Update 05
अपने होशियारी और मेहनत से मुझे 12th मैं अच्छे मार्क्स आये और मुझे टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज मैं एडमिशन मिल गयी. तब जमाना अलग था - न मोबाइल, न फ़ोन्स न सोशल मीडिया, इंजीनियरिंग मैं भी बहुत कम लड़कियां एडमिशन लेती थी - केवल ५ - १० % लड़किया होती, इसलिए पुरे कॉलेज के लड़के इन्ही लड़कियों पर आँख जमाये बैठते ,
विवेक ने मुझे चोदकर लड़की से औरत बना दिया था और मेरा रूप रंग और ज्यादा खिल गया था . मैं जैसे पहले दिन कॉलेज गयी, सब लड़के मुझे भूकी वासना भरी नज़रों से देखने लगे. ऐसे ही इंजीनियरिंग कॉलेज मैं रैगिंग बहुत होती हैं और सुन्दर लड़की की सब से ज्यादा - हर कोई इंट्रोडक्शन करना चाहता था . सीनियर लड़कियां कम थी पर बड़ी कमीनी थी - रैगिंग लेने मैं पीछे नहीं थी . मैं खुश थी मुझे इतना अच्छा कॉलेज मिला. घर से यहाँ आते वक्त विवेक ने कहा था , संध्या सिर्फ पढाई नहीं करना , मस्ती भी करना , कॉलेज के यह पल बहुत हसीन होते हैं, जिंदगी मैं दुबारा नहीं आएंगे .
कॉलेज ज्वाइन करके ८-१० दिन हो गए थे, अब रोज रैगिंग और इंट्रो से लगभग सभी सीनियर्स लड़कों को जान गयी थी, एक दिन कॉलेज के सीढ़ियों पर कुछ कमीनी सीनियर्स लड़कियों ने मुझे रोक लिया . ऐ संध्या इधर आ ..मैं उनके पास चली गयी और विश किया - गुड मॉर्निंग to आल madams , यही रैगिंग मैं फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को बताया गया था. रैगिंग कुछ इस तरह हुई ..
सीनियर: तेरा कोई बॉयफ्रेंड है
मैं: नहीं मैडम
सीनियर: क्यों नहीं हैं ? सेक्स की इच्छा नहीं होती?
मैं: होती हैं
सीनियर: फिर क्या कराती हो? चुत से खेलती हो? ...
वगैरे वगैरे.. फिर
सीनियर: जा यह गुलाब का फूल ले और वहा प्लेग्राउंड मैं जो लड़के खेल रहे हैं , उनमे से किसी एक लड़का जो भीतुजे पसंद हो उसको प्रोपोज़ कर, हम देख रहे हैं, भाग न जाना. यह रैगिंग मैं कॉमन था.. बहुत सारे लड़कियों के सात हुआ था , बहुत सारे फर्स्ट ईयर के लड़के भी मुझे प्रोपोज़ कर चुके थे , मैं इस खेल को जानती थी
मुझे पता था यह कमीनी लड़किया छोड़ेंगी नहीं .. ऐसे भी वह मेरी सुंदरता से जलती थी , उन्हें देखना था की कॉलेज की सबसे सुन्दर लड़की किसको प्रोपोज़ करती हैं, सब सीनियर लड़के भी आ गए और गौर से देखने लगे, .
प्लेग्राउण्ड की बैठने की सीढ़ियां थी.. वहा बहुत सरे सीनियर लड़के बैठे थे .. सब मेरी तरफ देख रहे थे , मेरे हाथ मैं गुलाब का फूल देख कर समझ गए की मैं वहा क्यों आ रही थी.
मैं चलते जा रही थी और सोच रही थी किसको फूल दिया जाये, मैंने तय कर लिया की जिस लड़के को देखकर मेरी चुत गिल्ली हो जाये उसी को प्रोपोज़ करुँगी और अब इस खेल मैं उतरना ही हैं फिर से तो पूरी शिद्दत के साथ मैदान मैं उतरूंगी .
वह कही सीनियर लड़के सिर्फ वेस्ट और शॉर्ट्स मैं थे, खेल की प्रैक्टिस कर रहे थे, कुछ बहुत हट्टे काटते बॉडीबिल्डर , खिलाडी , और सेक्सी थे . कुछ बेशरम ओर बिंदास कमीने सीनियर लड़के मुझे देखकर अपनी शॉर्ट्स पर से अपने लण्ड को सहला भी रहे थे .. ओर मुझे गन्दी नज़रों से देखकर नंगा कर रहे थे . तभी मेरी आँखें उन आँखों से भीड़ गयी जो मुझे चिर के रख दी .. क्या नशीली खूबसूरत ऑंखें थी .. काला - सावला रंग था, घुंगराले बाल, मोटे ओंठ , ६ फ़ीट ऊँचा, अच्छी बॉडी और मसल्स , और हेयरी बॉडी . मैं ने उसका नाम सुना था ओर इंट्रो से जानती थी - हरीशकुमार रेड्डी - आंध्र प्रदेश से विजयवाड़ा से था, किसान जमींदार घराने से , 3rd ईयर का टोपर , और खेल मैं भी रनिंग मैं स्टेट चम्पिओन था मैं बिना नजरें झुकाये , उसकी आँखों मैं आंख मिला के उसके एकदम पास गयी और उसको फूल देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया . सभी लड़के हक्का बक्का रहा गए - उन्हें लगा मैं किसी गोरे चिट्टे को प्रोपोज़ करुँगी . हरीश भी मुझे मुस्करा कर देख रहा था . रैगिंग के रूल के हिसाब से प्रोपोज़ मैंने ही करना था . मैंने हरीश से कहा - सर आप मुझे पहुत पसंद हैं, यह गुलाब का फूल आपको देती हूँ और क्या आप मेरे बॉय फ्रेंड बनेंगे ? कुछ सीनियर लड़के हंस दिए ..उन्हें मजा आ रहा था, एक दो ने सिट्टी तक बजा डाली . अब वहा कमीनी सीनियर लड़किया भी मजा देखने आ गयी थी और आजु बाजु सीनियर लड़को की भीड़ जमा हो गयी थी. मुझे भी मजा आ रहा था , पर यह भी सच था की हरीश के लिए मेरे मन मैं हवस पैदा हो गयी थी और उसको देखकर चुत गिल्ली हो रही थी. हरीश कोई बहुत सुन्दर या मॉडल नहीं था , बस एक आम मर्द की तरह आर्डिनरी दिखता था - पर बहुत स्मार्ट था ओर मुझे उसके लिए एक अलग ही आकर्षण उसके लिए फील हो रहा था .. अब सोचती हूँ तो थोड़ा - साउथ फिल्म सुपरस्टर एक्टर , बाहुबली फेम प्रभास की तरह दिखता था .
हरीश के कमीने सीनियर दोस्त और लड़कियों को मौका ही चाहिए था ओर उन्होंने मुझे कई सवाल किये , जैसे - यह क्यों पसंद हैं? इसमें तुझे क्या दिखा ? इसको किस करेगी ? जब तक हरीश मेरे उत्तर से संतुष्ट नहीं होता तब तक वह मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं करेगा ओर ना ही गुलाब का फूल लेगा . मैंने भी बिना डरे बड़ी बेशर्मी से सब के जवाब दिए ओर हरीश का गुणगान करती रही . .
इतने देर तक हरीश चुप था और बड़ी कमीनी हवस भरी नजर से मुस्करा कर देखकर मुझे नंगा कर रहा था .. मैं समझ गयी थी की लोहा गरम हैं ओर हरीश पूरा मेरी जाल मैं फस गया हैं ओर वह मना नहीं करेगा. पर उसके मर्दानगी का ईगो / अभिमान अब आसमान छू रहा था , कॉलेज की सबसे सुन्दर लड़की ने उसे प्रोपोज़ किया था ओर वह भी पूरी कॉलेज के सामने - भले सब जानते थे की यह रैगिंग चल रही हैं . कहते हैं की औरत का 6th सेंस होता हैं और मुझे पता चल गया था की हरीश ही वो मर्द हैं जिसके सात मेरी केमिस्ट्री बहुत रंग लाएगी . अब हरीश बोला, यार रुका, प्रोपोज़ मुझे किया हैं , सवाल भी अब मैं ही करूँगा . मुझे पहले लगा हरीश थोड़ा शर्मीला होगा, पर यह बिंदास लगा ..उसकी मर्दानगी जोश मैं थी . वह मेरे बहुत करीब आया .. मुझे उसके शरीर की महक आ रही थी ओर मेरी चुत फिर से गिल्ली होने लगी . हरीश ने कमीने अंदाज से पूछा - मेरे लिए क्या क्या करोगी ? सीधा सवाल था पर बहुत कुछ था उसमे .. मैंने कहा - सर आप के लिए सब करुँगी - जो भी आपको पसंद हैं हरीश ने मुस्कुरा कर कहा - मुझे सेक्स पसंद है - उसकी इस बात से मैं शर्मा गयी - तभी दूसरा सीनियर बोला - हाय जान- क्या शर्माती है .. कसम से लोडा खड़ा हो गया . इंजीनियरिंग कॉलेज के लड़के ऐसे ही बिंदास होते हैं और बड़े कमीने भी, मैंने हरीश से कहा - सर आपको कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी . सब सीनियर्स मेरे जवाब से खुश हुए ओर सिट्टी बजाने लगे . हरीश अब और भी बोल्ड और कॉंफिडेंट हो गया . हरीश - एक किस देगी ? अब सारा माहौल सन्नाटे मैं बदल गया .. सब देखने लगे की मैं क्या रिस्पांस देती हूँ . मुझे पता था क्या करना - भले ही मजाक चल रहा था पर इस समय हरीश के मर्दानगी ईगो को संतुष्ट करना जरुरी था, मुझे कुछ बड़ा कदम लेना था . मैं हरीश के एकदम करीब गयी, नजरें मिला कर , हरीश ने मेरे हाथ से गुलाब का फूल ले लिया था, मैं ने हलके से उसके गाल पर पप्पी दे दी और वहा से भाग गयी और हॉस्टल रूम मैं चली गयी .. पप्पी देने के बाद वहा बहुत शोर मचा और सिट्टिया बजायी गयी .. हरीश को उसके दोस्तों ने चैंपियन की तरह उसे कंधे पर उठा लिया और नाचने लगे थे . दोस्तों यह २७ साल पहले की बात हैं , और ज़माने के हिसाब से मैं बहुत बोल्ड ओर बेधड़क काम कर के आयी थी .
