Update 61
कुछ देर उसकी चुचियों को मसल्ने के बाद मेने उसके उन दो छोटे-2 कपड़ों को भी निकाल फेंका….
दीवार से पीठ टिकाए निशा लंबी-लंबी साँसें भरने लगी, चुदाई की खुमारी उसके उपर हावी हो चुकी थी…
मेने उसकी एक जाँघ के नीचे हाथ ले जाकर उसे उपर उठाया, और खड़े-खड़े ही अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया…
ससिईईईई……..आआअहह……राजीईई….धीरे….मेरे सैंय्ाआ…बहुत जालिम हो……कहीं भी कैसे भी पेल देते हो…
उसकी सेक्सी बातों ने मुझ पर जबरदस्त असर किया, और मेने एक और झटका देकर पूरा लंड उसकी सुरंग में डाल दिया…
निशा के मुँह से एक मीठी सी आहह………निकल गयी… फिर उसने अपनी उस टाँग को मेरी कमर में लपेट लिया….
मुझे ऐसे खड़े-2 चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था, निशा भी भरपूर साथ दे रही थी….
जब धक्कों की गति और तेज हो गयी.. तो निशा का खड़ा रहना मुश्किल होने लगा, और सिसक कर बोली---
आहह…..जानू, मुझे पलंग पर ले चलो, खड़ा होना मुश्किल हो रहा है…
उसकी बात सुनते ही मेने उसकी दूसरी टाँग भी उठा कर अपनी कमर पर रखली और अपने धक्के जारी रखे…
निशा की बाहें मेरे गले में लिपटी हुई थी, टाँगें कमर के इर्द गिर्द थी, पीठ दीवार से टिकाए वो मस्ती में चूर मेरे ताबड़तोड़ धक्कों का मज़ा ले रही थी………
आअहह….सस्स्सिईइ…हाईए…रामम्म…बहुत मज़ा आरहाआ…मेरे रजाअजीी…, हम बीच-बीच में स्मूच करते हुए चुदाई का मज़ा लूट रहे थे…
तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई गेट पर है और हमारे गरमा-गरम शो का मज़ा लूट रहा है…,
अपने तबाद-तोड़ धक्के जारी रखते हुए मेने जैसे ही गाते की तरफ देखा………!
वहाँ मुझे दरवाजे में हल्का सा गॅप दिखा, जिसमें से मेघना की एक झलक दिखाई दी,
जैसे ही मेने उसे देखा, वो झट से दरवाजे की ओट में हो गयी… मुझे पता था, कि वो गयी नही है, और हमारी चुदाई देख रही है…
मेने ऐसा जाहिर किया जैसे मेने उसे देखा ही नही, और अपना काम जारी रखा…
वो हमें देख रही है, यही एहसास मुझे और ज़्यादा उत्तेजित करने लगा, और मेरे धक्कों की रफ़्तार और ज़्यादा बढ़ गयी…
मे जैसे ही धक्का लगता… निशा पूरी तरह उच्छल जाती, और उसके मुँह से मादक कराह निकल पड़ती….
आज आपको क्या हो गया है, राजे…. मेरी कमर ही चटखा डी…आईईईई….माआ.. आहह….हाईए….राजा.. धीरी…प्लीज़….बस करो..उईई…माआ….में तो गाइिईईईईईईई…रीई…. निशा के पैर मेरी कमर से कसने लगे…
किसी छिप्कलि की तरह वो मेरे सीने से चिपक कर झड़ने लगी…
कुछ देर यौंही चिपके रहने के बाद मेने उसके होठ चूम लिए. फिर उसे नीचे उतार कर पलटा दिया…
अब उसका मुँह दीवार की तरफ था, उसके हाथ दीवार से टिका कर थोड़ा झुकने को कहा… वो जैसे ही थोड़ा झुक कर खड़ी हुई….
मेने गेट की तरफ तिर्छि नज़र डाली, मुझे मेघना की आँखें दिखाई दे गयी…उसे अनदेखा करते हुए, मेने अपना मुँह निशा की गान्ड में डाल दिया…
उसकी गान्ड के छोटे से भूरे रंग के छेद को जीभ से कुरेद कर चूत के निचले भाग को नोक से चाट लिया…
निशा एक बार फिरसे गरम होने लगी, और अपनी गान्ड को और पीछे को उभार दिया…
नीचे मेरा मूसल, सीधा 120 डिग्री के आंगल पर लहरा रहा था, जिसपर मेघना नज़र गढ़ाए हुए टक-टॅकी लगा कर देख रही थी…
सही मौका ताड़ मेने अपने मूसल को हाथ में लिया, उसे मेघना को दिखाकर दो-तीन बार मसला, उसे दरवाजे की तरफ करके मुठियाने लगा…
मेरा उद्देश्य मेघना को हद से ज़्यादा गरम करने का था, जिसमें कामयाबी मिलती दिख रही थी…
उसका हाथ पैंटी के अंदर जाता हुआ साफ दिखाई दे गया…
मेने निशा की गान्ड को थपथपाया, और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया…
दीवार की आड़ लेकर खड़ी मेघना, हमारी चुदाई का सीन देख कर इतनी गरम हो गयी, कि अपने होठों पर जीभ फिराती हुई, अपनी चूत को मसल्ने लगी…!
मेने निशा की गान्ड पर थप्पड़ मारते हुए कहा – आअहह…निशा रानी क्या मस्त गान्ड है तेरी, किसी दिन इसको तो मे फाड़ के रख दूँगा…!
तभी मेघना का एक हाथ अपनी गान्ड पर चला गया और वो उसे सहलाते हुए अपनी चूत में उंगली करने लगी…!
मेरे धक्कों ने निशा को हिलाकर रख दिया, उधर मेघना अपने पंजों पर खड़ी दे दानंदन अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी…
हम तीनों ही अपने चरम की तरफ बढ़ते जा रहे थे… कमरे के अंदर और बाहर मादक सिसकियाँ माहौल को और मादक बना रही थी…
आख़िरकार… एक साथ तीन तीन आहें वातावरण में गूँज उठी… और जोरदार आहें भरते हुए तीनों ही एक साथ झड़ने लगे….!
निशा पलट कर मेरे सीने से लिपट गयी… मे दरवाजे की तरफ मुँह करके प्यार से उसकी गान्ड सहलाए जा रहा था…
मेघना अपने कमरस से गीले हाथ को अपनी पैंटी से पोन्छ्ते हुए उसे उपर चढ़ा रही थी…
मेघना अपने कमरस से गीले हाथ को अपनी पैंटी से पोन्छ्ते हुए उसे उपर चढ़ा रही थी…
कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेघना वहाँ से जा चुकी है, तो मेने निशा को अपने से अलग किया… वो अपनी मुस्कुराती आँखों से मुझे देखने लगी..
मे – क्या हुआ मेरी जान ? ऐसे क्या देख रही है…?
मेरे होठों को चूमते हुए वो बोली – मे कितनी किस्मत वाली हूँ, जो मुझे आप जैसा जीवन साथी मिला है…कहकर वो फिरसे मुझसे लिपट गयी…,
मेने उसकी गान्ड में उंगली करते हुए कहा – और मन है क्या…?
वो फ़ौरन मेरे से दूर हो गयी और हँसते हुए बोली – ना बाबा ना ! इसके अलावा मेरे पास और बहुत काम है करने को..,
आपका क्या, आप तो यही चाहते हैं कि हर समय ये मूसल मेरी चूत में ही पड़ा रहे…,
ये कहकर वो खिल-खिलाकर हँसते हुए अपने कपड़े निकालने लगी…, और फिर बाथ रूम में घुस गयी, मे अपने काम में फिरसे लग गया…!
शाम को दिन ढले, मे टारेस पर जाकर अपनी एक्सर्साइज़ करने लगा, निशा और रामा दीदी किचेन में रात के खाने के इंतेज़ाम में व्यस्त थी,..
मे रूचि को अपनी पीठ पर बिठाकर पुश-अप कर रहा था, मेघना ना जाने कब से आकर हमें देख रही थी…रूचि अपने दोनो टाँगें मेरे बाजू से लटकाए मेरी कमर पर बैठी गिनती बोलती जा रही थी…
जब मे पूरी तरह थ्क गया, और पेट के बल ही लेटा रह गया, तो रूचि मेरी पीठ पर बैठे -2 ही बोली - क्या हुआ चाचू, थक गये… आजकल आप जल्दी थक जाते हो…
मे – क्या बात कर रही है, पूरे कर तो दिए…
रूचि – हां ! कर तो दिए, पर ऐसे पड़े तो कभी नही रहे ना !
मे – हां ! बेटा सो तो है, अब आजकल कुछ काम ज़्यादा रहता है ना इसलिए…
फिर मेने उसे अपने उपर से उठने के लिए कहा, और खुद भी खड़ा होकर मेने जीने की तरफ मुँह किया तो सामने मेघना को खड़े देख कर बोला…
अरे मेघना जी आप ! कब आईं, आइए ना… प्लीज़…फिर मेने रूचि को कहा – बेटा नीचे जाकर मौसी से मेरा जूस तो ले आ…. रूचि भागते हुए नीचे चली गयी…
मेघना धीरे- 2 चलती हुई मेरे पास आकर बोली – बहुत देर से देख रही हूँ आपको… काफ़ी स्ट्रॉंग हैं आप, सच में.. इतनी बड़ी रूचि को उपर बिठाकर पुश-अप कर रहे थे….
फिर वो मेरी बॉडी को निहारने लगी, और अपने हाथ से दबा दबाकर देखने लगी…
वाउ ! एकदम पत्थर जैसा शरीर है आपका, फिर मेरे मसल्स को दबा दबाकर देखती रही…
हम दोनो आमने सामने खड़े, बातें कर रहे थे, दोनो के बीच बस कोई एक फीट का ही फासला रहा होगा.
तभी आर्यन और उसके पीछे अंश भागते हुए आए, और उसी तेज़ी में आर्यन अंश से बचने के लिए अपनी बुआ यानी मेघना से आ लिपटा, झोंक में वो मेरे सीने से आ लगी…
मे छत की बाउंड्री की तरफ खड़ा था, सो मेरी कमर बाउंड्री से सॅट गयी, तो मे और पीछे नही हट सकता था… नतीजा, मेघना का पूरा शरीर मेरे शरीर पर छा गया…
उसकी मौसमी साइज़ की चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी, और मेरा लंड उसकी चूत के उपरी भाग से सॅट गया…
हड़बड़ाहट में उसने अपनी बाजू मेरी पीठ में लपेट दी, और मेरे हाथ उसकी गान्ड की गोलाईयों को नापने लगे…
बच्चे तो फिरसे भागते हुए नीचे चले गये, लेकिन हम दोनो यौंही खड़े रह गये… दोनो की नज़रें एक दूसरे में खो गयी,
और होठ भी धीरे-2 एक दूसरे से जुड़ने के लिए वाकी बची मंज़िल को तय करते हुए सटने के लिए पास होते चले गये…
इससे पहले कि हम दोनो के होठ एक दूसरे से जुड़ते, कि तभी रूचि की आवाज़ सुनाई दी…
हम फ़ौरन एक दूसरे से अलग हो गये, वो तो अच्छा था, कि उसने दो सीढ़ी नीचे से ही आवाज़ लगाई… चाचू ! ये लो अपना जूस…
वो मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी, मेने रूचि से जूस लेकर मेघना की तरफ बढ़ा दिया… लेकिन उसने मना कर दिया, तो मेने भी ज़्यादा फोर्स नही किया, और एक ही साँस में पूरा एपल जूस का ग्लास खाली कर दिया…!
खाली ग्लास लेकर रूचि नीचे चली गयी, और हम दोनो फिर एक बार अकेले छत पर रह गये…..!
मेने मेघना के चेहरे की तरफ देखा, उसके होठ थर थरा रहे थे, मानो कुछ कहना चाहते हो, लेकिन संकोच वस कुछ कह नही पा रही थी…
आज सुबह से ही वो कई मौकों पर इतनी चुदासी हो चुकी थी, पता नही अपने आपको कैसे संभाले हुई थी अब तक…
जबकि एक बार तो लंड उसकी चूत के दरवाजे पर दुस्तक भी दे चुका था…और दूसरी बार उसने चुदाई का लाइव शो भी देख लिया था…
अभी थोड़ी देर पहले हुए अनायास इन्सिडेंट की वजह से उसका चेहरा अभी तक लाल हो रहा था…नज़रें ज़मीन में गढ़ाए वो पता नही किस सोच में डूबी थी…
फिर मेने जैसे ही उसके हाथ अपने हाथों लिए, मेरे हाथों के स्पर्श होते ही वो अपना आपा खो बैठी, और तड़प कर मेरे बदन से लिपट कर मेरे होठों को चूम लिया…….!
