Update 20
अपडेट – 61..
रेशमा का रेशमी गओन सरसराता हुआ उसके बदन से जुदा होका अब वो ज़मीन पर पड़ा था… और जैसे ही उस 26-27 साल की भरपूर जवान युवती का गाउन ज़मीन पर गिरा.., अब उसका लॅंप पोस्ट की मंद रोशनी में भी सोने जैसा दमकता हुआ बदन मेरी आँखों के सामने था…!
34” की खूब सुडौल तनी हुई उसकी गोल-गोल खरबूजे जैसी चुचियाँ.., सपाट पेट बमुश्किल 28-29” की उसकी कमर के नीचे तो जैसे कयामत ही फैली हुई थी…!
केले जैसी गोल चिकनी उसकी मोटी- मोटी जांघें.., जिनके बीच का “Y” शेप का यौनी प्रदेश… सस्सिईइ….आअहह…मेने अपने लौडे को
मसलकर सिसकी भरी, क्या मस्त चिकनी मलाई जैसी मुलायम कचौड़ी जैसी फूली हुई उसकी चूत की फाँकें देखकर पाजामे के अंदर मेरा लंड तन्कर खड़ा हो गया…!
साला क्या किस्मेत पाई है इस बुड्ढे ने, ये हुश्न की देवी जवानी से लदी फदि, इस कमिने दढ़ियल के नसीब में है…,
जैसे ही वो उस अधेड़ मर्द के लंड को पकड़ने के लिए आगे आई.., उसके रेशमी जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा.., उसकी जानमारू
मखमल से भी मुलायम उसकी गान्ड मेरी आँखों के सामने आगयि…!
वाह ! क्या मस्त खूब उभरी हुई उसकी गान्ड थी.., मानो पीछे दो मुरादावादी कलश उल्टे चिपका दिए हों.., कदम ताल के साथ उनकी थिरकन देख कर तो मेरा लॉडा ठुमके ही लगाने लगा…!
वो उस अधेड़ मर्द का मरियल सा लंड अपने हाथ में लेकर उसे मुठियाने लगी.., कुच्छ देर की कोशिश के बाद उसका अधखड़ा लंड तन
गया.., उस अधेड़ मर्द ने अपना शराब से भरा हुआ ग्लास एक ही साँस में खाली कर दिया और अपनी मूँछो पर ताव देते हुए बोला…!
आअहह.. रेशमा मेरी जान.., अब इसे अपने मूह तो ले मेरी कुतिया.., चल जल्दी कर रांड़.., ये कहते हुए उसने जबरन उसके कंधों पर दबाब
डालकर उसे वहीं फर्श पर बिठा दिया…!
वो भी किसी मजि हुई रंडी की तरह अपने पंजों पर बैठकर उसके लंड को चूसने लगी.., उस अधेड़ का लंड उसके मूह में जाते ही फूलने
लगा.., मज़े में उस आदमी की आँखें बंद होने लगी…!
वो रेशमा के सिर पर हाथ का दबाब बनाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मूह को चोदने लगा…!
दो मिनिट भी नही हुए की वो एक लंबी सी हुंकार भरते हुए उसके मूह में ही झड गया.., झड़ने के साथ ही उसकी टाँगें भी जबाब दे गयी..,
कांपति टाँगों से वो धीरे धीरे उसके सामने ही बैठ गया और बैठने के साथ ही पीछे की तरफ फर्श पर लुढ़क भी गया…!
शराब के नशे और झड़ने की कमज़ोरी के कारण उसकी आँखें अपने आप बंद हो गयी…!
रेशमा उसे झकझोरते हुए बोली – शेरू डार्लिंग.. उठो.., ये क्या.. तुम तो सो गये.., अरे अब मे क्या करूँ..?
लेकिन उसकी सुनने के लिए अब शेरू नही था.., अब तो बस उसके खर्राटे ही सुनाई दे रहे थे..,
वो अपने बदन की आग में झुलस्ति हुई खड़ी हुई.., एक लात उसने उसके मुरझाए हुए लंड पर मारी और उसे गालियाँ बकती हुई बोली –
मादरचोद.., ठाकुर के चोदे…,
अपने आपको मर्द कहता है हिज़ड़ा कहीं का.., जब गान्ड में दम नही बचा है तो क्यों रखता है मेरी जैसी औरत को अपने साथ.., अब मे कहाँ जाउ.., क्या करूँ.., हाए अल्लाह ये मेरी चूत की आग अब कैसे बुझेगी.., ये मुआ तो सो गया…!
वासना की आग में जलती हुई वो इधर उधर देखने लगी.., कि शायद कहीं से कोई ऐसी चीज़ ही मिल जाए जिसे वो अपनी चूत में डालकर
पानी निकाल सके..!
तभी मेने झाड़ियों की आड़ से निकलते हुए कहा – मे कुच्छ मदद करूँ मोह्तर्मा..??
मेरी आवाज़ सुनते ही वो एकदम से उच्छल ही पड़ी.., मेरी ओर घूमते हुए उसने जैसे ही मुझे अपने सामने देखा, वो अपनी शर्म छुपाने के लिए फ़ौरन अपनी जगह पर बैठ गयी…!
मे चार कदम आगे बढ़कर उसके पास जा पहुँचा.., मुझे अपने पास देखकर वो बोली – क.क.क्कोन हो तुम.., और..और..यहाँ कैसे आगये..?
मे – तुम्हें आम खाने से मतलब, पेड़ गिनकर क्या करोगी…? तुम अपने बदन की आग में झुलस रही हो.., साधन सामने है.., जी भरकर
अपनी आग शांत कर्लो…!
रेशमा – मुझे नही बुझानी कोई आग बाग…, तुम जाओ यहाँ से वरना शेरसिंघ के किसी आदमी ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो अपनी जान से हाथ
धो बैठोगे…!
मे – शेर सिंग.., कॉन शेर सिंग..?
उसने उस अधेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा – ये शेर सिंग.., तुम शेर सिंग को नही जानते.., लगता है.., कहीं बाहर से आए हो..?
मे – हां मे यहाँ का नही हूँ.., अब सवाल जबाब में ही समय बर्बाद करोगी या अपनी प्यास बुझानी है.., और रही बात इस शेर सिंग की तो वो तो अब सुबह से पहले उठने वाला नही है.., उसे तो तुमने चुस्कर खाली कर दिया..!
रही बात इसके आदमियों के देख लेने की तो उसकी तुम बिल्कुल फिकर मत करो.., यहाँ जब तक ये तुम्हारे साथ है.., और कोई फटकेगा भी नही.., बोलो क्या कहती हो..?
ये कहते हुए मेने अपना पाजामा नीचे खिसका दिया.., जैसे ही उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ी.., उसकी आँखें हैरत से फटी रह गयी.., अपने मूह पर हाथ रखकर बोली…
हाए अल्लाह…, ऐसा लंड तो मेने पॉर्न फिल्मों में ही देखा है.., ये हक़ीकत में भी ऐसा होता है क्या..?
मे अपना लंड हाथ में लिए दो कदम और तय करके उसके ठीक उसके मूह के सामने खड़ा हो गया, वो अभी भी उसी स्थिति में बैठी थी.., मेने अपना लंड उसकी आँखों के सामने लहराते हुए कहा..
रेशमा डार्लिंग.., असली लंड तुम्हारी आँखों के सामने है.., पॉर्न फिल्मों में तगड़े लंड से लड़कियों को चुदते देखकर तो बहुत मज़ा लिया होगा
तुमने अपनी चूत सहलाते हुए..,
अब प्रॅक्टिकल करने का मौका है तुम्हारे पास.., मे तो यही कहूँगा इस मौके को हाथ से जाने मत दो…!
वैसे भी तुम कोन्सि इस बुड्ढे की पतिव्रता हो.., हो तो रखैल ही ना…!
रेशमा एक पल को तैश में आते हुए बोली – माइंड युवर लॅंग्वेज मिस्टर….?
गौरव रघुवंशी… मेने तपाक से अपना छद्म नाम बताते हुए कहा.. बंदे को इसी नाम से पुकारते हैं लोग.., क्यों मेने कुच्छ ग़लत कहा क्या.., तुम शेर सिंग की रखैल हो की नही…?
रेशमा – हां हूँ तो.., तुमसे मतलब ये मेरा जाती मसला है.., तुम कॉन होते हो मुझसे इस तरह बात करने वाले..?
वो भले ही उपरी मन से ये सब कह रही थी.., लेकिन उसकी ललचाई हुई नज़र अभी भी मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी.., मेने उसकी प्यासी नज़रों को ताड़ते हुए कहा –
किसी ने सही ही कहा है.., साला चाइ से ज़्यादा केटली गरम होती है.., कोई बात नही तुम अपनी अधूरी प्यास के साथ यहाँ खुले में बैठकर
अपनी चूत में उंगली करके अपना पानी निकालो, मे चला अपने ठिकाने पर…,
इतना कहकर मे सचमुच अपना लंड पाजामा के अंदर डालकर वहाँ से जाने के लिए मूड गया…!
मे जानता था कि ये साली छिनाल अपनी अधूरी प्यास लेकर अब रात गुजारने से रही.., उपर से जब उसकी प्यासी चूत को मेरे हलब्बी लंड के दर्शन हो गये हों..
अभी मेने वहाँ से जाने के लिए अपने कदम बढ़ाए ही थे कि पीछे से उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया…!
आअहह…गौरव.., मेरे राजा.., इतने खूबसूरत लंड के दर्शन कराकर अब कहाँ जा रहे हो..? प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानो.., मे तो.. मे तो बस ऐसे ही तुम्हें परख रही थी…!
मेने उसके हाथ अपने आगे से हटाए और पलटकर उसकी प्यासी आँखों में देखते हुए कहा – परख रही थी मतलब..?
रेशमा – मे देखना चाहती थी कि क्या तुम भी दूसरे मर्दों की तरह मौके का फ़ायदा उठना चाहते हो..? मेरे जैसी सुंदर औरत के साथ हर कोई यही करना चाहता है ना…!
