… और एक बार सर्पन्चि हमारे घर में आ गयी, तब देखना गाओं का कैसा विकास होता है…ख़ासकर आप लोगों का, जो अब तक नही हो पाया है…

मेरी बात सुनकर वो मेरी तरफ देखने लगी… मेने उसकी आँखों में देखते हुए कहा…

वैसे भौजी ! बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं…? वो बोली – ऐसी क्या बात है जो मे बुरा मानूँगी…? कहिए तो सही..!

मे – आप अभी भी लगती नही कि 3-3 बच्चों की माँ होगी…! अभी भी आप एकदम कड़क माल दिखती हो…ये कह कर मेने एक तिर्छि नज़र उस पर डाली..उसका रिक्षन जानने के लिए…

मेरी बात सुन कर उसके गालों पर लाली आ गयी, फिर थोड़ा मुस्कराते हुए बोली –

क्यों मज़ाक करते हो लरिका जी, अब भला मुझमें वो बात कहाँ, जो आप जैसा सजीला नौजवान मेरी तरफ नज़र डाले…!

मे – अरे क्या बात करती हो भौजी ! तुम नज़र डालने की बात करती हो…मे तो कहता हूँ, आप एक इशारा करो, मेरे जैसे सेकड़ों लाइन में खड़े होंगे…!

वो हँसते हुए बोले – बस बस…अब इतना भी मत चढ़ाओ मुझे, वैसे तुम उस लाइन में खड़े होते क्या..?

मे – अब आप खड़ा करना चाहो तो हो भी सकते हैं… मेरी तरफ से खुला इशारा पाकर वो मेरी तरफ गहरी नज़र से देखने लगी… फिर कुछ सोच कर बोली…

आपको देख कर लगता तो नही, कि आप भी ऐसे होगे…?

मे – कैसे नही होगे..?

वो – दिल फेंक टाइप.. वो भी मेरे जैसी अधेड़ औरत को देख कर लाइन मारने वालों में से तो लगते नही…!

मे – आप तो बुरा मान गयी भौजी.. मेने तो जो सच है वही कहा है.. अब आपको ये मेरा लाइन मारना लग रहा है तो आपकी मर्ज़ी…

वो – नही नही ! मेरा मतलब वो नही था, मे तो आपको बहुत सीधा-साधा लरिका समझ रही थी… इसलिए कहा…

मे – तो सीधे-साधे लड़कों की क्या इच्छाए नही होती…?

मेरी बात का इन्स्टेंट असर हुआ, उसने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया और उसे सहलाते हुए बोली –

अरे पंडित जी ! आप जैसा नौजवान किसी भी औरत को मिल जाए, उससे ज़्यादा उसका सौभाग्य और क्या हो सकता है…, हम ठहरे नीच जात जो ऐसा सपने में भी नही सोच सकते..!

मे – जात पाँत से चाहत का क्या लेना देना… वो तो किसी से भी हो सकती है…!

मेरी बात सुनकर वो बस हूंम्म्म.. ही बोली…

बातों – 2 में समय का पता ही नही चला, कि कब हम कोर्ट पहुँच गये… वो गाड़ी से उतर कर अपने वकील की तरफ जाने लगी.. तो मेने उससे कहा…कहाँ जा रही हो भौजी…?

मेरी बात सुनकर वो पलटी और बोली – अपने वकील के पास, एक ज़मीन का विवाद चल रहा है, उसी के लिए उन्होने नोटीस भेजा था..

मे – क्या नाम है आपके वकील का..? तो उसने उसका नाम बताया…!

मेने कहा – आप चलो मेरे साथ ऑफीस में बैठते हैं, वो वहीं आ जाएगा..

वो – क्या ? वो आपके… आपके पास ही आजाएँगे..?

