Update 15
मौसेरे ससुरजी धर्मेश की रंडी बन गयी !!
सुबह मैं छत पर टहलने गयी..! इसी बहाने मेरा व्यायाम हो जाता.. मैं छत के चारो कोनो पर टहलने लगी. तभी मैं सर्वेंट रूम के सामने गयी.. तो देखा दरवाजा पूरा खुला था. एक चटाई पर यासीन सिर्फ एक छोटी सी अंडरवियर मैं सोया था. अंडरवियर मैं उसके लण्ड का उभार साफ़ दिख रहा था. लम्बा साढ़े छे फुट का हत्ता कट्टा आदमी था यासीन. एकदम गोरा और बदन पर काले बाल .. बहुत सुन्दर लग रहा था..उसकी मोटी मोटी जांघें ,, उसके ताकत का साबुत दे रही थी... गर्मी के दिन थे..इसलिए खुले में सोया था..
मैंने छत के कई राउंड लगायें और उसको देखते रही .. तभी मेरा पैर थोड़ा लचक गया और मैं दर्द से कराह उठी . आह.. ूई माँ.. गर्भा अवस्था मैं ऐसे पैर लचकना सेहत के लिए बहुत खतरनाक होता है. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. आह...मर गयी मेरी माँ..ोूफ...मेरी आवाज सुन कर यासीन की नींद टूट गयी. वो वैसे ही भागकर मेरे पास आया..
यासीन - क्या हुआ मेमसाब..आप ठीक है..वह मेरे पैर को देखने लगा..जिसको पकड़ कर मैं सहला रही थी..
मैं - मेरा पैर फिसल गया...पैर की नस लचक गयी..बहुत दर्द हो रहा है..
यासीन मेरे सामने अपने दोनों पैरों पर बैठ गया. और मेरा पैर देखने लगा. ऐसे हगने वाली पोजीशन मैं बैठने से उसके लण्ड का उभर बिलकुल मेरे आँखों के सामने था. उसकी बड़ी बड़ी जांघों..और उनकी नसे.. कसीस बॉडीबिल्डर की तरह लग रही थी.. कश्मीरी लिबास में..ढीले कुर्ते और पाजामा में.. उसका कसा हुआ बदन छुप गया था..जो आज निखर के मेरे सामने आया था..उसकी नीली गहरी आंखें..उफ़... कितना सुन्दर मर्द है..कश्मीरी मर्द बहुत सुन्दर होते है.. वह मेरे पैर को मालिश करके सहलाने लगा. पर मेरा दर्द कम नहीं हो रहा था. मैंने कहा - यासीन मुझे निचे लेकर चलो जल्दी..
मेरे से चला नहीं जा रहा था. यासीन ने मुझे वैसे ही अपनी गोदी मैं उठाया और निचे सीढ़ियों से लेकर जाने लगा. मैंने उसके गले में अपने दोनों हात डाल कर कस के पकड लिया. ऐसे करने से मेरा चेहरा उसकी बालों वाली छाती से चिपक गया. आह क्या खुशबू थी उसके जिस्म की..मर्दानी महक,,मेरे ओंठ उसके छाती पर घिसने लगे. मेरे ओंठ अब उसके छातीके निप्पल्स से रगड़ रहे थे...पर मुझे दर्द भी हो रहा था. दर्द कम करने को मैं अपने दांत दबा देती..इससे यासीन के निप्पल मेरे दातों के बीच में २-३ बार आ गए और वहा काटने के निशान भी आये. यासीन ने ..हर बार दर्द से आह किया पर कोई शिकायत नहीं की. जैसे यासीन ने मुझे सोफे पर लिटाया...मेरा एक हात उसके निकर के ऊपर से रगड़कर निचे आया..मेरे शरीर मैं जैसे करंट लग गया..यासीन को भी सनसनी हुई और वह कुछ सेकंड के लिए कांप गया.. मैंने देखा उसका लण्ड पूरा कड़क हो गया और निकर छोटी होने से उसमे से इलास्टिक से बहार आ रहा था.. उसने मेरे तरफ देखा. उसकी झील सी नीली आँखों में मैं खो गयी.. तभी मैंने मेरा हात उसके लण्ड के ऊपर से निकाल डाला..मेरे हैट पर उसके लण्ड का सख्त और मोटापा महसूस हुआ.. जवान लण्ड था.. अपने खूबी पर था.. मैंने शर्मा कर कहा...जाओ पहले कपडे पहन लो..मैंने जल्दी पम्मी मौसी और अनीश को आवाज दी..वो भाग कर आये..
अनीश ने जल्दी से फॅमिली डॉक्टर को बुलाया.डॉक्टर खन्ना एक ७० साल के वयस्क डॉक्टर है. वो आर्मी में डॉक्टर थे. इसलिए एकदम फिट और हट्टे कटे लम्बे..और अपनी उम्र से काफी जवान दिखते है. वो जल्दी आ गये और मेरा चेक उप करने लगे. अब तक यासीन भी कपडे पहन कर निचे आ गया था. डॉक्टर खन्ना ने कहा - संध्या को उसकी बैडरूम में लेकर चलो .. मुझे चेक उप करना पड़ेगा." जैसे मैं सोफे से उठने लगी .. यासीन ने कहा रुको मैडम.. उसने मुझे मेरे पति अनीश और धर्मेश चाचा के सामने अपने गोदी मैं उठा लिया और मेरी बैडरूम में लेकर जाने लगा. मैं उसकी इस ढिटाई से हक्का बक्का होकर उसको देखने लगी. धर्मेश चाचा मुस्करा रहे थे..और अनीश की आँखों मैं अजीब चमक थी. मुझे यासीन के बदन की खुशबू अच्छी लग रही थी..
डॉक्टर खन्ना ने सिर्फ अनीश को अंदर आने की परमिशन दी..
डॉ. खन्ना.. संध्या .. गाउन ऊपर कर दो.. और घुटने भी ऊपर कर लो..
मैंने गाउन ऊपर कर दिया..मैं अंदर पूरी नंगी थी..पैंटी नहीं पहनी थी.. घुटने मोड़ने से अब मेरी चुत डॉ. खन्ना को साफ़ दिख रही थी.
डॉ. खन्ना.. संध्या रिलैक्स रहो. तुम्हे पता हैं अंदर कैसे चेक उप करते है.. घर से आते वक्त जल्दी में मैं ग्लोव्स लाना भूल गया..पर यह इमरजेंसी है..तुम शांत रहो..ठीक है..?
मैंने कहा.. ठीक है डॉक्टर साब , पर दर्द के कारण मैं घुटने मोड़ नहीं पा रही..
डॉ. खन्ना.. अनीश आप संध्या के घुटने पकड़ कर सहारा दो..
अनीश ने मेरे घुटने पकड़ कर ऊपर उठाये और दोनों हातों से पकड़ के रखे..अपनी बीवी की चुत खुलकर डॉक्टर के सामने पेश कर दी. उसकी आँखों मैं अजीब चमक थी. वह बार बार अपनी जीभ अपने ओंठों पर फेर रहा था. उसकी पैंट में उसका लण्ड तम्बू बना रहा था.
डॉ.खन्ना .. ने पहले..मेरी चुत को पास से देखा..सहलाया और एक ऊँगली अंदर डाली..
वैसे मैंने..आह डॉक्टर... दर्द हो रहा..
डॉ.खन्ना..कोई बात नहीं संध्या..मुझे ठीक से देखने दो..बहुत जरुरी हैं
डॉ.खन्ना का हात का पंजा बहुत बड़ा था और उनकी उँगलियाँ भी बड़ी बड़ी और मोटी थी. जैसे हर ऊँगली कोई बड़ा लण्ड. डॉ. खन्ना की एक ऊँगली मेरे चुत मैं आगे पीछे होकर टटोल रही थी.. और अब मुझे अच्छा लग रहा था..मेरी चुत में सनसनी हो रही थी..
मैंने..आह...उह..किया
डॉ. खन्ना.. क्या हुआ संध्या इधर दर्द हो रहा क्या ? उन्होंने मेरे चुत के अंदर उनकी ऊँगली दबायी..वैसे मैंने..आह ! डॉक्टर !
मैंने कहा.. नहीं दर्द नहीं हो रहा..
डॉ. खन्ना - फिर चिल्लाई क्यों?
मै शर्मा गयी.. वह गुदगुदी हुई इसलिए .और आपकी ऊँगली बहुत बड़ी है.. डॉ. खन्ना मुस्करा दिए और खुश हो गये .. मैंने देखा अनीश की आँखों मैं अजीब ख़ुशी थी..उसकी पैंट के अंदर उसका लण्ड फनफना रहा था. अपने बीवी को ऐसे नंगा कर के और डॉक्टर की हरकतों से उसको मजा आ रहा था. डॉ. खन्ना ने पुराणी स्टाइल की लूस ढीली पैंट पहनी थी.. पर उसके कारण उनकी पैंट में ज्यादा बड़ा तम्बू हो गया था..
अनीश ने कहा.. हाँ डॉक्टर सांब..सच में आपकी उँगलियाँ बहुत मोटी और बड़ी हैं..मेरे से डबल साइज लग रहा है..
मैंने सोचा..डॉ. खन्ना का तम्बू भी डबल साइज है..
तभी डॉ. खन्ना ने उनकी ऊँगली निकाली और कहा अनीश ऐसी ही पकडे रहो ..देखो सब ठीक है..अच्छी बात है की ब्लीडिंग नहीं हो रहा है.. मुझे एकबार फिर से ठीक से देखकर कन्फर्म करना पड़ेगा ..वह अनीश को समजा रहे थे.
अनीश.. है डॉक्टर ..मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता ..आप ठीक से चेक करके कन्फर्म करे
डॉ. खन्ना ने फिर से धीरे से .. लिक्विड लुब्रीकेंट लगा कर उनकी बड़ी ऊँगली मेरी चुत मैं डाल दी..और आगे पीछे करने लगे.. फिर उन्होंने दूसरी ऊँगली भी डाल दी..मेरी चुत में अब आग लग गयी.. वह गिल्ली होने लगी.. शर्म के मारे में आहे भी नहीं भर पा रही थी. डॉक्टर की दोनों उंगलिया कोई बड़े १० इंच लण्ड जैसे मोटी लग रही थी..मुझे पता था इस चेक उप की कोई जरुरत नहीं थी. पर डॉक्टर भी अपनी तमन्ना और हवस पूरी कर रहा था..चेक उप के बहाने..वह भी बिना ग्लोव्स के.डॉक्टर उसकी दोनों उँगलियाँ..मेरी चुत में अंदर तक डाल रहा था..और उंगलिया गोल गोल घुमाकर मेरी चुत की हर दिवार को रगड़ रहा था. मेरी चुत के पानी से उसकी उंगलिया गिल्ली हो गयी..और अब उसको और भी आसानी हो गयी. मेरे से अभी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था.. मेरा बांध फूटने में था.. वहा डॉक्टर की उँगलियाँ मेरी चुत मैं जादू कर रही थी.. और मेरी चुत से लगातार पानी बह रहा था..तभी डॉक्टर की उँगलियों ने मेरी चुत के दाने को जोर से रगड़ डाला.. उनकी एक उंगली मेरे दाणे को पकड़ कर गोल गोल रगड़ने लगी. तभी उन्होंने अपने दोनों ऊँगली में मेरे दाणे को पकड़ कर चिमटी ले ली..जिस के कारन मैं सकपका गयी .. और तड़प रही थी..मेरा हात अपने आप..डॉक्टर के पैंट के पास गया और उनका लण्ड मेरी मुट्ठी मैं जोर से पकड़ लिया. और .उह.. आह..करके बेशरम होकर झड़ने लगी. डॉक्टर ने आराम से दोनों उँगलियाँ निकाल ली..वह भी हड़बड़ा गये थे.. मेरे मुट्ठी मैं उनका लण्ड फनफना रहा था..वह आसानी से धर्मेश अंकल जितना मोटा और १० इंच लम्बा लण्ड होगा.. मुझे जब थोड़ा होश आया..मैं शर्मा गयी और अपना हात वापस पीछे ले लिए.. डॉक्टर खन्ना भी जल्दी संभल गये और बोले - अनीश ..सब ठीक है..मैं कुछ गोलिया लिख कर देता हूँ..तुम बहार आ जाओ .. और वह जल्दी से बहार चला गया.
मैं आह..आह..कर के झड़ रही थी.. अब मेरे साथ सिर्फ अनीश था.. मेरे कमीने पति को भी रहा नहीं गया..वह निचे झुक कर मेरे चुत पर अपने ओंठ रखकर मेरा पाणी पिने लगा.. चाट चाट कर उसने मेरी चुत का सारा पाणी पी लिया..वह चाट रहा था और मैं लगातार उसके मुँह में पाणी छोड़ रही थी. मेरी चुत पूरी चाट चाट कर साफ़ करके कुछ देर मैं अनीश बहार डॉक्टर से मिलने चला गया. डॉक्टर ने कुछ दवाई दी और कहा.. संध्या के पैर की मालिश करनी होगी दिन में तीन बार. तभी धर्मेश अंकल ने कहा..कोई दिक्कत नहीं..यासीन बहुत अच्छी मालिश करता है..डॉक्टर को घर के बहार छोड़ कर अनीश भागा हुआ हमारे बेडरूम में आया..मैं बिस्तर पर लेटी थी..वो अपने कपडे निकाल कर पूरा नंगा हो गया..उसका लण्ड अभी भी फड़फड़ा रहा था.. उसने आते ही उसका लण्ड सीधे मेरे मुँह में डाल दिया..आह ! संध्या रानी.. चूस ले मेरा लण्ड..
मैं भी प्यार से मेरे पति का लण्ड चूसने लगी. तभी मेरी नजर दरवाजे पर गयी.. दरवाजा आधा खुला था..वहा से धर्मेश अंकल खड़े होकर सब देख रहे थे..उनकी पाजामे में भी तम्बू बन गया था..वो अपने दोनों हातों से अपने लण्ड को सहला रहे थे. मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे..और उनकी आँखों से मुझे चोद रहे थे. अनीश की पीठ दरवाजे की तरफ थी .. इसलिए उसे दिख नहीं रहा था.
अनीश - आह रानी...क्या मस्त लण्ड चूसती है तू.. डॉ. खन्ना ने क्या मस्त उनकी उँगलियों से तेरी चुत की चुदाई की..बहुत मजा आ रहा था देखने में..
मैं कुछ बोल नहीं सकती थी.. अनीश का लण्ड मेरे मुँह में था. धर्मेश अंकल सब सुन रहे थे..और कमीनी नजरों से मुझे देखकर मुस्करा रहे थे.
अनीश - वाह रानी आज मजा आ गया.. मन कर रहा था की आज डॉक्टर से भी तुझे चुदवा लू.. आह....उफ़...बताओ डॉक्टर का लण्ड पकड़ कर मजा आया ?
मैं: उम्..हां,,, अनीश का लण्ड अभी भी मेरे मुँह मैं था..
अनीश: बोलो कैसे था डॉ. का लुंड..मेरे से बड़ा था..
अनीश ने मुझे जवाब देने के लिए..अपना लण्ड मेरे मुँह से बहार निकाल दिया..बोलो रानी बता..कैसे था डॉ. का लण्ड..
मै: बहुत मोटा और बड़ा था..तुमसे डबल साइज..था..
अनीश.. आह रानी..बोलो क्या मेरे सामने डॉ. के मोटे लुंड से चुदवायेगी ?
मै - हम्म हाँ..
मेरी ऑंखें धर्मेश अंकल को देख रही थी..वह भी बड़े मस्ती मैं थे...और अपना लण्ड सहला रहे थे..और कमीनी स्माइल दे रहे थे..
अनीश जल्दी ही मेरे मुँह में उसके लैंडसे वीर्य की पिचकारी उड़ाने लगा. मैंने भी प्यार से सब निगल लिया.. अनीश ने मुझे किस किया - ी लव यू संध्या डार्लिंग.. और कपडे पेहेन कर ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा. धर्मेश अंकल तब तक चले गये थे.
मुझे अभी भी चलने में दर्द हो रहा था. अनीश ने यासीन को बुलाया और कहा .. देखो यासीन में ऑफिस जा रहा हूँ.. तुम पहले संध्या की मालिश कर देना.. फिर इसको बाथरूम ले जाना..नहाने को.. मैडम को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए..समजे?
यासीन - हाँ साब समज गया..आप चिंता मत करो..मैडम को कोई तकलीफ नहीं होगी.
कुछ देर बाद यासीन..एक कटोरे में गरम तेल लेकर आया...मैडम आप सोये रहिये.. मैं यहाँ बिस्तर पर ही आपकी मालिश कर दूंगा ..
में फिर भी उठ गयी..और बिस्तर एक एक साइड पर पैर निचे जमीं पर रख कर बैठ गयी. वैसे यासीन मेरे पैरों के पास निचे जमीं पर बैठ गया.उसने मेरा लचका हुआ दाया पैर अपनी गोदी में ले लिया..और धीरे धीरे तेल लगाने लगा.. उसके हात बहुत मुलायम पर सख्त मर्दाने थे . उसने मेरी नस पकड़ ली..और मैं आह..करके दर्द से कराह उठी. यासीन - मैडम मैंने नस पकड़ ली..अब आप चिंता मत करो में..इसको ठीक से मालिश करूँगा..
फिर वो उस नस को पाँव से लेकर घुटने टाक मालिश करने लगा.. मुझे अच्छा लगने लगा.. मेरा गाउन बिच मैं आता..वो उसको ऊपर घुटने पर रख देता ..
