Update 67
बाहर आते ही मेरा 9” लंबा और उसकी कलाई जितना मोटा लंड किसी कोबरा नाग की तरह फुनफुनाकर उसके मुँह पर जा लगा…!
शालिनी अपनी आँखें चौड़ी करके उसे देखने लगी…, अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली - हे राअंम्म्म….ये क्या है…?
इसे लंड कहते हैं जानेमन… मेने उसकी चुचिओ को दबाते हुए कहा…,
वो तो मे भी देख रही हूँ, लेकिन इतना बड़ा और मोटा…, किसी की भी चूत की धाज्जयाँ उड़ा देता होगा ये तो.. उसने झुरजूरी सी लेते हुए कहा…!
तुम्हें नही उड़वानी अपनी चूत की धज्जियाँ तो मे अपना समान पॅक करूँ डार्लिंग… मेने उसे चिढ़ते हुए कहा…
वो झट से बोल पड़ी, नही नही… मे तो अब इसे ज़रूर लूँगी, पहली बार इतना बड़ा लंड देखा हैं मेने, देखूं तो सही कैसा मज़ा आता है…!
इतना कहकर उसने मेरे 9” लंबे और 3” मोटे कड़क सोटे जैसे लंड को चूमा और उसकी गर्मी को अपने मुलायम फूले हुए गाल से सटा कर आँखें बंद करके उसे अपने गाल से मसाज सी देने लगी…!
एक दो बार उसने उसे हाथ से उपर नीचे किया, लंड के सुर्ख दहक्ते सुपाडे को जीभ से चाट कर उसने अपने मुँह में ले लिया, सुपाडे से ही उसका पूरा मुँह भर गया..
मेरी चीकू जैसी गोलियों को एक हाथ से सहलाते हुए वो उसे मस्ती में आकर चूसने लगी…!
कुछ ही देर में मेरा मूसल एकदम कड़क होकर किसी लोहे की रोड जैसा सख़्त हो गया, उसके चारों ओर के मसल्स बाहर को उभर आए, अब वो गोलाकार ना होकर किसी रोमबुस शेप रोड जैसा दिखने लगा…
मेने उसके कंधे पकड़ कर उपर उठने का इशारा किया, और उसके वाकी बचे कपड़ों को निकाल कर पूरी तरह से नंगा कर दिया…
एक बार उसके होठ चुस्कर, उसकी रसीली चूत को सहलाया, वो बूँद-बूँद करके रिसने लगी थी,
खड़े-खड़े ही मेने उसकी एक टाँग उपर की और अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर टिका कर एक धक्का मार दिया…
सर्र्र्र्र्र्र्ररर…. से गीली छूट में मेरा आधा लंड चला गया, वो अपनी आँखें बंद करके सिसक पड़ी…. आआहह…..सस्स्सिईईईईईईई….. कस गयी मेरी चूत…
उफफफफफ्फ़…बहुत मोटा है तुम्हारा मूसल… मेने एक और धक्का मार कर पुछा – पसंद आया मेरी जान…
वो सिसकते हुए बोली – उउईईई… माआ…माररर गयी रीि.., बहुत मज़ा है इसमें… अब चोदो मुझे…
मेने अपने आधे लंड को भी बाहर निकाल लिया, अब उसकी अच्छे से ग्रीसिंग हो चुकी थी उसी की चूत के ग्रीस से… मेने उसकी चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच अपना लंड रगड़ते हुए पुछा –
वो तुम बता रही थी, तुम्हारी देवरानी किसी ज़मींदार की बेटी है, कहाँ के ज़मींदार हैं वो….?
वो सिसक कर बोली – डार्लिंग ये बातों का वक़्त नही है..आअहह…इसे अंदर करो जल्दी.., मेरी चूत में आग लगी हुई है, और तुम्हें बातें सूझ रही हैं…
अपने लौडे की हल्की सी ठोकर उसकी गरम रसीली चूत की क्लिट की जड़ में लगाकर कहा – डालता हूँ ना, पहले बताओ तो सही वो कहाँ के ज़मींदार हैं…!
वो – आआहह….क्या बेकार की बातें ले बैठे, सस्सिईइ….आअहह… किशनगढ़ के ज़मींदार हैं वो…अब तो डालो राजा…. नही सबर होता मुझसे…
मेने अब अपने सुपाडे को उसके छेद पर रख कर हल्का सा अंदर करके बोला – उनका नाम क्या है…?
वो – आअहह…तुम क्यों पूछ रहे हो…? सूर्य प्रताप नाम है उनका… अब चोदो भी जल्दी से…सस्सिईई… हाआंन्न…आअहह… मज़ा आ गया… और अंदर करो, उउउफफफ्फ़….हाए रीए…मारीी……
पूरा लंड अंदर डालकर मेने उसे गोद में उठा लिया, और पलंग पर लिटाकर उसकी टाँगों को उपर करके एक बार लंड बाहर निकाल कर फिरसे एक ही झटके में अंदर डाल दिया……!
इस झटके से उसका मुँह भाड़ सा खुल गया…, उसके मुँह से एक कामुक कराह निकल पड़ी…आआययईीी….म्माआ….मार्रीि….उउउफफफ्फ़.. क्या मस्त हथियार है…
हहाईए…फाडो राजा मेरी चूत को, धज्जियाँ उड़ा दो इसकी…आज..
मेरे सोटे जैसा लंड अपनी चूत में लेकर वो मस्ती से अपनी गान्ड उठा-उठाकर चुदने लगी…!
कुछ देर में ही वो झड़ने लगी, और मेरी कमर में अपने पैरों की केँची डालकर मुझसे चिपक गयी…
कुछ देर रुक कर मेने उसे घोड़ी बना दिया, और उसकी 36 की गद्देदार गान्ड को मसल्ते हुए पीछे से अपना लंड उसकी रस से लबालब चूत में पेल दिया…
फुकच…से मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया, वो अपना मुँह उपर करके कराह उठी… आअहह…म्माआ…धीरे मेरे राजा…बहुत मोटा है,
मेने उसके कंधों पर अपने हाथ जमाए, और दे ढका-धक जो चुदाई की, वो अनाप-शनाप बकती हुई, चुदाई का मज़ा लेने लगी…!
20 मिनिट चोद कर मेने उसकी चूत को अपनी मलाई से भर दिया, वो औंधे मुँह पलंग पर गिर पड़ी, मे भी उसकी पीठ पर पसर कर अपनी साँसें ठीक करने लगा,
कुछ देर बाद हम अगल-बगल में पड़े एक दूसरे के बदन सहला रहे थे..
मेने उसके होठ चूमकर कहा – बहुत शानदार औरत हो तुम, बहुत मज़ा आया तुम्हें चोद्कर…
वो मेरे बदन से चिपकते हुए बोली – तुम भी बहुत मस्त चुदाई करते हो इस शानदार लंड से, पहली बार इतना मज़ा आया है मुझे कि बता नही सकती…!
फिर वो उठाते हुए बोली – अब मुझे घर जाना होगा, देर हो गयी तो पता नही वो ड्राइवर क्या-क्या नयी कहानी बना दे...?
मे उसे कपड़े पहनते हुए देखकर बोला – और कॉन-कॉन हैं घर में…?
ससुर हैं सास पहले ही चल बसी, हम दोनो अकेली दिनभर घर में रहती हैं, तीनो मर्द दिन में बाहर रहते हैं बिज्निस के काम से…!
मेने उठाते हुए कहा – चलो मे तुम्हें छोड़ देता हूँ तुम्हारे घर, वो मेरी बात मान गयी,
15 मिनट बाद हम उसके घर पर थे…, ये एक अच्छा ख़ासा बंगले नुमा घर था, हॉल में कदम रखते ही रागिनी दिखाई दी जो हॉल नुमा बैठक में सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी, हमें देखते ही बोली –
अरे दीदी, आप..? और ये कॉन है…? चूँकि मे जोसेफ वाले गेट-अप में था, फ्रेंच कट दादी, नीली आँखें, नाक थोड़ी फूली हुई सी…!
शालिनी – ये जोसेफ हैं, रास्ते में हमारी गाड़ी खराब हो गयी थी, इन्होने ही मुझे लिफ्ट दी और यहाँ तक लाए हैं,
फिर उसने सारी दास्तान कह सुनाई, खाली होटेल की अपनी चुदाई छोड़कर… !
रागिनी मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक ले आई, हम तीनो ही सोफे पर बैठे थे…, वो मेरी तरफ बड़े नशीले अंदाज से देख रही थी, मेरी पर्सनॅलिटी देख कर उसके भी अरमान जागने लगे थे…
लेकिन अपनी जेठानी के होते हुए वो कैसे आगे बढ़े..,
लेकिन उसके इस असमंजस को उसकी जेठानी ने ही हल कर दिया…, वो आकर मेरी बगल में ही बैठ गयी और मेरे बदन से सटाते हुए बातें करने लगी……!
रागिनी अपनी जेठानी की आदतों से अच्छी तरह परिचित थी, उसके मेरे साथ चिपकटे ही फ़ौरन ताड़ गयी और बोली – वाह दीदी, आपने तो रास्ते में ही मुर्गा फँसा लिया लगता है…?
शालिनी हँसते हुए बोली – ऐसा हॅंडसम मुर्गा कहाँ मिलेगा मेरी जान, ये कहकर उसने मेरे गाल को चूम लिया और उठते हुए बोली – तुम लोग बातें करो मे ज़रा फ्रेश होकर आती हूँ, फिर मिलकर इस मुर्गे को हलाल करेंगे…!
मुझे पता था, कि उसकी चूत मलाई से लबालब भरी होगी, इसलिए वो उसे सॉफ करने जा रही है,
उसके जाते ही, रागिनी मेरे साथ चिपकते हुए बोली – जोसेफ साब ! आप तो बड़े फास्ट निकले, दीदी को रास्ते में ही फाँस लिया, ये कहते हुए वो मेरी जाँघ सहलाने लगी..
वो इस समय एक रेड कलर का टॉप और फुल लंबाई की स्कर्ट पहने थी, रागिनी पहले से ज़्यादा भर गयी थी, उसका बदन भी शालिनी जैसा ही गदराया हुआ था…!
उसकी स्कर्ट के उपर से उसकी चूत को सहलाते हुए मेने कहा – आपकी जेठानी हैं ही ऐसी, कोई भी एक नज़र देखते ही लट्तू हो जाए, फिर यहाँ तो उन्होने मुझे खुद ही लिफ्ट दे दी..!
रागिनी धीरे से अपना हाथ मेरे लंड तक ले जाते हुए बोली – आपकी पेर्सनलटी है ही ऐसी, कोई भी औरत आपके नीचे लेटने को तैयार हो जाएगी, फिर उनकी तो वैसे भी चूत हर समय प्यासी ही रहती है..,
ये कहते हुए रागिनी खिल-खिलाकर हँसने लगी और उसने अपनी हथेली से मेरे लौडे को कसकर मसल दिया…!
मेने उसके टॉप में हाथ डालकर उसकी गदर चुचियों को मसल्ते हुए पुछा – अरे हां.., आपकी जेठानी बता रही थी, कि आप ठाकुर सूर्य प्रताप की बेटी हो…!
वो मज़े के आवेश में ही चोन्क्ते हुए मेरी तरफ देखकर बोली – आप जानते हैं उन्हें…?
मे – नही ! मे उन्हें तो नही जानता, लेकिन भानु प्रताप को जानता हूँ…वो आपका भाई है ना…!
रागिनी – हां ! लेकिन आप मेरे भाई को कैसे जानते हो…?
