Update 75
ये बात दो मिनट में ही सच साबित हो गयी.., उनके देखते ही देखते गाड़ी लोगों से फुल हो गयी.., सीटो की तो बात ही छोड़ो, लोग सीटो के बीच की खाली जगह में भी आकर खड़े होने लगे…!
मॅजिक लोगों से खचाखच भर गया, यहाँ तक कि एक पैर रखने की जगह नही बची, तभी उसमें एक लड़की घुसी.., लोगों ने उसे ज़बरदस्ती से अंदर ठूंस दिया..,
धीरे-धीरे एक-एक पैर जमाती हुई वो युसुफ और संजू जहाँ बैठे थे वहाँ तक पहुँच गयी.., इधर उधर मंडी घुमाने तक की गुंजाइश नही थी…!
चूँकि भीड़ के कारण अंदर अंधेरा सा हो गया था, कुछ भी साफ-साफ दिखाई नही दे रहा था.., वो लड़की झुकी हुई अपने लिए टिकने लायक जगह तलाश कर रही थी कि किसी तरह वो अपने चूतड़ टिका सके…!
तभी उसकी नज़र युसुफ पर पड़ी.., मानो उसे कोई कारुन का खजाना मिल गया हो.., चहकते हुए बोली – अरे भाई जान आप.., गाओं जा रहे हो..?
युसुफ उसकी तरफ गौर से देखने लगा.., वो फिर बोली – अरे पहचाना नही.., मे नन्ही.., आपकी बेहन रेहाना की दोस्त..,
युसुफ ने उसे पहचानते हुए कहा – ओह्ह्ह..तू नन्ही है.., मेरी तो पहचान में ही नही आई.., तू तो काफ़ी बड़ी हो गयी है.., गाओं जा रही है..?
नन्ही – हन भाई जान.., पर इस गाड़ी में लगता है पैर रखने की भी जगह नही बची.., फिर वो संजू की तरफ इशारा करके बोली – ये भाई भी आपके साथ हैं क्या..?
युसुफ ने जैसे ही हां में गर्दन हिलाई.., वो फ़ौरन बोल पड़ी – तो फिर दोनो मिलकर मेरे लिए थोड़ी जगह बनाओ ना.., झुके-झुके गाओं तक कमर ही दुखने लगेगी..मेरी…!
युसुफ ने संजू की तरफ देखा.., दोनो ने एक नाकाम कोशिश की दोनो के बीच जगह बनाने की लेकिन एक इंच जगह भी नही कर पाए…!
बहुत मुश्किल है नन्ही.., बोल अब कैसे करें..? युसुफ अपनी असमर्थता जताते हुए बोला…,
नन्ही – कोई बात नही.., कुछ देर की ही तो बात है.., जैसे बचपन में आप मुझे गोद में बिठा लेते थे, वैसे ही अब बैठ जाउन्गि..,
इतना कहकर उसने उसकी रज़ामंदी का भी इंतेजार नही किया और झट से अपनी गुद-गुदि 34-35” चौड़ी गान्ड रखकर उसकी गोद में बैठ गयी…!
उसके बैठते ही युसुफ की हवा सरक गयी.., उसे ये अंदाज़ा भी नही था कि ये लड़की इंटनी बिंदास निकलेगी कि भरी गाड़ी में उसकी गोद में ही आकर बैठ जाएगी..,
लेकिन नन्ही की भी अपनी मजबूरी थी.., एक घंटा से भी ज़्यादा का रास्ता वो यौं झुके-झुके नही काट सकती थी, उपर से सही से पैर जमाने की गुन्जायश भी नही थी…!
युसुफ की टाँगों को उसका वजन झेलना मुश्किल पड़ रहा था.., उसकी हालत का मज़ा लेते हुए संजू मन ही मन मुस्करा रहा था.., आख़िर में युसुफ को बोलना ही पड़ा…!
नन्ही तू तो बहुत भारी हो गयी है.., मेरी तो टाँगें अभी से दुखने लगी…!
नन्ही उसे उलाहना सा देते हुए बोली – भाई जान.. कैसे मर्द हो.., एक लड़की का वजन भी नही झेल सकते.., चलो फिर मे एक काम करती हूँ, अपना आधा वजन इस भाई पर रख लूँ..?
युसुफ – हां ये ठीक रहेगा.., चल तू अपने पैर संजू की तरफ करले.., और आधा वजन मेरी जांघों पर आजाएगा, आधा संजू की…!
संजू उनके बीच पाक रही खिचड़ी से कतई सहमत नज़र नही आया.., लेकिन कहता भी क्या.., उसके दोस्त के गाओं की लड़की के सामने वो मना भी नही कर पाया..,
जैसे तय हुआ अब नन्ही वैसे ही अपनी जांघों का आधा भार संजू की टाँगों पर रख कर एक तरह से उन दोनो की गोद में अढ़लेटी सी हो गयी…!
उसकी मुलायम रूई जैसी गद्दार गान्ड की गर्मी से युसुफ का लॉडा उसके पॅंट में अकड़ने लगा.., जिसका उभार नन्ही को अपने एक कूल्हे पर हो रहा था…!
उसने युसुफ की तरफ देखा.., दोनो की नज़र मिलते ही दोनो मुस्करा उठे.., नन्ही ने लाज्बस अपनी नज़र झुका ली..,
दूसरी तरफ उसकी एक जाँघ संजू के लौडे से सटी हुई थी.., नतीजा जाँघ के मांसल दबाब से उसका लॉडा भी करवट बदलने लगा..,
गान्ड और जाँघ पर अलग अलग दो लंड की चुभन के एहसास ने नन्ही की साँसों को गरमा दिया.., गाड़ी चलते ही हिचकॉलों ने और आग में घी डालने का काम कर दिया…!
अब युसुफ के हाथ भी हरकत करने लगे.., उसने अपना एक हाथ उसके चिकने पेट पर फिराना शुरू कर दिया.., नन्ही बिना नज़र मिलाए आनंद लूट रही थी..,
फिर जैसे ही युसुफ का हाथ उसकी मांसल हल्की सी गहरी नाभि पर पहुँचा, उसकी उंगलियाँ नाभि के आस-पास के क्षेत्र को सहलाने लगी..,
लेकिन जब उसने अपनी एक उंगली उसके नाभि कुंड में प्रवेश कराई…!
नन्ही की सहन शक्ति जबाब दे गयी.., गुद-गुदि के मारे उसका पेट थिरकने लगा.., हल्के से हँसते हुए उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे रोकते हुए कहा –
क्या करते हो भाई जान, गुद गुदि हो रही है मुझे…!
युसुफ ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा – तो तू ही बता मे अपना हाथ कहाँ रखूं..?
नन्ही ने एक बार अपनी वासना में लिपटी नज़र उसपर डाली और कहा – और जहाँ भी रखना हो रखो.., लेकिन यहाँ नही…!
उसकी नाभि प्रदेश से अपना हाथ सरका कर युसुफ ने उसकी चोली पर रखते हुए कहा – यहाँ रख लूँ…?
नन्ही का चेहरा शर्म और कामुकता से लाल हो गया.., उसने बस इतना ही कहा – मुझे नही पता…!
ये युसुफ के लिए खुला निमंत्रण था.., सो वो कुछ देर तक अपने हाथ से उसकी मांसल चुचियों को सहलाता रहा…!
इधर संजू ने जब उनकी काम क्रीड़ा देखी.., तो उसने भी पीछे रहना मुनासिब नही समझा.., और आहिस्ता से अपना एक हाथ उसके घाघरे में डाल दिया और उसकी बालों रहित चिकनी पिंडलियों को सहलाने लगा..!
अब नन्ही पर दोहरी मार पड़ रही थी.., मज़े में उसने अपनी आँखें मूंद ली.., और गूंगे के गुड की तरह दोनो के स्पर्श का मज़ा लूटने लगी…!
धीरे धीरे दोनो मर्दों की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी.., उपर युसुफ ने उसकी चोली के बटन खोल डाले, उपर से नन्ही ने अपना आँचल डालकर ढक लिया.., और वो दोनो हाथों से उसके गोल-गोल चुचियों को मसल्ने लगा..!
उधर संजू का हाथ अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था.., कुछ देर उसकी पिंडलियों को सहलाने के बाद वो उसकी जाँघ तक पहुँच गया..,
नन्ही ने पहले तो अपनी टाँगें खोलकर हाथ को अंदर तक जाने का रास्ता दे दिया.., फिर जैसे ही उसका हाथ उसकी योनि पर पहुँचा..,
नन्ही ने अपनी मांसल जांघों को कस लिया.., साथ ही उसके मूह से दबी दबी सी मादक सिसकी निकल गयी…!
