Update 06

दोस्तों यह बात सच हैं की हरीश और मैं कई बार ओरल सेक्स कर चुके थे . हरीश को मेरे चूत के ओंठ मतलब (वैजिनल लिप्स) चूसने मैं भी बहुत मजा आता था . यह भी सच हैं की यह ओंठ चुत की सील फटने की वजह से होते हैं .. अब विवेक के मोटे तगड़े लण्ड ने मेरी सील को तोड़ मरोड़ के ऐसे मेरी ज़िल्ली फाड़ दी थी की मेरी चुत के लिप्स एक खूबसूरत फूल की तरह लगते थे .

हरीश ने इतनी बार मेरी चुत चाटी और देखी और उसको पता था की मैं वर्जिन नहीं हूँ . उसको मेरी फटी झिल्ली साफ दिखाई देती और वह उसको बड़ी प्यार से चाटता और चूसता . उसे इस बात से फरक नहीं पड़ता की मैं वर्जिन या कुंवारी नहीं थी . हम प्यार का इजहार करते, पर कभी एक - दूसरे से कभी शादी या किसी बंधन का वादा नहीं करते . ना ही कभी हरीश ने मुझे मेरे विर्जिनिटी या टूटी सील का राज पूछा न ही मैंने कभी उसका पास्ट पूछने की कोशिश की.. हम सिर्फ आज मैं जीना चाहते थे और बहुत खुश थे .

हरीश ने मुझे बाँहों मैं ले लिए था .. संध्या तुम इतनी सुन्दर हो . यह सरप्राइज मैंने कभी नहीं सोचा .. आई लव यू

