Update 65
क्योंकि श्वेता और उसकी दोनो साथियों के लौटने का समय होने वाला था, उसे उसकी गाड़ी के पास होना ज़रूरी था…
कुछ देर में ही प्राची श्वेता को लेकर जा चुकी थी, पीछे की तरफ कोई लाइट की व्यवस्था भी नही थी, सो अब रात के अंधेरे में मोहिनी को अकेले में डर सा लगने लगा,
इधर उसका मन अपने देवर की तरफ लगा हुआ था, रह-रहकर उसके मन से हुक उठ रही थी, जिसे वो कड़ा जी करके दबाने की कोशिश कर रही थी…,
उनका दिल अपने बेटे जैसे देवर की वो हालत देखकर भर उठता, जब नही रहा गया तो वो फिर से उसी खिड़की के पास चली आई…
इस समय अंकुश बिना कपड़ों के ही बेहोशी की हालत में पड़ा था, पूरे बिस्तेर पर वीर्य और उन रंडियों के कामरस के जगह जगह धब्बे ही धब्बे नज़र आ रहे थे,
जहाँ-तहाँ कमरे के फर्श पर वीर्य से भरे हुए कॉनडम्स भी पड़े हुए थे, ये सब देखकर मोहिनी को घिन सी आने लगी…!
उसकी इस दयनीय अवस्था को देखकर उनकी आँखें फिर से भर आई, और हमेशा सबका भला चाहने वाली भाभी के मुँह से श्वेता और उसके साथियों के लिए गालियाँ निकलने लगी,
वो उन्हें कोसते हुए बोली – भगवान करे इन हराम्जादि रंडियों के कीड़े पड़ें…!
जिस विंडो से वो अंदर देख रही थी, उसमें लोहे की ग्रिल लगी हुई थी, जिस’से अंदर जाने की कोई संभावना बन नही सकती थी, लेकिन उनका मन अपने लाड़ले के पास जाने के लिए बैचैन होने लगा…!
वो दूसरी साइड वाली विंडो की तरफ चल पड़ी, उसके पास जाकर उसके फ्रेम में अपनी उंगलियों के पोरों से वो उसे सरकाने का निरर्थक प्रयास करने लगी…!
आदमी जब कुछ करने की ठान लेता है, तो उसका दिमाग़ हर वो संभावना तलाश करने में जुट जाता है, जिस’से उसका काम बन सके…,
खिड़की के स्लाइड को खोलने की धुन में उनकी निगाहें इधर-उधर भटकने लगी, शायद कोई ऐसी चीज़ मिल जाए जिससे इसे ज़ोर देकर खिसकाया जा सके…
लेकिन एक तो अंधेरा, सामने की लाइट वहाँ तक इतनी नही आ रही थी कि कोई चीज़ आसानी से नज़र आजाए…!
वो वहीं ज़मीन पर बैठकर हाथों से ज़मीन को टटोल-टटोल कर ऐसी किसी चीज़ की तलाश करने लगी…!
कहते हैं ना, कि हिम्मते मर्दे, मददे खुदा…! इसी कोशिश में उनके दिमाग़ में ये बात आई, कि उसके बॅग में खजर है, जो चलते समय प्राची ने सेल्फ़ डिफेन्स के लिए दिया था!
उन्होने उसे फ़ौरन निकालकर उसकी नोक को विंडो के फ्रेम के अंदर घुसाने की कोशिश की, लेकिन उसके बीच में इतनी जगह नही थी कि वो आसानी से घुस सके,
फिर उन्होने सोचा कि अगर इसके मूठ पर किसी पत्थर से ठोका जाए तो शायद काम बन सकता है, लेकिन फ़ौरन ही उन्होने ये विचार त्याग दिया, क्योंकि ठोकने से आवाज़ पैदा होगी, जो सामने बैठे लोगों तक पहुँच सकती है…!
अब करें तो क्या..? कुछ नही सूझा तो वो उसकी मूठ पर अपनी हथेली से हल्के हल्के चोट करने लगी.., खंजर की नोक उन्हें थोड़ी सी दरार के अंदर जाती दिखी…
ये देखकर उनका उत्साह बढ़ गया, और वो उसपर अपनी हथेली से ज़ोर-ज़ोर से वार करने लगी, नाज़ुक बदन मोहिनी की हथेली में दर्द होने लगा, लेकिन उन्होने इसकी परवाह किए बिना वो अपने प्रयास में जुटी रही…!
यहाँ तक कि उनकी हथेली से खून निकलने लगा, लेकिन धुन की पक्की भाभी ने उसकी नोक को दरार के बीच में फँसा कर ही दम लिया…!
अब वो उसको झटके दे-देकर उसके लॉक को तोड़ने की कोशिश में जुट गयी, अथक प्रयास के बाद एक कट्ट की आवाज़ के साथ उसका लॉक टूट गया,
ये देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा, बिना समय गँवाए, उन्होने उसे स्लाइड किया, लगभग आधी विंडो खुल चुकी थी जिससे एक सामान्य कद काठी का इंसान उसके अंदर आसानी से जा सकता था…
भाभी का शरीर भी ज़्यादा भारी भरकम नही थी, सो वो थोड़े से प्रयास से अंदर कूद गयी…!
अपने बेटे जैसे लाड़ले देवर को पाल पोसकर एक अच्छे ख़ासे 6 फूटा मर्द बनाने में उन्होने जो मेहनत की थी, उसे यूँ हफ्तों के बीमार जैसी हालत में पाकर उनकी आँखें बरस उठी, शरीर की सारी हड्डियाँ दिखाई दे रही थी,
जो सीना, जांघें और बाजू अपनी भाभी के उपर छाने पर उसे किसी छोटी बच्ची की तरह ढक लिया करते थे, आज वही शरीर हड्डियों का ढाँचा नज़र आ रहा था…!
अपनी करुणा पर काबू करते हुए उन्होने उसे बंधन मुक्त किया, उसके सूखे, पपड़ी पड़े होंठों को अपनी जीभ से गीला किया,
उसकी नशे से बोझिल आँखें हल्के से खुली, और एक कराह के साथ ही फिरसे बंद हो गयी…!
भाभी ने उसे जैसे तैसे करके कपड़े पहनाकर उसके बदन को ढाका, और उसे सहारा देकर बेड पर बिठाया, उसका बदन किसी नशे में चूर शराबी की तरह इधर से उधर झूलने लगा…!
उन्होने उसके गाल थपथपाकर उसे जगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी आँखें नही खुली !
मोहिनी बैचैन हो उठी, वो सूबकते हुए बोली – उठ जा मेरे लाल, अपनी भाभी को यूँ निराश मत करो लल्ला…!
जब कोई चारा नही दिखा तो वो सोचने लगी, लगता है अब प्राची का ही इंतेज़ार करना पड़ेगा…!
कुछ देर वो उसे लिटाकर कमरे में इधर से उधर टहलने लगी.., मन नही माना, तो फिरसे कोशिश शुरू करदी, वो जल्द से जल्द उसे इस नरक से दूर ले जाना चाहती थी..!
उन्हें डर था कहीं प्राची के इंतेजार करने के बीच अगर यहाँ कोई आ धमका तो…
एक निर्णय लेकर उन्होने उसे अपनी पीठ पर लादा, और खिड़की तक किसी तरह घसीटते हुए लाई, फिर उसके पीछे जाकर उसकी जांघों के नीचे से हाथ फँसाकर पहले उसके पैर बाहर को लटकाए, और उसकी बगलों में हाथ देकर उसे बाहर की तरह उतारने लगी…
अंकुश के पैर ज़मीन से टच होते ही वो खुद विंडो पर चढ़ने लगी, इसी चक्कर में वो उनके हाथ से छूट गया, और वो बाहर ज़मीन पर धप्प की आवाज़ के साथ गिर पड़ा…!
मोहिनी भाभी ने झटपट बाहर आकर उसे अपने सहारे से खड़ा किया और आहिस्ता-आहिस्ता कोशिश करते हुए अंधेरे की तरफ बढ़ गयी…
अंकुश के गिरने की आवाज़ थोड़ी ज़्यादा थी जो रात के सन्नाटे की वजह से कुछ दूर तक चली गयी..,
उसी समय उन गुण्डों में से कोई एक शायद उस तरफ टाय्लेट वगैर के लिए निकला होगा, सो उस आवाज़ को सुन कर चोंक पड़ा…!
उसने उस आवाज़ की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए, जैसे ही वो उस तरफ पहुँचा, दूर से अंधेरे में उसे दो इंसानी साए नज़र आए,
मोहिनी भाभी अंकुश का एक बाजू अपने गले में डालकर उसे सहारा दिए हुए धीरे-धीरे लॉन की तरफ बढ़ रही थी…!
वो गुंडा, जैसे ही उनके कुछ करीब पहुँचा उसने आवाज़ दी – कॉन है वहाँ..?
उसकी आवाज़ सुनकर मोहिनी डर के मारे काँप उठी, वो उसे लिए हुए वहीं ठिठक गयी…!
फिर उसने अपना साहस बटोरकर खंजर पर अपनी पकड़ शख्त कर ली, सोचा अब जो होगा सो देखा जाएगा…!
पास आते ही वो बंदा समझ गया, कि कोई क़ैदी को बचाकर ले जाने की कोशिश कर रहा है, सो उसने अपनी गन निकाल कर उनपर तानते हुए चेतावनी भरे स्वर में कहा –
भागने की कोशिश भी मत करना, वरना भेजा उड़ा दूँगा…! आगे कदम बढ़ाता हुआ वो अब उनसे चन्द कदमों के फ़ासले पर ही था,
मोहिनी ने अंकुश का बॅलेन्स बनाकर उसे उसके पैरों पर खड़ा किया, और खुद उसके बगल से बिजली की तेज़ी से उस गुंडे की तरफ लपकी, पलक झपकते ही अपने हाथ में पकड़ा हुआ खंजर उन्होने उसकी छाती में पेवस्त कर दिया…!
झटके से उस गुंडे का बदन पीछे हटा, जिस’से उसका गन वाला हाथ उपर को उठ गया, और साथ ही उसकी उंगली भी ट्रिग्गर पर दब गयी,
ढाय… की आवाज़ रात के सन्नाटे को चीरती हुई दूर-दूर तक गूँज उठी,
वो गुंडा एक मरमान्तक चीख के साथ एक पल के लिए फडफडाया और फिर शांत पड़ गया…
मोहिनी ने अपना खजर उसके सीने से बाहर खींचा और एक धक्का देकर उसे पीछे को धकेल दिया…..!
उधर प्राची श्वेता & कंपनी. को छोड़ने पहले हेमा के घर पहुँची, उसे ड्रॉप करके श्वेता को उसके घर छोड़ा, इसी में उसे काफ़ी वक़्त लग गया…,
उसके बंगले से निकलते ही उसने अपने पति को फोन लगाया, किस्मेत से लाइन मिल गयी.., उसको अपनी पोज़िशन बता कर वो रोड पर आकर खड़ी हो गयी…
10 मिनिट में ही कृष्णा ने उसे वहाँ से पिक किया और उसके बताए लोकेशन पर गाड़ी आँधी तूफान की तरह फार्म हाउस की तरफ दौड़ा दी…
अभी वो फार्म हाउस से कुछ ही दूरी पर थे, तभी उन्हें गोली की आवाज़ सुनाई दी, जिसने उन दोनो की धड़कनें बढ़ा दी,
किसी अनिष्ट की आशंका में प्राची के हाथ प्रार्थना करने के अंदाज में जुड़ गये, कृष्णा ने जबड़े कसते हुए गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी…!
