Update 21
मेने उसके कंधे पर हाथ मारते हुए कहा – क्या यार संजू भाई…, मुझे भैया भी कहते हो और मेरे मज़े भी ले रहे हो…!
संजू हँसते हुए बोला – मज़ाक कर रहा था.., मेरा कहने का मतलब फिर आपके उपर वहाँ उंगली उठाने वाला नही होगा.., वो दोनो इस समय कहाँ मिलेंगे.., इसका पता मे आपको कुच्छ समय बाद बता सकूँगा…,
मे – लेकिन यार पता नही हमें यहाँ और कितने दिन लगें तब तक ललित का क्या करें..? उसको अपने साथ रख कर ख़तरे में तो नही डाल सकते…!
संजू – मेरे ख़याल से उसे तो आप बस में बिठाकर घर ही भेज दो.., यहाँ से सीधी बस अपने शहर के लिए मिल जाएगी.., तो उसे कोई भी बहाना करके अभी के अभी यहाँ से रवाना कर दो..,
अभी दो घंटे में भिंड से आने वाली बस जाएगी.., शायद इस होटेल पर रुक कर वो यहाँ चाइ नाश्ता भी करते हैं…,
मुझे संजू की बात सही लगी.., वो ये सब बातें बताकर वहाँ से गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गया.., मेने कमरे में आकर ललित को किसी काम का बहाना बनाकर जाने के लिए राज़ी कर लिया..!
संजू ने सही कहा था.., वो बस वहाँ रुकी और मेने ललित को उसके बॅग और संजू की अस्थियों के साथ घर के लिए रवाना कर दिया.., और ये हिदायत भी की, कि वो इन अस्थियों का जिकर अभी घर में किसी से ना करे…, मेरे लौटने तक अपने बॅग में छुपाकर ही रखे…!
मेरे बारे में बता देना कि हाइ कोर्ट में कोई काम था सो मे वहाँ चला गया हूँ, दो-चार दिन में लौट आउन्गा…!
ललित को घर के लिए रवाना करके अभी मे कमरे में वापस लौटा ही था कि पलंग पर संजू को बैठे हुए पाया…!
मे – ओह्ह्ह… तो महाराज पहले से ही विराजमान हैं.., कहिए अब क्या खबर लेकर आगये…?
संजू - राठी का पता चल गया है.., वो भेन्चोद साला हरामी.., यूपी में पुरानी सरकार में रह चुके एक मंत्री के फार्महाउस में छुपा बैठा है…,
अभी मौका है.., पूर्व मंत्री अपने गुर्गों के साथ अपनी पार्टी की मीटिंग में गया हुआ है, कल तक लौटेगा तबतक हम लोग उसका बही ख़ाता बंद कर देते हैं…!
मे – और उसका लौंडा…, वो कहाँ है…?
संजू – वो शायद अड्डे पर ही होगा, हो सकता है अभी उसका हाथ सही नही हुआ होगा.., उसकी मुझे चिंता नही है उसे तो बाद में भी देख लेंगे..,
मे – तो फिर कब निकलना है..?
संजू – आज रात को ही मौका है.., यहाँ से दिन छिप्ते ही निकल लेंगे.., कल सुबह तक ये काम ख़तम करके कल आपको रेशमा से भी मिलना है…!
मे – अरे भाई मेरे इतना टाइट शेड्यूल किसलिए.., अगर किसी तरह राठी को मारने में फैल हो गये या कोई अड़चन आगयि तो…,
संजू – कल शाम तक किसी भी तरह आपका अड्डे में होना ज़रूरी है.., एक-दो दिन में ही कोई बड़ी डील होने वाली है तो इनका बॉस भी
वहाँ मौजूद होगा.., मौका लग गया तो हम उसकी असलियत भी जान जाएँगे…!
वैसे तो अब राठी को यमलोक पहुँचाना मेरे अकेले के लिए भी कोई मुश्किल काम नही है.., लेकिन मे चाहता हूँ मरने से पहले उसे पता हो
कि उसे किसने मारा और क्यों…, ताकि मरते समय वो किसी असमंजस में ना हो…!
मे – तो अब हमारे पास कुच्छ समय भी है.., अगर तुम उचित समझो तो अपनी आगे की कहानी बताना चाहोगे..? तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारा और प्रिया का मिलन कैसा था…?
प्रिया का नाम आते ही संजू के चेहरे पर उदासी के बादल मंडरा उठे.., मे समझ सकता था कि जिसे उसने अपने दिलो जान से चाहा है, जिसके लिए उसने अपनी जिंदगी को दोबारा से दाँव पर लगा दिया..,
उससे इतना जल्दी बिछड़ना उसके दिल को कितना कष्ट पहुँचा रहा होगा..?
मेने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे हौसला देते हुए कहा – माफ़ करना दोस्त.., मेने तुम्हारी दुखती रग पर हाथ रख दिया शायद.., कोई बात नही.. तुम अगर नही बताना चाहते हो तो कोई बात नही…!
संजू की आँखों में अपनी प्रियतमा से बिछड़ने के गम में आँसू छलक आए.., मेने इस लड़के को कभी इतना एमोशनल होते नही देखा था..,
मुझे इस बात से ये अंदाज़ा लगाना कतयि मुश्किल नही था कि वो उसे किस हद तक प्यार करता होगा…?
कुच्छ ही देर मे संजू ने अपने आपको संयत किया और मेरे हाथों को अपने हाथों में थामकर उसने अपनी आगे की कहानी सुनाना शुरू किया…!!!
संजू ने अपनी और प्रिया के मिलन के हसीन पलों को आगे सुनाते हुए कहा –
जानते हैं भैया…, वो बेचारी किस तरह से अब तक अपने आपको औरतों के गरम जवान गोस्त नोचने वाले गिद्धो से बचाए हुए है…?
जब से उसने मेरा अंत होते अपनी आँखों से देखा है.., तबसे आजतक उसने अन्न का एक नीवाला तक नही खाया है.., बार बार बेहोश हो जाती है…!
वहीदा और उसकी बहनों पर अपने भाई की मौत का इतना असर नही है जितना प्रिया को मेरी मौत पर हुआ है.., वो हरामजादिया होश में आने पर उसे तरह तरह से उसपर ज़ुल्म करती हैं, धमकाती हैं..,
उसके परिवार को ख़तम करने की धमकियाँ देती रहती हैं फिर भी वो उनकी बातों को मानने के लिए तैयार नही हुई है.., वो भी अभी उसके
उपर ज़्यादा ज़ुल्म नही कर सकती वरना वो मर जाएगी…!
ये कहते कहते संजू के गले से एक तेज हिचकी निकली.., मेने उसका कंधा थप-थपाकर कहा – हौसला रखो दोस्त.., तुम्हारी प्रिया को कुछ नही होगा..,
ईश्वर ने चाहा तो वक़्त रहते हम उसे वहाँ से निकाल लाएँगे और उसे उसके घर सुरक्षित पहुँचा देंगे…!
संजू – हां भैया.., मेरी बस यही इक्च्छा है.., अभी उसकी उमर ही क्या है.., खेलने कूदने की उमर में उस बेचारी ने कितने ज़ुल्म सहे हैं..,
उसके माँ बाप उसका दोबारा घर बसा दें उस दिन मेरी आत्मा पर से एक बड़ा भारी बोझ कम होगा…!
जानते हैं जब मेने उसे ये कहा कि अगर वो कहे तो हम अपनी सुहागरात यहाँ से निकलने के बाद ही मनाएँगे तो उसने क्या कहा था..?
उस छोटी सी उमर में वो कितना कुच्छ समझ चुकी थी.., शायद वो भाँप चुकी थी कि यहाँ से जीवित निकलना अब मुमकिन नही है.., तभी तो उसने कहा था..
नही प्राण नाथ.., हम यहाँ से निकल सके तो ये हमारी खुश किस्मती होगी.., लेकिन उपर वाले ने हमें मिलाया है तो हमे उसकी इच्छा का आदर करना होगा इतना कहकर वो किसी मासूम बच्ची की तरह मेरे अंकपाश में समाकर मेरे होठों पर उसने अपने पतले पतले लज़्जत भरे
सुर्ख होठ टिका दिए…!
मेने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया और हरी इच्छा जानकर उसके साथ पहली रात के मिलन के लिए अपने आपको तैयार करने लगा…!
मेने उसकी भारी भरकम साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया.., अपनी गोद में लेकर उसकी गेंदों को ब्लाउस के उपर से मसल्ते हुए उसके होठों का रस पीने लगा…!
केयी मौकों पर हम दोनो अधूरे रह गये थे.., लेकिन आज उस अधूरे पन को वो हर हाल में पूरा करना चाहती थी शायद.., इसलिए तो बिना किसी अनुभव के भी वो अपनी तरफ से मुझे उत्तेजित करने की भरपूर कोशिश कर रही थी…!
मेरी लूँगी को एक तरफ करके उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कसकर मसलना शुरू कर दिया.., मेने भी उसके ब्लाउस को भी उसके कमसिन बदन से हटा दिया..,
अब उसके कच्चे अनार पहली बार नग्न मेरी आँखों के सामने थे.., एकदम कच्चे.., एकदम गोल.. जिनमें लेशमात्र भी ढीलापन नही था.., उनके
शिखरों पर लगे गहरे लाल रंग के जंगली बेर जितने उसके निपल जो अब कड़क हो गये थे…!
मेने उन्हें अपनी जीभ से चाट लिया तो वो एक मादक सिसकी लेते हुए अपनी कमर को मेरे पेट के साथ घिसने लगी.., ऐसा करने से मेरा
कड़क लंड उसकी छोटी सी गान्ड की चौड़ी दरार में फँस गया…!
मेरे हाथों ने शरारत करते हुए उसके पेटिकोट का नाडा खोल दिया और अपना हाथ अंदर करके उसकी कच्ची कली को पैंटी के उपर से ही मसल दिया..,
आअहह…. नाथ…कहते हुए वो मेरी छाती में समा गयी.., मेने उसका पेटिकोट भी नीचे सरका दिया.., और उसके गोल-मटोल चुतड़ों को
मसल्ने लगा…!
