Update 63
दीदी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए भाभी से कहा – वाह भाभी, अपनी बेहन को बचाना चाहती हो, आप तो ऐसे बोल रही हो जैसे मे रोज़ गान्ड ही मराती हूँ..हां !
मेने बीच में कूदते हुए कहा – कोई बात नही दीदी, तुम भी दिखा दो इन दोनो बहनों को कि तुम किसी से कम नही हो…!
दीदी ने मेरे कूल्हे पर एक चपत लगते हुए कहा – बहुत चालू है तू, दो दो गान्ड एक साथ मारना चाहता है, फिर हँसते हुए मेरे लौडे को सहला कर बोली –
चल ठीक है, तू भी क्या याद करेगा.., मारले अपनी बेहन की कुँवारी गान्ड, आगे की सील भी तेरे से ही तुडवाई थी मेने, आज पीछे का ढक्कन भी खोल दे…!
रामा दीदी ने अपना गाउन निकाल कर निशा के मुँह पर फेंक मारा, मात्र एक ब्रा और पैंटी में उसका दूधिया भरा हुआ बदन देख कर जहाँ मेरी आँखें चमक उठी,
वहीं भाभी उसके बदन को सहलाते हुए बोली – वाउ रामा, क्या मस्त माल हो गयी हो यार, काश मेरे भी लल्ला जैसा एक तगड़ा मोटा सा लंड होता तो मे तुम्हारी इस मक्खन जैसी गान्ड का परोथन उड़ा देती, कहते हुए उन्होने दीदी की गान्ड को मसल दिया…!
फिर निशा से बोली – अब तू क्या टुकूर-टुकूर देख रही है, चल तू भी अपनी तैयारी शुरू कर, अगला नंबर तेरा भी है..!
उधर निशा अपने कपड़े निकालने लगी इधर मेने दीदी की गान्ड को सहलाते हुए उसके दोनो चिकने मुलायम थिरकते चुतड़ों पर एक-एक थप्पड़ मार कर जंग का एलान कर दिया और उसकी गान्ड को जीभ से चाटने लगा…!
दीदी बोली – भाई मेरी एक रिक्वेस्ट मानेगा, पहले एक बार मेरी चूत चोद कर ठंडा कर्दे, उसके बाद जो तेरे जी में आए करना…!
मेने दीदी की पैंटी को गान्ड की दरार से एक साइड में करते हुए कहा – मंजूर है,
मेरी प्यारी दीदी कुछ माँगे और मे ना कर दूं, ऐसा भला कभी हो सकता है, इतना बोलकर मेने अपनी जीभ से उसकी गान्ड के कत्थ्यि रंग के छोटे से छेद को चाट लिया…!
जीभ लगते ही उसने अपनी गान्ड को कसकर भींच लिया, और सिसकते हुए बोली – सीईईई…आअहह.. मेरा प्यारा भैया…अपनी बेहन की कितनी फिकर करता है…, हआयईए…रीए…चाट भाई.., बहुत अच्छा लग रहा है..,
मे उसकी गान्ड के उभारों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगा, वो मज़े से अपनी गान्ड हिलाने लगी..,
तभी निशा ने मेरी जाँघो के बीच लेटकर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और वो उसे चूसने लगी…
मेने दीदी को अपने मुँह पर बिठा रखा था, गान्ड चाटने के बाद मेने अपने मुँह में उसकी चूत की फांकों के भर लिया और एक बार ज़ोर्से चूसा…!
रामा दीदी का मज़े से बुरा हाल होने लगा, और वो लंबी-लंबी साँस लेकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी..!
उधर निशा ने मेरे लंड को चूस-चुस्कर लोहे जैसा सख़्त कर दिया था, दीदी की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी थी..,
बस लल्ला अब शुरू करदो, बहुत हुई चुसम-चुसाई.., बहुत लंबा सफ़र है आगे, भाभी ने किसी रेफरी की तरह अपना फ़ैसला सुना दिया…
उनकी बात मान कर मेने दीदी की टाँगों को अपनी जांघों पर रख कर निशा की लार से तर अपने लंड को दीदी की रस से लबालब चूत में पेल दिया…!
एक ही झटके में तीन चौथाई तक लंड लेकर रामा बुरी तरह सिसक पड़ी, एक मीठे दर्द की कराह उसके मुँह से निकल पड़ी… आआहह…. सस्स्सिईइ…. उउउफफफ्फ़… धीरी…री…
उसकी चुचियों को सहलाते हुए मेने अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और फिरसे एक और धक्का लगाकर पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया…!
दीदी के नाख़ून मेरी पीठ में गढ़ गये, अपने मुँह को मेरे कंधे में दबाकर वो सारे दर्द को पी गयी..,
अगले ही पल उसकी गान्ड हरकत करने लगी और मेने अपना काम शुरू कर दिया..,
5-7 मिनिट में ही वो भल-भला कर झड़ने लगी, लंबी-लंबी साँसें लेते हुए उसने मुझे अपने बदन से चिपका लिया…!
कुछ देर बाद मेने उसे पलटा दिया, भाभी ने नीचे से उठाकर तेल पकड़ा दिया जिसे मेने दीदी की गान्ड पर अच्छे से मला, अब उसकी गान्ड एक दम दमकने लगी थी…!
कुछ तेल की धार उसके छेद पर डालकर एक उंगली से अंदर तक चिकनाहट करदी…!
गान्ड में उंगली जाते ही दीदी सिहर उठी, सहमी सी आवाज़ में बोली – भाई रे, थोड़ा रहम करना, मेरी कुँवारी गान्ड है, फाड़ मत देना…!
मेने उसकी गान्ड को चिकनाते हुए कहा, तुम बिल्कुल चिंता मत करो, मे बड़े आराम से ही डालूँगा, तुम्हें पता भी नही चलेगा.., ये कहकर मेने उसके चूतरस से सना अपना लंड पकड़ कर उसकी गान्ड के छेद पर रख दिया…!
एक बार फिर उसकी गान्ड सिकुड़ी, मेने उसकी पीठ पर चूमते हुए कहा – थोड़ा इसे ढीला छोड़ो दीदी, वरना ज़्यादा तकलीफ़ होगी तुम्हें…!
मेरी बात मानकर उसने अपने गान्ड के छेद को ढीला किया, भाभी और निशा दम साधे किसी तमाशबीन की तरह ये सब देख रही थी…!
भाभी को तो पता था, कि आनेवाले पलों में रामा की गान्ड का क्या हाल होना है, लेकिन निशा पूरी तरह से अंजान थी…!
मेने हल्के से अपने लंड को दीदी की गान्ड में दबाया, तेल की चिकनाई की वजह से उसका सुपाडा आराम से अंदर समा गया…!
छेद को चौड़ा होते ही दीदी के मुँह से कराह निकली..आअहह…धीरे…, दर्द होता है री…,
मेने उसके कूल्हे को सहलाया और कहा – थोड़ा सहन तो करना पड़ेगा…!
ये कहकर मेने उसे और थोड़ा अंदर कर दिया.., लगभग चौथाई लंड से ही दीदी हिन-हिनाने लगी, दर्द उसकी आँखों में झलकने लगा, तकिये में मुँह देकर वो अपने दर्द को सहन करने की कोशिश करने लगी…!
तभी भाभी ने इशारा किया एक तेज झटका मारने का, बात भी सही थी, ऐसे धीरे-धीरे डालने से दर्द ज़्यादा देर तक रहने वाला था..,
सो मेने अपना लंड फिरसे सुपाडे तक निकाला, दीदी कुछ रिलॅक्स हुई…
लेकिन अगले ही पल मेने दम साधकर एक तगड़ा सा धक्का उसकी गान्ड में लगा दिया…, गान्ड को चर-चराता हुआ मेरा तीन-चौथाई लंड उसके अंदर चला गया…!
दीदी की तेज चीख से पूरा कमरा गूँज उठा…आर्ररिइ…मैया…मर् गाइ..र्रिि...
कम्बख़्त..कमीने…गान्डु निकाल अपना मूसल…मुझे नही मरानी…हाए रे दैयाअ..भेन्चोद ने फाड़ दी मेरी गान्ड…!
वोही आदमी फिर बोला – सबर कर सब पता चल जाएगा…!
फिर कुछ देर बाद जो शख्स उस कमरे में दाखिल हुआ, उसे देख कर मे बुरी तरह चोंक गया, और मेरे मुँह से निकला, तूमम्म्म…!
ये कोई और नही भानु ही था, जिसने मालती को चारा बनाकर एक बार फिर मेरे उपर घात करदी थी…!
भानु – हां मे, क्यों बेटा कैसा लग रहा है यहाँ बँधे पाकर, कोर्ट में मात देकर बड़ा खुश हो रहा था तू…!
मे – भानु, तेरी उस ग़लती को तो मेने माफ़ भी कर दिया था, लेकिन अब तूने फिरसे अपनी औकात दिखा दी, ये ग़लती तुझे बहुत भारी पड़ने वाली है कमीने…!
भानु – यहाँ तू सिर्फ़ फड़फड़ाने के अलावा और कुछ नही कर सकेगा, अब यहाँ से निकल पाएगा इस बारे में सोचना भी मत साले, अब यहाँ से सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरी लाश ही बाहर जाएगी, वो भी किसी गटर में.
उसकी बात सुनकर मेरे तिर्पान काँप गये, मुझे अपने मरने की फिकर नही थी, मेरे पीछे मेरे घरवालों का क्या होगा, ये सोचकर मेने हाथ पैर हिलाने की नाकाम कोशिश की…!