मैंने लाल कलर की खूबसूरत सारी पहनी थी , जो मैंने कॉलेज की फंक्शन्स के लिए घर से लेकर आयी थी . वह डिज़ाइनर सारी थी और थोड़ी ट्रांसपेरेंट जिससे मेरा स्लीवलेस बैकलेस ब्लाउज साफ़ दिखता था . मैंने सारी एकदम नीचे लो वैस्ट पहनी थी . मेरी कमर के काफी नीचे और मेरी चुत से थोड़ा ऊपर . मैंने मेरे झाटें साफ़ राखी थी नहीं तो इस सारी के ऊपर सब को मेरी झाटें जरूर दिख जाती. सारी के ऊपर मेरी नाभि और पेट खुला था. खैर झाटों से मैं बच गयी पर अपनी गांड की दोनों कूल्हों की चिर को छुपा ना सकी. मैंने सिर्फ पेटीकोट पहना था और अंदर कोई पैंटी नहीं पहनी थी. मैंने मेरे लिप्स पर लाल रंग की लिपस्टिक लगा राखी थी, आँखों मैं मस्कारा और एक बड़ी लाल रंग की बिंदी भी लगा ली थी . मैंने अपने बाल खुले रखे थे और अपने बालों मैं एक बड़ा सा मोगरे का गजरा भी लगा लिया था , जो मैंने पहले ही कॉलेज के मंदिर के बहार खरीद लिया था . मुझे पता था की यह सब मेहनत बेकार जाने वाली हैं क्यूंकि ५ मिनट मैं हरीश मुझे नंगा कर देगा ..पर वह ५ मिनिट भी बेशुमार कीमती थे. मेरे इस रंग रूप को देखकर हरीश मदहोश हो गया और उसका खड़ा लुंड मेरी गांड पर चिपक गया . हरीश ने मुझे खींच कर बाँहों मैं ले लिए और मुझे जोर जोर से किस करने लगा , मेरे ओंठों को चूसने लगा .उसने मेरे खुली गांड की दरार पर हाथ फेरा और मेरी गांड हाथों से दबा के मसल दी . वह बार बार मेरे बालों को और मेरे गजरे सूंघता और अपनी उंगलितों से गजरे पर लगे मोगरे के फूलों को तोड़ मरोड़ देता . मेरा स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज़ उसे पागल कर रहा था .. वह मेरी बगल और पीठ को चुम रहा था और चाट रहा था . मैंने उसका टी शर्ट निकल दिया और उसकी बरमूडा भी ..वह अब मेरे सात बिलकुल नंगा था . क्या सन था - मैं बिलकुल एक दुल्हन की तरह कपडे मैं थी और वह पूरा नंगा होकर मुझे प्यार कर रहा था . उसे मेरे कपडे निकालने मैं कोई जल्दी नहीं थी . हरीश बोला - मेरी जान तुम इस कपड़ों मैं जन्नत की पारी लग रही हो , कोई भी मर्द आज तुम्हे प्यार करने से नहीं रोक पाता ..वह मेरे पीठ पर किस करते करते निचे कमर तक गया और फिर मेरी गांड की दरार को चाटने लगा ... उसने मेरी पेटीकोट और सारी और भी नीचे सारखा दी.. ताकि मेरी गांड की दरार को और भी नीचे चाट सके .. वह मेरी गांड को चाट रहा था, काट भी रहा था .. फिर उसने मुझे बेड पर सुला दिया .. और मेरी सारी और पेटीकोट खोल कर अपना सर अंदर डाल दिया ... वह मेरी जंघे चाट रहा था , काट रहा था .. मेरे जांघें फैला कर मेरी चुत के अजु बाजु काट रहा था , चाट रहा था और चूमी ले रहा था . उसने सर बहार निकल लिया और मेरे ब्लाउज़ को नीचे खींच लिया .. मैंने कोई ब्रा नहीं पहनी थी .. वह मेरे दोनों आम पकड़ कर चूसने लगा .. मेरी निप्पल्स चूसने लगा और काटने लगा .. फिर एक झटके मैं उसने मरा ब्लाउज़ निकाल दिया और सारी भी पेटटीकट के सात नीचे खिसका कर निकाल दी .. अब मैं मेरे हरीश की बाँहों मैं पूरी नंगी थी और उससे चुदने का इंतजार करने लगी .. मेरी चुत गिल्ली हो गे थी .. वो हरीश के लण्ड का स्वागत करने के लिए ख़ुशी से पाणी बहा रही थी. हरीश का मुसलदार लण्ड मेरे चुत के दाणे को रगड़ रहा था . हरीश ने भी ना आव देखा ना ताव .. उसके लण्ड के सुपडे को मेरी चुत की मुँह पर सटा दिया और एक जोरदार धक्का लगा दिया .. मैं जोर से दर्द से करहा उठी .. उह माँ .. उसका लण्ड अभी आधा ही गया था . विवेक के बाद ६ महीने के बाद सेक्स कर रही थी, इन ६ महीनो मैं मेरी चुत बिना लण्ड के टाइट हो गयी थी , हरीश ने कहा सब्र करो डार्लिंग .. शरू मैं दर्द होगा..फिर मजा आएगा ..वह मेरे ओंठ चूसने लगा और दूसरे हातों से मेरे मम्मे दबाने लगा . मैं फिर से उत्तेजित हो गयी और हरीश की गांड अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खुद के ऊपर खींच लिया . हरीश आह कर के कसमसा गया .. उसका पूरा लण्ड मेरी टाइट चुत मैं प्रवेश कर गया था ..हरीश बोला ..मेरी जान ..तेरी चुत कितनी टाइट और कसी हुई हैं.. लगता हैं मेरा लण्ड अपने भट्टी की आग में जला देगी. मैंने कहा- नहीं मेरे राजा देखो अभी इस भट्टी से में कैसे तेरे लण्ड को सकून देती हूँ . मेरी चुत बहुत गिल्ली थी और अपना पाणी बहाकर उसके लण्ड का प्रवेश का इंतजार कर रही थी. हरीश का लण्ड एक बड़े केले जैसे था और मेरे दाणे से भी रगड़ रहा था . इसके कारन मेरी चुत बहुत गरम हो गयी और उत्तेजित भी.. हरीश का लुंड मुझे हर जगह अंदर से छू रहा था और मैं बेबस हो गयी थी . हरीश मेरे पैर ओर भी ऊपर कर दिये और मेरी छाती पर चिपका दिये.. जिससे मेरी चुत और भी खुल गयी और उसका लण्ड आसानी से पूरा अंदर चला गया .. मैं फिर से कन्हा उठी .. हाई मेरे राजा .. मiर डालोगे क्या .. हरीश ने बड़ी कमीनी नजरों से मुस्कराते कहा .. नहीं रानी मैं तुझे मरने नहीं दूंगा .. सूत सहित तेरा प्यार वापस लौटाऊंगा .. मेरा ही तीर मेरे ऊपर उलट आया था अब.मैंने भी उसको पकड़ के चूमना शुरू किया और उसकी गर्दन पर जोर से चूमकर / चूस कर एक बड़ा निशान बना दिए .. हरीश इससे और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और मुझे जोर जोर से चोदने लगा .. मेरी चुत का बांध अब टूट गया और मैं जोर से ाआअह कर के झड़ गयी .. मेरी चुत से बहुत सारा पानी निकल गया .. जिससे हरीश के लुंड को और भी आसानी हो गयी .. हरीश अभी भी नहीं झाड़ा था. वो कुछ देर रुक गया और मेरी निप्पल्स को प्यार से चूसने लगा . मैं भी शांत हो गयी थी ..पर मेरे हाथ हरीश के सर पर उसके बालों को सहला रहे थे , उसके पीठ पर घूम रहे थे और उसकी गांड भी सहला रहे थे . बड़ा ही प्यारा, कोमल और सेंसुअल सिन था . हरीश ने धीरे से मेरी जीभ चूसना शुरू किया और फिर मुझे भी उसकी गिल्ली जीभ चूसने दी .. उसकी गिल्ली जीभ चूसने मैं बाद मजा आ रहा था .. मुझे लग रहा था की जैसे मैं उसकी जीभ नहीं , उसका लण्ड चूस रही हूँ , और उसका दूसरा लण्ड मेरी चुत मैं फुफकार रहा था .. हमारे बीच में बड़ा ही संवेदलशील और कामुक सम्भोग हो रहा था. मैं अब फिर से गरम हो गयी और उत्तेजित भी . हरीश मुझे अपने लण्ड से धीरे धीरे धक्के देकर चोद रहा था . उसके टट्टे मेरी चुत के नीचे टकरा रहे थे . उसके लण्ड के धक्के कभी रुके नहीं थे .. एक स्पोर्टमैन होने की वजह से गजब का स्टैमिना और कण्ट्रोल था .. उसका कण्ट्रोल तभी छूटता जब मैं उसका पूरा लण्ड अपने गले तक मुँह मैं लेती.