दूसरे दिन कॉलेज में कैंटीन जा रही थी, साब लड़के मुझे मुस्कुरा कर नंगी नजरों से देख रहे थे .. कुछ सनीयर्स कह रहे थे .. क्या हॉट माल हैं यार .. मेरे किस की घटना पुरे कॉलेज मैं आग की तरह फ़ैल गयी थी ..जो सीनियर्स कभी कॉलेज भी नहीं आते वह भी आज मुझे देखने आ गए - कोण हैंयह खूबसूरत संध्या .. तभी पीछे से आवाज आयी - मैंने देखा हरीश मेरी तरफ आ रहा था , मैं रुक गयी, हरीश ने कहा चलो चाय पीते हैं.. मैं उसके सात कैंटीन चली गयी, वहा पर हम बातें करते रहे - एक दूसरे के बारे में जानकारी लेते रहे . हरीश ने कहा - संध्या तुम बहुत सुन्दर हो, मुझे लगा नहीं था की तुम मुझे प्रोपोज़ करोगी ओर पप्पी भी लोगी. रैगिंग मैं मजाक ही सही पर मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ . मैंने शर्मा कर कहा - हरीश तुम सच मैं मुझे अच्छे लगे , इसलिए तेरी पप्पी ली. तुम अब दोस्त से बढ़कर हो मेरे लिए अब हरीश मुझे प्यार से देख रहा था - उसकी नजर फिर से मुझे नंगा महसूस करा रही थी . मेरी चुत फड़फड़ा रही थी . ऐसे बॉडी रिएक्शन सिर्फ कुछ मर्दों के संग रहने से ही होता हैं . हरीश ने कहा मुझे असली किस चाहिए जान , गाल पर किस करने से अब कुछ नहीं होगा . मैंने कहा - हरीश तुम लड़के हो, पहल भी तुम ही करोगे , मैंने तुम्हे किसी चीज से मना नहीं किया .मुझे बोल्ड ओर कॉंफिडेंट बिंदास लड़के पसंद हैं . हरीश खुश हो गया .. बोला शाम को मेरी प्लेग्राउंड मैं रनिंग की प्रैक्टिस होती हैं वही आ जाओ - ७ बजे . मैं खुश हो गयी ओर क्लॉसेस अटेंड करने चली गयी. हरीश रोज ५-७ बजे प्लेग्राउंड मैं रनिंग की प्रैक्टिस करता था . जब मैं ७ बजे तैयार होकर पहुंची तब सूरज ढल चूका था, अँधेरा होने को था, ओर ग्राउंड पर भीड़ भी बहुत कम हो गयी थी. मैंने देखा हरीश रनिंग कर रहा था ओर उसने मुझे देख लिया था ओर दौड़कर मेरे पास आ रहा था, सिवाय १-२ लड़कों के के , प्ले ग्राउंड पूरा खली ओर सुनसान था
हरीश मेरे पास आया - वह सिर्फ वेस्ट (बनियान ) ओर एक बहुत छोटी शॉर्ट्स मैं था , ओर पसीने से लथपथ था ..उसकी टाइट बनियान ओर छोटी सी शॉर्ट्स पसीने से पूरी गिल्ली हो गयी थी औरउसकी बॉडी को चिपक गईथी ..जिसे उसके छाती ओर गांड का उभार, ओर लुंड का उभार भी स्पष्ट दिखाई दे रहा था . उसने मुझे आकर कसकर अपनी बाँहों मैं पकड़ लिया . मैंने एक टॉप ओर स्कर्ट पहना था .. उसके पसीने से मेरा टॉप गीला हो गया ओर मेरी ब्रा दिखने लगी थी . हरीश ने ऐसे ही मुझे ५ मिनट पकड़ के रखा - तुम तो बहुत सुन्दर लग रही हो मेरी जान , तुम्हे खाने का मन कर रहा .. मैंने कहा तो फिर खा लो ना, किसने मन किया .. पसीने की वजह सी उसके शरीर से महक आ रही थी जो मुझे पागल कर रही थी .
हरीश की हाइट अच्छी थी, उसके गीले शॉर्ट्स से अब मुझे उसका गरम मोटा लण्ड अपनी पेट पर रगड़ता हुआ महसूस हुआ , मेरी चुत फिर से गिल्ली हो गयी . वहा खड़े खड़े हरीश की गरम साँसे मेरे लिप्स पर आ गयी ओर उसने मुझे चूमना चालू किया .. उसने मुरे ओंठ चूसना चालू किया ओर अब मैं भी उसके ओंठ चूसने लगी ओर मेरा एक हाथ उसके शॉर्ट्स पर उसके लण्ड पर रख दिया .. मुझे महसूस हुआ की हरीश का लण्ड भी विवेक जैसे ही होगा - मोटापा ओर साइज मैं . तभी हरीश का आधा लण्ड शॉर्ट्स के लेग - साइड से आधा बहार निकल गया ओर मैं उसे सहलाने लगी .. अब हरीश का एक हाथ मेरे टी शर्ट से अंदर मेरे बूब्स से खेल रहा था ओर दूसरा हाथ मेरे स्कर्ट को उठाकर मेरी पैंटी पर था. हरीश बोला - वाह राणी तेरी पैंटी तो पूरी गिल्ली हैं .. क्या हो गया . मैंने भी उसके लण्ड को हलके से दबाया ओर बोला - इस हरीश का जादू हैं . वह खुश हो गया .. तभी कुछ खेलते लड़कों की आवाज आयी .. मैंने कहा हरीश - यहाँ नहीं, कही ओर चलते हैं.
हरीश ने कहा ठीक हैं संध्या , चलो वहा गार्डन मैं घूमते हैं , प्लेग्राउंड के पास एक अच्छा गार्डन था , वहा कुछ झाड़ियां भी थी . हरीश मेरा हाथ लेकर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर चल रहे थे .. बीच मैं ही हरीश मेरा हाथ खींचकर अपने लण्ड पर रगड़ देता .. मैंने कहा - हरीश तुम बहुत नोट्टी ओर गंदे हो .. वह हंसकर बोला - जानेमन अभी तो तूने देखा नहीं मैं कितना गन्दा हूँ, ओर उसने रुक कर अपनी शॉर्ट्स नीचे घुटने पर कर दी ओर मेरा हाथ अपने नंगे लण्ड पर रख दिया . गार्डन मैं कोई नहीं था . विवेक का लुंड बहुत तनाव में था ओर फड़फड़ा रहा था ओर बहुत गरम लग रहा था. में भी बेशरम होकर उसके लण्ड को सहलाने लगी ओर हरीश से कहा - गंदे तुम हो , यह नहीं .. यह तो बहुत प्यारा हैं ओर मैं फिर से उसके टट्टे दबा दिए..वह आह करके ख़ुशी से करहा उठा. हरीश ने कहा वाह जानेमन, तू बड़ी कमीनी हैं, मुझे ज्यादा प्यार मेरे लण्ड से .. मैंने भी हां कर दो ओर हंस दी, जिसपर हरीश बहुत खुश हुआ ओर उसके कला मोटा लण्ड नाग की तरह फनफनाने लगा . मेरी चुत फिर से गिल्ली होने लगी थी . तभी मेरा स्कर्ट ऊपर करके, हरीश ने मेरी पैंटी मैं अपना हाथ डाल दिया ओर मेरी चुत को प्यार से सहलाने लगा .. मैं मेरी चुत के बाल शेव करती थी ओर एकदम चिकनी थी.. हरीश बोला - वाह संध्या तेरी चुत एकदम चिकनी हैं, ओर तैयार हैं , क्या मेरा लण्ड इसमें डाल दू ? मैंने हरीश को रोका - नहीं हरीश ऐसे यहाँ नहीं, मैं तुमसे प्यार करती हूँ, हमारा पहला सेक्स अच्छा होना चाहिए , अकेले मैं, बिस्तर मैं, बंद कमरे में , सुहाग रात की तरह.
हरीश ख़ुशी से पगला गया , उसने कहा तुम सही कह रही हो .. पर इसका क्या करे.. हरीश ने अपने खड़े लण्ड को मेरे हाथ पर दबा दिया . मैंने कहा मैं भी इसको प्यार से सहला दूंगी , जैसे तुम अभी मेरी चुत को प्यार कर रहे हो ओर सहला रहे हो . हम बगीचे में एक बेंच पर बैठ गए , हरीश ने अपनी शॉर्ट्स घुटने के निचे अपने पैर की तरफ खिसका दी ओर बेंच पर नंगा होकर बैठ गया .. फिर उसने मुझे खड़ा कर के मेरी पैंटी भी निकाल ली , मैं अब सिर्फ स्कर्ट मैं थी , अंदर से नंगी . मैं हरीश का लण्ड अपने दोनों हाथों से हिलाने लगी ओर मेरे दिमाग में हरीश के लण्ड ओर विवेक के लण्ड से तुलना करने लगी . विवेक के बाद हरीश मेरी लाइफ का दूसरा मर्द था ओर मेरे लिए यह मेरा दूसरा लण्ड था .दोनों मैं बहुत फरक था - हरीश सिर्फ २१ साल का था ओर विवेक अब ४२ के थे. हरीश का लण्ड विवेक जैसे ८ इंच का था , पर उसका टोपा भी काला था जब की विवेक के काले लण्ड का टोपा गुलाबी था . हरीश के लण्ड से precum नहीं निकला था अब तक , ओर उसकी foreskin भी विवेक के लुंड के हिसाब से बहुत ज्यादा थी . हरीश के टट्टे भी एकदम मस्त थे - काले ओर बालों वाले . हरीश का लुंड भी काले बालों से भरा था ओर उसकी झाटों की अलग ही सुंदरता थी, जब की विवेक का लुंड शेव की वजह से झांटें नहीं रखता ओर चिकना था ओर सुन्दर भी.. ..मैं एक हाथ से हरीश का लण्ड सहलाने लगी ओर दूसरे हात से उसके टट्टे के साथ खेलने लगी . हरीश जवान था - २१ साल का , इसलिए उसके लण्ड में अजीब जवानी की कसक थी . हरीश की बड़ी बड़ी उँगलियाँ मेरी चुत से खेल रही थी ओर हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे . तभी हरीश ने मेरी ब्रा नीचे सरका दी ओर मेरा टॉप ऊपर कर के , मेरे बूब्स आजाद कर दिए . हरीश बोला - जानेमन तुम्हारे मम्मे कितने बड़े हैं ओर खूबसरा हैं, मैं आम की तरह इसको चूसूंगा ओर वह अपना मुँह लगा कर जोर जोर से मेरी निप्पल्स चूसने लगा .. उसकी दूसरी हाथों की ऊँगली मेरे चुत के दाने से खेल रही थी ओर उसको मरोड़ रही थी . हरीश जवान था , सेक्स की धुन में जंगली हो गया ओर जोर जोर से मेरे बूब्स को मसल कर मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, उसने दूसरे हाथ की ऊँगली मेरे चुत के अंदर डाल दी थी , हरीश की हाथों का पंजा बहुत बड़ा था , उसकी उंगलिया बहुत लम्बी ओर मोटी थी , किसी लुंड के आकार से कम नहीं थी .. उसकी ऊँगली मेरी चुत मैं एक लण्ड का काम कर रही थी . हरीश मेरे निप्पल्स जोर जोर से चूस रहा था ओर मेरी चुत गरम कर रहा था जिसके कारन मेरी प्यासी चुत पानी बहा रही था . मैं जोर जोर से आहे भरने लगी .. ओर हरीश का सर मेरे बूब्स पर जोर से दबा दिया .. मैं झड़ने के करीब थी -- तभी हरीश ने मेरी निप्पल को जोर से काट लिया .. मैं उह माँ .. मर गयी ..कर के जोर से कापने लगी ओर मेरी चुत झड़ने लगी ओर पाणी की गंगा बहाने लगी .. हरीश बहुत खुश हुआ .. जल्दी से मेरे पैर की तरफ बैठ गया .. मेरी जंघा फैला कर मेरी चुत चाटने लगा .. चाट चाट कर मेरी चुत का सारा पानी पी गया ओर फिर खड़ा हो कर उसके लुंड मेरे लिप्स पर लगा दिया .. संध्या अब तू मेरा लुंड चूस ले ..अब रहा नहीं जा रहा ..
