Update 70
उसने नीचे से अपने पैरों की केँची मेरी कमर में लपेट रखी थी…, जांघों की मोटाई ने ये कन्फर्म कर दिया कि ये कोई भारी-भरकम औरत है…
तभी पूरा कमरा एकदम से रोशनी में नहा उठा, मेरे नीचे दबी शांति देवी (खुशी की मम्मी) एकदम खिल-खिलाकर हँसने लगी..,
मे एकदम से चोंक कर उनके उपर से उठने लगा, लेकिन टाँगों की केँची ने मुझे निकलने नही दिया…
मेरा सारा नशा हिरण हो चुका था, मेने उनकी आँखों में झाँका, जो थोड़े नशे में दिख रही थी, शायद उन्होने कोई ड्रिंक ले रखा था…!
मेने उठने की कोशिश करते हुए कहा – आंटी जी आप..? आप यहाँ होंगी ये मुझे कटाई अंदाज़ा नही था..,
उन्होने कसकर मुझे जकड लिया और मेरे गाल से अपना गाल रगड़ते हुए बोली – तुमने सोचा शायद खुशी होगी, इसलिए मस्ती से किस कर रहे थे.. है ना..?
मेने सफाई देने की कोशिश करते हुए कहा – नही..नही.. मे भला खुशी के साथ ऐसा कैसे….
वो मेरी बात बीच में ही काटते हुए बोली – बनो मत, मुझे सब पता है, तुम उसे कई बार चोद चुके हो…
अब एकाध बार उसकी माँ को भी चोद दो, तुम्हें विश्वास दिलाती हूँ, मेरी चूत मारकर तुम्हें निराशा नही होगी..,
मेने कसमसाते हुए कहा – ये आप क्या कह रही हैं, प्लीज़ छोड़िए मुझे, आप मेरी माँ समान हैं.., मे भला आपके साथ ये काम कैसे कर सकता हूँ…?
वो – तो खुशी को क्या मानते हो..? बेहन ना, जब बेहन को चोद सकते हो लेकिन उसकी माँ को नही, प्लीज़ मे बहुत प्यासी हूँ, एक बार अपने मोटे लंड से चोद दो मुझे प्लीज़…
तभी पीछे से खुशी की आवाज़ सुनाई दी – अब इतने नखरे भी ठीक नही हैं भैया, मम्मी कितनी मिन्नतें कर रही है, चलो अब शुरू हो जाओ….!
मेने पलट कर जब खुशी की तरफ देखा, तो वो पलंग के पास खड़ी मंद-मंद मुस्करा रही थी….!
मेने आंटी के होठों को चूमकर मुस्कराते हुए कहा – अच्छा ठीक है, लेकिन अब उठने तो दीजिए, आपने तो किसी पहलवान की तरह मुझे दबोच रखा है, हाथ पैर भी नही हिला सकता…!
वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, और अपनी पकड़ ढीली कर दी.., मेने हाथ बढ़ाकर खुशी को भी अपने पास खींच लिया, और उसका एक मम्मा दबाकर कहा –
एक शर्त पर, तुम भी हमारे साथ रहो तो…, वो अपनी मम्मी की तरफ देखने लगी,
आंटी ने मुकराते हुए कहा, आजा मेरी रानी बिटिया, तेरी माँ की प्यास बुझाने के लिए इनकी ये शर्त है तो वो भी मंजूर है, अब ये रहा सहा परदा भी किस काम का
ये कहकर आंटी ने अपनी बेटी का टॉप निकाल बाहर किया और उसके होठ चूमने लगी.., तब तक मेने सेठानी के ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए.., 42 के बड़े बड़े खरबूजे उच्छल कर बाहर आ गये..,
माँ- बेटी उपर से दोनो नंगी हो चुकी थी, जहाँ खुशी की चुचियाँ गोल-गोल अपनी शेप लिए हुए थी वहीं सेठानी की उम्र के साथ-साथ थोड़ी लटक गयी थी, और उनके बड़े-बड़े काले निप्प्लो के आस-पास काफ़ी बड़ा सा गोलाई लिए हुए ऑरा था…!
मे एक-एक हाथ से दोनो की एक-एक चुचि को मसल रहा था, और वो दोनो माँ- बेटी आपस में चुसम-चुसाई में लिप्त थी..!
फिर वो दोनो एक दम से मेरे कपड़ों पर झपट पड़ी, और देखते ही देखते मेरे सारे कपड़े पलंग के नीचे पड़े थे..,
नितन्ग नंगा पलंग के बीचो-बीच चित्त, मेरा 9” का खूब मोटा सोट जैसा लंड एकदम तना हुआ छत की तरफ सिर उठाए खड़ा जिसे देख कर जहाँ सेठानी की आश्चर्य से आँखें फटी रह गयीं..,
वहीं खुशी उसे मसलते हुए बोली – हाईए…वकील भैया, ये पहले तो इतना तगड़ा नही था.., अब तो ये कुछ ज़्यादा ही लंबा और मोटा लग रहा है…!
मेने हाथ बढ़ाकर खुशी की गान्ड दबाते हुए कहा – हां बहना, आज तुम दोनो माँ-बेटी को एक साथ देख कर खुशी से फूल गया है, अब इसे जल्दी से अपने मुँह में लेकर ठंडा करो मेरी जान…!
खुशी अपना मुँह लंड के करीब ला ही रही थी कि तभी सेठानी ने उसे उसके हाथ से छीन लिया और अपनी जीभ लगाकर मेरे सुपाडे को चाटने लगी…!
मेने उनकी तरफ हाथ बढ़ाकर उनकी साड़ी के नीचे हाथ डालकर उनकी मोटी मटकों जैसी गान्ड की दरार में अपनी उंगली डाल दी, जिसे उन्होने अपनी गान्ड भींचकर वही दबा लिया..!
इधर खुशी ने अपनी माँ को पूरी तरह नंगा कर दिया, और खुद अपना लोवर उतारने लगी., मेने आंटी की गान्ड अपनी तरफ घुमाई और उनकी मोटी भारीभरकम गान्ड में अपना मुँह डाल दिया…!
अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मे उनकी मालपुए जैसी चूत को चपर चपर चाट रहा था, इतना गरमा-गरम सीन देख कर खुशी से नही रहा गया और वो अपनी उंगली चूत में डाल कर हिलाने लगी..,
कमरे में आहहें गूंजने लगी, माहौल बहुत गरमा गया था, तक कर आंटी ने अपनी चूत का ढक्कन खोल दिया, और अपना चूत रस मेरे मुँह के हवाले कर दिया..!
वो कुछ देर अपनी गान्ड का वजन मेरे मुँह पर डाले रही जब तक एक-एक बूँद रस उनकी चूत से बाहर नही आ गया फिर अपनी गान्ड के छेद को सिकोडकर वो मेरे उपर से उठ गयी..,
खुशी अपनी चूत पर चान्टे मारते हुए बोली – आअहह…भैया आओ ना प्लीज़ चोदो मुझे, बहुत चुन-चुनी हो रही है इसमें…!
मेने मुस्कराते हुए खुशी की टाँगों को उपर उठाया, उसकी गान्ड के नीचे एक तकिया लगाकर मेने अपना दहक्ता सुपाडा उसकी गरम चूत के मुँह पर सताया और एक करारा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
काफ़ी दिनो बाद लंड ले रही उसकी चूत मेरे खूँटे जैसे मोटे लंड के आधे तक जाते ही चर-चरा उठी.., खुशी के मुँह से दर्द भारी कराह निकल पड़ी…ऊहह… म्म्माआ… मार्र..डाल्लाअ…उउउफफफ्फ़…आहह…!
सेठानी उसके बगल में आकर बैठ गयी और उसकी चुचियों को सहलाते हुए बोली- मेरी फूल सी बच्ची की चूत फाड़ दी तुमने.., कैसे निर्दयी हो तुम…फिर उन्होने मेरे बचे हुए लंड को अपनी उंगलियों से टटोलते हुए कहा…
बस बेटी, आधा तो गया, थोड़ा और सहन कर, फिर मज़ा ही मज़ा.., उउउन्न्ं… ऐसे मोटे-ताज़े सोटे जैसे लंड से चुदने का मज़ा ही कुछ और है..!
अपनी माँ की इतनी कामुक बातें सुनकर खुशी ने भी अपनी खुशी से कमर उपर करदी, इधर मेने भी धक्का जड़ दिया और पूरा का पूरा लंड खुशी की संकरी सी गली में समा गया…!