मेने अपना एक हाथ उसके स्कर्ट में डाल दिया, उसने भी फ़ौरन अपनी टाँगें खोल दी, अपने हाथ से उसकी मुनिया को पैंटी के उपर से ही सहलाते हुए कहा –
दरअसल में असलम का दोस्त हूँ, जिसके साथ आपका भाई काम करता था…, अब उसका सब कारोबार और वो खुद उसके अब्बा, सबके सब ख़तम हो गये, यहाँ तक कि उनके सभी पार्ट्नर भी…!
जब ये रेड पड़ी थी तब मे भी वहीं था, मे अपनी फ़ितरत के अनुसार जैसे तैसे करके वहाँ से बच निकला…
रागिनी मुँह बाए मेरी बातें सुन रही थी…, साथ ही साथ वो उत्तेजित भी होने लगी थी..,
मे लगातार उसकी चूत सहलाए जा रहा था, आश्चर्य और उत्तेजना के मिले जुले भाव उसके चेहरे पर परिलक्षित होते दिख रहे थे…
मेने आगे कहा – असलम का बहुत सारा माल और कॅश जो पोलीस की राइड में बच गया था, वो अब मेरे पास है,
मे चाहता हूँ, कि एक-एक करके जो भी पुराने लोग बचे हैं उन्हें इकट्ठा करके फिरसे उस कारोबार खड़ा किया जाए…!
लेकिन कुछ दिनो से तुम्हारे भाई का कोई अता-पता नही चल रहा, सुना है उसने उस एसपी के भाई को किडनॅप किया था, जो उसकी क़ैद से निकल भगा.., अब पोलीस भानु की तलाश में है…?
मेरा जिकर आते ही, क्षणमात्र को रागिनी के चेहरे के भाव बदले, शायद उसे मेरे साथ बिताए हुए वो पल याद आ रहे होंगे..
मेने उसके चेहरे पर एक नज़र डालकर आगे कहा - मे चाहता हूँ, कि अपना धंधा यहाँ से समेट कर मुंबई शिफ्ट कर दूं, और जिन्होने उस धंधे को खड़ा करने में मदद की थी, उनको उनका हक़ मिल सके…
रागिनी – कितना माल वाकी बचा है अभी…?
मे - कम से कम 500 करोड़ का माल अभी बचा होगा…!
रागिनी – 500 करोड़…? बाप रे…, वो कुछ देर सोच में डूबी रही,
मेने उसे पुछा – तुम उसकी बेहन हो शायद तुम्हें तो पता ही होगा वो आजकल कहाँ है…?
मे चाहता हूँ, उसमें से उसका हिस्सा उसे भी मिलना चाहिए, और मेरे साथ मिलकर इस कारोबार को फिरसे खड़ा करना चाहिए…! इसलिए मे उसे ढूड़ने की कोशिश कर रहा हूँ…
तुम्हारी जेठानी से तुम्हारे पिताजी का नाम सुनकर मुझे लगा कि शायद मुझे मेरी मंज़िल का एक मुसाफिर मिल जाएगा.., क्या तुम्हें उसका पता मालूम है…!
रागिनी सोच में डूबी हुई थी, शायद मेरा तीर सही निशाने पर लगा था…, 500 करोड़ का नाम सुनकर उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे, फिर शायद उसने भानु का पता बताने का फ़ैसला कर लिया…!
रागिनी – आप सच कह रहे हैं, भैया को आप मुंबई सेट्ल करके धंधा दोबारा शुरू करना चाहते हैं…?
मे – मेरे उपर तुम्हारे शक़ की क्या वजह है..? चाहो तो फोन करके अपने भाई से मेरा नाम पुच्छ सकती हो…, शायद असलम ने उसे बताया हो कभी…!
रागिनी – नही उसकी कोई ज़रूरत नही है, असल में पोलीस के डर से वो यहीं आकर अंडरग्राउंड हो गये हैं..!
मे – क्या ? यहाँ तुम्हारे घर में..?
रागिनी – नही, घर में तो नही, पर इसी शहर में हैं…, मे आपको उनका नया नंबर और पता देती हूँ, आप रात को उनसे जाकर मिलना, किसी को पता नही चलना चाहिए.
मेने मुस्करा कर कहा – मे इन बातों को अच्छी तरह से समझता हूँ, इस लाइन का बहुत पुराना खिलाड़ी हूँ, आज तक पोलीस मुझे छू भी नही पाई है…!
अब रागिनी को मेरी बातों पर पूरा विश्वास हो चुका था, फिर उसने उसका मोबाइल नंबर और वो कहाँ छुपा है उस जगह का पता भी दे दिया…!
तब तक वहाँ शालिनी भी आ गयी, हमारी बात-चीत का सिलसिला वहीं थम गया, फिर दोनो ने मिलकर मुझे सॅंडविच बना लिया और दोनो तरफ से मेरे लंड पर टूट पड़ी..!
दोनो ही एक से बढ़कर एक मस्त माल मेरे सामने नंगी थी, मेने दोनो को घोड़ी बनाकर आजू बाजू निहुरा लिया…!
रागिनी पहले से ही बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी, अपनी जांघों के बीच हाथ लाकर अपनी चूत के रस को पोन्छ्ते हुए बोली –
आअहह… सस्सिईई… दीदी पहले मुझे चुदने दो…उउंम्म… नही सबर हो रहा…!
मेने उसके चुतदो पर थप्पड़ मारते हुए कहा – चल मेरी घोड़ी पहले तू ही सही, ये कहकर मेने अपना मूसल उसकी रसीली चूत में पेल दिया…,
शायद उसे उम्मीद नही थी कि मेरा मूसल इतने बड़े साइज़ का होगा, सो उसके अंदर घुसते ही वो घोड़ी की तरह हिन-हिनाने लगी…!
रागिनी को चोदते हुए मेने अपनी दो उंगलियाँ बाजू में घोड़ी बनी शालिनी की चूत में पेल दी…,
अब मे एक की चूत में लंड पेलता, तो दूसरी की चूत में उंगलियाँ डाल देता…, दोनो ही मेरा मस्त मलन्द लंड लेकर निहाल हो गयी…!
दो घंटे की जमकर चुदाई के बाद मे पस्त हो गया, वो दोनो भी चुदते-चुदते पानी छोड़ते छोड़ते बहाल हो गयी..
दोनो को अपने लंड का लोहा मनवाकर शाम ढलते ही मे रागिनी के घर से चला आया, उन्होने मुझसे फिर मिलने का वादा लेकर मुझे विदा किया…!
भानु का पता पाकर मे बहुत खुश था, मेने फ़ैसला लिया कि आज रात ही उसे वहाँ से निकल कर ले जाउन्गा…!
मेरे वहाँ से निकलते ही रागिनी ने भानु को फोन किया, हमारे बीच हुई सारी बातें डीटेल से उसको बता दी,
चूँकि भानु ने मेरा नाम सुन रखा था सो शक़ करने की कोई वजह नही थी, उसे मेरे ज़रिए अपने बचने की किरण दिखाई देने लगी.. साथ ही इतना बड़ा लालच भी…!
मे होटेल में लौटते ही फ्रेश हुआ, दो घंटे आराम किया, जब उठा तब तक अंधेरा घिर चुका था…
मेने खाना ऑर्डर किया, और साथ ही भानु को कॉल लगाई…
वो शायद मेरे फोन का ही इंतजार कर रहा था, सो फ़ौरन कॉल पिक कर ली…
मे – हेलो भानु प्रताप, पहचाना मुझे…!
वो – कॉन जोसेफ..?
मे – हां ! मे जोसेफ बोल रहा हूँ, लगता है तुम्हारी बेहन ने तुम्हें सब कुछ बता दिया है..
वो – हां ! तुम कहाँ हो अभी…!
मे – मेरी छोड़ो, इधर आने की ग़लती भी मत करना.., ये बोलो क्या सोचा है अब…?
वो – मुझे क्या सोचना है, मुझे जल्दी से जल्दी किसी तरह यहाँ से निकालो, मे तुम्हारे साथ काम करना चाहता हूँ…!
मे – ठीक है, 10 बजे देल्ही हाइवे पर शहर से 5 किमी बाहर मिलो, मे गाड़ी लेकर वहाँ ठीक 10 बजे पहुँच जाउन्गा…!
वो – ठीक है, मे तुम्हारा इंतजार करूँगा… आना ज़रूर…..
मे – डॉन’ट वरी, मे समय पर पहुँच जाउन्गा…ओक, टेक केर….!
मेने 9 बजे तक खाना ख़तम किया, 9:45 को तय सुदा जगह से आधा किमी पहले मेने अपनी गाड़ी रोड से नीचे झाड़ियों के पीछे छुपा दी,
मे देखना चाहता था, कि भानु जैसा कुत्ता कोई चाल तो नही चल रहा, क्या पता उसने पता लगा लिया हो कि जोसेफ के भेष में मेने ही उस्मान के गॅंग को ख़तम कराया था…!
वैसे तो श्वेता को भी इस बारे में कुछ पता नही होना चाहिए कि मे ही जोसेफ था…!
कुछ देर बाद एक ऑटो मेरे सामने से गुजरा, उसमें भानु अकेला ही था, मुझे तसल्ली हो गयी कि ऐसा कुछ नही है, जो मेने सोचा था…
मेरे बताए हुए जगह पर जाकर वो ऑटो रुका, उसमें से भानु बाहर आया, उसने एक कपड़े से अपने आप को पूरी तरह से ढक रखा था,
जब वो ऑटो वहाँ से वापस मुड़कर शहर की तरफ चला गया, तब मेने अपनी गाड़ी रोड पर लाकर भानु के पास जाकर रोकी, भानु पर्सनली जोसेफ से कभी नही मिला था, लेकिन असलम से उसका नाम ज़रूर सुना था…
अपने सामने गाड़ी रुकती देख वो उसकी तरफ लपका, मेने शीशा नीचे करके पुछा – भानु प्रताप…
उसने फ़ौरन अपनी मंडी हां में हिलाई, उसने लंबी सी दाढ़ी रख रखी थी शायद अपनी पहचान छुपाने के लिहाज से…
मेने कहा – आ जाओ अंदर, उसके बैठते ही मेने गाड़ी आगे बढ़ा दी…!
रास्ते में हम वही बातें करते रहे, मेने उसे बताया, किस तरह से पोलीस की रेड पड़ी, कॉन-कॉन मारा गया, मे कैसे बच निकला…!
कुछ देर वो सब सुनता रहा, फिर जैसे ही मेरी बात ख़तम हुई तो उसने पुछा – अब हम देल्ही क्यों जा रहे हैं…?
मेने कहा – वहाँ से ट्रेन पकड़ कर मुंबई जाएँगे, सारा समान ऑलरेडी मेने शिफ्ट कर दिया है, बस अपने आदमियों को इकट्ठा करने में लगा हूँ, अब तुम मिल गये हो, आदमियों का इंतेज़ाम तो अब तुम जल्दी कर ही लोगे…
वो – हां ! आदमियों की तुम चिंता मत करो, जिट्नी चाहिए उतने कर दूँगा, एक से बढ़कर एक ख़तरनाक लोग, आज भी मेरे लिंक अपने आदमियों से बने हुए हैं..
कुछ दूर जाकर मेने रोड के साइड में गाड़ी खड़ी कर दी, रात के सन्नाटे में उसने पुछा – गाड़ी यहाँ क्यों रोक दी तुमने..?