शाम का धूंधलका गहराता जा रहा था, गाओं में वैसे भी जल्दी ही रात जैसी घिरने लगती है, मेघना मेरे बदन से सटी हुई खड़ी मेरी आँखों में झाँक रही थी…,
मेने उसके कुल्हों को सहला कर पुछा - क्या हुआ मेघना जी… आप कुछ परेशान सी लग रही हैं…
उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी, और अपनी मुनिया को मेरे जंग बहादुर से सटाते हुए बोली - मुझे और मत तडपाओ अंकुश जी,
प्लीज़ जल्दी से कुछ करो, वरना कहीं में पागल ना हो जाउ… वो तड़प कर बोली.
मे – आप ही बताइए ऐसा मे क्या करूँ..जिससे आपकी परेशानी दूर हो सके….?
मेरी बात सुनकर वो कुछ मायूस सी दिखने लगी… शायद वो समझ नही पा रही थी कि मे उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा हूँ,
क्या मे उसकी इच्छा को समझ नही पा रहा या जानबूझ कर ऐसा कर रहा हूँ…
फिर वो सारी शर्मोहया ताक पर रख कर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली-
आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं..? लगता है, अभी तक आपने मुझे माफ़ नही किया है, जबकि मे अपने ग़लत व्यवहार के लिए माफी माँग चुकी हूँ..
मे – मे तो उन बातों को कब का भुला चुका हूँ… फिर इसमें माफी का तो कोई सवाल ही नही उठता…
वो – तो फिर आप मुझे इग्नोर क्यों कर रहे है, प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दीजिए… मे बहुत प्यासी हूँ…!
मे – देखिए मेघना जी ! मे ठहरा ठेठ गँवार आदमी, आप क्या चाहती हैं मे कैसे जानू… आप सीधे सीधे कहिए ना, आपको मेरे से क्या चाहिए…?
मेने ठान लिया था कि जब तक ये बिगड़ी घोड़ी मेरा लंड लेने के लिए खुलकर अपने मुँह से चोदने के लिए नही कहेगी, तब तक मे उसे नही चोदने वाला…
मेरी बात सुनते ही, उसने मेरे उपर हमला बोल दिया, और अपने दाँतों से मेरे होठों को लगभग कुचल ही डाला… मेने भी उसके सर को पकड़ कर अपनी जीभ उसके मुँह में ठेल दी....
दो मिनिट तक हम एक दूसरे के साथ यूँही चूमा चाटी करते रहे… फिर उसने झटके से अपना सिर पीछे किया, उसकी साँसें ढोँकनी की तरह चल रही थी, चेहरा और आँखें वासना की आग में जलने लगी…
प्लीज़ अंकुश नाउ फक मी….चोदो मुझे…ये कहकर उसने मेरे लंड को ही पकड़ लिया और उसे ज़ोर्से दबाते हुए बोली… आइ वॉंट युवर कॉक इनसाइड माइ पुसी!
मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी…, उसे थोड़ा और छेड़ते हुए बोला – मे देसी आदमी हूँ मेघना, हिन्दी में कहो क्या करवाना चाहती हो तुम मेरे से…
वो – ओहूओ…. , कम ऑन अब इतने भी अनपढ़ की तरह बिहेव मत करो, अब जल्दी से अपना ये लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोद दो मेरे रजाअ….,
मेरी चूत बहुत फुदाक रही है इसे लेने को.., इसे डालकर इसकी खुजली मिटा दो प्लीज़…
उसकी खुले शब्दों में चुदने की बात सुन कर मेने उसे अपनी गोद में उठा लिया.. और फर्स्ट फ्लोर पर बने एक कमरे में ले गया, जो अक्सर खाली ही रहता था मेहमानों के लिए…, यहाँ किसी के आने के चान्स भी नही थे..
उसे पलंग पर लिटाया और खुद उसके उपर आकर पसर गया...!
उसके पके आमों जैसी गोल-गोल भरी हुई चुचियों को मसलते हुए उसके होठों को चूसने लगा….
वो अपनी एडियों को आपस में जोड़ कर रगड़ने लगी…., फिर मेने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर जैसे ही उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर मसला….
वो गुउुन्न्ं…2 करके अपनी कमर को उचकाने लगी… उसकी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी, जिस वजह से उसकी स्लेकक..पैंटी समेत आगे से पूरी गीली हो गयी…
मेने जैसे ही उसके होठों को आज़ाद किया… वो सिसकते हुए बोली…
ससिईईई….आअहह जालिम…अब और ना तडपाओ…. डाल दो अपना लंड मेरी चूत में…, फाड़ दे इसे राजा…, बना ले अपनी रंडी मुझे….!
उसका उतबाला पन देख कर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी, और फटाफट उसके सारे कपड़े नोंच डाले…
खुद भी अपने कपड़े निकाल मेने उसकी गीली चूत को एक बार चूम लिया… और हाथ से सहला कर अपने लंड को उसकी भीगी हुई चूत के मुँह पर रख कर उपर से नीचे घिसने लगा……!
वो अपनी अंगारे बरसाती आँखों से मुझे घूरती हुई बोली – भेन्चोद, साले और कितना धार लगाएगा इसमें, जल्दी डाल ना मदर्चोद….!
मेने मुस्काराकर उसकी तरफ देखा, और उसकी मोटी-मोटी चुचियों पर थप्पड़ लगाते हुए कहा – साली कितनी आग लगी है तेरी चूत में कुतिया…
मादरचोद गाली देती है साली रंडी, अब देख मे कैसे तेरी माँ चोदता हूँ.., ये कहकर मेने अपने गरम टमाटर जैसे सुपाडे को उक्की चूत में दबा दिया….!
वो सिसकते हुए बोली – सस्सिईइ…आअहह… भडुवे पहले मुझे तो चोद, मेरी माँ को बाद में देखना…, ये कहते हुए उसने अपनी कमर को उचका दिया..
मेरा सुपाडा आराम से उसकी चूत में समा गया था…, इसका मतलब था कि वो पहले भी लंड खा चुकी है…!
मेघना के कमर उचकाते ही मेने भी उपर से एक धक्का दे दिया…., मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी चूत में सरक गया…
उसके मुँह से एक दबी-2 सी कराह निकल गयी… उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…
भले ही वो पहले चुद चुकी थी, लेकिन फिर भी मेरा लंड उसकी चूत में बुरी तरफ से कस गया था…
मेने उसे पुछा…. मेघना ! तुम्हें दर्द तो नही हो रहा…?
उसने अपनी गर्दन हां में हिलाई, मेने कहा – तो फिर क्या करूँ..? निकाल लूँ…इसे बाहर….
नही … बिल्कुल नही… जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा किया तो…, बड़ी मुश्किल से हाथ आए हो.. मेरे दर्द की चिंता मत करो… प्लीज़ गो अहेड….वो कराहते हुए बोली.
ऐज यू विश… इतना कहकर मेने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर को खींचा, और एक जोरदार धक्का अपनी कमर में लगा दिया….
एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में फिट हो गया, लेकिन इस बार उसकी चीख होठों की सीमा तोड़कर बाहर निकल गयी…
कुछ देर मे उसकी चुचियों को मसलता रहा…, उसकी गोल-गोल चुचियों को हाथों में लेकर दबा दिया, जिससे उसके निपल मटर के दाने जितने उभर कर कड़क हो गये, एक को अपने मुँह में लेकर काट लिया…,
वो अपनी चूत का दर्द भूलकर कमर उचकाने लगी…सस्सिईइ…आआहह…काटो मत…, चोदो अब…,
मेने अपने धक्के लगाना शुरू कर दिए… अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी…!
बहुत देर तक हमारी चुदाई धुँआधार तरीके से चलती रही, इस दौरान वो एक बार झड चुकी थी… ये मेने अच्छी तरह से महसूस किया, लेकिन उसने अपनी तरफ से जाहिर नही होने दिया…
वो लगातार मादक कराहें भरती हुई मुझे उकसाती रही…,
कुछ देर बाद मेने उसे एक करवट से कर दिया, एक टाँग उठाकर उसके पिच्छवाड़े से अपना रोड जैसा सख़्त लंड उसकी चूत में पेल दिया…!
इस पोज़िशन में मेरा पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत की थाह लेने लगा…, गहरी चुदाई से उसकी चूत बुरी तरह से कामरस छोड़ने लगी…!
मेरे ताबड-तोड़ धक्कों ने उसे हिलाकर रख दिया, वो अपनी मादक बातों और कराहों से मुझे और ज़ोर्से चोदने पर मजबूर कर रही थी…!
मे पीछे से चिपक कर उसकी हिलती चुचियों का मसल्ते हुए दे दनादन धक्के लगाए जा रहा था.., चूत रस टपक टपक कर उसकी जाँघ के साथ साथ मेरी गोलियों को भी गीला करने लगा...
अंत में जब मेरा छूटने वाला था, कि तभी लास्ट मोमेंट पर मेने अपना लंड उसकी चूत से बाहर खींच लिया, और उसे सीधा करके अपनी सारी मलाई उसकी चुचियों पर उडेल दी…!
मेरे लंड पर कुछ कतरे खून के भी दिखे, जो ये बताने के लिए काफ़ी थे कि वो आज पहली बार ढंग से चुद पाई है…
अपनी उंगली से वो मेरे वीर्य को छुकर अजीब सा मुँह बनाकर देखने लगी…
मेने कहा – ये अमृत है मेरी जान, इसे इस तरह से मत देखो, विश्वास ना हो तो चख कर देखलो…
धीरे से वो अपनी उंगली को पहले अपनी नाक के पास ले गयी, उसे सूँघा, फिर अपने होठों तक ले गयी.. और अपनी जीभ पर रख कर उसका स्वाद चेक करने लगी…
मेने मुस्कराते हुए कहा – कैसा लगा…?
तो वो कुछ देर और उसका टेस्ट लेती रही, फिर चटखारा सा लेकर बोली – अच्छा है, कुछ नमकीन, कुछ मीठा सा…
उसकी बात पर हम दोनो हँसने लगे… वो उठकर अपने आपको साफ करने चली गयी…
लौट कर उसने मुझे अपने गले से लगा लिया, और किस करके बोली – थॅंक यू वेरी मच डार्लिंग… आइ लव यू…
मेने भी उसकी गान्ड को मसल्ते हुए आइ लव यू टू बोला…फिर मेने अपने कपड़े पहनते हुए मेघना को कहा…
मे अभी बाहर जा रहा हूँ, तुम मेरे कुछ देर बाद नीचे आना, और कोई मेरे बारे में पुच्छे तो बोल देना कि मुझे पता नही, वो तो बहुत पहले ही आ गये थे नीचे…
इतना समझाकर मे अपने कपड़े पहन कर नीचे चला गया….!
मेघना की अच्छे से बजाकर, उसे कुछ बातें समझाई फिर उसे कुछ देर बाद आने का बोलकर मे नीचे आया और चुपके से सीधा छोटी चाची के घर की तरफ निकल गया…!
चाची किचन में रात का खाना बना रही थी, आँगन में रूचि के साथ अंश और आर्यन खेल रहे थे,
कुछ देर मे भी बच्चों के साथ खेला…, थोड़ी देर उनके साथ खेलने के बाद मे किचेन की तरफ बढ़ गया…
चाची स्लॅब के साथ खड़े होकर खाना बना रही थी, इस समय वो एक सॉफ्ट कपड़े की वन पीस मेक्सी में थी… जिसमें से उनके शरीर के सारे कटाव एकदम साफ-साफ दिख रहे थे…
चाची की गान्ड शुरू से ही मेरी कमज़ोरी रही है, जब वो रोटियाँ बेल्ति तो उनकी गान्ड एक रिदेम के साथ गोलाई में हिलने लगती…जिसे देख कर मेरा कुछ देर पहले ही झडा लंड फिर से सिर उठाने लगा…
मे कुछ देर चुपचाप रसोई के गेट पर खड़ा होकर उनकी हिलती गान्ड का नज़ारा लेता रहा…, फिर दबे पाँव उनके पीछे जाकर मेने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया….
मेरा आधा खड़ा लंड उनकी गान्ड की दरार में घुस गया…, अपने उपर अचानक हुए हमले से चाची हड़बड़ा गयी… और इसी चक्कर में उनकी गान्ड और पीछे को हो गयी…
जब उन्होने देखा कि ये में हूँ, और मेरा लंड उनकी गान्ड में सेट हो चुका है, तो एक मिनिट में ही चाची की आवाज़ भारी हो गयी…. और मादक स्वर में बोली…
हइई…..लल्लाआअ….तुमने तो मुझे डरा ही दिया…. छोड़ो मुझे… बच्चे आँगन में ही खेल रहे हैं, रूचि अब समझदार होती जा रही है,
ग़लती से भी इधर आ गयी.. तो वो क्या सोचेगी हमारे बारे में…!
