Update 08
तबतक गुप्ता जी का खाना ख़तम हो चुका था सो वो उठते हुए बोले – भाई मेरा तो खाना हो गया.., शांति तुम अच्छे से अंकुश को खाना खिलाओ.., मे तो चला सोने…!
इतना कहकर गुप्ता जी अपने कमरे की तरफ चल दिए और खुशी और शांति देवी मेरा खाने में साथ देती रही और साथ साथ हम तीनों में हसी मज़ाक भी चलता रहा..,
खाने के बाद सेठानी बोली – खुशी बेटा तुम भैया को अपने कमरे में ले चलो.., मे फ्रीज़ से आइस-क्रीम लेकर वहीं आती हूँ, आराम से बैठकर आइस-क्रीम खाते हुए बातें करेंगे…..!
और हां…, अपने घर फोन करके बोल दो वो तुम्हारा इंतेजार ना करें…,
मे समझ गया कि आज की आइस-क्रीम की दावत कैसी होने वाली है.., सो हँसते हुए मेने खुशी के कंधे पर हाथ रखा.., और हम दोनो उसके कमरे की तरफ चल दिए…!
कमरे में घुसते ही खुशी मुझसे बेतहासा लिपट गयी.., अपनी चूत को मेरे अधजगे लौडे के उपर दबाते हुए अपने पंजों पर उचक कर उसने मेरे होठों पर किस किया.., मेने भी उसकी मोटी मुलायम गान्ड को अपनी मुट्ठी में भरकर ज़ोर्से मसल्ते हुए अपनी तरफ खींचा…!
आअहह…भैया…आराम से ये तुम्हारी बेहन की गान्ड है.., किसी मुजरिम की गर्दन नही…, और अपने इस सिपाही से कहो थोड़ा अकड़ कम करे वरना कपड़ों के साथ ही अंदर ना घुस जाए…!
इस समय खुशी एक टाइट फिट स्लेक्स की लेंगिग और एक लूस स्लेवलेस्स टॉप जो उसकी नाभि से भी काफ़ी उपर तक था.., और उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर हॅंगिंग हो रहा था पहने थी..,
मेने उसकी गान्ड के दोनो शिखरों पर अपने हाथ जमाए और उन्हें दबाते हुए उसके होंठो को चूसने लगा.., खुशी की चूत जो उसके चिपके हुए लेंगिग में उभर आई थी उसके ठीक उपर मेरा लंड उसकी फांकों को दबाए हुए था…!
खुशी मूह से गुउन्न..ग्गुउन्न.. की आवाज़ें निकालती हुई अपनी चूत को मेरे लंड के उभार पर रगड़ने लगी…, कुच्छ देर होंठ चुसाई करते हुए मेने उसके टॉप को निकाल फेंका, अब उसके पिंक ब्रा में क़ैद 34” के एकदम तने हुए दूधिया दो पके हुए अनार मेरी मुत्ठियों में समाए हुए थे जिन्हें मे बड़ी बेदर्दी से मसालने लगा…!!
वो भी उतनी ही बेदर्दी से मेरे होठों को चूस्ते हुए अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ रही थी.., हम दोनो पर वासना इस कदर हाबी होने लगी कि कान तक लाल पड़ गये.., आँखों में मानो खून उतर आया हो…!
मेने अपने हाथों को खुशी की जांघों के नीचे लगाया और उसे अपनी गोद में उठा लिया.., उठाए हुए लाकर उसके पलंग पर पटक दिया…, वो दो-तीन बार 6” मोटे डनलॉप पर उपर नीचे हुई, फिर बैठकर मेरे पॅंट की जीप खींच कर उसे नीचे खींच दिया…!
अंडरवेर में मेरा 8.5” लंबा और करीब 3” मोटा कोबरा अपना फन फैलाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उस बेचारे को बाहर आने का रास्ता नही मिल पा रहा था..,
उसकी हालत पर तरस खाकर खुशी ने उसे रास्ता दिखा दिया.., मेरे अंडरवेर को भी नीचे खींच कर उसने उसे अपनी मुट्ठी में लेकर देखने लगी…!
ओ माइ गॉड ! भैया…, ये तो और ज़्यादा बड़ा लग रहा है पहले से उउम्म्मन्णन…ये कहकर पहले उसने उसको किस किया फिर उसके खाल को नीचे करके उसके गरम दहक्ते लाल सेब जैसे सुपाडे पर अपनी जीभ फिराने लगी…!
अभी वो उसे अपने मूह में लेकर चूसना चाहती थी कि तभी सेठानी की आवाज़ ने उसे रोक दिया…, रुक जा खुशी.., आइस-क्रीम नही खानी क्या…?
खुशी – नही मम्मी बाद में पहले मुझे इसकी मलाई टेस्ट करने दो..,
सेठानी – अरे पगली तो मे कब उसे चूसने को माना कर रही हूँ…, ले पहले इसके उपर खूब सारी चॉकलेट आइस-क्रीम लगा ले फिर चूसना.., देखना क्या मस्त टेस्ट बनता है…!
ओह वाउ ! क्या आइडिया निकाला है.., यू आर सो जीनियस मामा…, लाओ जल्दी लाओ..,
सेठानी ने आइस-क्रीम पॅक खुशी के हाथ में थमाते हुए अपना एक मात्रा गाउन भी निकाल दिया और डिब्बे से थोड़ी सी आइस-क्रीम अपनी चुचियों पर लेपने लगी..,
उधर जैसे ही खुशी ने ठंडी-ठंडी आइस-क्रीम मेरे गरम गरम लौडे की उपर चुपड़ी.., एक ठंडी सी लहर मेरी गान्ड के छेद तक फैल गयी जिस’से मेरी गान्ड का छेद सिकुड़ने लगा.., लेकिन उसकी ठंडक पाकर मेरे लंड की स्किन और ज़्यादा सख़्त होने लगी…!
खुशी आइस-क्रीम चुपड-चुपड कर मेरे लौडे को पूरी तन्मयता से चूसे जा रही थी.., इधर आइस-क्रीम की ठंडक से सेठानी के बड़े बड़े चुचक कड़क होकर मोटी जामुन जैसे हो गये,
उनके उपर लगी आइस-क्रीम को मेने अपनी जीभ से चाट’ते हुए उनकी बड़ी बड़ी पपीते जैसी चुचियों पर लगी आइस-क्रीम भी चाटने लगा…,
हम तीनों को ही बहुत मज़ा आ रहा था.., जब ठंडी-ठंडी आइस-क्रीम सेठानी अपनी चुचियों पर लगाती तो उनके मूह से ससिईइ…आअहह…उउउहह…जैसे शब्द निकल पड़ते…!
इस तरह मेने और खुशी ने मिलकर 1/4 डिब्बा खाली कर दिया.., फिर मेने खुशी की ब्रा को भी खींच निकाला..,
अब सीन चेंज हो गया था.., सेठानी मेरे लंड से आइस-क्रीम चाटने लगी और मे खुशी के बड़े-बड़े अनारों से…!
ठंडी आइस-क्रीम ने उसके निप्प्लो को कंचे के माफिक कड़क कर दिया था.., वो अब आइस-क्रीम की ठंडक और मेरी जीभ के चाटने से लंबी लंबी साँस लेते हुए सिसकियाँ भरने लगी थी..,
अब मेने खुशी को नीचे से भी नंगा कर दिया और उसकी चूत पर आइस-क्रीम लगाकर अपनी जीभ लगाकर चाटने लगा..,
खुशी की चूत इतनी देर में वैसे ही गीली होने लगी थी.., उसका कामरस आइस-क्रीम के साथ मिक्स होकर मुझे अलग ही स्वाद दे रहा था…!
खुशी को भी आइस-क्रीम लगी अपनी चूत चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.., उसकी गरम गरम सिसकियाँ कमरे के माहौल को भी गरम करने लगी थी..,
एक समय ऐसा आया कि वो अपने आपको संभाल ना सकी और मेरे मूह में ही झड गयी.., आइस-क्रीम मिक्स उसका सारा रस मेरे उदर में उतर गया…!!!
इधर सेठानी ने चूस-चुस्कर मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया था.., मेने उन्हें रोक कर पलंग पर घोड़ी बनाया.., थोड़ी सी आइस-क्रीम उनकी चूत और गान्ड पर मलि.., फिर दोनो को अच्छे से चाट-चाट कर साफ किया..,
इस वजह से सेठानी भी बहुत गरम हो गयी और मेरा लंड अपनी चूत में डलवाने के लिए उतावली होने लगी…!
