Update16

बाबूजी ने अपनी आँखें खोल कर चाची की ओर देखा और बोले – जा रही हो…?

चाची ने कोई जबाब नही दिया, वो अपने पल्लू को अपने दाँतों से चबाती रही…फिर कुच्छ सोच कर वो दरवाजे की तरफ बढ़ गयी…,

बाबूजी ने अपनी आँखें बंद कर ली……

चाची ने दरवाजे के पास पहुँच कर बाहर नज़र डाली, फिर धीरे से उसे अंदर से बंद करके कुण्डी लगा दी, और वापस बाबूजी की चारपाई के पास आकर खड़ी रही…

वो अपनी आँखें बंद किए हुए सोने की कोशिश कर रहे थे, उनका लंड भी अब धीरे - 2 सोने की कोशिश कर रहा था, कि तभी…..

चाची आहिस्ता से चारपाई पर बैठ गयी… और उन्होने उनके लंड को कस कर अपनी मुट्ठी में जकड लिया…

बेचारा अभी सही से बैठा भी नही था, कि फिरसे खड़ा होना पड़ा…..

बाबूजी ने झटके से अपनी आँखें खोल दी… और वो उनकी तरफ देखने लगे…

क्या हुआ प्रभा…गयी नही…? बाबूजी बोले…

वो उनके लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली – आपके इसने मुझे जाने ही नही दिया जेठ जी… मुझे अब इसकी ज़रूरत है…देंगे ना ?

बाबूजी – तुम्हारी मर्ज़ी… जब इसने तुम्हें रोक ही लिया है… तो फिर लेलो…

इतना सुनते ही चाची ने उनका पाजामा खोल दिया, और उसे अपने हाथ में लेकर मुठियाने लगी… वो फिरसे फन उठाने लगा…

बाबूजी का मस्त तगड़ा लंड देख कर चाची की चूत, जो पहले ही पनिया गयी थी… और ज़ोर से बहने लगी, उन्होने उसे अपने मूह में भर लिया…

बाबूजी ने भी उनके कड़क मोटे-2 चुचों पर कब्जा जमा लिया और लगे मीँजने…

अहह…. जेठ जी धीरे मसलो……

कुच्छ ही देर में कमरे में तूफान सा आगया, दोनो के कपड़े बदन से अलग होकर एक तरफ को पड़े थे…

फिर चाची अपनी पतली सी कमर और मोटी गान्ड लेकर बाबूजी के लंड पर बैठती चली गयी…

अपने होठों को मजबूती से कस कर धीरे – 2 वो पूरे 9” के सोट को अपनी चूत में घोंट गयी..और हान्फ्ते हुए बोली….

हइईई……..दैयाआअ……जेठ जी कितना तगड़ा लंड है आपका… अब तक कहाँ छुपा रखा था…?

हइई…रामम्म….. कितना अंदर तक चला गया… और वो धीरे – 2 उसके उपर उठक बैठक करने लगी…

बाबूजी भी उनकी पतली कमर को अपने हाथों में जकड कर नीचे से धक्का मारते हुए बोले….

अरे प्रभा रनीईइ… ये तो यहीं था मेरे पास, तुम ही अपनी मुनिया रानी को घूँघट में छुपाये थी…. !

ससिईईईईई….आअहह….जेठ जी….अबतक इस पर किसी और का कब्जा था, तो मे क्या कर्तीईइ…उउउहह…..

आअहह…..प्रभा…सच में तुम्हारी चूत बड़ी लाजबाब है, मेरा लंड एकदम कस गया है… उस मादरचोद चंपा का तो भोसड़ा बन चुका है….

बाबूजी के मोटे तगड़े सोट की कुटाई, चाची की ओखली ज़्यादा देर तक नही झेल पाई…

और वो अपने मुलायम गोल-2 चुचियों को बाबूजी की बालों भारी चौड़ी छाती से रगड़ती हुई झड़ने लगी…

उनके कड़क कांचे जैसे निप्प्लो के घर्षण से बाबूजी भी उत्तेजना की चरम सीमा तक पहुँच गये….