मेने भानु से पुछा – जब तू मुझे मारना ही चाहता है तो इस तरह बाँधने का क्या मतलब…?
भानु – कोई है जो तेरे गुनाहों की सज़ा अपने हिसाब से देना चाहता है, वरना मे तो तुझे यहाँ लाता भी नही, अपने घर में ही तेरा गेम बजा चुका होता…!
मे – कॉन है वो ? और मेने कॉन्सा गुनाह किया है जिसकी सज़ा मुझे मिलने वाली है…!
भानु – सबर कर, सब पता चल जाएगा कि तूने क्या-2 तीर मारे हैं, किस-किस को क्या-क्या दुख पहुँचाए हैं…!
मे सोच में पड़ गया, की अगर भानु असल दुश्मन नही है तो और कॉन बचा है जो मुझसे अपनी दुश्मनी निकालना चाहता है, वाकी सबको तो उनके अंजाम तक मेने पहुँचा ही दिया है…!
लाख सिर खपाने पर भी मेरी समझ में नही आया कि ये नया दुश्मन कों पैदा हो गया..>?
मे अभी अपनी सोचों में ही डूबा हुआ था, कि तभी दो औरतें कमरे में दाखिल हुई,
उनमें से एक को देख कर तो मे इतनी बुरी तरह चोंका, कि अगर मेरे हाथ पैर बँधे नही होते तो मे बेड से उच्छल ही पड़ता….!
वो श्वेता थी, जो मंद-मंद मुस्कराते हुए मेरी तरफ ही आ रही थी…!
बेड के पास आकर वो बोली – किस सोच में डूबे हो 007, मुझे यहाँ देख कर चोंक गये ना…!
मेने चोन्क्ते हुए कहा – श्वेता तुम…? तुमने मुझे यहाँ क़ैद करवाया है?
वो अपने सिर को आगे पीछे हिलाते हुए बोली – हुउंम्म… क्यों.. झटका लगा ना कि मेने आख़िर क्यों तुम्हें इस तरह क़ैद कर रखा है…?
मेने बिना कुछ कहे सवालिया नज़रों से उसको घूरा…!
वो मेरे बेहद नज़दीक आई, और मेरे गाल को सहलाते हुए बोली – अभी नही डार्लिंग, अभी थोड़ा कहानी में सस्पेंस बना रहे तो ही अच्छा है…!
कम से कम तुम ये सोच-सोच कर अपना सिर तो खपाते रहोगे, कि आख़िर ऐसी कोन्सि चूक हो गयी तुमसे जो आज इस हाल में पड़े हो…!
फिर उसने अपने साथ आई दूसरी औरत की तरफ कुछ इशारा किया, जो शायद कोई डॉक्टर थी, उसने अपने बॅग से एक इंजेक्षन निकाला और मेरी बाजू में लगा दिया…!
मुझे पता नही किस तरह का इंजेक्षन था वो, उसे देकर वो दोनो कुछ देर के लिए बाहर चली गयी जो शायद भानु से कुछ बातें कर रही थी, इतने में उस इंजेक्षन का असर मुझे होने लगा, और मेरा सिर भारी सा हो गया…!
करीब 45 मिनिट के बाद मेरी आँखें लाल सुर्ख एकदम अंगारे सी हो गयी, और मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सी बैचैनि होने लगी…!
माथे की नसें कड़क होकर उभर आई, और मेरा चेहरा लाल भबूका हो गया…!
करीब एक घंटे के बाद श्वेता और उसकी फ्रेंड कमरे में आई, और उन्होने अंदर से गेट बंद कर दिया…!
वो दोनो मेरे आजू-बाजू में आकर बैठ गयी, दूसरी औरत भी एकदम हॉट माल थी, लेकिन श्वेता के कंपेरिषन में थोड़ी सी भारी थी, शायद 36-34-38 का फिगर लगा मुझे…
श्वेता ने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी छाती पर अपनी मुलायम हथेली से सहलाते हुए बोली – क्यों मिस्टर. अंकुश शर्मा एलएलबी, कैसा लग रहा है अब…!
उसका हाथ लगते ही मेरे शरीर में उत्तेजना भरने लगी, मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर मेरे हाथ पैर बँधे हुए नही होते, तो यहीं अभी के अभी इन दोनो रंडियों को पटक-पटक कर चोद डालता…!
लेकिन अपनी उत्तेजना पर काबू पाने का भरसक प्रयास करते हुए मेने उससे कहा – क्यों कर रही हो मेरे साथ ऐसा ? क्या बिगाड़ा हैं मेने तुम्हारा..?
तुम तो मुझे पसंद करती थी, अब ऐसा क्या हुआ जो मुझे इस तरह बाँध के डाला हुआ है..., और ये इंजेक्षन कैसा था…!
वो मेरे गाल को सहलाते हुए..…नही ये ग़लत होगा कहना, लगभग रगड़ती हुई बोली – डॉन’ट वरी डियर, तुम्हारे हर सवाल का जबाब मिलेगा, हॅव पेशियेन्स…
और हां ये इंजेक्षन वो काला जादू है, जिससे कम से कम 4 घंटे तक तुम्हारा ये हथियार, जिसके दम पर तुमने इतने बड़े बड़े काम चुटकियों में कर डाले हैं ढीला नही पड़ेगा, भले ही तुम 10 बार क्यों ना झड जाओ…
ये कहकर उसने मेरे पॅंट की जिप खोल दी, और मेरे मूसल जैसे लंड को बाहर निकाल लिया, जो वास्तव में ही एकदम स्टील रोड की तरह शख्त हो चुका था,
मेरे लंड को देख कर बाजू में बैठी औरत हैरत से आँखें फ़ाडे देख रही थी…,
उसको इस तरह देखते पाकर श्वेता हँसते हुए बोली – क्यों डॉक्टर. हेमा, कैसा लगा ये हथियार, मेने कुछ ग़लत तो नही कहा था ना…!
डॉक्टर. हेमा ने हन में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा – तू सही कह रही थी श्वेता, वाकाई में चमत्कारी लंड है इसका, आज तो जमकर मज़ा लूँगी इस’से…!
ड्र. हेमा की बात पर वो दोनो खिल-खिलाकर कर हँसने लगी, फिर उन्होने मेरे पॅंट और अंडरवेर को खींच कर उतार दिया, और दोनो तरफ से किसी भूखी कुतियाओं की तरह मेरे लंड पर टूट पड़ी…!
इंजेक्षन के असर से मेरा सोता आज कुछ ज़्यादा ही बड़ा और फूलकर मोटा सा हो गया था, जिसे देख कर उन दोनो कुतियाओं की आँखें हीरे के मानिंद चमकने लगी…
वो दोनो ओर से उसे चूसने को झपट पड़ी, एक तरह से मानो चूसने की प्रतियोगिता सी होने लगी उन दोनो के बीच,
एक लंड चुस्ती, तो दूसरी मेरे पेलरों को जो दो बड़े चीकुओ जैसे लग रहे थे को मुँह में भर कर पपोर्ने लगती…!
एक तो इंजेक्षन का असर, दूसरा मेरे समान पर दोहरी मार से मेरे मुँह से आनद की किल्कारियाँ निकालने लगी…!
चारों हाथ पैर बँधे होने के बाद भी मेरी कमर हवा में लहराने लगी…
उन दोनो से ज़्यादा देर सबर नही हुआ, 5 मिनिट की लंड चुसाई से ही रंडियों की चूतें टपकने लगी, और वो देखते ही देखते अपने अपने कपड़े निकाल कर एकदम नंगी हो गयी…!
ड्र. हेमा अपनी धरा सी गान्ड लेकर मेरे मुँह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी, और श्वेता ने मेरे लंड को अपने कब्ज़े में ले लिया…
बुरी तरह सिसकते हुए उसने अपनी रस से लबालब चूत मेरे लंड के सेब जितने मोटे और दहक्ते सुपाडे पर रखी और धीरे-धीरे बैठती चली गयी…
लंड आज कुछ ज़्यादा ही मोटा और लंबा लगा उसे, सो उसे पूरा निगलने में अपनी नानी याद आ गयी.
आअहह….आज तो ये और ज़्यादा मोटा तगड़ा लग रहा है, सच में यार अंकुश, मुझे बड़ा दुख है कि मेने तुझे ऐसी हालत में रखा है, तेरे इस मूसल की बहुत याद आएगी मुझे…
सस्स्सिईइ…फुक्ककककक….उउउफफफ्फ़…..कितनी कस गयी हैं मेरी चूत की फाँकें…. वो धीरे-धीरे अपनी गान्ड को उपर उठाते हुए बोली….
पर क्या करूँ यार, तूने साला काम ही ऐसा किया है… मेरे लंड धारी रजाअ….कि अब तुझे छोड़ नही पाउन्गि…सस्स्सिईइ…हाईए…क्या मज़ा है तेरे इस मूसल जैसे लंड में…
इधर हेमा अपनी मोटी गान्ड मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, मेने अपना मुँह बंद कर रखा था… उसकी चूत का रस मेरे मुँह को गीला कर रहा था, वो अपनी चूत मेरे मुँह और नाक से घिसते हुए सिसक रही थी…
आअहह… भोसड़ी के अपना मुँह तो खोल, मदर्चोद…जीभ डाल मेरी भट्टी में… हाई…कुछ कर रजाअ….
उसकी मोटी गान्ड की खाई में मेरी नाक फँसी पड़ी थी, जिससे मुझे साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी, सो मेने मुँह खोलकर उसकी चूत की मोटी-मोटी फाँक पर अपने दाँत गढ़ा दिए….!