मेने भी देर नही की और अपना मूसल पीछे से उनकी गरम चूत में पेल दिया…, अपनी माँ को मेरे मूसल से चुदते देख खुशी फिरसे गरम होने लगी.., और अपनी चिकनी चमेली को अपने हाथ से सहलाते हुए मेरी तरफ देखने लगी…!
मेने उसको भी सेठानी के उपर उनकी पीठ पर उल्टा लिटा दिया.., और सेठानी की चूत से अपना मूसल निकल कर खुशी की चूत में डाल दिया…!
खुशी एक बार में मेरा एक तिहाई लंड ही ले पाई थी की बुरी तरह से कराह उठी… आअहह…भैया..धीरे…, हाई राम कितना मोटा हो गया है ये तो…!
धीरे-धीरे करके जब वो पूरा लंड लेने लगी तो मे बारी-बारी से दोनो माँ बेटी की चुतो में लंड पेल पेल कर उन दोनो को एक साथ चोदने लगा…!
सेठानी एक बार झड़कर साइड में लुढ़क गयी और लंबी लंबी साँस लेने लगी.., लेकिन खुशी नयी लौंडिया थी.., इतनी जल्दी हार मानने वाली नही थी..,
फिर भी मेरे मूसल की मार वो ज़्यादा देर तक नही झेल सकी और 5 मिनिट बाद ही उसने भी हथियार डाल दिए…
इधर मेरा भी अब होने ही वाला था सो अपना मूसल खुशी की चूत से निकाल कर उसके मूह में डालकर उसके मूह को चोदते हुए उसके मूह में ही झड़ने लगा…!
मेरी पूरी मलाई ओवरफ्लो होकर उसके मूह से निकल कर उसकी चुचियों पर टपकने लगी जिसे उसने अपने एक हाथ से दोनो अनारों पर मल दिया..,
सेठानी भी इस मज़े से भला कैसे दूर रह पाती सो अपनी लंबी सी ज़ुबान निकाल कर बिल्ली की तरह उसकी चुचियो से मेरी मलाई को चाटने लगी…!
दोनो माँ बेटी को एक बार अच्छे से चोद-चोदकर मे अपने घर को निकल लिया और करीब दो बजे जाकर एक बार अपनी प्यारी पतिव्रता पत्नी निशा को भी संतुष्ट करना पड़ा…,
आख़िर बेचारी ने इतनी रात को मेरे लिए अपनी नींद खराब करके गेट खोला था तो इतना इनाम तो उसे भी मिलना ही चाहिए था.., अब हम दोनो ही संतुष्ट हो गये थे सो नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गये……..!!!
दूसरे दिन पोलीस ने उन लड़कों की पेशी कोर्ट में कराई जहाँ राठी ने पैसों के दम पर संबंधित जज से उन लड़कों की जमानत करा ली….!
दिन गुज़रते रहे, मेरे और रूचि के बीच हल्की-फुल्की चुहलबाज़ी होती रहती थी.., टीज़िंग चलती रहती थी लेकिन ना तो वो अपनी सीमा को पार कर पा रही थी..,
मेरी तरफ से तो खैर ऐसा कोई चान्स ही नही था कि मे अपनी बेटी समान भतीजी के बारे में कुच्छ ऐसा वैसा सोचता.., एक बार सोचता भी तो भी अपनी तरफ से पहल नही कर सकता था…!
दिनभर अपने काम में व्यस्त रहता.., रात को कभी कभी दो-दो घोड़ियों की सवारी करने को मिल जाती थी.., और सुबह फिरसे वोही रूटीन वर्क.., लाइफ बड़े आराम और सुकून से कट रही थी…,
लेकिन अंदर ही अंदर कुच्छ तो चल रहा था जो हमें बाहर से नही दिख रहा था.., क्या पता था कि कोई भयंकर किस्म का तूफान हमारी जिंदगी में आने वाला है जो सब कुच्छ हिलाकर रख देगा…….!!!
एक दिन देर शाम को मे अपने ऑफीस से लौट रहा था कि तभी छोटी चाची का फोन आया.., वो बड़ी हड़बड़ाई हुई सी लग रही थी..,
मेरे हेलो बोलते ही वो बोली – लल्ला तुम फ़ौरन यहाँ आजाओ.., संजू का कल से कोई पता नही चल रहा, ना जाने कहाँ चला गया है वो.., किसी को कुच्छ बता कर भी नही गया है…!
मे – आप चिंता मत करो.., इधर उधर कहीं मटरगस्ति करते हुए निकल गया होगा.., आ जाएगा…!
चाची – नही लल्ला.., दो दिन हो गये.., कहीं जाता तो बता तो देता.., यहाँ किसी को कुच्छ बोलकर भी नही गया.., मेरा तो दिल घबरा रहा है.., कहीं किसी ने उसके साथ कुछ…,
मेने चाची का वाक्य पूरा होने से पहले ही कहा – नही..नही..आप ऐसा कुच्छ मत सोचो.., अच्छा मे कल सुबह गाँव पहुँचता हूँ.., आप बेफिकर रहो…!
बात सोचने वाली तो थी.., मेने चाची को तो बोल दिया फिकर ना करने को लेकिन फिकर करने वाली बात तो थी.., आख़िर दो दिन से वो कहाँ गायब हो गया पट्ठा…
कहीं बाहर जाना था तो बताकर जाता.., वैसे उसे यहाँ जानने वाला कोई भी तो नही था तो फिर आख़िर गया तो कहाँ..?
मेने घर जाकर सारी बात बताई.., सभी ने यही कहा कि आजाएगा.., बिना नाथ-पघे का बाल है…, लेकिन मेरा मन इन सब दिलासाओं से नही माना और में सुबह पौ फटते ही गाँव की तरफ निकल लिया….!
सूरज अभी ठीक से निकला ही था कि मे गाँव पहुँच गया…, आस-पास में खूब पुच्छ ताच्छ की लेकिन कोई सुराग नही मिला…!
फिर हमने सोचा कि शायद हो सकता है उसे अपने गाँव की याद आगयि हो और वो गाँव में लोगों से मिलने चला गया हो.., एक हफ़्ता उसके लौटने का इंतेज़ार किया लेकिन वो नही आया तो मे उसके गाँव महाराष्ट्र भी देखने गया लेकिन वहाँ भी उसका कोई सुराग नही मिला…!
हमने पोलीस में कंप्लेंट लिखवा दी.., पूर्व सरपंच रामसिंघ और उसके बेटे पर शक़ गया.. लेकिन वो अपने बच्चों की कसम खाकर बोला –
तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो बेटा.., थोड़े बहुत आपस के झगड़े हर जगह होते हैं.., इसका मतलब ये तो नही कि ऐसे झगड़े किसी के कत्ल का कारण बन जायें..!
यहाँ तक कि वो खुद भी हमारे साथ इधर-उधर जाकर संजू की तलाश करवाता रहा.., हफ्ते दस दिन तक हमने उसे खूब तलाश किया लेकिन हमें एक भी ऐसा आदमी नही मिला जो ये कह सके कि उसने संजू को फलाँ समय पर फलाँ जगह पर देखा था…!
तक कर हमने उसकी तलाश ये सोचकर बंद करदी कि अब भगवान ने चाहा तो वो हमारे पास वापस आ जाएगा वरना तो वो बिना बताए ही हमे छोड़कर कहीं चला गया है और शायद अब कभी ना लौटे….!!!
संजू को गायब हुए दो महीने बीत चुके थे, इश्स बीच हमने उसे तलाश करने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नही लौटा तो फिर हमने भी उसका इंतेज़ार करना बंद कर दिया…!
प्राची 4-5 महीने की प्रेग्नेंट थी और अब वो सिर्फ़ घर पर ही रहकर आराम करती रहती.., मे भी अपने काम में व्यस्त रहता था सो प्राइवेट डिटेक्टिव एजेन्सी का काम एक तरह से ठप्प ही पड़ गया था…!
बाप बनाने की खुशी कृष्णा भैया के चेहरे पर देखते ही बनती थी, और हो भी क्यों ना पहली बार बाप बनाने की खुशी क्या होती है ये सभी जानते हैं.., और फिर वो तो बेचारे इस मामले में काफ़ी पिछड गये थे..,
मे उनसे छोटा था फिर भी मेरा बेटा अब दो साल का हो गया था.., कामिनी भाभी अगर अच्छे से घर गृहस्ती संभाल लेती तो आज वो भी बहुत पहले ही ये सुख ले चुके होते…!
खैर जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है…, इसी खुशी में पूरे परिवार ने मिलकर प्राची की गोद भराई की रस्म रखी, गाँव से भी तीनों चाचाओं के परिवार शामिल होने आगये…!