मे – तुमने ग़लत समझा मेरी जान.., नो डाउट यू आर सो ब्यूटिफुल यंग लेडी.., कोई भी मर्द तुम्हें चोदने की कामना कर सकता है.., लेकिन
अपने भी कुच्छ अलग ही फन्डे हैं…,
मे हर काम.., ख़ासतौर से चूत प्यार से ही मारता हूँ.., वो भी अच्छी तरह से खूब दबाकर…!
वो मेरे लंड को पाजामा के उपर से ही मसलते हुए बोली – तो फिर देर किस बात की मेरे राजा.., अब तो चूत भी राज़ी है और चूत वाली भी.., दबा के मार लो..,
देखूं तो सही ये हलब्बी लंड वाकयि दमदार है या खाली बंदूक की तरह दिखावे का है… !
मेने उसके रसीले होठों पर अपनी रज़ामंदी की मुहर लगा दी और फिर उसे अपनी गोद में उठाकर कॉटेज के अंदर लेकर चल दिया…!!!
उसने मुझे रास्ता दिखाते हुए एक शानदार बेडरूम में ला खड़ा किया जिसके बीचो-बीच एक बड़ा सा बेड पड़ा हुआ था.., मेने उसे लाकर बेड पर पटक दिया..,
एक दो जंप के साथ कमरे की दूधिया रोशनी में उसका शानदार नंगा बदन मेरे साने पलंग पर ठहर गया.., उसकी कंचन जैसी काया देख कर मुझसे सबर नही हुआ और मेने भी उसके उपर जंप लगा दी…!
उसके शानदार उरोजो को मसल्ते हुए मेने पुछा – ये शेर सिंग है कॉन..? यहाँ का ज़मींदार है..?
रेशमा सिहरते हुए बोली – सस्सिईइ… आअहह… प्लीज़ ये सवाल जबाब मत करो.., जो करना चाहते हो वो करो अब…!
मे जान तो चुका था ये वही शेर सिंग है जिसकी मुझे तलाश है.., मुझे बाइ चान्स रेशमा जैसी प्यासी औरत भी मिल गयी जो शायद इस बूढ़े शेर की जन्मपत्री भी जानती होगी..,
लेकिन शायद साली को अभी और गरम करना पड़ेगा जिससे ये मेरा लंड लेने की चाह में अपने आप तोते की तरह बोलने पर मजबूर हो जाए…!
मे – क्या मतलब जो करने आया हूँ वो करूँ.., इसका मतलब तुम अब भी ये समझ रही हो कि मे तुम्हारी चूत चोदने का भूखा हूँ…?
मे तो तुम्हें प्यासी देखकर तुम्हारी कुच्छ मदद करना चाहता था, अब तुम नही चाहती हो तो कोई बात नही.., इतना कहकर मे फिरसे जाने का नाटक करते हुए पलंग के नीचे को खिसकने लगा…!
वो फ़ौरन उठकर बैठ गयी.., मेरा हाथ पकड़े हुए उसने झटके से मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मेरे उपर सवार होते हुए बोली – यार तुम बात बात पर जाने की धमकी क्यों देने लगते हो…?
मे अच्छी तरह से जानती हूँ, तुम मुझे चोदना चाहते हो.., और तुम भी ये अच्छी तरह से समझ रहे हो मे अब तुम्हें बिना मुझे चोदे जाने नही दूँगी…!
ये कहते हुए उसने मेरे पाजामे को खींचकर टाँगों से बाहर कर दिया और मेरे कड़ियल नाग को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाने लगी…!
उसके लंड सहलाने की कला से मेरा लॉडा और ज़्यादा कड़क होने लगा.., वो उसे उपर से नीचे तक सहलाते हुए अपने अंगूठे से मेरे नगन
सुपाडे को भी छेड़ देती…,
मेने जानबूझकर उत्तेजित होने का नाटक करते हुए कहा – सस्सिईई…. आअहह… रेशमा मेरी जान.., क्या जादू है तुम्हारे हाथों में…, ज़रा इसे अपने मूह में लेकर प्यार तो करो रानी..चूसो इसे… !
जबाब में वो नीचे से अपने जिस्म को मेरे कड़क लंड पर रगड़ते हुए मेरी टीशर्ट में हाथ फँसाकर उसे उपर करती हुई किसी इक्षाधारी नागिन की तरह उपर को सरकने लगी…!
पहले उसने मेरी टीशर्ट को मुझसे जुदा किया और फिर अपनी कड़क चुचियों को मेरी बालों से भारी चौड़ी छाती से मसाज देती हुई मेरे होठों को चूमने लगी…!
आअहह…तुम वाकाई में एक शानदार मर्द हो गौरव जो किसी भी औरत को अपने वश में करके उससे अपना मन चाहा काम करवा सकते हो..,
ये कहते हुए उसने अपनी गीली छूट को मेरे लंड के उपर दबा दिया और अपनी गान्ड हिलाने लगी…, मेरा लॉडा उसकी गीली चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच तैरने लगा….!
मेने पलटकर उसे अपने नीचे किया और खुद उसपर सवार होकर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – क्या खाक वश में कर सकता हूँ.., तुमने तो अभी तक मेरे एक सवाल का भी जबाब नही दिया…!
मेने उसकी चुचियों को कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर्से मसल दिया था.., सो वो मादक कराह भरते हुए बोली – आआहह…सस्सिईइ…ज़ोर्से नही..प्लीज़.., दर्द होता है..
वैसे तुम्हें शेर सिंग से क्या काम है.., हां वो यहाँ का ज़मींदार ही है.., उउउफफफ्फ़.. हाई चूसो इन्हें…, उउउफ़फ्फ़….. आअम्म्मि… मेरे उसकी चुचियों को पूरे मूह में भरकर चूस्ते ही वो अपनी एडियों को बिस्तर से रगड़ते हुए सिसकने लगी…!
फिर मे उसके पेट को चूमते हुए उसकी यौनी के पास आया.., जो अब गीली होकर उसके मोटे मोटे होठों पर उसका कामरस ओश की बूँदों की तरह चमकने लगा था…!
अपने एक हाथ को उसकी चूत पर बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा – मेने सुना है.., ये तो बड़ा ख़तरनाक आदमी है.., तुम्हारा इसके साथ कैसा संबंध है..?
चूत सहलाते ही उसने अपनी जांघों को चौड़ा कर दिया.., मज़े के आलम में उसकी आँखें बंद होने लगी.., अपनी अधखुली आँखों से मुझे देखते हुए बोली – हाए आल्लाह.., अब जल्दी कुच्छ करो.. ना.., प्लीज़ बातें बाद में.. कर लेना..,
तभी मेने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर दबा दिया.., ये एक ऐसी ट्रिक थी जिससे कैसी भी चुड़ैल औरत क्यों ना हो वो लंड लेने की
लिए बाबली हो उठेगी…!
चूत को मुट्ठी में भींचते ही वो उठकर दोहरी हो गयी.., और ज़बरदस्ती उसने मेरा मूह अपनी चूत पर दबा दिया…!
मेने भी इसमें कोई आना कानी नही की और उसकी चिकनी माल्लपुए जैसी छूट को अपने मूह में भरकर सुड़ाक दिया…!
उसकी कमर हवा में लहराने लगी.., सस्स्सिईइ… हाईए…आअलल्ल्लाहह… क्या गजब करते हो.., उउउफ़फ्फ़… आमम्मि…उउउन्नग्घ… चूसो… हान्न्न.. और ज़ोर्से…उउम्मन्न…
मुझे लगा कि अब ये किसी भी क्षण अपना पानी फेंकने वाली है.., सो तभी मेने अपना मूह उसकी चूत से हटा लिया…!
अपने आपको आधे रास्ते पाकर वो किसी घायल शेरनी की तरह उठी.., बेचारी बहुत देर से अपने जिस्म की प्यास से जूझ रही थी..,
झपट कर मेरे कंधे पकड़े और मुझे नीचे गिराकर खुद मेरे उपर सवार हो गई…, मे उसकी ताक़त और फुर्ती देखकर दंग रह गया…!
देखते ही देखते रेशमा ने मेरा खूँटे जैसा कड़क लंड अपनी मुट्ठी में लिया और अपनी गीली चूत को उसकी सीध में लाकर उसके उपर बैठती चली गयी…!
हवस में आँधी कुतिया जोश जोश में 3/4 तक मेरा लंड अपनी चूत में ले गयी.., तब जाकर उसे एहसास हुआ कि ऐसे हलब्बी लंड से चुदना इतना आसान काम नही है…!
मेरी छाती पर हाथ टिकाए वो हाँफने लगी.., मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए पुछा – रुक क्यों गयी मेरी जान.. अभी तो वाकी है…!
हाईए…अल्लाह.. पॉर्न मूवी में देखकर सोचती थी.., काश इतना बड़ा लंड लेने का मौका मिले तो मज़ा आजाए.., पर जब आज लिया है तो
खाला याद आगयि..
सच में बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा.., ये कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., मे उसकी चुचियों को मसलता रहा.., कुच्छ देर रुक कर वो मेरे लंड पर उपर हुई..,
सुपाडे तक अपनी चूत की फांकों को लाकर उसने अपनी आँखें बंद की और अपना सारा वजन डालकर उसने एक बार में ही पूरा लंड अपनी सुरंग में ले लिया…!
उउफ़फ्फ़… साला मादरचोद कितना लंबा है.., मेरे पेट में ही घुस गया लगता है.. वो अपने पेडू पर हाथ फेरते हुए बोली…!
फिर कुच्छ देर ठहर कर उसने मेरे उपर धीरे धीरे उठना बैठना शुरू किया.., अब उसकी चूत कुच्छ ज़्यादा ही पानी छोड़ने लगी थी.., वैसे भी वो किनारे तक तो पहले ही पहुँच चुकी थी..,
उपर से इतने तगड़े लंड की खुदाई से वो जल्दी ही झड गयी.., और मेरे उपर पसार कर हाँफने लगी.., मेने उसे उठाया नही.., बल्कि उसकी
गान्ड के छेद को उंगली से कुरेदने लगा…!
नीचे से ही मेने उसके मतवाले चुतड़ों पर टेबल की थाप दी.., उसके आँखें खोलते ही मेने उसे अपने बगल में पलट दिया…!