खुशी का मुँह फटा का फटा रह गया, दर्द से वो एक बार फिर बिल-बिला उठी.., लेकिन मेने रुकना उचित नही समझा और हल्के हल्के धक्के देना जारी रखा..,
कुछ धक्कों के बाद खुशी की मुनिया भी खुशी से लार छोड़ने लगी, अब वो भी मज़े ले-लेकर अपनी कमर उचकाने लगी..,
मेरे -तोड़ धक्कों को खुशी की चूत ज्याद देर नही झेल पाई, और उसने अपनी कमर हवा में उठाकर अपना पानी छोड़ दिया..!
फिर जैसे ही उसकी कमर बिस्तर से लगी, मेने सेठानी को उसके उपर ही घोड़ी बना दिया, और पीछे से उनकी मोटी गान्ड के पाटों के बीच अपना लंड फँसा कर नीचे को रगड़ता ले गया..,
मंज़िल पर पहुँचते ही उनकी रस से सराबोर चूत में वो सर्र्र्र्र्र्र्ररर…से सरक गया..,
ना जाने सेठानी की चूत ने कब्से लंड के दर्शन नही किए थे, एक साथ मेरे मोटे ताजे डंडे जैसे सख़्त लंड की मार वो नही झेल पाई और बुरी तरह से रंभाने लगी..!
आअहह….बेटा मर् गयीइ.., फट गयी मेरी चूत.., थोड़ा रूको मेरे राजा...,
मेने अपना आधा लंड उनकी चूत में चेंपे रखा और पीछे से उनकी बड़ी-बड़ी लटकती हुई चुचियों को अपने हाथों से मसल्ने लगा…!
उधर नीचे से खुशी ने अपनी माँ के होठ चूसने शुरू कर दिए, अपना एक हाथ नीचे ले जाकर वो अपनी माँ की चूत की क्लिट को सहलाने लगी…,
चौतरफ़ा हमले से सेठानी जल्दी ही अपनी चूत के दर्द से उभर आई.., अब उनकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी..,
मज़ा आते ही उन्होने अपनी गान्ड को मटकाया, इशारा जानकार मेने एक भरपूर धक्का अपनी कमर में लगा दिया..,
एक ही झटके में मेरा पूरा मूसल सेठानी की चूत में समा गया.., सेठानी के मुँह से दर्द भरी कराह निकल पड़ी..,
लेकिन मेने धीरे-धीरे अपने धक्के जारी रखे, अब वो जल्दी ही लय में आ गयी, और अपनी गान्ड पटक-पटक कर चुदने लगी..!
खुशी ने नीचे की तरफ सरक कर अपनी जीभ की नोक अपनी मम्मी की चूत पर रख दी, अब वो उनकी चूत के साथ साथ अंदर बाहर हो रहे मेरे लंड को साथ के साथ चाटने लगी…!
सेठानी की चूत लगातार पानी छोड़ने लगी थी, जो खुशी की जीभ से होता हुआ उसके मुँह में जा रहा था..,
सेठानी के साथ साथ मुझे भी बहुत मज़ा आरहा था..,
विस्की का असर उपर से मेरे लंड की जग जाहिर ताक़त के आगे सेठानी भी जल्दी पानी छोड़ बैठी..,
मेने अपना लंड उनकी चूत से निकालकर खुशी के मुँह में डाल दिया.., और एक दो झटकों में ही अपने लंड का रस उसे पिला दिया..,
आधे से ही सेठानी ने भी मुँह खोल दिया और रहा सहा वीर्य वो भी गटक गयी…!
कुछ देर के इंटर्वल के बाद दूसरा राउंड शुरू हो गया.., एक के बाद दूसरी, फिर कुछ देर रुक कर दूसरा राउंड, इस तरह से मेने उन दोनो को जमकर चोदा..,
सेठानी तो दो राउंड में ही हार मान बैठी और एक किनारे पर लंबी हो गयी, कुछ ही देर में उनके खर्राटे गूंजने लगे..,
उसके बाद कुछ देर खुशी और मे नंगे मस्ती करते रहे, एक दूसरे के अंगों से छेड़ छाड़ करते रहे, नतीजा, एक बार फिर से मेरा मूसल अकड़ने लगा,
इस बार खुशी को अपनी गोद में लेकर मेने अपना लंड उसकी चूत में चेंप दिया, एक राउंड मेने और खुशी ने लगाया, वो भी तीसरे राउंड तक हाथ जोड़ने लगी..,
आख़िर थक कर चूर हम भी एक दूसरे में बिन्धे नितन्ग नंगे ना जाने कब नींद में डूब गये,
जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 7 बज चुके थे, वो दोनो अभी भी खर्राटे ले रही थी, उन्हें सोता छोड़ मे वहाँ से चुप-चाप खिसक लिया…!
वहाँ से सीधा में अपने घर आया जहाँ मेरा बेसब्री से इंतेजार हो रहा था.., मे फ्रेश होकर आया तब तक नाश्ता तैयार हो चुका था..,
ब्रेकफास्ट लेकर हम सब ने मधु आंटी से विदा ली…!
वक़्त हाशी खुशी में अच्छे से बीत रहा था, निशा की डेलिवरी का वक़्त नज़दीक आता जा रहा था, ऐसे में अब उसका ज़्यादातर समय बिस्तर पर ही गुज़रता था..!
भाभी ने फोन करके अपनी भाभी को बुलवा लिया, जिसे राजेश भाई अपनी तरफ से ही छोड़ गये निशा की डेलिवरी में भाभी की मदद करने के लिए…!
वैसे तो अपना भरा पूरा परिवार था, सभी चाचियाँ भी मिल-जुल कर हर काम में मदद करती ही थी, लेकिन हर समय तो कोई साथ नही रह सकती थी, उनके भी अपनी घर गृहस्ती के काम रहते थे….!
मे शाम को जब घर पहुँच तो सभी ओर सन्नाटा पसरा हुआ था, अंदर जाने पर पता चला कि मेरे कमरे से ही बातों की आवाज़ आ रही थी..,
मे सीधा अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, दरवाजे से ही जब मेने देखा तो निशा लेटी हुई थी, भाभी उसके बगल में बैठी थी, और उसके सिर की तरफ पलग के नीचे एक चौकी पर उनकी भाभी बैठी आपस में बात चीत कर रही थी…!
मेने उन्हें देखते ही हाथ जोड़कर नमस्ते की, वो फ़ौरन अपनी जगह से उठी और आगे बढ़कर मेरे पैर पड़ने लगी..,
मेने उनके दोनो मांसल बाजुओं को पकड़ कर रोकने की कोशिश करते हुए बोला – अरे..अरे..भाभी जी ये आप क्या कर रही हैं, मे तो आपसे छोटा हूँ…!
उनके जबाब देने से पहले भाभी बोल पड़ी, लल्ला ये अपने समाज का रिवाज है, दामाद के पैर हर कोई छुता है, अब वो चाहे उमर में बड़ा हो या छोटा..!
जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तब मेने उनपर एक भरपूर नज़र डाली.., क्या फिगर मेनटेन किया था, या यौं कहो, घर के काम काज की वजह से हो…!
हाइट तो उनकी वैसे भी भाभी और निशा से भी 21 ही थी.., हर समय घर के अंदर रहने से रंग भी निखरा हुआ था…!
लेकिन सबसे बड़ी जो चीज़ थी वो थी उनकी चुचियाँ और कूल्हे.., एक दम परफेक्ट…34-30-36 का फिगर 5’7” की हाइट, पेट पर लेशमात्र को भी चर्बी नही..,
सिल्क साड़ी में वो इस समय कामदेवी लग रही थी.., मुझे यौं घूरते देख कर मोहिनी भाभी शरारत करने से भला कैसे चूकती..,
क्यों लल्ला.., सलहज को रसगुल्ला समझकर चट करने का विचार है.., माना कि नीलू भाभी खूबसूरत हैं, फिर भी इतना तो मत ताडो कि बेचारी खड़े-खड़े ही…????
अपनी बात अधूरी छोड़कर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, उनका साथ दिया निशा ने.., वहीं सलहज साहिबा शर्म से पानी-पानी..,
मे तो अपनी कहूँ क्या, भाभी ने एक मिनट में ही अपनी इज़्ज़त का भाजी पड़ा बना दिया, झेंप कर सीधा कपड़े बदलने बाथरूम की तरफ..!
पीछे से नीलू भाभी की आवाज़ कानों में पड़ी – क्या दीदी आप भी ना, कैसा-कैसा मज़ाक करती हैं, बेचारे जीजा जी क्या सोच रहे होंगे मन में..? कितना बुरा लगा होगा उन्हें..?
भाभी – उनकी तुम चिंता मत करो नीलू भाभी, हम देवर भाभी के बीच ऐसी नोक-झोंक तो होती ही रहती है, वैसे भाभी मेरा देवर भी किसी हीरो से कम नही है.. क्या कहती हो..?
