Update 66

भाभी पस्त होकर मेरे उपर पसर गयी…, अपनी लंबी-लंबी साँसों को इकट्ठा करने की कोशिश करते हुए बोली –

हे भगवान आज तो ग़ज़ब ही कर दिया लल्ला तुमने, मेरी तो जान ही अटक गयी थी…

मेने उनकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – इसका मतलब मज़ा नही आया आपको…?

भाभी – मज़ा ? मज़े के मारे ही तो मे होश ठिकाने नही रख पा रही थी…सच में बहुत दमदार हो गया है तुम्हारा लंड, और स्टॅमिना भी कुछ और बढ़ गया है..

मे – तो अच्छा ही है ना, मुझे अलग-अलग मेहनत नही करनी पड़ेगी, दोनो को एक साथ ही निपटा दिया करूँगा……!

भाभी – मुझे तो लगता है, तुम हम दोनो को भी नानी याद दिला दोगे…ये कहकर भाभी हंस पड़ी, और मेरे लंड को चूम लिया….!

निशा – आज की दीदी की चुदाई देख कर मुझे तो डर लग रहा है, डेलीवेरी तक मे तो अब इनके पास फटकने वाली नही हूँ, कहीं मेरे बच्चे को ठोकर लग गयी जोश-जोश में तो…!

मेने हँसते हुए उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके रसीले होठों को चूमकर कहा – इतना भी निर्दयी मत समझो मुझे.., की अपने बच्चे को ही चोट पहुँचा दूं,

वो तो भाभी को ज़्यादा से ज़्यादा खुशी देने के लिए मेने उन्हें जमकर चोदा है.., भाभी आप खुश तो हो ना…!

उन्होने मेरे गाल को कच-कचाकर काट लिया, मेरे मुँह से आअहह.. निकल गयी, फिर उसे चूमकर बोली – बहुत खुश.., भगवान करे ये खुशी यूँ ही बनी रहे…

इस तरह हमारी लाइफ फिरसे सामान्य गति पकड़ने लगी…………….!

एक दिन काम से मे गुप्ता जी के यहाँ गया हुआ था, हमेशा की तरह हॉल में बैठा उनका इंतजार कर रहा था, तभी सेठानी मेरे पास आकर बैठ गयी,

खुशी कॉलेज जा चुकी थी, मेरे पास आकर वो मेरे किडनॅप के विषय में पूछने लगी…!

इससे पहले कि मे उनको कोई जबाब देता, कि गुप्ता जी अपने रूम से निकलते दिखाई दिए, वो हमारी तरफ आते हुए बोले – क्या बातें हो रही हैं भाई…?

सेठानी – कुछ नही जी, बस मे पुच्छ रही थी, कि इनका अपहरण किसने किया था..? कैसे हुआ..? वो सब..

गुप्ता जी – क्या बात है भागवान, तुम्हें भी अब हमारे वकील साब की अच्छाइयाँ नज़र आने लगी, सुनकर अच्छा लगा कि तुम्हें इनकी फिकर हुई…!

सेठानी – क्या आप भी बार-बार वही टोन्ट मारते रहते हैं, एक बार ग़लती क्या हो गयी, आप तो उस बात को पकड़के बैठ गये हैं…!

मे और गुप्ता जी उनकी बात पर हँसने लगे, फिर वो बोले – अब तुम इनकी कहानी बाद में सुनना, हमें ऑफीस में बहुत सारे काम हैं, चलो वकील साब निकलते हैं…

मे उनके साथ चलने लगा, तो पीछे से सेठानी बोली – अंकुश बेटा, शाम को समय निकल कर आना, खुशी बहुत परेशान थी तुम्हें लेकर और मुझे भी बहुत सारी बातें करनी हैं तुमसे…

मे हां बोलकर गुप्ता जी के पीछे लपक लिया…..!

दो घंटे में गुप्ता जी का काम निपटाकर मे अपने ऑफीस पहुचा, बहुत सारे केसस पेंडिंग पड़े थे, जिनकी डेट्स आगे की लेनी थी, कुछ की हियरिंग थी…

सारे दिन की भागदौड़ में दिन कब निकल गया पता ही नही चला, घर जाना था लेकिन अब घरवालों की खास हिदायत थी कि लेट होने पर वहीं रुक जाना…

मेने सोचा आज रात भैया के बंगले पर बिताई जाए, उनसे भी बात किए बिना कई दिन हो गये थे, प्राची तो हर रोज़ मेरी वाट जोहति रहती थी…!