मेरे लंड के बाहर आते ही उसकी चूत का कामरस रिस रिस्कर बाहर आने लगा..,
मेने उसी समय उसकी झड़ी हुई चूत में अपनी दो उंगलियाँ डालकर उसके कामरस को निकालकर उंगलियों को उसके मूह में डाल दिया…!
वो अपना ही रस चुस्कर मस्त हो गयी.., तभी मेने अपना कड़क उसके रस से सना हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखकर दबा दिया…!
सस्सिईइ….हाईए अल्लाह…कितना गरम है ये मुआ…, डाल्लू ईससी…हाए.. अम्मि… कितना मोटाआ.. है.., मेरे दबाते ही वो सिसकने लगी…!
एक चौथाई लंड अंदर करके मे वहीं ठहर गया.., वो मुझे देखने लगी.., मानो पुच्छ रही हो अब क्यों रुके…?
क्या सच में बहुत ख़तरनाक है ये शेर सिंग..? मेने अपना पुराना सवाल फिर से दाग दिया…!
तुम आदमी हो या कोई इक्षाधारी नाग.., मेरे लंड रोक कर स्वाल पुच्छने पर वो बोली – मे एक बार झडा दी.., कब्से ये फंफना रहा है.., फिर
भी तुम्हें इसे खाली करने की जल्दी नही है…?
मे - हूँ तो सामान्य इंसान ही.., लेकिन मेरा लॉडा ज़रूर मेरे वश में है.., बोलो ना.. मुझे ऐसे ही किसी ख़तरनाक गॅंग्स्टर की तलाश है…!
रेशमा – क्यों..? तुम कोई पोलीस वाले तो नही.., जो इतना पीछे पड़े हो ये जानने कि ये वोही शेर सिंग है या कोई और…?
मेने अपना लंड उसकी चूत में पेलते हुए कहा – नही मे कोई पोलीस वाला नही.., मे दरअसल इसी लाइन का आदमी हूँ.., अपने एरिया से
तडिपार हूँ, इधर इसका नाम सुना तो चला आया कि चलो कुच्छ दिन ऐसे ही गॅंग के साथ काम कर लेते हैं…!
रेशमा मेरे पूरे लंड को अपने अंदर लेते ही कराह कर बोली – आअहह… फिर तो तुम एकदम सही जगह पर आए हो.., चिंता मत करो..,
पहले अपनी इस मॅगज़ीन को मेरे अंदर खाली करो.. फिर बात करते हैं…, ओके डार्लिंग…!
इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., और मेने भी मुस्करा कर अपनी पिस्टन को उसके सिलिंडर में गति देना शुरू कर दिया…!
मेरी मॅगज़ीन खाली होने तक रेशमा दो बार और झड गयी.., अब हम दोनो एक दूसरे की बाहों में पड़े सुस्ता रहे थे…!
उसी आलीशान कमरे के एक साइड में मिनी बार भी था.., कुच्छ देर बाद रेशमा मेरी बगल से निकल कर पॅन्सिल हील सॅंडल अपने खूबसूरत
पैरों में डालकर अपनी मखमली गान्ड को हिलाती हुई उस बार की तरफ चल दी !
उसकी लयबद्ध चाल में चुदाई के बाद के शुकून की मस्ती थी.., धीरे-धीरे कदम बढ़ाने से उसकी गान्ड की थिरकन देखकर मेरा लॉडा फिरसे खड़ा होने लगा…!
जिस कदम को वो ज़मीन पर रखती उस तरफ का उसकी गान्ड का हिस्सा किसी मुरादाबादी कलश के जैसा और ज़्यादा पीछे को उभर कर उपर को उठ जाता..,
दोनो कलशो के बीच की दरार में घर्षण हो रहा था.., दोनो पाट एक से बढ़कर एक प्रतियोगियों की तरह मे बड़ा कि तू…के भाव में थिरक रहे थे..!
तुम कॉन्सा ब्रांड लेना पसंद करोगे डार्लिंग.. वो बार के पास पहुँचकर इठलाते हुए बोली…,
वाह मेरे शेर एक ही बार में इस शेरनी का घमंड तोड़ दिया तूने..,
एक अंजान आदमी को डार्लिंग कहकर बुला रही है ये तो.., मेने अपने लंड को मन ही मन शाबाशी दी.. जो कि अब फिरसे तन्कर कमरे की सीलिंग को ताक रहा था…!
मेने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसे दिखाते हुए हिलाकर कहा – वैसे मे कभी कभार स्कॉच ले लेता हूँ.., फिर अगर तुम जहर भी पिलाना चाचो तो वो पीलेंगे मेरी जान..!
मेरी इस हरकत पर वो खिल-खला उठी…, हिलते लंड पर नज़र गढ़ाए हुए बोली – ओह माइ गॉड.., तुम्हारा घोड़ा तो फिरसे हिन-हिनाने
लगा.., ठहर बच्चू अभी देखती हूँ तुझे…!
वो दो ग्लास में स्कॉच और उनमें आइस क्यूब डालकर उसी मन्थर गति से चलती हुई मेरे पास आई.., इस बार उसका अगला हिस्सा मेरे
सामने था.., मे बड़ा कन्फ्यूज़ था कि अपनी नज़र कहाँ रखूं…?
उसके हौले हौले थिरकते गोल-गोल सुडौल खरबूजों पर या फिर केले के तने जैसी चिकनी गोल सुडौल जांघों के बीच उसकी सुंदर चिकनी चूत जो दोनो जांघों के आपसी दबाब के कारण उसकी दरार तो एक बारीक लाइन सी दिख रही थी, वहीं उसकी फाँकें कुच्छ ज़्यादा ही उभर आईं थीं…!
वो बड़ी शोख अदा से चलती हुई पलंग तक पहुँची.., एक पटियाला पेग मुझे पकड़ा कर वो मेरे बगल में आकर बैठ गयी..!
एक हाथ में अपना ग्लास लेकर उसने दूसरे हाथ से मेरा लंड थाम लिया.., और उसे दुलार्ते हुए बोली – अब बोल भेन के लौडे.., क्यों फुदक
रहा है.., पाताल तोड़ चुदाई से तेरा मन नही भरा…? हान्ं....
फिर स्कॉच की एक चुस्की लेकर मेरी तरफ मुखातिब होकर बोली – हां तो मिस्टर. गौरव राजवंशी.., अब बोलिए.., क्या कह रहे थे तुम..? शेर
सिंग के साथ उसके गॅंग में काम करना चाहते हो..?
मेने उसकी कमर से पकड़ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी चुचियों को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाने लगा.., उसकी
सुराइदार गर्दन पर एक चुंबन लेकर मेने उससे कहा – हां…, क्या इसमें तुम मेरी कोई मदद कर पाओगि..?
रेशमा ने अपनी गर्दन मोड़ कर मेरी तरफ देखा.., उसकी चंचल आखें मानो मेरे चेहरे का एक्स्रे कर रही हों…, फिर वो मेरे गाल पर एक
दहक्ता हुआ सा चुंबन लेकर बोली – तुमने शायद केवल शेर सिंग के बारे में ही सुना है…,
वो क्या काम करता है..? उसका गॅंग कैसा है.., ये शायद नही मालूम…!
शेर सिंग यहाँ के अड्डे की प्रॉपर्टी का मालिक ज़रूर है लेकिन असल गॅंग लीडर वो नही कोई और है.., वैसे तुमने जो सोचा होगा उतने लायक तो वो भी काफ़ी ही है..!
जो वो बता रही थी उतना तक मुझे भी अनुमान था ही.., लेकिन मेने उसकी बात पर चोन्कते हुए कहा – क्या मतलब..? वो इस गॅंग का असली लीडर नही है तो फिर कॉन है..…?
बातों बातों में मेरा पेग खाली हो चुका था.., लेकिन रेशमा अभी भी हल्के हल्के शिप ले रही थी..,
मेरा खड़ा लंड उसके एक कूल्हे में ठोकर लगा रहा था.., उसने एक ही साँस में अपना पेग भी ख़तम किया, दोनो ग्लास उचक कर साइड
टेबल पर रखे और फिरसे मेरी गोद में बैठते हुए उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गान्ड की दरार में सेट कर लिया…!
आअहह…कितना गरम लॉडा है तुम्हारा.., खूब मोटा ताज़ा भी.. ये कहकर उसने अपने हाथ को मूह से चाट कर अपने थूक को अपनी चूत
पर चुपडा..,
गान्ड को और ज़्यादा मेरी तरफ उठाकर अपनी चूत के छेद को मेरे लंड के सुपाडे पर रखा और अपनी गान्ड को धीरे से पीछे को धकेल दिया…!
गरम दह्क्ता लंड उसकी गीली चूत में आधे रास्ते तक चला गया…, उसके मूह से एक मादक सिसकी निकली – सस्स्सिईइ…आअहह… उउउम्म्मन्णन… बहुत मस्त है साला..आअहह..,
कहते हुए उसने अपने हाथ आगे टिका दिए और अपनी गान्ड को पीछे धकेल कर एक बार में ही पूरा लंड अपनी सुरंग में ले लिया…!
पूरा लंड जाते ही वो फिरसे पीछे होकर मेरी गोद में बैठ गयी.., अपना मूह पीछे घूमाकर मेरे होठ चूमे और आगे बोली….!
जानते हो.. शेर सिंग जैसे तो कयि बागड बिल्ले हैं यहाँ…, जिनमें कुच्छ बिज़्नेस मॅन, कुच्छ लोकल पॉलिटीशियन और कयि पुराने गॅंग्स्टर जुड़े हुए हैं..!
मे नही जानती कि तुम क्या हो और कितने ख़तरनाक किस्म के हो.., लेकिन एक बात ज़रूर जानती हूँ.., कि तुम सही मायने में एक सच्चे
मर्द हो जो किसी भी औरत को अपने लंड की ताक़त के दम पर तिगनी का नाच नचवा सकते हो…!
