Update 54
कॉल कनेक्ट होते ही… मेने उसका हाल चल पता किया… बातों से पता चल रहा था कि वो बहुत खुश लग रही थी…
मे - क्या बात है डार्लिंग, बड़ी खुश लग रही हो… लगता है कोई खजाना हाथ लग गया…
वो – ऐसा ही कुछ समझ लो, आपके एसपी साब मुझसे शादी करना चाहते हैं…!
मे – क्या सच में..? ये तो बड़ी खुशी की बात है, मुझे मेरी नयी भाभी मिल जाएगी…वो भी तुम्हारे रूप में.
वो – क्या..? क्या बोला आपने..? क्या वो आपके भाई हैं..?
मे – हां ! वो भी सगे…! चलो अच्छा हुआ, अब बेचारे भैया को भी सुकून मिल जाएगा.. उस हराम्जादि कामिनी ने उनकी जिंदगी नरक बना रखी थी…
अरे हां ! प्राची, अब थोड़ा तुम केर्फुल रहना, हो सकता है वो लोग तुम तक पहुँचने की कोशिश करें…!
वो – आप बेफिकर रहिए… मे ख्याल रखूँगी…!
मे – अच्छा ये बताओ, अभी भी तुम लोग उसी घर में रह रहे हो…?
वो – हां और कहाँ जाएँगे, अब इतना पैसा तो है नही कि घर किराए पर भी ले सकें, एक ही छत के नीचे परायों की तरह रहते हैं…
मे – तुम्हारी मम्मी का गुस्सा तुम्हारे पापा के प्रति अभी तक कम नही हुआ..?
वो – वो तो शायद कभी होगा भी नही, हम अपनी बेहन को बहुत प्यार करते थे, कैसे भूल जाएँ कि मेरे बाप ने पैसों की खातिर उसकी बलि चढ़ा दी..!
मे – तो एक काम क्यों नही करते, अपनी मम्मी से बात करके मेरे फ्लॅट में शिफ्ट हो जाओ, ये भी एक तरह से खाली ही पड़ा रहता है, मे तो कभी कभार ही रहता हूँ…
मुझे भी कभी-कभार तुम्हारी माँ के हाथ का खाना खाने को मिल जाया करेगा..
वो – सुझाव तो अच्छा है, मे मम्मी से बात करती हूँ, शायद वो मान भी जाएँगी…!
प्राची से बात करने के बाद मुझे ये जानकार बड़ी खुशी हुई, कि उन दोनो की लाइफ सेट होने जा रही है…………….!
रात को खाना खाकर हम डाइनिंग टेबल पर ही बैठे आपस में बातें कर रहे थे, भैया गाओं के हालात पुच्छ रहे थे… कि तभी मेरा मोबाइल बजा…
मेने थोड़ा वहाँ से उठकर दरवाजे की तरफ आया, और कॉल पिक किया.. उधर से रामदुलारी की आवाज़ आई…
वो – पंडितजी मे कल ही उसे कुछ खरीदारी के बहाने शहर लेकर आरहि हूँ, लेकिन रात वहाँ नही गुज़ार पाएँगे…
मे – ठीक सुबह 10 बजे मुझे सड़क पर मिलो, मे तुम दोनो को अपने साथ ही ले लूँगा…बोलकर मेने कॉल कट करदी...
वादे के मुतविक, दूसरे दिन दुलारी और श्यामा, मुझे सड़क पर खड़ी मिली, मे उन दोनो को गाड़ी में बिठाकर शहर की ओर चल दिया…दोनो को अपने घर छोड़ा,
फिर 2 घंटे में आने का बोलकर अपने ऑफीस आया, और कुछ अर्जेंट काम निपटाए, और फिर अपने घर आ गया….!
मे साथ में कुछ खाने पीने का समान ले आया था, क्योंकि घर पर मे कुछ बनाता नही था, तो तीनों हॉल में बैठते खाते हुए टीवी देखने लगे…
नाश्ता निपटा कर वो दोनो नीचे कालीन पर ही बैठी थी, मेरे बहुत कहने पर भी वो मेरे साथ सोफे पर नही बैठी, शायद गाओं की परम्परा तोड़ना दुलारी ठीक नही समझती थी…
मे सोफे पर बैठा था, इतने में दुलारी नीचे बैठकर मेरे पैर दबाने लगी…
मेने उसे बहुत मना किया लेकिन वो नही मानी.. और उसने अपने देवरानी को भी इशारा कर दिया, तो वो मेरे दूसरे पैर को दबाने लगी…
उन्होने खींच कर मेरे पैर लंबे कर दिए… और बड़ी लगन के साथ मेरे पैरों को दबाने लगी…
मेने धीरे से दुलारी के कंधे पर हाथ रखा और उसे सहलाते हुए अपना हाथ उसके मांसल चुचियों पर ले गया, और उसे ज़ोर्से मसल दिया….
सीईईईईईईईईईई…….आआआआहह….. उसके मुँह से एक मादक सिसकी निकल पड़ी, जिसे सुनकर श्यामा ने अपनी नज़र उठाकर उसकी तरफ देखा, और मुस्कुरा कर फिरसे नीचे देखने लगी….
मेरा हाथ शयामा के कंधे पर चला गया, और उसे धीरे-2 सहलाने लगा…
वो थोडा असहज सी होने लगी, और उसने अपनी गर्दन टेडी करके अपना गाल मेरे हाथ पर रख दिया…
उसके मुलायम हल्के फूले हुए गाल का स्पर्श अपने हाथ पर पाकर मे उसे सहलाने लगा… तो उसकी आँखें स्वतः ही मूंद गयी…
एक हाथ से मे दुलारी की चुचियों को मसल रहा था, और दूसरे हाथ से श्यामा के गाल सहला रहा था… दोनो ही उत्तेजित होती जा रही थी….
दुलारी के हाथ अब मेरी जांघों पर थे, और बढ़ते-2 वो मेरे लंड तक भी पहुँच गये…
पाजामे के अंदर मेरा नाग फुफ्कारने लगा था, जिसे देखकर उसने उसे एक बार ज़ोर से मसल दिया… मेरे मुँह से अहह…. निकल गयी…
फिर मेने वो कर दिया…. जिसकी श्यामा ने अभी कल्पना भी नही की होगी…. !
मेने झुक कर अपने दोनो हाथ श्यामा की बगलों से लेजा कर उसके संतरों पर रख दिए और उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया…
मुश्किल से 42-45 किलो वजन था उसमें सो किसी बच्ची की तरह मेने अपने मजबूत हाथों में उसे उठा लिया था…
वो शर्म से दोहरी हो रही थी, और थोड़ी आगे को झुक गयी… जिससे उसकी छोटी सी लेकिन गोल-मटोल गान्ड मेरे लंड पर अच्छे से सेट हो गयी… और वो उसके छेद पर सेट हो गया…
वो शर्म से दोहरी हो रही थी, और थोड़ी आगे को झुक गयी… जिससे उसकी छोटी सी लेकिन गोल-मटोल गान्ड मेरे लंड पर अच्छे से सेट हो गयी… और वो उसके छेद पर सेट हो गया…
मेरे लंड का स्पर्श अपनी गान्ड के छेद पर होते ही वो पीछे को हो गयी, अब उसकी पीठ मेरे सीने से सट चुकी थी, उसका 32 साइज़ का सीना आगे को हो गया…
मेने उसकी चोली के उपर से ही उसके संतरों को अपनी मुट्ठी में कस लिया….
आअहह……पंडितजीिीइ….छोड़िए ना….दुख़्ता है….जीजी…कहिए ना इनसे मान जाएँ…
दुलारी – अरी मज़े करले….मौका है…, ऐसा मर्द तुझे सपने में भी नही मिलेगा….! फिर वो उठते हुए बोली –
पांडिजी, मे थोड़ा बाथरूम जाकर आती हूँ, ये कहकर उसने मुझे इशारा किया.. और खुद उठकर हॉल से बाहर चली गयी…
मेने श्यामा की चुनरी को उसके बदन से अलग कर दिया, अब वो एक लहँगे और चोली में ही थी, जिसके नीचे उसने ब्रा भी नही पहन रखा था,
उसके बबजूद भी उसकी चुचिया, एक दम कड़क किसी टेनिस की बॉल जैसी गोल-गोल, जो शायद अभी तक उनकी अच्छे से मिजायी भी नही हुई थी….
गोल-गोल मुलायम चुचियाँ मेरी मुट्ठी में क़ैद जो मेरे हाथों के साइज़ से भी छोटी थी, मुट्ठी में भरकर उन्हें मींजने लगा…
श्यामा थोड़े दर्द के एहसास के बावजूद उसने अपने दोनो हाथ मेरे हाथों के उपर जमा रखे थे… लेकिन रोकने का कोई प्रायोजन उसकी तरफ से नही था…
वो आँखें मुन्दे हुए धीरे-2 कराह रही थी, मेने एक-एक करके उसकी चोली के सारे बटन खोल दिए… इस दौरान भी उसके हाथ मेरे हाथों के उपर ही रहे… जो कभी -2 कमजोर सा प्रयास रोकने का कर देते थे… लेकिन रोका नही..
चोली से आज़ाद होते ही उसकी नग्न हल्के गेहुआ रंग की चुचियाँ…किसी नाइलॉन की गेंदों जैसी एकदम गोल, जिनके बाहरी सिरे पर दो किस्मीस के दाने चिपके हुए थे..
जो अब हाथों की मिजायी के कारण खड़े हो चुके थे…मेने उसके दानों को अपनी उंगलियों में दबाकर हल्के से मसल दिया….
आययईीीईईईईईईईई………..मोरी….मैईईईईई….इसस्स्स्स्स्स्स्शह….हहाआहह…सुुआअहह…
वो सिसकी भरते हुए अपने खुसक नाज़ुक होठों को अपनी जीभ से तर करने लगी…
तभी मेने उसके पतले से पेट पर हाथ फिराते हुए उसके लहँगे के नाडे को भी खींच दिया…
और उसकी बगलों में गुदगुदी कर दी…. वो खिल खिलाकर हँसती हुई मेरी गोद से उठ खड़ी हुई….
सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर………..से उसका लहंगा उसके पैरों में जा टपका…. शर्म से उसने अपनी टाँगें भींच ली, उसकी देशी कच्छि में से चूत की फाँकें हल्की सी उभरी हुई अपनी मौजूदगी का एहसास दिला रही थी…
मेने अपने कपड़े निकाल कर उसे पलटा लिया, और उसका चेहरा अपनी तरफ किया, उसकी आँखें बंद थी, मेने जैसे ही उसका हाथ थामा… वो सिहर गयी…
मेने कहा – श्यामा… अपनी आँखें तो खोलो… उसने ना में अपनी गर्दन हिला दी….
मेने फिर कहा – देखो अब शर्म छोड़ो…और देखो मेरी तरफ… तो उसने धीरे से अपनी आँखों को खोला…और जैसे ही उसकी नज़र मेरे 8” लंबे और गोरे लंड पर पड़ी….
श्यामा के बदन ने एक झुरजुरी सी ली… और वो आँखें फ़ाडे एकटक उसे देखती ही रह गयी…
मे – ऐसे क्या देख रही हो… लो इसे पकडो.. प्यार करो..इसे…, वो फिर भी उसे गूंगी की तरह देखती ही रही….
तो मेने उसके हाथ को झटक कर सोफे पर खींचा और जबदस्ती अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया…. लंड पर हाथ लगते ही वो सिहर गयी…
मेने अपने हाथ से उसकी मुट्ठी अपने लंड पर कस्वा दी… और उसके हाथ से ही उसे आगे पीछे करने लगा…
कुछ देर में वो स्वतः ही मेरे लंड को सहलाने लगी… मेने उसे पुछा – कैसा लगा मेरा हथियार तुम्हें….?
मेरी बात सूकर उसने मेरी तरफ देखा, फिर नज़र नीची करके बोली – ये तो बहुत बड़ा है…और गोरा भी…
मे – तुम सिर्फ़ ये बोलो – तुम्हें अच्छा लगा कि नही…?
वो – बहुत अच्छा है, पर इतना लंबा और मोटा…ये कैसे…ले पाउन्गि मे इसे ???
मेने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में कस कर दबा दिया और बोला – रानी, बड़ा है, तभी तो मज़ा ज़्यादा देता है….इसे अपने मुँह में लो… और चूसो इसे चाटो…
वो मेरे मुँह की तरफ देखने लगी और सिसक कर बोली – ससिईइ….हइई…मुँह में कैसे लेलुँ… ये तो मूतने वाली चीज़ है…
मे – अरे रानी अभी मूत थोड़ी निकल रहा है इसमें से… ले इसे जल्दी, ये कह कर मेने ज़बरदस्ती उसका मुँह अपने लंड पर दबा दिया… ना चाहते हुए उसका मुँह खुल गया और वो गडप्प से उसके मुँह में चला गया…
कुछ देर में उसके मुँह को अपने लंड पर दबाए रहा… फिर धीरे से दबाब कम किया, तब तक उसे मेरे सुपाडे का स्वाद जम गया, और वो उसे अपनी जीभ से चाटने लगी….
मे तो सातवें आसमान पर पहुँच गया… वो उसे धीरे-2 चाट रही थी, मेने कहा…चूस इसे साली अच्छे से क्यों नखरे कर रही है…
मेरी डाँट सुनकर उसने चूसना शुरू कर दिया.. मेरा हाथ उसके सर को सहलाने लगा… अब वो मज़े लेकर मेरे लंड को अच्छे से चूस रही थी…
मे सोफे पर टाँगें फैलाए बैठ था, और श्यामा नीचे बैठ कर मेरा लंड बड़े चाव से मन लगाकर चूसे जा रही थी…
मे उसके छोटे-2 संतरों को मसल – 2 कर उनसे रस निकालने की नाकाम कोशिश कर रहा था…
लंड चूस्ते हुए उसका हाथ अपनी चूत पर चला गया, और वो उसे मसल्ने लगी…
मेरा नाग अब बुरी तरह से फुफ्कार रहा था, सो मेने उसके सर को परे धकेल कर लंड उसके मुँह से बाहर खींच लिया…
उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गये, जैसे किसी बच्चे से उसका मन पसंद खिलौना छीन लिया हो, और आश्चर्य से मेरे चेहरे को देखने लगी…!
मे उसके मन की बात समझते हुए बोला – अब रानी, ये अपने सही बिल में घुसने के लिए तैयार है, ये कह कर मेने उसे उठाकर सोफे पर लिटा दिया, और उसकी तर हो चुकी पैंटी उतारकर फेंक दी…
आहह….. क्या चिकनी चूत थी उसकी, बिल्कुल अधखिली बच्ची के जैसी… थोड़ी सी उभरी हुई, अपना आधे से भी कम मुँह खोले हुए… मानो वो मंद – 2 मुस्करा रही हो…
मे – वाह रानी…! बिल्कुल चिकनी चमेली बन कर आई हो… लगता है, आज ही सफाई की है क्या…
उसने हामी भरते हुए कहा – जीजी ने कहा था, कि आपको सफाई अच्छी लगती है इसलिए आने से पहले ही सॉफ की थी…
तुम्हारी जीजी को कितनी परवाह है.. है ना ! इतना कह कर मेने उसकी पतली – 2 टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया… और एक बार उसकी चिकनी चमेली को अपने हाथ से सहला कर मेने उसे चूम लिया….
सस्सिईईईईईईईईईईईई……आहह…..मॉरीइ…माइईईई….उउउफफफफफफफ्फ़…. मेरे चूमते ही उसे मानो 440 व का करेंट लगा हो, फिर मेने जैसे ही अपनी जीभ निकाल कर उसकी मुनिया को चाटा….
गजब ही हो गया…. श्यामा की पतली सी कमर उपर को उठती चली गयी…वो बुरी तरह सिसकने लगी…
मेने उसके भज्नासा को जो थोड़ा सा बाहर को आकर मुँह चमकने लगा था, अपने अंगूठे और उंगली के बीच लेकर मसल दिया…
आआईयईईईईईईईईईईईई…………..नहियीईईईईईई….उूउउफफफफ्फ़…..राजाजीीइई….प्लीज़ अब डाल दो…. हाए…मारीईईईईईई….रीि…अब सहन नही हो रहााआअ….
मेने अपने मूसल पर थूक लगाया, और उसे एक दो बार अपने हाथ से सहला कर अपना सुपाडा उसकी मुनिया के छोटे से छेद पर टीका दिया…
उसके होठों को चूमकर बोला – तैयार हो ना….
उसने हूंम्म्मम… करके हामी भारी…….
फिर मेने उसकी कमर को अपने दोनो हाथों में जकड़ा, और उसे उपर को उठा लिया, साथ ही एक करारा धक्का अपनी कमर में भी लगा दिया…….
नीचे से उसकी कमर का उठना, उपर से मेरी कमर का झटका…. नतीजा….मेरा सख़्त डंडे जैसा लंड उसकी छोटी सी चूत को उधेड़ता हुआ, तीन चौथाई अंदर तक चला गया….
अरईईईईईईई……मैय्ाआआअ….मॉरीईईईईई…….मररर्र्ररर….गाइिईईईईईईईई….. बुरी तरह चीखती हुई श्यामा का सर सोफे से उपर को उठा और वो मेरे सीने से लिपट गयी…
अपने दर्द को पीने के लिए उसने मेरे कंधे पर ज़ोर से काट लिया….और सुबक्ते हुए बोली – पंडित जी छोड़ो मुझे… मर जाउन्गि… जीजी… कहाँ हो..?... बचाओ मुझे….
मेने उसे कसकर अपने बदन से चिपका लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – बस मेरी सौनचिरैया बस… सब ठीक हो गया.. अब और कुछ नही होगा,…
उसे बातों से बहलाकर मेने उसके होठ चूस लिए और अपने हाथों से उसकी गान्ड सहलाते हुए एक उंगली उसकी गान्ड के छेद पर रख कर उसे सहलाने लगा…
इस सबसे उसे थोड़ी राहत मिली… और उसने चिल्लाना बंद कर दिया..
मेने फिर से उसे सोफे पर टीकाया, उसके नन्हे-मुन्ने अमरूदो को सहला कर उसकी कमर पकड़ कर एक और तगड़ा सा धक्का दे दिया…
अब मेरा पूरा लंड उसकी छोटी सी सकरी प्रेम गली में जाकर फँस गया…
वो फिरसे बुरी तरह रोने लगी और सोफे से उठकर मेरे कंधे से चिपक कर सुबकने लगी…
मेने उसकी गान्ड के नीचे हाथ लगाया, उसकी चूत में लंड डाले हुए ही उसे उठा लिया, और अपने बदन से चिपकाए हुए उसको अपने बेडरूम में ले आया…
लंड अपनी चूत में लिए हुए वो किसी छोटी बच्ची की तरह मेरी गोद में चिपकी हुई थी…
बेडरूम का नज़ारा देख कर मेरी आँखें चौड़ी हो गयी…बिस्तर पर दुलारी… मदरजात नंगी.. अपनी चूत में उंगली डाले पड़ी थी, और एक हाथ से अपनी चुचियों को मसल रही थी…
वो बंद आँखों से मज़े में डूबी हुई थी, मेने धीरे से श्यामा को उसके बगल में लिटाया… और धीरे – 2 अपना मूसल उसकी छोटी सी टाइट चूत से बाहर खींचा…
श्यामा के मुँह से कराह निकल पड़ी… दुलारी ने अपनी आँखें खोलकर देखा…और उसके सर को सहला कर बोली – बस एक बार इनके साथ चुदवा लेगी, तो फिर सब ठीक हो जाएगा…
मेरे लंड के साथ उसकी चूत की अन्द्रुनि दीवारें भी बाहर को खिंचने लगी, साथ ही मेरे लंड पर लाल रंग की रेखाएँ सी दिखाई दी…
इसका मतलब, आज सही मायने में उसकी सील टूटी थी…मेने आधा लंड बाहर निकाला और थोड़ा रुक कर फिर से अंदर कर दिया.. वो फिर से कराही लेकिन अब उसे पहले जितना दर्द नही हुआ…
दो चार बार धीरे – 2 अंदर बाहर होने से लंड ने अपना रास्ता बना लिया, अब वो थोड़ा आसानी से आ जा रहा था…
मेने दुलारी को अपनी चूत शयामा के मुँह पर रख कर बैठने को कहा, तो वो मेरी तरफ अपनी चौड़ी चकली गान्ड लेकर उसके मुँह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी…
मे धीरे – 2 अपने धक्कों को गति देने लगा…, दुलारी की चूत से दबे मुँह से अभी भी उसके मुँह से कराह निकल जाती थी..
