Update 14

गुड न्यूज़ !

अमन मुझे बाथरूम ले गया और शावर के निचे खड़े कर के शॉवर चालू कर के चला गया.. मेरे शरीर पर शॉवर के गरम पानी से कुछ रहत आयी.. कुछ देर में अमन भी बाथरूम के अंदर आ गया ..वो पूरा नंगा था. होटल का ड्रेस वो बहार निकाल कर आया था. वो मेरे पास आया और मेरे पुरे शरीर पर साबुन रगड़-रगड़ कर लगाने लगा. उसने मेरे मम्मे पकड़ कर ...बहुत देर तक साबुन रगड़ा और उसपर लगे वीर्य और पसीना साफ़ किया. इस कारन मेरे चूचिया साफ़ हो गयी और कड़क भी.. उसने मेरी चूचिया चूसने शुरू की.. मेरे मम्मों पर बहुत सारे काटने के निशान थे..और लाल हो गए थे.. पता नहीं रातभर किन किन कमीनो ने उनको चूसा और काटा था .. फिर अमन नीचे बैठ गया.. मेरी जंघा फैला कर वह मेरी चुत साबुन से धोने लगा... मेरी चुत पूरी गीली थी और डेविड के वीर्य से भरी थी..अमन ने मेरी चुत में ऊँगली डाल कर पूरी साफ़ की. फिर उसने मुझे पीछे पलट ने को कहा और मेरी गांड साफ़ करने लगा.. उसने मेरी गांड की छेद पर साबुन लगाया वैसे मुझे थोड़ा दर्द हुआ..

अमन: मैडम आपकी गांड भी लाल है.. गोरो ने रात भर आपकी गांड भी मारी है ... इसलिए आपसे चलना नहीं हो रहा था.
मैंने कुछ नहीं कहा... वैसे अमन ने साबुन लगाकर एक ऊँगली मेरी गांड में घुसा दी..
अमन : मैडम आपकी गांड अंदर से एकदम चिकनी और चिप-चिपि हो गयी.. लगता है बहुत सारे मर्दों ने उनका वीर्य आपकी गांड में अंदर डाल दिया है.

मैं चुप रही.. ..अमन का काला कलूटा कटा हुआ लण्ड अब फनफना रहा था..और पूरा १० इंच का हो गया था..मैंने देखा वो अपने लण्ड पर साबुन लगा रहा था.. वह उठकर खड़ा हो गया और मेरी गांड की दरार पर अपना मोटा लण्ड रगड़ने लगा. उसने मुझे पीछे से कसकर पकड़ लिया और मेरे मम्मे दबाने लगा. उसका लण्ड का सूपड़ा अब मेरी गांड की छेद पर कुटाई कर रहा था. उसने दूसरा हाट निचे किया और मेरी चुत को रगड़ने लगा मेरी चुत कसमसाने लगी और फिर से पानी बहाने लगी.. साबुन लगाने से उसका लण्ड जल्दी मेरी गांड की छेद के अंदर चीरता हुआ फिसल गया..
रात भर की चुदाई से, या नशे के प्रभाव से मुझे दर्द नहीं हुआ.. और आनंद आ रहा था. अमन मेरी गांड जोर जोर से चोदने लगा..और मेरे मम्मे दबाने लगा.

अमन: रंडी..तेरी गांड तो बहुत कासी हुई..मस्त गरम है.. रात भर गोरे लोग तेरी गांड और चुत मारते रहे..
मैं; उम् अमन... कुछ भी मत कहो...
अमन: रंडी..मैंने खुद देखा..रात भर ..तू रांड बन कर सब से चुदवा रही थी.. करीब १० - १२ मर्दों ने कल रात को कई बार तेरी चुत और गांड मारी..
मैं: आह..अमन..उम् (अमन जोर जोर से मेरी गांड मार रहा था) ..धीरे...अमन कुछ भी मत कहो...मुझे याद नहीं..
अमन: उफ़..तेरी गांड कितनी गरम है.. कामिनी तुझे कैसे याद रहेगा.. तू डेविड के सात चूमा-चाटी कर के नशे में थी.. मैंने सब देखा..तुझे वही चोदने की इच्छा हो रही थी..पर कुछ कर नहीं सकता था..होटल के नियम के कारन में ग्राहक लोगों से हिल-मिल नहीं सकता ..नहीं तो नौकरी चली जाएगी..
मै: आह.. (अमन अब पूरा लण्ड बहार निकल कर फिर से मेरी गांड में डाल रहा था..पूरा लम्बा बड़ा स्ट्रोक लगा कर मेरी गांड चोद रहा था) तुम झूट बोलते हो तुम..अनीश ने मेरा ख्याल रखा होगा..
अमन जोर जोर से मेरी गांड मार रहा था.
अमन: अरे रंडी तुझे कुछ याद नहीं..उल्टा तेरा पति अनीश .. भड़वा है एक नंबर का.. एक एक फिरंगी को बुला कर तुझे चुदवा रहा था.. और तेरी चुत चाट - चाट कर साफ़ कर रहा था.
मैं: मुझे रो सिर्फ डेविड और बेन याद है ..
अमन: हाँ बाद में उन दोनों ने साथ मिलकर तेरी चुदाई की.. डेविड तेरी चुत मर रहा था और बेन तेरी गांड मार रहा था.. और उनके दोस्त तेरा मुँह चोद रहे थे..तू उनका पानी मजे से पी रही थी..हर आदमी ने कल तुझे चोदा होगा..और तूने भी हर आदमी का लण्ड का स्वाद चूस चूस कर लिया..
मैं..आह..मेरी चुत अब कसमसा रही थी.. गरम होकर पानी बहा रहे थी..

अमन ने एक हात निचे कर के ..मेरी चुत का दाना रगड़ दिया.. वैसे ही मैं...आह.........उफ़..कर के जोर से झड़ने लगी. झड़ने के कारन मेरी गांड थरथरा गयी और अमन के लण्ड को कस के जकड लिया. वैसे अमन भी आह..कराहकर मेरी गांड में झड़ गया.. मेरी गांड के अन्दर अमन के गरम पानी का अहसाह हुआ..
मैं थक गयी थी. बाथरूम की दीवाल को पकड़ कर खड़ी हो गयी..अमन का लण्ड भी मेरी गांड से बहार निकल गया.. वैसे उसने मुझे फिर से साबुन लगा कर साफ़ किया..
फिर मुझे टॉवल से सुखाया और अपने गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया. मुझे नींद आ रही थी.. मैंने अमन को मेरे ऊपर खींच लिया.. उसकी बाँहों में कसके पकड़ कर में सो गयी.
अमन के शरीर की गर्मी से मुझे सकून मिला और मैं थककर उसकी बाँहों में सो गयी..
थोड़ी देर में जब मेरी आँख खुली ..अमन मेरे लिए नाश्ता लाया था.. मुझे भूक लगी थी..मैंने पेट भर के खाया.. तभी अनीश भी रूम पर आ गया..
अनीश: आह..तुम यहाँ हो..अच्छा हुआ.. मुझे लगा डेविड के कमरे में तो नहीं चली गयी..
मैं: झूठे गुस्से में - कुछ भी..उसकी रूम में क्यों जाने लगी?
अनीश: रात भर उसको चूमती रही..मजा आया न..मस्त पार्टी रही.
मैं: हां मस्त पार्टी थी...पहले आप नहा लो..
अनीश नहाने चला गया.. मुझे अभी भी थोड़ा अस्वस्त लग रहा था. अनीश नहा कर बहार आये..
मैं: पता नहीं अभी भी थोड़ा चक्कर और भारीपन लग रहा सर में ..
अनीश; तुम रात भर डेविड को चूमती रही..और नशा करती रही..शायद इसलिए..
तभी मुझे फिर से उलटी जैसे होने लगा ..मैं बाथरूम चली गयी..

दोपहर को खाना खाने के बाद हम सोते रही.. थक गए थे.आराम की जरुरत थी.. शाम को फिर से आस पास घूमने गए. मुझे अभी भी भारीपन महसूस हो रहा था. रस्ते में एक अस्पताल आया, वैसे अनीश ने कहा..चलो संध्या..डॉक्टर को दिखा देते है..मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू..तुम्हारी तबियत को लेकर कोई रिस्क नहीं लूंगा.
वह एक लेडी डॉक्टर थी..उसने मेरा चेक उप किया. डॉक्टर ने कहा..डरने की कोई बात नहीं है.. आप माँ बनने वाली हो. उन्होंने कुछ दवाई दी..और क्या क्या परहेज करना होगा, यह भी बताया.
मैं सुन कर सुन्न रह गयी.. पर अनीश कदम खुश हो गए.. उन्होंने मुझे गले से लगा लिया.. थैंक यू संध्या..तुमने इतनी जल्दी मुझे बच्चा दे दिया..आज तो मैं बहुत खुश हूँ..
हम होटल आ गए.. अनीश बहुत खुश थे.. उन्होंने यह खुशखबर सब को घरवालों को सुनाई.. सब मुझे बधाई दे रहे थे..