मेरा लंड खूँटे की तरह उसकी चूत में ठूँसा हुआ था.., जिससे उसकी चूत अपनी पूरी गहराई तक भरी हुई थी.., एक हाथ से वो अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए बोली…
इस गॅंग का असली लीडर कॉन है…, इससे तुम्हें कोई सरोकार नही होना चाहिए, हां अगर तुम हमारे साथ काम करना चाहते हो.., और जैसा कि तुमने बताया कि पहले भी तुम्हारा बॅक ग्राउंड ऐसा ही कुच्छ रहा है तो मे अगर ये कहूँ कि तुम मुझे ऐसे ही रोज़ मज़ा दो तो मे तुम्हें शेर
सिंग के बराबर का ओहदा अपने गॅंग में दिला सकती हूँ तो…!
मे उसकी बात सुनकर उच्छल पड़ा.., मेरे साथ ही वो भी उच्छली, साथ ही वो आगे को हो गयी, मेने उसे वहीं घोड़ी बनाकर अपना लंड सुपाडे
तक उसकी चूत से बाहर निकाला और एक जबरदस्त धक्के के साथ फिरसे पूरा पेल दिया…!
हाईए… रे अल्लाहह… फाडोगे क्या मेरी चूत को.., इतने खुश हो गये कि इसे भोसड़ा बनाने पर उतारू हो गये…, ज़रा आराम से जानू..., मे
जान चुकी हूँ कि तुम्हारे लौडे में बहुत दम है…, अब ज़रा आराम से चोदो…!
उसकी गद्देदार गान्ड मसल्ते हुए.., उसकी मदमस्त गान्ड के शिखरों पर थपकी मारते हुए मेने धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के मारते हुए कहा – क्या सचमुच तुम मुझे अपने गॅंग में शामिल करने वाली हो..?
सस्सिईई..आहह… हाई… उउउफ़फ्फ़.. चोदूओ… और ज़ोर्से…, हान्ं.. राजा… अब मे चाहूं तो भी तुम्हें मना नही कर पाउन्गि.., तुम्हारे लंड
के अलावा अब कोई दूसरा इतना मज़ा नही दे पाएगा…मुझे...एयेए…हहाअ…मे… फिर फैल हो गयी…. साले….
लेकिन मे अब फैल नही होना चाहता था…, उसको एक करवट से लिटाकर उसकी एक टाँग को उपर उठा लिया.., और उसके साइड से मेने
अपना लंड उसकी रसीली चूत में ठूंस दिया…,
वो गई कि तरह रंभाने लगी.. लेकिन मेने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज करदी और उसको दे-दनादन चोदने लगा.., इस तरह से मेरा लंड
और ज़्यादा अंदर तक उसकी बच्चेदानी तक चोट कर रहा था..,
मेरे धक्कों से उसकी चुचियाँ लयबद्ध तरीके से हिलोरें ले रही थी.., मेरी सख़्त जांघों के पाटों की मार से उसके गद्देदार मुलायम नितंब गोरे से सुर्ख लाल हो गये..,
उसकी थिरकति एक चुचि को हाथ में दबाकर मेने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी…, रेशमा के मूह से आनंद भरी किल्कारियाँ निकल रही थी…!
अब मेरा एनर्जी कुंड टट्टों के नीचे से उबाल मारने लगा था…मेरे धक्कों से रेशमा बहाल हो उठी.., उसकी चूत लगातार अपना रस बहाए जा रही थी, जिससे अब कमरे में फुकच्छ..फुकच्छ जैसी आवाज़ें गूँज रही थी…!
आधे घंटे की दमदार चुदाई के बाद मेने अपना वीर्य उसकी चूत में उडेल दिया.., मेरा गाढ़ा गाढ़ा वीर्य पीकर उसकी मुनिया शांत पड़ गयी.. साथ ही रेशमा की आँखें भी बंद हो गयी…!
मेने उसे एक दो बार हिलाया भी लेकिन वो थक कर चूर उपर से शराब की खुमारी में अब उसका उठना मुश्किल ही था…!
मेरा तो साला पोपेट ही हो गया.., ये साली इतना भी नही बता पाई कि मुझे कब और कैसे इसको आगे मिलना होगा…?
थक कर मेने भी अपने कपड़े समेटे और ये सोचकर कि चलो कल देखा जाएगा.., शायद ये फिर यहीं मिल जाए.., मे चुपके से उसी रास्ते से
अपने कमरे में आगया जहाँ ललित अभी भी गहरी नींद में सो रहा था…!
रात देर से सोने की वजह से सुबह समय पर मेरी आँख नही खुली.., मुझे ललित ने ही जगाया.., तब तक वो फ्रेश भी हो लिया था..!
मुझे फ्रेश होते होते 9 बज गये.., नीचे लाउन्ज में जाकर हमने नाश्ता किया.., उसके बाद मेने ललित को रूम में जाने के लिए बोला और खुद
उस छोटे से होटेल के छोटे से लॉन में आगया…!
इधर उधर टहलते हुए मेने उस पीछे वाले कॉटेज में जाने का रास्ता तलाश किया लेकिन आस पास वो कहीं दिखाई नही दिया.., शायद कहीं
दूसरी जगह से जाना होता होगा…, इसका मतलब इस होटेल से उसका कोई संबंध नही है…!
होटेल की बाउंड्री के अंदर ही साइड में एक बड़ा सा पेड़ था.., जिसके इर्द-गिर्द काफ़ी चौड़ाई में गोलाकार मिट्टी का एक घेरा सा था जिसपर हरी हरी मखमली घास खड़ी थी…,
मे उस घास के घेरे पर पेड़ की छान्व में बैठा यही सोच रहा था कि अब उस साली
रेशमा से कैसे मुलाकात हो तभी मेरे बगल में मुझे ऐसा आभास हुआ जैसे मेरे पास कोई और भी है…!
मेने ध्यान से अपने बगल में देखा लेकिन कोई दिखा नही.., लेकिन आभास अब भी यही हो रहा था कि कोई तो है जो मेरी आँखों से ओझल है..,
तभी मुझे अपने बेहद नज़दीक संजू की आवाज़ सुनाई दी…, इधर उधर क्या देख रहे हो भैया.. मे आपके पास ही हूँ..,
मेने आवाज़ की दिशा मे देखा लेकिन कोई दिखाई नही दिया तो मेने कहा – कहाँ हो संजू, मुझे तो कहीं दिख नही रहे.., क्या तुम मुझे दिखाई दे सकते हो..?
संजू – हां भैया.. अब मे आपको दिखाई दे सकता हूँ, मुझे मेरी आवश्यक शक्तियाँ मिल गयी हैं.., इतना कहते ही मेरे पास वातावरण से एक सफेद धुआँ का गुबार जैसा इकट्ठा हुआ और देखते ही देखते एक दम एकदम फक सफेद कपड़ों में संजू मेरी आँखों के सामने प्रकट हो गया…!
उसके चेहरे की आभा देखते ही एक बार तो मेरी आँखें चुन्धियाकर बंद हो गयी, फिर कुच्छ देर बाद जब मेने अपनी आँखें खोली तो अब वो
सामान्य दिखाई दे रहा था…!
ललित को कमरे में भेज कर यहाँ अकेले क्या कर रहे हो वकील भैया..?
संजू के इस सवाल पर मे जल्दी ही कोई जबाब नही दे पाया.., फिर कुच्छ सोचकर मेने उससे पुछा – क्या तुम किसी रेशमा को जानते हो..?
संजू – हाँ क्यों..? वो आपको कहाँ मिल गयी..? बड़ी पहुँची हुई चीज़े है साली.., मेने उस तक पहुँचने की बहुत कोशिश की लेकिन साले युसुफ ने पता नही क्यों मुझे उससे दूर ही रखा…!
सुना है शेर सिंग, राठी जैसे गॅंग के प्रभावशाली लोग भी उसकी टाँगों के नीचे पड़े रहते हैं.., वो सिर्फ़ घास डालती है तो केवल सूपर बॉस को जो किसी ने आज तक अपने असली चेहरे के साथ कभी नही देखा…!
वो जब भी अड्डे पर आता है तो किसी खास मौके पर ही, जब सभी लीडर्स की एक साथ मीटिंग होती है या फिर कोई बहुत बड़ी इंटरनॅशनल
लेवेल की डील फाइनल करनी हो तब.., सिर से पैरों तक हर समय काले लबादे में ढका…!
मे – डील-डौल में कैसा लगता है..?
संजू – कभी ठीक से देख नही पाया.., जब भी मिला एक बड़े से हॉल में बहुत ही कम रोशनी में.., हाइट से तो मध्यम ही है.., लेकिन लबादे में डील-डौल भी काफ़ी ही लगा…!
वैसे आपने बताया नही, रेशमा आपको कहाँ मिल गयी..?
मेने संजू को रात वाली सारी घटना विस्तार से कह सुनाई.., उसके चेहरे पर एक मुस्कान आगयि.., और बोला – वाह भैया.., आप वाकाई बहुत पहुचि हुई चीज़ हो..,
मेने बहुत कोशिश की साली पर हाथ सॉफ करने की लेकिन सफल नही हो पाया.., वैसे काम की चीज़ तो है.., बॉस के अलावा और किसी में
हिम्मत नही है उसकी बात को टाल भी सके…!
मे – लेकिन यार प्राब्लम ये हुई कि आज उससे मे कहाँ मिल पाउन्गा ये बताने से पहले ही वो साली लुढ़क गयी.., यहाँ मे यही खोज रहा था
कि उस कॉटेज तक कैसे पहुँचा जाए..?
संजू – वो कोई बड़ी समस्या नही है.., समस्या तो ये होगी जब आप उसके साथ अड्डे पर जाओगे तो वहाँ राठी और उसका लड़का भी होगा.., वो दोनो बाप-बेटे आपको देखते ही पहचान लेंगे, और शुरू होने से पहले ही आपकी राम कहानी ख़तम समझो…!
मे – हां ! ये तो बात है.., ये मेरे ध्यान में क्यों नही आया..? खैर अब तुम ही बताओ.., आगे हमें क्या करना चाहिए..?
संजू – पहले उन दोनो बाप-बेटे को ठिकाने लगाना पड़ेगा उसके बाद आप बिना किसी रुकाबत के रेशमा के मज़े ले सकते हो.., ये बात संजू
ने हँसते हुए कही थी…,
रेशमा का रेशमी गओन सरसराता हुआ उसके बदन से जुदा होका अब वो ज़मीन पर पड़ा था… और जैसे ही उस 26-27 साल की भरपूर जवान युवती का गाउन ज़मीन पर गिरा.., अब उसका लॅंप पोस्ट की मंद रोशनी में भी सोने जैसा दमकता हुआ बदन मेरी आँखों के सामने था…!