थोड़ी देर में ही हम दोनो के कपड़े पलंग के नीचे पड़े थे.., उसके बदन पर अब मात्र कुच्छ गहने ही बचे थे..,
हाथों में कुहनी तक हरी हरी चूड़ियाँ, माँग में सिंदूर, माथे पर बिंदिया.., और बदन पर मात्र कुच्छ गहनों में वो मेरे सामने पलंग पर पड़ी थी…!
मे बगल में अपनी कुहनी पर लेटा बस एकटक उसके कमसिन बदन को ही निहारे जा रहा था.., शर्मा कर उसने अपनी मखमली जांघों को
कसकर अपनी नादान सहेली को छुपाने की कोशिश करते हुए अपने मेहन्दी लगे हाथों से अपने चेहरे को ढांप लिया..,
मेने एक हाथ से उसके हाथों को चेहरे से हटाने की चेष्टा करते हुए उसके कान में फुसफुसा कर कहा – तुम बहुत सुन्दर हो प्रिय.., जी
चाहता है बस इसी तरह सारी उम्र तुम्हें बस निहारता रहूं…!
मेरी बात सुनकर उसने अपने हाथ चेहरे से हटा लिए और शर्म का दामन पकड़े हुए उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपाते हुए कहा – आप इतना प्यार करते हैं मुझे…!
इतना प्यार मत करिए.. कल को अगर बिछड़ना पड़ा तो मे जी नही पाउन्गि बिना आपके..
मेने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – क्यों.. मुझ पर भरोसा नही है तुम्हें..?
वो तड़प कर मेरे सीने से चिपक गयी..और मेरी पीठ पर अपनी मरमरी बाहें कसते हुए बोली – अपनी किस्मत से डरती हूँ नाथ.., माँ-बाप, भाई-बेहन को एक तरह से खो दिया है मेने.., अब आपको खोना नही चाहती..!
मे उसे अपनी गोद में लेकर बैठ गया.., उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर मेने कहा – अपने जीते जी मे तुम्हें कभी अपने से अलग नही होने
दूँगा.., यही नही ये एक मर्द की ज़ुबान है तुम्हें तुम्हारे परिवार से ज़रूर मिलाउन्गा..!
अब अगर बेगम साहिबा की इजाज़त हो तो प्यार करें.., ये कहकर मेने उसके लज़्जत भरे होठों को चूम लिया.., वो भी किसी बेल की तरह मेरे बदन से लिपट गयी…!
फिर मेने उसे पलंग पर लिटाया और उपर से नीचे तक उसके कमसिन बेपर्दा बदन को चूमता चला गया.., आख़िरकार जब मेरी चटोरी जीभ
उसकी कच्ची कमसिन कली.. उसकी यौनी पर लगी तो वो बुरी तरह से सिहर उठी..,
अपने हाथों को उसके कच्चे अनारों पर रखकर उन्हें सहलाते हुए जब मेने अपनी जीभ से उसकी मुनिया को चाटा तो वो आहहें भरने लगी
और उसकी कोरी गागर छलकने पर मजबूर हो गयी…!
अपने अंगूठे से उसकी छोटी सी क्लिट को छेड़ते हुए जब मेने अपनी जीभ को उसके अधखुले सुराख को कुरेदा तो उसकी गागर छलक कर अपना रस मेरी जीभ को पिलाने पर मजबूर हो गयी..,
उसकी कोरी गागर का पानी चख कर मेरा भी लॉडा अपने फुल आकार में आगया.., अब प्रिया से बर्दास्त करना मुश्किल होता जा रहा था..,
पलंग पर वो जलबीन मछली की तरह तड़पने लगी…!
सही मौका जानकर मेने उसकी यौनी से अपना मूह हटाया.., चोंक कर उसने मेरी तरफ देखा.., मेने मुस्कराते हुए कहा – अब असली सफ़र पर चलने के लिए तैयार हो जाओ मेरी जान…!
मेरी बात सुनकर उसने अपनी गर्दन साइड को कर ली.., अपनी आँखें बंद करके वो आने वाले पलों का इंतजार करने लगी.., मेने अपने लौडे को हाथ में लेकर उससे कहा…
एक बार इसे देख तो लो प्रिया.., ये बेचारा तुम्हारी मुनिया की सेवा करने वाला है और तुमने मूह फेर लिया…!
वो अपनी आँखें बंद किए हुए ही बोली – मुझे नही देखना.., आपको जो करना है वो अब जल्दी करो प्लीज़..,
जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. कहते हुए मेने उसकी टाँगों को चौड़ा किया.., उसकी गोरी-गोरी सुडौल जांघों को अपनी जांघों के उपर चढ़ाया.., मूह से
थूक लेकर अपने लंड को चिकना किया और अपना दहकता हुआ सुपाडा उसकी मुनिया की पतली-पतली फाकों पर रख दिया…!
आज पहली बार उन दोनो का मिलन हो रहा था.., मेरे गरम लंड की गर्मी पाकर उसकी मुनिया में एक बार संकुचन हुआ.., उसका पूरा शरीर झंझणा उठा…!
मेने अब और देर करना मुनासिब नही समझा.., एक-दो बार अपने लौडे को उसकी गीली चिकनी फांकों पर फिराया.., और फिर दोनो हाथों
के अंगूठों से उसकी फांकों को अलग करके उसके छोटे से छेद पर अपना गरम सुपाडा रख कर हल्का सा दबाब डाल दिया…!
मेरा आधा सुपाडा उसकी फांकों के बीच फँस चुका था.., उतने से ही प्रिया के मूह से एक मादक कराह निकल गयी…!
लंड को उसके छेद में सेट करके मेने उसकी दोनो कच्ची गोलाईयों को हाथों में लेकर हल्के से दबाया और एक हल्का धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
मेरा लंड कोई एक इंच अंदर जाकर रुक गया.., जो उसकी झिल्ली की पतली सी दीवार ने उसे अंदर जाने से रोक लिया मानो वो अपना नेग पाना चाहती हो..,
साथ ही प्रिया के मूह से एक हल्की सी कराह भी निकल पड़ी…, आअहह…माआ…
मेने नेग के तौर पर उसके उपर आकर उसके होठों को चूमा.., और फिर उसकी कच्चे अनार जैसी चुचियों को सहलाते हुए मेने कड़क लंड का एक तगड़ा सा धक्का उसकी कच्ची कली में दे मारा…………….!!!!!
मेने नेग के तौर पर उसके उपर आकर उसके होठों को चूमा.., और फिर उसकी कच्ची अनार जैसी चुचियों को सहलाते हुए मेने कड़क लंड
का एक तगड़ा सा धक्का उसकी कच्ची कली में दे मारा…………….!!!!!
इस धक्के ने प्रिया को बिलबिलाने पर मजबूर कर दिया.., अपने दर्द को पीने के लिए उसने सख्ती से अपने होठों को कस लिया, अपनी चीख
निकालने से तो रोक ली लेकिन अपने आँसुओं को वो नही रोक पाई…!
उसकी कच्ची सहेली की झिल्ली को तोड़ता हुआ मेरा साढ़े सात इंच लंबा लंड आधा तक उसकी संकरी गली में जा चुका था.., मेने रुक कर
उसके चेहरे की तरफ देखा जहाँ पीड़ा के असंख्य भाव मौजूद थे..,
झुक कर मेने उसकी आँखों से निकले खारे पानी को उसके सुर्ख गालों पर से जीभ लगाकर चाट लिया और उसकी बंद पलकों को चूमते हुए कहा – बहुत दर्द है जान…?
उसने अपनी पलकें खोलकर मुझे एक नज़र देखा और बस अपनी गर्दन ना में हिला दी.., उसकी इस समर्पण की भावना को देखकर मुझे
उस पर बेहद प्यार आया और में उसके होठों को चूमने चूसने लगा…!
प्रिया का अब ध्यान अपने दर्द से हट चुका था और वो भी मुझे चुंबन का जबाब चुंबनो से ही देने लगी.., मौका ताडकर मेने एक और झटका
अपनी कमर में लगा दिया.. और अपना 3/4 तक लंड उसकी कोरी गागर के अंदर सरका दिया…!
इस बार होठ खुले होने की वजह से प्रिया के मूह से एक दर्द भरी चीख निकल ही गयी.. आअहह…म्माआ… मारीी…, लेकिन जल्दी ही उसने अपनी कराह को अपने होठों में जप्त कर लिया…!
कुच्छ देर रुक कर मेने अपने लंड को थोड़ा बाहर किया.., अंदर से उसकी मुनिया कुच्छ खाली सी हुई तो उसने एक लंबी सी साँस बाहर
छोड़ी.., जिसे वो दर्द के कारण रोके हुए थी…!
लेकिन जल्दी ही मेने उतना ही लंड फिर उसकी ताज़ा सील टूटी मुनिया में पेल दिया.., वो आअहह.. करके रह गयी.., इस तरह से मे बड़े
प्यार से आहिस्ता आहिस्ता से अपने 3/4 लंड को ही उसकी कोरी गागर के अंदर बाहर करता रहा…!
कुच्छ ही धक्कों में उसकी गागर छलकने लगी और अब मेरा लंड थोड़ा आसानी से अंदर बाहर होने लगा.., साथ ही प्रिया भी अब दर्द को भूलकर मादक सिसकियाँ भरने लगी…!
ये देखकर मेने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी.., अब प्रिया भी नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी थी.., उसकी मुनिया में गीलापन और ज़्यादा बढ़ने लगा था.., तभी मेने एक और ज़ोर का झटका धीरे से लगा दिया और मेरे दोनो आँड प्रिया की गोल-गोल गान्ड पर
जा टिके…!
लेकिन इस बार प्रिया सिर्फ़ एक लंबी सी आहह भरकर रह गयी.., और जल्दी ही मेरे साथ कदम ताल मिलाते हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लूटने लगी…!
अंततः हम दोनो के अथक प्रयास से हम दोनो ही एक साथ अपने अपने चरम सुख तक पहुँच गये…!!!!
उस रात ना मे सोया और ना मेने प्रिया को ही सोने दिया.., चुदाई तो हमने बस एक बार और की.., लेकिन सारी रात बस एक दूसरे की बाहों में लिपटे एक दूसरे को निहारते रहे.., आपस में प्यार मुहब्बत की बातें करते रहे…!