मेने चाची की मस्त कच-कची गदर चुचिओ को अपने हाथों में भर लिया और उनके पसीने से तर बतर गले पर चूमते हुए बोला –
मे क्या करूँ चाची, आपकी गान्ड है ही ऐसी, देखते ही कंट्रोल खोने लगता है मेरा…ये कहकर मेने चाची के खरबूजों को ज़ोर से मसल दिया…
सीईईईईईईईईई…….आअहह….. आराम से… बोलकर उन्होने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पाजामे के उपर से ही अपनी मुट्ठी में कसकर मरोड़ दिया….
आईईईईईईईई….चाची…क्या करती हो…. तोड़ॉगी क्या इसे….
वो मेरी तरफ पलट गयी, आँखों में देखते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचियों को इतनी ज़ोर से दबाया तो मुझे कुछ नही हुआ..??? मुझे भी तो दर्द होता है…
ये कहकर उन्होने मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर्से दो-तीन बार आगे-पीछे करके मसल दिया…!
मेने लपक कर चाची को अपनी बाहों में भर लिया, उनके होठों को चूमकर अपनी कमर को आगे कर दिया…!
अब मेरा फुल टाइट लंड चाची की मेक्सी को दबाता हुआ उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच घुस्स गया,
अपनी चूत की फांकों पर मेरे लंड की ठोकर से चाची सिसक उठी…!
सस्सिईइ…आअहह…लल्ला मान जाओ प्लीज़, जाओ यहाँ से.., ये कहकर उन्होने अपनी हथेली मेरे सीने पर जमा दी, और धकेलते हुए मुझे किचेन के बाहर निकलने लगी…, अब जाओ यहाँ से बाद में मौका देख कर आ जाना…
मे हँसता हुआ एक बार और चाची की गदर गान्ड को मसल कर बच्चों के पास आ गया, फिर रूचि और आर्यन को लेकर घर की तरफ चला आया….!
घर में अटॅच्ड बाथ केवल मेरे ही रूम में था, निशा के उपर सारे घर के कामों की ज़िम्मेदारी थी, तो उस बेचारी को रोज़ सुबह जल्दी उतना, नित्य कर्म करके घर के कामों में लग जाना यही दिन चर्या बन चुकी थी.
भाभी की डेलिवरी को पूरा समय चल रहा था, कुछ दिन ही शेष थे, तो वो ज़्यादातर बस आराम ही करती रहती थी,
रामा दीदी के आने से निशा को कुछ काम में मदद हो गयी थी…
दूसरे दिन सुबह – 2 निशा तो नहा धोकर किचें के कामों में लग चुकी थी, दीदी भी उसकी मदद करवा रही थी…
मे भी जल्दी उठके एक्सर्साइज़ करके बाथरूम में नहा रहा था, कमरे का मेन गेट ढलका ही रखा था बस…
शरीर पर पानी डालकर मे साबुन लगा रहा था, कि तभी नहाने के लिए मेघना भी आ गयी…
बाथरूम का गेट खुला देख, वो दनदनाती हुई अंदर घुस आई…, मे मात्र एक फ्रेंची में साबुन के झाग से लिपटा हुआ खड़ा था, आँखें भी बंद ही थी…
आहट सी पाकर मेने आवाज़ भी दी… कौन ?
लेकिन कोई जबाब नही मिला, मेने सोचा कुछ वैसे ही लगा होगा…और अपना साबुन लगाने में लगा रहा….
फिर थोड़ी ही देर के बाद बाथरूम का गेट बंद होने की आवाज़ सुनाई दी, तब तक मे साबुन लगा चुका था, और अंदाज़े से शवर चलाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि अचानक से वो चालू ही हो गया….
कुछ देर तक मे पानी गिरने से साबुन सॉफ करने लगा, की तभी मेघना ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में जाकड़ लिया…
उसके नंगे बदन को अपने शरीर से चिपके होने का एहसास होते ही मे चोंक गया… मन ही मन विचार किया, कि निशा तो कब की नहा के जा चुकी है, तो ये फिर कौन है…?
बदन मेघना का भी लगभग उतना ही मांसल था, बस थोड़ी सी हाइट कम थी…
मेरी आँखें जब देखने लायक हुई, तो मेने उसके हाथों को पकड़ कर अपने आगे की तरफ किया, और जैसे वो मेरे सामने आई… मुझे एकदम झटका लगा…
मे – अरे मेघना जी आप ? प्लीज़ जाइए यहाँ से, निशा ने देख लिया तो मेरी शामत ही आ जाएगी…
उसने मेरी बात का कोई जबाब दिए बिना ही मेरे अंडर वेअर को नीचे खींच दिया.. और मेरे लंड को मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करते हुए बोली …
वो दोनो किचेन में काम कर रही हैं, हम जल्दी से एक बार कर लेते हैं…
इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया…
वो एकदम मदरजात नंगी मेरे सामने खड़ी थी, उसकी चूत की खुसबु सूंघते ही मेरा पप्पू फुल अटेन्षन में आ गया,
मेने उसकी चूत को सहला कर उसमें अपनी एक उंगली डाल दी, और अंदर बाहर करते हुए कहा – अगर ग़लती से कोई इधर आ गया तो क्या होगा..?
ससिईईई….आअहह…. कोई नही आरहा….आअहह…. अब जल्दी से अपना ये मूसल मेरी चूत में डालकर चोद दो मेरे रजाअ….
मेने उसके सिर को नीचे की तरफ दबाकर कहा – ठीक है, पहले मेरे लंड को चुस्कर तैयार तो करो….
उसने बिना समय गँवाए, फ़ौरन पंजों पर बैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी….
कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मेने उसे दीवार से सटा दिया, और थोड़ा पीछे को झुककर, पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डालकर चोदने लगा..
पानी और उसके चूटरस से गीली चूत लंड तो आराम से निगल गयी, लेकिन अपनी कराह नही रोक पाई वो…
मेने थोड़ा आराम से आधे लंड से उसको चोदना शुरू किया, और धीरे – 2 करके पूरा अंदर डालकर धक्के मारने लगा…
अब वो भी मज़े में आ चुकी थी, और मादक सिसकियों के साथ अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक पटक कर चुदने लगी…
ये मेरी जिंदगी का पहला चान्स था, जब मे किसी को बाथरूम में चोद रहा था… उपर से पानी की फुआरें और सामने एक मदमस्त गान्ड…!
बहुत मज़ा आरहा था मुझे, उसकी मस्त हिलती हुई चुचियों को देखकर मुझे और जोश चढ़ गया, मेने उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींचे,
उसका सिर ऊँटनी की तरह उपर को हो गया, गान्ड और ज़्यादा पीछे को उभर आई, मेने उसे पूरी तरह से घोड़ी बनाकर सवारी कर ली…!
उसके दोनो हाथों को पकड़ कर पीठ पर लगा दिया, धक्के लगाते हुए मेने उसके बाल पकड़ कर खींचे…!
मेघना का बुरा हाल हो रहा था, मेने आज इसकी पूरी तरह गर्मी निकालने की ठान ली, अपने तेज धक्कों से उसे चीखने पर मजबूर कर दिया…!
मेरे तेज धक्कों से वो बुरी तरह हिल रही थी.., कुछ देर में ही वो पट्ठि एक बार पानी छोड़ गयी,
फिर मेने उसे पलटा कर अपने सामने खड़ा कर लिया, और उसकी एक टाँग को उठाकर आगे से अपना खूँटा ठोक दिया..…
वो मेरे गले में अपनी बाहें डालकर, बाथरूम की दीवार से पीठ टिकाए चुदाई का मज़ा लूटने लगी…..!
अंत में हम दोनो ही एक साथ झड गये, झड़ने से पहले मेने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल कर अपने वीर्य से उसके शरीर को नहला दिया…..!
वो बुरी तरह से हान्फ्ते हुए बोली – आज तो आपने मेरी दम निकाल दी, क्या हो गया था आपको…
मेने अपने गीले लंड को उसकी चुचियों पर रगड़ते हुए कहा – मेने सोचा आज तुम्हारी सारी गर्मी निकाल ही दूं, तो बस हो गया ये.., मज़ा नही आया..?
वो मुस्करा कर मेरे लंड की मलाई को अपने बदन पर मलते हुए बोली – मज़ा तो बहुत आया.., लेकिन पूरा बदन तोड़ दिया…!
फिर हम दोनो एक साथ नहाए, मेने उसकी चुचियों पर साबुन मलते हुए कहा – तुमें बुरा ना लगे तो एक बात पुछू मेघना..!
वो मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर साबुन मलते हुए बोली – मे जानती हूँ आप क्या पूच्छने वाले हो..? यही ना कि मे वर्जिन क्यों नही थी…!
मेने अपने हाथों में उसकी मोटी गान्ड कसते हुए कहा – बड़ी तेज हो तुम तो, मेरे पूच्छने से पहले ही जान लिया,
मेघना – दरअसल हॉस्टिल में रूम मेट के साथ लेज़्बीयन करते करते एक बार वो इतनी एक्शिटेड हो गयी कि साली ने अपनी चूत में डालने के लिए जो मोटी वाली मोमबत्ती रखती थी वही मेरी कुँवारी चूत में डाल दी..!
बहुत दर्द हुआ मुझे उस टाइम, पूरी मोमबत्ती खून से लाल हो गयी थी, गुस्से में मेने उसे दो थप्पड़ भी लगा दिए थे…
उसने मुझे सॉरी कहा, मेने सोचा इसमें अकेले इस बेचारी की भी ग़लती नही है, मे भी तो एक्शिटेड हो गयी थी.. सो मेने उसे फिरसे अपने बदन से चिपका लिया…
उस दिन के बाद से जब ज़्यादा मन करता है तो कई बार अपनी उंगली भी डाल लेती हूँ…!
मेने उसके होठ चुस्कर कहा – इतना तो चलता है हॉस्टिल लाइफ में, दोस्तो के साथ रहकर..,
कुछ देर और हम एक दूसरे के अंगों के साथ छेड़-छाड़ करते रहे, फिर नहा-धोकर कपड़े पहने और किचन में आकर एक साथ नाश्ता लिया…!
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आज कृष्णा भैया और प्राची की शादी थी, सुबह से ही हम सब तैयारियों में जुट गये, और ज़रूरत का समान लेकर सारे परिवार के साथ शहर की तरफ रवाना हो गये…
वहाँ हमने एक गेस्ट हाउस बुक कर लिया था, जिसमें प्राची की फॅमिली भी आ चुकी थी…
शादी थी तो सादे तरीके की, लेकिन भैया के स्टाफ के लोग जिनमें नये कमिशनर से लेकर इनस्पेक्टर रंक तक के सभी ऑफिसर्स शामिल हुए…
जस्टीस ढीनगरा समेत मेरे कुछ क्लाइंट और पहचान वाले भी थे..
खाने पीने की अच्छी व्यवस्था की थी मेने, मेहमान लोग खा-पीकर चले गये, उसके बाद देर रात तक सारे रीति रिवाजों के साथ दोनो की शादी सम्पन हुई…!
वर-बधू एक दूसरे के साथ बंधन में बँध कर बेहद खुश थे…!
लाख सुविधाओं के बावजूद, शादी की गहमा-गहमी और भागदौड़ के चलते… भाभी के दर्द शुरू हो गये, लेकिन वो बड़ी जीवट जिगर वाली निकली.
शादी के दौरान कोई व्यवधान पैदा हो, इसलिए वो अपने दर्द को अंदर समेटे रही, जबतक कि सारे काम अच्छे से निपट नही गये…
लेकिन सुबह होते-होते उनकी हिम्मत जबाब दे गयी…
आनन फानन में उन्हें डॉक्टर. वीना के हॉस्पिटल में भरती कराया, जहाँ उसने सब कुछ अच्छे से संभाल लिया.
हमें भाभी को हॉस्पिटल में भरती किए दो घंटे ही हुए थे, कि भाभी ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया…
सभी की खुशी का ठिकाना नही था, एक के बाद दूसरी खुशी देख कर बाबूजी और बड़े भैया खुशी से नाचने लगे…!
मौका देखकर मे भाभी के पास चला गया, और उन्हें मुबारकवाद दी…
उनकी आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े और मुझे अपने पास बैठने का इशारा किया..
मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उन्होने चूम लिया और धीरे से बोली – तुमें भी एक और बेटा मुबारक हो देवर्जी…
मेने आश्चर्य से भाभी की तरफ देखकर पुछा – आज ये देवेर जी.. किसलिए भाभी, मे तो आपका लल्ला ही ठीक हूँ…
वो थोड़ी स्माइल के साथ बोली – तुम मेरे बेटे के बाप भी तो हो, तो इतनी इज़्ज़त तो बनती है ना देवर्जी….
मेने मुँह फूलकर कहा – नही भाभी, मे तो आपका लल्ला ही रहूँगा, आइन्दा अगर आपने मुझे देवर जी कहा तो मे आपसे कभी बात नही करूँगा…हां..!
मेरी आक्टिंग देखकर भाभी खुल कर हंस पड़ी, और लेटे-लेटे ही अपना हाथ लंबा करके मेरा कान पकड़ लिया और उसे खींचते हुए बोली…
ठीक है लल्ला, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…. मेरे लाड़ले देवर… थोड़ा नीचे झुको तो..