34” की खूब सुडौल तनी हुई उसकी गोल-गोल खरबूजे जैसी चुचियाँ.., सपाट पेट बमुश्किल 28-29” की उसकी कमर के नीचे तो जैसे कयामत ही फैली हुई थी…!
केले जैसी गोल चिकनी उसकी मोटी- मोटी जांघें.., जिनके बीच का “Y” शेप का यौनी प्रदेश… सस्सिईइ….आअहह…मेने अपने लौडे को
मसलकर सिसकी भरी, क्या मस्त चिकनी मलाई जैसी मुलायम कचौड़ी जैसी फूली हुई उसकी चूत की फाँकें देखकर पाजामे के अंदर मेरा लंड तन्कर खड़ा हो गया…!
साला क्या किस्मेत पाई है इस बुड्ढे ने, ये हुश्न की देवी जवानी से लदी फदि, इस कमिने दढ़ियल के नसीब में है…,
जैसे ही वो उस अधेड़ मर्द के लंड को पकड़ने के लिए आगे आई.., उसके रेशमी जिस्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा.., उसकी जानमारू
मखमल से भी मुलायम उसकी गान्ड मेरी आँखों के सामने आगयि…!
वाह ! क्या मस्त खूब उभरी हुई उसकी गान्ड थी.., मानो पीछे दो मुरादावादी कलश उल्टे चिपका दिए हों.., कदम ताल के साथ उनकी थिरकन देख कर तो मेरा लॉडा ठुमके ही लगाने लगा…!
वो उस अधेड़ मर्द का मरियल सा लंड अपने हाथ में लेकर उसे मुठियाने लगी.., कुच्छ देर की कोशिश के बाद उसका अधखड़ा लंड तन
गया.., उस अधेड़ मर्द ने अपना शराब से भरा हुआ ग्लास एक ही साँस में खाली कर दिया और अपनी मूँछो पर ताव देते हुए बोला…!
आअहह.. रेशमा मेरी जान.., अब इसे अपने मूह तो ले मेरी कुतिया.., चल जल्दी कर रांड़.., ये कहते हुए उसने जबरन उसके कंधों पर दबाब
डालकर उसे वहीं फर्श पर बिठा दिया…!
वो भी किसी मजि हुई रंडी की तरह अपने पंजों पर बैठकर उसके लंड को चूसने लगी.., उस अधेड़ का लंड उसके मूह में जाते ही फूलने
लगा.., मज़े में उस आदमी की आँखें बंद होने लगी…!
वो रेशमा के सिर पर हाथ का दबाब बनाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मूह को चोदने लगा…!
दो मिनिट भी नही हुए की वो एक लंबी सी हुंकार भरते हुए उसके मूह में ही झड गया.., झड़ने के साथ ही उसकी टाँगें भी जबाब दे गयी..,
कांपति टाँगों से वो धीरे धीरे उसके सामने ही बैठ गया और बैठने के साथ ही पीछे की तरफ फर्श पर लुढ़क भी गया…!
शराब के नशे और झड़ने की कमज़ोरी के कारण उसकी आँखें अपने आप बंद हो गयी…!
रेशमा उसे झकझोरते हुए बोली – शेरू डार्लिंग.. उठो.., ये क्या.. तुम तो सो गये.., अरे अब मे क्या करूँ..?
लेकिन उसकी सुनने के लिए अब शेरू नही था.., अब तो बस उसके खर्राटे ही सुनाई दे रहे थे..,
वो अपने बदन की आग में झुलस्ति हुई खड़ी हुई.., एक लात उसने उसके मुरझाए हुए लंड पर मारी और उसे गालियाँ बकती हुई बोली –
मादरचोद.., ठाकुर के चोदे…,
अपने आपको मर्द कहता है हिज़ड़ा कहीं का.., जब गान्ड में दम नही बचा है तो क्यों रखता है मेरी जैसी औरत को अपने साथ.., अब मे कहाँ जाउ.., क्या करूँ.., हाए अल्लाह ये मेरी चूत की आग अब कैसे बुझेगी.., ये मुआ तो सो गया…!
वासना की आग में जलती हुई वो इधर उधर देखने लगी.., कि शायद कहीं से कोई ऐसी चीज़ ही मिल जाए जिसे वो अपनी चूत में डालकर
पानी निकाल सके..!
तभी मेने झाड़ियों की आड़ से निकलते हुए कहा – मे कुच्छ मदद करूँ मोह्तर्मा..??
मेरी आवाज़ सुनते ही वो एकदम से उच्छल ही पड़ी.., मेरी ओर घूमते हुए उसने जैसे ही मुझे अपने सामने देखा, वो अपनी शर्म छुपाने के लिए फ़ौरन अपनी जगह पर बैठ गयी…!
मे चार कदम आगे बढ़कर उसके पास जा पहुँचा.., मुझे अपने पास देखकर वो बोली – क.क.क्कोन हो तुम.., और..और..यहाँ कैसे आगये..?
मे – तुम्हें आम खाने से मतलब, पेड़ गिनकर क्या करोगी…? तुम अपने बदन की आग में झुलस रही हो.., साधन सामने है.., जी भरकर
अपनी आग शांत कर्लो…!
रेशमा – मुझे नही बुझानी कोई आग बाग…, तुम जाओ यहाँ से वरना शेरसिंघ के किसी आदमी ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो अपनी जान से हाथ
धो बैठोगे…!
मे – शेर सिंग.., कॉन शेर सिंग..?
उसने उस अधेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा – ये शेर सिंग.., तुम शेर सिंग को नही जानते.., लगता है.., कहीं बाहर से आए हो..?
मे – हां मे यहाँ का नही हूँ.., अब सवाल जबाब में ही समय बर्बाद करोगी या अपनी प्यास बुझानी है.., और रही बात इस शेर सिंग की तो वो तो अब सुबह से पहले उठने वाला नही है.., उसे तो तुमने चुस्कर खाली कर दिया..!
रही बात इसके आदमियों के देख लेने की तो उसकी तुम बिल्कुल फिकर मत करो.., यहाँ जब तक ये तुम्हारे साथ है.., और कोई फटकेगा भी नही.., बोलो क्या कहती हो..?
ये कहते हुए मेने अपना पाजामा नीचे खिसका दिया.., जैसे ही उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ी.., उसकी आँखें हैरत से फटी रह गयी.., अपने मूह पर हाथ रखकर बोली…
हाए अल्लाह…, ऐसा लंड तो मेने पॉर्न फिल्मों में ही देखा है.., ये हक़ीकत में भी ऐसा होता है क्या..?
मे अपना लंड हाथ में लिए दो कदम और तय करके उसके ठीक उसके मूह के सामने खड़ा हो गया, वो अभी भी उसी स्थिति में बैठी थी.., मेने अपना लंड उसकी आँखों के सामने लहराते हुए कहा..
रेशमा डार्लिंग.., असली लंड तुम्हारी आँखों के सामने है.., पॉर्न फिल्मों में तगड़े लंड से लड़कियों को चुदते देखकर तो बहुत मज़ा लिया होगा
तुमने अपनी चूत सहलाते हुए..,
अब प्रॅक्टिकल करने का मौका है तुम्हारे पास.., मे तो यही कहूँगा इस मौके को हाथ से जाने मत दो…!
वैसे भी तुम कोन्सि इस बुड्ढे की पतिव्रता हो.., हो तो रखैल ही ना…!
रेशमा एक पल को तैश में आते हुए बोली – माइंड युवर लॅंग्वेज मिस्टर….?
गौरव रघुवंशी… मेने तपाक से अपना छद्म नाम बताते हुए कहा.. बंदे को इसी नाम से पुकारते हैं लोग.., क्यों मेने कुच्छ ग़लत कहा क्या.., तुम शेर सिंग की रखैल हो की नही…?
रेशमा – हां हूँ तो.., तुमसे मतलब ये मेरा जाती मसला है.., तुम कॉन होते हो मुझसे इस तरह बात करने वाले..?
वो भले ही उपरी मन से ये सब कह रही थी.., लेकिन उसकी ललचाई हुई नज़र अभी भी मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी.., मेने उसकी प्यासी नज़रों को ताड़ते हुए कहा –
किसी ने सही ही कहा है.., साला चाइ से ज़्यादा केटली गरम होती है.., कोई बात नही तुम अपनी अधूरी प्यास के साथ यहाँ खुले में बैठकर
अपनी चूत में उंगली करके अपना पानी निकालो, मे चला अपने ठिकाने पर…,
इतना कहकर मे सचमुच अपना लंड पाजामा के अंदर डालकर वहाँ से जाने के लिए मूड गया…!
मे जानता था कि ये साली छिनाल अपनी अधूरी प्यास लेकर अब रात गुजारने से रही.., उपर से जब उसकी प्यासी चूत को मेरे हलब्बी लंड के दर्शन हो गये हों..
अभी मेने वहाँ से जाने के लिए अपने कदम बढ़ाए ही थे कि पीछे से उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया…!
आअहह…गौरव.., मेरे राजा.., इतने खूबसूरत लंड के दर्शन कराकर अब कहाँ जा रहे हो..? प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानो.., मे तो.. मे तो बस ऐसे ही तुम्हें परख रही थी…!
मेने उसके हाथ अपने आगे से हटाए और पलटकर उसकी प्यासी आँखों में देखते हुए कहा – परख रही थी मतलब..?
रेशमा – मे देखना चाहती थी कि क्या तुम भी दूसरे मर्दों की तरह मौके का फ़ायदा उठना चाहते हो..? मेरे जैसी सुंदर औरत के साथ हर कोई यही करना चाहता है ना…!
मे – तुमने ग़लत समझा मेरी जान.., नो डाउट यू आर सो ब्यूटिफुल यंग लेडी.., कोई भी मर्द तुम्हें चोदने की कामना कर सकता है.., लेकिन
अपने भी कुच्छ अलग ही फन्डे हैं…,
मे हर काम.., ख़ासतौर से चूत प्यार से ही मारता हूँ.., वो भी अच्छी तरह से खूब दबाकर…!