एक लंबी सी हुंकार मारते हुए उन्होने नीचे से चाची को उपर उछाल दिया और अपनी मलाई से उनकी ओखली को भर दिया……

कुच्छ देर का रेस्ट लेकर वो दोनो फिरसे एक बार जीवन आनद में लौट गये, और अपनी जिंदगी भर का चुदाई का अनुभव एक दूसरे के साथ अजमाते हुए… चुदाई में लीन हो गये…

उस दिन के बाद चाची बाबूजी के लंड की दीवानी हो चुकी थी… मौका लगते ही वो उसे अपनी गरम चूत में डलवाकर खूब मस्ती करती….

इस तरह से बाबूजी को एक नयी चूत का स्वाद मिल गया था, और चाची को नये लंड के साथ – 2 कुच्छ मदद….. !

उधर बड़े चाचा और चाची जल भुन रहे थे, उनकी मज़े से आरहि कमाई जो बंद हो गयी थी,

यही नही, आने वाले समय में पानी और बगीचे वाली राहत भी बंद होने वाली थी…

लेकिन वो अब तक काफ़ी पैसा बाबूजी से ऐंठ चुके थे, तो हाल फिलहाल उनपर कोई असर पड़ने वाला नही था…लेकिन अब चाची का भी ज़्यादातर समय खेतों में ही गुज़रता था…

घर पर आशा दीदी ही देख भाल करती थी.. वो और रामा दीदी इस बार ग्रॅजुयेशन फाइनल एअर के एग्ज़ॅम देने वाली थी…

बाबूजी वाली बात उनके बच्चों को पता नही थी… ! नीलू भी ग्रॅजुयेशन फाइनल में था और वो रेग्युलर शहर में रह कर पढ़ रहा था…

एक दिन मुझे कॉलेज से लौटते वक़्त आशा दीदी घर के बाहर ही मिल गयी, जो शायद हमारे घर से ही आरहि थी, मुझे देखते ही वो चहकते हुए बोली…

आशा – ओये हीरो..! कहाँ रहता है आजकल…? अब तो तेरे दर्शन ही दुर्लभ हो जाते हैं.. थोड़ा बहुत इधर भी नज़रें इनायत कर लिया करो भाई….!

मे – ऐसा कुच्छ नही है दीदी.. बस थोडा अब मेने भी घर खेती के काम में हाथ बँटाना शुरू किया है.. इसलिए थोड़ा समय कम मिलता है और कोई बात नही है…

आप बताइए… सवारी किधर से चली आरहि है..?

वो – रामा के पास गयी थी यार ! थोड़ा नोट्स बनाने थे मिलकर… चल आजा थोड़ा बैठकर गप्पें लगते हैं.. अकेली घर में बोर होती हूँ यार !

मे उनके साथ साथ उनके घर आगया… आकर उनके वरामदे में पड़े तखत पर बैठ गये,

वो मेरे साथ सट कर बैठ गयी और पालती मारकर अपना घुटना मेरी जाँघ के उपर रख लिया…

वो – छोटू ! भाई तुझे अपने साथ बिताए पुराने दिन याद आते हैं कि नही..

मे – हां ! क्या मस्ती किया करते थे, हम मिलकर एक दूसरे के साथ.. बड़ा मज़ा आता था नही..!

वो मेरे कंधे और बाजू को सहलाते हुए बोली – हूंम्म…..! फिर मेरे मसल्स को दबा कर बोली.. भाई, तेरे तो मस्त डोले-सोले बन गये है.. एकदम गबरू जवान हो गया है यार…

मे – क्या दीदी आप भी ! नज़र लगाओगी क्या मुझे..? वैसे, पहले से तो आप भी थोड़ा मस्त हो गयी हो.. उनके आमों पर नज़र डालते हुए मेने चुटकी ली…

वो मेरी नज़रों को भांपती हुई बोली – कहाँ यार, इतना भी नही हुआ है..! अच्छा एक बात बता.. तेरे कॉलेज में लड़कियाँ भी पढ़ती हैं..?

मे - हां पढ़ती तो हैं ! क्यों..?