मैंने अब उत्तेजना मैं अपने हातों से उसके बाल पकड़ लिए और उसको खींच कर फिर से उसके लिप्स चूसने लगी .. मेरी इस हरकत से वह गरम हो गया और जोर से धक्के मारने लगा .. अब वह उसका पूरा लण्ड बहार निकाल कर फिर से पूरा अंदर घुसेड़ देता . वह अपने फौलादी लण्ड से बड़े और फुल स्ट्रोक मार कर मेरी चुत पेल रहा था . मैं इससे और भी उत्तेजित हो गयी.. मैं उसकी छाती को किस करने लगी और जोर से उसके निप्पल्स और छाती को चूसने लगी ... वह और भी कामुक हो गया ..गालिया देने लगा .. ले रानी पूरा लण्ड ले ले .. आज तेरी चुत मैं अपना पाणी डाल दूंगा .. बोल तैयार हो ? मैंने कहा हाँ मैं पूरी तैयार हूँ .. हरीश बोलै .. मेरे बच्चे की माँ बन जाएगी ... मैंने कहा हाँ .. तेरे १५ - २० बच्चों की माँ बन जाऊंगी .. वह अब हाफ रहा था .. करीब एक घंटे से मुझे चोद रहा था .. मैं एक बार झाड़ गयी थी और अब दूर बार झड़ने को तैयार थी .. मैं उसकी छाती को चाट रही थी..मैंने उसके निप्पल्स को जोर से चूसा और अपने दातों से काट लिया .. वह जोर से चिल्लाया .. कामिनी .. ले ले ..पूरा पानी पी ले ..और जोर से मेरी चूत में उसके लुंड ने कई झटके देकर पाणी की फंवारें छोड़ दिया .. आह .. आह कर के मैं गिनती रही..हर एक झटके से उसके लण्ड का गरम लावा मेरे चूत मैं जाता रहा .. हरीश क़े मोटे लम्बे जहरीले नाग ने अपना जहर मेरी चुत मैं उगल दिया था इसी वक्त मेरी चुत भी फिर से झड़ गयी थी और जोरदार पानी छोड गयी थी ..हरीश मदमस्त होकर मेरे ऊपर लेट गया ..उसने अभी अपना लण्ड बहार नहीं निकाला था .. मैं भी शांत हो कर उसको कस के पकड़कर उसके बालों पर हात फेर रही थी . उसका गरम वीर्य मेरी चुत को अंदर तक सेंक रहा था . थोड़ी देर तक हम वैसे ही एक दूसरे की बाँहों मैं नंगे पड़े रहे, हरीश का लुंड भी सिकुड़ कर मेरी चुत से बहार आ गया था .. हरीश ने मेरा चेहरा अपने दोनों हातों मैं ले लिया..मेरे सर पर पप्पी ली... और कहा . आई लव यू बेबी .. मैंने भी उसको हलके से किस कर लिया और बोला - आई लव यू टू. फिर वह मेरे ऊपर से उठकर बाजु मैं लेट गया ..मैं भी उसके बाँहों मैं अपना सर रख कर सो गयी .