मेरे मन में कश्मकश चल रही थी.. मेरे मासिक माहवारी से पहले मुझे सिर्फ दो लोगो ने चोदा था.. अनीश ने और बंटी ने.. पर अनीश का पानी तो मेरी चुत के अंदर पूरा गया भी नहीं था..न मुझे महसूस हुआ था.. फिर यह बच्चा किस का हो सकता है ? बंटी का ?
हे भगवन..! मुझे शादी से २ दिन पहले का किस्सा याद आ गया..बंटी के सात होटल में बिताये वो पल याद आ गये..उसका वह कहना ..याद आ गया.. पूरा दृश्य मेरी आँखों के सामने आ गया !
" बंटी: - ऐसे मत कहो संध्या.. हमारा प्यार अमर रहेगा..!
मैं: बंटी मुझे वचन दो..तुम खुश रहोगे..मेरे लिये दुखी नहीं रहोगे. तू खुश तो मैं भी खुश रहूंगी. तुझे दुःख देकर मैं कभी सुखी नहीं रह पाऊँगी.
बंटी: हाँ संध्या..मैं खुश रहूँगा ओर तुझे भी खुश रखूँगा.
आह....उह....आहे भरके बंटी मेरी चूत चोद रहा था... मेरी चूत भी अब गीली हो गयी थी.. बंटी का बड़ा मोटा केला मेरी चूत को हर जगह से घिसता था, आनंद देता था. मैंने जोर से बंटी को कसमसा के पकड़ लिया...ओर उसके लण्ड पर झड़ने लगी. बंटी ने भी उसका सारा वीर्य मेरी चूत के अंदर तक ड़ाल दिया..
मेरी चूत के गहराइयों तक उसका गरम पाणी चला गया था.""

सच में मेरा और बंटी का प्यार अमर था..मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हू.. यह बात अब सिर्फ मुझे पता थी. मुझे यह सब छिपाना होगा.. किसी से नहीं कहना होगा.
मैंने अनीश से कहा - अब मुझे खुद का ख्याल रखना पड़ेगा..आपको भी मेरा ख्याल रखना होगा..यह सब चुदाई और बिंदास खेल अब रोकना होगा.
अनीश ने कहा: हाँ संध्या में तुम्हारा पूरा ख्याल रखूँगा.. पर डॉक्टर ने कहा है की ७ वे महीने तक.. सेफ और हल्का सेक्स कर सकते है..
मैं: आप भी न..सब सेक्स घुसा है दिमाग में.. पर सिर्फ आपके सात. .
उन्होंने मुझे प्यार से बाँहों में ले लिया..हां सिर्फ मेरे सात..
उस रात सोते वक्त बिस्तर पर उन्होंने मुझे पूरा नंगा कर दिया ओरअपनी बाँहों में सुला लिया..वह सारी रात सिर्फ मुझे चाटते रहते..चूमते रहे..वो बहुत खुश थे..मेरी चुत मुँह में ले कर चूमते रहे..मैं २ बार झड़ गयी.. मैंने भी उनका लण्ड मुँह के अंदर तक निगल लिया ..और वह मेरे मुँह मैं झड़ गए.. मुझे उनके वीर्य का स्वाद बहुत पसंद आया मैं बहुत खुश हो गयी..
अनीश: क्या हुआ संध्या ..बहुत खुश हो
मैं; हाँ आप इतना प्यार करते हो मुज़से..खुश ही रहूंगी..और प्रेगनेंसी की वजह से पता नहीं..मुझे आपके पाणी का सव्वद बहुत अच्छा लग रहा..
अनीश खुश हो गए. अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हे दिन रात अपना पाणी पिलाऊंगा ..जब तक तुम्हारा मन नहीं भरता..
मैं भी खुश हो गयी..और फिर से अनीश का मोटा लण्ड चूसने लगी.. छोटे लण्ड चूसने का भी अपना आनंद होता है..पूरा मुँह में लेकर अच्छी से चूस सकते है..ना मुँह फाड़ना पड़ता है..ना गला.. !

अजीब क्रेविंग्स / लालसा !

हम हनीमून से वापस घर आये. सब लोग बहुत खुश थे. मेरा देवर आकाश जो की इंजीनियरिंग की फर्स्ट साल में था, मुज़से बहुत मजाक करता. क्या भाभी.. भैय्या ने तो हनीमून पर ही चौका मार दिया. गए थे २ लोग ओर तीन वापस आ गए. में शर्मा जाती. में रोज २-३ बार अनीश का लण्ड चूसकर उसका वीर्य पीती थी. मुझे शायद प्रेगनेंसी की क्रेविंग्स हो गयी थी.. ओर वीर्य का स्वाद पसंद आने लगा था..बिना उसके लण्ड का पाणी चखे संतुष्टि नहीं मिलती. अनीश को तो अच्छा ही हो गया था..वोः बहुत खुश था ओर मेरी मज़बूरी का फ़ायदा लेकर बड़े नखरे कर के अपना लण्ड मेरे मुँह में देता.

इसी ख़ुशी में पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल ने उनके घर दावत राखी. धर्मेश अंकल के बारे में में पहले ही बता चुकी हूँ. धर्मेश अंकल बहुत आवारा ओर लफड़ेबाज़ किसम का आदमी है. धर्मेश दिखने में बहुत सुन्दर ओर खूबसूरत है. बॉलवुड स्टार धर्मेंद्र की तरह. उसी का वो फ़ायदा उठाता हैं. कॉलेज के दिन अपने कमरे में लड़किया बुलाता था. २-३ बार हॉस्टल में नंगी लड़कियों के साथ पकड़ा गया ओर निकाला गया. कोई भी सुन्दर औरत को आसानी से पटा लेता है. पम्मी मौसी को भी वैसे ही पटा लिया था. रिश्ते ओर आस पड़ोस की काफी औरतों से सम्बन्ध है. अपनी मीठी बातें, प्यार, या ब्लैकमेल, या खूबसूरती से आसानी से हर औरत को फंसा लेता है. धर्मेश अंकल की पर्सनालिटी एकदम मस्त थी..एक गोरा, एकदम फिट, ५० -५५ की उम्र वाला आदमी था, नीली गहरी आंखें, एकदम कबीर बेदी जैसी, हट्टा-कट्टा पहलवान जैसे शरीर. सच में कुछ तो बात थी धर्मेश में. सबको आकर्षित कर लेते थे.

चुकि अब मेरा तीसरा महीना हो गया, मैंने लूज़ गाउन पेहेन लिया ताकि बार बार बाथरूम जाने में आसानी रहे. . मुझे बार बार पेशाब होती थी. मेरे पास एक नीले रंग का बहुत सुन्दर लेग कट गाउन था. वही पहना था. वजन बढ़ने के कारन वोः मुझे काफी टाइट हो रहा था ओर मेरे बुब्स ओर गांड उसमे एकदम निखर के आ रहे थे. पम्मी मौसी ने बहुत प्यार से स्वागत किया. हम सवेरे ही चले गए थे ताकि शाम तक उनके सात टाइम स्पेंट करे ओर वापस आये. धर्मेश अंकल मुझे आंखें फाडफाडकर देख रहे थे. उनकी वासना भरी नजर से मेरा बदन सीहर गया. सुबह जल्दी निकलने के फ़िराक में मुझे अनीश के लण्ड को चूसकर उसका वीर्य पिने का समय नहीं मिला. धर्मेश अंकल मुझे प्यासी नजर से देखते. मेरी वीर्य पिने की क्रेविंग / लालसा बढ़ गयी. बड़ा अस्वस्थ लग रहे था. धर्मेश अंकल - क्या हुआ संध्या ? सब ठीक है ना? तबियत ठीक है? उन्होंने मेरी अस्वस्थता भांप ली थी शायद.

