Update 74
याद रखना, वो थोड़ा टेडा आदमी है.., अब तुम जानो ये काम कैसे करना है तुम जानो.., अगर तुम ये पॅकेट उसे देकर पेमेंट ले आए तो उसमें से 10% यानी 1 लाख तुम दोनो का इनाम…!
अब तक शांत बैठा संजू बोला – टेढ़े के लिए हम भी टेढ़े हैं, उसकी आप चिंता मत करो.., बस आप अपना प्रॉमिस याद रखना..!
लीना – हां..हां.., क्यों नही.., चाहो तो उसमें से 1 लाख अपने निकाल कर ही देना मुझे….,
संजू – मे पैसे की बात नही कर रहा…, जो आपने कुछ देर पहले वादा किया था.. स्पेशल इनाम का हमारे लौटने के बाद…!
लीना खिल-खिलाकर हँसते हुए बोली – आई…शाबास…, तो संजू शिंदे को भी वो गिफ्ट चाहिए.., चलो तुम भी क्या याद करोगे.., किस रईस से पाला पड़ा है.., तुम दोनो की तमन्ना ज़रूर पूरी की जाएगी…
तुम्हरे आज के इम्तिहान में सफल होने की खुशी में मेरी तरफ से एक स्पेशल पार्टी तय.., जो खाना चाहो.., पीना चाहो…, और जो…भी…, आज रात लूसी भी हमारे जश्न में शामिल होगी…!
लीना ने लूसी की मोटी गान्ड दबाते हुए कहा – क्यों लूसी तुम्हें तो कोई प्राब्लम नही..?
आययईीी मेडम…जैसा आप कहो.., इतना कहकर लूसी अपनी गान्ड सहलाते हुए वहाँ से अपनी गान्ड हिलाती हुई किचन में भाग गयी…!
चाय नाश्ते के बाद उन दोनो ने लीना से पॅकेट लिए और विदा लेकर उसके फ्लॅट से निकल लिए…!
बाहर आकर संजू ने कहा – युसुफ भाई देखो तो सही ऐसा क्या इन पॅकेट में जिसकी कीमत 10 लाख रुपये है…!
युसुफ – अरे यार तू रहेगा पक्का भोन्दु ही.., अब क्लब वाले को सोना या हीरे मोटी तो भेजेगी नही.., कुछ ना कुछ नशे-पत्ते की ही चीज़ होगी.., चल देखते हैं.., इसको कैसे निपटाना है…!
और सुन.., जब तक कोई ऐसी वैसी प्राब्लम खड़ी ना हो तब तक भड़कने का नही.., समझा.., मौके के हिसाब से काम लेना है हमें..,
याद रहे ये अपना पहला ऐसा काम है जिसमें अच्छा ख़ासा धन के साथ साथ..दो दो मस्त जवानियाँ भोगने को मिलने वाली हैं..
इसलिए किसी भी सूरत में हमें फैल नही होना है.., बस थोड़ा अपने आप पर संयम रखना…ओके..
संजू – अरे यार युसुफ भाई तुम इतना डरते काहे को हो.., चलो देखते हैं क्या हालत बनते हैं वैसा ही करेंगे., आप फिकर मत करो.. सब ठीक ही होगा…!
युसुफ – खुदा करे सब ठीक ही हो.., इस तरह बातें करते हुए वो दोनो निकल पड़े अपनी मंज़िल की ओर…..!
हिना क्लब & बार, मुंबई की घनी आबादी के बीच.., दिन छिप्ते ही यहाँ नशेडियों की भीड़ जमा होने लगती है..,
अभी दिन छिप्ने में देरी थी इस वजह से बार अभी लगभग खाली ही था.., इक्का-दुक्का ग्राहक शांति से अपनी टेबल पर बैठा था..!
युसुफ और संजू सीधे रिसेप्षन काउंटर पर पहुँचे.., काउंटर पर बैठे आदमी ने उनसे सवाल किया – बोलो क्या चाहिए…?
युसुफ – हमें अब्बास भाई से मिलना है…
वो – काहे कू…?
यूसुस अपने हाथों में दबे पॅकेट्स की तरफ इशारा करते हुए – ये पॅकेट उनको देने का है…!
वो – क्या है इनमें…?
संजू – ओये स्याने.., ज्यास्ती सवाल जबाब नही करने का, उसकू बोल.., दो लोग मिलने को आएला हैं.., लीना मेडम ने पॅकेट भेजेला है, वो समझ जाएँगा…!
वो अकड़ कर बोला – ओये लौन्डे…, इधर ज्यास्ती नही बोलने का.., समझा क्या.., वरना बाद में पछ्ताने का भी समय नही मिलता…!
युसुफ ने बीच में कूदते हुए कहा – जाने दे भाई, छोकरा नादान है.., तुम अब्बास भाई को हमारे आने की खबर दो…!
वो संजू की तरफ खा जाने वाली नज़र से घूरते हुए बोला – चल ठीक है.., तुम इधेर एच खड़ा रहने का, मे अभी बोलके आता…!
कोई दो मिनट बाद ही वो एक दरवाजे के पीछे से निकल कर आते ही बोला – जाओ तुम लोग, भाई अंदर ही बैठेला है.., और सुनो.., तुम लोग के पास कोई हथियार, वथियार तो नही…?
युसुफ ने ना में गर्दन हिलाई और संजू का हाथ पकड़ कर उस बंद दरवाजे की तरफ बढ़ गया…!
रास्ते में.., तू तो आते ही शुरू हो गया.., किसी दिन बेमौत मरवाएगा.. युसुफ ने उसे समझाते हुए कहा…
अभी संजू कोई जबाब देने ही वाला था कि तभी वो दोनो दरवाजे के उसपार जा पहुँचे.., अंदर एक ऑफीस नुमा कमरा था जहाँ एक सोफे के आगे एक टेबल था, साथ में दो चेयर पड़ी थी…!
सोफे पर एक मध्यम कद काठी का पक्के रंग वाला उमर कोई 40 साल जिसके नाक के पास एक चाकू का निशान था, लाल लाल आँखों वाला व्यक्ति जो शायद अब्बास ही था.. लगभग पूरे सोफे पर पसरा हुआ बैठा था…!
साथ की चेर्स पर दो और लोग भी थे, जो शायद उसके खास चम्चे होंगे…!
उन दोनो को देखते ही अब्बास बोला – आओ रे तुम लोग.., बैठो.., क्या लोगे.., विस्की, रम या देशी…?
युसुफ ने आगे बढ़कर उसे सलम्बलेकुम बोला और जाकर उसकी बगल में बैठते हुए बोला – नही भाई इस टेम हम लोग कुछ नही लेते..,
ये पॅकेट भेजे हैं लीना मेडम ने आपको देने के वास्ते..,
अब्बास पॅकेट टेबल पर रखवा कर बोला – माल तो अच्छा है कि नही..?
युसुफ – हमें नही पता भाई.., आप खुद ही चेक कर्लो…
अब्बास एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए बोला – देख अह्मेद एक पॅकेट खोल के चेक कर.., माल अच्छा होएंगा तभी..च लेगा अपुन.., वरना और बहुत हैं देने वाले...
आहेमद ने चाकू की नोक से पॅकेट की सील तोड़ी, जिसमें सफेद पाउडर की थैलियाँ भरी हुई थी, उनमें से एक थैली निकाल कर उसको खोला.. थोड़ा सा पाउडर एक 1000 के नोट पर रख कर उसने उसे सूँघा…!
माल तो कड़क है भाई.., लगता है इंपोर्टेड है…, इतना कहकर उसने वो नोट अब्बास को थमा दिया.., उसने भी चेक किया और बोला… सही बोला तू…इंपोर्टेड है…
लीना साली जैसी खुद कड़क है वैसा इच माल रखती है…, चल ठीक है.., वो ड्रॉस से 5 गॅडी निकाल कर ये छोकरा लोग को दे दे…!
युसुफ – 5 गड्डी मतलब…?
अब्बास – 5 पेटी… बोले तो 5 लाख…,
युसुफ – लेकिन मेडम तो 10 लाख बोली लाने को…!
अब्बास – आए स्याने.., 5 लाख बोला तो 5 लाख.., एक पैसा ज्यास्ती नही.., ये पकड़ और कट ले इधर से वरना.., पैसे भी जाएँगे और माल भी…, बोल देना अपनी मेडम को…इससे ज्यास्ती नही मिलेगा…!
अब्बास की धमकी भरी बातें सुनकर युसुफ को होठ खुश्क हो गये.., उसके मूह पर मानो ताला चिपक गया हो.., लेकिन तभी संजू बोल पड़ा…!
ये तो ग़लत बात है.., 10 लाख का माल 5 लाख में कैसे दे सकते हैं.., चलो युसुफ भाई माल उठाओ.., चलते हैं यहाँ से..., इतना कहकर उसने एक पॅकेट की तरफ हाथ बढ़ा दिया…!