मेने अपनी छोटी उंगली दिखाकर मूतने का इशारा करते हुए कहा – बहुत ज़ोर्से लगी है, तुम भी फारिग होलो, फिर हम दिल्ली जाकर ही रुकेंगे…!
मे एक तरफ रोड साइड को अपनी पॅंट खोल कर खड़ा हो गया, मेरे से कुछ कदम दूर भानु दूसरी तरफ मुँह करके मूतने लगा…!
अंधेरा तो था ही, एक दूसरे का समान तो दिखने का कोई चान्स ही नही था…, भानु बिंदास होकर फारिग होने में मसगूल हो गया
अभी वो मूतने के बाद अपने लंड को अंदर भी नही कर पाया था, कि रिवॉल्वर के हत्थे की एक जोरदार चोट उसकी कनपटी पर पड़ी, वो त्यौराकर ज़मीन पर गिर पड़ा…
मेने घसीटकर उसे गाड़ी में डाला, और उसे दौड़ा दिया अपने तय सुदा ठिकाने की तरफ…………!
दो ढाई घंटे की ड्राइव के बाद मे श्वेता के फार्म हाउस में था, चावी मेने भैया से पहले ही ले रखी थी, पोलीस की सील को तोड़ा और भानु को ले जाकर मेने उसी हॉल में बाँध कर डाल दिया जिसमें उन्होने मुझे डाला था...,
उसे बेहोश बँधा छोड़कर मे अपने ज़रूरी कामों में जुट गया…!
हॉल के एक-एक एंगल पर मेने पॉवेरफ़ुल्ल मिनी कॅमरा फिट कर दिए, जिससे यहाँ का एक-एक मूव्मेंट पता लग सके,
ये कमरे कोई मामूली कैमरे नही थे, ये स्पाइ कमरे थे जिनका लिंक डालकर नेट के द्वारा कहीं से भी आक्सेस किया जा सकता था..!
सारा काम निपटाकर मे फिर से भानु के पास आया, उसे होश में लाने से पहले मे अपने असली रूप में आ गया था…!
होश में आते ही भानु मुझे अपने सामने देख कर बुरी तरह से चोंक पड़ा… तुउउम्म्म्मममम…
हां मे भानु ! मे ही जोसेफ हूँ, और मेने ही उस्मान और कामिनी के अड्डे को तबाह करवाया था,
वो अभी भी हैरत भरी नज़रों से मुझे देख रहा था, वो समझ गया कि अब उसका खेल ख़तम है, इतना सब कुछ होने के बाद अब ये मुझे नही छोड़ेगा,
लेकिन ये भी सोचने पर मजबूर हो गया कि मे उसे यहाँ जीवित क्यों लाया हूँ…?
ये विचार आते ही वो बोला – लेकिन तुमने अभी तक मुझे मारा क्यों नही…!
मे – तू मुझे अभी तक समझा ही नही भानु, मे बार-बार कहता रहा, एक बार फिर कहता हूँ, मेरा अभी भी तेरे साथ कोई बैर नही है,
तुझे जिसने भी यूज़ किया एक मोहरे की तरह यूज़ किया वो भी ग़लत कामों के लिए…!
लेकिन मे तुझे बचने का एक मौका और देता हूँ, अगर तू मेरा काम करे तो वादा करता हूँ, मे तुझे हमेशा के लिए बचा लूँगा, तेरा पोलीस भी कुछ नही बिगाड़ सकेगी…!
वो मुँह बाए मेरी बात सुन रहा था, उसे ये विश्वास ही नही हो पा रहा था, कि मे अभी भी उसे बचना चाहता हूँ…
मे – क्या सोच रहे हो भानु भैया, सच मानो, मेरा आज भी यही मानना है, कि एक अच्छे पड़ौसी की तरह हमारे संबंध फिर से सुधर जायें, लेकिन हर बार तुमने मेरे साथ दगा की.. वो भी ग़लत लोगों के साथ मिलकर…
अब एक अच्छा काम करके अपने को बचा लो, वरना तुम तो जानते ही हो मेरे पास ऐसा मसाला है, जिससे तुम तो जैल की हवा खाओगे ही, तुम्हारे खानदान की इज़्ज़त दो कौड़ी की नही रहेगी, लोग थूकेंगे ठाकुर सूर्य प्रताप के मुँह पर…!
सोचो अगर मे तुमसे बदला ही लेना चाहता तो क्या अब तक इंतजार करता, तुम्हारे अंडरग्राउंड होते ही ये सारे वीडियोस, सारे सबूत सार्वजनिक कर चुका होता…!
भानु को कहीं ना कहीं मेरी बात जायज़ लगाने लगी, और वो बोला – तो अब मुझसे तुम क्या चाहते हो…?
मेने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – मे चाहता हूँ, तुम अपने कुछ आदमी लेकर श्वेता और उसकी फ्रेंड हेमा को पकड़ कर यहीं इसी जगह लेकर आओ, जिससे मे उसे उसी तरह की सज़ा दे सकूँ जैसी उसने मुझे दी थी…!
तुम उन दोनो को ड्रग्स देकर ज़्यादा से ज़्यादा आदमियों के साथ उन दोनो को इतना चोदो कि वो मौत के लिए तड़पें…!
मेरी बात सुनकर भानु की आँखें फटी की फटी रह गयी, मेने फिर कहा –
ऐसे क्यों आँखें फाड़कर देख रहे हो, जब यही सब उसने मेरे साथ किया था तब तुम्हें बुरा नही लगा..? सच मानो भानु, ये लोग किसी के सगे नही होते…,
क्या तुम्हारे बचकर भागने के बाद श्वेता ने एक बार भी तुम्हें खोजने या पोलीस से बचाने की कोशिश की…! नही ना…!
इनके लिए तुम हमेशा ही एक मोहरा रहे हो और रहोगे, इससे ज़्यादा कुछ नही…!
भानु पर मेरी बात का सही असर हुआ, वो अब मुझसे सहमत होता नज़र आ रहा था, कुछ देर चुप रहने के बाद बोला– मे अगर तुम्हारा ये काम कर दूं तो उसके बाद तुम मुझे बचा लोगे ना…?
मे – ये एक मर्द की ज़ुबान है, वादा करता हूँ, तुम्हारा बाल भी बांका नही होगा, और तुम अपनी आराम की जिंदगी अपने परिवार के साथ जी सकोगे…!
भानु – इस बीच अगर पोलीस ने मुझे धर लिया तो…?
मे – आज के बाद पोलीस का कोई भी आदमी तुम पर हाथ नही डालेगा, ये मेरा वादा है.., अब चाहो तो तुम यहीं आराम से रात गुज़ार सकते हो, या अपने घर जाकर बीवी के साथ सकुन से मज़े कर सकते हो… !
जैसे ही तुम उन्हें यहाँ ले आओगे, मुझे एक कॉल ज़रूर कर देना…!
भानु – ठीक है मे तुम्हारा ये काम ज़रूर करूँगा, अब मुझे मेरे घर छोड़ दो, आज की रात मे अपनी बीवी के साथ सुकून से गुज़ारना चाहता हूँ, वो बेचारी बहुत दिनो से मेरे बिना अकेली ही है…
मे – वो भी बेचारी तुम्हारे ग़लत कामों का फल भोग रही है, ज़रा सोचो इन सब कामों से तुमने क्या मिला..?
खैर कोई बात नही देर से ही सही तुम्हें मेरी बात समझ तो आई.., चलो मे तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूँ,
अगले दिन भानु अपने आदमियों को इकट्ठा करता रहा, तीसरे रोज़ दिन के कोई 11 बजे उसका फोन आया और उसने बताया कि वो उन दोनो को उठा लाया है…!
मेने कहा ठीक है, उन दोनो को ड्रग्स के हेवी डोज देकर अपने आदमियों के साथ उन दोनो की जमकर चुदाई शुरू करो…!
भानु उन्हें ड्रग्स के इंजेक्षन देने के बाद होश में लाया, जब वो ड्रग के असर में आने लगी तभी उसने अपने आदमियों को उनके उपर छोड़ दिया…
मेने अपने डिवाइस से कमरों का लिंक डालकर वहाँ का सारा आँखों देखा हाल देखने लगा…!
सीन देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये, भानु और उसके आदमी जो उसके समेत 8 लोग थे, दारू के नशे में दे दनादन उन दोनो की चुदाई कर रहे थे…
XXX गंगबॅंग देख कर मज़ा आ गया, एक-एक आदमी दोनो की चूत में लंड डाले था, एक-एक उनकी गान्ड में, एक एक ने उनके मुँह में लंड डाला हुआ था तो वाकी के दो उनकी चुचियों को मीँजने में लगे हुए थे…!
ड्रग के नशे में धुत्त.. दोनो किन्ही पेशेवर रंडियों की तरह उन आठों लोगों के साथ पूरी मस्त होकर चुद रही थी..,
मेने अपने मोबाइल से श्वेता के पति पुष्प्राज को फोन लगाया…, कॉल कनेक्ट होते ही उसने कहा – हेलो कॉन..?
मेने टपोरी वाली भाषा में कहा – तुम्हारी बीवी इस समय कहाँ है सेठ..?
वो – क्यों ? तुम कॉन हो ? और मेरी बीवी के बारे में क्यों पुच्छ रहे हो..?
मे – लगता है तुम्हें भी अब उसमें कोई इंटेरेस्ट नही रहा, ठीक है भाई चुदने दो साली को किसी के भी साथ हमें क्या..?
मेने सोचा शायद तुम उसे किसी और के साथ चुद’ते हुए नही देखना चाहोगे इसलिए बोल दिया…!
वो – कॉन हो तुम और ये क्या बकवास कर रहे हो, मेरी बीवी मेरे घर पर है…
मे – हाहाहा….अच्छा ! तो एक काम करो, एचटीटीपी\\व्व्व. ****** इस लिंक को अपने डिवाइस में टाइप करके कनेक्ट कर्लो, लाइव शो देखने को मिल जाएगा…!
ये कहकर मेने कॉल कट कर दी, कोई 5 मिनट के बाद ही उसका दोबारा फोन आ गया…
वो गुस्से से पागल हो रहा था और बोला – ये सब कहाँ चल रहा है…?
मे – तेरे ही फार्म हाउस में…जा जाकर तू भी इस खेल का मज़ा ले सेठ…!
मेरा प्लान कामयाब रहा, पुष्प्राज, गुस्से में अँधा हो चुका था, उसने अपनी माउज़र ली, और अकेले ही गाड़ी ड्राइव करके आँधी-तूफान की तरह दौड़ा कर अपने फार्म हाउस जा पहुँचा…
भड़ाक से गेट खोलते ही, उसकी आँखों के सामने अपनी बीवी और उसकी दोस्त को एक साथ 4-4 लोगों के साथ चुद’ते देखकर वो पागल हो उठा…!
सीन ही इतना आपत्तिजनक था, कोई भी सभ्य समाज का व्यक्ति इस तरह अपनी बीवी के साथ गॅंग-बंग होते देख सहन नही कर सकता था..,
दरवाजे की आवाज़ सुनकर भानु समेत उन लोगों का ध्यान दरवाजे की तरफ गया जहाँ पुष्पराज को गन हाथ में लिए खड़ा देख कर उनके होश उड़ गये..,
इस’से पहले कि वो लोग अपना चुदाई अभियान बंद करते, पुष्प्राज ने अपना मानसिक संतुलन खोते हुए उनपर गोलियों की बरसात करदी..,!
अंदर चुदाई अभियान में लिप्त 10 के 10 लोगों को उसने गोलियों से उड़ा दिया, और फिर लास्ट बची एक गोली से उसने गन अपनी कनपटी पर रख कर खुद को भी ख़तम कर लिया…!