वो मेरे लंड को पाजामा के उपर से ही मसलते हुए बोली – तो फिर देर किस बात की मेरे राजा.., अब तो चूत भी राज़ी है और चूत वाली भी.., दबा के मार लो..,
देखूं तो सही ये हलब्बी लंड वाकयि दमदार है या खाली बंदूक की तरह दिखावे का है… !
मेने उसके रसीले होठों पर अपनी रज़ामंदी की मुहर लगा दी और फिर उसे अपनी गोद में उठाकर कॉटेज के अंदर लेकर चल दिया…!!!
उसने मुझे रास्ता दिखाते हुए एक शानदार बेडरूम में ला खड़ा किया जिसके बीचो-बीच एक बड़ा सा बेड पड़ा हुआ था.., मेने उसे लाकर बेड पर पटक दिया..,
एक दो जंप के साथ कमरे की दूधिया रोशनी में उसका शानदार नंगा बदन मेरे साने पलंग पर ठहर गया.., उसकी कंचन जैसी काया देख कर मुझसे सबर नही हुआ और मेने भी उसके उपर जंप लगा दी…!
उसके शानदार उरोजो को मसल्ते हुए मेने पुछा – ये शेर सिंग है कॉन..? यहाँ का ज़मींदार है..?
रेशमा सिहरते हुए बोली – सस्सिईइ… आअहह… प्लीज़ ये सवाल जबाब मत करो.., जो करना चाहते हो वो करो अब…!
मे जान तो चुका था ये वही शेर सिंग है जिसकी मुझे तलाश है.., मुझे बाइ चान्स रेशमा जैसी प्यासी औरत भी मिल गयी जो शायद इस बूढ़े शेर की जन्मपत्री भी जानती होगी..,
लेकिन शायद साली को अभी और गरम करना पड़ेगा जिससे ये मेरा लंड लेने की चाह में अपने आप तोते की तरह बोलने पर मजबूर हो जाए…!
मे – क्या मतलब जो करने आया हूँ वो करूँ.., इसका मतलब तुम अब भी ये समझ रही हो कि मे तुम्हारी चूत चोदने का भूखा हूँ…?
मे तो तुम्हें प्यासी देखकर तुम्हारी कुच्छ मदद करना चाहता था, अब तुम नही चाहती हो तो कोई बात नही.., इतना कहकर मे फिरसे जाने का नाटक करते हुए पलंग के नीचे को खिसकने लगा…!
वो फ़ौरन उठकर बैठ गयी.., मेरा हाथ पकड़े हुए उसने झटके से मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मेरे उपर सवार होते हुए बोली – यार तुम बात बात पर जाने की धमकी क्यों देने लगते हो…?
मे अच्छी तरह से जानती हूँ, तुम मुझे चोदना चाहते हो.., और तुम भी ये अच्छी तरह से समझ रहे हो मे अब तुम्हें बिना मुझे चोदे जाने नही दूँगी…!
ये कहते हुए उसने मेरे पाजामे को खींचकर टाँगों से बाहर कर दिया और मेरे कड़ियल नाग को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाने लगी…!
उसके लंड सहलाने की कला से मेरा लॉडा और ज़्यादा कड़क होने लगा.., वो उसे उपर से नीचे तक सहलाते हुए अपने अंगूठे से मेरे नगन
सुपाडे को भी छेड़ देती…,
मेने जानबूझकर उत्तेजित होने का नाटक करते हुए कहा – सस्सिईई…. आअहह… रेशमा मेरी जान.., क्या जादू है तुम्हारे हाथों में…, ज़रा इसे अपने मूह में लेकर प्यार तो करो रानी..चूसो इसे… !
जबाब में वो नीचे से अपने जिस्म को मेरे कड़क लंड पर रगड़ते हुए मेरी टीशर्ट में हाथ फँसाकर उसे उपर करती हुई किसी इक्षाधारी नागिन की तरह उपर को सरकने लगी…!
पहले उसने मेरी टीशर्ट को मुझसे जुदा किया और फिर अपनी कड़क चुचियों को मेरी बालों से भारी चौड़ी छाती से मसाज देती हुई मेरे होठों को चूमने लगी…!
आअहह…तुम वाकाई में एक शानदार मर्द हो गौरव जो किसी भी औरत को अपने वश में करके उससे अपना मन चाहा काम करवा सकते हो..,
ये कहते हुए उसने अपनी गीली छूट को मेरे लंड के उपर दबा दिया और अपनी गान्ड हिलाने लगी…, मेरा लॉडा उसकी गीली चूत की मोटी-मोटी फांकों के बीच तैरने लगा….!
मेने पलटकर उसे अपने नीचे किया और खुद उसपर सवार होकर उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – क्या खाक वश में कर सकता हूँ.., तुमने तो अभी तक मेरे एक सवाल का भी जबाब नही दिया…!
मेने उसकी चुचियों को कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर्से मसल दिया था.., सो वो मादक कराह भरते हुए बोली – आआहह…सस्सिईइ…ज़ोर्से नही..प्लीज़.., दर्द होता है..
वैसे तुम्हें शेर सिंग से क्या काम है.., हां वो यहाँ का ज़मींदार ही है.., उउउफफफ्फ़.. हाई चूसो इन्हें…, उउउफ़फ्फ़….. आअम्म्मि… मेरे उसकी चुचियों को पूरे मूह में भरकर चूस्ते ही वो अपनी एडियों को बिस्तर से रगड़ते हुए सिसकने लगी…!
फिर मे उसके पेट को चूमते हुए उसकी यौनी के पास आया.., जो अब गीली होकर उसके मोटे मोटे होठों पर उसका कामरस ओश की बूँदों की तरह चमकने लगा था…!
अपने एक हाथ को उसकी चूत पर बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा – मेने सुना है.., ये तो बड़ा ख़तरनाक आदमी है.., तुम्हारा इसके साथ कैसा संबंध है..?
चूत सहलाते ही उसने अपनी जांघों को चौड़ा कर दिया.., मज़े के आलम में उसकी आँखें बंद होने लगी.., अपनी अधखुली आँखों से मुझे देखते हुए बोली – हाए आल्लाह.., अब जल्दी कुच्छ करो.. ना.., प्लीज़ बातें बाद में.. कर लेना..,
तभी मेने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर दबा दिया.., ये एक ऐसी ट्रिक थी जिससे कैसी भी चुड़ैल औरत क्यों ना हो वो लंड लेने की
लिए बाबली हो उठेगी…!
चूत को मुट्ठी में भींचते ही वो उठकर दोहरी हो गयी.., और ज़बरदस्ती उसने मेरा मूह अपनी चूत पर दबा दिया…!
मेने भी इसमें कोई आना कानी नही की और उसकी चिकनी माल्लपुए जैसी छूट को अपने मूह में भरकर सुड़ाक दिया…!
उसकी कमर हवा में लहराने लगी.., सस्स्सिईइ… हाईए…आअलल्ल्लाहह… क्या गजब करते हो.., उउउफ़फ्फ़… आमम्मि…उउउन्नग्घ… चूसो… हान्न्न.. और ज़ोर्से…उउम्मन्न…
मुझे लगा कि अब ये किसी भी क्षण अपना पानी फेंकने वाली है.., सो तभी मेने अपना मूह उसकी चूत से हटा लिया…!
अपने आपको आधे रास्ते पाकर वो किसी घायल शेरनी की तरह उठी.., बेचारी बहुत देर से अपने जिस्म की प्यास से जूझ रही थी..,
झपट कर मेरे कंधे पकड़े और मुझे नीचे गिराकर खुद मेरे उपर सवार हो गई…, मे उसकी ताक़त और फुर्ती देखकर दंग रह गया…!
देखते ही देखते रेशमा ने मेरा खूँटे जैसा कड़क लंड अपनी मुट्ठी में लिया और अपनी गीली चूत को उसकी सीध में लाकर उसके उपर बैठती चली गयी…!
हवस में आँधी कुतिया जोश जोश में 3/4 तक मेरा लंड अपनी चूत में ले गयी.., तब जाकर उसे एहसास हुआ कि ऐसे हलब्बी लंड से चुदना इतना आसान काम नही है…!
मेरी छाती पर हाथ टिकाए वो हाँफने लगी.., मेने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए पुछा – रुक क्यों गयी मेरी जान.. अभी तो वाकी है…!
हाईए…अल्लाह.. पॉर्न मूवी में देखकर सोचती थी.., काश इतना बड़ा लंड लेने का मौका मिले तो मज़ा आजाए.., पर जब आज लिया है तो
खाला याद आगयि..
सच में बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा.., ये कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., मे उसकी चुचियों को मसलता रहा.., कुच्छ देर रुक कर वो मेरे लंड पर उपर हुई..,
सुपाडे तक अपनी चूत की फांकों को लाकर उसने अपनी आँखें बंद की और अपना सारा वजन डालकर उसने एक बार में ही पूरा लंड अपनी सुरंग में ले लिया…!
उउफ़फ्फ़… साला मादरचोद कितना लंबा है.., मेरे पेट में ही घुस गया लगता है.. वो अपने पेडू पर हाथ फेरते हुए बोली…!
फिर कुच्छ देर ठहर कर उसने मेरे उपर धीरे धीरे उठना बैठना शुरू किया.., अब उसकी चूत कुच्छ ज़्यादा ही पानी छोड़ने लगी थी.., वैसे भी वो किनारे तक तो पहले ही पहुँच चुकी थी..,
उपर से इतने तगड़े लंड की खुदाई से वो जल्दी ही झड गयी.., और मेरे उपर पसार कर हाँफने लगी.., मेने उसे उठाया नही.., बल्कि उसकी
गान्ड के छेद को उंगली से कुरेदने लगा…!
नीचे से ही मेने उसके मतवाले चुतड़ों पर टेबल की थाप दी.., उसके आँखें खोलते ही मेने उसे अपने बगल में पलट दिया…!
