Update 04

फिर कुच्छ देर बाद छप्पर से बाहर झाँकती हुई शकीला उसे नज़र आ गयी…, संजू ने राहत की साँस ली.., कि चलो भाग्यबस सही घर में ही आ गया हूँ…!

संजू को देखते ही शकीला के चेहरे की रौनक एकदम से बदल गयी.., वो अभी कुच्छ बोलना ही चाह रही थी कि तभी संजू ने दूर से ही अपनी उंगली होठों पर रख कर उसे चुप रहने का इशारा किया…!

शकीला ने भी वहीं से अपना हाथ नचाकर पुच्छने वाले अंदाज में इशारा किया… क्यों चुप रहूं…?

संजू तेज़ी से उसके पास जा पहुँचा और छप्पर की छान्व में शकीला का हाथ पकड़कर एक कोने में ले गया जहाँ से किसी भी तरह की आवाज़ कमरों के अंदर तक ना पहुँच पाए…!

संजू ठीक उसके बगल में खड़ा था, उसके कान के पास अपना मूह करके धीरे से बोला – वहीदा बेहन हैं घर पर…?

शकीला ने भी फुसफुसाती आवाज़ में कहा – हां…हैं.., लेकिन ऐसे कानाफुसी करके क्यों पूछ रहे हो…?

इस समय संजू का मूह उसके सुर्ख गोरे गाल के इतना करीब था कि उसके नथुनो की गरम-गरम हवा उसके सुंदर चेहरे पर पड़ रही थी.., मर्दानी जिस्म की खुश्बू अपने जिस्म के इतने करीब से महसूस करके शकीला के बदन में एक अजीब सी फीलिंग…कुच्छ डर…कुच्छ उत्तेजना… जैसी दौड़ने लगी…! उसके होंठ खुसक होने लगे थे..,

संजू ने उसके और नज़दीक खिसकते हुए कहा – और कॉन कॉन हैं घर पर…?

संजू का मूह उसके गाल के इतना करीब था कि अगर वो अपनी ज़ुबान बाहर निकालकर चाटना चाहे तो चाट सकता था..,

शकीला इस समय उसकी एक-एक साँस को गिन सकती थी.., अपने इतने करीब संजू को पाकर उसकी साँसें भी तेज तेज चलने लगी.., बड़ी मुश्किल से अपने होठों को तार करके वो बोली – अम्मी अब्बू भी हैं उधर वाले कोठे में, इधर वाले कोठे में भाभी सो रही हैं…!

शकीला की हालत से संजू भी अन्भिग्य नही था.., वो समझ चुका था की ये मुझे अपने इतने करीब पाकर नर्वस हो रही है.., संजू ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके दूसरे कंधे पर रखा और उसका सुंदर मुखड़ा अपनी तरफ करके बोला – और तुम कहाँ थीं..?

उसने काँपते होठों से अपनी नज़र नीची रखते हुए छप्पर में एक साइड को पड़ी चारपाई की तरफ इशारा कर दिया….!

संजू ने उसके चाँद से मुखड़े को जो अब थोड़ा उत्तेजना बस लाल भी हो गया था अपने हाथों में लेकर उसकी झील सी गहरी आँखों में झाँकते हुए कहा… तुम्हें मुझसे डर लग रहा है शायद…?

शकीला के मूह से कोई बोल नही फूटा.., उसने अपनी नज़रें झुका कर बड़ी मुश्किल से ना में अपनी गर्दन हिला दी…!

संजू – तो फिर इतना काँप क्यों रही हो…?

शकीला ने संजू की कलाईिओं को पकड़ते हुए कहा – ह.हा..हमें नही पता…च.च..छोड़िए हमें.., मे भाभी को जगा देती हूँ…!

संजू का मन तो कर रहा था कि इसके रसीले पतले-पतले सुर्ख होठों का रस पिया जाए.., लेकिन पहली मुलाकात है, कहीं लौंडिया अगर बिदक गयी तो खेल शुरू होने से पहले ही बिगड़ जाएगा…!

सो उसने अपने हाथ हटाते हुए कहा – नही.. तुम रहने दो.., मे खुद ही जाकर उन्हें सर्प्राइज़ देता हूँ…!