संजू ने दूसरे हाथ का इशारा देकर उसे टाँगें चौड़ी करने को कहा – नन्ही भी अब पूरा मज़ा लेने के मूड में थी.., सो उसने अपनी जांघें फिरसे खोल दी..,
संजू ने मौके का फ़ायदा उठा कर उसकी कच्छी को एक तरफ सरका दिया.., नन्ही की चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.., उसी गीलेपन के कारण संजू की एक उंगली उसकी चूत में अंदर तक सरक गयी…!
नन्ही ने बुरी तरह तड़प कर संजू के लंड को हाथ से मसल दिया.., बेचारी दो मर्दों की हरकतों को झेलने में असमर्थ होती जा रही थी…!
युसुफ उसकी चुचियों को मक्खन की तरह बिलो रहा था.., कभी कभी उसके कड़क कंचे जैसे निप्प्लो से खेलने लगता..,
तो वहीं संजू की उंगली उसकी चूत में हा-हाकार मचाए हुए थी.., नन्ही अपनी टाँगें फैलाकर नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठाकर संजू की उंगली को और गहराई तक लेने का प्रयास करने लगी…!
लौंडिया की गर्मी देख कर संजू भी बहुत गरम हो उठा.., अपनी उंगलियों की मदद से उसने अपने पॅंट की जिप खोल दी..,
लंड को बाहर करके नन्ही के हाथ में पकड़ा दिया…,उसकी एक जाँघ लगातार उसके लंड की वाट लगाए हुए थी.., साथ ही वो अपने हाथ से भी उसकी मुट्ठी मारने लगी…!
उत्तेजना के चरम पर पहुँच कर संजू ने अपनी दो उंगली चूत की गहराइिओं में उतार दी..और तेज-तेज अंदर बाहर करके एक तरह से हाथ से ही उसे चोदने लगा….!
उधर उसूफ ने भी गाड़ी के अंदर के अंधेरे का लाभ लेकर अपना लंड भी बाहर कर लिया.., उसने नन्ही को अपनी तरफ पलटा कर अपना लंड उसके मूह में दे दिया…!
ऐसे खेलों से अंजान होते हुए भी नन्ही वासना में अंधी हो चुकी थी.., उसे ये भी होश नही था कि उसके मूह में कब लंड घुस गया..,
वो तो उसके कटे हुए टोपे पर लगे नमकीन पानी को चाटते ही और ज़्यादा मदहोश हो गयी.., लॉलीपोप की तरह युसुफ के लंड को चचोर्ने लगी…!
बिना आवाज़ किए ये तीनों बिना की की परवाह किए अपने अपने कामों लगे थे…,
युसुफ का लंड सबसे पहले जबाब दे गया, उसने नन्ही के गले तक अपनी पिचकारी छोड़ दी..,
इधर नन्ही भी अपने चरम पर थी.., उसके पेट में क्या जा रहा है इस बात नज़रअंदाज करके उसने बहुत ज़ोर्से संजू के लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया…
अपनी गान्ड हवा में लहराकार वो भी भल-भलकर झड़ने लगी.., उसके चूतरस से संजू का हाथ तर हो गया…..!
लंड को कसकर दबाने से उसके लंड ने भी अपना लावा उगल दिया.., लंड की सीधी पिचकारी नन्ही की जाँघ और चूत के मूह पर पड़ी…!
गरम गरम वीर्य की बौछार अपनी चूत की फांकों पर पड़ते ही.., झड़ी हुई नन्ही की आँखें मज़े से फिर मूंद गयी…..!
मूह में युसुफ के वीर्य का स्वाद, हाथ, जाँघ, चूत संजू और खुद के पानी से लथपथ..,
जब तीनों को सकुन मिला तब होश आया, संजू ने अपना हाथ चाट’ते हुए चटखारा सा लेकर बोला – बड़ी नमकीन लौंडिया है यार…!
उसकी बात सुनकर नन्ही बुरी तरह शरमा गयी.., अपना लहनगा नीचे सरकाते हुए फुसफुसाई.., मेरे घर आना आप दोनो…!
अभी युसुफ कोई जबाब देता, मॅजिक झटके से रुक गया.., धीरे-धीरे करके भीड़ खाली हुई, लास्ट में वो तीनो भी निकले..,
नन्ही ने अपना थैला उठाया, नज़र झुकाए बोली – मे इंतेजार करूँगी.., आना ज़रूर.., इतना कहकर वो किसी चंचल हिरनी की तरह कुलाँचें भरती हुई अपने घर की तरफ भाग गयी…!
पीछे से वो दोनो उसके लहंगे में थिरकति गान्ड को देखते हुए अपने अपने लंड सेट करके युसुफ के घर की तरफ बढ़ गये….!
युसुफ का घर बहुत छोटा सा ही था.., कम हाइट के दो छोटे से कच्ची मिट्टी की एंटों के कोठे बने हुए थे,
मुख्य दरवाजे से घुसते ही एक आधी खुली और आधी छप्पर पड़ी थोड़ी सी जगह दोनो कोठो के सामने थी,
जहाँ एक कोने में नहाने धोने के लिए लकड़ी के पुराने पत्तों से आड़ बनाकर एक पत्थर रख कर बनाया हुआ था..
उसके ठीक बगल में ही खाना पीना बनाने के लिए छप्पर के नीचे चौका बना रखा था..,
इस समय परिवार के सभी लोग बड़ी बेटी वहीदा को छोड़कर चौके के आस-पास बैठे सुखी रोटियाँ लाल मिर्च की चटनी के साथ खा रहे थे…,
बीच वाली रेहाना रोटियाँ बना रही थी.., वहीदा कहीं बाहर गयी थी, शायद किसी के सिले हुए कपड़े देने…!
दरवाजे को धकेल कर जब वो दोनो घर में प्रवेश हुए तो बूढ़ी आँखें अपने बेटे को देख कर खुशी से चमक उठी,
छोटी बेहन रुखसार अपने भाई जान को देख कर चहकते हुए दरवाजे की तरफ दौड़ी.., और जाकर उसके गले से लग गयी…,
अपनी छोटी बेहन के गुदाज उभारों का दबाब अपने सीने पर पाकर युसुफ का लंड जो कुछ देर पहले ही पिचकारी मारके चुका था.., पाजामा में फिर से कुलबुलाने लगा..,
युसुफ ने भी उसके गोल-मटोल बॉली बॉल जैसे कुल्हों पर हाथ फेर्कर सहलाते हुए कहा – कैसी है मेरी गुड़िया..?
रुखसार ने अपने भाई की आँखों में देखा, जानना चाहा..कि आपका ये हाथ किस मकसद से मेरी गान्ड सहला रहा है.., फिर मुस्कराते हुए और ज़ोर से उससे चिपकते हुए बोली –
मे तो ठीक हूँ, आप सूनाओ.., कितने दिनो के बाद याद आई हम लोगों की.., और ये भाई कॉन हैं..?
युसुफ ने हल्के से उसके एक चूतड़ को दबा दिया, फिर अपने से अलग करते हुए बोला – यहाँ लौटने लायक मे बन ही नही पाया अबतक.., जब इस लायक हुआ कि तुम सब लोगों को कुछ दे सकूँ तो दौड़ा चला आया…
ये मेरा सबसे अज़ीज़ दोस्त संजू है.., अब ये भी हमारे परिवार का हिस्सा ही है..,
फिर उसने पास जाकर अपने अब्बू-अम्मी को सलाम किया.., संजू ने भी अपने हाथ जोड़ दिए.., राज़ी खुशी आदान प्रदान हुई..,
बातों बातों में युसुफ ने उन्हें बता दिया कि दो दिन में ही हम लोग यहाँ से शहर में शिफ्ट हो रहे हैं.., ज़रूरत का समान ही ले लेना, फालतू का यहाँ किसी को दे देना…!
फिर दोनो बारी बारी से हाथ मूह धोकर फ्रेश हुए.., बेचारी रुखसार ने कहीं से साग भाजी का इंतेजाम किया.., तब तक वहीदा भी आ गयी..,
वो भी अपने भाई के गले मिली.., उसके आगे पीछे के साइज़ को देख कर तो युसुफ का लंड पूरा ही खड़ा हो गया..,
उसके गले मिलते ही उसके नागराज ने अपने लिए बिल तलाश कर लिया, वो उसकी चूत के मुहाने पर जाकर ठोकरें देने लगा…!
खा-पीकर गाओं में वैसे भी जल्दी सोने की आदत है, करें भी तो क्या…? और कोई काम भी तो नही.., बिजली होती नही.., मनोरंजन के साधन कुछ थे नही…!
अब दो छोटे-छोटे कोठे थे उनमें ही इन सभी को अड्जस्ट होना था..,
वहीदा अपने अम्मी-अब्बू के साथ सोती थी.., उसी में युसुफ का भी बिस्तर ज़मीन पर लगा दिया…!
