Update 56

आज रात 10 बजे से हथियारों और ड्रग्स की डील होनी थी… जग्गा आंड कंपनी को पूरी सावधानी से काम पर लगा रखा था…

सभी संभावित रास्तों पर चौकसी कर दी गयी थी… सीसीटीवी कमरे फिट करा दिए थे… पोलीस की भनक लगते ही, 10 मिनिट के अंदर बेसमेंट खाली हो जाना था..

सारे कमरों का कंट्रोल एक छोटे से कॅबिन में रखा था, जहाँ से रिमोट्ली उनको जिससे चाहे उनका आंगल सेट किया जा सकता था.. या उनको ऑन-ऑफ भी किया जा सकता था…,

कंट्रोल रूम में ही कयि सारी स्क्रीन्स पर बिल्डिंग के अंदर और बाहर की सारी हलचल देखी जा सकती थी, यहाँ तक कि उस हॉल की भी जहाँ ये डील होनी थी…

उस्मान मेरे उपर आँख बंद करके भरोसा कर रहा था, क्योंकि और इसके अलावा उसके पास कोई ऑप्षन भी तो नही था…

जग्गा फिज़िकली ज़रूर स्ट्रॉंग था, सारे गुंडे उसका कहा मानते थे, लेकिन इस तरह के अरेंज्मेंट करने में वो असमर्थ था…

मेने एक बार उस्मान को सारे इंतेज़मत से अवगत करा दिया… जिसे देख कर वो काफ़ी संतुष्ट नज़र आया…

9 बजते ही बेसमेंट में सभी चीज़ों के उम्दा क्वालिटी के सॅंपल्स रखवा दिए थे, जिससे अगर उन लोगों को उनका डेमो भी दिखना पड़े तो दिखा सकें…

9:30 को सारे अपडेट लेकर एक फाइनल ड्राफ्ट मेने एसपी को मेसेज कर दिया… और ये हिदायत भी कर दी, कि फ्रंट रो की आक्षन टीम में कोई भी पोलीस यूनिफॉर्म में ना हो..

उनको कैसे और कहाँ से अंदर आना है, अंदर आकर पोलीस को किस तरह से आक्षन लेना है, ये उनपर निर्भर था…

9:45 बजे तक, सारे बड़े बड़े लोग हॉल में पहुँच चुके थे, जिनमें उस्मान के अलावा कमिशनर, एमएलए समेत कामिनी अपने गुप्त रूप में आ पहुँची.

सब आकर अपनी अपनी जगह बैठ गये थे, और विदेशी डीलर्स का वेट करने लगे…

मेरी ड्यूटी, सबसे पहले उन्हें गेट से रिसीव करके, हॉल तक लाने की थी…

अभी 10 बजने में कुछ मिनिट्स शश थे, कि दो इंपोर्टेड गाड़ियाँ आकर होटेल के पोर्च में रुकी, ज़ीमें से 4-4 लोग, जिनमे 2-3 अरब शेख भी थे, एक दो चाइनीज और कुछ मंगोलीज़ भी थे…

देखने में सभी एक दम सभ्य विदेशी पर्यटक जैसे दिख रहे थे, लेकिन हमें पता था, कि वो सब एक से एक ख़तरनाक किस्म के अपने इलाक़े के अंडरवर्ल्ड के बेताज बादशाह थे…

मे सभी को बड़े अदब के साथ रिसीव करके, बेसमेंट के हॉल में ले आया…

रास्ते में ही मेने ग्रीन सिग्नल एसपी को भी कर दिया… जिसका मतलब था, कि अब सब आ चुके हैं…

अंदर आकर सब एक दूसरे से मिलने मिलने लगे इसी में 10 मिनिट निकल गये, उसके बाद शुरू हुई, सौदे बाज़ी,

सबको सॅंपल दिखाए गये, और जब वो आश्वस्त हो गये तब लेन-देन की बातें शुरू हुई….