नीलू – सही कहा आपने दीदी, छोटी ननद रानी बड़े भाग वाली हैं, जो अंकुश जी जैसा पति मिला है..,
भाभी – अरे ये भी मेरा ही काम है, मेने इन दोनो को एक करने के लिए क्या-क्या पापड बेले हैं पता है..?
निशा – रहने दो दीदी, मत मूह खुलवाओ मेरा, बड़ी डींगे हांक रही हैं, अपने और अपने देवर के बारे में.., याद है छोटे जीजा जी की शादी में मुझे देखते ही लट्टू हो गये थे मेरे उपर…!
भाभी – अच्छा मेरी बन्नो, तू क्या कम लट्टू थी उनपर, और पता है भाभी.., मेने ही बाबूजी और पिताजी को साफ-साफ बोल दिया था.., कि देवर्जी के लिए निशा ही दुल्हन बनके इस घर में आएगी हां..!
नीलू – हां मुझे पता है दीदी, सच में आपने इस घर को स्वर्ग बना रखा है.., आपके बहुत एहसान हैं इस घर पर..,
आप दोनो बहनें इतने प्यार से एक साथ रहती हैं, वरना मेने देखा है जहाँ दो सग़ी बहनें एक ही घर में व्याही हों, वो कभी चैन से नही रह पाती..,
ये सब आपके प्रेम और त्याग का ही नतीजा है, वरना आजकल घर टूटने में देर नही लगती..!
मोहिनी भाभी थोड़ा सीरीयस हो गयी, अपनी आँखों में पानी लाकर बोली – जब में इस घर में व्याह कर आई थी.., ये मेरा देवर एक छोटा सा निक्कर पहन कर घूमता था..,
मेरा गौना होते ही माजी इसे मेरे हवाले करके चल बसी.., उस समय मेरी भी क्या उमर थी.., मे भी तो एक बच्ची ही थी.., लेकिन बाबूजी ने मेरे उपर भरोसा जताया.., सारा जिम्मा मेरे सिर डाल दिया..,
ये मेरा देवर इत्ता सा हर समय भाभी माँ.., भाभी माँ.., करके मेरी उंगली थामे घूमता था.., मेने भी इसे अपने छोटे भाई से बढ़कर अपने बेटे जैसा प्यार दिया..,
रामा भी कोई ज़्यादा समझदार नही थी, दोनो भाई-बेहन को अपनी माँ की कमी महसूस ना हो, इसलिए मे इन दोनो का ध्यान रखती थी..,
इस वजह से रूचि के पापा को भी समय नही दे पाती थी.., हम दोनो की पहली रात भी शादी के ढाई साल बाद मनाई थी..!
नीलू – क्या..? आपकी सुहागरात शादी के ढाई साल बाद मनाई थी..?
भाभी – हां ! क्योंकि मेरा ये लाड़ला हर समय मेरे साथ ही सोता, उठता, बैठता था, वो भी तब दूसरे शहर में नौकरी करते थे, सॅटर्डे-सनडे आते भी थे..
लेकिन उनके भाई बेहन को बुरा ना लगे, कुछ थे भी शर्मीले जो आज भी हैं, ये कहते हुए भाभी मुस्करा गयी.., लेकिन जल्दी ही फिरसे सीरीयस होकर बोली…
लेकिन रामा तब तक कुछ समझने लगी थी, उसने लल्ला को पढ़ाने के बहाने से अपने पास सुलाना शुरू कर दिया, और हमें तब जाकर
सुहागरात मनाने का मौका मिला..,
भाभी की बातें सुनकर निशा और नीलू भाभी की आँखें भर आई.., फिर वो भर्राये स्वर में बोली –
सच में दीदी, आपके त्याग का ही नतीजा है जो आज ये घर सुखी और संपन्न है.., धन्य हैं आप..!
मे कब्से दीवार की ऑट लिए ये सब सुन रहा था, अपने बचपन से गुज़रते हुए अब तक के सारे सीन जो भाभी के आँचल में गुज़ारे थे, वी सब मेरी आखों के सामने घूम गये..,
उन बातों को याद करके मेरी आँखों से आँसुओं की दो बूँद टपक पड़ी..,
तभी भाभी फिर आगे बोली – लेकिन मेरे लाड़ले देवर ने भी मेरे त्याग और प्रेम का पूरा सम्मान मुझे दिया है.., मे सीना तानकर कह सकती हूँ कि मेरे देवर के बराबर कोई भी काबिल नही है..!
ना मेरे पति और ना बड़े लल्ला.., इसने वो..वो कारनामे करके दिखाए हैं, जो आम इंसान कभी नही कर पाएगा..!
उपर जाकर माजी से नज़रें मिलकर कह सकूँगी कि मेने अपना फ़र्ज़ अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी निष्ठा से निभाए हैं..!
भाभी की बात सुनकर मेरा धैर्य जबाब दे गया, ऑट से बाहर निकल कर अपनी रुलाई पर काबू पाने का भरसक प्रयास करते हुए मेने उनसे कहा
बस करिए भाभी.., अगर फिर कभी आपने उपर जाने की बात की तो अपने इस लाड़ले का मरा मूह देखोगी…!
मेरी बात सुनकर भाभी एक झटके से खड़ी हो गयी.., मेरे गाल पर एक झन्नाटे दार थप्पड़ जड़ते हुए उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया..और भर्राये स्वर में बोली –
खबरदार फिर कभी अपने मूह से मरने की बात निकाली तो, एक बार अपनी जान जोखिम में डाल कर तुझे पाया है..,
अरे पगले, मे तो ये बात की बात में बोली – एक ना एक दिन तो सबको ही जान होता है.
मेने भाभी को ज़ोर्से कस लिया और उनके कंधे पर अपना सिर टिका कर बोला – अपने से पहले तो मे आपको किसी सूरत में नही जाने दूँगा..,
भाभी ने मेरे कंधे पकड़कर अपने से अलग किया और मेरी आँखें पोन्छ्ते हुए बोली – उमर में तुम बड़े हो कि मे..?
हम दोनो की बातों से निशा और नीलू भाभी की आँखें भी भर आई थी, माहौल को बदलने की गर्ज से निशा अपने आँसू पोन्छ्ते हुए बोली…
ये मरने गिरने की बातें छोड़ो अब आप दोनो.., और राजे ये बताओ कि हमारी भाभी आपको कैसी लगी..?
माहौल फिरसे खुशनुमा हो उठा, निशा की बात का जबाब देते हुए मेने कहा – क्या कहा तूने.., तुम्हारी भाभी.. ? तो फिर मेरी क्या हैं..?
फिर नीलू भाभी के सामने ज़मीन पर बैठ कर उनकी आँखों में आँखें डालते हुए मेने कहा – सच कहूँ तो ये पहले से कहीं ज़्यादा हॉट और नमकीन लग रही हैं..,
और हां भाभी आपने सच ही कहा था, मुझे तो ये इस समय बंगाली रसगुल्ला ही लग रही हैं, जी कर रहा है पूरी की पूरी चट ही कर जाउ…!
मेरी बात सुनकर जहाँ निशा और भाभी ठहाका मार कर हँसने लगी, वहीं नीलू भाभी अपना चेहरा अपने हाथों के पीछे च्छुपाकर बुरी तरह शर्मा गयी…!
दूसरी सुबह, अपनी दिनचर्या के हिसाब से मे खुले आँगन में अपनी एक्सर्साइज़ कर रहा था, मे एक स्पोर्ट शॉर्ट और शोल्डर तक की बॉडी फिट टीशर्ट पहने हुए था..,
एक्सर्साइज़ करते-करते मेरा शरीर पसीने से तर हो चुका था, जिससे मेरे वो दोनो कपड़े भी बदन से एक दम चिपक गये थे..,
मेरी बॉडी की कसावट उसके अब्ब्स साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, ना जाने कब से नीलू भाभी किचन की विंडो में खड़ी-खड़ी टक-टॅकी लगाए मेरे बदन को घूर रही थी..!
स्लॅब के साथ खड़ी भाभी काम करते हुए उनसे बातें करती जा रही थी, जिनका जबाब वो बस हां.. हूँ में ही दे रही थी, सच बात तो ये थी कि उनका ध्यान बातों की तरफ कम, मेरी तरफ ज़्यादा था..!