आआईयईई…मदर्चोद काटता है, साले जीभ डाल,
मे – तेरी माँ को चोदु साली रंडी, मेरी साँस रुक रही है, भेन की लॉडी, इस 1 कुन्तल की गान्ड को थोड़ा उपर रख ना…!
उसने अपनी गान्ड को थोड़ा उचका लिया, तो मेने भी अपनी जीभ की नोक उसकी चूत की फांकों के बीच घुसा दी…!
हां ! ऐसे ही चाट मेरे रजाअ…वो अपनी गान्ड आगे-पीछे करते हुए बोली…
उधर श्वेता पूरी सिद्दत से अपनी गान्ड को उपर नीचे करके मेरे मूसल को सटा-सॅट अपनी चूत में ले रही थी…!
फिर कुछ देर में ही वो झड़कर हाँफने लगी…!
श्वेता अपनी साँसें नियंत्रित करते हुए बोली – बड़ा तगड़ा मूसल है इसका हेमा, मेरा तो काम हो गया, अब तू आजा…!
वो साइड में अपनी टाँगें चौड़कर बैठ गयी, और अपनी चूत से बह रहे रस को अपनी उंगलियों पर लेकर देखने लगी, और फिर अपनी सनी हुई उंगलियाँ अपने मुँह में डालकर चूसने लगी…
उधर हेमा मेरे मुँह से उठकर मेरे लंड पर बैठने लगी, जोश-जोश में वो एक साथ वजन रख कर बैठी, लेकिन जैसे ही उसे ये एहसास हुआ कि इसे एक साथ अंदर लेना इतना आसान नही है…
सो आधे में ही उसकी आँखें बड़ी हो गयी, और वो वहीं रुक कर लंबी-लंबी साँस भरते हुए बोली –
सही कह रही थी तू श्वेता, ये तो साला कुछ ज़्यादा ही तगड़ा है यार, मेरी चूत फाड़ दी साले ने,
श्वेता उसके क्लिट को सहलाने लगी, हेमा ने फिर कोशिश की और पूरा लंड अंदर ले गयी…!
मे सोचने लगा, पता नही ये साली रंडियाँ कितनी देर तक मेरे उपर चढ़ेंगी, हर बार मे भी अगर इनके साथ झाड़ता रहा तो मेरी तो टंकी खाली हो जाएगी, सो मेने अपने उपर कंट्रोल बनाए रखने की कोशिश शुरू कर दी…!
लंड तो 4 घंटे तक बैठने वाला था ही नही,
कुछ देर मेरे लंड पर कूदने के बाद हेमा भी लंबी हो गयी,
उन दोनो को झड़ने के बाद भी मेने अपना पानी नही निकलने दिया, तो वो साली चिढ़ गयीं, और मेरे लंड को फिर से बारी बारी चूसने लगी…!
1 घंटे के इस खेल में अब मुझे कंट्रोल रखना भारी होने लगा, और मेरी भी कमर चलानी लगी, ये देख कर वो दोनो मेरे लंड को हाथों में लेकर मुत्ठियाने लगी…
कुछ देर में ही मेने एक लंबी हुंकार भरते हुए अपनी पिचकारी श्वेता की चुचियों के उपर छोड़ दी,
बीच से ही हेमा ले लपक कर उसे अपने मुँह में ले लिया, और बची हुई मलाई वो गटक गयी…!
उसने मेरे लंड को चाट-चुट कर चमका दिया…, फिर वो दोनो एक दूसरे के होठों को चुस्ती रही, श्वेता की चुचियों से मलाई को चाटा, और बाथ रूम में जाकर नहाने लगी…!
मेने सोचा चलो अब ये नहा धोकर चली जाएँगी, साली रंडियों की खुजली जल्दी शांत हो गयी…!
लेकिन मेरा ये सोचना ग़लत साबित हुआ, वो कुछ देर बाद बाहर आकर फिर मेरे उपर टूट पड़ी….!
इस तरह वो दोनो बहुत देर तक चुदाई करवाती रही, 4-4, 5-5 बार झड़ने के बाद वो संतुष्ट हुई, इतने में मेरा भी 3 बार पानी निकलवा ही दिया था सालियों ने…
उसके बाद उन्होने अपने कपड़े पहने, फिर श्वेता ने किसी को फोन किया, और वो दोनो वहाँ से निकल गयी…!
उन्हें गये हुए अभी 15 मिनिट ही हुए होंगे, कि तभी एक साथ 4-5 औरतें कमरे में आई, और देखते ही देखते वो सभी नंगी हो गयी,
पर ये अच्छा हुआ, कि उन्होने मेरे उपर बैठ कर लेटे-लेटे ही मुझे कुछ अंगूर, और दूसरी चीज़े खिलाई, और साथ साथ मेरे बदन से खेलती रही…
उसके बाद वो सब की सब मेरे उपर टूट पड़ी….
किसी ने मेरे लंड को पकड़ा, कोई मेरी गोलियाँ ऐंठने लगी, तो किसी ने मेरे निपल के साथ खिलवाड़ करनी शुरू कर दी…!
और एक-एक करके वो मेरे लंड के उपर बैठ-बैठ कर बारी बारी से अपनी चूत का पानी निकल्वाती रही…!
अंत में जब ड्रग का असर ख़तम हो गया, और झड-झड कर मेरा लंड मूसल से लुल्ली नही हो गया, तब तक उन्होने मेरा पीछा नही छोड़ा…!
पर एक बात मेने नोटीस की, श्वेता और हेमा के अलावा इन सभी ने कॉंडम चढ़ाकर चुदाई करवाई थी…!
मे एकदम पस्त हो गया था, अब मेरे शरीर में सेक्स का एक कतरा भी नही बचा था…!
जब वो सब चली गयी, तो थकान के कारण मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी…!
मे एक तरह से बेहोशी की अवस्था में जा चुका था, पूरे 18-20 घंटे तक मे सोता ही रहा, दूसरे दिन किसी के झकझोरने पर ही मेरी आँख खुली……!
देखा तो सामने श्वेता ही थी, आज उसके साथ हेमा के अलावा एक और औरत थी…!
मेरे बेड की हालत बदतर हो रही थी, मे तो पूरा नंगा ही था, पूरे बदन पर औरतों के थूक, लार, और चूत रस लगा हुआ था, जो अब सूख चुका था…
बेडशीट, मेरे वीर्य और उन सभी औरतों के कामरस से जगह जगह सनी हुई थी, जिनके धाब्बे सूख गये थे…!
कमरे के फर्श पर जहाँ तहाँ कॉंडम बिखरे पड़े थे, जिनमें किसी-किसी में मेरा माल अभी भी भरा हुआ था…!
कमरे की हालत देख कर हेमा ने बुरा सा मुँह बनाया, फिर श्वेता ने मेरे दोनो हाथ और एक पैर खोल दिया और चेतावनी देते हुए बोली –
अगर तुमने कोई चालाकी करने की कोशिश की, तो बाहर भानु और उसके आदमी तैयार बैठे हैं, वो तभी तक चुप हैं, जब तक तुम इस कमरे में बंद हो,
अगर ग़लती से भी बाहर दिखाई दे गये, तो तुम्हें शूट करने की उन्हें खुली छूट है…!
मुझे पलंग से नीचे खड़ा करके उसके साथ आई तीसरी औरत ने बेड शीट चेंज की, जिसपर पता नही कब मेरा पेसाब भी निकल गया था…
एक गीला तौलिया लेकर मेरे पूरे बदन को अच्छे से सॉफ करवाया, फिर एक डिब्बे में पानी के साथ लिक्विड वॉश डालकर मेरे लंड और उसके आस-पास को अच्छे से धोया…!
मेने अपने खुश्क होठों पर जीभ फिरा कर श्वेता से पूछा – अब तो बता दो तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो…?
वो मेरे मुँह को अपने हाथ से दबाते हुए बोली – जल्दी क्या है डार्लिंग, बता दूँगी, थोड़ा धीरज रखना सीखो, मेने जब इतने दिन धीरज रखा तो तुम कुछ घंटे भी नही रख सकते…!
उसके बाद हेमा ने मुझे एक ग्लास में जूस डालकर दिया, जिसमें पहले से ही ड्रग मिलाया हुआ था…!
साथ में कुछ सॅंडविच दिए जिसे मेने जूस के साथ गटका, जूस पीकर खाली ग्लास उसे थमा दिया, उसके बाद मेरे शरीर में फिरसे कुछ जान पड़ी…!
कुछ देर के लिए श्वेता और हेमा बाहर चली गयी, तो मेने उस तीसरी औरत जो लगभग 35-36 साल की हल्की सी साँवली सी थी उस’से पुचछा- तुम कॉन हो..?
वो – मेरा नाम सरोज है, मे श्वेता मेडम की पीए हूँ, फिर वो मेरे लटके हुए लंड को सहला कर बोली –
मेडम तो कह रही थी, कि बड़ा दमदार हथियार है तुम्हारा, लेकिन ये तो किसी मरे चूहे जैसा लग रहा है…!
मेने उसकी बात पर कोई गौर नही किया और अपना अगला सवाल दाग दिया – तुम्हारी मेडम ने मुझे यहाँ इस तरह से क़ैद क्यों कर रखा है…?
वो – मुझे ज़्यादा तो कुछ नही पता लेकिन शायद तुमने उन्हें कोई बहुत गहरी चोट पहुँचाई है, जिसका वो बदला अब तुमसे ले रही हैं…!