दोस्तों इस तरह आखिर में तीन महीनों के इंतजार का बाद हम एक हो गये थे ..हमारा मिलन हो गया था . हमारे बीच का सम्भोग सिर्फ कामुक ही नहीं सवेदनशील भी था .. उसमे प्यार भी था .. जो कोई अपेक्षा नहीं रखता था .

दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ... क्या हरीश और मेरा प्यार सच्चा था ? क्या राजवीर के बारे मैं मेरे दिमाग मैं गलत ख्याल आना गलत था ? क्या मैं हरीश सको धोका दे रही थी ?आगे क्या हुआ और हमारा रिश्ता कैसे रहा यह सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर रेटिंग्स भी जरूर दे ..

आपकी संध्या

हम दोनों पसीने से लथपथ थे . जब आँख खुली तब देखा की हरीश अभी भी सोया था . मेरा सर उसके छाती पर था और एक हाथ उसके नाभि पर . मैं सोचने लग गयी - हरीश एक चैंपियन स्पोर्टमैन था . उसको खेलने में मजा आता और मुकाबले मैं अगर मजबूत प्रतिद्वंदी हो तो खेल का मजा और भी ज्यादा आता हैं . मुझे हरीश के लिए सेक्स में एक मजबूत खिलाडी बनना पड़ेगा, जिससे उसका मजा और रूचि टिकी रहे और बढ़ती रहे, मेरी चुत से अभी भी हरीश का वीर्य और मेरा पाणी का मिश्रण बहा रहा था .. बेडशीट पर बहुत बड़ा गीले पाणी का दाग पड़ गया था - जो चिपचिपा और सूखने लगा था. .

हरीश का लण्ड अब सो रहा था फिर भी ५-६ इंच लम्बा और मोटा था. अजीब बात थी की उसके लण्ड की चमड़ी (foreskin ) उसके सुपडे को पूरा ढक कर आगे आधा एक इंच ढीली निकल आती थी . मेरा हात उसके पेट पर से उसके लण्ड पर चला गया और मैं उसकी ढीली चमड़ी से खेलने लगी . मैं उसके लण्ड की चमड़ी को अपने उँगलियों मैं दबाती, घुमाती, मसल देती. उसके चमड़ी को आगे पीछे कर के उसके लण्ड के सुपडे को बहार निकलती और फिर से उसे ढक देती. कितनी मुलायम और लचीली चमड़ी दी.. उसके कठोर और कड़क लण्ड पर . यही चमड़ी उसके लण्ड का साथ देती जब वह चुत से रगड़ कर घिस जाती और सब से ज्यादा घिस कर यही चमड़ी उसके लण्ड को भी और मेरी चुत को भी सब से ज्यादा मजा देती . मैं बड़ी प्यार से उसके चमड़ी के सात खेल रही थी और देखते ही देखते हरीश का लण्ड फिर से तैयार हो कर पूरी सलामी ठोक रहा था . हरीश उठ गया था और मेरे बालों पर से हाथ फेर रहा था .. मेरा गजरा आधा बिखर गया था - कुछ फूल टूट गए थे , कुछ फूल मसल गए थे पर उसकी सुगंध और भी ज्यादा बढ़ गयी थी . हरीश उन मसले फूलों की खुश्बू ले रहा था और उनको अपने चहरे पर मसल रहा था .