उधर खून से सना खंजर हाथ में लिए मोहिनी किसी चन्डी सी नज़र आ रही थी,
ढीले-ढाले कुर्ता और पुरानी सी जीन्स, सिर के बालों को स्वाफी में लपेटे नकली मूँछो में भले ही उसका हुलिया बदल गया हो,
लेकिन उसके अंदर का ममता मयि दिल इतना कठोर भी हो सकता है कि किसी की जान भी ले सके, इसका उसे खुद भी विश्वास नही हो पा रहा था…!
लेकिन अपने बेटे जैसे लाड़ले देवर की जान बचाने के लिए उसने ये कदम भी उठा लिया था.., और वो आनेवाले किसी भी तरह के संकट से दो-दो हाथ करने का फ़ैसला कर चुकी थी.!
वो उसे संभाले हुए फिरसे आगे बढ़ने लगी, लेकिन गोली के धमाके की आवाज़ सुनकर भानु और उसके तीन साथी बुरी तरह चोंक गये…!
वो बेतहासा आवाज़ की दिशा में भागे…!
मोहिनी किसी शेरनी की तरह अंकुश को संभाले गार्डन के अंधेरे हिस्से में बढ़ी चली जा रही थी, कि तभी एक तरफ से भानु की आवाज़ सुनकर वो ठिठक गयी…!
सामने हाथ में गन लिए भानु उन दोनो को निशाने पर लेकर गरजा…कॉन हो तुम, वहीं रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…!
फिर जैसे ही उसकी नज़र पास में पड़े अपने एक साथी की लाश पर पड़ी, ये देख कर उसका भेजा घूम गया, उसके सोचने समझने की शक्ति जबाब दे गयी और आव ना देखा ताव, उसने ट्रिग्गर दवा दिया…!
मोहिनी फ़ौरन पलट गयी और उसने अंकुश के आगे आकर अपने बदन से छुपा कर खुद उसकी ढाल बन गयी…!
भानु की गन से निकली गोली सीधी मोहिनी की पीठ में समा गयी, उसे अपनी पीठ में गरम लावा सा धस्ता महसूस हुआ…!
उनके मुँह से एक मरमान्तक चीख उबल पड़ी….लल्लाआअ…..आहह… दर्द से उसकी पीठ अंदर चली गयी, सिर आसमान की तरफ उठ गया…और वो अंकुश की बाहों में झूल गयी…!
एक ग्रामीण से दिखने वाले युवक के मुँह से औरत की आवाज़ सुनकर भानु और उसके साथी बुरी तरह से चोंक पड़े,
उधर अंकुश के कानों में जब अपनी भाभी की चीख पड़ी, और लल्लाआ… शब्द सुनाई दिया तो उसकी चेतना वापस लौटने लगी, उसने अपनी शक्ति समेटकर मोहिनी भाभी के शरीर को अपनी बाहों में संभाल लिया…!
भानु और उसके साथी अभी मामले को समझने की कोशिश कर ही रहे थे, इससे पहले कि वो उनपर और हमला कर पाते, तभी आँधी तूफान की तरह एसएसपी की गाड़ी एक झटके के साथ वहाँ आकर रुकी…!
गाड़ी ठीक से खड़ी भी नही हो पाई थी क़ि उस’से पहले ही प्राची झपट कर बाहर आई और आनन-फानन में उसने अपनी गन का मुँह उन गुण्डों पर खोल दिया, पलक झपकते ही भानु के दो गुंडे शहीद हो गये…!
इतने में भानु को मौका मिल गया और अंधेरे का फ़ायदा उठाकर वो और उसका एक साथी पीछे की दीवार फांदकर भाग निकलने में कामयाब हो गये……!
कृष्णा उनका पीछा करने वाले थे कि प्राची ने रोक दिया, दोनो ने मिलकर फ़ौरन भाभी और अंकुश को गाड़ी में डाला, और उसे हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा दिया….!
समय रहते मेडिकल हेल्प मिलने से मोहिनी भाभी की गोली निकाल दी गयी, अब वो ख़तरे से बाहर थी…!
वाकी के परिवार के लोग भी खबर सुनकर हॉस्पिटल में आ चुके थे, फिलहाल प्राची के अलावा, वाकी किसी को ये नही बताया कि अंकुश को चार दिन तक स्क्शुअल्ली टारचर किया गया था…!
फार्म हाउस से हॉस्पिटल के रास्ते में ही अंकुश ने प्राची को इशारा कर दिया था, कि वो किसी के सामने श्वेता का नाम ना ले…!
पोलीस की जगह जगह तलाशी के बाद भी भानु का कहीं पता नही चला, भाभी के होश में आते ही, प्राची ने उनको भी इशारों इशारों में समझा दिया…!
पोलीस समेत वाकी सबको यही बताया गया, कि उसे भानु ने रंजिश के चलते उसे किडनॅप किया था, और चार दिन से उसे ड्रग्स दे-देकर टॉर्क्चर कर रहा था…!
इससे पहले कि वो उसे तडपा-तडपा कर मारता, भाभी और प्राची ने उसे ढूँढ निकाला, और समय रहते मोहिनी भाभी ने अपनी जान पर खेलकर उसे बचा लिया…!
डॉक्टर. वीना के हॉस्पिटल में दोनो को एक स्पेशल रूम में रखा गया था, अंकुश को पूरे 48 घंटों तक नींद में ही रखा था, जिससे उसके अंदर के ड्रग्स का असर पूरी तरह ख़तम हो जाए…!
साथ ही साथ उसके बदन में जो कमज़ोरी थी, वो ग्लूकोस की बॉटल और खून के ज़रिए पूरी की जा रही थी…!
निशा और प्राची पूरे समय उन दोनो के पास ही रही, भाभी को होश तो आ चुका था, लेकिन उनका जख्म ताज़ा और गहरा होने की वजह से उन्हें भी बेहोश ही रखा था…!
आज तीन दिन के बाद, दोनो को एक साथ ही होश में लाया गया था, अब मे पूरी तरह अपने आप को तरो ताज़ा महसूस कर रहा था, मेरे होश में आते ही निशा ने मुझे सहारा देकर बिठाया…!
उसकी आँखों में पानी देख कर मेरी भी आँखें नम हो गयी…!
फिर मेने प्यार से उसके गाल पर हाथ फिराया, उसके चेहरे को अपनी तरफ झुकाकर उसका माथा चूम कर बोला – अब मे ठीक हूँ, इन दो शेरनियों ने मेरी मौत को भी मात दे दी…
प्राची भी मेरे पास आ गयी, तो मेने उसके माथे को भी चूमकर उसे थॅंक्स कहा तो वो बोली – थॅंक्स किसलिए भैया, ये तो मेरी तरफ से गुरु दक्षिणा थी,
ये सब तो आप ही की देन है, वरना मे किस लायक थी, ये कहते कहते उसकी आवाज़ भर्रा गयी, मेने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाया, और प्यार से डाँटते हुए कहा-
बस इसके आगे अब और नही…, वरना गुरुजी नाराज़ हो जाएँगे, मेरी इस बात से उन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, जिसे मे देखना चाहता था…
फिर मेने निशा को गेट बंद करने का इशारा किया, और खुद अपने बेड से उतर कर भाभी के पास जाकर बैठ गया, जो अभी भी आँखें बंद किए सो रही थी…
मेने भाभी का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उनके माथे पर चुंबन लेकर उनके सिर के बालों को सहलाया…!
मेरे हाथ का स्पर्श पाकर उन्होने अपनी आँखें खोल दी, मेरे चेहरे पर नज़र पड़ते ही उनके सूखे होठों पर मुस्कान आ गयी, और कमजोर आवाज़ में पुछा –
अब कैसे हो लल्ला…? मेने एक बार फिर उनके माथे पर चूमकर कहा – आपके होते हुए आपके लाड़ले को भला कुछ हो सकता है,
ये सुनकर उनकी आँखें नम हो गयी, पलकों की कोरों से पानी की दो बूँद बिस्तर पर टपक पड़ी…!
फिर उन्होने धीरे से कहा – अपनी भाभी के सूखे होठों को तर नही करोगे लल्ला…?
मेने उनके कान के पास अपना मुँह ले जाकर कहा – यहाँ प्राची भी है भाभी..!
भाभी – मुझे पता है, वो मेरी सबसे छोटी बेहन है, जो हम सबकी गुरु है, उससे शरमाने की ज़रूरत नही है…!
मे – फिर भी उसे तो ये सब पता नही होगा ना कि हमारा संबंध कैसा है..?
भाभी – अच्छा रूको, फिर उन्होने प्राची को पुकारा, वो झट से उनके पास आकर दूसरे तरफ बैठ गयी…
मेने लल्ला जी को अपने सूखे होठ तर करने को कहा, तो ये कहते हैं कि प्राची से पुछो, तुम्हें कोई एतराज तो नही…?
प्राची भाभी की बात सुनकर एकदम गड़बड़ा गयी, फिर कुछ सोच कर बोली – तो मे पिला देती आपको पानी, उन्हें क्यों परेशान करती हैं…!
भाभी मुस्कुरा कर बोली – अरे बाबली, पानी से भी कहीं होठ तर होते हैं..? अपने लल्ला के पास एक स्पेशल रसायन है, जिससे बहुत अच्छे से तर कर देते हैं ये, कभी तुम भी कराकर देखना…!
चलो लल्ला, अब झिझक छोड़ो, ये हमारे देवर भाभी के बीच की बात है, इसमें बेचारी छुटकी को क्यों घसीटते हो…
हमारी बातों से जहाँ प्राची अंजानों की तरह देख रही थी, वहीं निशा मंद-मंद मुस्कुराए जा रही थी…!
फिर मेने जैसे ही झुक कर भाभी के लवो को चूमा, प्राची फटी-फटी आँखों से हमें देखने लगी, जब उसने पलट कर निशा की तरफ देखा तो उसे मुस्कुराते हुए पाकर वो और ज़्यादा हैरान रह गयी…!
एक बार थोड़ा चूमकर मे सीधे बैठ गया, तो भाभी अपने होठों पर जीभ फिरा कर बोली – लल्ला जी कुछ मज़ा नही आया, थोड़ा अच्छे से करो ना…!
मेने मुस्कराते हुए भाभी को फिर से किस किया, और इस बार जो किस हुआ, वो लगभग इश्क फिल्म का जूही और आमिर के किस से मिलता जुलता सा था, हम दोनो की साँसें फूल गयी,
जब एक दूसरे से अलग हुए तो लंबी-लंबी साँसें भर रहे थे, प्राची के तो होश ही उड़े हुए थे, वो इस सोच में थी कि आख़िर ये देवर भाभी का किस तरह का रिश्ता है…!