फिर मुझे अपने उपर झुका कर मेरा माथा चूम लिया… मेने भी भाभी के गाल पर एक चुंबन लिया, और अपने नवजात बेटे के माथे को चूमा…
डेलिवरी भी नॉर्मल ही हुई, कोई ज़्यादा कॉंप्लिकसी वाली बात पैदा नही हुई थी…
चाचियों ने मिलकर सब कुछ अच्छे से संभाल लिया था… फिर उसी दिन शाम को छोटी चाची और मेरे परिवार के सदस्यों को छोड़कर वाकी के लोग गाओं लौट गये…
प्राची के पैर घर के लिए शुभ साबित हुए, सबने उसे सर आँखों पर बिठा लिया, इस मौके पर प्राची की माँ और छोटा भाई संजू भी मौजूद थे…
इतने मिलनसार परिवार में अपनी बेटी को देखकर वो बेहद खुश थी…प्राची और उसकी माँ ने अपने पिता से अभी तक कोई वास्ता नही रखा था.
दो दिन बाद भाभी को हॉस्पिटल से डिसचार्ज मिल गया, तो उन्हें हम लोग घर ले आए, साथ में मन्झ्ले भैया और प्राची जो अब मेरी भाभी थी, वो भी थे.
घर में हर्षो-उल्लास का माहौल व्याप्त था…रूचि को अपने छोटे भाई के रूप में एक खिलोना मिल गया, वो बहुत खुश थी…
शादी में शामिल होने लोकेश जीजा जी भी आए थे, लेकिन वो हमारे हॉस्पिटल से आने से पहले ही मेघना को साथ लेकर देल्ही वापिस लौट गये, रामा दीदी कुछ दिनो के लिए रुक गयी…!
निशा बेचारी पर काम का और बोझ बढ़ गया था, लेकिन अच्छे संस्कार वाली प्राची ने भैया से ज़िद करके घर पर रहने का फ़ैसला किया और जल्दी ही वो घर के कामों में निशा का हाथ बांटने लगी.
उन दोनो की मदद के लिए घर काम के लिए एक मैड को भी रख लिया था, वो घर के बाहरी कामों को निपटा लेती थी…
कहने को तो निशा प्राची की देवरानी थी, लेकिन उमरा में वो उससे बड़ी थी, सो प्राची उसको दीदी ही बोलती थी…
तीनों देवरानी- जेठनियाँ आपस में सग़ी बहनों की तरह रहने लगी, जिससे घर में सुख शांति का साम्राज्य कायम था…..!
कुछेक महीने में ही भाभी ने घर की कमान फिरसे अपने हाथ में ले ली… और एक ज़िम्मेदार गृहणी के साथ साथ गाओं के सार्पंची के काम भी संभालने लगी…..!
कृष्णा भैया भी अब हर हफ्ते या बीच में क्षेत्र के दौरे के बहाने घर आ जाते थे, मेरा तो लगभग रोज़ का आना जाना रहता था, सिवाय किसी अर्जेंट काम के.
लेकिन उनके एसएसपी जैसे ज़िम्मेदार पद पर रहते हुए ज़्यादा दिन ये संभव नही था… तो हम सबने समझा बूझकर प्राची को शहर में ही रहने पर राज़ी कर लिया…
क्योंकि भैया को संभालने के साथ-साथ अभी वो अपना ग्रॅजुयेशन भी कर रही थी…,
वो इस शर्त पर शहर जाने को राज़ी हुई कि उसका जब मन होगा वो गाओं आ जाया करेगी…!
मेने और प्राची ने एक अच्छे दोस्त के नाते, अपने पुराने संबंधों को भूल कर इस नये रिस्ते को सम्मान देते हुए देवेर भाभी के रिस्ते को दिल से अपना लिया…!
प्राची की माँ मधुमिता जी और उनका बेटा संजू मेरे वाले फ्लॅट में रहते थे, जिसका पता अभी तक घर में किसी को भी नही था, वो सब यही समझते थे कि ये घर प्राची का ही है…
मधुमिता जी 42 साल की एक एवरेज सी अधेड़ महिला थी, अपने पति की कम आमदनी उसी में तीनों बच्चों के साथ खर्चे को मेनटेन करके चलना इस सबके चलते अब तक का उनका जीवन बड़ा तंगी में बीता था…
रेखा के शूसाइड के बाद से तो पिच्छले 6 महीनों से उन्होने अपने पति से भी कोई वास्ता नही रखा था, और खुद ही एक रेडीमेड गारमेंट की छोटी सी फॅक्टरी में काम करके घर चला रही थी…!
कामकाजी महिला होने की वजह से उनके शरीर में अभी तक कहीं एक्सट्रा चर्बी नही थी, सिवाय थोड़े चेहरे के वो कहीं से भी 32-35 से ज़्यादा नही लगती थी…
जिस उमर में एक स्त्री को भरपूर रति-सुख चाहिए होता है, उस उमर में उन्हें अपने पति का साथ छोड़ना पड़ा था, इस वजह से वो कुछ बुझी-बुझी सी रहने लगी थी…
प्राची की शादी के बाद अब उनकी ज़िम्मेदारी कुछ कम हो गयी थी, कुल मिलाकर माँ-बेटे खुश थे संजू भी अब अच्छे से पढ़ रहा था…!
मेरे फ्लॅट में आकर थोड़ा अच्छा रहना, अच्छे ख़ान पान की वजह से उनके चेहरे की झुर्रियाँ जो मूषिबतों के कारण आ गयी थी, वो ख़तम होने लगी, और चेहरे की रौनक लौटने लगी थी…
फ्लॅट काफ़ी बड़ा था 3बीएचके का जिसमें मेने अपने लिए एक रूम सेपरेट रखा था, जब कभी भी रुकना होता, तो यूज़ कर लेता था…!
ऐसे ही एक दिन मुझे शहर में रुकना पड़ा, रात का खाना पीना हम तीनों ने मिलकर खाया, कुछ देर मे और संजू साथ बैठकर हॉल में टीवी देखते रहे तब तक उसकी मम्मी ने किचन का काम ख़तम कर लिया…
फिर एक-एक ग्लास दूध पीकर सोने चले गये…
मेरी आदत है, रात को अंडरवेर निकाल कर अकेला शॉर्ट पहन कर ही सोता था, दूसरे दिन सुबह उठने में थोड़ी देर हो गयी….
मधु आंटी संजू को कॉलेज भेजकर जल्दी ही अपने काम पर भी निकलना होता था, सो उन्होने अपने समय पर उठ कर संजू के लिए नाश्ता तैयार किया, तब तक मे सोया हुआ ही था…
उसे कॉलेज के लिए विदा करके उन्होने चाय बनाई, और उसे लेकर मेरे रूम में आ गयी…,
आदत्नुसार मे कभी गेट लॉक करके नही सोता हूँ, सो वो अंदर ही चली आई, अब सुबह सुबह का एरॅक्षन, कुछ तो मूत लगने की वजह से और कुछ हसीन सपनों का आगमन,
मेरा लॉडा फुल मस्ती में खड़ा था, बिना अंडरवेर के उसने शॉर्ट के सॉफ्ट से कपड़े को उठाकर जबदस्त तंबू बनाके रखा हुआ था…!
कमरे में कदम रखते ही उनकी नज़र मेरे तंबू पर पड़ी, उसके आकर से ही उन्होने मेरे लंड का जियोगॅफिया अच्छे से पढ़ लिया, मेरे तंबू को देखकर उनकी आँखें फैल गयी…!
6 महीने से अधिक समय से अपने पति से अलग रह रही मधु आंटी की सोई हुई काम इच्छाएँ झंझणा उठी, वो अपने मुँह पर हाथ रखे टक टॅकी लगाए उसे देखने लगी…!
ना जाने मेरे सपने में क्या चल रहा था, जिसकी वजह से वो बीच-बीच में हल्के-हल्के झटके भी मार देता था…, उसकी ये हरकत देखकर वो मन ही मन मुस्करा उठी……!
फिर शायद उनके मन में रिश्तों की दीवार आड़े आ गयी, अपनी बेटी के देवर के प्रति अपने मन में ऐसे विचार आना उन्हें अच्छा नही लगा और वो अपना मन मसोस कर चाय का प्याला लिए वहाँ से लौटने लगी…!
लौटते हुए भी उनके मन की इच्छा ने उन्हें उसपर नज़र डालने पर एक बार फिरसे विवश कर दिया, और तभी मेरे लंड ने एक जोरदार झटका दिया…!
लंड के झटके ने उनके पैरों में जंजीर डाल दी, उनके बाहर को बढ़ते कदम ठिठक गये..,
इतने दिनो से सोई हुई मुनिया के बंद होठ फड़-फडा उठे…, और ना चाहते हुए भी उनके कदम मेरे बेड की तरफ बढ़ गये….!
लंड के झटके ने उनके पैरों में जंजीर डाल दी, उनके बाहर को बढ़ते कदम ठिठक गये..,
इतने दिनो से सोई हुई मुनिया के बंद होठ फड़-फडा उठे…, और ना चाहते हुए भी उनके कदम मेरे बेड की तरफ बढ़ गये….!
उन्होने चाय का कप साइड टेबल पर रख दिया, और धीरे से बेड पर मेरे पास आकर बैठ गयी…!
वो बड़े गौर से मेरे लंड की हरकतें देख रही थी, उनकी इतने दिनो से सोई हुई काम वासना जागने लगी, मेरे लंड को अपनी प्यासी चूत में लेने की कल्पना मात्र से ही उनकी चूत गीली हो गयी…!
चूत के गीले पन के एहसास से अनायास ही उनका एक हाथ अपनी जांघों के बीच चला गया…,
वो मेरे लंड के उभार और उसकी बीच-बीच में हो रही नॉटी हरकतें देख-देख कर अपनी चूत को गाउन के उपर से ही सहलाने लगी…!
मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर देखने की उनके मन में तीव्र इच्छा हो रही थी फिर भी एक लोक लाज के कारण चाहकर भी वो ऐसा नही कर पा रही थी, लेकिन वासना का क्या करें जो निरंतर बढ़ती जा रही थी…
जब वो किसी के सिर पर चढ़ने लगती है तो इंसान की सोचने समझने की शक्ति खोने लगती है, ऐसा ही कुछ उनके साथ भी हो रहा था…
वो लाख कोशिश कर रही थी कि यहाँ से चली जाए, ये ठीक नही है, अपनी बेटी के देवर के बारे में ये सब सोचना उचित नही है, लेकिन वासना के वशीभूत उनका मंन मेरे लौडे को हाथ में लेकर सहलाने के लिए उकसा रहा था…!
जब उनसे नही रहा गया, तो एक बार गौर से उन्होने मेरे चेहरे पर नज़र डाली, जहाँ उन्हें एक गहरी नींद में सोए हुए इंसान के भाव ही नज़र आए…!
पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद की मे गहरी नींद में ही हूँ, उन्होने धीरे से मेरे तंबू पर अपना हाथ रखा…!
हाथ लगते ही वो ठुमक उठा, उन्होने डर कर अपना हाथ अलग हटा लिया, और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी, लेकिन वहाँ उन्हें ऐसा कुछ नही दिखा जिससे ये लगे कि मे नींद में नही हूँ…!
उनके चेहरे पर घबराहट के बबजूद स्माइल आ गयी, अपने निचले होठ को दाँतों में दबाकर बड़े सेक्सी अंदाज में बुदबुदाई, तो शैतान नींद में ही उच्छल-कूद कर रहा है…
जब इसका सोते हुए ये हाल है, लेकिन जब निशा की चूत में जाता होगा तो कैसी तबाही मचाता होगा…,
सच में निशा बड़ी भाग्यशाली है, जिसे ऐसा लंड लेना नसीब में है..!
हाए राम, अपनी बेटी समान लड़की के लिए ये मे क्या सोच रही हूँ, ये मुझे क्या होता जा रहा है..?
मुझे अब यहाँ से चले जाना चाहिए वरना कुछ ग़लत हो गया तो ये मेरे बारे में ना जाने क्या सोचेंगे..?
इसी असमनजस की स्थिति में वो बेड से खड़ी हो गयी, और एक बार अपनी लार टपका रही चूत को अपने गाउन से पोन्छ्ते हुए उन्होने मेरे कंधे पर हाथ रख कर जगाया…!
लेकिन बीते दिनो ज़्यादा व्यस्तता रहने की वजह से मे ठीक से सो भी नही पा रहा था, इसलिए बिना कोई अलार्म लगाए आज चैन की नींद ले रहा था, उनके एक बार जगाने से मेरे उपर कोई फ़र्क नही पड़ा…!
वो फिरसे बेड पर बैठ गयी, और धीरे से मुझे आवाज़ देकर कंधे से हिलाया तो मे थोड़ा सा कुन्मूनाकर उनकी तरफ करवट लेकर फिर सो गया…!