ये सारा घटनाक्रम मे अपने ऑफीस में बैठा देख रहा था, मे अभी अपना सिस्टम बंद करने ही वाला था, कि वहाँ पड़े 11 निर्जीव मानव शरीरों में से एक के शरीर में हरकत हुई..!
उनमें से एक आदमी कराहते हुए अपने सिर को पकड़े खड़ा होने की कोशिश कर रहा था, शायद गोली निशाने से चूक गयी थी, उसके सिर के बीच में न लगकर उसके सिर के दायें तरफ घाव बनती हुई निकल गयी थी…!
वो किसी शराबी की तरह लहराता हुआ जैसे तैसे करके खड़ा हुआ और फिर जैसे ही उसका मुँह कैमरे के सामने आया, मे बुरी तरह चोंक पड़ा…!
ये कोई और नही बल्कि भानु ही था, किस्मत ने एक बार फिर उसका साथ दिया और गोली ठीक निशाने पर नही लगी थी,
लेकिन सिर से निकलने वाले खून को देखकर तो ऐसा लग रहा था कि घाव काफ़ी गहरा होना चाहिए…!
साला भानु भी बड़ा जीवट प्राणी था, अपने गोली के घाव को कस्के दबाए हुए वो खड़ा हुआ और एक बार वहाँ पड़े सभी निर्जीव लाशों को देखा जिनमें कहीं भी, किसी में भी कोई हलचल दिखाई नही दी…,
फिर उसने एक कोने में पड़े अपने कपड़े उठाए और अपनी हिम्मत बटोरकर किसी तरह उस हॉल से बाहर निकल गया..!
अब वो मेरी नज़रों से ओझल हो चुका था, इसी के साथ ही मेने भी अपना सिस्टम बंद किया और सब समान समेट कर अपना बॅग पॅक कर लिया…!
मेने भैया को पहले ही कॉल कर दिया था, सो उन्होने पूरी पोलीस फोर्स को ले जाकर फार्म हाउस अपनी कस्टडी में ले लिया…!
पोलीस के मुतविक सारा मामला एक दम आईने की तरह सॉफ था…! सेक्स की भूखी औरतों ने खुद ही उन लोगों के साथ सामूहिक सेक्स किया…!
किसी तरह श्वेता के पति को इस बात का पता चल गया और उसने मौकाए वारदात पर पहुँचकर सबको गोली से उड़ा दिया, और ज़िल्लत के कारण उसने खुद को भी गोली मार ली…!
इस तरह लगभग सारे गुनेहगारों को उनके अंजाम तक पहुँचाकर आज मुझे सकुन मिला था…!
रेखा का रेप केस यहाँ तक पहुचेगा ये किसी ने भी नही सोचा होगा..., लेकिन उसकी वजह से ये शहर अब अपराध मुक्त था, जो यहाँ की पोलीस के लिए एक बड़ी राहत की बात थी…!
भानु का क्या हुआ वो बच पाया या नही इस बात की मुझे कोई फिकर नही थी, क्योंकि अब वो नितांत अकेला था और अपनी जिंदगी सार्वजनिक तौर पर नही जी सकता था..,
उसकी तरफ से बेफिकर होकर अब जल्द से जल्द मे अपने घर पहुँचना चाहता था,
अपनी इस कामयाबी को मे अपनी भाभी माँ के साथ मिलकर सेलेब्रेट करना चाहता था, जिनसे मुझे हर मुश्किल से लड़ने की प्रेरणा मिलती रहती थी……!
शहर की बुराइयों के अंतिम बीज़ की समाप्ति होने तक का सारा आँखों देखा हाल अपने सिस्टम पर देखने के बाद मेने अपने ऑफीस को बंद किया,
घर पहुँचकर अपना समान पॅक करने से पहले मेने प्राची को कॉल किया, और सारी बातों से अवगत कराया, वो ये सब सुनकर खुशी के मारे फोन पर ही चीखने लगी…!
फिर जब मेने उसे बताया कि मे अभी बस घर निकलने ही वाला हूँ, तो वो चहकते हुए बोली – अरे वाह… अकेले-अकेले सेलेब्रेट करने का इरादा है.., मुझे शामिल नही करेंगे..?
मेने फ़ौरन कहा – क्यों नही, लेकिन क्या तुम अभी 15 मिनट में यहाँ आ सकती हो..?
प्राची – आप गाड़ी लेकर यहीं आ जाइए ना, मे आपको रेडी मिलूंगी, उनको खबर कर देती हूँ, यहीं से साथ निकलते हैं…!
मेने अपना बॅग उठाया और आंटी को बोलकर गाड़ी एसएसपी आवास की तरफ दौड़ा दी…!
वहाँ मुझे प्राची एकदम रेडी मिली, फिर हम दोनो घर की ओर निकल पड़े…!
घर पहुँचते- पहुँचते हमें काफ़ी अंधेरा हो गया था, गाड़ी खड़ी करके जैसे ही घर के अंदर पहुँचे,
आँगन में बैठी रूचि जो अपने छोटे भाई सुवंश के साथ चारपाई पर खेल रही थी, हमें देखते ही हमेशा की तरह चीखती हुई मेरी तरफ दौड़ी…. चाचू…चाची…और उच्छल कर मेरे गले से लटक गयी…
प्राची ने मेरी गोद में लटकी प्राची के गाल को चूमकर उसे प्यार दिया, और फिर वो निशा के कमरे की तरफ बढ़ गयी…!
मेने अपने हाथ रूचि की पीठ पर कसते हुए उसे अपने सीने में कस लिया और उसके दोनो कोमल गालों पर किस करके बोला – कैसा है मेरा बेटा…?
रूचि – मे तो ठीक हूँ, लेकिन देखो ना चाचू ये भैया मुझे बहुत परेशान करता है…
मे उसे गोद में लिए चारपाई पर खेल रहे सुवंश के पास आया और बोला – वो तो बेचारा चुप चाप पड़ा खेल रहा है, फिर क्या परेशान किया तुम्हें इसने…?
रूचि – ये मम्मा..मम्मा तो बोलता है, लेकिन दीदी..दीदी नही कहता…!
रूचि की भोली भली बातें सुनकर मुझे बड़ा प्यार आया, और उसके माथे पर एक किस करके कहा – बेटा अभी भैया छोटा है ना, कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा आपको इसके मुँह से दीदी सुनने के लिए…
फिर मेने रूचि को नीचे उतार कर सुवंश को अपनी गोद में उठा लिया, मेने जैसे ही उसके गाल पर अपना गाल सटाया, उसने मुँह घूमाकर मेरे गाल पर किस कर लिया...
ये नज़ारा थोड़ी दूर खड़ी भाभी देख रही थी, जो रूचि की आवाज़ सुनकर रसोई से बाहर निकल आई थी, और मुझे बच्चों के साथ खेलते हुए देख रही थी…
मेरे पास आकर धीरे से बोली – देखा कैसा अपने बाप को झट से पहचान लेता है ये नटखट, रूचि के पापा की तो गोद में भी मुश्किल से जाता है…!
मे बस भाभी को देखता ही रह गया, फिर मेने अपने बेटे के माथे पर एक किस करके उसे भाभी की गोद में दे दिया…!
फिर जैसे उनको कुछ याद आया हो, सो निशा को आवाज़ देकर बोली – अरे निशा जल्दी से आरती की थाली तो सज़ा, देख अपना अर्जुन महाभारत का युद्ध जीतकर आया है…
मेने कहा – क्या कहा आपने, अर्जुन ? और कोन्से महाभारत की बात कर रही हो..?
भाभी – मुझे प्राची ने निकलने से पहले फोन कर दिया था, तुमने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि वो सबके सब उसमें फँस गये और अपने आप ही सब ख़तम हो गये…!
निशा आरती की थाली ले आई, साथ में प्राची भी, दीपक जलाकर निशा ने मेरे माथे पर विजय तिलक किया और मेरी आरती करने लगी…!
मे – लेकिन भाभी इसमें आपका भी तो बड़ा योगदान रहा है, अगर आप प्रेरित ना करती तो मे तो सब छोड़ ही चुका था…, एक तरह से आप इस युद्ध की कृष्ण हैं..
भाभी – नही इस महाभारत के अर्जुन भी तुम हो और कृष्ण भी, प्रेरणा देने वाले तो और भी बहुत थे अर्जुन को, जिसमें साथ दिया था बासुदेव कृष्ण ने, पर यहाँ तो तुम अकेले ही थे…!
फिर उन्होने सुवंश को रूचि की गोद में देकर निशा के हाथ से थाली लेकर मुस्कराते हुए बोली – कुछ रिस्ता मेरा भी है तुम्हारी आरती उतारने का, ये कहकर उन्होने भी मुझे तिलक किया और मेरी आरती उतारने लगी…..!
डिन्नर के समय बड़े भैया और बाबूजी भी आ गये, सब मिलकर डिन्नर करने लगे, तभी भाभी ने पुछा – हां तो कृष्णा-अर्जुन अब बताओ अपने आख़िरी युद्ध की कथा…!
सब लोग भाभी की तरफ देखने लगे, उन्होने हँसते हुए कहा – अरे आप लोग ऐसे क्या देख रहे हो मेरी ओर, आप खुद ही सुन लो कि मेने लल्ला जी को ये नाम क्यों दिया है…!
फिर मेने सबको शुरू से लेकर अंत तक का सारा वृतांत कह सुनाया, खाली चुदाई की बातें एस्कॅप करके,
भाभी और प्राची के अलावा वाकी लोग मुँह फेड मेरी बातें सुन रहे थे…और वो दोनो मंद मंद मुस्करा रही थी..
अंत में भाभी बोली – क्यों बाबूजी, मेने सही नामकरण किया है ना…!
बाबूजी और भैया प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देख रहे थे, उनका सीना अपने बेटे और भाई के कारनामों की वजह से गर्व से दुगना हो रहा था…!
फिर बाबूजी बोले – मोहिनी बेटा लाओ, दूध भी दे ही दो, सोते हैं, सुवह जल्दी पंचायत के लिए भी जाना है तुम्हें भी…!
मे – कैसी पंचायत बाबूजी…?
भाभी – वो मे तुम्हें बाद में बताती हूँ…,
निशा ने लाकर सबको दूध दिया, जिसे पीकर वो दोनो सोने चले गये, और भाभी मुझे लेकर मेरे कमरे में आ गयी और कल होने वाली पंचायत के बारे में बताने लगी…!
कुछ देर बाद निशा और प्राची भी वहीं आ गयी, और हम चारों मिलकर देर रात तक बातों में लगे रहे..,
भाभी ने मेरा और प्राची के रिस्ते का टॉपिक छेड़ दिया, और बातों बातों मे हमें बताना पड़ा कि हमारी दोस्ती किस लेवेल तक की थी..!
भाभी को ये पता लगना ही था कि मे और प्राची पहले ही चुदाई का मज़ा लूट’ते रहे थे कि फ़ौरन चुटकी लेते हुए बोली…!
तुम्हारे अंदर तनिक भी लाज शर्म है कि नही लल्ला - अपने सगे भाई और वो भी पोलीस का इतना बड़ा ऑफीसर उसे तुमने अपनी झूठन पकड़ा दी…!
उनकी ये बात सुनकर प्राची ने शर्म से अपना सिर झुका लिया, वहीं मेने उन्हें अपनी गोद में खींचर उनके होठों को चूमते हुए कहा…!