इतना कहकर वो उस कमरे की तरफ बढ़ गया जिसमें वहीदा सोई हुई थी.., दरवाजा बस ढालका हुआ ही था.., सो उसके हाथ रखते ही खुल गया.., कोठे के अंदर, बाहर की तुलना में कुच्छ अंधेरा सा था…!

लेकिन जैसे ही उसने कमरे के अंदर कदम रखा.., और जब उसकी आँखें कमरे के अंदर की रोशनी में देखने लायक हुई.., सामने ज़मीन पर बिस्तेर लगाए बेसूध सोई पड़ी वहीदा को देख कर उसका मूह खुला का खुला रह गया….!!!

वहीदा कमरे के कच्चे फर्श पर बिस्तर लगाए औंधे मूह पड़ी थी.., ढीले ढाले कुर्ते के नीचे एक पुराना सा पेटिकोट पहने वो भी उसकी मोटी मोटी खंबे जैसी जांघों तक चढ़ा हुआ…!

उपर का कुर्ता भी पीठ तक चढ़ा हुआ था.., शायद गर्मी के कारण उसने खुद ही उपर कर लिया होगा..!

दोनो टाँगों को चौड़ाए खंबे जैसी चिकनी गोरी जांघों के उपर उसके पहाड़ की चोटियों जैसे दोनो चूतड़…, देखते ही संजू का लंड तुनकने लगा…!

चोद तो वो उसे पहले भी चुका था.., पूरी रांड़ थी साली.., लेकिन कुच्छ अच्छे खाने की चाह में कभी कभार खराब खाना भी टेस्ट करना पड़ जाता है..,

और संजू ये भली भाँति जानता था कि अगर शकीला जैसी कमसिन काली को भोगना है तो उसका रास्ता इसी भोस्डे से होकर ही गुजरेगा….!

उसने एक बार पीछे मुड़कर खुले हुए दरवाजे को देखा…, कहीं शकीला उसके पीछे पीछे अंदर तो नही आ रही है…,

लेकिन वो शायद फिरसे अपनी छप्पर में पड़ी चारपाई पर लेट गयी थी…,

संजू चुप चाप घुटने मोड़ कर उसके बगल में बैठ गया…, अपने लंड को पूचकार कर उसने अपना एक हाथ धीरे से वहीदा के एक पर्वत शिखर पर रख दिया….!

वहीदा के ख़र्राटों में कोई कमी नही आई.., उसने धीरे से उसके गान्ड के उभार को पंजे में भरकर मसल दिया.., वहीदा के बदन में हल्की सी हलचल हुई…!

संजू ने अपना हाथ हटा लिया.., और उसके जागने का इंतजार करने लगा.., लेकिन वो जब नही उठी तो उसने फिरसे अपना एक हाथ दूसरे उभार पर रखा और उसे और ज़ोर्से मसला..,

वहीदा की गान्ड में हल्का सा कंपन हुआ.., थल्थलाकर उसकी गान्ड के उभार इस तरह से हिले मानो समंदर में लहरें उठी हों…, और जल्दी ही शांत भी हो गयी…!

उसने उसी हाथ को उसकी चौड़ी पीठ की तरफ बढ़ाया.., थोड़ा कुर्ता उपर और उठा.., लेकिन ढीला ढाला होने की बजह से उसके हाथ को उपर तक जाने में कोई अड़चन नही आई..,

संजू ये जानकार हैरान हो गया कि साली ने ब्रा भी नही पहनी थी…, कुच्छ देर वो उसकी पूरी पीठ पर हाथ फिराता रहा.., मादा बदन के स्पर्श से उसका लंड भी टाइट होने लगा…!

जब वहीदा फिर भी कुन्मुनाई तक नही तो फिर उसने खुला खेल फरक्खाबादी खेलने की ठान ली.., और उसके लहंगे को कमर तक उठाकर उसकी गान्ड को पूरी तरह से नंगा कर दिया…!