कृष्णा भैया और प्राची हमारे बंगले पर ही आगये साथ में प्राची की मम्मी मधुमिता आंटी और उनका बेटा भी जो अब जवान हो चुका था…!
सुबह से ही सारे रस्मो रिवाज चलते रहे.., शाम को अच्छी ख़ासी दावत हुई और फिर एक एक करके सब लोग जाने लगे सिवाय छोटी चाची के, वो एक दो दिन और अपने बेटे के पास रहना चाहती थी…!
मे सबकी मेहमान नवाज़ी और फिर सबको यथा संभव दान दक्षिणा देकर विदा करने में व्यस्त रहा.., इसी में लगभग 10 बज गये थे.
बंगले के बाहर लॉबी में जब पूरी तरह शांति हो गयी.., यहाँ तक की केटरिंग, टेंट वाले भी अपना समान समेटने लगे तब मे अंदर आया.., भाभी के कमरे में निशा और चाची तीनों आपस में बातें कर रही थी…!
उन्हें बातें करते छोड़ मे अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, सुबह से टाइट कपड़ों में भाग दौड़ करते करते.., अब जल्दी से रिलॅक्स होना चाहता था…!
लेकिन उससे पहले मेने एक बार फर्स्ट फ्लोर पर जाकर चेक कर लेना ज़्यादा ज़रूरी समझा.., औरतें तो बातों में लगी हुई थी.., रूचि अभी इतनी मेच्यूर नही हुई.., तो कुच्छ इधर उधर समान पड़ा तो नही.
एक बार रूचि के कमरे में नज़र मारी.., वो मुझे लाइट जलती छोड़कर अपने सीने पर बुक रखे हुए ही सोती नज़र आई.., अंदर जाकर उसके सीने से बुक हटाकर टेबल पर रखी..,
सोती हुई हमारी गुड़िया रानी कितनी मासूम लग रही थी.., कों कह सकता था कि अब वो मेरे साथ कैसी कैसी मस्ती करने लगी है.., उसके माथे पर एक किस करके मेने उसके कमरे की लाइट बंद की…!
उसके कमरे के बाहर आते ही मेने इधर उधर नज़र मारी.., सब कुच्छ ठीक तक ही था.., तभी मेरी नज़र लास्ट में बने गेस्ट रूम की तरफ गयी.., उसकी विंडो से छन-छन कर आरहि रोशनी बता रही थी कि कोई है उसमें…!
चाची को मे नीचे छोड़कर आया हूँ.., और कोई शायद ही बच्चा हो तो फिर और कों हो सकता है, ये जान’ने के लिए मे उस गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया…!
कमरे का गेट भिड़ा हुआ था लेकिन विंडो हल्की सी खुली हुई थी.., मेने उसमें से झाँक कर अंदर देखा.., और देखते ही मेरे पॅंट के अंदर हलचल शुरू हो गयी…!
एक शॉर्ट वन पीस गाउन में मधु आंटी घुटनों के बल डबल बेड के उपर चारों तरफ से बेडशीट को सही कर रही थी..,
उनकी मदमाती 36” की गान्ड विंडो की तरफ ही थी.., पीछे से उनका गाउन उपर चढ़कर उनकी मोटी-मोटी खंबे जैसी चिकनी जांघों तक पहुँच गया था...!
पीछे से उनकी मस्त गान्ड और चिकनी जांघों को देख कर मेरा लंड पॅंट के अंदर कबड्डी खेलने लगा.., सच कहूँ तो इतनी औरतों के साथ मेरे संबंध थे.., उन सबमें छोटी चाची के बाद मधु आंटी की गान्ड मुझे बेहद पसंद थी…,
उनकी साड़ी पहनने की स्टाइल भी बहुत गजब की थी, कासके आँचल लपेटने के बाद जो थिरकन उनकी गान्ड के पाटों में पैदा होती थी उसे देखकर अच्छे अच्छों का लंड ठुमके मारने लग जाता होगा..,
मेरे दिमाग़ में एक शरारत सूझी.., और मे दबे पाँव कमरे के अंदर घुस गया…!
इतने में मधु आंटी ऐसे ही घोड़ी बने बने ही बेडशीट सही करती हुई पलंग के अंतिम सिरे तक लौटी, तबतक मे भी उनके ठीक पीछे जाकर खड़ा हो गया..,
मेने अपनी जीप खोलकर अपने खड़े मुस्टंडे को अंडरवेर के बाहर निकाल लिया और ठीक उनकी गान्ड के सामने कर दिया…!
नज़दीक से चूत की खुश्बू पाकर मेरा जंग बहादुर पूरी तरह टनटना गया.., जैसे ही आंटी ने पलंग से नीचे आने के लिए अपनी गान्ड को पीछे किया.., मेरा खूँटे जैसा सख़्त लंड एकदम उनकी गान्ड के छेद पर जाकर भीड़ गया…!!!
अचानक से अपनी गान्ड के छेद्पर मोटे खूँटे जैसे लंड की ठोकर लगते ही आंटी चिहुन्क पड़ी और जल्दी से अपनी गान्ड घूमकर पलंग पर टिककर मेरी तरफ मूडी..,
इससे पहले की वो मुझे देखें मेने फ़ौरन अपना लॉडा अंदर कर लिया.., मुझे देखते वो कांपति सी आवाज़ में बोली – हाए अंकुश बाबू तुमने तो मुझे डरा ही दिया.., और ये डंडे जैसा क्या था जो मेरे पिछे घुसा ही जा रहा था…?
उन्हें इस तरह से घबराए हुए देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी और मेने हाँसते हुए कहा – डंडे जैसा..? आपके पीछे.. कहाँ घुस रहा था…?
मे अभी तक अपनी जिप बंद नही कर पाया था.., मेरा अंडरवेर आगे को तना हुआ पॅंट से आधा लंड बाहर धकेले हुए था.., आंटी की नज़र मेरे लंड पर पड़ गयी और उन्होने अपने हाथ से उसे पकड़कर ज़ोर्से मसल्ते हुए कहा…
सब समझती हूँ मे, ये बदमाश ही था जो मेरी गान्ड में घुसना चाहता था, अब निकालती हूँ इसकी अकड़.., इतना कहकर उन्होने उसे मेरे अंडरवेर से बाहर निकाल लिया और उसे एकदम से मरोड़ दिया..,
मेरे मूह से एक तेज आअहह…निकल गयी…!!!
आंटी की गान्ड पलंग पर टिकी हुई थी लेकिन पैर पलंग के छोर पर थे इस वजह से उनके घुटने उपर को मुड़े हुए थे…., छोटी लंबाई का गाउन और उपर होकर जांघों के जोड़ तक पहुँच गया था…!
आंटी की चूत के उपर मात्र 4 अंगुल चौड़ी पिंक कलर की पैंटी मेरे सामने थी जिसमें उनकी माल पुए जैसी फूली हुई फाँकें ढंग से समा भी नही रही थी और उनका आधा भाग पैंटी के बाहर जा रहा था…!
मधु आंटी ने मेरे 8.5” लंबे और उनकी कलाई जितने मोटे लौन्डे, उत्तेजना की वजह से उसके सर्कंफ्रेन्स पर उपर से नीचे तक नसों का जंजाल सा फैला हुआ था उसे अपने हाथ में लेकर बड़े प्यार से सहलाया और उसकी पप्पी लेकर उसके लाल सेब जैसे सुपाडे को खोल लिया…!
एक बार अपनी जीभ से उसे चाट कर उन्होने मेरी आँखों में देखा और एक कामुक आहह.. भरते हुए बोली – महीनों दर्शन नही कराते हो इसके, बहुत जालिम हो अंकुश बाबू…!
मेने मुस्करा कर आंटी की चुचि को अपने हाथ में लेकर मसल्ते हुए कहा – काम की वजह से आपकी तरफ आने का मौका ही नही लग पाता.., अभी ये आपके लिए है.., जैसे चाहो इसकी सेवा करो और मेवा लो…!
हुउंम्म.. करते हुए उन्होने उसे अपने होठों के बीच क़ैद कर लिया, सुपाडे से ही उनका पूरा मूह भर गया.., अंदर लेकर वो उसे जीभ से सहलाने, चुम्लाने लगी…!
आहह…औंतई….क्या मस्त चूस रही हो…. कहते हुए मेने उनकी चुचि को ज़ोर्से मसल दिया.., लंड को मूह में रखे हुए ही उन्होने अपने गले से उउन्नग्घ…उउन्न्नघ.. जैसी आवाज़ें निकाली, और अपनी चुचि छुड़ाने के लिए वो आगे को झुक कर अपने घुटनो पर आगयि…!