मैंने भी हरीश की गांड पर अपने दोनों हात रख दिए ओर उसे पास खींच लिया ओर उसके लुंड के टोपे को मुँह मैं लेकर लोल्लिपोप की तरह चूसने लगी . हरीश के लण्ड की महक मुझे पागल कर रही थी . दोस्तों मैंने महसूस किया की हर मर्द का लण्ड अलग होता हैं, उसकी अपनी महक होती ओर खुश्बू ओर उसकी स्वाद भी . विवेक अंकल ओर हरीश दोनों के लण्ड का साइज ओर आकर एक जैसे था, काले , पर विवेक के लुंड का टोपा लाल था ओर हरीश के लुंड का टोपा कला , इसलिए दोनों का स्वाद भी अलग था . हरीश के लण्ड पर बहुत चमड़ी थी , मुझे बहुत अच्छी लगी, मैं प्यार से सिर्फ उसके टोपे की चमड़ी को चूसने लगी, चबाने लगी , बड़ी सॉफ्ट चमड़ी थी ..मेरी नाक बार बार हरीश की झाटों मैं जा रही थी .. वहा हरीश की मर्दानी महक आ रही थी . मुज़से रहा नहीं गया .. मैंने .. १-२ मिनट उसके झाटों पर अपनी नाक रागादि ओर उसकी महक का आनंद लिया ओर फिर उसके झांटे की आसपास की जगह चाटने लगी . मर्दानी स्वाद..आहे.. मुझे पागल कर रही थी ..
हरीश मेरे ऐसे चूसने से तिलमिला गया यह संध्या मेरे निकलने वाला हैं.. लण्ड को छोड दो बहार निकाल दूंगा .. बोल के तड़फ उठा .. बाद मैं हरीश ने बताया की उसे लगा की मैं उसके लण्ड का पाणी मुँह मैं नहीं लुंगी. उसने दोस्तों से सुन रखा था की लड़किया लण्ड मुँह मैं नहीं लेती ओर पाणी भी .. वाचक यहाँ ध्यान मैं रखे की वह जमाना २७ साल पहले का था ओर सेक्स के बारे मैं अभी भी कन्सेर्वटिवे सोच थी ओर खुलापन नहीं था .
मैंने हरीश की गांड अपने दोनों हाथों से ओर भी ज्यादा कस कर पकड़ ली ओर जोर जोर से उसके लण्ड को चूसने लगी .. फिर मैंने विवेक ने सिखाया हुआ तरीका अपनाया ओर धीरे धीरे हरीश का पूरा लण्ड मेरे मुँह मैं ले लिया .. हरीश का लण्ड भी अब मेरे गले तक फस गया . हरीश को यह अपेक्षित नहीं था .. वो हक्काबक्का रहा गया ओर .. उत्तेजित हो कर जोर से आहे भरने लगा ओर उसकी पिचकारी का पाणी मेरे मुँह मे धार छोड़ने लगा .. हरीश का लण्ड झटके पर झटके देकर मेरे मुँह मैं पाणी डाल रहा था .. हरीश ने काम से काम १५-२० झटके दिए होंगे . मैंने महसूस किया की हरीश का वीर्य बहुत गाढ़ा ओर चिप चिपा था ओर ज्यादा था - विवेक के वीर्य की तुलना मैं .विवेक का लण्ड ८ - १० झटके देकर पाणी छोड़ता था जब की हरीश के लण्ड के करीब २० झटके हो गए थे. उस दिन मुझे जवान मर्द ओर एक परिपक़्व (matured मर्द की वीर्य (पानी) मैं फरक का अंदाजा आया . ऊपर से हरीश एक खिलाडी - स्पोर्टमैन भी था ओर वही ताकत उसके लण्ड मैं भी थी . दोनों मर्द अपनी जगह सही ओर औरत को ख़ुशी देते हैं , दोनोका स्वाद अलग ओर अच्छा होता हैं.
झड़ने के बाद हरीश ने मुझे उठा कर जोर से कस कर छाती से लिपट लिया .. मुझे पागलों की तरह किस करने लगा .. संध्या मैं बहुत लकी हूँ .. तुम बहुत सुन्दर ओर हसीन ओर सेक्सी हो .. आई लव यू ..
मैंने भी उसको आई लव यू बोल दिया .. रात काफी हो गयी थी .. ९ बजे हॉस्टल पहुंचना था - समय का रेस्ट्रिक्शन था , हम जल्दी कपडे ठीक कर के ..हॉस्टल की तरफ चलने लगे .. हरीश ने मेरा हाथ उसके हाथ में कस कर पकड़ा था ओर उसने मुझे गर्ल्स हॉस्टल तक पहुंचा दिया .. वह गेट के बहार फिर से मुझे देर तक किस किया ओर मेरी चुत पर हाथ रख कर ..गुड नाईट कह ओर हरिश बोला - तुम रोज ७ बजे प्लेग्राउंड आ जाना .. मैं तुझे रोज प्यार करना चाहता हूँ .. मैंने भी प्रॉमिस कर दिया ओर हरीश के लण्ड को प्यार से दबा दिया .. हरीश का लण्ड फिर से खड़ा होकर मुझे सलामी से रहा था .. मैं हसकर हॉस्टल के अंदर रूम मैं चली आयी ..
दोस्तों .. हरीश का ओर मेरा साथ कब तह रहा ? उसके बाद मेरा कोई बॉय फ्रेंड बना ? मेरी शादी किस के साथ हुई? क्या शादी के बाद भी मैं गैर मर्दों से मिलती रही .. यह सब मैं आपको जरूर बताउंगी ..
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मेरी ओर हरीश का लव अफेयर चालू हो गया था ओर पूरी कॉलेज को पता चल गया था . मैं रोज हरीश से मिलने प्लेग्राउंड जाती, फिर हम बगीचे मैं प्यार करते ओर वह रोज मुझे हॉस्टल तक चलके छोड जाता. मुझे अब हरीश की पसीने से गीली बॉडी ओर उसकी महक की एडिक्शन हो गयी थी . पर हमें सेक्स करने के लिए सही जगह नहीं मिल रही थी, ना उस समय आज के जैसे कपल फ्रेंडली होटल्स थे ओर बहार सुनसान जगह बहुत रिस्की होता था, मवाली लड़के घूमते फिरते थे .. हम दोनों रोज बातें करते की कैसे अकेले मैं हमें कुछ मिल पल मिल जाये ओर हम दोनों का मिलन सही मायने से हो जाये. मैं भी हरीश से चुदने के लिए बेताब थी , ओर हरीश का नाग भी मेरी बिल मैं विष घोलने को बेताब था.
मेरे क्लास मैं अब सब लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गयी थी . सब मुझे हरीश के नाम से चिढ़ाते ओर मजाक करते थे .राजवीर पंजाब के भटिंडा से सरदार परिवार से था .. वह भी एक हॉकी प्लेयर था , बहुत मजाकिया ओर हसमुख स्वाभाव का था . हत्ता कट्टा सरदार , गोरा चिटा ओर बालों वाला बदन , ओर ऊपर पगड़ी ओर हलकी दाढ़ी , बहुत मरदाना लगता था . हमेशा मुझे हरीश के नाम से छेड़ता था . कोई भी बात बेझिझक बोल देता बिना कुछ सोचे समजे ओर उसकी यही बात मुझे पसंद थी . ऐसे मर्द सच्चे होते हैं - मन मैं कुछ नहीं रखते . सब के सामने क्लास मैं बिंदास हमेशा मुज़से कहता था - क्या यार तेरे जलवे सिर्फ हरीश के लिए , मुझे भी एक किस दे दे , मैं हंस कर - जा पगले - कह कर टाल देती..एक दिन क्लास मैं सबके सामने बोला - क्या यार हरीश के सात इतना टाइम स्पेंड करती हो . कुछ टाइम मेरे लिए भी निकाल दे , मैंने भी पूछा - तुझे टाइम दिया तो क्या करेगा , बिंदास हो कर राजवीर बोला - सब कुछ दूंगा, तुझे खुश कर दूंगा .मैंने भी उसे हंसकर - चुप हरामी गाली दी ओर चली गयी वो मेरा अच्छा दोस्त बन गया था , पर उसकी शरारत कभी नहीं रुकती. मुझे अब कॉलेज के लड़को की फ़्लर्ट की आदत पद गयी थी. सिर्फ राजवीर ही नहीं , कई दोस्त मुज़से मजाक मैं ऐसे फ़्लर्ट करते थे . सब से ज्यादा फ़्लर्ट 3rd ओर 4th (फाइनल) ईयर के लड़के करते , उनके कॉलेज के आखरी साल बचे रहने से वो लड़की को पटाने के लिए डेस्पेरेट हो जाते है
तभी सितम्बर महीना आया ओर भगवन ने जैसे मेरी सुन ली . कॉलेज के स्पोर्ट्स इवेंट्स चल रहे थे , ओर हरीश को इंटरकॉलेज स्पोर्ट कम्पटीशन के लिए करीब के सिटी मैं २ दिन के लिए जाना था . कॉलेज उसको होटल ओर खाने पीने का अलाउंस दे रही थी .हरीश ने जिद की की मैं भी उसके सात जाऊ ओर दोनों एक कमरे मैं एक होटल मैं रहेंगे. पर मेरे पास हॉस्टल वार्डन को २ दिन बहार जाने के लिए कोई बहाना नहीं था. हमें कोई मार्ग नहीं मिल रहा था . अब हरीश को जाने के लिए सिर्फ २ दिन रह गए थे ओर मेरे पास कोई पालन नहीं था. पर भगवन ने मेरी सुन ली ओर उस रात पता चला की वार्डन साहिबा दूसरे दिन गांव जाने वाली हैं, उनकी माँ की तबियत अचानक ख़राब हो गयी ओर वो हॉस्पिटल मैं दूसरे शहर मैं एडमिट हैं. हम खुश हो गए , मैंने मेरी रूम पार्टनर अनीता को पहले से पटा लिया था , वह सब से क्लास मैं कहेगी की मेरी तबियत ठीक नहीं हैं, मैं आराम कर रही हूँ . ओर हॉस्टल के peon को हरीश ने पैसे देकर पटा लिआ ओर उसने एडवांस मैं ही रजिस्टर पर मेरी अटेंडेंस लगा दी . दूसरे दिन मैंने बैग मैं सिर्फ ब्रश ओर जरुरी सामान रखा, एक एक्स्ट्रा कपडा,ओर एक दो स्पेशल कपडे (जो मैं आपको बाद मैं बताउंगी ) ओर कॉलेज के बहाने चुप चाप मैं गेट से बहार चली गयी . कुछ दुरी पर हरीश अपनी बाइक पर मेरा वेट कर रहा था . रास्ता सिर्फ ४ घंटे का था , इसलिए हम दोनों ने बाइक से जाने का प्लान बना लिया. हरीश के पास रॉयल एनफील्ड की बुलेट थी , उस ज़माने मैं बहुत कम लोग अफ़्फोर्ड कर सकते थे . मैं हरीश के पीछे चिपक कर बैठ गयी ओर हरीश ने गाड़ी मुख्य रोड पर ले ली
हरीश ने टी शर्ट ओर जीन्स पहना था ओर मैंने भी टी शर्ट ओर जीन्स ही पहनी थी .. अब मैं हरीश के सात शरारत करने लगी .. रोड खाली था , ओर हरीश के हात हैंडल पर बिजी थे पर मेरे हात खाली थे , मैंने हरीश को कस कर पीछे से पकड़ लिआ ओर मेरे बूब्स उसके पीठ पर रगड़ दिए ,, वह सिसक गया - बोला - जानेमन मस्ती मत कर, मुझे रोड पर ध्यान देने दे .. मैंने कहा .. फिर दो ना ध्यान .. मैंने कब मना किआ ओर मैंने मेरे हात उसके टी शर्ट को ऊपर कर के अंदर डाल दिए ओर उसके चेस्ट के बालों से खेलने लगी ..वह बोला रुक जा तू - तेरे से इंटरेस्ट के सात सब वसूल करूँगा, बंद कमरे मैं . मैंने कहा - कर लेना सब वसूल - ओर मैंने जोर से उसके दोनों निप्पल्स अपने ऊँगली से दबा दिए . वह जोर से.. आह .. कमीनी . मार डालेगी क्या .. मैंने कहा - नहीं जानू - ऐसे कैसे तुझे मरने दूंगी .. ओर फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किआ ओर जीभ फिरा कर उसको प्यार से चाटने लगी .. उसके कान भी धीरे से चबाये .. उसको सब अच्छा लग रहा था पर .. जानबूझ कर नखरे कर रहा था .. मैंने अब अपने हाथ उसके पेट पर फेरना चालू किआ ओर उसकी नाभि से खेलती रही .. ओर धीरे से हाथ उसके जीन्स के ऊपर उसके लण्ड पर रख दिया .. उस्का लण्ड बहुत टाइट ओर खड़ा हो कर फनफना रहा था ..टाइट जीन्स की वजह से मैं उसके जीन्स के अंदर हाथ नहीं डाल पा रही थी .. मैंने धीरे से उसकी जीन्स की ज़िप खोल दी ओर अपना हाथ अंदर डाल दिया .. उसके खड़े लण्ड की वजा से उसकी निकर बहुत टाइट थी - मुझे उस पोजीशन में उस्का लण्ड बहार निकालना मुश्किल हो रहा था . मैं वैसे हे उसके लण्ड को बहार से सहला ओर दबा रही थी. इस बीच कुछ कार ओर ट्रक वाले भी हमें क्रॉस कर के आगे गए .. बड़ी सावधानी बरतनी पड़ी .. हरीश बोला - मन कर रहा है तुझे यही रास्ते में उतार कर बीच सड़क पर नंगा कर के चोद दू .. मैंने प्यार से उसे कस कर पकड़ लिया ओर उसकी गर्दन को चूमकर बोली - में मना नहीं करुँगी तुझे मेरी जान .
