Update 78

मोहिनी ने हिकारत भरी आवाज़ में उसे जबाब देते हुए कहा – एक बार तो तुझे जिंदा देख कर मुझे आश्चर्य के साथ साथ खुशी भी हुई कि चलो तू जिंदा है..,

लेकिन ये जानकर बड़ा दुख हुआ कामिनी कि तू आज भी रिश्तों की एहमियत को नही समझ पाई.., अरे कम से कम नया जीवन मिला है तुझे.., इसे तो कम से कम अच्छे कामों में लगाती…!

लेकिन सच ही कहा है किसी ने.., नागिन बस जहर ही उगलना जानती है.., मे तो कहती हूँ.., अभी भी वक़्त है.., सुधर जा और इस भाग्यबस मिले जीवन को अच्छे कामों में लगा…!

हमेशा ही इत्तेफ़ाक़ नही होते.., किसी दिन या तो जैल में पड़ी सड़ रही होगी या तेरी लाश किसी गटर में पड़ी सड़ रही होगी.., और उसमें कीड़े बिज-बिजा रहे होंगे…!

मोहिनी की ऐसी जैल-कटी बातें सुनकर भी कामिनी पर कोई असर नही हुआ.., वो उसके यौवन का मर्दन करते हुए बोली…

मेरा तो जो होगा सो होगा मोहिनी पर इस समय तू अपनी और अपनी इस कच्ची कचनार की कली का ख़याल कर..,

क्योंकि मेरे एक इशारा पाते ही मेरे ये आदमी तुम दोनो माँ बेटी को भूखे भेड़ियों की तरह भनभॉड़ देंगे..,

यही नही…उसके बाद तुम दोनो को किसी रंडी खाने में डाल दिया जाएगा.., जहाँ रोज़ अनगिनत ग्राहक तुम दोनो की जवानियों से खेलेंगे..,

मरना चाहोगी.., लेकिन मर नही सकोगी.., तुम्हारी पिक्चर बनाकर तेरे घर वालों को परोसी जाएगी…

हाहाहा…क्या देखने लायक सीन होगा जब तेरा वो लाड़ला देवर अपनी माँ समान भाभी और प्यारी भतीजी को नये नये मर्दों से चुदते हुए देखेगा…!

शर्म कर कमीनी…, ये तेरी बेटी जैसी है.., क्या तेरे अंदर इंसानियत का ज़रा सा भी कतरा नही बचा है..लगभग रोते हुए मोहिनी ने उसे धिक्कार्ते हुए कहा…!

कामिनी - हाहाहा…इंसानियत.., ये किस चिड़िया का नाम है.., मेरे सब कुछ पैसा है.., आज मे इस शहर पर राज करती हूँ समझी.., और कल दूसरे शहर..फिर तीसरे..!

और फिर तू किस रिस्ते की बात कर रही है हां…, तेरे देवर ने मुझे किस तरह से दुतकार दिया था याद है..?

मेरे सीने पर गोली दागते हुए उसके हाथ ज़रा भी नही काँपे.., तब कोई रिस्ता नही था उसका मेरे साथ…बात करती है रिश्तों की…!

उधर पीछा करते हुए संजू और निर्मला भी वहाँ जा पहुँचे थे.., जो इस समय छुप्कर ये सब देख और सुन रहे थे…!

निर्मला की आँखों में नमी तैर आई थी.., जिसे वो संजू से छुपाकर अपने आप को किसी तरह संभालते हुए फुसफुसा कर बोली…

कितना घिनौना रूप है इस मेडम का.., औरत होकर दूसरी औरत के लिया ज़रा भी सम्मान नही है इसके दिल में…, औरत के नाम पर कलंक है ये…!

संजू ने निर्मला की बात सुनकर उसकी तरफ गौर से देखा.., उसे यूँ अपनी तरफ देखते पाकर एक पल को तो वो सकपका गयी.., लेकिन फिर जल्दी ही अपने आप पर काबू करते हुए बोली…

ऐसे क्यों देख रहे हो भाई.., क्या कुछ ग़लत कह दिया मेने..?