इतने में ही मौका देखकर मेने उनका गाउन गान्ड से उठाकर उपर खींच लिया और फिर उनके गले से निकालते हुए दूर उछाल दिया.., अब वो मात्र दो कपड़ों में थी..,
कमरे की लेड लाइट में आंटी की दूध जैसी गोरी कंचन सी काया दमक उठी.., थोड़ी सी मांसल बदन की आंटी की 36” की तनी हुई चुचियाँ कसी हुई ब्रा से बाहर उच्छलने को बेकरार..,
घुटनो पर होने की वजह से उनके 38 के कूल्हे थोड़े साइड को फैल गये उनपर चाँटा मारते हुए मेने आंटी को फिर अपने लौडे पर चुका लिया…!
वो मेरा लॉडा पूरे मन से चाट और चूस रही थी.., मूह से लार टपक टपक कर मेरी जाघो को गीला करने लगी..,
मेने आगे झुक कर आंटी की चिकनी मदमाती मखमली गान्ड को सहलाते हुए उनकी चौड़ी दरार में हाथ फेरने लगा…!
मेरा लॉडा अब अपनी चरम सीमा तक टाइट हो चुका था.., मज़े के कारण मेरा चेहरा लाल होकर गले की नसें तक उभर आई थी…, यही हॉल कुच्छ कुच्छ आंटी का भी हो रहा था…!
मेने आंटी की चौड़ी चिकनी पीठ पर हाथ फेरते हुए उनके ब्रा के हुक्स भी खोल दिया.., टाइट ब्रा बंदन से मुक्त होते ही छिटक कर उनकी चुचियों के उपर आगयि जिसे उन्होने अपने एक हाथ से अलग कर दिया…!
अब मुझसे रहा नही जा रहा था.., मेने अपना हाथ उनके सिर पर रखकर उन्हें अलग होने का इशारा किया.., वो वहीं पलंग पर पीठ के बल लेट गयी..,
मेने पलंग के नीचे अपने पंजों पर बैठकर आंटी की पैंटी उनकी गान्ड से सरका कर अलग करदी.., अब उनकी माल्लपुए जैसी हल्के हल्के बालों से युक्त मखमली चूत मेरे सामने बेपर्दा थी.., जिसे एक बार मेने अपनी मुट्ठी में भरकर हल्के से मसल दिया..,
सस्स्सिईइ…आअहह…अंकुश जी.., प्लेआसीए…जल्दी कुच्छ करो..ना.. आंटी ने सिसकते हुए मनुहार भरे लहजे में कहा..,
मे उनकी जाँघो के बीच पलंग के नीचे बैठा था.., उनकी रसीली चूत को सहला कर एक बार अपनी जीभ लगाकर नीचे से उपर को चाट लिया…!
सस्स्स्सिईईई….आआहह….राज्जाअ…डाल्ल्लूओ…ना अपना मूसल मेरी ओखली में..
मेने एक बार मुस्कुरा कर उनकी तरफ देखा.., ज़रूर आंटी जी.., थोड़ा मुझे भी तो इसका रस चखने दो.., इतना कहकर मेने फिर अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी.., जो अब हद से ज़्यादा गीली होती जा रही थी…!
जीभ का घिस्सा लगते ही आंटी मादक कराह भरते हुए बोली…हाईए… ब.ब.बाद्द..मीयईन्न्न..कर लएनाअ ना…ईए सब्ब… अभी जल्दी से चोदो मेरी…चूत को…
उउउफ़फ्फ़…म्माआ…नही .… कहते हुए आंटी ने मेरे सिर के बाल अपनी मुट्ठी में जकड लिए और मेरे मूह को कभी अपनी चूत पर दबाती…तो कभी अलग करने की कोशिश करती…!
मेने भी अब उनको ज़्यादा सताना सही नही समझा और उनकी गान्ड के बगल में घुटने टेके, उनकी जांघों को पकड़ कर अपनी मजबूत जांघों पर रखा…!
अब उनकी चूत का मूह थोड़ा खुल गया था.., मेने अपने जंग बहादुर को जंग के मैदान में रखकर एक बार नीचे से उपर उनकी सुरंग के द्वार पर घुमाया..,
आंटी ज़ोर्से सिसक पड़ी.., सस्सिईइ…आअहह…आब्ब्ब…डाअल्ल्लूओ…ना…
मेने अपने लौडे को हाथ में लेकर उनकी सुरंग के द्वार पर फिट किया.., और एक झटका अपनी कमर में लगा दिया…!
गीली छूट में सरसराता हुआ मेरा लंड आधी लंबाई तक आंटी की सुरंग में प्रवेश कर गया.., साथ ही आंटी का भाड़ सा मूह खुला रह गया और उनके मूह से एक दर्द युक्त मादक कराह निकल गयी…!
और साथ ही सुनाई दी तालियों की वो आवाज़ जो मेरे पीछे से आ रही थी…….!!!!
मधु आंटी तो उनकी चूत में फँसे हुए मेरे मोटे लंड के सन्नाटे जैसी स्थिति में थी इसलिए उन्होने तालियों की आवाज़ पर ध्यान नही दिया या अपनी कसी हुई चूत में इतना तगड़ा लंड झेलने की खुशी में सुन नही पाई..,
लेकिन मेने तालियों की आवाज़ सुनते ही अपना आधे रास्ते से ही लंड बाहर निकाल कर पीछे मुड़कर देखा…!
दरवाजे से थोड़ा अंदर आकर छोटी चाची खड़ी मेरा शॉट देखकर ताली बजा रही थी…, जो अब बातें ख़तम करके उपर दूसरे रूम में सोने आई थी…!
लंड बाहर होते देख मधु आंटी ने मेरी तरफ देखा.., जो कि अब मे गेट की तरफ देख रहा था.., मेरी नज़रों का पीछा करते हुए जैसे ही उनकी नज़र चाची पर पड़ी..,
वो फ़ौरन उठकर बैठ गयी और अपने घुटने मॉड्कर अपने नंगेपन को छिपाने की कोशिश करते हुए इधर उधर अपने गाउन को तलाश करने लगी…!
चाची मुस्कराते हुए धीरे धीरे चलकर मेरे पास तक आई और मेरी गान्ड पर एक चपत लगाते हुए बोली – वाह बेटा इतनी तरक्की कर रहे हो.., अपने बड़े भाई की सास को भी नही छोड़ा…!
मधु आंटी सिकुड़ी सिमटी सी नज़र नीचे किए हुए बैठी थी.., जैसे ही उन्होने सुना की सास को भी नही छोड़ा उन्होने सवालिया निगाहों से हम दोनो की तरफ देखा..,
आंटी शर्म से पानी पानी हो रही थी.., वो अपने आप को ज़्यादा गिल्टी फील ना करें इसलिए चाची ने मेरे बगल से ही मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया और बोली…
हम तो समझ रहे थे कि ये निशा के अलावा सिर्फ़ अपनी चाची की चूत की ही सेवा करता है लेकिन यहाँ तो लिस्ट लंबी होती दिखाई दे रही है..,
चाची की बात सुनकर मधु आंटी की शर्म कुच्छ कम हुई…, उन्होने अपनी नज़रों को थोड़ा नीचे रखते हुए कहा – क्या मतलब… बहनजी क्या आप भी इसको…????
चाची मुस्कुराते हुए उनकी बगल में जा बैठी.., अपने हाथ से उनकी नंगी जाँघ को सहलाते हुए उनकी टाँगों को खोलने का प्रयास करते हुए बोली – क्या करें बहनजी.., ये है ही इतना मस्त… सारे रिस्ते नाते धारसाई हो गये…!
फिर उन्होने एक बार उपर से नीचे तक आंटी के नंगे बदन को निहारा और अपने होठों पर नशीली मुस्कान लाते हुए बोली – वैसे लल्ला तुम्हारी चाय्स है लाजबाव.., इस उमर में भी क्या मस्त बदन है बहनजी आपका.., मे तो आप के सामने कहीं भी नही टिक पाउन्गि…!
मेने चाची की एक चुचि को दबाते हुए कहा – एक तो आपने हमारा पूरा मज़ा खराब कर दिया.., और अब यहाँ बैठकर बातों में वक़्त बर्बाद कर रही हो…, जल्दी बोलो… साथ में मज़ा लेना है या यहाँ से जाना है…?
चाची तपाक से बोल पड़ी…, क्या बात करते हो लल्ला.., इतना अच्छा गेम चल रहा है...., कों साली बेवकूफ़ होगी जो इसमें भाग नही लेगी.., इतना कहकर उन्होने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में कसकर उसे मुठियाने लगी…,
मेने और मधु आंटी ने मिलकर उनके बदन के सारे कपड़े नोच डाले.., अब हम तीनों ही मदर जात नंगे खत कबड्डी खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार थे….!!!!