यासीन - मैडम यह नस ऊपर कमर तक जाती है..इसको ऊपर कमर तक मालिश करनी पड़ेगी...आप गाउन थोड़ा ऊपर उठा लो.
मैंने गाउन थोड़ा ऊपर जांघों तक ले लिया... वैसे यासीन ने फिर से पाँव से लेकर..जांघों तक उस नस को पकड़ कर सहलाने लगा.. मुझे अच्छा लग रहा था. पर दूसरा पैर लटका रहने के कारण थोड़ी परेशानी हो रही थी.. यासीन मेरी परेशानी भांप गया.. उसने मेरा बाया पैर हलके से उठाया और उसके कंधे पर दाये बाजु रख दिया. और मेरे दाये पैर को पकड़ कर वह पाँव से लेकर कमर तक मालिश करने लगा.. इसके कारण मेरा गाउन पूरा कमर तक चला गया..पर मुझे अच्छा लग रहा था...मैंने ऑंखें बंद कर ली...यासीन..के होतों में जादू था...वह पूरा एक ही बार में पाँव से लेकर कमर तक मेरे पैर की नस की गरम तेल से मालिश कर रहा था. मैंने ऑंखें खोली...देखा यासीन लगातार मेरे पैरों के बीच घूर रहा था..उसके आँखों मैं चमक थी.. तभी मेरे को अहसास हुआ के मेरे दोनों पैरों के बिच उसका चेहरा है..और मेरा गाउन कमर के ऊपर चला गया है..जिसके कारण यासीन को मेरी नंगी जाँघे और गुलाबी चुत साफ़ दिखाई दे रही है.. उसका चेहरा मेरे चुत से सिर्फ २ फ़ीट के फासले पर था. चूँकि मेरा एक पैर उसके हात में ऊपर की तरफ था..और दूसरा उसके कंधो पर, मेरी चुत के ओंठ भी खुल गये थे..और उसको चुत की दरार साफ़ दिखाई दे रही थी.. यह देखकर मेरी चुत के ओंठ फड़फड़ाने लगे.. वो..यासीन के ओंठों से मिलने को तड़पने लगे.. यासीन एक हात से मेरी नस की मालिश कर रहा था..और उसका दूसरा हात मेरे जांघ पर था.. मेरी चुत के बिलकुल करीब..तभी यासीन ने ऊपर देखा..मेरी ऑंखें उसकी नीली आँखों मैं डूबने लगी.. मैं कुछ नहीं कर पा रही थी.. कैसे सम्मोहन था.. तभी मुझे यासीन का हात मेरी चुत पर महसुस हुआ और मेरे शरीर मैं कम्पन होने लगी.. मेरा सम्मोहन टुटा और मैंने जल्दी से गाउन निचे कर दिया और कहा - बस यासीन..आज के लिए इतना काफी है..मुझे अब बाथरूम जाना है..
यासीन एकदम भांप गया जैसे कोई मीठा सपना टूट गया .. उसका मुँह उदास हो गया ..उसने बड़े कष्ट से उसका हात मेरी चुत के ऊपर से उठाया.. जब वो मेरे पैरों से उठा तब मैंने देखा की उसके पाजामे तम्बू बन गया था..और प्रिकम के कारण गिला निशान भी था. उसने मुझे उठाकर शावर के निचे खड़ा कर दिया. कुछ कपडे और टॉवल लेकर दिए. मैंने खड़े खड़े ही शावर के निचे नाहा लिया. फिर टॉवल से अपना बदन पोंछ लिया .. पर बाथरूम मैं निचे पानी था..इसलिए मैं अपने कपडे वहां नहीं पेहेन सकती थी. मैंने मेरा टॉवल..मेरे छाती से बांध लिया ..मेरे मम्मे ढक गये..और बड़ा टॉवल था..इसलिए जांघों तक मेरा बदन ढक गया .. मैंने फिर से यासीन को आवाज दी..
वो बाथरूम मैं आया..मुझे देखता रहा..मेरे गीले बदन पर पानी की बुँदे..मै बहुत सुन्दर लग रही थी..उसने मुझे फिर से गोदी में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया . ऐसे करते वक्त मेरे पैर फ़ैल गये .और उसको मेरी चुत के बार बार दर्शन होते रहे.. . उसके जाने के बाद मैंने अपने कपडे बिस्तर पर पहन लिए... नीले रंग का गाउन था...मुझ पर बहुत जचता था .. पैंटी और ब्रा नहीं पहना ..
ब्रेकफास्ट और दोपहर का कहना खाने के बाद..धर्मेश अंकल मेरे बैडरूम में आ गये..उनके हात मैं गरम तेल का कटोरा था.
मैं: अरे धर्मेश अंकल आप..पम्मी आंटी सो गयी क्या ?
धर्मेश अंकल: हाँ मेरी जान वो सो गयी...दोपहर की मालिश मैं करूँगा...और तुझे अपनी मलाई भी खिलाऊंगा..और हंसने लगे
मै : अंकल पहले दरवाजा बंद कर लो
धर्मेश अंकल: हाँ नहीं तो सुबह जैसे दुर्घटना हो जाएगी ..और हम दोनों हसने लगे..
मैंने कहा - अच्छी बात नहीं है अंकल ऐसे मिया - बीवी को छुपकर देखना
धर्मेश अंकल - अच्छा हुआ सपना जान..आज मैंने देख और सुन लिया..अब आगे..हम दोनों को छुपकर कुछ नहीं करना पड़ेगा ..
मैं: क्या मतलब अंकल ? कैसे अंकल ?
धर्मेश अंकल - बताता हूँ..पहले मालिश करने दो..मैं तो तुम्हे पूरा नंगा करके मालिश दूंगा..
धर्मेश अंकल के आँखों मैं वासना भरी चमक थी..कोई भी औरत उनकी आँखों मैं खो जाती..
उन्होंने मेरा गाउन निकाल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया...और वह खुद भी पूरा नंगे हो गये..उनका १० इंच का गोरा मोटा लण्ड..फड़फड़ा रहा था..उसके टोपे से प्रिकम की चिपचिपी बून्द बहार निकल रही थी.
उन्होंने मुझे उठा कर अपनी गोदी मैं बिठा लिया और प्यार से मेरे ओंठों पर अपने ओंठ रख दिए और किस करने लगे. उनका दूसरा हात मेरे चुत को सहला रहा था धर्मेश अंकल: संध्या रानी तुम बहुत सुन्दर हो..इसलिए अनीश तुमसे इतना प्यार करता है..और डॉक्टर भी फिसल जाता है...
मैं हॅसने लगी..क्या अंकल आप भी..
अब धर्मेश अंकल एक हात से मेरे गोल आम दबा रहे थे और दूसरे हात से मेरी चुत के अंदर ऊँगली डाल कर आगे पीछे कर रहे थे.उनके ओंठ अब मेरे गुलाबी निप्पल्स का रसपान कर रहे थे. मैंने भी प्यार से उनका मोटा कड़क लण्ड पकड़ लिया. धर्मेश अंकल का लण्ड बहुत सुन्दर था..इतना सुन्दर लण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखा था..१० इन्चा का मोटा, गोरा.. लाल लाल सूपड़ा , मस्त केले के आकार जैसे टेढ़ा घुमा हुआ ..एकदम मरदाना लण्ड था..जब भी चोदते हर औरत को खुश कर देते ..मैं भी मस्ती मैं आ गयी.. उनके रंग में बेशरम होकर रंगने लगी. रिश्ते में वह मेरे मौसेरे ससुर थे.. पर मुझे उनकी रंडी बना दिए थे.
वह अब अपनी उँगलियों से मेरे चुत के दाणे को प्यार से सहलाने लगे..और बोले
धर्मेश अंकल - : संध्या लगता हैं सुबह डॉक्टर ने बहुत मजे लिए तेरे से ..और अनीश को भी पसंद आया..
मैं सिसक रही थी..मेरे चुत का दाणा फटने वाला था.मैंने ..उम् .. आह सिसक कर कहा.. कुछ नहीं बोल पा रही थी.
धर्मेश अंकल ने अब मुझे हल्का सा उठाया और अपने लण्ड पर धीरे से पर बिठा दिया...उनका मोटा १० इंच का लण्ड धीरे से मेरी गीली चुत को चीरता अंदर तक चला गया..
आह ! धर्मेश अंकल...और मैं पागलो की तरह उनको किस करने लगी..उनके ओंठ चूमने लगी..और मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर डाल दी
धर्मेश अंकल ने अपने दोनों हातों से मेरी गांड दोनों बाजु से पकड़ी थी ..और मुझे ऊपर निचे उछाल कर अपने लण्ड की सवारी करा रहे थे... वह मेरी आँखों में देख रहे थे..
धर्मेश अंकल; अनीश को तुम्हे दूसरों से चुदवाना अच्छा लगता है न..कितने लोगों से चुदवाया उसने तुम्हे..
अब यह बात मेरे और मेरे पति के बिच की थी..मैं बता नहीं सकती थी...वैसे उन्होंने मुझे उठाया जोर जोर से अपने लण्ड को आगे पीछे कर के मेरी चुत चोदने लगे. मैं उनकी गहरी आँखों में खो रही थी..
मैं..आहा..धर्मेश अंकल..हां...! अनीश को पसंद है..
धर्मेश अंकल - यह तो अच्छी बात है..अनीश ककोल्ड निकला .. अब देखो मैं कैसे उसको दबाकर उसके सामने तुझे चोदता हूँ...वह खुद मेरे पास आकर तुम्हे चोदने के लिए भिक मांगेगा ..मैंने ऐसे कही ककोल्ड पतियों के सामने उनकी बीवियों की चुदाई की हैं. ..अनीश तो बच्चा है..
आह धर्मेश अंकल....मैं...सकपका गयी..और उनके लण्ड पर झड़ने लगी...
मेरे चुत के पानी से उनका लण्ड पूरा गिला हो गया..और उनकी गोटिया भी भीग गयी...उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया...और उनका लण्ड और गोटिया मेरे चहरे के पास लेकर आये...संध्या मेरा लुंड चाट कर साफ़ कर दो..और गोटिया भी.. मैं भी प्यार से उनका लुंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी..और उनके टट्टे भी..क्या खुशबू है..क्या गजब का स्वाद है..
उन्होंने मुझे फिर से किस किया और बोले..मेरी प्यारी संध्या ..तुम तो मेरी सब से प्यारी रंडी हो.. हो ना..बालो ?
मैं: हाँ धर्मेश अंकल मैं सिर्फ आपकी रंडी हूँ.. वह वही मेरे बाजू में लेट गये..और मुझे अपनी बाँहों मैं जकड लिया
मैं भी वैसे नंगी उनकी बाँहों मैं सो गयी..हम दोनों एक दूसरे के बाँहों मैं नंगे सो कर खुश थे. जब आँख खुली तो देखा की ५ बज गये थे..मैंने धर्मेश अंकल को देखा..वो सो रहे थे.. पर उनका लण्ड अभी फिर से फनफना रहा था..मैंने उनको उठाया - धर्मेश अंकल उठो...अभी ५.३० बजे अनीश आ जायेंगे ..
धर्मेश अंकल ने मुझे प्यार से उनकी तरफ खिंच लिया...ऐसे नहीं रानी...कुछ गिफ्ट दो..चला जाऊंगा
मैं: सब कुछ तो दे दिया आपको धर्मेश अंकल..अब जाइये प्लीज..
धर्मेश अंकल..गिफ्ट बिना नहीं जाऊंगा..
मैं डर रही थी..अनीश के आने का टाइम हो रहा था...मैंने कहा - क्या चाहिए गिफ्ट..?
धर्मेश अंकल - बस मेरे खड़े लण्ड को पप्पी दे दो.. और हवसभरी नज़रों से मुझे देखने लगे..
मैंने अपने दोनों हातों से उनका मोटा लम्बा लण्ड पकड़ा...और उनके लाल सुपडे पर पप्पी लेने लगी..वैसे उन्होंने उनकी गांड ऊपर उछाल दी..और उनका लण्ड मेरे मुँह मैं ठूस दिया...दूसरे हातों से उन्होंने मेरा सर पकड़ कर रखा..
धर्मेश अंकल ..आह..संध्या क्या मस्त लण्ड चूसती है..मेरी रंडी..चूस ले..तुझे मेरा पाणी पसंद है ना.. तुम्हे मेरे वीर्य के स्वाद की लालसा है ना..पूरी कर लो...
मुझे उनकी खुशबू और महक बहका गयी.मैं पागलो की तरह उनका लण्ड चूसने लगी.. मैंने देखा ५.२० बज रहे थे.. मुझे जल्दी कुछ करना पड़ेगा..मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया और चूसने लगी...मैंने उनके बड़े बड़े गोल गोल टट्टे हातों से पकड़ लिए और सहलाने लगी... धर्मेश अंकल..आह..उम्..करने लगे..वह गरम हो गये थे...उन्होंने खुद को उल्टा पलट लिया और मेरी जांघों मैं अपना मुँह घुसा दिया..उनकी जीभ मेरी चुत के द्वार को चीरते हुए अंदर प्रवेश कर गयी..और चाटने लगी..
मेरी चुत भी जवाब दे रही थी..गीली होने लगी थी...धर्मेश अंकल का लण्ड फनफनाकर मरे गले तक मेरा मुँह चोद रहा था..और उनकी जीभ मेरी चुत मैं घुस घुसकर मेरी चुत चोद रही थी. मैंने अपने दोनों हातों से उनकी गांड पकड़ ली., अपनी ऊँगली पर थूका..और उनके गांड में एक ऊँगली डाल दी...
वैसे वह तड़प उठे..आह संध्या......मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया..और उनकी गांड मैं ऊँगली घुसा दी..
वैसे वह..आह..उम्..कर के मेरे मुँह मैं अपना वीर्य पिलाने लगे.. वाह! क्या खुशबू...इसकी दीवानी हो गयी थी मैं..इसके लिए उनकी रंडी बन गयी थी में..
मेरी चुत ने भी..धक्के मार मार कर..उनके मुँह में पाणी बहा दिया..वो बड़े प्यार से मेरा पाणी पिने लगे...बहुत देर तक हम एक दूसरे का पाणी पीते रहे..उन्होंने मेरी चुत सारी चाट कर साफ़ कर दी थी. मैंने भी उनका पूरा वीर्य का रसपान किया था..एक - एक भी बूँद चाट ली थी..
मैंने उनको जल्दी जाने को कहा..तभी घर के बहार अनीश की गाड़ी की आवाज आयी..धर्मेश अंकल जाते जाते बोले - सुनो संध्या .. मुझे अनीश को अपने काबू में करना है..अपना ककोल्ड बनाना है..मैं जैसे बोलू..वैसे तुम करना..
मैंने उनको कहा ..ठीक है..आप जो अच्छा समजे करे..
मौसाजी ने बनाया मेरे पति को कुक !
धर्मेश अंकल जैसे हमारे कमरे से बहार गए वैसे अनीश अंदर आ गया.. मेरे पास बैठ गया . मैं पसीने से लथपथ थी.. मेरे शरीर पर धर्मेश अंकल के पसीने की सुगंध आ रही थी. अनीश ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरे ओंठों पर ओंठ रख दिए.. और जीभ अंदर डाल कर चूमने लगा. अजीब लग रहा था..मेरे मुँह में कुछ देर पहले धर्मेश अंकल का बड़ा लण्ड था और उनका वीर्य...
अनीश - कैसी हो मेरी जान..अब ठीक लग रहा.. ?
मैंने कहा - हाँ ठीक हूँ... थोड़ी थकान हैं.. नहाना चाहती हूँ ..पर पहले पैर की मालिश कर लू..
अनीश ने कहा - ठीक है रानी . मैं यासीन को बुलाता हूँ..फिर खुद तुम्हे पूरा नंगा कर के नहला दूंगा
तभी धर्मेश अंकल कमरे में आये .उनके हात में एक बड़ा सा पैकेट था... अरे अनीश बेटे कैसे हो..? संध्या तुमने शायद यह ऑनलाइन मंगाया है.. अभी डेलिवेरी वाला देकर गया.
धर्मेश अंकल चले गए..जाते जाते उन्होंने मुझे आँख मारी और मोबाइल फ़ोन दिखा कर इशारा किया.. मैंने देखा मेरे फ़ोन पर उनका मैसेज था.. संध्या डार्लिंग..तुम्हारा गाउन फाड़ा था..या मैंने २ गाउन ख़रीदे है..अभी पहन लो..
अनीश - संध्या क्या ख़रीदा..?
मैं - अनीश कुछ नहीं कुछ गाउन है...अभी पहन कर दिखाती हूँ...
मैंने पैकेट खोला... उसमे दो गाउन थे..मॉडर्न किस्म के..एक लाल और दूसरी नीली पर वह बहुत शार्ट गाउन थे..मुश्किल से जांघों तक और घुटने के ऊपर आते थे.
अनीश - अरे वाह ! बेगम यह तो बहुत सेक्सी है..तुम ऐसे सेक्सी गाउन कभी नहीं पहनी..
मैंने कहा - हाँ तुम्हे दिखाने को ख़रीदे..अब तुम ही मुझे पहना दो..
अनीश बहुत खुश हुआ..उसने मेरा गाउन निकाल कर मुझे नंगा कर दिया.. मेरी नंगी चूत देखकर अनीश को रहा नहीं गया..उसने वहा हात रख दिया..पर मेरी चूत में धर्मेश का वीर्य था..मैं नहायी नहीं थी..मैंने अनीश का हात हटा दिया..अभी नहीं..जब मैं कहूँगी तब..
