Update 57

अब इतनी सी बात के लिए तुम ऐसी रूठ गयी हो कि मुझसे दूर-दूर भाग रही हो… ये ठीक नही है कि अपने रसीले होठों की प्यास भी ना बुझाने दो… इतना बोलकर मेने उसके रसीले होठों को चूम लिया…

निशा मुस्करा उठी, और बदले में किस करते हुए बोली – आप बहुत चालू हो, मुझे थोड़ी देर के लिए भी नाराज़ नही रहने देते…

मे – नाराज़ होने में मज़ा आता है तुम्हें..?

वो – हां ! जब आप मनाते हो तो मुझे बड़ा अच्छा लगता है…ये बोलकर वो मेरे सीने से चिपक गयी…जिससे मेरा अकड़ू पप्पू उसकी मुनिया के दरवाजे पे सॅट गया..

मेने कसकर उसकी गान्ड को मसल दिया… और बोला – तो ठीक है, फिरसे नाराज़ हो जाओ… मे फिरसे तुम्हें मनाने की कोशिश करूँगा…

वो मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर बोली – नही अब मे ये पाप नही करूँगी… ये बेचारा किसी से मिलने के लिए व्याकुल हो रहा है, इसके साथ नाइंसाफी नही कर सकती मे…

मेने उसकी मिनी नाइटी को गान्ड तक उपर करके, पैंटी के उपर से ही उसकी गान्ड की दरार में उंगली को उपर से नीचे घुमाने लगा…

जब मेरी उंगली.. अपना सफ़र तय करते हुए उसकी राम दुलारी के गेट तक पहुँची, तो उसने अपनी जाँघो को कस लिया… और मेरे लंड को कस्के मसल्ति हुई…. सिसकारी भरते हुए बोली…..

सस्स्सिईईईईईई……मत करो ना…. उंगली हटाओ वहाँ से… बदमाश कहीं के…

मे – तो फिर तुम मेरे पप्पू को मसल मसल कर उसका कीमा क्यों बना रही हो…? इसको बदमाशी नही बोलते…?

निशा मेरे सीने पर किस करते हुए बोली – वो तो मे देखना चाहती हूँ, कि ये और कितना कड़क हो सकता है…

इतना बोलकर उसने मेरा शॉर्ट नीचे खींच दिया और किसी नागिन सी लहरती हुई नीचे को सरकती चली गयी…, मेरे लंड को अपनी दोनो हथेलियों के बीच दबा कर उसे मथने लगी… मानो छाछ बिलो रही हो…

निशा की हरकतों ने मेरा बुरा हाल कर दिया था, मेरा लंड बुरी तरह से ऐंठने लगा…मुझे लगा जैसे ये फट जाएगा…

मेने लपक कर निशा की कमर को हाथों में भर लिया, और अपनी ओर खींचते हुए उसकी गान्ड को अपने मुँह के उपर रख लिया…

निशा ने अपना गाओन निकाल फेंका, और मेरा लंड चूसने लगी….

अब हम दोनो 69 की पोज़िशन में आ चुके थे, पहले से ही एक दूसरे की छेड़-छाड से माहौल बहुत गरम हो चुका था…

मेने अपनी जीभ से उसकी चूत को पूरी लंबाई तक चाटा… तो उनसे अपने गान्ड के पाटों को कस कर भींचते हुए, अपनी चूत मेरे मुँह पर दबा दी…

मेरी नाक, उसकी क्लिट को रगड़ने लगी… और जीभ की नोक जितना हो सकता था, उतनी अंदर जाकर उसकी सुरंग की सैर करने लगी….