इस दौरान पीने-पिलाने का भी दौर चलता रहा, जिसे कुछ अर्धनग्न लड़कियाँ सबको सर्व कर रही थीं…साथ -2 में उन विदेशियों को रिझाने का समान भी बनी हुई थी…

इसी बीच मुझे एक सिग्नल मिला… जो इस बात का संकेत था, कि सादे भेष में पोलीस टीम बिल्डिंग में घुस चुकी है और अब कैमरों को डिस्टर्ब कर देना चाहिए…

मे फ़ौरन कंट्रोल रूम की तरफ बढ़ गया जहाँ दो लोग वहाँ की सारी गति विधियों पर नज़र बनाए हुए थे…!

मेने अंदर जाते ही मैं गॅलरी वाले कैमरों का डाइरेक्षन चेंज करने के लिए ऑपरेटर को बोला…!

वो दोनो ही मेरी बात सुनकर चोंक पड़े, मेने कहा – जल्दी करो हमें रास्ते के अलावा दूसरी जगहों पर भी नज़र रखनी है…

उनमें से एक बोला – लेकिन जोसेफ इस समय हम कैमरों को मूव नही कर सकते, सभी क्लाइंट आ चुके हैं, डील चल रही है, इस बीच मौका देख कर कोई भी आ सकता है…

मेने थोड़ा तल्खी भरे लहजे में कहा – तुम्हें पता है तुम किसे मना कर रहे हो, इस मिशन का हेड मे हूँ या तुम…!

वो अपनी बात पर अडते हुए बोला – जो भी हो मे ये रिस्क नही ले सकता.., तभी दूसरा भी उससे सहमत होते हुए बोला…

ये सही कह रहा है, इस समय कमरे मूव करके रिस्क नही ले सकते…

मेरी खोपड़ी भिन्ना उठी, व्यस्त करने के लिए मेरे पास बिल्कुल भी समय नही था.., अभी हम किसी निर्णय पर नही पहुँचे थे कि स्क्रीन पर गॅलरी में सादे भेष में पोलीस वाले आते हुए दिखाई दिए…

उन्हें देखते ही उनमें से एक चोंक पड़ा जिसकी नज़र स्क्रीन पर टिकी थी – अरे देखो ये लोग कॉन है…?

जोसेफ जल्दी से हॉल में जाओ, बॉस को इनफॉर्म करो, मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है..,

अब मेरे पास कोई चारा शेष नही था, सो एक कड़ा फ़ैसला लेते हुए उस स्क्रीन को देख रहे आदमी के पीछे से रेवोल्वेर के हॅंडल का एक भरपूर बार किया…

एक सेकेंड में ही वो अपनी चेतना लुप्त कर चुका था, तभी दूसरा मेरी चाल समझ गया, और मौका देख कर गेट की तरफ लपका…

इससे पहले की वो गेट खोल पाता, साइलेनसर लगी मेरी रेवोल्वेर ने एक गोली उगली जो सीधी उसकी खोपड़ी में सुराख बनती हुई निकल गयी..

वो बिना चीखे ही वहीं गेट के पास ढेर हो गया…,

मेने फ़ौरन कमरों का डाइरेक्षन चेंज किया, और बाहर जाने के लिए पलटा ही था कि तभी भड़ाक से कॅबिन का दरवाजा खुला…,

सामने जो शख्स खड़ा था उसे देख कर तो मेरे तिर्पन काँप उठे…!

दवाजे के बीचो-बीच काले सांड़ जैसा जग्गा खड़ा कंट्रोल रूम के बदले हालातों को आँखें फाडे देख रहा था..

जैसे ही उसकी नज़र फर्श पर पड़े उन दोनो लोगों पर पड़ी, वो एकदम चोंक कर मेरी तरफ देखने लगा…!

गन मेरे हाथ में अभी भी लगी हुई थी जिसमें से अभी भी धुआँ निकल रहा था…,

मेने तुरंत बात संभालने की कोशिश करते हुए कहा – ये दोनो मुझे गड़बड़ी करते हुए दिखे..