अनीश ने मुझे लाल गाउन पहनने में मदत की..गाउन लो-नेक था..मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे..मिश्किल से मेरी निप्पल को कवर कर रहा था ..और निचे सिर्फ जांघों तक था..मैं तो जैसे कोई होटल के कैबरेट डांसर लग रही थी..अनीश बहुत खुश हो गया..
अनीश बोलै - वाओ ! डार्लिंग मुझे तो तुझे इसी ड्रेस में चोदना है.. और उसने मेरे घुटने मोड़ कर ऊपर उठा दिए..ऐसे करने से मेरा गाउन जांघों पर से कमर तक चला गया और..मेरे नंगी चूत अनीश को दिख गयी...
अनीश - वाह रानी कितनी सुन्दर लग रही..जैसे कोई रंडी..
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.. यासीन था .. हात में तेल का कटोरा लेकर .. साब मालिश कर दू अभी ?
अनीश ने कहा - हाँ जल्दी कर दे..और अनीश मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था ..वह यासीन को देख रहा था ..यासीन के आंखें मुझ पर टिकी थी..अपने नज़रों से वह मेरे लाल गाउन में आधे नंगे बदन को चोद रहा था..मैं फिर से बिस्तर के साइड पर बैठ गयी..और पैर निचे रख दिए..यासीन सुबह जैसे ही मेरे पैरों के पास बैठ गया..और अनीश खुद के कपडे चेंज करने लगा..तभी मुझे फ़ोन पर मैसेज का अलर्ट आया..मैंने पढ़ा.. धर्मेश अंकल का मैसेज था..संध्या , आज यासीन को मैंने कुछ समझाया है..अनीश के सामने वो जो करे तुम करने देना..मैं भांप गयी..पता नहीं यासीन क्या करेगा..एक तो ऐसे ही मेरी चूत धर्मेश अंकल के वीर्य से गीली थी..और उसपर यह छोटा सा कमर तक गाउन पहना था..मैंने अपनी आंखें बंद कर ली..
यासीन ने मेरा लचका हुआ पैर उसकी जांघों पर रख दी...उसने आज कुरता पाजामा नहीं पहना था. आज वो टी शर्ट और लुंगी मैं था..निचे बैठने की वजह से उसकी लुंगी थोड़ी आगे से खुल गयी..और मेरा पैर उसकी नंगी जांघों पर था..मेरे पैर के तलवों को उसकी मांसल भरी बालों वाली जांघें से गुदगुदी हो रही थी. उसने मेरे पैर पर तेल लगाना चालू किया...सुबह की तरह..निचे से पूरा ऊपर कमर तक..उसने मेरा दूसरा लटका हुआ पैर अपने कंधे पर रख दिया..
अनीश - कैसे लग रहा है संध्या..? आंखें क्यों बंद की
मैं: अच्छा लग रहा है अनीश..यासीन मुझे बहुत अच्छी मालिश देता है..मुझे आपके सामने शर्म आ रही है..इसलिए आंखें बंद कर ली..
अनीश - अरे पगली..मुज़से क्या शर्माना .. और यासीन भी घर का आदमी है..आंखें खोलो और मेरी तरफ देखो
मैंने आंखें खोली..अनीश मेरे सामने सोफे पर बैठा था..और देख रहा था..वह सिर्फ एक छोटी सी शार्ट पहना था...कितना सुन्दर और हैंडसम था अनीश..कोई मॉडल जैसे .. मुझे बहुत फक्र महसूस हुआ..मैं उनके आँखों मैं खो गयी..और प्यार से नजरे मिलाने लगी. तभी मुझे महसूस हुआ की मेरा पैर यासीन की नंगी जांघों पर रगड़ रहा है..मैंने निचे देखा..मेरा गाउन पूरा कमर तक आ गया था..और मैं यासीन के आँखों के सामने बिलकुल नंगी बैठी थी..मैंने झट से गाउन संभाला..निचे किया . यासीन मुस्करा रहा था..अनीश की आँखों मैं अजीब शरारत थी..
अनीश.. यासीन अच्छी से मालिश करो..पूरा निचे से लेकर ऊपर तक..और ज्यादा तेल लगाओ..
यासीन - हां साब.. बहुत तेल लगाऊंगा..और फिर से कमिनी स्माइल दी
यासीन अब बिंदास हो गया..दोनों हातों से कमर के ऊपर तक मॉलिश करने लगा..मेरी गाउन फिर से पूरी कमर के ऊपर हो गयी..और मैं उसके सामने अब पूरी नंगी थी..यासीन के हात अब हलके हलके मेरी जांघों के बीच जा रहे थे..हर बार उसका हात ऊपर आता और मेरी चुत के पास आकर रुकता..तभी मेरे पैर को कुछ सख्त और गरम चीज महसूस हुआ..मैंने निचे देखा..यासीन की लुंगी और खुल गयी थी..और उसका गोरा गुलाबी मोटा लण्ड सख्त हो गया था..और मेरा पाँव..उसके लण्ड पर रगड़ रहा था..मैं गुस्सा हो गयी .. पर मुझे धर्मेश अंकल ने चुप रहने को कहा था..
मैंने देखा अनीश मुझे बड़ी ध्यान से देख रहा था और मुस्करा रहा था..उसकी शॉर्ट्स में उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह ऊपर से अपने हात से खुद का लण्ड सहला रहा था..तभी दरवाजे पर दस्तक हुई..मैंने देखा धर्मेश अंकल थे..बोले - डॉक्टर ने बताई थी वो संध्या बेटी तेरी दवाई लेकर आया हूँ..
अनीश ने कहा - आह..आइये अंकल..बैठ जाइये ..बातें करते है..और अपने बाजु में बैठने का इशारा किया..धर्मेश अंकल भी अनीश के बाजु सोफे पर बैठ गए..सोफा छोटा था..इसलिए वह एक दूसरे के बहुत पास बैठे थे..मैंने देखा धर्मेश अंकल ने भी आज सिर्फ टी शर्ट और लुंगी पहनी थी..और वो बहुत सेक्सी और जवान लग रहे थे. वो भी मुझे देखने लगे.. यासीन..मुझे निचे से कमर तक मालिश करता और अब मेरी चूत पर भी बिच में हात लगा देता..मेरी चुत को उसके हातों के स्पर्श से सनसनी हो रही थी..तभी अपना हात मेरी जांघों पर फेरता एकदममे री चुत के करीब ले कर आया और हल्का से उसकी बिच की ऊँगली से मेरे चुत के ओंठों को छू लिया..
वैसे मैंने - आह !! उम् ...कर के कराह उठी..
धर्मेश अंकल - अरे क्या हुआ संध्या बेटी.. यासीन ठीक से मालिश करो..ऊपर तक..संध्या को दर्द हो रहा..
मैंने कहा..अरे धर्मेश अंकल ठीक है..बस नस थोड़ी दर्द कर रही थी..
तभी मैंने देखा .. अनीश की नजरे मेरी तरफ से हट गयी थी..वह बाजु बैठे धर्मेश अंकल को देख रहा था..और अपना लण्ड अपने शॉर्ट्स के ऊपर से सहला रहा था..
मैंने देखा - अनीश धर्मेश अंकल की लुंगी को देख रहा है..और अपने ओंठों पर से जीभ फेर रहा था.. उफ़ यह क्या..धर्मेश अंकल की लुंगी खुल गयी थी..और उनका लुंड ट्टण कर सख्त खड़ा हो कर फनफना रहा था..अनीश ने शायद कभी इतना सुन्दर लण्ड देखा नहीं था.. वह भी धर्मेश अंकल के खूबसूरत औजार से प्रभावित हो गया था..
तभी धर्मेश अंकल ने अनीश को देखा..ओह ! सॉरी अनीश ! खुद को कण्ट्रोल नहीं कर पाया !
और वह उठ कर चले गए.. अनीश का मुँह खुला का खुला था..वह ऐसे सम्मोहित हो गया..कुछ बोल नहीं पाया ..मैं भी अपने होश में आ गयी.
मैंने कहा - यासीन अब बस करो..अनीश मुझे नहाने ले चलो न प्लीज..
यासीन जाने के लिए उठ गया..और कहा..- साब ! में मैडम को बाथरूम लेकर जाता हूँ..
और बिना मेरे या अनीश के उत्तर का इंतजार किये.. मुझे गोदी में उठा लिया और बाथरूम लेकर जाने लगा.. उसके हातों ने मेरे चूचियां जकड ली थी..और दूसरे हातों ने मेरी गांड पकड़ ली थी..अनीश भी हमारे पीछे पीछे आने लगा..
शावर के निचे यासीन ने मुझे धीरे से उतार दिया . और एक हात मेरे चुत पर रगड़ दिया..में कुछ बोल नहीं पा रही थी..
अनीश ने यासीन से कहा - यासीन तुम बहार रुको.. मैं संध्या को नहला दूंगा..नहाने के बाद तुम वापस संध्या को बेडरूम में ले जाना..
यासीन जी साब..बोल कर ख़ुशी ख़ुशी चला गया..तब तक अनीश नंगा हो गया था..उसका ५ इंच का लण्ड छोटा था पर मोटा था और फुफकार रहा था..
मैंने अनीश से से कहा - यह क्या अनीश..यासीन को क्यों रोका..तुम भी मुझे बेडरूम उठाकर ले जा सकते हो ..
अनीश ने मेरा गाउन निकाल दिया और मुझे पूरा नंगा कर दिया और बोला - हाँ मेरी जान..पर मुझे मेरी नंगी बीवी दूसरे आदमी की गोदी में अच्छी लगती है.. तुमने देखा नहीं यासीन बेचारा कितना उत्तेजित हो गया था. उसको भी तुम्हारे सुंदरता से आंख सेकने दो.
मैंने झूठा गुस्सा दिखाया.. आप बड़े कमीने हो..और अनीश का सख्त लण्ड अपने हात में पकड़ लिया..अनीश हँसा और मुझे चूमने लगा..उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और दूसरे होतों से मेरे चूत में उंगली डाल दी..मैं जानती थी की अनीश बहुत गरम हो गया..
अनीश ने शावर चालू किया और मुझे साबुन लगाने लगा... उसने मुझे शावर के निचे थोड़ा झुका दिया.और निचे बैठ कर मेरी गांड और चुत दोनों चाटने लगा. उसने कुछ लीकविड सोप उसकी ऊँगली पर लिया और मेरी गांड में डाल कर ऊँगली घुमाने लगा..उसकी उंगलिया मेरी गांड में फिसल रही थी.. मुझे अच्छा लग रहा था.. बहुत दिन से किसी ने मेरी गांड नहीं मारी थी. अनीश ने उसके लण्ड पर भी बहुत सारा तरल सोप लगाया ...और मेरी गांड में अपने लण्ड का टोपा लगा दिया..उसने पीछे से मेरे मम्मे पकड़ लिए और मेरे निप्पल्स गोल गोल दबाकर मेरे ओंठ घूमने लगा.. मेरी चूत गिल्ली हो रही थी.. अनीश ने एक जोरदार धक्का दिया और उसका लण्ड मेरी गांड की दरार में चीरता हुआ मेरे छेद में चला गया.. वैसे में कराह उठी..आह अनीश..धीरे ..उम्...आह..
मेरी चुत लगातार पानी बहा रही थी अनीश बहुत प्यार से धीरे धीरे धक्के मरकर मेरी गांड चोद रहा था.. उसकी जांघें मेरी गांड पर - फट फट की आवाज कर के टकरा रही थी. मुझे बहुत कामुकता और उत्तेजना हो रही थी यह सोचकर की बाथरूम के बहार यासीन सब सुन रहा था. अनीश मुझे लगातार चोदता जा रहा था..उसने मेरा एक पैर पकड़कर अपने हातों से ऊपर उठा लिया और मेरी गांड अब और ज्यादा खुल गयी..वो उसका लण्ड पूरा अंदर बहार करके मेरी गांड की चुदाई करने लगा..और दूसरे हातों से उसने मेरा सर पकड़ लिया और उसकी तरफ खिंच के मेरे ओंठ चूमने लगा.. मुझे ज्यादा देर नहीं लगी झड़ने में..मुझे यासीन और धर्मेश अंकल ने मेरे पति अनीश के सामने नंगा देखा था. इसलिए मैं. पहले से बहुत उत्तेजित हो गयी थी और आह..उफ़ करके झड़ने लगी..जिसके कारन मेरी गांड सिकुड़ गयी..और अनीश के लण्ड को जोर से भींच लिया..इसके कारण अनीश भी..आह..मेरी रानी..संध्या..मेरी रंडी..करके मेरी गांड में झड़ने लगा ..अनीश बहुत देर तक मुझे चूमता रहा ..फिर उसने निचे झुक कर मेरी गांड चाट ली..और उसके वीर्य और मेरी गांड का मिश्रण चाट कर साफ़ कर दिया..
अनीश ने यासीन को आवाज दी - यासीन २ टॉवल लेकर आओ
मैं हक्का - बका रह गयी..मेरा गाउन पानी में भीग गया था , मैं पूरी नंगी थी और मुझे ढकने के कुछ नहीं था.. इससे पहले में कुछ कहती और रोकती, यासीन दो टॉवल लेकर बाथरूम के अंदर आ गया.. मुझे और अनीश दोनों को पूरा नंगा देखकर खुश हो गया. उसने अनीश को के टॉवल दिया और दूसरा टॉवल मुझे. अनीश ने कहा - यासीन तुम टॉवल से संध्या का बदन पोंछ कर सूखा दो .. मैं चकित रह गयी .. और मुझे शर्म भी आ रही थी..यासीन ने ख़ुशी ख़ुशी से टॉवल मेरे हातों से लिया और मेरी पीठ पोछने लगा. मैंने अनीश को देखा .. वह मेरे तरफ देखकर मुस्करा रहा था और गौर से यासीन को देख रहा था.. अनीश अपना बदन पोंछ रहा था..उसका लण्ड अब सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था .. २ इंच का बेबी लण्ड था उसका ..वह धीरे धीरे अपना बेबी लण्ड और अण्डे टॉवल से पोंछने लगा. और मुझे और यासीन को हवस भरी नजरों से देखने लगा..
यासीन बड़ा कमीना निकला.. वह एक हात से मुझे टॉवल से पोंछ रहा था और दूसरी हात से मेरे पोंछे हुए बदन पर फेरकर देख रहा था की सब सुख गया या कोई पानी के बुँदे ना रहे .. उसने अब मेरे बूब्स और निप्पल्स को भी छू लिया ..उसके मर्दाने हातों के छूने से मेरे बदन में करेंट दौड़ गया..मैं थरथरा गयी..अनीश मेरी मज़बूरी का मजा ले रहा था ..उसने कहा - यासीन मैडम के कमर के निचे और पाँव भी एकदम अच्छी से सुका दो..
यासीन अब मेरे पैरो के पास निचे झुककर अपने पैरों पर बैठ गया.. और मेरी चुत को टॉवल से पोछने लगा..उसने दूसरे हातों से मेरी चुत को सहला लिया..और कहा ..हाँ साब एकदम सुख गया ..मैंने निचे देखा ..यासीन की लुंगी फिर से आगे से खुल गयी थी..और उसका गोरा कटा हुआ १० इंच का काले बालों वाला लण्ड फुफकार रहा था..आसमान की तरफ..
अनीश ने कहा .. अरे यासीन ठीक से देखो ..अंदर पानी से गिला ना हो .. वैसे यासीन ने मेरी चुत में उसकी मोटी ऊँगली डाल दी..आह..मैं सिहर उठी..
यासीन..साब अंदर से बहुत गीली है..
अनीश -हाँ संध्या की चुत बहुत गरम है हमेशा गीली होती है..
यासीन - साब मैडम इतनी गरम है , पर आपका लण्ड तो बहुत छोटा सा है..एकदम १० साल के बच्चे जैसे
अनीश - हाँ मेरा लण्ड बहुत छोटा है .. तेरा दिखा यासीन..
यासीन ने अपनी लुंगी बाजु कर दी..वह अब अनीश के सामने एकदम नंगा था..उसका लण्ड बहुत गोरा था और उसके लण्ड का सूपड़ा एकदम लाल लाल स्ट्रॉबेरी जैसे था .. यासीन के बहुत लम्बे और घने बालों वाली काली झाटें थी और उसके बड़े बड़े बालों से भरे दो अण्डे निचे लटक रहे थे. अनीश उसका लण्ड देखने हमारे करीब आ गया
अनीश - अरे वाह यासीन .. ! तुम्हारी झाटें तो एकदम मस्त है..
अनीश का हात यासीन के झाटों के काले बालों में चला गया और सहलाने लगा.
मैंने अनीश को देखा..वो अभी भी टॉवल से अपने लण्ड और गोटिया रगड़ रहा था..उसका २ इंच का बेबी लण्ड अभी फिर से उठकर सख्त ५ इंच का कड़क लोहा बन गया था..
यासीन - साब ! हाँ बहुत बाल हैं मेरे बदन पर..पर साब आपने तो कोई बाल नहीं रखे..सब शेव किये..आप का लण्ड एकदम १० साल के बच्चे जैसे चिकना , बिना बालों वाला लगता है..और यासीन भी अनीश के चिकने लण्ड और गोटियों को हात लगाकर देखने लगा.
इससे पहले वह कुछ कहे ..मैंने कहा..बस अब ठीक हैं यासीन...मुझे बेडरूम में लेकर चले .. यासीन ने मुझे वैसे ही नंगा गोदी में उठाया और बेडरूम में लेकर बिस्तर पर लिटा दिया..बिस्तर की दूसरी साइड पर तकिया लेने वह मेरे ऊपर झुक गया..वैसे उसका लण्ड मेरे चहरे के पास आ गया .. उसके लण्ड का कटा हुआ लाल टोपा मेरे ओंठों के पास था.. मैं खुद को रोक नहीं पायी और जल्दी से मैंने उसके टोपे पर जीभ पैर दी..