मैंने कहा - कुछ नहीं अंकल .. मुझे टॉयलेट जाना है.. उन्होंने मुझे टॉयलेट दिखाया .. पम्मी मौसी ने कहा - संध्या ऐसी अस्वस्थ में बार बार पेशाब लगती है.. तुम कोई भी टॉयलेट यूज़ करो..उन्होंने उनकी बैडरूम की टॉयलेट भी मुझे दिखा दी. धर्मेश अंकल अनीश को गेस्ट रूम ले कर गए ओर वो दोनों बातें करने लगे. कुछ देर बाद मुझे फिर से पेशाब लगी, मेँ कॉमन टॉयलेट गयी , वो बंद था. फिर मे पम्मी मौसी के बैडरूम के टॉयलेट की तरफ चली गयी. मुझे बड़ी जोर से पेशाब लगी थी. में टॉयलेट के अंदर गयी ओर पैंटी निचे कर के गाउन ऊपर कर दिया ओर टॉयलेट सीट पर मुतने बैठ गयी. तभी टॉयलेट का दरवाजा खुला, शायद मैंने लॉक नहीं किया था, ओर धर्मेश अंकल अंदर आ गए. उनके पजामा का नाडा खुला था, अंडर वियर निचे थी ओर उनका मोटा गोरा बड़ा लण्ड उनके हात में था.
धर्मेश अंकल: ओह सॉरी संध्या मुझे नहीं पता था तुम अंदर हो. मै पेशाब करने अंदर आया था.
मैंने कहा : कोई बात नहीं धर्मेश अंकल..मैंने भी शायद दरवाजा लॉक नहीं किया था.
धर्मेश अंकल: सच में सॉरी संध्या ..
उनका लण्ड अभी भी उनके हात में था. वो उसको अंदर पजामा में नहीं डाले थे . उनका लण्ड उनके हात में फूलकर लम्बा मोटा हो रहा था. वोः मेरी आँखों में देख रहे थे. में भी उनकी नजरों से मोहित होकर उन्हें देख रही थी. उनको मेरी साफ़ ओर बिना बालों वाली फूली चूत साफ़ दिख रही थी. उनकी नजर अब निचे मेरी चूत पर थी.
मैंने कहा : तिस्क हैदाहरमेश अंकल.. गलती हो जाती है.
धर्मेश अंकल: हाँ ओर इस बाथरूम के दरवाजे का लॉक भी ठीक नहीं है.
धर्मेश अंकल का पजामा पूरा निचे गिर गया था ओर उन्होंने धीरे से उनकी अंडरवियर निचे खिसका दी.
मैंने कहा: इसमें आपकी कोई गलती नहीं है.
धर्मेश अंकल: वाह ! .. बहुत सुन्दर
मैंने पूछा : क्या धर्मेश अंकल ?
धर्मेश अंकल: तुम्हारी चूत बहुत सुन्दर हैं संध्या
मेँ शर्मा गयी. मैंने गाउन ओर ऊपर उठा लिया. इसके कारन अब में निचे से धर्मेश अंकल के सामने एकदम नंगी थी. धर्मेश अंकल ने अपना पजामा पूरा निचे गिरा दिया. अंडरवियर भी निकाल दी. वोह अब सिर्फ एक टाइट टी शर्ट में थे. इस उम्र में भी उनका लण्ड बहुत सुन्दर था. शायद इतना सुन्दर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा. पूरा १० इंच का , काला लण्ड, लाल टोपा ओर फुला हुआ. में उनके रूप से मोहित हो गयी.
मैंने शर्मा कर कहा : कुछ भी धर्मेश अंकल..आप बड़े शरारती हो.
धर्मेश अंकल: में झूठ नहीं बोलता..तेरी कसम संध्या..इतनी सुन्दर बुर मैंने आज तक नहीं देखी.
मैंने भी शरारती अंदाज में पूछा: अच्छा ! ऐसी कितनी बुर देखी होंगी आपने आजतक..
धर्मेश अंकल: सच में..पिछले ३० सालों में कम से काम ढाई हजार बुर तो देखी है..पर तेरी जैसे सुन्दर चूत कभी नहीं देखी..कितनी मास्ट चिकनी, साफ़, फूली हुई, टमाटर की तरह लाल - गुलाबी..वाह यह जन्नत है..
में शर्मा गयी.. मेरी चूत गीली हो गयी..ओर मे्रे पाणी से चमकने लगी.. मैंने कहा = चलो झूठे..
धर्मेश अंकल: आह ! संध्या..तेरी चूत तो पाणी बहा रही..चमक रही है..
उन्होंने अपना हात आगे कर के मेरी चूत पर रख दिया ओर प्यार से सहलाने लगे. मुझे भी अभी वीर्य के स्वाद की क्रेविंग्स हो रही थी. में सिर्फ उनकी वासना भरी आँखों में टक लगा कर देख रही थी. इसी बीच उन्होंने आगे बढ़कर अपने लण्ड का मोटा गोल सूपड़ा मेरे ओंठों पर लगा दिया. मुझे उनके लण्ड की खुसबू से क्रेविंग्स बढ़ गयी. मैंने उनका सूपड़ा मुँह मेँ लिया ओर लॉलीपॉप की तरह प्यार से जोर जोर से चूसने लगी. उनका मोटा लण्ड काले नाग जैसे फुफकार रहा था.

में बस उनको देखकर अपने दोनों हातों से उनका लण्ड पकड़कर चूस रही थी. वो मेरी चूत सहला रहे थे.
धर्मेश अंकल: आह.. संध्या इतनी सुन्दर चूत मैंने मेरी लाइफ मेँ कभी नहीं देखि. मुझे इसकी ठुकाई करनी है.
मैंने कहा: प्लीज धर्मेश अंकल अभी नहीं..में प्रेग्नेंट हूँ... मुझे जाने दो
धर्मेश अंकल...फिर मुझे बस थोड़ी देर तेरी चूत चाटने दो..
में मान गयी..मैंने मेरे पैर फैला दिए.. धर्मेश अंकल अपना लण्ड हिलाते हुए निचे बैठे ओर मेरी चूत चाटने लगे. उनकी जीभ इतनी मोटी, लम्बी ओर खुरदुरी थी..मुझे लग रहे था जैसे कोई लण्ड हो. उन्होंने मेरा दाणा चूस लिया ओर अपने दातों से धीरे से काटा. मैंने उनका सर अपनी चूत पर जोर से दबा दिया..ओर आह..उम्..करके मेरा पाणी निकाल गया. वो बड़े प्यार से मेरी चूत का पाणी चाटने लगे..ओर फिर से मेरी चूत का दाणा चूसने लगे. में फिर से गरम हो गयी.
धर्मेश अंकल मेरी आँखों में आंखें डाल कर मनाने लगे : प्लीज संध्या..सिर्फ थोड़ा सा ऊपर ऊपर से चोदूूँगा तेरी चूत. मना मत कर
मैंने कहा .. नहीं अंकल .कोई आ जायेगा..बड़ी बेज्जती होगी..प्लीज जाने दो..
वोह उठकर खड़े हो गये ओर बोले: . ठीक है..सिर्फ एकबार मे्रे लण्ड को किश कर दो..फिर चली जाना..
मैंने उनका लण्ड अपनी दोनों हातों में पकड़ लिया..ओर उनके लण्ड के टोपे पर जीभ फिर दी. वैसे ही उनके लण्ड की महक मे्रे नाक को महसूस हुई. उनके लण्ड को चाटकर उसका स्वाद मुझे किसी अमृत की तरह लगा. में खुद को रोक नहीं पायी. धीरे धीरे मैंने उनके लण्ड का पूरा टोपा अपने मुँह में ठूस लिया. उन्होंने झट से उनका लण्ड मे्रे मुँह से निकाला ओर कहा - ठीक है..थैंक यू संध्या..तू अब जा सकती हो.
मैंने हैरानी से देखने लगी. उनको मेरी कमजोरी पता चल गयी थी. मेरी वीर्य के स्वाद ओर महक की लालसा बढ़ रही थी. में अपनी जगह बैठे रही ओर भुकी नजरों से उनके लण्ड को देखती रही. मुज़से रहा नहीं गया..में उनके लण्ड पर झपट गयी ओर फिर से अपने मुँह में ले लिया..
वैसे अंकल ने फिर से उनका लण्ड मे्रे मुँह से बहार निकाल दिया ओर बड़े प्यार से मे्रे गालों पर हात फेर के बोले..प्लीज संध्या सिर्फ एक बार..चोदने दो. बस ऊपर - ऊपर ही छोडूंगा.. सिर्फ एक - दो इंच लण्ड अंदर डालूंगा ओर तेरी चूत के पाणी में भिगोकर बहार निकाल लूंगा. मे्रे पर यकीन करो. मैंने शर्मा के चेहरा निचे कर दिया.

उन्होंमे मे्रे पैर ऊपर उठाये ओर अपने मोटे लण्ड का टोपा मेरी चूत की द्वार पर रख दिया. में मना नहीं कर पायी. मेरी चूत ऐसी ही गिल्ली थी. बड़े प्यार से धिरे से उन्होंमे ३ इंच लण्ड का लाल टोपा मेरी चूत में अंदर डाल दिया. उनके लण्ड का टॉप इतना गोल-मोटा था .. जैसे कोई बड़ी मुसल. मेरी चूत को अंदर से रगड़ रगड़ कर ठुकाई कर रहे थे. इसी बीच में जोर से आँहे लेने लगी..ओर उनके लण्ड पर झड़ने लगी..उम्..आह..धर्मेश अंकल..मर जाउंगी/.. आपकी मुसल ..
धर्मेश अंकल; आह संध्या ..तेरी चूत कितनी कसी हुई है..लगता है अनीश का लण्ड बहुत छोटा है.. मेरा लण्ड कैसे लगा रानी ? खुश हो ना?
मैंने कहा : उम् .. आपका लण्ड बहुत बड़ा है धर्मेश अंकल.. बहुत अच्छा लग रहा है..पर अब इसे निकाल दो..में प्रेगनेंसी में रिस्क नहीं लेना चाहती
धर्मेश अंकल : में समाज सकता हूँ संध्या.. जब तुम्हारा बच्चा हो जायेगा उसके बाद फुर्सत से तेरी रात भर चुदाई करूँगा.. पर अब तू मेरा लण्ड चूस के पाणी निकाल दे.
में वही चाहती थी. मुझे वीर्य के स्वाद का क्रेविंग्स / चस्का लगा था. धर्मेश अंकल ने धीरे से उनका लण्ड मेरी चूत से बहार निकला ओर मे्रे ओंठों पर रख दिया.