हम एक ढाबे पर खाना खाने रुक गए .. वहा पर कुछ खटिया भी पड़ी थी .. वहा सीमेंट की टंकी पर वाटर पंप चल रहा था .. हम वहा हात पाँव धोने - गए .. वहा कुछ सरदारजी ट्रक वाले नहा भी रहे थे .. पानी बहुत ठंडा था .. फ्रेश हो गयी ..हरीश वहा बाथरूम मैं सुसु - पेशाब करने चला गया . तभी सामने मुझे एक हट्टा कट्टा मोटा सरदार नहाते नजर आया ओर वो अपनी बॉडी पर साबुन लगा था , मुझे अकेली देखकर वह कमीने अंदाज मैं मुस्कराया ओर उसने अपनी गीली निकर निचे खिसका दी ओर अपने लण्ड को साबुन लगाने लगा. वह अच्छा गोरा चिट्टा था ओर उसके सारे बदन पर काले काले बाल थे .. उस्का लण्ड देखकर मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी .. इतना बड़ा लण्ड मैंने कभी देखा नहीं था .. मैं शर्मा कर वहा से भाग आयी. हमने दोनों ने खाना खाया ओर फिर से बुलेट पर चल दिए .. अब सिर्फ एक घंटे का सफर बाकी था .
में फिर से बाइक पर बैठ गयी .पर अब मेरी चुत नंगे सरदार को देखकर बहुत गिल्ली हो गयी थी . मुझे बार बार सरदारजी का नंगा बदन ओर उस्का भयंकर लण्ड दिखाई देता .. ओर राजवीर का भी चेहरा आँखों मैं आता .. क्या राजवीर का भी लण्ड ऐसे ही होगा ? मेरे दिमाग मैं अब राजवीर को लेकर गंदे ख्याल आने लगे थे - मेरे दिमाग मैं राजवीर की नंगी तस्वीर बनना शुरू हुई .
मैंने उसी उत्तेजना मैं फिर से हरीश के जीन्स की ज़िप खोल दी .. ओर मेरा हाथ में सीधा उस्का नंगा तना हुआ लण्ड आ गया . मैं सकपका गयी ..अरे यह क्या .. हरीश जोर जोर से हसने लगा . अब खेलो राणी ..जितना जी चाहे खेल मेरे लण्ड से .. कमीनी तुझे अब ऐसे चोदूंगा रूम ले जाकर , तू भी यद् रखेंगी .. हरीश ने ढाबे के बाथरूम मैं पेशाब करते वक्त अपनी निकर निकाल दी थी ताकि मुझे आसानी हो. मैं भी यही चाहती थी . मेरे दिल की बात हरीश तक अपनेआप पहुँच जाती थी . मैं अपने दोनों हातों से हरीश के लण्ड से खेलने लगी .. उस्का इतना बड़ा लण्ड किसी को भी रास्ते पर चलने वाले को दिख सकता था ... पर नसीब से रोड पूरा खाली था सिवाय कुछ कार ओर ट्रक के .. ओर आजु बाजु खेत थे ओर रास्ते के दोनों बाजु बड़े बड़े पेड़ थे. मैंने हरीश के टोपे को पकड़ लिआ ओर प्यार से मसाज करने लगी ओर दूसरे हात से उसके टट्टे दबाने ओर खेलने लगी .. हरीश बहुत उत्तेजित हो गया था .. ऐसे रोड पर पब्लिक प्लेस मैं हमने कभी नहीं किया था . हरीश का लुंड अब जोर जोर से फुफकार रहा था . ओर मैं जान गयी की किसी भी वक्त वो अपना पाणी निकाल देगा .
तभी अचानक हरीश ने बाइक स्लो की.. ओर रास्ते के बाजु एक बड़े पेड़ की पास रुका दी..मैं कुछ बोलू उससे पहल वह बोला जल्दी उतरो जानू .. ओर खुद भी बाइक से उतर गया ओर बाइक वहा स्टैंड पर लगा दी .. वह खींच कर मुझे बड़े पेड़ के पीछे ले गया .. जल्दी नीचे बैठो संध्या .. ओर उसने मेरे मुँह मैं अपना लण्ड दे दिया . मुझे मालूम था हरीश अपने चरम सीमा पर हैं ओर कभी भी पानी निकाल देगा .. पर रास्ते पर रिस्की था इसलिए मैं जल्दी से जल्दी उसका पाणी निकालना चाहती थी . मैंने धीरे से उसका पूरा लण्ड मुँह मैं ले लिया ओर आगे पीछे करने लगी .. मुझे मालूम था की पूरा लण्ड मुँह मैं जायेगा तो हरीश जल्दी अपना पानी निकाल देगा . हरीश अब होश खो बैठा था ..उस्का लण्ड फुफकार मार रहा था .. मैंने भी जोर से उस्का पूरा लण्ड चूसना शुरू किया ओर उस्का पूरा ८ इंच का नाग अपने गले मैं फसा लिया .. हरीश बोला - ले कमीनी . पी ले मेरा रास. बन जा मेरी बच्चों की माँ .. ओर उसके बाद उसके लण्ड ने एक के बाद एक ऐसे अनेक झटके दिए ओर उसके वीर्य का फवारा मेरे मुँह मैं उमड़ आया . मुझे उसके वीर्य का स्वाद पसंद था . हरीश को मुझे उसका पाणी पिलाना बहुत पसंद था ..मैं भी उसके लण्ड से पूरा एक एक बूँद चूस चूस कर पी गयी . अब हरीश शांत हो गया, उसने मुझे खड़ा किया ओर बहुत देर तक मुझे किस करता रहा .. मुझे वहा सुनसान सड़क पर डर लग रहा था .. मैंने कहा हरीश यहाँ बहुत रिस्की हैं.. जल्दी यहाँ से चलो .
हम बहुत जल्दी होटल पहुँच गये . हरीश अक्सर इस होटल मैं स्पोर्ट्स कम्पटीशन की दौरान रुकता था . होटल मैनेजर से पहचान हो गयी थी ओर हरीश ने उससे पहल ही बात कर रखी थी . इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं हुई. कम्पटीशन दूसरे दिन थी .चुकी हरीश स्टेट लेवल चैंपियन था उसको डायरेक्ट फाइनल इवेंट्स मैं एंट्री थी ..क्वालीफाइंग राउंड्स उसको नहीं देने थे . हमारे पास अब पूरा दिन ओर रात थी, हरीश ने रूम मैं आते ही मुझे कस कर पकड़ लिया .. ओर मेरे टी शर्ट निकाल कर फेक दी ..ओर मेरे मम्मे चूसने लगा .. उस ने मेरा एक एक कपडा निकाल कर फेक दिया ओर खुद भी नंगा हो कर बिस्तर पर लेट गया .. हरीश बोला - जानेमन अब दो दिन ऐसे ही रूम मैं फुल टाइम नंगा रहेंगे .. कभी कपडे नहीं पहनेगे. मैंने कहा ठीक हैं..जैसे तेरी मर्जी .. उसने मुझे जोर से अपने ओर खींच लिया..आओ जानू .. आज मेरा सपना पूरा होगा..तुम्हारा ओर मेरा मिलन होगा ..मैंने उसको धीरे से सर पर चूमा .. कहा ..बस जानू मुझे १५ मिनट दो .. तुम तब तक बहार से मेडिकल की दुकान से यह गोलिया (गर्भा निरोधक - जो मुझे विवेक खिलाता था ) ले कर आओ ओर कुछ जूस ओर खाने का सामान भी, हरीश ने कहा अब रुका नहीं जाता, उसने कंडोम लाया था .. मैंने कहा बस सिर्फ १५ मिनट .. ओर मुझे उसका वीर्य मेरे बच्चेदनी मैं चाहिए .. हामरे बीच रबर का कंडोम नहीं रहेगा ... जाओ जल्दी से. हरीश थोड़ा नाराज हो गया पर बिना कंडोम के चोदने की ख्याल से खुश हो गया .
हरीश के जाने के बाद मैंने अपनी बैग से स्पेशल सामान निकाला. १५ मिनट के बाद हरीश आया ओर दरवाजे पर रिंग की .. मैंने शरमाते हुए दरवाजा खोल दिया .. हरीश मुझे देखता ही रहा गया .. wow .. क्या बात हैं - बस इतना ही कहा पाया ओर रूम के अंदर आकर दरवाजा लगा दिया. हरीश ने मुझे प्यार से अपनी बाँहों मैं जकड लिया ओर बोला - मेरी जानेमन ऐसा सरप्राइज मैंने कभी सोचा भी नहीं था .. आई लव यू
दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ... मेरा स्पेशल सामान क्या था ? हरीश ने मुझे देख कर wow क्यों कहा , हमारी फर्स्ट सेक्स कैसे रही .. सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर रेटिंग्स भी जरूर दे ..