अपनी साँसें कंट्रोल करते हुए भाभी बोली – हां अब कुछ हरारत दूर हुई, अब मुझे किसी दवा की ज़रूरत नही है, ले चलो मुझे घर…!
फिर वो प्राची को संबोधित करके बोली – क्यों छुटकी पता लगा होठ तर कैसे होते हैं, तुझे भी करवाने हों तो बोल, अभी भी लल्ला के पास बहुत तरावट वाकी है…!
क्यों लल्ला सही कह रही हूँ ना मे, ये कहकर मोहिनी भाभी ने मेरी तरफ आँख मारकर मुस्कुराने लगी…!
प्राची मुस्कराते हुए बोली – हाईए दीदी.. ऐसी तरावट लेने के लिए कॉन मना करना चाहेगी भला, पर भैया मुझे थोड़ी ना वो तरावट देंगे, ये तो बस अपनी प्यारी भाभी के ही लाड़ले हैं, क्यों निशा दीदी, सही कह रही हूँ ना…!
निशा – ये तुमसे किसने कह दिया, मेरे पतिदेव इतने स्वार्थी नही हैं, चाहो तो तुम भी ले सकती हो……….!
प्राची भी मेरे किस के लिए कब्से प्यासी थी, भैया के साथ शादी करने के बाद से ही हमने एक दूसरे को अलग ही रिश्तो की डोर में समेट लिया था…!
वो नज़रें झुकाए बोली – क्या ऐसा हो सकता है भैया…?
मेने भाभी के उपर से ही लंबा होकर प्राची के चेहरे को अपने दोनो हाथों में ले लिया, और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला – तुमसे तो मेरे और भी बहुत से रिश्ते हैं..
भाभी तो तुम मेरी हो ही चुकी हो, उससे पहले मेरी शिष्या हो, और अब तो तुमने मेरी जान बचाकर मुझे बिन मोल खरीद लिया है प्राची, जो चाहोगी मिलेगा, किस कोन्सि बड़ी बात है…
इतना बोलकर मेने उसके लवो को चूम लिया, उसने भी मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी, जब अलग हुए तो उसकी आँखों में आँसू थे, भर्राये स्वर में वो बोली-
मेने कभी सपने में भी नही सोचा था, कि मेरी किस्मत इतनी अच्छी भी हो सकती है, एक ग़रीब माँ-बाप की बेटी को इतना उँचा और इतना प्रेम करने वाला परिवार भी मिल सकता है…
मे सच में बहुत सौभग्यशाली हूँ दीदी…, फिर कुछ नटखट अंदाज में बोली… कभी कभी मुझे निशा दीदी को चिढ़ाने का मन करता है..
भाभी – वो क्यों ?
प्राची – मुझे लगता है, आप मुझे उनसे ज़्यादा प्यार करती हैं…! उसकी बातें सुनकर हम सब की आँखें नम हो गयी..!
निशा मेरे बाजू में आकर खड़ी हो गयी थी, तो मेने उसे अपनी गोद में बिठाकर बोला – अले.. अले.. मेरा बच्चा तो रह ही गया…
फिर उसे मेने अपनी बाहों में कस कर उसके चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी….., !
अभी हम चारों ये बातें कर ही रहे थे, कि डॉक्टर. वीना चेक-अप के लिए आ गयी…!
हम सबको एक साथ भाभी के पलंग पर बैठे देख कर खुश होती हुई बोली –
अरे वाह ! मे तो यहाँ मरीज़ों को देखने आई थी, लेकिन यहाँ तो मुझे कोई मरीज़ दिखाई ही नही दे रहा…! सब एक दूसरे से चुपके पड़े हैं,
अरे भाई अंकुश जी, अगर थोड़ी बहुत गुंजाइश बची हो तो हमें भी इस प्यार भरी मंडली में शामिल कर लो…!
वीना की बात पर भाभी ने अपनी बाहें फैला दी, वो लपक कर उनके सीने में समा गयी, और उनकी पीठ के घाव को सहलाते हुए बोली – सच में आपका ये देवर हीरा है,
इसके दिल में सबके लिए जगह है, बहुत बड़े दिलवाला है ये, भाभी ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा – आप भी इसके दिल में हो क्या…?
वो थोड़ा शर्मीली सी मुस्कान के साथ बोली – अर्जी तो दी थी, अब देखते हैं कब तक आक्सेप्ट होती है…!
ऐसी ही कुछ चुहल बाज़ी के साथ-साथ उसने हम दोनो का चेक अप किया, सब कुछ एक दम नॉर्मल था, फिर भाभी ने घर जाने के लिए पुछा तो उसने केर रखने का बोल कर पर्मिशन दे दी…
वीना – थोड़ा कुछ दिन इस जख्म की केर रखना, वैसे सब ठीक है, हो सका तो दो दिन बाद मे खुद आपको आपके घर आकर चेक कर लूँगी, इसी बहाने आपके वृंदावन के भी दर्शन हो जाएँगे…
भाभी समेत हम सभी ने एक साथ चोंक कर पुछा – हमारा वृंदावन…?
वीना खुलकर हँस पड़ी – अरे मोहिनी जी, आपका घर किसी वृंदावन से कम है क्या, जहाँ सबके दिल में सबके लिए प्रेम बस्ता हो.. वो घर, घर नही मंदिर बन जाता है…!
फिर मेने डॉक्टर. वीना से कहा – डॉक्टर. अगर थोड़ा समय हो तो मे आपसे कुछ डिसकस करना चाहता हूँ…!
वीना – हां .. हां क्यों नही चलो अभी, तुम मेरे कॅबिन में पहुँचो, मे 5 मिनिट में और मरीजों को चेक करके आती हूँ…!
उसके जाने के बाद भाभी ने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा, मेने आँख झपकाकर सब ठीक है का इशारा करके मे वीना के कॅबिन की तरफ बढ़ गया…!
कुछ औपचारिक बातों के बाद मेने डॉक्टर. वीना से सवाल किया – आपने मेरा फुल चेक अप किया था..?
वो – हां ! क्यों..?
मे – कोई इनफॅक्षन वग़ैरह तो नही है ना…?
वो मेरे कहने का मतलाव समझ गयी और बोली – तुम्हारा एग्ज़ॅमिन करते ही मे समझ गयी कि तुम्हें ड्रग के ओवरडोज दे-दे कर तुम्हारे साथ जबदस्ती और अन लिमिटेड सेक्स किया गया है…!
लेकिन ये एक अच्छी बात हुई, कि उन औरतों में कोई भी इंफकटेड नही थी, शायद सो कॉल्ड सभी घरों की ही होंगी जो लिमिटेड और प्रोटेक्टेड सेक्स करने वाली हैं, अब मुझे तो पता नही है कि वो कॉन-कॉन थी, और ना ही मे जानना चाहूँगी…
हां ये दीगर बात है, कि तुम अगर अपनी मर्ज़ी से बताओ तो…. ये कहकर वो मुस्करा दी…!
मे – मे तुम्हें सब कुछ बता दूँगा, थोड़ा समय दो…!
वो – जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, तो हां ! मे कह रही थी, कि वो सभी लिमिटेड सेक्स करने वाली ही औरतें होनी चाहिए या हो सकता है, उन्होने कॉंडम वग़ैरह यूज़ किया हो जिसकी संभावना कम ही है..!
मे – वो क्यों,..?
वीना – मे अपने एक्सपीरियेन्स से कह सकती हूँ, कि जो औरतें अपने तन की प्यास बुझाने के पर्पस से किसी इनोसेंट मॅन के साथ सेक्स करेगी,
वो कम से कम कॉंडम यूज़ नही करना चाहेगी.., उस’से उसे मज़ा कम आता है. और यहाँ तो सेक्शुल्ली टॉर्क्चर किया गया है तुम्हें तो भला वो अपना मज़ा खराब क्यों करना चाहेंगी…!
मे – कुछ औरतों ने कॉंडम यूज़ किया था, वो उनकी उस लीडर के कहने पर…
वीना – तो ऐसी कितनी औरतों ने सेक्स किया था तुम्हारे साथ..?
मे – पहले दिन तो 6-7 औरतों ने किया था, जिनमें से 4-5 ने कॉंडम यूज़ किया था…
वीना – तो वो 4-5 शायद धंधे वाली होंगी, या कोई और रही होंगी उसके लिए…
थोड़ा सा तुम्हारे पॅनिस के मसल्स में डॅमेज था, शायद ड्रग्स की वजह से वो ज़्यादा शख्त होने के कारण और फिर बहुत लंबे समय तक रफ सेक्स होता रहा उसकी वजह से…!
तो मेरी राय में अभी तुम कुछ दिन अपनी पत्नी के साथ भी सेक्स मत करना, 15 दिन में सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा, और तुम पहले की तरह ही मस्त चुदाई कर सकोगे..
फिर उसने एक ट्यूब का नाम लिखकर दिया, इस’से कुछ दिन मसाज करवाते रहना सब कुछ पहले जैसा ही और शायद बेहतर ही करोगे…
क्योंकि कुछ तो इस इन्सिडेंट के कारण और कुछ इस ट्यूब की मसाज से तुम्हारा हथियार थोड़ा प्लस ही हो जाएगा…
ये कहकर वीना हंस पड़ी.. फिर आगे बोली - वाकी बस ड्रग्स की ही मात्रा कुछ ज़्यादा थी बॉडी में, सो लंबी नींद के कारण वो भी अब नॉर्मल है..!
डॉन’ट वरी ! एवेरी थिंग इस ऑलराइट नाउ, एंजाय युवर लाइफ, और हो सके तो किसी बुरे सपने की तरह इसे भूल जाना…!
मे – इस सबका खर्चा भी बता दो, उस हिसाब से मे पेमेंट का इंतज़ाम करूँ..!
वीना मुस्कुराकर बोली – खर्चा थोड़ा लंबा है, जिसे चुकाने के लिए तुम्हें मेरे पास आना पड़ेगा, और जैसा किस तुमने अपनी प्यारी भाभी को किया था, वैसा ही करना पड़ेगा…!
मे – ओह्ह्ह..डॉक्टर ! यू आर सो स्वीटी…! ये कहकर मे लपक कर उसके पास गया, मेने उसे सीट से भी नही उठने दिया, और उसके होठों पर टूट पड़ा…!
वीना के साथ एक लंबी स्मूच के बाद मे उसे थॅंक्स बोलकर खुशी-खुशी बाहर आया, अब मेरी सारी टेन्षन दूर हो चुकी थी, मेने जो सोचा था वैसा कुछ नही हुआ…
भले ही अपने स्वार्थ बस सही श्वेता ने उन औरतों को प्रीकॉशन लेने को कहकर एक तरह से मेरा भला ही किया था…!
मुझे खुश देख कर भाभी ने पुछा – बड़े खुश दिख रहे हो, क्या बात है, डॉक्टर वीना ने कुछ दे दिया क्या….?
मेने हँसते हुए कहा – ज़्यादा कुछ नही, जो आपने दिया था, वही उसने भी दिया है.., वैसे मेरी खुशी की वजह कुछ और है…!
तीनों एक साथ बोली – हमें बताने लायक नही है वो वजह…?