मैंने भी उस सुन्दर विशाल लण्ड को पूरी इज्जत दी. दोनों हातों से प्यार से पकड़ कर उनका गुलाबी सूपड़ा चूसने लगी. एक हात से मैंने उनकी बड़ी बड़ी सांड जैसे गोटिया पकड़ ली ओर सहलाने लगी. धर्मेश अंकल खुश हुए. वोः लम्बे लम्बे स्ट्रोक से मे्रे मुँह को चोदने लगे. मैंने मेरी गर्दन ऊपर की ओर उनका पूरा लण्ड मे्रे गले तक अंदर ले लिया.
धर्मेश अंकल ; आह रानी..तू तो बड़ी एक्सपर्ट है लण्ड चूसने मेँ. अनीश बड़ा लकी है..
धर्मेश अंकल मे्रे मुँह को जोर जोर से चोदने लगे..मैंने भी उनकी गोटियां सहलाई..ओर २-३ बार उनका पूरा १० इंच का लोडा गले के अंदर तक ले लिया..वो हाफने लगे ओर..ुम.. ाः.. आह.. करके मे्रे मुँह में झड़ने लगे.
मैंने उनका लण्ड गले से बहार निकाला ओर उनका पूरा पाणी अपने जीभ पर लिया ताकि उसका स्वाद ले सकू. वाह ! .. क्या बात थी. उन्होंने १५-२० फवारे में इतना सारा वीर्य मे्रे मुँह में ठूस दिया. ओर क्या स्वाद था.. मीठा शहद.. इतना स्वादिष्ट वीर्य मैंने कभी नहीं चखा था. में उनके वीर्य के खुशबू ओर स्वाद की दिवानी हो गयी. तभी बहार हमें कुछ आवाज आयी.
धर्मेश अंकल: जल्दी जावो संध्या..शायद तुम्हे तेरी सास ढूंढ रही.
में जल्दी से साफ़ सुथरी होकर बहार आ गयी.ओर सोफे पर बैठ गयी. वीर्य चखने की मेरी लालसा तृप्त हो गयी थी. कुछ देर बाद धर्मेश अंकल आये ओर सामने वाले सोफे पर बैठ गए. उनके चहरे पर ख़ुशी थी, मीठी मुस्कान थी ओर आँखों में शरारत थी. वोह बार बार मुझे उनकी नज़रों से घायल करते, उनकी नजर मुझे नंगा महसूस कराती.

शाम को हम वापस घर आये. धर्मेश ने मुझे पागल कर दिया था, मेरी वीर्य चखने की लालसा फिर से बढ़ गयी थी. बैडरूम जाकर मैंने झट से अनीश की पैंट निचे कर दी , उसको नंगा कर के उसके लण्ड को पागलों की तरह चूसने लगी. अनीश जोर जोर से हसने लगा..अरे में भूल गया तुम्हारी गर्भावस्था की लालसा..इतने देर तक बिना वीर्य चखे कैसे दिन गुजरा ?
मैंने अनीश का पूरा लण्ड गले तक ले लिया ओर जोर जोर से चूसने लगी..मैंने आंखें बंद कर ली. मेरी आँखों के सामने धर्मेश अंकल का खूबसूरत लण्ड ओर उनके वीर्य की महक ताजा हो गयी. बहुत जल्दी अनीश झड़ गया..ओर मैंने उसका सारा वीर्य पी लिया. .अनीश हैरानी से मुझे देख रहा था.. संध्या तुम्हारी क्रेविंग्स / लालसा हर दिन बढ़ते जा रही है. मैंने कहा - हाँ .. क्या करू जान..तुमने ही आदत लगा दी.. ओर हम दोनों हंसने लगे ओर फिर एक दूसरे की बाँहों में नंगे सो गए.

सुबह जब आँख खुली तो मुझे वीर्य की महक आ रही थी ओर मुँह में स्वाद आने लगा था. मे्रे हातों में अनीश का लण्ड फनफना रहा था. वोह अभी भी सोया था. मेरी वीर्य के स्वाद की लालसा जाग गयी थी..ओर मैंने उठकर अनीश का लण्ड को फिर से मुँह में ले लिया ओर चूसने लगी. अनीश भी धक्के मार के मेरा मुँह चोदने लगा. कुछ देर बार वोह झड़ गया ओर में जीभ से चाट चाटकर उसके वीर्य का स्वाद लेने लगी. पर वो स्वाद ओर खुशबू ना था. अब मेरी लालसा किसी ओर स्वाद ओर खुशबू की थी..धर्मेश अंकल के वीर्य की..उफ़. अब कैसे होगा?

अनीश मुझे निहार रहा था.. क्या हुआ रानी? तुम्हारी लालसा आज तृप्त नहीं हुई? तुम अभी भी अस्वस्थ हो?
मैंने कहा .. नहीं ऐसी नहीं है...ओर कुछ बहाना बना के बाथरूम चली गयी. में सोचने लगी.. मेरी लालसा बढ़ रही थी..पर वोह अब धर्मेश अंकल के लण्ड की खुशबू ओर उनके वीर्य के स्वाद के लिए थी. मै बैचैन हो उठी. क्या करे ? कैसे करे? मुझे कोई रास्ता दिख नहीं रहा था.

में पूरी सुबह सोच रही थी की क्या किया जाये..तभी मे्रे सास ससुर ने हमें निचे बुलाया. उन्होंने बताया की उन्हें आज ही ुरगेंटली अनीश की बुवा की देखभाल के लिए भोपाल जाना पड़ेगा. उन्हें दिल का दौरा आ गया ओर पता नहीं कितने दिन लग जाये. सो उन्होंने पम्मी मौसी से बात कर ली है. जब तक मे्रे सास ससुर वापस नहीं आते तब तक पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल कुछ दिन हमारे घर रहेंगे ओर मेरी देखभाल करेंगे. मुझे आश्चर्य हुआ. भगवन ने मेरी सुन ली.. दिल से अंदर ही अंदर में बहुत खुश हो गयी. दोपहर को मे्रे सास ससुर फ्लाइट से भोपाल चले गये. अनीश उन्हें एयरपोर्ट छोडने गये ओर वहां से ऑफिस चले गये. तभी मुझे दरवाजे की रिंग सुनाई दी..शायद पम्मी मौसी ओर धर्मेश अंकल आ गये थे..में दौड़ी दौड़ी गयी..ख़ुशी से..उनके स्वागत के लिए.

धर्मेश मौसाजी से चुद गयी !