इससे निशा की उत्तेजना और बढ़ गयी, और उसने मेरे पूरे 8” लंबे लंड को अपने गले तक मुँह में भर लिया…और मेरे अंडकोषों को सहलाते हुए ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी…

अब मेरा बहुत बुरा हाल हो चुका था… कोई रास्ता नही बचा कि में अपने प्रेशर को और देर तक रोक सकूँ… सो अपनी कमर को नीचे से उचका-2 कर उसके मुँह को चोदने लगा…

निशा भी अपनी गान्ड को उपर नीचे करके मेरे मुँह को चोदने लगी…मेरे दोनो हाथ उसकी गान्ड को मसल्ते जा रहे थे, बीच – 2 में मेरी उंगली, उसकी गान्ड के भूरे से छेद को भी कुरेद रही थी…

आख़िर कोई कब तक अपने आप को कंट्रोल करे…., मेने एक करारा सा धक्का अपनी कमर में लगाया….

मेरा पूरा लंड निशा के मुँह में गले तक घुसकर पिचकारी छोड़ने लगा…

उत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी, कि मुझे पता ही नही चला, कि कब मेरी एक उंगली पूरी की पूरी निशा की गान्ड के छेद में घुस गयी… और उसकी चूत ने भी अपना फब्बरा मेरे मुँह में छोड़ दिया…

जाने कितनी ही देर तक एक दूसरे का माल पानी गटक कर हम यौंही पड़े रहे……

आज पहली बार हम ने एक दूसरे के अंगों को इस तरह से प्यार करके उनसे निकलने वाले अमृत का पान किया था….

मेने निशा को अपनी बाहों में कसते हुए कहा… मज़ा आया जानेमन…

वो शर्मा गयी… और मेरे सीने में अपना मुँह छिपा कर बोली… आपने तो मुझे मार ही डाला था… मेरी साँस भी रुकने लगी थी..

मेने उसके चेहरे को उपर किया और उसके होठों को चूम कर कहा – मेरा घी कैसा लगा, वैसे मुझे तुम्हारा अमृत बड़ा अच्छा लगा…

वो नज़रें नीची करके बोली – आपका भी बहुत टेस्टी था… मुझे नही पता था, कि इसमें इतना स्वाद होता है…

बातें करते हुए हमारे हाथ फिर एक बार शरारत पर उतर आए, और कुछ ही देर में वासना फिरसे अपना असर दिखाने लगी…

निशा को मेने अपने उपर खींच लिया और उसके होत चूस्ते हुए अपने लंड को उसकी सन्करि गली के मुँह पर लगा दिया….

वो उसके उपर बैठती चली गयी, पूरा लंड अंदर लेते ही वो मेरे उपर लेट गयी.. और अपनी चुचियों को मेरे बालों भरे सीने से रगड़ते हुए बोली…

अहह….जानू, कितना बड़ा है आपका ये हथियार…, मेरी नाभि तक फील हो रहा है….

तुम्हें इसे लेने में कोई तकलीफ़ होती है…उसकी गान्ड मसल्ते हुए पुछा मेने.….

शुरू में लेने में थोड़ा दर्द देता है, लेकिन फिर तो बहुत मज़ा आता है… सीईईईईई…आहह… उसने धीरे से अपनी गान्ड मटकाते हुए कहा…

धीरे – 2 उसकी कमर की रफ़्तार ज़ोर पकड़ने लगी.. और वो मज़े से आँखें बंद करके, अनप-शनाप बड़बड़ाती हुई… ज़ोर ज़ोर्से अपनी गान्ड मेरे लंड पर पटकने लगी….

मेने भी नीचे से अपनी कमर उछाल्ना शुरू कर दिया…. फिर कुछ ही देर में हम दोनो अपने परम सुख को पा कर एक दूसरे से चिपके चैन की नींद सो गये…!

दूसरे दिन प्राची और उसकी माँ मधुमिता जी हमारे घर आ गयी, सबने उन्हें बहुत आदर सम्मान दिया…

प्राची सभी को पसंद आई, भाभी और निशा ने उसे अपनी छोटी बेहन जैसा प्यार दिया….