मेरे लंड के बाहर आते ही उसकी चूत का कामरस रिस रिस्कर बाहर आने लगा..,
मेने उसी समय उसकी झड़ी हुई चूत में अपनी दो उंगलियाँ डालकर उसके कामरस को निकालकर उंगलियों को उसके मूह में डाल दिया…!
वो अपना ही रस चुस्कर मस्त हो गयी.., तभी मेने अपना कड़क उसके रस से सना हुआ लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखकर दबा दिया…!
सस्सिईइ….हाईए अल्लाह…कितना गरम है ये मुआ…, डाल्लू ईससी…हाए.. अम्मि… कितना मोटाआ.. है.., मेरे दबाते ही वो सिसकने लगी…!
एक चौथाई लंड अंदर करके मे वहीं ठहर गया.., वो मुझे देखने लगी.., मानो पुच्छ रही हो अब क्यों रुके…?
क्या सच में बहुत ख़तरनाक है ये शेर सिंग..? मेने अपना पुराना सवाल फिर से दाग दिया…!
तुम आदमी हो या कोई इक्षाधारी नाग.., मेरे लंड रोक कर स्वाल पुच्छने पर वो बोली – मे एक बार झडा दी.., कब्से ये फंफना रहा है.., फिर
भी तुम्हें इसे खाली करने की जल्दी नही है…?
मे - हूँ तो सामान्य इंसान ही.., लेकिन मेरा लॉडा ज़रूर मेरे वश में है.., बोलो ना.. मुझे ऐसे ही किसी ख़तरनाक गॅंग्स्टर की तलाश है…!
रेशमा – क्यों..? तुम कोई पोलीस वाले तो नही.., जो इतना पीछे पड़े हो ये जानने कि ये वोही शेर सिंग है या कोई और…?
मेने अपना लंड उसकी चूत में पेलते हुए कहा – नही मे कोई पोलीस वाला नही.., मे दरअसल इसी लाइन का आदमी हूँ.., अपने एरिया से
तडिपार हूँ, इधर इसका नाम सुना तो चला आया कि चलो कुच्छ दिन ऐसे ही गॅंग के साथ काम कर लेते हैं…!
रेशमा मेरे पूरे लंड को अपने अंदर लेते ही कराह कर बोली – आअहह… फिर तो तुम एकदम सही जगह पर आए हो.., चिंता मत करो..,
पहले अपनी इस मॅगज़ीन को मेरे अंदर खाली करो.. फिर बात करते हैं…, ओके डार्लिंग…!
इतना कहकर उसने मेरे होठों को चूम लिया.., और मेने भी मुस्करा कर अपनी पिस्टन को उसके सिलिंडर में गति देना शुरू कर दिया…!
मेरी मॅगज़ीन खाली होने तक रेशमा दो बार और झड गयी.., अब हम दोनो एक दूसरे की बाहों में पड़े सुस्ता रहे थे…!
उसी आलीशान कमरे के एक साइड में मिनी बार भी था.., कुच्छ देर बाद रेशमा मेरी बगल से निकल कर पॅन्सिल हील सॅंडल अपने खूबसूरत
पैरों में डालकर अपनी मखमली गान्ड को हिलाती हुई उस बार की तरफ चल दी !
उसकी लयबद्ध चाल में चुदाई के बाद के शुकून की मस्ती थी.., धीरे-धीरे कदम बढ़ाने से उसकी गान्ड की थिरकन देखकर मेरा लॉडा फिरसे खड़ा होने लगा…!
जिस कदम को वो ज़मीन पर रखती उस तरफ का उसकी गान्ड का हिस्सा किसी मुरादाबादी कलश के जैसा और ज़्यादा पीछे को उभर कर उपर को उठ जाता..,
दोनो कलशो के बीच की दरार में घर्षण हो रहा था.., दोनो पाट एक से बढ़कर एक प्रतियोगियों की तरह मे बड़ा कि तू…के भाव में थिरक रहे थे..!
तुम कॉन्सा ब्रांड लेना पसंद करोगे डार्लिंग.. वो बार के पास पहुँचकर इठलाते हुए बोली…,
वाह मेरे शेर एक ही बार में इस शेरनी का घमंड तोड़ दिया तूने..,
एक अंजान आदमी को डार्लिंग कहकर बुला रही है ये तो.., मेने अपने लंड को मन ही मन शाबाशी दी.. जो कि अब फिरसे तन्कर कमरे की सीलिंग को ताक रहा था…!
मेने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसे दिखाते हुए हिलाकर कहा – वैसे मे कभी कभार स्कॉच ले लेता हूँ.., फिर अगर तुम जहर भी पिलाना चाचो तो वो पीलेंगे मेरी जान..!
मेरी इस हरकत पर वो खिल-खला उठी…, हिलते लंड पर नज़र गढ़ाए हुए बोली – ओह माइ गॉड.., तुम्हारा घोड़ा तो फिरसे हिन-हिनाने
लगा.., ठहर बच्चू अभी देखती हूँ तुझे…!
वो दो ग्लास में स्कॉच और उनमें आइस क्यूब डालकर उसी मन्थर गति से चलती हुई मेरे पास आई.., इस बार उसका अगला हिस्सा मेरे
सामने था.., मे बड़ा कन्फ्यूज़ था कि अपनी नज़र कहाँ रखूं…?
उसके हौले हौले थिरकते गोल-गोल सुडौल खरबूजों पर या फिर केले के तने जैसी चिकनी गोल सुडौल जांघों के बीच उसकी सुंदर चिकनी चूत जो दोनो जांघों के आपसी दबाब के कारण उसकी दरार तो एक बारीक लाइन सी दिख रही थी, वहीं उसकी फाँकें कुच्छ ज़्यादा ही उभर आईं थीं…!
वो बड़ी शोख अदा से चलती हुई पलंग तक पहुँची.., एक पटियाला पेग मुझे पकड़ा कर वो मेरे बगल में आकर बैठ गयी..!
एक हाथ में अपना ग्लास लेकर उसने दूसरे हाथ से मेरा लंड थाम लिया.., और उसे दुलार्ते हुए बोली – अब बोल भेन के लौडे.., क्यों फुदक
रहा है.., पाताल तोड़ चुदाई से तेरा मन नही भरा…? हान्ं....
फिर स्कॉच की एक चुस्की लेकर मेरी तरफ मुखातिब होकर बोली – हां तो मिस्टर. गौरव राजवंशी.., अब बोलिए.., क्या कह रहे थे तुम..? शेर
सिंग के साथ उसके गॅंग में काम करना चाहते हो..?
मेने उसकी कमर से पकड़ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसकी चुचियों को अपने दोनो हाथों में लेकर सहलाने लगा.., उसकी
सुराइदार गर्दन पर एक चुंबन लेकर मेने उससे कहा – हां…, क्या इसमें तुम मेरी कोई मदद कर पाओगि..?
रेशमा ने अपनी गर्दन मोड़ कर मेरी तरफ देखा.., उसकी चंचल आखें मानो मेरे चेहरे का एक्स्रे कर रही हों…, फिर वो मेरे गाल पर एक
दहक्ता हुआ सा चुंबन लेकर बोली – तुमने शायद केवल शेर सिंग के बारे में ही सुना है…,
वो क्या काम करता है..? उसका गॅंग कैसा है.., ये शायद नही मालूम…!
शेर सिंग यहाँ के अड्डे की प्रॉपर्टी का मालिक ज़रूर है लेकिन असल गॅंग लीडर वो नही कोई और है.., वैसे तुमने जो सोचा होगा उतने लायक तो वो भी काफ़ी ही है..!
जो वो बता रही थी उतना तक मुझे भी अनुमान था ही.., लेकिन मेने उसकी बात पर चोन्कते हुए कहा – क्या मतलब..? वो इस गॅंग का असली लीडर नही है तो फिर कॉन है..…?
बातों बातों में मेरा पेग खाली हो चुका था.., लेकिन रेशमा अभी भी हल्के हल्के शिप ले रही थी..,
मेरा खड़ा लंड उसके एक कूल्हे में ठोकर लगा रहा था.., उसने एक ही साँस में अपना पेग भी ख़तम किया, दोनो ग्लास उचक कर साइड
टेबल पर रखे और फिरसे मेरी गोद में बैठते हुए उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गान्ड की दरार में सेट कर लिया…!
आअहह…कितना गरम लॉडा है तुम्हारा.., खूब मोटा ताज़ा भी.. ये कहकर उसने अपने हाथ को मूह से चाट कर अपने थूक को अपनी चूत
पर चुपडा..,
गान्ड को और ज़्यादा मेरी तरफ उठाकर अपनी चूत के छेद को मेरे लंड के सुपाडे पर रखा और अपनी गान्ड को धीरे से पीछे को धकेल दिया…!
गरम दह्क्ता लंड उसकी गीली चूत में आधे रास्ते तक चला गया…, उसके मूह से एक मादक सिसकी निकली – सस्स्सिईइ…आअहह… उउउम्म्मन्णन… बहुत मस्त है साला..आअहह..,
कहते हुए उसने अपने हाथ आगे टिका दिए और अपनी गान्ड को पीछे धकेल कर एक बार में ही पूरा लंड अपनी सुरंग में ले लिया…!
पूरा लंड जाते ही वो फिरसे पीछे होकर मेरी गोद में बैठ गयी.., अपना मूह पीछे घूमाकर मेरे होठ चूमे और आगे बोली….!
जानते हो.. शेर सिंग जैसे तो कयि बागड बिल्ले हैं यहाँ…, जिनमें कुच्छ बिज़्नेस मॅन, कुच्छ लोकल पॉलिटीशियन और कयि पुराने गॅंग्स्टर जुड़े हुए हैं..!
मे नही जानती कि तुम क्या हो और कितने ख़तरनाक किस्म के हो.., लेकिन एक बात ज़रूर जानती हूँ.., कि तुम सही मायने में एक सच्चे
मर्द हो जो किसी भी औरत को अपने लंड की ताक़त के दम पर तिगनी का नाच नचवा सकते हो…!