मैंने दौड़ कर जाकर दरवाजा खोला. सामने धर्मेश अंकल उनकी कमसीन नजरों से मुझे देखकर मुस्कराने लगे. उनके सात पम्मी मौसी थी और उसके पीछे एक बहुत खूबसूरत लड़का था. वह कुछ सोलह सत्रा साल का था, लम्बा पतला और बहुत गोरा चिट्टा गबरू जवान. उसने टाइट टी शर्ट और हाफ पैंट पहनी थी और उसकी झील सी नीली आंखें थी. उसके दोनों हातों में बैग्स थे. पम्मी मौसी ने बताया की वो उनका नौकर यासीन हैं जो गेस्ट रूम में रहेगा और घर के काम में मदत करेगा, उम्र की वजह से अब पम्मी आंटी से ज्यादा चला नहीं जाता और घर के काम भी नहीं होते. मैंने उनका मुस्करा कर स्वागत...पम्मी आंटी ने मुझे पास खींचकर गले से लगा लिया. धर्मेश अंकल कहा पीछे रहते, उन्होंने भी मुझे प्यार से गले लगाया.. और अपने दोनों हात मेरी गांड पर रखकर अपनी और खिंच लिया और मेरी चुत के ऊपर से अपना मोटा कड़क लण्ड रगड़ दिया. मेरे शरीर में कंपकपी हो गयी और मैं सिहर गयी. उन्होंने हलके से मेरे कान के पीछे भी अपनी जीभ फेर ली. पर मुझे अच्छा लगा. मैंने देखा के यासीन पीछे से सब देख रहा था और उसके नीली आँखों में अजीब चमक और शरारत थी. मैंने यासीन से कहा..ऊपर टेरस पर सर्वेंट रूम है, खाली पड़ा है तुम वही पर रहना और पम्मी मौसी का सामान गेस्ट रूम मैं रखवा दिया.मैंने कहा - अंकल और मौसी आप बैठिये, मैं आप के लिए चाय बनाती हूँ, वैसे यासीन ने कहा, मैडम मैं हेल्प कर देता हूँ, आप सिर्फ मुझे बताये की क्या क्या कहा रखा है. यासीन बड़ा चुस्त और फुर्तीला लड़का था. मैं उसे किचन की सब चीजे दिखाने लगी. वो मेरे बिलकुल पास खड़ा था और एक एक चीज कहा रखी वो देख रहा था. जैसे मैं उसे बर्तन के ट्रे दिखाने निचे झुकी, मेरी गांड उसके लण्ड से टकरा गयी. मैंने हाफ पैंट के अंदर उसका एकदम लोहे जैसे सख्त औजार महसूस किया.
मैं वही झुकी रही..और बताने लगी - यासीन यह देखो यहाँ बर्तन है, और उस ड्रावर में चकला - बेलन है.
यासीन - हां मैडम समज गया .. चमच और प्लेट्स कहा पर है?
वह पीछे से थोड़ा और मेरे पास आ गया और मुझे उसका लण्ड मेरी गांड की दरार पर महसूस हुआ.
मैंने उसे दिखाया - यह देखो यहाँ पर सब प्लेट्स, चमच रखे हुए है.
यासीन - मैडम चीनी और चाय पाउडर कहा रखा है ?
मैंने उसे दिखाया - यहाँ देखो चीनी और चाय पाउडर है
यासीन - : मैडम मसाले कहा रखे है?
वो अब मेरी गांड से चिपक गया था और अपना लण्ड मेरी गांड की दरार में रगड़ रहा था. मुझे भी मजा आ रहा था. मुझे पता चल गया था की वो जानबूझ कर इतना सब पूछ रहा ताकि मेरे गांड अपने लण्ड से रगड़ सके.
मैंने उसे दिखाया - यह देखो मसाले यहाँ रखे है..
तभी धर्मेश अंकल किचन में आये और बोले - संध्या सब ठीक से समजा दिया ना..देखो यासीन अब सब काम तू संभाल ले, संध्या को कुछ भी तकलीफ न हो, उसको कोई काम न करना पड़े. हम दोनों हड़बड़ा गए, यासीन पीछे हट गया और मैं भी झट से खड़ी हो गयी.
यासीन: हा साब, आप बिलकुल फिक्र मत कीजिये, मैं मैडम का बहुत अच्छी से ख्याल रखूँगा
यासीन ने झट से चाय बना ली और हम सब चाय के मजे लेने लगे. फिर पम्मी मौसी ने कहा - मैं थक गयी हूँ मैं जरा आराम कर लेती हूँ और वो अपने गेस्ट रूम में चली गयी. अब कमरे में सिर्फ मैं और धर्मेश अंकल थे और टीवी देख रहे थे .. वह मुझे कमसिन नजरों से देख कर मुस्करा रहे थे. मुझे फिर से उनके लण्ड की खुशबू और स्वाद की लालसा बढ़ने लगी. मैंने कुछ सोचा और मुस्कुरा कर धर्मेश अंकल को देखा और उठकर जाने लगी.
धर्मेश अंकल - अरे संध्या कहा जा रही हो, बैठो..बातें करते है.
मैंने कहा - अंकल अभी आयी, चेंज कर के .. और उनको मादक नजरों से देखकर अपने कमरे में चली गयी. मैंने मेरी पैंटी और ब्रा निकाल दी, पूरा नंगी हो गयी और मेरा एक लाल रंग का पुराना गाउन पहन लिया, जो लेग साइड से कटा था, गाउन मुझे बहुत टाइट फिट हो रहा था. प्रेगनेंसी के कारन मेरा बदन भरा था और वजन भी बढ़ रहा था. लग रहा था की थोड़ी सी हलचल से टाइट गाउन कभी भी फट जायेगा. मैं फिर से हॉल में आ गयी और एक लम्बी सी अंगड़ाई लेकर सोफे पर बैठ गयी. धर्मेश अंकल मुझे घूर रहे थे. उनको ४४० वाल्ट का झटका लगा था. उनकी आँखों में चमक और वासना थी. नजरों से मुझे चोद रहे थे. उनकी पैंट के अंदर बड़ा उभार आ गया था और उनका लण्ड फुफकार रहा था. उनको टाइट गाउन से मेरे खड़े चूचियां साफ़ दिखाई दे रही थी.. मैं भी शरारती अंदाज मैं उनको देखती और मुस्करा देती. मैं फिर से उठी और जाने लगी.
धर्मेश : अरे संध्या कहा जा रही हो
मैंने कहा : कुछ नहीं अंकल जरा वाशरूम जाकर आती हूँ .. हमारे वाशरूम के दरवाजे का का लॉक भी ख़राब हो गया, मैकेनिक को भी बुलाना पड़ेगा..
और मैं मुस्कुरा कर अपने कमरे मैं चली गयी. मैंने अब धर्मेश अंकल को मेरे कमरे मैं आने की दावत दे दी थी.
मैं अपने कमरे में आकर आईने के सामने खड़ी हो गयी.. मैंने देखा की धर्मेश अंकल दरवाजे पर खड़े थे.. वह अंदर आ गए और प्यार से मुझे पीछे से जकड लिया..
उनके दोनों हात मेरे पेट पर थे मैंने उनके दोनों हात प्यार से पकड़ ले और सिसकारी भरी. वह मेरे गले पर चूमने लगे...और फिर मुझे अपनी तरफ मोड़ कर मेरे गाल चूमने लगे..मैंने भी उनको कास के पकड़ लिया..मेरे जांघों के बीच मुझे उनका सख्त गरम लण्ड महसूस हुआ.

उन्होंने प्यार से मेरे ओंठों पर ओंठ रख दिए और रसपान करने लगे...मेरी जीभ चूसने लगे.. धर्मेश अंकल बहुत अच्छे प्रेमी थे.. पहली बार मुझे प्यार कर रहे थे..वह मुझे गले के निचे किस करने लगे और जैसे उन्होंने मेरे बूब्स चाटने गाउन को निचे किया..वैसे मेरा गाउन - चिर्र.. करके फटता चला गया.. उन्होंने उसे पूरा फाड् डाला और एक तरफ फेक दिया और मैं अब उनके सामने एकदम नंगी थी. मैंने शर्मा उनको कस के पकड़ लिया..और उनकी टी शर्ट निकाल दी..
धर्मेश अंकल - संध्या तुम गजब की सुन्दर हो.. क्या तुझे मैं पसंद हूँ?
मैंने हाँ मैं गर्दन हिला दी..वैसे उन्होंने कहा
धर्मेश अंकल - ऐसे नहीं संध्या..बोलकर इजहार करो..क्या तुम्हे मैं पसंद हूँ?
मैंने कहा - हा अंकल..आप बहुत अच्छे हो.. मुझे आप बहुत पसंद हो.
धर्मेश अंकल - क्या तुम्हे अंकल से चोदना पसंद है?
मैंने कहा - हाँ मुझे अच्छा लगा..
धर्मेश अंकल - बताओ संध्या तुम्हे अंकल क्यों पसंद है?
मैंने कहा - आप बहुत अच्छे हो, बहुत प्यार करते हो..
धर्मेश अंकल - सिर्फ मैं पसंद हूँ ? मेरा लण्ड पसंद नहीं आया?
मैंने कहा - हाँ अंकल आपका लण्ड बहुत अच्छा है..इतना सुन्दर लण्ड मैंने कभी नहीं देखा..
धर्मेश अंकल - ऐसी बात है तो अपने अंकल को तुम खुद अपने हातों से कपडे निकाल कर नंगा करो
मैं शर्मा गयी. नखरे करके कहा - मुझे शर्म आती है
धर्मेश अंकल - तू अपने अंकल को चाहती है ना..फिर इसमें क्या शर्म .. हम एक दूसरे को पहले भी नंगा देख चूका
मैंने प्यार से धर्मेश अंकल के कपडे निकलने चालू किये.. मैंने उनकी बनियान निकाल दी. उनका गोरा बदन काले बालों से भरा था..बड़ा सेक्सी कसा हुआ बदन था..मर्दाना बालों वाला बदन था और बहुत अच्छी सी मर्दानी खुशबू आ रही थी. धर्मेश ने मुझे सीने से लगा लिए.. मैं उनके बदन की खुशबू से मोहित हो गयी..उन्होंने मेरे मम्मे प्यार से अपने हातों में लिए और मसलने लगे.
मैंने उनकी बेल्ट खोली और उनकी पैंट निचे की..
उन्होंने एक सेक्सी जॉकी ब्रीफ्स पहनी थी.. उसमे उनके लण्ड का खड़ा उभार साफ दिख रहा था..इतना बड़ा उभार मैंने कभी नहीं देखा था.उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा चेहरा अपने उभार पर रगड़ने लगे. उनके ब्रीफ्स से उनके लण्ड की खुशबू मुझे पागल कर रही ही.. वैसे उन्होंने अपनी ब्रीफ निचे कर के निकाल दी और मेरे चेहरा पर अपना लण्ड और गोटिया सहलाने लगे.