इतना कहकर गुप्ता जी अपने कमरे की तरफ चल दिए और खुशी और शांति देवी मेरा खाने में साथ देती रही और साथ साथ हम तीनों में हसी मज़ाक भी चलता रहा..,
खाने के बाद सेठानी बोली – खुशी बेटा तुम भैया को अपने कमरे में ले चलो.., मे फ्रीज़ से आइस-क्रीम लेकर वहीं आती हूँ, आराम से बैठकर आइस-क्रीम खाते हुए बातें करेंगे…..!
और हां…, अपने घर फोन करके बोल दो वो तुम्हारा इंतेजार ना करें…,
मे समझ गया कि आज की आइस-क्रीम की दावत कैसी होने वाली है.., सो हँसते हुए मेने खुशी के कंधे पर हाथ रखा.., और हम दोनो उसके कमरे की तरफ चल दिए…!
कमरे में घुसते ही खुशी मुझसे बेतहासा लिपट गयी.., अपनी चूत को मेरे अधजगे लौडे के उपर दबाते हुए अपने पंजों पर उचक कर उसने मेरे होठों पर किस किया.., मेने भी उसकी मोटी मुलायम गान्ड को अपनी मुट्ठी में भरकर ज़ोर्से मसल्ते हुए अपनी तरफ खींचा…!
आअहह…भैया…आराम से ये तुम्हारी बेहन की गान्ड है.., किसी मुजरिम की गर्दन नही…, और अपने इस सिपाही से कहो थोड़ा अकड़ कम करे वरना कपड़ों के साथ ही अंदर ना घुस जाए…!
इस समय खुशी एक टाइट फिट स्लेक्स की लेंगिग और एक लूस स्लेवलेस्स टॉप जो उसकी नाभि से भी काफ़ी उपर तक था.., और उसकी बड़ी बड़ी चुचियों पर हॅंगिंग हो रहा था पहने थी..,
मेने उसकी गान्ड के दोनो शिखरों पर अपने हाथ जमाए और उन्हें दबाते हुए उसके होंठो को चूसने लगा.., खुशी की चूत जो उसके चिपके हुए लेंगिग में उभर आई थी उसके ठीक उपर मेरा लंड उसकी फांकों को दबाए हुए था…!
खुशी मूह से गुउन्न..ग्गुउन्न.. की आवाज़ें निकालती हुई अपनी चूत को मेरे लंड के उभार पर रगड़ने लगी…, कुच्छ देर होंठ चुसाई करते हुए मेने उसके टॉप को निकाल फेंका, अब उसके पिंक ब्रा में क़ैद 34” के एकदम तने हुए दूधिया दो पके हुए अनार मेरी मुत्ठियों में समाए हुए थे जिन्हें मे बड़ी बेदर्दी से मसालने लगा…!!
वो भी उतनी ही बेदर्दी से मेरे होठों को चूस्ते हुए अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ रही थी.., हम दोनो पर वासना इस कदर हाबी होने लगी कि कान तक लाल पड़ गये.., आँखों में मानो खून उतर आया हो…!
मेने अपने हाथों को खुशी की जांघों के नीचे लगाया और उसे अपनी गोद में उठा लिया.., उठाए हुए लाकर उसके पलंग पर पटक दिया…, वो दो-तीन बार 6” मोटे डनलॉप पर उपर नीचे हुई, फिर बैठकर मेरे पॅंट की जीप खींच कर उसे नीचे खींच दिया…!
अंडरवेर में मेरा 8.5” लंबा और करीब 3” मोटा कोबरा अपना फन फैलाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उस बेचारे को बाहर आने का रास्ता नही मिल पा रहा था..,
उसकी हालत पर तरस खाकर खुशी ने उसे रास्ता दिखा दिया.., मेरे अंडरवेर को भी नीचे खींच कर उसने उसे अपनी मुट्ठी में लेकर देखने लगी…!
ओ माइ गॉड ! भैया…, ये तो और ज़्यादा बड़ा लग रहा है पहले से उउम्म्मन्णन…ये कहकर पहले उसने उसको किस किया फिर उसके खाल को नीचे करके उसके गरम दहक्ते लाल सेब जैसे सुपाडे पर अपनी जीभ फिराने लगी…!
अभी वो उसे अपने मूह में लेकर चूसना चाहती थी कि तभी सेठानी की आवाज़ ने उसे रोक दिया…, रुक जा खुशी.., आइस-क्रीम नही खानी क्या…?
खुशी – नही मम्मी बाद में पहले मुझे इसकी मलाई टेस्ट करने दो..,
सेठानी – अरे पगली तो मे कब उसे चूसने को माना कर रही हूँ…, ले पहले इसके उपर खूब सारी चॉकलेट आइस-क्रीम लगा ले फिर चूसना.., देखना क्या मस्त टेस्ट बनता है…!
ओह वाउ ! क्या आइडिया निकाला है.., यू आर सो जीनियस मामा…, लाओ जल्दी लाओ..,
सेठानी ने आइस-क्रीम पॅक खुशी के हाथ में थमाते हुए अपना एक मात्रा गाउन भी निकाल दिया और डिब्बे से थोड़ी सी आइस-क्रीम अपनी चुचियों पर लेपने लगी..,
उधर जैसे ही खुशी ने ठंडी-ठंडी आइस-क्रीम मेरे गरम गरम लौडे की उपर चुपड़ी.., एक ठंडी सी लहर मेरी गान्ड के छेद तक फैल गयी जिस’से मेरी गान्ड का छेद सिकुड़ने लगा.., लेकिन उसकी ठंडक पाकर मेरे लंड की स्किन और ज़्यादा सख़्त होने लगी…!
खुशी आइस-क्रीम चुपड-चुपड कर मेरे लौडे को पूरी तन्मयता से चूसे जा रही थी.., इधर आइस-क्रीम की ठंडक से सेठानी के बड़े बड़े चुचक कड़क होकर मोटी जामुन जैसे हो गये,
उनके उपर लगी आइस-क्रीम को मेने अपनी जीभ से चाट’ते हुए उनकी बड़ी बड़ी पपीते जैसी चुचियों पर लगी आइस-क्रीम भी चाटने लगा…,
हम तीनों को ही बहुत मज़ा आ रहा था.., जब ठंडी-ठंडी आइस-क्रीम सेठानी अपनी चुचियों पर लगाती तो उनके मूह से ससिईइ…आअहह…उउउहह…जैसे शब्द निकल पड़ते…!
इस तरह मेने और खुशी ने मिलकर 1/4 डिब्बा खाली कर दिया.., फिर मेने खुशी की ब्रा को भी खींच निकाला..,
अब सीन चेंज हो गया था.., सेठानी मेरे लंड से आइस-क्रीम चाटने लगी और मे खुशी के बड़े-बड़े अनारों से…!
ठंडी आइस-क्रीम ने उसके निप्प्लो को कंचे के माफिक कड़क कर दिया था.., वो अब आइस-क्रीम की ठंडक और मेरी जीभ के चाटने से लंबी लंबी साँस लेते हुए सिसकियाँ भरने लगी थी..,
अब मेने खुशी को नीचे से भी नंगा कर दिया और उसकी चूत पर आइस-क्रीम लगाकर अपनी जीभ लगाकर चाटने लगा..,
खुशी की चूत इतनी देर में वैसे ही गीली होने लगी थी.., उसका कामरस आइस-क्रीम के साथ मिक्स होकर मुझे अलग ही स्वाद दे रहा था…!
खुशी को भी आइस-क्रीम लगी अपनी चूत चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.., उसकी गरम गरम सिसकियाँ कमरे के माहौल को भी गरम करने लगी थी..,
एक समय ऐसा आया कि वो अपने आपको संभाल ना सकी और मेरे मूह में ही झड गयी.., आइस-क्रीम मिक्स उसका सारा रस मेरे उदर में उतर गया…!!!
इधर सेठानी ने चूस-चुस्कर मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया था.., मेने उन्हें रोक कर पलंग पर घोड़ी बनाया.., थोड़ी सी आइस-क्रीम उनकी चूत और गान्ड पर मलि.., फिर दोनो को अच्छे से चाट-चाट कर साफ किया..,
इस वजह से सेठानी भी बहुत गरम हो गयी और मेरा लंड अपनी चूत में डलवाने के लिए उतावली होने लगी…!
मेने भी देर नही की और अपना मूसल पीछे से उनकी गरम चूत में पेल दिया…, अपनी माँ को मेरे मूसल से चुदते देख खुशी फिरसे गरम होने लगी.., और अपनी चिकनी चमेली को अपने हाथ से सहलाते हुए मेरी तरफ देखने लगी…!