अच्छा देवर की बड़ी फिकर हो गयी आपको, और अपने पति का तनिक भी ख्याल नही आया…?
शालिनी अपनी आँखें चौड़ी करके उसे देखने लगी…, अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली - हे राअंम्म्म….ये क्या है…?
इसे लंड कहते हैं जानेमन… मेने उसकी चुचिओ को दबाते हुए कहा…,
वो तो मे भी देख रही हूँ, लेकिन इतना बड़ा और मोटा…, किसी की भी चूत की धाज्जयाँ उड़ा देता होगा ये तो.. उसने झुरजूरी सी लेते हुए कहा…!
तुम्हें नही उड़वानी अपनी चूत की धज्जियाँ तो मे अपना समान पॅक करूँ डार्लिंग… मेने उसे चिढ़ते हुए कहा…
वो झट से बोल पड़ी, नही नही… मे तो अब इसे ज़रूर लूँगी, पहली बार इतना बड़ा लंड देखा हैं मेने, देखूं तो सही कैसा मज़ा आता है…!
इतना कहकर उसने मेरे 9” लंबे और 3” मोटे कड़क सोटे जैसे लंड को चूमा और उसकी गर्मी को अपने मुलायम फूले हुए गाल से सटा कर आँखें बंद करके उसे अपने गाल से मसाज सी देने लगी…!
एक दो बार उसने उसे हाथ से उपर नीचे किया, लंड के सुर्ख दहक्ते सुपाडे को जीभ से चाट कर उसने अपने मुँह में ले लिया, सुपाडे से ही उसका पूरा मुँह भर गया..
मेरी चीकू जैसी गोलियों को एक हाथ से सहलाते हुए वो उसे मस्ती में आकर चूसने लगी…!
कुछ ही देर में मेरा मूसल एकदम कड़क होकर किसी लोहे की रोड जैसा सख़्त हो गया, उसके चारों ओर के मसल्स बाहर को उभर आए, अब वो गोलाकार ना होकर किसी रोमबुस शेप रोड जैसा दिखने लगा…
मेने उसके कंधे पकड़ कर उपर उठने का इशारा किया, और उसके वाकी बचे कपड़ों को निकाल कर पूरी तरह से नंगा कर दिया…
एक बार उसके होठ चुस्कर, उसकी रसीली चूत को सहलाया, वो बूँद-बूँद करके रिसने लगी थी,
खड़े-खड़े ही मेने उसकी एक टाँग उपर की और अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर टिका कर एक धक्का मार दिया…
सर्र्र्र्र्र्र्ररर…. से गीली छूट में मेरा आधा लंड चला गया, वो अपनी आँखें बंद करके सिसक पड़ी…. आआहह…..सस्स्सिईईईईईईई….. कस गयी मेरी चूत…
उफफफफफ्फ़…बहुत मोटा है तुम्हारा मूसल… मेने एक और धक्का मार कर पुछा – पसंद आया मेरी जान…
वो सिसकते हुए बोली – उउईईई… माआ…माररर गयी रीि.., बहुत मज़ा है इसमें… अब चोदो मुझे…
मेने अपने आधे लंड को भी बाहर निकाल लिया, अब उसकी अच्छे से ग्रीसिंग हो चुकी थी उसी की चूत के ग्रीस से… मेने उसकी चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच अपना लंड रगड़ते हुए पुछा –
वो तुम बता रही थी, तुम्हारी देवरानी किसी ज़मींदार की बेटी है, कहाँ के ज़मींदार हैं वो….?
वो सिसक कर बोली – डार्लिंग ये बातों का वक़्त नही है..आअहह…इसे अंदर करो जल्दी.., मेरी चूत में आग लगी हुई है, और तुम्हें बातें सूझ रही हैं…
अपने लौडे की हल्की सी ठोकर उसकी गरम रसीली चूत की क्लिट की जड़ में लगाकर कहा – डालता हूँ ना, पहले बताओ तो सही वो कहाँ के ज़मींदार हैं…!
वो – आआहह….क्या बेकार की बातें ले बैठे, सस्सिईइ….आअहह… किशनगढ़ के ज़मींदार हैं वो…अब तो डालो राजा…. नही सबर होता मुझसे…
मेने अब अपने सुपाडे को उसके छेद पर रख कर हल्का सा अंदर करके बोला – उनका नाम क्या है…?
वो – आअहह…तुम क्यों पूछ रहे हो…? सूर्य प्रताप नाम है उनका… अब चोदो भी जल्दी से…सस्सिईई… हाआंन्न…आअहह… मज़ा आ गया… और अंदर करो, उउउफफफ्फ़….हाए रीए…मारीी……
पूरा लंड अंदर डालकर मेने उसे गोद में उठा लिया, और पलंग पर लिटाकर उसकी टाँगों को उपर करके एक बार लंड बाहर निकाल कर फिरसे एक ही झटके में अंदर डाल दिया……!
इस झटके से उसका मुँह भाड़ सा खुल गया…, उसके मुँह से एक कामुक कराह निकल पड़ी…आआययईीी….म्माआ….मार्रीि….उउउफफफ्फ़.. क्या मस्त हथियार है…
हहाईए…फाडो राजा मेरी चूत को, धज्जियाँ उड़ा दो इसकी…आज..
मेरे सोटे जैसा लंड अपनी चूत में लेकर वो मस्ती से अपनी गान्ड उठा-उठाकर चुदने लगी…!
कुछ देर में ही वो झड़ने लगी, और मेरी कमर में अपने पैरों की केँची डालकर मुझसे चिपक गयी…
कुछ देर रुक कर मेने उसे घोड़ी बना दिया, और उसकी 36 की गद्देदार गान्ड को मसल्ते हुए पीछे से अपना लंड उसकी रस से लबालब चूत में पेल दिया…
फुकच…से मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया, वो अपना मुँह उपर करके कराह उठी… आअहह…म्माआ…धीरे मेरे राजा…बहुत मोटा है,
मेने उसके कंधों पर अपने हाथ जमाए, और दे ढका-धक जो चुदाई की, वो अनाप-शनाप बकती हुई, चुदाई का मज़ा लेने लगी…!
20 मिनिट चोद कर मेने उसकी चूत को अपनी मलाई से भर दिया, वो औंधे मुँह पलंग पर गिर पड़ी, मे भी उसकी पीठ पर पसर कर अपनी साँसें ठीक करने लगा,
कुछ देर बाद हम अगल-बगल में पड़े एक दूसरे के बदन सहला रहे थे..
मेने उसके होठ चूमकर कहा – बहुत शानदार औरत हो तुम, बहुत मज़ा आया तुम्हें चोद्कर…
वो मेरे बदन से चिपकते हुए बोली – तुम भी बहुत मस्त चुदाई करते हो इस शानदार लंड से, पहली बार इतना मज़ा आया है मुझे कि बता नही सकती…!
फिर वो उठाते हुए बोली – अब मुझे घर जाना होगा, देर हो गयी तो पता नही वो ड्राइवर क्या-क्या नयी कहानी बना दे...?
मे उसे कपड़े पहनते हुए देखकर बोला – और कॉन-कॉन हैं घर में…?
ससुर हैं सास पहले ही चल बसी, हम दोनो अकेली दिनभर घर में रहती हैं, तीनो मर्द दिन में बाहर रहते हैं बिज्निस के काम से…!
मेने उठाते हुए कहा – चलो मे तुम्हें छोड़ देता हूँ तुम्हारे घर, वो मेरी बात मान गयी,
15 मिनट बाद हम उसके घर पर थे…, ये एक अच्छा ख़ासा बंगले नुमा घर था, हॉल में कदम रखते ही रागिनी दिखाई दी जो हॉल नुमा बैठक में सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी, हमें देखते ही बोली –
अरे दीदी, आप..? और ये कॉन है…? चूँकि मे जोसेफ वाले गेट-अप में था, फ्रेंच कट दादी, नीली आँखें, नाक थोड़ी फूली हुई सी…!
शालिनी – ये जोसेफ हैं, रास्ते में हमारी गाड़ी खराब हो गयी थी, इन्होने ही मुझे लिफ्ट दी और यहाँ तक लाए हैं,
फिर उसने सारी दास्तान कह सुनाई, खाली होटेल की अपनी चुदाई छोड़कर… !
रागिनी मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक ले आई, हम तीनो ही सोफे पर बैठे थे…, वो मेरी तरफ बड़े नशीले अंदाज से देख रही थी, मेरी पर्सनॅलिटी देख कर उसके भी अरमान जागने लगे थे…
लेकिन अपनी जेठानी के होते हुए वो कैसे आगे बढ़े..,
लेकिन उसके इस असमंजस को उसकी जेठानी ने ही हल कर दिया…, वो आकर मेरी बगल में ही बैठ गयी और मेरे बदन से सटाते हुए बातें करने लगी……!
रागिनी अपनी जेठानी की आदतों से अच्छी तरह परिचित थी, उसके मेरे साथ चिपकटे ही फ़ौरन ताड़ गयी और बोली – वाह दीदी, आपने तो रास्ते में ही मुर्गा फँसा लिया लगता है…?
शालिनी हँसते हुए बोली – ऐसा हॅंडसम मुर्गा कहाँ मिलेगा मेरी जान, ये कहकर उसने मेरे गाल को चूम लिया और उठते हुए बोली – तुम लोग बातें करो मे ज़रा फ्रेश होकर आती हूँ, फिर मिलकर इस मुर्गे को हलाल करेंगे…!
मुझे पता था, कि उसकी चूत मलाई से लबालब भरी होगी, इसलिए वो उसे सॉफ करने जा रही है,
उसके जाते ही, रागिनी मेरे साथ चिपकते हुए बोली – जोसेफ साब ! आप तो बड़े फास्ट निकले, दीदी को रास्ते में ही फाँस लिया, ये कहते हुए वो मेरी जाँघ सहलाने लगी..
वो इस समय एक रेड कलर का टॉप और फुल लंबाई की स्कर्ट पहने थी, रागिनी पहले से ज़्यादा भर गयी थी, उसका बदन भी शालिनी जैसा ही गदराया हुआ था…!
उसकी स्कर्ट के उपर से उसकी चूत को सहलाते हुए मेने कहा – आपकी जेठानी हैं ही ऐसी, कोई भी एक नज़र देखते ही लट्तू हो जाए, फिर यहाँ तो उन्होने मुझे खुद ही लिफ्ट दे दी..!
रागिनी धीरे से अपना हाथ मेरे लंड तक ले जाते हुए बोली – आपकी पेर्सनलटी है ही ऐसी, कोई भी औरत आपके नीचे लेटने को तैयार हो जाएगी, फिर उनकी तो वैसे भी चूत हर समय प्यासी ही रहती है..,
ये कहते हुए रागिनी खिल-खिलाकर हँसने लगी और उसने अपनी हथेली से मेरे लौडे को कसकर मसल दिया…!
मेने उसके टॉप में हाथ डालकर उसकी गदर चुचियों को मसल्ते हुए पुछा – अरे हां.., आपकी जेठानी बता रही थी, कि आप ठाकुर सूर्य प्रताप की बेटी हो…!
वो मज़े के आवेश में ही चोन्क्ते हुए मेरी तरफ देखकर बोली – आप जानते हैं उन्हें…?
मे – नही ! मे उन्हें तो नही जानता, लेकिन भानु प्रताप को जानता हूँ…वो आपका भाई है ना…!
रागिनी – हां ! लेकिन आप मेरे भाई को कैसे जानते हो…?