जग्गा – क्या गड़बड़ी कर रहे थे..? उसके चेहरे से ही लग रहा था कि वो मेरी इस बात से कतयि सहमत नही है…

मेने स्क्रीन पर नज़र डालते हुए कहा – ये देखो, इन्होने बिना पूच्छे कमरों का मोव्मेंट चेंज कर दिया है…

जग्गा – ऐसा नही हो सकता, मेरे आदमी मेरे साथ कभी गद्दारी नही कर सकते..!

मेने हड़बड़ाते हुए कहा – तुम कहना क्या चाहते हो, मे झूठ बोल रहा हूँ…?

उसने जल्दी ही कोई जबाब नही दिया, लेकिन कुछ सोच कर बोला – लेकिन तुम भी तो कैमरों की सेट्टिंग चेंज किए बिना ही यहाँ से जा रहे थे…,

ये कहते ही उसकी छटी इंद्री जाग उठी, मेरी चाल समझते ही उसने वही से मेरे उपर जंप लगा दी…

मे भी एकदम चोन्कन्ना ही था, फ़ौरन अपनी जगह से हट गया, झोंक-झोंक में जग्गा मुँह के बल फर्श पर गिरा…,

लेकिन मानना पड़ेगा, भारी शरीर के बावजूद भी उसमें ग़ज़ब की फुर्ती थी, वो उच्छल कर अपनी जगह खड़ा हो गया…

लेकिन तब तक मे गेट के पास पहुँच चुका था…, मे जानता था, इससे भिड़ने का मतलब होगा अपना नुकसान करना, क्योंकि शारीरिक तौर पर जग्गा मुझसे बहुत ज़्यादा ताक़तवर था…

अब मे बस उससे अपना बचाव करके जल्दी से जल्दी उसे भी ठिकाने लगा कर निकलना चाहता था, अभी मे अपने मन में ये सोच ही रहा था कि तभी वो किसी बिगड़ैल भेंसे की तरह मेरे उपर झपटा…

मेने पैर से गेट बंद कर दिया और अपनी जगह से घूम गया..,

भड़ाक्कक…से उसका भेंसे जैसा सिर दरवाजे से जा टकराया.., वो वहीं पीछे को उलट गया, दरवाजे पर जोरदार टक्कर से उसका सिर फट गया था…

मेरे लिए एक-एक सेकेंड भारी था, इसलिए उसके गिरते ही, मेने एक गोली उसके सीने में उतार दी, दो पल के लिए उसका शरीर तडपा और फिर शांत हो गया…

मेने एक लंबी साँस छोड़ी, मानो ना जाने कितनी देर से रुकी हुई थी, और उनके मृत शरीरों को लाँघते हुए दरवाजे से बाहर निकल गया….!

जग्गा समेत तीनो को यमपुरी पहुँचाकर मे हॉल की तरफ तेज़ी से लपका…

अभी वहाँ शराब और शबाब के दौर चल ही रहे थे…, अध नंगी लड़कियाँ, मेहमानो को शराब पिलाने के साथ-साथ उनका मनोरंजन भी कर रही थी..

कोई उनकी चुचियों से खेल रहा था, तो कोई उन्हें ब्रा से निकाल कर उन्हें चूस रहा था, वो भी उनके लंड को कपड़ों के उपर से ही सहला कर उन्हें उत्तेजित करने में लगी हुई थी..

हॉल का वातावरण, आहों और गरमा-गरम सिसकियों से गूँज रहा था, कि तभी गेट से एक सेक्यूरिटी वाला हांफता हुआ हॉल में दाखिल हुआ और बोला …

साब ! होटेल के बाहर पोलीस की आबक बढ़ गयी है… और वो होटेल के अंदर आने की कोशिश में हैं…

सभी हड़बड़ा कर जो जैसे थे, वैसे ही उठ खड़े हुए, तभी उसमान की गरजदार आवाज़ हॉल में गूँज उठी…

10 मिनिट में ये हॉल खाली कर दिया जाए, सब लोग गुप्त रास्ते से निकलने की तैयारी करो… यहाँ पर कोई भी सबूत छूटने नही चाहिए…

अभी वो अपनी बात ख़तम भी नही कर पाया था, कि हॉल में एसपी कृष्णकांत की गरजदार आवाज़ गूँज उठी….