शाम 8 बजे मे उनके बंगले पर पहुँचा, पता चला वो दोनो मियाँ बीवी प्राची की मम्मी से मिलने मेरे ही फ्लॅट पर गये हैं, मेने फ़ौरन वहाँ से गाड़ी दौड़ाई और अपने घर पहुँचा वहाँ वो दोनो मुझे मिल गये…

मुझे देखते ही भैया बोले – क्यों भाई वकील साब अभी जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए हैं एक मुशिवत से निकले हुए और फिर से खुले सांड़ की तरह इतनी रात तक सड़कों पर हानडते रहते हो…

मेने कहा – भैया, इतने दिनो का पेंडिंग काम थे लोड ज़्यादा है, कुछ दिन तो ऐसे ही जाने वाले हैं.. आप सूनाओ, मे तो आपके बंगले पर गया था,

वहाँ से पता चला कि आप यहाँ आए हो, तो इधर भागा, इसी चक्कर में और लेट हो गया…!

चल कोई ना, सही समय पर आया है, खाना शुरू करने ही वाले थे हम लोग,

आंटी और प्राची ने हम सबके लिए खाना लगाया, बातें करते हुए हम सभी खाना खाने लगे…!

मधु आंटी अब अच्छे रहन सहन और खाने पीने की वजह से उनके अंगों में निखार आता जा रहा था…,

मस्त टाइट 34द की उनकी चुचियाँ कसे हुए खुले गले के ब्लाउस से बाहर झाँक रही थी, खाना खाते हुए भैया की नज़र वहीं टिकी हुई थी…,

मेने मन ही मन मुस्कराते हुए भैया से पुछा – श्वेता के फार्म हाउस की क्या स्थिति है…?

भैया – वो तो हमने अपनी कस्टडी में लिया हुआ है, पोलीस की सील लगी है, क्यों..?

मुझे अन अफीशियली कुछ दिन के लिए उसकी औतॉरिटी चाहिए…मेने कहा !

भाभीया चोन्क्ते हुए बोले – क्यों..? अब क्या करने वाला है वहाँ..?

मे – वो सब बाद में बताउन्गा, पहले आप मेरी बात का जबाब दीजिए…!

भैया – देख ले, मे दे तो दूँगा, लेकिन कुछ ऐसा वैसा मत करना जिससे तू भी फँसे और मुझे भी जबाब देना भारी पड़ जाए…!

मे – वो सब आप मुझ पर छोड़ दो, ऐसा कुछ भी नही होने दूँगा…!

बातें करते हुए बीच-बीच में उनकी नज़र भटक कर अपनी सास के यौवन पर ज़रूर अटक जाती, जिससे उनके पॅंट में उभार बढ़ने लगा था…!

शायद आंटी भी उनकी नज़र ताड़ गयी थी, सो उन्होने अपने आँचल को सही करने के बहाने उसे और ढालका दिया, उनकी गोरी गोरी गोलाईयों में भैया का मन भटकने लगा…!

खाने के कुछ देर बाद आंटी ने फ़्रीज़ से निकाल कर आइस क्रीम सर्व की जो प्राची अपने साथ लाई थी…!

उन्होने बड़ी मादक अदा से भैया को आइस क्रीम सर्व की कुछ ऐसे पोज़ से जिससे उनके यौवन के दीदार वो अच्छे से जी भरके कर सकें,

इस बीच मेने प्राची को अपनी बातों में उलझाए रखा,

कुछ देर बाद प्राची और भैया अपने बंगले पर लौट गये और मे और आंटी अपने-अपने कमरे में सोने चले गये…!

मे अभी लेटा ही था, कि तभी आंटी अपने कपड़े चेंज करके मेरे पास आ गयी,

वो इस समय एक शॉर्ट नाइटी पहने थी, जो मात्र घुटनो तक ही थी, नीचे शायद पैंटी और ब्रा भी नही थी, चलने से उनकी 34द सुडौल चुचियाँ थिरक रही थी…!