मे – नही ऐसी कोई छुपाने वाली बात नही है, बस मे ये जानने गया था, कि मेरे साथ कुछ अबनॉर्मल तो नही हुआ है.. जो कि सब कुछ पहले जैसा ही है…!
घर आकर प्राची और निशा, भाभी की देखभाल में लग गयी, भाभी का बेटा सुवंश ज़्यादातर निशा के पास ही रहता था, कॉलेज के बाद उसे रूचि भी संभाल लेती थी…!
कुछ दिनों में ही भाभी का जख्म सही हो गया, वो अब घर के काम संभालने लगी थी, प्राची को हमने वापस शहर भेज दिया…!
एक दिन हम तीनों ही बेड पर बैठे बातें कर रहे थे, भाभी ने मेरे बालों में अपनी उंगलिया घूमाते हुए कहा –
लल्ला जी ! भानु और उस छिनाल श्वेता को यूँ ही छोड़ दोगे…?
मे – आप क्या चाहती हैं ? वैसे भानु तो जिस दिन पोलीस के हाथ लग गया, तो किडनॅप चार्जस में जायगा कम से कम 10 साल के लिए अंदर,
और रही श्वेता तो वो वैसे ही अपने अंदर के डर में रोज़ नयी मौत मरती रहेगी कि मे कुछ उसके साथ ना कर दूं…!
भाभी मेरी तरफ गहरी नज़रों से देखती रही, मेने उन्हें अपनी ओर ऐसे अंदाज में देखते पाकर कहा – ऐसे क्या देख रही हो भाभी ?
भाभी – कुछ नही, बस सोच रही थी कि कहीं तुमने उन्हें माफ़ तो नही कर दिया? पता है ना, वो लोग तुम्हें जान से मारने वाले थे…! 5-10 साल की जैल से भानु सुधर नही जाएगा…
वो ऐसा जहरीला नाग है, कि मौका पड़ते ही फिरसे चोट करेगा, कब तक यूँ ही छोड़ते रहोगे उसे…!
और वो हराम्जादि छिनाल, इतने बड़े क्राइम में इन्वॉल्व थी, उसे तो क़ानून भी कभी कोई सज़ा नही दे पाएगा..,
एक अजनबी लड़की को इंसाफ़ दिलाने वाला आदमी, अपने उपर हुए अत्याचारों को ऐसे ही भुला देगा, ये मेने कभी सोचा भी नही था…!
ये बातें कहते कहते भाभी उत्तेजित दिखाई देने लगी, मुझे ये अहसास होने लगा कि अगर मेने कुछ नही किया तो कहीं ये और प्राची अपनी तरह से कुछ करने ना निकल पड़ें..
अतः मेने उनका हाथ अपने हाथों में लेकर उनके गुस्से को शांत करने के लिए कहा –
अगर आप चाहती हैं कि उन्हें उनके गुनाहों की सज़ा मे दूं, तो यकीन कीजिए वो दोनो अब ज़्यादा दिन खुले में साँस नही ले पाएँगे….!
मेरी बात सुनकर भाभी थोड़ी सहम सी गयी, कुछ देर घूर्ने के बाद बोली – तो क्या तुम अपने हाथों से उनका खून करोगे..?
मे – मुझे अपने हाथ उनके गंदे खून से रंगने की ज़रूरत नही पड़ेगी, बस अब आप देखती जाओ, मे कैसा चक्रव्यूह बनाता हूँ उन दोनो के लिए…!
मे अब फिरसे कोर्ट जाने लगा था, और अपने सारे काम सामान्य तरीक़े से करने लगा था...,
यहाँ तक कि अपनी निशा डार्लिंग के साथ बेड वाला गेम भी शुरू करने वाला था, जो कुछ दिनो के लिए पोस्टपोन कर रखा था डॉक्टर. वीना की हिदायत के बाद…!
उस दिन सोने से पहले निशा मेरे लंड की मालिश कर रही थी, वीना के प्रिस्क्राइब किए हुए ट्यूब से…
लंड पूरी तरह अपने आकार में आ चुका था, अब वो उसकी मुट्ठी में भी नही समा रहा था…
मालिश करते करते निशा मदहोश होती जा रही थी, इससे पहले कि वो अपनी नाइटी निकाल कर मेरे लंड पर बैठती, कि तभी भाभी आ धमकी…
मेने झट से अपना शॉर्ट उपर करने की कोशिश, की तभी भाभी बोल पड़ी… छुपा लो छुपा लो अपने खजाने को…, अब तो इस पर निशा का ही हक़ रह गया है…!
निशा उनकी बात से थोड़ी दुखी स्वर में बोली – ऐसा क्यों बोल रही हैं दीदी, उन्हें शर्म लगी होगी इसलिए वो इसे ढकने लगे, मुझे खम्खा आपने स्वार्थी बना दिया…!
भाभी ने फ़ौरन उसे अपने गले से लगा लिया और बोली - ऐसी मेरी कोई मनसा नही थी लाडो, मे तो बस मज़ाक कर रही थी, तू तो सीरीयस हो गयी…
मेने भाभी की गुदगुदी गान्ड दबाते हुए कहा – अब इस पप्पू को अपनी गुल्लक में रखना आपके बस का रोग नही है भाभी…!
वो आँखें चौड़ी करके बोली – अच्छा देखें तो सही, क्या सुरखाव के पर निकल आए हैं इसको, ये कहकर उन्होने मेरा शॉर्ट नीचे खिसका दिया और उसे अपनी मुट्ठी में लेकर देखने लगी…
सच में लल्ला, ये तो पहले से बड़ा और मोटा सा लग रहा है, निशा तूने तो लेकर देखा होगा..
निशा – अभी कहाँ दीदी, आज ट्राइ करने वाली थी कि आप आ धमकी,
भाभी – अच्छा तो, 900 चूहे ख़ाके बिल्ली हाज़ करने चली है, मुझसे क्या शर्म, आज दोनो बहनें मिलके फिरसे इसका तेल निकालते हैं, ये कहकर वो दोनो मेरे आजू-बाजू बैठकर उसे बारी बारी से मुठियाने लगी…
मेने दोनो को नंगा करके दोनो की गान्ड अपनी तरफ औंधी करवा ली, एक की चूत चाटने लगा तो दूसरी की चूत में उंगली से चोदने लगा…!
हाल ही में क्रीम की मालिश की वजह से वो उसे मुँह में नही ले पारही थी, इसलिए एक के उपर दूसरी का हाथ रख के मुत्ठियाने लगी…
निशा पहले से ही गरम हो रही थी, सो वो मेरे उपर सवार हो गयी, और मे भाभी की चूत की सर्विस करने लगा…
निशा ने बहुत कोशिश की लेकिन वो पूरा लंड नही ले पाई.., अंत तक लेते लेते, उसका भाड़ सा मुँह खुल गया.., लंड अभी जड़ तक नही पहुँच पाया था कि वो एक बार ऐसे ही झड गयी…
निशा को ज़्यादा उच्छल-कूद ना करनी पड़े, इसलिए मेने उसे अपने बगल में करवट से लिटा लिया, और उसकी गान्ड मसल्ते हुए पीछे से अपना लंड उसकी रस से सराबोर चूत में सरका दिया…
आअहह….राज़ीए….बहुत बड़ा है, थोड़ा बाहर ही रखना…प्लीज़…
मे निशा को 3/4 लंड से चोदने लगा.., हल्के हल्के धक्के लगाकर मेने एक बार उसकी चूत को अपने पानी से तर कर दिया,
भाभी ने नॅपकिन से मेरे लंड को सॉफ किया, और उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, 5 मिनिट में ही वो फिरसे डंडे की तरह शख्त हो गया…
मेने भाभी को घोड़ी बना दिया, और उनकी गान्ड पर चाँटा मारते हुए उनके पाटों को सुर्ख लाल कर दिया…,
गान्ड में मुँह डालकर कुछ देर उनकी चूत और गान्ड को चाटा…, वो चुदने के लिए उतावली होने लगी….
आअहह…लल्लाअ…अब जल्दी से डालो रजाअ…
मेने पीछे से अपना सोट जैसा 9” लंबा और 3” मोटा लंड उनकी चूत के छेद पर रखा, और एक तगड़ा सा धक्का लगा दिया…
तीन-चौथाई लंड सर्र्र्र्र्र्र्ररर……से अंदर चला गया…
भाभी गर्म होती गाय की तरह रांभाने लगी…. हाए लल्ला… बहुत मोटा हो गया है…थोड़ा आराम से मेरे रजाअ…,नही तो मेरी चूत का भोसड़ा बन जाएगा…!
मेने वाकी बचे हुए लंड को भी पेलते हुए कहा – क्यों फट गयी, तब तो बड़ी ताने दे रही थी निशा को…अब झेलो इसे..…!
भाभी – अरे भोसड़ी के थोड़ा धीरे डाल मदर्चोद… मेरे मुँह से होकर निकालेगा क्या…, हाए राम कितना लंबा हो गया है.. ये.
ले मेरी प्यारी भाभी अभी तो इस’से तुम्हारी गान्ड खोलूँगा ना तब देखना क्या होता है…, मेने धक्के लगाते हुए कहा…!
आज पहली बार भाभी के मुँह से ऐसे शब्द निकल रहे थे, या तो ये कहा जाए कि लंड उनकी चूत में पहले से ज़्यादा अंदर तक उसकी दीवारों को चीरता हुआ जा रहा था…
तो उत्तेजना के मारे वो अनाप-शनाप बकने लगी थी, गान्ड फाड़ने की बात सुनकर वो गिडगिडाते हुए बोली –
हाईए…रामम…ऐसा मत करना मेरे राजा… गान्ड फट जाएगी इस’से तो…चल भी नही पाउन्गि….आअहह….चूत में ही लेना भारी पड़ रहा है….हे रामम…. मारी रीई…, हां मेरे सोना… ऐसे ही धीरे-धीरे री…
भाभी की मादकता से भरपूर कराहट भरी बातें सुनकर मुझे और जोश बढ़ता जा रहा था…और मेने उनकी गान्ड मसल्ते हुए अपने धक्के और तेज कर दिए…
भाभी की चूत लगातार रस बहाए जा रही थी, लंड की चोट सीधी उनकी बच्चेदानी में पड़ रही थी…इस वजह से वो लगातार रस छोड़ रही थी…
फुकछ…फुकछ…पक..पक… जैसी आवाज़ें लंड के अंदर बाहर होने से आ रही थी…,
भाभी झड़ने के बाद कुछ देर ढीली पड़ जाती, मे उनकी पोज़िशन चेंज करके फिरसे चोदने लगता…
लास्ट में मेने भाभी को अपनी तरफ गान्ड करके अपने उपर बिठा लिया, और गान्ड की दरार में उंगली करते हुए नीचे से ढका-धक धक्के लगाता रहा…, भाभी की रेल बन चुकी थी…
लेकिन मेरा मज़ा खराब ना हो इसलिए वो बेचारी मेरे ताबड-तोड़ धक्कों को सहन करती रही, कुछ ना कुछ बड़बड़ाती जा रही थी…
आधे घंटे की लगातार चुदाई के बाद मेरा लंड जबाब देने लगा, और उसने भाभी की ओखली को अपने गाढ़े-गाढ़े पानी से लबालब भर दिया…
कुछ देर में ही प्राची श्वेता को लेकर जा चुकी थी, पीछे की तरफ कोई लाइट की व्यवस्था भी नही थी, सो अब रात के अंधेरे में मोहिनी को अकेले में डर सा लगने लगा,
इधर उसका मन अपने देवर की तरफ लगा हुआ था, रह-रहकर उसके मन से हुक उठ रही थी, जिसे वो कड़ा जी करके दबाने की कोशिश कर रही थी…,
उनका दिल अपने बेटे जैसे देवर की वो हालत देखकर भर उठता, जब नही रहा गया तो वो फिर से उसी खिड़की के पास चली आई…
इस समय अंकुश बिना कपड़ों के ही बेहोशी की हालत में पड़ा था, पूरे बिस्तेर पर वीर्य और उन रंडियों के कामरस के जगह जगह धब्बे ही धब्बे नज़र आ रहे थे,
जहाँ-तहाँ कमरे के फर्श पर वीर्य से भरे हुए कॉनडम्स भी पड़े हुए थे, ये सब देखकर मोहिनी को घिन सी आने लगी…!