अपने सुहागरात का किस्सा सुनाते सुनाते संजू के चेहरे पर एक सुकून सा दिखाई दे रहा था मानो उसने अभी अभी वो हसीन पल जीए हों.., मे भी उसके उन्न पलों में अपने निशा के साथ बिताई वो पहली रात में पहुँच चुका था…!
ये पल इंसान के जीवन में होते ही कुच्छ स्पेशल हैं जिन्हें वो यादगार के तौर पर हमेशा याद रखता है.., शायद आप लोगों ने भी उन सुनहरे पलों को सॅंजो कर रखा होगा ना….???????
जब वो कुच्छ देर और नही बोला और अपने उन्हीं हसीन पलों में खोया रहा तो मेने उसके कंधे पर हाथ रखा.., उसने चोंक कर मेरी तरफ
देखा तो मेने उसे अपने सीने से लगाकर उसकी पीठ थप-थपाकर उसे उसकी सुहागरात की मुबारकबाद देते हुए कहा…
मुबारक हो मेरे दोस्त.., बस अफ़सोस इस बात का रहा कि हम तुम्हारी शादी में शामिल ना हो सके..,
वो मेरे से अलग होते हुए बोला – कैसी शादी भैया.., मेने तो उस बेचारी लड़की का जीवन ही खराब कर दिया.., क्या दिया मेने उसे..?
मेने उसे हौसला देते हुए कहा – क्या नही दिया तुमने उसे..? उसके अंधेरो से घिरे जीवन को उजाले की एक किरण दी.., रही बात उसके आने वाले जीवन की, तो हम उसे वहाँ से सही सलामत निकाल कर ही दम लेंगे…!
ईश्वर की कृपा रही तो वो फिरसे अपने परिवार के साथ रह सकेगी.., वो उसकी दूसरी शादी कर देंगे.., धीरे धीरे वो अपने अतीत को भूलकर फिरसे जीवन के सुख भोगने लगेगी….!
भगवान करे आपकी सब बातें सच साबित हों.., ये कहकर संजू मेरे कंधे पर सिर रख कर अपने आगे की कहानी सुनाने लगा…!
हफ्ते दस दिन हमारे जीवन के सबसे सुनहरे दिन रहे.., किसी ने हमें नही छेड़ा लेकिन 10वे दिन युसुफ मेरे पास आया और मुझे अपने साथ काम पर ले गया…!
उस दिन के बाद से रोज़ सुबह हम बाहर निकल जाते और शाम तक घर लौट आते.., मुझे इस बात का शुकून था कि कम से कम हम दोनो रात तो साथ में गुज़ार रहे थे…!
इस बीच मेने इस ऑर्गनाइज़ेशन के बारे में सब कुच्छ जान लिया.., इस दौरान मेने हर उस संभवना पर भी सोच विचार किया जिससे मे और
प्रिया दोनो सुरक्षित इस पाप की दुनिया से कहीं दूर निकल कर शुकून का जीवन जी सकें लेकिन मे अपनी सारी कोशिशों में असफल रहा…!
मेरी दिलेरी और क्रूरता का युसुफ ही नही वहाँ काम करने वाले ज़्यादातर लोग कायल थे.., यही दो बातें इस घिनौने धंधे को सफल बनाती हैं…!
एक दो बार मेने शेर सिंग के चमचो को भी पेल दिया था.., जब उसने उनका पक्ष लेना चाहा तो मेने उसको भी धमका दिया.., मौके पर
मौजूद युसुफ और एक दो और ओहदेदारों ने बीच बचाव करा दिया वरना मे उस साले को भी पेलने वाला था…!
मे – बहुत ख़तरनाक खेल खेलते रहे हो तुम.., अगर तुम्हें ऐसे ही काम करने का शौक था तो मेरी डीटेक्टिव एजेन्सी कोई बुरी नही थी.., उसमें काम करते हुए भी तुम्हारे ये शौक पूरे हो सकते थे…!
संजू दुखी होते हुआ बोला – सॉरी भैया.., मेरी मति मारी गयी थी..आज मुझे इस बात का बहुत अफ़सोस हो रहा है कि क्यों मेने आपकी बात नही मानी…!
मेने उसका कंधा थप-थपाते हुए कहा – होनी को शायद यही मजूर था मेरे भाई.., खैर अब तुम मुझे आगे के प्लान के बारे में बताओ.., शाम होने को है…
संजू ने मुझे राठी के छुपे होने की जो जगह बताई, वो यहाँ से करीब 150-160किमी की दूरी पर थी.., हमने दिन छिपे वहाँ के लिए निकलने का फ़ैसला लिया…!
करीब शाम 7 बजे हम अपनी गाड़ी लेकर वहाँ के लिए निकल लिए.., करीब दो-ढाई घंटे का सफ़र तय करके हम उस फार्महाउस के पास थे…!
अंधेरी रात थी.., गाड़ी हमने फार्म हाउस से थोड़ी पहले ही रास्ते से हटकर घने से पेड़ों के बीच छुपा दी और वहाँ से पैदल ही वहाँ पहुँचे…!
मुझे बिना किसी की नज़र में आए अंदर पहुँचना था.., इस समय वहाँ कोई ज़्यादा सुरक्षा व्यवस्था तो नही होनी चाहिए थी.., फिर भी दो-चार लोग तो होना आम बात थी…!
संजू के लिए कोई मॅटर नही था.., वो धड़-धडाते हुए बाउंड्री के उपर से उड़ता हुआ अंदर चला गया.., मुझसे ये कहकर कि आप यहीं रूको
में अभी अंदर का जायज़ा लेकर आता हूँ..!
संजू को अंदर गये हुए काफ़ी देर हो चुकी थी.., लेकिन वो नही आया तो फिर मेने भी अंदर जाने का फ़ैसला लिया और पीछे से बाउंड्री फांदकर मे भी फार्महाउस के अंदर चला गया…!
अंदर पूरी तरह शांति थी.., फार्महाउस के काफ़ी हिस्से में बिल्डिंग बनी हुई थी.., पीछे की साइड में एक स्विम्मिंग पूल भी बना हुआ था..,
जिसके आस-पास का गीलापन बता रहा था कि कुच्छ देर पहले ही यहाँ कम से कम दो लोग ज़रूर स्विम्मिंग करके गये हैं…!
मे भी उन्ही गीले निशानों का पीछा करते हुए बॅक डोर से अंदर चला गया जो सिर्फ़ धूलका हुआ ही था.., एक छोटी सी गॅलरी से होते हुए वो निशान एक कमरे के दरवाजे तक चले गये थे..!
मे भी उस दरवाजे तक जा पहुँचा, हल्के से हाथ का दबाब डाला तो वो अंदर से बंद पाया.., तभी मुझे अंदर से एक औरत के खिल खिलाने की आवाज़ सुनाई दी…!
मे समझ गया कि राठी यहाँ भी किसी औरत के साथ मस्ती कर रहा है.., लेकिन अब सवाल था कि अंदर पहुँचा कैसे जाए.., तभी मेरी नज़र एक खिड़की पर पड़ी..,
ये काँच की स्लाइडिंग विंडो थी.., लेकिन अंदर से उसपर परदा पड़ा हुआ था.., मेने उसके ग्लास को स्लाइड करके देखा तो वो एक तरफ को सरक गया..,
मेरा काम बन गया.., थोड़ा सा ग्लास स्लाइड करके अंदर के पर्दे को जैसे ही साइड में करके मेने अंदर झाँका.., एक अजीबो ग़रीब तरह का नज़ारा देखकर मेरा मूह खुला का खुला रह गया…!
कमरे के बीचो-बीच पड़े एक विशाल पलंग पर एक कम उम्र लड़की *** जिसके अभी नीबू के साइज़ की चुचियाँ ही हो पाई थी.., मधयम
कलर की दुबली पतली सी…राठी जैसे 50 साल के अधेड़ की गोद में किसी छोटी बच्ची सी बैठी थी…!
दोनो के शरीर पर कपड़े के नाम पर एक रेशा तक नही था…, शायद ये उस लड़की का पहला ही मौका हो किसी लंड को लेने का…!
राठी उसके नीबू साइज़ के टिकॉलों से खेल रहा था.., कभी उनको सहला देता तो कभी ज़ोर से मसल देता तो लड़की के मूह से एक दर्द भरी आअहह.. निकल जाती…!
मेरे लिए ये कोई ज्यदा आश्चर्य की बात नही थी.., सबसे ज़्यादा हैरानी तो मुझे इस बात की हुई कि उसी पलंग पर राठी के ठीक बगल में ही संजू महाराज विराजमान थे..,
और बड़े मज़े ले लेकर उस पापी राठी के इस अनाचार को देख ही नही रहे थे बल्कि पूरे मज़े ले रहे थे…!
अभी मेरी हैरानी दूर भी नही हुई थी तभी संजू ने उस लड़की की छोटी सी गान्ड के संकरे से सुराख में अपनी मोटी उंगली घुसेड दी…,
वो लड़की चिहुनक कर उपर को उछल्ते हुए बोली – क्या अंकल गान्ड में उंगली क्यों करते हो…?
उस लड़की की बात सुनकर राठी उसके नीबू पर चाँटा मारते हुए बोला – क्या साली मज़ाक करती है.., मेरे तो दोनो हाथ तेरे इन टिकॉलों पर
हैं फिर मे कैसे तेरी गान्ड में उंगली कर सकता हूँ…?
लड़की ने उसके हाथों पर अपने हाथ रखकर पीछे मुड़कर देखते हुए कहा – तो फिर मेरी गान्ड में उंगली किसने की…?
राठी उसके टिकॉलों से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी हल्के हल्के रोंगटे वाली मुनिया पर ले गया और अपनी एक उंगली के पोर से
उसकी छोटी सी क्लिट को सहलाने लगा…,
वो कच्ची कली मस्ती में आहें भरते हुए अपनी गान्ड को उसके अधखड़े लंड पर रगड़ने लगी…!
कुच्छ देर में ही राठी के लंड का धैर्य जबाब देने लगा और उसने लड़की को पलंग पर लिटा दिया, खुद उसके उपर आकर उसकी अध्चुदि
चूत में अपना 6” का लंड डालने की तैयारी करने लगा…!