संजू – नही वो बात नही है.., बस सोच रहा था.., कि तुम क्या सोचकर इस धंधे में चली आई.., तुम्हारे विचार इस काम से कतयि मैल नही खाते..!

निर्मला – तो क्या ऐसे धंधे वालों में इंसानियत का जज़्बा होगा ग़लत है..?

ना जाने निर्मला की बातों में कैसा जादू था.., उसकी बातें उसे दिल की गहराई तक असर कर गयी.., उसने बड़े दुलार से उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और उसका माथा चूमते हुए बोला…,

बिल्कुल नही.., धंधा कैसा भी हो इंसानियत हमेशा कायम रहनी चाहिए.., मेरी नज़र में ये लीना..ओह्ह्ह्ह…नही..अब तो ये कोई और ही निकली..निहायत ही गिरी हुई औरत है…!

शायद मुझमें इंसान को परखने की काबिलियत ही नही है.., तभी तो एक झूठी मक्कार औरत के झाँसे में पड़ा रहा…!

निर्मला – तो कुछ करो भाई.. वरना हमारे होते हुए एक इज़्ज़तदार औरत की इज़्ज़त दागदार हो जाएगी…!

संजू निर्मला के ये वाक्य सुनकर कुछ देर असंजस की स्थिति में पड़ गया…, अचानक से हुए इस घटनाक्रम से वो अभी तक ये डिसाइड नही कर पाया कि इतने दिन से जिस औरत का साथ देता आ रहा था..,

अचानक उसके विरोध में कैसे खड़ा हो.., और फिर यहाँ उसका साथ देने वाला सिवाय निर्मला के और कोई भी नही था…, जो थी तो एक लड़की ही ना…!

निर्मला अभी संजू के चेहरे पर बदल रहे भावों को पढ़ने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी उसके कानों में कामिनी की अट्टहास लगाती आवाज़ सुनाई दी…!

जाओ भानु.., तुम्हें खुली छूट है.., कर लो अपनी मन मानी.., रौंद डालो इस मोहिनी की मन मोहिनी कंचन काया को.., जी भरके इसका रस निकालो…,

उसके बाद इसकी बेटी को इसके सामने खूब जमके रौंदना.., याद रहे जब इसकी सील टूटे तो उसकी चीखें इस पूरे फार्म हाउस में गूँजनी चाहिए…!

भानु खुश होते हुए बोला – आप चिंता मत करो मेडम.., जैसा आप चाहती है वैसा ही होगा..ये कहते हुए उसने बड़ी फुर्ती के साथ अपने कदम मोहिनी की तरफ बढ़ा दिए…!

भानु को मोहिनी की तरफ बढ़ते देख निर्मला की धड़कनें तेज हो उठी.., उसने एक लंबी साँस लेकर मन ही मन कुछ निर्णय लिया..,

जैसे ही भानु ने अपना हाथ मोहिनी के यौवन पर रखा.., अंधेरे से एक गोली चली जो सीधी उसके उस कंधे को चीरती हुई चली गयी…!

चीख मारते हुए भानु अपना कंधा पकड़ कर ज़मीन पर बैठता चला गया.., कामिनी दहाड़ते हुए बोली – कॉन है वहाँ..? पकड़ लो हरजादे को…!

एक मिनट के सौबे हिस्से में ना जाने कहाँ कहाँ से निकल कर कामिनी के गुर्गों ने निर्मला को अपने घेरे में ले लिया…!

तभी संजू दहाडा – छोड़ दो उसे.. वरना ठीक नही होगा…!

इस नमक हराम को भी पकड़ लो.. कामिनी ने आदेश देते हुए कहा – जिस थाली में ख़ाता रहा है उसी में छेद करना चाहता है हरामज़ादे…!

अब नज़ारा ये था कि कामिनी के आदमियों ने निर्मला और संजू को भी अपनी बंदूकों के निशाने पर ले लिया.., और उन्हें धकियाते हुए वहीं बीच हॉल में ले आए….!

निर्मला पर नज़र पड़ते ही मोहिनी आश्चर्य के सागर में गोते लगाने लगी.., वो उसकी तरफ हाथ उठाकर कुछ कहने ही वाली थी कि तभी निर्मला ने उसे चुप रहने का इशारा किया….!