दीवार से पीठ टिकाए निशा लंबी-लंबी साँसें भरने लगी, चुदाई की खुमारी उसके उपर हावी हो चुकी थी…
मेने उसकी एक जाँघ के नीचे हाथ ले जाकर उसे उपर उठाया, और खड़े-खड़े ही अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया…
ससिईईईई……..आआअहह……राजीईई….धीरे….मेरे सैंय्ाआ…बहुत जालिम हो……कहीं भी कैसे भी पेल देते हो…
उसकी सेक्सी बातों ने मुझ पर जबरदस्त असर किया, और मेने एक और झटका देकर पूरा लंड उसकी सुरंग में डाल दिया…
निशा के मुँह से एक मीठी सी आहह………निकल गयी… फिर उसने अपनी उस टाँग को मेरी कमर में लपेट लिया….
मुझे ऐसे खड़े-2 चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था, निशा भी भरपूर साथ दे रही थी….
जब धक्कों की गति और तेज हो गयी.. तो निशा का खड़ा रहना मुश्किल होने लगा, और सिसक कर बोली---
आहह…..जानू, मुझे पलंग पर ले चलो, खड़ा होना मुश्किल हो रहा है…
उसकी बात सुनते ही मेने उसकी दूसरी टाँग भी उठा कर अपनी कमर पर रखली और अपने धक्के जारी रखे…
निशा की बाहें मेरे गले में लिपटी हुई थी, टाँगें कमर के इर्द गिर्द थी, पीठ दीवार से टिकाए वो मस्ती में चूर मेरे ताबड़तोड़ धक्कों का मज़ा ले रही थी………
आअहह….सस्स्सिईइ…हाईए…रामम्म…बहुत मज़ा आरहाआ…मेरे रजाअजीी…, हम बीच-बीच में स्मूच करते हुए चुदाई का मज़ा लूट रहे थे…
तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई गेट पर है और हमारे गरमा-गरम शो का मज़ा लूट रहा है…,
अपने तबाद-तोड़ धक्के जारी रखते हुए मेने जैसे ही गाते की तरफ देखा………!
वहाँ मुझे दरवाजे में हल्का सा गॅप दिखा, जिसमें से मेघना की एक झलक दिखाई दी,
जैसे ही मेने उसे देखा, वो झट से दरवाजे की ओट में हो गयी… मुझे पता था, कि वो गयी नही है, और हमारी चुदाई देख रही है…
मेने ऐसा जाहिर किया जैसे मेने उसे देखा ही नही, और अपना काम जारी रखा…
वो हमें देख रही है, यही एहसास मुझे और ज़्यादा उत्तेजित करने लगा, और मेरे धक्कों की रफ़्तार और ज़्यादा बढ़ गयी…
मे जैसे ही धक्का लगता… निशा पूरी तरह उच्छल जाती, और उसके मुँह से मादक कराह निकल पड़ती….
आज आपको क्या हो गया है, राजे…. मेरी कमर ही चटखा डी…आईईईई….माआ.. आहह….हाईए….राजा.. धीरी…प्लीज़….बस करो..उईई…माआ….में तो गाइिईईईईईईई…रीई…. निशा के पैर मेरी कमर से कसने लगे…
किसी छिप्कलि की तरह वो मेरे सीने से चिपक कर झड़ने लगी…
कुछ देर यौंही चिपके रहने के बाद मेने उसके होठ चूम लिए. फिर उसे नीचे उतार कर पलटा दिया…
अब उसका मुँह दीवार की तरफ था, उसके हाथ दीवार से टिका कर थोड़ा झुकने को कहा… वो जैसे ही थोड़ा झुक कर खड़ी हुई….
मेने गेट की तरफ तिर्छि नज़र डाली, मुझे मेघना की आँखें दिखाई दे गयी…उसे अनदेखा करते हुए, मेने अपना मुँह निशा की गान्ड में डाल दिया…
उसकी गान्ड के छोटे से भूरे रंग के छेद को जीभ से कुरेद कर चूत के निचले भाग को नोक से चाट लिया…
निशा एक बार फिरसे गरम होने लगी, और अपनी गान्ड को और पीछे को उभार दिया…
नीचे मेरा मूसल, सीधा 120 डिग्री के आंगल पर लहरा रहा था, जिसपर मेघना नज़र गढ़ाए हुए टक-टॅकी लगा कर देख रही थी…
सही मौका ताड़ मेने अपने मूसल को हाथ में लिया, उसे मेघना को दिखाकर दो-तीन बार मसला, उसे दरवाजे की तरफ करके मुठियाने लगा…
मेरा उद्देश्य मेघना को हद से ज़्यादा गरम करने का था, जिसमें कामयाबी मिलती दिख रही थी…
उसका हाथ पैंटी के अंदर जाता हुआ साफ दिखाई दे गया…
मेने निशा की गान्ड को थपथपाया, और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया…
दीवार की आड़ लेकर खड़ी मेघना, हमारी चुदाई का सीन देख कर इतनी गरम हो गयी, कि अपने होठों पर जीभ फिराती हुई, अपनी चूत को मसल्ने लगी…!
मेने निशा की गान्ड पर थप्पड़ मारते हुए कहा – आअहह…निशा रानी क्या मस्त गान्ड है तेरी, किसी दिन इसको तो मे फाड़ के रख दूँगा…!
तभी मेघना का एक हाथ अपनी गान्ड पर चला गया और वो उसे सहलाते हुए अपनी चूत में उंगली करने लगी…!
मेरे धक्कों ने निशा को हिलाकर रख दिया, उधर मेघना अपने पंजों पर खड़ी दे दानंदन अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी…
हम तीनों ही अपने चरम की तरफ बढ़ते जा रहे थे… कमरे के अंदर और बाहर मादक सिसकियाँ माहौल को और मादक बना रही थी…
आख़िरकार… एक साथ तीन तीन आहें वातावरण में गूँज उठी… और जोरदार आहें भरते हुए तीनों ही एक साथ झड़ने लगे….!
निशा पलट कर मेरे सीने से लिपट गयी… मे दरवाजे की तरफ मुँह करके प्यार से उसकी गान्ड सहलाए जा रहा था…
मेघना अपने कमरस से गीले हाथ को अपनी पैंटी से पोन्छ्ते हुए उसे उपर चढ़ा रही थी…
मेघना अपने कमरस से गीले हाथ को अपनी पैंटी से पोन्छ्ते हुए उसे उपर चढ़ा रही थी…
कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेघना वहाँ से जा चुकी है, तो मेने निशा को अपने से अलग किया… वो अपनी मुस्कुराती आँखों से मुझे देखने लगी..
मे – क्या हुआ मेरी जान ? ऐसे क्या देख रही है…?
मेरे होठों को चूमते हुए वो बोली – मे कितनी किस्मत वाली हूँ, जो मुझे आप जैसा जीवन साथी मिला है…कहकर वो फिरसे मुझसे लिपट गयी…,
मेने उसकी गान्ड में उंगली करते हुए कहा – और मन है क्या…?
वो फ़ौरन मेरे से दूर हो गयी और हँसते हुए बोली – ना बाबा ना ! इसके अलावा मेरे पास और बहुत काम है करने को..,
आपका क्या, आप तो यही चाहते हैं कि हर समय ये मूसल मेरी चूत में ही पड़ा रहे…,
ये कहकर वो खिल-खिलाकर हँसते हुए अपने कपड़े निकालने लगी…, और फिर बाथ रूम में घुस गयी, मे अपने काम में फिरसे लग गया…!
शाम को दिन ढले, मे टारेस पर जाकर अपनी एक्सर्साइज़ करने लगा, निशा और रामा दीदी किचेन में रात के खाने के इंतेज़ाम में व्यस्त थी,..
मे रूचि को अपनी पीठ पर बिठाकर पुश-अप कर रहा था, मेघना ना जाने कब से आकर हमें देख रही थी…रूचि अपने दोनो टाँगें मेरे बाजू से लटकाए मेरी कमर पर बैठी गिनती बोलती जा रही थी…
जब मे पूरी तरह थ्क गया, और पेट के बल ही लेटा रह गया, तो रूचि मेरी पीठ पर बैठे -2 ही बोली - क्या हुआ चाचू, थक गये… आजकल आप जल्दी थक जाते हो…
मे – क्या बात कर रही है, पूरे कर तो दिए…
रूचि – हां ! कर तो दिए, पर ऐसे पड़े तो कभी नही रहे ना !
मे – हां ! बेटा सो तो है, अब आजकल कुछ काम ज़्यादा रहता है ना इसलिए…
फिर मेने उसे अपने उपर से उठने के लिए कहा, और खुद भी खड़ा होकर मेने जीने की तरफ मुँह किया तो सामने मेघना को खड़े देख कर बोला…
अरे मेघना जी आप ! कब आईं, आइए ना… प्लीज़…फिर मेने रूचि को कहा – बेटा नीचे जाकर मौसी से मेरा जूस तो ले आ…. रूचि भागते हुए नीचे चली गयी…
मेघना धीरे- 2 चलती हुई मेरे पास आकर बोली – बहुत देर से देख रही हूँ आपको… काफ़ी स्ट्रॉंग हैं आप, सच में.. इतनी बड़ी रूचि को उपर बिठाकर पुश-अप कर रहे थे….
फिर वो मेरी बॉडी को निहारने लगी, और अपने हाथ से दबा दबाकर देखने लगी…
वाउ ! एकदम पत्थर जैसा शरीर है आपका, फिर मेरे मसल्स को दबा दबाकर देखती रही…
हम दोनो आमने सामने खड़े, बातें कर रहे थे, दोनो के बीच बस कोई एक फीट का ही फासला रहा होगा.
तभी आर्यन और उसके पीछे अंश भागते हुए आए, और उसी तेज़ी में आर्यन अंश से बचने के लिए अपनी बुआ यानी मेघना से आ लिपटा, झोंक में वो मेरे सीने से आ लगी…
मे छत की बाउंड्री की तरफ खड़ा था, सो मेरी कमर बाउंड्री से सॅट गयी, तो मे और पीछे नही हट सकता था… नतीजा, मेघना का पूरा शरीर मेरे शरीर पर छा गया…
उसकी मौसमी साइज़ की चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी, और मेरा लंड उसकी चूत के उपरी भाग से सॅट गया…
हड़बड़ाहट में उसने अपनी बाजू मेरी पीठ में लपेट दी, और मेरे हाथ उसकी गान्ड की गोलाईयों को नापने लगे…
बच्चे तो फिरसे भागते हुए नीचे चले गये, लेकिन हम दोनो यौंही खड़े रह गये… दोनो की नज़रें एक दूसरे में खो गयी,
और होठ भी धीरे-2 एक दूसरे से जुड़ने के लिए वाकी बची मंज़िल को तय करते हुए सटने के लिए पास होते चले गये…
इससे पहले कि हम दोनो के होठ एक दूसरे से जुड़ते, कि तभी रूचि की आवाज़ सुनाई दी…
हम फ़ौरन एक दूसरे से अलग हो गये, वो तो अच्छा था, कि उसने दो सीढ़ी नीचे से ही आवाज़ लगाई… चाचू ! ये लो अपना जूस…
वो मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी, मेने रूचि से जूस लेकर मेघना की तरफ बढ़ा दिया… लेकिन उसने मना कर दिया, तो मेने भी ज़्यादा फोर्स नही किया, और एक ही साँस में पूरा एपल जूस का ग्लास खाली कर दिया…!
खाली ग्लास लेकर रूचि नीचे चली गयी, और हम दोनो फिर एक बार अकेले छत पर रह गये…..!
मेने मेघना के चेहरे की तरफ देखा, उसके होठ थर थरा रहे थे, मानो कुछ कहना चाहते हो, लेकिन संकोच वस कुछ कह नही पा रही थी…
आज सुबह से ही वो कई मौकों पर इतनी चुदासी हो चुकी थी, पता नही अपने आपको कैसे संभाले हुई थी अब तक…
जबकि एक बार तो लंड उसकी चूत के दरवाजे पर दुस्तक भी दे चुका था…और दूसरी बार उसने चुदाई का लाइव शो भी देख लिया था…
अभी थोड़ी देर पहले हुए अनायास इन्सिडेंट की वजह से उसका चेहरा अभी तक लाल हो रहा था…नज़रें ज़मीन में गढ़ाए वो पता नही किस सोच में डूबी थी…
फिर मेने जैसे ही उसके हाथ अपने हाथों लिए, मेरे हाथों के स्पर्श होते ही वो अपना आपा खो बैठी, और तड़प कर मेरे बदन से लिपट कर मेरे होठों को चूम लिया…….!