मेरे सामने एक विशालकाय गान्ड जिसका छेद खुल बंद हो रहा था…
पूछो मत कितना मज़ा आरहा था, ये देख कर, एक नयी चूत जो सही से कुछ पल पहले फटी है, उसके उपर एक अधेड़ औरत अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ती हुई….
मेरे धक्कों से श्यामा आगे-पीछे हो रही थी.. जिससे उसका मुँह दुलारी की चूत पर रगड़ खा रहा था, उसने अपनी जीभ भी बाहर निकाल रखी थी, जो कभी – 2 उसकी चूत को चाट लेती…
धक्के लगाते हुए… मेने अपनी बीच वाली उंगली को मुँह में लेकर गीला किया और दुलारी की बड़ी सी गान्ड को सहलाते हुए एक ही झटके में पूरी उंगली उसकी गान्ड में पेल दी…!
आआईयईईईईईईई….क्या करते हो पंडितजी… कराह कर दुलारी ने अपना हाथ पीछे लाकर मेरी कलाई थम ली… और गान्ड को ज़ोर्से भींचकर अपनी चूत श्यामा के मुँह पर ज़ोर से पटकी…
अब मेरे धक्कों की रफ़्तार बहुत बढ़ चुकी थी, उसी लय में मे अपनी उगली भी दुलारी की गान्ड में चला रहा था…जिसकी वजह से उसकी चूत से पानी रिसने लगा, और वो श्यामा के मुँह को भिगोने लगा…
मेरे धक्कों की मार, श्यामा की चूत ज़्यादा देर नही झेल पाई… और वो अपनी कमर को पूरी ताक़त से उछाल कर झड़ने लगी…
उसकी टाँगें मेरी कमर में कस गयी…जिसकी वजह से मेरे धक्के बंद हो गये…
उसके झड़ने के बाद मेने अपना मूसल उसकी चूत से बाहर खींचा… एक पच की आवाज़ के साथ जैसे ही वो बाहर आया, उसकी चूत का रस जो लंड की वजह से बाहर नही आ पाया था.. फॅलफ्लाकर बाहर को निकलने लगा…
मेने उसके रस से अपने लंड को और चुपडा… और औंधी खड़ी दुलारी की कमर पकड़ कर पीछे किया, गीले लंड को उसकी गान्ड के छेद पर रख कर एक तगड़ा सा धक्का दे मारा….
दुलारी के मुँह से एक भयानक चीख निकल गयी…और मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में समा गया…
अचानक से हुए गान्ड पर हमले से दुलारी बिलबिला गयी,… में उसकी पीठ को सहलाते चूमते हुए थोड़ा रुक गया… और अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा…
जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो फिरसे एक ज़ोर का झटका मारकर पूरा लंड उसकी गान्ड में फिट कर दिया…
दुलारी ने अपने दर्द को पीने के लिए अपनी एक चुचि श्यामा के मुँह में ठूंस दी… और खुद उसकी चुचियों को मसल्ते हुए गान्ड हिलाने लगी…
मेने उसकी गान्ड में धक्के लगाने शुरू कर दिए… उसकी चौड़ी गान्ड पर जब मेरी जांघों के भारी पाट पड़ते तो एक ठप-ठप सी आवाज़ होने लगती…
15-20 मिनिट में मेने दुलारी की गान्ड को खूब अच्छी तरह से कूटा, लेकिन अब मेरा रुकना ज्यदा देर संभव नही था…
मेरे मुँह से हुउंम…हुउन्न्ह… जैसी आवाज़ें निकल रही थी, फिर जैसे ही मेरा पानी छूटने वाला था… तो मेने हुंकार भरते हुए कहा…
हुउन्न्ह… मेरा निकलने वाला है, दुलारी… कहाँ निकालु….वो दोनो फ़ौरन उठकर मेरे सामने बैठ गयी… और फिर दुलारी ने मेरा लंड पकड़ कर श्यामा के मुँह की तरफ कर दिया…
मेरी जोरदार पिचकारी सीधी उसके मुँह में गयी… दो तीन धार उसे पिलाने के बाद वाकी का उसने अपने मुँह में ले लिया… और बचा हुआ सारा रस खुद गटक गयी…
उसके बाद उसने मेरा लंड चूस चाट कर चमका दिया… जो अब कुछ सुस्त पड़ चुका था…
श्यामा के गालों को पकड़ कर दुलारी बोली – क्यों री कैसा लगा पंडितजी का प्रसाद..?
वो चटकारे लेकर बोली – बहुत टेस्टी था जीजी… धन्यवाद.. आपने इनसे मेरी चुदाई करवाकर मुझे बिन मोल खरीद लिया…
उसने उसे किसी बच्ची की तरह अपने अंक से लिपटा लिया….
मे पस्त होकर पलंग पर पसर गया, थकान के कारण मेरी आँखें बंद हो गयी..
अभी 15 मिनिट ही हुए होंगे कि मेरे लंड पर फिरसे कुछ गीला – 2 सा एहसास हुआ, मेने आँखें खोल कर देखा तो श्यामा मेरे लंड को चूस रही थी, और बगल में बैठी दुलारी उसे देख कर मुस्करा रही थी…
मेरा हाथ उसके सर पर चला गया… और उसे सहलाने लगा…उसने लंड चूस्ते हुए मेरी तरफ देखा…
मे – अभी और मन है, इसे लेने का…?
वो – हां ! फिर ना जाने कब मौका मिले…..?
अब तक मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो चुका था… सो मेने उसका बाजू पकड़ कर अपने उपर खींच लिया, और वो मेरे उपर आ गयी…
दुलारी ने मेरे लंड को उसके छेद पर सेट कर दिया, और उसे धीरे – 2 उसपर बैठने का इशारा किया…
अब श्यामा मेरे उपर से अपनी चूत में लंड ले रही थी… उसकी छोटी – सी लेकिन गोल-गोल गान्ड और पतली सी कमर उपर-नीचे होते हुए बड़ी प्यारी लग रही थी…
मेने उसके दोनो अनारों को मसल्ते हुए अपने उपर झुका लिया और उसके होठ चूसने लगा…
कुछ देर बाद वो थक गयी … तो मेने उसे अपने नीचे लिया, और जम कर उसकी धुनाई करने लगा, जैसे धुन्ना, रूई को धुनता है…
इस बीच दुलारी बोली – पांडिजी इस बार अपना माल इसकी चूत में ही डालना, जिससे बेचारी की गरम चूत ठंडी हो जाए…
मेरे नीचे दुबली पतली श्यामा धक्कों को बड़ी मुश्किल से झेल पा रही थी.., उसके मुँह से उन्माद में डूबी सिसकियाँ और कराहों से पूरा माहौल चुदाइमय हो गया…
आधे घंटे की चुदाई से श्यामा की चूत पस्त हो गयी, वो अनगिनत बार पानी छोड़ चुकी थी…
आख़िरकार मेने भी अपना वीर्य उसकी नयी चुदि चूत में भरकर उसे तरबतर कर दिया…और ढंग से उसकी चूत की प्यास बुझा दी…
श्यामा मेरे सीने से लग कर सुबकने लगी… मे उसकी गान्ड सहला कर उसे चुप करने लगा…
दुलारी ने कहा – तू चिंता मत कर मेरी बेहन, पंडितजी, मौका लगते ही तेरी चुदाई कर दिया करेंगे…
कुछ देर बाद हम सबने फ्रेश होकर कपड़े पहने, चाय नाश्ता किया…
फिर उन दोनो को गाओं की बस में बिठा कर मेने उन्हें रवाना कर दिया… !
रामदुलारी और श्यामा के जाने के बाद मे दो घंटे के लिए सो गया, दो-तीन घंटे की चुदाई समारोह के बाद काफ़ी थकान महसूस हो रही थी…
दो घंटे की नींद लेने के बाद मेने उस्मान को अपने सीक्रेट नंबर से कॉल किया…
कॉल लगने के बाद मेने उससे मिलने के लिए हां कर दी… तो उसने मुझे आज रात ही 9 बजे रीक्सन होटेल के रूम नंबर 403 में मिलने को कहा…
मेने उसे हां बोलकर कॉल कट करदी… और उससे मिलने के बारे में प्लॅनिंग करने लगा..
मे उस्मान से मिलने के बारे में सोच ही रहा था, कि प्राची अपनी मम्मी और छोटे भाई के साथ आ पहुँची, फ्लॅट देख कर उसकी मम्मी बड़ी खुश हुई..
मेने आज पहली बार उसकी मम्मी को देखा था, काम और ज़िम्मेदारियों के बोझ ने समय से पहले उनके चेहरे को बुझा सा दिया था, अन्यथा उनका फिगर किसी 28-30 साल की औरत जैसा ही था..