उसकी इस दयनीय अवस्था को देखकर उनकी आँखें फिर से भर आई, और हमेशा सबका भला चाहने वाली भाभी के मुँह से श्वेता और उसके साथियों के लिए गालियाँ निकलने लगी,
वो उन्हें कोसते हुए बोली – भगवान करे इन हराम्जादि रंडियों के कीड़े पड़ें…!
जिस विंडो से वो अंदर देख रही थी, उसमें लोहे की ग्रिल लगी हुई थी, जिस’से अंदर जाने की कोई संभावना बन नही सकती थी, लेकिन उनका मन अपने लाड़ले के पास जाने के लिए बैचैन होने लगा…!
वो दूसरी साइड वाली विंडो की तरफ चल पड़ी, उसके पास जाकर उसके फ्रेम में अपनी उंगलियों के पोरों से वो उसे सरकाने का निरर्थक प्रयास करने लगी…!
आदमी जब कुछ करने की ठान लेता है, तो उसका दिमाग़ हर वो संभावना तलाश करने में जुट जाता है, जिस’से उसका काम बन सके…,
खिड़की के स्लाइड को खोलने की धुन में उनकी निगाहें इधर-उधर भटकने लगी, शायद कोई ऐसी चीज़ मिल जाए जिससे इसे ज़ोर देकर खिसकाया जा सके…
लेकिन एक तो अंधेरा, सामने की लाइट वहाँ तक इतनी नही आ रही थी कि कोई चीज़ आसानी से नज़र आजाए…!
वो वहीं ज़मीन पर बैठकर हाथों से ज़मीन को टटोल-टटोल कर ऐसी किसी चीज़ की तलाश करने लगी…!
कहते हैं ना, कि हिम्मते मर्दे, मददे खुदा…! इसी कोशिश में उनके दिमाग़ में ये बात आई, कि उसके बॅग में खजर है, जो चलते समय प्राची ने सेल्फ़ डिफेन्स के लिए दिया था!
उन्होने उसे फ़ौरन निकालकर उसकी नोक को विंडो के फ्रेम के अंदर घुसाने की कोशिश की, लेकिन उसके बीच में इतनी जगह नही थी कि वो आसानी से घुस सके,
फिर उन्होने सोचा कि अगर इसके मूठ पर किसी पत्थर से ठोका जाए तो शायद काम बन सकता है, लेकिन फ़ौरन ही उन्होने ये विचार त्याग दिया, क्योंकि ठोकने से आवाज़ पैदा होगी, जो सामने बैठे लोगों तक पहुँच सकती है…!
अब करें तो क्या..? कुछ नही सूझा तो वो उसकी मूठ पर अपनी हथेली से हल्के हल्के चोट करने लगी.., खंजर की नोक उन्हें थोड़ी सी दरार के अंदर जाती दिखी…
ये देखकर उनका उत्साह बढ़ गया, और वो उसपर अपनी हथेली से ज़ोर-ज़ोर से वार करने लगी, नाज़ुक बदन मोहिनी की हथेली में दर्द होने लगा, लेकिन उन्होने इसकी परवाह किए बिना वो अपने प्रयास में जुटी रही…!
यहाँ तक कि उनकी हथेली से खून निकलने लगा, लेकिन धुन की पक्की भाभी ने उसकी नोक को दरार के बीच में फँसा कर ही दम लिया…!
अब वो उसको झटके दे-देकर उसके लॉक को तोड़ने की कोशिश में जुट गयी, अथक प्रयास के बाद एक कट्ट की आवाज़ के साथ उसका लॉक टूट गया,
ये देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा, बिना समय गँवाए, उन्होने उसे स्लाइड किया, लगभग आधी विंडो खुल चुकी थी जिससे एक सामान्य कद काठी का इंसान उसके अंदर आसानी से जा सकता था…
भाभी का शरीर भी ज़्यादा भारी भरकम नही थी, सो वो थोड़े से प्रयास से अंदर कूद गयी…!
अपने बेटे जैसे लाड़ले देवर को पाल पोसकर एक अच्छे ख़ासे 6 फूटा मर्द बनाने में उन्होने जो मेहनत की थी, उसे यूँ हफ्तों के बीमार जैसी हालत में पाकर उनकी आँखें बरस उठी, शरीर की सारी हड्डियाँ दिखाई दे रही थी,
जो सीना, जांघें और बाजू अपनी भाभी के उपर छाने पर उसे किसी छोटी बच्ची की तरह ढक लिया करते थे, आज वही शरीर हड्डियों का ढाँचा नज़र आ रहा था…!
अपनी करुणा पर काबू करते हुए उन्होने उसे बंधन मुक्त किया, उसके सूखे, पपड़ी पड़े होंठों को अपनी जीभ से गीला किया,
उसकी नशे से बोझिल आँखें हल्के से खुली, और एक कराह के साथ ही फिरसे बंद हो गयी…!
भाभी ने उसे जैसे तैसे करके कपड़े पहनाकर उसके बदन को ढाका, और उसे सहारा देकर बेड पर बिठाया, उसका बदन किसी नशे में चूर शराबी की तरह इधर से उधर झूलने लगा…!
उन्होने उसके गाल थपथपाकर उसे जगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी आँखें नही खुली !
मोहिनी बैचैन हो उठी, वो सूबकते हुए बोली – उठ जा मेरे लाल, अपनी भाभी को यूँ निराश मत करो लल्ला…!
जब कोई चारा नही दिखा तो वो सोचने लगी, लगता है अब प्राची का ही इंतेज़ार करना पड़ेगा…!
कुछ देर वो उसे लिटाकर कमरे में इधर से उधर टहलने लगी.., मन नही माना, तो फिरसे कोशिश शुरू करदी, वो जल्द से जल्द उसे इस नरक से दूर ले जाना चाहती थी..!
उन्हें डर था कहीं प्राची के इंतेजार करने के बीच अगर यहाँ कोई आ धमका तो…
एक निर्णय लेकर उन्होने उसे अपनी पीठ पर लादा, और खिड़की तक किसी तरह घसीटते हुए लाई, फिर उसके पीछे जाकर उसकी जांघों के नीचे से हाथ फँसाकर पहले उसके पैर बाहर को लटकाए, और उसकी बगलों में हाथ देकर उसे बाहर की तरह उतारने लगी…
अंकुश के पैर ज़मीन से टच होते ही वो खुद विंडो पर चढ़ने लगी, इसी चक्कर में वो उनके हाथ से छूट गया, और वो बाहर ज़मीन पर धप्प की आवाज़ के साथ गिर पड़ा…!
मोहिनी भाभी ने झटपट बाहर आकर उसे अपने सहारे से खड़ा किया और आहिस्ता-आहिस्ता कोशिश करते हुए अंधेरे की तरफ बढ़ गयी…
अंकुश के गिरने की आवाज़ थोड़ी ज़्यादा थी जो रात के सन्नाटे की वजह से कुछ दूर तक चली गयी..,
उसी समय उन गुण्डों में से कोई एक शायद उस तरफ टाय्लेट वगैर के लिए निकला होगा, सो उस आवाज़ को सुन कर चोंक पड़ा…!
उसने उस आवाज़ की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए, जैसे ही वो उस तरफ पहुँचा, दूर से अंधेरे में उसे दो इंसानी साए नज़र आए,
मोहिनी भाभी अंकुश का एक बाजू अपने गले में डालकर उसे सहारा दिए हुए धीरे-धीरे लॉन की तरफ बढ़ रही थी…!
वो गुंडा, जैसे ही उनके कुछ करीब पहुँचा उसने आवाज़ दी – कॉन है वहाँ..?
उसकी आवाज़ सुनकर मोहिनी डर के मारे काँप उठी, वो उसे लिए हुए वहीं ठिठक गयी…!
फिर उसने अपना साहस बटोरकर खंजर पर अपनी पकड़ शख्त कर ली, सोचा अब जो होगा सो देखा जाएगा…!
पास आते ही वो बंदा समझ गया, कि कोई क़ैदी को बचाकर ले जाने की कोशिश कर रहा है, सो उसने अपनी गन निकाल कर उनपर तानते हुए चेतावनी भरे स्वर में कहा –
भागने की कोशिश भी मत करना, वरना भेजा उड़ा दूँगा…! आगे कदम बढ़ाता हुआ वो अब उनसे चन्द कदमों के फ़ासले पर ही था,
मोहिनी ने अंकुश का बॅलेन्स बनाकर उसे उसके पैरों पर खड़ा किया, और खुद उसके बगल से बिजली की तेज़ी से उस गुंडे की तरफ लपकी, पलक झपकते ही अपने हाथ में पकड़ा हुआ खंजर उन्होने उसकी छाती में पेवस्त कर दिया…!
झटके से उस गुंडे का बदन पीछे हटा, जिस’से उसका गन वाला हाथ उपर को उठ गया, और साथ ही उसकी उंगली भी ट्रिग्गर पर दब गयी,
ढाय… की आवाज़ रात के सन्नाटे को चीरती हुई दूर-दूर तक गूँज उठी,
वो गुंडा एक मरमान्तक चीख के साथ एक पल के लिए फडफडाया और फिर शांत पड़ गया…
मोहिनी ने अपना खजर उसके सीने से बाहर खींचा और एक धक्का देकर उसे पीछे को धकेल दिया…..!
उधर प्राची श्वेता & कंपनी. को छोड़ने पहले हेमा के घर पहुँची, उसे ड्रॉप करके श्वेता को उसके घर छोड़ा, इसी में उसे काफ़ी वक़्त लग गया…,
उसके बंगले से निकलते ही उसने अपने पति को फोन लगाया, किस्मेत से लाइन मिल गयी.., उसको अपनी पोज़िशन बता कर वो रोड पर आकर खड़ी हो गयी…
10 मिनिट में ही कृष्णा ने उसे वहाँ से पिक किया और उसके बताए लोकेशन पर गाड़ी आँधी तूफान की तरह फार्म हाउस की तरफ दौड़ा दी…
अभी वो फार्म हाउस से कुछ ही दूरी पर थे, तभी उन्हें गोली की आवाज़ सुनाई दी, जिसने उन दोनो की धड़कनें बढ़ा दी,
किसी अनिष्ट की आशंका में प्राची के हाथ प्रार्थना करने के अंदाज में जुड़ गये, कृष्णा ने जबड़े कसते हुए गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी…!