शाम का धूंधलका गहराता जा रहा था, गाओं में वैसे भी जल्दी ही रात जैसी घिरने लगती है, मेघना मेरे बदन से सटी हुई खड़ी मेरी आँखों में झाँक रही थी…,
मेने उसके कुल्हों को सहला कर पुछा - क्या हुआ मेघना जी… आप कुछ परेशान सी लग रही हैं…
उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी, और अपनी मुनिया को मेरे जंग बहादुर से सटाते हुए बोली - मुझे और मत तडपाओ अंकुश जी,
प्लीज़ जल्दी से कुछ करो, वरना कहीं में पागल ना हो जाउ… वो तड़प कर बोली.
मे – आप ही बताइए ऐसा मे क्या करूँ..जिससे आपकी परेशानी दूर हो सके….?
मेरी बात सुनकर वो कुछ मायूस सी दिखने लगी… शायद वो समझ नही पा रही थी कि मे उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा हूँ,
क्या मे उसकी इच्छा को समझ नही पा रहा या जानबूझ कर ऐसा कर रहा हूँ…
फिर वो सारी शर्मोहया ताक पर रख कर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली-
आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं..? लगता है, अभी तक आपने मुझे माफ़ नही किया है, जबकि मे अपने ग़लत व्यवहार के लिए माफी माँग चुकी हूँ..
मे – मे तो उन बातों को कब का भुला चुका हूँ… फिर इसमें माफी का तो कोई सवाल ही नही उठता…
वो – तो फिर आप मुझे इग्नोर क्यों कर रहे है, प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दीजिए… मे बहुत प्यासी हूँ…!
मे – देखिए मेघना जी ! मे ठहरा ठेठ गँवार आदमी, आप क्या चाहती हैं मे कैसे जानू… आप सीधे सीधे कहिए ना, आपको मेरे से क्या चाहिए…?
मेने ठान लिया था कि जब तक ये बिगड़ी घोड़ी मेरा लंड लेने के लिए खुलकर अपने मुँह से चोदने के लिए नही कहेगी, तब तक मे उसे नही चोदने वाला…
मेरी बात सुनते ही, उसने मेरे उपर हमला बोल दिया, और अपने दाँतों से मेरे होठों को लगभग कुचल ही डाला… मेने भी उसके सर को पकड़ कर अपनी जीभ उसके मुँह में ठेल दी....
दो मिनिट तक हम एक दूसरे के साथ यूँही चूमा चाटी करते रहे… फिर उसने झटके से अपना सिर पीछे किया, उसकी साँसें ढोँकनी की तरह चल रही थी, चेहरा और आँखें वासना की आग में जलने लगी…
प्लीज़ अंकुश नाउ फक मी….चोदो मुझे…ये कहकर उसने मेरे लंड को ही पकड़ लिया और उसे ज़ोर्से दबाते हुए बोली… आइ वॉंट युवर कॉक इनसाइड माइ पुसी!
मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी…, उसे थोड़ा और छेड़ते हुए बोला – मे देसी आदमी हूँ मेघना, हिन्दी में कहो क्या करवाना चाहती हो तुम मेरे से…
वो – ओहूओ…. , कम ऑन अब इतने भी अनपढ़ की तरह बिहेव मत करो, अब जल्दी से अपना ये लंड मेरी चूत में डालकर मुझे चोद दो मेरे रजाअ….,
मेरी चूत बहुत फुदाक रही है इसे लेने को.., इसे डालकर इसकी खुजली मिटा दो प्लीज़…
उसकी खुले शब्दों में चुदने की बात सुन कर मेने उसे अपनी गोद में उठा लिया.. और फर्स्ट फ्लोर पर बने एक कमरे में ले गया, जो अक्सर खाली ही रहता था मेहमानों के लिए…, यहाँ किसी के आने के चान्स भी नही थे..
उसे पलंग पर लिटाया और खुद उसके उपर आकर पसर गया...!
उसके पके आमों जैसी गोल-गोल भरी हुई चुचियों को मसलते हुए उसके होठों को चूसने लगा….
वो अपनी एडियों को आपस में जोड़ कर रगड़ने लगी…., फिर मेने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर जैसे ही उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर मसला….
वो गुउुन्न्ं…2 करके अपनी कमर को उचकाने लगी… उसकी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी, जिस वजह से उसकी स्लेकक..पैंटी समेत आगे से पूरी गीली हो गयी…
मेने जैसे ही उसके होठों को आज़ाद किया… वो सिसकते हुए बोली…
ससिईईई….आअहह जालिम…अब और ना तडपाओ…. डाल दो अपना लंड मेरी चूत में…, फाड़ दे इसे राजा…, बना ले अपनी रंडी मुझे….!
उसका उतबाला पन देख कर मेरे चेहरे पर स्माइल आ गयी, और फटाफट उसके सारे कपड़े नोंच डाले…
खुद भी अपने कपड़े निकाल मेने उसकी गीली चूत को एक बार चूम लिया… और हाथ से सहला कर अपने लंड को उसकी भीगी हुई चूत के मुँह पर रख कर उपर से नीचे घिसने लगा……!
वो अपनी अंगारे बरसाती आँखों से मुझे घूरती हुई बोली – भेन्चोद, साले और कितना धार लगाएगा इसमें, जल्दी डाल ना मदर्चोद….!
मेने मुस्काराकर उसकी तरफ देखा, और उसकी मोटी-मोटी चुचियों पर थप्पड़ लगाते हुए कहा – साली कितनी आग लगी है तेरी चूत में कुतिया…
मादरचोद गाली देती है साली रंडी, अब देख मे कैसे तेरी माँ चोदता हूँ.., ये कहकर मेने अपने गरम टमाटर जैसे सुपाडे को उक्की चूत में दबा दिया….!
वो सिसकते हुए बोली – सस्सिईइ…आअहह… भडुवे पहले मुझे तो चोद, मेरी माँ को बाद में देखना…, ये कहते हुए उसने अपनी कमर को उचका दिया..
मेरा सुपाडा आराम से उसकी चूत में समा गया था…, इसका मतलब था कि वो पहले भी लंड खा चुकी है…!
मेघना के कमर उचकाते ही मेने भी उपर से एक धक्का दे दिया…., मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड उसकी चूत में सरक गया…
उसके मुँह से एक दबी-2 सी कराह निकल गयी… उसने अपने होंठ कस कर भींच लिए…
भले ही वो पहले चुद चुकी थी, लेकिन फिर भी मेरा लंड उसकी चूत में बुरी तरफ से कस गया था…
मेने उसे पुछा…. मेघना ! तुम्हें दर्द तो नही हो रहा…?
उसने अपनी गर्दन हां में हिलाई, मेने कहा – तो फिर क्या करूँ..? निकाल लूँ…इसे बाहर….
नही … बिल्कुल नही… जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा किया तो…, बड़ी मुश्किल से हाथ आए हो.. मेरे दर्द की चिंता मत करो… प्लीज़ गो अहेड….वो कराहते हुए बोली.
ऐज यू विश… इतना कहकर मेने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर को खींचा, और एक जोरदार धक्का अपनी कमर में लगा दिया….
एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में फिट हो गया, लेकिन इस बार उसकी चीख होठों की सीमा तोड़कर बाहर निकल गयी…
कुछ देर मे उसकी चुचियों को मसलता रहा…, उसकी गोल-गोल चुचियों को हाथों में लेकर दबा दिया, जिससे उसके निपल मटर के दाने जितने उभर कर कड़क हो गये, एक को अपने मुँह में लेकर काट लिया…,
वो अपनी चूत का दर्द भूलकर कमर उचकाने लगी…सस्सिईइ…आआहह…काटो मत…, चोदो अब…,
मेने अपने धक्के लगाना शुरू कर दिए… अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी…!
बहुत देर तक हमारी चुदाई धुँआधार तरीके से चलती रही, इस दौरान वो एक बार झड चुकी थी… ये मेने अच्छी तरह से महसूस किया, लेकिन उसने अपनी तरफ से जाहिर नही होने दिया…
वो लगातार मादक कराहें भरती हुई मुझे उकसाती रही…,
कुछ देर बाद मेने उसे एक करवट से कर दिया, एक टाँग उठाकर उसके पिच्छवाड़े से अपना रोड जैसा सख़्त लंड उसकी चूत में पेल दिया…!
इस पोज़िशन में मेरा पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत की थाह लेने लगा…, गहरी चुदाई से उसकी चूत बुरी तरह से कामरस छोड़ने लगी…!
मेरे ताबड-तोड़ धक्कों ने उसे हिलाकर रख दिया, वो अपनी मादक बातों और कराहों से मुझे और ज़ोर्से चोदने पर मजबूर कर रही थी…!
मे पीछे से चिपक कर उसकी हिलती चुचियों का मसल्ते हुए दे दनादन धक्के लगाए जा रहा था.., चूत रस टपक टपक कर उसकी जाँघ के साथ साथ मेरी गोलियों को भी गीला करने लगा...
अंत में जब मेरा छूटने वाला था, कि तभी लास्ट मोमेंट पर मेने अपना लंड उसकी चूत से बाहर खींच लिया, और उसे सीधा करके अपनी सारी मलाई उसकी चुचियों पर उडेल दी…!
मेरे लंड पर कुछ कतरे खून के भी दिखे, जो ये बताने के लिए काफ़ी थे कि वो आज पहली बार ढंग से चुद पाई है…
अपनी उंगली से वो मेरे वीर्य को छुकर अजीब सा मुँह बनाकर देखने लगी…
मेने कहा – ये अमृत है मेरी जान, इसे इस तरह से मत देखो, विश्वास ना हो तो चख कर देखलो…
धीरे से वो अपनी उंगली को पहले अपनी नाक के पास ले गयी, उसे सूँघा, फिर अपने होठों तक ले गयी.. और अपनी जीभ पर रख कर उसका स्वाद चेक करने लगी…
मेने मुस्कराते हुए कहा – कैसा लगा…?
तो वो कुछ देर और उसका टेस्ट लेती रही, फिर चटखारा सा लेकर बोली – अच्छा है, कुछ नमकीन, कुछ मीठा सा…
उसकी बात पर हम दोनो हँसने लगे… वो उठकर अपने आपको साफ करने चली गयी…
लौट कर उसने मुझे अपने गले से लगा लिया, और किस करके बोली – थॅंक यू वेरी मच डार्लिंग… आइ लव यू…
मेने भी उसकी गान्ड को मसल्ते हुए आइ लव यू टू बोला…फिर मेने अपने कपड़े पहनते हुए मेघना को कहा…
मे अभी बाहर जा रहा हूँ, तुम मेरे कुछ देर बाद नीचे आना, और कोई मेरे बारे में पुच्छे तो बोल देना कि मुझे पता नही, वो तो बहुत पहले ही आ गये थे नीचे…
इतना समझाकर मे अपने कपड़े पहन कर नीचे चला गया….!
मेघना की अच्छे से बजाकर, उसे कुछ बातें समझाई फिर उसे कुछ देर बाद आने का बोलकर मे नीचे आया और चुपके से सीधा छोटी चाची के घर की तरफ निकल गया…!
चाची किचन में रात का खाना बना रही थी, आँगन में रूचि के साथ अंश और आर्यन खेल रहे थे,
कुछ देर मे भी बच्चों के साथ खेला…, थोड़ी देर उनके साथ खेलने के बाद मे किचेन की तरफ बढ़ गया…
चाची स्लॅब के साथ खड़े होकर खाना बना रही थी, इस समय वो एक सॉफ्ट कपड़े की वन पीस मेक्सी में थी… जिसमें से उनके शरीर के सारे कटाव एकदम साफ-साफ दिख रहे थे…
चाची की गान्ड शुरू से ही मेरी कमज़ोरी रही है, जब वो रोटियाँ बेल्ति तो उनकी गान्ड एक रिदेम के साथ गोलाई में हिलने लगती…जिसे देख कर मेरा कुछ देर पहले ही झडा लंड फिर से सिर उठाने लगा…
मे कुछ देर चुपचाप रसोई के गेट पर खड़ा होकर उनकी हिलती गान्ड का नज़ारा लेता रहा…, फिर दबे पाँव उनके पीछे जाकर मेने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया….
मेरा आधा खड़ा लंड उनकी गान्ड की दरार में घुस गया…, अपने उपर अचानक हुए हमले से चाची हड़बड़ा गयी… और इसी चक्कर में उनकी गान्ड और पीछे को हो गयी…
जब उन्होने देखा कि ये में हूँ, और मेरा लंड उनकी गान्ड में सेट हो चुका है, तो एक मिनिट में ही चाची की आवाज़ भारी हो गयी…. और मादक स्वर में बोली…
हइई…..लल्लाआअ….तुमने तो मुझे डरा ही दिया…. छोड़ो मुझे… बच्चे आँगन में ही खेल रहे हैं, रूचि अब समझदार होती जा रही है,
ग़लती से भी इधर आ गयी.. तो वो क्या सोचेगी हमारे बारे में…!