इससे पहले की संजू पॅकेट से हाथ लगा पाता कि बाजू में खड़े अहेमद ने उसकी कलाई थाम ली, उसे मजबूती से पकड़ कर बोला – शेर के मूह से गोस्त निकालना चाहता है लौन्डे…!
अब तक युसुफ भी अपनी जगह से खड़ा हो चुका था.., वो बात संभालने के लिए बीच में कुछ बोलना चाहता था…,
लेकिन संजू को इतना कहाँ सहन होना था.., बिना अंजाम की परवाह किए उसने उल्टे हाथ का मुक्का अहेमद की नाक पर दे मारा…!
मानो कोई हथौड़ा पड़ा हो उसकी नाक पर.., उसके सिर के चारों ओर चिड़ियाँ सी चहकने लगी..,
वो अपने होश ठिकाने नही रख पाया बेचारा, नाक से खून की धार निकल पड़ी, उसकी कलाई छोड़कर वो पीछे को उलट गया…!
अपने एक साथी को गिरते देख अब्बास अपनी जगह से उठना ही चाहता था कि उसे युसुफ ने दबोच लिया.., वो दोनो सोफे पर ही गुत्थम-गुत्था हो गये…!
दूसरा बंदा जो अभी तक चेयर पर ही बैठा था.., फ़ौरन उठ खड़ा ही नही हुआ.., वो संजू की तरफ लपका…!
झपट कर उसने पीछे से संजू के गले में अपनी बाजू लपेट दी.., अपनी गर्दन पर दबाब डालते हुए बोला – बहुत उच्छल-कूद कर रहा है साले.., अब देख कैसे बच के जाएगा यहाँ से…!
संजू को अपने गले की नसें दबने लगी.., उसने उस बंदे को पीछे धकेलना शुरू किया.., गर्दन पर उसका दबाब पल-प्रतिपल बढ़ रहा था…!
पूरा दम-खम लगाकर संजू ने उसे टीवी शो केस पर ले जाकर अपनी पीठ का भार देकर दबा दिया…!
शो केस का एक कोना उसकी पीठ में लगा.., दर्द से वो बिल-बिला उठा और उसके बाजू की पकड़ संजू के गले पर ढीली पड़ गयी…!
मौके का फ़ायदा उठाकर उसने अपने आप को आज़ाद किया.., पलट कर अपने घुटने का भरपूर बार उसके पेट पर किया.., दर्द से वो आगे को दोहरा हो गया.., उपर से संजू का दुहत्थड उसकी गर्दन पर पड़ा…!
दुहात्ताड़ पड़ते ही वो ज़मीन पर मूह के बल गिर पड़ा.., अब उसमें जल्दी से उठ पाने की शक्ति नही थी…!
उधर यसुसफ अब्बास के मुक़ावले कमजोर पड़ रहा था.., नीचे से अब्बास ने अपने घुटने मोड़ कर उसे उपर उठने पर मजबूर कर दिया.., अभी भी वो दोनो एक दूसरे का गला दबा रहे थे…!
युसुफ के थोड़ा उपर होते ही, अब्बास ने उसे पैरों पर उठाकर एक ओर को उछाल दिया.., फुर्ती से अपनी गन निकाली और उसे संजू पर तान दिया…!
अब्बास उसके बेहद नज़दीक पहुँचकर गुर्राया…बहुत बड़ा काम कर गया तू लौन्डे.., मेरे ही अड्डे पर मेरे ही आदमियों पर हाथ छोड़ दिया.., अब तू तो गया हरम्जादे…!
संजू ठहरा ठेठ गँवार.., मरने का उसे डर था ही नही.., उसने फ़ौरन उसकी गन की नाल थाम ली, उसे अपने माथे से सटाते हुए बोला – चल मार साले चला गोली…!
उसकी ये अप्रत्याशित डेरिंग देखकर एक बारगी अब्बास जैसे गुंडे की हवा सरक गयी.. लेकिन अगले ही पल अपने को संभालते हुए उसने अपनी गन का लॉक खोला…!
इससे पहले कि वो उसका घोड़ा दबा पाता.., संजू ने झटके से उसके हाथ से गन छीन ली और उसे उसीकि कनपटी पर टिकाते हुए बोला – अब तुझे मुझसे कॉन बचाएगा साले हरामी…!
पासा पलटे देख अब्बास की हवा सरक गयी.., उसके चेहरे पर मौत की परच्छाइयाँ साफ-साफ दिखाई देने लगी.., तभी युसुफ अपने शिकार से फारिग होकर बोला…
अब्बास.. जल्दी से माल निकाल वरना ये लौंडा वाकई में एडा है..,
गोली चल गयी तो फिर तेरे को सोचने का वक़्त भी नही मिलेगा.., जल्दी कर…!
मरता क्या ना करता.., उसने अहेमद की तरफ इशारा किया.., उसने ड्रॉयर से और 5 गड्डी निकाल कर टेबल पर रख दी, पूरे 10 लाख अपनी कंमीज़ में ठूँसकर युसुफ ने संजू को निकलने का इशारा किया…!
संजू – ये दोनो पॅकेट भी उठा लो युसुफ भाई.., अब इस भोसड़ी वाले को ढंग से सबक सीखाना है..,
युसुफ - ये तू कैसी बात कर रहा है..?
संजू – मेने कहा एक पॅकेट उठाओ जल्दी…, इतना कहकर गन अब्बास की कनपटी से सटाये हुए ही उसने एक पॅकेट अपने कब्ज़े में ले लिया.., ना चाहते हुए भी दूसरा पॅकेट युसुफ को उठाना पड़ा…!
चल अब हमें गेट तक छोड़कर आ मदर्चोद.., और याद रखना आज के बाद हरेक को एक ही लाठी से हांकने की भूल कभी मत करना.., चल…
नाल का दबाब बढ़ाते हुए वो उसे दरवाजे तक ले गया…!
युसुफ को पहले बाहर करके उसने अपना पॅकेट भी उसे थमाया.., एक जोरदार किक अब्बास की टाँगों के बीच जमकर वो फुर्ती से बाहर निकल गया…!
टाँगों के जोड़ पर संजू की भरपूर ठोकर खाकर अब्बास पीछे को उलट गया.., उनके पीछे आरहे अहेमद के उपर जाकर वो गिरा…!
दोनो आपस में ही उलझ कर रह गये इतने में संजू ने बाहर से दरवाजे को लॉक कर दिया..,
बिना एक पल गँवाए वो दोनो आँधी तूफान की तरह उसके क्लब से बाहर निकल गये……!!!!!
बाहर आते ही मैं सड़क से हटकर उन्होने गलियों का रास्ता लिया.., वहाँ से तकरीबन 2किमी भागने के बाद दोनो ने एक टॅक्सी को हाथ दिया..!
टॅक्सी में बैठते ही युसुफ ने एक बार पीछे मुड़कर देखा.., फिर राहत की साँस लेकर बोला.., बच गये यार वरना आज तो मर ही जाते…!
संजू ने बिना देखे ही कहा – क्यों .. तुम्हें ऐसा क्यों लगा…?
युसुफ – तू भी यार कमाल करता है.., बिना सोचे समझे हाथ पैर चलाने लगता है.., ये तो सोच वो उनका अड्डा था. यार...,
संजू के चेहरे पर इस समय भी कोई भाव नही थे.., बस थोड़ी साँसें उखड़ी हुई थी.., भागने के कारण, लंबी साँस लेकर बोला – और इसके अलावा कोई चारा था तुम्हारे पास…?
या तो 5 लाख में माल देकर चुप-चाप लौट आते और उन्हें लेकर चंपत होना पड़ता.., क्योंकि लीना मेडम कभी भी ये नही समझती कि हमारे सामने क्या परिस्थिति थी..,
और वैसे भी उसने हमें कहा ही था कि अब्बास थोड़ा टेडा आदमी है.., इसलिए तो उसने हमारा इम्तिहान लिया है.., आसान होता तो वो अपने किसी भी आदमी से डेलिवरी करा ही देती…!
युसुफ बात की गहराई को समझते हुए बोला – शायद तू ठीक कह रहा है दोस्त.., लेकिन मे चाहता था कि बातों से ही काम बन जाए.., पर चलो.. अंत भला तो सब भला…!
अब इस माल का क्या करें..? क्योंकि मेडम के माल के पैसे तो हम लोग ले ही आए..
संजू – पहले ये डिसाइड करो.., कि हमें उसके साथ लंबे समय तक काम करना है या बस अभी तक के लिए ही है…?
अगर अभी तक का ही विचार है तो उसके पास जाने की हमें कोई ज़रूरत नही है.., 10 लाख कॅश हैं, और 5-10 लाख में इस माल को भी कोई भी ले लेगा…!