आपकी संध्या
विवेक ने मुझे चोदकर लड़की से औरत बना दिया था और मेरा रूप रंग और ज्यादा खिल गया था . मैं जैसे पहले दिन कॉलेज गयी, सब लड़के मुझे भूकी वासना भरी नज़रों से देखने लगे. ऐसे ही इंजीनियरिंग कॉलेज मैं रैगिंग बहुत होती हैं और सुन्दर लड़की की सब से ज्यादा - हर कोई इंट्रोडक्शन करना चाहता था . सीनियर लड़कियां कम थी पर बड़ी कमीनी थी - रैगिंग लेने मैं पीछे नहीं थी . मैं खुश थी मुझे इतना अच्छा कॉलेज मिला. घर से यहाँ आते वक्त विवेक ने कहा था , संध्या सिर्फ पढाई नहीं करना , मस्ती भी करना , कॉलेज के यह पल बहुत हसीन होते हैं, जिंदगी मैं दुबारा नहीं आएंगे .
कॉलेज ज्वाइन करके ८-१० दिन हो गए थे, अब रोज रैगिंग और इंट्रो से लगभग सभी सीनियर्स लड़कों को जान गयी थी, एक दिन कॉलेज के सीढ़ियों पर कुछ कमीनी सीनियर्स लड़कियों ने मुझे रोक लिया . ऐ संध्या इधर आ ..मैं उनके पास चली गयी और विश किया - गुड मॉर्निंग to आल madams , यही रैगिंग मैं फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को बताया गया था. रैगिंग कुछ इस तरह हुई ..
सीनियर: तेरा कोई बॉयफ्रेंड है
मैं: नहीं मैडम
सीनियर: क्यों नहीं हैं ? सेक्स की इच्छा नहीं होती?
मैं: होती हैं
सीनियर: फिर क्या कराती हो? चुत से खेलती हो? ...
वगैरे वगैरे.. फिर
सीनियर: जा यह गुलाब का फूल ले और वहा प्लेग्राउंड मैं जो लड़के खेल रहे हैं , उनमे से किसी एक लड़का जो भीतुजे पसंद हो उसको प्रोपोज़ कर, हम देख रहे हैं, भाग न जाना. यह रैगिंग मैं कॉमन था.. बहुत सारे लड़कियों के सात हुआ था , बहुत सारे फर्स्ट ईयर के लड़के भी मुझे प्रोपोज़ कर चुके थे , मैं इस खेल को जानती थी
मुझे पता था यह कमीनी लड़किया छोड़ेंगी नहीं .. ऐसे भी वह मेरी सुंदरता से जलती थी , उन्हें देखना था की कॉलेज की सबसे सुन्दर लड़की किसको प्रोपोज़ करती हैं, सब सीनियर लड़के भी आ गए और गौर से देखने लगे, .
प्लेग्राउण्ड की बैठने की सीढ़ियां थी.. वहा बहुत सरे सीनियर लड़के बैठे थे .. सब मेरी तरफ देख रहे थे , मेरे हाथ मैं गुलाब का फूल देख कर समझ गए की मैं वहा क्यों आ रही थी.
मैं चलते जा रही थी और सोच रही थी किसको फूल दिया जाये, मैंने तय कर लिया की जिस लड़के को देखकर मेरी चुत गिल्ली हो जाये उसी को प्रोपोज़ करुँगी और अब इस खेल मैं उतरना ही हैं फिर से तो पूरी शिद्दत के साथ मैदान मैं उतरूंगी .
वह कही सीनियर लड़के सिर्फ वेस्ट और शॉर्ट्स मैं थे, खेल की प्रैक्टिस कर रहे थे, कुछ बहुत हट्टे काटते बॉडीबिल्डर , खिलाडी , और सेक्सी थे . कुछ बेशरम ओर बिंदास कमीने सीनियर लड़के मुझे देखकर अपनी शॉर्ट्स पर से अपने लण्ड को सहला भी रहे थे .. ओर मुझे गन्दी नज़रों से देखकर नंगा कर रहे थे . तभी मेरी आँखें उन आँखों से भीड़ गयी जो मुझे चिर के रख दी .. क्या नशीली खूबसूरत ऑंखें थी .. काला - सावला रंग था, घुंगराले बाल, मोटे ओंठ , ६ फ़ीट ऊँचा, अच्छी बॉडी और मसल्स , और हेयरी बॉडी . मैं ने उसका नाम सुना था ओर इंट्रो से जानती थी - हरीशकुमार रेड्डी - आंध्र प्रदेश से विजयवाड़ा से था, किसान जमींदार घराने से , 3rd ईयर का टोपर , और खेल मैं भी रनिंग मैं स्टेट चम्पिओन था मैं बिना नजरें झुकाये , उसकी आँखों मैं आंख मिला के उसके एकदम पास गयी और उसको फूल देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया . सभी लड़के हक्का बक्का रहा गए - उन्हें लगा मैं किसी गोरे चिट्टे को प्रोपोज़ करुँगी . हरीश भी मुझे मुस्करा कर देख रहा था . रैगिंग के रूल के हिसाब से प्रोपोज़ मैंने ही करना था . मैंने हरीश से कहा - सर आप मुझे पहुत पसंद हैं, यह गुलाब का फूल आपको देती हूँ और क्या आप मेरे बॉय फ्रेंड बनेंगे ? कुछ सीनियर लड़के हंस दिए ..उन्हें मजा आ रहा था, एक दो ने सिट्टी तक बजा डाली . अब वहा कमीनी सीनियर लड़किया भी मजा देखने आ गयी थी और आजु बाजु सीनियर लड़को की भीड़ जमा हो गयी थी. मुझे भी मजा आ रहा था , पर यह भी सच था की हरीश के लिए मेरे मन मैं हवस पैदा हो गयी थी और उसको देखकर चुत गिल्ली हो रही थी. हरीश कोई बहुत सुन्दर या मॉडल नहीं था , बस एक आम मर्द की तरह आर्डिनरी दिखता था - पर बहुत स्मार्ट था ओर मुझे उसके लिए एक अलग ही आकर्षण उसके लिए फील हो रहा था .. अब सोचती हूँ तो थोड़ा - साउथ फिल्म सुपरस्टर एक्टर , बाहुबली फेम प्रभास की तरह दिखता था .
हरीश के कमीने सीनियर दोस्त और लड़कियों को मौका ही चाहिए था ओर उन्होंने मुझे कई सवाल किये , जैसे - यह क्यों पसंद हैं? इसमें तुझे क्या दिखा ? इसको किस करेगी ? जब तक हरीश मेरे उत्तर से संतुष्ट नहीं होता तब तक वह मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं करेगा ओर ना ही गुलाब का फूल लेगा . मैंने भी बिना डरे बड़ी बेशर्मी से सब के जवाब दिए ओर हरीश का गुणगान करती रही . .
इतने देर तक हरीश चुप था और बड़ी कमीनी हवस भरी नजर से मुस्करा कर देखकर मुझे नंगा कर रहा था .. मैं समझ गयी थी की लोहा गरम हैं ओर हरीश पूरा मेरी जाल मैं फस गया हैं ओर वह मना नहीं करेगा. पर उसके मर्दानगी का ईगो / अभिमान अब आसमान छू रहा था , कॉलेज की सबसे सुन्दर लड़की ने उसे प्रोपोज़ किया था ओर वह भी पूरी कॉलेज के सामने - भले सब जानते थे की यह रैगिंग चल रही हैं . कहते हैं की औरत का 6th सेंस होता हैं और मुझे पता चल गया था की हरीश ही वो मर्द हैं जिसके सात मेरी केमिस्ट्री बहुत रंग लाएगी . अब हरीश बोला, यार रुका, प्रोपोज़ मुझे किया हैं , सवाल भी अब मैं ही करूँगा . मुझे पहले लगा हरीश थोड़ा शर्मीला होगा, पर यह बिंदास लगा ..उसकी मर्दानगी जोश मैं थी . वह मेरे बहुत करीब आया .. मुझे उसके शरीर की महक आ रही थी ओर मेरी चुत फिर से गिल्ली होने लगी . हरीश ने कमीने अंदाज से पूछा - मेरे लिए क्या क्या करोगी ? सीधा सवाल था पर बहुत कुछ था उसमे .. मैंने कहा - सर आप के लिए सब करुँगी - जो भी आपको पसंद हैं हरीश ने मुस्कुरा कर कहा - मुझे सेक्स पसंद है - उसकी इस बात से मैं शर्मा गयी - तभी दूसरा सीनियर बोला - हाय जान- क्या शर्माती है .. कसम से लोडा खड़ा हो गया . इंजीनियरिंग कॉलेज के लड़के ऐसे ही बिंदास होते हैं और बड़े कमीने भी, मैंने हरीश से कहा - सर आपको कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी . सब सीनियर्स मेरे जवाब से खुश हुए ओर सिट्टी बजाने लगे . हरीश अब और भी बोल्ड और कॉंफिडेंट हो गया . हरीश - एक किस देगी ? अब सारा माहौल सन्नाटे मैं बदल गया .. सब देखने लगे की मैं क्या रिस्पांस देती हूँ . मुझे पता था क्या करना - भले ही मजाक चल रहा था पर इस समय हरीश के मर्दानगी ईगो को संतुष्ट करना जरुरी था, मुझे कुछ बड़ा कदम लेना था . मैं हरीश के एकदम करीब गयी, नजरें मिला कर , हरीश ने मेरे हाथ से गुलाब का फूल ले लिया था, मैं ने हलके से उसके गाल पर पप्पी दे दी और वहा से भाग गयी और हॉस्टल रूम मैं चली गयी .. पप्पी देने के बाद वहा बहुत शोर मचा और सिट्टिया बजायी गयी .. हरीश को उसके दोस्तों ने चैंपियन की तरह उसे कंधे पर उठा लिया और नाचने लगे थे . दोस्तों यह २७ साल पहले की बात हैं , और ज़माने के हिसाब से मैं बहुत बोल्ड ओर बेधड़क काम कर के आयी थी .