उधर खून से सना खंजर हाथ में लिए मोहिनी किसी चन्डी सी नज़र आ रही थी,
ढीले-ढाले कुर्ता और पुरानी सी जीन्स, सिर के बालों को स्वाफी में लपेटे नकली मूँछो में भले ही उसका हुलिया बदल गया हो,
लेकिन उसके अंदर का ममता मयि दिल इतना कठोर भी हो सकता है कि किसी की जान भी ले सके, इसका उसे खुद भी विश्वास नही हो पा रहा था…!
लेकिन अपने बेटे जैसे लाड़ले देवर की जान बचाने के लिए उसने ये कदम भी उठा लिया था.., और वो आनेवाले किसी भी तरह के संकट से दो-दो हाथ करने का फ़ैसला कर चुकी थी.!
वो उसे संभाले हुए फिरसे आगे बढ़ने लगी, लेकिन गोली के धमाके की आवाज़ सुनकर भानु और उसके तीन साथी बुरी तरह चोंक गये…!
वो बेतहासा आवाज़ की दिशा में भागे…!
मोहिनी किसी शेरनी की तरह अंकुश को संभाले गार्डन के अंधेरे हिस्से में बढ़ी चली जा रही थी, कि तभी एक तरफ से भानु की आवाज़ सुनकर वो ठिठक गयी…!
सामने हाथ में गन लिए भानु उन दोनो को निशाने पर लेकर गरजा…कॉन हो तुम, वहीं रुक जाओ वरना गोली मार दूँगा…!
फिर जैसे ही उसकी नज़र पास में पड़े अपने एक साथी की लाश पर पड़ी, ये देख कर उसका भेजा घूम गया, उसके सोचने समझने की शक्ति जबाब दे गयी और आव ना देखा ताव, उसने ट्रिग्गर दवा दिया…!
मोहिनी फ़ौरन पलट गयी और उसने अंकुश के आगे आकर अपने बदन से छुपा कर खुद उसकी ढाल बन गयी…!
भानु की गन से निकली गोली सीधी मोहिनी की पीठ में समा गयी, उसे अपनी पीठ में गरम लावा सा धस्ता महसूस हुआ…!
उनके मुँह से एक मरमान्तक चीख उबल पड़ी….लल्लाआअ…..आहह… दर्द से उसकी पीठ अंदर चली गयी, सिर आसमान की तरफ उठ गया…और वो अंकुश की बाहों में झूल गयी…!
एक ग्रामीण से दिखने वाले युवक के मुँह से औरत की आवाज़ सुनकर भानु और उसके साथी बुरी तरह से चोंक पड़े,
उधर अंकुश के कानों में जब अपनी भाभी की चीख पड़ी, और लल्लाआ… शब्द सुनाई दिया तो उसकी चेतना वापस लौटने लगी, उसने अपनी शक्ति समेटकर मोहिनी भाभी के शरीर को अपनी बाहों में संभाल लिया…!
भानु और उसके साथी अभी मामले को समझने की कोशिश कर ही रहे थे, इससे पहले कि वो उनपर और हमला कर पाते, तभी आँधी तूफान की तरह एसएसपी की गाड़ी एक झटके के साथ वहाँ आकर रुकी…!
गाड़ी ठीक से खड़ी भी नही हो पाई थी क़ि उस’से पहले ही प्राची झपट कर बाहर आई और आनन-फानन में उसने अपनी गन का मुँह उन गुण्डों पर खोल दिया, पलक झपकते ही भानु के दो गुंडे शहीद हो गये…!
इतने में भानु को मौका मिल गया और अंधेरे का फ़ायदा उठाकर वो और उसका एक साथी पीछे की दीवार फांदकर भाग निकलने में कामयाब हो गये……!
कृष्णा उनका पीछा करने वाले थे कि प्राची ने रोक दिया, दोनो ने मिलकर फ़ौरन भाभी और अंकुश को गाड़ी में डाला, और उसे हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा दिया….!
समय रहते मेडिकल हेल्प मिलने से मोहिनी भाभी की गोली निकाल दी गयी, अब वो ख़तरे से बाहर थी…!
वाकी के परिवार के लोग भी खबर सुनकर हॉस्पिटल में आ चुके थे, फिलहाल प्राची के अलावा, वाकी किसी को ये नही बताया कि अंकुश को चार दिन तक स्क्शुअल्ली टारचर किया गया था…!
फार्म हाउस से हॉस्पिटल के रास्ते में ही अंकुश ने प्राची को इशारा कर दिया था, कि वो किसी के सामने श्वेता का नाम ना ले…!
पोलीस की जगह जगह तलाशी के बाद भी भानु का कहीं पता नही चला, भाभी के होश में आते ही, प्राची ने उनको भी इशारों इशारों में समझा दिया…!
पोलीस समेत वाकी सबको यही बताया गया, कि उसे भानु ने रंजिश के चलते उसे किडनॅप किया था, और चार दिन से उसे ड्रग्स दे-देकर टॉर्क्चर कर रहा था…!
इससे पहले कि वो उसे तडपा-तडपा कर मारता, भाभी और प्राची ने उसे ढूँढ निकाला, और समय रहते मोहिनी भाभी ने अपनी जान पर खेलकर उसे बचा लिया…!
डॉक्टर. वीना के हॉस्पिटल में दोनो को एक स्पेशल रूम में रखा गया था, अंकुश को पूरे 48 घंटों तक नींद में ही रखा था, जिससे उसके अंदर के ड्रग्स का असर पूरी तरह ख़तम हो जाए…!
साथ ही साथ उसके बदन में जो कमज़ोरी थी, वो ग्लूकोस की बॉटल और खून के ज़रिए पूरी की जा रही थी…!
निशा और प्राची पूरे समय उन दोनो के पास ही रही, भाभी को होश तो आ चुका था, लेकिन उनका जख्म ताज़ा और गहरा होने की वजह से उन्हें भी बेहोश ही रखा था…!
आज तीन दिन के बाद, दोनो को एक साथ ही होश में लाया गया था, अब मे पूरी तरह अपने आप को तरो ताज़ा महसूस कर रहा था, मेरे होश में आते ही निशा ने मुझे सहारा देकर बिठाया…!
उसकी आँखों में पानी देख कर मेरी भी आँखें नम हो गयी…!
फिर मेने प्यार से उसके गाल पर हाथ फिराया, उसके चेहरे को अपनी तरफ झुकाकर उसका माथा चूम कर बोला – अब मे ठीक हूँ, इन दो शेरनियों ने मेरी मौत को भी मात दे दी…
प्राची भी मेरे पास आ गयी, तो मेने उसके माथे को भी चूमकर उसे थॅंक्स कहा तो वो बोली – थॅंक्स किसलिए भैया, ये तो मेरी तरफ से गुरु दक्षिणा थी,
ये सब तो आप ही की देन है, वरना मे किस लायक थी, ये कहते कहते उसकी आवाज़ भर्रा गयी, मेने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाया, और प्यार से डाँटते हुए कहा-
बस इसके आगे अब और नही…, वरना गुरुजी नाराज़ हो जाएँगे, मेरी इस बात से उन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, जिसे मे देखना चाहता था…
फिर मेने निशा को गेट बंद करने का इशारा किया, और खुद अपने बेड से उतर कर भाभी के पास जाकर बैठ गया, जो अभी भी आँखें बंद किए सो रही थी…
मेने भाभी का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उनके माथे पर चुंबन लेकर उनके सिर के बालों को सहलाया…!
मेरे हाथ का स्पर्श पाकर उन्होने अपनी आँखें खोल दी, मेरे चेहरे पर नज़र पड़ते ही उनके सूखे होठों पर मुस्कान आ गयी, और कमजोर आवाज़ में पुछा –
अब कैसे हो लल्ला…? मेने एक बार फिर उनके माथे पर चूमकर कहा – आपके होते हुए आपके लाड़ले को भला कुछ हो सकता है,
ये सुनकर उनकी आँखें नम हो गयी, पलकों की कोरों से पानी की दो बूँद बिस्तर पर टपक पड़ी…!
फिर उन्होने धीरे से कहा – अपनी भाभी के सूखे होठों को तर नही करोगे लल्ला…?
मेने उनके कान के पास अपना मुँह ले जाकर कहा – यहाँ प्राची भी है भाभी..!
भाभी – मुझे पता है, वो मेरी सबसे छोटी बेहन है, जो हम सबकी गुरु है, उससे शरमाने की ज़रूरत नही है…!
मे – फिर भी उसे तो ये सब पता नही होगा ना कि हमारा संबंध कैसा है..?
भाभी – अच्छा रूको, फिर उन्होने प्राची को पुकारा, वो झट से उनके पास आकर दूसरे तरफ बैठ गयी…
मेने लल्ला जी को अपने सूखे होठ तर करने को कहा, तो ये कहते हैं कि प्राची से पुछो, तुम्हें कोई एतराज तो नही…?
प्राची भाभी की बात सुनकर एकदम गड़बड़ा गयी, फिर कुछ सोच कर बोली – तो मे पिला देती आपको पानी, उन्हें क्यों परेशान करती हैं…!
भाभी मुस्कुरा कर बोली – अरे बाबली, पानी से भी कहीं होठ तर होते हैं..? अपने लल्ला के पास एक स्पेशल रसायन है, जिससे बहुत अच्छे से तर कर देते हैं ये, कभी तुम भी कराकर देखना…!
चलो लल्ला, अब झिझक छोड़ो, ये हमारे देवर भाभी के बीच की बात है, इसमें बेचारी छुटकी को क्यों घसीटते हो…
हमारी बातों से जहाँ प्राची अंजानों की तरह देख रही थी, वहीं निशा मंद-मंद मुस्कुराए जा रही थी…!
फिर मेने जैसे ही झुक कर भाभी के लवो को चूमा, प्राची फटी-फटी आँखों से हमें देखने लगी, जब उसने पलट कर निशा की तरफ देखा तो उसे मुस्कुराते हुए पाकर वो और ज़्यादा हैरान रह गयी…!
एक बार थोड़ा चूमकर मे सीधे बैठ गया, तो भाभी अपने होठों पर जीभ फिरा कर बोली – लल्ला जी कुछ मज़ा नही आया, थोड़ा अच्छे से करो ना…!
मेने मुस्कराते हुए भाभी को फिर से किस किया, और इस बार जो किस हुआ, वो लगभग इश्क फिल्म का जूही और आमिर के किस से मिलता जुलता सा था, हम दोनो की साँसें फूल गयी,
जब एक दूसरे से अलग हुए तो लंबी-लंबी साँसें भर रहे थे, प्राची के तो होश ही उड़े हुए थे, वो इस सोच में थी कि आख़िर ये देवर भाभी का किस तरह का रिश्ता है…!
अपनी साँसें कंट्रोल करते हुए भाभी बोली – हां अब कुछ हरारत दूर हुई, अब मुझे किसी दवा की ज़रूरत नही है, ले चलो मुझे घर…!