वो मेरी आँखों में देखते हुए बोली – फिर तो लगता है.. तुझे देख कर आहें ही भरती रह जाती होंगी.. है ना ! क्योंकि तू तो किसी को घास ही नही डालता…

मे – ऐसा कुच्छ नही है..! कोई आहें बाहें नही भरती.. वैसे घास ना डालने वाली बात क्यों कही आपने…?

उसने शर्म से अपनी नज़रें झुका ली, फिर थोड़ा मेरी तरफ देख कर बोली – यहाँ भी तो तू किसी को घास नही डालता .. इसलिए कहा है..

मेने हँसते हुए कहा – यहाँ मेरी घास की किसको ज़रूरत पड़ गयी..?

वो अपने उरोजो को मेरे बाजू से सटाते हुए बोली – अगर ज़रूरत हो तो क्या मिलेगी…?

मेने उसके चेहरे की तरफ देखा, उसकी आँखों में प्रेम निमंत्रण साफ-साफ दिखाई दे रहा था..

मेने भी उसकी कमर में हाथ डालते हुए अपने से और सटाया और बोला – कोई माँगे तो सही.. मे तो डालने के लिए कब्से तैयार हूँ..

मेरी बात सुनकर आशा दीदी की आखों में चमक आगयि, और उसने सारी शर्म-झिझक छोड़ कर मेरे गले में अपनी बाहें लपेट दी,

मेने भी अपने होठों को उसकी तरफ बढ़ाया.. तो उसने झट से उन्हें चूम लिया…

गेट खुला है दीदी.. मेने उसे गेट की तरफ इशारा करते हुए कहा.. तो वो भाग कर गेट बंद करने चली गयी… इतने में मे तखत से उठ खड़ा हो गया..

वो वापस आकर मेरे गले में झूल गयी और मेरे होठों पर टूट पड़ी.. मेने भी उसके मस्त उभरे हुए कुल्हों को पकड़ कर मसल दिया..

उसकी गान्ड एकदम कड़क सॉलिड गोल-गोल, मानो दो वॉलीबॉल आपस में जोड़ दिए हों…

वो वापस आकर मेरे गले में झूल गयी और मेरे होठों पर टूट पड़ी.. मेने भी उसके मस्त उभरे हुए कुल्हों को पकड़ कर मसल दिया..

उसकी गान्ड एकदम कड़क सॉलिड गोल-गोल, मानो दो वॉलीबॉल आपस में जोड़ दिए हों…

गान्ड को अच्छे से मसल्ते हुए मेरे हाथ उसके कुर्ता के अंदर चले गये… और मे अब उसकी कुँवारी चुचियों जो कि एक दम मस्त उठी हुई थी को ब्रा के उपर से ही मसलने लगा…

अहह…………भाईईईईईईई…..धीरीए करना यार……दुख़्ते हैं..मेरे..

उफफफफफफफ्फ़…..दीदी…क्या मस्त आम हैं…तेरे.. मन करता है, कच्चे ही खा जाउ…

5 मिनिट हम यूँही खड़े -2 मस्ती लेते रहे, जिससे दोनो के अंदर की आग बुरी तरह से भड़क उठी…..

मेने फुसफुसाकर उसके कान में कहा – दीदी पहले कभी ये सब किया है..?

वो झिझकते हुए बोली - हां ! अपने मामा के लड़के के साथ एक बार किया था..

लेकिन पूरा नही हो पाया था.. वो साला हरामी डरपोक बहुत था.. तो मेरे चीखते ही भाग लिया… हहहे…

उसकी बात सुनकर मुझे भी हसी आगयि और बोला – तो इसका मतलब तुम्हारी सील पूरी तरह नही टूट पाई…

वो – थोड़ा सा खून तो निकला था, अब पता नही.. लेकिन तुम ये सब क्यों पुच्छ रहे हो..?

तू अपना काम कर यार ! बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसी बातें करके खराब मत कर.. प्लीज़…

मे – यहीं करना है या अंदर कमरे में चलें.. तो वो मेरा बाजू पकड़ कर कमरे में खींच कर ले गयी, और मुझे पलंग पर धक्का दे दिया.. फिर मेरे उपर आकर मेरी पॅंट को खोलने लगी…

उसकी चुदने की ललक देख कर मुझे हँसी आगयि.., वो मेरी ओर देख कर बोली – हंस क्यों रहे हो.. ?