मेने अपना एक हाथ उसके स्कर्ट में डाल दिया, उसने भी फ़ौरन अपनी टाँगें खोल दी, अपने हाथ से उसकी मुनिया को पैंटी के उपर से ही सहलाते हुए कहा –
दरअसल में असलम का दोस्त हूँ, जिसके साथ आपका भाई काम करता था…, अब उसका सब कारोबार और वो खुद उसके अब्बा, सबके सब ख़तम हो गये, यहाँ तक कि उनके सभी पार्ट्नर भी…!
जब ये रेड पड़ी थी तब मे भी वहीं था, मे अपनी फ़ितरत के अनुसार जैसे तैसे करके वहाँ से बच निकला…
रागिनी मुँह बाए मेरी बातें सुन रही थी…, साथ ही साथ वो उत्तेजित भी होने लगी थी..,
मे लगातार उसकी चूत सहलाए जा रहा था, आश्चर्य और उत्तेजना के मिले जुले भाव उसके चेहरे पर परिलक्षित होते दिख रहे थे…
मेने आगे कहा – असलम का बहुत सारा माल और कॅश जो पोलीस की राइड में बच गया था, वो अब मेरे पास है,
मे चाहता हूँ, कि एक-एक करके जो भी पुराने लोग बचे हैं उन्हें इकट्ठा करके फिरसे उस कारोबार खड़ा किया जाए…!
लेकिन कुछ दिनो से तुम्हारे भाई का कोई अता-पता नही चल रहा, सुना है उसने उस एसपी के भाई को किडनॅप किया था, जो उसकी क़ैद से निकल भगा.., अब पोलीस भानु की तलाश में है…?
मेरा जिकर आते ही, क्षणमात्र को रागिनी के चेहरे के भाव बदले, शायद उसे मेरे साथ बिताए हुए वो पल याद आ रहे होंगे..
मेने उसके चेहरे पर एक नज़र डालकर आगे कहा - मे चाहता हूँ, कि अपना धंधा यहाँ से समेट कर मुंबई शिफ्ट कर दूं, और जिन्होने उस धंधे को खड़ा करने में मदद की थी, उनको उनका हक़ मिल सके…
रागिनी – कितना माल वाकी बचा है अभी…?
मे - कम से कम 500 करोड़ का माल अभी बचा होगा…!
रागिनी – 500 करोड़…? बाप रे…, वो कुछ देर सोच में डूबी रही,
मेने उसे पुछा – तुम उसकी बेहन हो शायद तुम्हें तो पता ही होगा वो आजकल कहाँ है…?
मे चाहता हूँ, उसमें से उसका हिस्सा उसे भी मिलना चाहिए, और मेरे साथ मिलकर इस कारोबार को फिरसे खड़ा करना चाहिए…! इसलिए मे उसे ढूड़ने की कोशिश कर रहा हूँ…
तुम्हारी जेठानी से तुम्हारे पिताजी का नाम सुनकर मुझे लगा कि शायद मुझे मेरी मंज़िल का एक मुसाफिर मिल जाएगा.., क्या तुम्हें उसका पता मालूम है…!
रागिनी सोच में डूबी हुई थी, शायद मेरा तीर सही निशाने पर लगा था…, 500 करोड़ का नाम सुनकर उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे, फिर शायद उसने भानु का पता बताने का फ़ैसला कर लिया…!
रागिनी – आप सच कह रहे हैं, भैया को आप मुंबई सेट्ल करके धंधा दोबारा शुरू करना चाहते हैं…?
मे – मेरे उपर तुम्हारे शक़ की क्या वजह है..? चाहो तो फोन करके अपने भाई से मेरा नाम पुच्छ सकती हो…, शायद असलम ने उसे बताया हो कभी…!
रागिनी – नही उसकी कोई ज़रूरत नही है, असल में पोलीस के डर से वो यहीं आकर अंडरग्राउंड हो गये हैं..!
मे – क्या ? यहाँ तुम्हारे घर में..?
रागिनी – नही, घर में तो नही, पर इसी शहर में हैं…, मे आपको उनका नया नंबर और पता देती हूँ, आप रात को उनसे जाकर मिलना, किसी को पता नही चलना चाहिए.
मेने मुस्करा कर कहा – मे इन बातों को अच्छी तरह से समझता हूँ, इस लाइन का बहुत पुराना खिलाड़ी हूँ, आज तक पोलीस मुझे छू भी नही पाई है…!
अब रागिनी को मेरी बातों पर पूरा विश्वास हो चुका था, फिर उसने उसका मोबाइल नंबर और वो कहाँ छुपा है उस जगह का पता भी दे दिया…!
तब तक वहाँ शालिनी भी आ गयी, हमारी बात-चीत का सिलसिला वहीं थम गया, फिर दोनो ने मिलकर मुझे सॅंडविच बना लिया और दोनो तरफ से मेरे लंड पर टूट पड़ी..!
दोनो ही एक से बढ़कर एक मस्त माल मेरे सामने नंगी थी, मेने दोनो को घोड़ी बनाकर आजू बाजू निहुरा लिया…!
रागिनी पहले से ही बहुत ज़्यादा गरम हो चुकी थी, अपनी जांघों के बीच हाथ लाकर अपनी चूत के रस को पोन्छ्ते हुए बोली –
आअहह… सस्सिईई… दीदी पहले मुझे चुदने दो…उउंम्म… नही सबर हो रहा…!
मेने उसके चुतदो पर थप्पड़ मारते हुए कहा – चल मेरी घोड़ी पहले तू ही सही, ये कहकर मेने अपना मूसल उसकी रसीली चूत में पेल दिया…,
शायद उसे उम्मीद नही थी कि मेरा मूसल इतने बड़े साइज़ का होगा, सो उसके अंदर घुसते ही वो घोड़ी की तरह हिन-हिनाने लगी…!
रागिनी को चोदते हुए मेने अपनी दो उंगलियाँ बाजू में घोड़ी बनी शालिनी की चूत में पेल दी…,
अब मे एक की चूत में लंड पेलता, तो दूसरी की चूत में उंगलियाँ डाल देता…, दोनो ही मेरा मस्त मलन्द लंड लेकर निहाल हो गयी…!
दो घंटे की जमकर चुदाई के बाद मे पस्त हो गया, वो दोनो भी चुदते-चुदते पानी छोड़ते छोड़ते बहाल हो गयी..
दोनो को अपने लंड का लोहा मनवाकर शाम ढलते ही मे रागिनी के घर से चला आया, उन्होने मुझसे फिर मिलने का वादा लेकर मुझे विदा किया…!
भानु का पता पाकर मे बहुत खुश था, मेने फ़ैसला लिया कि आज रात ही उसे वहाँ से निकल कर ले जाउन्गा…!
मेरे वहाँ से निकलते ही रागिनी ने भानु को फोन किया, हमारे बीच हुई सारी बातें डीटेल से उसको बता दी,
चूँकि भानु ने मेरा नाम सुन रखा था सो शक़ करने की कोई वजह नही थी, उसे मेरे ज़रिए अपने बचने की किरण दिखाई देने लगी.. साथ ही इतना बड़ा लालच भी…!
मे होटेल में लौटते ही फ्रेश हुआ, दो घंटे आराम किया, जब उठा तब तक अंधेरा घिर चुका था…
मेने खाना ऑर्डर किया, और साथ ही भानु को कॉल लगाई…
वो शायद मेरे फोन का ही इंतजार कर रहा था, सो फ़ौरन कॉल पिक कर ली…
मे – हेलो भानु प्रताप, पहचाना मुझे…!
वो – कॉन जोसेफ..?
मे – हां ! मे जोसेफ बोल रहा हूँ, लगता है तुम्हारी बेहन ने तुम्हें सब कुछ बता दिया है..
वो – हां ! तुम कहाँ हो अभी…!
मे – मेरी छोड़ो, इधर आने की ग़लती भी मत करना.., ये बोलो क्या सोचा है अब…?
वो – मुझे क्या सोचना है, मुझे जल्दी से जल्दी किसी तरह यहाँ से निकालो, मे तुम्हारे साथ काम करना चाहता हूँ…!
मे – ठीक है, 10 बजे देल्ही हाइवे पर शहर से 5 किमी बाहर मिलो, मे गाड़ी लेकर वहाँ ठीक 10 बजे पहुँच जाउन्गा…!
वो – ठीक है, मे तुम्हारा इंतजार करूँगा… आना ज़रूर…..
मे – डॉन’ट वरी, मे समय पर पहुँच जाउन्गा…ओक, टेक केर….!
मेने 9 बजे तक खाना ख़तम किया, 9:45 को तय सुदा जगह से आधा किमी पहले मेने अपनी गाड़ी रोड से नीचे झाड़ियों के पीछे छुपा दी,
मे देखना चाहता था, कि भानु जैसा कुत्ता कोई चाल तो नही चल रहा, क्या पता उसने पता लगा लिया हो कि जोसेफ के भेष में मेने ही उस्मान के गॅंग को ख़तम कराया था…!
वैसे तो श्वेता को भी इस बारे में कुछ पता नही होना चाहिए कि मे ही जोसेफ था…!
कुछ देर बाद एक ऑटो मेरे सामने से गुजरा, उसमें भानु अकेला ही था, मुझे तसल्ली हो गयी कि ऐसा कुछ नही है, जो मेने सोचा था…
मेरे बताए हुए जगह पर जाकर वो ऑटो रुका, उसमें से भानु बाहर आया, उसने एक कपड़े से अपने आप को पूरी तरह से ढक रखा था,
जब वो ऑटो वहाँ से वापस मुड़कर शहर की तरफ चला गया, तब मेने अपनी गाड़ी रोड पर लाकर भानु के पास जाकर रोकी, भानु पर्सनली जोसेफ से कभी नही मिला था, लेकिन असलम से उसका नाम ज़रूर सुना था…
अपने सामने गाड़ी रुकती देख वो उसकी तरफ लपका, मेने शीशा नीचे करके पुछा – भानु प्रताप…
उसने फ़ौरन अपनी मंडी हां में हिलाई, उसने लंबी सी दाढ़ी रख रखी थी शायद अपनी पहचान छुपाने के लिहाज से…
मेने कहा – आ जाओ अंदर, उसके बैठते ही मेने गाड़ी आगे बढ़ा दी…!
रास्ते में हम वही बातें करते रहे, मेने उसे बताया, किस तरह से पोलीस की रेड पड़ी, कॉन-कॉन मारा गया, मे कैसे बच निकला…!
कुछ देर वो सब सुनता रहा, फिर जैसे ही मेरी बात ख़तम हुई तो उसने पुछा – अब हम देल्ही क्यों जा रहे हैं…?
मेने कहा – वहाँ से ट्रेन पकड़ कर मुंबई जाएँगे, सारा समान ऑलरेडी मेने शिफ्ट कर दिया है, बस अपने आदमियों को इकट्ठा करने में लगा हूँ, अब तुम मिल गये हो, आदमियों का इंतेज़ाम तो अब तुम जल्दी कर ही लोगे…
वो – हां ! आदमियों की तुम चिंता मत करो, जिट्नी चाहिए उतने कर दूँगा, एक से बढ़कर एक ख़तरनाक लोग, आज भी मेरे लिंक अपने आदमियों से बने हुए हैं..
कुछ दूर जाकर मेने रोड के साइड में गाड़ी खड़ी कर दी, रात के सन्नाटे में उसने पुछा – गाड़ी यहाँ क्यों रोक दी तुमने..?
मेने अपनी छोटी उंगली दिखाकर मूतने का इशारा करते हुए कहा – बहुत ज़ोर्से लगी है, तुम भी फारिग होलो, फिर हम दिल्ली जाकर ही रुकेंगे…!