भैया तो पहले से ही उसपर लट्तू थे, हमारे घर का प्रेम से भरा माहौल देख कर मधुमिता जी बहुत प्रभावित हुई…

बात पक्की होते ही उनकी आँखों से आँसू निकल पड़े, भाभी ने जब कारण पुछा तो उन्होने डब डबाइ आँखों से भाभी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा…

मेरी बेटी कितनी भाग्यशाली है जो आपके जैसा प्यारा और भरा पूरा परिवार मिला रहा है उसे…

मेने कभी सपने में भी नही सोचा था, कि एक बेसहारा माँ की बेटी ऐसे खानदान की बहू बन सकेगी…

भाभी ने उनको गले लगाते हुए कहा – आप प्राची की बिल्कुल फिकर मत करना, वो हमारी बेहन की तरह ही यहाँ रहेगी…!

उन्होने अपने आँसू पोन्छ्ते हुए कहा – इसी खुशी में तो मेरी आँखें छलक पड़ी, भगवान ने मेरी सबसे बड़ी समस्या इतनी आसानी से हल कर दी…

मुझे अब कोई शंका नही है कि मेरी बेटी आप लोगों के साथ कैसे रहेगी…

फिर सारी बातें पक्की होते ही शादी की डेट निकलावा कर दिन ढलते ही उसी दिन भैया के साथ वो दोनो माँ-बेटी वापस लौट गयी…!

उन्हें विदा करके मे गाओं में चक्कर लगाने निकल गया…, घूमते हुए लोगों से मिलते मिलते जब रामदुलारी के घर की तरफ पहुँचा,

वो मुझे अपने घर के बाहर ही जानवरों को चारा डालती हुई मिल गयी, देखते ही अपना काम-धंधा छोड़कर मुझे अपने घर के अंदर खींचकर ले गयी…!

मेन गेट बंद करके चौक से होते हुए सामने पड़े छप्पर के नीचे एक चौकी बिछाकर मुझे बिठाया और अपनी देवरानी श्यामा को आवाज़ दी…

अरी श्यामा कहाँ है तू…?

अंदर एक कोठे से श्यामा की आवाज़ आई… मे यहाँ हूँ जीजी…

दुलारी – अरी देख तो कॉन आए हैं…, जल्दी बाहर आ…

एक मिनिट में ही श्यामा एक पुराने से लहंगा और चोली पहने बिना चुनरी डाले बाहर भागती हुई निकली…!

जैसे ही उसकी नज़र मेरे उपर पड़ी, वहीं दरवाजे में ही उसके ब्रेक लग गये, शरमाती हुई वो वहीं ठिठक गयी, फिर नज़र नीची करके वापस कोठे की तरफ जाने के लिए जैसे ही पलटी…

मेने उसे आवाज़ देकर रोक लिया.. अरे क्या हुआ श्यामा प्यारी, मुझसे कैसी शर्म, आओ..आओ..!

रामदुलारी मंद मंद मुस्कुराती हुई बोली – अरी आ जा, पंडित जी से कैसी शर्म, ये तो अपने ही हैं.., चल इन्हें चाय पानी पिला तब तक मे काम धंधा ख़तम करके आती हूँ,

ये कहकर उसने मेरी तरफ आँख मारी, और मुड़कर बाहर की तरफ चली गयी…!

श्यामा नज़रें झुकाए, धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई मेरे पास आकर खड़ी हो गयी, मेने अपना एक हाथ आगे करके उसके गोल-गोल चुतड़ों पर फिराया, फिर उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लिया…!

वो शायद अंदर थोड़ा बहुत बनाव शृंगार कर रही होगी, सो उससे सस्ते से पाउडर और क्रीम की खुसबु आ रही थी…

लाल रंग की लिपीसटिक लगे पतले पतले होंठ काँप रहे थे, इन पुराने-धुराने कपड़ों में श्यामा का छरहरा बदन बड़ा ही कामुक लग रहा था…

मेरे गोद में बैठी श्यामा का बदन काँपने लगा था, उसके गाल को चूमकर मेने उससे पूछा – ऐसे काँप क्यों रही हो तुम, क्या डर लग रहा है मुझसे..?

उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा, और फिरसे नज़र झुका कर थर-थराते स्वर में बोली – न.ना..नही..वो..बस..वो..एकदम से आपको देख कर पता नही शायद खुशी से ऐसा हुआ है..

फिर उठने का प्रायोजन करते हुए बोली – आप बैठिए, मे आपके लिए चाय बनाकर लाती हूँ…!

बीते दो-ढाई महीने में शयामा के गोल-गोल गेंद जैसे चूतड़ कुछ गुदगुदे और उसके अनार रसीले से लग रहे थे नीचे वो ब्रा भी नही पहने थी..

मेने उसके रसीले अनारों को अपने हाथ से सहलाया, फिर उसके पतले-पतले रसीले होठों पर अंगूठा फिराते हुए कहा –

मे यहाँ चाय पीने नही आया हूँ

श्यामा मेरी जान, पिलाना ही है तो इन रसीले होठों का रस पिला दो…

मेरी बात सुनकर वो बुरी तरह से लजा गयी.., मेरी गोद से उठकर खड़ी हो गयी और मेरा हाथ पकड़कर अपने कमरे की तरफ ले जाने लगी…!

उसके पीछे पीछे चलते हुए मेने उसकी गान्ड को अपने हाथ से भींचते हुए कहा – आहह…तुम्हारी गान्ड तो मक्खन जैसी हो गयी है..,

कमरे में घुसते ही उसने मेरे गाल पर किस कर दिया और बोली – ये सब आपकी वजह से ही है..इतना बोलकर उसने अंदर से कमरे की सांकल लगा दी,

मेने उसे पकड़कर अपने सीने से चिपका लिया और उसके रसीले होठों का रस पीने लगा…वो किसी बेल की तरह मेरे बदन से लिपट गयी…!

पाजामे में मेरा लंड फुफ्कार मार रहा था, उसकी गोल-गोल गान्ड को हाथों में कसकर मेने उसकी चूत को अपने लंड के सामने चिपका लिया…

लंड की ठोकर चूत पर पड़ते ही वो रिसने लगी…., श्यामा की कजरारी आँखें किसी शराबी की तरह लाल हो गयी…, उसने अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर कस लिए..

मेने एक हाथ से उसके लहँगे का नाडा खींच दिया, वो सरसरकार नीचे गिर पड़ा…, नीचे उसने पैटी भी नही पहनी थी…,

छोटे-छोटे घुंघराले बालों से घिरी उसकी छोटी सी चूत अपने हाथ से सहला कर मेने अपनी एक उंगली उसकी रसीली चूत में डाल दी…!

सिसकी भरते हुए श्यामा मुझसे और ज़ोर्से से चिपक गयी…, फिर उसने मेरे पाजामा को नीचे खींच कर अंडरवेर में हाथ डाल दिया, और मेरे लंड को मसल्ने लगी…!

ये सब कुछ अभी तक खड़े-खड़े ही हो रहा था…, मेरी उंगली उसकी चूत में गहराई तक जा रही थी, जिससे उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी…

फिर वो अपने पंजों पर नीचे बैठ गयी, और मेरे अंडरवेर को नीचे करके उसने मेरे लंड को चूम लिया…,

मेरी आँखों में देखते हुए बोली – बहुत याद आती है इसकी पंडित जी, आँखें तरस गयी थी इसे देखने को…

मेने उसकी चोली के बटन खोलते हुए कहा – बस देखने को ही या कुछ और के लिए भी…,

उसने मेरे सुपाडे को खोलकर उसके चारों ओर अपनी जीभ घुमाई फिर उपर देख कर मुस्कराते हुए उसने उसे अपने मुँह में निगल लिया…

मेने श्यामा की चोली निकाल कर उसके अनारों को मसल्ने लगा, उसके कड़क हो चुके निप्प्लो को अंगूठे और उंगली के बीच दबाकर मसल दिया…

वो लंड मुँह से निकालकर सिसक पड़ी, और मेरे सामने खड़े होकर बोली – अब जल्दी से डाल दो पंडित जी, मेरी चूत में आग लगी है.., उसे जल्दी से बुझा दो मालिक…!