मे सोचने लगा, कि मेने उसे क्या चोट पहुँचाई है…? फिर जैसे ही मेरे दिमाग़ में उसके भाई वाला सीन घुमा, मेरी खोपड़ी उलट गयी, एक सेकेंड में ही समझ गया…
लेकिन उसे ये बात पता कैसे लगी, कि मेने उसका इस्तेमाल करके वो सब किया था…?
मे अपनी सोचों में गुम था, सरोज अपने काम में लगी थी, धीरे-धीरे उसे इस काम में सफलता मिलने लगी थी,
मेरा लंड सिर उठाने लगा था, जिसे देखकर उसके चेहरे पर एक कामुक सी मुस्कान आ गयी और उसने उसे अपने मुँह में ले लिया…!
उसके सिर को पाने लंड पर दबाकर मे सोचने लगा, कि कहीं ये बात भैया के ऑफीस से लीक तो नही हुई, कि उसके भाई ने मुखबरी करके असलम के माल को पकड़वाया था,
और फिर उसने आपसा में लिंक जोड़ दिए हों, फिर मेने खुद ही अपने विचारों को खारिज कर दिया, श्वेता जैसी कूद मगज औरत इतना सब नही सोच सकती…
फिर आख़िर उसे पता कैसे लगा, यही सब सोच-सोच कर मे अपना लंड चुस्वा रहा था, कि तभी वो दोनो भी कमरे में आ गयी…!
और मेरे खड़े लंड को देख कर वो खुश होते हुए बोली – अरे वाह सरोज, तूने तो समय से पहले ही इसे तैयार कर दिया…! शाबास..!
अब तू पीछे हट, आगे का काम हम संभालते हैं…!
लंड की सुंदरता देख कर सरोज उसे चूमते हुए बोली – मेडम, मेरा भी ख़याल रखना.., इसे देखकर मेरी मुनिया भी आँसू बहाने लगी है…
श्वेता ने हँसते हुए कहा – अरे क्यों नही, अब तो ये अपनी ही प्रॉपर्टी है, जैसे चाहे इस्तेमाल करो, क्यों हेमा.. तो शुरू करें…
इतना कहकर उन तीनों ने मिलकर मुझे फिरसे पलंग पर धकेल दिया, और किसी भूखी बाघिनों की तरह अपने शिकार पर झपट पड़ी…!
लगभग 3-4 घंटे तक वो मेरे लंड से चुद्वाती रही, मुझे पूरी तरह से निचोड़ डाला रंडियों ने, तब जाकर उन्होने मेरा पीछा छोड़ा…!
मुझे थोड़ा बहुत खाने को दिया, उसके बाद मेरे दोनो हाथ भी बाँध दिए, पैर दोनो खोल दिए और हाथों की रस्सियों को इतना लंबा कर दिया, जिससे कोशिश करके में पलंग के साइड तक आकर धार मार सकूँ…!
खाने के बाद मेने श्वेता से फिर पूछा – अब तो बता दो आख़िर तुम ये ज़ुल्म मेरे उपर क्यों कर रही हो…?
वो मेरे बालों को पकड़ कर अपने दाँत कीट-किटाकार बोली – ज़ुल्म ? तुम इसे ज़ुल्म कहते हो ? चुतो को फाड़ना तो तुम्हारा फेवोवरिट काम है,
और देखो…मेने तुम्हें कितनी तरह तरह की चुते चोदने को दी हैं, फिर भी कहते हो कि तुम्हारे उपर ज़ुल्म हो रहा है…हाहहाहा….!
फिर वो अपने ठहाकों पर ब्रेक लगाकर भबक्ते हुए स्वर में बोली – हां ! मिस्टर. अंकुश शर्मा, बहुत नाज़ है ना तुम्हें अपने इस लंड पर, जिसका इस्तेमाल करके तुमने इतने बड़े-बड़े काम किए हैं…!
ये कहते हुए उसने मेरे लंड पर एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया, मे दर्द से बिल-बिला उठा, और मेरे मुँह से कराह निकल गयी…!
मेने कराहते हुए कहा – मेने ऐसा क्या किया है, जिसकी तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रही हो…?
श्वेता – सुन’ना चाहते हो तो सुनो…!
सबसे पहले तुमने इसका इस्तेमाल करके मालती को चोदा और उसकी वीडियो क्लिप बनाकर भानु को अपना केस वापस लेने पर विवश किया…!
चोंको मत मुझे सब पता है, क्योंकि भानु हमारी ऑर्गनाइज़ेशन का एक एहम मोहरा रहा है हमेशा से, कामिनी के कहने पर ही उसने तुम्हारी निशा के साथ वो सब किया था…!
मे – तो तुम भी उस काली दुनिया का हिस्सा थी…?
वो ठहाका लगाते हुए बोली – लो कल्लो बात ! अबे गधे की औलाद, जिसके चारों ओर लोग जिस काम में लगे हों, वो उससे अछूता कैसे रह सकता है,
यहाँ तो उसकी नीव ही मेने और कामिनी ने मिलकर रखी थी उस्मान भाई के साथ मिलकर…! वाकी के लोग तो बाद में जुड़े…!
उसका ये खुलासा सुनकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी, फिर मेने अपने आप को संयत करके पुछा – तुम्हारे पति को ये सब पता था…!
वो – क्या बच्चों जैसा सवाल करते हो…? जो आदमी हर बिज़्नेस में पार्ट्नर हो, वो उस काम में क्यों नही होगा..?
कामिनी ने तो पूरी कोशिश कि, कि उसका एसपी पति भी उसके साथ जुड़ जाए, लेकिन सीधे-सीधे नही कह सकती थी,
शुरू-शुरू में तो वो उसके रूप जाल में फंसकर उसकी बात मानता था, उसे लगने लगा था कि शायद वो भी हमारे साथ आ जाएगा…!
लेकिन फिर जब तुम भानु वाले केस में इन्वॉल्व हो गये, और पोलीस पर मान हानि का दावा ठोक दिया…
उसके बाद कहीं ना कहीं तुम्हें पटाने के चक्कर में उसका जमीर फिरसे जाग उठा, और उसका परिवार प्रेम फिर से जाग गया, और वो तुम्हारे साथ हो गया…!
रेखा वाले केस में उसने तुम्हारा साथ दिया, इससे नाराज़ होकर कामिनी ने उसका बंगला छोड़ दिया, लेकिन वो अपने पापा की वजह से डाइवोर्स देने के लिए तैयार नही हुई…!
और शायद यही उसकी सबसे बड़ी ग़लती साबित हुई…..!
श्वेता जिस तरह से खुलासे पे खुलासे करती जा रही थी, मेरी जिगयाशा उतनी ही बढ़ती जा रही थी, मे मुँह फाडे किसी अच्छे श्रोता की तरह उसकी बातें सुन रहा था…!
उसने आगे कहा – ना वो अपने डाइवोर्स को बचाने की कोशिश में तुमसे मिलती, और तुम्हारे इसी लंड की चाह में फिरसे तुम्हारे साथ संबंध सुधारने की कोशिश करती…!
और ना ही वो मुझे तुमसे मिलवाटी, चूँकि हम दोनो के बीच ऐसा कुछ भी नही था, जो छिपा हो, सो उसने तुम्हारे लंड की दमदारी के इतने क़िस्से कह डाले,
जिन्हें सुनकर मेरी चूत इसे लेने के लिए फड़फड़ाने लगी, और मेने तुमसे चुदवाने के लिए होटेल में मिलने वाली तुम्हारी शर्त आक्सेप्ट कर ली…!
जहाँ तुमने फिरसे वही चाल चली जो मालती और भानु के साथ चली थी, और हमारी चुदाई की वीडियो बनाकर मेरे भाई को दिखाकर पोलीस का मुखबिर बना लिया…!
भले ही मे अपने छोटे भाई से चुदवाती थी, फिर भी कोई भी बाप या भाई, अपनी बेहन बेटी की चुदाई को सार्वजनिक होने नही दे सकता, उसी का तुमने फ़ायदा उठाकर उसको हमारे ही ऑर्गनाइज़ेशन के खिलाफ इस्तेमाल किया… !
आअन्णन्न्..ांनग्ज्ग…चोंको मत ! यही सोच रहे हो ना कि ये सब मुझे कैसे और कब पता लगा…?
मेने बिना कोई जबाब दिए उसको सवालिया नज़रों से देखा…!
श्वेता – काश ! ये बात मुझे बहुत पहले ही पता चल जाती तो आज ये नौबत नही आती, मेरा भाई, मेरा बाप, मेरी बेहन जैसी फ्रेंड, उसके पापा, हमारा ऑर्गनाइज़ेशन सब कुछ वैसा ही होता, जैसा पहले था…!
ये सब कहकर एक क्षण को वो एमोशनल हो गयी, और उसकी पलकों की कोरों पर पानी की बूँदें इकट्ठा हो गयी…
फिर जल्दी ही सामान्य होकर बोली – तुम्हें याद है, जिस दिन हमने मेरे ऑफीस में लास्ट चुदाई की थी, काफ़ी देर तक मुझे खूब जमकर चोदने के बाद तुम्हें टाय्लेट लगी..और तुम बाथ रूम चले गये…
अच्छी तरह से साफ सफाई करने में तुम्हें काफ़ी वक़्त लगा…! उसी बीच तुम्हारे मोबाइल पर कोई मेसेज आया…!
ज़िग्यासावस में तुम्हारे मोबाइल को देखने लगी, मुझे याद नही वो मेसेज क्या था, लेकिन इस चक्कर में तुम्हारे मेसेज लिस्ट में मेने असलम का नाम देखा..