वो धीरे-धीरे गान्ड मटकाते हुए मेरे पास तक आई और बिस्तर पर मेरी बगल में आकर लेट गयी, …!

उन्होने अपनी एक जाँघ मेरे लंड के उपर रखली, अपने आमों को मेरे साथ सटाते हुए मेरे सीने पर हाथ फेरते हुए बोली –

उन गुण्डों ने तुम्हें किडनॅप क्यों किया था…?

मेने मधु आंटी की नाइटी को और उपर सरका कर उनकी गान्ड को नंगा कर दिया, और अपनी उंगली उनकी मस्त गुद-गुदि गान्ड की दरार में उपर से नीचे तक घूमाते हुए कहा –
मेने उनको परेशान करके रखा था, इसलिए उन्होने मौका देख कर मुझे परेशान किया…,

वो तो अच्छा हुआ कि प्राची और भाभी ने समय पर पहुँच कर बचा लिया, वरना ना जाने और कितने दिन टॉर्चर करते…!

आंटी ने मेरे लंड को शॉर्ट के उपर से सहलाते हुए कहा – तुमने प्राची को इस काबिल बना दिया है, कि वो इस तरह के ख़तरे उठा लेती है, वरना एक साधारण सी लड़की कभी ऐसा नही कर पाती…!

मे – हां वो तो है, वैसे आंटी, भैया के बारे में आपका क्या ख़याल है…!

वो मेरी बात से एकदम चोंक पड़ी, फिर संभालते हुए बोली – किस बारे में…?

मेने उनकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – उनकी नज़र आपके इन आमों पर थी..,

वो मेरी बात सुनकर शरमा गयी, फिर अंजान बनते हुए बोली – कब, मुझे तो पता नही, वैसे वो मेरे दामाद हैं भला उनके मन में ऐसे भाव नही आ सकते..,

मेने अपनी एक उंगली उनकी गान्ड में डाल दी, आंटी ने अपने छेद को सिकोडकर उसे कस लिया, और उनके मुँह से एक सिसकी निकल गयी…!

मेने उंगली को और अंदर करते हुए कहा – वैसे आपकी अदाओं से तो ऐसा नही लगा कि वो आपके दामाद हैं, और फिर उनके छोटे भाई का लंड ले सकती हो तो उनका लेने में कैसा परहेज…!

आहह…. बेटा, ज़्यादा अंदर मत करो…सुखी है..., मेने अपनी उंगली गान्ड से निकाल कर चूत में पेल दी..., दो उंगलियों को अंदर बाहर करते हुए पुछा –

वैसे भैया अगर कोशिश करें तो क्या आप उन्हें रोकेंगी…?

सस्स्सिईईई….आअहह…. ऐसा कभी मौका आया तो शायद ना रोक पाउ…उउउइई..

मेने आंटी को सीधा लिटा दिया, और उनके उपर आकर नाइटी निकाल दी, और उनकी चुचियों को उमेठते हुए कहा – आप दोनो को पास लाने की मे कोशिश करूँ ?

आअहह…उखाडोगे क्या इनको…, थोड़ा धीरे से मस्लो…, प्राची को पता चल गया तो…!

मेने अपना शॉर्ट निकाल दिया, अपने सॉट जैसे 9” के लंड को उनकी रसीली चूत के मुँह पर रख कर उसकी फांकों के उपर घिस्सा लगाते हुए कहा –

प्राची को बोलकर चुदना चाहती हो क्या…? मज़े लो आंटी, भैया का लंड भी अंदर ही जाएगा.. ये कहकर मेने एक तगड़ा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…

मेरा आधा लंड उनकी कसी हुई चूत में समा गया, आंटी के मुँह से आआहह…निकल गयी.., वो सिसकते हुए बोली – आराम से रजाअ…बेटा….ये तो पहले से भी ज़्यादा मोटा लग रहा है…

मेने थोड़ा और पुश करते हुए कहा – हां, उन लोगों ने ड्रग देकर इसे और तगड़ा कर दिया है…, आअहह आंटी, बहुत कसी हुई चूत है आपकी…

भैया आपको चोद कर खुश हो जाएँगे…, मेरी बात से आंटी की उत्तेजना और बढ़ गयी…, और उन्होने अपनी कमर को उपर उठा दिया…

मेरा रहा-सहा लंड भी आंटी की रसीली चूत में सरक गया…, आंटी की आँखें खुली रह गयी.