भागने की कोशिश बेकार है, उस्मान… तुम सब चारो तरफ से घिर चुके हो… बच निकलने के कोई चान्स नही है…, तुम्हारे सभी गुप्त रास्तों पर भी पोलीस लगी हुई है…

सीधी तरह सरेंडर करदो तो अच्छा है, वरना बेमौत मारे जाओगे….

तभी कमिशनर सामने आया, और एसपी को आदेश देने वाले लहजे में बोला – ये रेड किसके कहने पर की है एसपी, तुम जानते नही इसका तुम्हें कितना बड़ा ख़ामियाजा भुगतना पड़ सकता है…

एसपी – ग़लत काम करते करते शायद क़ानून भी भूल गये कमिशनर, ये रेड नही, पोलीस कार्यवाही है, जो खबर मिलने पर बदमाशों के खिलाफ की जाती है…

अब या तो अपना गुनाह कबूल करके सरेंडर करदो, वरना…घसीटते हुए ले जाए जाओगे…

सबने जब चारों तरफ नज़र दौड़ाई, तो सादे भेष में दीवारों से लगे, हाथों में गन लिए पोलीस वाले दिखाई दिए…

कमिशनर ने एसपी के जबाब में कहा – मे हरगिज़ ऐसा नही होने दूँगा

हराम्जादे, ये कहकर उसने अपनी रेवोल्वेर निकल कर एसपी पर तन दी..

इससे पहले कि वो अपनी गन का लॉक खोल पाता, एक गोली एसपी की गन से निकली और सीधी कमिशनर का सीना चीरती चली गयी….

कमिशनर का हश्र देखकर वाकियों के हाथ पैर ठंडे पड़ गये… मौका देख कर कामिनी, अपने गुप्त रास्ते की तरफ खिसकने लगी…

अभी वो दीवार पर लगे स्विच बोर्ड से गुप्त द्वार खोलकर निकल कर गॅलरी में आगे बढ़ी ही थी… कि सामने खड़े जोसेफ को देख कर बोली –

तुम यहाँ क्या कर रहे हो…? अंदर पोलीस ने दबिश दी हुई है, जाओ जाकर वाकियों को निकालने का प्रयास करो…

जोसेफ ने उसका हाथ थामते हुए कहा – जब वाकी सब फँस चुके हैं, तो तुम अकेली निकल कर कहाँ जाओगी जानेमन…

जोसेफ के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर वो एकदम चोंक पड़ी, और गुस्से से बोली – ये क्या बकवास कर रहे हो तुम… छोड़ो मेरा हाथ..

जोसेफ ने उसका हाथ छोड़ दिया, वो जैसे ही आगे बढ़ने को हुई, उसने फ़ौरन अपनी गन उसके उपर तान दी…!

जोसेफ को अपने उपर गन तानते देख कामिनी गुर्राते हुए बोली – ये क्या हिमाकत है जोसेफ…?

रेवोल्वेर का लीवर खींचते हुए जोसेफ बोला – भागने की कोशिश भी मत करना कामिनी, वरना तुम्हारा भेजा उड़ा दूँगा…!

ये शब्द मेने अपनी आवाज़ में ही कहे जिन्हें सुनते ही वो एकदम से चोन्क्ते हुए बोली – कॉन हो तुम..?

मेने अपनी दाढ़ी नौचकर फेंक दी, नाक में लगे छोटे-छोटे स्प्रिंग्स निकलते ही वो बुरी तरह उच्छल पड़ी…तुउउम्म्म्मम…?

मे – हां जानेमन मे…! मुझे तो बहुत पहले ही पता चल चुका था, कि इस सबके पीछे तुम हो,

यहाँ तक कि निशा पर रेप अटेंप्ट भी तुम्हारे इशारे पर ही हुआ था…क्यों सच बोल रहा हूँ ना में साली रंडी…

मेरे मुँह से रंडी शब्द सुनकर वो तिलमिला उठी और अपने गुरूर को कायम रखते हुए बोली – दो टके के वकील तेरी ये हिम्मत….