अब उसे ये देख कर कोई हैरानी नही हुई की उसने नीचे कच्छी भी नही पहनी थी.., शायद गर्मी इसका मुख्या कारण रहा होगा.., क्योंकि घर में कोई पंखा तो था नही.., लेकिन फर्श कच्चा था.., छत भी मिट्टी की थी, इसलिए गर्मी ज़्यादा नही थी कमरे के अंदर…!

गोरी गान्ड के भारी-भारी पाट जो उपर को कुच्छ ज़्यादा ही उठे हुए थे, देख कर संजू का लंड कच्छे के अंदर उच्छलने लगा.., उसने एक बार उसे अपने ही हाथ से मसलकर शांति बनाए रखने को कहा और अपने दोनो हाथ उसकी मक्खन जैसी गान्ड पर रख दिए…!

वो उन्हें उपर से नीचे को हिलाने लगा.., हिलती हुई गान्ड क्या जलवे बिखेर रही थी.., एक दो बार ऐसे ही गान्ड से खेलने के बाद संजू ने अपना एक हाथ उसकी गान्ड की चौड़ी सी दरार में डाल दिया…!

गान्ड की दरार में उंगली डालते ही संजू ने फील किया की वहीदा ने अपनी टाँगों को और खोल दिया है…,

वो मन ही मन बुद्बुदाया…, अच्छा तो साली सोने का नाटक कर रही है.., कोई ना.., करने दो हमें क्या…?

वो एक हाथ से उसकी मोटी गान्ड के उभार को दबाने लगा और दूसरे हाथ की उंगली को उसकी दरार में घुमाते हुए पहले उसकी गान्ड के छेद को सहलाया और फिर और नीचे की तरफ ले जाने लगा…!

जैसे जैसे उसका हाथ वहीदा की मालपुए जैसी मोटी चूत के करीब बढ़ रहा था वैसे वैसे उसकी जांघों के बीच का फासला भी बढ़ता जा रहा था…!

आख़िरकार संजू की दो उंगलियाँ वहीदा के ताजमहल के गेट पर पहुँच ही गयी.., जहाँ लग रहा था कि छिद्काव होने लगा है…!

संजू की उंगलियों को चूत के मुहाने पर गीलेपन का एहसास हुआ.., उसे समझते देर नही लगी कि ये साली रंडी सोने का बहाने बनाए हुए ही पूरा मज़ा ले रही है…!

उसने भी मज़ा लेने की गर्ज से ही अपनी दोनो उंगलियाँ उसकी मज़ार में पेबस्त कर दी.., जो कुच्छ तो गीलेपन की बजह से और कुच्छ उसका भोसड़ा था भी चौड़ा.., दोनो उंगलियाँ जड़ तक उसके कुए में गडप्प हो गयी…!

एक बार ज़ोर्से वहीदा की गान्ड हिली.., लेकिन उंगलियों के अंदर पहुँचते ही फिर थम गयी…, संजू ने जान बूझकर अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल ली.., और अपने मूह में लेकर उन्हें चचोर्ता हुआ उठ खड़ा हुआ…!

धीमी आवाज़ में बुद-बुदाता हुआ – वहीदा बेहन गहरी नींद में है.., सोने दो उसे.., चलता हूँ, फिर कभी आउन्गा.., ऐसे कहते हुए वो वहाँ से जाने के लिए पलट गया….!

इससे पहले कि वो बाहर जाने के लिए अपने कदम बढ़ाता.., पीछे से वहीदा ने उसकी कलाई थाम ली..,
संजू ने पलटकर उसकी तरफ देखा..,

वहीदा अपनी चूत मसल्ते हुए बोली – अब इसकी ठुकाइ क्या तेरा बाप करेगा भडुये.., चूत की गहराई हाथ से नही.., ये तेरी टाँगों के बीच झूल रहा है इस मूसल से नापी जाती है चूत मारी के…!

संजू ने मुस्कराते हुए कहा – वो तो मुझे भी पता है मेरी जान, लेकिन तुम तो ऐसे मक्कड़ बनाए पड़ी थी.., मेने सोचा ऐसे नही जागेगी.. सो…

बहुत बड़ा वाला हरामी है तू मदर्चोद.., ये कहते हुए वहीदा ने संजू का पाजामा उसके कच्छे समेत नीचे सरका दिया…, और उसके लंड को मूह में लेकर चूसने लगी…!