दूसरे दिन कॉलेज में कैंटीन जा रही थी, साब लड़के मुझे मुस्कुरा कर नंगी नजरों से देख रहे थे .. कुछ सनीयर्स कह रहे थे .. क्या हॉट माल हैं यार .. मेरे किस की घटना पुरे कॉलेज मैं आग की तरह फ़ैल गयी थी ..जो सीनियर्स कभी कॉलेज भी नहीं आते वह भी आज मुझे देखने आ गए - कोण हैंयह खूबसूरत संध्या .. तभी पीछे से आवाज आयी - मैंने देखा हरीश मेरी तरफ आ रहा था , मैं रुक गयी, हरीश ने कहा चलो चाय पीते हैं.. मैं उसके सात कैंटीन चली गयी, वहा पर हम बातें करते रहे - एक दूसरे के बारे में जानकारी लेते रहे . हरीश ने कहा - संध्या तुम बहुत सुन्दर हो, मुझे लगा नहीं था की तुम मुझे प्रोपोज़ करोगी ओर पप्पी भी लोगी. रैगिंग मैं मजाक ही सही पर मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ . मैंने शर्मा कर कहा - हरीश तुम सच मैं मुझे अच्छे लगे , इसलिए तेरी पप्पी ली. तुम अब दोस्त से बढ़कर हो मेरे लिए अब हरीश मुझे प्यार से देख रहा था - उसकी नजर फिर से मुझे नंगा महसूस करा रही थी . मेरी चुत फड़फड़ा रही थी . ऐसे बॉडी रिएक्शन सिर्फ कुछ मर्दों के संग रहने से ही होता हैं . हरीश ने कहा मुझे असली किस चाहिए जान , गाल पर किस करने से अब कुछ नहीं होगा . मैंने कहा - हरीश तुम लड़के हो, पहल भी तुम ही करोगे , मैंने तुम्हे किसी चीज से मना नहीं किया .मुझे बोल्ड ओर कॉंफिडेंट बिंदास लड़के पसंद हैं . हरीश खुश हो गया .. बोला शाम को मेरी प्लेग्राउंड मैं रनिंग की प्रैक्टिस होती हैं वही आ जाओ - ७ बजे . मैं खुश हो गयी ओर क्लॉसेस अटेंड करने चली गयी. हरीश रोज ५-७ बजे प्लेग्राउंड मैं रनिंग की प्रैक्टिस करता था . जब मैं ७ बजे तैयार होकर पहुंची तब सूरज ढल चूका था, अँधेरा होने को था, ओर ग्राउंड पर भीड़ भी बहुत कम हो गयी थी. मैंने देखा हरीश रनिंग कर रहा था ओर उसने मुझे देख लिया था ओर दौड़कर मेरे पास आ रहा था, सिवाय १-२ लड़कों के के , प्ले ग्राउंड पूरा खली ओर सुनसान था
हरीश मेरे पास आया - वह सिर्फ वेस्ट (बनियान ) ओर एक बहुत छोटी शॉर्ट्स मैं था , ओर पसीने से लथपथ था ..उसकी टाइट बनियान ओर छोटी सी शॉर्ट्स पसीने से पूरी गिल्ली हो गयी थी औरउसकी बॉडी को चिपक गईथी ..जिसे उसके छाती ओर गांड का उभार, ओर लुंड का उभार भी स्पष्ट दिखाई दे रहा था . उसने मुझे आकर कसकर अपनी बाँहों मैं पकड़ लिया . मैंने एक टॉप ओर स्कर्ट पहना था .. उसके पसीने से मेरा टॉप गीला हो गया ओर मेरी ब्रा दिखने लगी थी . हरीश ने ऐसे ही मुझे ५ मिनट पकड़ के रखा - तुम तो बहुत सुन्दर लग रही हो मेरी जान , तुम्हे खाने का मन कर रहा .. मैंने कहा तो फिर खा लो ना, किसने मन किया .. पसीने की वजह सी उसके शरीर से महक आ रही थी जो मुझे पागल कर रही थी .
हरीश की हाइट अच्छी थी, उसके गीले शॉर्ट्स से अब मुझे उसका गरम मोटा लण्ड अपनी पेट पर रगड़ता हुआ महसूस हुआ , मेरी चुत फिर से गिल्ली हो गयी . वहा खड़े खड़े हरीश की गरम साँसे मेरे लिप्स पर आ गयी ओर उसने मुझे चूमना चालू किया .. उसने मुरे ओंठ चूसना चालू किया ओर अब मैं भी उसके ओंठ चूसने लगी ओर मेरा एक हाथ उसके शॉर्ट्स पर उसके लण्ड पर रख दिया .. मुझे महसूस हुआ की हरीश का लण्ड भी विवेक जैसे ही होगा - मोटापा ओर साइज मैं . तभी हरीश का आधा लण्ड शॉर्ट्स के लेग - साइड से आधा बहार निकल गया ओर मैं उसे सहलाने लगी .. अब हरीश का एक हाथ मेरे टी शर्ट से अंदर मेरे बूब्स से खेल रहा था ओर दूसरा हाथ मेरे स्कर्ट को उठाकर मेरी पैंटी पर था. हरीश बोला - वाह राणी तेरी पैंटी तो पूरी गिल्ली हैं .. क्या हो गया . मैंने भी उसके लण्ड को हलके से दबाया ओर बोला - इस हरीश का जादू हैं . वह खुश हो गया .. तभी कुछ खेलते लड़कों की आवाज आयी .. मैंने कहा हरीश - यहाँ नहीं, कही ओर चलते हैं.
हरीश ने कहा ठीक हैं संध्या , चलो वहा गार्डन मैं घूमते हैं , प्लेग्राउंड के पास एक अच्छा गार्डन था , वहा कुछ झाड़ियां भी थी . हरीश मेरा हाथ लेकर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर चल रहे थे .. बीच मैं ही हरीश मेरा हाथ खींचकर अपने लण्ड पर रगड़ देता .. मैंने कहा - हरीश तुम बहुत नोट्टी ओर गंदे हो .. वह हंसकर बोला - जानेमन अभी तो तूने देखा नहीं मैं कितना गन्दा हूँ, ओर उसने रुक कर अपनी शॉर्ट्स नीचे घुटने पर कर दी ओर मेरा हाथ अपने नंगे लण्ड पर रख दिया . गार्डन मैं कोई नहीं था . विवेक का लुंड बहुत तनाव में था ओर फड़फड़ा रहा था ओर बहुत गरम लग रहा था. में भी बेशरम होकर उसके लण्ड को सहलाने लगी ओर हरीश से कहा - गंदे तुम हो , यह नहीं .. यह तो बहुत प्यारा हैं ओर मैं फिर से उसके टट्टे दबा दिए..वह आह करके ख़ुशी से करहा उठा. हरीश ने कहा वाह जानेमन, तू बड़ी कमीनी हैं, मुझे ज्यादा प्यार मेरे लण्ड से .. मैंने भी हां कर दो ओर हंस दी, जिसपर हरीश बहुत खुश हुआ ओर उसके कला मोटा लण्ड नाग की तरह फनफनाने लगा . मेरी चुत फिर से गिल्ली होने लगी थी . तभी मेरा स्कर्ट ऊपर करके, हरीश ने मेरी पैंटी मैं अपना हाथ डाल दिया ओर मेरी चुत को प्यार से सहलाने लगा .. मैं मेरी चुत के बाल शेव करती थी ओर एकदम चिकनी थी.. हरीश बोला - वाह संध्या तेरी चुत एकदम चिकनी हैं, ओर तैयार हैं , क्या मेरा लण्ड इसमें डाल दू ? मैंने हरीश को रोका - नहीं हरीश ऐसे यहाँ नहीं, मैं तुमसे प्यार करती हूँ, हमारा पहला सेक्स अच्छा होना चाहिए , अकेले मैं, बिस्तर मैं, बंद कमरे में , सुहाग रात की तरह.
हरीश ख़ुशी से पगला गया , उसने कहा तुम सही कह रही हो .. पर इसका क्या करे.. हरीश ने अपने खड़े लण्ड को मेरे हाथ पर दबा दिया . मैंने कहा मैं भी इसको प्यार से सहला दूंगी , जैसे तुम अभी मेरी चुत को प्यार कर रहे हो ओर सहला रहे हो . हम बगीचे में एक बेंच पर बैठ गए , हरीश ने अपनी शॉर्ट्स घुटने के निचे अपने पैर की तरफ खिसका दी ओर बेंच पर नंगा होकर बैठ गया .. फिर उसने मुझे खड़ा कर के मेरी पैंटी भी निकाल ली , मैं अब सिर्फ स्कर्ट मैं थी , अंदर से नंगी . मैं हरीश का लण्ड अपने दोनों हाथों से हिलाने लगी ओर मेरे दिमाग में हरीश के लण्ड ओर विवेक के लण्ड से तुलना करने लगी . विवेक के बाद हरीश मेरी लाइफ का दूसरा मर्द था ओर मेरे लिए यह मेरा दूसरा लण्ड था .दोनों मैं बहुत फरक था - हरीश सिर्फ २१ साल का था ओर विवेक अब ४२ के थे. हरीश का लण्ड विवेक जैसे ८ इंच का था , पर उसका टोपा भी काला था जब की विवेक के काले लण्ड का टोपा गुलाबी था . हरीश के लण्ड से precum नहीं निकला था अब तक , ओर उसकी foreskin भी विवेक के लुंड के हिसाब से बहुत ज्यादा थी . हरीश के टट्टे भी एकदम मस्त थे - काले ओर बालों वाले . हरीश का लुंड भी काले बालों से भरा था ओर उसकी झाटों की अलग ही सुंदरता थी, जब की विवेक का लुंड शेव की वजह से झांटें नहीं रखता ओर चिकना था ओर सुन्दर भी.. ..मैं एक हाथ से हरीश का लण्ड सहलाने लगी ओर दूसरे हात से उसके टट्टे के साथ खेलने लगी . हरीश जवान था - २१ साल का , इसलिए उसके लण्ड में अजीब जवानी की कसक थी . हरीश की बड़ी बड़ी उँगलियाँ मेरी चुत से खेल रही थी ओर हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे . तभी हरीश ने मेरी ब्रा नीचे सरका दी ओर मेरा टॉप ऊपर कर के , मेरे बूब्स आजाद कर दिए . हरीश बोला - जानेमन तुम्हारे मम्मे कितने बड़े हैं ओर खूबसरा हैं, मैं आम की तरह इसको चूसूंगा ओर वह अपना मुँह लगा कर जोर जोर से मेरी निप्पल्स चूसने लगा .. उसकी दूसरी हाथों की ऊँगली मेरे चुत के दाने से खेल रही थी ओर उसको मरोड़ रही थी . हरीश जवान था , सेक्स की धुन में जंगली हो गया ओर जोर जोर से मेरे बूब्स को मसल कर मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, उसने दूसरे हाथ की ऊँगली मेरे चुत के अंदर डाल दी थी , हरीश की हाथों का पंजा बहुत बड़ा था , उसकी उंगलिया बहुत लम्बी ओर मोटी थी , किसी लुंड के आकार से कम नहीं थी .. उसकी ऊँगली मेरी चुत मैं एक लण्ड का काम कर रही थी . हरीश मेरे निप्पल्स जोर जोर से चूस रहा था ओर मेरी चुत गरम कर रहा था जिसके कारन मेरी प्यासी चुत पानी बहा रही था . मैं जोर जोर से आहे भरने लगी .. ओर हरीश का सर मेरे बूब्स पर जोर से दबा दिया .. मैं झड़ने के करीब थी -- तभी हरीश ने मेरी निप्पल को जोर से काट लिया .. मैं उह माँ .. मर गयी ..कर के जोर से कापने लगी ओर मेरी चुत झड़ने लगी ओर पाणी की गंगा बहाने लगी .. हरीश बहुत खुश हुआ .. जल्दी से मेरे पैर की तरफ बैठ गया .. मेरी जंघा फैला कर मेरी चुत चाटने लगा .. चाट चाट कर मेरी चुत का सारा पानी पी गया ओर फिर खड़ा हो कर उसके लुंड मेरे लिप्स पर लगा दिया .. संध्या अब तू मेरा लुंड चूस ले ..अब रहा नहीं जा रहा ..