मेने उसको भी सेठानी के उपर उनकी पीठ पर उल्टा लिटा दिया.., और सेठानी की चूत से अपना मूसल निकल कर खुशी की चूत में डाल दिया…!
खुशी एक बार में मेरा एक तिहाई लंड ही ले पाई थी की बुरी तरह से कराह उठी… आअहह…भैया..धीरे…, हाई राम कितना मोटा हो गया है ये तो…!
धीरे-धीरे करके जब वो पूरा लंड लेने लगी तो मे बारी-बारी से दोनो माँ बेटी की चुतो में लंड पेल पेल कर उन दोनो को एक साथ चोदने लगा…!
सेठानी एक बार झड़कर साइड में लुढ़क गयी और लंबी लंबी साँस लेने लगी.., लेकिन खुशी नयी लौंडिया थी.., इतनी जल्दी हार मानने वाली नही थी..,
फिर भी मेरे मूसल की मार वो ज़्यादा देर तक नही झेल सकी और 5 मिनिट बाद ही उसने भी हथियार डाल दिए…
इधर मेरा भी अब होने ही वाला था सो अपना मूसल खुशी की चूत से निकाल कर उसके मूह में डालकर उसके मूह को चोदते हुए उसके मूह में ही झड़ने लगा…!
मेरी पूरी मलाई ओवरफ्लो होकर उसके मूह से निकल कर उसकी चुचियों पर टपकने लगी जिसे उसने अपने एक हाथ से दोनो अनारों पर मल दिया..,
सेठानी भी इस मज़े से भला कैसे दूर रह पाती सो अपनी लंबी सी ज़ुबान निकाल कर बिल्ली की तरह उसकी चुचियो से मेरी मलाई को चाटने लगी…!
दोनो माँ बेटी को एक बार अच्छे से चोद-चोदकर मे अपने घर को निकल लिया और करीब दो बजे जाकर एक बार अपनी प्यारी पतिव्रता पत्नी निशा को भी संतुष्ट करना पड़ा…,
आख़िर बेचारी ने इतनी रात को मेरे लिए अपनी नींद खराब करके गेट खोला था तो इतना इनाम तो उसे भी मिलना ही चाहिए था.., अब हम दोनो ही संतुष्ट हो गये थे सो नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गये……..!!!
दूसरे दिन पोलीस ने उन लड़कों की पेशी कोर्ट में कराई जहाँ राठी ने पैसों के दम पर संबंधित जज से उन लड़कों की जमानत करा ली….!
दिन गुज़रते रहे, मेरे और रूचि के बीच हल्की-फुल्की चुहलबाज़ी होती रहती थी.., टीज़िंग चलती रहती थी लेकिन ना तो वो अपनी सीमा को पार कर पा रही थी..,
मेरी तरफ से तो खैर ऐसा कोई चान्स ही नही था कि मे अपनी बेटी समान भतीजी के बारे में कुच्छ ऐसा वैसा सोचता.., एक बार सोचता भी तो भी अपनी तरफ से पहल नही कर सकता था…!
दिनभर अपने काम में व्यस्त रहता.., रात को कभी कभी दो-दो घोड़ियों की सवारी करने को मिल जाती थी.., और सुबह फिरसे वोही रूटीन वर्क.., लाइफ बड़े आराम और सुकून से कट रही थी…,
लेकिन अंदर ही अंदर कुच्छ तो चल रहा था जो हमें बाहर से नही दिख रहा था.., क्या पता था कि कोई भयंकर किस्म का तूफान हमारी जिंदगी में आने वाला है जो सब कुच्छ हिलाकर रख देगा…….!!!
एक दिन देर शाम को मे अपने ऑफीस से लौट रहा था कि तभी छोटी चाची का फोन आया.., वो बड़ी हड़बड़ाई हुई सी लग रही थी..,
मेरे हेलो बोलते ही वो बोली – लल्ला तुम फ़ौरन यहाँ आजाओ.., संजू का कल से कोई पता नही चल रहा, ना जाने कहाँ चला गया है वो.., किसी को कुच्छ बता कर भी नही गया है…!
मे – आप चिंता मत करो.., इधर उधर कहीं मटरगस्ति करते हुए निकल गया होगा.., आ जाएगा…!
चाची – नही लल्ला.., दो दिन हो गये.., कहीं जाता तो बता तो देता.., यहाँ किसी को कुच्छ बोलकर भी नही गया.., मेरा तो दिल घबरा रहा है.., कहीं किसी ने उसके साथ कुछ…,
मेने चाची का वाक्य पूरा होने से पहले ही कहा – नही..नही..आप ऐसा कुच्छ मत सोचो.., अच्छा मे कल सुबह गाँव पहुँचता हूँ.., आप बेफिकर रहो…!
बात सोचने वाली तो थी.., मेने चाची को तो बोल दिया फिकर ना करने को लेकिन फिकर करने वाली बात तो थी.., आख़िर दो दिन से वो कहाँ गायब हो गया पट्ठा…
कहीं बाहर जाना था तो बताकर जाता.., वैसे उसे यहाँ जानने वाला कोई भी तो नही था तो फिर आख़िर गया तो कहाँ..?
मेने घर जाकर सारी बात बताई.., सभी ने यही कहा कि आजाएगा.., बिना नाथ-पघे का बाल है…, लेकिन मेरा मन इन सब दिलासाओं से नही माना और में सुबह पौ फटते ही गाँव की तरफ निकल लिया….!
सूरज अभी ठीक से निकला ही था कि मे गाँव पहुँच गया…, आस-पास में खूब पुच्छ ताच्छ की लेकिन कोई सुराग नही मिला…!
फिर हमने सोचा कि शायद हो सकता है उसे अपने गाँव की याद आगयि हो और वो गाँव में लोगों से मिलने चला गया हो.., एक हफ़्ता उसके लौटने का इंतेज़ार किया लेकिन वो नही आया तो मे उसके गाँव महाराष्ट्र भी देखने गया लेकिन वहाँ भी उसका कोई सुराग नही मिला…!
हमने पोलीस में कंप्लेंट लिखवा दी.., पूर्व सरपंच रामसिंघ और उसके बेटे पर शक़ गया.. लेकिन वो अपने बच्चों की कसम खाकर बोला –
तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो बेटा.., थोड़े बहुत आपस के झगड़े हर जगह होते हैं.., इसका मतलब ये तो नही कि ऐसे झगड़े किसी के कत्ल का कारण बन जायें..!
यहाँ तक कि वो खुद भी हमारे साथ इधर-उधर जाकर संजू की तलाश करवाता रहा.., हफ्ते दस दिन तक हमने उसे खूब तलाश किया लेकिन हमें एक भी ऐसा आदमी नही मिला जो ये कह सके कि उसने संजू को फलाँ समय पर फलाँ जगह पर देखा था…!
तक कर हमने उसकी तलाश ये सोचकर बंद करदी कि अब भगवान ने चाहा तो वो हमारे पास वापस आ जाएगा वरना तो वो बिना बताए ही हमे छोड़कर कहीं चला गया है और शायद अब कभी ना लौटे….!!!
संजू को गायब हुए दो महीने बीत चुके थे, इश्स बीच हमने उसे तलाश करने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नही लौटा तो फिर हमने भी उसका इंतेज़ार करना बंद कर दिया…!
प्राची 4-5 महीने की प्रेग्नेंट थी और अब वो सिर्फ़ घर पर ही रहकर आराम करती रहती.., मे भी अपने काम में व्यस्त रहता था सो प्राइवेट डिटेक्टिव एजेन्सी का काम एक तरह से ठप्प ही पड़ गया था…!
बाप बनाने की खुशी कृष्णा भैया के चेहरे पर देखते ही बनती थी, और हो भी क्यों ना पहली बार बाप बनाने की खुशी क्या होती है ये सभी जानते हैं.., और फिर वो तो बेचारे इस मामले में काफ़ी पिछड गये थे..,
मे उनसे छोटा था फिर भी मेरा बेटा अब दो साल का हो गया था.., कामिनी भाभी अगर अच्छे से घर गृहस्ती संभाल लेती तो आज वो भी बहुत पहले ही ये सुख ले चुके होते…!
खैर जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है…, इसी खुशी में पूरे परिवार ने मिलकर प्राची की गोद भराई की रस्म रखी, गाँव से भी तीनों चाचाओं के परिवार शामिल होने आगये…!
कृष्णा भैया और प्राची हमारे बंगले पर ही आगये साथ में प्राची की मम्मी मधुमिता आंटी और उनका बेटा भी जो अब जवान हो चुका था…!