मैंने भी प्यार से उनका लण्ड पकड़ लिया और उनके लण्ड का गुलाबी टोपा अपने जीभ से चाटने लगी..वैसे वह - आह ! संध्या रानी..उम्..क्या मस्त चूसती है तू मेरा लण्ड.
मैंने उनके लण्ड का सूपड़ा चूसना चालू किया.. और चेहरा ऊपर कर के उनका पूरा लण्ड अपने गले तक अंदर डाल दिया. मेरी थूक से उनका लण्ड एकदम चिकना हो गया था.. और मेरे गले मैं आगे पीछे फिसल रहा था. उनका शानदार लण्ड एकदम गरम और सख्त हो गया था.. वह बड़े प्यार से मेरी आँखों मैं आंखें जमाये मेरा मुँह चोद रहे थे. फिर धर्मेश अंकल ने उनका पूरा लण्ड मेरे गले मैं ठूस दिया..मेरे आँखों से आंसू आने लगे...पर अच्छा लग रहा था.. धर्मेश अंकल बोले - ले रंडी खा ले मेरा पूरा लण्ड..खा ले पूरा.. फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरे गले से निकाला मुझे खड़ा किया और बिस्तर पर पीठ के बल सुला दिया .. मैं भी नंगी..पैर फैला कर, अपनी चुत खोलकर रंडी जैसे लेट गयी. वह मेरे सर के बाजु से आये ...और मेरे दोनों बूब्स मसलने लगे..फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरे बूब्स के दरार मैं फसा दिया और दोनों बूब्स एकसात जोड़ दिए और अपने लण्ड से मेरे बूब्स चोदने लगे. मेरे कोमल मुलायम बूब्स पर उनका सख्त गरम लोडा फिसल रहा था.. रगड़ रहा था..मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. तभी वो निचे झुक कए और मेरी चुत चाटने लगे.. ऐसे करने से उनकी गांड मेरे चेहरे के ऊपर आ गयी.. उनकी काले बलोंग वाली गोरी गांड बहुत खूबसूरत थी.. गांड की दरार मैं बालों के बीच उनका गुलाबी छेद बहुत मस्त लग रहा था. तभी उन्होंने अपनी गांड और निचे झुका ली और उनकी गांड का छेद मेरे नाक पर रगड़ने लगे. मुझे उनकी गांड की खुशबू बहुत मादक ली..
धर्मेश अंकल - रंडी चाट ले..मेरी गांड..अपनी चीभ से
मैंने अपनी जीभ बहार निकाली और उनकी बालों वाली गांड चाटने लगी.. क्या मस्त स्वाद था उनकी गांड का मैं कामुक हो गयी.. तभी उन्होंने मेरी चुत की दरार के अंदर अपनी मोटी लम्बी जीभ घुसा दी..और अपने नाक से मेरी चुत का दाना रगड़ने लगे. मैं कांप रही थी..उधर उनकी गांड मेरे मुँह पर रगड़ गयी थी और मैं मेरी जीभ उनके छेद केअंदर डाल डाल कर चाट रही थी. तभी धर्मेश अंकल ने मेरे चुत का दाना अपने ओंठों में ले लये और जोर जोर से चूसने लगे. मेरी चुत से पानी का झरना बाह रहा था.. मैंने उनका सर अपने दोनों हातों से अपनी चुत पर दबा दिया.. और गांड उछाल उछाल कर उनके मुँह मैं झड़ने लगी.. हाय ! मर गयी... उह....और उन्होंने भी उनकी गांड का छेद मेरे मुँह मैं दबा दिया..वह मेरा सारा पाणी पी गए..बोले - वाह रानी..क्या अमृत जल है..तेरी चुत का पाणी तो अमृत से मीठा है. रोज इसे पिया करूँगा.

अब उनका लण्ड फुफकार रहा था..उनका नाग अब मेरे भीगे बिल में जाने को बेताब था..वह उठे और मेरे पैर अपने कंधे पर उठा दिए और उनके लण्ड का गुलाबी सूपड़ा मेरी चुत के द्वार पर रख दिया.
वैसे मैंने घबरा कर कहा .. धर्मेश अंकल सिर्फ ऊपर ऊपर..मेरे बच्चे को खतरा हो सकता..
धर्मेश अंकल - हाँ संध्या..मुझे तेरी तबियत की फ़िक्र है..सिर्फ ऊपर ऊपर चोदूूँगा .. उस कामदेव को मैं मना नहीं कर पायी..धर्मेश अंकल ने धीरे से उनके १० इंच लण्ड का ३ इंच का गोल मोटा टोपा मेरी चुत में डाल दिया. वैसे मैं कराह उठी ..आह धर्मेश अंकल..दर्द होता है..आपका लण्ड बहुत मोटा है..
धर्मेश अंकल - मेरी जान अभी तो सिर्फ ३ इंच डाला है..पूरा १० इंच अंदर डालूंगा तो क्या करोगी.. और वह मेरे ऊपर अपने हातों के बल हल्का से लेट गए और मेरे ओंठों को चूमने लगे.उनकी मोटी लम्बी जीभ मेरे मुँह मैं अंदर तक चली गयी.. मुझे लग रहा था जैसे मैं दोनों साइड से चुद रही हूँ..उनका लण्ड मेरी चुत चोद रहा था और उनकी जीभ मेरा मुँह. मैं कामवासना मैं डूब गयी थी..कोई होश नहीं था.. मैंने उनका सर कस के पकड़ लिया और पागलों की तरह उनको चूमने लगी..इसी गरमाहट मैं मेरी चुत में जोरदार कम्पन हुई और पाणी की गंगा बहने लगी. मेरे चुत के पानी से धर्मेश का लण्ड और चिकना हो गया.
धर्मेश अंकल - आह ! रानी..तेरी चुत का पानी कितना गरम है ..तेरी कसी हुई गरम चुत मेरे लण्ड की मस्त मालिश कर रही है.. मैंने महसूस किया की उनका लण्ड अब मेरी चुत मैं आसानी से आधा चला गया था. धर्मेश अंकल फिर से अपनी कमर हिलाकर अपने लण्ड को धक्के देकर मेरी चुत की चुदाई करने लगे..
मैंने कहा - धर्मेश अंकल ..अब बस..और आपका माल मेरी चुत मैं मत डालना..इन्फेक्शन हो सकता..गर्भे अवस्था मैं इन्फेक्शन सेहत के लिए अच्छा नहीं.
धर्मेश अंकल मुस्करा दिए.. हा मुझे पता है रानी.. पर क्या करू..जब तू मुझे अंकल बुलाती है तो मेरा लण्ड तुझे चोदने को बेताब हो जाता है..
मैंने कहा.. उह मेरे प्यारे अंकल.. आप मेरे सबसे अच्छे अंकल हो..अब मेरी चुदाई कर दो..और अपना पाणी मेरे मुँह मैं डाल का मुझे पीला दो..
वैसे धर्मेश अंकल उत्तेजित हो गए ..वह प्यार से अपने लण्ड से मेरी चुत चोदने लगे..पर अभी भी वह सिर्फ आधा लण्ड अंदर डाल कर ही चोद रहे थे.
धर्मेश अंकल - आह मेरी रानी..ले अपने अंकल से चुदवा ले..अब तू अपने अंकल से रोज चुदवा लेना.
मैंने कहा - हां अंकल आप मुझे रोज चोदना और अपने लण्ड से पाणी पिलाना..
धर्मेश अंकल ने उनका लण्ड मेरी चुत से बहार निकाला और मेरे मुँह मैं ठूस दिया.. आह सांध्य..ले..पी ले मेरा पानी..और एक के बाद एक फवारा उनके लण्ड से मेरे मुँह में गिरता गया..उनके लण्ड ने इतना पाणी भरा की मेरा पूरा मुँह उनके वीर्य से भर गया..कुछ ओंठों पर आ गया.. मैं जीभ से चाट कर उनके वीर्य का स्वाद बहुत देर तक लेती रही.
वह वही नंगे मेरे बाजु सो गए और मुझे उठाकर अपने बाँहों में ले लिया.
धर्मेश अंकल - यह क्या संध्या तू अभी भी मेरा वीर्य मुँह में रखा है..निगल लो..क्या बात है.. तुझे पसंद नहीं आया मेरे वीर्य का स्वाद.
मैंने कहा.. नहीं अंकल ऐसी बात नहीं है.. मैं तो सुबह से इसके लिए तड़प रही थी.
फिर मैंने उनको साब सच बता दिया की प्रेगनेंसी की वजह से कैसे मुझे उनके वीर्य के स्वाद और खुशबू की लालसा लग गयी. वो सुनकर बड़े खुश हो गए.
धर्मेश अंकल - ऐसी बात है ! तू जब भी मन करे बोल देना..मैं तुझे अपना वीर्य पीला दूंगा.
मैंने उनको चुम लिया.. अब अआप जाइये अंकल..नहीं तो पम्मी मौसी को शक हो जायेगा..
वह मुस्करा कर बोले - अरे वो गहरी नींद सोती है..उसको कोई सुधबुध नहीं होती.. तू चिंता मत कर
फिर उन्होंने कपडे पहने ..
मैंने कहा - धर्मेश अंकल अब मैं क्या पहनू .आपने मेरा गाउन फाड् दिया..
वह मुस्करा कर बोले - मैं तुझे कल २ नए गाउन ला दूंगा.आज तू ऐसे ही नंगी सोयेगी.
उन्होंने फिर से मेरे सर को, फिर गालों को, चूचियों को चुत को बारी बारी से चूमा और चाटा और मुस्करा कर चले गए.