मैंने भी हरीश की गांड पर अपने दोनों हात रख दिए ओर उसे पास खींच लिया ओर उसके लुंड के टोपे को मुँह मैं लेकर लोल्लिपोप की तरह चूसने लगी . हरीश के लण्ड की महक मुझे पागल कर रही थी . दोस्तों मैंने महसूस किया की हर मर्द का लण्ड अलग होता हैं, उसकी अपनी महक होती ओर खुश्बू ओर उसकी स्वाद भी . विवेक अंकल ओर हरीश दोनों के लण्ड का साइज ओर आकर एक जैसे था, काले , पर विवेक के लुंड का टोपा लाल था ओर हरीश के लुंड का टोपा कला , इसलिए दोनों का स्वाद भी अलग था . हरीश के लण्ड पर बहुत चमड़ी थी , मुझे बहुत अच्छी लगी, मैं प्यार से सिर्फ उसके टोपे की चमड़ी को चूसने लगी, चबाने लगी , बड़ी सॉफ्ट चमड़ी थी ..मेरी नाक बार बार हरीश की झाटों मैं जा रही थी .. वहा हरीश की मर्दानी महक आ रही थी . मुज़से रहा नहीं गया .. मैंने .. १-२ मिनट उसके झाटों पर अपनी नाक रागादि ओर उसकी महक का आनंद लिया ओर फिर उसके झांटे की आसपास की जगह चाटने लगी . मर्दानी स्वाद..आहे.. मुझे पागल कर रही थी ..
हरीश मेरे ऐसे चूसने से तिलमिला गया यह संध्या मेरे निकलने वाला हैं.. लण्ड को छोड दो बहार निकाल दूंगा .. बोल के तड़फ उठा .. बाद मैं हरीश ने बताया की उसे लगा की मैं उसके लण्ड का पाणी मुँह मैं नहीं लुंगी. उसने दोस्तों से सुन रखा था की लड़किया लण्ड मुँह मैं नहीं लेती ओर पाणी भी .. वाचक यहाँ ध्यान मैं रखे की वह जमाना २७ साल पहले का था ओर सेक्स के बारे मैं अभी भी कन्सेर्वटिवे सोच थी ओर खुलापन नहीं था .
मैंने हरीश की गांड अपने दोनों हाथों से ओर भी ज्यादा कस कर पकड़ ली ओर जोर जोर से उसके लण्ड को चूसने लगी .. फिर मैंने विवेक ने सिखाया हुआ तरीका अपनाया ओर धीरे धीरे हरीश का पूरा लण्ड मेरे मुँह मैं ले लिया .. हरीश का लण्ड भी अब मेरे गले तक फस गया . हरीश को यह अपेक्षित नहीं था .. वो हक्काबक्का रहा गया ओर .. उत्तेजित हो कर जोर से आहे भरने लगा ओर उसकी पिचकारी का पाणी मेरे मुँह मे धार छोड़ने लगा .. हरीश का लण्ड झटके पर झटके देकर मेरे मुँह मैं पाणी डाल रहा था .. हरीश ने काम से काम १५-२० झटके दिए होंगे . मैंने महसूस किया की हरीश का वीर्य बहुत गाढ़ा ओर चिप चिपा था ओर ज्यादा था - विवेक के वीर्य की तुलना मैं .विवेक का लण्ड ८ - १० झटके देकर पाणी छोड़ता था जब की हरीश के लण्ड के करीब २० झटके हो गए थे. उस दिन मुझे जवान मर्द ओर एक परिपक़्व (matured मर्द की वीर्य (पानी) मैं फरक का अंदाजा आया . ऊपर से हरीश एक खिलाडी - स्पोर्टमैन भी था ओर वही ताकत उसके लण्ड मैं भी थी . दोनों मर्द अपनी जगह सही ओर औरत को ख़ुशी देते हैं , दोनोका स्वाद अलग ओर अच्छा होता हैं.
झड़ने के बाद हरीश ने मुझे उठा कर जोर से कस कर छाती से लिपट लिया .. मुझे पागलों की तरह किस करने लगा .. संध्या मैं बहुत लकी हूँ .. तुम बहुत सुन्दर ओर हसीन ओर सेक्सी हो .. आई लव यू ..
मैंने भी उसको आई लव यू बोल दिया .. रात काफी हो गयी थी .. ९ बजे हॉस्टल पहुंचना था - समय का रेस्ट्रिक्शन था , हम जल्दी कपडे ठीक कर के ..हॉस्टल की तरफ चलने लगे .. हरीश ने मेरा हाथ उसके हाथ में कस कर पकड़ा था ओर उसने मुझे गर्ल्स हॉस्टल तक पहुंचा दिया .. वह गेट के बहार फिर से मुझे देर तक किस किया ओर मेरी चुत पर हाथ रख कर ..गुड नाईट कह ओर हरिश बोला - तुम रोज ७ बजे प्लेग्राउंड आ जाना .. मैं तुझे रोज प्यार करना चाहता हूँ .. मैंने भी प्रॉमिस कर दिया ओर हरीश के लण्ड को प्यार से दबा दिया .. हरीश का लण्ड फिर से खड़ा होकर मुझे सलामी से रहा था .. मैं हसकर हॉस्टल के अंदर रूम मैं चली आयी ..
दोस्तों .. हरीश का ओर मेरा साथ कब तह रहा ? उसके बाद मेरा कोई बॉय फ्रेंड बना ? मेरी शादी किस के साथ हुई? क्या शादी के बाद भी मैं गैर मर्दों से मिलती रही .. यह सब मैं आपको जरूर बताउंगी ..
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मेरी ओर हरीश का लव अफेयर चालू हो गया था ओर पूरी कॉलेज को पता चल गया था . मैं रोज हरीश से मिलने प्लेग्राउंड जाती, फिर हम बगीचे मैं प्यार करते ओर वह रोज मुझे हॉस्टल तक चलके छोड जाता. मुझे अब हरीश की पसीने से गीली बॉडी ओर उसकी महक की एडिक्शन हो गयी थी . पर हमें सेक्स करने के लिए सही जगह नहीं मिल रही थी, ना उस समय आज के जैसे कपल फ्रेंडली होटल्स थे ओर बहार सुनसान जगह बहुत रिस्की होता था, मवाली लड़के घूमते फिरते थे .. हम दोनों रोज बातें करते की कैसे अकेले मैं हमें कुछ मिल पल मिल जाये ओर हम दोनों का मिलन सही मायने से हो जाये. मैं भी हरीश से चुदने के लिए बेताब थी , ओर हरीश का नाग भी मेरी बिल मैं विष घोलने को बेताब था.
मेरे क्लास मैं अब सब लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गयी थी . सब मुझे हरीश के नाम से चिढ़ाते ओर मजाक करते थे .राजवीर पंजाब के भटिंडा से सरदार परिवार से था .. वह भी एक हॉकी प्लेयर था , बहुत मजाकिया ओर हसमुख स्वाभाव का था . हत्ता कट्टा सरदार , गोरा चिटा ओर बालों वाला बदन , ओर ऊपर पगड़ी ओर हलकी दाढ़ी , बहुत मरदाना लगता था . हमेशा मुझे हरीश के नाम से छेड़ता था . कोई भी बात बेझिझक बोल देता बिना कुछ सोचे समजे ओर उसकी यही बात मुझे पसंद थी . ऐसे मर्द सच्चे होते हैं - मन मैं कुछ नहीं रखते . सब के सामने क्लास मैं बिंदास हमेशा मुज़से कहता था - क्या यार तेरे जलवे सिर्फ हरीश के लिए , मुझे भी एक किस दे दे , मैं हंस कर - जा पगले - कह कर टाल देती..एक दिन क्लास मैं सबके सामने बोला - क्या यार हरीश के सात इतना टाइम स्पेंड करती हो . कुछ टाइम मेरे लिए भी निकाल दे , मैंने भी पूछा - तुझे टाइम दिया तो क्या करेगा , बिंदास हो कर राजवीर बोला - सब कुछ दूंगा, तुझे खुश कर दूंगा .मैंने भी उसे हंसकर - चुप हरामी गाली दी ओर चली गयी वो मेरा अच्छा दोस्त बन गया था , पर उसकी शरारत कभी नहीं रुकती. मुझे अब कॉलेज के लड़को की फ़्लर्ट की आदत पद गयी थी. सिर्फ राजवीर ही नहीं , कई दोस्त मुज़से मजाक मैं ऐसे फ़्लर्ट करते थे . सब से ज्यादा फ़्लर्ट 3rd ओर 4th (फाइनल) ईयर के लड़के करते , उनके कॉलेज के आखरी साल बचे रहने से वो लड़की को पटाने के लिए डेस्पेरेट हो जाते है
तभी सितम्बर महीना आया ओर भगवन ने जैसे मेरी सुन ली . कॉलेज के स्पोर्ट्स इवेंट्स चल रहे थे , ओर हरीश को इंटरकॉलेज स्पोर्ट कम्पटीशन के लिए करीब के सिटी मैं २ दिन के लिए जाना था . कॉलेज उसको होटल ओर खाने पीने का अलाउंस दे रही थी .हरीश ने जिद की की मैं भी उसके सात जाऊ ओर दोनों एक कमरे मैं एक होटल मैं रहेंगे. पर मेरे पास हॉस्टल वार्डन को २ दिन बहार जाने के लिए कोई बहाना नहीं था. हमें कोई मार्ग नहीं मिल रहा था . अब हरीश को जाने के लिए सिर्फ २ दिन रह गए थे ओर मेरे पास कोई पालन नहीं था. पर भगवन ने मेरी सुन ली ओर उस रात पता चला की वार्डन साहिबा दूसरे दिन गांव जाने वाली हैं, उनकी माँ की तबियत अचानक ख़राब हो गयी ओर वो हॉस्पिटल मैं दूसरे शहर मैं एडमिट हैं. हम खुश हो गए , मैंने मेरी रूम पार्टनर अनीता को पहले से पटा लिया था , वह सब से क्लास मैं कहेगी की मेरी तबियत ठीक नहीं हैं, मैं आराम कर रही हूँ . ओर हॉस्टल के peon को हरीश ने पैसे देकर पटा लिआ ओर उसने एडवांस मैं ही रजिस्टर पर मेरी अटेंडेंस लगा दी . दूसरे दिन मैंने बैग मैं सिर्फ ब्रश ओर जरुरी सामान रखा, एक एक्स्ट्रा कपडा,ओर एक दो स्पेशल कपडे (जो मैं आपको बाद मैं बताउंगी ) ओर कॉलेज के बहाने चुप चाप मैं गेट से बहार चली गयी . कुछ दुरी पर हरीश अपनी बाइक पर मेरा वेट कर रहा था . रास्ता सिर्फ ४ घंटे का था , इसलिए हम दोनों ने बाइक से जाने का प्लान बना लिया. हरीश के पास रॉयल एनफील्ड की बुलेट थी , उस ज़माने मैं बहुत कम लोग अफ़्फोर्ड कर सकते थे . मैं हरीश के पीछे चिपक कर बैठ गयी ओर हरीश ने गाड़ी मुख्य रोड पर ले ली
हरीश ने टी शर्ट ओर जीन्स पहना था ओर मैंने भी टी शर्ट ओर जीन्स ही पहनी थी .. अब मैं हरीश के सात शरारत करने लगी .. रोड खाली था , ओर हरीश के हात हैंडल पर बिजी थे पर मेरे हात खाली थे , मैंने हरीश को कस कर पीछे से पकड़ लिआ ओर मेरे बूब्स उसके पीठ पर रगड़ दिए ,, वह सिसक गया - बोला - जानेमन मस्ती मत कर, मुझे रोड पर ध्यान देने दे .. मैंने कहा .. फिर दो ना ध्यान .. मैंने कब मना किआ ओर मैंने मेरे हात उसके टी शर्ट को ऊपर कर के अंदर डाल दिए ओर उसके चेस्ट के बालों से खेलने लगी ..वह बोला रुक जा तू - तेरे से इंटरेस्ट के सात सब वसूल करूँगा, बंद कमरे मैं . मैंने कहा - कर लेना सब वसूल - ओर मैंने जोर से उसके दोनों निप्पल्स अपने ऊँगली से दबा दिए . वह जोर से.. आह .. कमीनी . मार डालेगी क्या .. मैंने कहा - नहीं जानू - ऐसे कैसे तुझे मरने दूंगी .. ओर फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किआ ओर जीभ फिरा कर उसको प्यार से चाटने लगी .. उसके कान भी धीरे से चबाये .. उसको सब अच्छा लग रहा था पर .. जानबूझ कर नखरे कर रहा था .. मैंने अब अपने हाथ उसके पेट पर फेरना चालू किआ ओर उसकी नाभि से खेलती रही .. ओर धीरे से हाथ उसके जीन्स के ऊपर उसके लण्ड पर रख दिया .. उस्का लण्ड बहुत टाइट ओर खड़ा हो कर फनफना रहा था ..टाइट जीन्स की वजह से मैं उसके जीन्स के अंदर हाथ नहीं डाल पा रही थी .. मैंने धीरे से उसकी जीन्स की ज़िप खोल दी ओर अपना हाथ अंदर डाल दिया .. उसके खड़े लण्ड की वजा से उसकी निकर बहुत टाइट थी - मुझे उस पोजीशन में उस्का लण्ड बहार निकालना मुश्किल हो रहा था . मैं वैसे हे उसके लण्ड को बहार से सहला ओर दबा रही थी. इस बीच कुछ कार ओर ट्रक वाले भी हमें क्रॉस कर के आगे गए .. बड़ी सावधानी बरतनी पड़ी .. हरीश बोला - मन कर रहा है तुझे यही रास्ते में उतार कर बीच सड़क पर नंगा कर के चोद दू .. मैंने प्यार से उसे कस कर पकड़ लिया ओर उसकी गर्दन को चूमकर बोली - में मना नहीं करुँगी तुझे मेरी जान .