चटाकककक…एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद करते हुए मेने भनभनाते हुए लहजे में कहा –

जो औरत अपने बाप की उमर के आदमी का लंड लेती हो, वो भी दो-दो एक साथ ऐसी औरत मेरे घर की बहू हरगिज़ नही हो सकती… इसलिए मे तुझे इस गंदे शरीर से मुक्ति दिला रहा रहा हूँ…!

थप्पड़ इतना ज़ोर्से पड़ा था उसके गाल पर की पढ़ते ही उसका गाल सुर्ख लाल पड़ गया, आँखों से आँसू निकल पड़े, वो गिड-गिडाते हुए बोली –

मुझे जाने दो अंकुश, तुम जो चाहोगे मे तुम्हें दूँगी, जितनी दौलत चाहिए मे दूँगी, लेकिन प्लीज़ मुझे यहाँ से जाने दो…

मे – साली कुतिया जब ग़लत काम कर रही थी, तब एक बार भी ये एहसास नही हुआ कि इसका अंजाम क्या होगा…?

और वैसे भी अब तू जाएगी भी कहाँ, सब कुछ तो तबाह हो गया, इसलिए अब तू उपर जा अपने वाकी साथियों के साथ, वहाँ जाकर अपना साम्राज्य खड़ा कर लेना...

ये कहकर मेने गोली चला दी जो उसके बाई तरफ के वक्ष में घुस गयी….!

अपने चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव लिए उसका मुँह खुला रह गया…!

उसे वहीं तड़प्ता छोड़ कर मे हॉल में आ गया… तब तक पोलीस ने एमएलए और उस्मान समेत सारे लोगों को अरेस्ट कर लिया…

मौका देख कर उस्मान ने एक पोलीस वाले की गन छीन ली, इससे पहले कि वो भैया को निशाना बनाकर गोली चला पाता, मेने पीछे से उसकी पीठ में एक गोली दाग दी….

वो हाथ में गन लिए पीछे को घुमा, तो मेने दूसरी गोली उसके सीने में उतार दी…देखते ही देखते उसके प्राण पखेरू उड़ गये…!

सारे गुप्त ठिकानों पर दबिश देकर सारा समान जप्त कर लिया गया, होटेल को भी सील कर दिया गया….

ड्रग और हथियारों के सरगना के रूप में एमएलए को अरेस्ट कर लिया गया, और उसे विदेशी डीलर्स के साथ हवालात में डाल दिया…

ड्रग और हथियारों के सरगना के रूप में एमएलए को अरेस्ट कर लिया गया, और उसे विदेशी डीलर्स के साथ हवालात में डाल दिया…

घटना इतनी महत्वपुर्णा थी, जिसमें लोकल पॉलिटीशियन और पोलीस के आला अधिकारी शामिल थे, तो स्वाभाविक तौर पर सारे न्यूज़ पेपर्स, न्यूज़ चेन्नल्स पर यही खबर च्छाई हुई थी……!

फैलते फैलते ये खबर देहाती इलाक़ों में भी पहुँच गयी, जिसे पढ़-सुनकर घरवाले भी चिंतित हो उठे…!

घटना के दूसरे दिन शाम को मे घर पहुँचा…,

जाना तो भैया को भी था, लेकिन इतने बड़े काम को अंजाम दिया गया था उनके द्वारा, तो सब क़ानूनी प्रक्रियाओं के चलते वो नही आ सके….!

पूरी रिपोर्ट बनाकर आइजी और होम सीक्रेटरी तक को भेजनी थी, क्योंकि इस मामले में कमिशनर और एमएलए तक पकड़े गये थे…

शहर से लेकर गाओं तक सब जगह इसी बात की चर्चा थी…, आख़िर क्षेत्र के

एमएलए से जुड़ा हुआ मामला जो था…

मे जैसे ही घर पहुँचा, सभी घरवालों ने मुझे घेर लिया… और मेरे उपर सवालों की झड़ी लगा दी….