वैसे यासीम..उम्म्म कर के झूम उठा. अनीश भी पीछे पीछे बेडरूम में आया..क्या हुआ यासीन
यासीन..कुछ नहीं साब..
मैं फिर से संभल गयी.. ठीक है यासीन तुम अब जाओ, में गाउन पहन लुंगी..
यासीन थोड़ा मायूस सा हो गया और चला गया..
अनीश प्यार से मेरे पास आ गया और मुझे नीले कलर का गाउन पहना दिया..जो धर्मेश अंकल लाये थे..
रात को खाना खाते वक्त ..अकेले धर्मेश अंकल थे..उन्होंने बताया .. की पम्मी आंटी उनके घर चली गयी..कुछ पानी के पाइप का लीकेज था..इमरजेंसी थी .वह कल वापस आएगी.
फिर उन्होंने मुझे मैसेज किया.. संध्या .. मेरी रंडी..आज तेरे पति को कुक बनाने का सही समय है.. यासीन ने मुझे सब बताया कैसे अनीश ने तुम्हे उसके सामने नंगा किया और उसे तुम्हारी चुत से खेलने दिया. यासीन के लण्ड से वह कैसे आकर्षित हो गया .. लोहा अभी गरम है.. तुम थोड़ी देर में मुझे वीडियो काल करो..और अनीश को मेरे पास भेज दो.. की मौसाजी से डॉक्टर ने दी हुई दवाई ले आओ.. और वीडियो काल पर तुम सब देखना..मैं कैसे तेरे पति को ककोल्ड बनाता हूँ.
मैं हैरान हो गयी.. पर मुझे बहुत उत्तेजना भी हो रही थी . मुझे अपने पति अनीश से बहुत प्यार था..उन्होंने मुझे हर खुशियां दी थी ..उनके छोटे बेबी लण्ड होने के बावजूद उन्होंने मुझे बहुत मर्दों से और बड़े बड़े लण्ड से चुदवाया था.. मैं सिर्फ उनकी ख़ुशी चाहती थी..उनको भी कुछ खुशियां गिफ्ट में देना चाहती थी..इसलिए यह सब्र मुझे ठीक लग रहा था.
तभी मुझे धर्मेश अंकल का वीडियो कॉल आया... मैंने कॉल ले लिए..मैंने देखा की .. सामने बिस्तर पर धर्मेश अंकल पूरा नंगा बैठे है.. पैर फैला कर और अपना लण्ड सहला रहे है..उनको ऐसे देखकर में एकदम उत्तेजित हो गयी..और मेरी चुत गिल्ली होने लगी. उन्होंने कहा.. संध्या अब अनीश को मेरे कमरे में भेज दो. मैंने देखा अनीश सिर्फ एक शॉर्ट्स में था..क्यूंकि हम दोनों रात को नंगा सोते है.
मैंने कहा ..अनीश मेरी कुछ दवाई धर्मेश अंकल लेकर आये थे..उनकी रूम में जाकर ले आओं ना..प्लीज..
अनीश ने कहा - ठीक है.. लेकर आ ता हूँ जान और वो वैसे ही छोटीसी शॉर्ट्स में कमरे से बहार चले गए..
मैंने फिर से वीडियो कॉल देखना चालू किया.. मैंने देखा की धर्मेश अंकल ने अपनी आंखें बंद कर ली.और वह अब अपने लण्ड को पकड़ के आगे पीछे हिला रहे थे..यभी मैंने देखे की दरवाजे पर अनीश खड़ा होकर रुक गया.. वह धर्मेश अंकल को पूरा नंगा देख कर सर से पाँव तक हिल गया.उसकी नजर धर्मेश अंकल के नंगे बदन पर थी. धर्मेश अंकल एक गोरा, एकदम फिट, ५० -५५ की उम्र वाला आदमी था, नीली गहरी आंखें, एकदम कबीर बेदी जैसी, हट्टा-कट्टा पहलवान जैसे. कुछ तो बात थी धर्मेश में. सबको आकर्षित कर लेते थे. और सबसे खुनसुरत उनका काला मोटा १० इंच का लण्ड था..लाल टोप एकदम फुला हुआ..और मोटे केले जैसे टेढ़ा..एकदम जबरदस्त खुसबूसृत लण्ड था.. अनीश उनको निहार रहा था और अब उसका एक हात उसकी शॉर्ट्स में चला गया था और वो अपने लण्ड को सहला रहा था. मुझे बहुत सरप्राइज हुआ . अनीश अब धर्मेश अंकल के खूबूसरत नंगे जिस्म से पूरा सम्मोहित हो गया था. धर्मेश अंकल का काला लण्ड एकदम सख्त लोहे जैसे फुफकार रहा था ..वह उसे अपने दोनों हातों से पकड़ कर आगे पीछे करके मसल रहे..थे.. धर्मेश अंकल आहे भर रहे थे - उम्..आह...मेरी संध्या.. मेरी रंडी बन जा...
मुझे जोर से झटका लगा ..यह अनीश के मौसाजी उसके सामने पूरा नंगा है, अपने बड़े लण्ड को हातों से पकड़कर मूठ मार रहे और उसकी बीवी का नाम ले रहे है .. मैंने सोचा अनीश को कही गुस्सा ना आ जाये.. पर अनीश के कदम धीरे धीरे उनके बिस्तर के तरफ बढ़ रहे थे...और अब उसकी शॉर्ट्स भी उसके घुटने तक खिसका दी..और अपने लण्ड को खुला कर के धर्मेश अंकल के लण्ड को देखकर हिला रहा था. मेरी चूत यह देखकर गिल्ली हो गयी..मेरा एक हात अपने आप मेरी गिल्ली चुत के ऊपर चला गया..
मैंने देखा अनीश अब बिल्कुम धर्मेश अंकल के बिस्तर के पास खड़ा है..उसकी नजर धर्मेश अंकल के मोटे लम्बे लण्ड पर थी.... उसकी शॉर्ट्स अब फर्श पर गिर गयी थी और वह एक हाथ से धीरे से उसका लण्ड हिला रहा था. धर्मेश अंकल अब पूरा बिस्तर पर लेट गए थे..वो अपना मोटा लण्ड आराम से हिला रहे थे..और सिसकियाँ ले रहे थे..उम्... संध्या...तेरी चुत आज देखि..कितनी खूबसूरत है...तुझे दिन रात चोदूूँगा ..काश तू मेरी बहु नहीं होती..तुझे रंडी बनाता और रात - दिन चोदता. अनीश भी यह सुनकर एकदम गरम हो गया था.. उसके हात भी उसके लण्ड पर आगे पीछे घूम रहे थे.. तभी सही वक्त समाज कर धर्मेश अंकल ने ऑंखें खोली..
धर्मेश अंकल - (घबराते हुए - नाटक करते) - ओह ! अनीश तुम. . आई ऍम वैरी सॉरी ! सॉरी बेटा ! वह तुम्हारी पम्मी मौसी नहीं है ना..सो सेक्स मिस करता हूँ..आज रोक नहीं पाया खुद को..
अनीश - ओह सॉरी अंकल.. मैं भी बहक गया..सॉरी तो मैंने कहना चाहिए ..आप मौसी को मिस कर रहे है..
पर दोनों ने भी लण्ड सहलाना चालू रखा..
धर्मेश अंकल - अरे नहीं बेटा , तुम्हारी मौसी कोई काम की नहीं रही..मेनोपोज़ के बाद वह ठंडी हो गयी..इसलिए मुझे यह करना पड़ता ..और आज बहु की मालिश देखि तो और ज्यादा उत्तेजित हो गया
अनीश - ओह अंकल..यह तो बहुत नाइंसाफी है आपके मस्त लण्ड पर..आपको इसको भूखा नहीं रखना चाहिए
धर्मेश अंकल - हां अब आदत हो गयी बेटे .. पर क्या तुझे मेरा लण्ड सच में मस्त लगता है ? कैसे इसकी भूक शांत करू ..तू ही बता दे
मैं सब वीडियो काल पर देख रही थी और सुन रही थी. मुझे हंसी आ गयी.. धर्मेश अंकल बहुत अनुभवी और कमीने थे..उन्होंने मेरे भोले पति की नब्ज पकड़ ली थी.
अनीश - हाँ अंकल..! आपका लण्ड सच में मस्त है..इतना खूबसूरत लण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखा..यह तो एक सात दस - बीस कुंवारी चुत की सील फाड् देगा
धर्मेश अंकल..ओह ! इसलिए तू भी नंगा हो गया.. तुझे मेरा लण्ड अच्छा लगा , तुझे इसको टच करना है..
अनीश ने कहा - उम् ...हाँ अंकल सच में अच्छा है..एकदम mota और लाल टोपा..है
धर्मेश अंकल ने अनीश को बढ़ावा दिया.. चलो एक काम करते है..तू मेरा लण्ड पकड़ ले..मैं तेरा लण्ड पकड़ लेता हूँ..
उन्होंने अनीश का लण्ड पकड़ लिया..अनीश को भी हिम्मत आ गयी..वह बिस्तर पर धर्मेश अंकल के पास बैठ गया और उनका गरम लण्ड पकड़ लिया. और प्यार से हिलाने लगा .उसकी नजर धर्मेश अंकल के लण्ड से हट नहीं रही थी..धर्मेश अंकल-- आह...उम्..करके आहे भरने लगे ..
धर्मेश अंकल - कैसे फील हो रहा अनीश मेरा लण्ड पकड़ कर..
अनीश - बहुत अच्छा लण्ड हैं आपका अंकल .. मस्त सख्त ..और गरम..बहुत अच्छा लग रहा है..
धर्मेश अंकल...आह ! अनीश मरे लण्ड को थोड़ा सा चूस ले..मुझे अच्छा फील होगा..
अनीश - अरे नहीं अंकल..
पर उसने अब अपने दोनों हातों में धर्मेश अंकल का लण्ड पकड़ लिया..
धर्मेश अंकल थोड़ा सक्ति से बोले - चलो अनीश मेरा लण्ड चूस लो..मुझे मालूम है तेरा मन इसको चूसना चाहता है..
अनीश कुछ नहीं बोला. अब धर्मेश अंकल गुस्से में बोले - मादरचोद मेरा लण्ड मुँह में ले ले..नहीं तो अभी तेरी बीवी को बुलाता हूँ..और दिखाता हूँ की तू कैसे खुद होकर मेरे कमरे में नंगा हो गया और मेरा लण्ड हिला रहा हैं.
अनीश अब डर गया.. उसकी आँखों मैं डर था..वह धीरे से निचे झुका और धर्मेश अंकल का लण्ड मुँह में ले लिया..और चूसने लगा
धर्मेश अंकल - आह .! . वाह बेटा ..ऐसे ही जोर जोर से चूस ले..मैं तुझे मेरी मलाई खिलाऊंगा आज..
अनीश अब जोर जोर से धर्मेश अंकल का लण्ड चाटने लगा .. और चूसने लगा ..मुझे सब दिख रहा था ..मुझे हंसी आ गयी.. धर्मेश अंकल ने मेरी धमकी देकर अनीश को उनका लण्ड चूसने को बाध्य किया.और मुझे आश्चर्य हुआ की मेरा पति भी डरने का नाटक करके उनका लण्ड चूस रहा था.. अनीश ने मेरे सात सेक्स की बहुत रंग-रलिया मनाई है..वो मेरे से प्यार करता है और उसे पता हैं मैं उसका सात देती हूँ. पर उसको शायद सच में धर्मेश अंकल का लण्ड चूसना था ..इसलिए इस बेकार धमकी से डरने का नाटक किया.
धर्मेश अंकल - अनीश के लण्ड को सहला रहे थे..आह अनीश ! .. काश कोई चुत मिल जाये तो चोद चोद कर फाड् दू.. आपने भूके लण्ड की भूक मिटा दू.. आज दोपहर को मालिश के वक्त संध्या की चुत दिख गयी .. बहुत सुन्दर है..तू रोज चोदता है उसे ?
अनीश के मुँह में धर्मेश अंकल का लण्ड था -- उम्म्म हाँ ..
धर्मेश अंकल - उह...वाह..पर तेरा लण्ड तो बहुत छोटा है..बेचारी की चुत भुकी रह जाती होगी..
अनीश कुछ नहीं बोला - उम्....आह
तभी धर्मेश अंकल ने गुस्से मैं अनीश के गाल पर एक थप्पड़ मार दी..और उसको अपने लण्ड से अलग किया - भोसड़ीके बता .. नहीं तो तुझे मेरा लण्ड चूसने नहीं दूंगा..
अनीश की आंख से थप्पड़ खाकर पानी आ गया..- पर वो अभी भी दोनों हातों से धर्मेश अंकल के लण्ड को पकड़े था उसने कहा - हाँ अंकल मेरा लण्ड बहुत छोटा है, शायद आपकी बहु की चुत प्यासी राह जाती होगी.
धर्मेश अंकल - हाँ अब ठीक है..अब बता इतनी सुन्दर बहु है मेरी..उसकी चुत के लिए कैसा लण्ड चाहिए
अनीश - अंकल उसकी गोरी चुत के लिए एकदम बड़ा और मोटा और सख्त कड़क लण्ड चाहिए..
धर्मेश अंकल - अच्छा अब सच बता..मेरा लण्ड कैसे लगा..झूठ बोला तो और मरूंगा
अनीश - अंकल आप का लण्ड बहुत खूबसूरत है..इतना सख्त लण्ड मैं नहीं देखा
धर्मेश अंकल - हम्म.. क्या बहु को मेरा लण्ड पसंद आएगा.. ? क्या मेरा लण्ड उसको चोदने लायक है?
अनीश अब फटी आँखों से धर्मेश अंकल को देख रहा था - हाँ अंकल आप का प्यासा - भूखा लण्ड एकदम योग्य है आपकी बहु के भुकी चुत के लिए.. पता नहीं वो मानेगी या नहीं..
अनीश शायद रिश्तों में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था..अभी तक उसने मुझे सब अनजान आदमियों से चुदवाया था.. इसलिए वो धर्मेश अंकल को टालने की कोशिस कर रहा था.
पर धर्मेश अंकल कहा मानने वाले थे.. उन्होंने अनीश को उसकी गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मार दीया..
धर्मेश अंकल - मादरचोद उसको मनाना तेरा काम है.. समजा.. चल जा अब
पर अनीश वहा से जा नहीं रहा था..उसके दोनों हात में अभी भी धर्मेश अंकल का मोटा लण्ड फनफना रहा था..
धर्मेश अंकल - क्या हुआ..जा लवडे के बाल..क्यों रुका है..छोड़ मेरे लण्ड को..
पर अनीश वहा से हिल नहीं रहा था...वह भुकी नजरों से धर्मेश अंकल के लण्ड को देख रहा था..
धर्मेश अंकल - तुझे मेरा लण्ड चूसना है ? बोल गांडू..नहीं तो अभी तेरी बीवी को बुलाता हूँ
अनीश - हाँ अंकल
धर्मेश अंकल - फिर ऐसे नहीं...मेरे पाँव पकड़ कर आशीर्वाद ले और आदर से मेरा लण्ड को चूसने की अनुमति मांग..
अनीश ने अपना सर धर्मेश अंकल के पाँव पर रख दिया और बोला - मेरे पिता सामान मौसाजी..मुझे आपका आशीर्वाद दो.. और आपके लण्ड को चूसने की अनुमति दो.
धर्मेश अंकल - ऐसे नहीं मिलेंगे आशीर्वाद..पहले मेरे पैर चाट कर आशीर्वाद लो..
अनीश धर्मेश अंकल के पैरों पर अपने ओंठों से किस करने लगा और उनके पैर चाटने लगा..उसकी जीभ बहार निकल कर वह धर्मेश अंकल के पाँव के तलवे मजे से चाटने लगा..उसका लण्ड अब सख्त हो कर फनफना रहा था ..उसको इस अपमान की वजह से कामुकता बढ़ रही थी.. मैं समज गयी थी की मेरा पति अब जल्दी ही धर्मेश अंकल का कुक बन जायेगा..धर्मेश अंकल भी उनके तलवो को अनीश के मुँह पर फेर रहे थे..बिच में ही उन्होंने उनका एक पैर अनीश के लण्ड पर जोरदार दबा दिया..और उसके अण्डे मसल दिए..अनीश रो पड़ा - आह मौसाजी..दर्द होता है..तभी धर्मेश अंकल ने उसको फिर से जोरदार तमाचा गाल पर मार दिया..उसके गालपर लाल निशान बन गयी..
अनीश के आँखों में अब आंसू थे..धर्मेश अंकल ने अनीश के बाल पकडे और खिंच कर अपने पास लेकर आये..उन्होंने कहा - मुँह खोल साले छक्के - और अनीश के मुँह में थूक दिए..
मुझे अनीश को ऐसे देखकर बुरा लग रहा था.. मेरे पति की बेइज्जती हो रही थी.. पर अनीश सारा थूक निगल गया और मुँह खोलकर बैठा..ताकि और धर्मेश अंकल की थूक ले सके.
धर्मेश अंकल ने कहा - मैं तेरे पिता सामान हूँ..मुज़से आदर से बात करनी..मेरा सब कहा मानना और कोई बात के लिए मना नहीं करना..अब जावो और मेरे अण्डे चाटों..
अनीश - जी अंकल..