हरीश बोलै - मेरी जान क्या कर रही हो , मैंने कहा - छोटे हरीश से खेल रही हु .. वह हंस कर पूछा - अच्छा राणी मुझे बता - तुझे मेरा लण्ड पसंद. मैंने कहा - हां बहुत पसंद हैं .. फिर हरीश ने कहा - बताओ तो - कोन ज्यादा पसंद हैं - मैं या यह छोटा हरीश .. मैंने भी उसको छेड़कर कहा दिया - मुझे तो छोटा हरीश सबसे ज्यादा पसंद है .. हरीश ख़ुशी से चहक उठा और मुझे चूमने लगा .. उसने मेरे दोनों बूब्स हातों में लिए .. रानी इतने प्यारे आम हैं..और वह उन्हें चूसने और चाटने लगा .. मेरे एक निप्पल्स को उसने मुँह मैं ले लिया और अपनी जीभ से रगड़ने लगा .. मेरे दोनों बूब्स को चाट चाट कर उसने अपनी थूक से पूरा गिला कर दिया ... फिर वह उठा .. मेरे छाती के दोनों बाजु अपने घुटने रख दिए ..उसने मेरे दोनों बूब्स एक सात पकड़ लिए और जोड़ दीये .. और दोनों बूब्स की दरार मैं अपने लोहे जैसे कड़क लण्ड को घुसेड़ कर मेरी बूब्स पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा . मेरे लिए यह बहुत नया था पर अच्छा लग रहा था . मेरे बूब्स पर लण्ड रगड़ने से मैं गरम हो रही थी .. और हरीश के लण्ड का टोपा मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था .. हरीश ने कहा - रानी मेरे लुंड के टोपे को अपने जीभ से चाटो . और मैंने अपनी जीभ बहार निकल दी .. जैसे हरीश आगे धक्के मरता वैसे मेरी जीभ उसके लुंड के सुपडे पर रगड़ जाती.. और जब वह पीछे होता .. उसका सूपड़ा मेरे बूब्स को रगड़ देता . हरीश बहुत उत्तेजित हो गया .. कहा - वाह राणी तेरे मम्मे एकदम मुलायम हैं .. माखन की तरह .. इनको फेट-फेट-कर पूरा घी निकल दू .. मैंने कहा - हाँ मेरे राजा - निकल दे घी ..पीला दे मुझे तेरा घी.. मैंने भी हरीश के गांड अपने दोनों हाथों से पकड़ राखी थी और उसके धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी .. तभी मैंने मेरा सर ऊपर उठाया और उसके लण्ड का टोपा मुँह मैं ले लिया - हरीश मदहोश हो गया - आह राणी .. क्या मस्त लण्ड चूसती हैं तू .. वह और जोर जोर से मेरे मम्मे अपने गरम लण्ड से रगड़ने लगा. मैं भी हर धक्के के सात उसके लण्ड को मुँह मैं ले लेती . हरीश बहुत देर तक मेरे मम्मे चोदते रहा .. मुझे अब एक अच्छे प्रतिद्वंदी के तरह अलग पैतरा आजमा कर उसको चरम सीमा तक ले जाना था .. नहीं तो खेल ख़तम नहीं होगा और वह ऐसे ही घंटो तक मेरी मम्मे को चोदते रहेगा . मैंने धीरे से अपने मम्मे पर से उसके हाथ हटा दीये और उसकी आंखों मैं नजरें मिला कर उसका मोटा लण्ड पूरा मुँह मैं ले लिया . हरीश को मेरा यह दाव अपेक्षित नहीं था .. मेरे गले मैं उसका लण्ड फास गया और मैं प्यार से उसको चूसने लगी .. वह ख़ुशी से आवेश मैं आकर अपना लण्ड पूरा बहार निकालता और फिर से अंदर मेरे गले तक घुसेड़ देता . अअअअअ आह .. कर के उसके लण्ड ने बड़ा झटका लगाया और कई झटकों के सात मेरे मुँह मैं एक के बाद एक अपने गाढ़े वीर्य का फंवारा छोड़ दिया .. मैं भी उसका गाढ़ा वीर्य चूसते रही..और गटक गयी .. मैंने उसके लण्ड को तब तक मुँह से बहार नहीं निकाला - जब तक आखरी बूँद नहीं पी ली .