भाभी ने उनके बेटे के बारे में पुछा – और नीलू भाभी तुम्हारा बेटा हिमांशु तो बड़ा हो गया होगा अब, कॉलेज जाता है कि नही..? कोंसि क्लास में है वो अब….,
लेकिन नीलू भाभी की तरफ से कोई जबाब ना पाकर भाभी ने पलट कर उनकी तरफ देखा, वो निरंतर मुझे ही घूरे जा रही थी..,
ये देखकर भाभी के चेहरे पर स्माइल आ गयी, वो चुपके से उनके पीछे जेया पहुँची, और धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया..,
लेकिन नीलू भाभी की तरफ से कोई जबाब ना पाकर भाभी ने पलट कर उनकी तरफ देखा, वो निरंतर मुझे ही घूरे जा रही थी..,
ये देखकर भाभी के चेहरे पर स्माइल आ गयी, वो चुपके से उनके पीछे जेया पहुँची, और धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया..,
नीलू भाभी एकदम से उच्छल पड़ी, मानो किसी बिच्छू ने उन्हें डॅंक मार दिया हो.., उन्होने पलट कर भाभी की तरफ देखा और फिर अपनी नज़र झुका कर बोली – आपने कुछ कहा दीदी.., ?
भाभी उनके चेहरे पर नज़र गढ़ाए हुए मुस्करा कर बोली – कहा तो था लेकिन लगता है तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की बजाय कही और ही है..,
नीलू भाभी हकलाते हुए बोली – नही…वो..हां.., मे वो नंदोई जी को कसरत करते हुए देख रही थी, कितनी कसरत करते हैं, देखो तो दीदी कितना पसीना निकाल रहे हैं..,
भाभी – हां ! और ये आदत भी इन्हें मेने ही डलवाई है.., शुरू से ही मेने इनका खाने पीने का ख़याल रखा, लेकिन शुरू शुरू में मेहनत बिल्कुल नही करते थे ये..,
जब ये 6-7वी क्लास में ही थे तो इनके कॉलेज में आन्यूयल गेम में इनका डील-डौल देखकर इनके टीचर्स ने इन्हें कबड्डी की टीम में रख लिया..,
फाइनल में इनकी क्लास का मुकाबला 8वी क्लास के साथ था, इनके टीम के और बच्चे सामने वाली टीम के सामने छोटे बच्चे जैसे ही थे,
सो पूरी टीम पस्त हो गयी लेकिन अंत तक लल्ला ने हार नही मानी, और अकेले के दम पर मॅच जितवा दिया..,
घर आकर जब रामा ने बताया, तभी से मेने इनको कसरत करने की आदत डाल दी और देखो अभी तक वही पड़ी हुई है.., क्यों तुम्हारे हिसाब से ये सब ठीक नही है क्या..?
नीलू भाभी तपाक से बोली – नही..नही…बहुत अच्छी आदत है ये तो, मे तो बस ये कह रही थी कि इतना पसीना बहाना क्या ठीक है..? देखो तो कैसा बाल्टी भर निकल रहा है…,
भाभी – अभी तुमने इनकी खुराक नही देखी है.., इसके बाद 1 लिटेर बादाम वाला दूध भी तो पीना है.., वो भी घी और दो अंडे डालके..,
तो उसे पाचाने के लिए मेहनत तो करनी चाहिए वरना खंखा चर्बी बढ़ेगी..,
वैसे तुम्हें कैसा लगा मेरे देवर का शरीर, कहीं से कोई कमी तो नज़र नही आई..?
नीलू – बिल्कुल भी नही, एकदम परफेक्ट बॉडी है जीजा जी की.., फिर नज़र झुका कर बोली – इनफॅक्ट कोई भी औरत ऐसा मर्द पाने की कामना ज़रूर करती होगी..,
भाभी ने चुटकी लेते हुए कहा – तो शायद इसलिए तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की तरफ नही था है..ना…!
नीलू – नही ऐसी बात नही है दीदी, आप तो मेरी टाँग खींचने लगी..,
भाभी – नही मेरी प्यारी भौजाई, मे तुम्हारी टाँग नही खींच रही, सच्चाई बयान कर रही हूँ, अभी अभी तो तुमने खुद ही कहा कि ऐसा मर्द पाने की हर औरत की कामना होती है…!
जानती हो इस मर्द को ऐसा बनाने में मेने खुद कितनी मेहनत की है…., और फिर भाभी ने नीलू को वो सच्चाई बताई, कि वो कैसे मेरे उपर सवार होकर मेरी मालिश किया करती थी.., और मेरे कॉलेज जाने तक करती रही थी..,
नीलू ये सच्चाई सुनकर सन्न रह गयी, फिर कुछ सोच कर हिचकते हुए बोली – दीदी इतनी उम्र तक जब आप इनकी मालिश करती रही थी तो आप अपनी भावनाओं पर काबू कैसे रख पाती होंगी..,
सच सच बताना दीदी, क्या आपका मन कभी नही भटका था इनकी चढ़ती जवानी देखकर..? आप भी तो उस वक़्त नयी नयी जवान थी..,
भाभी कुछ देर मौन रही, फिर एक प्यारी सी स्माइल अपने चेहरे पर लाकर बोली – क्या मे किसी आम औरत से अलग हूँ..?
नीलू थोड़ा उत्साहित होते हुए बोली – तो क्या आप…ने…? मेरा मतलब कैसे सब कंट्रोल किया अपने उपर..?
भाभी – तुम अभी उस तरह की ज़िम्मेदारियों से गुज़री नही हो नीलू, तुम्हारी शंका निराधार नही है, कभी कभी तो लल्ला का वो हथियार एकदम तन्कर खड़ा ठीक मेरी नज़रों के सामने होता था..,
ऐसा लगता था मानो अंडरवेर फाड़कर सामने वाली की फाड़कर रख देगा.., ये कहकर वो खिल-खिला पड़ी.., फिर कंट्रोल करते हुए बोली –
लेकिन इनकी उम्र और अपनी ज़िम्मेदारियों ने मुझे कभी अपनी सीमायें लाँघने नही दिया..,
ये बात सुनकर नीलू की साँसें तेज-तेज चलने लगी, उसकी चूत में सुरसूराहट सी होने लगी.., अपने मनोभावों पर कंट्रोल रखते हुए वो बोली – लेकिन कॉलेज तक तो ये पूरे जवान हो गये होंगे, तब भी…!
भाभी ने गहरी नज़र से नीलू को घूरते हुए मुस्करा कर कहा – तुम इतना क्यों इंटेरेस्ट ले रही हो उनकी जवानी में, कहीं तुम्हारा मन तो नही आगया मेरे शेर की जवानी पर..,, आनन्न…बोलो..!
नीलू भाभी की बात सुनकर बुरी तरह झेंप गयी, अपनी नज़रें नीची करके मंद-मंद मुस्कराने लगी..!
भाभी ने उसे उकसाते हुए कहा – वैसे कोशिश कर सकती हो, रिस्ता भी बनता है नंदोई के साथ हसी मज़ाक, मौज मस्ती का.., एक बात मे तुम्हें बता दूँ, लल्ला का दिल भी बहुत बड़ा है,
सबके लिए प्यार है उनके दिल में.., और फिर अभी तो तुम्हारी ननद भी इस काबिल नही है, सांड फ्री है इस समय, तो मार सको तो मार लो मौके पे चौका..,
इतना कहकर भाभी ने ज़ोर्से नीलू की मखमल जैसी थिरकती गान्ड मसल दी और खिल-खिलाकर हस्ती हुई अपने काम में लग गयी…!
भाभी ने मज़ाक-मज़ाक में नीलू को हिंट दे दी थी, लेकिन नीलू अपनी ससुराल में सास-ससुर के रहते हुए ज़्यादा खुल नही पाई थी.., पर अब भाभी के खुले मज़ाक ने उसे आगे बढ़ने की हिम्मत दे दी थी..,
मेने अपनी कसरत पूरी कर ली थी, और अब अपना टॉप निकाल कर उसी से पसीना पोंच्छ रहा था, मौका ताडकर नीलू एक टवल लेकर मेरे सामने पहुँची और उसे मेरे हाथ में पकड़ाते हुए बोली…!
जो चीज़ जिस काम के लिए होती है, वो काम उसी से करना चाहिए जीजा जी..,
मेने तैलिया उनके हाथ से लेते हुए कहा – थॅंक्स भाभी, वैसे ये टी-शर्ट भी धुलने वाली है, तो सोचा इसी से पोन्छ लूँ.., ये कहते हुए मे टवल से अपना पसीना पोंच्छने लगा,
पसीना पोंचछते हुए मेरी नज़र उनके सुडौल चुचियों पर जम गयी, जो इस समय एक खुले गले की मिडी में कसे अपनी गहरी खाई दर्साते हुए बयान कर रहे थे कि दोनो तरफ की चट्टानें कैसी हैं....,
मेने उनपर नज़र गढ़ाए हुए द्विअर्थि मज़ाक करते हुए कहा – वैसे चीज़ों का सही सही इस्तेमाल करना तो कोई आपसे सीखे..,
मेरी नज़र और बात का मतलब समझते हुए वो पहले तो शरमा गयी, लेकिन पलट कर मज़ाक में ही जबाब देते हुए बोली…!