सुबह मैं छत पर टहलने गयी..! इसी बहाने मेरा व्यायाम हो जाता.. मैं छत के चारो कोनो पर टहलने लगी. तभी मैं सर्वेंट रूम के सामने गयी.. तो देखा दरवाजा पूरा खुला था. एक चटाई पर यासीन सिर्फ एक छोटी सी अंडरवियर मैं सोया था. अंडरवियर मैं उसके लण्ड का उभार साफ़ दिख रहा था. लम्बा साढ़े छे फुट का हत्ता कट्टा आदमी था यासीन. एकदम गोरा और बदन पर काले बाल .. बहुत सुन्दर लग रहा था..उसकी मोटी मोटी जांघें ,, उसके ताकत का साबुत दे रही थी... गर्मी के दिन थे..इसलिए खुले में सोया था..
मैंने छत के कई राउंड लगायें और उसको देखते रही .. तभी मेरा पैर थोड़ा लचक गया और मैं दर्द से कराह उठी . आह.. ूई माँ.. गर्भा अवस्था मैं ऐसे पैर लचकना सेहत के लिए बहुत खतरनाक होता है. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. आह...मर गयी मेरी माँ..ोूफ...मेरी आवाज सुन कर यासीन की नींद टूट गयी. वो वैसे ही भागकर मेरे पास आया..
यासीन - क्या हुआ मेमसाब..आप ठीक है..वह मेरे पैर को देखने लगा..जिसको पकड़ कर मैं सहला रही थी..
मैं - मेरा पैर फिसल गया...पैर की नस लचक गयी..बहुत दर्द हो रहा है..
यासीन मेरे सामने अपने दोनों पैरों पर बैठ गया. और मेरा पैर देखने लगा. ऐसे हगने वाली पोजीशन मैं बैठने से उसके लण्ड का उभर बिलकुल मेरे आँखों के सामने था. उसकी बड़ी बड़ी जांघों..और उनकी नसे.. कसीस बॉडीबिल्डर की तरह लग रही थी.. कश्मीरी लिबास में..ढीले कुर्ते और पाजामा में.. उसका कसा हुआ बदन छुप गया था..जो आज निखर के मेरे सामने आया था..उसकी नीली गहरी आंखें..उफ़... कितना सुन्दर मर्द है..कश्मीरी मर्द बहुत सुन्दर होते है.. वह मेरे पैर को मालिश करके सहलाने लगा. पर मेरा दर्द कम नहीं हो रहा था. मैंने कहा - यासीन मुझे निचे लेकर चलो जल्दी..
मेरे से चला नहीं जा रहा था. यासीन ने मुझे वैसे ही अपनी गोदी मैं उठाया और निचे सीढ़ियों से लेकर जाने लगा. मैंने उसके गले में अपने दोनों हात डाल कर कस के पकड लिया. ऐसे करने से मेरा चेहरा उसकी बालों वाली छाती से चिपक गया. आह क्या खुशबू थी उसके जिस्म की..मर्दानी महक,,मेरे ओंठ उसके छाती पर घिसने लगे. मेरे ओंठ अब उसके छातीके निप्पल्स से रगड़ रहे थे...पर मुझे दर्द भी हो रहा था. दर्द कम करने को मैं अपने दांत दबा देती..इससे यासीन के निप्पल मेरे दातों के बीच में २-३ बार आ गए और वहा काटने के निशान भी आये. यासीन ने ..हर बार दर्द से आह किया पर कोई शिकायत नहीं की. जैसे यासीन ने मुझे सोफे पर लिटाया...मेरा एक हात उसके निकर के ऊपर से रगड़कर निचे आया..मेरे शरीर मैं जैसे करंट लग गया..यासीन को भी सनसनी हुई और वह कुछ सेकंड के लिए कांप गया.. मैंने देखा उसका लण्ड पूरा कड़क हो गया और निकर छोटी होने से उसमे से इलास्टिक से बहार आ रहा था.. उसने मेरे तरफ देखा. उसकी झील सी नीली आँखों में मैं खो गयी.. तभी मैंने मेरा हात उसके लण्ड के ऊपर से निकाल डाला..मेरे हैट पर उसके लण्ड का सख्त और मोटापा महसूस हुआ.. जवान लण्ड था.. अपने खूबी पर था.. मैंने शर्मा कर कहा...जाओ पहले कपडे पहन लो..मैंने जल्दी पम्मी मौसी और अनीश को आवाज दी..वो भाग कर आये..
अनीश ने जल्दी से फॅमिली डॉक्टर को बुलाया.डॉक्टर खन्ना एक ७० साल के वयस्क डॉक्टर है. वो आर्मी में डॉक्टर थे. इसलिए एकदम फिट और हट्टे कटे लम्बे..और अपनी उम्र से काफी जवान दिखते है. वो जल्दी आ गये और मेरा चेक उप करने लगे. अब तक यासीन भी कपडे पहन कर निचे आ गया था. डॉक्टर खन्ना ने कहा - संध्या को उसकी बैडरूम में लेकर चलो .. मुझे चेक उप करना पड़ेगा." जैसे मैं सोफे से उठने लगी .. यासीन ने कहा रुको मैडम.. उसने मुझे मेरे पति अनीश और धर्मेश चाचा के सामने अपने गोदी मैं उठा लिया और मेरी बैडरूम में लेकर जाने लगा. मैं उसकी इस ढिटाई से हक्का बक्का होकर उसको देखने लगी. धर्मेश चाचा मुस्करा रहे थे..और अनीश की आँखों मैं अजीब चमक थी. मुझे यासीन के बदन की खुशबू अच्छी लग रही थी..
डॉक्टर खन्ना ने सिर्फ अनीश को अंदर आने की परमिशन दी..
डॉ. खन्ना.. संध्या .. गाउन ऊपर कर दो.. और घुटने भी ऊपर कर लो..
मैंने गाउन ऊपर कर दिया..मैं अंदर पूरी नंगी थी..पैंटी नहीं पहनी थी.. घुटने मोड़ने से अब मेरी चुत डॉ. खन्ना को साफ़ दिख रही थी.
डॉ. खन्ना.. संध्या रिलैक्स रहो. तुम्हे पता हैं अंदर कैसे चेक उप करते है.. घर से आते वक्त जल्दी में मैं ग्लोव्स लाना भूल गया..पर यह इमरजेंसी है..तुम शांत रहो..ठीक है..?
मैंने कहा.. ठीक है डॉक्टर साब , पर दर्द के कारण मैं घुटने मोड़ नहीं पा रही..
डॉ. खन्ना.. अनीश आप संध्या के घुटने पकड़ कर सहारा दो..
अनीश ने मेरे घुटने पकड़ कर ऊपर उठाये और दोनों हातों से पकड़ के रखे..अपनी बीवी की चुत खुलकर डॉक्टर के सामने पेश कर दी. उसकी आँखों मैं अजीब चमक थी. वह बार बार अपनी जीभ अपने ओंठों पर फेर रहा था. उसकी पैंट में उसका लण्ड तम्बू बना रहा था.
डॉ.खन्ना .. ने पहले..मेरी चुत को पास से देखा..सहलाया और एक ऊँगली अंदर डाली..
वैसे मैंने..आह डॉक्टर... दर्द हो रहा..
डॉ.खन्ना..कोई बात नहीं संध्या..मुझे ठीक से देखने दो..बहुत जरुरी हैं
डॉ.खन्ना का हात का पंजा बहुत बड़ा था और उनकी उँगलियाँ भी बड़ी बड़ी और मोटी थी. जैसे हर ऊँगली कोई बड़ा लण्ड. डॉ. खन्ना की एक ऊँगली मेरे चुत मैं आगे पीछे होकर टटोल रही थी.. और अब मुझे अच्छा लग रहा था..मेरी चुत में सनसनी हो रही थी..
मैंने..आह...उह..किया
डॉ. खन्ना.. क्या हुआ संध्या इधर दर्द हो रहा क्या ? उन्होंने मेरे चुत के अंदर उनकी ऊँगली दबायी..वैसे मैंने..आह ! डॉक्टर !
मैंने कहा.. नहीं दर्द नहीं हो रहा..
डॉ. खन्ना - फिर चिल्लाई क्यों?
मै शर्मा गयी.. वह गुदगुदी हुई इसलिए .और आपकी ऊँगली बहुत बड़ी है.. डॉ. खन्ना मुस्करा दिए और खुश हो गये .. मैंने देखा अनीश की आँखों मैं अजीब ख़ुशी थी..उसकी पैंट के अंदर उसका लण्ड फनफना रहा था. अपने बीवी को ऐसे नंगा कर के और डॉक्टर की हरकतों से उसको मजा आ रहा था. डॉ. खन्ना ने पुराणी स्टाइल की लूस ढीली पैंट पहनी थी.. पर उसके कारण उनकी पैंट में ज्यादा बड़ा तम्बू हो गया था..
अनीश ने कहा.. हाँ डॉक्टर सांब..सच में आपकी उँगलियाँ बहुत मोटी और बड़ी हैं..मेरे से डबल साइज लग रहा है..
मैंने सोचा..डॉ. खन्ना का तम्बू भी डबल साइज है..
तभी डॉ. खन्ना ने उनकी ऊँगली निकाली और कहा अनीश ऐसी ही पकडे रहो ..देखो सब ठीक है..अच्छी बात है की ब्लीडिंग नहीं हो रहा है.. मुझे एकबार फिर से ठीक से देखकर कन्फर्म करना पड़ेगा ..वह अनीश को समजा रहे थे.
अनीश.. है डॉक्टर ..मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता ..आप ठीक से चेक करके कन्फर्म करे
डॉ. खन्ना ने फिर से धीरे से .. लिक्विड लुब्रीकेंट लगा कर उनकी बड़ी ऊँगली मेरी चुत मैं डाल दी..और आगे पीछे करने लगे.. फिर उन्होंने दूसरी ऊँगली भी डाल दी..मेरी चुत में अब आग लग गयी.. वह गिल्ली होने लगी.. शर्म के मारे में आहे भी नहीं भर पा रही थी. डॉक्टर की दोनों उंगलिया कोई बड़े १० इंच लण्ड जैसे मोटी लग रही थी..मुझे पता था इस चेक उप की कोई जरुरत नहीं थी. पर डॉक्टर भी अपनी तमन्ना और हवस पूरी कर रहा था..चेक उप के बहाने..वह भी बिना ग्लोव्स के.डॉक्टर उसकी दोनों उँगलियाँ..मेरी चुत में अंदर तक डाल रहा था..और उंगलिया गोल गोल घुमाकर मेरी चुत की हर दिवार को रगड़ रहा था. मेरी चुत के पानी से उसकी उंगलिया गिल्ली हो गयी..और अब उसको और भी आसानी हो गयी. मेरे से अभी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था.. मेरा बांध फूटने में था.. वहा डॉक्टर की उँगलियाँ मेरी चुत मैं जादू कर रही थी.. और मेरी चुत से लगातार पानी बह रहा था..तभी डॉक्टर की उँगलियों ने मेरी चुत के दाने को जोर से रगड़ डाला.. उनकी एक उंगली मेरे दाणे को पकड़ कर गोल गोल रगड़ने लगी. तभी उन्होंने अपने दोनों ऊँगली में मेरे दाणे को पकड़ कर चिमटी ले ली..जिस के कारन मैं सकपका गयी .. और तड़प रही थी..मेरा हात अपने आप..डॉक्टर के पैंट के पास गया और उनका लण्ड मेरी मुट्ठी मैं जोर से पकड़ लिया. और .उह.. आह..करके बेशरम होकर झड़ने लगी. डॉक्टर ने आराम से दोनों उँगलियाँ निकाल ली..वह भी हड़बड़ा गये थे.. मेरे मुट्ठी मैं उनका लण्ड फनफना रहा था..वह आसानी से धर्मेश अंकल जितना मोटा और १० इंच लम्बा लण्ड होगा.. मुझे जब थोड़ा होश आया..मैं शर्मा गयी और अपना हात वापस पीछे ले लिए.. डॉक्टर खन्ना भी जल्दी संभल गये और बोले - अनीश ..सब ठीक है..मैं कुछ गोलिया लिख कर देता हूँ..तुम बहार आ जाओ .. और वह जल्दी से बहार चला गया.
मैं आह..आह..कर के झड़ रही थी.. अब मेरे साथ सिर्फ अनीश था.. मेरे कमीने पति को भी रहा नहीं गया..वह निचे झुक कर मेरे चुत पर अपने ओंठ रखकर मेरा पाणी पिने लगा.. चाट चाट कर उसने मेरी चुत का सारा पाणी पी लिया..वह चाट रहा था और मैं लगातार उसके मुँह में पाणी छोड़ रही थी. मेरी चुत पूरी चाट चाट कर साफ़ करके कुछ देर मैं अनीश बहार डॉक्टर से मिलने चला गया. डॉक्टर ने कुछ दवाई दी और कहा.. संध्या के पैर की मालिश करनी होगी दिन में तीन बार. तभी धर्मेश अंकल ने कहा..कोई दिक्कत नहीं..यासीन बहुत अच्छी मालिश करता है..डॉक्टर को घर के बहार छोड़ कर अनीश भागा हुआ हमारे बेडरूम में आया..मैं बिस्तर पर लेटी थी..वो अपने कपडे निकाल कर पूरा नंगा हो गया..उसका लण्ड अभी भी फड़फड़ा रहा था.. उसने आते ही उसका लण्ड सीधे मेरे मुँह में डाल दिया..आह ! संध्या रानी.. चूस ले मेरा लण्ड..
मैं भी प्यार से मेरे पति का लण्ड चूसने लगी. तभी मेरी नजर दरवाजे पर गयी.. दरवाजा आधा खुला था..वहा से धर्मेश अंकल खड़े होकर सब देख रहे थे..उनकी पाजामे में भी तम्बू बन गया था..वो अपने दोनों हातों से अपने लण्ड को सहला रहे थे. मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे..और उनकी आँखों से मुझे चोद रहे थे. अनीश की पीठ दरवाजे की तरफ थी .. इसलिए उसे दिख नहीं रहा था.
अनीश - आह रानी...क्या मस्त लण्ड चूसती है तू.. डॉ. खन्ना ने क्या मस्त उनकी उँगलियों से तेरी चुत की चुदाई की..बहुत मजा आ रहा था देखने में..
मैं कुछ बोल नहीं सकती थी.. अनीश का लण्ड मेरे मुँह में था. धर्मेश अंकल सब सुन रहे थे..और कमीनी नजरों से मुझे देखकर मुस्करा रहे थे.
अनीश - वाह रानी आज मजा आ गया.. मन कर रहा था की आज डॉक्टर से भी तुझे चुदवा लू.. आह....उफ़...बताओ डॉक्टर का लण्ड पकड़ कर मजा आया ?
मैं: उम्..हां,,, अनीश का लण्ड अभी भी मेरे मुँह मैं था..
अनीश: बोलो कैसे था डॉ. का लुंड..मेरे से बड़ा था..
अनीश ने मुझे जवाब देने के लिए..अपना लण्ड मेरे मुँह से बहार निकाल दिया..बोलो रानी बता..कैसे था डॉ. का लण्ड..
मै: बहुत मोटा और बड़ा था..तुमसे डबल साइज..था..
अनीश.. आह रानी..बोलो क्या मेरे सामने डॉ. के मोटे लुंड से चुदवायेगी ?
मै - हम्म हाँ..
मेरी ऑंखें धर्मेश अंकल को देख रही थी..वह भी बड़े मस्ती मैं थे...और अपना लण्ड सहला रहे थे..और कमीनी स्माइल दे रहे थे..
अनीश जल्दी ही मेरे मुँह में उसके लैंडसे वीर्य की पिचकारी उड़ाने लगा. मैंने भी प्यार से सब निगल लिया.. अनीश ने मुझे किस किया - ी लव यू संध्या डार्लिंग.. और कपडे पेहेन कर ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा. धर्मेश अंकल तब तक चले गये थे.
मुझे अभी भी चलने में दर्द हो रहा था. अनीश ने यासीन को बुलाया और कहा .. देखो यासीन में ऑफिस जा रहा हूँ.. तुम पहले संध्या की मालिश कर देना.. फिर इसको बाथरूम ले जाना..नहाने को.. मैडम को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए..समजे?
यासीन - हाँ साब समज गया..आप चिंता मत करो..मैडम को कोई तकलीफ नहीं होगी.
कुछ देर बाद यासीन..एक कटोरे में गरम तेल लेकर आया...मैडम आप सोये रहिये.. मैं यहाँ बिस्तर पर ही आपकी मालिश कर दूंगा ..
में फिर भी उठ गयी..और बिस्तर एक एक साइड पर पैर निचे जमीं पर रख कर बैठ गयी. वैसे यासीन मेरे पैरों के पास निचे जमीं पर बैठ गया.उसने मेरा लचका हुआ दाया पैर अपनी गोदी में ले लिया..और धीरे धीरे तेल लगाने लगा.. उसके हात बहुत मुलायम पर सख्त मर्दाने थे . उसने मेरी नस पकड़ ली..और मैं आह..करके दर्द से कराह उठी. यासीन - मैडम मैंने नस पकड़ ली..अब आप चिंता मत करो में..इसको ठीक से मालिश करूँगा..
फिर वो उस नस को पाँव से लेकर घुटने टाक मालिश करने लगा.. मुझे अच्छा लगने लगा.. मेरा गाउन बिच मैं आता..वो उसको ऊपर घुटने पर रख देता ..
यासीन - मैडम यह नस ऊपर कमर तक जाती है..इसको ऊपर कमर तक मालिश करनी पड़ेगी...आप गाउन थोड़ा ऊपर उठा लो.