कुछ देर बाद मेने अपने धक्के लगाने शुरू कर दिए, आंटी भी कमर उठा-उठाकर मेरे लंड का मज़ा लेने लगी…….!

मधुमिता आंटी को चोदते चोदते मेरा दिमाग़ श्वेता के फार्म हाउस में मेरे साथ हुए सेक्स एनकाउंटर की तरफ चला गया…!

मेरा लंड अपना काम कर रहा था लेकिन दिमाग़ कुछ और ही सोचों में खोया हुआ था, मुझे भाभी को दिया हुआ वचन भी पूरा करना है…,

सोचते-सोचते में आंटी की चूत में धक्के भी लगाता जा रहा था, मुझे किसी तरह भानु को फिरसे पकड़ना था…!

श्वेता को छेड़ना अभी ठीक नही है, वरना वो चौन्कन्नि हो सकती थी, और वैसे भी उसके खिलाफ मेरे पास कोई ठोस सबूत नही थे..,

ना जाने कितनी देर से मे आंटी को चोदे जा रहा था, इस बीच आंटी दो बार झड भी चुकी थी, लेकिन मे अपनी सोचों में गुम एक लयबद्ध तरीक़े से धक्के लगाए जा रहा था…

मेरा ध्यान उनकी कराह सुनकर टूटा, मेरे सीने पर हाथ रखकर मुझे रोकने की कोशिश करते हुए वो बुरी तरह से कराहने लगी थी, आअहह.. बेटा…अब बस करो वरना मेरी चूत सूज जाएगी…!

मेने उनके चेहरे की तरफ देखा जहाँ पीड़ा के निशान थे, बिना झड़े ही मेने फ़ौरन अपने धक्के बंद किए और उनके उपर से उतर गया…

सॉरी आंटी जी माफ़ करना, आप ठीक तो हैं…?

आंटी – आहह…आज क्या हो गया है तुम्हें मेरी हालत खराब करदी तुमने…!

फिर उन्होने बिना कुछ कहे बाथरूम जाकर अपनी चूत को ठंडे-ठंडे पानी से सॉफ किया और बाहर आकर अपने कपड़े पहन कर सोने चली गयी…!

उनके जाते ही मे फिरसे अपनी सोचों में गुम हो गया…!

दूसरे दिन से मेने भानु को खोजने की अपनी मुहिम तेज कर दी, क्योंकि वोही मेरे लिए एक कमजोर कड़ी था जिसके ज़रिए मे अपना मक़सद पूरा कर सकता था, पर ना जाने वो हरामी कोन्से बिल में छुपा बैठा था…!

उसके मिलने के सारे ठिकानों पर मेने अपनी सोर्सस से सब जगह पता करवा लिया, लेकिन उसका कोई पता नही चल पा रहा था,

श्वेता को छेड़ने की मेने कोई कोशिश भी नही की.

भानु का मोबाइल भी लगातार स्विच ऑफ आ रहा था, कई अलग-अलग नंबरों से चेक किया लॅंड लाइन से भी ट्राइ किया लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ…!

इसी सीरीस में मेने रागिनी की ससुराल का पता निकाला, शायद वो अपनी बेहन के यहाँ छुपा बैठा हो.., सो मेने अपना हुलिया चेंज करके जोसेफ वाला गेटअप बनाकर अपनी गाड़ी लेकर उसको तलाश करने निकल पड़ा…

रागिनी की ससुराल कृष्णा भैया की पहली पोस्टिंग वाले शहर में थी, जोसेफ के गेटअप में मेने अपनी गाड़ी उसी शहर की तरफ दौड़ा दी…

गर्मियों के दिन थे, समय दिन के कोई 11 ही बजे थे, कि रोड साइड में मुझे एक गाड़ी खड़ी दिखी जिसका बॉनेट खुला हुआ था…

मेरी गाड़ी देखते ही उसके ड्राइवर ने मुझे हाथ देकर रोकने का इशारा किया, मेने अपनी गाड़ी की स्पीड कम की, पास आकर मुझे खड़ी गाड़ी की पिच्छली सीट पर एक लेडी साड़ी पहने हुए दिखी…

मेने थोड़ा आगे जाकर गाड़ी खड़ी कर दी, उस गाड़ी का ड्राइवर भागता हुआ मेरे पास आया, और रिक्वेस्ट करके बोला – साब हमारी गाड़ी खराब हो गयी है, अगर आप अगले शहर तक जा रहे हों तो मेम साब को लिफ्ट दे सकते हैं..?