उसका नाम तुम्हारे मेसेज बॉक्स में देख कर में बुरी तरह से चोंक पड़ी…
मेने बीच में कूदते हुए कहा – कोई बात नही दीदी, तुम भी दिखा दो इन दोनो बहनों को कि तुम किसी से कम नही हो…!
दीदी ने मेरे कूल्हे पर एक चपत लगते हुए कहा – बहुत चालू है तू, दो दो गान्ड एक साथ मारना चाहता है, फिर हँसते हुए मेरे लौडे को सहला कर बोली –
चल ठीक है, तू भी क्या याद करेगा.., मारले अपनी बेहन की कुँवारी गान्ड, आगे की सील भी तेरे से ही तुडवाई थी मेने, आज पीछे का ढक्कन भी खोल दे…!
रामा दीदी ने अपना गाउन निकाल कर निशा के मुँह पर फेंक मारा, मात्र एक ब्रा और पैंटी में उसका दूधिया भरा हुआ बदन देख कर जहाँ मेरी आँखें चमक उठी,
वहीं भाभी उसके बदन को सहलाते हुए बोली – वाउ रामा, क्या मस्त माल हो गयी हो यार, काश मेरे भी लल्ला जैसा एक तगड़ा मोटा सा लंड होता तो मे तुम्हारी इस मक्खन जैसी गान्ड का परोथन उड़ा देती, कहते हुए उन्होने दीदी की गान्ड को मसल दिया…!
फिर निशा से बोली – अब तू क्या टुकूर-टुकूर देख रही है, चल तू भी अपनी तैयारी शुरू कर, अगला नंबर तेरा भी है..!
उधर निशा अपने कपड़े निकालने लगी इधर मेने दीदी की गान्ड को सहलाते हुए उसके दोनो चिकने मुलायम थिरकते चुतड़ों पर एक-एक थप्पड़ मार कर जंग का एलान कर दिया और उसकी गान्ड को जीभ से चाटने लगा…!
दीदी बोली – भाई मेरी एक रिक्वेस्ट मानेगा, पहले एक बार मेरी चूत चोद कर ठंडा कर्दे, उसके बाद जो तेरे जी में आए करना…!
मेने दीदी की पैंटी को गान्ड की दरार से एक साइड में करते हुए कहा – मंजूर है,
मेरी प्यारी दीदी कुछ माँगे और मे ना कर दूं, ऐसा भला कभी हो सकता है, इतना बोलकर मेने अपनी जीभ से उसकी गान्ड के कत्थ्यि रंग के छोटे से छेद को चाट लिया…!
जीभ लगते ही उसने अपनी गान्ड को कसकर भींच लिया, और सिसकते हुए बोली – सीईईई…आअहह.. मेरा प्यारा भैया…अपनी बेहन की कितनी फिकर करता है…, हआयईए…रीए…चाट भाई.., बहुत अच्छा लग रहा है..,
मे उसकी गान्ड के उभारों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगा, वो मज़े से अपनी गान्ड हिलाने लगी..,
तभी निशा ने मेरी जाँघो के बीच लेटकर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और वो उसे चूसने लगी…
मेने दीदी को अपने मुँह पर बिठा रखा था, गान्ड चाटने के बाद मेने अपने मुँह में उसकी चूत की फांकों के भर लिया और एक बार ज़ोर्से चूसा…!
रामा दीदी का मज़े से बुरा हाल होने लगा, और वो लंबी-लंबी साँस लेकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी..!
उधर निशा ने मेरे लंड को चूस-चुस्कर लोहे जैसा सख़्त कर दिया था, दीदी की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ने लगी थी..,
बस लल्ला अब शुरू करदो, बहुत हुई चुसम-चुसाई.., बहुत लंबा सफ़र है आगे, भाभी ने किसी रेफरी की तरह अपना फ़ैसला सुना दिया…
उनकी बात मान कर मेने दीदी की टाँगों को अपनी जांघों पर रख कर निशा की लार से तर अपने लंड को दीदी की रस से लबालब चूत में पेल दिया…!
एक ही झटके में तीन चौथाई तक लंड लेकर रामा बुरी तरह सिसक पड़ी, एक मीठे दर्द की कराह उसके मुँह से निकल पड़ी… आआहह…. सस्स्सिईइ…. उउउफफफ्फ़… धीरी…री…
उसकी चुचियों को सहलाते हुए मेने अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और फिरसे एक और धक्का लगाकर पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया…!
दीदी के नाख़ून मेरी पीठ में गढ़ गये, अपने मुँह को मेरे कंधे में दबाकर वो सारे दर्द को पी गयी..,
अगले ही पल उसकी गान्ड हरकत करने लगी और मेने अपना काम शुरू कर दिया..,
5-7 मिनिट में ही वो भल-भला कर झड़ने लगी, लंबी-लंबी साँसें लेते हुए उसने मुझे अपने बदन से चिपका लिया…!
कुछ देर बाद मेने उसे पलटा दिया, भाभी ने नीचे से उठाकर तेल पकड़ा दिया जिसे मेने दीदी की गान्ड पर अच्छे से मला, अब उसकी गान्ड एक दम दमकने लगी थी…!
कुछ तेल की धार उसके छेद पर डालकर एक उंगली से अंदर तक चिकनाहट करदी…!
गान्ड में उंगली जाते ही दीदी सिहर उठी, सहमी सी आवाज़ में बोली – भाई रे, थोड़ा रहम करना, मेरी कुँवारी गान्ड है, फाड़ मत देना…!
मेने उसकी गान्ड को चिकनाते हुए कहा, तुम बिल्कुल चिंता मत करो, मे बड़े आराम से ही डालूँगा, तुम्हें पता भी नही चलेगा.., ये कहकर मेने उसके चूतरस से सना अपना लंड पकड़ कर उसकी गान्ड के छेद पर रख दिया…!
एक बार फिर उसकी गान्ड सिकुड़ी, मेने उसकी पीठ पर चूमते हुए कहा – थोड़ा इसे ढीला छोड़ो दीदी, वरना ज़्यादा तकलीफ़ होगी तुम्हें…!
मेरी बात मानकर उसने अपने गान्ड के छेद को ढीला किया, भाभी और निशा दम साधे किसी तमाशबीन की तरह ये सब देख रही थी…!
भाभी को तो पता था, कि आनेवाले पलों में रामा की गान्ड का क्या हाल होना है, लेकिन निशा पूरी तरह से अंजान थी…!
मेने हल्के से अपने लंड को दीदी की गान्ड में दबाया, तेल की चिकनाई की वजह से उसका सुपाडा आराम से अंदर समा गया…!
छेद को चौड़ा होते ही दीदी के मुँह से कराह निकली..आअहह…धीरे…, दर्द होता है री…,
मेने उसके कूल्हे को सहलाया और कहा – थोड़ा सहन तो करना पड़ेगा…!
ये कहकर मेने उसे और थोड़ा अंदर कर दिया.., लगभग चौथाई लंड से ही दीदी हिन-हिनाने लगी, दर्द उसकी आँखों में झलकने लगा, तकिये में मुँह देकर वो अपने दर्द को सहन करने की कोशिश करने लगी…!
तभी भाभी ने इशारा किया एक तेज झटका मारने का, बात भी सही थी, ऐसे धीरे-धीरे डालने से दर्द ज़्यादा देर तक रहने वाला था..,
सो मेने अपना लंड फिरसे सुपाडे तक निकाला, दीदी कुछ रिलॅक्स हुई…
लेकिन अगले ही पल मेने दम साधकर एक तगड़ा सा धक्का उसकी गान्ड में लगा दिया…, गान्ड को चर-चराता हुआ मेरा तीन-चौथाई लंड उसके अंदर चला गया…!
दीदी की तेज चीख से पूरा कमरा गूँज उठा…आर्ररिइ…मैया…मर् गाइ..र्रिि...
कम्बख़्त..कमीने…गान्डु निकाल अपना मूसल…मुझे नही मरानी…हाए रे दैयाअ..भेन्चोद ने फाड़ दी मेरी गान्ड…!
वोही आदमी फिर बोला – सबर कर सब पता चल जाएगा…!
फिर कुछ देर बाद जो शख्स उस कमरे में दाखिल हुआ, उसे देख कर मे बुरी तरह चोंक गया, और मेरे मुँह से निकला, तूमम्म्म…!
ये कोई और नही भानु ही था, जिसने मालती को चारा बनाकर एक बार फिर मेरे उपर घात करदी थी…!
भानु – हां मे, क्यों बेटा कैसा लग रहा है यहाँ बँधे पाकर, कोर्ट में मात देकर बड़ा खुश हो रहा था तू…!
मे – भानु, तेरी उस ग़लती को तो मेने माफ़ भी कर दिया था, लेकिन अब तूने फिरसे अपनी औकात दिखा दी, ये ग़लती तुझे बहुत भारी पड़ने वाली है कमीने…!
भानु – यहाँ तू सिर्फ़ फड़फड़ाने के अलावा और कुछ नही कर सकेगा, अब यहाँ से निकल पाएगा इस बारे में सोचना भी मत साले, अब यहाँ से सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरी लाश ही बाहर जाएगी, वो भी किसी गटर में.
उसकी बात सुनकर मेरे तिर्पान काँप गये, मुझे अपने मरने की फिकर नही थी, मेरे पीछे मेरे घरवालों का क्या होगा, ये सोचकर मेने हाथ पैर हिलाने की नाकाम कोशिश की…!
मेने भानु से पुछा – जब तू मुझे मारना ही चाहता है तो इस तरह बाँधने का क्या मतलब…?