सुबह से ही सारे रस्मो रिवाज चलते रहे.., शाम को अच्छी ख़ासी दावत हुई और फिर एक एक करके सब लोग जाने लगे सिवाय छोटी चाची के, वो एक दो दिन और अपने बेटे के पास रहना चाहती थी…!
मे सबकी मेहमान नवाज़ी और फिर सबको यथा संभव दान दक्षिणा देकर विदा करने में व्यस्त रहा.., इसी में लगभग 10 बज गये थे.
बंगले के बाहर लॉबी में जब पूरी तरह शांति हो गयी.., यहाँ तक की केटरिंग, टेंट वाले भी अपना समान समेटने लगे तब मे अंदर आया.., भाभी के कमरे में निशा और चाची तीनों आपस में बातें कर रही थी…!
उन्हें बातें करते छोड़ मे अपने कमरे की तरफ बढ़ गया, सुबह से टाइट कपड़ों में भाग दौड़ करते करते.., अब जल्दी से रिलॅक्स होना चाहता था…!
लेकिन उससे पहले मेने एक बार फर्स्ट फ्लोर पर जाकर चेक कर लेना ज़्यादा ज़रूरी समझा.., औरतें तो बातों में लगी हुई थी.., रूचि अभी इतनी मेच्यूर नही हुई.., तो कुच्छ इधर उधर समान पड़ा तो नही.
एक बार रूचि के कमरे में नज़र मारी.., वो मुझे लाइट जलती छोड़कर अपने सीने पर बुक रखे हुए ही सोती नज़र आई.., अंदर जाकर उसके सीने से बुक हटाकर टेबल पर रखी..,
सोती हुई हमारी गुड़िया रानी कितनी मासूम लग रही थी.., कों कह सकता था कि अब वो मेरे साथ कैसी कैसी मस्ती करने लगी है.., उसके माथे पर एक किस करके मेने उसके कमरे की लाइट बंद की…!
उसके कमरे के बाहर आते ही मेने इधर उधर नज़र मारी.., सब कुच्छ ठीक तक ही था.., तभी मेरी नज़र लास्ट में बने गेस्ट रूम की तरफ गयी.., उसकी विंडो से छन-छन कर आरहि रोशनी बता रही थी कि कोई है उसमें…!
चाची को मे नीचे छोड़कर आया हूँ.., और कोई शायद ही बच्चा हो तो फिर और कों हो सकता है, ये जान’ने के लिए मे उस गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया…!
कमरे का गेट भिड़ा हुआ था लेकिन विंडो हल्की सी खुली हुई थी.., मेने उसमें से झाँक कर अंदर देखा.., और देखते ही मेरे पॅंट के अंदर हलचल शुरू हो गयी…!
एक शॉर्ट वन पीस गाउन में मधु आंटी घुटनों के बल डबल बेड के उपर चारों तरफ से बेडशीट को सही कर रही थी..,
उनकी मदमाती 36” की गान्ड विंडो की तरफ ही थी.., पीछे से उनका गाउन उपर चढ़कर उनकी मोटी-मोटी खंबे जैसी चिकनी जांघों तक पहुँच गया था...!
पीछे से उनकी मस्त गान्ड और चिकनी जांघों को देख कर मेरा लंड पॅंट के अंदर कबड्डी खेलने लगा.., सच कहूँ तो इतनी औरतों के साथ मेरे संबंध थे.., उन सबमें छोटी चाची के बाद मधु आंटी की गान्ड मुझे बेहद पसंद थी…,
उनकी साड़ी पहनने की स्टाइल भी बहुत गजब की थी, कासके आँचल लपेटने के बाद जो थिरकन उनकी गान्ड के पाटों में पैदा होती थी उसे देखकर अच्छे अच्छों का लंड ठुमके मारने लग जाता होगा..,
मेरे दिमाग़ में एक शरारत सूझी.., और मे दबे पाँव कमरे के अंदर घुस गया…!
इतने में मधु आंटी ऐसे ही घोड़ी बने बने ही बेडशीट सही करती हुई पलंग के अंतिम सिरे तक लौटी, तबतक मे भी उनके ठीक पीछे जाकर खड़ा हो गया..,
मेने अपनी जीप खोलकर अपने खड़े मुस्टंडे को अंडरवेर के बाहर निकाल लिया और ठीक उनकी गान्ड के सामने कर दिया…!
नज़दीक से चूत की खुश्बू पाकर मेरा जंग बहादुर पूरी तरह टनटना गया.., जैसे ही आंटी ने पलंग से नीचे आने के लिए अपनी गान्ड को पीछे किया.., मेरा खूँटे जैसा सख़्त लंड एकदम उनकी गान्ड के छेद पर जाकर भीड़ गया…!!!
अचानक से अपनी गान्ड के छेद्पर मोटे खूँटे जैसे लंड की ठोकर लगते ही आंटी चिहुन्क पड़ी और जल्दी से अपनी गान्ड घूमकर पलंग पर टिककर मेरी तरफ मूडी..,
इससे पहले की वो मुझे देखें मेने फ़ौरन अपना लॉडा अंदर कर लिया.., मुझे देखते वो कांपति सी आवाज़ में बोली – हाए अंकुश बाबू तुमने तो मुझे डरा ही दिया.., और ये डंडे जैसा क्या था जो मेरे पिछे घुसा ही जा रहा था…?
उन्हें इस तरह से घबराए हुए देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी और मेने हाँसते हुए कहा – डंडे जैसा..? आपके पीछे.. कहाँ घुस रहा था…?
मे अभी तक अपनी जिप बंद नही कर पाया था.., मेरा अंडरवेर आगे को तना हुआ पॅंट से आधा लंड बाहर धकेले हुए था.., आंटी की नज़र मेरे लंड पर पड़ गयी और उन्होने अपने हाथ से उसे पकड़कर ज़ोर्से मसल्ते हुए कहा…
सब समझती हूँ मे, ये बदमाश ही था जो मेरी गान्ड में घुसना चाहता था, अब निकालती हूँ इसकी अकड़.., इतना कहकर उन्होने उसे मेरे अंडरवेर से बाहर निकाल लिया और उसे एकदम से मरोड़ दिया..,
मेरे मूह से एक तेज आअहह…निकल गयी…!!!
आंटी की गान्ड पलंग पर टिकी हुई थी लेकिन पैर पलंग के छोर पर थे इस वजह से उनके घुटने उपर को मुड़े हुए थे…., छोटी लंबाई का गाउन और उपर होकर जांघों के जोड़ तक पहुँच गया था…!
आंटी की चूत के उपर मात्र 4 अंगुल चौड़ी पिंक कलर की पैंटी मेरे सामने थी जिसमें उनकी माल पुए जैसी फूली हुई फाँकें ढंग से समा भी नही रही थी और उनका आधा भाग पैंटी के बाहर जा रहा था…!
मधु आंटी ने मेरे 8.5” लंबे और उनकी कलाई जितने मोटे लौन्डे, उत्तेजना की वजह से उसके सर्कंफ्रेन्स पर उपर से नीचे तक नसों का जंजाल सा फैला हुआ था उसे अपने हाथ में लेकर बड़े प्यार से सहलाया और उसकी पप्पी लेकर उसके लाल सेब जैसे सुपाडे को खोल लिया…!
एक बार अपनी जीभ से उसे चाट कर उन्होने मेरी आँखों में देखा और एक कामुक आहह.. भरते हुए बोली – महीनों दर्शन नही कराते हो इसके, बहुत जालिम हो अंकुश बाबू…!
मेने मुस्करा कर आंटी की चुचि को अपने हाथ में लेकर मसल्ते हुए कहा – काम की वजह से आपकी तरफ आने का मौका ही नही लग पाता.., अभी ये आपके लिए है.., जैसे चाहो इसकी सेवा करो और मेवा लो…!
हुउंम्म.. करते हुए उन्होने उसे अपने होठों के बीच क़ैद कर लिया, सुपाडे से ही उनका पूरा मूह भर गया.., अंदर लेकर वो उसे जीभ से सहलाने, चुम्लाने लगी…!
आहह…औंतई….क्या मस्त चूस रही हो…. कहते हुए मेने उनकी चुचि को ज़ोर्से मसल दिया.., लंड को मूह में रखे हुए ही उन्होने अपने गले से उउन्नग्घ…उउन्न्नघ.. जैसी आवाज़ें निकाली, और अपनी चुचि छुड़ाने के लिए वो आगे को झुक कर अपने घुटनो पर आगयि…!