उसने उसकी फांकों को चौड़ा कर अपने सुपाडे को उसमें फिट कर दिया.., तभी संजू ने अपना मोटा तगड़ा लंड अपने कपड़ों से बाहर
निकाला , खुद राठी की गान्ड के उपर आकर उसे अपने हाथ से मुठियाने लगा…!
उसकी मनसा जानकार मेरे कान खड़े हो गये.., ओ..तेरी कीईईईईई… भेन्चोद संजू कहीं उपर से राठी की गान्ड ठोकने के इरादे में तो नही है…?
अगर ऐसा हुआ तो बेचारी लड़की का क्या हाल होगा.., झटके से ही राठी का लंड उसकी चूत की गहराइिओं में होगा…,
हे भगवान भेन्चोद कर क्या रहा है ये संजू.., अब इसे कैसे रोकू…?
मेने फटाफट खिड़की को साइड में किया.., अपने निकलने लायक जगह बनाई.., और बे-आवाज़ कमरे में कूद गया…!
इससे पहले कि संजू अपना लंड राठी की गान्ड में पेलता.., मेने एक ही जंप में पलंग के पास पहुँचकर लड़की के कंधे पकड़ कर राठी के
नीचे से थोड़ा सा उपर को खींच लिया…,
ठीक उसी समय संजू ने बड़ी बेदर्दी से अपना लंड पूरा का पूरा राठी की गान्ड में ठोक दिया.., वो एक लंबी सी चीख मारता हुआ लड़की के
उपर पलंग पर पसर गया…!
उसकी गान्ड चरमरा उठी थी.., राठी का लंड लड़की की जांघों के बीच से होकर गद्दे से टकराकर वापस मूड गया…!
लड़की किन्कर्तव्य-विमुड सी कभी चीख चिल्ला रहे राठी को जो औंधे मूह उसके पेट में मूह दिए पड़ा था उसे देखती तो कभी मेरी तरफ देखने लगती…,
उसकी अभी तक ये समझ में नही आ रहा था कि आख़िर राठी चीख क्यों रहा है.., जबकि मे तो उसके सिर की तरफ था.., उसे संजू तो दिखाई दे ही नही रहा था…!
संजू ने राठी के उपर से उसकी गान्ड में खूँटा सा ठोक कर इस तरह से दबा रखा था कि वो अपना सिर भी उठाकर पीछे की तरफ नही देख पा रहा था…,
उसकी गान्ड में संजू ज़बरदस्ती से लंड को पेले ही जा रहा था.., जो कि उसकी गान्ड में जाकर अप्रत्यसित रूप से और ज़्यादा मोटा किसी मोटी प्रजाति के गन्ने जैसा लग रहा था…!
वो अपने लंड को जितना उसकी गान्ड में पेलता जा रहा था.., उतना ही बचा हुआ बाहर दिखाई देता जा रहा था…,
संजू की इस प्रेत शक्ति को देख कर मे हैरान था.., वहीं राठी के लगातार चीखे जाने से वो लड़की भी हैरान परेशान थी कि आख़िर ये इतना चीख क्यों रहा है…?
आख़िर में उस लड़की ने उसके मूह को अपने पेट से उपर उठाकर पुछा.., अंकल आप इतना चीख क्यों रहे हैं..?
राठी चीखते हुए बोला – अरे मेरी गान्ड फाड़ रहा है ये... कॉन है मेरे उपर..?
आपके उपर…? कोई भी तो नही.. ये आप क्या बहकी बहकी बातें कर रहे हो..? वो लड़की हैरानी के साथ बोली.., ये बाबू तो इतनी दूर खड़े हैं…!
जब उस लड़की ने ये बात मेरी तरफ इशारा करके कही.., तब राठी को होश आया कि मे उसकी आँखों के सामने ही खड़ा हूँ…!
वो एकदम से चोन्कते हुए बोला – अरे वकील तू…? यहाँ कैसे पहुँचा..?
अभी उसके मूह से इतना ही निकला था कि संजू ने दो इंच लंड और उसकी गान्ड में पेल दिया.., उसकी
गान्ड फिरसे चर-मरा उठी.., और वो बुरी तरह से चीखते हुए मुझसे मुखातिब होकर बोला…
प्लीज़ वकील साब मेरी गान्ड फाड़ रहा है कोई.., बचाओ मुझे.. इस मुसीबत से..!
मेने आगे बढ़कर राठी के बाल पकड़ कर उसे उस लड़की के उपर से अधर किया.., और फिर उस लड़की को अपने कपड़े पहन कर यहाँ से खिसकने के लिए कहा..!
लड़की अब भी असमंजस में फँसी मेरी तरफ देखने लगी.., मेने थोड़ा ठंडे स्वर में उससे कहा – सुना नही तुमने.., निकलो यहाँ से.., और खबरदार अगर बाहर जाकर किसी को कुच्छ भी कहा तो…!
वो लड़की अपने कपड़े उठाकर वहाँ से सरपट दौड़ ली…!
मेने संजू को लंड बाहर निकालने का इशारा किया.., जब उसने अपना लंड बाहर खींचना शुरू किया.., तो उसके साथ साथ राठी की गान्ड की अंदरूनी मांसपेशियाँ भी लगभग दो इंच बाहर तक खिचती चली गयी…!
उसकी गान्ड से खून बहने लगा.., जब पूरा मोटे गन्ने जैसा लंड उसकी गान्ड से बाहर आया.., तब मुझे पता लगा कि कम से कम एक फुट
तक लंड उसकी गान्ड के अंदर चला गया था…!
लंड के बाहर आते ही राठी ने राहत की साँस ली.., अब वो चीखना चिल्लाना बंद करके वहीं पलंग पर एकदम से मरे गधे जैसा पड़ा रह गया था…!
उसकी गान्ड का होल खून से लाल.. किसी गोलपोस्ट जैसा खुला हुआ लग रहा था…!
लेकिन मेने उसे राहत की साँस लेने नही दी, उसका गला पकड़कर उपर उठाया, फर्श पर खड़ा किया और सर्द लहजे में कहा – क्यों मिस्टर. विक्रम राठी.., नयी नयी कच्ची लड़कियों को चोदने का बहुत शौक है ना तुम्हें…,
अब खुद की गान्ड फटी तब पता चला ना कि दर्द होता क्या है…!
राठी मरे हुए स्वर में बोला – लेकिन मेरी गान्ड फाडी किसने..?
मे – कुदरत ने.., हां राठी.., देख कुदरत का इंसाफ़.., यहाँ मेरे अलावा और कोई दिखता है तुझे..? मे तेरे सामने था तो ज़रा सोच किसने फाडी तेरी गान्ड हरामजादे…!
दूसरों की बेहन बेटियों से खेलने का बड़ा शौक है ना तुम बाप बेटों को.., तो सुन.. जिसने तेरे बेटे को टोंटा बनाया है उसी ने आज तेरी गान्ड फाड़ दी…,
राठी चोन्कते हुए बोला – ये.. क.क..कैसे हो सकता है.., उस संजू को तो 3-3 गोलियाँ लगी थी.., खुद मेरी आँखों के सामने उसकी लाश को कूड़े में दबाया था हम लोगों ने…!
अपने पीछे मुड़कर देख मादरचोद…, वो ही संजू तुझे सज़ा देने वापस लौट आया है..,
क्याअ….कहते हुए जैसे ही राठी ने मुड़कर पीछे देखा.., मारे हैरत के उसकी आँखें फटी रह गयी.., सामने संजू अपने हाथ में एक सिमिरनॉफ्फ की काँच की बॉटल लिए खड़ा था…!
अपने सामने संजू को देखकर उसकी घिग्घी बँध गयी.., लाल लाल शोले बरसाती उसकी आँखों का वो एक पल भी सामना नही कर सका,
और डर के मारे उसने अपनी आँखों पर हाथ रख लिया…,
तभी संजू ने ढक्कन के साथ ही आधी से ज़्यादा बॉटल उसकी गान्ड में ठोक दी.., राठी के मूह से किसी हलाल होते बकरे जैसी चीख निकल पड़ी…,
संजू ने यहीं बस नही की.., उस बॉटल को उसकी गान्ड में बड़ी बेदर्दी से गोल गोल घुमाया और वाकी की बाहर निकली हुई 1/4 बॉटल को वही से तोड़ दिया…!
राठी जिब्बह होते बकरे की तरह बुरी तरह चीख रहा था.., रहम की भीख माँग रहा था अपने आप को माफ़ करने के भीख माँग रहा था लेकिन संजू के उपर उसके चीखने चिल्लाने का कोई असर नही था…,
उल्टा वो भभक्ते हुए चेहरे से मुझे देखते हुए बोला - इस हरामजादे को मार डालो वकील भैया…, ये भी हमारी बिटिया का उतना ही गुनेहगार
है जितना इसका वो हरामी बेटा.., ख़तम करदो इस गंदी नाली के कीड़े को…!
संजू के इस कृत्य को देख कर एक बार तो मुझे भी उसस्पर दया आई.., लेकिन फिर अपनी प्यारी गुड़िया पर हुए जुल्मों को याद करते ही मेने अपने दाँत कस लिए और बेल्ट में खोंसे हुए अपने शिकारी चाकू को निकाल लिया..,
एक हाथ से उसका गला दबाकर वो पूरा का पूरा चाकू मेने उसके पेट में भोंक दिया…!
राठी कुच्छ देर मेरी गिरफ़्त में किसी जल बिन मछली की तरह तडपा और फिर वहीं खड़े-खड़े मेरे हाथ की गिरफ़्त में ही शांत पड़ गया…!
मेने उसके निर्जीव शरीर को पीछे की तरफ एक धक्का दे दिया.., उसके उपर घृणा से थूक कर बिना एक पल गँवाए मे उस कमरे से बाहर निकल गया,
संजू ने एक बार राठी के निर्जीव शरीर को पैर पकड़ घुमाया और जिस तरह से धोबी कपड़े को पत्थर पर पच्छाड़ता है वैसे ही उसने उसे कमरे के फर्श पर दे मारा…,
उसके बाद उसका शरीर हवा में तैरता हुआ मेरे पीछे कमरे से बाहर आ गया……!!!