मेने सबको ये कहकर टाल दिया, कि ये पोलीस द्वारा की गयी एक बहुत बड़ी कार्यवाही थी, जब भैया घर आएँ तो उनसे ही पुच्छना पड़ेगा…

अगले दिन शाम को कृष्णा भैया भी घर आ गये…उन्हें देखते ही सभी घर वाले उनके उपर टूट पड़े, और जो सवाल मुझसे किए गये थे, अब वो भैया को सुनने को मिले…

उन्होने एक नज़र मेरी तरफ देखा, जैसे जानना चाहते हों कि तूने कुछ नही बताया…?

मेने आँखों – 2 में इशारा करके बता दिया कि मेने कुछ नही कहा अभी तक..

बाबूजी – बेटा ये तो बड़ा अनर्थ हो गया, बताओ… एमएलए और बहू ड्रग और हथियारों की तस्करी कर रहे थे, और हमें कानो-कान खबर तक नही हुई…!

कृष्ण भैया – हां ! बाबूजी, वो लोग बड़े ही पहुँचे हुए स्मगलर निकले, और हो भी क्यों ना, जब पोलीस का इतना आला ऑफीसर जो साथ में था…!

वैसे एक तरह से अच्छा ही हुआ, जो ऐसे नीच नराधाम लोगों से उपर वाले की कृपा से हमें छुटकारा मिल गया….!

बाबूजी – ये तू क्या कह रहा है..? आख़िर वो हमारे संबंधी थे… तेरे ससुर और पत्नी थी वो….!

कृष्णा – वो रिस्ता तो ना जाने कब का पीछे छूट चुका था बाबूजी…

बाबूजी – क्या ? क्यों ? ये सब कब्से चल रहा था.. ?

कृष्णा भैया – निशा और राजेश के साथ हुई घटना के कुछ दिनो बाद से ही मुझे उस कमीनी कामिनी के चरित्र पर शक़ होने लगा था… इसी बीच अंकुश ने देल्ही से आकर वो केस ओपन कर दिया…

धीरे – 2 मेरा शक़ सच साबित होता गया… और राजेश के जैल से रिहा होने से भन्नाये हुए बाप बेटी खुल कर सामने आ गये…

राम भैया – क्यों ? राजेश – निशा के केस से उनका क्या लेना – देना था…?

क भैया – ये बात अंकुश बताए तो ज़्यादा बेहतर होगा… वो सब जानता है, और आज पोलीस को जो कामयाबी मिली है इस केस को सॉल्व करने में, वो भी इसी की वजह से मिली है…

सब लोग मेरे चेहरे की तरफ हैरत से देखने लगे…

कृष्णा भैया – हां भैया… ये हमारा भाई, है तो हमसे छोटा, लेकिन काम इसने बहुत बड़े – 2 किए हैं… ये दस सिर वाला रावण है…

भाभी ने मेरे बालों में अपनी उंगलिया फँसाई, और सिर को हिलाते हुए बोली – अब कुछ बोलोगे भी दस सिर वाले रावण जी… या हमें झटके दे-दे कर मारोगे…

भाभी की बात पर सब लोग ठहाका लगा कर हँसने लगे… निशा मेरी तरफ अभी भी फटी- फटी आँखों से देख रही थी, उसकी नज़रों में शिकायत साफ-साफ दिखाई दे रही थी…

हो भी क्यों ना…! आख़िर वो मेरी अर्धांगिनी थी, और उसे अपने पति के हर राज जानने का पूरा हक़ था, जो अभी तक उसे कुछ पता नही था…

मेने बोलना शुरू किया – बात शुरू होती है, जब मेने राजेश भाई का केस हाथ में लिया,

भानु को इंटेरोगेट करने से मुझे पता चला कि उससे वो काम किसी महिला ने कराया था, जो हर समय काले बुर्क़े जैसे लबादे से धकि रहती है…

उसके बाद रेखा के बलात्कार का केस सामने आया, जिसमें अपनी पवर का इस्तेमाल करके वो चारों लड़के छूट गये… तभी मेने ठान लिया, कि अब उन लड़कों को मे अपने तरीके से सज़ा दूँगा…

और फिर मेने वो सारी घटना विस्तार पूर्वक सबको बताई… जो मेने और प्राची ने मिलकर की, उसके बाद कैसे अकेले मे गिरोह में शामिल हुआ, और पूरे गिरोह का भंडा फोड करके ख़तम कराया…