दूसरा कोठा जिसमें सिलाई की मशीन, पास में एक 6” उँची तख़्ती सी पड़ी थी.. जिसपर कपड़ों की काट छांट और इस्त्री वग़ैरह करते थे.., उसी को साफ करके दोनो छोटी बहनें सो जाती थी…,
वाकी का कोठा कपड़ों से भरा होता था.., जगह ही कितनी थी..,
अब संजू को भी उसी कोठे में अड्जस्ट करना था.., तख़्ती दो के ही लायक थी.., तीसरे की तो किसी भी सूरत में गुंजाइश हो ही नही सकती.., चलो तीनों लड़कियाँ हो तो अड्जस्ट कर भी लें…!
तो फिर कपड़े एक तरफ करके थोड़ी और जगह की, और ज़मीन पर ही उसके लिए भी एक दडी डालकर बिस्तर का इन्तेजाम किया गया..,
अभी लेटे हुए उन्हें कोई एक घंटा भी नही हुआ था.., कि संजू को बाहर कुछ ख़ुसर-पुसर सी सुनाई दी..,
कुछ देर तो वो ये अनुमान लगाता रहा कि ये आवाज़ घर के बाहर से आरहि हैं या अंदर से.., फिर जब उसे कन्फर्म हो गया तो वो चुपके से उठा और जाकर दरवाजे के बीच की झिरी से आँख सटा कर बाहर देखने की कोशिश करने लगा…!
कुछ देर तो उसे कुछ नही दिखा बस आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी, जो शर्तिया युसुफ और उसकी बेहन वहीदा की थी..,
कुछ देर में उसकी आँखें अंधेरे की अभ्यस्त हो गयी.., और जैसे ही उसे बाहर का दृश्य क्लियर सा हुआ.., जिसे देखते ही एक साथ उसके लंड ने थुन्कि सी लगाई…!
युसुफ रेहाना को पीछे से जकड़े हुए था.., और उसके दोनो हाथ उसकी बड़ी-बड़ी 36” की चुचियों पर जमे हुए थे जिन्हें वो बड़ी बेदर्दी से मसल रहा था..,
उसका लंड खड़ा होकर वहीदा की गान्ड में घुसा जा रहा था.., वो बुरी तरह सिसक कर बोली – आआहह…भाई जान धीरे से मस्लो ना.., और कितने बड़े करोगे इनको…?
अभी तो मेरा निकाह भी नही हुआ उससे पहले ही ये इतने बड़े हो गये है.., बाहर चलते हुए जब हिलते हैं तो मुझे बड़ी लज़्ज़ा आती है…!
अब जल्दी से मेरा निकाह कर्वाओ, वरना कोई करेगा भी नही..,
युसुफ – बस मेरी बहना.., शहर में शिफ्ट होते ही सबसे पहले तेरा निकाह पक्का.., कोई अच्छा सा लड़का मिलते ही सबसे पहला काम यही करूँगा…!
शहर का नाम सुनते ही वहीदा पलट गयी.., अपने भाई के गले से लिपट कर उसके होठों का रस चुस्कर बोली – क्या सच भाई जान.., हम लोग शहर में शिफ्ट होंगे..?
युसुफ ने उसका कुर्ता उतार दिया.., एक पुरानी सी ढीली ढली ब्रा से बाहर उबले पड़ रहे उसके सुडौल मोटे-मोटे चुचों को देख कर वो बावला सा होकर उनके उपर टूट पड़ा…!
वहीदा ने भी उसके पाजामा को नीचे खिसका दिया.., और उसके फन्फनाते नाग को अपनी चूत की मोटी-मोटी फांकों पर घिसते हुए बोली – शहर में आप लोग क्या करोगे..?
युसुफ का अपनी बेहन के मखमली गुदाज बदन की गर्मी से बुरा हाल होने लगा था.., उपर से वो उसके लंड को लगातार अपनी गीली चूत पर रगडे जा रही थी..
उसे पलटा कर उसने दीवार के सहारे निहुरा लिया.., पीछे से उसकी चौड़ी चकली गान्ड पर हाथ फिराते हुए बोला –
पहले तो मे अपनी सेक्सी बेहन को जी भरके चोदुन्गा.., उसके बाद बताता हूँ.., इतना कहकर उसने अपना गरम लॉडा उसकी चूत के छेद पर अड़ा दिया.., और सार्ररर…से एक झटके में ही पूरा अंदर तकपेल दिया…!
वहीदा के मूह से एक बेहद ही कामुक सिसकी निकल पड़ी.., साथ ही संजू का लंड भी उसके पाजामा के अंदर फुल फॉर्म में आगया…!
वो लगातार बाहर झाँक कर उस गरम सीन में खोया हुया था.., उसे पता भी नही चला कि कब वो दोनो घोड़ियाँ आकर उसके आजू-बाजू खड़ी हो गयी…!
खड़ी ही नही हुई.., बल्कि दोनो तरफ से वो उसके बदन से सॅट कर अपने बदन को उसके साथ रगड़ने लगी…..,
जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो उसने बारी-बारी से दोनो की तरफ देखा.., मानो उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो.., उस अंदाज में संजू ने अपनी गर्दाण झुका ली..,
रेहाना ने उसकी चौड़ी छाती को सहलाते हुए कहा – यहाँ क्यों खड़े हैं जनाब.., बाहर कोई तमाशा हो रहा है क्या..?
संजू पीछे हटना चाहता था, लेकिन उसने मजबूती से जाकड़ कर उसे हिलने भी नही दिया.., और रुखसार से बोली – देख तो रुखसार बाहर जनाब क्या नज़ारा देख रहे थे…!
वैसे तो उन दोनो को भी पता था.., फिर भी उसने झाँक कर देखा.., जहाँ युसुफ हुंकार भरते हुए अपनी बेहन की पीछे से चुदाई कर रहा था..,
उसकी जांघों की थप ठप जब उसके भारी चुतड़ों पर पड़ती.., तो उनमें मानो भूचाल सा आ जाता और वो दोनो सागर की लहरों की लहराकार उपर को हो जाते…!
हाए रेहाना बेहन क्या गरमा-गरम चुदाई हो रही है बाज़ी और भाई जान की.., देख तू भी देख…!
संजू समझ गया कि ये तीनों ही बहनें चुदक्कड हैं, और इन्हें अपने ही सगे भाई से चुद्वाने में कोई एतराज़ नही है..,
वो पीछे खिसकते हुए बोला.., तुम दोनो मज़े लो.. मे चला सोने..,
लेकिन जैसे ही वो पलटा.., पीछे से रुखसार ने उसकी कौली भर ली.., और उससे चिपकते हुए बोली – अब इतना अच्छा सीन तो आप ही की वजह से देखने को मिला है..,
तो इसका समापन भी तो तुम्हें ही करना पड़ेगा जनाब .,
संजू उसके हाथ हटाते हुए बोला – यहाँ खड़े खड़े ही चुदना चाहती हो अपनी बाज़ी की तरह..,
संजू के मूह से रज़ामंदी भरे शब्द सुनकर दोनो घोड़ियाँ कुलाँचे भरती हुई अपनी तख़्ती पर जा जमी.., बीच में उसके लिए जगह बनाकर वो दोनो बड़ी बेसब्री से संजू का इंतेजार करने लगी…………………!
बाहर का गरमा गरम स्टेज शो कुछ देर और चला.., फिर वहाँ एक दम से शांति छा गयी.., गरम गरम आहों का बाज़ार अब थम चुका था…इसका मतलब उन दोनो का कार्यक्रम अब समाप्त हो चुका था…!
लेकिन उसकी वजह से इस छोटे से कोठे का तापमान काफ़ी बढ़ चुका था…. !
दोनो बहनों को उनके अपने सगे भाई बेहन की चुदाई के सीन ने इतना ज़्यादा कामोत्तेजित कर दिया था कि अब उन्हें संजू के उस दो कदम के फ़ासले को भी सहन करना दूभर लग रहा था…,
दोनो की चूत में मानो भट्टियाँ जल रही थीं…, रहना एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली को अपने मूह में डालकर चूस्ते हुए बोली –
क्या नयी नवेली दुल्हन की तरह आ रहे हो.., जल्दी करो नाआ..,
संजू के उन दोनो के पास आने तक उन पठ्ठियो ने समय बरवाद ना करते हुए अपने-अपने कुर्ते निकाल फेंके…!
उन दोनो हवस में अंधी हो रही जवान घोड़ियों को इस अवस्था में देखकर संजू का लंड उसके पाजामे में कबड्डी खेलने लगा.., उसे लगा कि कहीं साला कपड़े फाड़कर बाहर ना निकल पड़े…!
जैसे ही वो उन दोनो के सामने जाकर खड़ा हुआ.., रेहाना के सब्र का बाँध टूट गया.., बड़ी बेदर्दी से उसका हाथ पकड़ कर एक ज़ोर का झटका दिया.., वो धप्प से उन दोनो के बीच में फँस गया…!