तभी पूरा कमरा एकदम से रोशनी में नहा उठा, मेरे नीचे दबी शांति देवी (खुशी की मम्मी) एकदम खिल-खिलाकर हँसने लगी..,
मे एकदम से चोंक कर उनके उपर से उठने लगा, लेकिन टाँगों की केँची ने मुझे निकलने नही दिया…
मेरा सारा नशा हिरण हो चुका था, मेने उनकी आँखों में झाँका, जो थोड़े नशे में दिख रही थी, शायद उन्होने कोई ड्रिंक ले रखा था…!
मेने उठने की कोशिश करते हुए कहा – आंटी जी आप..? आप यहाँ होंगी ये मुझे कटाई अंदाज़ा नही था..,
उन्होने कसकर मुझे जकड लिया और मेरे गाल से अपना गाल रगड़ते हुए बोली – तुमने सोचा शायद खुशी होगी, इसलिए मस्ती से किस कर रहे थे.. है ना..?
मेने सफाई देने की कोशिश करते हुए कहा – नही..नही.. मे भला खुशी के साथ ऐसा कैसे….
वो मेरी बात बीच में ही काटते हुए बोली – बनो मत, मुझे सब पता है, तुम उसे कई बार चोद चुके हो…
अब एकाध बार उसकी माँ को भी चोद दो, तुम्हें विश्वास दिलाती हूँ, मेरी चूत मारकर तुम्हें निराशा नही होगी..,
मेने कसमसाते हुए कहा – ये आप क्या कह रही हैं, प्लीज़ छोड़िए मुझे, आप मेरी माँ समान हैं.., मे भला आपके साथ ये काम कैसे कर सकता हूँ…?
वो – तो खुशी को क्या मानते हो..? बेहन ना, जब बेहन को चोद सकते हो लेकिन उसकी माँ को नही, प्लीज़ मे बहुत प्यासी हूँ, एक बार अपने मोटे लंड से चोद दो मुझे प्लीज़…
तभी पीछे से खुशी की आवाज़ सुनाई दी – अब इतने नखरे भी ठीक नही हैं भैया, मम्मी कितनी मिन्नतें कर रही है, चलो अब शुरू हो जाओ….!
मेने पलट कर जब खुशी की तरफ देखा, तो वो पलंग के पास खड़ी मंद-मंद मुस्करा रही थी….!
मेने आंटी के होठों को चूमकर मुस्कराते हुए कहा – अच्छा ठीक है, लेकिन अब उठने तो दीजिए, आपने तो किसी पहलवान की तरह मुझे दबोच रखा है, हाथ पैर भी नही हिला सकता…!
वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, और अपनी पकड़ ढीली कर दी.., मेने हाथ बढ़ाकर खुशी को भी अपने पास खींच लिया, और उसका एक मम्मा दबाकर कहा –
एक शर्त पर, तुम भी हमारे साथ रहो तो…, वो अपनी मम्मी की तरफ देखने लगी,
आंटी ने मुकराते हुए कहा, आजा मेरी रानी बिटिया, तेरी माँ की प्यास बुझाने के लिए इनकी ये शर्त है तो वो भी मंजूर है, अब ये रहा सहा परदा भी किस काम का
ये कहकर आंटी ने अपनी बेटी का टॉप निकाल बाहर किया और उसके होठ चूमने लगी.., तब तक मेने सेठानी के ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए.., 42 के बड़े बड़े खरबूजे उच्छल कर बाहर आ गये..,
माँ- बेटी उपर से दोनो नंगी हो चुकी थी, जहाँ खुशी की चुचियाँ गोल-गोल अपनी शेप लिए हुए थी वहीं सेठानी की उम्र के साथ-साथ थोड़ी लटक गयी थी, और उनके बड़े-बड़े काले निप्प्लो के आस-पास काफ़ी बड़ा सा गोलाई लिए हुए ऑरा था…!
मे एक-एक हाथ से दोनो की एक-एक चुचि को मसल रहा था, और वो दोनो माँ- बेटी आपस में चुसम-चुसाई में लिप्त थी..!
फिर वो दोनो एक दम से मेरे कपड़ों पर झपट पड़ी, और देखते ही देखते मेरे सारे कपड़े पलंग के नीचे पड़े थे..,
नितन्ग नंगा पलंग के बीचो-बीच चित्त, मेरा 9” का खूब मोटा सोट जैसा लंड एकदम तना हुआ छत की तरफ सिर उठाए खड़ा जिसे देख कर जहाँ सेठानी की आश्चर्य से आँखें फटी रह गयीं..,
वहीं खुशी उसे मसलते हुए बोली – हाईए…वकील भैया, ये पहले तो इतना तगड़ा नही था.., अब तो ये कुछ ज़्यादा ही लंबा और मोटा लग रहा है…!
मेने हाथ बढ़ाकर खुशी की गान्ड दबाते हुए कहा – हां बहना, आज तुम दोनो माँ-बेटी को एक साथ देख कर खुशी से फूल गया है, अब इसे जल्दी से अपने मुँह में लेकर ठंडा करो मेरी जान…!
खुशी अपना मुँह लंड के करीब ला ही रही थी कि तभी सेठानी ने उसे उसके हाथ से छीन लिया और अपनी जीभ लगाकर मेरे सुपाडे को चाटने लगी…!
मेने उनकी तरफ हाथ बढ़ाकर उनकी साड़ी के नीचे हाथ डालकर उनकी मोटी मटकों जैसी गान्ड की दरार में अपनी उंगली डाल दी, जिसे उन्होने अपनी गान्ड भींचकर वही दबा लिया..!
इधर खुशी ने अपनी माँ को पूरी तरह नंगा कर दिया, और खुद अपना लोवर उतारने लगी., मेने आंटी की गान्ड अपनी तरफ घुमाई और उनकी मोटी भारीभरकम गान्ड में अपना मुँह डाल दिया…!
अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मे उनकी मालपुए जैसी चूत को चपर चपर चाट रहा था, इतना गरमा-गरम सीन देख कर खुशी से नही रहा गया और वो अपनी उंगली चूत में डाल कर हिलाने लगी..,
कमरे में आहहें गूंजने लगी, माहौल बहुत गरमा गया था, तक कर आंटी ने अपनी चूत का ढक्कन खोल दिया, और अपना चूत रस मेरे मुँह के हवाले कर दिया..!
वो कुछ देर अपनी गान्ड का वजन मेरे मुँह पर डाले रही जब तक एक-एक बूँद रस उनकी चूत से बाहर नही आ गया फिर अपनी गान्ड के छेद को सिकोडकर वो मेरे उपर से उठ गयी..,
खुशी अपनी चूत पर चान्टे मारते हुए बोली – आअहह…भैया आओ ना प्लीज़ चोदो मुझे, बहुत चुन-चुनी हो रही है इसमें…!
मेने मुस्कराते हुए खुशी की टाँगों को उपर उठाया, उसकी गान्ड के नीचे एक तकिया लगाकर मेने अपना दहक्ता सुपाडा उसकी गरम चूत के मुँह पर सताया और एक करारा सा धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
काफ़ी दिनो बाद लंड ले रही उसकी चूत मेरे खूँटे जैसे मोटे लंड के आधे तक जाते ही चर-चरा उठी.., खुशी के मुँह से दर्द भारी कराह निकल पड़ी…ऊहह… म्म्माआ… मार्र..डाल्लाअ…उउउफफफ्फ़…आहह…!
सेठानी उसके बगल में आकर बैठ गयी और उसकी चुचियों को सहलाते हुए बोली- मेरी फूल सी बच्ची की चूत फाड़ दी तुमने.., कैसे निर्दयी हो तुम…फिर उन्होने मेरे बचे हुए लंड को अपनी उंगलियों से टटोलते हुए कहा…
बस बेटी, आधा तो गया, थोड़ा और सहन कर, फिर मज़ा ही मज़ा.., उउउन्न्ं… ऐसे मोटे-ताज़े सोटे जैसे लंड से चुदने का मज़ा ही कुछ और है..!
अपनी माँ की इतनी कामुक बातें सुनकर खुशी ने भी अपनी खुशी से कमर उपर करदी, इधर मेने भी धक्का जड़ दिया और पूरा का पूरा लंड खुशी की संकरी सी गली में समा गया…!
खुशी का मुँह फटा का फटा रह गया, दर्द से वो एक बार फिर बिल-बिला उठी.., लेकिन मेने रुकना उचित नही समझा और हल्के हल्के धक्के देना जारी रखा..,
कुछ धक्कों के बाद खुशी की मुनिया भी खुशी से लार छोड़ने लगी, अब वो भी मज़े ले-लेकर अपनी कमर उचकाने लगी..,
मेरे -तोड़ धक्कों को खुशी की चूत ज्याद देर नही झेल पाई, और उसने अपनी कमर हवा में उठाकर अपना पानी छोड़ दिया..!