मे – बड़ी जल्दी है तुम्हें मेरा लंड लेने की..

सीधा लंड शब्द सुनकर उसके गाल लाल हो गये.. और झूठा गुस्सा दिखाकर मेरे सीने में हल्के से मुक्का मार कर बोली – कितना गंदा बोलता है तू… बेशर्म कहीं का…!

मे – लो कर लो बात.. कपड़े मेरे तुम उतार रही हो.. बेशर्म मे हो गया.. वाह भाई वाह… उल्टा चोर कोतवाल को डाँटदे… हहेहहे….

शर्म से उसने अपने हाथ रोक कर अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया..

मेने उसकी गान्ड सहलाते हुए कहा – दीदी ! शर्म ही करती रहोगी या कुच्छ और भी करना है….

मेरी बात सुनकर उसने झट से मेरा पॅंट उतार दिया.. और मेरे उपर बैठ कर मेरे होठ चूसने लगी..

मेने उसकी कमीज़ में हाथ डाल दिया और ब्रा के उपर से उसके 33+ साइज़ के बोबे अपने हाथों में लेकर मसल दिए…

अहह… भाई… थोड़ा आरामम्म सीई…... इसस्शह… और अपनी चूत को मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी.. इतनी देर में उसकी आधी-फटी चूत रस बहाने लगी..

मेने उसके कुर्ते को उसके सर के उपर से निकाल दिया और जैसे ही सलवार के नाडे पर हाथ लगाया… तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया…

मे – क्यों नही करना है क्या..? उसने झट से अपना हाथ हटा लिया.. मेने उसका नाडा खीच दिया और पैर के सहारे से उसकी सलवार खिसका कर पैरों तक कर दी..

अब वो पिंक कलर की ब्रा और पेंटी में मेरे सामने थी…

उसके होठों को चूमते हुए मेने उसके आमो को अपने हाथों में कस लिया.. और उनसे रस निकालने की नाकाम कोशिश करने लगा…..

पतली कमर और पेट के अलावा, उसके चुचे और गान्ड परफेक्ट शेप में थे…

फिर मेने उसे अपने नीचे लिया और अपनी टीशर्ट निकाल कर उसपर छा गया..

ब्रा को उसके शरीर से अलग करके उसकी चुचियों को चूसने लगा.. वो मस्ती में हाए-2 करके रस बहाने लगी..

मुझे जल्दी से चोद अंकुश… अब और इंतेज़ार नही कर सकती जानू…!

उसकी आतूरता देख कर मेने भी देर करना सही नही समझा और उसकी पेंटी उतार कर उसके उपर छाता चला गया…!

उसकी चूत लगातार रस बहा रही थी.. चूत के होठों को चौड़ा करके अपने लाल लाल चौबातिया गार्डन के सेब जैसे सुपाडे को उसके छेद से भिड़ा दिया..

और एक हल्का सा धक्का देते ही पूरा सुपाडा उसकी गीली चूत में समा गया…

आईईईईईईईईईईईई….. मररर्र्ररर….गाइिईई….रीईईई….माआआआआ…. उफफफफ्फ़…भाईईईई…प्लेआस्ीईई….रुक्क्क…जाआ…

मेरे मूसल जैसे लंड को वो सह नही पाई.. और मेरे सीने पर हाथ रख कर अपने उपर से धकेलने लगी…

मेने उसके होठों को चूमते हुए कहा… दीदी.. थोड़ा झेल ले.. ये कहकर मेने थोड़ा अपनी गान्ड को और दबा दिया…

आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत में और सरक गया…

बहुत बड़ा जालिम है तू… थोड़ा साँस तो लेने दे…यार ! मर जाउन्गि…

आधे लंड को उसकी कसी हुई चूत में डाले, मे चुचियों को मसल्ने लगा, उसके कंचे जैसे कड़क हो चुके निप्प्लो को मरोडते हुए, एक और धक्का मार दिया.. वो कन्फ्यूज़ हो गयी… इस बार दर्द चुचियों में हुआ या चूत में.