भानु – कोई है जो तेरे गुनाहों की सज़ा अपने हिसाब से देना चाहता है, वरना मे तो तुझे यहाँ लाता भी नही, अपने घर में ही तेरा गेम बजा चुका होता…!
मे – कॉन है वो ? और मेने कॉन्सा गुनाह किया है जिसकी सज़ा मुझे मिलने वाली है…!
भानु – सबर कर, सब पता चल जाएगा कि तूने क्या-2 तीर मारे हैं, किस-किस को क्या-क्या दुख पहुँचाए हैं…!
मे सोच में पड़ गया, की अगर भानु असल दुश्मन नही है तो और कॉन बचा है जो मुझसे अपनी दुश्मनी निकालना चाहता है, वाकी सबको तो उनके अंजाम तक मेने पहुँचा ही दिया है…!
लाख सिर खपाने पर भी मेरी समझ में नही आया कि ये नया दुश्मन कों पैदा हो गया..>?
मे अभी अपनी सोचों में ही डूबा हुआ था, कि तभी दो औरतें कमरे में दाखिल हुई,
उनमें से एक को देख कर तो मे इतनी बुरी तरह चोंका, कि अगर मेरे हाथ पैर बँधे नही होते तो मे बेड से उच्छल ही पड़ता….!
वो श्वेता थी, जो मंद-मंद मुस्कराते हुए मेरी तरफ ही आ रही थी…!
बेड के पास आकर वो बोली – किस सोच में डूबे हो 007, मुझे यहाँ देख कर चोंक गये ना…!
मेने चोन्क्ते हुए कहा – श्वेता तुम…? तुमने मुझे यहाँ क़ैद करवाया है?
वो अपने सिर को आगे पीछे हिलाते हुए बोली – हुउंम्म… क्यों.. झटका लगा ना कि मेने आख़िर क्यों तुम्हें इस तरह क़ैद कर रखा है…?
मेने बिना कुछ कहे सवालिया नज़रों से उसको घूरा…!
वो मेरे बेहद नज़दीक आई, और मेरे गाल को सहलाते हुए बोली – अभी नही डार्लिंग, अभी थोड़ा कहानी में सस्पेंस बना रहे तो ही अच्छा है…!
कम से कम तुम ये सोच-सोच कर अपना सिर तो खपाते रहोगे, कि आख़िर ऐसी कोन्सि चूक हो गयी तुमसे जो आज इस हाल में पड़े हो…!
फिर उसने अपने साथ आई दूसरी औरत की तरफ कुछ इशारा किया, जो शायद कोई डॉक्टर थी, उसने अपने बॅग से एक इंजेक्षन निकाला और मेरी बाजू में लगा दिया…!
मुझे पता नही किस तरह का इंजेक्षन था वो, उसे देकर वो दोनो कुछ देर के लिए बाहर चली गयी जो शायद भानु से कुछ बातें कर रही थी, इतने में उस इंजेक्षन का असर मुझे होने लगा, और मेरा सिर भारी सा हो गया…!
करीब 45 मिनिट के बाद मेरी आँखें लाल सुर्ख एकदम अंगारे सी हो गयी, और मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सी बैचैनि होने लगी…!
माथे की नसें कड़क होकर उभर आई, और मेरा चेहरा लाल भबूका हो गया…!
करीब एक घंटे के बाद श्वेता और उसकी फ्रेंड कमरे में आई, और उन्होने अंदर से गेट बंद कर दिया…!
वो दोनो मेरे आजू-बाजू में आकर बैठ गयी, दूसरी औरत भी एकदम हॉट माल थी, लेकिन श्वेता के कंपेरिषन में थोड़ी सी भारी थी, शायद 36-34-38 का फिगर लगा मुझे…
श्वेता ने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी छाती पर अपनी मुलायम हथेली से सहलाते हुए बोली – क्यों मिस्टर. अंकुश शर्मा एलएलबी, कैसा लग रहा है अब…!
उसका हाथ लगते ही मेरे शरीर में उत्तेजना भरने लगी, मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर मेरे हाथ पैर बँधे हुए नही होते, तो यहीं अभी के अभी इन दोनो रंडियों को पटक-पटक कर चोद डालता…!
लेकिन अपनी उत्तेजना पर काबू पाने का भरसक प्रयास करते हुए मेने उससे कहा – क्यों कर रही हो मेरे साथ ऐसा ? क्या बिगाड़ा हैं मेने तुम्हारा..?
तुम तो मुझे पसंद करती थी, अब ऐसा क्या हुआ जो मुझे इस तरह बाँध के डाला हुआ है..., और ये इंजेक्षन कैसा था…!
वो मेरे गाल को सहलाते हुए..…नही ये ग़लत होगा कहना, लगभग रगड़ती हुई बोली – डॉन’ट वरी डियर, तुम्हारे हर सवाल का जबाब मिलेगा, हॅव पेशियेन्स…
और हां ये इंजेक्षन वो काला जादू है, जिससे कम से कम 4 घंटे तक तुम्हारा ये हथियार, जिसके दम पर तुमने इतने बड़े बड़े काम चुटकियों में कर डाले हैं ढीला नही पड़ेगा, भले ही तुम 10 बार क्यों ना झड जाओ…
ये कहकर उसने मेरे पॅंट की जिप खोल दी, और मेरे मूसल जैसे लंड को बाहर निकाल लिया, जो वास्तव में ही एकदम स्टील रोड की तरह शख्त हो चुका था,
मेरे लंड को देख कर बाजू में बैठी औरत हैरत से आँखें फ़ाडे देख रही थी…,
उसको इस तरह देखते पाकर श्वेता हँसते हुए बोली – क्यों डॉक्टर. हेमा, कैसा लगा ये हथियार, मेने कुछ ग़लत तो नही कहा था ना…!
डॉक्टर. हेमा ने हन में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा – तू सही कह रही थी श्वेता, वाकाई में चमत्कारी लंड है इसका, आज तो जमकर मज़ा लूँगी इस’से…!
ड्र. हेमा की बात पर वो दोनो खिल-खिलाकर कर हँसने लगी, फिर उन्होने मेरे पॅंट और अंडरवेर को खींच कर उतार दिया, और दोनो तरफ से किसी भूखी कुतियाओं की तरह मेरे लंड पर टूट पड़ी…!
इंजेक्षन के असर से मेरा सोता आज कुछ ज़्यादा ही बड़ा और फूलकर मोटा सा हो गया था, जिसे देख कर उन दोनो कुतियाओं की आँखें हीरे के मानिंद चमकने लगी…
वो दोनो ओर से उसे चूसने को झपट पड़ी, एक तरह से मानो चूसने की प्रतियोगिता सी होने लगी उन दोनो के बीच,
एक लंड चुस्ती, तो दूसरी मेरे पेलरों को जो दो बड़े चीकुओ जैसे लग रहे थे को मुँह में भर कर पपोर्ने लगती…!
एक तो इंजेक्षन का असर, दूसरा मेरे समान पर दोहरी मार से मेरे मुँह से आनद की किल्कारियाँ निकालने लगी…!
चारों हाथ पैर बँधे होने के बाद भी मेरी कमर हवा में लहराने लगी…
उन दोनो से ज़्यादा देर सबर नही हुआ, 5 मिनिट की लंड चुसाई से ही रंडियों की चूतें टपकने लगी, और वो देखते ही देखते अपने अपने कपड़े निकाल कर एकदम नंगी हो गयी…!
ड्र. हेमा अपनी धरा सी गान्ड लेकर मेरे मुँह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी, और श्वेता ने मेरे लंड को अपने कब्ज़े में ले लिया…
बुरी तरह सिसकते हुए उसने अपनी रस से लबालब चूत मेरे लंड के सेब जितने मोटे और दहक्ते सुपाडे पर रखी और धीरे-धीरे बैठती चली गयी…
लंड आज कुछ ज़्यादा ही मोटा और लंबा लगा उसे, सो उसे पूरा निगलने में अपनी नानी याद आ गयी.
आअहह….आज तो ये और ज़्यादा मोटा तगड़ा लग रहा है, सच में यार अंकुश, मुझे बड़ा दुख है कि मेने तुझे ऐसी हालत में रखा है, तेरे इस मूसल की बहुत याद आएगी मुझे…
सस्स्सिईइ…फुक्ककककक….उउउफफफ्फ़…..कितनी कस गयी हैं मेरी चूत की फाँकें…. वो धीरे-धीरे अपनी गान्ड को उपर उठाते हुए बोली….
पर क्या करूँ यार, तूने साला काम ही ऐसा किया है… मेरे लंड धारी रजाअ….कि अब तुझे छोड़ नही पाउन्गि…सस्स्सिईइ…हाईए…क्या मज़ा है तेरे इस मूसल जैसे लंड में…
इधर हेमा अपनी मोटी गान्ड मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, मेने अपना मुँह बंद कर रखा था… उसकी चूत का रस मेरे मुँह को गीला कर रहा था, वो अपनी चूत मेरे मुँह और नाक से घिसते हुए सिसक रही थी…
आअहह… भोसड़ी के अपना मुँह तो खोल, मदर्चोद…जीभ डाल मेरी भट्टी में… हाई…कुछ कर रजाअ….
उसकी मोटी गान्ड की खाई में मेरी नाक फँसी पड़ी थी, जिससे मुझे साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी, सो मेने मुँह खोलकर उसकी चूत की मोटी-मोटी फाँक पर अपने दाँत गढ़ा दिए….!