मे – हां ! आओ.. और मे उसे लेकर अपने ऑफीस चला गया… मेने उसकी गुदगुदी गान्ड सहला कर सोफे पर बैठने के लिए कहा…

वो हिचकिचाती हुई, मुस्कुरा कर सोफे पर बैठ गयी…

मेने उसके लॉयर को फोन लगाया, उसने 10 मिनिट में आने का बोला… तब तक मेने उसे एक ठंडा मॅंगाकर पिलाया… कुछ इधर-उधर की बातें की.. तब तक उसका वकील भी आगया…

मेने उसको कहा कि ये मेरी पहचान वाली हैं, इन्हें क्यों परेशान करवा रहे हो वकील साब..,

उसने कहा, अरे शर्मा जी, मुझे क्या पता था कि ये आपकी पहचान वाली हैं, अब जब आपने बता दिया तो मे कोर्ट से जल्दी ही इनके केस का फ़ैसला कराने की कोशिश करूँगा.. आप चिंता मत करो…!

यहाँ तक कि उसने आज की फीस भी दुलारी से लेने के लिए मना कर दिया, जिसे देख कर वो बहुत इंप्रेस होगयि…

कुछ इधर-उधर की बातें करने के बाद उसका वकील चला गया… तब दुलारी बोली-

धन्यवाद पंडित जी आपकी वजह से मेरा काम आसान हो गया.. 5 साल से इस केस के चक्कर में फँसे पड़े हैं…!

मेने कहा – एक अंदर की बात बताऊ भौजी… किसी से कहना मत.. ये केस भी जान बूझकर सरपंच ने ही लगवाया है आप लोगों पर, जिससे वो आपकी मदद करने के बहाने आप लोगों को दबा कर रख सके और वोट हासिल करता रहे…

वो एक दम से चोंक पड़ी.. और बोली – क्या बात कर रहे हैं आप ? वो ऐसा कर ही नही सकते…

मे उसकी बगल में बैठ गया और उसकी मांसल जाँघ पर हाथ रख कर बोला –

आपको भरोसा नही हो रहा मेरी बात पर, चलो कोई बात नही ! किसी दिन सामने वाली पार्टी से ही कहलावा दिया तब तो मनोगी…

खैर जो भी हो.. अब आपका ये केस जल्दी ही सुलट जाएगा…कह कर मेने उसकी जाँघ सहला दी.. वो गरम होने लगी…और उसने भी अपना हाथ मेरे लंड के उपर रख दिया…

उसे अपने हाथ से मसल्ते हुए बोली – पंडित जी थोड़ा अपने नाग देवता के दर्शन तो कराओ…

मेने अपनी ज़िप खोल दी और कहा – खाली दर्शन ही करने हैं तो पट खोल दिए हैं, कर लो..

उसने फ़ौरन हाथ डाल कर मेरे आधे खड़े लंड को बाहर निकाल लिया… वो मेरे गोरे आधे खड़े लंड को ही देख कर मंत्रमुग्ध हो गयी.. और अपने मुँह पर हाथ रख कर बोली …

हाए राम…कितना सुंदर और मस्त लाल सुर्ख लंड है तुम्हारा…ये कहकर वो उसे सहलाने लगी, वो जल्दी ही अपनी मस्ती में आकर फुफ्कारने लगा…

दुलारी पूरे खड़े लंड को देखते ही उसके सामने सोफे से नीचे बैठ गयी, और उसे पूचकार कर मेरी तरफ देख कर बोली – इसे एक बार मुझे दोगे …?

मेने कहा – फिलहाल इसका समय नही है, बस थोड़ा सा चुस्कर देखलो, ये वादा रहा.. जिस्दिन सरपंच के चुनाव का नतीजा आएगा, उस दिन ये आपको मिल जाएगा..

फिर पूरे दिन जो करना चाहो, इसके साथ कर लेना…, वो मुस्कुराती हुई मेरा लंड चूसने लगी…

कुछ देर चूस कर उसकी चूत पानी छोड़ने लगी.., वो मिन्नतें करते हुए बोली – बस थोड़ी देर इसे मे अपनी चूत में डालकर देख लूँ…, बस 5 मिनिट..