मे एक तरफ रोड साइड को अपनी पॅंट खोल कर खड़ा हो गया, मेरे से कुछ कदम दूर भानु दूसरी तरफ मुँह करके मूतने लगा…!
अंधेरा तो था ही, एक दूसरे का समान तो दिखने का कोई चान्स ही नही था…, भानु बिंदास होकर फारिग होने में मसगूल हो गया
अभी वो मूतने के बाद अपने लंड को अंदर भी नही कर पाया था, कि रिवॉल्वर के हत्थे की एक जोरदार चोट उसकी कनपटी पर पड़ी, वो त्यौराकर ज़मीन पर गिर पड़ा…
मेने घसीटकर उसे गाड़ी में डाला, और उसे दौड़ा दिया अपने तय सुदा ठिकाने की तरफ…………!
दो ढाई घंटे की ड्राइव के बाद मे श्वेता के फार्म हाउस में था, चावी मेने भैया से पहले ही ले रखी थी, पोलीस की सील को तोड़ा और भानु को ले जाकर मेने उसी हॉल में बाँध कर डाल दिया जिसमें उन्होने मुझे डाला था...,
उसे बेहोश बँधा छोड़कर मे अपने ज़रूरी कामों में जुट गया…!
हॉल के एक-एक एंगल पर मेने पॉवेरफ़ुल्ल मिनी कॅमरा फिट कर दिए, जिससे यहाँ का एक-एक मूव्मेंट पता लग सके,
ये कमरे कोई मामूली कैमरे नही थे, ये स्पाइ कमरे थे जिनका लिंक डालकर नेट के द्वारा कहीं से भी आक्सेस किया जा सकता था..!
सारा काम निपटाकर मे फिर से भानु के पास आया, उसे होश में लाने से पहले मे अपने असली रूप में आ गया था…!
होश में आते ही भानु मुझे अपने सामने देख कर बुरी तरह से चोंक पड़ा… तुउउम्म्म्मममम…
हां मे भानु ! मे ही जोसेफ हूँ, और मेने ही उस्मान और कामिनी के अड्डे को तबाह करवाया था,
वो अभी भी हैरत भरी नज़रों से मुझे देख रहा था, वो समझ गया कि अब उसका खेल ख़तम है, इतना सब कुछ होने के बाद अब ये मुझे नही छोड़ेगा,
लेकिन ये भी सोचने पर मजबूर हो गया कि मे उसे यहाँ जीवित क्यों लाया हूँ…?
ये विचार आते ही वो बोला – लेकिन तुमने अभी तक मुझे मारा क्यों नही…!
मे – तू मुझे अभी तक समझा ही नही भानु, मे बार-बार कहता रहा, एक बार फिर कहता हूँ, मेरा अभी भी तेरे साथ कोई बैर नही है,
तुझे जिसने भी यूज़ किया एक मोहरे की तरह यूज़ किया वो भी ग़लत कामों के लिए…!
लेकिन मे तुझे बचने का एक मौका और देता हूँ, अगर तू मेरा काम करे तो वादा करता हूँ, मे तुझे हमेशा के लिए बचा लूँगा, तेरा पोलीस भी कुछ नही बिगाड़ सकेगी…!
वो मुँह बाए मेरी बात सुन रहा था, उसे ये विश्वास ही नही हो पा रहा था, कि मे अभी भी उसे बचना चाहता हूँ…
मे – क्या सोच रहे हो भानु भैया, सच मानो, मेरा आज भी यही मानना है, कि एक अच्छे पड़ौसी की तरह हमारे संबंध फिर से सुधर जायें, लेकिन हर बार तुमने मेरे साथ दगा की.. वो भी ग़लत लोगों के साथ मिलकर…
अब एक अच्छा काम करके अपने को बचा लो, वरना तुम तो जानते ही हो मेरे पास ऐसा मसाला है, जिससे तुम तो जैल की हवा खाओगे ही, तुम्हारे खानदान की इज़्ज़त दो कौड़ी की नही रहेगी, लोग थूकेंगे ठाकुर सूर्य प्रताप के मुँह पर…!
सोचो अगर मे तुमसे बदला ही लेना चाहता तो क्या अब तक इंतजार करता, तुम्हारे अंडरग्राउंड होते ही ये सारे वीडियोस, सारे सबूत सार्वजनिक कर चुका होता…!
भानु को कहीं ना कहीं मेरी बात जायज़ लगाने लगी, और वो बोला – तो अब मुझसे तुम क्या चाहते हो…?
मेने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – मे चाहता हूँ, तुम अपने कुछ आदमी लेकर श्वेता और उसकी फ्रेंड हेमा को पकड़ कर यहीं इसी जगह लेकर आओ, जिससे मे उसे उसी तरह की सज़ा दे सकूँ जैसी उसने मुझे दी थी…!
तुम उन दोनो को ड्रग्स देकर ज़्यादा से ज़्यादा आदमियों के साथ उन दोनो को इतना चोदो कि वो मौत के लिए तड़पें…!
मेरी बात सुनकर भानु की आँखें फटी की फटी रह गयी, मेने फिर कहा –
ऐसे क्यों आँखें फाड़कर देख रहे हो, जब यही सब उसने मेरे साथ किया था तब तुम्हें बुरा नही लगा..? सच मानो भानु, ये लोग किसी के सगे नही होते…,
क्या तुम्हारे बचकर भागने के बाद श्वेता ने एक बार भी तुम्हें खोजने या पोलीस से बचाने की कोशिश की…! नही ना…!
इनके लिए तुम हमेशा ही एक मोहरा रहे हो और रहोगे, इससे ज़्यादा कुछ नही…!
भानु पर मेरी बात का सही असर हुआ, वो अब मुझसे सहमत होता नज़र आ रहा था, कुछ देर चुप रहने के बाद बोला– मे अगर तुम्हारा ये काम कर दूं तो उसके बाद तुम मुझे बचा लोगे ना…?
मे – ये एक मर्द की ज़ुबान है, वादा करता हूँ, तुम्हारा बाल भी बांका नही होगा, और तुम अपनी आराम की जिंदगी अपने परिवार के साथ जी सकोगे…!
भानु – इस बीच अगर पोलीस ने मुझे धर लिया तो…?
मे – आज के बाद पोलीस का कोई भी आदमी तुम पर हाथ नही डालेगा, ये मेरा वादा है.., अब चाहो तो तुम यहीं आराम से रात गुज़ार सकते हो, या अपने घर जाकर बीवी के साथ सकुन से मज़े कर सकते हो… !
जैसे ही तुम उन्हें यहाँ ले आओगे, मुझे एक कॉल ज़रूर कर देना…!
भानु – ठीक है मे तुम्हारा ये काम ज़रूर करूँगा, अब मुझे मेरे घर छोड़ दो, आज की रात मे अपनी बीवी के साथ सुकून से गुज़ारना चाहता हूँ, वो बेचारी बहुत दिनो से मेरे बिना अकेली ही है…
मे – वो भी बेचारी तुम्हारे ग़लत कामों का फल भोग रही है, ज़रा सोचो इन सब कामों से तुमने क्या मिला..?
खैर कोई बात नही देर से ही सही तुम्हें मेरी बात समझ तो आई.., चलो मे तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूँ,
अगले दिन भानु अपने आदमियों को इकट्ठा करता रहा, तीसरे रोज़ दिन के कोई 11 बजे उसका फोन आया और उसने बताया कि वो उन दोनो को उठा लाया है…!
मेने कहा ठीक है, उन दोनो को ड्रग्स के हेवी डोज देकर अपने आदमियों के साथ उन दोनो की जमकर चुदाई शुरू करो…!
भानु उन्हें ड्रग्स के इंजेक्षन देने के बाद होश में लाया, जब वो ड्रग के असर में आने लगी तभी उसने अपने आदमियों को उनके उपर छोड़ दिया…
मेने अपने डिवाइस से कमरों का लिंक डालकर वहाँ का सारा आँखों देखा हाल देखने लगा…!
सीन देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये, भानु और उसके आदमी जो उसके समेत 8 लोग थे, दारू के नशे में दे दनादन उन दोनो की चुदाई कर रहे थे…
XXX गंगबॅंग देख कर मज़ा आ गया, एक-एक आदमी दोनो की चूत में लंड डाले था, एक-एक उनकी गान्ड में, एक एक ने उनके मुँह में लंड डाला हुआ था तो वाकी के दो उनकी चुचियों को मीँजने में लगे हुए थे…!
ड्रग के नशे में धुत्त.. दोनो किन्ही पेशेवर रंडियों की तरह उन आठों लोगों के साथ पूरी मस्त होकर चुद रही थी..,
मेने अपने मोबाइल से श्वेता के पति पुष्प्राज को फोन लगाया…, कॉल कनेक्ट होते ही उसने कहा – हेलो कॉन..?
मेने टपोरी वाली भाषा में कहा – तुम्हारी बीवी इस समय कहाँ है सेठ..?
वो – क्यों ? तुम कॉन हो ? और मेरी बीवी के बारे में क्यों पुच्छ रहे हो..?
मे – लगता है तुम्हें भी अब उसमें कोई इंटेरेस्ट नही रहा, ठीक है भाई चुदने दो साली को किसी के भी साथ हमें क्या..?
मेने सोचा शायद तुम उसे किसी और के साथ चुद’ते हुए नही देखना चाहोगे इसलिए बोल दिया…!
वो – कॉन हो तुम और ये क्या बकवास कर रहे हो, मेरी बीवी मेरे घर पर है…
मे – हाहाहा….अच्छा ! तो एक काम करो, एचटीटीपी\\व्व्व. ****** इस लिंक को अपने डिवाइस में टाइप करके कनेक्ट कर्लो, लाइव शो देखने को मिल जाएगा…!
ये कहकर मेने कॉल कट कर दी, कोई 5 मिनट के बाद ही उसका दोबारा फोन आ गया…
वो गुस्से से पागल हो रहा था और बोला – ये सब कहाँ चल रहा है…?
मे – तेरे ही फार्म हाउस में…जा जाकर तू भी इस खेल का मज़ा ले सेठ…!
मेरा प्लान कामयाब रहा, पुष्प्राज, गुस्से में अँधा हो चुका था, उसने अपनी माउज़र ली, और अकेले ही गाड़ी ड्राइव करके आँधी-तूफान की तरह दौड़ा कर अपने फार्म हाउस जा पहुँचा…
भड़ाक से गेट खोलते ही, उसकी आँखों के सामने अपनी बीवी और उसकी दोस्त को एक साथ 4-4 लोगों के साथ चुद’ते देखकर वो पागल हो उठा…!
सीन ही इतना आपत्तिजनक था, कोई भी सभ्य समाज का व्यक्ति इस तरह अपनी बीवी के साथ गॅंग-बंग होते देख सहन नही कर सकता था..,
दरवाजे की आवाज़ सुनकर भानु समेत उन लोगों का ध्यान दरवाजे की तरफ गया जहाँ पुष्पराज को गन हाथ में लिए खड़ा देख कर उनके होश उड़ गये..,
इस’से पहले कि वो लोग अपना चुदाई अभियान बंद करते, पुष्प्राज ने अपना मानसिक संतुलन खोते हुए उनपर गोलियों की बरसात करदी..,!
अंदर चुदाई अभियान में लिप्त 10 के 10 लोगों को उसने गोलियों से उड़ा दिया, और फिर लास्ट बची एक गोली से उसने गन अपनी कनपटी पर रख कर खुद को भी ख़तम कर लिया…!