संजू ने अपने एक -एक हाथ को उनकी गर्दन के पीछे से निकाल कर दोनो की एक – एक चुचि पर कब्जा जमा लिया.., उन्हें ज़ोर्से उमेठते हुए बोला – साली तीनो की तीनो बहनें बड़ी गरम माल हो तुम लोग..,
रुखसार ने उसके पाजामे को नीचे सरका दिया.., अंडर वेअर के उपर से ही उसके फन्फनाते नाग का मूह दबोचते हुए बोली – यहाँ भी कुछ कम गर्मी नही है जनाब…!
संजू के मूह से एक कराह निकल गयी – सस्सिईई..आअहह…साली रांड़ उसके थोब्डे को क्यों मसल रही है, इतना कहकर उसने उसके होठों को अपने मूह में भर कर चब-चबा डाला…!
वो बस मूह ही मूह में गौउउन्न्न…ग्ौउउन्नमन्…करती रह गयी…!
दूसरी तरफ रेहाना ने उसके टीशर्ट और अपनी ब्रा को नोच डाला.., और अपनी 34+ की चुचियो को उसकी चौड़ी कठोर छाती से रगड़ने लगी.., उसके निपल कड़क होकर जंगली बेर जैसे हो गये…!
रुखसार ने होठ चुसाई करते हुए ही हल्के से अपनी गोल-मटोल गान्ड अधर की और अपनी पाजामी को भी टाँगों से बाहर निकाल दिया..,
अपनी चुचियों को संजू के सीने से रगड़ती हुई रेहाना ने कच्छी के उपर से ही अपनी छोटी बेहन की चूत को सहला दिया…! मज़े से रुखसार की कमर और आगे को सरक गयी…!
संजू होठों के साथ साथ रुखसार की चुचियों को भी मथ रहा था.., पुरानी अंगियाँ ना जाने कब धारसाई हो चुकी थी..,
इधर रेहाना ने भी उसकी कच्छि सरका दी.., और अब वो रुखसार की चूत में अपनी उंगलियाँ डालकर उसे चोद रही थी..
रुखसार से ये दोहरा हमला सहन नही हुआ.., उसकी चूत लगातार रस छोड़ने लगी थी.., चूत की गर्मी ने उसे इतना बहाल कर दिया कि संजू की छाती पर अपनी हथेली का भार डालकर उसे तख़्ती पर धकेल दिया…
अपनी गरम दह्कति चूत को उसने संजू के नाग पर सेट करके वो उसपर बैठती चली गयी…!
पूरा लंड अंदर पहुँचते पहुँचते उसके मूह से एक बेहद मादकता भरी आहह..निकल गयी…, आअहह….उउउम्म्मननगज्ग….अम्मि….
जिसे सुनकर संजू अपनी गान्ड उचकाते हुए बोला – क्यों मेरी रानी बिना कटे लंड को लेकर मज़ा आया कि नही..?
हाअए अल्लहह..कितना लंबा है…, उउउफफफ्फ़ बड़ा मज़ा दे रहा है ये तो.., कहते हुए वो उसके लंड पर कूदने लगी.., कुछ देर बाद संजू ने भी नीचे से धक्के लगाना चालू कर दिया…!
उन दोनो की मदमस्त चुदाई देख कर रेहाना का हाल बहाल होने लगा.., अब उसकी चूत में भी बुरी तरह से चिंतिया सी काटने लगी थी.., उसकी चूत में लगी आग का जल्दी ही बुझना ज़रूरी था…!
उसे इन दोनो की चुदाई जल्दी ख़तम होने के आसार नज़र नही आ रहे थे.., सो उसने भी अपनी कच्छी निकाल फेंकी और रुखसार की तरफ मूह करके वो संजू के मूह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी…!
संजू ने भी उसकी मस्त चौड़ी चकली मदमाती मखमली गान्ड पर थपकी देकर उसकी गीली चूत के रस को अपनी जीभ डालकर चपर-चपर चाटने लगा…!
दोनो बहनें किसी बैलगाड़ी के हिचकॉलों की तरफ संजू के उपर और नीचे लहरा रही थी.., दोनो के हाथ एक दूसरी की चुचियों पर जम गये और वो दोनो आपस में एक दूसरी के होठ भी चुस्ती जा रही थी…!
तीनो की आहों कराहो से उस छोटे से कोठे का तापमान बहुत बढ़ चुका था.., वातावरण में चुदाई की खुसबु महकने लगी थी…!
कुकछ देर में ही रुखसार अपना पानी निकाल बैठी.., तूफ़ानी रफ़्तार से अपनी गान्ड को आगे-पीछे घिसते हुए वो भल-भलकर झड़ने लगी..,
थोड़ी देर तक वो यौंही शांत उसके उपर बैठी रही.., उधर रेहाना का कुलाबा भी फूटने वाला था..,
वो भी अपनी चूत को संजू के मूह पर दबाकर झड़ने लगी और अपना सारा अमृत कलश उसके मूह में खाली कर दिया…!
फिर दोनो रंडियों ने बारी-बारी से संजू के लंड को चूसा.., कुछ देर में ही उन दोनो ने बराबर-बराबर मात्रा में उसके लंड का प्रसाद अपने पेट में उतार लिया...!
चुसाई से रेहाना की चूत की खुजली कम होने की वजाए और तेज हो गयी थी.., जो आग एक मोटे लंड के चूत की दीवारों से रगड़ने से बुझनी चाहिए वो जीभ से कहाँ बुझने वाली थी.....
उसने संजू के होश लौटने का भी इंतेजार नही किया और उसके मरे चूहे जैसे मुरझाए लंड पर किसी भूकि कुतिया की तरह टूट पड़ी..!
वो भी आख़िर जवान मर्द था, दो मिनट में ही उसका नाग फिरसे फन फ़ना कर दूसरे बिल में जाने के लिए तैयार था…!
घोड़ी बनाकर इस बार रेहाना की चूत की उसने वो कुटाई की…, वो हाए तौबा मचाती हुई उसके लंड पर अपनी गान्ड पटक-पटक कर चुदने लगी…!
दोनो ही बहनें बहुत ही गरम माल निकली.., पूरी रात वो तीनों जागकर भरपूर चुदाई का मज़ा लूटते रहे.., संजू की सारी टंकी उन दोनो रंडियों ने खाली करदी.., और खुद भी खाली हो गयी…!
दूसरे दिन खाना खा पीकर युसुफ गाओं में अपने यार दोस्तो से मिलने चला गया.., संजू से पुछा तो उसने रात की थकान के कारण मना कर दिया..,
मौके का फ़ायदा उठाकर उन दोनो घोड़ियों ने वहीदा को भी संजू से चुदवा दिया.., ये घोड़ी तो बिल्कुल पोली निकली.., संजू को उसकी चूत मारने में बिल्कुल मज़ा नही आया..,
फिर उसने लौडे को चूत से निकालकर उसकी गान्ड में डाल दिया.., हिन-हिना कर वो घोड़ी उसके लंड को गान्ड में भी आसानी से ले गयी…!
गान्ड पर थप्पड़ लगाते हुए संजू ने कहा – तू तो सब तरफ से पोली है रानी.., बहुत लंड खोर लगती है.., कितने ले चुकी है अब तक…!
वहीदा ने अपनी गान्ड पीछे धकेलते हुए कहा – भडुये के चोदे.., तुझे जैसे मज़ा मिलता है वैसे ले ना.., लंड की गिनती जानकार क्या करेगा…?
मे चुदने के मामले में कभी परहेज नही करती.., जैसा मिले ले लेती हूँ…!
एक बार वहीदा की गान्ड में अपना पानी निकाल कर संजू गहरी नींद में डूब गया..,
तीसरे दिन उन सबने कुछ ज़रूरत का समान एक टेंपो में लादा और शहर की तरफ रबाना हो लिए…!
शहर में इतना बड़ा और अच्छा मकान देख कर युसुफ के परिवार वाले खुश हो गये.., जहाँ जिसको अच्छा लगा अपना डेरा जमा दिया…!
थोड़े ही दिनो में उनके धंधे का खोम्चा इस शहर में जम गया, उनके ही गॅंग के एक बफ़ादार ,., जो तलाक़ सुदा था, उससे वहीदा का निकाह करा दिया.., तीनो बहनें भी उसी धंधे में लग गयी..
हिजाब में छुपा कर माल सप्लाइ करने में वो माहिर हो गयी.., कोई एडा कस्टमर होता उसे वो अपने हुश्नो-शबाब के दर्शन कराकर काम निकाल लेती थी..!
उन्हें अपना काम निकालने के लिए किसी के सामने चूत खोलने पर भी कोई एतराज नही होता था…!
कुछ ही दिनो में युसुफ और संजू गॅंग ने अपने झंडे गाढ दिए, उनकी पर्फॉर्मेन्स देख कर लीना बहुत खुश थी..,
उसने भी अपना मुंबई का धंधा कुछ भरोसेमंद लोगों को सौंपा, खुद भी इसी शहर में एक अच्छा सा बंगला खरीद कर शिफ्ट हो गयी…!
दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की से वो कुछ ही दिनो में एक छोटी-मोटी ड्रग डीलर से एक बड़े माफिया ग्रूप में तब्दील हो गये…..!
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मॅजिक लोगों से खचाखच भर गया, यहाँ तक कि एक पैर रखने की जगह नही बची, तभी उसमें एक लड़की घुसी.., लोगों ने उसे ज़बरदस्ती से अंदर ठूंस दिया..,
धीरे-धीरे एक-एक पैर जमाती हुई वो युसुफ और संजू जहाँ बैठे थे वहाँ तक पहुँच गयी.., इधर उधर मंडी घुमाने तक की गुंजाइश नही थी…!
चूँकि भीड़ के कारण अंदर अंधेरा सा हो गया था, कुछ भी साफ-साफ दिखाई नही दे रहा था.., वो लड़की झुकी हुई अपने लिए टिकने लायक जगह तलाश कर रही थी कि किसी तरह वो अपने चूतड़ टिका सके…!
तभी उसकी नज़र युसुफ पर पड़ी.., मानो उसे कोई कारुन का खजाना मिल गया हो.., चहकते हुए बोली – अरे भाई जान आप.., गाओं जा रहे हो..?
युसुफ उसकी तरफ गौर से देखने लगा.., वो फिर बोली – अरे पहचाना नही.., मे नन्ही.., आपकी बेहन रेहाना की दोस्त..,
युसुफ ने उसे पहचानते हुए कहा – ओह्ह्ह..तू नन्ही है.., मेरी तो पहचान में ही नही आई.., तू तो काफ़ी बड़ी हो गयी है.., गाओं जा रही है..?
नन्ही – हन भाई जान.., पर इस गाड़ी में लगता है पैर रखने की भी जगह नही बची.., फिर वो संजू की तरफ इशारा करके बोली – ये भाई भी आपके साथ हैं क्या..?
युसुफ ने जैसे ही हां में गर्दन हिलाई.., वो फ़ौरन बोल पड़ी – तो फिर दोनो मिलकर मेरे लिए थोड़ी जगह बनाओ ना.., झुके-झुके गाओं तक कमर ही दुखने लगेगी..मेरी…!
युसुफ ने संजू की तरफ देखा.., दोनो ने एक नाकाम कोशिश की दोनो के बीच जगह बनाने की लेकिन एक इंच जगह भी नही कर पाए…!
बहुत मुश्किल है नन्ही.., बोल अब कैसे करें..? युसुफ अपनी असमर्थता जताते हुए बोला…,
नन्ही – कोई बात नही.., कुछ देर की ही तो बात है.., जैसे बचपन में आप मुझे गोद में बिठा लेते थे, वैसे ही अब बैठ जाउन्गि..,
इतना कहकर उसने उसकी रज़ामंदी का भी इंतेजार नही किया और झट से अपनी गुद-गुदि 34-35” चौड़ी गान्ड रखकर उसकी गोद में बैठ गयी…!
उसके बैठते ही युसुफ की हवा सरक गयी.., उसे ये अंदाज़ा भी नही था कि ये लड़की इंटनी बिंदास निकलेगी कि भरी गाड़ी में उसकी गोद में ही आकर बैठ जाएगी..,
लेकिन नन्ही की भी अपनी मजबूरी थी.., एक घंटा से भी ज़्यादा का रास्ता वो यौं झुके-झुके नही काट सकती थी, उपर से सही से पैर जमाने की गुन्जायश भी नही थी…!
युसुफ की टाँगों को उसका वजन झेलना मुश्किल पड़ रहा था.., उसकी हालत का मज़ा लेते हुए संजू मन ही मन मुस्करा रहा था.., आख़िर में युसुफ को बोलना ही पड़ा…!
नन्ही तू तो बहुत भारी हो गयी है.., मेरी तो टाँगें अभी से दुखने लगी…!
नन्ही उसे उलाहना सा देते हुए बोली – भाई जान.. कैसे मर्द हो.., एक लड़की का वजन भी नही झेल सकते.., चलो फिर मे एक काम करती हूँ, अपना आधा वजन इस भाई पर रख लूँ..?
युसुफ – हां ये ठीक रहेगा.., चल तू अपने पैर संजू की तरफ करले.., और आधा वजन मेरी जांघों पर आजाएगा, आधा संजू की…!
संजू उनके बीच पाक रही खिचड़ी से कतई सहमत नज़र नही आया.., लेकिन कहता भी क्या.., उसके दोस्त के गाओं की लड़की के सामने वो मना भी नही कर पाया..,
जैसे तय हुआ अब नन्ही वैसे ही अपनी जांघों का आधा भार संजू की टाँगों पर रख कर एक तरह से उन दोनो की गोद में अढ़लेटी सी हो गयी…!
उसकी मुलायम रूई जैसी गद्दार गान्ड की गर्मी से युसुफ का लॉडा उसके पॅंट में अकड़ने लगा.., जिसका उभार नन्ही को अपने एक कूल्हे पर हो रहा था…!
उसने युसुफ की तरफ देखा.., दोनो की नज़र मिलते ही दोनो मुस्करा उठे.., नन्ही ने लाज्बस अपनी नज़र झुका ली..,
दूसरी तरफ उसकी एक जाँघ संजू के लौडे से सटी हुई थी.., नतीजा जाँघ के मांसल दबाब से उसका लॉडा भी करवट बदलने लगा..,
गान्ड और जाँघ पर अलग अलग दो लंड की चुभन के एहसास ने नन्ही की साँसों को गरमा दिया.., गाड़ी चलते ही हिचकॉलों ने और आग में घी डालने का काम कर दिया…!
अब युसुफ के हाथ भी हरकत करने लगे.., उसने अपना एक हाथ उसके चिकने पेट पर फिराना शुरू कर दिया.., नन्ही बिना नज़र मिलाए आनंद लूट रही थी..,
फिर जैसे ही युसुफ का हाथ उसकी मांसल हल्की सी गहरी नाभि पर पहुँचा, उसकी उंगलियाँ नाभि के आस-पास के क्षेत्र को सहलाने लगी..,
लेकिन जब उसने अपनी एक उंगली उसके नाभि कुंड में प्रवेश कराई…!
नन्ही की सहन शक्ति जबाब दे गयी.., गुद-गुदि के मारे उसका पेट थिरकने लगा.., हल्के से हँसते हुए उसने अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे रोकते हुए कहा –
क्या करते हो भाई जान, गुद गुदि हो रही है मुझे…!
युसुफ ने उसके कान में फुसफुसा कर कहा – तो तू ही बता मे अपना हाथ कहाँ रखूं..?
नन्ही ने एक बार अपनी वासना में लिपटी नज़र उसपर डाली और कहा – और जहाँ भी रखना हो रखो.., लेकिन यहाँ नही…!
उसकी नाभि प्रदेश से अपना हाथ सरका कर युसुफ ने उसकी चोली पर रखते हुए कहा – यहाँ रख लूँ…?
नन्ही का चेहरा शर्म और कामुकता से लाल हो गया.., उसने बस इतना ही कहा – मुझे नही पता…!
ये युसुफ के लिए खुला निमंत्रण था.., सो वो कुछ देर तक अपने हाथ से उसकी मांसल चुचियों को सहलाता रहा…!
इधर संजू ने जब उनकी काम क्रीड़ा देखी.., तो उसने भी पीछे रहना मुनासिब नही समझा.., और आहिस्ता से अपना एक हाथ उसके घाघरे में डाल दिया और उसकी बालों रहित चिकनी पिंडलियों को सहलाने लगा..!
अब नन्ही पर दोहरी मार पड़ रही थी.., मज़े में उसने अपनी आँखें मूंद ली.., और गूंगे के गुड की तरह दोनो के स्पर्श का मज़ा लूटने लगी…!
धीरे धीरे दोनो मर्दों की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी.., उपर युसुफ ने उसकी चोली के बटन खोल डाले, उपर से नन्ही ने अपना आँचल डालकर ढक लिया.., और वो दोनो हाथों से उसके गोल-गोल चुचियों को मसल्ने लगा..!
उधर संजू का हाथ अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था.., कुछ देर उसकी पिंडलियों को सहलाने के बाद वो उसकी जाँघ तक पहुँच गया..,
नन्ही ने पहले तो अपनी टाँगें खोलकर हाथ को अंदर तक जाने का रास्ता दे दिया.., फिर जैसे ही उसका हाथ उसकी योनि पर पहुँचा..,
नन्ही ने अपनी मांसल जांघों को कस लिया.., साथ ही उसके मूह से दबी दबी सी मादक सिसकी निकल गयी…!
संजू ने दूसरे हाथ का इशारा देकर उसे टाँगें चौड़ी करने को कहा – नन्ही भी अब पूरा मज़ा लेने के मूड में थी.., सो उसने अपनी जांघें फिरसे खोल दी..,
संजू ने मौके का फ़ायदा उठा कर उसकी कच्छी को एक तरफ सरका दिया.., नन्ही की चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.., उसी गीलेपन के कारण संजू की एक उंगली उसकी चूत में अंदर तक सरक गयी…!