इतने में ही मौका देखकर मेने उनका गाउन गान्ड से उठाकर उपर खींच लिया और फिर उनके गले से निकालते हुए दूर उछाल दिया.., अब वो मात्र दो कपड़ों में थी..,
कमरे की लेड लाइट में आंटी की दूध जैसी गोरी कंचन सी काया दमक उठी.., थोड़ी सी मांसल बदन की आंटी की 36” की तनी हुई चुचियाँ कसी हुई ब्रा से बाहर उच्छलने को बेकरार..,
घुटनो पर होने की वजह से उनके 38 के कूल्हे थोड़े साइड को फैल गये उनपर चाँटा मारते हुए मेने आंटी को फिर अपने लौडे पर चुका लिया…!
वो मेरा लॉडा पूरे मन से चाट और चूस रही थी.., मूह से लार टपक टपक कर मेरी जाघो को गीला करने लगी..,
मेने आगे झुक कर आंटी की चिकनी मदमाती मखमली गान्ड को सहलाते हुए उनकी चौड़ी दरार में हाथ फेरने लगा…!
मेरा लॉडा अब अपनी चरम सीमा तक टाइट हो चुका था.., मज़े के कारण मेरा चेहरा लाल होकर गले की नसें तक उभर आई थी…, यही हॉल कुच्छ कुच्छ आंटी का भी हो रहा था…!
मेने आंटी की चौड़ी चिकनी पीठ पर हाथ फेरते हुए उनके ब्रा के हुक्स भी खोल दिया.., टाइट ब्रा बंदन से मुक्त होते ही छिटक कर उनकी चुचियों के उपर आगयि जिसे उन्होने अपने एक हाथ से अलग कर दिया…!
अब मुझसे रहा नही जा रहा था.., मेने अपना हाथ उनके सिर पर रखकर उन्हें अलग होने का इशारा किया.., वो वहीं पलंग पर पीठ के बल लेट गयी..,
मेने पलंग के नीचे अपने पंजों पर बैठकर आंटी की पैंटी उनकी गान्ड से सरका कर अलग करदी.., अब उनकी माल्लपुए जैसी हल्के हल्के बालों से युक्त मखमली चूत मेरे सामने बेपर्दा थी.., जिसे एक बार मेने अपनी मुट्ठी में भरकर हल्के से मसल दिया..,
सस्स्सिईइ…आअहह…अंकुश जी.., प्लेआसीए…जल्दी कुच्छ करो..ना.. आंटी ने सिसकते हुए मनुहार भरे लहजे में कहा..,
मे उनकी जाँघो के बीच पलंग के नीचे बैठा था.., उनकी रसीली चूत को सहला कर एक बार अपनी जीभ लगाकर नीचे से उपर को चाट लिया…!
सस्स्स्सिईईई….आआहह….राज्जाअ…डाल्ल्लूओ…ना अपना मूसल मेरी ओखली में..
मेने एक बार मुस्कुरा कर उनकी तरफ देखा.., ज़रूर आंटी जी.., थोड़ा मुझे भी तो इसका रस चखने दो.., इतना कहकर मेने फिर अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी.., जो अब हद से ज़्यादा गीली होती जा रही थी…!
जीभ का घिस्सा लगते ही आंटी मादक कराह भरते हुए बोली…हाईए… ब.ब.बाद्द..मीयईन्न्न..कर लएनाअ ना…ईए सब्ब… अभी जल्दी से चोदो मेरी…चूत को…
उउउफ़फ्फ़…म्माआ…नही .… कहते हुए आंटी ने मेरे सिर के बाल अपनी मुट्ठी में जकड लिए और मेरे मूह को कभी अपनी चूत पर दबाती…तो कभी अलग करने की कोशिश करती…!
मेने भी अब उनको ज़्यादा सताना सही नही समझा और उनकी गान्ड के बगल में घुटने टेके, उनकी जांघों को पकड़ कर अपनी मजबूत जांघों पर रखा…!
अब उनकी चूत का मूह थोड़ा खुल गया था.., मेने अपने जंग बहादुर को जंग के मैदान में रखकर एक बार नीचे से उपर उनकी सुरंग के द्वार पर घुमाया..,
आंटी ज़ोर्से सिसक पड़ी.., सस्सिईइ…आअहह…आब्ब्ब…डाअल्ल्लूओ…ना…
मेने अपने लौडे को हाथ में लेकर उनकी सुरंग के द्वार पर फिट किया.., और एक झटका अपनी कमर में लगा दिया…!
गीली छूट में सरसराता हुआ मेरा लंड आधी लंबाई तक आंटी की सुरंग में प्रवेश कर गया.., साथ ही आंटी का भाड़ सा मूह खुला रह गया और उनके मूह से एक दर्द युक्त मादक कराह निकल गयी…!
और साथ ही सुनाई दी तालियों की वो आवाज़ जो मेरे पीछे से आ रही थी…….!!!!
मधु आंटी तो उनकी चूत में फँसे हुए मेरे मोटे लंड के सन्नाटे जैसी स्थिति में थी इसलिए उन्होने तालियों की आवाज़ पर ध्यान नही दिया या अपनी कसी हुई चूत में इतना तगड़ा लंड झेलने की खुशी में सुन नही पाई..,
लेकिन मेने तालियों की आवाज़ सुनते ही अपना आधे रास्ते से ही लंड बाहर निकाल कर पीछे मुड़कर देखा…!
दरवाजे से थोड़ा अंदर आकर छोटी चाची खड़ी मेरा शॉट देखकर ताली बजा रही थी…, जो अब बातें ख़तम करके उपर दूसरे रूम में सोने आई थी…!
लंड बाहर होते देख मधु आंटी ने मेरी तरफ देखा.., जो कि अब मे गेट की तरफ देख रहा था.., मेरी नज़रों का पीछा करते हुए जैसे ही उनकी नज़र चाची पर पड़ी..,
वो फ़ौरन उठकर बैठ गयी और अपने घुटने मॉड्कर अपने नंगेपन को छिपाने की कोशिश करते हुए इधर उधर अपने गाउन को तलाश करने लगी…!
चाची मुस्कराते हुए धीरे धीरे चलकर मेरे पास तक आई और मेरी गान्ड पर एक चपत लगाते हुए बोली – वाह बेटा इतनी तरक्की कर रहे हो.., अपने बड़े भाई की सास को भी नही छोड़ा…!
मधु आंटी सिकुड़ी सिमटी सी नज़र नीचे किए हुए बैठी थी.., जैसे ही उन्होने सुना की सास को भी नही छोड़ा उन्होने सवालिया निगाहों से हम दोनो की तरफ देखा..,
आंटी शर्म से पानी पानी हो रही थी.., वो अपने आप को ज़्यादा गिल्टी फील ना करें इसलिए चाची ने मेरे बगल से ही मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया और बोली…
हम तो समझ रहे थे कि ये निशा के अलावा सिर्फ़ अपनी चाची की चूत की ही सेवा करता है लेकिन यहाँ तो लिस्ट लंबी होती दिखाई दे रही है..,
चाची की बात सुनकर मधु आंटी की शर्म कुच्छ कम हुई…, उन्होने अपनी नज़रों को थोड़ा नीचे रखते हुए कहा – क्या मतलब… बहनजी क्या आप भी इसको…????
चाची मुस्कुराते हुए उनकी बगल में जा बैठी.., अपने हाथ से उनकी नंगी जाँघ को सहलाते हुए उनकी टाँगों को खोलने का प्रयास करते हुए बोली – क्या करें बहनजी.., ये है ही इतना मस्त… सारे रिस्ते नाते धारसाई हो गये…!
फिर उन्होने एक बार उपर से नीचे तक आंटी के नंगे बदन को निहारा और अपने होठों पर नशीली मुस्कान लाते हुए बोली – वैसे लल्ला तुम्हारी चाय्स है लाजबाव.., इस उमर में भी क्या मस्त बदन है बहनजी आपका.., मे तो आप के सामने कहीं भी नही टिक पाउन्गि…!
मेने चाची की एक चुचि को दबाते हुए कहा – एक तो आपने हमारा पूरा मज़ा खराब कर दिया.., और अब यहाँ बैठकर बातों में वक़्त बर्बाद कर रही हो…, जल्दी बोलो… साथ में मज़ा लेना है या यहाँ से जाना है…?
चाची तपाक से बोल पड़ी…, क्या बात करते हो लल्ला.., इतना अच्छा गेम चल रहा है...., कों साली बेवकूफ़ होगी जो इसमें भाग नही लेगी.., इतना कहकर उन्होने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में कसकर उसे मुठियाने लगी…,
मेने और मधु आंटी ने मिलकर उनके बदन के सारे कपड़े नोच डाले.., अब हम तीनों ही मदर जात नंगे खत कबड्डी खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार थे….!!!!