संजू हँसते हुए बोला – मज़ाक कर रहा था.., मेरा कहने का मतलब फिर आपके उपर वहाँ उंगली उठाने वाला नही होगा.., वो दोनो इस समय कहाँ मिलेंगे.., इसका पता मे आपको कुच्छ समय बाद बता सकूँगा…,
मे – लेकिन यार पता नही हमें यहाँ और कितने दिन लगें तब तक ललित का क्या करें..? उसको अपने साथ रख कर ख़तरे में तो नही डाल सकते…!
संजू – मेरे ख़याल से उसे तो आप बस में बिठाकर घर ही भेज दो.., यहाँ से सीधी बस अपने शहर के लिए मिल जाएगी.., तो उसे कोई भी बहाना करके अभी के अभी यहाँ से रवाना कर दो..,
अभी दो घंटे में भिंड से आने वाली बस जाएगी.., शायद इस होटेल पर रुक कर वो यहाँ चाइ नाश्ता भी करते हैं…,
मुझे संजू की बात सही लगी.., वो ये सब बातें बताकर वहाँ से गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गया.., मेने कमरे में आकर ललित को किसी काम का बहाना बनाकर जाने के लिए राज़ी कर लिया..!
संजू ने सही कहा था.., वो बस वहाँ रुकी और मेने ललित को उसके बॅग और संजू की अस्थियों के साथ घर के लिए रवाना कर दिया.., और ये हिदायत भी की, कि वो इन अस्थियों का जिकर अभी घर में किसी से ना करे…, मेरे लौटने तक अपने बॅग में छुपाकर ही रखे…!
मेरे बारे में बता देना कि हाइ कोर्ट में कोई काम था सो मे वहाँ चला गया हूँ, दो-चार दिन में लौट आउन्गा…!
ललित को घर के लिए रवाना करके अभी मे कमरे में वापस लौटा ही था कि पलंग पर संजू को बैठे हुए पाया…!
मे – ओह्ह्ह… तो महाराज पहले से ही विराजमान हैं.., कहिए अब क्या खबर लेकर आगये…?
संजू - राठी का पता चल गया है.., वो भेन्चोद साला हरामी.., यूपी में पुरानी सरकार में रह चुके एक मंत्री के फार्महाउस में छुपा बैठा है…,
अभी मौका है.., पूर्व मंत्री अपने गुर्गों के साथ अपनी पार्टी की मीटिंग में गया हुआ है, कल तक लौटेगा तबतक हम लोग उसका बही ख़ाता बंद कर देते हैं…!
मे – और उसका लौंडा…, वो कहाँ है…?
संजू – वो शायद अड्डे पर ही होगा, हो सकता है अभी उसका हाथ सही नही हुआ होगा.., उसकी मुझे चिंता नही है उसे तो बाद में भी देख लेंगे..,
मे – तो फिर कब निकलना है..?
संजू – आज रात को ही मौका है.., यहाँ से दिन छिप्ते ही निकल लेंगे.., कल सुबह तक ये काम ख़तम करके कल आपको रेशमा से भी मिलना है…!
मे – अरे भाई मेरे इतना टाइट शेड्यूल किसलिए.., अगर किसी तरह राठी को मारने में फैल हो गये या कोई अड़चन आगयि तो…,
संजू – कल शाम तक किसी भी तरह आपका अड्डे में होना ज़रूरी है.., एक-दो दिन में ही कोई बड़ी डील होने वाली है तो इनका बॉस भी
वहाँ मौजूद होगा.., मौका लग गया तो हम उसकी असलियत भी जान जाएँगे…!
वैसे तो अब राठी को यमलोक पहुँचाना मेरे अकेले के लिए भी कोई मुश्किल काम नही है.., लेकिन मे चाहता हूँ मरने से पहले उसे पता हो
कि उसे किसने मारा और क्यों…, ताकि मरते समय वो किसी असमंजस में ना हो…!
मे – तो अब हमारे पास कुच्छ समय भी है.., अगर तुम उचित समझो तो अपनी आगे की कहानी बताना चाहोगे..? तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारा और प्रिया का मिलन कैसा था…?
प्रिया का नाम आते ही संजू के चेहरे पर उदासी के बादल मंडरा उठे.., मे समझ सकता था कि जिसे उसने अपने दिलो जान से चाहा है, जिसके लिए उसने अपनी जिंदगी को दोबारा से दाँव पर लगा दिया..,
उससे इतना जल्दी बिछड़ना उसके दिल को कितना कष्ट पहुँचा रहा होगा..?
मेने उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे हौसला देते हुए कहा – माफ़ करना दोस्त.., मेने तुम्हारी दुखती रग पर हाथ रख दिया शायद.., कोई बात नही.. तुम अगर नही बताना चाहते हो तो कोई बात नही…!
संजू की आँखों में अपनी प्रियतमा से बिछड़ने के गम में आँसू छलक आए.., मेने इस लड़के को कभी इतना एमोशनल होते नही देखा था..,
मुझे इस बात से ये अंदाज़ा लगाना कतयि मुश्किल नही था कि वो उसे किस हद तक प्यार करता होगा…?
कुच्छ ही देर मे संजू ने अपने आपको संयत किया और मेरे हाथों को अपने हाथों में थामकर उसने अपनी आगे की कहानी सुनाना शुरू किया…!!!
संजू ने अपनी और प्रिया के मिलन के हसीन पलों को आगे सुनाते हुए कहा –
जानते हैं भैया…, वो बेचारी किस तरह से अब तक अपने आपको औरतों के गरम जवान गोस्त नोचने वाले गिद्धो से बचाए हुए है…?
जब से उसने मेरा अंत होते अपनी आँखों से देखा है.., तबसे आजतक उसने अन्न का एक नीवाला तक नही खाया है.., बार बार बेहोश हो जाती है…!
वहीदा और उसकी बहनों पर अपने भाई की मौत का इतना असर नही है जितना प्रिया को मेरी मौत पर हुआ है.., वो हरामजादिया होश में आने पर उसे तरह तरह से उसपर ज़ुल्म करती हैं, धमकाती हैं..,
उसके परिवार को ख़तम करने की धमकियाँ देती रहती हैं फिर भी वो उनकी बातों को मानने के लिए तैयार नही हुई है.., वो भी अभी उसके
उपर ज़्यादा ज़ुल्म नही कर सकती वरना वो मर जाएगी…!
ये कहते कहते संजू के गले से एक तेज हिचकी निकली.., मेने उसका कंधा थप-थपाकर कहा – हौसला रखो दोस्त.., तुम्हारी प्रिया को कुछ नही होगा..,
ईश्वर ने चाहा तो वक़्त रहते हम उसे वहाँ से निकाल लाएँगे और उसे उसके घर सुरक्षित पहुँचा देंगे…!
संजू – हां भैया.., मेरी बस यही इक्च्छा है.., अभी उसकी उमर ही क्या है.., खेलने कूदने की उमर में उस बेचारी ने कितने ज़ुल्म सहे हैं..,
उसके माँ बाप उसका दोबारा घर बसा दें उस दिन मेरी आत्मा पर से एक बड़ा भारी बोझ कम होगा…!
जानते हैं जब मेने उसे ये कहा कि अगर वो कहे तो हम अपनी सुहागरात यहाँ से निकलने के बाद ही मनाएँगे तो उसने क्या कहा था..?
उस छोटी सी उमर में वो कितना कुच्छ समझ चुकी थी.., शायद वो भाँप चुकी थी कि यहाँ से जीवित निकलना अब मुमकिन नही है.., तभी तो उसने कहा था..
नही प्राण नाथ.., हम यहाँ से निकल सके तो ये हमारी खुश किस्मती होगी.., लेकिन उपर वाले ने हमें मिलाया है तो हमे उसकी इच्छा का आदर करना होगा इतना कहकर वो किसी मासूम बच्ची की तरह मेरे अंकपाश में समाकर मेरे होठों पर उसने अपने पतले पतले लज़्जत भरे
सुर्ख होठ टिका दिए…!
मेने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया और हरी इच्छा जानकर उसके साथ पहली रात के मिलन के लिए अपने आपको तैयार करने लगा…!
मेने उसकी भारी भरकम साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया.., अपनी गोद में लेकर उसकी गेंदों को ब्लाउस के उपर से मसल्ते हुए उसके होठों का रस पीने लगा…!
केयी मौकों पर हम दोनो अधूरे रह गये थे.., लेकिन आज उस अधूरे पन को वो हर हाल में पूरा करना चाहती थी शायद.., इसलिए तो बिना किसी अनुभव के भी वो अपनी तरफ से मुझे उत्तेजित करने की भरपूर कोशिश कर रही थी…!
मेरी लूँगी को एक तरफ करके उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में कसकर मसलना शुरू कर दिया.., मेने भी उसके ब्लाउस को भी उसके कमसिन बदन से हटा दिया..,
अब उसके कच्चे अनार पहली बार नग्न मेरी आँखों के सामने थे.., एकदम कच्चे.., एकदम गोल.. जिनमें लेशमात्र भी ढीलापन नही था.., उनके
शिखरों पर लगे गहरे लाल रंग के जंगली बेर जितने उसके निपल जो अब कड़क हो गये थे…!
मेने उन्हें अपनी जीभ से चाट लिया तो वो एक मादक सिसकी लेते हुए अपनी कमर को मेरे पेट के साथ घिसने लगी.., ऐसा करने से मेरा
कड़क लंड उसकी छोटी सी गान्ड की चौड़ी दरार में फँस गया…!
मेरे हाथों ने शरारत करते हुए उसके पेटिकोट का नाडा खोल दिया और अपना हाथ अंदर करके उसकी कच्ची कली को पैंटी के उपर से ही मसल दिया..,
आअहह…. नाथ…कहते हुए वो मेरी छाती में समा गयी.., मेने उसका पेटिकोट भी नीचे सरका दिया.., और उसके गोल-मटोल चुतड़ों को
मसल्ने लगा…!