मेने खड़े-खड़े ही श्यामा की एक टाँग को उपर उठा लिया, उसने मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर सेट कर लिया, मेने उसे अपनी ओर खींच कर अपना मूसल उसकी रसीली चूत में सरका दिया…

चूत हद से ज़्यादा गीली थी, सो हल्के से इशारे से ही आधा लंड सर-सरकार उसकी चूत में समा गया…,

दर्द से श्यामा की कराह निकल पड़ी, आअहह….उउउफफफ्फ़….धीरे मालिक…दर्द होता है…, सस्सिईइ…ऊओ…मैयाअ…मोरी…कितना मोटा है…

मेने उसके होठों को अपने मुँह में क़ैद कर लिया, और एक हाथ से उसकी गान्ड को पकड़ कर ज़ोर्से अपनी ओर खींचा….

एक ही झटके में पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत में घुस गया…, मुँह ही मुँह में उसकी दर्द भरी कराह घुट कर रह गयी…,

दूसरे हाथ से उसकी चुचियों को सहलाते हुए मेने हल्के-हल्के धक्के लगाना शुरू कर दिया,

अब उसका दर्द भी चला गया था, सो वो भी अपनी तरफ से अपनी कमर चलाने लगी…,

धक्के लगाते लगाते मेरा दूसरा हाथ भी उसकी गान्ड के पीछे चला गया, और मेने उसे अपनी गोद में उठा लिया….

उसने अपने दोनो पैर मेरी कमर में लपेट लिए, और गले से लिपटकर पूरी शिद्दत से अपनी गान्ड को आगे पीछे करके मेरे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी…

5-7 मिनिट में ही उसकी चूत ने अपना लावा उगल दिया, और वो बुरी तरह से मेरे लंड से चिपक गाइिईई…..

फिर मेने उसे गोद में लिए हुए ही उसके बिस्तर पर लिटा दिया, और उसकी टाँगों को अपनी जांघों पर चढ़ाकर मेने फिर से उसकी झड़ी हुई चूत में अपना लंड पेल दिया…

मज़े से उसकी आँखें बंद हो गयी, और मुँह से एक मीठी सी कराह फुट पड़ी…!

मेरा भी अब लंड पूरी मस्ती में पहुँच चुका था, कुछ ही पलों का मेहमान था, सो मेने उसकी टाँगों को और उपर करके दे दना दन धक्के लगाने शुरू कर दिए…

श्यामा मेरे धक्कों की मार नही झेल पा रही थी, लेकिन मुझे झेलना अब उसकी मजबूरी थी, उसकी चूत एक बार फिर झड चुकी थी…

मेरा भी लावा फूटने को आ चुका था, दो-चार तगड़े धक्के मारकर मेने एक जोरदार पिचकारी उसकी चूत में मार दी…

अभी मे पूरी तरह से झड भी नही पाया था, कि बाहर से दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई…,

मेने फटाफट अपना आध झडा लंड बाहर निकाला और श्यामा के मुँह में डाल दिया…

बचा-खुचा माल वो गटक गयी, और मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया…,

कपड़े पहन कर मे जैसे ही द्रवाजा खोल कर बाहर आया, सामने दुलारी खड़ी थी..