आआईयईई…मदर्चोद काटता है, साले जीभ डाल,
मे – तेरी माँ को चोदु साली रंडी, मेरी साँस रुक रही है, भेन की लॉडी, इस 1 कुन्तल की गान्ड को थोड़ा उपर रख ना…!
उसने अपनी गान्ड को थोड़ा उचका लिया, तो मेने भी अपनी जीभ की नोक उसकी चूत की फांकों के बीच घुसा दी…!
हां ! ऐसे ही चाट मेरे रजाअ…वो अपनी गान्ड आगे-पीछे करते हुए बोली…
उधर श्वेता पूरी सिद्दत से अपनी गान्ड को उपर नीचे करके मेरे मूसल को सटा-सॅट अपनी चूत में ले रही थी…!
फिर कुछ देर में ही वो झड़कर हाँफने लगी…!
श्वेता अपनी साँसें नियंत्रित करते हुए बोली – बड़ा तगड़ा मूसल है इसका हेमा, मेरा तो काम हो गया, अब तू आजा…!
वो साइड में अपनी टाँगें चौड़कर बैठ गयी, और अपनी चूत से बह रहे रस को अपनी उंगलियों पर लेकर देखने लगी, और फिर अपनी सनी हुई उंगलियाँ अपने मुँह में डालकर चूसने लगी…
उधर हेमा मेरे मुँह से उठकर मेरे लंड पर बैठने लगी, जोश-जोश में वो एक साथ वजन रख कर बैठी, लेकिन जैसे ही उसे ये एहसास हुआ कि इसे एक साथ अंदर लेना इतना आसान नही है…
सो आधे में ही उसकी आँखें बड़ी हो गयी, और वो वहीं रुक कर लंबी-लंबी साँस भरते हुए बोली –
सही कह रही थी तू श्वेता, ये तो साला कुछ ज़्यादा ही तगड़ा है यार, मेरी चूत फाड़ दी साले ने,
श्वेता उसके क्लिट को सहलाने लगी, हेमा ने फिर कोशिश की और पूरा लंड अंदर ले गयी…!
मे सोचने लगा, पता नही ये साली रंडियाँ कितनी देर तक मेरे उपर चढ़ेंगी, हर बार मे भी अगर इनके साथ झाड़ता रहा तो मेरी तो टंकी खाली हो जाएगी, सो मेने अपने उपर कंट्रोल बनाए रखने की कोशिश शुरू कर दी…!
लंड तो 4 घंटे तक बैठने वाला था ही नही,
कुछ देर मेरे लंड पर कूदने के बाद हेमा भी लंबी हो गयी,
उन दोनो को झड़ने के बाद भी मेने अपना पानी नही निकलने दिया, तो वो साली चिढ़ गयीं, और मेरे लंड को फिर से बारी बारी चूसने लगी…!
1 घंटे के इस खेल में अब मुझे कंट्रोल रखना भारी होने लगा, और मेरी भी कमर चलानी लगी, ये देख कर वो दोनो मेरे लंड को हाथों में लेकर मुत्ठियाने लगी…
कुछ देर में ही मेने एक लंबी हुंकार भरते हुए अपनी पिचकारी श्वेता की चुचियों के उपर छोड़ दी,
बीच से ही हेमा ले लपक कर उसे अपने मुँह में ले लिया, और बची हुई मलाई वो गटक गयी…!
उसने मेरे लंड को चाट-चुट कर चमका दिया…, फिर वो दोनो एक दूसरे के होठों को चुस्ती रही, श्वेता की चुचियों से मलाई को चाटा, और बाथ रूम में जाकर नहाने लगी…!
मेने सोचा चलो अब ये नहा धोकर चली जाएँगी, साली रंडियों की खुजली जल्दी शांत हो गयी…!
लेकिन मेरा ये सोचना ग़लत साबित हुआ, वो कुछ देर बाद बाहर आकर फिर मेरे उपर टूट पड़ी….!
इस तरह वो दोनो बहुत देर तक चुदाई करवाती रही, 4-4, 5-5 बार झड़ने के बाद वो संतुष्ट हुई, इतने में मेरा भी 3 बार पानी निकलवा ही दिया था सालियों ने…
उसके बाद उन्होने अपने कपड़े पहने, फिर श्वेता ने किसी को फोन किया, और वो दोनो वहाँ से निकल गयी…!
उन्हें गये हुए अभी 15 मिनिट ही हुए होंगे, कि तभी एक साथ 4-5 औरतें कमरे में आई, और देखते ही देखते वो सभी नंगी हो गयी,
पर ये अच्छा हुआ, कि उन्होने मेरे उपर बैठ कर लेटे-लेटे ही मुझे कुछ अंगूर, और दूसरी चीज़े खिलाई, और साथ साथ मेरे बदन से खेलती रही…
उसके बाद वो सब की सब मेरे उपर टूट पड़ी….
किसी ने मेरे लंड को पकड़ा, कोई मेरी गोलियाँ ऐंठने लगी, तो किसी ने मेरे निपल के साथ खिलवाड़ करनी शुरू कर दी…!
और एक-एक करके वो मेरे लंड के उपर बैठ-बैठ कर बारी बारी से अपनी चूत का पानी निकल्वाती रही…!
अंत में जब ड्रग का असर ख़तम हो गया, और झड-झड कर मेरा लंड मूसल से लुल्ली नही हो गया, तब तक उन्होने मेरा पीछा नही छोड़ा…!
पर एक बात मेने नोटीस की, श्वेता और हेमा के अलावा इन सभी ने कॉंडम चढ़ाकर चुदाई करवाई थी…!
मे एकदम पस्त हो गया था, अब मेरे शरीर में सेक्स का एक कतरा भी नही बचा था…!
जब वो सब चली गयी, तो थकान के कारण मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी…!
मे एक तरह से बेहोशी की अवस्था में जा चुका था, पूरे 18-20 घंटे तक मे सोता ही रहा, दूसरे दिन किसी के झकझोरने पर ही मेरी आँख खुली……!
देखा तो सामने श्वेता ही थी, आज उसके साथ हेमा के अलावा एक और औरत थी…!
मेरे बेड की हालत बदतर हो रही थी, मे तो पूरा नंगा ही था, पूरे बदन पर औरतों के थूक, लार, और चूत रस लगा हुआ था, जो अब सूख चुका था…
बेडशीट, मेरे वीर्य और उन सभी औरतों के कामरस से जगह जगह सनी हुई थी, जिनके धाब्बे सूख गये थे…!
कमरे के फर्श पर जहाँ तहाँ कॉंडम बिखरे पड़े थे, जिनमें किसी-किसी में मेरा माल अभी भी भरा हुआ था…!
कमरे की हालत देख कर हेमा ने बुरा सा मुँह बनाया, फिर श्वेता ने मेरे दोनो हाथ और एक पैर खोल दिया और चेतावनी देते हुए बोली –
अगर तुमने कोई चालाकी करने की कोशिश की, तो बाहर भानु और उसके आदमी तैयार बैठे हैं, वो तभी तक चुप हैं, जब तक तुम इस कमरे में बंद हो,
अगर ग़लती से भी बाहर दिखाई दे गये, तो तुम्हें शूट करने की उन्हें खुली छूट है…!
मुझे पलंग से नीचे खड़ा करके उसके साथ आई तीसरी औरत ने बेड शीट चेंज की, जिसपर पता नही कब मेरा पेसाब भी निकल गया था…
एक गीला तौलिया लेकर मेरे पूरे बदन को अच्छे से सॉफ करवाया, फिर एक डिब्बे में पानी के साथ लिक्विड वॉश डालकर मेरे लंड और उसके आस-पास को अच्छे से धोया…!
मेने अपने खुश्क होठों पर जीभ फिरा कर श्वेता से पूछा – अब तो बता दो तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो…?
वो मेरे मुँह को अपने हाथ से दबाते हुए बोली – जल्दी क्या है डार्लिंग, बता दूँगी, थोड़ा धीरज रखना सीखो, मेने जब इतने दिन धीरज रखा तो तुम कुछ घंटे भी नही रख सकते…!
उसके बाद हेमा ने मुझे एक ग्लास में जूस डालकर दिया, जिसमें पहले से ही ड्रग मिलाया हुआ था…!
साथ में कुछ सॅंडविच दिए जिसे मेने जूस के साथ गटका, जूस पीकर खाली ग्लास उसे थमा दिया, उसके बाद मेरे शरीर में फिरसे कुछ जान पड़ी…!
कुछ देर के लिए श्वेता और हेमा बाहर चली गयी, तो मेने उस तीसरी औरत जो लगभग 35-36 साल की हल्की सी साँवली सी थी उस’से पुचछा- तुम कॉन हो..?
वो – मेरा नाम सरोज है, मे श्वेता मेडम की पीए हूँ, फिर वो मेरे लटके हुए लंड को सहला कर बोली –
मेडम तो कह रही थी, कि बड़ा दमदार हथियार है तुम्हारा, लेकिन ये तो किसी मरे चूहे जैसा लग रहा है…!
मेने उसकी बात पर कोई गौर नही किया और अपना अगला सवाल दाग दिया – तुम्हारी मेडम ने मुझे यहाँ इस तरह से क़ैद क्यों कर रखा है…?
वो – मुझे ज़्यादा तो कुछ नही पता लेकिन शायद तुमने उन्हें कोई बहुत गहरी चोट पहुँचाई है, जिसका वो बदला अब तुमसे ले रही हैं…!