मैंने गाउन थोड़ा ऊपर जांघों तक ले लिया... वैसे यासीन ने फिर से पाँव से लेकर..जांघों तक उस नस को पकड़ कर सहलाने लगा.. मुझे अच्छा लग रहा था. पर दूसरा पैर लटका रहने के कारण थोड़ी परेशानी हो रही थी.. यासीन मेरी परेशानी भांप गया.. उसने मेरा बाया पैर हलके से उठाया और उसके कंधे पर दाये बाजु रख दिया. और मेरे दाये पैर को पकड़ कर वह पाँव से लेकर कमर तक मालिश करने लगा.. इसके कारण मेरा गाउन पूरा कमर तक चला गया..पर मुझे अच्छा लग रहा था...मैंने ऑंखें बंद कर ली...यासीन..के होतों में जादू था...वह पूरा एक ही बार में पाँव से लेकर कमर तक मेरे पैर की नस की गरम तेल से मालिश कर रहा था. मैंने ऑंखें खोली...देखा यासीन लगातार मेरे पैरों के बीच घूर रहा था..उसके आँखों मैं चमक थी.. तभी मेरे को अहसास हुआ के मेरे दोनों पैरों के बिच उसका चेहरा है..और मेरा गाउन कमर के ऊपर चला गया है..जिसके कारण यासीन को मेरी नंगी जाँघे और गुलाबी चुत साफ़ दिखाई दे रही है.. उसका चेहरा मेरे चुत से सिर्फ २ फ़ीट के फासले पर था. चूँकि मेरा एक पैर उसके हात में ऊपर की तरफ था..और दूसरा उसके कंधो पर, मेरी चुत के ओंठ भी खुल गये थे..और उसको चुत की दरार साफ़ दिखाई दे रही थी.. यह देखकर मेरी चुत के ओंठ फड़फड़ाने लगे.. वो..यासीन के ओंठों से मिलने को तड़पने लगे.. यासीन एक हात से मेरी नस की मालिश कर रहा था..और उसका दूसरा हात मेरे जांघ पर था.. मेरी चुत के बिलकुल करीब..तभी यासीन ने ऊपर देखा..मेरी ऑंखें उसकी नीली आँखों मैं डूबने लगी.. मैं कुछ नहीं कर पा रही थी.. कैसे सम्मोहन था.. तभी मुझे यासीन का हात मेरी चुत पर महसुस हुआ और मेरे शरीर मैं कम्पन होने लगी.. मेरा सम्मोहन टुटा और मैंने जल्दी से गाउन निचे कर दिया और कहा - बस यासीन..आज के लिए इतना काफी है..मुझे अब बाथरूम जाना है..
यासीन एकदम भांप गया जैसे कोई मीठा सपना टूट गया .. उसका मुँह उदास हो गया ..उसने बड़े कष्ट से उसका हात मेरी चुत के ऊपर से उठाया.. जब वो मेरे पैरों से उठा तब मैंने देखा की उसके पाजामे तम्बू बन गया था..और प्रिकम के कारण गिला निशान भी था. उसने मुझे उठाकर शावर के निचे खड़ा कर दिया. कुछ कपडे और टॉवल लेकर दिए. मैंने खड़े खड़े ही शावर के निचे नाहा लिया. फिर टॉवल से अपना बदन पोंछ लिया .. पर बाथरूम मैं निचे पानी था..इसलिए मैं अपने कपडे वहां नहीं पेहेन सकती थी. मैंने मेरा टॉवल..मेरे छाती से बांध लिया ..मेरे मम्मे ढक गये..और बड़ा टॉवल था..इसलिए जांघों तक मेरा बदन ढक गया .. मैंने फिर से यासीन को आवाज दी..
वो बाथरूम मैं आया..मुझे देखता रहा..मेरे गीले बदन पर पानी की बुँदे..मै बहुत सुन्दर लग रही थी..उसने मुझे फिर से गोदी में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया . ऐसे करते वक्त मेरे पैर फ़ैल गये .और उसको मेरी चुत के बार बार दर्शन होते रहे.. . उसके जाने के बाद मैंने अपने कपडे बिस्तर पर पहन लिए... नीले रंग का गाउन था...मुझ पर बहुत जचता था .. पैंटी और ब्रा नहीं पहना ..
ब्रेकफास्ट और दोपहर का कहना खाने के बाद..धर्मेश अंकल मेरे बैडरूम में आ गये..उनके हात मैं गरम तेल का कटोरा था.
मैं: अरे धर्मेश अंकल आप..पम्मी आंटी सो गयी क्या ?
धर्मेश अंकल: हाँ मेरी जान वो सो गयी...दोपहर की मालिश मैं करूँगा...और तुझे अपनी मलाई भी खिलाऊंगा..और हंसने लगे
मै : अंकल पहले दरवाजा बंद कर लो
धर्मेश अंकल: हाँ नहीं तो सुबह जैसे दुर्घटना हो जाएगी ..और हम दोनों हसने लगे..
मैंने कहा - अच्छी बात नहीं है अंकल ऐसे मिया - बीवी को छुपकर देखना
धर्मेश अंकल - अच्छा हुआ सपना जान..आज मैंने देख और सुन लिया..अब आगे..हम दोनों को छुपकर कुछ नहीं करना पड़ेगा ..
मैं: क्या मतलब अंकल ? कैसे अंकल ?
धर्मेश अंकल - बताता हूँ..पहले मालिश करने दो..मैं तो तुम्हे पूरा नंगा करके मालिश दूंगा..
धर्मेश अंकल के आँखों मैं वासना भरी चमक थी..कोई भी औरत उनकी आँखों मैं खो जाती..
उन्होंने मेरा गाउन निकाल कर मुझे पूरा नंगा कर दिया...और वह खुद भी पूरा नंगे हो गये..उनका १० इंच का गोरा मोटा लण्ड..फड़फड़ा रहा था..उसके टोपे से प्रिकम की चिपचिपी बून्द बहार निकल रही थी.
उन्होंने मुझे उठा कर अपनी गोदी मैं बिठा लिया और प्यार से मेरे ओंठों पर अपने ओंठ रख दिए और किस करने लगे. उनका दूसरा हात मेरे चुत को सहला रहा था धर्मेश अंकल: संध्या रानी तुम बहुत सुन्दर हो..इसलिए अनीश तुमसे इतना प्यार करता है..और डॉक्टर भी फिसल जाता है...
मैं हॅसने लगी..क्या अंकल आप भी..
अब धर्मेश अंकल एक हात से मेरे गोल आम दबा रहे थे और दूसरे हात से मेरी चुत के अंदर ऊँगली डाल कर आगे पीछे कर रहे थे.उनके ओंठ अब मेरे गुलाबी निप्पल्स का रसपान कर रहे थे. मैंने भी प्यार से उनका मोटा कड़क लण्ड पकड़ लिया. धर्मेश अंकल का लण्ड बहुत सुन्दर था..इतना सुन्दर लण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखा था..१० इन्चा का मोटा, गोरा.. लाल लाल सूपड़ा , मस्त केले के आकार जैसे टेढ़ा घुमा हुआ ..एकदम मरदाना लण्ड था..जब भी चोदते हर औरत को खुश कर देते ..मैं भी मस्ती मैं आ गयी.. उनके रंग में बेशरम होकर रंगने लगी. रिश्ते में वह मेरे मौसेरे ससुर थे.. पर मुझे उनकी रंडी बना दिए थे.
वह अब अपनी उँगलियों से मेरे चुत के दाणे को प्यार से सहलाने लगे..और बोले
धर्मेश अंकल - : संध्या लगता हैं सुबह डॉक्टर ने बहुत मजे लिए तेरे से ..और अनीश को भी पसंद आया..
मैं सिसक रही थी..मेरे चुत का दाणा फटने वाला था.मैंने ..उम् .. आह सिसक कर कहा.. कुछ नहीं बोल पा रही थी.
धर्मेश अंकल ने अब मुझे हल्का सा उठाया और अपने लण्ड पर धीरे से पर बिठा दिया...उनका मोटा १० इंच का लण्ड धीरे से मेरी गीली चुत को चीरता अंदर तक चला गया..
आह ! धर्मेश अंकल...और मैं पागलो की तरह उनको किस करने लगी..उनके ओंठ चूमने लगी..और मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर डाल दी
धर्मेश अंकल ने अपने दोनों हातों से मेरी गांड दोनों बाजु से पकड़ी थी ..और मुझे ऊपर निचे उछाल कर अपने लण्ड की सवारी करा रहे थे... वह मेरी आँखों में देख रहे थे..
धर्मेश अंकल; अनीश को तुम्हे दूसरों से चुदवाना अच्छा लगता है न..कितने लोगों से चुदवाया उसने तुम्हे..
अब यह बात मेरे और मेरे पति के बिच की थी..मैं बता नहीं सकती थी...वैसे उन्होंने मुझे उठाया जोर जोर से अपने लण्ड को आगे पीछे कर के मेरी चुत चोदने लगे. मैं उनकी गहरी आँखों में खो रही थी..
मैं..आहा..धर्मेश अंकल..हां...! अनीश को पसंद है..
धर्मेश अंकल - यह तो अच्छी बात है..अनीश ककोल्ड निकला .. अब देखो मैं कैसे उसको दबाकर उसके सामने तुझे चोदता हूँ...वह खुद मेरे पास आकर तुम्हे चोदने के लिए भिक मांगेगा ..मैंने ऐसे कही ककोल्ड पतियों के सामने उनकी बीवियों की चुदाई की हैं. ..अनीश तो बच्चा है..
आह धर्मेश अंकल....मैं...सकपका गयी..और उनके लण्ड पर झड़ने लगी...
मेरे चुत के पानी से उनका लण्ड पूरा गिला हो गया..और उनकी गोटिया भी भीग गयी...उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया...और उनका लण्ड और गोटिया मेरे चहरे के पास लेकर आये...संध्या मेरा लुंड चाट कर साफ़ कर दो..और गोटिया भी.. मैं भी प्यार से उनका लुंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी..और उनके टट्टे भी..क्या खुशबू है..क्या गजब का स्वाद है..
उन्होंने मुझे फिर से किस किया और बोले..मेरी प्यारी संध्या ..तुम तो मेरी सब से प्यारी रंडी हो.. हो ना..बालो ?
मैं: हाँ धर्मेश अंकल मैं सिर्फ आपकी रंडी हूँ.. वह वही मेरे बाजू में लेट गये..और मुझे अपनी बाँहों मैं जकड लिया
मैं भी वैसे नंगी उनकी बाँहों मैं सो गयी..हम दोनों एक दूसरे के बाँहों मैं नंगे सो कर खुश थे. जब आँख खुली तो देखा की ५ बज गये थे..मैंने धर्मेश अंकल को देखा..वो सो रहे थे.. पर उनका लण्ड अभी फिर से फनफना रहा था..मैंने उनको उठाया - धर्मेश अंकल उठो...अभी ५.३० बजे अनीश आ जायेंगे ..
धर्मेश अंकल ने मुझे प्यार से उनकी तरफ खिंच लिया...ऐसे नहीं रानी...कुछ गिफ्ट दो..चला जाऊंगा
मैं: सब कुछ तो दे दिया आपको धर्मेश अंकल..अब जाइये प्लीज..
धर्मेश अंकल..गिफ्ट बिना नहीं जाऊंगा..
मैं डर रही थी..अनीश के आने का टाइम हो रहा था...मैंने कहा - क्या चाहिए गिफ्ट..?
धर्मेश अंकल - बस मेरे खड़े लण्ड को पप्पी दे दो.. और हवसभरी नज़रों से मुझे देखने लगे..
मैंने अपने दोनों हातों से उनका मोटा लम्बा लण्ड पकड़ा...और उनके लाल सुपडे पर पप्पी लेने लगी..वैसे उन्होंने उनकी गांड ऊपर उछाल दी..और उनका लण्ड मेरे मुँह मैं ठूस दिया...दूसरे हातों से उन्होंने मेरा सर पकड़ कर रखा..
धर्मेश अंकल ..आह..संध्या क्या मस्त लण्ड चूसती है..मेरी रंडी..चूस ले..तुझे मेरा पाणी पसंद है ना.. तुम्हे मेरे वीर्य के स्वाद की लालसा है ना..पूरी कर लो...
मुझे उनकी खुशबू और महक बहका गयी.मैं पागलो की तरह उनका लण्ड चूसने लगी.. मैंने देखा ५.२० बज रहे थे.. मुझे जल्दी कुछ करना पड़ेगा..मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया और चूसने लगी...मैंने उनके बड़े बड़े गोल गोल टट्टे हातों से पकड़ लिए और सहलाने लगी... धर्मेश अंकल..आह..उम्..करने लगे..वह गरम हो गये थे...उन्होंने खुद को उल्टा पलट लिया और मेरी जांघों मैं अपना मुँह घुसा दिया..उनकी जीभ मेरी चुत के द्वार को चीरते हुए अंदर प्रवेश कर गयी..और चाटने लगी..
मेरी चुत भी जवाब दे रही थी..गीली होने लगी थी...धर्मेश अंकल का लण्ड फनफनाकर मरे गले तक मेरा मुँह चोद रहा था..और उनकी जीभ मेरी चुत मैं घुस घुसकर मेरी चुत चोद रही थी. मैंने अपने दोनों हातों से उनकी गांड पकड़ ली., अपनी ऊँगली पर थूका..और उनके गांड में एक ऊँगली डाल दी...
वैसे वह तड़प उठे..आह संध्या......मैंने उनका पूरा लण्ड गले तक ले लिया..और उनकी गांड मैं ऊँगली घुसा दी..
वैसे वह..आह..उम्..कर के मेरे मुँह मैं अपना वीर्य पिलाने लगे.. वाह! क्या खुशबू...इसकी दीवानी हो गयी थी मैं..इसके लिए उनकी रंडी बन गयी थी में..
मेरी चुत ने भी..धक्के मार मार कर..उनके मुँह में पाणी बहा दिया..वो बड़े प्यार से मेरा पाणी पिने लगे...बहुत देर तक हम एक दूसरे का पाणी पीते रहे..उन्होंने मेरी चुत सारी चाट कर साफ़ कर दी थी. मैंने भी उनका पूरा वीर्य का रसपान किया था..एक - एक भी बूँद चाट ली थी..
मैंने उनको जल्दी जाने को कहा..तभी घर के बहार अनीश की गाड़ी की आवाज आयी..धर्मेश अंकल जाते जाते बोले - सुनो संध्या .. मुझे अनीश को अपने काबू में करना है..अपना ककोल्ड बनाना है..मैं जैसे बोलू..वैसे तुम करना..
मैंने उनको कहा ..ठीक है..आप जो अच्छा समजे करे..
मौसाजी ने बनाया मेरे पति को कुक !
धर्मेश अंकल जैसे हमारे कमरे से बहार गए वैसे अनीश अंदर आ गया.. मेरे पास बैठ गया . मैं पसीने से लथपथ थी.. मेरे शरीर पर धर्मेश अंकल के पसीने की सुगंध आ रही थी. अनीश ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरे ओंठों पर ओंठ रख दिए.. और जीभ अंदर डाल कर चूमने लगा. अजीब लग रहा था..मेरे मुँह में कुछ देर पहले धर्मेश अंकल का बड़ा लण्ड था और उनका वीर्य...
अनीश - कैसी हो मेरी जान..अब ठीक लग रहा.. ?
मैंने कहा - हाँ ठीक हूँ... थोड़ी थकान हैं.. नहाना चाहती हूँ ..पर पहले पैर की मालिश कर लू..
अनीश ने कहा - ठीक है रानी . मैं यासीन को बुलाता हूँ..फिर खुद तुम्हे पूरा नंगा कर के नहला दूंगा
तभी धर्मेश अंकल कमरे में आये .उनके हात में एक बड़ा सा पैकेट था... अरे अनीश बेटे कैसे हो..? संध्या तुमने शायद यह ऑनलाइन मंगाया है.. अभी डेलिवेरी वाला देकर गया.
धर्मेश अंकल चले गए..जाते जाते उन्होंने मुझे आँख मारी और मोबाइल फ़ोन दिखा कर इशारा किया.. मैंने देखा मेरे फ़ोन पर उनका मैसेज था.. संध्या डार्लिंग..तुम्हारा गाउन फाड़ा था..या मैंने २ गाउन ख़रीदे है..अभी पहन लो..
अनीश - संध्या क्या ख़रीदा..?
मैं - अनीश कुछ नहीं कुछ गाउन है...अभी पहन कर दिखाती हूँ...
मैंने पैकेट खोला... उसमे दो गाउन थे..मॉडर्न किस्म के..एक लाल और दूसरी नीली पर वह बहुत शार्ट गाउन थे..मुश्किल से जांघों तक और घुटने के ऊपर आते थे.
अनीश - अरे वाह ! बेगम यह तो बहुत सेक्सी है..तुम ऐसे सेक्सी गाउन कभी नहीं पहनी..
मैंने कहा - हाँ तुम्हे दिखाने को ख़रीदे..अब तुम ही मुझे पहना दो..
अनीश बहुत खुश हुआ..उसने मेरा गाउन निकाल कर मुझे नंगा कर दिया.. मेरी नंगी चूत देखकर अनीश को रहा नहीं गया..उसने वहा हात रख दिया..पर मेरी चूत में धर्मेश का वीर्य था..मैं नहायी नहीं थी..मैंने अनीश का हात हटा दिया..अभी नहीं..जब मैं कहूँगी तब..