थोड़ी देर में ही हम दोनो के कपड़े पलंग के नीचे पड़े थे.., उसके बदन पर अब मात्र कुच्छ गहने ही बचे थे..,
हाथों में कुहनी तक हरी हरी चूड़ियाँ, माँग में सिंदूर, माथे पर बिंदिया.., और बदन पर मात्र कुच्छ गहनों में वो मेरे सामने पलंग पर पड़ी थी…!
मे बगल में अपनी कुहनी पर लेटा बस एकटक उसके कमसिन बदन को ही निहारे जा रहा था.., शर्मा कर उसने अपनी मखमली जांघों को
कसकर अपनी नादान सहेली को छुपाने की कोशिश करते हुए अपने मेहन्दी लगे हाथों से अपने चेहरे को ढांप लिया..,
मेने एक हाथ से उसके हाथों को चेहरे से हटाने की चेष्टा करते हुए उसके कान में फुसफुसा कर कहा – तुम बहुत सुन्दर हो प्रिय.., जी
चाहता है बस इसी तरह सारी उम्र तुम्हें बस निहारता रहूं…!
मेरी बात सुनकर उसने अपने हाथ चेहरे से हटा लिए और शर्म का दामन पकड़े हुए उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपाते हुए कहा – आप इतना प्यार करते हैं मुझे…!
इतना प्यार मत करिए.. कल को अगर बिछड़ना पड़ा तो मे जी नही पाउन्गि बिना आपके..
मेने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा – क्यों.. मुझ पर भरोसा नही है तुम्हें..?
वो तड़प कर मेरे सीने से चिपक गयी..और मेरी पीठ पर अपनी मरमरी बाहें कसते हुए बोली – अपनी किस्मत से डरती हूँ नाथ.., माँ-बाप, भाई-बेहन को एक तरह से खो दिया है मेने.., अब आपको खोना नही चाहती..!
मे उसे अपनी गोद में लेकर बैठ गया.., उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर मेने कहा – अपने जीते जी मे तुम्हें कभी अपने से अलग नही होने
दूँगा.., यही नही ये एक मर्द की ज़ुबान है तुम्हें तुम्हारे परिवार से ज़रूर मिलाउन्गा..!
अब अगर बेगम साहिबा की इजाज़त हो तो प्यार करें.., ये कहकर मेने उसके लज़्जत भरे होठों को चूम लिया.., वो भी किसी बेल की तरह मेरे बदन से लिपट गयी…!
फिर मेने उसे पलंग पर लिटाया और उपर से नीचे तक उसके कमसिन बेपर्दा बदन को चूमता चला गया.., आख़िरकार जब मेरी चटोरी जीभ
उसकी कच्ची कमसिन कली.. उसकी यौनी पर लगी तो वो बुरी तरह से सिहर उठी..,
अपने हाथों को उसके कच्चे अनारों पर रखकर उन्हें सहलाते हुए जब मेने अपनी जीभ से उसकी मुनिया को चाटा तो वो आहहें भरने लगी
और उसकी कोरी गागर छलकने पर मजबूर हो गयी…!
अपने अंगूठे से उसकी छोटी सी क्लिट को छेड़ते हुए जब मेने अपनी जीभ को उसके अधखुले सुराख को कुरेदा तो उसकी गागर छलक कर अपना रस मेरी जीभ को पिलाने पर मजबूर हो गयी..,
उसकी कोरी गागर का पानी चख कर मेरा भी लॉडा अपने फुल आकार में आगया.., अब प्रिया से बर्दास्त करना मुश्किल होता जा रहा था..,
पलंग पर वो जलबीन मछली की तरह तड़पने लगी…!
सही मौका जानकर मेने उसकी यौनी से अपना मूह हटाया.., चोंक कर उसने मेरी तरफ देखा.., मेने मुस्कराते हुए कहा – अब असली सफ़र पर चलने के लिए तैयार हो जाओ मेरी जान…!
मेरी बात सुनकर उसने अपनी गर्दन साइड को कर ली.., अपनी आँखें बंद करके वो आने वाले पलों का इंतजार करने लगी.., मेने अपने लौडे को हाथ में लेकर उससे कहा…
एक बार इसे देख तो लो प्रिया.., ये बेचारा तुम्हारी मुनिया की सेवा करने वाला है और तुमने मूह फेर लिया…!
वो अपनी आँखें बंद किए हुए ही बोली – मुझे नही देखना.., आपको जो करना है वो अब जल्दी करो प्लीज़..,
जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. कहते हुए मेने उसकी टाँगों को चौड़ा किया.., उसकी गोरी-गोरी सुडौल जांघों को अपनी जांघों के उपर चढ़ाया.., मूह से
थूक लेकर अपने लंड को चिकना किया और अपना दहकता हुआ सुपाडा उसकी मुनिया की पतली-पतली फाकों पर रख दिया…!
आज पहली बार उन दोनो का मिलन हो रहा था.., मेरे गरम लंड की गर्मी पाकर उसकी मुनिया में एक बार संकुचन हुआ.., उसका पूरा शरीर झंझणा उठा…!
मेने अब और देर करना मुनासिब नही समझा.., एक-दो बार अपने लौडे को उसकी गीली चिकनी फांकों पर फिराया.., और फिर दोनो हाथों
के अंगूठों से उसकी फांकों को अलग करके उसके छोटे से छेद पर अपना गरम सुपाडा रख कर हल्का सा दबाब डाल दिया…!
मेरा आधा सुपाडा उसकी फांकों के बीच फँस चुका था.., उतने से ही प्रिया के मूह से एक मादक कराह निकल गयी…!
लंड को उसके छेद में सेट करके मेने उसकी दोनो कच्ची गोलाईयों को हाथों में लेकर हल्के से दबाया और एक हल्का धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!
मेरा लंड कोई एक इंच अंदर जाकर रुक गया.., जो उसकी झिल्ली की पतली सी दीवार ने उसे अंदर जाने से रोक लिया मानो वो अपना नेग पाना चाहती हो..,
साथ ही प्रिया के मूह से एक हल्की सी कराह भी निकल पड़ी…, आअहह…माआ…
मेने नेग के तौर पर उसके उपर आकर उसके होठों को चूमा.., और फिर उसकी कच्चे अनार जैसी चुचियों को सहलाते हुए मेने कड़क लंड का एक तगड़ा सा धक्का उसकी कच्ची कली में दे मारा…………….!!!!!
मेने नेग के तौर पर उसके उपर आकर उसके होठों को चूमा.., और फिर उसकी कच्ची अनार जैसी चुचियों को सहलाते हुए मेने कड़क लंड
का एक तगड़ा सा धक्का उसकी कच्ची कली में दे मारा…………….!!!!!
इस धक्के ने प्रिया को बिलबिलाने पर मजबूर कर दिया.., अपने दर्द को पीने के लिए उसने सख्ती से अपने होठों को कस लिया, अपनी चीख
निकालने से तो रोक ली लेकिन अपने आँसुओं को वो नही रोक पाई…!
उसकी कच्ची सहेली की झिल्ली को तोड़ता हुआ मेरा साढ़े सात इंच लंबा लंड आधा तक उसकी संकरी गली में जा चुका था.., मेने रुक कर
उसके चेहरे की तरफ देखा जहाँ पीड़ा के असंख्य भाव मौजूद थे..,
झुक कर मेने उसकी आँखों से निकले खारे पानी को उसके सुर्ख गालों पर से जीभ लगाकर चाट लिया और उसकी बंद पलकों को चूमते हुए कहा – बहुत दर्द है जान…?
उसने अपनी पलकें खोलकर मुझे एक नज़र देखा और बस अपनी गर्दन ना में हिला दी.., उसकी इस समर्पण की भावना को देखकर मुझे
उस पर बेहद प्यार आया और में उसके होठों को चूमने चूसने लगा…!
प्रिया का अब ध्यान अपने दर्द से हट चुका था और वो भी मुझे चुंबन का जबाब चुंबनो से ही देने लगी.., मौका ताडकर मेने एक और झटका
अपनी कमर में लगा दिया.. और अपना 3/4 तक लंड उसकी कोरी गागर के अंदर सरका दिया…!
इस बार होठ खुले होने की वजह से प्रिया के मूह से एक दर्द भरी चीख निकल ही गयी.. आअहह…म्माआ… मारीी…, लेकिन जल्दी ही उसने अपनी कराह को अपने होठों में जप्त कर लिया…!
कुच्छ देर रुक कर मेने अपने लंड को थोड़ा बाहर किया.., अंदर से उसकी मुनिया कुच्छ खाली सी हुई तो उसने एक लंबी सी साँस बाहर
छोड़ी.., जिसे वो दर्द के कारण रोके हुए थी…!
लेकिन जल्दी ही मेने उतना ही लंड फिर उसकी ताज़ा सील टूटी मुनिया में पेल दिया.., वो आअहह.. करके रह गयी.., इस तरह से मे बड़े
प्यार से आहिस्ता आहिस्ता से अपने 3/4 लंड को ही उसकी कोरी गागर के अंदर बाहर करता रहा…!
कुच्छ ही धक्कों में उसकी गागर छलकने लगी और अब मेरा लंड थोड़ा आसानी से अंदर बाहर होने लगा.., साथ ही प्रिया भी अब दर्द को भूलकर मादक सिसकियाँ भरने लगी…!
ये देखकर मेने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी.., अब प्रिया भी नीचे से अपनी कमर को हिलाने लगी थी.., उसकी मुनिया में गीलापन और ज़्यादा बढ़ने लगा था.., तभी मेने एक और ज़ोर का झटका धीरे से लगा दिया और मेरे दोनो आँड प्रिया की गोल-गोल गान्ड पर
जा टिके…!
लेकिन इस बार प्रिया सिर्फ़ एक लंबी सी आहह भरकर रह गयी.., और जल्दी ही मेरे साथ कदम ताल मिलाते हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लूटने लगी…!
अंततः हम दोनो के अथक प्रयास से हम दोनो ही एक साथ अपने अपने चरम सुख तक पहुँच गये…!!!!
उस रात ना मे सोया और ना मेने प्रिया को ही सोने दिया.., चुदाई तो हमने बस एक बार और की.., लेकिन सारी रात बस एक दूसरे की बाहों में लिपटे एक दूसरे को निहारते रहे.., आपस में प्यार मुहब्बत की बातें करते रहे…!