पूरा लंड चूत में फिट हो गया…., उसकी अधूरी सील पूरी तरह टूट गयी थी....

वो हान्फ्ते हुए बोली – आहह….बहुत बड़ा है तेरा…. मेरी तो दम निकल गया होता….उउउफफफफफफफफ्फ़…….माआ…. आहह…..!

थोड़ा रुक, साँस लेने दे मुझे….मेने कुच्छ देर उसके पेट और चुचियों को सहलाया, पुचकार्ते हुए मेने अपने धक्के देने शुरू किए…

थोड़ी देर में ही वो भी मज़े में आगयि, तो नीचे से अपनी गान्ड उच्छाल – 2 कर चुदने लगी..

आहह………..भाई….चोद मुझे….और ज़ॉर्सीई….हाआंणन्न्….हाईए….फाड़ दे मेरी चूत को…बड़ा मज़ा आ रहा है….इस्शह….

आशा फुल मस्ती में अपने कमर उठा – उठा कर बड़बड़ाती हुई चुदने लगी…

उसने अपनी एडीया मेरी गान्ड के दोनो तरफ से कस दी….और बुरी तरह झड़ते हुए मेरे सीने से चिपक गयी…

अब मेने उसको अपने गले से चिपकाए हुए पलंग से उठा कर दीवार के सहारे खड़ा कर दिया, और पीछे खड़े होकर, उसकी वेल शेप्ड गान्ड को चाटने लगा..

आशा दीदी फिरसे गरम होने लगी, और पलट कर मेरे होठों पर टूट पड़ी…

मेने उसकी पीठ पर अपने हाथ का दबाब डालकर उसको दीवार से टिका दिया, जिसकी वजह से उसकी गान्ड पीछे को हो गयी…

मेने पीछे से अपना लंड उसकी ताज़ा झड़ी चूत के मूह पर टिकाया, और एक ज़ोर का झटका अपनी कमर को दिया…

मेरा लंड सर्र्र्र्र्ररर… से उसकी गीली चूत में चला गया… आशा ने अपने होठ कस लिए और सारे दर्द को पी गयी…

मे उसकी पीठ से चिपक कर उसे दनादन धक्के लगा कर चोदने लगा… आशा दीदी भी अपनी गान्ड को पीछे धकेलने लगी… हम दोनो ही बुरी तरह से चुदाई में लगे हुए थे…

आख़िरकार 20-25 मिनिट की चुदाई के बाद मेने भी अपनी पिचकारी उसकी अध्कोरि चूत में छोड़ दी…..आशा भी ऊँट की तरह गर्दन उठाकर फिर एक बार और झड गयी….

दोनो की साँसें धोन्कनि की तरह चल रही थी….

आशा दीदी आज मेरा लंड लेकर बेहद खुश थी, मे भी अपना पुराना हिसाब चुकता करके अपने घर आगया………..

आशा दीदी की अधखुली चूत को अच्छी तरह से खोलने के बाद, मे जैसे ही घर पहुँचा… तो देखा पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ है…

भाभी के कमरे में गया तो वो दोनो माँ-बेटी गायब, दीदी को आवाज़ दी, कोई जबाब नही….फिर मेने अपने कमरे में जाकर कपड़े चेंज करने लगा..

बाथरूम में जाकर अपने लौडे को साफ किया जिसपर अभी तक आशा दीदी की चूत का खून मिश्रित चूतरस लगा हुआ था…

मेने अपना अंडरवेर उतार कर बाथरूम में ही डाल दिया, और एक खाली शॉर्ट पहन लिया..,

बाथरूम में जाकर अपने लौडे को साफ किया जिसपर अभी तक आशा दीदी की चूत का खून मिश्रित चूतरस लगा हुआ था…

मेने अपना अंडरवेर उतार कर बाथरूम में ही डाल दिया, और एक खाली शॉर्ट पहन लिया..,

बाहर आकर आल्मिरा से टीशर्ट निकाली ही थी कि पीछे से मुझे किसी की नरम-नरम बाहों ने कस लिया…

मेने उन हाथों को पकड़ कर अपनी कमर से हटाया, और बाजू पकड़ कर आगे को किया… देखा तो रामा दीदी खड़ी मुस्करा रही थी…

उसने इस समय मात्र उपर एक पतली सी टीशर्ट और नीचे एक जीन्स का शॉर्ट पहना हुआ था…

सामने आकर उसने मेरे गले में अपनी बाहें डालकर मेरे होठों पर अपने होठ चिपका दिए..