मे – नही भौजी ! मेरा थोड़ी देर में कुछ नही होता… मुझे कम से कम आधा घंटा लगता है.. तो वो अपने मुँह पर हाथ कर बोली – क्या ? आधा घंटा, हाए री मैया मोरी….इतनी देर भी कोई भला चोद सकता है…

मे – हां मे तो इतनी ही देर लगाता हूँ, अब और लोग कितनी देर में करते हैं, मुझे पता नही…

वो अपनी गीली चूत को लहँगे से पोन्छ्ते हुए बोली – चलो ठीक है फिर, आज तो मे सबर कर लेती हूँ, लेकिन उस दिन नही छोड़ूँगी इसे.. और अब आप बेफिकर हो जाओ, मेरे टोला का एक – एक वोट आपकी भाभी को मिलेगा…

मेरे टोला का ही नही, अपने तीनों गाओं के हमारी जात के वोट तुम्हारे लिए ही जाएँगे…

अब मे इस हरामी मदर्चोद सरपंच को दिखाउन्गी, कि कैसे ग़रीबों को बहला फुसलाकर अपना उल्लू सीधा करता है…

मे – लेकिन भौजी याद रखना, अभी ये बातें उसको पता नही चलनी चाहिए, एक बार उसके हाथ से सत्ता जाने दो…,

उसके बाद में तुम्हारे सामने केस करने वाले को आमने-सामने बिठा कर यहीं इस केस को रफ़ा दफ़ा करवा दूँगा…तब तक आप चुप-चाप रहना…

फिर मेने उसको चाय नाश्ता करवाया, और उसे लेकर वापस गाओं की तरफ चल दिया……

वोट डिब्बों में बंद हो चुके थे…, कयास लगाए जेया रहे थे, कि फिर से सर्पन्चि पुरानी जगह ही गयी…, हमारे लोगों को भी भरोसा नही था, और सभी नीरस से हुए पड़े थे…

भाभी ने मुझसे कहा – लल्ला हो गयी तुम्हारे मन की, बनवा दिया भाभी को सरपंच…! खमखा समय और पैसा बरवाद करवा दिया ना…!

मे – आप सिर्फ़ अपने और अपने होने वाले बच्चे की सेहत पर ध्यान दो… क्योंकि मे कुछ बोलूँगा, तो भी आपको विश्वास नही आएगा…!

वो – तुम्हें अब भी लगता है, कि हम जीत जाएँगे..? जबकि सब कुछ तो सामने आ चुका है, सब लोग आस छोड़ चुके हैं…!

मेने हँसते हुए कहा – आपको आज ही प्रमाण पत्र चाहिए क्या…? लिख कर दूं आपको कि आप सरपंच बन रहीं हैं…!

वो – तुम्हारे इतने विश्वास का कारण क्या है… सारे दलितों और ग़रीबों के वोट तो उसने खरीद लिए हैं…

मे – ऐसा नही होता है भाभी, खिलाना-पिलाना अलग बात होती है, कोई किसी को भला कैसे खरीद सकता है… हां दिखता ज़रूर है कि लोग उसके साथ उठ-बैठ रहे थे, खा-पी रहे थे, तो हो सकता है वोट उसी को दिए हों…

लेकिन लोग भी अब समझदार और होशियार हैं, वो भी अपने भविष्य के बारे में सोचने समझने लगे हैं…! आप देखना वो हमसे कोसों दूर होगा…!

भाभी को फिर भी विषवास नही हुआ, और फीकी सी हँसी हँसते हुए बोली – तुम कह रहे हो तो मान लेती हूँ…फिर वो ग़ालिब का मशहूर शेर सुनाने लगी…!

दिल को बहलाने के लिए ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है,

कि हम ने कभी आपको चाहा नहीं,

अब सन्नाटे की गूँज हम से पूछती है,

‘बता तेरा हम-सफ़र कहाँ है?’

हाहहाहा…..वाह भाभी वाह ! आप तो शेरो-शायरी भी कर लेती हैं… यू रियली आर मल्टी-तेलेंटेड वुमन…. हॅट्स-ऑफ…

मेरी बात पर वो भी हँसने लगी… तो मेने उनके डिंपल्स को चूम लिया……!​
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