एकदम परफेक्ट स्लिम बॉडी, बस कुछ ज़्यादा था तो वो थे उनके दो पके दशहरी आम और तरबूज जैसी गान्ड, जो मेहनत करने की वजह से कुछ ज़्यादा ही पीछे को निकल आई थी…
शक्ल सूरत से वो प्राची की बड़ी बेहन लगती थी.., बस चेहरे की मलिनता को अनदेखा कर दिया जाए तो मुझे मधु आंटी एक परफेक्ट महिला लगी..
साड़ी में कसे हुए उनके हिप्पस देखकर तो मेरे अंदर कुछ-कुछ होने लगा…
मेने अपने दोनो हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते किया, जिसका उन्होने मुस्काराकर जबाब दिया…
कुछ देर बैठकर वो अपना ज़रूरी समान लेने के लिए चली गयी, उन्होने मेरे फ्लॅट में रहने का निर्णय ले लिया था…
दूसरी चाबी प्राची के पास ही थी सो मेरा घर पे रहना ना रहना कोई मायने नही रखता था
उनके जाते ही मेने कुछ काम निपटाए और शाम होते ही अपना हुलिया चेंज किया और समय पर उस्मान से मिलने चल दिया………..!
रीक्सन होटेल, शहर का सबसे आलीशान होटेल है, रात के ठीक 9 बजे मेने जोसेफ के गेटप में रूम नंबर. 403 की डोर बेल दबाई…
तकरीबन 5 मिनिट के इंतेज़ार के बाद भी जब कोई रेस्पॉन्स नही मिला, तो मेने डोर पर अपने हाथ का दबाब बनाया जो शायद अनलॉक था.., दबाब डालते ही वो खुलता चला गया…,
मे धड़कते दिल से अंदर गया, दरअसल मुझे अभी भी अपने पहचाने जाने का अंदेशा ही था…
अंदर लाउन्ज में टीवी चालू था, जिसपर कोई हॉलीवुड मूवी चालू थी, लेकिन कोई दिखा नही, मे थोड़ी देर इधर-उधर घूमकर उसकी भव्यता देखने लगा…
तभी अंदर के बेडरूम से मर्द और औरत के आहें और सिसकने की आवाज़ें सुनाई दी.., उत्सुकता बस मे उस रूम की तरफ बढ़ गया…
डोर उसका भी खुला ही था, हल्का सा दबाब देते ही सामने के बड़े से बेड पर नज़ारा देखते ही मेरा लंड पॅंट के अंदर अंगड़ाई लेने लगा…!
उस्मान एकदम नंगा बेड पर लेटा हुआ था, और एक भरपूर जवान गोरी-चिट्टी फिट बॉडी औरत उसके 6” लंबे औसत लंड के उपर उच्छल रही थी…!
दरवाजे की हल्की सी आहट पाकर उसने मुड़कर दरवाजे की तरफ देखा, उसे देखते ही मेरी आँखें चौड़ी हो गयी, ये कोई और नही कामिनी ही थी, जो अपनी 36” की गान्ड लेकर उसके लंड पर कूदकर आहें भर रही थी…
नीचे से उस्मान उसके आमों को अपने हाथों में लेकर मसल रहा था…,
मेरे उपर नज़र पड़ने के बाद भी उनकी चुदाई में कोई अंतर नही आया,
मुस्कराते हुए उसने मुझे उंगली के इशारे से अपनी तरफ बुलाया…, कुछ देर मे उसी अवस्था में अवाक सा उन्हें देखता रहा…
तभी उस्मान बोला – आ जाओ बर्खुरदार, हमारी जानेमन तुम्हें बुला रही है…
मे अपनी उसी अवाक स्थिति में धीरे-2 चलते हुए उनके पास जाकर खड़ा हो गया…, उसने लंड पर उछलना जारी रखते हुए मुझे अपना पॅंट उतारने का इशारा किया..
मेने झिझकते हुए अपना पॅंट नीचे किया और उसके बगल में घुटनों के बल बैठ गया…
कामिनी ने मेरे आधे खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया, और सिसकते हुए बोली – आअहह…जोसेफ क्या मस्त हथियार है तुम्हारा, ये कहकर उसने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी…
दो मिनिट में ही वो साला अपनी औकात में आ गया, और किसी शख्त रोड की तरह दिखने लगा…,
कामिनी ने अपने मुँह से मेरे लंड को बाहर निकाला और उस्मान के लंड पर उछल्ते हुए सिसक कर बोली – सस्सिईइ…आअहह… अब अपने इस मस्त हथियार को मेरी गान्ड में डालो राजा….!
उसकी ये बात सुनकर मुझे एक तेज झटका लगा, मेने मन ही मन कहा, ये साली तो पूरी रंडी निकली, एक लंड चूत में लिया हुआ है, साथ में मेरा 8” लंबा और 3” मोटाई वाला लंड अपनी गान्ड में लेना चाहती है…,
तभी उस्मान ने नीचे से अपनी कमर उचकाते हुए कहा – डालो जोसेफ, तभी मुझे भी मज़ा आएगा, जब तुम्हारे लंड का दबाब इसकी चूत पर बढ़ेगा…,
अभी तो पता ही नही चल रहा, कहाँ जा रहा है साला…,
मेरे लिए ये पहला मौका था, जब मे किसी दूसरे आदमी के होते हुए उसके साथ किसी औरत को चोदने जा रहा था…
सो थोड़ी झिझक के बाद मेने अपने थूक से उसकी गान्ड को गीला किया, उस्मान ने अब धक्के लगाना बंद कर दिया था…
कामिनी ने अपने दोनो हाथ पीछे जे जाकर अपनी गान्ड के छेद को खोला, और सिसकते हुए बोली –
सस्सिईइ….आआहह….मेरे राजा…अब धीरे-धीरे करके डालो,
तुम्हारा लंड तो एकदम मेरे देवर जैसा है, खूब बड़ा और मोटा भी…!
मेने अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद पर रखा, और धीरे से एक झटका देकर एक तिहाई लंड उसकी गान्ड में डाल दिया…!
वो अपनी आँखें बंद करके कराही, आअहह…एस…ऐसे ही और डालो…आअहह… सस्सिईइ…मज़ा आ गया…, अब पेल दो पूरा…आआईय…उउउफफफ्फ़….बहुत बड़ा है…
अब उसके दोनो छेद लंड से भरे हुए थे, कुछ देर रुक कर मेने उपर से धक्के देने शुरू किए,
नीचे से उस्मान भाई के लंड के धक्के, बीच में कामिनी सॅंडबीच बनी मस्ती से कराह रही थी…
अंदर जाते समय मुझे ऐसा लगता मानो मेरा लंड उस्मान के लंड में घिस्सा लगा रहा हो…
इस खेल में मुझे डबल मज़ा आरहा था, उधर गान्ड में लंड के दबाब से उसकी चूत टाइट हो गयी, और उस्मान को भी बहुत मज़ा आने लगा,
वो कुछ ही देर में हुउन्ण..हहुऊन्ण…करके झड गया.., तो कामिनी ने मुझे रुकने का इशारा किया, वो पलट कर पीठ के बल लेट गयी और मुझे अपनी चूत चोदने का इशारा किया..
मेने उसकी केले के तने जैसी चिकनी और मोटी-मोटी जांघों को अपनी छाती से सटाया, और उसकी उठी हुई उस्मान के वीर्य से लबालब चूत में अपना मूसल एक झटके से अंदर कर दिया…
फूकक्च्छ…की आवाज़ के साथ ही चूत में भरा हुआ मेटीरियल बाहर छिटक गया, कामिनी आअहह….भरते हुए कराह कर बोली…
सस्सिईइ…आअहह…मज़ा आ गया… चोदो राजा.., फाडो मेरी चूत…हाईए…क्या मस्त लंड है तुम्हारा…, कहाँ थे अबतक….आआययईीी….म्माआ…मईए… तो गायईीई….उउफफफ्फ़….ये कहते हुए वो बुरी तरह अपनी गान्ड हवा में उछाल कर झड़ने लगी…!
मेने भी अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी, और उसके झड़ने के बाद भी उसे सतसट चोदता रहा.., कुछ देर में वो एक बार फिर गरम हो गयी, और चुदाई में साथ देने लगी…
कामिनी बहुत ही चुदैल औरत थी, कुछ देर तक दो-दो लंड अपने दोनो छेदो में लेकर चुद रही थी, और अब एक बार झड़ने के बाद भी मेरे मूसल जैसे लंड को अपनी कमर उच्छल-उच्छल कर जड़ तक लेने की कोशिश करके चुदाई का लुत्फ़ उठा रही थी…
उसका बस चलता तो वो मेरे अंडों को भी अपनी चूत में ले लेती…
आख़िरकार उसकी गरम चूत के आगे मेरे नाग की भी अकड़ ढीली हो गयी, और उसने भी अपना जहर उसकी बॅंबी में उगल ही दिया…,
लेकिन मेरी तेज बौछार से उसकी चूत एक बार फिर से रोने पर मजबूर हो गयी.., मेरी कमर में अपने पैरों की केँची डालकर उसने मुझे अपने शरीर से चिपका लिया…!
फ्रेश होने के बाद अपने अपने कपड़े पहनकर कुछ देर बाद हम तीनों लाउन्ज में आकर सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे…!
सोफे पे बैठते ही कामिनी ने बड़ी कामुक अदा से मुस्कराते हुए मेरी तरफ देखा और बोली – थॅंक यू जोसेफ फॉर कमिंग हियर ऑन टाइम……
मेने नज़र कामिनी पर गढ़ाते हुए अपनी अभिनय कला का भरपूर इस्तेमाल करके चौन्कने की जबरदस्त आक्टिंग की और कहा…
आप कैसे जानती हैं, कि मेरा नाम जोसेफ है, जबकि मेने आपको पहले कभी नही देखा…?