नन्ही ने बुरी तरह तड़प कर संजू के लंड को हाथ से मसल दिया.., बेचारी दो मर्दों की हरकतों को झेलने में असमर्थ होती जा रही थी…!
युसुफ उसकी चुचियों को मक्खन की तरह बिलो रहा था.., कभी कभी उसके कड़क कंचे जैसे निप्प्लो से खेलने लगता..,
तो वहीं संजू की उंगली उसकी चूत में हा-हाकार मचाए हुए थी.., नन्ही अपनी टाँगें फैलाकर नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठाकर संजू की उंगली को और गहराई तक लेने का प्रयास करने लगी…!
लौंडिया की गर्मी देख कर संजू भी बहुत गरम हो उठा.., अपनी उंगलियों की मदद से उसने अपने पॅंट की जिप खोल दी..,
लंड को बाहर करके नन्ही के हाथ में पकड़ा दिया…,उसकी एक जाँघ लगातार उसके लंड की वाट लगाए हुए थी.., साथ ही वो अपने हाथ से भी उसकी मुट्ठी मारने लगी…!
उत्तेजना के चरम पर पहुँच कर संजू ने अपनी दो उंगली चूत की गहराइिओं में उतार दी..और तेज-तेज अंदर बाहर करके एक तरह से हाथ से ही उसे चोदने लगा….!
उधर उसूफ ने भी गाड़ी के अंदर के अंधेरे का लाभ लेकर अपना लंड भी बाहर कर लिया.., उसने नन्ही को अपनी तरफ पलटा कर अपना लंड उसके मूह में दे दिया…!
ऐसे खेलों से अंजान होते हुए भी नन्ही वासना में अंधी हो चुकी थी.., उसे ये भी होश नही था कि उसके मूह में कब लंड घुस गया..,
वो तो उसके कटे हुए टोपे पर लगे नमकीन पानी को चाटते ही और ज़्यादा मदहोश हो गयी.., लॉलीपोप की तरह युसुफ के लंड को चचोर्ने लगी…!
बिना आवाज़ किए ये तीनों बिना की की परवाह किए अपने अपने कामों लगे थे…,
युसुफ का लंड सबसे पहले जबाब दे गया, उसने नन्ही के गले तक अपनी पिचकारी छोड़ दी..,
इधर नन्ही भी अपने चरम पर थी.., उसके पेट में क्या जा रहा है इस बात नज़रअंदाज करके उसने बहुत ज़ोर्से संजू के लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया…
अपनी गान्ड हवा में लहराकार वो भी भल-भलकर झड़ने लगी.., उसके चूतरस से संजू का हाथ तर हो गया…..!
लंड को कसकर दबाने से उसके लंड ने भी अपना लावा उगल दिया.., लंड की सीधी पिचकारी नन्ही की जाँघ और चूत के मूह पर पड़ी…!
गरम गरम वीर्य की बौछार अपनी चूत की फांकों पर पड़ते ही.., झड़ी हुई नन्ही की आँखें मज़े से फिर मूंद गयी…..!
मूह में युसुफ के वीर्य का स्वाद, हाथ, जाँघ, चूत संजू और खुद के पानी से लथपथ..,
जब तीनों को सकुन मिला तब होश आया, संजू ने अपना हाथ चाट’ते हुए चटखारा सा लेकर बोला – बड़ी नमकीन लौंडिया है यार…!
उसकी बात सुनकर नन्ही बुरी तरह शरमा गयी.., अपना लहनगा नीचे सरकाते हुए फुसफुसाई.., मेरे घर आना आप दोनो…!
अभी युसुफ कोई जबाब देता, मॅजिक झटके से रुक गया.., धीरे-धीरे करके भीड़ खाली हुई, लास्ट में वो तीनो भी निकले..,
नन्ही ने अपना थैला उठाया, नज़र झुकाए बोली – मे इंतेजार करूँगी.., आना ज़रूर.., इतना कहकर वो किसी चंचल हिरनी की तरह कुलाँचें भरती हुई अपने घर की तरफ भाग गयी…!
पीछे से वो दोनो उसके लहंगे में थिरकति गान्ड को देखते हुए अपने अपने लंड सेट करके युसुफ के घर की तरफ बढ़ गये….!
युसुफ का घर बहुत छोटा सा ही था.., कम हाइट के दो छोटे से कच्ची मिट्टी की एंटों के कोठे बने हुए थे,
मुख्य दरवाजे से घुसते ही एक आधी खुली और आधी छप्पर पड़ी थोड़ी सी जगह दोनो कोठो के सामने थी,
जहाँ एक कोने में नहाने धोने के लिए लकड़ी के पुराने पत्तों से आड़ बनाकर एक पत्थर रख कर बनाया हुआ था..
उसके ठीक बगल में ही खाना पीना बनाने के लिए छप्पर के नीचे चौका बना रखा था..,
इस समय परिवार के सभी लोग बड़ी बेटी वहीदा को छोड़कर चौके के आस-पास बैठे सुखी रोटियाँ लाल मिर्च की चटनी के साथ खा रहे थे…,
बीच वाली रेहाना रोटियाँ बना रही थी.., वहीदा कहीं बाहर गयी थी, शायद किसी के सिले हुए कपड़े देने…!
दरवाजे को धकेल कर जब वो दोनो घर में प्रवेश हुए तो बूढ़ी आँखें अपने बेटे को देख कर खुशी से चमक उठी,
छोटी बेहन रुखसार अपने भाई जान को देख कर चहकते हुए दरवाजे की तरफ दौड़ी.., और जाकर उसके गले से लग गयी…,
अपनी छोटी बेहन के गुदाज उभारों का दबाब अपने सीने पर पाकर युसुफ का लंड जो कुछ देर पहले ही पिचकारी मारके चुका था.., पाजामा में फिर से कुलबुलाने लगा..,
युसुफ ने भी उसके गोल-मटोल बॉली बॉल जैसे कुल्हों पर हाथ फेर्कर सहलाते हुए कहा – कैसी है मेरी गुड़िया..?
रुखसार ने अपने भाई की आँखों में देखा, जानना चाहा..कि आपका ये हाथ किस मकसद से मेरी गान्ड सहला रहा है.., फिर मुस्कराते हुए और ज़ोर से उससे चिपकते हुए बोली –
मे तो ठीक हूँ, आप सूनाओ.., कितने दिनो के बाद याद आई हम लोगों की.., और ये भाई कॉन हैं..?
युसुफ ने हल्के से उसके एक चूतड़ को दबा दिया, फिर अपने से अलग करते हुए बोला – यहाँ लौटने लायक मे बन ही नही पाया अबतक.., जब इस लायक हुआ कि तुम सब लोगों को कुछ दे सकूँ तो दौड़ा चला आया…
ये मेरा सबसे अज़ीज़ दोस्त संजू है.., अब ये भी हमारे परिवार का हिस्सा ही है..,
फिर उसने पास जाकर अपने अब्बू-अम्मी को सलाम किया.., संजू ने भी अपने हाथ जोड़ दिए.., राज़ी खुशी आदान प्रदान हुई..,
बातों बातों में युसुफ ने उन्हें बता दिया कि दो दिन में ही हम लोग यहाँ से शहर में शिफ्ट हो रहे हैं.., ज़रूरत का समान ही ले लेना, फालतू का यहाँ किसी को दे देना…!
फिर दोनो बारी बारी से हाथ मूह धोकर फ्रेश हुए.., बेचारी रुखसार ने कहीं से साग भाजी का इंतेजाम किया.., तब तक वहीदा भी आ गयी..,
वो भी अपने भाई के गले मिली.., उसके आगे पीछे के साइज़ को देख कर तो युसुफ का लंड पूरा ही खड़ा हो गया..,
उसके गले मिलते ही उसके नागराज ने अपने लिए बिल तलाश कर लिया, वो उसकी चूत के मुहाने पर जाकर ठोकरें देने लगा…!
खा-पीकर गाओं में वैसे भी जल्दी सोने की आदत है, करें भी तो क्या…? और कोई काम भी तो नही.., बिजली होती नही.., मनोरंजन के साधन कुछ थे नही…!
अब दो छोटे-छोटे कोठे थे उनमें ही इन सभी को अड्जस्ट होना था..,
वहीदा अपने अम्मी-अब्बू के साथ सोती थी.., उसी में युसुफ का भी बिस्तर ज़मीन पर लगा दिया…!
दूसरा कोठा जिसमें सिलाई की मशीन, पास में एक 6” उँची तख़्ती सी पड़ी थी.. जिसपर कपड़ों की काट छांट और इस्त्री वग़ैरह करते थे.., उसी को साफ करके दोनो छोटी बहनें सो जाती थी…,
वाकी का कोठा कपड़ों से भरा होता था.., जगह ही कितनी थी..,
अब संजू को भी उसी कोठे में अड्जस्ट करना था.., तख़्ती दो के ही लायक थी.., तीसरे की तो किसी भी सूरत में गुंजाइश हो ही नही सकती.., चलो तीनों लड़कियाँ हो तो अड्जस्ट कर भी लें…!