संजू का लंड उसके मूह में पहुँच कर बल्ले-बल्ले करने लगा.., उसकी कमर स्वतः ही आगे पीछे होकर उसके मूह को चोदने लगी…!

आअहह…साली कुतिया…, दरवाजा खुला है.., तेरी वो छम्मकछल्लो आ गयी तो…, ? वहीदा के तेंटुए तक अपना मूसल पेलते हुए संजू बोला.

संजू की इस बात का वहीदा पर कोई असर नही हुआ.., लार से लिथड़ा हुआ उसका लंड उसने अपने मूह से बाहर निकाला और अपनी चक्ले जैसी गान्ड संजू के मूसल के आगे औंधी कर दी…

अब जल्दी से डाल इसमें और अपनी और मेरी दोनो की गर्मी शांत कर दे मेरे राज्जाअ…..,

संजू को भला क्या एतराज हो सकता था.., उसने अपना मूसल वहीदा की ओखली में सरका दिया और उसकी मक्खमली गान्ड पर थप्पड़ जड़ते हुए उसकी कुटाई करने लगा…!

एक बार पलटकर उसने दरवाजे की तरफ देखा.., उसे शकीला की दो आँखें नज़र आई.., जो जल्दी ही गायब हो गयी…, वो समझ गया कि हमारा ये खेल वो कमसिन लौंडिया भी देख रही है.., जो उसके लिए ही अच्छा है…

ये सोचकर वो और तेज तेज उसकी चुदाई करने लगा…,

वहीदा की मोटी गान्ड पर जब संजू के पहलवानी वाले जांघों के पाट टकराते तो एक ठप्प ठप्प जैसी मधुर धुन पैदा हो जाती जो कमरे के शांत वातावरण में संगीत उत्पन्न कर देती….!

एक बार पीछे से चोदने के बाद संजू दरवाजे की तरफ मूह करके बिस्तर पर लेट गया और वहीदा अपनी भारी भरकम गान्ड लेकर संजू के लौडे पर चढ़ गयी…,

शकीला छुप्कर उनकी चुदाई देख रही थी.., संजू का बलिष्ठ मोटे डंडे जैसा लंड वहीदा की रसीली चूत में किसी पिस्टन की तरह एक लयबद्ध तरीक़ा से अंदर बाहर हो रहा था..,

जिसे देख कर शायद शकीला भी अपने गुप्तांगों को मसले बिना नही रह पाई होगी…!

आख़िरकार संजू के झड़ते झड़ते वहीदा ने भी अपने हथियार डाल दिए और वो उसके उपर ही पसर गयी……!

अपनी साँसों को थमने की कोशिश करते हुए बोली – बहुत दमदार चुदाई करते हो तुम.., इतना मज़ा मुझे और किसी के साथ नही आता है…,

अच्छा हुआ तुम पड़ौस में ही आ गये…, अब प्लीज़ जल्दी जल्दी आकर चक्कर मार जाया करना…….!

संजू ने उसे अपने उपर से पलटे हुए कहा – हां ठीक है.., अच्छा एक बात बताओ.., ये बकरियाँ चराने तुम ही क्यों जाती हो.., तुम्हारी ननद क्या कॉलेज जाती है…?

वहीदा – नही.. नही.. वो तो मे कल ऐसे ही चली गयी थी.., ज़्यादातर तो वोही जाती है.., फिर मुस्कराते हुए बोली- पर अब लगता है उसका उधर जाना ठीक नही है…

संजू ने एकदम चोन्क्ते हुए कहा – क्यों…, अब क्यों ठीक नही है…?

वहीदा ने उसके ढीले पढ़ते जा रहे लंड पर थप्पड़ मारते हुए कहा – इसकी बुरी नज़र जो पड़ गयी है उसकी कुँवारी मुनिया पर…ये कहकर वो हँसने लगी… है ना…?

संजू ने झेंप मिटाने की कोशिश करते हुए कहा… नही ऐसा कुच्छ नही है.., मेने तो बस ऐसे ही पुच्छ लिया था…!