हम एक ढाबे पर खाना खाने रुक गए .. वहा पर कुछ खटिया भी पड़ी थी .. वहा सीमेंट की टंकी पर वाटर पंप चल रहा था .. हम वहा हात पाँव धोने - गए .. वहा कुछ सरदारजी ट्रक वाले नहा भी रहे थे .. पानी बहुत ठंडा था .. फ्रेश हो गयी ..हरीश वहा बाथरूम मैं सुसु - पेशाब करने चला गया . तभी सामने मुझे एक हट्टा कट्टा मोटा सरदार नहाते नजर आया ओर वो अपनी बॉडी पर साबुन लगा था , मुझे अकेली देखकर वह कमीने अंदाज मैं मुस्कराया ओर उसने अपनी गीली निकर निचे खिसका दी ओर अपने लण्ड को साबुन लगाने लगा. वह अच्छा गोरा चिट्टा था ओर उसके सारे बदन पर काले काले बाल थे .. उस्का लण्ड देखकर मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी .. इतना बड़ा लण्ड मैंने कभी देखा नहीं था .. मैं शर्मा कर वहा से भाग आयी. हमने दोनों ने खाना खाया ओर फिर से बुलेट पर चल दिए .. अब सिर्फ एक घंटे का सफर बाकी था .
में फिर से बाइक पर बैठ गयी .पर अब मेरी चुत नंगे सरदार को देखकर बहुत गिल्ली हो गयी थी . मुझे बार बार सरदारजी का नंगा बदन ओर उस्का भयंकर लण्ड दिखाई देता .. ओर राजवीर का भी चेहरा आँखों मैं आता .. क्या राजवीर का भी लण्ड ऐसे ही होगा ? मेरे दिमाग मैं अब राजवीर को लेकर गंदे ख्याल आने लगे थे - मेरे दिमाग मैं राजवीर की नंगी तस्वीर बनना शुरू हुई .
मैंने उसी उत्तेजना मैं फिर से हरीश के जीन्स की ज़िप खोल दी .. ओर मेरा हाथ में सीधा उस्का नंगा तना हुआ लण्ड आ गया . मैं सकपका गयी ..अरे यह क्या .. हरीश जोर जोर से हसने लगा . अब खेलो राणी ..जितना जी चाहे खेल मेरे लण्ड से .. कमीनी तुझे अब ऐसे चोदूंगा रूम ले जाकर , तू भी यद् रखेंगी .. हरीश ने ढाबे के बाथरूम मैं पेशाब करते वक्त अपनी निकर निकाल दी थी ताकि मुझे आसानी हो. मैं भी यही चाहती थी . मेरे दिल की बात हरीश तक अपनेआप पहुँच जाती थी . मैं अपने दोनों हातों से हरीश के लण्ड से खेलने लगी .. उस्का इतना बड़ा लण्ड किसी को भी रास्ते पर चलने वाले को दिख सकता था ... पर नसीब से रोड पूरा खाली था सिवाय कुछ कार ओर ट्रक के .. ओर आजु बाजु खेत थे ओर रास्ते के दोनों बाजु बड़े बड़े पेड़ थे. मैंने हरीश के टोपे को पकड़ लिआ ओर प्यार से मसाज करने लगी ओर दूसरे हात से उसके टट्टे दबाने ओर खेलने लगी .. हरीश बहुत उत्तेजित हो गया था .. ऐसे रोड पर पब्लिक प्लेस मैं हमने कभी नहीं किया था . हरीश का लुंड अब जोर जोर से फुफकार रहा था . ओर मैं जान गयी की किसी भी वक्त वो अपना पाणी निकाल देगा .
तभी अचानक हरीश ने बाइक स्लो की.. ओर रास्ते के बाजु एक बड़े पेड़ की पास रुका दी..मैं कुछ बोलू उससे पहल वह बोला जल्दी उतरो जानू .. ओर खुद भी बाइक से उतर गया ओर बाइक वहा स्टैंड पर लगा दी .. वह खींच कर मुझे बड़े पेड़ के पीछे ले गया .. जल्दी नीचे बैठो संध्या .. ओर उसने मेरे मुँह मैं अपना लण्ड दे दिया . मुझे मालूम था हरीश अपने चरम सीमा पर हैं ओर कभी भी पानी निकाल देगा .. पर रास्ते पर रिस्की था इसलिए मैं जल्दी से जल्दी उसका पाणी निकालना चाहती थी . मैंने धीरे से उसका पूरा लण्ड मुँह मैं ले लिया ओर आगे पीछे करने लगी .. मुझे मालूम था की पूरा लण्ड मुँह मैं जायेगा तो हरीश जल्दी अपना पानी निकाल देगा . हरीश अब होश खो बैठा था ..उस्का लण्ड फुफकार मार रहा था .. मैंने भी जोर से उस्का पूरा लण्ड चूसना शुरू किया ओर उस्का पूरा ८ इंच का नाग अपने गले मैं फसा लिया .. हरीश बोला - ले कमीनी . पी ले मेरा रास. बन जा मेरी बच्चों की माँ .. ओर उसके बाद उसके लण्ड ने एक के बाद एक ऐसे अनेक झटके दिए ओर उसके वीर्य का फवारा मेरे मुँह मैं उमड़ आया . मुझे उसके वीर्य का स्वाद पसंद था . हरीश को मुझे उसका पाणी पिलाना बहुत पसंद था ..मैं भी उसके लण्ड से पूरा एक एक बूँद चूस चूस कर पी गयी . अब हरीश शांत हो गया, उसने मुझे खड़ा किया ओर बहुत देर तक मुझे किस करता रहा .. मुझे वहा सुनसान सड़क पर डर लग रहा था .. मैंने कहा हरीश यहाँ बहुत रिस्की हैं.. जल्दी यहाँ से चलो .
हम बहुत जल्दी होटल पहुँच गये . हरीश अक्सर इस होटल मैं स्पोर्ट्स कम्पटीशन की दौरान रुकता था . होटल मैनेजर से पहचान हो गयी थी ओर हरीश ने उससे पहल ही बात कर रखी थी . इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं हुई. कम्पटीशन दूसरे दिन थी .चुकी हरीश स्टेट लेवल चैंपियन था उसको डायरेक्ट फाइनल इवेंट्स मैं एंट्री थी ..क्वालीफाइंग राउंड्स उसको नहीं देने थे . हमारे पास अब पूरा दिन ओर रात थी, हरीश ने रूम मैं आते ही मुझे कस कर पकड़ लिया .. ओर मेरे टी शर्ट निकाल कर फेक दी ..ओर मेरे मम्मे चूसने लगा .. उस ने मेरा एक एक कपडा निकाल कर फेक दिया ओर खुद भी नंगा हो कर बिस्तर पर लेट गया .. हरीश बोला - जानेमन अब दो दिन ऐसे ही रूम मैं फुल टाइम नंगा रहेंगे .. कभी कपडे नहीं पहनेगे. मैंने कहा ठीक हैं..जैसे तेरी मर्जी .. उसने मुझे जोर से अपने ओर खींच लिया..आओ जानू .. आज मेरा सपना पूरा होगा..तुम्हारा ओर मेरा मिलन होगा ..मैंने उसको धीरे से सर पर चूमा .. कहा ..बस जानू मुझे १५ मिनट दो .. तुम तब तक बहार से मेडिकल की दुकान से यह गोलिया (गर्भा निरोधक - जो मुझे विवेक खिलाता था ) ले कर आओ ओर कुछ जूस ओर खाने का सामान भी, हरीश ने कहा अब रुका नहीं जाता, उसने कंडोम लाया था .. मैंने कहा बस सिर्फ १५ मिनट .. ओर मुझे उसका वीर्य मेरे बच्चेदनी मैं चाहिए .. हामरे बीच रबर का कंडोम नहीं रहेगा ... जाओ जल्दी से. हरीश थोड़ा नाराज हो गया पर बिना कंडोम के चोदने की ख्याल से खुश हो गया .
हरीश के जाने के बाद मैंने अपनी बैग से स्पेशल सामान निकाला. १५ मिनट के बाद हरीश आया ओर दरवाजे पर रिंग की .. मैंने शरमाते हुए दरवाजा खोल दिया .. हरीश मुझे देखता ही रहा गया .. wow .. क्या बात हैं - बस इतना ही कहा पाया ओर रूम के अंदर आकर दरवाजा लगा दिया. हरीश ने मुझे प्यार से अपनी बाँहों मैं जकड लिया ओर बोला - मेरी जानेमन ऐसा सरप्राइज मैंने कभी सोचा भी नहीं था .. आई लव यू
दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ... मेरा स्पेशल सामान क्या था ? हरीश ने मुझे देख कर wow क्यों कहा , हमारी फर्स्ट सेक्स कैसे रही .. सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर रेटिंग्स भी जरूर दे ..
आपकी संध्या