मेने उसे सवालिया नज़र से देखा, वो बोली – अच्छा हुआ पंडित जी आपने समय पर सब काम निपटा लिया…, मेरे बच्चे और देवर आने ही वाले हैं…

मेने दुलारी के बड़े-बड़े मम्मों को मसल्ते हुए कहा – आपका नंबर फिर कभी अब मे निकलता हूँ, ये कहकर उसे मुस्कुराता हुआ छोड़ कर मे वहाँ से निकल लिया……!

रात को खाने के दौरान तय हुआ, कि भैया की शादी बड़े सादे तरीके से ही होगी, ज़्यादा शोर-शरावा करने की कोई ज़रूरत नही है…, खंखा ज़्यादा लोगों को दूसरी शादी का कारण बताने की ज़रूरत ना पड़े तो ही अच्छा…

वैसे तो बात पूरे इलाक़े में फैल ही चुकी थी, फिर भी जाने-जाने को एक्सप्लेन करते फ़िरो, इससे अच्छा ज़्यादा भीड़-भड़क्का ही ना हो…

लेकिन फिर भी घर परिवार के सभी रिस्ते नातेदारो को तो बुलाना ही था…

सो आनन फानन में सबको निमंत्रण भिजवा दिए, रामा दीदी चूँकि काफ़ी दिनो से नही आ पाई थी…,

बहनोई साब देल्ही में एक मल्टी नॅशनल कंपनी में सेल्स मॅनेजर की पोस्ट पर हैं, वहीं रहते थे…

मेने लोकेश जीजा जी को फोन लगाया, उन्हें भैया की शादी के बारे में बताया… और रिक्वेस्ट की, वो दीदी को लेकर एक दो दिन में ही आजाएँ…

उन्होने आने में अपनी असमर्थता जाहिर की, और कहा कि वो शादी के एक दिन पहले ही आ पाएँगे, ऑफीस का काम बहुत अर्जेंट है, इसके अलावा देल्ही के बाहर के कस्टमर विज़िट भी करने हैं…

तो मेने खुद ही जाकर दीदी को लाने का प्रोग्राम बनाया, और सोचा कि क्यों ना दो दिन पहले देल्ही जाया जाए, ताकि अपने गुरु प्रोफ़ेसर. राम नारायण जी और उनकी बेटी नेहा से भी मिल लूँगा…

मेने शाम को लोकेश जीजाजी को फोन करके अपने प्रोग्राम के बारे में बता दिया कि मे दीदी को लेने कल आ रहा हूँ…

दूसरे दिन मे देर रात की ट्रेन से देल्ही के लिए निकल लिया, सुबह 8 बजे न्यू देल्ही स्टेशन पर था, वहाँ से मेने रिक्सा लिया और चल पड़ा रामा दीदी के घर की तरफ…

आधे घंटे के बाद मे उसके फ्लॅट के सामने खड़ा था, मेने डोरबेल दबाई…. टिद्डिनग…..टॉंग…..!

कुछ देर के बाद, गेट खुला…. सामने रामा दीदी एक सफेद टाइट सी टीशर्ट और लोंग स्कर्ट में मेरे सामने खड़ी थी….

उसके 34+ उरोज उस टाइट टीशर्ट को सामने से फाड़ डालने की कोशिश में थे, अंदर पहनी हुई ब्रा की शेप भी टीशर्ट के बाहर से ही अपना साइज़ बताने की कोशिश में थी.

मुझे देखते ही दीदी एकदम खुश हो गयी… और दरवाजे पर खड़े-खड़े ही वो मेरे गले से लिपट गयी…, उसके पुष्ट उरोज मेरे सीने में बुरी तरह से दब गये….!

मेरे एक हाथ में मेरा बाग था, दूसरा हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर सहलाने लगा…फिर जब वही हाथ उसकी पीठ से सरक कर उसके चुतड़ों पर पहुँचा…

और जैसे ही उन्हें सहला कर दबाया, उसने मेरे होठ चूम लिए… इतने में ही मेरा पप्पू अकड़ने लगा… लेकिन जगह और परिस्थिति का भान होते ही मेने उसके कान में फुसफुसा कर कहा…

दीदी ! अंदर तो आने दो…!