वहीदा अपने लहंगे से संजू के लंड को साफ करते हुए बोली – फिर कोई बात नही..., वैसे अगर शाम को और चोदने का मन हो तो आज भी मे बकरियाँ लेकर उधर आउ..?

संजू समझ गया कि शकीला आज उधर आने वाली है.., इसलिए उठते हुए बोला…, नही अब आज के लिए इतना बहुत है.., और वैसे भी मुझे आज खेतों के लिए बीज़ लेने कस्बे में जाना है…,चलता हूँ… फिर मिलेंगे..

इतना कहकर उसने अपना पाजामा चढ़ाते हुए एक थप्पड़ वहीदा की मोटी गान्ड पर मारा और कमरे से बाहर निकल गया….!

बाहर आकर उसने इधर उधर नज़र दौड़ाई.., लेकिन शकीला उसे कहीं नज़र नही आई.. तो वो अपना सिर झटक कर उसके घर से निकल गया………..!!!!!!!!!!!

रूचि जब कॉलेज से निकली तो उसकी बस तैयार खड़ी थी, उसके चेहरे पर अभी भी गुस्सा साफ साफ झलक रहा था.., बस में भी उसने अपनी किसी भी फ्रेंड्स से ज़्यादा बात नही की…!

घर आकर सीधी वो अपने कमरे के तरफ बढ़ गयी…, उस समय उसकी चाची निशा और मा मोहिनी किचेन में लंच के बाद का बाइंड-अप कर रही थी…!

मोहिनी की नज़र हॉल से गुजरती हुई रूचि पर पड़ी, वो अपनी बेटी की चाल ढाल देख कर ही समझ गयी कि आज कुच्छ तो गड़बड़ हुई…, उसने रूचि को आवाज़ दी,

माँ की आवाज़ सुनकर वो ठिठक गयी.., लपक कर वो उसके पास गयी और उसके चेहरे को ध्यान से देखते हुए पुछा – क्या हुआ रूचि, आज कॉलेज में कुच्छ हुआ क्या…?

रूचि ने अपने मनोभावों पर काबू करने की भरषक कोशिश की, लेकिन उसका क्या किया जाए कि माँ की अनुभवी आँखें ताड़ चुकी थी कि आज उसकी बेटी कुच्छ अपसेट तो है….!

सामान्य होने की कोशिश करते हुए रूचि बोली – कुच्छ नही मामा.., कुच्छ भी तो नही हुआ.., आपको कैसे लगा कि कुच्छ हुआ है…?

मोहिनी – मे तेरी माँ हूँ बेटा…, अपनी बेटी को बचपन से देखती आ रही हूँ, तेरी चाल की तेज़ी बता रही है कि आज कॉलेज में कुच्छ तो हुआ है…?

इन माँ-बेटी का संबाद सुनकर वहाँ निशा भी आ पहुँची.., उसने भी रूचि के चेहरे को ध्यान से देखा लेकिन उसको उसके चेहरे पर कोई ऐसा लक्षण दिखाई नही दिया जिससे ये अनुमान लगा सके कि दीदी जो कह रही हैं वो सही है….,

निशा – क्या बात है दीदी..? ये आप क्या कह रही हैं ? मुझे तो नही लग रहा कि रूचि आज कुच्छ अपसेट है…!

रूचि – वही तो मौसी.., पता नही मामा क्यों मुझसे शारलक-होम्स की तरह सवाल कर रही है…? अगर कुच्छ हुआ होता भी तो मे खुद ही आप लोगों को बताती ना....,

मोहिनी – तू कह रही है तो मान लेती हूँ, लेकिन ना जाने क्यों आज तेरी चाल में तेज़ी देख कर मुझे लगा कि कुच्छ गड़बड़ तो नही हुई.., और फिर तूने आकर ना कोई ही हेलो की.., सीधी दनदनाती हुई अपने कमरे की तरफ चली जा रही थी…!

रूचि ने आगे बढ़कर अपनी माँ के गाल पर एक किस किया और बोली – वो मम्मी आज होम वर्क कुच्छ ज़्यादा ही मिला है.., तो सोचा टाइम वेस्ट ना करके सीधे काम पर लग जाती हूँ, बस और कुच्छ नही…!