उसके गोल-गोल चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी… मेने उसके कंधों को पकड़ कर अपने से अलग किया.. और पुछा – दीदी ! भाभी कहाँ हैं ?

वो छोटी चाची के यहाँ उनकी तबीयत जानने गयी हैं..उसने जबाब दिया.

मे – इसलिए तुम मौके का फ़ायदा उठाना चाहती हो क्यों..?

वो – हहेहहे… हां तो उसमें क्या..? कभी-2 थोड़ा बहुत मज़ा तो कर सकते हैं ना ! प्लीज़ भाई जल्दी से कर्दे ना भाभी के आने से पहले..

मे – क्या कर दूं..?

वो –ओफ़्फूओ.. तू भी ना..! जान बूझकर हमेशा तंग करता है मुझे…

चल अब बातें मत बना और जल्दी से मेरी खुजली मिटा दे यार !.. आज बहुत मन कर रहा है.. प्लीज़…!

इतना कहकर वो फिरसे मेरे उपर चढ़ने लगी… मेने उसके अमरूदो को जोरे से मसल दिया…

सीईईई… धीरी… आराम से कर ना यार !..ये कहीं भागे जा रहे हैं..?

मे मुश्किल से आधे घंटे पहले ही एक सील तोड़कर आया था, मेरा लंड अभी भी थोड़ा पहली वाली नयी चूत की गर्मी से आकड़ा हुआ था..

और यहाँ एक और कमसिन चूत सामने थी.., जिसकी खुश्बू सूंघ कर वो फिरसे अपनी औकात में आ गया…

मेने झट-पट उसके पीछे जाकर उसका टॉप उपर करके निकाल दिया, बिना ब्रा के उसके बूब्स किसी स्प्रिंग लगे खिलौने की तरह हिल-हिल कर बाहर आगये…

टॉप एक तरफ को उच्छल कर उसके चुचे चूसने लगा… वो भी उतावली होकेर गान्ड उचका-उचका कर चुसवाने लगी…

कुच्छ देर उसकी चुचियों को चूसने के बाद मेने उसको पूरी तरह नंगा कर दिया और अपने लंड की तरफ इशारा करके कहा….

दीदी ! लगे हाथ अब ज़रा तुम भी इसकी सेवा करदो…

वो मेरे डंडे जैसे खड़े लंड के आगे बैठ गयी, और उसे गडप से अपने मूह में भर कर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी…

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मेने उसे अपने पलंग पर धकेल दिया और चढ़ गया उसके उपर…

पहले धक्के में ही उसकी अह्ह्ह्ह… निकल गयी.. फिर धीरे-2 आराम से मेने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, और हल्के – 2 धक्के मारने लगा.

हम दोनो ही अब लय में आते जा रहे थे,…

मे कुच्छ देर पहले ही एक चूत चोद कर आया था, सो मेरा माल निकलने में समय लगने वाला था…

करीब आधे घंटे भी ज़्यादा देर तक, मे उसको अलग-2 तरीकों से चोदता रहा…

इतनी देर में वो 2-3 बार अपना पानी छोड़ चुकी थी… आख़िर मेने भी अपना गाढ़ा-गाढ़ा दही उसकी चुचियों और मूह पर उडेल दिया…

वो उसको प्यार से अपनी उंगली पर लेकर चाटने लगी, और वाकई को अपने अमरुदों पर माल लिया… !

फिर उठकर बाथरूम में जाकर अपने शरीर को सॉफ किया और कपड़े पहन कर मेरे लिए चाय बनाने चली गयी…​
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