मेरी बात सुनते ही वो झट से अलग हो गयी… और नज़र नीची करके मुस्कुराते हुए बोली – आ जा भाई, अंदर आजा…

मे उसके पीछे – 2 अंदर हॉल में पहुँचा… चुचियों के साथ - साथ उसकी गान्ड भी पहले से चौड़ी हो गयी थी, और पेट भी थोड़ा मांसल हो गया था……

आगे चलते हुए उसकी गान्ड की थिरकन स्कर्ट के सॉफ्ट कपड़े में साफ-साफ दिखाई दे रही थी….

मन किया कि लपक कर उसे पीछे से अपनी बाहों में कस लूँ, और स्कर्ट उपर करके उसकी मटकती गान्ड में खड़े-2 ही लंड पेल कर चोद डालूं…

लेकिन ऐसा कर नही सकता था, सो अपने फ्री हाथ से लंड मसोस कर रह गया…!

हॉल में सोफे पर एक क्यूट सा गोरा-चिटा, प्यारा सा गोल-मटोल सा बच्चा बैठा टीवी पर कार्टून देखने में मस्त था….

जब हम हॉल में पहुँचे तो वो हमें देख कर बोला – ये कॉन हैं मम्मी…

दीदी – बेटा ये तेरे मामू हैं… नमस्ते करो…

उसने अपने दोनो हाथ जोड़कर मुझे नमस्ते किया, मेने बॅग नीचे रख कर उसे गोद में उठा लिया, और उसके गाल पर एक पप्पी लेकर बोला…

मेरा प्यारा भांजा…कितना समझदार है, क्या नाम है बेटा तुम्हारा…

वो – आर्यन..! मम्मी मुझे आरू बोलती हैं…

मे – वेरी स्मार्ट बॉय… बहुत प्यारी – 2 बातें करते हो…

फिर मे उसे अपनी गोद में लेकर सोफे पर बैठ गया, दीदी बोली – तुम दोनो खेलो तब तक मे तुम्हारे लिए कॉफी लाती हूँ… कहकर वो किचन की तरफ चल दी…

मे उसकी मटकती गान्ड को देखता रहा…और अपने लौडे को जीन्स में मसलता रहा… आरू को सोफे पर बिठा दिया, वो फिरसे अपने कार्टून देखने में व्यस्त हो गया..

कुछ देर बैठा था, कि लोकेश जीजा जी, एक तौलिया लपेटे बाथरूम से नहा कर निकले, मुझे देखते ही बोले – ओहो…साले साब आ गये… मेने अपनी जगह से उठकर उनके पैर छुये…

वो मेरे बाजू पकड़ते हुए बोले – अरे, ये सब अब कहाँ चलता है… आइए गले मिलते हैं…

मेने कहा – कहीं आपकी तौलिया खुल गयी तो…., मेरी बात सुनते ही वो ठहाका लगा कर हँस पड़े, और अपने रूम में कपड़े पहनने चले गये…

इतने में दीदी कॉफी ले आई, और हम दोनो ने कॉफी पी, कॉफी पीकर मे फ्रेश होने चला गया, और वो फिरसे किचन में घुस गयी, नाश्ते का इंतज़ाम करने…

नाश्ते के दौरान जीजू बोले – रामा ! मेरा बॅग रेडी कर देना, दो दिन के लिए मुंबई जाना है, कस्टमर मीटिंग के लिए…!