युसुफ – मेरे ख्याल से सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को एक साथ हलाल नही करना चाहिए, चलो.., चलकर उसे सारी बातें साफ-साफ बता देते हैं.., आगे उसकी मर्ज़ी !
कुछ देर में ही वो उसकी बिल्डिंग के पास पहुँच गये.., अभी रात के 9 बजे थे, टॅक्सी का पेमेंट करके लिफ्ट से उपर पहुँचे…!
उनके हाथों में दोनो पॅकेट देख कर लीना बोली – क्या हुआ..? सौदा नही बना..? मुझे पता था वो टेडा आदमी है..,
चलो कोई ना.., कम से कम माल सही सलामत वापस ले आए यही बहुत है…!
उसकी बात पर वो दोनो मंद-मंद मुस्कराने लगे.., उन्हें देख कर वो बोली – क्या बात है, तुम लोग इस तरह मुस्करा क्यों रहे हो..?
तभी युसुफ ने अपनी ढीली ढाली कमीज़ से गड्डी निकालनी शुरू की.., पूरी 10 गड्डी उसके हाथ में रखते हुए बोला – उस टेढ़े को सीधा कर दिया इसने…!
लीना – क्या मतलब…?
फिर उसने सारी बातें उसे डीटेल में सुनाई.., वो विश्मय के साथ सब सुनती रही.., फिर कुछ देर मौन रहने के बाद अचानक से संजू के उपर झपट पड़ी.., वो वहीं सोफे पर लुढ़क गया..
खुद उसके उपर सवार होकर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में जकड़ा और दे दनादन उसके चेहरे पर चुंबनों की बौछार कर दी..
संजू बस भौचक्का देखता रह गया, वहीं युसुफ की नज़र उसकी गोल-मटोल थिरकति गान्ड की दरार में जा अटकी…!
लीना के गोल-गोल मोटे मोटे कड़क अनार संजू की छाती से दब गये, चूत की गर्मी पाकर उसका अब तक सोया पड़ा नाग उसके पॅंट में अंगड़ाई लेने लगा…!
संजू ने भी अपने दोनो हाथ उसकी मुलायम गान्ड पर कस दिए और उसकी चूत को अपने लंड के उपर दबा दिया…!
कुछ देर चूमने के बाद वो उसके उपर से उठ गयी.., संजू को मज़ा आना शुरू ही हुआ था सो उसका हाथ पकड़कर बोला – क्या हुआ मेडम..उठ क्यों गयी.., थोड़ा और करो ना, मज़ा आ रहा है…!
लीना मुस्करा कर उसके लंड को दबाते हुए बोली – डॉन’ट वरी.., आज तुम्हारी सारी तमन्नाए पूरी होंगी मेरे शेर.., आज से पहले मुझे तुम्हारे जैसा शेरदिल आदमी कभी नही मिला…!
मे तुम्हें मरते दम तक खोना नही चाहूँगी.., पहले जीत का जश्न पीने पिलाने से शुरू करते हैं.., फिर उसने लूसी को आवाज़ दी…लूसी.., पार्टी का इंतज़ाम करो..,
कुछ देर बाद लूसी ट्रे में एक स्कॉच की बोटेल, चार ग्लास और कुछ स्नॅक्स सुखी तली हुई मेवा के साथ लाती हुई दिखी…!
लूसी को देख कर युसुफ की आँखें चौड़ी हो गयी.., जापानी पॉलीयेसटर की फक्क सफेद टाइट शर्ट जिसके दो बटन खुले हुए..,
बिना ब्रा के उसकी एक दम कड़क दूध जैसी गोरी चुचियाँ की अन्द्रुनि साइड शर्ट के खुले बटन्स से नुमाया हो रही थी…!
नीचे उसने लाल चौखाने की इतनी छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी चलते में उसकी गान्ड की गोलाईयो की छटा भी कभी कभार दिखाई दे जाती थी…!
लूसी जैसे ही आकर टेबल पर समान सजाने के लिए झुकी.., पीछे से उसकी आधी गान्ड उजागर हो गयी.., युसुफ ने उसके पीछे आकर उसके मटके जैसे चुतड़ों पर हाथ फिराते हुए कहा…
हाए रानी.., क्या मस्त गान्ड है तेरी.., जी कर रहा है.., चूम लूँ इसे..,
मना किसने किया है युसुफ मियाँ, आज की रात हम दोनो ही तुम्हारे लिए हैं.., जैसे चाहो, जहाँ चाहो पटक पटक कर खूब रस निचोड़ो…हँसते हुए लीना बोली
सच…सच में मेडम.. थॅंक यू…कहकर युसुफ ने लूसी की गान्ड के पीछे बैठकर सच में ही उसकी गोरी गोरी, खूब उभरी हुई गान्ड की गोलाईयो को बारी-बारी से चूम लिया…!
लूसी आगे को और झुक गयी.., तो युसुफ ने उसकी माइक्रो पैंटी की डोरी को गान्ड के छेद से एक तरफ किया और उसकी गान्ड के कथयि छेद को अपनी जीभ की नोक से चाट लिया…!
सस्सिईईई….आअहह….लूसी अपनी गान्ड को उसके मूह पर दबाते हुए सिसकी…!
इतना कामुक नज़ारा देख कर संजू अपनी जगह से उठा.. और उसने लूसी की शर्ट के पल्लों को पकड़ कर एक दूसरे के विपरीत दिशा में खींच डाला..!
चत्टार्ररर…चत्टाररर.. की आवाज़ के साथ उसकी शर्ट के सारे बटन खुल गये…, लूसी की 34” की एकदम गोल-मटोल चुचियाँ हवा में लहरा उठी…!
दो बड़े बड़े लट्टू जैसे उसके स्तन, जिनके निपल अभी किस्मीस के दाने जैसे ही थे, कड़क होने लगे…,
लीना ग्लासों में स्कॉच डालते हुए बोली – तुम दोनो को तो बिना पीए ही लूसी की जवानी का नशा चढ़ने लगा.., पीने के बाद कैसे होश रख पाओगे…!
साजू लीना का टॉप उतारकर एक तरफ फेंकते हुए बोला – कॉन मदेर्चोद आज होश में रहना चाहता है मेडम जी.., बोलते हुए उसने लीना की ब्रा के स्ट्रीप भी उधेड़ दिए..
अब दोनो ही घोड़ियाँ उपर से एकदम नंगी थी.., दोनो मर्दों की नज़र दोनो की जवानियों पर फिसल रही थी.., ये फ़ैसला करना मुश्किल पड़ रहा था की दोनो में से किसकी चुचियाँ ज़्यादा सुंदर और सुडौल हैं…!
फिर दोनो मर्दों ने अपने अपने कपड़े भी निकाल दिए मात्र अंडर वेर में आकर जहाँ संजू ने लीना को अपनी गोद में बिठाया और युसुफ ने लूसी को…!
दोनो हसीनाओं ने टेबल से पेग उठाकर उन्हें थमाए, फिर एक-एक पेग खुद लेकर चारों ने आपस में जाम टकराकर चेअर्स बोला और शिप करते हुए एक दूसरे की जवानियों से खेलने लगे…!
जब शाम की शुरुआत ऐसी हो तो रात कैसी होगी ये कहने की ज़रूरत नही है, चारों ने मिलकर उस रात को इतना रंगीन बना दिया कि उनकी काम लीला देख कर इन्द्रलोक में बैठे देवराज इन्द्र को भी इनसे जलन होने लगी होगी…!
दो-दो पेग लेने तक वो चारों बुरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे.., सो पहला राउंड संजू और लीना का रहा वहीं युसुफ ने लूसी को अल्टा पलटा कर खूब चोदा..,
उसके बाद एक-एक पेग उन्होने खाने के साथ लिया.., फ्रेश हुए और फिरसे चुदाई का दौर चल पड़ा.., इस बार संजू ने अपना कड़क 8” का खूँटा लूसी की चूत में डाला.. और युसुफ ने लीना की जमकर चुदाई की....,
लीना की चूत में लंड पेलते हुए उसने कहा – मेडम आपको तो पता ही है, मेरा परिवार गाओं में कुरबत में जी रहा है.., आप कहो तो एक चक्कर मार आउऊ..
लीना अपनी गान्ड पीछे को धकेलते जुए बोली – चले जाना, पहले कुछ दिन यहाँ रहकर तुम लोग धंधे के उसूलों को अच्छे से समझ लो.., फिर तुम्हारे लिए मेने एक प्लान सोचा है…!
पूरा लंड लीना की चूत में चेन्प्कर युसुफ ने कहा – क्या प्लान है आपका..?
हाईए..पहले मेरी चूत की प्यास बुझाओ.., फिर बताती हूँ…, ये कहकर उसने युसुफ की गान्ड दबाकर उसे अपनी चूत पर कस कर दबाया,
अपनी छूट की फांकों को कसकर दबाते हुए वो भल-भलकर झड़ने लगी और युसुफ को भी पूरी तरह निचोड़ लिया…!