मे सोचने लगा, कि मेने उसे क्या चोट पहुँचाई है…? फिर जैसे ही मेरे दिमाग़ में उसके भाई वाला सीन घुमा, मेरी खोपड़ी उलट गयी, एक सेकेंड में ही समझ गया…
लेकिन उसे ये बात पता कैसे लगी, कि मेने उसका इस्तेमाल करके वो सब किया था…?
मे अपनी सोचों में गुम था, सरोज अपने काम में लगी थी, धीरे-धीरे उसे इस काम में सफलता मिलने लगी थी,
मेरा लंड सिर उठाने लगा था, जिसे देखकर उसके चेहरे पर एक कामुक सी मुस्कान आ गयी और उसने उसे अपने मुँह में ले लिया…!
उसके सिर को पाने लंड पर दबाकर मे सोचने लगा, कि कहीं ये बात भैया के ऑफीस से लीक तो नही हुई, कि उसके भाई ने मुखबरी करके असलम के माल को पकड़वाया था,
और फिर उसने आपसा में लिंक जोड़ दिए हों, फिर मेने खुद ही अपने विचारों को खारिज कर दिया, श्वेता जैसी कूद मगज औरत इतना सब नही सोच सकती…
फिर आख़िर उसे पता कैसे लगा, यही सब सोच-सोच कर मे अपना लंड चुस्वा रहा था, कि तभी वो दोनो भी कमरे में आ गयी…!
और मेरे खड़े लंड को देख कर वो खुश होते हुए बोली – अरे वाह सरोज, तूने तो समय से पहले ही इसे तैयार कर दिया…! शाबास..!
अब तू पीछे हट, आगे का काम हम संभालते हैं…!
लंड की सुंदरता देख कर सरोज उसे चूमते हुए बोली – मेडम, मेरा भी ख़याल रखना.., इसे देखकर मेरी मुनिया भी आँसू बहाने लगी है…
श्वेता ने हँसते हुए कहा – अरे क्यों नही, अब तो ये अपनी ही प्रॉपर्टी है, जैसे चाहे इस्तेमाल करो, क्यों हेमा.. तो शुरू करें…
इतना कहकर उन तीनों ने मिलकर मुझे फिरसे पलंग पर धकेल दिया, और किसी भूखी बाघिनों की तरह अपने शिकार पर झपट पड़ी…!
लगभग 3-4 घंटे तक वो मेरे लंड से चुद्वाती रही, मुझे पूरी तरह से निचोड़ डाला रंडियों ने, तब जाकर उन्होने मेरा पीछा छोड़ा…!
मुझे थोड़ा बहुत खाने को दिया, उसके बाद मेरे दोनो हाथ भी बाँध दिए, पैर दोनो खोल दिए और हाथों की रस्सियों को इतना लंबा कर दिया, जिससे कोशिश करके में पलंग के साइड तक आकर धार मार सकूँ…!
खाने के बाद मेने श्वेता से फिर पूछा – अब तो बता दो आख़िर तुम ये ज़ुल्म मेरे उपर क्यों कर रही हो…?
वो मेरे बालों को पकड़ कर अपने दाँत कीट-किटाकार बोली – ज़ुल्म ? तुम इसे ज़ुल्म कहते हो ? चुतो को फाड़ना तो तुम्हारा फेवोवरिट काम है,
और देखो…मेने तुम्हें कितनी तरह तरह की चुते चोदने को दी हैं, फिर भी कहते हो कि तुम्हारे उपर ज़ुल्म हो रहा है…हाहहाहा….!
फिर वो अपने ठहाकों पर ब्रेक लगाकर भबक्ते हुए स्वर में बोली – हां ! मिस्टर. अंकुश शर्मा, बहुत नाज़ है ना तुम्हें अपने इस लंड पर, जिसका इस्तेमाल करके तुमने इतने बड़े-बड़े काम किए हैं…!
ये कहते हुए उसने मेरे लंड पर एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया, मे दर्द से बिल-बिला उठा, और मेरे मुँह से कराह निकल गयी…!
मेने कराहते हुए कहा – मेने ऐसा क्या किया है, जिसकी तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रही हो…?
श्वेता – सुन’ना चाहते हो तो सुनो…!
सबसे पहले तुमने इसका इस्तेमाल करके मालती को चोदा और उसकी वीडियो क्लिप बनाकर भानु को अपना केस वापस लेने पर विवश किया…!
चोंको मत मुझे सब पता है, क्योंकि भानु हमारी ऑर्गनाइज़ेशन का एक एहम मोहरा रहा है हमेशा से, कामिनी के कहने पर ही उसने तुम्हारी निशा के साथ वो सब किया था…!
मे – तो तुम भी उस काली दुनिया का हिस्सा थी…?
वो ठहाका लगाते हुए बोली – लो कल्लो बात ! अबे गधे की औलाद, जिसके चारों ओर लोग जिस काम में लगे हों, वो उससे अछूता कैसे रह सकता है,
यहाँ तो उसकी नीव ही मेने और कामिनी ने मिलकर रखी थी उस्मान भाई के साथ मिलकर…! वाकी के लोग तो बाद में जुड़े…!
उसका ये खुलासा सुनकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी, फिर मेने अपने आप को संयत करके पुछा – तुम्हारे पति को ये सब पता था…!
वो – क्या बच्चों जैसा सवाल करते हो…? जो आदमी हर बिज़्नेस में पार्ट्नर हो, वो उस काम में क्यों नही होगा..?
कामिनी ने तो पूरी कोशिश कि, कि उसका एसपी पति भी उसके साथ जुड़ जाए, लेकिन सीधे-सीधे नही कह सकती थी,
शुरू-शुरू में तो वो उसके रूप जाल में फंसकर उसकी बात मानता था, उसे लगने लगा था कि शायद वो भी हमारे साथ आ जाएगा…!
लेकिन फिर जब तुम भानु वाले केस में इन्वॉल्व हो गये, और पोलीस पर मान हानि का दावा ठोक दिया…
उसके बाद कहीं ना कहीं तुम्हें पटाने के चक्कर में उसका जमीर फिरसे जाग उठा, और उसका परिवार प्रेम फिर से जाग गया, और वो तुम्हारे साथ हो गया…!
रेखा वाले केस में उसने तुम्हारा साथ दिया, इससे नाराज़ होकर कामिनी ने उसका बंगला छोड़ दिया, लेकिन वो अपने पापा की वजह से डाइवोर्स देने के लिए तैयार नही हुई…!
और शायद यही उसकी सबसे बड़ी ग़लती साबित हुई…..!
श्वेता जिस तरह से खुलासे पे खुलासे करती जा रही थी, मेरी जिगयाशा उतनी ही बढ़ती जा रही थी, मे मुँह फाडे किसी अच्छे श्रोता की तरह उसकी बातें सुन रहा था…!
उसने आगे कहा – ना वो अपने डाइवोर्स को बचाने की कोशिश में तुमसे मिलती, और तुम्हारे इसी लंड की चाह में फिरसे तुम्हारे साथ संबंध सुधारने की कोशिश करती…!
और ना ही वो मुझे तुमसे मिलवाटी, चूँकि हम दोनो के बीच ऐसा कुछ भी नही था, जो छिपा हो, सो उसने तुम्हारे लंड की दमदारी के इतने क़िस्से कह डाले,
जिन्हें सुनकर मेरी चूत इसे लेने के लिए फड़फड़ाने लगी, और मेने तुमसे चुदवाने के लिए होटेल में मिलने वाली तुम्हारी शर्त आक्सेप्ट कर ली…!
जहाँ तुमने फिरसे वही चाल चली जो मालती और भानु के साथ चली थी, और हमारी चुदाई की वीडियो बनाकर मेरे भाई को दिखाकर पोलीस का मुखबिर बना लिया…!
भले ही मे अपने छोटे भाई से चुदवाती थी, फिर भी कोई भी बाप या भाई, अपनी बेहन बेटी की चुदाई को सार्वजनिक होने नही दे सकता, उसी का तुमने फ़ायदा उठाकर उसको हमारे ही ऑर्गनाइज़ेशन के खिलाफ इस्तेमाल किया… !
आअन्णन्न्..ांनग्ज्ग…चोंको मत ! यही सोच रहे हो ना कि ये सब मुझे कैसे और कब पता लगा…?
मेने बिना कोई जबाब दिए उसको सवालिया नज़रों से देखा…!
श्वेता – काश ! ये बात मुझे बहुत पहले ही पता चल जाती तो आज ये नौबत नही आती, मेरा भाई, मेरा बाप, मेरी बेहन जैसी फ्रेंड, उसके पापा, हमारा ऑर्गनाइज़ेशन सब कुछ वैसा ही होता, जैसा पहले था…!
ये सब कहकर एक क्षण को वो एमोशनल हो गयी, और उसकी पलकों की कोरों पर पानी की बूँदें इकट्ठा हो गयी…
फिर जल्दी ही सामान्य होकर बोली – तुम्हें याद है, जिस दिन हमने मेरे ऑफीस में लास्ट चुदाई की थी, काफ़ी देर तक मुझे खूब जमकर चोदने के बाद तुम्हें टाय्लेट लगी..और तुम बाथ रूम चले गये…
अच्छी तरह से साफ सफाई करने में तुम्हें काफ़ी वक़्त लगा…! उसी बीच तुम्हारे मोबाइल पर कोई मेसेज आया…!
ज़िग्यासावस में तुम्हारे मोबाइल को देखने लगी, मुझे याद नही वो मेसेज क्या था, लेकिन इस चक्कर में तुम्हारे मेसेज लिस्ट में मेने असलम का नाम देखा..
उसका नाम तुम्हारे मेसेज बॉक्स में देख कर में बुरी तरह से चोंक पड़ी…