अपने सुहागरात का किस्सा सुनाते सुनाते संजू के चेहरे पर एक सुकून सा दिखाई दे रहा था मानो उसने अभी अभी वो हसीन पल जीए हों.., मे भी उसके उन्न पलों में अपने निशा के साथ बिताई वो पहली रात में पहुँच चुका था…!
ये पल इंसान के जीवन में होते ही कुच्छ स्पेशल हैं जिन्हें वो यादगार के तौर पर हमेशा याद रखता है.., शायद आप लोगों ने भी उन सुनहरे पलों को सॅंजो कर रखा होगा ना….???????
जब वो कुच्छ देर और नही बोला और अपने उन्हीं हसीन पलों में खोया रहा तो मेने उसके कंधे पर हाथ रखा.., उसने चोंक कर मेरी तरफ
देखा तो मेने उसे अपने सीने से लगाकर उसकी पीठ थप-थपाकर उसे उसकी सुहागरात की मुबारकबाद देते हुए कहा…
मुबारक हो मेरे दोस्त.., बस अफ़सोस इस बात का रहा कि हम तुम्हारी शादी में शामिल ना हो सके..,
वो मेरे से अलग होते हुए बोला – कैसी शादी भैया.., मेने तो उस बेचारी लड़की का जीवन ही खराब कर दिया.., क्या दिया मेने उसे..?
मेने उसे हौसला देते हुए कहा – क्या नही दिया तुमने उसे..? उसके अंधेरो से घिरे जीवन को उजाले की एक किरण दी.., रही बात उसके आने वाले जीवन की, तो हम उसे वहाँ से सही सलामत निकाल कर ही दम लेंगे…!
ईश्वर की कृपा रही तो वो फिरसे अपने परिवार के साथ रह सकेगी.., वो उसकी दूसरी शादी कर देंगे.., धीरे धीरे वो अपने अतीत को भूलकर फिरसे जीवन के सुख भोगने लगेगी….!
भगवान करे आपकी सब बातें सच साबित हों.., ये कहकर संजू मेरे कंधे पर सिर रख कर अपने आगे की कहानी सुनाने लगा…!
हफ्ते दस दिन हमारे जीवन के सबसे सुनहरे दिन रहे.., किसी ने हमें नही छेड़ा लेकिन 10वे दिन युसुफ मेरे पास आया और मुझे अपने साथ काम पर ले गया…!
उस दिन के बाद से रोज़ सुबह हम बाहर निकल जाते और शाम तक घर लौट आते.., मुझे इस बात का शुकून था कि कम से कम हम दोनो रात तो साथ में गुज़ार रहे थे…!
इस बीच मेने इस ऑर्गनाइज़ेशन के बारे में सब कुच्छ जान लिया.., इस दौरान मेने हर उस संभवना पर भी सोच विचार किया जिससे मे और
प्रिया दोनो सुरक्षित इस पाप की दुनिया से कहीं दूर निकल कर शुकून का जीवन जी सकें लेकिन मे अपनी सारी कोशिशों में असफल रहा…!
मेरी दिलेरी और क्रूरता का युसुफ ही नही वहाँ काम करने वाले ज़्यादातर लोग कायल थे.., यही दो बातें इस घिनौने धंधे को सफल बनाती हैं…!
एक दो बार मेने शेर सिंग के चमचो को भी पेल दिया था.., जब उसने उनका पक्ष लेना चाहा तो मेने उसको भी धमका दिया.., मौके पर
मौजूद युसुफ और एक दो और ओहदेदारों ने बीच बचाव करा दिया वरना मे उस साले को भी पेलने वाला था…!
मे – बहुत ख़तरनाक खेल खेलते रहे हो तुम.., अगर तुम्हें ऐसे ही काम करने का शौक था तो मेरी डीटेक्टिव एजेन्सी कोई बुरी नही थी.., उसमें काम करते हुए भी तुम्हारे ये शौक पूरे हो सकते थे…!
संजू दुखी होते हुआ बोला – सॉरी भैया.., मेरी मति मारी गयी थी..आज मुझे इस बात का बहुत अफ़सोस हो रहा है कि क्यों मेने आपकी बात नही मानी…!
मेने उसका कंधा थप-थपाते हुए कहा – होनी को शायद यही मजूर था मेरे भाई.., खैर अब तुम मुझे आगे के प्लान के बारे में बताओ.., शाम होने को है…
संजू ने मुझे राठी के छुपे होने की जो जगह बताई, वो यहाँ से करीब 150-160किमी की दूरी पर थी.., हमने दिन छिपे वहाँ के लिए निकलने का फ़ैसला लिया…!
करीब शाम 7 बजे हम अपनी गाड़ी लेकर वहाँ के लिए निकल लिए.., करीब दो-ढाई घंटे का सफ़र तय करके हम उस फार्महाउस के पास थे…!
अंधेरी रात थी.., गाड़ी हमने फार्म हाउस से थोड़ी पहले ही रास्ते से हटकर घने से पेड़ों के बीच छुपा दी और वहाँ से पैदल ही वहाँ पहुँचे…!
मुझे बिना किसी की नज़र में आए अंदर पहुँचना था.., इस समय वहाँ कोई ज़्यादा सुरक्षा व्यवस्था तो नही होनी चाहिए थी.., फिर भी दो-चार लोग तो होना आम बात थी…!
संजू के लिए कोई मॅटर नही था.., वो धड़-धडाते हुए बाउंड्री के उपर से उड़ता हुआ अंदर चला गया.., मुझसे ये कहकर कि आप यहीं रूको
में अभी अंदर का जायज़ा लेकर आता हूँ..!
संजू को अंदर गये हुए काफ़ी देर हो चुकी थी.., लेकिन वो नही आया तो फिर मेने भी अंदर जाने का फ़ैसला लिया और पीछे से बाउंड्री फांदकर मे भी फार्महाउस के अंदर चला गया…!
अंदर पूरी तरह शांति थी.., फार्महाउस के काफ़ी हिस्से में बिल्डिंग बनी हुई थी.., पीछे की साइड में एक स्विम्मिंग पूल भी बना हुआ था..,
जिसके आस-पास का गीलापन बता रहा था कि कुच्छ देर पहले ही यहाँ कम से कम दो लोग ज़रूर स्विम्मिंग करके गये हैं…!
मे भी उन्ही गीले निशानों का पीछा करते हुए बॅक डोर से अंदर चला गया जो सिर्फ़ धूलका हुआ ही था.., एक छोटी सी गॅलरी से होते हुए वो निशान एक कमरे के दरवाजे तक चले गये थे..!
मे भी उस दरवाजे तक जा पहुँचा, हल्के से हाथ का दबाब डाला तो वो अंदर से बंद पाया.., तभी मुझे अंदर से एक औरत के खिल खिलाने की आवाज़ सुनाई दी…!
मे समझ गया कि राठी यहाँ भी किसी औरत के साथ मस्ती कर रहा है.., लेकिन अब सवाल था कि अंदर पहुँचा कैसे जाए.., तभी मेरी नज़र एक खिड़की पर पड़ी..,
ये काँच की स्लाइडिंग विंडो थी.., लेकिन अंदर से उसपर परदा पड़ा हुआ था.., मेने उसके ग्लास को स्लाइड करके देखा तो वो एक तरफ को सरक गया..,
मेरा काम बन गया.., थोड़ा सा ग्लास स्लाइड करके अंदर के पर्दे को जैसे ही साइड में करके मेने अंदर झाँका.., एक अजीबो ग़रीब तरह का नज़ारा देखकर मेरा मूह खुला का खुला रह गया…!
कमरे के बीचो-बीच पड़े एक विशाल पलंग पर एक कम उम्र लड़की *** जिसके अभी नीबू के साइज़ की चुचियाँ ही हो पाई थी.., मधयम
कलर की दुबली पतली सी…राठी जैसे 50 साल के अधेड़ की गोद में किसी छोटी बच्ची सी बैठी थी…!
दोनो के शरीर पर कपड़े के नाम पर एक रेशा तक नही था…, शायद ये उस लड़की का पहला ही मौका हो किसी लंड को लेने का…!
राठी उसके नीबू साइज़ के टिकॉलों से खेल रहा था.., कभी उनको सहला देता तो कभी ज़ोर से मसल देता तो लड़की के मूह से एक दर्द भरी आअहह.. निकल जाती…!
मेरे लिए ये कोई ज्यदा आश्चर्य की बात नही थी.., सबसे ज़्यादा हैरानी तो मुझे इस बात की हुई कि उसी पलंग पर राठी के ठीक बगल में ही संजू महाराज विराजमान थे..,
और बड़े मज़े ले लेकर उस पापी राठी के इस अनाचार को देख ही नही रहे थे बल्कि पूरे मज़े ले रहे थे…!
अभी मेरी हैरानी दूर भी नही हुई थी तभी संजू ने उस लड़की की छोटी सी गान्ड के संकरे से सुराख में अपनी मोटी उंगली घुसेड दी…,
वो लड़की चिहुनक कर उपर को उछल्ते हुए बोली – क्या अंकल गान्ड में उंगली क्यों करते हो…?
उस लड़की की बात सुनकर राठी उसके नीबू पर चाँटा मारते हुए बोला – क्या साली मज़ाक करती है.., मेरे तो दोनो हाथ तेरे इन टिकॉलों पर
हैं फिर मे कैसे तेरी गान्ड में उंगली कर सकता हूँ…?
लड़की ने उसके हाथों पर अपने हाथ रखकर पीछे मुड़कर देखते हुए कहा – तो फिर मेरी गान्ड में उंगली किसने की…?
राठी उसके टिकॉलों से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी हल्के हल्के रोंगटे वाली मुनिया पर ले गया और अपनी एक उंगली के पोर से
उसकी छोटी सी क्लिट को सहलाने लगा…,
वो कच्ची कली मस्ती में आहें भरते हुए अपनी गान्ड को उसके अधखड़े लंड पर रगड़ने लगी…!
कुच्छ देर में ही राठी के लंड का धैर्य जबाब देने लगा और उसने लड़की को पलंग पर लिटा दिया, खुद उसके उपर आकर उसकी अध्चुदि
चूत में अपना 6” का लंड डालने की तैयारी करने लगा…!