फिर जैसे ही उसकी कमर बिस्तर से लगी, मेने सेठानी को उसके उपर ही घोड़ी बना दिया, और पीछे से उनकी मोटी गान्ड के पाटों के बीच अपना लंड फँसा कर नीचे को रगड़ता ले गया..,
मंज़िल पर पहुँचते ही उनकी रस से सराबोर चूत में वो सर्र्र्र्र्र्र्ररर…से सरक गया..,
ना जाने सेठानी की चूत ने कब्से लंड के दर्शन नही किए थे, एक साथ मेरे मोटे ताजे डंडे जैसे सख़्त लंड की मार वो नही झेल पाई और बुरी तरह से रंभाने लगी..!
आअहह….बेटा मर् गयीइ.., फट गयी मेरी चूत.., थोड़ा रूको मेरे राजा...,
मेने अपना आधा लंड उनकी चूत में चेंपे रखा और पीछे से उनकी बड़ी-बड़ी लटकती हुई चुचियों को अपने हाथों से मसल्ने लगा…!
उधर नीचे से खुशी ने अपनी माँ के होठ चूसने शुरू कर दिए, अपना एक हाथ नीचे ले जाकर वो अपनी माँ की चूत की क्लिट को सहलाने लगी…,
चौतरफ़ा हमले से सेठानी जल्दी ही अपनी चूत के दर्द से उभर आई.., अब उनकी चूत फिरसे गीली होने लगी थी..,
मज़ा आते ही उन्होने अपनी गान्ड को मटकाया, इशारा जानकार मेने एक भरपूर धक्का अपनी कमर में लगा दिया..,
एक ही झटके में मेरा पूरा मूसल सेठानी की चूत में समा गया.., सेठानी के मुँह से दर्द भरी कराह निकल पड़ी..,
लेकिन मेने धीरे-धीरे अपने धक्के जारी रखे, अब वो जल्दी ही लय में आ गयी, और अपनी गान्ड पटक-पटक कर चुदने लगी..!
खुशी ने नीचे की तरफ सरक कर अपनी जीभ की नोक अपनी मम्मी की चूत पर रख दी, अब वो उनकी चूत के साथ साथ अंदर बाहर हो रहे मेरे लंड को साथ के साथ चाटने लगी…!
सेठानी की चूत लगातार पानी छोड़ने लगी थी, जो खुशी की जीभ से होता हुआ उसके मुँह में जा रहा था..,
सेठानी के साथ साथ मुझे भी बहुत मज़ा आरहा था..,
विस्की का असर उपर से मेरे लंड की जग जाहिर ताक़त के आगे सेठानी भी जल्दी पानी छोड़ बैठी..,
मेने अपना लंड उनकी चूत से निकालकर खुशी के मुँह में डाल दिया.., और एक दो झटकों में ही अपने लंड का रस उसे पिला दिया..,
आधे से ही सेठानी ने भी मुँह खोल दिया और रहा सहा वीर्य वो भी गटक गयी…!
कुछ देर के इंटर्वल के बाद दूसरा राउंड शुरू हो गया.., एक के बाद दूसरी, फिर कुछ देर रुक कर दूसरा राउंड, इस तरह से मेने उन दोनो को जमकर चोदा..,
सेठानी तो दो राउंड में ही हार मान बैठी और एक किनारे पर लंबी हो गयी, कुछ ही देर में उनके खर्राटे गूंजने लगे..,
उसके बाद कुछ देर खुशी और मे नंगे मस्ती करते रहे, एक दूसरे के अंगों से छेड़ छाड़ करते रहे, नतीजा, एक बार फिर से मेरा मूसल अकड़ने लगा,
इस बार खुशी को अपनी गोद में लेकर मेने अपना लंड उसकी चूत में चेंप दिया, एक राउंड मेने और खुशी ने लगाया, वो भी तीसरे राउंड तक हाथ जोड़ने लगी..,
आख़िर थक कर चूर हम भी एक दूसरे में बिन्धे नितन्ग नंगे ना जाने कब नींद में डूब गये,
जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 7 बज चुके थे, वो दोनो अभी भी खर्राटे ले रही थी, उन्हें सोता छोड़ मे वहाँ से चुप-चाप खिसक लिया…!
वहाँ से सीधा में अपने घर आया जहाँ मेरा बेसब्री से इंतेजार हो रहा था.., मे फ्रेश होकर आया तब तक नाश्ता तैयार हो चुका था..,
ब्रेकफास्ट लेकर हम सब ने मधु आंटी से विदा ली…!
वक़्त हाशी खुशी में अच्छे से बीत रहा था, निशा की डेलिवरी का वक़्त नज़दीक आता जा रहा था, ऐसे में अब उसका ज़्यादातर समय बिस्तर पर ही गुज़रता था..!
भाभी ने फोन करके अपनी भाभी को बुलवा लिया, जिसे राजेश भाई अपनी तरफ से ही छोड़ गये निशा की डेलिवरी में भाभी की मदद करने के लिए…!
वैसे तो अपना भरा पूरा परिवार था, सभी चाचियाँ भी मिल-जुल कर हर काम में मदद करती ही थी, लेकिन हर समय तो कोई साथ नही रह सकती थी, उनके भी अपनी घर गृहस्ती के काम रहते थे….!
मे शाम को जब घर पहुँच तो सभी ओर सन्नाटा पसरा हुआ था, अंदर जाने पर पता चला कि मेरे कमरे से ही बातों की आवाज़ आ रही थी..,
मे सीधा अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, दरवाजे से ही जब मेने देखा तो निशा लेटी हुई थी, भाभी उसके बगल में बैठी थी, और उसके सिर की तरफ पलग के नीचे एक चौकी पर उनकी भाभी बैठी आपस में बात चीत कर रही थी…!
मेने उन्हें देखते ही हाथ जोड़कर नमस्ते की, वो फ़ौरन अपनी जगह से उठी और आगे बढ़कर मेरे पैर पड़ने लगी..,
मेने उनके दोनो मांसल बाजुओं को पकड़ कर रोकने की कोशिश करते हुए बोला – अरे..अरे..भाभी जी ये आप क्या कर रही हैं, मे तो आपसे छोटा हूँ…!
उनके जबाब देने से पहले भाभी बोल पड़ी, लल्ला ये अपने समाज का रिवाज है, दामाद के पैर हर कोई छुता है, अब वो चाहे उमर में बड़ा हो या छोटा..!
जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तब मेने उनपर एक भरपूर नज़र डाली.., क्या फिगर मेनटेन किया था, या यौं कहो, घर के काम काज की वजह से हो…!
हाइट तो उनकी वैसे भी भाभी और निशा से भी 21 ही थी.., हर समय घर के अंदर रहने से रंग भी निखरा हुआ था…!
लेकिन सबसे बड़ी जो चीज़ थी वो थी उनकी चुचियाँ और कूल्हे.., एक दम परफेक्ट…34-30-36 का फिगर 5’7” की हाइट, पेट पर लेशमात्र को भी चर्बी नही..,
सिल्क साड़ी में वो इस समय कामदेवी लग रही थी.., मुझे यौं घूरते देख कर मोहिनी भाभी शरारत करने से भला कैसे चूकती..,
क्यों लल्ला.., सलहज को रसगुल्ला समझकर चट करने का विचार है.., माना कि नीलू भाभी खूबसूरत हैं, फिर भी इतना तो मत ताडो कि बेचारी खड़े-खड़े ही…????
अपनी बात अधूरी छोड़कर वो खिल-खिलाकर हँसने लगी, उनका साथ दिया निशा ने.., वहीं सलहज साहिबा शर्म से पानी-पानी..,
मे तो अपनी कहूँ क्या, भाभी ने एक मिनट में ही अपनी इज़्ज़त का भाजी पड़ा बना दिया, झेंप कर सीधा कपड़े बदलने बाथरूम की तरफ..!
पीछे से नीलू भाभी की आवाज़ कानों में पड़ी – क्या दीदी आप भी ना, कैसा-कैसा मज़ाक करती हैं, बेचारे जीजा जी क्या सोच रहे होंगे मन में..? कितना बुरा लगा होगा उन्हें..?
भाभी – उनकी तुम चिंता मत करो नीलू भाभी, हम देवर भाभी के बीच ऐसी नोक-झोंक तो होती ही रहती है, वैसे भाभी मेरा देवर भी किसी हीरो से कम नही है.. क्या कहती हो..?