मेने कहा – अगर तुम्हारी मेम साब को कोई प्राब्लम नही हो तो मुझे उन्हें लिफ्ट देने में कोई प्राब्लम नही है, मे भी उसी शहर तक जा रहा हूँ…!

वो फ़ौरन वहाँ से भागा, कुछ देर में ही वो लेडी मेरी गाड़ी के बगल में खड़ी थी, मेने एक सरसरी नज़र उस पर डाली, वो कोई 30-32 साल की परफेक्ट फिगर की 34-32-36, हाइट भी अच्छी ख़ासी थी…

गोरा रंग गोल सा चेहरा, बोलती सी बिल्लौरी आँखें, मे देखते ही समझ गया कि ये सेक्स पसंद करने वाली महिला है…!

उसका कारण था, उसकी आँखों का रंग और उसके उपर वाले होठ पर एकदम सेंटर में तिल का निशान, जो किसी के भी सेक्स के प्रति आकर्षण का एक यूनिवर्सल साइन होता है…!

होठों की बनावट कह रही थी, कि वो एक परफेक्ट चुंबन स्वामिनी होनी चाहिए..!

गर्मी के कारण उसे पसीना आ रहा था, जो उसके चेहरे से चुहूता हुआ, उसकी पर्वत श्रंखलाओं की घाटी में लुप्त हो रहा था…!

बार बार वो अपने हॅंकी से उसे पोन्छ्ने की कोशिशी करती…, मेने साइड ग्लास नीचे गिराया, उसने थोड़ा झुक कर मुझे कहा – एक्सक्यूस मे मिसटर, क्या आप मुझे अगले शहर तक लिफ्ट दे सकते हैं, आपकी बहुत मेहरवानी होगी…!

झुकने से ही उसके पर्वत शिखरों का अनुमान हो गया, कि उनका विस्तार क्षेत्र कैसा है..!

ओह शुवर, वाइ नोट… ये कहकर मेने हाथ बढ़कर आगे का गेट खोल दिया…!

उसने बैठने के लिए अपना एक पैर आगे किया, साड़ी में कसी हुई उसकी परफेक्ट शेप्ड गान्ड बड़े कामुक अंदाज में थिर्की, जिसे देखकर मेरे लौडे ने करवट बदली…!

अंदर बैठकर उसने रहट की साँस ली, मेने अपने एसी का नंबर बढ़ा दिया, उसकी ठंडी हवा का अहसास होते ही वो बोली – थॅंक्स लॉट्ट,

बाहर बहुत गर्मी है, हमारी गाड़ी खराब हो गयी है, अब पता नही कब तक ठीक होगी…!

मे – कोई बात नही, मे भी उसी शहर की तरफ ही जा रहा हूँ, मेरे लिए भी अच्छा होगा, किसी हसीन साथी के साथ सफ़र करने में…

मेरी बात सुनकर उसने तिर्छि नज़र से मेरी तरफ देखा, और एक कामुक सी मुस्कान देकर बोली – ओह्ह्ह.. तो जनाब सुंदर औरत देखते ही फ्लर्ट करने लगे…, एनीवेस थॅंक्स फॉर कॉंप्लिमेंट…!

माइ प्लेषर बोलकर मेने गाड़ी आगे बढ़ा दी, मेरी नज़र आगे होते ही वो मेरी तरफ देखने लगी…!

मेने आगे नज़र रखे हुए ही उससे पुछा – आप उसी शहर में रहती हैं..