उधर लूसी भी पूरी चुदैल लड़की निकली, इतनी कम उम्र में भी उसे चुदाई की सारी ट्रिक पता थी, कैसे किसी मर्द को उकसाया जाता है..,
अपनी मादक आहों से वो संजू को और उत्तेजित करती रही जिससे उसने अपना पूरी दम लगाकर लूसी की चूत की कुटाई की…!
इस तरह वो चारों रात भर चुदाई अभियान में बढ़-चढ़कर अपना अपना झंडा गाढ़ने की कोशिश करते रहे…!
जहाँ दोनो मर्द अपनी तरफ से कोशिश कर रहे थे की वो इन दोनो रंडियों से पानी मंगवा देंगे..,
संजू तो फिर भी टक्कर लेता रहा.. लेकिन युसुफ मियाँ की हिम्मत जबाब दे गयी…!
उसे मानना ही पड़ा कि औरत की चूत की थाह लेना हर किसी के बस की बात नही….!
दूसरी सुबह उन चारों में से किसी की आँख खुलने का नाम नही ले रही थी.., लेकिन कोई 11 बजे लीना के मोबाइल की बेल ने उसे उठने पर मजबूर कर ही दिया…!
फोन अब्बास का था, शुरू-शुरू में कुछ उसने अकड़ दिखाई लेकिन लीना के धमकाने पर वो लाइन पर आगया और अपने माल के लिए गुहार करने लगा…!
लीना – देखो अब्बास मियाँ, मे अपना धंधा पूरी ईमानदारी से कर रही हूँ, माल में कोई खोट हो तो फ्री.., लेकिन अगर कोई मेरे पैसे खाने की कोशिश करेगा तो वो ठीक नही…!
मेने तो अब तक तुम्हारी साख की वजह से ही कोई डील नही की, लेकिन जब मुझे तुमसे भी ज़्यादा एडा लड़का मिल गया तो तुम्हारा ऑफर मान लिया..,
अब उसने तुम्हारी गेम बजा डाली तो अब इतना फड़-फडाने की क्या ज़रूरत है…!
पूरी ईमानदारी से धंधा करो.., मे तैयार हूँ, अपना आदमी आज शाम जुहू बीच पर भेज देना, तुम्हारा माल तुम्हें मिल जाएगा…!
दो हफ्ते यौंही मौज मस्ती में निकल गये.., दिनो दिन युसुफ लेन-देन के मामले में माहिर होने लगा, वहीं संजू गन बगैरह चलाना सीख कर और ज़्यादा शातिर हो गया …!
एक दिन मस्ती करते हुए लीना बोली – युसुफ मियाँ कहाँ है तुम्हारा गाओं..?
युसुफ – मेडम आपने अली** शहर तो देखा होगा.., उससे कोई 25 किमी दूर है..,
लीना – तो गाओं जाकर अभी क्या करने वाले हो..?
युसुफ – मे चाहता हूँ, बुढ़ापे में अम्मी-अब्बू को कुछ आराम दे सकूँ, बहनो का निकाह हो जाए, अच्छा घर उन्हें बनवा के दे सकूँ…, और ग़रीब की क्या ज़रूरतें होती हैं…,
लीना – गाओं में तुम्हारी कोई खेती-बाड़ी भी है क्या..?
युसुफ – अरे कहाँ मेडम जी…खेती बाड़ी होती तो मे यहाँ मुंबई में खाक छानने क्यों आता…!
लीना – मेरे दिमाग़ में एक प्लान है.., क्यों ना तुम अपने परिवार को उसी शहर में शिफ्ट कर्लो.., एक घर लेके दे दो उनको.., और एक अच्छी सी गुप्त जगह तलाश करके अपना धंधा वहाँ फैलाने की कोशिश करो…!
युसुफ – ये तो बहुत उम्दा प्लान बनाया है आपने मेडम.., अगर संजू साथ दे तो वहाँ तो अपना धंधा और जल्दी ही फैलने फूलने लग जाएगा…!
लीना – क्यों संजू.. क्या कहते हो..? जाना चाहोगे युसुफ भाई के साथ..?
संजू – मेरा क्या है.., कहीं भी आ जा सकता हूँ, मेरे कॉन आगे पीछे है देखने वाला…?
लीना दोनो को नये मोबाइल सेट देते हुए बोली – ये लो तुम दोनो के लिए अलग अलग मोबाइल, दोनो में हम तीनों के नंबर फीड किए हुए..,
जब भी बात करनी हो कभी भी एक दूसरे से जब चाहे बात कर सकते हैं..,
तो फिर तय रहा, तुम लोग कल ही निकल जाओ.., शहर में अपने लिए अच्छा सा घर देख लो, धंधे के लिए जगह तलाश करो..,
कुछ माल लेते जाना, जिससे अपना काम शुरू करने की कोशिश कर देना, ख़तम होने पर बस कॉल कर देना दूसरे दिन जितना चाहिए उतना माल तुम्हें मिल जाएगा.………..!
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, युसुफ के गाओं में बुड्ढे माँ-बाप तीन कुँवारी बहनें थी, सबसे बड़ी एक बेहन का निकाह हो चुका था जो उससे जस्ट छोटी थी..,
दूसरे नंबर की वहीदा भी अबतक 26-27 साल की हो चुकी थी, उससे छोटी रेहाना उससे दो साल छोटी माने 24-25 की और सबसे छोटी रुखसाना भी अब 22 साल की हो चुकी थी…!
युसुफ के अब्बू टेलरिंग का काम करते थे, लेकिन आज के जमाने में गाओं में भी अब कॉन सिलवाकर कपड़े पहनता है, कभी कभार कोई बड़ा-बुड्ढ़ा या फिर कोई ग़रीब आदमी कपड़े सिलवाने आ जाता था..!
हां औरतें ज़रूर ब्लाउस पेटीकोत सिल्वाति थी, जिसे वहीदा और कभी कभी उसकी अम्मी सील कर दे देती थी.., जिनकी सिलवाने की कीमत भी गाओं में लोग बड़ी मुश्किल से देते वो भी आज-कल करके काफ़ी लटकाने के बाद…!
बड़ी मुश्किल से दो वक़्त की रोटियों का गुज़ारा हो पाता था.., कभी कभी लड़कियों को जंगल से लकड़ियाँ काट कर लाना पड़ता.., एक-दो बकरी पाल रखी थी उनसे कुछ आमदनी हो जाती…!
कुल-मिलाकर बस दिन किसी तरह निकल ही रहे थे.., उसके बूढ़े अब्बू शहज़ाद ख़ान की कमर झुक गयी थी.., वक़्त की मार ने वक़्त से पहले ही बूढ़ा बना दिया था.., वरना इस उमर में शहर में लोग अधेड़ उम्र में गिने जाते हैं…!
युसुफ और संजू सीधे घर ना जाकर शहर में पहले उन्होने अपने लिए एक 5 कमरों का एक अच्छा सा घर खरीदा..,
फिर काफ़ी तलाश करने के बाद उन्हें एक उजाड़ पड़ी हवेली का पता चला वो भी वहाँ के कुछ बेरोज़गार युवकों की मदद से.
जिसे उन्होने अपने धाधे के लिए किराए पर लिया जो काफ़ी दिनो से विवादित थी, जिसपर कुछ दबंगों का कब्जा था, तो उन्होने ही उसे लीज़ पर दे दिया…!
सबसे खास बात उस मकान की ये थी कि उसके नीचे एक गुप्त तहखाना भी था जो उन्हें अपने धंधे के लिए सबसे उपयुक्त लगा…!
कुछ बेरोज़गार युवकों को अपने साथ मिलाकर काम करने को तैयार भी कर लिया.., इतना काम निपटाकर उन दोनो ने युसुफ के गाओं का रुख़ किया…!
गाओं निकलने के लिए वो काफ़ी लेट हो गये थे.., गाओं की तरफ जाने वाले रोड पर आकर पता किया क़ि इस वक़्त क्या साधन मिल सकता था गाँव जाने के लिए…!
लेने को वो दोनो स्पेशल टॅक्सी भी ले जा सकते थे लेकिन ये सब जताकर वो खम्खा इतनी जल्दी इस इलाक़े में अपने आप को उजागर नही करना चाहते थे…!
पता चला कि युसुफ के गाओं तक के लिए प्राइवेट वहाँ जैसे तीन पहिए के टेंपो या फिर टाटा मॅजिक जैसे वहाँ ही मिल सकते हैं…!
काफ़ी देर के इंतेजार के बाद वहाँ एक मॅजिक आकर रुकी.., इलाक़े का नाम
पुकार कर उसका क्लीनर पॅसेंजर्स को बुलाने लगा..,
युसुफ ने संजू का हाथ पकड़ा और पीछे से यू आकर वाली सीट पर सामने जाकर दोनो बैठ गये…, युसुफ को अंदाज़ा था कि इसमें भीड़ होने वाली है, इसलिए वो उसे लेकर फ़ौरन जाकर सीट घेर कर बैठ गया…!