निशा – खाना तो खा लेती…

रूचि – आप खाना मेरे रूम में ही ले आना मौसी, पढ़ते हुए खा लूँगी.., इतना कहते हुए वो पलटकर अपने रूम में चली गयी…………..!
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सुबह मे (अंकुश) 6 बजे से ही जिम में वर्क-आउट करने चला जाता था…, आज भी कोबो के बेड पर पीठ टिकाए अपनी क्षमता के हिसाब से वेट लगाकर एक्सर्साइज़ कर रहा था जब रूचि जिम करने वहाँ पहुँची…!

इस समय वो एक हल्के रंग की ढीली ढाली सी बहुत ही चौड़े गले की टीशर्ट जो उसके पेट तक भी नही आ रही थी और उसकी गुदाज नाभि को दर्शा रही थी..,

श्लीवेलेस्स टीशर्ट बगलों से इतनी ज़्यादा खुली हुई की साइड से उसकी ब्राउन कलर की फुल ब्रा एकदम सॉफ दिखाई दे रही थी..,

नीचे एक टाइट फिट शॉर्ट, जो इतना शॉर्ट था कि पीछे से उसकी जांघों के उपर की गोलाई भी झलक रही थी, कमर में इतनी नीचे से की उसकी पतली कमर के कटाव पर टिकी थी…,

आगे उसकी यौनी पर एकदम चिपकी हुई.. जिससे उसकी यौनी के पतले पतले होठों का फुलपन और फांकों के बीच की पतली सी दरार साफ साफ दिखाई दे रही थी…!

32” की कठोर अन्छुए उसके उभारों पर एक तरह से टंगा हुआ था उसका वो उपर और नीचे केले जैसी सुडौल जांघों को देख कर किसी का भी मन डोल जाए…., रूचि को देख कर लाख अपने को रोकने की कोशिश के बाद भी मेरा लॉडा शॉर्ट में तंबू बनाने लगा…!

गुड मॉर्निंग चाचू कहकर रूचि ने एक नज़र मेरी ओर डाली, मेने लेटे ही लेटे अपनी जांघों को भींचकर अपने तंबू तो छुपाने की कोशिश करते हुए उसकी गुड मॉर्निंग का जबाब दिया…!

लेकिन जाँघो को भींचने से वो साला कहाँ च्छूपने वाला था.., उल्टा दोनो जांघों को जोड़ने से मेरा पूरा समान और उपर को हो गया…!

मेरे ऐसा करने से रूचि के होठों पर मुस्कराहट आ गयी और थोड़ी सी डिस्टेन्स बनाकर मेरे सामने ही वो अपनी मन पसंद एक्सर्साइज़ करने लगी…, मुझे बड़ी शर्मिंदगी सी फील हुई….!

वो खड़े खड़े योगा के कुच्छ स्टेप्स कर रही थी अपनी बॉडी को फ्री करने के लिए.., हस्तपादासन करने के लिए उसे झुकना पड़ता था और अपने हाथ की उंगलियों से अपने पैरों को च्छुना होता था…!

इसके दौरान एक क्षण ऐसा भी आता कि उसकी ढीली ढाली चौड़े गले के उपर से उसकी सामने से पूरी की पूरी ब्रा ही दिखने लगती.., ये तो अच्छा था कि ब्रा फुल पॅक थी जिससे उसके अन्छुए कठोर उभारों के बीच की हल्की सी घाटी ही दिखाई दे जाती…!

हस्तपादासन के बाद जब वो उत्थिता परसवाकॉनसं करने के लिए उसने जैसे ही अपनी टाँगों को खोला, उसकी आगे से चिपके हुए टाइट शॉर्ट में उसका यौनी का शेप और ज़्यादा उभरकर मेरी आँखों के सामने आ गया…!

वो अच्छा था कि शॉर्ट का कपड़ा स्ट्रिचबल था वरना फट भी सकता था.., टाँगों को फैलाने से उसका शॉर्ट उसकी मुनिया की फांकों की दरार में और गहराई तक समा गया…, और मेरे लौडे की वाट लगने लगी….!