फिर वो प्राची को संबोधित करके बोली – क्यों छुटकी पता लगा होठ तर कैसे होते हैं, तुझे भी करवाने हों तो बोल, अभी भी लल्ला के पास बहुत तरावट वाकी है…!
क्यों लल्ला सही कह रही हूँ ना मे, ये कहकर मोहिनी भाभी ने मेरी तरफ आँख मारकर मुस्कुराने लगी…!
प्राची मुस्कराते हुए बोली – हाईए दीदी.. ऐसी तरावट लेने के लिए कॉन मना करना चाहेगी भला, पर भैया मुझे थोड़ी ना वो तरावट देंगे, ये तो बस अपनी प्यारी भाभी के ही लाड़ले हैं, क्यों निशा दीदी, सही कह रही हूँ ना…!
निशा – ये तुमसे किसने कह दिया, मेरे पतिदेव इतने स्वार्थी नही हैं, चाहो तो तुम भी ले सकती हो……….!
प्राची भी मेरे किस के लिए कब्से प्यासी थी, भैया के साथ शादी करने के बाद से ही हमने एक दूसरे को अलग ही रिश्तो की डोर में समेट लिया था…!
वो नज़रें झुकाए बोली – क्या ऐसा हो सकता है भैया…?
मेने भाभी के उपर से ही लंबा होकर प्राची के चेहरे को अपने दोनो हाथों में ले लिया, और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला – तुमसे तो मेरे और भी बहुत से रिश्ते हैं..
भाभी तो तुम मेरी हो ही चुकी हो, उससे पहले मेरी शिष्या हो, और अब तो तुमने मेरी जान बचाकर मुझे बिन मोल खरीद लिया है प्राची, जो चाहोगी मिलेगा, किस कोन्सि बड़ी बात है…
इतना बोलकर मेने उसके लवो को चूम लिया, उसने भी मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी, जब अलग हुए तो उसकी आँखों में आँसू थे, भर्राये स्वर में वो बोली-
मेने कभी सपने में भी नही सोचा था, कि मेरी किस्मत इतनी अच्छी भी हो सकती है, एक ग़रीब माँ-बाप की बेटी को इतना उँचा और इतना प्रेम करने वाला परिवार भी मिल सकता है…
मे सच में बहुत सौभग्यशाली हूँ दीदी…, फिर कुछ नटखट अंदाज में बोली… कभी कभी मुझे निशा दीदी को चिढ़ाने का मन करता है..
भाभी – वो क्यों ?
प्राची – मुझे लगता है, आप मुझे उनसे ज़्यादा प्यार करती हैं…! उसकी बातें सुनकर हम सब की आँखें नम हो गयी..!
निशा मेरे बाजू में आकर खड़ी हो गयी थी, तो मेने उसे अपनी गोद में बिठाकर बोला – अले.. अले.. मेरा बच्चा तो रह ही गया…
फिर उसे मेने अपनी बाहों में कस कर उसके चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी….., !
अभी हम चारों ये बातें कर ही रहे थे, कि डॉक्टर. वीना चेक-अप के लिए आ गयी…!
हम सबको एक साथ भाभी के पलंग पर बैठे देख कर खुश होती हुई बोली –
अरे वाह ! मे तो यहाँ मरीज़ों को देखने आई थी, लेकिन यहाँ तो मुझे कोई मरीज़ दिखाई ही नही दे रहा…! सब एक दूसरे से चुपके पड़े हैं,
अरे भाई अंकुश जी, अगर थोड़ी बहुत गुंजाइश बची हो तो हमें भी इस प्यार भरी मंडली में शामिल कर लो…!
वीना की बात पर भाभी ने अपनी बाहें फैला दी, वो लपक कर उनके सीने में समा गयी, और उनकी पीठ के घाव को सहलाते हुए बोली – सच में आपका ये देवर हीरा है,
इसके दिल में सबके लिए जगह है, बहुत बड़े दिलवाला है ये, भाभी ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा – आप भी इसके दिल में हो क्या…?
वो थोड़ा शर्मीली सी मुस्कान के साथ बोली – अर्जी तो दी थी, अब देखते हैं कब तक आक्सेप्ट होती है…!
ऐसी ही कुछ चुहल बाज़ी के साथ-साथ उसने हम दोनो का चेक अप किया, सब कुछ एक दम नॉर्मल था, फिर भाभी ने घर जाने के लिए पुछा तो उसने केर रखने का बोल कर पर्मिशन दे दी…
वीना – थोड़ा कुछ दिन इस जख्म की केर रखना, वैसे सब ठीक है, हो सका तो दो दिन बाद मे खुद आपको आपके घर आकर चेक कर लूँगी, इसी बहाने आपके वृंदावन के भी दर्शन हो जाएँगे…
भाभी समेत हम सभी ने एक साथ चोंक कर पुछा – हमारा वृंदावन…?
वीना खुलकर हँस पड़ी – अरे मोहिनी जी, आपका घर किसी वृंदावन से कम है क्या, जहाँ सबके दिल में सबके लिए प्रेम बस्ता हो.. वो घर, घर नही मंदिर बन जाता है…!
फिर मेने डॉक्टर. वीना से कहा – डॉक्टर. अगर थोड़ा समय हो तो मे आपसे कुछ डिसकस करना चाहता हूँ…!
वीना – हां .. हां क्यों नही चलो अभी, तुम मेरे कॅबिन में पहुँचो, मे 5 मिनिट में और मरीजों को चेक करके आती हूँ…!
उसके जाने के बाद भाभी ने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा, मेने आँख झपकाकर सब ठीक है का इशारा करके मे वीना के कॅबिन की तरफ बढ़ गया…!
कुछ औपचारिक बातों के बाद मेने डॉक्टर. वीना से सवाल किया – आपने मेरा फुल चेक अप किया था..?
वो – हां ! क्यों..?
मे – कोई इनफॅक्षन वग़ैरह तो नही है ना…?
वो मेरे कहने का मतलाव समझ गयी और बोली – तुम्हारा एग्ज़ॅमिन करते ही मे समझ गयी कि तुम्हें ड्रग के ओवरडोज दे-दे कर तुम्हारे साथ जबदस्ती और अन लिमिटेड सेक्स किया गया है…!
लेकिन ये एक अच्छी बात हुई, कि उन औरतों में कोई भी इंफकटेड नही थी, शायद सो कॉल्ड सभी घरों की ही होंगी जो लिमिटेड और प्रोटेक्टेड सेक्स करने वाली हैं, अब मुझे तो पता नही है कि वो कॉन-कॉन थी, और ना ही मे जानना चाहूँगी…
हां ये दीगर बात है, कि तुम अगर अपनी मर्ज़ी से बताओ तो…. ये कहकर वो मुस्करा दी…!
मे – मे तुम्हें सब कुछ बता दूँगा, थोड़ा समय दो…!
वो – जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, तो हां ! मे कह रही थी, कि वो सभी लिमिटेड सेक्स करने वाली ही औरतें होनी चाहिए या हो सकता है, उन्होने कॉंडम वग़ैरह यूज़ किया हो जिसकी संभावना कम ही है..!
मे – वो क्यों,..?
वीना – मे अपने एक्सपीरियेन्स से कह सकती हूँ, कि जो औरतें अपने तन की प्यास बुझाने के पर्पस से किसी इनोसेंट मॅन के साथ सेक्स करेगी,
वो कम से कम कॉंडम यूज़ नही करना चाहेगी.., उस’से उसे मज़ा कम आता है. और यहाँ तो सेक्शुल्ली टॉर्क्चर किया गया है तुम्हें तो भला वो अपना मज़ा खराब क्यों करना चाहेंगी…!
मे – कुछ औरतों ने कॉंडम यूज़ किया था, वो उनकी उस लीडर के कहने पर…
वीना – तो ऐसी कितनी औरतों ने सेक्स किया था तुम्हारे साथ..?
मे – पहले दिन तो 6-7 औरतों ने किया था, जिनमें से 4-5 ने कॉंडम यूज़ किया था…
वीना – तो वो 4-5 शायद धंधे वाली होंगी, या कोई और रही होंगी उसके लिए…
थोड़ा सा तुम्हारे पॅनिस के मसल्स में डॅमेज था, शायद ड्रग्स की वजह से वो ज़्यादा शख्त होने के कारण और फिर बहुत लंबे समय तक रफ सेक्स होता रहा उसकी वजह से…!
तो मेरी राय में अभी तुम कुछ दिन अपनी पत्नी के साथ भी सेक्स मत करना, 15 दिन में सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा, और तुम पहले की तरह ही मस्त चुदाई कर सकोगे..
फिर उसने एक ट्यूब का नाम लिखकर दिया, इस’से कुछ दिन मसाज करवाते रहना सब कुछ पहले जैसा ही और शायद बेहतर ही करोगे…
क्योंकि कुछ तो इस इन्सिडेंट के कारण और कुछ इस ट्यूब की मसाज से तुम्हारा हथियार थोड़ा प्लस ही हो जाएगा…
ये कहकर वीना हंस पड़ी.. फिर आगे बोली - वाकी बस ड्रग्स की ही मात्रा कुछ ज़्यादा थी बॉडी में, सो लंबी नींद के कारण वो भी अब नॉर्मल है..!
डॉन’ट वरी ! एवेरी थिंग इस ऑलराइट नाउ, एंजाय युवर लाइफ, और हो सके तो किसी बुरे सपने की तरह इसे भूल जाना…!
मे – इस सबका खर्चा भी बता दो, उस हिसाब से मे पेमेंट का इंतज़ाम करूँ..!
वीना मुस्कुराकर बोली – खर्चा थोड़ा लंबा है, जिसे चुकाने के लिए तुम्हें मेरे पास आना पड़ेगा, और जैसा किस तुमने अपनी प्यारी भाभी को किया था, वैसा ही करना पड़ेगा…!
मे – ओह्ह्ह..डॉक्टर ! यू आर सो स्वीटी…! ये कहकर मे लपक कर उसके पास गया, मेने उसे सीट से भी नही उठने दिया, और उसके होठों पर टूट पड़ा…!
वीना के साथ एक लंबी स्मूच के बाद मे उसे थॅंक्स बोलकर खुशी-खुशी बाहर आया, अब मेरी सारी टेन्षन दूर हो चुकी थी, मेने जो सोचा था वैसा कुछ नही हुआ…
भले ही अपने स्वार्थ बस सही श्वेता ने उन औरतों को प्रीकॉशन लेने को कहकर एक तरह से मेरा भला ही किया था…!
मुझे खुश देख कर भाभी ने पुछा – बड़े खुश दिख रहे हो, क्या बात है, डॉक्टर वीना ने कुछ दे दिया क्या….?
मेने हँसते हुए कहा – ज़्यादा कुछ नही, जो आपने दिया था, वही उसने भी दिया है.., वैसे मेरी खुशी की वजह कुछ और है…!
तीनों एक साथ बोली – हमें बताने लायक नही है वो वजह…?