वो – हां ! मेरा नाम शालिनी है, वहाँ मेरी ससुराल है, फिर उसने अपने परिवार के बारे में बताया, वो एक जॉइंट फॅमिली में रहते हैं,

अच्छा ख़ासा गारमेंट का बिज्निस है, दो भाई हैं, जो एक उसके पति से छोटा है यानी देवर जिसकी शादी किसी ज़मींदार की लड़की के साथ हो चुकी है…!

ज़मींदार शब्द सुनते ही मेरे दिमाग़ ने काम करना शुरू कर दिया.., कहीं ये

रागिनी की जेठानी तो नही..,

लेकिन अपनी एग्ज़ाइट्मेंट पर काबू रखते हुए मेने उस टॉपिक को और आगे नही बढ़ाया वरना शक़ पैदा हो सकता था…

बातों के दौरान मेने उसकी तरफ नज़र डाली, वो लगातार मुझे ही देखे जा रही थी, मेने चुटकी लेते हुए कहा –

क्या देख रही हो मेडम, ऐसा कुछ खास नही है इस थोबडे में जो आप जैसी हसीना के देखने लायक हो…!

वो झेंप कर सामने देखने लगी, फिर कुछ सोच कर बोली – आप भी कुछ बताओ अपने बारे में…!

मे – मेरा कोई खास इंट्रो नही है, मुझे लोग जोसेफ के नाम से जानते हैं…

मस्त मौला मस्त कलंदर आदमी हूँ, जिधर मुँह उठ जाता है, निकल पड़ता हूँ,

खाने कमाने की टेन्षन नही है…बाप दादे ने बहुत कमा के रख छोड़ा है, बस अपनी तो ऐश ही ऐश हैं…!

वो – वैसे आप बड़े दिलचस्प इंसान लगते हैं, और हॅंडसम भी, कोई भी लड़की आपके नज़दीक आना चाहेगी…!

मे – हाहाहा… हॅंडसम और मे..? क्यों चने के झाड़ पर चढ़ा रही हो शालिनी जी.., वैसे आप मेरे नज़दीक आना चाहेंगी क्या…?

मेरी बात से वो मन ही मन मुस्करा उठी, एक कामुक सी नज़र से देखते हुए बोली – अगर आप आने देंगे तो…!

मे – आप जैसी हूर से दूर कों भागना चाहेगा, ये कहकर मेने अपना हाथ उसकी मक्खमली जाँघ पर रखकर उसे धीरे से सहला दिया….!

वो मेरी तरफ झुकने लगी, शायद वो मेरे गाल पर किस करना चाहती थी, लेकिन तभी मेने अपना मुँह उसकी तरफ घुमाया, और हम दोनो के होत आपस में चिपक गये…

शर्म और उत्तेजना से उसके गाल लाल हो गये…!

धीरे-2 उसका भी हाथ मेरी जाँघ से होता हुआ उनके बीच आ गया, और वो जीन्स के उपर से ही मेरे लंड का आकर चेक करने लगी, जो शायद खेली खाई होने की वजह से समझ गयी, कि मेरा मूसल उसकी ओखली की कुटाई अच्छे से कर सकता है…!

शालिनी – वैसे आप हमारे शहर में कहाँ जा रहे हैं…?

मे – वहाँ जाकर कोई अच्छा सा होटेल लेकर एक-दो दिन मटरगस्ति करूँगा…!

उसने कहा – हमारे शहर में 3 स्टार होटेल ही हैं, वैसे शालीमार होटेल बहुत अच्छा है, अगर आप चाहो तो वहाँ रुक सकते हो…!

मेने उसकी तरफ स्माइल देकर कहा – अगर आपको पसंद है, तो वहीं रुक जाएँगे, हमें क्या, मुझे तो कहीं भी अच्छी जगह रुकना है, आप मिलने आओगी ना…!

शालिनी – आप बुलाएँगे तो ज़रूर आउन्गि…, ये कहकर उसने मेरे लंड को अपनी हथेली से मसल दिया.. और खिल-खिलाकर हँस पड़ी…!

मेने अपनी गाड़ी शालीमार होटेल के सामने जाका रोकी, वो मेरी ओर देख कर मंद मंद मुस्करा रही थी, मुझे पता था ये मेरे साथ अभी के अभी चुदना चाहती है फिर भी मेने उसे छेड़ते हुए कहा…

अगर आप चाहें तो मे आपको आपके घर तक ड्रॉप कर्दू…!