ये सारा घटनाक्रम मे अपने ऑफीस में बैठा देख रहा था, मे अभी अपना सिस्टम बंद करने ही वाला था, कि वहाँ पड़े 11 निर्जीव मानव शरीरों में से एक के शरीर में हरकत हुई..!
उनमें से एक आदमी कराहते हुए अपने सिर को पकड़े खड़ा होने की कोशिश कर रहा था, शायद गोली निशाने से चूक गयी थी, उसके सिर के बीच में न लगकर उसके सिर के दायें तरफ घाव बनती हुई निकल गयी थी…!
वो किसी शराबी की तरह लहराता हुआ जैसे तैसे करके खड़ा हुआ और फिर जैसे ही उसका मुँह कैमरे के सामने आया, मे बुरी तरह चोंक पड़ा…!
ये कोई और नही बल्कि भानु ही था, किस्मत ने एक बार फिर उसका साथ दिया और गोली ठीक निशाने पर नही लगी थी,
लेकिन सिर से निकलने वाले खून को देखकर तो ऐसा लग रहा था कि घाव काफ़ी गहरा होना चाहिए…!
साला भानु भी बड़ा जीवट प्राणी था, अपने गोली के घाव को कस्के दबाए हुए वो खड़ा हुआ और एक बार वहाँ पड़े सभी निर्जीव लाशों को देखा जिनमें कहीं भी, किसी में भी कोई हलचल दिखाई नही दी…,
फिर उसने एक कोने में पड़े अपने कपड़े उठाए और अपनी हिम्मत बटोरकर किसी तरह उस हॉल से बाहर निकल गया..!
अब वो मेरी नज़रों से ओझल हो चुका था, इसी के साथ ही मेने भी अपना सिस्टम बंद किया और सब समान समेट कर अपना बॅग पॅक कर लिया…!
मेने भैया को पहले ही कॉल कर दिया था, सो उन्होने पूरी पोलीस फोर्स को ले जाकर फार्म हाउस अपनी कस्टडी में ले लिया…!
पोलीस के मुतविक सारा मामला एक दम आईने की तरह सॉफ था…! सेक्स की भूखी औरतों ने खुद ही उन लोगों के साथ सामूहिक सेक्स किया…!
किसी तरह श्वेता के पति को इस बात का पता चल गया और उसने मौकाए वारदात पर पहुँचकर सबको गोली से उड़ा दिया, और ज़िल्लत के कारण उसने खुद को भी गोली मार ली…!
इस तरह लगभग सारे गुनेहगारों को उनके अंजाम तक पहुँचाकर आज मुझे सकुन मिला था…!
रेखा का रेप केस यहाँ तक पहुचेगा ये किसी ने भी नही सोचा होगा..., लेकिन उसकी वजह से ये शहर अब अपराध मुक्त था, जो यहाँ की पोलीस के लिए एक बड़ी राहत की बात थी…!
भानु का क्या हुआ वो बच पाया या नही इस बात की मुझे कोई फिकर नही थी, क्योंकि अब वो नितांत अकेला था और अपनी जिंदगी सार्वजनिक तौर पर नही जी सकता था..,
उसकी तरफ से बेफिकर होकर अब जल्द से जल्द मे अपने घर पहुँचना चाहता था,
अपनी इस कामयाबी को मे अपनी भाभी माँ के साथ मिलकर सेलेब्रेट करना चाहता था, जिनसे मुझे हर मुश्किल से लड़ने की प्रेरणा मिलती रहती थी……!
शहर की बुराइयों के अंतिम बीज़ की समाप्ति होने तक का सारा आँखों देखा हाल अपने सिस्टम पर देखने के बाद मेने अपने ऑफीस को बंद किया,
घर पहुँचकर अपना समान पॅक करने से पहले मेने प्राची को कॉल किया, और सारी बातों से अवगत कराया, वो ये सब सुनकर खुशी के मारे फोन पर ही चीखने लगी…!
फिर जब मेने उसे बताया कि मे अभी बस घर निकलने ही वाला हूँ, तो वो चहकते हुए बोली – अरे वाह… अकेले-अकेले सेलेब्रेट करने का इरादा है.., मुझे शामिल नही करेंगे..?
मेने फ़ौरन कहा – क्यों नही, लेकिन क्या तुम अभी 15 मिनट में यहाँ आ सकती हो..?
प्राची – आप गाड़ी लेकर यहीं आ जाइए ना, मे आपको रेडी मिलूंगी, उनको खबर कर देती हूँ, यहीं से साथ निकलते हैं…!
मेने अपना बॅग उठाया और आंटी को बोलकर गाड़ी एसएसपी आवास की तरफ दौड़ा दी…!
वहाँ मुझे प्राची एकदम रेडी मिली, फिर हम दोनो घर की ओर निकल पड़े…!
घर पहुँचते- पहुँचते हमें काफ़ी अंधेरा हो गया था, गाड़ी खड़ी करके जैसे ही घर के अंदर पहुँचे,
आँगन में बैठी रूचि जो अपने छोटे भाई सुवंश के साथ चारपाई पर खेल रही थी, हमें देखते ही हमेशा की तरह चीखती हुई मेरी तरफ दौड़ी…. चाचू…चाची…और उच्छल कर मेरे गले से लटक गयी…
प्राची ने मेरी गोद में लटकी प्राची के गाल को चूमकर उसे प्यार दिया, और फिर वो निशा के कमरे की तरफ बढ़ गयी…!
मेने अपने हाथ रूचि की पीठ पर कसते हुए उसे अपने सीने में कस लिया और उसके दोनो कोमल गालों पर किस करके बोला – कैसा है मेरा बेटा…?
रूचि – मे तो ठीक हूँ, लेकिन देखो ना चाचू ये भैया मुझे बहुत परेशान करता है…
मे उसे गोद में लिए चारपाई पर खेल रहे सुवंश के पास आया और बोला – वो तो बेचारा चुप चाप पड़ा खेल रहा है, फिर क्या परेशान किया तुम्हें इसने…?
रूचि – ये मम्मा..मम्मा तो बोलता है, लेकिन दीदी..दीदी नही कहता…!
रूचि की भोली भली बातें सुनकर मुझे बड़ा प्यार आया, और उसके माथे पर एक किस करके कहा – बेटा अभी भैया छोटा है ना, कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा आपको इसके मुँह से दीदी सुनने के लिए…
फिर मेने रूचि को नीचे उतार कर सुवंश को अपनी गोद में उठा लिया, मेने जैसे ही उसके गाल पर अपना गाल सटाया, उसने मुँह घूमाकर मेरे गाल पर किस कर लिया...
ये नज़ारा थोड़ी दूर खड़ी भाभी देख रही थी, जो रूचि की आवाज़ सुनकर रसोई से बाहर निकल आई थी, और मुझे बच्चों के साथ खेलते हुए देख रही थी…
मेरे पास आकर धीरे से बोली – देखा कैसा अपने बाप को झट से पहचान लेता है ये नटखट, रूचि के पापा की तो गोद में भी मुश्किल से जाता है…!
मे बस भाभी को देखता ही रह गया, फिर मेने अपने बेटे के माथे पर एक किस करके उसे भाभी की गोद में दे दिया…!
फिर जैसे उनको कुछ याद आया हो, सो निशा को आवाज़ देकर बोली – अरे निशा जल्दी से आरती की थाली तो सज़ा, देख अपना अर्जुन महाभारत का युद्ध जीतकर आया है…
मेने कहा – क्या कहा आपने, अर्जुन ? और कोन्से महाभारत की बात कर रही हो..?
भाभी – मुझे प्राची ने निकलने से पहले फोन कर दिया था, तुमने ऐसा चक्रव्यूह रचा कि वो सबके सब उसमें फँस गये और अपने आप ही सब ख़तम हो गये…!
निशा आरती की थाली ले आई, साथ में प्राची भी, दीपक जलाकर निशा ने मेरे माथे पर विजय तिलक किया और मेरी आरती करने लगी…!
मे – लेकिन भाभी इसमें आपका भी तो बड़ा योगदान रहा है, अगर आप प्रेरित ना करती तो मे तो सब छोड़ ही चुका था…, एक तरह से आप इस युद्ध की कृष्ण हैं..
भाभी – नही इस महाभारत के अर्जुन भी तुम हो और कृष्ण भी, प्रेरणा देने वाले तो और भी बहुत थे अर्जुन को, जिसमें साथ दिया था बासुदेव कृष्ण ने, पर यहाँ तो तुम अकेले ही थे…!
फिर उन्होने सुवंश को रूचि की गोद में देकर निशा के हाथ से थाली लेकर मुस्कराते हुए बोली – कुछ रिस्ता मेरा भी है तुम्हारी आरती उतारने का, ये कहकर उन्होने भी मुझे तिलक किया और मेरी आरती उतारने लगी…..!
डिन्नर के समय बड़े भैया और बाबूजी भी आ गये, सब मिलकर डिन्नर करने लगे, तभी भाभी ने पुछा – हां तो कृष्णा-अर्जुन अब बताओ अपने आख़िरी युद्ध की कथा…!
सब लोग भाभी की तरफ देखने लगे, उन्होने हँसते हुए कहा – अरे आप लोग ऐसे क्या देख रहे हो मेरी ओर, आप खुद ही सुन लो कि मेने लल्ला जी को ये नाम क्यों दिया है…!
फिर मेने सबको शुरू से लेकर अंत तक का सारा वृतांत कह सुनाया, खाली चुदाई की बातें एस्कॅप करके,
भाभी और प्राची के अलावा वाकी लोग मुँह फेड मेरी बातें सुन रहे थे…और वो दोनो मंद मंद मुस्करा रही थी..
अंत में भाभी बोली – क्यों बाबूजी, मेने सही नामकरण किया है ना…!
बाबूजी और भैया प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देख रहे थे, उनका सीना अपने बेटे और भाई के कारनामों की वजह से गर्व से दुगना हो रहा था…!
फिर बाबूजी बोले – मोहिनी बेटा लाओ, दूध भी दे ही दो, सोते हैं, सुवह जल्दी पंचायत के लिए भी जाना है तुम्हें भी…!
मे – कैसी पंचायत बाबूजी…?
भाभी – वो मे तुम्हें बाद में बताती हूँ…,
निशा ने लाकर सबको दूध दिया, जिसे पीकर वो दोनो सोने चले गये, और भाभी मुझे लेकर मेरे कमरे में आ गयी और कल होने वाली पंचायत के बारे में बताने लगी…!
कुछ देर बाद निशा और प्राची भी वहीं आ गयी, और हम चारों मिलकर देर रात तक बातों में लगे रहे..,
भाभी ने मेरा और प्राची के रिस्ते का टॉपिक छेड़ दिया, और बातों बातों मे हमें बताना पड़ा कि हमारी दोस्ती किस लेवेल तक की थी..!
भाभी को ये पता लगना ही था कि मे और प्राची पहले ही चुदाई का मज़ा लूट’ते रहे थे कि फ़ौरन चुटकी लेते हुए बोली…!
तुम्हारे अंदर तनिक भी लाज शर्म है कि नही लल्ला - अपने सगे भाई और वो भी पोलीस का इतना बड़ा ऑफीसर उसे तुमने अपनी झूठन पकड़ा दी…!
उनकी ये बात सुनकर प्राची ने शर्म से अपना सिर झुका लिया, वहीं मेने उन्हें अपनी गोद में खींचर उनके होठों को चूमते हुए कहा…!
अच्छा देवर की बड़ी फिकर हो गयी आपको, और अपने पति का तनिक भी ख्याल नही आया…?