मेने चाची की मस्त कच-कची गदर चुचिओ को अपने हाथों में भर लिया और उनके पसीने से तर बतर गले पर चूमते हुए बोला –
मे क्या करूँ चाची, आपकी गान्ड है ही ऐसी, देखते ही कंट्रोल खोने लगता है मेरा…ये कहकर मेने चाची के खरबूजों को ज़ोर से मसल दिया…
सीईईईईईईईईई…….आअहह….. आराम से… बोलकर उन्होने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पाजामे के उपर से ही अपनी मुट्ठी में कसकर मरोड़ दिया….
आईईईईईईईई….चाची…क्या करती हो…. तोड़ॉगी क्या इसे….
वो मेरी तरफ पलट गयी, आँखों में देखते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचियों को इतनी ज़ोर से दबाया तो मुझे कुछ नही हुआ..??? मुझे भी तो दर्द होता है…
ये कहकर उन्होने मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर्से दो-तीन बार आगे-पीछे करके मसल दिया…!
मेने लपक कर चाची को अपनी बाहों में भर लिया, उनके होठों को चूमकर अपनी कमर को आगे कर दिया…!
अब मेरा फुल टाइट लंड चाची की मेक्सी को दबाता हुआ उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच घुस्स गया,
अपनी चूत की फांकों पर मेरे लंड की ठोकर से चाची सिसक उठी…!
सस्सिईइ…आअहह…लल्ला मान जाओ प्लीज़, जाओ यहाँ से.., ये कहकर उन्होने अपनी हथेली मेरे सीने पर जमा दी, और धकेलते हुए मुझे किचेन के बाहर निकलने लगी…, अब जाओ यहाँ से बाद में मौका देख कर आ जाना…
मे हँसता हुआ एक बार और चाची की गदर गान्ड को मसल कर बच्चों के पास आ गया, फिर रूचि और आर्यन को लेकर घर की तरफ चला आया….!
घर में अटॅच्ड बाथ केवल मेरे ही रूम में था, निशा के उपर सारे घर के कामों की ज़िम्मेदारी थी, तो उस बेचारी को रोज़ सुबह जल्दी उतना, नित्य कर्म करके घर के कामों में लग जाना यही दिन चर्या बन चुकी थी.
भाभी की डेलिवरी को पूरा समय चल रहा था, कुछ दिन ही शेष थे, तो वो ज़्यादातर बस आराम ही करती रहती थी,
रामा दीदी के आने से निशा को कुछ काम में मदद हो गयी थी…
दूसरे दिन सुबह – 2 निशा तो नहा धोकर किचें के कामों में लग चुकी थी, दीदी भी उसकी मदद करवा रही थी…
मे भी जल्दी उठके एक्सर्साइज़ करके बाथरूम में नहा रहा था, कमरे का मेन गेट ढलका ही रखा था बस…
शरीर पर पानी डालकर मे साबुन लगा रहा था, कि तभी नहाने के लिए मेघना भी आ गयी…
बाथरूम का गेट खुला देख, वो दनदनाती हुई अंदर घुस आई…, मे मात्र एक फ्रेंची में साबुन के झाग से लिपटा हुआ खड़ा था, आँखें भी बंद ही थी…
आहट सी पाकर मेने आवाज़ भी दी… कौन ?
लेकिन कोई जबाब नही मिला, मेने सोचा कुछ वैसे ही लगा होगा…और अपना साबुन लगाने में लगा रहा….
फिर थोड़ी ही देर के बाद बाथरूम का गेट बंद होने की आवाज़ सुनाई दी, तब तक मे साबुन लगा चुका था, और अंदाज़े से शवर चलाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि अचानक से वो चालू ही हो गया….
कुछ देर तक मे पानी गिरने से साबुन सॉफ करने लगा, की तभी मेघना ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में जाकड़ लिया…
उसके नंगे बदन को अपने शरीर से चिपके होने का एहसास होते ही मे चोंक गया… मन ही मन विचार किया, कि निशा तो कब की नहा के जा चुकी है, तो ये फिर कौन है…?
बदन मेघना का भी लगभग उतना ही मांसल था, बस थोड़ी सी हाइट कम थी…
मेरी आँखें जब देखने लायक हुई, तो मेने उसके हाथों को पकड़ कर अपने आगे की तरफ किया, और जैसे वो मेरे सामने आई… मुझे एकदम झटका लगा…
मे – अरे मेघना जी आप ? प्लीज़ जाइए यहाँ से, निशा ने देख लिया तो मेरी शामत ही आ जाएगी…
उसने मेरी बात का कोई जबाब दिए बिना ही मेरे अंडर वेअर को नीचे खींच दिया.. और मेरे लंड को मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करते हुए बोली …
वो दोनो किचेन में काम कर रही हैं, हम जल्दी से एक बार कर लेते हैं…
इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया…
वो एकदम मदरजात नंगी मेरे सामने खड़ी थी, उसकी चूत की खुसबु सूंघते ही मेरा पप्पू फुल अटेन्षन में आ गया,
मेने उसकी चूत को सहला कर उसमें अपनी एक उंगली डाल दी, और अंदर बाहर करते हुए कहा – अगर ग़लती से कोई इधर आ गया तो क्या होगा..?
ससिईईई….आअहह…. कोई नही आरहा….आअहह…. अब जल्दी से अपना ये मूसल मेरी चूत में डालकर चोद दो मेरे रजाअ….
मेने उसके सिर को नीचे की तरफ दबाकर कहा – ठीक है, पहले मेरे लंड को चुस्कर तैयार तो करो….
उसने बिना समय गँवाए, फ़ौरन पंजों पर बैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी….
कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मेने उसे दीवार से सटा दिया, और थोड़ा पीछे को झुककर, पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डालकर चोदने लगा..
पानी और उसके चूटरस से गीली चूत लंड तो आराम से निगल गयी, लेकिन अपनी कराह नही रोक पाई वो…
मेने थोड़ा आराम से आधे लंड से उसको चोदना शुरू किया, और धीरे – 2 करके पूरा अंदर डालकर धक्के मारने लगा…
अब वो भी मज़े में आ चुकी थी, और मादक सिसकियों के साथ अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक पटक कर चुदने लगी…
ये मेरी जिंदगी का पहला चान्स था, जब मे किसी को बाथरूम में चोद रहा था… उपर से पानी की फुआरें और सामने एक मदमस्त गान्ड…!
बहुत मज़ा आरहा था मुझे, उसकी मस्त हिलती हुई चुचियों को देखकर मुझे और जोश चढ़ गया, मेने उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींचे,
उसका सिर ऊँटनी की तरह उपर को हो गया, गान्ड और ज़्यादा पीछे को उभर आई, मेने उसे पूरी तरह से घोड़ी बनाकर सवारी कर ली…!
उसके दोनो हाथों को पकड़ कर पीठ पर लगा दिया, धक्के लगाते हुए मेने उसके बाल पकड़ कर खींचे…!
मेघना का बुरा हाल हो रहा था, मेने आज इसकी पूरी तरह गर्मी निकालने की ठान ली, अपने तेज धक्कों से उसे चीखने पर मजबूर कर दिया…!
मेरे तेज धक्कों से वो बुरी तरह हिल रही थी.., कुछ देर में ही वो पट्ठि एक बार पानी छोड़ गयी,
फिर मेने उसे पलटा कर अपने सामने खड़ा कर लिया, और उसकी एक टाँग को उठाकर आगे से अपना खूँटा ठोक दिया..…
वो मेरे गले में अपनी बाहें डालकर, बाथरूम की दीवार से पीठ टिकाए चुदाई का मज़ा लूटने लगी…..!
अंत में हम दोनो ही एक साथ झड गये, झड़ने से पहले मेने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल कर अपने वीर्य से उसके शरीर को नहला दिया…..!
वो बुरी तरह से हान्फ्ते हुए बोली – आज तो आपने मेरी दम निकाल दी, क्या हो गया था आपको…
मेने अपने गीले लंड को उसकी चुचियों पर रगड़ते हुए कहा – मेने सोचा आज तुम्हारी सारी गर्मी निकाल ही दूं, तो बस हो गया ये.., मज़ा नही आया..?
वो मुस्करा कर मेरे लंड की मलाई को अपने बदन पर मलते हुए बोली – मज़ा तो बहुत आया.., लेकिन पूरा बदन तोड़ दिया…!
फिर हम दोनो एक साथ नहाए, मेने उसकी चुचियों पर साबुन मलते हुए कहा – तुमें बुरा ना लगे तो एक बात पुछू मेघना..!
वो मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर साबुन मलते हुए बोली – मे जानती हूँ आप क्या पूच्छने वाले हो..? यही ना कि मे वर्जिन क्यों नही थी…!
मेने अपने हाथों में उसकी मोटी गान्ड कसते हुए कहा – बड़ी तेज हो तुम तो, मेरे पूच्छने से पहले ही जान लिया,
मेघना – दरअसल हॉस्टिल में रूम मेट के साथ लेज़्बीयन करते करते एक बार वो इतनी एक्शिटेड हो गयी कि साली ने अपनी चूत में डालने के लिए जो मोटी वाली मोमबत्ती रखती थी वही मेरी कुँवारी चूत में डाल दी..!
बहुत दर्द हुआ मुझे उस टाइम, पूरी मोमबत्ती खून से लाल हो गयी थी, गुस्से में मेने उसे दो थप्पड़ भी लगा दिए थे…
उसने मुझे सॉरी कहा, मेने सोचा इसमें अकेले इस बेचारी की भी ग़लती नही है, मे भी तो एक्शिटेड हो गयी थी.. सो मेने उसे फिरसे अपने बदन से चिपका लिया…
उस दिन के बाद से जब ज़्यादा मन करता है तो कई बार अपनी उंगली भी डाल लेती हूँ…!
मेने उसके होठ चुस्कर कहा – इतना तो चलता है हॉस्टिल लाइफ में, दोस्तो के साथ रहकर..,
कुछ देर और हम एक दूसरे के अंगों के साथ छेड़-छाड़ करते रहे, फिर नहा-धोकर कपड़े पहने और किचन में आकर एक साथ नाश्ता लिया…!
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आज कृष्णा भैया और प्राची की शादी थी, सुबह से ही हम सब तैयारियों में जुट गये, और ज़रूरत का समान लेकर सारे परिवार के साथ शहर की तरफ रवाना हो गये…
वहाँ हमने एक गेस्ट हाउस बुक कर लिया था, जिसमें प्राची की फॅमिली भी आ चुकी थी…
शादी थी तो सादे तरीके की, लेकिन भैया के स्टाफ के लोग जिनमें नये कमिशनर से लेकर इनस्पेक्टर रंक तक के सभी ऑफिसर्स शामिल हुए…
जस्टीस ढीनगरा समेत मेरे कुछ क्लाइंट और पहचान वाले भी थे..
खाने पीने की अच्छी व्यवस्था की थी मेने, मेहमान लोग खा-पीकर चले गये, उसके बाद देर रात तक सारे रीति रिवाजों के साथ दोनो की शादी सम्पन हुई…!
वर-बधू एक दूसरे के साथ बंधन में बँध कर बेहद खुश थे…!
लाख सुविधाओं के बावजूद, शादी की गहमा-गहमी और भागदौड़ के चलते… भाभी के दर्द शुरू हो गये, लेकिन वो बड़ी जीवट जिगर वाली निकली.
शादी के दौरान कोई व्यवधान पैदा हो, इसलिए वो अपने दर्द को अंदर समेटे रही, जबतक कि सारे काम अच्छे से निपट नही गये…
लेकिन सुबह होते-होते उनकी हिम्मत जबाब दे गयी…
आनन फानन में उन्हें डॉक्टर. वीना के हॉस्पिटल में भरती कराया, जहाँ उसने सब कुछ अच्छे से संभाल लिया.
हमें भाभी को हॉस्पिटल में भरती किए दो घंटे ही हुए थे, कि भाभी ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया…
सभी की खुशी का ठिकाना नही था, एक के बाद दूसरी खुशी देख कर बाबूजी और बड़े भैया खुशी से नाचने लगे…!
मौका देखकर मे भाभी के पास चला गया, और उन्हें मुबारकवाद दी…
उनकी आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े और मुझे अपने पास बैठने का इशारा किया..
मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उन्होने चूम लिया और धीरे से बोली – तुमें भी एक और बेटा मुबारक हो देवर्जी…
मेने आश्चर्य से भाभी की तरफ देखकर पुछा – आज ये देवेर जी.. किसलिए भाभी, मे तो आपका लल्ला ही ठीक हूँ…
वो थोड़ी स्माइल के साथ बोली – तुम मेरे बेटे के बाप भी तो हो, तो इतनी इज़्ज़त तो बनती है ना देवर्जी….
मेने मुँह फूलकर कहा – नही भाभी, मे तो आपका लल्ला ही रहूँगा, आइन्दा अगर आपने मुझे देवर जी कहा तो मे आपसे कभी बात नही करूँगा…हां..!
मेरी आक्टिंग देखकर भाभी खुल कर हंस पड़ी, और लेटे-लेटे ही अपना हाथ लंबा करके मेरा कान पकड़ लिया और उसे खींचते हुए बोली…
ठीक है लल्ला, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…. मेरे लाड़ले देवर… थोड़ा नीचे झुको तो..