सबकी नज़रें मेरे उपर ऐसे जमी हुई थी, मानो उनके सामने कोई अजूबा बैठा हो उन सबके बीच…

मेरी बात ख़तम होने के बहुत देर तक भी कोई कुछ बोल ना सका…. अंत में कृष्णा भैया की आवाज़ से सब चोन्के…

कृष्णा भैया – और कल एमएलए ने जैल में आत्महत्या कर ली है… इस तरह सारे स्मगलर मर चुके हैं, विदेशियों को इंटररपोल के हवाले कर दिया है…

भैया के इस खुलासे से सब लोग एक दम उच्छल ही पड़े…. और सबके मुँह से एक साथ निकला – क्या…? एमएलए भी मर गया…?

कृष्णा भैया – हां ! अब शहर में पूरी तरह शांति छाई हुई है… और ये सब इसकी वजह से… हमारे छोटू की वजह से...

अब एक खुश खबरी और सुनो – मेरा प्रमोशन हो गया है, और में एसएसपी बन गया हूँ…

ये बात सुन कर सबके चेहरे खुशी से खिल उठे… पर कुछ देर बाद ही एक पिता की चिंता बाबूजी के चेहरे पर झलकने लगी…, वो कुछ दुखी से होकर बोले …

बाबूजी – ये सब तो ठीक है, कृष्णा बेटा, लेकिन अब तुम अपनी शादी का भी कुछ सोचो.. तुम कहो तो मे कहीं बात चलाऊ…

यौं सारी उमर अकेले तो नही काट सकते…

इससे पहले कि कृष्णा भैया कुछ बोलते, मेने कहा – उसका इंतेजाम भी हो चुका है बाबूजी…!

ये कह कर मेने भैया की तरफ देखा.. जो नज़र नीची करके मेरी तरफ देख रहे थे…शर्म उनकी आँखों में दिखाई दे रही थी…

बाबूजी – क्या इंतेज़ाम किया है तुमने…?

मे – कल ही अपने घर मेरी होने वाली भाभी अपनी माँ के साथ आ रही है…!

भाभी – सच…! कॉन है वो लड़की, क्या बड़े देवर्जी जानते हैं उसे..?

मे – जानते ही नही भाभी… अच्छी तरह से पहचानते भी हैं… क्यों भैया, सही कह रहा हूँ ना मे…!

कृष्णा भैया – तू ना अब बहुत मार खाएगा मेरे हाथों से…फिर वो भाभी से बोले - ऐसा कुछ नही है भाभी… बस एक दो बार मिले हैं हम…

भाभी – लल्ला जी ! कॉन है वो लड़की..? और तुम कैसे जानते हो उसे..?

मे – वो रेखा की छोटी बेहन है, जिसने इस केस में मेरी मदद की थी… ये दोनो तो एक तरह से तय कर ही चुके हैं, बस अब सबकी सहमति से फेरे पड़ने वाकी हैं..

भाभी – वाह देवर जी ! आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.. कहीं पोलीस का डंडा दिखा कर तो नही फसा लिया बेचारी को…हहेहहे….

भाभी की बात पर सभी ठहाके मारकर हँसने लगे…

कृष्णा भैया – ये भी इस नालयक की ही करामात है भाभी… इसी ने प्राची को मेरे पास भेजा था.. रीलेशन बढाने को…

भाभी – ओह हो ! तो उसका नाम प्राची है…! फिर तो बाबूजी जल्दी से पंडित जी से मिलन करा कर चट मँगनी और पट शादी करा देते हैं…..

मे – अरे भाभी अब काहे की मॅचिंग, जब सब कुछ ऑलरेडी मॅच हो ही गया है, तो फिर क्यों चिंता करती हैं आप… क्यों भैया….

मेरी बात सुन कर भैया अपनी जगह से उठकर मुझे मारने दौड़े, मे भी उनके हाथ आने से पहले ही अपनी जगह से उठ कर भागने लगा…

दोनो भाई, पूरे आँगन में इधर से उधर दौड़ने लगे, वो मुझे पकड़ना चाहते थे, मे उनके हाथ नही आ रहा था….