मैं पसीने से लथपथ थी. मेरे बदन से सिर्फ धर्मेश अंकल के शरीर की मर्दाना खुशबू आ रही थी. कोई भी सिर्फ दूर से सूंघ कर बता देता की मैं किसी मर्द से चुदी हूँ और मेरे शरीर पर उस मर्द की खुशबू ने कब्ज़ा कर लिया है. अनीश का ऑफिस से आने का टाइम भी हो गया था. मैं बाथरूम गयी और नहाने लगी .. पर धर्मेश के बदन की मर्दाना खुशबू मेरे शरीर से नहीं जा रही थी. २-३ बार साबुन लगाकर नहाने के बाद मैं बहार आयी और थक कर संतुष्टि से सो गयी. मैंने सिर्फ एक चादर ओढ़ ली और धर्मेश अंकल का कहना मान कर पूरी नंगी सो गयी. कुछ देर बाद अनीश आया .. मेरी आंखें खुली तो देखा की वह पूरा नंगा था. उसने मेरी चादर बाजु कर दी थी .. और वह मेरे नंगे जिस्म को चुम रहा था चाट रहा था. उसका ५ इंच का छोटा लण्ड एकदम सख्त होकर फुफकार रहा था.. मेरे चूचियां चूसने के बाद वह मेरे ओंठों पर ओंठ रखकर चूमने लगा.. मेरी जीभ चूसने लगा ..
अनीश - मम संध्या रानी आज तू बड़ी हॉट और सेक्सी लग रही है .. लगता हैं मेरा वीर्य पिने के लालसा मैं तड़प कर नंगी सोई है..
मैंने भी अपने दोनों हात अनीश के गले मैं डाल कर उसको चुम लिया..हाँ मेरे राजा..तुम्हारा इंतजार था.
अनीश - संध्या तुम्हारा किस बड़ा हॉट लग रहा आज..अलग महक आ रही है.. तुम्हारे शरीर से भी बहुत अच्छी अलग महक आ रही.
ओह ! यह क्या.. मैं भूल गयी..मैंने मुँह साफ़ नहीं किया था.. धर्मेश का वीर्य का स्वाद बहुत देर अपने मुँह मैं रखना चाहती थी. क्या अनीश समज गया की यह वीर्य की महक है?
मैंने कहा - हाँ आज आपका वीर्य नहीं मिला तो मज़बूरी में दही क्रीम खा लिया ..
अनीश - यह बात है .. ? फिर अच्छे काम में देरी नहीं करते ..
और अनीश ने उसका लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया.. अनीश का छोटा ५ इंच का लण्ड.. मैं आसानी से चूस लेती थी..उसके लण्ड की महक और वीर्य की खुशबू बस यही उसके लण्ड की खासियत थी. छोटा लण्ड था पर सुन्दर था..और कड़क सख्त दमदार.. बाकी लम्बाई और मोटाई मैं बुरी तरह मार खा गया.. पर उस कमी के लिए उसने मुझे काफी बड़े-बड़े लण्ड वाले मर्दों से चुदवाया था ..और बड़े खुले विचारों का था. बहुत जल्दी वह मेरे मुँह मैं झड़ गया..मैं बड़े प्यार से बहुत देर तक अपने मुँह मैं उसके वीर्य की महक और स्वाद लेती रही. फिर भी मुझे कमी लग रही थी.. धर्मेश अंकल की महक और वीर्य का चस्का लग गया था..लालसा पैदा हो गयी थी.
शाम को कुछ देर बाद यासीन हमें खाना खाने बुलाने आया.. मैंने एक टॉप और स्कर्ट पहन ली..अंदर कुछ नहीं था.. अनीश ने कहा- तुम जाओ , मैं फ्रेश होकर आता हूँ. मैं खाने के डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी.. कुछ देर बाद धर्मेश अंकल आये तो वह मेरे बाजु वाली खुर्ची पर बैठ गए..मैंने उन्हें मुस्कराते देखा और कहा - यहाँ अनीश बैठता है..
धर्मेश अंकल - धीरे से - कोई बात नहीं. कुछ दिन मैं उसकी जगह ले लूंगा ..और हंस दिए
मैं भी मुस्करा दी..
तभी पम्मी मौसी और अनीश भी आ गए..और हमारे सामने वाली चेयर्स पर बैठ गए..
धर्मेश अंकल - अरे अनीश .. शायद मैं तेरी जगह बैठ गया.. तुम यहाँ बैठ जाओ.
अनीश - अरे नहीं अंकल..कोई फरक नहीं पड़ता.. आप जहा चाहे बैठ लो.. घर की बात है.
धर्मेश अंकल - चलो ठीक है.. अनीश तू ठीक कहता है..घर की बात है.. ठीक है ना संध्या ..तुम्हे कोई परेशानी तो नहीं..?
और धर्मेश अंकल ने उनका हात मेरे जांघों पर रख दिया.. वह धीरे से उनके हातों से मेरा स्कर्ट ऊपर करने लगे.मेरी खुली जांघों को सहलाने लगे
मैंने कहा - कोई परेशानी नहीं अंकल .. घर की बात है..और आप तो बुजुर्ग है..हमारे अंकल है.. आप बस आदेश दीजिये.
धर्मेश अंकल - अरे संध्या आदेश क्या देना.. बस हम तेरा ख्याल रखने आये है..बहुत प्यार से तुझे संभालेंगे ..
धर्मेश अंकल मुस्करा दिए और एक आंख मार दी..मैं उनके इशारे साब समज रही थी.. उन्होंने मेरा स्कर्ट ऊपर कर के अपना हात अब मेरी चिकनी चुत पर रख दिया था और बड़े प्यार से सहला रहे थे.
मुझे बहुत शर्म आ रही थी.. मेरी चुत से पाणी बह रहा था..वही पाणी से धर्मेश अंकल मेरी चुत की मालिश कर के सहला रहे थे. बाकि सब लोग खाना खा रहे थे..और यासीन सबको परोस रहा था.. धर्मेश एक हात से खाना खा रहे थे और दूसरे हात से मेरी चुत को मसल रहे थे. मेरी चुत से लगातार पाणी बह रहा था. तभी धर्मेश ने उनकी एक ऊँगली मेरी चुत मैं डाल दी..
मैं - आह....उफ़..
पम्मी मौसी - क्या हुआ संध्या साब ठीक है ना..
मैंने कहा - कुछ नहीं मौसी बस थोड़ा पेट मैं गड़बड़ है..
पम्मी मौसी -हां प्रेगनेंसी मैं यह सब होते रहता है..
तभी धर्मेश अंकल ने मेरी चुत के अंदर दो ऊँगली डाल दी..और मेरी चुत की दीवाल को कुरेद कर पाणी निकाल रहा था..फिर उन्होंने अपनी दोनों उँगलियों से मेरी चुत का पाणी बहार निकाला और मुँह मैं डालकर चाटने लगे..
धर्मेश - वाह ! यासीन .. क्या अचार बनाया है ! मुझे यही अचार पसंद है.
और बेशरम जैसे ऊँगली पर लगा मेरी चुत का पानी जीभ बहार कर के लपलपा कर चाटने लगे. मुझे बड़ी शर्म आयी.
पम्मी मौसी - हाँ तो खा लो जितनी आपको खानी है .. वैसे मैंने सुना है की संध्या भी बहुत अच्छी चटनी बनती है. संध्या तेरे अंकल के लिए एक दिन बना देना ..इन्हे चटनी बहुत पसंद है.
धर्मेश अंकल ने फिर से अपनी उंगलिया मेरी चुत मैं डाल दी..और बोले - हाँ संध्या..चटनी जरूर बनाना .. और सिर्फ मेरे लिए..मैं तेरी पूरी चटनी अकेले खा लूंगा.. और मुझे फिर से आँख मार दी..
मैंने कहा..हाँ धर्मेश अंकल जरूर बनाउंगी..स्पेशल चटनी..सिर्फ आपके लिए..
यासीन हमें रोटी परोसने आया ... उसने कहा .. हां संध्या मैडम .साब को जैसे चटनी चाहिए सिर्फ आप ही बना सकती है..और वो मुस्करा दिया .
यासीन ने मुझे और धर्मेश को देख लिया था.. पर शायद उसको अपने मालिक के शौक का अंदाजा बहुत अच्छी से था. मैं शर्मा गयी..और धर्मेश अंकल फिर से उंगलिया बहार करके चाटने लगा. मैं बहुत गरम हो गयी थी.. छटपटा रही थी.. बस झड़ने के कगार पर लाकर धर्मेश ने मुझे प्यासा छोड दिया था.

रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी. अनीश और मैं हम दोनों सात में नंगे सोते है. अनीश घोड़े बेचकर सो गया था.. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी..मुझे फिर से क्रेविंग्स आ रही थी .. धर्मेश के वीर्य के स्वाद की .. तभी मोबाइल पर व्हाटअप्प्स पर धर्मेश अंकल का मैसेज आया ..
धर्मेश अंकल : गुड नाईट जान..स्वीट ड्रीम्स
मैंने लिखा - मुझे नींद नहीं आ रही
धर्मेश अंकल : क्यों ? बोलो क्या सेवा करे की आपको नींद आये ?
मैंने लिखा - बस फिर से मेरी लालसा जगी है..
धर्मेश अंकल - तो देर किस बात की.. मेरा लण्ड तैयार है..तुम्हे अपना दूध पीला कर शांत कर दू..
मैंने लिखा - पर कैसे..
धर्मेश अंकल - किचन में आ जाना
मैंने लिखा- नहीं रिस्की है
धर्मेश अंकल - अनीश सो गया क्या ?
मैंने लिखा - हा वह घोड़े बेच कर सोता है..उसको कुछ होश नहीं रहता
धर्मेश अंकल - ठीक हैं फिर मैं तुम्हारे बैडरूम मैं आता हूँ. पम्मी भी गहरी नींद सोई है.
मैंने लिखा - नहीं ! ऐसे कुछ भी.नहीं करना .यह संभव नहीं है..यहाँ अनीश मेरे बाजु सोया है..आप कुछ भी बोलते..
मैं धर्मेश अंकल के मैसेज का वेट करने लगी.. कुछ देर बाद मैंने सोचा की शायद कुछ प्लान बना रहे..
मैंने लिखा - कुछ और प्लान बनाओ
तभी मेरे बैडरूम का दरवाजा धीरे से खुला..धर्मेश अंदर झांक कर देख रहा था.. मैं घबरा गयी..पर उसने अपने ओंठ पर ऊँगली रख कर मुझे चुप रहने को इशारा किया ..और इशारे से वैसे ही सोते रहो कहा. उसने देखा अनीश दूसरी तरफ मुँह करके सोया है..धर्मेश अंकल अंदर आ गए .. बेड की मेरे तरफ की बाजु मैं..वो भी पूरा नंगे थे. मैं हैरान हो गयी.. कितना जांबाज मर्द है.. इसको बिलकुल डर नहीं लगा..पति के होते एक महिला के बैडरूम में नंगा घुस गया..वाह रे शेर !
धर्मेश अंकल ने उसके लण्ड का सूपड़ा मेरी ओंठों पर रख दिया.. मैं प्यार से उसके लण्ड को चूसने लगी.. उसकी खुशबू से मैं खुश हो गयी.. आनंद आने लगा..लालसा मीट रही थी. धर्मेश अंकल ने मेरे चादर उठा कर साइड मैं रख दी.. मुझे नंगा देखकर बहुत खुश हो गए.
धर्मेश अंकल धीरे से मेरे कान में बोले - वाह रे रंडी..तू सच मैं नंगा सोई..मेरे कहने पर..तुझे कल एकदम सेक्सी गाउन ला दूंगा.
मैं कुछ नहीं बोली..डर के मारे मैं धर्मेश अंकल का पूरा लण्ड चूसने लगी.. जल्दी झड़ जाये और मेरी बैडरूम से चला जाये..मैं डर और उत्तेजना के कारन बहुत रोमांचित हो रही थी. पर धर्मेश अंकल एकदम बे-फिक्र थे और प्यार से मुझे देख कर चोद रहे थे. उनकी आँखों की भाषा जबरदस्त थी . मादकता भरी नजरो से मेरे से आंखें मिला कर मेरा मुँह चोद रहे थे.
उन्होंने एक हात से मेरा बूब्स मसलना चालू किया और दूसरा हात मेरी चुत को सहलाने लगा. अब मैं और उत्तेजित हो गयी..ओंठ दबाकर अपनी आहें , आवाज दबाने की कोशिश करने लगी. मैं प्यार से धर्मेश अंकल के लण्ड का गुलाबी सूपड़ा चूस रही थी. तभी अनीश मेरी बाजु पलटा और उसका एक हात मेरे छाती पर रख दिया और उसका पैर मेरी कमर पर रख दिया. अनीश का लण्ड मेरी गांड पर रगड़ रहा था. नींद में अनीश ऐसे हमेशा करता था..मुझे आदत थी. पर मैं अब डर गयी थी.. अगर अनीश ने आंखें खोली तो वो उसके बीवी के मुँह मैं धर्मेश अंकल का लण्ड देख लेगा. पर धर्मेश बिलकुल कॉंफिडेंट थे. वह वैसे ही अपना लण्ड मेरे मुँह मैं अंदर बहार करते रहे. फिर धर्मेश अंकल ने इशारा करके मुझे अनीश की तरफ पलटने कहा.. वो क्या चाहता था मैं समज नहीं रही थी. मैंने अनीश का पैर मेरी कमर से निचे किया और अनीश की तरफ पलट गयी. ऐसे करने से अनीश ने अपना चेहरा निचे करके मेरे बूब्स में घुसा दिया. अनीश अक्सर सोते वक्त ऐसे करता है..बच्चों की तरह उसको मेरे बूब्स की महक पसंद है..और छोटे बच्चे जैसे दोनों पैर जोड़कर सिमटकर सो जाता है. मेरे बूब्स पर मुझे अनीश की गरम सांसे महसूस हो रही थी.तभी धर्मेश जो बेड के साइड पर खड़ा था, उसने मेरा एक पैर हलके से ऊपर उठाया और धिरे से अपने मोटे लण्ड का सूपड़ा मेरी चुत मैं डाल दिया. मुझे इसकी बिल्कुत अपेक्षा नहीं था. सब इतनी जल्दी हुआ. मुझे डर लग रहा था कही अनीश जाग ना जाये.. रोमांचित हो कर मैं सर से पाँव तक सिहर गयी..और मेरी चुत से पानी बहने लगा. इससे धर्मेश के लण्ड को आसानी हो गयी..मेरी चुत के ओंठों को चीरता हुआ उसका लण्ड आधा मेरी चुत के अंदर चला गया. मैं कांपने लगी. मेरा शौहर , मेरा पति मेरे सीने से लगा, मेरे बूब्स मैं अपना चेहरा रगड़कर नंगा सोया था, और पीछे से उसका कमीना मौसा मेरी चुत चोदे जा रहा था. मैं थरथराने लगी, और अपने ओंठ दबा दिए और जोर जोर से मेरी चुत से पानी बहने लगा. बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी आहे - आवाज दबाई.. धर्मेश अंकल बहुत खुश हुए..उनके लण्ड पर मेरी पानी की चिकनाहट से अब उनको और आसानी हो गयी. वह अब मुझे धीरे से लम्बे स्ट्रोक से चोद रहे थे..पूरा लण्ड मेरी चुत से बहार निकाल कर फिर से अंदर डाल देते. इसके कारन मेरे चुत का दाना और ओंठ दोनों रगड़ जाते .. आज मेरी खैर नहीं थी..मैं बड़ी लाचार थी. पर बहुत मजा और आनद भी आ रहा था. इतना रोमांचित सेक्स पहले कभी अनुभव नहीं किया था. बहुत देर तक धर्मेश अंकल मुझे चोदते रहे..इस दौरान मैं और २ बार झड़ गयी. तभी धर्मेश अंकल ने मेरा ऊपर वाला पैर थोड़ा आगे खिंच कर ..परे पति के कमर पर रख दिया. इससे मेरी चुत मेरे दोनों जांघों में दब गयी, और धर्मेश अंकल के लण्ड को दबाने लगी. धर्मेश अंकल फिर से मुझे धीरे धीरे चोदने लगे. बड़ा अजीब नजारा था. उनके लण्ड और कमर के धक्के से मेरी बॉडी भी अनीश से चिपक जाती, मेरा ऊपर वाला पैर अनीश के कमर पर रगड़कर फिसल जाता, और मेरे बूब्स अनीश के मुँह पर रगड़ जाते. अब मैं फिर से अपने होश खो रही थी.. मैंने अपने ऊपर वाले हातों से अनीश का सर प्यार से मेरे बूब्स पर दबा दिया .. और थरथरा कर फिर से धर्मेश अंकल के लण्ड पर तीसरी बार झड़ने लगी. मैं बहुत देर तक झड़ रही थी और फिर शांत होने लगी. तभी धर्मेश अंकल ने मेरी चुत से अपना लण्ड बहार निकाला, उसने मेरा चेहरा पलट लिया, और ऊपर से अपने लण्ड को मेरे मुँह में डाल कर पिचकारी छोड़ने लगा. मेरे पति का चेहरा मेरे सीने से दबा था और धर्मेश अंकल मेरे मुँह में उनकी पिचकारी उड़ा रहे थे. उनका लण्ड अनीश के चेहरे के बिलकुल ऊपर और करीब था सारा गाढ़ा रसीला वीर्य मेरे मुँह मैं डाल कर वो चुपके से कमरे से बहार चला गया. मैं कही देर तक धर्मेश अंकल का वीर्य मुँह मैं रखकर उसका स्वादपान करती रही, उसकी खुशबू सूंघती रही और फिर संतुष्टि से सो गयी.

सुबह जब आँख खुली तो देखा अनीश मेरे ओंठों को अपने जीभ से चाट रहा था. वह मेरे दोनों ओंठों को चूस चूसकर चूमने लगा. अनीश ने कहा - गुड मॉर्निंग रानी.. कैसी हो.. लगता है तुमने फिर से रात को दही-क्रीम खा लिया.. तुम्हारा किस बहुत मस्त लग रहा.
अनीश फिर से अपनी जीभ मेरे मुँह मैं डाल कर चाटने लगा.. जितना भी धर्मेश अंकल का वीर्य मेरे मुँह मैं होंगे वह साब उसने चाट चाट कर गटक लिया. वो बहुत खुश था. अनीश बोला - संध्या तुम रोज ये दही खाया करो. इसके स्वाद से मुझे तुम्हारा चुम्बन बहुत अच्छा लगता.

मैं हैरान थी. चुप बैठी. नहाने चली गयी​
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