तो फिर कपड़े एक तरफ करके थोड़ी और जगह की, और ज़मीन पर ही उसके लिए भी एक दडी डालकर बिस्तर का इन्तेजाम किया गया..,
अभी लेटे हुए उन्हें कोई एक घंटा भी नही हुआ था.., कि संजू को बाहर कुछ ख़ुसर-पुसर सी सुनाई दी..,
कुछ देर तो वो ये अनुमान लगाता रहा कि ये आवाज़ घर के बाहर से आरहि हैं या अंदर से.., फिर जब उसे कन्फर्म हो गया तो वो चुपके से उठा और जाकर दरवाजे के बीच की झिरी से आँख सटा कर बाहर देखने की कोशिश करने लगा…!
कुछ देर तो उसे कुछ नही दिखा बस आवाज़ें ही सुनाई दे रही थी, जो शर्तिया युसुफ और उसकी बेहन वहीदा की थी..,
कुछ देर में उसकी आँखें अंधेरे की अभ्यस्त हो गयी.., और जैसे ही उसे बाहर का दृश्य क्लियर सा हुआ.., जिसे देखते ही एक साथ उसके लंड ने थुन्कि सी लगाई…!
युसुफ रेहाना को पीछे से जकड़े हुए था.., और उसके दोनो हाथ उसकी बड़ी-बड़ी 36” की चुचियों पर जमे हुए थे जिन्हें वो बड़ी बेदर्दी से मसल रहा था..,
उसका लंड खड़ा होकर वहीदा की गान्ड में घुसा जा रहा था.., वो बुरी तरह सिसक कर बोली – आआहह…भाई जान धीरे से मस्लो ना.., और कितने बड़े करोगे इनको…?
अभी तो मेरा निकाह भी नही हुआ उससे पहले ही ये इतने बड़े हो गये है.., बाहर चलते हुए जब हिलते हैं तो मुझे बड़ी लज़्ज़ा आती है…!
अब जल्दी से मेरा निकाह कर्वाओ, वरना कोई करेगा भी नही..,
युसुफ – बस मेरी बहना.., शहर में शिफ्ट होते ही सबसे पहले तेरा निकाह पक्का.., कोई अच्छा सा लड़का मिलते ही सबसे पहला काम यही करूँगा…!
शहर का नाम सुनते ही वहीदा पलट गयी.., अपने भाई के गले से लिपट कर उसके होठों का रस चुस्कर बोली – क्या सच भाई जान.., हम लोग शहर में शिफ्ट होंगे..?
युसुफ ने उसका कुर्ता उतार दिया.., एक पुरानी सी ढीली ढली ब्रा से बाहर उबले पड़ रहे उसके सुडौल मोटे-मोटे चुचों को देख कर वो बावला सा होकर उनके उपर टूट पड़ा…!
वहीदा ने भी उसके पाजामा को नीचे खिसका दिया.., और उसके फन्फनाते नाग को अपनी चूत की मोटी-मोटी फांकों पर घिसते हुए बोली – शहर में आप लोग क्या करोगे..?
युसुफ का अपनी बेहन के मखमली गुदाज बदन की गर्मी से बुरा हाल होने लगा था.., उपर से वो उसके लंड को लगातार अपनी गीली चूत पर रगडे जा रही थी..
उसे पलटा कर उसने दीवार के सहारे निहुरा लिया.., पीछे से उसकी चौड़ी चकली गान्ड पर हाथ फिराते हुए बोला –
पहले तो मे अपनी सेक्सी बेहन को जी भरके चोदुन्गा.., उसके बाद बताता हूँ.., इतना कहकर उसने अपना गरम लॉडा उसकी चूत के छेद पर अड़ा दिया.., और सार्ररर…से एक झटके में ही पूरा अंदर तकपेल दिया…!
वहीदा के मूह से एक बेहद ही कामुक सिसकी निकल पड़ी.., साथ ही संजू का लंड भी उसके पाजामा के अंदर फुल फॉर्म में आगया…!
वो लगातार बाहर झाँक कर उस गरम सीन में खोया हुया था.., उसे पता भी नही चला कि कब वो दोनो घोड़ियाँ आकर उसके आजू-बाजू खड़ी हो गयी…!
खड़ी ही नही हुई.., बल्कि दोनो तरफ से वो उसके बदन से सॅट कर अपने बदन को उसके साथ रगड़ने लगी…..,
जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो उसने बारी-बारी से दोनो की तरफ देखा.., मानो उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो.., उस अंदाज में संजू ने अपनी गर्दाण झुका ली..,
रेहाना ने उसकी चौड़ी छाती को सहलाते हुए कहा – यहाँ क्यों खड़े हैं जनाब.., बाहर कोई तमाशा हो रहा है क्या..?
संजू पीछे हटना चाहता था, लेकिन उसने मजबूती से जाकड़ कर उसे हिलने भी नही दिया.., और रुखसार से बोली – देख तो रुखसार बाहर जनाब क्या नज़ारा देख रहे थे…!
वैसे तो उन दोनो को भी पता था.., फिर भी उसने झाँक कर देखा.., जहाँ युसुफ हुंकार भरते हुए अपनी बेहन की पीछे से चुदाई कर रहा था..,
उसकी जांघों की थप ठप जब उसके भारी चुतड़ों पर पड़ती.., तो उनमें मानो भूचाल सा आ जाता और वो दोनो सागर की लहरों की लहराकार उपर को हो जाते…!
हाए रेहाना बेहन क्या गरमा-गरम चुदाई हो रही है बाज़ी और भाई जान की.., देख तू भी देख…!
संजू समझ गया कि ये तीनों ही बहनें चुदक्कड हैं, और इन्हें अपने ही सगे भाई से चुद्वाने में कोई एतराज़ नही है..,
वो पीछे खिसकते हुए बोला.., तुम दोनो मज़े लो.. मे चला सोने..,
लेकिन जैसे ही वो पलटा.., पीछे से रुखसार ने उसकी कौली भर ली.., और उससे चिपकते हुए बोली – अब इतना अच्छा सीन तो आप ही की वजह से देखने को मिला है..,
तो इसका समापन भी तो तुम्हें ही करना पड़ेगा जनाब .,
संजू उसके हाथ हटाते हुए बोला – यहाँ खड़े खड़े ही चुदना चाहती हो अपनी बाज़ी की तरह..,
संजू के मूह से रज़ामंदी भरे शब्द सुनकर दोनो घोड़ियाँ कुलाँचे भरती हुई अपनी तख़्ती पर जा जमी.., बीच में उसके लिए जगह बनाकर वो दोनो बड़ी बेसब्री से संजू का इंतेजार करने लगी…………………!
बाहर का गरमा गरम स्टेज शो कुछ देर और चला.., फिर वहाँ एक दम से शांति छा गयी.., गरम गरम आहों का बाज़ार अब थम चुका था…इसका मतलब उन दोनो का कार्यक्रम अब समाप्त हो चुका था…!
लेकिन उसकी वजह से इस छोटे से कोठे का तापमान काफ़ी बढ़ चुका था…. !
दोनो बहनों को उनके अपने सगे भाई बेहन की चुदाई के सीन ने इतना ज़्यादा कामोत्तेजित कर दिया था कि अब उन्हें संजू के उस दो कदम के फ़ासले को भी सहन करना दूभर लग रहा था…,
दोनो की चूत में मानो भट्टियाँ जल रही थीं…, रहना एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली को अपने मूह में डालकर चूस्ते हुए बोली –
क्या नयी नवेली दुल्हन की तरह आ रहे हो.., जल्दी करो नाआ..,
संजू के उन दोनो के पास आने तक उन पठ्ठियो ने समय बरवाद ना करते हुए अपने-अपने कुर्ते निकाल फेंके…!
उन दोनो हवस में अंधी हो रही जवान घोड़ियों को इस अवस्था में देखकर संजू का लंड उसके पाजामे में कबड्डी खेलने लगा.., उसे लगा कि कहीं साला कपड़े फाड़कर बाहर ना निकल पड़े…!
जैसे ही वो उन दोनो के सामने जाकर खड़ा हुआ.., रेहाना के सब्र का बाँध टूट गया.., बड़ी बेदर्दी से उसका हाथ पकड़ कर एक ज़ोर का झटका दिया.., वो धप्प से उन दोनो के बीच में फँस गया…!
संजू ने अपने एक -एक हाथ को उनकी गर्दन के पीछे से निकाल कर दोनो की एक – एक चुचि पर कब्जा जमा लिया.., उन्हें ज़ोर्से उमेठते हुए बोला – साली तीनो की तीनो बहनें बड़ी गरम माल हो तुम लोग..,
रुखसार ने उसके पाजामे को नीचे सरका दिया.., अंडर वेअर के उपर से ही उसके फन्फनाते नाग का मूह दबोचते हुए बोली – यहाँ भी कुछ कम गर्मी नही है जनाब…!