मे – नही ऐसी कोई छुपाने वाली बात नही है, बस मे ये जानने गया था, कि मेरे साथ कुछ अबनॉर्मल तो नही हुआ है.. जो कि सब कुछ पहले जैसा ही है…!
घर आकर प्राची और निशा, भाभी की देखभाल में लग गयी, भाभी का बेटा सुवंश ज़्यादातर निशा के पास ही रहता था, कॉलेज के बाद उसे रूचि भी संभाल लेती थी…!
कुछ दिनों में ही भाभी का जख्म सही हो गया, वो अब घर के काम संभालने लगी थी, प्राची को हमने वापस शहर भेज दिया…!
एक दिन हम तीनों ही बेड पर बैठे बातें कर रहे थे, भाभी ने मेरे बालों में अपनी उंगलिया घूमाते हुए कहा –
लल्ला जी ! भानु और उस छिनाल श्वेता को यूँ ही छोड़ दोगे…?
मे – आप क्या चाहती हैं ? वैसे भानु तो जिस दिन पोलीस के हाथ लग गया, तो किडनॅप चार्जस में जायगा कम से कम 10 साल के लिए अंदर,
और रही श्वेता तो वो वैसे ही अपने अंदर के डर में रोज़ नयी मौत मरती रहेगी कि मे कुछ उसके साथ ना कर दूं…!
भाभी मेरी तरफ गहरी नज़रों से देखती रही, मेने उन्हें अपनी ओर ऐसे अंदाज में देखते पाकर कहा – ऐसे क्या देख रही हो भाभी ?
भाभी – कुछ नही, बस सोच रही थी कि कहीं तुमने उन्हें माफ़ तो नही कर दिया? पता है ना, वो लोग तुम्हें जान से मारने वाले थे…! 5-10 साल की जैल से भानु सुधर नही जाएगा…
वो ऐसा जहरीला नाग है, कि मौका पड़ते ही फिरसे चोट करेगा, कब तक यूँ ही छोड़ते रहोगे उसे…!
और वो हराम्जादि छिनाल, इतने बड़े क्राइम में इन्वॉल्व थी, उसे तो क़ानून भी कभी कोई सज़ा नही दे पाएगा..,
एक अजनबी लड़की को इंसाफ़ दिलाने वाला आदमी, अपने उपर हुए अत्याचारों को ऐसे ही भुला देगा, ये मेने कभी सोचा भी नही था…!
ये बातें कहते कहते भाभी उत्तेजित दिखाई देने लगी, मुझे ये अहसास होने लगा कि अगर मेने कुछ नही किया तो कहीं ये और प्राची अपनी तरह से कुछ करने ना निकल पड़ें..
अतः मेने उनका हाथ अपने हाथों में लेकर उनके गुस्से को शांत करने के लिए कहा –
अगर आप चाहती हैं कि उन्हें उनके गुनाहों की सज़ा मे दूं, तो यकीन कीजिए वो दोनो अब ज़्यादा दिन खुले में साँस नही ले पाएँगे….!
मेरी बात सुनकर भाभी थोड़ी सहम सी गयी, कुछ देर घूर्ने के बाद बोली – तो क्या तुम अपने हाथों से उनका खून करोगे..?
मे – मुझे अपने हाथ उनके गंदे खून से रंगने की ज़रूरत नही पड़ेगी, बस अब आप देखती जाओ, मे कैसा चक्रव्यूह बनाता हूँ उन दोनो के लिए…!
मे अब फिरसे कोर्ट जाने लगा था, और अपने सारे काम सामान्य तरीक़े से करने लगा था...,
यहाँ तक कि अपनी निशा डार्लिंग के साथ बेड वाला गेम भी शुरू करने वाला था, जो कुछ दिनो के लिए पोस्टपोन कर रखा था डॉक्टर. वीना की हिदायत के बाद…!
उस दिन सोने से पहले निशा मेरे लंड की मालिश कर रही थी, वीना के प्रिस्क्राइब किए हुए ट्यूब से…
लंड पूरी तरह अपने आकार में आ चुका था, अब वो उसकी मुट्ठी में भी नही समा रहा था…
मालिश करते करते निशा मदहोश होती जा रही थी, इससे पहले कि वो अपनी नाइटी निकाल कर मेरे लंड पर बैठती, कि तभी भाभी आ धमकी…
मेने झट से अपना शॉर्ट उपर करने की कोशिश, की तभी भाभी बोल पड़ी… छुपा लो छुपा लो अपने खजाने को…, अब तो इस पर निशा का ही हक़ रह गया है…!
निशा उनकी बात से थोड़ी दुखी स्वर में बोली – ऐसा क्यों बोल रही हैं दीदी, उन्हें शर्म लगी होगी इसलिए वो इसे ढकने लगे, मुझे खम्खा आपने स्वार्थी बना दिया…!
भाभी ने फ़ौरन उसे अपने गले से लगा लिया और बोली - ऐसी मेरी कोई मनसा नही थी लाडो, मे तो बस मज़ाक कर रही थी, तू तो सीरीयस हो गयी…
मेने भाभी की गुदगुदी गान्ड दबाते हुए कहा – अब इस पप्पू को अपनी गुल्लक में रखना आपके बस का रोग नही है भाभी…!
वो आँखें चौड़ी करके बोली – अच्छा देखें तो सही, क्या सुरखाव के पर निकल आए हैं इसको, ये कहकर उन्होने मेरा शॉर्ट नीचे खिसका दिया और उसे अपनी मुट्ठी में लेकर देखने लगी…
सच में लल्ला, ये तो पहले से बड़ा और मोटा सा लग रहा है, निशा तूने तो लेकर देखा होगा..
निशा – अभी कहाँ दीदी, आज ट्राइ करने वाली थी कि आप आ धमकी,
भाभी – अच्छा तो, 900 चूहे ख़ाके बिल्ली हाज़ करने चली है, मुझसे क्या शर्म, आज दोनो बहनें मिलके फिरसे इसका तेल निकालते हैं, ये कहकर वो दोनो मेरे आजू-बाजू बैठकर उसे बारी बारी से मुठियाने लगी…
मेने दोनो को नंगा करके दोनो की गान्ड अपनी तरफ औंधी करवा ली, एक की चूत चाटने लगा तो दूसरी की चूत में उंगली से चोदने लगा…!
हाल ही में क्रीम की मालिश की वजह से वो उसे मुँह में नही ले पारही थी, इसलिए एक के उपर दूसरी का हाथ रख के मुत्ठियाने लगी…
निशा पहले से ही गरम हो रही थी, सो वो मेरे उपर सवार हो गयी, और मे भाभी की चूत की सर्विस करने लगा…
निशा ने बहुत कोशिश की लेकिन वो पूरा लंड नही ले पाई.., अंत तक लेते लेते, उसका भाड़ सा मुँह खुल गया.., लंड अभी जड़ तक नही पहुँच पाया था कि वो एक बार ऐसे ही झड गयी…
निशा को ज़्यादा उच्छल-कूद ना करनी पड़े, इसलिए मेने उसे अपने बगल में करवट से लिटा लिया, और उसकी गान्ड मसल्ते हुए पीछे से अपना लंड उसकी रस से सराबोर चूत में सरका दिया…
आअहह….राज़ीए….बहुत बड़ा है, थोड़ा बाहर ही रखना…प्लीज़…
मे निशा को 3/4 लंड से चोदने लगा.., हल्के हल्के धक्के लगाकर मेने एक बार उसकी चूत को अपने पानी से तर कर दिया,
भाभी ने नॅपकिन से मेरे लंड को सॉफ किया, और उसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, 5 मिनिट में ही वो फिरसे डंडे की तरह शख्त हो गया…
मेने भाभी को घोड़ी बना दिया, और उनकी गान्ड पर चाँटा मारते हुए उनके पाटों को सुर्ख लाल कर दिया…,
गान्ड में मुँह डालकर कुछ देर उनकी चूत और गान्ड को चाटा…, वो चुदने के लिए उतावली होने लगी….
आअहह…लल्लाअ…अब जल्दी से डालो रजाअ…
मेने पीछे से अपना सोट जैसा 9” लंबा और 3” मोटा लंड उनकी चूत के छेद पर रखा, और एक तगड़ा सा धक्का लगा दिया…
तीन-चौथाई लंड सर्र्र्र्र्र्र्ररर……से अंदर चला गया…
भाभी गर्म होती गाय की तरह रांभाने लगी…. हाए लल्ला… बहुत मोटा हो गया है…थोड़ा आराम से मेरे रजाअ…,नही तो मेरी चूत का भोसड़ा बन जाएगा…!
मेने वाकी बचे हुए लंड को भी पेलते हुए कहा – क्यों फट गयी, तब तो बड़ी ताने दे रही थी निशा को…अब झेलो इसे..…!
भाभी – अरे भोसड़ी के थोड़ा धीरे डाल मदर्चोद… मेरे मुँह से होकर निकालेगा क्या…, हाए राम कितना लंबा हो गया है.. ये.
ले मेरी प्यारी भाभी अभी तो इस’से तुम्हारी गान्ड खोलूँगा ना तब देखना क्या होता है…, मेने धक्के लगाते हुए कहा…!
आज पहली बार भाभी के मुँह से ऐसे शब्द निकल रहे थे, या तो ये कहा जाए कि लंड उनकी चूत में पहले से ज़्यादा अंदर तक उसकी दीवारों को चीरता हुआ जा रहा था…
तो उत्तेजना के मारे वो अनाप-शनाप बकने लगी थी, गान्ड फाड़ने की बात सुनकर वो गिडगिडाते हुए बोली –
हाईए…रामम…ऐसा मत करना मेरे राजा… गान्ड फट जाएगी इस’से तो…चल भी नही पाउन्गि….आअहह….चूत में ही लेना भारी पड़ रहा है….हे रामम…. मारी रीई…, हां मेरे सोना… ऐसे ही धीरे-धीरे री…
भाभी की मादकता से भरपूर कराहट भरी बातें सुनकर मुझे और जोश बढ़ता जा रहा था…और मेने उनकी गान्ड मसल्ते हुए अपने धक्के और तेज कर दिए…
भाभी की चूत लगातार रस बहाए जा रही थी, लंड की चोट सीधी उनकी बच्चेदानी में पड़ रही थी…इस वजह से वो लगातार रस छोड़ रही थी…
फुकछ…फुकछ…पक..पक… जैसी आवाज़ें लंड के अंदर बाहर होने से आ रही थी…,
भाभी झड़ने के बाद कुछ देर ढीली पड़ जाती, मे उनकी पोज़िशन चेंज करके फिरसे चोदने लगता…
लास्ट में मेने भाभी को अपनी तरफ गान्ड करके अपने उपर बिठा लिया, और गान्ड की दरार में उंगली करते हुए नीचे से ढका-धक धक्के लगाता रहा…, भाभी की रेल बन चुकी थी…
लेकिन मेरा मज़ा खराब ना हो इसलिए वो बेचारी मेरे ताबड-तोड़ धक्कों को सहन करती रही, कुछ ना कुछ बड़बड़ाती जा रही थी…
आधे घंटे की लगातार चुदाई के बाद मेरा लंड जबाब देने लगा, और उसने भाभी की ओखली को अपने गाढ़े-गाढ़े पानी से लबालब भर दिया…