अब तक शांत बैठा संजू बोला – टेढ़े के लिए हम भी टेढ़े हैं, उसकी आप चिंता मत करो.., बस आप अपना प्रॉमिस याद रखना..!
लीना – हां..हां.., क्यों नही.., चाहो तो उसमें से 1 लाख अपने निकाल कर ही देना मुझे….,
संजू – मे पैसे की बात नही कर रहा…, जो आपने कुछ देर पहले वादा किया था.. स्पेशल इनाम का हमारे लौटने के बाद…!
लीना खिल-खिलाकर हँसते हुए बोली – आई…शाबास…, तो संजू शिंदे को भी वो गिफ्ट चाहिए.., चलो तुम भी क्या याद करोगे.., किस रईस से पाला पड़ा है.., तुम दोनो की तमन्ना ज़रूर पूरी की जाएगी…
तुम्हरे आज के इम्तिहान में सफल होने की खुशी में मेरी तरफ से एक स्पेशल पार्टी तय.., जो खाना चाहो.., पीना चाहो…, और जो…भी…, आज रात लूसी भी हमारे जश्न में शामिल होगी…!
लीना ने लूसी की मोटी गान्ड दबाते हुए कहा – क्यों लूसी तुम्हें तो कोई प्राब्लम नही..?
आययईीी मेडम…जैसा आप कहो.., इतना कहकर लूसी अपनी गान्ड सहलाते हुए वहाँ से अपनी गान्ड हिलाती हुई किचन में भाग गयी…!
चाय नाश्ते के बाद उन दोनो ने लीना से पॅकेट लिए और विदा लेकर उसके फ्लॅट से निकल लिए…!
बाहर आकर संजू ने कहा – युसुफ भाई देखो तो सही ऐसा क्या इन पॅकेट में जिसकी कीमत 10 लाख रुपये है…!
युसुफ – अरे यार तू रहेगा पक्का भोन्दु ही.., अब क्लब वाले को सोना या हीरे मोटी तो भेजेगी नही.., कुछ ना कुछ नशे-पत्ते की ही चीज़ होगी.., चल देखते हैं.., इसको कैसे निपटाना है…!
और सुन.., जब तक कोई ऐसी वैसी प्राब्लम खड़ी ना हो तब तक भड़कने का नही.., समझा.., मौके के हिसाब से काम लेना है हमें..,
याद रहे ये अपना पहला ऐसा काम है जिसमें अच्छा ख़ासा धन के साथ साथ..दो दो मस्त जवानियाँ भोगने को मिलने वाली हैं..
इसलिए किसी भी सूरत में हमें फैल नही होना है.., बस थोड़ा अपने आप पर संयम रखना…ओके..
संजू – अरे यार युसुफ भाई तुम इतना डरते काहे को हो.., चलो देखते हैं क्या हालत बनते हैं वैसा ही करेंगे., आप फिकर मत करो.. सब ठीक ही होगा…!
युसुफ – खुदा करे सब ठीक ही हो.., इस तरह बातें करते हुए वो दोनो निकल पड़े अपनी मंज़िल की ओर…..!
हिना क्लब & बार, मुंबई की घनी आबादी के बीच.., दिन छिप्ते ही यहाँ नशेडियों की भीड़ जमा होने लगती है..,
अभी दिन छिप्ने में देरी थी इस वजह से बार अभी लगभग खाली ही था.., इक्का-दुक्का ग्राहक शांति से अपनी टेबल पर बैठा था..!
युसुफ और संजू सीधे रिसेप्षन काउंटर पर पहुँचे.., काउंटर पर बैठे आदमी ने उनसे सवाल किया – बोलो क्या चाहिए…?
युसुफ – हमें अब्बास भाई से मिलना है…
वो – काहे कू…?
यूसुस अपने हाथों में दबे पॅकेट्स की तरफ इशारा करते हुए – ये पॅकेट उनको देने का है…!
वो – क्या है इनमें…?
संजू – ओये स्याने.., ज्यास्ती सवाल जबाब नही करने का, उसकू बोल.., दो लोग मिलने को आएला हैं.., लीना मेडम ने पॅकेट भेजेला है, वो समझ जाएँगा…!
वो अकड़ कर बोला – ओये लौन्डे…, इधर ज्यास्ती नही बोलने का.., समझा क्या.., वरना बाद में पछ्ताने का भी समय नही मिलता…!
युसुफ ने बीच में कूदते हुए कहा – जाने दे भाई, छोकरा नादान है.., तुम अब्बास भाई को हमारे आने की खबर दो…!
वो संजू की तरफ खा जाने वाली नज़र से घूरते हुए बोला – चल ठीक है.., तुम इधेर एच खड़ा रहने का, मे अभी बोलके आता…!
कोई दो मिनट बाद ही वो एक दरवाजे के पीछे से निकल कर आते ही बोला – जाओ तुम लोग, भाई अंदर ही बैठेला है.., और सुनो.., तुम लोग के पास कोई हथियार, वथियार तो नही…?
युसुफ ने ना में गर्दन हिलाई और संजू का हाथ पकड़ कर उस बंद दरवाजे की तरफ बढ़ गया…!
रास्ते में.., तू तो आते ही शुरू हो गया.., किसी दिन बेमौत मरवाएगा.. युसुफ ने उसे समझाते हुए कहा…
अभी संजू कोई जबाब देने ही वाला था कि तभी वो दोनो दरवाजे के उसपार जा पहुँचे.., अंदर एक ऑफीस नुमा कमरा था जहाँ एक सोफे के आगे एक टेबल था, साथ में दो चेयर पड़ी थी…!
सोफे पर एक मध्यम कद काठी का पक्के रंग वाला उमर कोई 40 साल जिसके नाक के पास एक चाकू का निशान था, लाल लाल आँखों वाला व्यक्ति जो शायद अब्बास ही था.. लगभग पूरे सोफे पर पसरा हुआ बैठा था…!
साथ की चेर्स पर दो और लोग भी थे, जो शायद उसके खास चम्चे होंगे…!
उन दोनो को देखते ही अब्बास बोला – आओ रे तुम लोग.., बैठो.., क्या लोगे.., विस्की, रम या देशी…?
युसुफ ने आगे बढ़कर उसे सलम्बलेकुम बोला और जाकर उसकी बगल में बैठते हुए बोला – नही भाई इस टेम हम लोग कुछ नही लेते..,
ये पॅकेट भेजे हैं लीना मेडम ने आपको देने के वास्ते..,
अब्बास पॅकेट टेबल पर रखवा कर बोला – माल तो अच्छा है कि नही..?
युसुफ – हमें नही पता भाई.., आप खुद ही चेक कर्लो…
अब्बास एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए बोला – देख अह्मेद एक पॅकेट खोल के चेक कर.., माल अच्छा होएंगा तभी..च लेगा अपुन.., वरना और बहुत हैं देने वाले...
आहेमद ने चाकू की नोक से पॅकेट की सील तोड़ी, जिसमें सफेद पाउडर की थैलियाँ भरी हुई थी, उनमें से एक थैली निकाल कर उसको खोला.. थोड़ा सा पाउडर एक 1000 के नोट पर रख कर उसने उसे सूँघा…!
माल तो कड़क है भाई.., लगता है इंपोर्टेड है…, इतना कहकर उसने वो नोट अब्बास को थमा दिया.., उसने भी चेक किया और बोला… सही बोला तू…इंपोर्टेड है…
लीना साली जैसी खुद कड़क है वैसा इच माल रखती है…, चल ठीक है.., वो ड्रॉस से 5 गॅडी निकाल कर ये छोकरा लोग को दे दे…!
युसुफ – 5 गड्डी मतलब…?
अब्बास – 5 पेटी… बोले तो 5 लाख…,
युसुफ – लेकिन मेडम तो 10 लाख बोली लाने को…!
अब्बास – आए स्याने.., 5 लाख बोला तो 5 लाख.., एक पैसा ज्यास्ती नही.., ये पकड़ और कट ले इधर से वरना.., पैसे भी जाएँगे और माल भी…, बोल देना अपनी मेडम को…इससे ज्यास्ती नही मिलेगा…!
अब्बास की धमकी भरी बातें सुनकर युसुफ को होठ खुश्क हो गये.., उसके मूह पर मानो ताला चिपक गया हो.., लेकिन तभी संजू बोल पड़ा…!
ये तो ग़लत बात है.., 10 लाख का माल 5 लाख में कैसे दे सकते हैं.., चलो युसुफ भाई माल उठाओ.., चलते हैं यहाँ से..., इतना कहकर उसने एक पॅकेट की तरफ हाथ बढ़ा दिया…!