उसने उसकी फांकों को चौड़ा कर अपने सुपाडे को उसमें फिट कर दिया.., तभी संजू ने अपना मोटा तगड़ा लंड अपने कपड़ों से बाहर
निकाला , खुद राठी की गान्ड के उपर आकर उसे अपने हाथ से मुठियाने लगा…!
उसकी मनसा जानकार मेरे कान खड़े हो गये.., ओ..तेरी कीईईईईई… भेन्चोद संजू कहीं उपर से राठी की गान्ड ठोकने के इरादे में तो नही है…?
अगर ऐसा हुआ तो बेचारी लड़की का क्या हाल होगा.., झटके से ही राठी का लंड उसकी चूत की गहराइिओं में होगा…,
हे भगवान भेन्चोद कर क्या रहा है ये संजू.., अब इसे कैसे रोकू…?
मेने फटाफट खिड़की को साइड में किया.., अपने निकलने लायक जगह बनाई.., और बे-आवाज़ कमरे में कूद गया…!
इससे पहले कि संजू अपना लंड राठी की गान्ड में पेलता.., मेने एक ही जंप में पलंग के पास पहुँचकर लड़की के कंधे पकड़ कर राठी के
नीचे से थोड़ा सा उपर को खींच लिया…,
ठीक उसी समय संजू ने बड़ी बेदर्दी से अपना लंड पूरा का पूरा राठी की गान्ड में ठोक दिया.., वो एक लंबी सी चीख मारता हुआ लड़की के
उपर पलंग पर पसर गया…!
उसकी गान्ड चरमरा उठी थी.., राठी का लंड लड़की की जांघों के बीच से होकर गद्दे से टकराकर वापस मूड गया…!
लड़की किन्कर्तव्य-विमुड सी कभी चीख चिल्ला रहे राठी को जो औंधे मूह उसके पेट में मूह दिए पड़ा था उसे देखती तो कभी मेरी तरफ देखने लगती…,
उसकी अभी तक ये समझ में नही आ रहा था कि आख़िर राठी चीख क्यों रहा है.., जबकि मे तो उसके सिर की तरफ था.., उसे संजू तो दिखाई दे ही नही रहा था…!
संजू ने राठी के उपर से उसकी गान्ड में खूँटा सा ठोक कर इस तरह से दबा रखा था कि वो अपना सिर भी उठाकर पीछे की तरफ नही देख पा रहा था…,
उसकी गान्ड में संजू ज़बरदस्ती से लंड को पेले ही जा रहा था.., जो कि उसकी गान्ड में जाकर अप्रत्यसित रूप से और ज़्यादा मोटा किसी मोटी प्रजाति के गन्ने जैसा लग रहा था…!
वो अपने लंड को जितना उसकी गान्ड में पेलता जा रहा था.., उतना ही बचा हुआ बाहर दिखाई देता जा रहा था…,
संजू की इस प्रेत शक्ति को देख कर मे हैरान था.., वहीं राठी के लगातार चीखे जाने से वो लड़की भी हैरान परेशान थी कि आख़िर ये इतना चीख क्यों रहा है…?
आख़िर में उस लड़की ने उसके मूह को अपने पेट से उपर उठाकर पुछा.., अंकल आप इतना चीख क्यों रहे हैं..?
राठी चीखते हुए बोला – अरे मेरी गान्ड फाड़ रहा है ये... कॉन है मेरे उपर..?
आपके उपर…? कोई भी तो नही.. ये आप क्या बहकी बहकी बातें कर रहे हो..? वो लड़की हैरानी के साथ बोली.., ये बाबू तो इतनी दूर खड़े हैं…!
जब उस लड़की ने ये बात मेरी तरफ इशारा करके कही.., तब राठी को होश आया कि मे उसकी आँखों के सामने ही खड़ा हूँ…!
वो एकदम से चोन्कते हुए बोला – अरे वकील तू…? यहाँ कैसे पहुँचा..?
अभी उसके मूह से इतना ही निकला था कि संजू ने दो इंच लंड और उसकी गान्ड में पेल दिया.., उसकी
गान्ड फिरसे चर-मरा उठी.., और वो बुरी तरह से चीखते हुए मुझसे मुखातिब होकर बोला…
प्लीज़ वकील साब मेरी गान्ड फाड़ रहा है कोई.., बचाओ मुझे.. इस मुसीबत से..!
मेने आगे बढ़कर राठी के बाल पकड़ कर उसे उस लड़की के उपर से अधर किया.., और फिर उस लड़की को अपने कपड़े पहन कर यहाँ से खिसकने के लिए कहा..!
लड़की अब भी असमंजस में फँसी मेरी तरफ देखने लगी.., मेने थोड़ा ठंडे स्वर में उससे कहा – सुना नही तुमने.., निकलो यहाँ से.., और खबरदार अगर बाहर जाकर किसी को कुच्छ भी कहा तो…!
वो लड़की अपने कपड़े उठाकर वहाँ से सरपट दौड़ ली…!
मेने संजू को लंड बाहर निकालने का इशारा किया.., जब उसने अपना लंड बाहर खींचना शुरू किया.., तो उसके साथ साथ राठी की गान्ड की अंदरूनी मांसपेशियाँ भी लगभग दो इंच बाहर तक खिचती चली गयी…!
उसकी गान्ड से खून बहने लगा.., जब पूरा मोटे गन्ने जैसा लंड उसकी गान्ड से बाहर आया.., तब मुझे पता लगा कि कम से कम एक फुट
तक लंड उसकी गान्ड के अंदर चला गया था…!
लंड के बाहर आते ही राठी ने राहत की साँस ली.., अब वो चीखना चिल्लाना बंद करके वहीं पलंग पर एकदम से मरे गधे जैसा पड़ा रह गया था…!
उसकी गान्ड का होल खून से लाल.. किसी गोलपोस्ट जैसा खुला हुआ लग रहा था…!
लेकिन मेने उसे राहत की साँस लेने नही दी, उसका गला पकड़कर उपर उठाया, फर्श पर खड़ा किया और सर्द लहजे में कहा – क्यों मिस्टर. विक्रम राठी.., नयी नयी कच्ची लड़कियों को चोदने का बहुत शौक है ना तुम्हें…,
अब खुद की गान्ड फटी तब पता चला ना कि दर्द होता क्या है…!
राठी मरे हुए स्वर में बोला – लेकिन मेरी गान्ड फाडी किसने..?
मे – कुदरत ने.., हां राठी.., देख कुदरत का इंसाफ़.., यहाँ मेरे अलावा और कोई दिखता है तुझे..? मे तेरे सामने था तो ज़रा सोच किसने फाडी तेरी गान्ड हरामजादे…!
दूसरों की बेहन बेटियों से खेलने का बड़ा शौक है ना तुम बाप बेटों को.., तो सुन.. जिसने तेरे बेटे को टोंटा बनाया है उसी ने आज तेरी गान्ड फाड़ दी…,
राठी चोन्कते हुए बोला – ये.. क.क..कैसे हो सकता है.., उस संजू को तो 3-3 गोलियाँ लगी थी.., खुद मेरी आँखों के सामने उसकी लाश को कूड़े में दबाया था हम लोगों ने…!
अपने पीछे मुड़कर देख मादरचोद…, वो ही संजू तुझे सज़ा देने वापस लौट आया है..,
क्याअ….कहते हुए जैसे ही राठी ने मुड़कर पीछे देखा.., मारे हैरत के उसकी आँखें फटी रह गयी.., सामने संजू अपने हाथ में एक सिमिरनॉफ्फ की काँच की बॉटल लिए खड़ा था…!
अपने सामने संजू को देखकर उसकी घिग्घी बँध गयी.., लाल लाल शोले बरसाती उसकी आँखों का वो एक पल भी सामना नही कर सका,
और डर के मारे उसने अपनी आँखों पर हाथ रख लिया…,
तभी संजू ने ढक्कन के साथ ही आधी से ज़्यादा बॉटल उसकी गान्ड में ठोक दी.., राठी के मूह से किसी हलाल होते बकरे जैसी चीख निकल पड़ी…,
संजू ने यहीं बस नही की.., उस बॉटल को उसकी गान्ड में बड़ी बेदर्दी से गोल गोल घुमाया और वाकी की बाहर निकली हुई 1/4 बॉटल को वही से तोड़ दिया…!
राठी जिब्बह होते बकरे की तरह बुरी तरह चीख रहा था.., रहम की भीख माँग रहा था अपने आप को माफ़ करने के भीख माँग रहा था लेकिन संजू के उपर उसके चीखने चिल्लाने का कोई असर नही था…,
उल्टा वो भभक्ते हुए चेहरे से मुझे देखते हुए बोला - इस हरामजादे को मार डालो वकील भैया…, ये भी हमारी बिटिया का उतना ही गुनेहगार
है जितना इसका वो हरामी बेटा.., ख़तम करदो इस गंदी नाली के कीड़े को…!
संजू के इस कृत्य को देख कर एक बार तो मुझे भी उसस्पर दया आई.., लेकिन फिर अपनी प्यारी गुड़िया पर हुए जुल्मों को याद करते ही मेने अपने दाँत कस लिए और बेल्ट में खोंसे हुए अपने शिकारी चाकू को निकाल लिया..,
एक हाथ से उसका गला दबाकर वो पूरा का पूरा चाकू मेने उसके पेट में भोंक दिया…!
राठी कुच्छ देर मेरी गिरफ़्त में किसी जल बिन मछली की तरह तडपा और फिर वहीं खड़े-खड़े मेरे हाथ की गिरफ़्त में ही शांत पड़ गया…!
मेने उसके निर्जीव शरीर को पीछे की तरफ एक धक्का दे दिया.., उसके उपर घृणा से थूक कर बिना एक पल गँवाए मे उस कमरे से बाहर निकल गया,
संजू ने एक बार राठी के निर्जीव शरीर को पैर पकड़ घुमाया और जिस तरह से धोबी कपड़े को पत्थर पर पच्छाड़ता है वैसे ही उसने उसे कमरे के फर्श पर दे मारा…,
उसके बाद उसका शरीर हवा में तैरता हुआ मेरे पीछे कमरे से बाहर आ गया……!!!