बचपन से ही रूचि मेरी गोद में खेली है, मेरे साथ मस्ती करते करते बड़ी हुई थी.., हो सकता है उसके लिए इन सब बातों का कोई खास मतलब ना हो…, लेकिन जब से उसके नाज़ुक कोमलांगों ने अवाद होना शुरू किया है तब से उसका सानिध्य, शरीर का टच मुझे उत्तेजित करने लगा था…!

ना चाहते हुए भी बार-बार मेरी नज़र उसके अंगों पर चली जा रही थी.., और उनकी बनावट जिसे मेरे जैसा एक्सपीरियेन्स्ड आदमी जिसे अंदर बाहर का भी सब कुच्छ पता है और उनके मूव्मेंट को देख देख कर मे उत्तेजित होता जा रहा था…!

लंड महाराज किसी रीलेशन के मोहताज नही, सामने कॉन है कॉन नही है इससे उनको कोई मतलब नही .., उसे तो बस आँखों ने क्या देखा.., दिमाग़ ने क्या मेसेज भेजा बस उसका रिक्षन झट से शुरू…!

टाइट शॉर्ट और फ्रेंची में बंद होने के बाद भी वो साला तंबू के साइज़ को बढ़ता ही जा रहा रहा था…!
सामने मेरी खास भतीजी है.., जो मेरे लिए अपनी सग़ी बेटी से भी बढ़कर है.., उसके सामने मेरा लंड भेन्चोद मक्कारी की हदें पार कर रहा है..,

अगर रूचि की नज़र पड़ गयी तो वो क्या सोचेगी अपने प्यारे चाचू के बारे में.., बचपन से उसके दिल में अपने लिए कमाई हुई इज़्ज़त एक पल में मिट्टी में मिल जाएगी…!

एक के बाद एक योगा के स्टेप्स करते हुए रूचि की शारीरिक बनावट, उसका एक एक कोण मेरी आँखों के सामने आता गया.., और मे निरंतर वासना रूपी उत्तेजना की तरफ बढ़ता रहा…!

मेने वहाँ से हटना ही मुनासिब समझा और वो एक्सर्साइज़ छोड़कर रूचि की साइड में आकर पुश-अप करने लगा.., जिससे कम से कम लंड महाराज आसमान को ना उड़ कर ज़मीन पर ही रहें… और रूचि की नज़र मेरे तंबू पर ना पड़े.

लेकिन साइड से भी कोई खास राहत नही मिली.., भेन्चोद ये उपर किस मदर्चोद ने डिज़ाइन किया होगा.., भोसड़ी वाले ने उसकी टीशर्ट की साइड से पूरी विंडो ही बना रखी है.., उपर से इतना ढीला ढाला की उसकी साइड की विंडो में एक और आदमी अपनी मंडी घुसकर चला जाए…!

आख़िरकार मुझे अपने कार्यक्रम का डाइरेक्षन ही चेंज करना पड़ा और विपरीत दिशा में अपना सिर करके पुश-अप करने लगा…!

जैसे तैसे करके मेरी उत्तेजना कुच्छ कम हुई और मेने एक्सर्साइज़ में अपना ध्यान लगाया…

जब हम दोनो ही पूरी तरह से पसीने से सराबोर हो गये.., साँसें उखाड़ने लगी तो एक साइड में पड़ी रेस्ट बेंच पर बैठ कर तौलिए से पसीना पोन्छ्ते हुए अपनी साँसों को ठीक करने की कोशिश करने लगे…………!!!!

पसीना सूखने तक हम दोनो की साँसें भी नॉर्मल हो चुकी थी.., रूचि उठकर पनचिंग ग्लव्स पहन कर पनचिंग बॅग की तरफ जाने लगी.., देखते ही देखते वो बॅग पर जबरदस्त पँचो का प्रहार उसपर करने लगी…!

आज से पहले मेने रूचि को इतने जबर्दस्त तरीके से पंचिंग करते हुए कभी नही देखा था…, उसके पन्चो से इतना भारी भरकम बॅग भी हिल जा रहा था…पन्च मारते हुए वो कुच्छ बास्टर्ड जैसे शब्द भी बॅड- बड़ा रही थी…!