जीजू के ऑफीस जाने के बाद दीदी मेरी बगल में आकर सोफे पर बैठ गयी.. और घर की राज़ी-खुशी पुच्छने लगी…

मेने नहाने के बाद एक टीशर्ट और पाजामा पहन लिया था….बात-चीत करते – 2 उसका हाथ मेरी जाँघ पर आ गया, और धीरे – 2 वो उसे सहलाने लगी…

मेने अपनी नज़र उठाकर उसकी तरफ देखा… उसका ध्यान तो मेरे पाजामे में बन चुके उठान पर ही था, जिसे वो धीरे – 2 अपनी उंगलियों से टच करने की कोशिश में मशगूल थी…

मे नही चाहता था, कि अब उसके शादी-सुदा जीवन में कोई हलचल हो…

जैसे ही उसका हाथ मेरे लंड से टच हुआ, मेने कहा – दीदी ! ये क्या कर रही हो...?

उसने अपनी नज़रें मेरी तरफ की और मंद – 2 मुस्कराते हुए बोली – क्यों ! तुझे नही पता मे क्या कर रही हूँ…?

मे – मुझे पता है तभी तो बोला…, लेकिन अब क्यों कर रही हो… अब तुम शादी सुदा हो…क्या ये सब हमारे लिए सही है..?

वो – क्यों ! भाभी भी तो शादी-सुदा हैं, फिर उनके साथ क्यों..? और मेरे साथ क्यों नही..?

और फिर ये हमारे बीच कोई नयी बात तो है नही, निशा के साथ आया था तब भी तो मे शादी सुदा थी.., फिर अब ये सवाल क्यों..?

मे – तुम क्या जीवन भर भाभी के संबंध को लेकर मुझे ब्लॅकमेल करती रहोगी…?

वो मेरे बदन से लिपटती हुई बोली – नही भाई..! प्लीज़ ऐसा मत बोल, मे तो बस तेरी बात का जबाब दे रही थी,

सच बात तो ये है कि, जब-जब तेरे साथ बिताए हुए वो दिन आज भी जब याद करती हूँ, तो बस पुच्छ मत….

प्लीज़ भाई ! मुझे ग़लत मत समझ, तेरे साथ सेक्स करने में मुझे जो आनंद मिलता है, उसे याद करते ही मे बैचैन हो जाती हूँ, और एक बार फिरसे वोही मज़ा लेने का मन करता है…!

मे – क्यों ज़ीजे के साथ मज़ा नही आता…?

वो – ऐसी बात नही है, लेकिन तेरे साथ करने का मज़ा ही निराला है…बस एक बार प्लीज़………!

उसकी बड़ी – बड़ी चुचियों की चुभन से वैसे भी मेरा हाल बहाल होता जा रहा था, सो उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेने उसके होठ चूमते हुए कहा..

आर्यन यहीं बैठा है, इसे तो सुला देती…

वो बोली – चल बेडरूम में चलते हैं, वो तो कार्टून देखते-देखते यहीं सो जाएगा… और मेरा हाथ पकड़ कर अपने बेडरूम में खींचकर ले गयी…..!

रूम में घुसते ही, दीदी ने गेट लॉक किया और पलट कर मेरे उपेर भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी…

धक्का देकर मुझे पलग पर गिरा दिया, और पाजामा के उपेर से ही उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया…

मेरे मुँह से ह…निकल गयी…आअहह…क्या करती हो, उखाड़ दोगि क्या इसे..?

वो खिल-खिलाती हुई बोली – काश इसे उखाड़ कर अपने पास रख पाती, क्या मस्त लंड है तेरा भाई… मेरी चूत तो इसे देखते ही गीली हो गयी…

मेने उसकी स्कर्ट को उठाकर पैंटी के उपर से उसकी चूत पर हाथ फिराया, सचमुच उसकी पैंटी गीली हो रही थी…फिर उसकी मुनिया को मुट्ठी में भरते हुए कहा –

ये तो सच में बहुत गीली हो रही है… ये कहकर मेने उसे अपने नीचे किया और उसकी पैंटी को खींच कर निकाल दिया,

उसकी स्कर्ट में मुँह डालकर मेने उसकी रस गागर को चाट लिया….​
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