उसने मेरी बात का कोई जबाब नही दिया, बस मुस्करा कर रह गयी…
मे - क्या बात है डार्लिंग, बड़ी खुश लग रही हो… लगता है कोई खजाना हाथ लग गया…
वो – ऐसा ही कुछ समझ लो, आपके एसपी साब मुझसे शादी करना चाहते हैं…!
मे – क्या सच में..? ये तो बड़ी खुशी की बात है, मुझे मेरी नयी भाभी मिल जाएगी…वो भी तुम्हारे रूप में.
वो – क्या..? क्या बोला आपने..? क्या वो आपके भाई हैं..?
मे – हां ! वो भी सगे…! चलो अच्छा हुआ, अब बेचारे भैया को भी सुकून मिल जाएगा.. उस हराम्जादि कामिनी ने उनकी जिंदगी नरक बना रखी थी…
अरे हां ! प्राची, अब थोड़ा तुम केर्फुल रहना, हो सकता है वो लोग तुम तक पहुँचने की कोशिश करें…!
वो – आप बेफिकर रहिए… मे ख्याल रखूँगी…!
मे – अच्छा ये बताओ, अभी भी तुम लोग उसी घर में रह रहे हो…?
वो – हां और कहाँ जाएँगे, अब इतना पैसा तो है नही कि घर किराए पर भी ले सकें, एक ही छत के नीचे परायों की तरह रहते हैं…
मे – तुम्हारी मम्मी का गुस्सा तुम्हारे पापा के प्रति अभी तक कम नही हुआ..?
वो – वो तो शायद कभी होगा भी नही, हम अपनी बेहन को बहुत प्यार करते थे, कैसे भूल जाएँ कि मेरे बाप ने पैसों की खातिर उसकी बलि चढ़ा दी..!
मे – तो एक काम क्यों नही करते, अपनी मम्मी से बात करके मेरे फ्लॅट में शिफ्ट हो जाओ, ये भी एक तरह से खाली ही पड़ा रहता है, मे तो कभी कभार ही रहता हूँ…
मुझे भी कभी-कभार तुम्हारी माँ के हाथ का खाना खाने को मिल जाया करेगा..
वो – सुझाव तो अच्छा है, मे मम्मी से बात करती हूँ, शायद वो मान भी जाएँगी…!
प्राची से बात करने के बाद मुझे ये जानकार बड़ी खुशी हुई, कि उन दोनो की लाइफ सेट होने जा रही है…………….!
रात को खाना खाकर हम डाइनिंग टेबल पर ही बैठे आपस में बातें कर रहे थे, भैया गाओं के हालात पुच्छ रहे थे… कि तभी मेरा मोबाइल बजा…
मेने थोड़ा वहाँ से उठकर दरवाजे की तरफ आया, और कॉल पिक किया.. उधर से रामदुलारी की आवाज़ आई…
वो – पंडितजी मे कल ही उसे कुछ खरीदारी के बहाने शहर लेकर आरहि हूँ, लेकिन रात वहाँ नही गुज़ार पाएँगे…
मे – ठीक सुबह 10 बजे मुझे सड़क पर मिलो, मे तुम दोनो को अपने साथ ही ले लूँगा…बोलकर मेने कॉल कट करदी...
वादे के मुतविक, दूसरे दिन दुलारी और श्यामा, मुझे सड़क पर खड़ी मिली, मे उन दोनो को गाड़ी में बिठाकर शहर की ओर चल दिया…दोनो को अपने घर छोड़ा,
फिर 2 घंटे में आने का बोलकर अपने ऑफीस आया, और कुछ अर्जेंट काम निपटाए, और फिर अपने घर आ गया….!
मे साथ में कुछ खाने पीने का समान ले आया था, क्योंकि घर पर मे कुछ बनाता नही था, तो तीनों हॉल में बैठते खाते हुए टीवी देखने लगे…
नाश्ता निपटा कर वो दोनो नीचे कालीन पर ही बैठी थी, मेरे बहुत कहने पर भी वो मेरे साथ सोफे पर नही बैठी, शायद गाओं की परम्परा तोड़ना दुलारी ठीक नही समझती थी…
मे सोफे पर बैठा था, इतने में दुलारी नीचे बैठकर मेरे पैर दबाने लगी…
मेने उसे बहुत मना किया लेकिन वो नही मानी.. और उसने अपने देवरानी को भी इशारा कर दिया, तो वो मेरे दूसरे पैर को दबाने लगी…
उन्होने खींच कर मेरे पैर लंबे कर दिए… और बड़ी लगन के साथ मेरे पैरों को दबाने लगी…
मेने धीरे से दुलारी के कंधे पर हाथ रखा और उसे सहलाते हुए अपना हाथ उसके मांसल चुचियों पर ले गया, और उसे ज़ोर्से मसल दिया….
सीईईईईईईईईईई…….आआआआहह….. उसके मुँह से एक मादक सिसकी निकल पड़ी, जिसे सुनकर श्यामा ने अपनी नज़र उठाकर उसकी तरफ देखा, और मुस्कुरा कर फिरसे नीचे देखने लगी….
मेरा हाथ शयामा के कंधे पर चला गया, और उसे धीरे-2 सहलाने लगा…
वो थोडा असहज सी होने लगी, और उसने अपनी गर्दन टेडी करके अपना गाल मेरे हाथ पर रख दिया…
उसके मुलायम हल्के फूले हुए गाल का स्पर्श अपने हाथ पर पाकर मे उसे सहलाने लगा… तो उसकी आँखें स्वतः ही मूंद गयी…
एक हाथ से मे दुलारी की चुचियों को मसल रहा था, और दूसरे हाथ से श्यामा के गाल सहला रहा था… दोनो ही उत्तेजित होती जा रही थी….
दुलारी के हाथ अब मेरी जांघों पर थे, और बढ़ते-2 वो मेरे लंड तक भी पहुँच गये…
पाजामे के अंदर मेरा नाग फुफ्कारने लगा था, जिसे देखकर उसने उसे एक बार ज़ोर से मसल दिया… मेरे मुँह से अहह…. निकल गयी…
फिर मेने वो कर दिया…. जिसकी श्यामा ने अभी कल्पना भी नही की होगी…. !
मेने झुक कर अपने दोनो हाथ श्यामा की बगलों से लेजा कर उसके संतरों पर रख दिए और उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया…
मुश्किल से 42-45 किलो वजन था उसमें सो किसी बच्ची की तरह मेने अपने मजबूत हाथों में उसे उठा लिया था…
वो शर्म से दोहरी हो रही थी, और थोड़ी आगे को झुक गयी… जिससे उसकी छोटी सी लेकिन गोल-मटोल गान्ड मेरे लंड पर अच्छे से सेट हो गयी… और वो उसके छेद पर सेट हो गया…
वो शर्म से दोहरी हो रही थी, और थोड़ी आगे को झुक गयी… जिससे उसकी छोटी सी लेकिन गोल-मटोल गान्ड मेरे लंड पर अच्छे से सेट हो गयी… और वो उसके छेद पर सेट हो गया…
मेरे लंड का स्पर्श अपनी गान्ड के छेद पर होते ही वो पीछे को हो गयी, अब उसकी पीठ मेरे सीने से सट चुकी थी, उसका 32 साइज़ का सीना आगे को हो गया…
मेने उसकी चोली के उपर से ही उसके संतरों को अपनी मुट्ठी में कस लिया….
आअहह……पंडितजीिीइ….छोड़िए ना….दुख़्ता है….जीजी…कहिए ना इनसे मान जाएँ…
दुलारी – अरी मज़े करले….मौका है…, ऐसा मर्द तुझे सपने में भी नही मिलेगा….! फिर वो उठते हुए बोली –
पांडिजी, मे थोड़ा बाथरूम जाकर आती हूँ, ये कहकर उसने मुझे इशारा किया.. और खुद उठकर हॉल से बाहर चली गयी…
मेने श्यामा की चुनरी को उसके बदन से अलग कर दिया, अब वो एक लहँगे और चोली में ही थी, जिसके नीचे उसने ब्रा भी नही पहन रखा था,
उसके बबजूद भी उसकी चुचिया, एक दम कड़क किसी टेनिस की बॉल जैसी गोल-गोल, जो शायद अभी तक उनकी अच्छे से मिजायी भी नही हुई थी….
गोल-गोल मुलायम चुचियाँ मेरी मुट्ठी में क़ैद जो मेरे हाथों के साइज़ से भी छोटी थी, मुट्ठी में भरकर उन्हें मींजने लगा…
श्यामा थोड़े दर्द के एहसास के बावजूद उसने अपने दोनो हाथ मेरे हाथों के उपर जमा रखे थे… लेकिन रोकने का कोई प्रायोजन उसकी तरफ से नही था…
वो आँखें मुन्दे हुए धीरे-2 कराह रही थी, मेने एक-एक करके उसकी चोली के सारे बटन खोल दिए… इस दौरान भी उसके हाथ मेरे हाथों के उपर ही रहे… जो कभी -2 कमजोर सा प्रयास रोकने का कर देते थे… लेकिन रोका नही..
चोली से आज़ाद होते ही उसकी नग्न हल्के गेहुआ रंग की चुचियाँ…किसी नाइलॉन की गेंदों जैसी एकदम गोल, जिनके बाहरी सिरे पर दो किस्मीस के दाने चिपके हुए थे..
जो अब हाथों की मिजायी के कारण खड़े हो चुके थे…मेने उसके दानों को अपनी उंगलियों में दबाकर हल्के से मसल दिया….
आययईीीईईईईईईईई………..मोरी….मैईईईईई….इसस्स्स्स्स्स्स्शह….हहाआहह…सुुआअहह…
वो सिसकी भरते हुए अपने खुसक नाज़ुक होठों को अपनी जीभ से तर करने लगी…
तभी मेने उसके पतले से पेट पर हाथ फिराते हुए उसके लहँगे के नाडे को भी खींच दिया…
और उसकी बगलों में गुदगुदी कर दी…. वो खिल खिलाकर हँसती हुई मेरी गोद से उठ खड़ी हुई….
सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर………..से उसका लहंगा उसके पैरों में जा टपका…. शर्म से उसने अपनी टाँगें भींच ली, उसकी देशी कच्छि में से चूत की फाँकें हल्की सी उभरी हुई अपनी मौजूदगी का एहसास दिला रही थी…
मेने अपने कपड़े निकाल कर उसे पलटा लिया, और उसका चेहरा अपनी तरफ किया, उसकी आँखें बंद थी, मेने जैसे ही उसका हाथ थामा… वो सिहर गयी…
मेने कहा – श्यामा… अपनी आँखें तो खोलो… उसने ना में अपनी गर्दन हिला दी….
मेने फिर कहा – देखो अब शर्म छोड़ो…और देखो मेरी तरफ… तो उसने धीरे से अपनी आँखों को खोला…और जैसे ही उसकी नज़र मेरे 8” लंबे और गोरे लंड पर पड़ी….
श्यामा के बदन ने एक झुरजुरी सी ली… और वो आँखें फ़ाडे एकटक उसे देखती ही रह गयी…
मे – ऐसे क्या देख रही हो… लो इसे पकडो.. प्यार करो..इसे…, वो फिर भी उसे गूंगी की तरह देखती ही रही….
तो मेने उसके हाथ को झटक कर सोफे पर खींचा और जबदस्ती अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया…. लंड पर हाथ लगते ही वो सिहर गयी…
मेने अपने हाथ से उसकी मुट्ठी अपने लंड पर कस्वा दी… और उसके हाथ से ही उसे आगे पीछे करने लगा…
कुछ देर में वो स्वतः ही मेरे लंड को सहलाने लगी… मेने उसे पुछा – कैसा लगा मेरा हथियार तुम्हें….?
मेरी बात सूकर उसने मेरी तरफ देखा, फिर नज़र नीची करके बोली – ये तो बहुत बड़ा है…और गोरा भी…
मे – तुम सिर्फ़ ये बोलो – तुम्हें अच्छा लगा कि नही…?
वो – बहुत अच्छा है, पर इतना लंबा और मोटा…ये कैसे…ले पाउन्गि मे इसे ???
मेने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में कस कर दबा दिया और बोला – रानी, बड़ा है, तभी तो मज़ा ज़्यादा देता है….इसे अपने मुँह में लो… और चूसो इसे चाटो…
वो मेरे मुँह की तरफ देखने लगी और सिसक कर बोली – ससिईइ….हइई…मुँह में कैसे लेलुँ… ये तो मूतने वाली चीज़ है…
मे – अरे रानी अभी मूत थोड़ी निकल रहा है इसमें से… ले इसे जल्दी, ये कह कर मेने ज़बरदस्ती उसका मुँह अपने लंड पर दबा दिया… ना चाहते हुए उसका मुँह खुल गया और वो गडप्प से उसके मुँह में चला गया…
कुछ देर में उसके मुँह को अपने लंड पर दबाए रहा… फिर धीरे से दबाब कम किया, तब तक उसे मेरे सुपाडे का स्वाद जम गया, और वो उसे अपनी जीभ से चाटने लगी….
मे तो सातवें आसमान पर पहुँच गया… वो उसे धीरे-2 चाट रही थी, मेने कहा…चूस इसे साली अच्छे से क्यों नखरे कर रही है…
मेरी डाँट सुनकर उसने चूसना शुरू कर दिया.. मेरा हाथ उसके सर को सहलाने लगा… अब वो मज़े लेकर मेरे लंड को अच्छे से चूस रही थी…
मे सोफे पर टाँगें फैलाए बैठ था, और श्यामा नीचे बैठ कर मेरा लंड बड़े चाव से मन लगाकर चूसे जा रही थी…
मे उसके छोटे-2 संतरों को मसल – 2 कर उनसे रस निकालने की नाकाम कोशिश कर रहा था…
लंड चूस्ते हुए उसका हाथ अपनी चूत पर चला गया, और वो उसे मसल्ने लगी…
मेरा नाग अब बुरी तरह से फुफ्कार रहा था, सो मेने उसके सर को परे धकेल कर लंड उसके मुँह से बाहर खींच लिया…
उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गये, जैसे किसी बच्चे से उसका मन पसंद खिलौना छीन लिया हो, और आश्चर्य से मेरे चेहरे को देखने लगी…!
मे उसके मन की बात समझते हुए बोला – अब रानी, ये अपने सही बिल में घुसने के लिए तैयार है, ये कह कर मेने उसे उठाकर सोफे पर लिटा दिया, और उसकी तर हो चुकी पैंटी उतारकर फेंक दी…
आहह….. क्या चिकनी चूत थी उसकी, बिल्कुल अधखिली बच्ची के जैसी… थोड़ी सी उभरी हुई, अपना आधे से भी कम मुँह खोले हुए… मानो वो मंद – 2 मुस्करा रही हो…
मे – वाह रानी…! बिल्कुल चिकनी चमेली बन कर आई हो… लगता है, आज ही सफाई की है क्या…
उसने हामी भरते हुए कहा – जीजी ने कहा था, कि आपको सफाई अच्छी लगती है इसलिए आने से पहले ही सॉफ की थी…
तुम्हारी जीजी को कितनी परवाह है.. है ना ! इतना कह कर मेने उसकी पतली – 2 टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया… और एक बार उसकी चिकनी चमेली को अपने हाथ से सहला कर मेने उसे चूम लिया….
सस्सिईईईईईईईईईईईई……आहह…..मॉरीइ…माइईईई….उउउफफफफफफफ्फ़…. मेरे चूमते ही उसे मानो 440 व का करेंट लगा हो, फिर मेने जैसे ही अपनी जीभ निकाल कर उसकी मुनिया को चाटा….
गजब ही हो गया…. श्यामा की पतली सी कमर उपर को उठती चली गयी…वो बुरी तरह सिसकने लगी…
मेने उसके भज्नासा को जो थोड़ा सा बाहर को आकर मुँह चमकने लगा था, अपने अंगूठे और उंगली के बीच लेकर मसल दिया…
आआईयईईईईईईईईईईईई…………..नहियीईईईईईई….उूउउफफफफ्फ़…..राजाजीीइई….प्लीज़ अब डाल दो…. हाए…मारीईईईईईई….रीि…अब सहन नही हो रहााआअ….
मेने अपने मूसल पर थूक लगाया, और उसे एक दो बार अपने हाथ से सहला कर अपना सुपाडा उसकी मुनिया के छोटे से छेद पर टीका दिया…
उसके होठों को चूमकर बोला – तैयार हो ना….
उसने हूंम्म्मम… करके हामी भारी…….
फिर मेने उसकी कमर को अपने दोनो हाथों में जकड़ा, और उसे उपर को उठा लिया, साथ ही एक करारा धक्का अपनी कमर में भी लगा दिया…….
नीचे से उसकी कमर का उठना, उपर से मेरी कमर का झटका…. नतीजा….मेरा सख़्त डंडे जैसा लंड उसकी छोटी सी चूत को उधेड़ता हुआ, तीन चौथाई अंदर तक चला गया….
अरईईईईईईई……मैय्ाआआअ….मॉरीईईईईई…….मररर्र्ररर….गाइिईईईईईईईई….. बुरी तरह चीखती हुई श्यामा का सर सोफे से उपर को उठा और वो मेरे सीने से लिपट गयी…
अपने दर्द को पीने के लिए उसने मेरे कंधे पर ज़ोर से काट लिया….और सुबक्ते हुए बोली – पंडित जी छोड़ो मुझे… मर जाउन्गि… जीजी… कहाँ हो..?... बचाओ मुझे….
मेने उसे कसकर अपने बदन से चिपका लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – बस मेरी सौनचिरैया बस… सब ठीक हो गया.. अब और कुछ नही होगा,…
उसे बातों से बहलाकर मेने उसके होठ चूस लिए और अपने हाथों से उसकी गान्ड सहलाते हुए एक उंगली उसकी गान्ड के छेद पर रख कर उसे सहलाने लगा…
इस सबसे उसे थोड़ी राहत मिली… और उसने चिल्लाना बंद कर दिया..
मेने फिर से उसे सोफे पर टीकाया, उसके नन्हे-मुन्ने अमरूदो को सहला कर उसकी कमर पकड़ कर एक और तगड़ा सा धक्का दे दिया…
अब मेरा पूरा लंड उसकी छोटी सी सकरी प्रेम गली में जाकर फँस गया…
वो फिरसे बुरी तरह रोने लगी और सोफे से उठकर मेरे कंधे से चिपक कर सुबकने लगी…
मेने उसकी गान्ड के नीचे हाथ लगाया, उसकी चूत में लंड डाले हुए ही उसे उठा लिया, और अपने बदन से चिपकाए हुए उसको अपने बेडरूम में ले आया…
लंड अपनी चूत में लिए हुए वो किसी छोटी बच्ची की तरह मेरी गोद में चिपकी हुई थी…
बेडरूम का नज़ारा देख कर मेरी आँखें चौड़ी हो गयी…बिस्तर पर दुलारी… मदरजात नंगी.. अपनी चूत में उंगली डाले पड़ी थी, और एक हाथ से अपनी चुचियों को मसल रही थी…
वो बंद आँखों से मज़े में डूबी हुई थी, मेने धीरे से श्यामा को उसके बगल में लिटाया… और धीरे – 2 अपना मूसल उसकी छोटी सी टाइट चूत से बाहर खींचा…
श्यामा के मुँह से कराह निकल पड़ी… दुलारी ने अपनी आँखें खोलकर देखा…और उसके सर को सहला कर बोली – बस एक बार इनके साथ चुदवा लेगी, तो फिर सब ठीक हो जाएगा…
मेरे लंड के साथ उसकी चूत की अन्द्रुनि दीवारें भी बाहर को खिंचने लगी, साथ ही मेरे लंड पर लाल रंग की रेखाएँ सी दिखाई दी…
इसका मतलब, आज सही मायने में उसकी सील टूटी थी…मेने आधा लंड बाहर निकाला और थोड़ा रुक कर फिर से अंदर कर दिया.. वो फिर से कराही लेकिन अब उसे पहले जितना दर्द नही हुआ…
दो चार बार धीरे – 2 अंदर बाहर होने से लंड ने अपना रास्ता बना लिया, अब वो थोड़ा आसानी से आ जा रहा था…
मेने दुलारी को अपनी चूत शयामा के मुँह पर रख कर बैठने को कहा, तो वो मेरी तरफ अपनी चौड़ी चकली गान्ड लेकर उसके मुँह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी…
मे धीरे – 2 अपने धक्कों को गति देने लगा…, दुलारी की चूत से दबे मुँह से अभी भी उसके मुँह से कराह निकल जाती थी..