फिर मुझे अपने उपर झुका कर मेरा माथा चूम लिया… मेने भी भाभी के गाल पर एक चुंबन लिया, और अपने नवजात बेटे के माथे को चूमा…
डेलिवरी भी नॉर्मल ही हुई, कोई ज़्यादा कॉंप्लिकसी वाली बात पैदा नही हुई थी…
चाचियों ने मिलकर सब कुछ अच्छे से संभाल लिया था… फिर उसी दिन शाम को छोटी चाची और मेरे परिवार के सदस्यों को छोड़कर वाकी के लोग गाओं लौट गये…
प्राची के पैर घर के लिए शुभ साबित हुए, सबने उसे सर आँखों पर बिठा लिया, इस मौके पर प्राची की माँ और छोटा भाई संजू भी मौजूद थे…
इतने मिलनसार परिवार में अपनी बेटी को देखकर वो बेहद खुश थी…प्राची और उसकी माँ ने अपने पिता से अभी तक कोई वास्ता नही रखा था.
दो दिन बाद भाभी को हॉस्पिटल से डिसचार्ज मिल गया, तो उन्हें हम लोग घर ले आए, साथ में मन्झ्ले भैया और प्राची जो अब मेरी भाभी थी, वो भी थे.
घर में हर्षो-उल्लास का माहौल व्याप्त था…रूचि को अपने छोटे भाई के रूप में एक खिलोना मिल गया, वो बहुत खुश थी…
शादी में शामिल होने लोकेश जीजा जी भी आए थे, लेकिन वो हमारे हॉस्पिटल से आने से पहले ही मेघना को साथ लेकर देल्ही वापिस लौट गये, रामा दीदी कुछ दिनो के लिए रुक गयी…!
निशा बेचारी पर काम का और बोझ बढ़ गया था, लेकिन अच्छे संस्कार वाली प्राची ने भैया से ज़िद करके घर पर रहने का फ़ैसला किया और जल्दी ही वो घर के कामों में निशा का हाथ बांटने लगी.
उन दोनो की मदद के लिए घर काम के लिए एक मैड को भी रख लिया था, वो घर के बाहरी कामों को निपटा लेती थी…
कहने को तो निशा प्राची की देवरानी थी, लेकिन उमरा में वो उससे बड़ी थी, सो प्राची उसको दीदी ही बोलती थी…
तीनों देवरानी- जेठनियाँ आपस में सग़ी बहनों की तरह रहने लगी, जिससे घर में सुख शांति का साम्राज्य कायम था…..!
कुछेक महीने में ही भाभी ने घर की कमान फिरसे अपने हाथ में ले ली… और एक ज़िम्मेदार गृहणी के साथ साथ गाओं के सार्पंची के काम भी संभालने लगी…..!
कृष्णा भैया भी अब हर हफ्ते या बीच में क्षेत्र के दौरे के बहाने घर आ जाते थे, मेरा तो लगभग रोज़ का आना जाना रहता था, सिवाय किसी अर्जेंट काम के.
लेकिन उनके एसएसपी जैसे ज़िम्मेदार पद पर रहते हुए ज़्यादा दिन ये संभव नही था… तो हम सबने समझा बूझकर प्राची को शहर में ही रहने पर राज़ी कर लिया…
क्योंकि भैया को संभालने के साथ-साथ अभी वो अपना ग्रॅजुयेशन भी कर रही थी…,
वो इस शर्त पर शहर जाने को राज़ी हुई कि उसका जब मन होगा वो गाओं आ जाया करेगी…!
मेने और प्राची ने एक अच्छे दोस्त के नाते, अपने पुराने संबंधों को भूल कर इस नये रिस्ते को सम्मान देते हुए देवेर भाभी के रिस्ते को दिल से अपना लिया…!
प्राची की माँ मधुमिता जी और उनका बेटा संजू मेरे वाले फ्लॅट में रहते थे, जिसका पता अभी तक घर में किसी को भी नही था, वो सब यही समझते थे कि ये घर प्राची का ही है…
मधुमिता जी 42 साल की एक एवरेज सी अधेड़ महिला थी, अपने पति की कम आमदनी उसी में तीनों बच्चों के साथ खर्चे को मेनटेन करके चलना इस सबके चलते अब तक का उनका जीवन बड़ा तंगी में बीता था…
रेखा के शूसाइड के बाद से तो पिच्छले 6 महीनों से उन्होने अपने पति से भी कोई वास्ता नही रखा था, और खुद ही एक रेडीमेड गारमेंट की छोटी सी फॅक्टरी में काम करके घर चला रही थी…!
कामकाजी महिला होने की वजह से उनके शरीर में अभी तक कहीं एक्सट्रा चर्बी नही थी, सिवाय थोड़े चेहरे के वो कहीं से भी 32-35 से ज़्यादा नही लगती थी…
जिस उमर में एक स्त्री को भरपूर रति-सुख चाहिए होता है, उस उमर में उन्हें अपने पति का साथ छोड़ना पड़ा था, इस वजह से वो कुछ बुझी-बुझी सी रहने लगी थी…
प्राची की शादी के बाद अब उनकी ज़िम्मेदारी कुछ कम हो गयी थी, कुल मिलाकर माँ-बेटे खुश थे संजू भी अब अच्छे से पढ़ रहा था…!
मेरे फ्लॅट में आकर थोड़ा अच्छा रहना, अच्छे ख़ान पान की वजह से उनके चेहरे की झुर्रियाँ जो मूषिबतों के कारण आ गयी थी, वो ख़तम होने लगी, और चेहरे की रौनक लौटने लगी थी…
फ्लॅट काफ़ी बड़ा था 3बीएचके का जिसमें मेने अपने लिए एक रूम सेपरेट रखा था, जब कभी भी रुकना होता, तो यूज़ कर लेता था…!
ऐसे ही एक दिन मुझे शहर में रुकना पड़ा, रात का खाना पीना हम तीनों ने मिलकर खाया, कुछ देर मे और संजू साथ बैठकर हॉल में टीवी देखते रहे तब तक उसकी मम्मी ने किचन का काम ख़तम कर लिया…
फिर एक-एक ग्लास दूध पीकर सोने चले गये…
मेरी आदत है, रात को अंडरवेर निकाल कर अकेला शॉर्ट पहन कर ही सोता था, दूसरे दिन सुबह उठने में थोड़ी देर हो गयी….
मधु आंटी संजू को कॉलेज भेजकर जल्दी ही अपने काम पर भी निकलना होता था, सो उन्होने अपने समय पर उठ कर संजू के लिए नाश्ता तैयार किया, तब तक मे सोया हुआ ही था…
उसे कॉलेज के लिए विदा करके उन्होने चाय बनाई, और उसे लेकर मेरे रूम में आ गयी…,
आदत्नुसार मे कभी गेट लॉक करके नही सोता हूँ, सो वो अंदर ही चली आई, अब सुबह सुबह का एरॅक्षन, कुछ तो मूत लगने की वजह से और कुछ हसीन सपनों का आगमन,
मेरा लॉडा फुल मस्ती में खड़ा था, बिना अंडरवेर के उसने शॉर्ट के सॉफ्ट से कपड़े को उठाकर जबदस्त तंबू बनाके रखा हुआ था…!
कमरे में कदम रखते ही उनकी नज़र मेरे तंबू पर पड़ी, उसके आकर से ही उन्होने मेरे लंड का जियोगॅफिया अच्छे से पढ़ लिया, मेरे तंबू को देखकर उनकी आँखें फैल गयी…!
6 महीने से अधिक समय से अपने पति से अलग रह रही मधु आंटी की सोई हुई काम इच्छाएँ झंझणा उठी, वो अपने मुँह पर हाथ रखे टक टॅकी लगाए उसे देखने लगी…!
ना जाने मेरे सपने में क्या चल रहा था, जिसकी वजह से वो बीच-बीच में हल्के-हल्के झटके भी मार देता था…, उसकी ये हरकत देखकर वो मन ही मन मुस्करा उठी……!
फिर शायद उनके मन में रिश्तों की दीवार आड़े आ गयी, अपनी बेटी के देवर के प्रति अपने मन में ऐसे विचार आना उन्हें अच्छा नही लगा और वो अपना मन मसोस कर चाय का प्याला लिए वहाँ से लौटने लगी…!
लौटते हुए भी उनके मन की इच्छा ने उन्हें उसपर नज़र डालने पर एक बार फिरसे विवश कर दिया, और तभी मेरे लंड ने एक जोरदार झटका दिया…!
लंड के झटके ने उनके पैरों में जंजीर डाल दी, उनके बाहर को बढ़ते कदम ठिठक गये..,
इतने दिनो से सोई हुई मुनिया के बंद होठ फड़-फडा उठे…, और ना चाहते हुए भी उनके कदम मेरे बेड की तरफ बढ़ गये….!
लंड के झटके ने उनके पैरों में जंजीर डाल दी, उनके बाहर को बढ़ते कदम ठिठक गये..,
इतने दिनो से सोई हुई मुनिया के बंद होठ फड़-फडा उठे…, और ना चाहते हुए भी उनके कदम मेरे बेड की तरफ बढ़ गये….!
उन्होने चाय का कप साइड टेबल पर रख दिया, और धीरे से बेड पर मेरे पास आकर बैठ गयी…!
वो बड़े गौर से मेरे लंड की हरकतें देख रही थी, उनकी इतने दिनो से सोई हुई काम वासना जागने लगी, मेरे लंड को अपनी प्यासी चूत में लेने की कल्पना मात्र से ही उनकी चूत गीली हो गयी…!
चूत के गीले पन के एहसास से अनायास ही उनका एक हाथ अपनी जांघों के बीच चला गया…,
वो मेरे लंड के उभार और उसकी बीच-बीच में हो रही नॉटी हरकतें देख-देख कर अपनी चूत को गाउन के उपर से ही सहलाने लगी…!
मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर देखने की उनके मन में तीव्र इच्छा हो रही थी फिर भी एक लोक लाज के कारण चाहकर भी वो ऐसा नही कर पा रही थी, लेकिन वासना का क्या करें जो निरंतर बढ़ती जा रही थी…
जब वो किसी के सिर पर चढ़ने लगती है तो इंसान की सोचने समझने की शक्ति खोने लगती है, ऐसा ही कुछ उनके साथ भी हो रहा था…
वो लाख कोशिश कर रही थी कि यहाँ से चली जाए, ये ठीक नही है, अपनी बेटी के देवर के बारे में ये सब सोचना उचित नही है, लेकिन वासना के वशीभूत उनका मंन मेरे लौडे को हाथ में लेकर सहलाने के लिए उकसा रहा था…!
जब उनसे नही रहा गया, तो एक बार गौर से उन्होने मेरे चेहरे पर नज़र डाली, जहाँ उन्हें एक गहरी नींद में सोए हुए इंसान के भाव ही नज़र आए…!
पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद की मे गहरी नींद में ही हूँ, उन्होने धीरे से मेरे तंबू पर अपना हाथ रखा…!
हाथ लगते ही वो ठुमक उठा, उन्होने डर कर अपना हाथ अलग हटा लिया, और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी, लेकिन वहाँ उन्हें ऐसा कुछ नही दिखा जिससे ये लगे कि मे नींद में नही हूँ…!
उनके चेहरे पर घबराहट के बबजूद स्माइल आ गयी, अपने निचले होठ को दाँतों में दबाकर बड़े सेक्सी अंदाज में बुदबुदाई, तो शैतान नींद में ही उच्छल-कूद कर रहा है…
जब इसका सोते हुए ये हाल है, लेकिन जब निशा की चूत में जाता होगा तो कैसी तबाही मचाता होगा…,
सच में निशा बड़ी भाग्यशाली है, जिसे ऐसा लंड लेना नसीब में है..!
हाए राम, अपनी बेटी समान लड़की के लिए ये मे क्या सोच रही हूँ, ये मुझे क्या होता जा रहा है..?
मुझे अब यहाँ से चले जाना चाहिए वरना कुछ ग़लत हो गया तो ये मेरे बारे में ना जाने क्या सोचेंगे..?
इसी असमनजस की स्थिति में वो बेड से खड़ी हो गयी, और एक बार अपनी लार टपका रही चूत को अपने गाउन से पोन्छ्ते हुए उन्होने मेरे कंधे पर हाथ रख कर जगाया…!
लेकिन बीते दिनो ज़्यादा व्यस्तता रहने की वजह से मे ठीक से सो भी नही पा रहा था, इसलिए बिना कोई अलार्म लगाए आज चैन की नींद ले रहा था, उनके एक बार जगाने से मेरे उपर कोई फ़र्क नही पड़ा…!
वो फिरसे बेड पर बैठ गयी, और धीरे से मुझे आवाज़ देकर कंधे से हिलाया तो मे थोड़ा सा कुन्मूनाकर उनकी तरफ करवट लेकर फिर सो गया…!