उससे देखकर ये लग ही नही रहा था कि ये किसी नाज़ुक सी लड़की के पन्च हो सकते हैं, बॅग की जगह अगर मेरा थोबड़ा भी होता तो दो ही पन्च में उसका हुलिया बिगड़ चुका होता.

कुच्छ देर तक तो मे उसे आश्चर्य के साथ देखता रहा फिर जब नही रहा गया तो उठकर उसके पास पहुँचा और बॅग को थाम कर बोला –

क्या बात है, आज हमारी शेरनी कुच्छ ज़्यादा ही जोश में लग रही है.., किसका गुस्सा इस बेचारे बज़ुबान बॅग पर उतारा जा रहा है..?

रूचि ने पूरी ताक़त के साथ एक जबरदस्त पन्च मारा कि बॅग के साथ साथ एक बार को तो मे भी डिसबॅलेन्स हो गया.., पन्च मारने के बाद दूसरी ओर से उसने भी बॅग को अपने दोनो हाथों में थामा और बोली….

मे हर उस हरम्जादे का मूह तोड़ दूँगी जो किसी की कमज़ोरी का फ़ायदा उठाना चाहता हो.., हम लड़कियाँ तो जैसे किसी की गुलाम हैं.., जो जी चाहे अपने मनोरंजन के लिए इस्तेमाल कर ले…,

रूचि गुस्से और रोष भरे अंदाज में ये बात कही थी, उसके इस रूप को देखकर एकबारगी तो मेरे बदन में भी झूर-झूरी सी दौड़ गयी…, मेरे अंदर तक एक अंजाना सा डर फैल गया….!

कहीं इससे मेरे खड़े होते लौडे को देखकर तो गुस्सा नही आगया…? अगर ऐसा है तो अंकुश बेटा.., सच में तुम्हारे लिए डूब मरने वाली बात होगी…,

मेने डरते हुए पुछा – अरे क्या हुआ हमारी बिटिया को..? अचानक से इतना गुस्सा..? किसी ने कुच्छ ऐसा वैसा कहा क्या…? मुझे बताओ मे उस हरामी का जबड़ा तोड़ दूँगा…!

रूचि अपनी पतली सी कमर पर अपने दोनो हाथ रख कर बोली – आपको उसका जबड़ा तोड़ने की ज़रूरत नही पड़ेगी चाचू.., मे ऑलरेडी उस हरम्जादे विकी को सबक सीखा चुकी हूँ…!

फिर उसने सिलसिलेवार उसके साथ हुई कल वाली घटना कह सुनाई…,

मे – शाबाश मेरे शेर.., मेने रूचि की दिल से तारीफ करते हुए उसकी पीठ थप थपाई और पुछा – वैसे ये विकी है किस चिड़िया का नाम…?

रूचि बड़े बेपरवाही अंदाज में बोली – होगा कोई साला हरामी…, बड़े बाप की बिगड़ी औलाद.., कॉलेज में पढ़ता है…, अब अगर उसमें ज़रा सी भी गैरत होगी तो वो कभी मेरे सामने नही पड़ेगा…!

मे – फिर भी एहतियात बरतना पड़ेगा बेटा.., ऐसे लोग बेगैरत होते हैं.., इनको अपनी इज़्ज़त से ज़्यादा दूसरों की बेइज़्ज़ती करने में मज़ा आता है.., कल को कुच्छ उन्च नीच करदी तो…,

वैसे तुमने ये बात घर में किसी को क्यों नही बताई…?

रूचि – अरे चाचू.., इतनी बड़ी बात नही थी.., क्यों खम्खा घर में किसी को टेन्षन देना.., आप तो जानते ही हैं मम्मी ज़रा सी बात पर कितनी पॅस्ससिव हो जाती हैं…,

वो तो मे आपसे कोई बात नही छुपाती इसलिए बता दिया.., अब प्लीज़ आप किसी को मत बताना वरना मम्मी पापा खम्खा मुझे लेक्चर देने शुरू कर देंगे..!

रूचि ने ये बात कुच्छ ऐसे अंदाज में कही कि एक बार को मुझे भी हसी आ गयी.., और मेने उसे वादा किया कि मे ये बात किसी को नही बताउन्गा…!​
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