मेरा लंड खूँटे की तरह उसकी चूत में ठूँसा हुआ था.., जिससे उसकी चूत अपनी पूरी गहराई तक भरी हुई थी.., एक हाथ से वो अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए बोली…
इस गॅंग का असली लीडर कॉन है…, इससे तुम्हें कोई सरोकार नही होना चाहिए, हां अगर तुम हमारे साथ काम करना चाहते हो.., और जैसा कि तुमने बताया कि पहले भी तुम्हारा बॅक ग्राउंड ऐसा ही कुच्छ रहा है तो मे अगर ये कहूँ कि तुम मुझे ऐसे ही रोज़ मज़ा दो तो मे तुम्हें शेर
सिंग के बराबर का ओहदा अपने गॅंग में दिला सकती हूँ तो…!
मे उसकी बात सुनकर उच्छल पड़ा.., मेरे साथ ही वो भी उच्छली, साथ ही वो आगे को हो गयी, मेने उसे वहीं घोड़ी बनाकर अपना लंड सुपाडे
तक उसकी चूत से बाहर निकाला और एक जबरदस्त धक्के के साथ फिरसे पूरा पेल दिया…!
हाईए… रे अल्लाहह… फाडोगे क्या मेरी चूत को.., इतने खुश हो गये कि इसे भोसड़ा बनाने पर उतारू हो गये…, ज़रा आराम से जानू..., मे
जान चुकी हूँ कि तुम्हारे लौडे में बहुत दम है…, अब ज़रा आराम से चोदो…!
उसकी गद्देदार गान्ड मसल्ते हुए.., उसकी मदमस्त गान्ड के शिखरों पर थपकी मारते हुए मेने धीरे धीरे उसकी चूत में धक्के मारते हुए कहा – क्या सचमुच तुम मुझे अपने गॅंग में शामिल करने वाली हो..?
सस्सिईई..आहह… हाई… उउउफ़फ्फ़.. चोदूओ… और ज़ोर्से…, हान्ं.. राजा… अब मे चाहूं तो भी तुम्हें मना नही कर पाउन्गि.., तुम्हारे लंड
के अलावा अब कोई दूसरा इतना मज़ा नही दे पाएगा…मुझे...एयेए…हहाअ…मे… फिर फैल हो गयी…. साले….
लेकिन मे अब फैल नही होना चाहता था…, उसको एक करवट से लिटाकर उसकी एक टाँग को उपर उठा लिया.., और उसके साइड से मेने
अपना लंड उसकी रसीली चूत में ठूंस दिया…,
वो गई कि तरह रंभाने लगी.. लेकिन मेने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज करदी और उसको दे-दनादन चोदने लगा.., इस तरह से मेरा लंड
और ज़्यादा अंदर तक उसकी बच्चेदानी तक चोट कर रहा था..,
मेरे धक्कों से उसकी चुचियाँ लयबद्ध तरीके से हिलोरें ले रही थी.., मेरी सख़्त जांघों के पाटों की मार से उसके गद्देदार मुलायम नितंब गोरे से सुर्ख लाल हो गये..,
उसकी थिरकति एक चुचि को हाथ में दबाकर मेने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी…, रेशमा के मूह से आनंद भरी किल्कारियाँ निकल रही थी…!
अब मेरा एनर्जी कुंड टट्टों के नीचे से उबाल मारने लगा था…मेरे धक्कों से रेशमा बहाल हो उठी.., उसकी चूत लगातार अपना रस बहाए जा रही थी, जिससे अब कमरे में फुकच्छ..फुकच्छ जैसी आवाज़ें गूँज रही थी…!
आधे घंटे की दमदार चुदाई के बाद मेने अपना वीर्य उसकी चूत में उडेल दिया.., मेरा गाढ़ा गाढ़ा वीर्य पीकर उसकी मुनिया शांत पड़ गयी.. साथ ही रेशमा की आँखें भी बंद हो गयी…!
मेने उसे एक दो बार हिलाया भी लेकिन वो थक कर चूर उपर से शराब की खुमारी में अब उसका उठना मुश्किल ही था…!
मेरा तो साला पोपेट ही हो गया.., ये साली इतना भी नही बता पाई कि मुझे कब और कैसे इसको आगे मिलना होगा…?
थक कर मेने भी अपने कपड़े समेटे और ये सोचकर कि चलो कल देखा जाएगा.., शायद ये फिर यहीं मिल जाए.., मे चुपके से उसी रास्ते से
अपने कमरे में आगया जहाँ ललित अभी भी गहरी नींद में सो रहा था…!
रात देर से सोने की वजह से सुबह समय पर मेरी आँख नही खुली.., मुझे ललित ने ही जगाया.., तब तक वो फ्रेश भी हो लिया था..!
मुझे फ्रेश होते होते 9 बज गये.., नीचे लाउन्ज में जाकर हमने नाश्ता किया.., उसके बाद मेने ललित को रूम में जाने के लिए बोला और खुद
उस छोटे से होटेल के छोटे से लॉन में आगया…!
इधर उधर टहलते हुए मेने उस पीछे वाले कॉटेज में जाने का रास्ता तलाश किया लेकिन आस पास वो कहीं दिखाई नही दिया.., शायद कहीं
दूसरी जगह से जाना होता होगा…, इसका मतलब इस होटेल से उसका कोई संबंध नही है…!
होटेल की बाउंड्री के अंदर ही साइड में एक बड़ा सा पेड़ था.., जिसके इर्द-गिर्द काफ़ी चौड़ाई में गोलाकार मिट्टी का एक घेरा सा था जिसपर हरी हरी मखमली घास खड़ी थी…,
मे उस घास के घेरे पर पेड़ की छान्व में बैठा यही सोच रहा था कि अब उस साली
रेशमा से कैसे मुलाकात हो तभी मेरे बगल में मुझे ऐसा आभास हुआ जैसे मेरे पास कोई और भी है…!
मेने ध्यान से अपने बगल में देखा लेकिन कोई दिखा नही.., लेकिन आभास अब भी यही हो रहा था कि कोई तो है जो मेरी आँखों से ओझल है..,
तभी मुझे अपने बेहद नज़दीक संजू की आवाज़ सुनाई दी…, इधर उधर क्या देख रहे हो भैया.. मे आपके पास ही हूँ..,
मेने आवाज़ की दिशा मे देखा लेकिन कोई दिखाई नही दिया तो मेने कहा – कहाँ हो संजू, मुझे तो कहीं दिख नही रहे.., क्या तुम मुझे दिखाई दे सकते हो..?
संजू – हां भैया.. अब मे आपको दिखाई दे सकता हूँ, मुझे मेरी आवश्यक शक्तियाँ मिल गयी हैं.., इतना कहते ही मेरे पास वातावरण से एक सफेद धुआँ का गुबार जैसा इकट्ठा हुआ और देखते ही देखते एक दम एकदम फक सफेद कपड़ों में संजू मेरी आँखों के सामने प्रकट हो गया…!
उसके चेहरे की आभा देखते ही एक बार तो मेरी आँखें चुन्धियाकर बंद हो गयी, फिर कुच्छ देर बाद जब मेने अपनी आँखें खोली तो अब वो
सामान्य दिखाई दे रहा था…!
ललित को कमरे में भेज कर यहाँ अकेले क्या कर रहे हो वकील भैया..?
संजू के इस सवाल पर मे जल्दी ही कोई जबाब नही दे पाया.., फिर कुच्छ सोचकर मेने उससे पुछा – क्या तुम किसी रेशमा को जानते हो..?
संजू – हाँ क्यों..? वो आपको कहाँ मिल गयी..? बड़ी पहुँची हुई चीज़े है साली.., मेने उस तक पहुँचने की बहुत कोशिश की लेकिन साले युसुफ ने पता नही क्यों मुझे उससे दूर ही रखा…!
सुना है शेर सिंग, राठी जैसे गॅंग के प्रभावशाली लोग भी उसकी टाँगों के नीचे पड़े रहते हैं.., वो सिर्फ़ घास डालती है तो केवल सूपर बॉस को जो किसी ने आज तक अपने असली चेहरे के साथ कभी नही देखा…!
वो जब भी अड्डे पर आता है तो किसी खास मौके पर ही, जब सभी लीडर्स की एक साथ मीटिंग होती है या फिर कोई बहुत बड़ी इंटरनॅशनल
लेवेल की डील फाइनल करनी हो तब.., सिर से पैरों तक हर समय काले लबादे में ढका…!
मे – डील-डौल में कैसा लगता है..?
संजू – कभी ठीक से देख नही पाया.., जब भी मिला एक बड़े से हॉल में बहुत ही कम रोशनी में.., हाइट से तो मध्यम ही है.., लेकिन लबादे में डील-डौल भी काफ़ी ही लगा…!
वैसे आपने बताया नही, रेशमा आपको कहाँ मिल गयी..?
मेने संजू को रात वाली सारी घटना विस्तार से कह सुनाई.., उसके चेहरे पर एक मुस्कान आगयि.., और बोला – वाह भैया.., आप वाकाई बहुत पहुचि हुई चीज़ हो..,
मेने बहुत कोशिश की साली पर हाथ सॉफ करने की लेकिन सफल नही हो पाया.., वैसे काम की चीज़ तो है.., बॉस के अलावा और किसी में
हिम्मत नही है उसकी बात को टाल भी सके…!
मे – लेकिन यार प्राब्लम ये हुई कि आज उससे मे कहाँ मिल पाउन्गा ये बताने से पहले ही वो साली लुढ़क गयी.., यहाँ मे यही खोज रहा था
कि उस कॉटेज तक कैसे पहुँचा जाए..?
संजू – वो कोई बड़ी समस्या नही है.., समस्या तो ये होगी जब आप उसके साथ अड्डे पर जाओगे तो वहाँ राठी और उसका लड़का भी होगा.., वो दोनो बाप-बेटे आपको देखते ही पहचान लेंगे, और शुरू होने से पहले ही आपकी राम कहानी ख़तम समझो…!
मे – हां ! ये तो बात है.., ये मेरे ध्यान में क्यों नही आया..? खैर अब तुम ही बताओ.., आगे हमें क्या करना चाहिए..?
संजू – पहले उन दोनो बाप-बेटे को ठिकाने लगाना पड़ेगा उसके बाद आप बिना किसी रुकाबत के रेशमा के मज़े ले सकते हो.., ये बात संजू
ने हँसते हुए कही थी…,