नीलू – सही कहा आपने दीदी, छोटी ननद रानी बड़े भाग वाली हैं, जो अंकुश जी जैसा पति मिला है..,
भाभी – अरे ये भी मेरा ही काम है, मेने इन दोनो को एक करने के लिए क्या-क्या पापड बेले हैं पता है..?
निशा – रहने दो दीदी, मत मूह खुलवाओ मेरा, बड़ी डींगे हांक रही हैं, अपने और अपने देवर के बारे में.., याद है छोटे जीजा जी की शादी में मुझे देखते ही लट्टू हो गये थे मेरे उपर…!
भाभी – अच्छा मेरी बन्नो, तू क्या कम लट्टू थी उनपर, और पता है भाभी.., मेने ही बाबूजी और पिताजी को साफ-साफ बोल दिया था.., कि देवर्जी के लिए निशा ही दुल्हन बनके इस घर में आएगी हां..!
नीलू – हां मुझे पता है दीदी, सच में आपने इस घर को स्वर्ग बना रखा है.., आपके बहुत एहसान हैं इस घर पर..,
आप दोनो बहनें इतने प्यार से एक साथ रहती हैं, वरना मेने देखा है जहाँ दो सग़ी बहनें एक ही घर में व्याही हों, वो कभी चैन से नही रह पाती..,
ये सब आपके प्रेम और त्याग का ही नतीजा है, वरना आजकल घर टूटने में देर नही लगती..!
मोहिनी भाभी थोड़ा सीरीयस हो गयी, अपनी आँखों में पानी लाकर बोली – जब में इस घर में व्याह कर आई थी.., ये मेरा देवर एक छोटा सा निक्कर पहन कर घूमता था..,
मेरा गौना होते ही माजी इसे मेरे हवाले करके चल बसी.., उस समय मेरी भी क्या उमर थी.., मे भी तो एक बच्ची ही थी.., लेकिन बाबूजी ने मेरे उपर भरोसा जताया.., सारा जिम्मा मेरे सिर डाल दिया..,
ये मेरा देवर इत्ता सा हर समय भाभी माँ.., भाभी माँ.., करके मेरी उंगली थामे घूमता था.., मेने भी इसे अपने छोटे भाई से बढ़कर अपने बेटे जैसा प्यार दिया..,
रामा भी कोई ज़्यादा समझदार नही थी, दोनो भाई-बेहन को अपनी माँ की कमी महसूस ना हो, इसलिए मे इन दोनो का ध्यान रखती थी..,
इस वजह से रूचि के पापा को भी समय नही दे पाती थी.., हम दोनो की पहली रात भी शादी के ढाई साल बाद मनाई थी..!
नीलू – क्या..? आपकी सुहागरात शादी के ढाई साल बाद मनाई थी..?
भाभी – हां ! क्योंकि मेरा ये लाड़ला हर समय मेरे साथ ही सोता, उठता, बैठता था, वो भी तब दूसरे शहर में नौकरी करते थे, सॅटर्डे-सनडे आते भी थे..
लेकिन उनके भाई बेहन को बुरा ना लगे, कुछ थे भी शर्मीले जो आज भी हैं, ये कहते हुए भाभी मुस्करा गयी.., लेकिन जल्दी ही फिरसे सीरीयस होकर बोली…
लेकिन रामा तब तक कुछ समझने लगी थी, उसने लल्ला को पढ़ाने के बहाने से अपने पास सुलाना शुरू कर दिया, और हमें तब जाकर
सुहागरात मनाने का मौका मिला..,
भाभी की बातें सुनकर निशा और नीलू भाभी की आँखें भर आई.., फिर वो भर्राये स्वर में बोली –
सच में दीदी, आपके त्याग का ही नतीजा है जो आज ये घर सुखी और संपन्न है.., धन्य हैं आप..!
मे कब्से दीवार की ऑट लिए ये सब सुन रहा था, अपने बचपन से गुज़रते हुए अब तक के सारे सीन जो भाभी के आँचल में गुज़ारे थे, वी सब मेरी आखों के सामने घूम गये..,
उन बातों को याद करके मेरी आँखों से आँसुओं की दो बूँद टपक पड़ी..,
तभी भाभी फिर आगे बोली – लेकिन मेरे लाड़ले देवर ने भी मेरे त्याग और प्रेम का पूरा सम्मान मुझे दिया है.., मे सीना तानकर कह सकती हूँ कि मेरे देवर के बराबर कोई भी काबिल नही है..!
ना मेरे पति और ना बड़े लल्ला.., इसने वो..वो कारनामे करके दिखाए हैं, जो आम इंसान कभी नही कर पाएगा..!
उपर जाकर माजी से नज़रें मिलकर कह सकूँगी कि मेने अपना फ़र्ज़ अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी निष्ठा से निभाए हैं..!
भाभी की बात सुनकर मेरा धैर्य जबाब दे गया, ऑट से बाहर निकल कर अपनी रुलाई पर काबू पाने का भरसक प्रयास करते हुए मेने उनसे कहा
बस करिए भाभी.., अगर फिर कभी आपने उपर जाने की बात की तो अपने इस लाड़ले का मरा मूह देखोगी…!
मेरी बात सुनकर भाभी एक झटके से खड़ी हो गयी.., मेरे गाल पर एक झन्नाटे दार थप्पड़ जड़ते हुए उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया..और भर्राये स्वर में बोली –
खबरदार फिर कभी अपने मूह से मरने की बात निकाली तो, एक बार अपनी जान जोखिम में डाल कर तुझे पाया है..,
अरे पगले, मे तो ये बात की बात में बोली – एक ना एक दिन तो सबको ही जान होता है.
मेने भाभी को ज़ोर्से कस लिया और उनके कंधे पर अपना सिर टिका कर बोला – अपने से पहले तो मे आपको किसी सूरत में नही जाने दूँगा..,
भाभी ने मेरे कंधे पकड़कर अपने से अलग किया और मेरी आँखें पोन्छ्ते हुए बोली – उमर में तुम बड़े हो कि मे..?
हम दोनो की बातों से निशा और नीलू भाभी की आँखें भी भर आई थी, माहौल को बदलने की गर्ज से निशा अपने आँसू पोन्छ्ते हुए बोली…
ये मरने गिरने की बातें छोड़ो अब आप दोनो.., और राजे ये बताओ कि हमारी भाभी आपको कैसी लगी..?
माहौल फिरसे खुशनुमा हो उठा, निशा की बात का जबाब देते हुए मेने कहा – क्या कहा तूने.., तुम्हारी भाभी.. ? तो फिर मेरी क्या हैं..?
फिर नीलू भाभी के सामने ज़मीन पर बैठ कर उनकी आँखों में आँखें डालते हुए मेने कहा – सच कहूँ तो ये पहले से कहीं ज़्यादा हॉट और नमकीन लग रही हैं..,
और हां भाभी आपने सच ही कहा था, मुझे तो ये इस समय बंगाली रसगुल्ला ही लग रही हैं, जी कर रहा है पूरी की पूरी चट ही कर जाउ…!
मेरी बात सुनकर जहाँ निशा और भाभी ठहाका मार कर हँसने लगी, वहीं नीलू भाभी अपना चेहरा अपने हाथों के पीछे च्छुपाकर बुरी तरह शर्मा गयी…!
दूसरी सुबह, अपनी दिनचर्या के हिसाब से मे खुले आँगन में अपनी एक्सर्साइज़ कर रहा था, मे एक स्पोर्ट शॉर्ट और शोल्डर तक की बॉडी फिट टीशर्ट पहने हुए था..,
एक्सर्साइज़ करते-करते मेरा शरीर पसीने से तर हो चुका था, जिससे मेरे वो दोनो कपड़े भी बदन से एक दम चिपक गये थे..,
मेरी बॉडी की कसावट उसके अब्ब्स साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, ना जाने कब से नीलू भाभी किचन की विंडो में खड़ी-खड़ी टक-टॅकी लगाए मेरे बदन को घूर रही थी..!
स्लॅब के साथ खड़ी भाभी काम करते हुए उनसे बातें करती जा रही थी, जिनका जबाब वो बस हां.. हूँ में ही दे रही थी, सच बात तो ये थी कि उनका ध्यान बातों की तरफ कम, मेरी तरफ ज़्यादा था..!