हमें देख कर वाकी सबकी आँखें नम हो उठी, उन्हें हमारे बचपन याद आ गये, आज भी हम दोनो भाइयों के बीच का प्यार देख कर सबको बड़ा अच्छा लगा…..

रूचि हम दोनो को देख कर ताली बजा-बजा कर हंस रही थी, उच्छल-उच्छल मुझे एनकरेज कर रही थी… कम ओन चाचू येस ! बड़े चाचू के हाथ नही आना है..

तो कभी भैया को भी चेअर-अप करती…

हम दोनो भाइयों को यौं छोटे बच्चों की तरह एक दूसरे से छेड़ छाड़ करते देख, कॉन कहता सकता था, कि इनमें से एक पोलीस का एसएसपी है,

और दूसरा डिस्ट कोर्ट का जाना माना वकील, जो कुछ ही दिनो में अच्छे- अच्छों को अपने दिमाग़ का लोहा मनवा चुका है………!

देर रात तक हम सब परिवार के लोग बैठ कर बातें करते रहे… रूचि को नींद आने लगी थी, सो वो उठकर अपने कमरे में चली गयी…

अब वो भाभी से अलग रामा दीदी वाले कमरे में सोती थी…

फिर निशा ने सबको दूध दिया और हम सब सोने के लिए अपने -अपने कमरे में चले गये….

मेने अपने कपड़े चेंज किए, एक शॉर्ट और स्लीवलेशस टीशर्ट पहन कर पलंग पर बैठ, निशा का इंतेज़ार करने लगा…

जब वो काफ़ी देर तक नही आई, मेने सोचा शायद भाभी की मालिश करने गयी होगी… अब उनके दिन पूरे हो रहे थे, अगले महीने ही डेलिवरी होनी थी…

कुछ देर इंतेज़ार करके मे पलंग पर लेट गया…अभी 10 मिनिट ही हुए होंगे कि निशा आ गयी… और अपना गाउन लेकर बाथ रूम में घुस गयी…

कपड़े चेंज करके वो चुप चाप आकर पलंग के दूसरी छोर पर जाकर लेट गयी, जबकि मे अभी भी जाग रहा था, और उसी को देख भी रहा था…

वो दूसरी तरफ करवट लिए पड़ी थी, जब कुछ देर तक वो नही कुछ बोली, तो मेने उसके पीछे से अपने को सटा लिया और उसकी कमर में अपना बाजू लपेट कर उसे अपनी तरफ मुँह करने के लिए खींचा…

उसने बिना कुछ कहे मेरा हाथ अपनी कमर से हटा दिया…मेने फिर से अपनी ओर पलटने की कोशिश की, वो कुन्मूनाते हुए झटके से बोली – क्या है..? क्यों परेशान कर रहे हो…?

मे – निशु ! इधर मुँह करो ना मेरी तरफ…!

निशा ने मेरा हाथ झटकते हुए कहा – सोने दो मुझे…! नींद आ रही है.. सारा दिन काम करते हो जाता है… अब तो सोने दो…

मे उसके कूल्हे को सहलाते हुए पटाने वाले लहजे में बोला – अले..अले…मेला.. सोना…नाराज़ है… ये कह कर मेने अपना बाजू उसके आगे से ले जाकर उसे पलट दिया…

जब उसने मेरी तरफ अपना फेस किया तो मेने अपने कानों पर हाथ लगाकर बोला – सॉरी जान…! मे बिना भैया के किसी को कुछ बताना नही चाहता था…

वो – अच्छा ! अब मे किसी और में शुमार होने लगी हूँ आपके लिए…?

मेने उसके गाल सहलाते हुए कहा – नही..नही.. तुम तो मेरी स्पेशल वन हो…, मेरी जाने जिगर हो…

लेकिन ज़रा सोचो जान ! ये बात मेने भाभी तक को भी नही बताई, तो कुछ तो रीज़न रहा होगा, ना बताने का…?​
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