वो कामुक अंदाज से देखते हुए बोली – अभी तो आप दावत दे रहे थे आने की, और अब टरकाना चाहते हैं, चलिए आपका रूम तो देख लूँ…!

मेने मुस्करा कर गाड़ी होटेल के पोर्च की तरफ बढ़ा दी…!

एक अच्छा सा रूम लेकर हम कमरे में गये, काउंटर पर मेने उसका परिचय अपने परिचित के रूप में ही दिया, जो बस मिल-मिलाकर कर कुछ देर में चली जाएगी…!

रूम सर्विस के जाते ही वो मुझसे लिपट गयी, मेने उसकी कसी हुई गान्ड को मसल्ते हुए कहा – ऑश…शालिनी जी, आप तो इतनी जल्दी शुरू हो गयी, थोड़ा फ्रेश व्रेश तो होने दीजिए,

उसकी चूत रास्ते में ही रस छोड़ने लगी थी शायद, सो मेरे होठों को चूमते हुए बोली – मुझे घर भी जाना है, वरना ड्राइवर मुझसे पहले आ गया तो पता नही क्या-क्या बातें बना दे…!

मेने हँसते हुए कहा – चलो ठीक है फिर, जैसी आपकी मर्ज़ी, ये कहकर मेने उसकी साड़ी का पल्लू खींच दिया………..!

साड़ी का पल्लू पकड़ते ही शालिनी खिलखिलाती हुई घूमने लगी, चन्द सेकेंड्स में ही उसकी साड़ी उसके बदन से अपना नाता तोड़कर मेरे हाथों में थी.., जिसे मेने इकट्ठा करके पास पड़े सोफे पर उच्छाल दिया…!

शालिनी की गोरी गोरी चुचियाँ उसके कसे हुए चौड़े गले के ब्लाउस से बाहर को उबली पड़ रही थी, मेने उसकी कमर में हाथ डाल कर अपने बदन से सटा लिया और अपना मुँह उसकी घाटी के बीच में डाल दिया,

उसके पसीने की महक मेरे नथुनो में सामने लगी, जिसका सीधा असर मेरे लंड महाराजा पर पड़ा, और वो मेरी जीन्स के पीछे नहा धोकर पड़ गया…!

इस समय शालिनी मात्र ब्लाउस और पेटिकोट में थी, उसके गोल-मटोल कद्दू जैसे नितंब फिटिंग वाले पेटिकोट को फाडे दे रहे थे…

उन्हें कसकर मसल्ते हुए मेने उसे अपनी ओर खींचा, मेरा लंड जीन्स फाड़कर उसकी चूत में सामने की कोशिश करने लगा…!

फिर मेने अपना एक हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर उसके होठ चूस्ते हुए दूसरे हाथ से उसके ब्लाउस के बटन खोलने लगा, ब्लाउस इतना कसा हुआ था कि वो खुल ही नही रहे थे…

जिसमें शालिनी ने खुद से ही अपने आप उसे उतार दिया, तब तक मेने उसका पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया, वो सर सराता हुआ उसके कदमों में जा गिरा…!

आअहह… छोटी सी ब्रा और मात्र दो अंगुल की पट्टीदार पैंटी में शालिनी का भरा हुआ कामुक बदन क्या लग रहा था, गोरी रंगत लिए उसका मक्खन जैसा मादक कूर्वी बदन देख कर में अपना कंट्रोल खोने लगा,

खड़े खड़े ही मेने शालिनी के कंधों पर दबाब डालकर उसे नीचे दबाया, खेली खाई शालिनी मेरा इशारा समझ कर अपने पंजों पर बैठ गयी, और मेरी जीन्स के बटन खोल कर उसने उसे अंडरवेर समेत नीचे खिसका दिया…

बाहर आते ही मेरा 9” लंबा और उसकी कलाई जितना मोटा लंड किसी कोबरा नाग की तरह फुनफुनाकर उसके मुँह पर जा लगा…!

शालिनी अपनी आँखें चौड़ी करके उसे देखने लगी…, अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली - हे राअंम्म्म….ये क्या है…?
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