भाभी ने उनके बेटे के बारे में पुछा – और नीलू भाभी तुम्हारा बेटा हिमांशु तो बड़ा हो गया होगा अब, कॉलेज जाता है कि नही..? कोंसि क्लास में है वो अब….,
लेकिन नीलू भाभी की तरफ से कोई जबाब ना पाकर भाभी ने पलट कर उनकी तरफ देखा, वो निरंतर मुझे ही घूरे जा रही थी..,
ये देखकर भाभी के चेहरे पर स्माइल आ गयी, वो चुपके से उनके पीछे जेया पहुँची, और धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया..,
लेकिन नीलू भाभी की तरफ से कोई जबाब ना पाकर भाभी ने पलट कर उनकी तरफ देखा, वो निरंतर मुझे ही घूरे जा रही थी..,
ये देखकर भाभी के चेहरे पर स्माइल आ गयी, वो चुपके से उनके पीछे जेया पहुँची, और धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया..,
नीलू भाभी एकदम से उच्छल पड़ी, मानो किसी बिच्छू ने उन्हें डॅंक मार दिया हो.., उन्होने पलट कर भाभी की तरफ देखा और फिर अपनी नज़र झुका कर बोली – आपने कुछ कहा दीदी.., ?
भाभी उनके चेहरे पर नज़र गढ़ाए हुए मुस्करा कर बोली – कहा तो था लेकिन लगता है तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की बजाय कही और ही है..,
नीलू भाभी हकलाते हुए बोली – नही…वो..हां.., मे वो नंदोई जी को कसरत करते हुए देख रही थी, कितनी कसरत करते हैं, देखो तो दीदी कितना पसीना निकाल रहे हैं..,
भाभी – हां ! और ये आदत भी इन्हें मेने ही डलवाई है.., शुरू से ही मेने इनका खाने पीने का ख़याल रखा, लेकिन शुरू शुरू में मेहनत बिल्कुल नही करते थे ये..,
जब ये 6-7वी क्लास में ही थे तो इनके कॉलेज में आन्यूयल गेम में इनका डील-डौल देखकर इनके टीचर्स ने इन्हें कबड्डी की टीम में रख लिया..,
फाइनल में इनकी क्लास का मुकाबला 8वी क्लास के साथ था, इनके टीम के और बच्चे सामने वाली टीम के सामने छोटे बच्चे जैसे ही थे,
सो पूरी टीम पस्त हो गयी लेकिन अंत तक लल्ला ने हार नही मानी, और अकेले के दम पर मॅच जितवा दिया..,
घर आकर जब रामा ने बताया, तभी से मेने इनको कसरत करने की आदत डाल दी और देखो अभी तक वही पड़ी हुई है.., क्यों तुम्हारे हिसाब से ये सब ठीक नही है क्या..?
नीलू भाभी तपाक से बोली – नही..नही…बहुत अच्छी आदत है ये तो, मे तो बस ये कह रही थी कि इतना पसीना बहाना क्या ठीक है..? देखो तो कैसा बाल्टी भर निकल रहा है…,
भाभी – अभी तुमने इनकी खुराक नही देखी है.., इसके बाद 1 लिटेर बादाम वाला दूध भी तो पीना है.., वो भी घी और दो अंडे डालके..,
तो उसे पाचाने के लिए मेहनत तो करनी चाहिए वरना खंखा चर्बी बढ़ेगी..,
वैसे तुम्हें कैसा लगा मेरे देवर का शरीर, कहीं से कोई कमी तो नज़र नही आई..?
नीलू – बिल्कुल भी नही, एकदम परफेक्ट बॉडी है जीजा जी की.., फिर नज़र झुका कर बोली – इनफॅक्ट कोई भी औरत ऐसा मर्द पाने की कामना ज़रूर करती होगी..,
भाभी ने चुटकी लेते हुए कहा – तो शायद इसलिए तुम्हारा ध्यान मेरी बातों की तरफ नही था है..ना…!
नीलू – नही ऐसी बात नही है दीदी, आप तो मेरी टाँग खींचने लगी..,
भाभी – नही मेरी प्यारी भौजाई, मे तुम्हारी टाँग नही खींच रही, सच्चाई बयान कर रही हूँ, अभी अभी तो तुमने खुद ही कहा कि ऐसा मर्द पाने की हर औरत की कामना होती है…!
जानती हो इस मर्द को ऐसा बनाने में मेने खुद कितनी मेहनत की है…., और फिर भाभी ने नीलू को वो सच्चाई बताई, कि वो कैसे मेरे उपर सवार होकर मेरी मालिश किया करती थी.., और मेरे कॉलेज जाने तक करती रही थी..,
नीलू ये सच्चाई सुनकर सन्न रह गयी, फिर कुछ सोच कर हिचकते हुए बोली – दीदी इतनी उम्र तक जब आप इनकी मालिश करती रही थी तो आप अपनी भावनाओं पर काबू कैसे रख पाती होंगी..,
सच सच बताना दीदी, क्या आपका मन कभी नही भटका था इनकी चढ़ती जवानी देखकर..? आप भी तो उस वक़्त नयी नयी जवान थी..,
भाभी कुछ देर मौन रही, फिर एक प्यारी सी स्माइल अपने चेहरे पर लाकर बोली – क्या मे किसी आम औरत से अलग हूँ..?
नीलू थोड़ा उत्साहित होते हुए बोली – तो क्या आप…ने…? मेरा मतलब कैसे सब कंट्रोल किया अपने उपर..?
भाभी – तुम अभी उस तरह की ज़िम्मेदारियों से गुज़री नही हो नीलू, तुम्हारी शंका निराधार नही है, कभी कभी तो लल्ला का वो हथियार एकदम तन्कर खड़ा ठीक मेरी नज़रों के सामने होता था..,
ऐसा लगता था मानो अंडरवेर फाड़कर सामने वाली की फाड़कर रख देगा.., ये कहकर वो खिल-खिला पड़ी.., फिर कंट्रोल करते हुए बोली –
लेकिन इनकी उम्र और अपनी ज़िम्मेदारियों ने मुझे कभी अपनी सीमायें लाँघने नही दिया..,
ये बात सुनकर नीलू की साँसें तेज-तेज चलने लगी, उसकी चूत में सुरसूराहट सी होने लगी.., अपने मनोभावों पर कंट्रोल रखते हुए वो बोली – लेकिन कॉलेज तक तो ये पूरे जवान हो गये होंगे, तब भी…!
भाभी ने गहरी नज़र से नीलू को घूरते हुए मुस्करा कर कहा – तुम इतना क्यों इंटेरेस्ट ले रही हो उनकी जवानी में, कहीं तुम्हारा मन तो नही आगया मेरे शेर की जवानी पर..,, आनन्न…बोलो..!
नीलू भाभी की बात सुनकर बुरी तरह झेंप गयी, अपनी नज़रें नीची करके मंद-मंद मुस्कराने लगी..!
भाभी ने उसे उकसाते हुए कहा – वैसे कोशिश कर सकती हो, रिस्ता भी बनता है नंदोई के साथ हसी मज़ाक, मौज मस्ती का.., एक बात मे तुम्हें बता दूँ, लल्ला का दिल भी बहुत बड़ा है,
सबके लिए प्यार है उनके दिल में.., और फिर अभी तो तुम्हारी ननद भी इस काबिल नही है, सांड फ्री है इस समय, तो मार सको तो मार लो मौके पे चौका..,
इतना कहकर भाभी ने ज़ोर्से नीलू की मखमल जैसी थिरकती गान्ड मसल दी और खिल-खिलाकर हस्ती हुई अपने काम में लग गयी…!
भाभी ने मज़ाक-मज़ाक में नीलू को हिंट दे दी थी, लेकिन नीलू अपनी ससुराल में सास-ससुर के रहते हुए ज़्यादा खुल नही पाई थी.., पर अब भाभी के खुले मज़ाक ने उसे आगे बढ़ने की हिम्मत दे दी थी..,
मेने अपनी कसरत पूरी कर ली थी, और अब अपना टॉप निकाल कर उसी से पसीना पोंच्छ रहा था, मौका ताडकर नीलू एक टवल लेकर मेरे सामने पहुँची और उसे मेरे हाथ में पकड़ाते हुए बोली…!
जो चीज़ जिस काम के लिए होती है, वो काम उसी से करना चाहिए जीजा जी..,
मेने तैलिया उनके हाथ से लेते हुए कहा – थॅंक्स भाभी, वैसे ये टी-शर्ट भी धुलने वाली है, तो सोचा इसी से पोन्छ लूँ.., ये कहते हुए मे टवल से अपना पसीना पोंच्छने लगा,
पसीना पोंचछते हुए मेरी नज़र उनके सुडौल चुचियों पर जम गयी, जो इस समय एक खुले गले की मिडी में कसे अपनी गहरी खाई दर्साते हुए बयान कर रहे थे कि दोनो तरफ की चट्टानें कैसी हैं....,
मेने उनपर नज़र गढ़ाए हुए द्विअर्थि मज़ाक करते हुए कहा – वैसे चीज़ों का सही सही इस्तेमाल करना तो कोई आपसे सीखे..,
मेरी नज़र और बात का मतलब समझते हुए वो पहले तो शरमा गयी, लेकिन पलट कर मज़ाक में ही जबाब देते हुए बोली…!