अनीश ने मुझे लाल गाउन पहनने में मदत की..गाउन लो-नेक था..मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे..मिश्किल से मेरी निप्पल को कवर कर रहा था ..और निचे सिर्फ जांघों तक था..मैं तो जैसे कोई होटल के कैबरेट डांसर लग रही थी..अनीश बहुत खुश हो गया..
अनीश बोलै - वाओ ! डार्लिंग मुझे तो तुझे इसी ड्रेस में चोदना है.. और उसने मेरे घुटने मोड़ कर ऊपर उठा दिए..ऐसे करने से मेरा गाउन जांघों पर से कमर तक चला गया और..मेरे नंगी चूत अनीश को दिख गयी...
अनीश - वाह रानी कितनी सुन्दर लग रही..जैसे कोई रंडी..
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.. यासीन था .. हात में तेल का कटोरा लेकर .. साब मालिश कर दू अभी ?
अनीश ने कहा - हाँ जल्दी कर दे..और अनीश मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था ..वह यासीन को देख रहा था ..यासीन के आंखें मुझ पर टिकी थी..अपने नज़रों से वह मेरे लाल गाउन में आधे नंगे बदन को चोद रहा था..मैं फिर से बिस्तर के साइड पर बैठ गयी..और पैर निचे रख दिए..यासीन सुबह जैसे ही मेरे पैरों के पास बैठ गया..और अनीश खुद के कपडे चेंज करने लगा..तभी मुझे फ़ोन पर मैसेज का अलर्ट आया..मैंने पढ़ा.. धर्मेश अंकल का मैसेज था..संध्या , आज यासीन को मैंने कुछ समझाया है..अनीश के सामने वो जो करे तुम करने देना..मैं भांप गयी..पता नहीं यासीन क्या करेगा..एक तो ऐसे ही मेरी चूत धर्मेश अंकल के वीर्य से गीली थी..और उसपर यह छोटा सा कमर तक गाउन पहना था..मैंने अपनी आंखें बंद कर ली..
यासीन ने मेरा लचका हुआ पैर उसकी जांघों पर रख दी...उसने आज कुरता पाजामा नहीं पहना था. आज वो टी शर्ट और लुंगी मैं था..निचे बैठने की वजह से उसकी लुंगी थोड़ी आगे से खुल गयी..और मेरा पैर उसकी नंगी जांघों पर था..मेरे पैर के तलवों को उसकी मांसल भरी बालों वाली जांघें से गुदगुदी हो रही थी. उसने मेरे पैर पर तेल लगाना चालू किया...सुबह की तरह..निचे से पूरा ऊपर कमर तक..उसने मेरा दूसरा लटका हुआ पैर अपने कंधे पर रख दिया..
अनीश - कैसे लग रहा है संध्या..? आंखें क्यों बंद की
मैं: अच्छा लग रहा है अनीश..यासीन मुझे बहुत अच्छी मालिश देता है..मुझे आपके सामने शर्म आ रही है..इसलिए आंखें बंद कर ली..
अनीश - अरे पगली..मुज़से क्या शर्माना .. और यासीन भी घर का आदमी है..आंखें खोलो और मेरी तरफ देखो
मैंने आंखें खोली..अनीश मेरे सामने सोफे पर बैठा था..और देख रहा था..वह सिर्फ एक छोटी सी शार्ट पहना था...कितना सुन्दर और हैंडसम था अनीश..कोई मॉडल जैसे .. मुझे बहुत फक्र महसूस हुआ..मैं उनके आँखों मैं खो गयी..और प्यार से नजरे मिलाने लगी. तभी मुझे महसूस हुआ की मेरा पैर यासीन की नंगी जांघों पर रगड़ रहा है..मैंने निचे देखा..मेरा गाउन पूरा कमर तक आ गया था..और मैं यासीन के आँखों के सामने बिलकुल नंगी बैठी थी..मैंने झट से गाउन संभाला..निचे किया . यासीन मुस्करा रहा था..अनीश की आँखों मैं अजीब शरारत थी..
अनीश.. यासीन अच्छी से मालिश करो..पूरा निचे से लेकर ऊपर तक..और ज्यादा तेल लगाओ..
यासीन - हां साब.. बहुत तेल लगाऊंगा..और फिर से कमिनी स्माइल दी
यासीन अब बिंदास हो गया..दोनों हातों से कमर के ऊपर तक मॉलिश करने लगा..मेरी गाउन फिर से पूरी कमर के ऊपर हो गयी..और मैं उसके सामने अब पूरी नंगी थी..यासीन के हात अब हलके हलके मेरी जांघों के बीच जा रहे थे..हर बार उसका हात ऊपर आता और मेरी चुत के पास आकर रुकता..तभी मेरे पैर को कुछ सख्त और गरम चीज महसूस हुआ..मैंने निचे देखा..यासीन की लुंगी और खुल गयी थी..और उसका गोरा गुलाबी मोटा लण्ड सख्त हो गया था..और मेरा पाँव..उसके लण्ड पर रगड़ रहा था..मैं गुस्सा हो गयी .. पर मुझे धर्मेश अंकल ने चुप रहने को कहा था..
मैंने देखा अनीश मुझे बड़ी ध्यान से देख रहा था और मुस्करा रहा था..उसकी शॉर्ट्स में उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह ऊपर से अपने हात से खुद का लण्ड सहला रहा था..तभी दरवाजे पर दस्तक हुई..मैंने देखा धर्मेश अंकल थे..बोले - डॉक्टर ने बताई थी वो संध्या बेटी तेरी दवाई लेकर आया हूँ..
अनीश ने कहा - आह..आइये अंकल..बैठ जाइये ..बातें करते है..और अपने बाजु में बैठने का इशारा किया..धर्मेश अंकल भी अनीश के बाजु सोफे पर बैठ गए..सोफा छोटा था..इसलिए वह एक दूसरे के बहुत पास बैठे थे..मैंने देखा धर्मेश अंकल ने भी आज सिर्फ टी शर्ट और लुंगी पहनी थी..और वो बहुत सेक्सी और जवान लग रहे थे. वो भी मुझे देखने लगे.. यासीन..मुझे निचे से कमर तक मालिश करता और अब मेरी चूत पर भी बिच में हात लगा देता..मेरी चुत को उसके हातों के स्पर्श से सनसनी हो रही थी..तभी अपना हात मेरी जांघों पर फेरता एकदममे री चुत के करीब ले कर आया और हल्का से उसकी बिच की ऊँगली से मेरे चुत के ओंठों को छू लिया..
वैसे मैंने - आह !! उम् ...कर के कराह उठी..
धर्मेश अंकल - अरे क्या हुआ संध्या बेटी.. यासीन ठीक से मालिश करो..ऊपर तक..संध्या को दर्द हो रहा..
मैंने कहा..अरे धर्मेश अंकल ठीक है..बस नस थोड़ी दर्द कर रही थी..
तभी मैंने देखा .. अनीश की नजरे मेरी तरफ से हट गयी थी..वह बाजु बैठे धर्मेश अंकल को देख रहा था..और अपना लण्ड अपने शॉर्ट्स के ऊपर से सहला रहा था..
मैंने देखा - अनीश धर्मेश अंकल की लुंगी को देख रहा है..और अपने ओंठों पर से जीभ फेर रहा था.. उफ़ यह क्या..धर्मेश अंकल की लुंगी खुल गयी थी..और उनका लुंड ट्टण कर सख्त खड़ा हो कर फनफना रहा था..अनीश ने शायद कभी इतना सुन्दर लण्ड देखा नहीं था.. वह भी धर्मेश अंकल के खूबसूरत औजार से प्रभावित हो गया था..
तभी धर्मेश अंकल ने अनीश को देखा..ओह ! सॉरी अनीश ! खुद को कण्ट्रोल नहीं कर पाया !
और वह उठ कर चले गए.. अनीश का मुँह खुला का खुला था..वह ऐसे सम्मोहित हो गया..कुछ बोल नहीं पाया ..मैं भी अपने होश में आ गयी.
मैंने कहा - यासीन अब बस करो..अनीश मुझे नहाने ले चलो न प्लीज..
यासीन जाने के लिए उठ गया..और कहा..- साब ! में मैडम को बाथरूम लेकर जाता हूँ..
और बिना मेरे या अनीश के उत्तर का इंतजार किये.. मुझे गोदी में उठा लिया और बाथरूम लेकर जाने लगा.. उसके हातों ने मेरे चूचियां जकड ली थी..और दूसरे हातों ने मेरी गांड पकड़ ली थी..अनीश भी हमारे पीछे पीछे आने लगा..
शावर के निचे यासीन ने मुझे धीरे से उतार दिया . और एक हात मेरे चुत पर रगड़ दिया..में कुछ बोल नहीं पा रही थी..
अनीश ने यासीन से कहा - यासीन तुम बहार रुको.. मैं संध्या को नहला दूंगा..नहाने के बाद तुम वापस संध्या को बेडरूम में ले जाना..
यासीन जी साब..बोल कर ख़ुशी ख़ुशी चला गया..तब तक अनीश नंगा हो गया था..उसका ५ इंच का लण्ड छोटा था पर मोटा था और फुफकार रहा था..
मैंने अनीश से से कहा - यह क्या अनीश..यासीन को क्यों रोका..तुम भी मुझे बेडरूम उठाकर ले जा सकते हो ..
अनीश ने मेरा गाउन निकाल दिया और मुझे पूरा नंगा कर दिया और बोला - हाँ मेरी जान..पर मुझे मेरी नंगी बीवी दूसरे आदमी की गोदी में अच्छी लगती है.. तुमने देखा नहीं यासीन बेचारा कितना उत्तेजित हो गया था. उसको भी तुम्हारे सुंदरता से आंख सेकने दो.
मैंने झूठा गुस्सा दिखाया.. आप बड़े कमीने हो..और अनीश का सख्त लण्ड अपने हात में पकड़ लिया..अनीश हँसा और मुझे चूमने लगा..उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और दूसरे होतों से मेरे चूत में उंगली डाल दी..मैं जानती थी की अनीश बहुत गरम हो गया..
अनीश ने शावर चालू किया और मुझे साबुन लगाने लगा... उसने मुझे शावर के निचे थोड़ा झुका दिया.और निचे बैठ कर मेरी गांड और चुत दोनों चाटने लगा. उसने कुछ लीकविड सोप उसकी ऊँगली पर लिया और मेरी गांड में डाल कर ऊँगली घुमाने लगा..उसकी उंगलिया मेरी गांड में फिसल रही थी.. मुझे अच्छा लग रहा था.. बहुत दिन से किसी ने मेरी गांड नहीं मारी थी. अनीश ने उसके लण्ड पर भी बहुत सारा तरल सोप लगाया ...और मेरी गांड में अपने लण्ड का टोपा लगा दिया..उसने पीछे से मेरे मम्मे पकड़ लिए और मेरे निप्पल्स गोल गोल दबाकर मेरे ओंठ घूमने लगा.. मेरी चूत गिल्ली हो रही थी.. अनीश ने एक जोरदार धक्का दिया और उसका लण्ड मेरी गांड की दरार में चीरता हुआ मेरे छेद में चला गया.. वैसे में कराह उठी..आह अनीश..धीरे ..उम्...आह..
मेरी चुत लगातार पानी बहा रही थी अनीश बहुत प्यार से धीरे धीरे धक्के मरकर मेरी गांड चोद रहा था.. उसकी जांघें मेरी गांड पर - फट फट की आवाज कर के टकरा रही थी. मुझे बहुत कामुकता और उत्तेजना हो रही थी यह सोचकर की बाथरूम के बहार यासीन सब सुन रहा था. अनीश मुझे लगातार चोदता जा रहा था..उसने मेरा एक पैर पकड़कर अपने हातों से ऊपर उठा लिया और मेरी गांड अब और ज्यादा खुल गयी..वो उसका लण्ड पूरा अंदर बहार करके मेरी गांड की चुदाई करने लगा..और दूसरे हातों से उसने मेरा सर पकड़ लिया और उसकी तरफ खिंच के मेरे ओंठ चूमने लगा.. मुझे ज्यादा देर नहीं लगी झड़ने में..मुझे यासीन और धर्मेश अंकल ने मेरे पति अनीश के सामने नंगा देखा था. इसलिए मैं. पहले से बहुत उत्तेजित हो गयी थी और आह..उफ़ करके झड़ने लगी..जिसके कारन मेरी गांड सिकुड़ गयी..और अनीश के लण्ड को जोर से भींच लिया..इसके कारण अनीश भी..आह..मेरी रानी..संध्या..मेरी रंडी..करके मेरी गांड में झड़ने लगा ..अनीश बहुत देर तक मुझे चूमता रहा ..फिर उसने निचे झुक कर मेरी गांड चाट ली..और उसके वीर्य और मेरी गांड का मिश्रण चाट कर साफ़ कर दिया..
अनीश ने यासीन को आवाज दी - यासीन २ टॉवल लेकर आओ
मैं हक्का - बका रह गयी..मेरा गाउन पानी में भीग गया था , मैं पूरी नंगी थी और मुझे ढकने के कुछ नहीं था.. इससे पहले में कुछ कहती और रोकती, यासीन दो टॉवल लेकर बाथरूम के अंदर आ गया.. मुझे और अनीश दोनों को पूरा नंगा देखकर खुश हो गया. उसने अनीश को के टॉवल दिया और दूसरा टॉवल मुझे. अनीश ने कहा - यासीन तुम टॉवल से संध्या का बदन पोंछ कर सूखा दो .. मैं चकित रह गयी .. और मुझे शर्म भी आ रही थी..यासीन ने ख़ुशी ख़ुशी से टॉवल मेरे हातों से लिया और मेरी पीठ पोछने लगा. मैंने अनीश को देखा .. वह मेरे तरफ देखकर मुस्करा रहा था और गौर से यासीन को देख रहा था.. अनीश अपना बदन पोंछ रहा था..उसका लण्ड अब सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था .. २ इंच का बेबी लण्ड था उसका ..वह धीरे धीरे अपना बेबी लण्ड और अण्डे टॉवल से पोंछने लगा. और मुझे और यासीन को हवस भरी नजरों से देखने लगा..
यासीन बड़ा कमीना निकला.. वह एक हात से मुझे टॉवल से पोंछ रहा था और दूसरी हात से मेरे पोंछे हुए बदन पर फेरकर देख रहा था की सब सुख गया या कोई पानी के बुँदे ना रहे .. उसने अब मेरे बूब्स और निप्पल्स को भी छू लिया ..उसके मर्दाने हातों के छूने से मेरे बदन में करेंट दौड़ गया..मैं थरथरा गयी..अनीश मेरी मज़बूरी का मजा ले रहा था ..उसने कहा - यासीन मैडम के कमर के निचे और पाँव भी एकदम अच्छी से सुका दो..
यासीन अब मेरे पैरो के पास निचे झुककर अपने पैरों पर बैठ गया.. और मेरी चुत को टॉवल से पोछने लगा..उसने दूसरे हातों से मेरी चुत को सहला लिया..और कहा ..हाँ साब एकदम सुख गया ..मैंने निचे देखा ..यासीन की लुंगी फिर से आगे से खुल गयी थी..और उसका गोरा कटा हुआ १० इंच का काले बालों वाला लण्ड फुफकार रहा था..आसमान की तरफ..
अनीश ने कहा .. अरे यासीन ठीक से देखो ..अंदर पानी से गिला ना हो .. वैसे यासीन ने मेरी चुत में उसकी मोटी ऊँगली डाल दी..आह..मैं सिहर उठी..
यासीन..साब अंदर से बहुत गीली है..
अनीश -हाँ संध्या की चुत बहुत गरम है हमेशा गीली होती है..
यासीन - साब मैडम इतनी गरम है , पर आपका लण्ड तो बहुत छोटा सा है..एकदम १० साल के बच्चे जैसे
अनीश - हाँ मेरा लण्ड बहुत छोटा है .. तेरा दिखा यासीन..
यासीन ने अपनी लुंगी बाजु कर दी..वह अब अनीश के सामने एकदम नंगा था..उसका लण्ड बहुत गोरा था और उसके लण्ड का सूपड़ा एकदम लाल लाल स्ट्रॉबेरी जैसे था .. यासीन के बहुत लम्बे और घने बालों वाली काली झाटें थी और उसके बड़े बड़े बालों से भरे दो अण्डे निचे लटक रहे थे. अनीश उसका लण्ड देखने हमारे करीब आ गया
अनीश - अरे वाह यासीन .. ! तुम्हारी झाटें तो एकदम मस्त है..
अनीश का हात यासीन के झाटों के काले बालों में चला गया और सहलाने लगा.
मैंने अनीश को देखा..वो अभी भी टॉवल से अपने लण्ड और गोटिया रगड़ रहा था..उसका २ इंच का बेबी लण्ड अभी फिर से उठकर सख्त ५ इंच का कड़क लोहा बन गया था..
यासीन - साब ! हाँ बहुत बाल हैं मेरे बदन पर..पर साब आपने तो कोई बाल नहीं रखे..सब शेव किये..आप का लण्ड एकदम १० साल के बच्चे जैसे चिकना , बिना बालों वाला लगता है..और यासीन भी अनीश के चिकने लण्ड और गोटियों को हात लगाकर देखने लगा.
इससे पहले वह कुछ कहे ..मैंने कहा..बस अब ठीक हैं यासीन...मुझे बेडरूम में लेकर चले .. यासीन ने मुझे वैसे ही नंगा गोदी में उठाया और बेडरूम में लेकर बिस्तर पर लिटा दिया..बिस्तर की दूसरी साइड पर तकिया लेने वह मेरे ऊपर झुक गया..वैसे उसका लण्ड मेरे चहरे के पास आ गया .. उसके लण्ड का कटा हुआ लाल टोपा मेरे ओंठों के पास था.. मैं खुद को रोक नहीं पायी और जल्दी से मैंने उसके टोपे पर जीभ पैर दी..