इससे पहले की संजू पॅकेट से हाथ लगा पाता कि बाजू में खड़े अहेमद ने उसकी कलाई थाम ली, उसे मजबूती से पकड़ कर बोला – शेर के मूह से गोस्त निकालना चाहता है लौन्डे…!
अब तक युसुफ भी अपनी जगह से खड़ा हो चुका था.., वो बात संभालने के लिए बीच में कुछ बोलना चाहता था…,
लेकिन संजू को इतना कहाँ सहन होना था.., बिना अंजाम की परवाह किए उसने उल्टे हाथ का मुक्का अहेमद की नाक पर दे मारा…!
मानो कोई हथौड़ा पड़ा हो उसकी नाक पर.., उसके सिर के चारों ओर चिड़ियाँ सी चहकने लगी..,
वो अपने होश ठिकाने नही रख पाया बेचारा, नाक से खून की धार निकल पड़ी, उसकी कलाई छोड़कर वो पीछे को उलट गया…!
अपने एक साथी को गिरते देख अब्बास अपनी जगह से उठना ही चाहता था कि उसे युसुफ ने दबोच लिया.., वो दोनो सोफे पर ही गुत्थम-गुत्था हो गये…!
दूसरा बंदा जो अभी तक चेयर पर ही बैठा था.., फ़ौरन उठ खड़ा ही नही हुआ.., वो संजू की तरफ लपका…!
झपट कर उसने पीछे से संजू के गले में अपनी बाजू लपेट दी.., अपनी गर्दन पर दबाब डालते हुए बोला – बहुत उच्छल-कूद कर रहा है साले.., अब देख कैसे बच के जाएगा यहाँ से…!
संजू को अपने गले की नसें दबने लगी.., उसने उस बंदे को पीछे धकेलना शुरू किया.., गर्दन पर उसका दबाब पल-प्रतिपल बढ़ रहा था…!
पूरा दम-खम लगाकर संजू ने उसे टीवी शो केस पर ले जाकर अपनी पीठ का भार देकर दबा दिया…!
शो केस का एक कोना उसकी पीठ में लगा.., दर्द से वो बिल-बिला उठा और उसके बाजू की पकड़ संजू के गले पर ढीली पड़ गयी…!
मौके का फ़ायदा उठाकर उसने अपने आप को आज़ाद किया.., पलट कर अपने घुटने का भरपूर बार उसके पेट पर किया.., दर्द से वो आगे को दोहरा हो गया.., उपर से संजू का दुहत्थड उसकी गर्दन पर पड़ा…!
दुहात्ताड़ पड़ते ही वो ज़मीन पर मूह के बल गिर पड़ा.., अब उसमें जल्दी से उठ पाने की शक्ति नही थी…!
उधर यसुसफ अब्बास के मुक़ावले कमजोर पड़ रहा था.., नीचे से अब्बास ने अपने घुटने मोड़ कर उसे उपर उठने पर मजबूर कर दिया.., अभी भी वो दोनो एक दूसरे का गला दबा रहे थे…!
युसुफ के थोड़ा उपर होते ही, अब्बास ने उसे पैरों पर उठाकर एक ओर को उछाल दिया.., फुर्ती से अपनी गन निकाली और उसे संजू पर तान दिया…!
अब्बास उसके बेहद नज़दीक पहुँचकर गुर्राया…बहुत बड़ा काम कर गया तू लौन्डे.., मेरे ही अड्डे पर मेरे ही आदमियों पर हाथ छोड़ दिया.., अब तू तो गया हरम्जादे…!
संजू ठहरा ठेठ गँवार.., मरने का उसे डर था ही नही.., उसने फ़ौरन उसकी गन की नाल थाम ली, उसे अपने माथे से सटाते हुए बोला – चल मार साले चला गोली…!
उसकी ये अप्रत्याशित डेरिंग देखकर एक बारगी अब्बास जैसे गुंडे की हवा सरक गयी.. लेकिन अगले ही पल अपने को संभालते हुए उसने अपनी गन का लॉक खोला…!
इससे पहले कि वो उसका घोड़ा दबा पाता.., संजू ने झटके से उसके हाथ से गन छीन ली और उसे उसीकि कनपटी पर टिकाते हुए बोला – अब तुझे मुझसे कॉन बचाएगा साले हरामी…!
पासा पलटे देख अब्बास की हवा सरक गयी.., उसके चेहरे पर मौत की परच्छाइयाँ साफ-साफ दिखाई देने लगी.., तभी युसुफ अपने शिकार से फारिग होकर बोला…
अब्बास.. जल्दी से माल निकाल वरना ये लौंडा वाकई में एडा है..,
गोली चल गयी तो फिर तेरे को सोचने का वक़्त भी नही मिलेगा.., जल्दी कर…!
मरता क्या ना करता.., उसने अहेमद की तरफ इशारा किया.., उसने ड्रॉयर से और 5 गड्डी निकाल कर टेबल पर रख दी, पूरे 10 लाख अपनी कंमीज़ में ठूँसकर युसुफ ने संजू को निकलने का इशारा किया…!
संजू – ये दोनो पॅकेट भी उठा लो युसुफ भाई.., अब इस भोसड़ी वाले को ढंग से सबक सीखाना है..,
युसुफ - ये तू कैसी बात कर रहा है..?
संजू – मेने कहा एक पॅकेट उठाओ जल्दी…, इतना कहकर गन अब्बास की कनपटी से सटाये हुए ही उसने एक पॅकेट अपने कब्ज़े में ले लिया.., ना चाहते हुए भी दूसरा पॅकेट युसुफ को उठाना पड़ा…!
चल अब हमें गेट तक छोड़कर आ मदर्चोद.., और याद रखना आज के बाद हरेक को एक ही लाठी से हांकने की भूल कभी मत करना.., चल…
नाल का दबाब बढ़ाते हुए वो उसे दरवाजे तक ले गया…!
युसुफ को पहले बाहर करके उसने अपना पॅकेट भी उसे थमाया.., एक जोरदार किक अब्बास की टाँगों के बीच जमकर वो फुर्ती से बाहर निकल गया…!
टाँगों के जोड़ पर संजू की भरपूर ठोकर खाकर अब्बास पीछे को उलट गया.., उनके पीछे आरहे अहेमद के उपर जाकर वो गिरा…!
दोनो आपस में ही उलझ कर रह गये इतने में संजू ने बाहर से दरवाजे को लॉक कर दिया..,
बिना एक पल गँवाए वो दोनो आँधी तूफान की तरह उसके क्लब से बाहर निकल गये……!!!!!
बाहर आते ही मैं सड़क से हटकर उन्होने गलियों का रास्ता लिया.., वहाँ से तकरीबन 2किमी भागने के बाद दोनो ने एक टॅक्सी को हाथ दिया..!
टॅक्सी में बैठते ही युसुफ ने एक बार पीछे मुड़कर देखा.., फिर राहत की साँस लेकर बोला.., बच गये यार वरना आज तो मर ही जाते…!
संजू ने बिना देखे ही कहा – क्यों .. तुम्हें ऐसा क्यों लगा…?
युसुफ – तू भी यार कमाल करता है.., बिना सोचे समझे हाथ पैर चलाने लगता है.., ये तो सोच वो उनका अड्डा था. यार...,
संजू के चेहरे पर इस समय भी कोई भाव नही थे.., बस थोड़ी साँसें उखड़ी हुई थी.., भागने के कारण, लंबी साँस लेकर बोला – और इसके अलावा कोई चारा था तुम्हारे पास…?
या तो 5 लाख में माल देकर चुप-चाप लौट आते और उन्हें लेकर चंपत होना पड़ता.., क्योंकि लीना मेडम कभी भी ये नही समझती कि हमारे सामने क्या परिस्थिति थी..,
और वैसे भी उसने हमें कहा ही था कि अब्बास थोड़ा टेडा आदमी है.., इसलिए तो उसने हमारा इम्तिहान लिया है.., आसान होता तो वो अपने किसी भी आदमी से डेलिवरी करा ही देती…!
युसुफ बात की गहराई को समझते हुए बोला – शायद तू ठीक कह रहा है दोस्त.., लेकिन मे चाहता था कि बातों से ही काम बन जाए.., पर चलो.. अंत भला तो सब भला…!
अब इस माल का क्या करें..? क्योंकि मेडम के माल के पैसे तो हम लोग ले ही आए..
संजू – पहले ये डिसाइड करो.., कि हमें उसके साथ लंबे समय तक काम करना है या बस अभी तक के लिए ही है…?
अगर अभी तक का ही विचार है तो उसके पास जाने की हमें कोई ज़रूरत नही है.., 10 लाख कॅश हैं, और 5-10 लाख में इस माल को भी कोई भी ले लेगा…!
युसुफ – मेरे ख्याल से सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को एक साथ हलाल नही करना चाहिए, चलो.., चलकर उसे सारी बातें साफ-साफ बता देते हैं.., आगे उसकी मर्ज़ी !