उधर भानु दर्द से बुरी तरह तड़प रहा था.., फिर भी अपने दर्द पर काबू करते हुए बोला – अब जल्दी से कोई फ़ैसला लो मेडम…!

कामिनी – तुम जल्दी से यहाँ से निकलो भानु.., अपनी गोली निकलवाने का इन्तेजाम करो.., फिर अपने आदमियों को आदेश देते हुए बोली…!

ये जगह सेफ नही है, इन दोनो औरतों के साथ इन नमक हरामों को भी बाँध लो और फ़ौरन ये जगह खाली करो…!

कामिनी का आदेश पाते ही उसके आदमी उन दोनो को भी बंधनों में जकड़ने के लिए आगे बढ़े.., तभी वहाँ एक गरजदार आवाज़ गूँज उठी….!

भागने की इतनी जल्दी भी क्या है कामिनी देवी…, ज़रा हमसे भी तो मुलाकात करती जाओ.., फिर मौका मिला ना मिला…!

एक थम्ब के पीछे से आती इस आवाज़ को सुनकर जहाँ कामिनी के रोंगटे खड़े हो गये वहीं मोहिनी के मूह से एक खुशी से भरी किल्कारी निकली…

ले कमीनी औरत…, आ गया मेरा लाड़ला.., बच सकती है तो बच ले…!

कामिनी हक्की बक्की सी चारों तरफ घूम घूम कर अपने आदमियों के उपर दहाड़ते हुए बोली – हरामज़ादो पकडो उसे.., यहीं कहीं होगा…, भून डालो..साले को, बचने ना पाए…!

उसके आदमियों ने उस थम्ब की तरफ गोलियाँ दाग दी.., लेकिन कोई फ़ायदा नही.., फिर किसी नयी जगह से गोलियों की बाढ़ सी उनपर झपटी और पलक झपकते ही वहाँ कामिनी के सभी आदमियों की लाशें हॉल में नज़र आने लगी…!

अब हॉल में मात्र मोहिनी, रूचि, कामिनी, घायल भानु, संजू और निर्मला ही रह गये थे…,

अपने तमाम आदमियों का हश्र देख कर कामिनी तिलमिला उठी.., भानु ने मौका देख कर ज़मीन पर पड़ी अपने आदमी की बंदूक उठा ली..,

निशाना साध कर पास खड़ी निर्मला पर गोली चलाने ही वाला था कि अंधेरे से निकल कर बाहर आते हुए अंकुश की रिवोल्वर ने एक बार और ज़ोर्से खांसा और गोली उसका भेजा उड़ाते हुए पार हो गयी…!

पलक झपकते ही उसकी आत्मा ईश्वरपुरी की सैर को निकल पड़ी.., इस बार उसके साथ ऐसा कोई इत्तेफ़ाक़ नही हुआ.., और ना ही उसे एक बार फिर सुधरने का मौका मिल पाया…!

क्योंकि वो एक ऐसा बिच्छू था.., कि जिसे जितनी बार मौका मिला अपना ज़हरीला डंक मारे बिना नही माना…!

इधर जैसे ही संजू की नज़र अंकुश पर पड़ी.., वो बुरी तरह से चोन्क्ते हुए बोला – तुम और यहाँ…!

मेने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – हां दोस्त मे.., याद है मेने क्या कहा था.., कि अगली बार जब हम मिलें तो दोस्त बनकर…!

अब कामिनी के पास कोई चारा नही बचा था.., सो अपना पैंतरा बदलते हुए मोहिनी भाभी के पैरों में गिर पड़ी.., गिडगिडाते हुए बोली – मुझे माफ़ कर दो दीदी…!

आपने सही कहा था.., मेरा खून ही गंदा है.., दूसरी जिंदगी मिलने पर भी में नही सुधर पाई..,

अब में वादा करती हूँ आपसे, सब कुछ छोड़-छाड़ कर बस आपके चरणों में पड़ी रहूंगी…, फिर आप जैसा चाहें मेरे साथ सलूक करना…!

मेने ज़मीन पर पड़ी अपनी भाभी की सारी को उठाकर उनके बदन को देखते हुए कहा- ये तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी भाभी.., ये अब हमारे साथ किस हैसियत से रहेगी..?