वैसे यासीम..उम्म्म कर के झूम उठा. अनीश भी पीछे पीछे बेडरूम में आया..क्या हुआ यासीन
यासीन..कुछ नहीं साब..
मैं फिर से संभल गयी.. ठीक है यासीन तुम अब जाओ, में गाउन पहन लुंगी..
यासीन थोड़ा मायूस सा हो गया और चला गया..
अनीश प्यार से मेरे पास आ गया और मुझे नीले कलर का गाउन पहना दिया..जो धर्मेश अंकल लाये थे..
रात को खाना खाते वक्त ..अकेले धर्मेश अंकल थे..उन्होंने बताया .. की पम्मी आंटी उनके घर चली गयी..कुछ पानी के पाइप का लीकेज था..इमरजेंसी थी .वह कल वापस आएगी.
फिर उन्होंने मुझे मैसेज किया.. संध्या .. मेरी रंडी..आज तेरे पति को कुक बनाने का सही समय है.. यासीन ने मुझे सब बताया कैसे अनीश ने तुम्हे उसके सामने नंगा किया और उसे तुम्हारी चुत से खेलने दिया. यासीन के लण्ड से वह कैसे आकर्षित हो गया .. लोहा अभी गरम है.. तुम थोड़ी देर में मुझे वीडियो काल करो..और अनीश को मेरे पास भेज दो.. की मौसाजी से डॉक्टर ने दी हुई दवाई ले आओ.. और वीडियो काल पर तुम सब देखना..मैं कैसे तेरे पति को ककोल्ड बनाता हूँ.
मैं हैरान हो गयी.. पर मुझे बहुत उत्तेजना भी हो रही थी . मुझे अपने पति अनीश से बहुत प्यार था..उन्होंने मुझे हर खुशियां दी थी ..उनके छोटे बेबी लण्ड होने के बावजूद उन्होंने मुझे बहुत मर्दों से और बड़े बड़े लण्ड से चुदवाया था.. मैं सिर्फ उनकी ख़ुशी चाहती थी..उनको भी कुछ खुशियां गिफ्ट में देना चाहती थी..इसलिए यह सब्र मुझे ठीक लग रहा था.
तभी मुझे धर्मेश अंकल का वीडियो कॉल आया... मैंने कॉल ले लिए..मैंने देखा की .. सामने बिस्तर पर धर्मेश अंकल पूरा नंगा बैठे है.. पैर फैला कर और अपना लण्ड सहला रहे है..उनको ऐसे देखकर में एकदम उत्तेजित हो गयी..और मेरी चुत गिल्ली होने लगी. उन्होंने कहा.. संध्या अब अनीश को मेरे कमरे में भेज दो. मैंने देखा अनीश सिर्फ एक शॉर्ट्स में था..क्यूंकि हम दोनों रात को नंगा सोते है.
मैंने कहा ..अनीश मेरी कुछ दवाई धर्मेश अंकल लेकर आये थे..उनकी रूम में जाकर ले आओं ना..प्लीज..
अनीश ने कहा - ठीक है.. लेकर आ ता हूँ जान और वो वैसे ही छोटीसी शॉर्ट्स में कमरे से बहार चले गए..
मैंने फिर से वीडियो कॉल देखना चालू किया.. मैंने देखा की धर्मेश अंकल ने अपनी आंखें बंद कर ली.और वह अब अपने लण्ड को पकड़ के आगे पीछे हिला रहे थे..यभी मैंने देखे की दरवाजे पर अनीश खड़ा होकर रुक गया.. वह धर्मेश अंकल को पूरा नंगा देख कर सर से पाँव तक हिल गया.उसकी नजर धर्मेश अंकल के नंगे बदन पर थी. धर्मेश अंकल एक गोरा, एकदम फिट, ५० -५५ की उम्र वाला आदमी था, नीली गहरी आंखें, एकदम कबीर बेदी जैसी, हट्टा-कट्टा पहलवान जैसे. कुछ तो बात थी धर्मेश में. सबको आकर्षित कर लेते थे. और सबसे खुनसुरत उनका काला मोटा १० इंच का लण्ड था..लाल टोप एकदम फुला हुआ..और मोटे केले जैसे टेढ़ा..एकदम जबरदस्त खुसबूसृत लण्ड था.. अनीश उनको निहार रहा था और अब उसका एक हात उसकी शॉर्ट्स में चला गया था और वो अपने लण्ड को सहला रहा था. मुझे बहुत सरप्राइज हुआ . अनीश अब धर्मेश अंकल के खूबूसरत नंगे जिस्म से पूरा सम्मोहित हो गया था. धर्मेश अंकल का काला लण्ड एकदम सख्त लोहे जैसे फुफकार रहा था ..वह उसे अपने दोनों हातों से पकड़ कर आगे पीछे करके मसल रहे..थे.. धर्मेश अंकल आहे भर रहे थे - उम्..आह...मेरी संध्या.. मेरी रंडी बन जा...
मुझे जोर से झटका लगा ..यह अनीश के मौसाजी उसके सामने पूरा नंगा है, अपने बड़े लण्ड को हातों से पकड़कर मूठ मार रहे और उसकी बीवी का नाम ले रहे है .. मैंने सोचा अनीश को कही गुस्सा ना आ जाये.. पर अनीश के कदम धीरे धीरे उनके बिस्तर के तरफ बढ़ रहे थे...और अब उसकी शॉर्ट्स भी उसके घुटने तक खिसका दी..और अपने लण्ड को खुला कर के धर्मेश अंकल के लण्ड को देखकर हिला रहा था. मेरी चूत यह देखकर गिल्ली हो गयी..मेरा एक हात अपने आप मेरी गिल्ली चुत के ऊपर चला गया..
मैंने देखा अनीश अब बिल्कुम धर्मेश अंकल के बिस्तर के पास खड़ा है..उसकी नजर धर्मेश अंकल के मोटे लम्बे लण्ड पर थी.... उसकी शॉर्ट्स अब फर्श पर गिर गयी थी और वह एक हाथ से धीरे से उसका लण्ड हिला रहा था. धर्मेश अंकल अब पूरा बिस्तर पर लेट गए थे..वो अपना मोटा लण्ड आराम से हिला रहे थे..और सिसकियाँ ले रहे थे..उम्... संध्या...तेरी चुत आज देखि..कितनी खूबसूरत है...तुझे दिन रात चोदूूँगा ..काश तू मेरी बहु नहीं होती..तुझे रंडी बनाता और रात - दिन चोदता. अनीश भी यह सुनकर एकदम गरम हो गया था.. उसके हात भी उसके लण्ड पर आगे पीछे घूम रहे थे.. तभी सही वक्त समाज कर धर्मेश अंकल ने ऑंखें खोली..
धर्मेश अंकल - (घबराते हुए - नाटक करते) - ओह ! अनीश तुम. . आई ऍम वैरी सॉरी ! सॉरी बेटा ! वह तुम्हारी पम्मी मौसी नहीं है ना..सो सेक्स मिस करता हूँ..आज रोक नहीं पाया खुद को..
अनीश - ओह सॉरी अंकल.. मैं भी बहक गया..सॉरी तो मैंने कहना चाहिए ..आप मौसी को मिस कर रहे है..
पर दोनों ने भी लण्ड सहलाना चालू रखा..
धर्मेश अंकल - अरे नहीं बेटा , तुम्हारी मौसी कोई काम की नहीं रही..मेनोपोज़ के बाद वह ठंडी हो गयी..इसलिए मुझे यह करना पड़ता ..और आज बहु की मालिश देखि तो और ज्यादा उत्तेजित हो गया
अनीश - ओह अंकल..यह तो बहुत नाइंसाफी है आपके मस्त लण्ड पर..आपको इसको भूखा नहीं रखना चाहिए
धर्मेश अंकल - हां अब आदत हो गयी बेटे .. पर क्या तुझे मेरा लण्ड सच में मस्त लगता है ? कैसे इसकी भूक शांत करू ..तू ही बता दे
मैं सब वीडियो काल पर देख रही थी और सुन रही थी. मुझे हंसी आ गयी.. धर्मेश अंकल बहुत अनुभवी और कमीने थे..उन्होंने मेरे भोले पति की नब्ज पकड़ ली थी.
अनीश - हाँ अंकल..! आपका लण्ड सच में मस्त है..इतना खूबसूरत लण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखा..यह तो एक सात दस - बीस कुंवारी चुत की सील फाड् देगा
धर्मेश अंकल..ओह ! इसलिए तू भी नंगा हो गया.. तुझे मेरा लण्ड अच्छा लगा , तुझे इसको टच करना है..
अनीश ने कहा - उम् ...हाँ अंकल सच में अच्छा है..एकदम mota और लाल टोपा..है
धर्मेश अंकल ने अनीश को बढ़ावा दिया.. चलो एक काम करते है..तू मेरा लण्ड पकड़ ले..मैं तेरा लण्ड पकड़ लेता हूँ..
उन्होंने अनीश का लण्ड पकड़ लिया..अनीश को भी हिम्मत आ गयी..वह बिस्तर पर धर्मेश अंकल के पास बैठ गया और उनका गरम लण्ड पकड़ लिया. और प्यार से हिलाने लगा .उसकी नजर धर्मेश अंकल के लण्ड से हट नहीं रही थी..धर्मेश अंकल-- आह...उम्..करके आहे भरने लगे ..
धर्मेश अंकल - कैसे फील हो रहा अनीश मेरा लण्ड पकड़ कर..
अनीश - बहुत अच्छा लण्ड हैं आपका अंकल .. मस्त सख्त ..और गरम..बहुत अच्छा लग रहा है..
धर्मेश अंकल...आह ! अनीश मरे लण्ड को थोड़ा सा चूस ले..मुझे अच्छा फील होगा..
अनीश - अरे नहीं अंकल..
पर उसने अब अपने दोनों हातों में धर्मेश अंकल का लण्ड पकड़ लिया..
धर्मेश अंकल थोड़ा सक्ति से बोले - चलो अनीश मेरा लण्ड चूस लो..मुझे मालूम है तेरा मन इसको चूसना चाहता है..
अनीश कुछ नहीं बोला. अब धर्मेश अंकल गुस्से में बोले - मादरचोद मेरा लण्ड मुँह में ले ले..नहीं तो अभी तेरी बीवी को बुलाता हूँ..और दिखाता हूँ की तू कैसे खुद होकर मेरे कमरे में नंगा हो गया और मेरा लण्ड हिला रहा हैं.
अनीश अब डर गया.. उसकी आँखों मैं डर था..वह धीरे से निचे झुका और धर्मेश अंकल का लण्ड मुँह में ले लिया..और चूसने लगा
धर्मेश अंकल - आह .! . वाह बेटा ..ऐसे ही जोर जोर से चूस ले..मैं तुझे मेरी मलाई खिलाऊंगा आज..
अनीश अब जोर जोर से धर्मेश अंकल का लण्ड चाटने लगा .. और चूसने लगा ..मुझे सब दिख रहा था ..मुझे हंसी आ गयी.. धर्मेश अंकल ने मेरी धमकी देकर अनीश को उनका लण्ड चूसने को बाध्य किया.और मुझे आश्चर्य हुआ की मेरा पति भी डरने का नाटक करके उनका लण्ड चूस रहा था.. अनीश ने मेरे सात सेक्स की बहुत रंग-रलिया मनाई है..वो मेरे से प्यार करता है और उसे पता हैं मैं उसका सात देती हूँ. पर उसको शायद सच में धर्मेश अंकल का लण्ड चूसना था ..इसलिए इस बेकार धमकी से डरने का नाटक किया.
धर्मेश अंकल - अनीश के लण्ड को सहला रहे थे..आह अनीश ! .. काश कोई चुत मिल जाये तो चोद चोद कर फाड् दू.. आपने भूके लण्ड की भूक मिटा दू.. आज दोपहर को मालिश के वक्त संध्या की चुत दिख गयी .. बहुत सुन्दर है..तू रोज चोदता है उसे ?
अनीश के मुँह में धर्मेश अंकल का लण्ड था -- उम्म्म हाँ ..
धर्मेश अंकल - उह...वाह..पर तेरा लण्ड तो बहुत छोटा है..बेचारी की चुत भुकी रह जाती होगी..
अनीश कुछ नहीं बोला - उम्....आह
तभी धर्मेश अंकल ने गुस्से मैं अनीश के गाल पर एक थप्पड़ मार दी..और उसको अपने लण्ड से अलग किया - भोसड़ीके बता .. नहीं तो तुझे मेरा लण्ड चूसने नहीं दूंगा..
अनीश की आंख से थप्पड़ खाकर पानी आ गया..- पर वो अभी भी दोनों हातों से धर्मेश अंकल के लण्ड को पकड़े था उसने कहा - हाँ अंकल मेरा लण्ड बहुत छोटा है, शायद आपकी बहु की चुत प्यासी राह जाती होगी.
धर्मेश अंकल - हाँ अब ठीक है..अब बता इतनी सुन्दर बहु है मेरी..उसकी चुत के लिए कैसा लण्ड चाहिए
अनीश - अंकल उसकी गोरी चुत के लिए एकदम बड़ा और मोटा और सख्त कड़क लण्ड चाहिए..
धर्मेश अंकल - अच्छा अब सच बता..मेरा लण्ड कैसे लगा..झूठ बोला तो और मरूंगा
अनीश - अंकल आप का लण्ड बहुत खूबसूरत है..इतना सख्त लण्ड मैं नहीं देखा
धर्मेश अंकल - हम्म.. क्या बहु को मेरा लण्ड पसंद आएगा.. ? क्या मेरा लण्ड उसको चोदने लायक है?
अनीश अब फटी आँखों से धर्मेश अंकल को देख रहा था - हाँ अंकल आप का प्यासा - भूखा लण्ड एकदम योग्य है आपकी बहु के भुकी चुत के लिए.. पता नहीं वो मानेगी या नहीं..
अनीश शायद रिश्तों में कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था..अभी तक उसने मुझे सब अनजान आदमियों से चुदवाया था.. इसलिए वो धर्मेश अंकल को टालने की कोशिस कर रहा था.
पर धर्मेश अंकल कहा मानने वाले थे.. उन्होंने अनीश को उसकी गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मार दीया..
धर्मेश अंकल - मादरचोद उसको मनाना तेरा काम है.. समजा.. चल जा अब
पर अनीश वहा से जा नहीं रहा था..उसके दोनों हात में अभी भी धर्मेश अंकल का मोटा लण्ड फनफना रहा था..
धर्मेश अंकल - क्या हुआ..जा लवडे के बाल..क्यों रुका है..छोड़ मेरे लण्ड को..
पर अनीश वहा से हिल नहीं रहा था...वह भुकी नजरों से धर्मेश अंकल के लण्ड को देख रहा था..
धर्मेश अंकल - तुझे मेरा लण्ड चूसना है ? बोल गांडू..नहीं तो अभी तेरी बीवी को बुलाता हूँ
अनीश - हाँ अंकल
धर्मेश अंकल - फिर ऐसे नहीं...मेरे पाँव पकड़ कर आशीर्वाद ले और आदर से मेरा लण्ड को चूसने की अनुमति मांग..
अनीश ने अपना सर धर्मेश अंकल के पाँव पर रख दिया और बोला - मेरे पिता सामान मौसाजी..मुझे आपका आशीर्वाद दो.. और आपके लण्ड को चूसने की अनुमति दो.
धर्मेश अंकल - ऐसे नहीं मिलेंगे आशीर्वाद..पहले मेरे पैर चाट कर आशीर्वाद लो..
अनीश धर्मेश अंकल के पैरों पर अपने ओंठों से किस करने लगा और उनके पैर चाटने लगा..उसकी जीभ बहार निकल कर वह धर्मेश अंकल के पाँव के तलवे मजे से चाटने लगा..उसका लण्ड अब सख्त हो कर फनफना रहा था ..उसको इस अपमान की वजह से कामुकता बढ़ रही थी.. मैं समज गयी थी की मेरा पति अब जल्दी ही धर्मेश अंकल का कुक बन जायेगा..धर्मेश अंकल भी उनके तलवो को अनीश के मुँह पर फेर रहे थे..बिच में ही उन्होंने उनका एक पैर अनीश के लण्ड पर जोरदार दबा दिया..और उसके अण्डे मसल दिए..अनीश रो पड़ा - आह मौसाजी..दर्द होता है..तभी धर्मेश अंकल ने उसको फिर से जोरदार तमाचा गाल पर मार दिया..उसके गालपर लाल निशान बन गयी..
अनीश के आँखों में अब आंसू थे..धर्मेश अंकल ने अनीश के बाल पकडे और खिंच कर अपने पास लेकर आये..उन्होंने कहा - मुँह खोल साले छक्के - और अनीश के मुँह में थूक दिए..
मुझे अनीश को ऐसे देखकर बुरा लग रहा था.. मेरे पति की बेइज्जती हो रही थी.. पर अनीश सारा थूक निगल गया और मुँह खोलकर बैठा..ताकि और धर्मेश अंकल की थूक ले सके.
धर्मेश अंकल ने कहा - मैं तेरे पिता सामान हूँ..मुज़से आदर से बात करनी..मेरा सब कहा मानना और कोई बात के लिए मना नहीं करना..अब जावो और मेरे अण्डे चाटों..
अनीश - जी अंकल..