कुछ देर में ही वो उसकी बिल्डिंग के पास पहुँच गये.., अभी रात के 9 बजे थे, टॅक्सी का पेमेंट करके लिफ्ट से उपर पहुँचे…!
उनके हाथों में दोनो पॅकेट देख कर लीना बोली – क्या हुआ..? सौदा नही बना..? मुझे पता था वो टेडा आदमी है..,
चलो कोई ना.., कम से कम माल सही सलामत वापस ले आए यही बहुत है…!
उसकी बात पर वो दोनो मंद-मंद मुस्कराने लगे.., उन्हें देख कर वो बोली – क्या बात है, तुम लोग इस तरह मुस्करा क्यों रहे हो..?
तभी युसुफ ने अपनी ढीली ढाली कमीज़ से गड्डी निकालनी शुरू की.., पूरी 10 गड्डी उसके हाथ में रखते हुए बोला – उस टेढ़े को सीधा कर दिया इसने…!
लीना – क्या मतलब…?
फिर उसने सारी बातें उसे डीटेल में सुनाई.., वो विश्मय के साथ सब सुनती रही.., फिर कुछ देर मौन रहने के बाद अचानक से संजू के उपर झपट पड़ी.., वो वहीं सोफे पर लुढ़क गया..
खुद उसके उपर सवार होकर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों में जकड़ा और दे दनादन उसके चेहरे पर चुंबनों की बौछार कर दी..
संजू बस भौचक्का देखता रह गया, वहीं युसुफ की नज़र उसकी गोल-मटोल थिरकति गान्ड की दरार में जा अटकी…!
लीना के गोल-गोल मोटे मोटे कड़क अनार संजू की छाती से दब गये, चूत की गर्मी पाकर उसका अब तक सोया पड़ा नाग उसके पॅंट में अंगड़ाई लेने लगा…!
संजू ने भी अपने दोनो हाथ उसकी मुलायम गान्ड पर कस दिए और उसकी चूत को अपने लंड के उपर दबा दिया…!
कुछ देर चूमने के बाद वो उसके उपर से उठ गयी.., संजू को मज़ा आना शुरू ही हुआ था सो उसका हाथ पकड़कर बोला – क्या हुआ मेडम..उठ क्यों गयी.., थोड़ा और करो ना, मज़ा आ रहा है…!
लीना मुस्करा कर उसके लंड को दबाते हुए बोली – डॉन’ट वरी.., आज तुम्हारी सारी तमन्नाए पूरी होंगी मेरे शेर.., आज से पहले मुझे तुम्हारे जैसा शेरदिल आदमी कभी नही मिला…!
मे तुम्हें मरते दम तक खोना नही चाहूँगी.., पहले जीत का जश्न पीने पिलाने से शुरू करते हैं.., फिर उसने लूसी को आवाज़ दी…लूसी.., पार्टी का इंतज़ाम करो..,
कुछ देर बाद लूसी ट्रे में एक स्कॉच की बोटेल, चार ग्लास और कुछ स्नॅक्स सुखी तली हुई मेवा के साथ लाती हुई दिखी…!
लूसी को देख कर युसुफ की आँखें चौड़ी हो गयी.., जापानी पॉलीयेसटर की फक्क सफेद टाइट शर्ट जिसके दो बटन खुले हुए..,
बिना ब्रा के उसकी एक दम कड़क दूध जैसी गोरी चुचियाँ की अन्द्रुनि साइड शर्ट के खुले बटन्स से नुमाया हो रही थी…!
नीचे उसने लाल चौखाने की इतनी छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी चलते में उसकी गान्ड की गोलाईयो की छटा भी कभी कभार दिखाई दे जाती थी…!
लूसी जैसे ही आकर टेबल पर समान सजाने के लिए झुकी.., पीछे से उसकी आधी गान्ड उजागर हो गयी.., युसुफ ने उसके पीछे आकर उसके मटके जैसे चुतड़ों पर हाथ फिराते हुए कहा…
हाए रानी.., क्या मस्त गान्ड है तेरी.., जी कर रहा है.., चूम लूँ इसे..,
मना किसने किया है युसुफ मियाँ, आज की रात हम दोनो ही तुम्हारे लिए हैं.., जैसे चाहो, जहाँ चाहो पटक पटक कर खूब रस निचोड़ो…हँसते हुए लीना बोली
सच…सच में मेडम.. थॅंक यू…कहकर युसुफ ने लूसी की गान्ड के पीछे बैठकर सच में ही उसकी गोरी गोरी, खूब उभरी हुई गान्ड की गोलाईयो को बारी-बारी से चूम लिया…!
लूसी आगे को और झुक गयी.., तो युसुफ ने उसकी माइक्रो पैंटी की डोरी को गान्ड के छेद से एक तरफ किया और उसकी गान्ड के कथयि छेद को अपनी जीभ की नोक से चाट लिया…!
सस्सिईईई….आअहह….लूसी अपनी गान्ड को उसके मूह पर दबाते हुए सिसकी…!
इतना कामुक नज़ारा देख कर संजू अपनी जगह से उठा.. और उसने लूसी की शर्ट के पल्लों को पकड़ कर एक दूसरे के विपरीत दिशा में खींच डाला..!
चत्टार्ररर…चत्टाररर.. की आवाज़ के साथ उसकी शर्ट के सारे बटन खुल गये…, लूसी की 34” की एकदम गोल-मटोल चुचियाँ हवा में लहरा उठी…!
दो बड़े बड़े लट्टू जैसे उसके स्तन, जिनके निपल अभी किस्मीस के दाने जैसे ही थे, कड़क होने लगे…,
लीना ग्लासों में स्कॉच डालते हुए बोली – तुम दोनो को तो बिना पीए ही लूसी की जवानी का नशा चढ़ने लगा.., पीने के बाद कैसे होश रख पाओगे…!
साजू लीना का टॉप उतारकर एक तरफ फेंकते हुए बोला – कॉन मदेर्चोद आज होश में रहना चाहता है मेडम जी.., बोलते हुए उसने लीना की ब्रा के स्ट्रीप भी उधेड़ दिए..
अब दोनो ही घोड़ियाँ उपर से एकदम नंगी थी.., दोनो मर्दों की नज़र दोनो की जवानियों पर फिसल रही थी.., ये फ़ैसला करना मुश्किल पड़ रहा था की दोनो में से किसकी चुचियाँ ज़्यादा सुंदर और सुडौल हैं…!
फिर दोनो मर्दों ने अपने अपने कपड़े भी निकाल दिए मात्र अंडर वेर में आकर जहाँ संजू ने लीना को अपनी गोद में बिठाया और युसुफ ने लूसी को…!
दोनो हसीनाओं ने टेबल से पेग उठाकर उन्हें थमाए, फिर एक-एक पेग खुद लेकर चारों ने आपस में जाम टकराकर चेअर्स बोला और शिप करते हुए एक दूसरे की जवानियों से खेलने लगे…!
जब शाम की शुरुआत ऐसी हो तो रात कैसी होगी ये कहने की ज़रूरत नही है, चारों ने मिलकर उस रात को इतना रंगीन बना दिया कि उनकी काम लीला देख कर इन्द्रलोक में बैठे देवराज इन्द्र को भी इनसे जलन होने लगी होगी…!
दो-दो पेग लेने तक वो चारों बुरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे.., सो पहला राउंड संजू और लीना का रहा वहीं युसुफ ने लूसी को अल्टा पलटा कर खूब चोदा..,
उसके बाद एक-एक पेग उन्होने खाने के साथ लिया.., फ्रेश हुए और फिरसे चुदाई का दौर चल पड़ा.., इस बार संजू ने अपना कड़क 8” का खूँटा लूसी की चूत में डाला.. और युसुफ ने लीना की जमकर चुदाई की....,
लीना की चूत में लंड पेलते हुए उसने कहा – मेडम आपको तो पता ही है, मेरा परिवार गाओं में कुरबत में जी रहा है.., आप कहो तो एक चक्कर मार आउऊ..
लीना अपनी गान्ड पीछे को धकेलते जुए बोली – चले जाना, पहले कुछ दिन यहाँ रहकर तुम लोग धंधे के उसूलों को अच्छे से समझ लो.., फिर तुम्हारे लिए मेने एक प्लान सोचा है…!
पूरा लंड लीना की चूत में चेन्प्कर युसुफ ने कहा – क्या प्लान है आपका..?
हाईए..पहले मेरी चूत की प्यास बुझाओ.., फिर बताती हूँ…, ये कहकर उसने युसुफ की गान्ड दबाकर उसे अपनी चूत पर कस कर दबाया,
अपनी छूट की फांकों को कसकर दबाते हुए वो भल-भलकर झड़ने लगी और युसुफ को भी पूरी तरह निचोड़ लिया…!