मेरे सामने एक विशालकाय गान्ड जिसका छेद खुल बंद हो रहा था…
पूछो मत कितना मज़ा आरहा था, ये देख कर, एक नयी चूत जो सही से कुछ पल पहले फटी है, उसके उपर एक अधेड़ औरत अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ती हुई….
मेरे धक्कों से श्यामा आगे-पीछे हो रही थी.. जिससे उसका मुँह दुलारी की चूत पर रगड़ खा रहा था, उसने अपनी जीभ भी बाहर निकाल रखी थी, जो कभी – 2 उसकी चूत को चाट लेती…
धक्के लगाते हुए… मेने अपनी बीच वाली उंगली को मुँह में लेकर गीला किया और दुलारी की बड़ी सी गान्ड को सहलाते हुए एक ही झटके में पूरी उंगली उसकी गान्ड में पेल दी…!
आआईयईईईईईईई….क्या करते हो पंडितजी… कराह कर दुलारी ने अपना हाथ पीछे लाकर मेरी कलाई थम ली… और गान्ड को ज़ोर्से भींचकर अपनी चूत श्यामा के मुँह पर ज़ोर से पटकी…
अब मेरे धक्कों की रफ़्तार बहुत बढ़ चुकी थी, उसी लय में मे अपनी उगली भी दुलारी की गान्ड में चला रहा था…जिसकी वजह से उसकी चूत से पानी रिसने लगा, और वो श्यामा के मुँह को भिगोने लगा…
मेरे धक्कों की मार, श्यामा की चूत ज़्यादा देर नही झेल पाई… और वो अपनी कमर को पूरी ताक़त से उछाल कर झड़ने लगी…
उसकी टाँगें मेरी कमर में कस गयी…जिसकी वजह से मेरे धक्के बंद हो गये…
उसके झड़ने के बाद मेने अपना मूसल उसकी चूत से बाहर खींचा… एक पच की आवाज़ के साथ जैसे ही वो बाहर आया, उसकी चूत का रस जो लंड की वजह से बाहर नही आ पाया था.. फॅलफ्लाकर बाहर को निकलने लगा…
मेने उसके रस से अपने लंड को और चुपडा… और औंधी खड़ी दुलारी की कमर पकड़ कर पीछे किया, गीले लंड को उसकी गान्ड के छेद पर रख कर एक तगड़ा सा धक्का दे मारा….
दुलारी के मुँह से एक भयानक चीख निकल गयी…और मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में समा गया…
अचानक से हुए गान्ड पर हमले से दुलारी बिलबिला गयी,… में उसकी पीठ को सहलाते चूमते हुए थोड़ा रुक गया… और अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा…
जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो फिरसे एक ज़ोर का झटका मारकर पूरा लंड उसकी गान्ड में फिट कर दिया…
दुलारी ने अपने दर्द को पीने के लिए अपनी एक चुचि श्यामा के मुँह में ठूंस दी… और खुद उसकी चुचियों को मसल्ते हुए गान्ड हिलाने लगी…
मेने उसकी गान्ड में धक्के लगाने शुरू कर दिए… उसकी चौड़ी गान्ड पर जब मेरी जांघों के भारी पाट पड़ते तो एक ठप-ठप सी आवाज़ होने लगती…
15-20 मिनिट में मेने दुलारी की गान्ड को खूब अच्छी तरह से कूटा, लेकिन अब मेरा रुकना ज्यदा देर संभव नही था…
मेरे मुँह से हुउंम…हुउन्न्ह… जैसी आवाज़ें निकल रही थी, फिर जैसे ही मेरा पानी छूटने वाला था… तो मेने हुंकार भरते हुए कहा…
हुउन्न्ह… मेरा निकलने वाला है, दुलारी… कहाँ निकालु….वो दोनो फ़ौरन उठकर मेरे सामने बैठ गयी… और फिर दुलारी ने मेरा लंड पकड़ कर श्यामा के मुँह की तरफ कर दिया…
मेरी जोरदार पिचकारी सीधी उसके मुँह में गयी… दो तीन धार उसे पिलाने के बाद वाकी का उसने अपने मुँह में ले लिया… और बचा हुआ सारा रस खुद गटक गयी…
उसके बाद उसने मेरा लंड चूस चाट कर चमका दिया… जो अब कुछ सुस्त पड़ चुका था…
श्यामा के गालों को पकड़ कर दुलारी बोली – क्यों री कैसा लगा पंडितजी का प्रसाद..?
वो चटकारे लेकर बोली – बहुत टेस्टी था जीजी… धन्यवाद.. आपने इनसे मेरी चुदाई करवाकर मुझे बिन मोल खरीद लिया…
उसने उसे किसी बच्ची की तरह अपने अंक से लिपटा लिया….
मे पस्त होकर पलंग पर पसर गया, थकान के कारण मेरी आँखें बंद हो गयी..
अभी 15 मिनिट ही हुए होंगे कि मेरे लंड पर फिरसे कुछ गीला – 2 सा एहसास हुआ, मेने आँखें खोल कर देखा तो श्यामा मेरे लंड को चूस रही थी, और बगल में बैठी दुलारी उसे देख कर मुस्करा रही थी…
मेरा हाथ उसके सर पर चला गया… और उसे सहलाने लगा…उसने लंड चूस्ते हुए मेरी तरफ देखा…
मे – अभी और मन है, इसे लेने का…?
वो – हां ! फिर ना जाने कब मौका मिले…..?
अब तक मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो चुका था… सो मेने उसका बाजू पकड़ कर अपने उपर खींच लिया, और वो मेरे उपर आ गयी…
दुलारी ने मेरे लंड को उसके छेद पर सेट कर दिया, और उसे धीरे – 2 उसपर बैठने का इशारा किया…
अब श्यामा मेरे उपर से अपनी चूत में लंड ले रही थी… उसकी छोटी – सी लेकिन गोल-गोल गान्ड और पतली सी कमर उपर-नीचे होते हुए बड़ी प्यारी लग रही थी…
मेने उसके दोनो अनारों को मसल्ते हुए अपने उपर झुका लिया और उसके होठ चूसने लगा…
कुछ देर बाद वो थक गयी … तो मेने उसे अपने नीचे लिया, और जम कर उसकी धुनाई करने लगा, जैसे धुन्ना, रूई को धुनता है…
इस बीच दुलारी बोली – पांडिजी इस बार अपना माल इसकी चूत में ही डालना, जिससे बेचारी की गरम चूत ठंडी हो जाए…
मेरे नीचे दुबली पतली श्यामा धक्कों को बड़ी मुश्किल से झेल पा रही थी.., उसके मुँह से उन्माद में डूबी सिसकियाँ और कराहों से पूरा माहौल चुदाइमय हो गया…
आधे घंटे की चुदाई से श्यामा की चूत पस्त हो गयी, वो अनगिनत बार पानी छोड़ चुकी थी…
आख़िरकार मेने भी अपना वीर्य उसकी नयी चुदि चूत में भरकर उसे तरबतर कर दिया…और ढंग से उसकी चूत की प्यास बुझा दी…
श्यामा मेरे सीने से लग कर सुबकने लगी… मे उसकी गान्ड सहला कर उसे चुप करने लगा…
दुलारी ने कहा – तू चिंता मत कर मेरी बेहन, पंडितजी, मौका लगते ही तेरी चुदाई कर दिया करेंगे…
कुछ देर बाद हम सबने फ्रेश होकर कपड़े पहने, चाय नाश्ता किया…
फिर उन दोनो को गाओं की बस में बिठा कर मेने उन्हें रवाना कर दिया… !
रामदुलारी और श्यामा के जाने के बाद मे दो घंटे के लिए सो गया, दो-तीन घंटे की चुदाई समारोह के बाद काफ़ी थकान महसूस हो रही थी…
दो घंटे की नींद लेने के बाद मेने उस्मान को अपने सीक्रेट नंबर से कॉल किया…
कॉल लगने के बाद मेने उससे मिलने के लिए हां कर दी… तो उसने मुझे आज रात ही 9 बजे रीक्सन होटेल के रूम नंबर 403 में मिलने को कहा…
मेने उसे हां बोलकर कॉल कट करदी… और उससे मिलने के बारे में प्लॅनिंग करने लगा..
मे उस्मान से मिलने के बारे में सोच ही रहा था, कि प्राची अपनी मम्मी और छोटे भाई के साथ आ पहुँची, फ्लॅट देख कर उसकी मम्मी बड़ी खुश हुई..
मेने आज पहली बार उसकी मम्मी को देखा था, काम और ज़िम्मेदारियों के बोझ ने समय से पहले उनके चेहरे को बुझा सा दिया था, अन्यथा उनका फिगर किसी 28-30 साल की औरत जैसा ही था..