मोहिनी – लल्ला पहले मेरे हाथ तो खोलो.., फिर सोचते हैं आगे क्या करना है इसका…!

कामिनी – देवर्जी…मेने तो पहले भी आपसे रिक्वेस्ट की थी सुलह कराने की लेकिन आपने नही मानी.., इसमें ग़लती मेरी ही थी, मे ही अपने आपको इस काबिल नही बना पाई…

लेकिन अब में प्रॉमिस करती हूँ, एक आदर्श बहू और पत्नी बन कर रहूंगी…!

मे – पत्नी..? किसकी…?

कामिनी – आपके मनझले भैया की…, और किसकी…?

भाभी कामिनी की बात पर मुस्कराते हुए निर्मला के पास जाकर प्यार से उसका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए बोली – फिर मेरी इस प्यारी सी छोटी बेहन का क्या होगा…?

कामिनी उनकी तरफ चोन्कते हुए बोली – क्या मतलब.., ये तो…मेरे……

भाभी – ये प्राची है.., मेरी देवरानी.., एसएसपी साब की पत्नी..., जिसकी उनके साथ शादी हुए भी 3 साल हो गये.., अब बाताओ तुम कहाँ और किस हैसियत से रहोगी…?

मेरी मानो तो अब तुम्हारे लिए एक ही ससुराल सही रहेगी.., वहीं वाकी का जीवन आराम से बिता सकोगी…!

कामिनी – कहाँ..? कॉन सी ससुराल…?

भाभी – जैल…

ये सुनते ही कामिनी सन्न्न…रह गयी.., उसने समझ लिया कि अब बचने का कोई रास्ता शेष नही है..,

फिर भी अपनी बातों का जाल बुनने की कोशिश करते हुए चुपके से उसने अपने बॅग से एक छोटा सा रिवॉल्वर निकाला..,

मोहिनी भाभी पर निशाना साधते हुए बोली – इतनी आसानी से काबू में आने वाली नही हूँ..जेठानी जीिइईई……आअहह…..संजूऊू…..!

धडाम से लहू लुहान कामिनी फर्श पर गिर पड़ी…!

किसी की कुछ समझ में नही आया.., लेकिन जब समझ में आया तो देखा कि संजू के हाथ में एक लंबा सा चाकू खून से सना था, और कामिनी अपना पेट पकड़े फर्श पर पड़ी, जल बिन मछलि की तरह तड़प रही थी…!

भाभी – तुमने ऐसा क्यों किया संजू.., मेरी जान बचाने के लिए तुमने अपनी ही मालकिन को मार डाला…!

प्राची – नही दीदी.., संजू ने अपनी बड़ी बेहन की जान बचाने के लिए एक बेगैरत मक्कार औरत को उसके जीवन से मुक्त किया है…!

फिर प्राची ने संजू के बारे में भाभी को सब कुछ बता दिया.., उन्होने स्नेह से आगे बढ़कर उसे अपना छोटा भाई कहकर गले से लगा लिया…!

संजू भाभी से अलग होते हुए बोला – इसका मतलब निर्मला ओह्ह्ह.. सॉरी प्राची बेहन, तुमने फिर उस दिन अंकुश भाई को गोली क्यों मारनी चाही…!

मेने मुस्कराते हुए उसका कंधा थपथपाते हुए कहा – हम देखना चाहते थे कि तुम्हारे अंदर का इंसान अभी भी जिंदा है या बदले की भावना ने तुम्हें अँधा कर दिया है…!

संजू – लेकिन प्राची तो गोली चला चुकी थी.., वक़्त रहते मे इनका हाथ नही पकड़ता तो वो आपको गोली मार ही चुकी थी…!

प्राची – मेने तुम्हें उठाते हुए देख लिया था भाई.., मे जानती थी तुम मुझे ज़रूर रोक लोगे…!

संजू – इतना बड़ा रिस्क…???

मे- हमारा काम ही रिस्क लेने वाला है मेरे भाई…!

संजू चुप रह गया, तभी मोहिनी बोली – लेकिन प्राची तुम और लल्ला यहाँ पहुँचे कैसे…?