उधर लूसी भी पूरी चुदैल लड़की निकली, इतनी कम उम्र में भी उसे चुदाई की सारी ट्रिक पता थी, कैसे किसी मर्द को उकसाया जाता है..,
अपनी मादक आहों से वो संजू को और उत्तेजित करती रही जिससे उसने अपना पूरी दम लगाकर लूसी की चूत की कुटाई की…!
इस तरह वो चारों रात भर चुदाई अभियान में बढ़-चढ़कर अपना अपना झंडा गाढ़ने की कोशिश करते रहे…!
जहाँ दोनो मर्द अपनी तरफ से कोशिश कर रहे थे की वो इन दोनो रंडियों से पानी मंगवा देंगे..,
संजू तो फिर भी टक्कर लेता रहा.. लेकिन युसुफ मियाँ की हिम्मत जबाब दे गयी…!
उसे मानना ही पड़ा कि औरत की चूत की थाह लेना हर किसी के बस की बात नही….!
दूसरी सुबह उन चारों में से किसी की आँख खुलने का नाम नही ले रही थी.., लेकिन कोई 11 बजे लीना के मोबाइल की बेल ने उसे उठने पर मजबूर कर ही दिया…!
फोन अब्बास का था, शुरू-शुरू में कुछ उसने अकड़ दिखाई लेकिन लीना के धमकाने पर वो लाइन पर आगया और अपने माल के लिए गुहार करने लगा…!
लीना – देखो अब्बास मियाँ, मे अपना धंधा पूरी ईमानदारी से कर रही हूँ, माल में कोई खोट हो तो फ्री.., लेकिन अगर कोई मेरे पैसे खाने की कोशिश करेगा तो वो ठीक नही…!
मेने तो अब तक तुम्हारी साख की वजह से ही कोई डील नही की, लेकिन जब मुझे तुमसे भी ज़्यादा एडा लड़का मिल गया तो तुम्हारा ऑफर मान लिया..,
अब उसने तुम्हारी गेम बजा डाली तो अब इतना फड़-फडाने की क्या ज़रूरत है…!
पूरी ईमानदारी से धंधा करो.., मे तैयार हूँ, अपना आदमी आज शाम जुहू बीच पर भेज देना, तुम्हारा माल तुम्हें मिल जाएगा…!
दो हफ्ते यौंही मौज मस्ती में निकल गये.., दिनो दिन युसुफ लेन-देन के मामले में माहिर होने लगा, वहीं संजू गन बगैरह चलाना सीख कर और ज़्यादा शातिर हो गया …!
एक दिन मस्ती करते हुए लीना बोली – युसुफ मियाँ कहाँ है तुम्हारा गाओं..?
युसुफ – मेडम आपने अली** शहर तो देखा होगा.., उससे कोई 25 किमी दूर है..,
लीना – तो गाओं जाकर अभी क्या करने वाले हो..?
युसुफ – मे चाहता हूँ, बुढ़ापे में अम्मी-अब्बू को कुछ आराम दे सकूँ, बहनो का निकाह हो जाए, अच्छा घर उन्हें बनवा के दे सकूँ…, और ग़रीब की क्या ज़रूरतें होती हैं…,
लीना – गाओं में तुम्हारी कोई खेती-बाड़ी भी है क्या..?
युसुफ – अरे कहाँ मेडम जी…खेती बाड़ी होती तो मे यहाँ मुंबई में खाक छानने क्यों आता…!
लीना – मेरे दिमाग़ में एक प्लान है.., क्यों ना तुम अपने परिवार को उसी शहर में शिफ्ट कर्लो.., एक घर लेके दे दो उनको.., और एक अच्छी सी गुप्त जगह तलाश करके अपना धंधा वहाँ फैलाने की कोशिश करो…!
युसुफ – ये तो बहुत उम्दा प्लान बनाया है आपने मेडम.., अगर संजू साथ दे तो वहाँ तो अपना धंधा और जल्दी ही फैलने फूलने लग जाएगा…!
लीना – क्यों संजू.. क्या कहते हो..? जाना चाहोगे युसुफ भाई के साथ..?
संजू – मेरा क्या है.., कहीं भी आ जा सकता हूँ, मेरे कॉन आगे पीछे है देखने वाला…?
लीना दोनो को नये मोबाइल सेट देते हुए बोली – ये लो तुम दोनो के लिए अलग अलग मोबाइल, दोनो में हम तीनों के नंबर फीड किए हुए..,
जब भी बात करनी हो कभी भी एक दूसरे से जब चाहे बात कर सकते हैं..,
तो फिर तय रहा, तुम लोग कल ही निकल जाओ.., शहर में अपने लिए अच्छा सा घर देख लो, धंधे के लिए जगह तलाश करो..,
कुछ माल लेते जाना, जिससे अपना काम शुरू करने की कोशिश कर देना, ख़तम होने पर बस कॉल कर देना दूसरे दिन जितना चाहिए उतना माल तुम्हें मिल जाएगा.………..!
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, युसुफ के गाओं में बुड्ढे माँ-बाप तीन कुँवारी बहनें थी, सबसे बड़ी एक बेहन का निकाह हो चुका था जो उससे जस्ट छोटी थी..,
दूसरे नंबर की वहीदा भी अबतक 26-27 साल की हो चुकी थी, उससे छोटी रेहाना उससे दो साल छोटी माने 24-25 की और सबसे छोटी रुखसाना भी अब 22 साल की हो चुकी थी…!
युसुफ के अब्बू टेलरिंग का काम करते थे, लेकिन आज के जमाने में गाओं में भी अब कॉन सिलवाकर कपड़े पहनता है, कभी कभार कोई बड़ा-बुड्ढ़ा या फिर कोई ग़रीब आदमी कपड़े सिलवाने आ जाता था..!
हां औरतें ज़रूर ब्लाउस पेटीकोत सिल्वाति थी, जिसे वहीदा और कभी कभी उसकी अम्मी सील कर दे देती थी.., जिनकी सिलवाने की कीमत भी गाओं में लोग बड़ी मुश्किल से देते वो भी आज-कल करके काफ़ी लटकाने के बाद…!
बड़ी मुश्किल से दो वक़्त की रोटियों का गुज़ारा हो पाता था.., कभी कभी लड़कियों को जंगल से लकड़ियाँ काट कर लाना पड़ता.., एक-दो बकरी पाल रखी थी उनसे कुछ आमदनी हो जाती…!
कुल-मिलाकर बस दिन किसी तरह निकल ही रहे थे.., उसके बूढ़े अब्बू शहज़ाद ख़ान की कमर झुक गयी थी.., वक़्त की मार ने वक़्त से पहले ही बूढ़ा बना दिया था.., वरना इस उमर में शहर में लोग अधेड़ उम्र में गिने जाते हैं…!
युसुफ और संजू सीधे घर ना जाकर शहर में पहले उन्होने अपने लिए एक 5 कमरों का एक अच्छा सा घर खरीदा..,
फिर काफ़ी तलाश करने के बाद उन्हें एक उजाड़ पड़ी हवेली का पता चला वो भी वहाँ के कुछ बेरोज़गार युवकों की मदद से.
जिसे उन्होने अपने धाधे के लिए किराए पर लिया जो काफ़ी दिनो से विवादित थी, जिसपर कुछ दबंगों का कब्जा था, तो उन्होने ही उसे लीज़ पर दे दिया…!
सबसे खास बात उस मकान की ये थी कि उसके नीचे एक गुप्त तहखाना भी था जो उन्हें अपने धंधे के लिए सबसे उपयुक्त लगा…!
कुछ बेरोज़गार युवकों को अपने साथ मिलाकर काम करने को तैयार भी कर लिया.., इतना काम निपटाकर उन दोनो ने युसुफ के गाओं का रुख़ किया…!
गाओं निकलने के लिए वो काफ़ी लेट हो गये थे.., गाओं की तरफ जाने वाले रोड पर आकर पता किया क़ि इस वक़्त क्या साधन मिल सकता था गाँव जाने के लिए…!
लेने को वो दोनो स्पेशल टॅक्सी भी ले जा सकते थे लेकिन ये सब जताकर वो खम्खा इतनी जल्दी इस इलाक़े में अपने आप को उजागर नही करना चाहते थे…!
पता चला कि युसुफ के गाओं तक के लिए प्राइवेट वहाँ जैसे तीन पहिए के टेंपो या फिर टाटा मॅजिक जैसे वहाँ ही मिल सकते हैं…!
काफ़ी देर के इंतेजार के बाद वहाँ एक मॅजिक आकर रुकी.., इलाक़े का नाम
पुकार कर उसका क्लीनर पॅसेंजर्स को बुलाने लगा..,
युसुफ ने संजू का हाथ पकड़ा और पीछे से यू आकर वाली सीट पर सामने जाकर दोनो बैठ गये…, युसुफ को अंदाज़ा था कि इसमें भीड़ होने वाली है, इसलिए वो उसे लेकर फ़ौरन जाकर सीट घेर कर बैठ गया…!