एकदम परफेक्ट स्लिम बॉडी, बस कुछ ज़्यादा था तो वो थे उनके दो पके दशहरी आम और तरबूज जैसी गान्ड, जो मेहनत करने की वजह से कुछ ज़्यादा ही पीछे को निकल आई थी…
शक्ल सूरत से वो प्राची की बड़ी बेहन लगती थी.., बस चेहरे की मलिनता को अनदेखा कर दिया जाए तो मुझे मधु आंटी एक परफेक्ट महिला लगी..
साड़ी में कसे हुए उनके हिप्पस देखकर तो मेरे अंदर कुछ-कुछ होने लगा…
मेने अपने दोनो हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते किया, जिसका उन्होने मुस्काराकर जबाब दिया…
कुछ देर बैठकर वो अपना ज़रूरी समान लेने के लिए चली गयी, उन्होने मेरे फ्लॅट में रहने का निर्णय ले लिया था…
दूसरी चाबी प्राची के पास ही थी सो मेरा घर पे रहना ना रहना कोई मायने नही रखता था
उनके जाते ही मेने कुछ काम निपटाए और शाम होते ही अपना हुलिया चेंज किया और समय पर उस्मान से मिलने चल दिया………..!
रीक्सन होटेल, शहर का सबसे आलीशान होटेल है, रात के ठीक 9 बजे मेने जोसेफ के गेटप में रूम नंबर. 403 की डोर बेल दबाई…
तकरीबन 5 मिनिट के इंतेज़ार के बाद भी जब कोई रेस्पॉन्स नही मिला, तो मेने डोर पर अपने हाथ का दबाब बनाया जो शायद अनलॉक था.., दबाब डालते ही वो खुलता चला गया…,
मे धड़कते दिल से अंदर गया, दरअसल मुझे अभी भी अपने पहचाने जाने का अंदेशा ही था…
अंदर लाउन्ज में टीवी चालू था, जिसपर कोई हॉलीवुड मूवी चालू थी, लेकिन कोई दिखा नही, मे थोड़ी देर इधर-उधर घूमकर उसकी भव्यता देखने लगा…
तभी अंदर के बेडरूम से मर्द और औरत के आहें और सिसकने की आवाज़ें सुनाई दी.., उत्सुकता बस मे उस रूम की तरफ बढ़ गया…
डोर उसका भी खुला ही था, हल्का सा दबाब देते ही सामने के बड़े से बेड पर नज़ारा देखते ही मेरा लंड पॅंट के अंदर अंगड़ाई लेने लगा…!
उस्मान एकदम नंगा बेड पर लेटा हुआ था, और एक भरपूर जवान गोरी-चिट्टी फिट बॉडी औरत उसके 6” लंबे औसत लंड के उपर उच्छल रही थी…!
दरवाजे की हल्की सी आहट पाकर उसने मुड़कर दरवाजे की तरफ देखा, उसे देखते ही मेरी आँखें चौड़ी हो गयी, ये कोई और नही कामिनी ही थी, जो अपनी 36” की गान्ड लेकर उसके लंड पर कूदकर आहें भर रही थी…
नीचे से उस्मान उसके आमों को अपने हाथों में लेकर मसल रहा था…,
मेरे उपर नज़र पड़ने के बाद भी उनकी चुदाई में कोई अंतर नही आया,
मुस्कराते हुए उसने मुझे उंगली के इशारे से अपनी तरफ बुलाया…, कुछ देर मे उसी अवस्था में अवाक सा उन्हें देखता रहा…
तभी उस्मान बोला – आ जाओ बर्खुरदार, हमारी जानेमन तुम्हें बुला रही है…
मे अपनी उसी अवाक स्थिति में धीरे-2 चलते हुए उनके पास जाकर खड़ा हो गया…, उसने लंड पर उछलना जारी रखते हुए मुझे अपना पॅंट उतारने का इशारा किया..
मेने झिझकते हुए अपना पॅंट नीचे किया और उसके बगल में घुटनों के बल बैठ गया…
कामिनी ने मेरे आधे खड़े लंड को अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया, और सिसकते हुए बोली – आअहह…जोसेफ क्या मस्त हथियार है तुम्हारा, ये कहकर उसने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी…
दो मिनिट में ही वो साला अपनी औकात में आ गया, और किसी शख्त रोड की तरह दिखने लगा…,
कामिनी ने अपने मुँह से मेरे लंड को बाहर निकाला और उस्मान के लंड पर उछल्ते हुए सिसक कर बोली – सस्सिईइ…आअहह… अब अपने इस मस्त हथियार को मेरी गान्ड में डालो राजा….!
उसकी ये बात सुनकर मुझे एक तेज झटका लगा, मेने मन ही मन कहा, ये साली तो पूरी रंडी निकली, एक लंड चूत में लिया हुआ है, साथ में मेरा 8” लंबा और 3” मोटाई वाला लंड अपनी गान्ड में लेना चाहती है…,
तभी उस्मान ने नीचे से अपनी कमर उचकाते हुए कहा – डालो जोसेफ, तभी मुझे भी मज़ा आएगा, जब तुम्हारे लंड का दबाब इसकी चूत पर बढ़ेगा…,
अभी तो पता ही नही चल रहा, कहाँ जा रहा है साला…,
मेरे लिए ये पहला मौका था, जब मे किसी दूसरे आदमी के होते हुए उसके साथ किसी औरत को चोदने जा रहा था…
सो थोड़ी झिझक के बाद मेने अपने थूक से उसकी गान्ड को गीला किया, उस्मान ने अब धक्के लगाना बंद कर दिया था…
कामिनी ने अपने दोनो हाथ पीछे जे जाकर अपनी गान्ड के छेद को खोला, और सिसकते हुए बोली –
सस्सिईइ….आआहह….मेरे राजा…अब धीरे-धीरे करके डालो,
तुम्हारा लंड तो एकदम मेरे देवर जैसा है, खूब बड़ा और मोटा भी…!
मेने अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद पर रखा, और धीरे से एक झटका देकर एक तिहाई लंड उसकी गान्ड में डाल दिया…!
वो अपनी आँखें बंद करके कराही, आअहह…एस…ऐसे ही और डालो…आअहह… सस्सिईइ…मज़ा आ गया…, अब पेल दो पूरा…आआईय…उउउफफफ्फ़….बहुत बड़ा है…
अब उसके दोनो छेद लंड से भरे हुए थे, कुछ देर रुक कर मेने उपर से धक्के देने शुरू किए,
नीचे से उस्मान भाई के लंड के धक्के, बीच में कामिनी सॅंडबीच बनी मस्ती से कराह रही थी…
अंदर जाते समय मुझे ऐसा लगता मानो मेरा लंड उस्मान के लंड में घिस्सा लगा रहा हो…
इस खेल में मुझे डबल मज़ा आरहा था, उधर गान्ड में लंड के दबाब से उसकी चूत टाइट हो गयी, और उस्मान को भी बहुत मज़ा आने लगा,
वो कुछ ही देर में हुउन्ण..हहुऊन्ण…करके झड गया.., तो कामिनी ने मुझे रुकने का इशारा किया, वो पलट कर पीठ के बल लेट गयी और मुझे अपनी चूत चोदने का इशारा किया..
मेने उसकी केले के तने जैसी चिकनी और मोटी-मोटी जांघों को अपनी छाती से सटाया, और उसकी उठी हुई उस्मान के वीर्य से लबालब चूत में अपना मूसल एक झटके से अंदर कर दिया…
फूकक्च्छ…की आवाज़ के साथ ही चूत में भरा हुआ मेटीरियल बाहर छिटक गया, कामिनी आअहह….भरते हुए कराह कर बोली…
सस्सिईइ…आअहह…मज़ा आ गया… चोदो राजा.., फाडो मेरी चूत…हाईए…क्या मस्त लंड है तुम्हारा…, कहाँ थे अबतक….आआययईीी….म्माआ…मईए… तो गायईीई….उउफफफ्फ़….ये कहते हुए वो बुरी तरह अपनी गान्ड हवा में उछाल कर झड़ने लगी…!
मेने भी अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी, और उसके झड़ने के बाद भी उसे सतसट चोदता रहा.., कुछ देर में वो एक बार फिर गरम हो गयी, और चुदाई में साथ देने लगी…
कामिनी बहुत ही चुदैल औरत थी, कुछ देर तक दो-दो लंड अपने दोनो छेदो में लेकर चुद रही थी, और अब एक बार झड़ने के बाद भी मेरे मूसल जैसे लंड को अपनी कमर उच्छल-उच्छल कर जड़ तक लेने की कोशिश करके चुदाई का लुत्फ़ उठा रही थी…
उसका बस चलता तो वो मेरे अंडों को भी अपनी चूत में ले लेती…
आख़िरकार उसकी गरम चूत के आगे मेरे नाग की भी अकड़ ढीली हो गयी, और उसने भी अपना जहर उसकी बॅंबी में उगल ही दिया…,
लेकिन मेरी तेज बौछार से उसकी चूत एक बार फिर से रोने पर मजबूर हो गयी.., मेरी कमर में अपने पैरों की केँची डालकर उसने मुझे अपने शरीर से चिपका लिया…!
फ्रेश होने के बाद अपने अपने कपड़े पहनकर कुछ देर बाद हम तीनों लाउन्ज में आकर सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे…!
सोफे पे बैठते ही कामिनी ने बड़ी कामुक अदा से मुस्कराते हुए मेरी तरफ देखा और बोली – थॅंक यू जोसेफ फॉर कमिंग हियर ऑन टाइम……
मेने नज़र कामिनी पर गढ़ाते हुए अपनी अभिनय कला का भरपूर इस्तेमाल करके चौन्कने की जबरदस्त आक्टिंग की और कहा…
आप कैसे जानती हैं, कि मेरा नाम जोसेफ है, जबकि मेने आपको पहले कभी नही देखा…?
उसने मेरी बात का कोई जबाब नही दिया, बस मुस्करा कर रह गयी…