संजू के मूह से एक कराह निकल गयी – सस्सिईई..आअहह…साली रांड़ उसके थोब्डे को क्यों मसल रही है, इतना कहकर उसने उसके होठों को अपने मूह में भर कर चब-चबा डाला…!
वो बस मूह ही मूह में गौउउन्न्न…ग्ौउउन्नमन्…करती रह गयी…!
दूसरी तरफ रेहाना ने उसके टीशर्ट और अपनी ब्रा को नोच डाला.., और अपनी 34+ की चुचियो को उसकी चौड़ी कठोर छाती से रगड़ने लगी.., उसके निपल कड़क होकर जंगली बेर जैसे हो गये…!
रुखसार ने होठ चुसाई करते हुए ही हल्के से अपनी गोल-मटोल गान्ड अधर की और अपनी पाजामी को भी टाँगों से बाहर निकाल दिया..,
अपनी चुचियों को संजू के सीने से रगड़ती हुई रेहाना ने कच्छी के उपर से ही अपनी छोटी बेहन की चूत को सहला दिया…! मज़े से रुखसार की कमर और आगे को सरक गयी…!
संजू होठों के साथ साथ रुखसार की चुचियों को भी मथ रहा था.., पुरानी अंगियाँ ना जाने कब धारसाई हो चुकी थी..,
इधर रेहाना ने भी उसकी कच्छि सरका दी.., और अब वो रुखसार की चूत में अपनी उंगलियाँ डालकर उसे चोद रही थी..
रुखसार से ये दोहरा हमला सहन नही हुआ.., उसकी चूत लगातार रस छोड़ने लगी थी.., चूत की गर्मी ने उसे इतना बहाल कर दिया कि संजू की छाती पर अपनी हथेली का भार डालकर उसे तख़्ती पर धकेल दिया…
अपनी गरम दह्कति चूत को उसने संजू के नाग पर सेट करके वो उसपर बैठती चली गयी…!
पूरा लंड अंदर पहुँचते पहुँचते उसके मूह से एक बेहद मादकता भरी आहह..निकल गयी…, आअहह….उउउम्म्मननगज्ग….अम्मि….
जिसे सुनकर संजू अपनी गान्ड उचकाते हुए बोला – क्यों मेरी रानी बिना कटे लंड को लेकर मज़ा आया कि नही..?
हाअए अल्लहह..कितना लंबा है…, उउउफफफ्फ़ बड़ा मज़ा दे रहा है ये तो.., कहते हुए वो उसके लंड पर कूदने लगी.., कुछ देर बाद संजू ने भी नीचे से धक्के लगाना चालू कर दिया…!
उन दोनो की मदमस्त चुदाई देख कर रेहाना का हाल बहाल होने लगा.., अब उसकी चूत में भी बुरी तरह से चिंतिया सी काटने लगी थी.., उसकी चूत में लगी आग का जल्दी ही बुझना ज़रूरी था…!
उसे इन दोनो की चुदाई जल्दी ख़तम होने के आसार नज़र नही आ रहे थे.., सो उसने भी अपनी कच्छी निकाल फेंकी और रुखसार की तरफ मूह करके वो संजू के मूह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी…!
संजू ने भी उसकी मस्त चौड़ी चकली मदमाती मखमली गान्ड पर थपकी देकर उसकी गीली चूत के रस को अपनी जीभ डालकर चपर-चपर चाटने लगा…!
दोनो बहनें किसी बैलगाड़ी के हिचकॉलों की तरफ संजू के उपर और नीचे लहरा रही थी.., दोनो के हाथ एक दूसरी की चुचियों पर जम गये और वो दोनो आपस में एक दूसरी के होठ भी चुस्ती जा रही थी…!
तीनो की आहों कराहो से उस छोटे से कोठे का तापमान बहुत बढ़ चुका था.., वातावरण में चुदाई की खुसबु महकने लगी थी…!
कुकछ देर में ही रुखसार अपना पानी निकाल बैठी.., तूफ़ानी रफ़्तार से अपनी गान्ड को आगे-पीछे घिसते हुए वो भल-भलकर झड़ने लगी..,
थोड़ी देर तक वो यौंही शांत उसके उपर बैठी रही.., उधर रेहाना का कुलाबा भी फूटने वाला था..,
वो भी अपनी चूत को संजू के मूह पर दबाकर झड़ने लगी और अपना सारा अमृत कलश उसके मूह में खाली कर दिया…!
फिर दोनो रंडियों ने बारी-बारी से संजू के लंड को चूसा.., कुछ देर में ही उन दोनो ने बराबर-बराबर मात्रा में उसके लंड का प्रसाद अपने पेट में उतार लिया...!
चुसाई से रेहाना की चूत की खुजली कम होने की वजाए और तेज हो गयी थी.., जो आग एक मोटे लंड के चूत की दीवारों से रगड़ने से बुझनी चाहिए वो जीभ से कहाँ बुझने वाली थी.....
उसने संजू के होश लौटने का भी इंतेजार नही किया और उसके मरे चूहे जैसे मुरझाए लंड पर किसी भूकि कुतिया की तरह टूट पड़ी..!
वो भी आख़िर जवान मर्द था, दो मिनट में ही उसका नाग फिरसे फन फ़ना कर दूसरे बिल में जाने के लिए तैयार था…!
घोड़ी बनाकर इस बार रेहाना की चूत की उसने वो कुटाई की…, वो हाए तौबा मचाती हुई उसके लंड पर अपनी गान्ड पटक-पटक कर चुदने लगी…!
दोनो ही बहनें बहुत ही गरम माल निकली.., पूरी रात वो तीनों जागकर भरपूर चुदाई का मज़ा लूटते रहे.., संजू की सारी टंकी उन दोनो रंडियों ने खाली करदी.., और खुद भी खाली हो गयी…!
दूसरे दिन खाना खा पीकर युसुफ गाओं में अपने यार दोस्तो से मिलने चला गया.., संजू से पुछा तो उसने रात की थकान के कारण मना कर दिया..,
मौके का फ़ायदा उठाकर उन दोनो घोड़ियों ने वहीदा को भी संजू से चुदवा दिया.., ये घोड़ी तो बिल्कुल पोली निकली.., संजू को उसकी चूत मारने में बिल्कुल मज़ा नही आया..,
फिर उसने लौडे को चूत से निकालकर उसकी गान्ड में डाल दिया.., हिन-हिना कर वो घोड़ी उसके लंड को गान्ड में भी आसानी से ले गयी…!
गान्ड पर थप्पड़ लगाते हुए संजू ने कहा – तू तो सब तरफ से पोली है रानी.., बहुत लंड खोर लगती है.., कितने ले चुकी है अब तक…!
वहीदा ने अपनी गान्ड पीछे धकेलते हुए कहा – भडुये के चोदे.., तुझे जैसे मज़ा मिलता है वैसे ले ना.., लंड की गिनती जानकार क्या करेगा…?
मे चुदने के मामले में कभी परहेज नही करती.., जैसा मिले ले लेती हूँ…!
एक बार वहीदा की गान्ड में अपना पानी निकाल कर संजू गहरी नींद में डूब गया..,
तीसरे दिन उन सबने कुछ ज़रूरत का समान एक टेंपो में लादा और शहर की तरफ रबाना हो लिए…!
शहर में इतना बड़ा और अच्छा मकान देख कर युसुफ के परिवार वाले खुश हो गये.., जहाँ जिसको अच्छा लगा अपना डेरा जमा दिया…!
थोड़े ही दिनो में उनके धंधे का खोम्चा इस शहर में जम गया, उनके ही गॅंग के एक बफ़ादार ,., जो तलाक़ सुदा था, उससे वहीदा का निकाह करा दिया.., तीनो बहनें भी उसी धंधे में लग गयी..
हिजाब में छुपा कर माल सप्लाइ करने में वो माहिर हो गयी.., कोई एडा कस्टमर होता उसे वो अपने हुश्नो-शबाब के दर्शन कराकर काम निकाल लेती थी..!
उन्हें अपना काम निकालने के लिए किसी के सामने चूत खोलने पर भी कोई एतराज नही होता था…!
कुछ ही दिनो में युसुफ और संजू गॅंग ने अपने झंडे गाढ दिए, उनकी पर्फॉर्मेन्स देख कर लीना बहुत खुश थी..,
उसने भी अपना मुंबई का धंधा कुछ भरोसेमंद लोगों को सौंपा, खुद भी इसी शहर में एक अच्छा सा बंगला खरीद कर शिफ्ट हो गयी…!
दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की से वो कुछ ही दिनो में एक छोटी-मोटी ड्रग डीलर से एक बड़े माफिया ग्रूप में तब्दील हो गये…..!
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