प्राची – आपको तो पता ही है दीदी, हमने प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी खोल ली थी..,

भैया को पहले से ही पता था कि भानु जिंदा है.., सो उसकी टोह में अपने आदमी इस शहर में उसे खोजने में कामयाब हो गये…!

उसी के कारण हमें पनप रहे इस गॅंग के बारे में पता चला.., फिर वो इस गॅंग की लीडर जो एक औरत थी उससे मिला…!

गॅंग की थाह लेते लेते मेने संजू भाई की सहनभूति लेने का ड्रामा रचा…

प्राची की बात सुनकर संजू ने घूरकर उसकी तरफ देखा…, प्राची संजू से बोली – सॉरी भाई.., हां अपने उपर अपने ही आदमियों से अटॅक करवाने का मेरा ड्रामा था..,

क्योंकि जब मुझे ये पता लगा कि तुम बस युसुफ का साथ देने के लिए इस धंधे में हो.., लेकिन दिल में इंसानियत अभी तक बाकी है…!

जब मेने ये बात अंकुश भैया को बताई तो ये प्लॉट इन्होने ही मुझे सुझाया.., आगे की सब कहानी तुम्हें पता ही हैं…!

इस तरह से मे गॅंग में शामिल हो गयी.., जब आपके किडनप की खबर भैया ने मुझे दी.., तब तक हम में से किसी को इस बारे में पता नही था..,

क्योंकि ये काम कामिनी ने अपने गॅंग के लोगों से ना कराकर भानु के द्वारा कराया था.., संजू भाई भानु से पहले से ही चिड़े बैठे थे…!

फिर जब कामिनी ने मीटिंग करके ये बताया कि आज वो रात की मीटिंग में शामिल नही रहेगी.., तब संजू ने युसुफ से मेडम को हमसे राज छुपाने की बात कही…!

अकेले होते ही मेने संजू को चढ़ाया.., और कामिनी का पीछा करने के लिए उकसाया.., मुझे अंदाज़ा तो हो गया था.., कि आज रात वो क्यों नही आने वाली..!

फिर जैसे ही संजू भाई पीछा करने को तैयार हुए मेने वॉशरूम का बहाना करके अंकुश भैया को सारी बातें बता दी…!

संजू – लेकिन अंकुश भाई इतनी आसानी से हम तक पहुँच कैसे गये…?

प्राची अपनी उंगली में पहनी हुई एक मामूली सी अंगूठी दिखाते हुए बोली – इसके ज़रिए…!

देखने से ये एक मामूली सी अंगूठी दिखती है लेकिन असल में ये एक मिनी ट्रांसमीटर है जो हम दोनो को एक दूसरे की लोकेशन बताता है…!

तो बस इसी के ज़रिए वक़्त रहते ये हम तक पहुँच गये…!

संजू को ये लोग किसी अजूबे से कम नही लग रहे थे.., लेकिन जो भी था.., इन लोगों को पाकर उसे ना जाने क्यों बड़ा सकुन सा मिला…!

मोहिनी भाभी उसे सोच में डूबा देख कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली – क्या हुआ मेरे भाई.., ये नया परिवार पसंद नही आया…?

दीदी…कहते हुए संजू सजदा से उनके पैरों में झुकता चला गया.., आधे से ही भाभी ने उसे उठाकर अपने गले से लगा लिया…!

आज संजू को बुराई का रास्ता छोड़ते ही एक नया परिवार मिल गया था.., जिसमें उसे वो सारी खुशियाँ मिल गयी.., जिन्हें वो कभी खो चुका था…!

किसी ने सच ही कहा है.., बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाए, सच्चाई के सामने बौनी ही रहती है..,

हां कुछ समय ज़रूर लग सकता है सच्चाई की राह पर चलते हुए…………!

“समाप्त” (THE END)

ये कहानी आप लोगों को कैसी लगी.., अपनी राय ज़रूर देना..,
धन्यवाद…

.मित्रो आगे की कहानी जानने के लिए इस कहानी का दूसरा पार्ट

लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) पार्ट -2 ज़रूर पढ़े​
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