हरीश ने अपना लण्ड मेरी मुँह से बहार निकाला और अब उसने पीछे हो कर मेरी टांगे फैला दी और..अपना मुँह मेरी चुत पर रख दिया . हरीश एक अच्छा खिलाडी था .. जानता था की उसको मुझे भी परस्त करना है .. मेरी चिकनी चुत को आजु बाजू सब तरह से चाट रहा था .. फिर उसने मेरे चुत के लिप्स पर अपने ओंठो के लिप्स रख दीये और पूरी चुत चूसने लगा .. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और मेरी चुत ख़ुशी के मारे गरम हो कर गीली हो रही थी .. फिर हरीश ने अपनी जीभ से मेरे दाणे को चाट कर मुँह मैं ले लिया .. मेरा दाणा भी फूलकर कड़क हो गया था .. हरीश बोलै - आह मेरी जान .. तेरी कोमल चुत पर यह दाणा किसी छोटे से एक सेंटीमीटर के लण्ड जैसे दिख रहा हैं ..ऐसे लग रहा मैं एक छोटूसा लण्ड चूस रहा हूँ - हरीश प्यार से मेरा कड़क मोटा दाना चूसने लगा .. मैं कसमसा गयी.. मेरी चुत मैं आग लग गयी थी .. मैंने कहा - हरीश प्लीज छोड़ दो .. पर वह और जोर से मेरे दाणे को चूसने लगा और अपने दोनों हातों से मेरी गांड दबाने लगा .अब उसकी उंगलिया मेरे गांड की छेद से खेल रही थी .. मेरे सब्र का बांध टूटने वाला था .. तभी हरीश ने मेरे दाणे को हलके से अपने दातों से चबा दिया .. और उसकी एक ऊँगली मेरी गांड मैं हलके से डाल दी.. मैं हाई .. आआह्ह आह्हः .. करके उसके सर को अपने चुत पर जोर से दबा दी और..मेरे चुत झड़ने से पाणी की गंगा बहने लगी .. हरीश वैसे ही मेरी चुत को चाट चाट कर सब पाणी पीते रहे .. वाह राणी ये तो स्वर्ग का अमृत हैं..इतना मीठा शहद .. मेरी चुत का सारा पाणी चाट कर वह मेरे बाजु लेट गया और मुझे अपनी बाँहों मैं कस कर पकड़ लिया .. हम एक दूसरे से लिपट गए और प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे ..

अब शाम हो गयी थी .. हमें भोउक भी लगी थी और खाना भी खाना था .. हरीश ने पूछा - जानम खाने के सात थोड़ी बियर पियोगी .. थकान चली जाएगी .. मैंने कहा सिर्फ थोड़ी से मंगा लो - काल तुम्हारा खेल का कम्पटीशन भी हैं ..

हरीश ने फ़ोन पर ही खाना आर्डर किया और २ ठंडी बियर भी मंगवा ली ..हम बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के लिए नहाने लगे .बाथरूम बहुत छोटा था , मुश्किल से हम दोनों शावर के नीचे खड़े हो गए चिपक कर .. एक दूसरे को साबुन लगाने लगे .. हरीश ने कहा - राणी तुम्हारे गोरे शरीर पर तो मेरे दातों के और चूसने से बहुत लाल लाल निशान पड़ गए .. और वह मुझे एक - एक निशान दिखाने लगा .. जैसे की उसने अपना निशान मुझ पर लगा कर मुझे उसका बना दिया था. मेरी चुत भी लाल हो कर सूज गयी थी .. मैंने देखा की हरीश के गर्दन , छाती पर भी वैसे निशान थे .. और उसके पीठ और गांड पर मेरे नाख़ून के खरोंच थी..हम दोनों हंस दीये - बराबर की टक्कर वाले खिलाडी हैं .

हम बाथरूम से बहार आकार एक दूसरे को टॉवल से सुखाने लगे .. तभी दरवाजे पर बेल बजी .. मैं जल्दी से अपने कपडे लेने भागी .. तभी हरीश ने मुझे पेट से पकड़ लिया - नहीं राणी कपडे नहीं . मैं चौंक गयी .. हरीश प्लीज रूम सर्विस बॉय हमें नंगा नहीं देख सकता .. हरीश बोलै नहीं राणी -हम दोनों ने यह फैसला किया था की रूम मैं पूरा टाइम नंगा रहेंगे . अब हम हमारा फैंसला नहीं तोड़ सकते ..

मैं हरीश की तरफ देखने लगी .. वह बड़ी शरारती और कमीने अंदाज में मेरे दोनों हातों को अपने हातों मैं पकड़कर मुस्करा रहा था ..

दोस्तों आगे की कहानी के लिए लाइक्स कीजिये ... क्या रूम सर्विस बॉय ने मुझे नंगा देखा ? बियर के सात हमारी रात कैसे कटी ? हरीश की स्पोर्ट्स कम्पीटीशन मैं क्या हुआ ? यह सब जानने के लिए कमैंट्स जरूर दे .. लिखे ओर रेटिंग्स भी जरूर दे ..​
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